समाधान शिविर के दौरान महिला-बाल विकास अधिकारी पर भड़के BJP विधायक, कलेक्टर से की शिकायत

महासमुंद-  छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा प्रदेश में सुशासन को मजबूती देने के उद्देश्य से ‘सुशासन तिहार 2025′ का आयोजन किया जा रहा है, जिसके तहत जिले के ग्राम बेमचा के शासकीय हाई स्कूल मैदान में समाधान शिविर आयोजित किया गया। शिविर में विधायक योगेश्वर राजू सिन्हा बतौर अतिथि पहुंचे। वे शासकीय योजनाओं से जुड़े स्टॉल का निरीक्षण कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने महिला एवं बाल विकास विभाग के स्टॉल पर अधिकारी समीर पाण्डेय को लापरवाही के चलते फटकार लगाई।

बता दें कि इस दौरान जिला कलेक्टर भी मौके पर मौजूद थे, इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।

दरअसल, कुछ महीने पहले विधायक योगेश्वर राजू सिन्हा ने अधिकारी समीर पाण्डेय से मुख्यमंत्री की योजना सामूहिक कन्या विवाह की जानकारी मांगी थी। पाण्डेय ने लाभार्थियों की सूची तो दी, लेकिन आवेदकों के आवेदन पत्र नहीं दिए। विधायक ने कलेक्टर विनय कुमार लंगेह को इस मामले में हस्तक्षेप के लिए बुलाया। कलेक्टर ने समीर पाण्डेय को तुरंत आवेदन उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।

आवेदन देने आए ग्रामीण लौटे

इस पूरे घटनाक्रम को शिविर में मौजूद आम नागरिकों ने प्रत्यक्ष रूप से देखा। कई ग्रामीणों ने दबे स्वर में यह भी कहा कि जब एक जनप्रतिनिधि की बात अफसर नहीं सुन रहे, तो आम लोगों की सुनवाई की क्या उम्मीद की जा सकती है? कई लोग आवेदन देने से पहले ही निराश होकर शिविर स्थल से लौट गए।

समस्या यही है कि अगर शासन के मंच पर जनप्रतिनिधियों को भी अनदेखा किया जा रहा है, तो प्रशासन आम जनता की समस्याओं को कितनी गंभीरता से ले रहा है, यह सोचने वाली बात है।

आजमगढ़ : अभियान चलाकर हटाया जा रहा सरकारी जमीन से अतिक्रमण : एसडीएम
   सिद्धेश्वर पाण्डेय
     व्यूरो चीफ
  आजमगढ़ । फूलपुर एसडीएम संत रंजन द्वारा प्रतिदिन  तहसील सभागार में विशेष तौर से जन सुनवाई  का आयोजन किया जा रहा है। इसमें लोगों की विभिन्न विभागों से जुड़ी शिकायतों पर त्वरित संज्ञान में लेकर निस्तारण किया जा रहा है । विशेष कर शासन के मंशानुसार ग्राम सभा के सरकारी जमीन पर हुए अतिक्रमण को हटाया जा रहा है । 
 फूलपुर उपजिलाधिकारी सन्त रंजन का कहना है कि भूमि से संबंधित समस्याओं का टीम बनाकर मौके पर ही निस्तारण किया जा रहा । अन्य समस्याओं  को संबंधित अधिकारियों को जल्द से जल्द समाधान सुनिश्चित करने के निर्देश जा रहे हैं । जन सुनवाई  में प्राप्त शिकायतों की समीक्षा करते हुए कहा कि प्रशासन का मुख्य उद्देश्य लोगों को समयबद्ध और प्रभावी समाधान का निस्तारण  प्रदान करना है। जनसुनवाई में , बिजली निगम,  राजस्व विभाग, पंचायती विभाग, कृषि विभाग आदि से संबंधित शिकायत लेकर लोग पहुंचे रहे । एसडीएम ने विभिन्न प्रकार की शिकायत लेकर आए नागरिकों की समस्याएं सुनते हुए संबंधित विभागों के अधिकारियों को अविलंब समाधान के निर्देश दिए । वही कई गांव में धारा 24( पत्थर नसब) के अंतर्गत चल रहे विवाद को राजस्व टीम बनाकर मौके पर ही समस्या का निस्तारण किया जा रहा है । लगातार समस्याओं के निस्तारण से धीरे धीरे  तहसील में भीड़ कम हो रहे हैं । एसडीएम द्वारा प्रतिदिन की जा रही समस्याओं की सुनवाई को लेकर इसकी चहुओर चर्चा का विषय बना हुआ है । उपजिलाधिकारी सन्त रंजन का कहना है कि ग्राम सभा के सरकारी जमीनों पर हुए अतिक्रमण को अतिक्रमण मुक्त कराने का अभियान बिशेष रूप से शासन के मंशानुरूप से चलाया जा रहा है ।

महिला डॉक्टरों के हित में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, जानिए पूरा डिटेल

डेस्क : बिहार महिला डॉक्टरों के हित में पटना हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए स्पष्ट किया कि मातृत्व अवकाश के दौरान भी उन्हें कार्य अनुभव प्रमाणपत्र और मानदेय दिया जाएगा।

यह फैसला नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल, पटना की दो महिला डॉक्टरों — डॉ. अतुलिका प्रकाश और डॉ. अलका कुमारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस हरीश कुमार ने सुनाया।

दरअसल दोनों महिला डॉक्टरों ने राज्य सरकार के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें कहा गया था कि मातृत्व अवकाश को सेवा अनुभव में नहीं जोड़ा जाएगा और उस अवधि का वेतन नहीं मिलेगा।

याचिकाकर्ता के वरीय अधिवक्ता बिनोदानंद मिश्रा ने कोर्ट को बताया कि 29 नवंबर, 2022 को सरकार खुद स्पष्ट कर चुकी है कि मातृत्व अवकाश को अनुभव और मानदेय में गिना जाएगा, फिर भी उन्हें इसका लाभ नहीं मिला।

कोर्ट ने एनएमसीएच के प्राचार्य को तत्काल अनुभव प्रमाणपत्र देने और स्वास्थ्य विभाग को 24 जून,2025 तक अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है।

कोयला घोटाला मामले में बड़ी कार्रवाई, ACB-EOW की स्पेशल कोर्ट ने कांग्रेस कोषाध्यक्ष समेत 3 के खिलाफ जारी किया गैरजमानती वारंट

रायपुर- कोयला घोटाला मामले में राज्य की ACB/EOW शाखा ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष राम गोपाल अग्रवाल सहित तीन लोगों को गंभीर कानूनी कार्रवाई में घेर दिया है। ACB/EOW की स्पेशल कोर्ट ने रामगोपाल अग्रवाल समेत तीन लोगों के खिलाफ बेमियादी और गैरजमानती वारंट जारी किया है। विधि विशेषज्ञों का मानना है कि लंबे समय से नदारद रामगोपाल अग्रवाल को इस वारंट के जारी होने के बाद अग्रिम जमानत जैसे विधिक संरक्षण हासिल करने में गंभीर दिक्कत होगी।

सामान्यतः चालान पेश ना हो तो वारंट जारी नहीं होता है, लेकिन यह छत्तीसगढ़ का पहला ऐसा मामला बन गया है, जहां चालान/चार्जशीट पेश होने के पहले अन्वेषण के दौरान ही ACB/EOW की विधिक टीम ने आरोपियों के खिलाफ बेमियादी और गैरजमानती वारंट कोर्ट से जारी करा लिया। यह वारंट जारी होने के पहले कोर्ट में इसके कानूनी पहलुओं को लेकर जमकर बहस हुई। विशेष न्यायालय के सामने मुंबई बम कांड से जुड़े एक न्यायिक फैसले को सामने रखा गया, यह फैसला मुंबई बम कांड के अभियुक्त दाउद इब्राहिम कास्कर से जुड़ा हुआ है। इस फैसले में अन्वेषण के दौरान ही कोर्ट से दाउद इब्राहिम कास्कर के खिलाफ गैरजमानती और बेमियादी वारंट जारी हुआ था

ACB/EOW के अधिवक्ता सिद्धार्थ सिंह ठाकुर की ओर से मुंबई बम कांड से जुड़ा यह न्यायिक आदेश पेश करने के बाद ACB विशेष अदालत के जज नीरज शर्मा ने रामगोपाल अग्रवाल, नवनीत तिवारी सहित तीन के खिलाफ बेमियादी और गैरजमानती वारंट जारी कर दिया।

ये है कोल स्कैम मामला

छत्तीसगढ़ का कोल घोटाला भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री रहते हुए था। इस घोटाले में तत्कालीन सीएम भूपेश बघेल के बेहद करीबी/विश्वासपात्र लोग आरोपी हैं। इस घोटाले की जांच ईडी और अब ईओडब्लू/एसीबी कर रही है। इस मामले में जांच एजेंसियों का कहना है कि भूपेश बघेल के करीबियों ने कोल घोटाले को अंजाम देने के लिए कोल परिवहन के नियमों को बदल दिया। कोल परिवहन पहले ऑनलाइन था, लेकिन भूपेश सरकार ने एक आदेश के जरिए इसे ऑफ़लाइन कर दिया, फिर राज्य का समूचा प्रशासनिक तंत्र एक प्रकार से घुटनों के बल बैठकर घोटाले को अंजाम देने वालों के सामने नतमस्तक हो गया।

नियमों के अनुसार कोल परिवहन से जुड़े किसी नियम को बदलने के लिए केवल एक आदेश पर्याप्त नहीं होता, बल्कि गजट नोटिफिकेशन जरुरी है, लेकिन भूपेश बघेल सरकार के समय राज्य की सर्वाधिक शक्तिशाली महिला अधिकारी के रूप में पहचानी गई सौम्या चौरसिया जो कि राज्य प्रशासनिक सेवा की अधिकारी थीं और भूपेश बघेल के सीएम सचिवालय की उप सचिव थीं, उनके प्रभाव से केवल एक आदेश ही पर्याप्त मान लिया गया। उन्हें ( सौम्या चौरसिया ) इस मामले में आरोपी बनाया गया है और वे दिसंबर 2022 से जेल में हैं। जांच एजेंसियों ने इस घोटाले में दो आईएएस समीर बिश्नोई और रानू साहू को भी गिरफ्तार किया। एजेंसियों ने इस पूरे घोटाले का केंद्रित सूर्यकांत तिवारी को बताया। इस कोल घोटाले में अधिकांश आरोपी लगातार जेल में हैं। मामले की जांच एजेंसियां कर रही है।

ACB/EOW में दर्ज मामला

कोल घोटाले को लेकर ACB/EOW में अपराध क्रमांक 3/2024 के तहत एफआईआर दर्ज है। इस एफआईआर में धारा 420,467,468,471 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7,7ए और 12 प्रभावी है।

कुर्की और उद्घोषणा के संकेत

जिस तरह से एसीबी/ईओडब्लू ने रामगोपाल अग्रवाल समेत तीन के विरुद्ध बेमियादी और गैरजमानती वारंट जारी कराया है, उससे यह संकेत है कि जल्द ही ACB/EOW स्पेशल कोर्ट से कुर्की और उद्घोषणा की कार्यवाही करा सकती है। विधि विशेषज्ञों ने इस वारंट को लेकर कहा है कि इस वारंट के जारी होने से अग्रिम जमानत जैसी किसी कानूनी सुरक्षा लेने में दिक्कत होगी, क्योंकि कोर्ट में EOW/ACB यह सफलता से बता सकेंगे कि आरोपी सहयोग नहीं कर रहे हैं बल्कि लगातार भागने/बचने की कवायद में है।

छत्तीसगढ़ के सरकारी अस्पताल में बड़ी लापरवाही, मरीज को चढ़ा दी एक्सपायरी दवाई

दुर्ग- लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल, सुपेला में एक बार फिर गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है. अस्पताल में भर्ती एक मरीज को नर्स द्वारा एक्सपायरी डेक्सट्रोज (ग्लूकोज) की डिप चढ़ा दी गई. मामला तब उजागर हुआ जब मरीज के शरीर में जलन होने लगी और परिजनों ने डिप की बॉटल चेक की, जिसमें पाया गया कि वह तीन महीने पहले ही एक्सपायर हो चुकी थी. इस घटना के बाद जिला चिकित्सा अधिकारी (डीएमओ) ने जांच के आदेश दिए हैं.

जानकारी के अनुसार, छावनी निवासी दीपक कुमार अपने रिश्तेदार से मिलने आया था. रविवार की रात अचानक चक्कर आने और हाथ-पैर में दर्द होने पर परिजन उसे सुपेला अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां रात में डॉ. मंजू राठौर की ड्यूटी थी।

मरीज के परिजनों ने कहा कि उन्हें अच्छा इलाज चाहिए. इसके बाद डॉ. मंजू ने उसे जनरल वार्ड में भर्ती किया और डेक्सट्रोज इंजेक्शन आई चढ़ाने के लिए लिखा. नाइट ड्यूटी में जिस नर्स की ड्यूटी थी, उसने दवा के काउंटर से डिप उठाई और मरीज को लगा दी. सुबह दीपक के शरीर में तेज जलन होने लगी. इसके बाद उसने अपने जीजा अनिल सिंह को बताया. अनिल ने डिप की बोतल को देखा तो वह एक्सपायरी थी. इस पर उसने नर्स से शिकायत की, लेकिन वह मानने को तैयार नहीं हुई.

जब अनिल ने बोतल की एक्सपायरी का वीडियो-फोटो बना लिया और नर्स को दिखाया, तो उसने गलती स्वीकार की. लेकिन डॉ. मंजू ने अनिल से कहा कि ‘मरीज मरा तो नहीं ना, ऐसी गलती हो जाती है. उसका इलाज किया जा रहा है.’

जिस डिप को दीपक को लगाया गया उसका बैच नंबर 1221910 था. यह दवा सीजी-एमएससी (CGMSC) से दुर्ग जिले को सप्लाई हुई है. मार्च 2022 में बनी इस दवा की एक्सपायरी डेट फरवरी 2025 प्रिंट की गई है, लेकिन इसके बावजूद इसे सुपेला अस्पताल में रखा गया और मरीजों को चढ़ाया जा रहा है.

अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. पीयाम सिंह का कहना है कि उनके संज्ञान में यह बात आई है. यह गंभीर मामला है. उनके अस्पताल के स्टोर में तीन लेयर जांच के बाद दवा पहुंचती है. अस्पताल में एक्सपायरी दवा कैसे पहुंची और नर्स ने उसे बिना चेक किए कैसे लगा दी, यह जांच का विषय है. जांच के निर्देश दिए गए हैं. जांच के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी.

झारखंड शराब घोटाले की आंच छत्तीसगढ़ तक, CBI करेगी जांच, साय सरकार ने दी सहमति

रायपुर- झारखंड में शराब नीति में बदलाव कर करोड़ों रुपये के घोटाले को अंजाम देने के मामले की जांच अब CBI करेगी। छत्तीसगढ़ सरकार ने इसके लिए अधिसूचना जारी करते हुए दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 की धारा 6 के तहत CBI को छत्तीसगढ़ में जांच के लिए सहमति दी है। यह मामला रायपुर स्थित आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) द्वारा दर्ज अपराध से जुड़ा है।

साय सरकार ने जारी किया नोटिफिकेशन

छत्तीसगढ़ से फैला घोटाले का नेटवर्क

बता दें कि यह घोटाला झारखंड की आबकारी नीति में बदलाव के जरिए रचा गया था, जिसकी योजना छत्तीसगढ़ में बनी। आरोप है कि रायपुर से डुप्लिकेट होलोग्राम लगाकर शराब की आपूर्ति झारखंड में की गई, जिससे सरकारी राजस्व को भारी नुकसान हुआ। EOW ने पिछले साल इस मामले में FIR दर्ज की थी, लेकिन जब उनके अधिकारी जांच के लिए झारखंड पहुंचे, तो वहां के अधिकारियों ने सहयोग नहीं किया। इसके बाद जांच को केंद्रीय एजेंसी CBI को सौंपने का निर्णय लिया गया।

घोटालेबाजों की बढ़ी मुश्किलें

बता दें कि इस जांच के दायरे में छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के आरोपी पूर्व IAS अफसर अनिल टुटेजा, सलाहकार अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी, कारोबारी अनवर ढेबर, झारखंड के आबकारी सचिव विनय कुमार चौबे और संयुक्त आबकारी आयुक्त गजेन्द्र सिंह, सिद्धार्थ सिंघानिया, विधु गुप्ता, निरंजन दास और अन्य की मुसीबतें अब और बढ़ने वाली हैं।

सिंडिकेट और शराब दुकानों में घोटाले का तरीका

गौरतलब है कि झारखंड में FL-10A लाइसेंस मॉडल पर आधारित नई शराब नीति बनाई गई, जो पूरी तरह छत्तीसगढ़ की तर्ज पर थी। इसके तहत पुरानी ठेका प्रणाली को खत्म कर एक चहेती एजेंसी को आपूर्ति का ठेका दिया गया। आरोप है कि सिंडिकेट ने नकली होलोग्राम का उपयोग कर करोड़ों रुपये की अवैध कमाई की।

अब क्या होगा आगे?

CBI की टीम अब FIR की कॉपी के आधार पर झारखंड में नए सिरे से जांच करेगी और जिन लोगों के नाम EOW की चार्जशीट में हैं, उनसे पूछताछ के बाद गिरफ्तारी की संभावना भी जताई जा रही है। इस जांच से झारखंड-छत्तीसगढ़ के राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है।

क्या है छत्तीसगढ़ शराब घोटाला?

यह घोटाला 2019 से 2022 के बीच राज्य की सरकारी शराब दुकानों से अवैध तरीके से शराब बेचने का था, जिससे सरकार को करोड़ों का नुकसान होने का आरोप है। इस घोटाले में लगभग दो हजार करोड़ रुपये के नुकसान का खुलासा हुआ है। ED की जांच में यह सामने आया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के शासनकाल में IAS अधिकारी अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी ए.पी. त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के गठजोड़ ने यह घोटाला किया। ED ने इस मामले में 28 दिसंबर 2024 को कवासी लखमा और उनके परिवार के सदस्यों के घरों पर छापे मारे थे और कई महत्वपूर्ण दस्तावेज व डिजिटल डिवाइस जब्त किए थे, जिनमें अपराध से अर्जित आय के सबूत मिले थे।

तेन्दूपत्ता प्रोत्साहन राशि वितरण में भ्रष्टाचार, 11 वनोपज समिति प्रबंधक निलंबित, संचालक मंडल को किया भंग

जगदलपुर- सुकमा जिले में तेन्दूपत्ता संग्राहकों को दी जाने वाली प्रोत्साहन पारिश्रमिक राशि के वितरण में भ्रष्टाचार सामने आया था. मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए 11 प्राथमिक वनोपज समिति प्रबंधकों को हटा दिया गया है. इसके साथ ही इन समितियों के संचालक मंडल को भी भंग कर दिया गया है.

इस मामले में पहले ही सुकमा जिले के डीएफओ को निलंबित करने के बाद एंटी करप्शन ब्यूरो ने डीएफओ को गिरफ्तार किया है. अब समिति के प्रबंधकों को हटाने के साथ समिति के संचालक मंडल को भंग करने के बाद संबंधित नोडल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की अनुसंशा की गई है.

बता दें कि सुकमा जिले के अंतर्गत सीजन वर्ष 2021 के लिए 31,356 संग्राहकों को 4.53 करोड़ व वर्ष 2022 के लिए 18,918 संग्राहकों को 3.32 करोड़ रुपये प्रोत्साहन पारिश्रमिक का भुगतान किया जाना था. इनमें से वर्ष 2021 के 10,131 संग्राहकों को 1.38 करोड़ तथा वर्ष 2022 के 5,739 संग्राहकों को 74 लाख रुपये की राशि सीधे उनके बैंक खातों में अंतरित की गई.

शेष संग्राहकों के बैंक खाते उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में सुकमा कलेक्टर की अनुशंसा पर शासन ने नगद भुगतान की अनुमति दी थी. इसके लिए राशि जिला यूनियन को हस्तांतरित की गई थी. कुछ समितियों द्वारा नगद भुगतान किया गया, लेकिन 11 समितियां – जिसमें सुकमा, फूलबगड़ी, दुब्बाटोटा, जगरगुण्डा, मिचीगुड़ा, बोड़केल, कोंटा, जग्गावरम, गोलापल्ली, किस्टाराम एवं पालाचलमा शामिल है, वहां प्रोत्साहन राशि का वितरण नहीं किया गया था.

उपेक्षा का शिकार अमिलिया तरहार का महिला अस्पताल

विश्वनाथ प्रताप सिंह

प्रयागराज।जनपद के यमुनानगर तहसील बारा क्षेत्र अंतर्गत निर्मित महिला अस्पताल उपेक्षा का शिकार हो गया है। क्षेत्र के अमिलिया तरहार गांव के महिला अस्पताल में महिला चिकित्सक की नियुक्ति न होने से क्षेत्र की महिलाओं को इलाज के लिए काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

छोटी सी छोटी बीमारी को लेकर महिलाओं को 30 से 40 किलोमीटर दूरी का सफर तय करना पड़ता है। जानकारी के मुताबिक दिसंबर 2022 को सीएमओ कार्यालय प्रयागराज से एक नियुक्ति आदेश जारी किया गया था। मगर ऐसा लगता है आदेश क्षेत्र की महिलाओं के हक में साबित नहीं हुआ। क्योंकि जिस महिला चिकित्सक की नियुक्ति की गई थी अस्पताल आने के लिए उनके द्वारा असमर्थता जताई गई थी। तब से अब तक इस महिला अस्पताल की नियुक्ति ठंडे बस्ते में डाल दी गई है।

वर्षों बीत जाने के बाद भी आज तक दूसरी नियुक्ति का आदेश नहीं पारित हुआ। वहीं क्षेत्र के कई गांवों के महिलाओं का उपचार करने वाला अस्पताल बिना डॉक्टर के वीरान खड़ा है। ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधियों से लेकर सीएमओ प्रयागराज तक से कई बार चिकित्सा अधिकारी की नियुक्ति को लेकर मांग की गई लेकिन नतीजा अब तक सीफर है। क्षेत्रीय लोगों ने मांग की है कि महिला अस्पताल में महिला चिकित्सक की नियुक्ति हो जिससे महिलाओं का इलाज सुचारू रूप से संचालित हो सके और लंबी सफर की दूरी तय करने से बचा जा सके।

छत्तीसगढ़ शराब घोटालाः सुप्रीम कोर्ट की ईडी पर तल्ख टिप्पणी, कहा- बिना सबूत के आरोप लगाने का आपने नया पैटर्न बनाया

नई दिल्ली-  छत्तीसगढ़ शराब घोटाले मामले केस में बंद आरोपी अरविंद सिंह की जमानत याचिका सोमवार (5 मई) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ईडी पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि बिना सबूत के आरोप लगाने का ED ने आजकल नया पैटर्न बनाया है। दरअसल सुनवाई के दौरान ED के वकील ने एसवी राजू ने आरोपी के खिलाफ सबूत पेश करने का समय मांगा था। इस दौरान जस्टिस अभय एस ओका ने ED की जांच पर सवाल खड़े किया।

सुनवाई के दौरान जस्टिस अभय एस ओका ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच पर सवाल उठाए, जिसमें आरोपी पर 40 करोड़ रुपये कमाने का आरोप है, लेकिन कंपनी से संबंध साबित नहीं हुआ। जस्टिस ओका ने कहा कि ईडी बिना सबूत के आरोप लगाता है, यह एक पैटर्न है। ईडी के वकील एसवी राजू ने सबूत पेश करने के लिए समय मांगा।

बचा दें कि यह कथित घोटाला 2019-2022 के बीच हुआ था, जिसमें 2,161 करोड़ रुपये की हानि का अनुमान है। ईडी ने आरोपी अरविंद सिंह पर 40 करोड़ रुपये कमाने का आरोप लगाया है। ईडी के वकील एसवी राजू ने सबूत पेश करने के लिए समय मांगा। इसके बाद शीर्ष न्यायालय ने मामला अगली सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया।

अनगिनत मामलों में हम यही देख रहे-जस्टिस

सुप्रीम कोर्ट ने कहा हम प्रवर्तन निदेशालय की ओर से दर्ज किए गए अनगिनत मामलों में यही देख रहे हैं कि आप बिना किसी सबूत के सिर्फ आरोप लगाते हैं। यह एक पैटर्न सा हो गया है। बता दे कि पिछली सरकार के दौरान ED की जांच में यह सामने आया था कि प्रदेश के आबकारी विभाग में 2000 करोड़ से अधिक के राजस्व का नुकसान सरकार को हुआ है। वही ED ने इसमें तत्कालीन आईएएस अनिल टुटेजा , आबकारी विभाग के अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी कारोबारी अनवर ढेबर और अरविंद सिंह समेत नेताओं और मंत्रियों के सिंडिकेट का खुलासा किया था।

क्या है छत्तीसगढ़ शराब घोटाला?

यह घोटाला 2019 से 2022 के बीच राज्य के सरकारी शराब दुकानों से अवैध तरीके से शराब बेचने का था, जिससे सरकार को करोड़ों का नुकसान होने का आरोप है। इस घोटाले में लगभग दो हजार करोड़ रुपए के नुकसान का खुलासा हुआ है। ED की जांच में यह सामने आया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के शासनकाल में आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी ए.पी. त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के गठजोड़ ने यह घोटाला किया। ED ने इस मामले में 28 दिसंबर 2024 को कवासी लखमा और उनके परिवार के सदस्यों के घरों पर छापे मारे थे और कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और डिजिटल डिवाइस जब्त किए थे, जिनमें अपराध से अर्जित आय के सबूत मिले थे।

तेंदूपत्ता बोनस घोटाला : EOW-ACB की बड़ी लापरवाही, DFO को दंतेवाड़ा की जगह रायपुर में किया पेश, कोर्ट ने लगाई फटकार, जानिए पूरा मामला…

रायपुर- तेंदूपत्ता बोनस घोटाले मामले में EOW-ACB की बड़ी लापरवाही सामने आई है. निलंबित डीएफओ अशोक पटेल को गिरफ्तार कर दंतेवाड़ा के विशेष कोर्ट में पेश करना था, लेकिन EOW ने उसे रायपुर कोर्ट में पेश कर दो बार रिमांड पर ले लिया. इस पर रायपुर के विशेष कोर्ट ने EOW-ACB को कड़ी फटकार लगाई है. इसके बाद डीएफओ को दंतेवाडा विशेष कोर्ट में पेश कर अशोक पटेल को 9 मई तक न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया.

जानिए क्या है तेंदूपत्ता बोनस घोटाला

आरोप है कि वर्ष 2021-22 में वन विभाग ने तेंदूपत्ता बोनस वितरण के दौरान लगभग 7 करोड़ रुपये की आर्थिक अनियमितता की. यह राशि तेंदूपत्ता संग्राहकों को अप्रैल-मई 2022 में वितरित की जानी थी, लेकिन राशि के आहरण के बावजूद आदिवासी संग्राहकों को भुगतान नहीं किया गया. जब इस मामले की जानकारी पूर्व विधायक मनीष कुंजाम को हुई तो उन्होंने जनवरी 2025 में कलेक्टर सुकमा और सीसीएफ को पत्र लिखकर मामले की जांच की मांग की.

शिकायत के बाद कलेक्टर और वन विभाग ने अलग-अलग जांच समितियां गठित की. नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तेंदूपत्ता संग्राहकों के बयान दर्ज किए गए, जिनमें तत्कालीन डीएफओ सुकमा अशोक पटेल की भूमिका सामने आई. प्रारंभिक जांच में दोषी पाए जाने पर उन्हें तत्काल निलंबित कर दिया गया. इस मामले में भ्रष्टाचार निवारण ब्यूरो (EOW/ACB) ने अशोक कुमार पटेल और अन्य लोगों के खिलाफ आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी की धाराओं में केस दर्ज किया. 8 अप्रैल 2025 को एफआईआर दर्ज होने के बाद 10 अप्रैल को छापेमार कार्रवाई की गई.

पिछले दिनों छापेमारी में ACB-EOW को कई महत्वपूर्ण दस्तावेज, मोबाइल फोन, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, बैंक खातों की जानकारी और निवेश से जुड़े दस्तावेज बरामद हुए. चौंकाने वाली बात यह रही कि डीएफओ ऑफिस के कर्मचारी राजशेखर पुराणिक के घर से 26 लाख 63 हजार 700 रुपए कैश मिले थे.

समाधान शिविर के दौरान महिला-बाल विकास अधिकारी पर भड़के BJP विधायक, कलेक्टर से की शिकायत

महासमुंद-  छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा प्रदेश में सुशासन को मजबूती देने के उद्देश्य से ‘सुशासन तिहार 2025′ का आयोजन किया जा रहा है, जिसके तहत जिले के ग्राम बेमचा के शासकीय हाई स्कूल मैदान में समाधान शिविर आयोजित किया गया। शिविर में विधायक योगेश्वर राजू सिन्हा बतौर अतिथि पहुंचे। वे शासकीय योजनाओं से जुड़े स्टॉल का निरीक्षण कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने महिला एवं बाल विकास विभाग के स्टॉल पर अधिकारी समीर पाण्डेय को लापरवाही के चलते फटकार लगाई।

बता दें कि इस दौरान जिला कलेक्टर भी मौके पर मौजूद थे, इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।

दरअसल, कुछ महीने पहले विधायक योगेश्वर राजू सिन्हा ने अधिकारी समीर पाण्डेय से मुख्यमंत्री की योजना सामूहिक कन्या विवाह की जानकारी मांगी थी। पाण्डेय ने लाभार्थियों की सूची तो दी, लेकिन आवेदकों के आवेदन पत्र नहीं दिए। विधायक ने कलेक्टर विनय कुमार लंगेह को इस मामले में हस्तक्षेप के लिए बुलाया। कलेक्टर ने समीर पाण्डेय को तुरंत आवेदन उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।

आवेदन देने आए ग्रामीण लौटे

इस पूरे घटनाक्रम को शिविर में मौजूद आम नागरिकों ने प्रत्यक्ष रूप से देखा। कई ग्रामीणों ने दबे स्वर में यह भी कहा कि जब एक जनप्रतिनिधि की बात अफसर नहीं सुन रहे, तो आम लोगों की सुनवाई की क्या उम्मीद की जा सकती है? कई लोग आवेदन देने से पहले ही निराश होकर शिविर स्थल से लौट गए।

समस्या यही है कि अगर शासन के मंच पर जनप्रतिनिधियों को भी अनदेखा किया जा रहा है, तो प्रशासन आम जनता की समस्याओं को कितनी गंभीरता से ले रहा है, यह सोचने वाली बात है।

आजमगढ़ : अभियान चलाकर हटाया जा रहा सरकारी जमीन से अतिक्रमण : एसडीएम
   सिद्धेश्वर पाण्डेय
     व्यूरो चीफ
  आजमगढ़ । फूलपुर एसडीएम संत रंजन द्वारा प्रतिदिन  तहसील सभागार में विशेष तौर से जन सुनवाई  का आयोजन किया जा रहा है। इसमें लोगों की विभिन्न विभागों से जुड़ी शिकायतों पर त्वरित संज्ञान में लेकर निस्तारण किया जा रहा है । विशेष कर शासन के मंशानुसार ग्राम सभा के सरकारी जमीन पर हुए अतिक्रमण को हटाया जा रहा है । 
 फूलपुर उपजिलाधिकारी सन्त रंजन का कहना है कि भूमि से संबंधित समस्याओं का टीम बनाकर मौके पर ही निस्तारण किया जा रहा । अन्य समस्याओं  को संबंधित अधिकारियों को जल्द से जल्द समाधान सुनिश्चित करने के निर्देश जा रहे हैं । जन सुनवाई  में प्राप्त शिकायतों की समीक्षा करते हुए कहा कि प्रशासन का मुख्य उद्देश्य लोगों को समयबद्ध और प्रभावी समाधान का निस्तारण  प्रदान करना है। जनसुनवाई में , बिजली निगम,  राजस्व विभाग, पंचायती विभाग, कृषि विभाग आदि से संबंधित शिकायत लेकर लोग पहुंचे रहे । एसडीएम ने विभिन्न प्रकार की शिकायत लेकर आए नागरिकों की समस्याएं सुनते हुए संबंधित विभागों के अधिकारियों को अविलंब समाधान के निर्देश दिए । वही कई गांव में धारा 24( पत्थर नसब) के अंतर्गत चल रहे विवाद को राजस्व टीम बनाकर मौके पर ही समस्या का निस्तारण किया जा रहा है । लगातार समस्याओं के निस्तारण से धीरे धीरे  तहसील में भीड़ कम हो रहे हैं । एसडीएम द्वारा प्रतिदिन की जा रही समस्याओं की सुनवाई को लेकर इसकी चहुओर चर्चा का विषय बना हुआ है । उपजिलाधिकारी सन्त रंजन का कहना है कि ग्राम सभा के सरकारी जमीनों पर हुए अतिक्रमण को अतिक्रमण मुक्त कराने का अभियान बिशेष रूप से शासन के मंशानुरूप से चलाया जा रहा है ।

महिला डॉक्टरों के हित में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, जानिए पूरा डिटेल

डेस्क : बिहार महिला डॉक्टरों के हित में पटना हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए स्पष्ट किया कि मातृत्व अवकाश के दौरान भी उन्हें कार्य अनुभव प्रमाणपत्र और मानदेय दिया जाएगा।

यह फैसला नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल, पटना की दो महिला डॉक्टरों — डॉ. अतुलिका प्रकाश और डॉ. अलका कुमारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस हरीश कुमार ने सुनाया।

दरअसल दोनों महिला डॉक्टरों ने राज्य सरकार के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें कहा गया था कि मातृत्व अवकाश को सेवा अनुभव में नहीं जोड़ा जाएगा और उस अवधि का वेतन नहीं मिलेगा।

याचिकाकर्ता के वरीय अधिवक्ता बिनोदानंद मिश्रा ने कोर्ट को बताया कि 29 नवंबर, 2022 को सरकार खुद स्पष्ट कर चुकी है कि मातृत्व अवकाश को अनुभव और मानदेय में गिना जाएगा, फिर भी उन्हें इसका लाभ नहीं मिला।

कोर्ट ने एनएमसीएच के प्राचार्य को तत्काल अनुभव प्रमाणपत्र देने और स्वास्थ्य विभाग को 24 जून,2025 तक अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है।

कोयला घोटाला मामले में बड़ी कार्रवाई, ACB-EOW की स्पेशल कोर्ट ने कांग्रेस कोषाध्यक्ष समेत 3 के खिलाफ जारी किया गैरजमानती वारंट

रायपुर- कोयला घोटाला मामले में राज्य की ACB/EOW शाखा ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष राम गोपाल अग्रवाल सहित तीन लोगों को गंभीर कानूनी कार्रवाई में घेर दिया है। ACB/EOW की स्पेशल कोर्ट ने रामगोपाल अग्रवाल समेत तीन लोगों के खिलाफ बेमियादी और गैरजमानती वारंट जारी किया है। विधि विशेषज्ञों का मानना है कि लंबे समय से नदारद रामगोपाल अग्रवाल को इस वारंट के जारी होने के बाद अग्रिम जमानत जैसे विधिक संरक्षण हासिल करने में गंभीर दिक्कत होगी।

सामान्यतः चालान पेश ना हो तो वारंट जारी नहीं होता है, लेकिन यह छत्तीसगढ़ का पहला ऐसा मामला बन गया है, जहां चालान/चार्जशीट पेश होने के पहले अन्वेषण के दौरान ही ACB/EOW की विधिक टीम ने आरोपियों के खिलाफ बेमियादी और गैरजमानती वारंट कोर्ट से जारी करा लिया। यह वारंट जारी होने के पहले कोर्ट में इसके कानूनी पहलुओं को लेकर जमकर बहस हुई। विशेष न्यायालय के सामने मुंबई बम कांड से जुड़े एक न्यायिक फैसले को सामने रखा गया, यह फैसला मुंबई बम कांड के अभियुक्त दाउद इब्राहिम कास्कर से जुड़ा हुआ है। इस फैसले में अन्वेषण के दौरान ही कोर्ट से दाउद इब्राहिम कास्कर के खिलाफ गैरजमानती और बेमियादी वारंट जारी हुआ था

ACB/EOW के अधिवक्ता सिद्धार्थ सिंह ठाकुर की ओर से मुंबई बम कांड से जुड़ा यह न्यायिक आदेश पेश करने के बाद ACB विशेष अदालत के जज नीरज शर्मा ने रामगोपाल अग्रवाल, नवनीत तिवारी सहित तीन के खिलाफ बेमियादी और गैरजमानती वारंट जारी कर दिया।

ये है कोल स्कैम मामला

छत्तीसगढ़ का कोल घोटाला भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री रहते हुए था। इस घोटाले में तत्कालीन सीएम भूपेश बघेल के बेहद करीबी/विश्वासपात्र लोग आरोपी हैं। इस घोटाले की जांच ईडी और अब ईओडब्लू/एसीबी कर रही है। इस मामले में जांच एजेंसियों का कहना है कि भूपेश बघेल के करीबियों ने कोल घोटाले को अंजाम देने के लिए कोल परिवहन के नियमों को बदल दिया। कोल परिवहन पहले ऑनलाइन था, लेकिन भूपेश सरकार ने एक आदेश के जरिए इसे ऑफ़लाइन कर दिया, फिर राज्य का समूचा प्रशासनिक तंत्र एक प्रकार से घुटनों के बल बैठकर घोटाले को अंजाम देने वालों के सामने नतमस्तक हो गया।

नियमों के अनुसार कोल परिवहन से जुड़े किसी नियम को बदलने के लिए केवल एक आदेश पर्याप्त नहीं होता, बल्कि गजट नोटिफिकेशन जरुरी है, लेकिन भूपेश बघेल सरकार के समय राज्य की सर्वाधिक शक्तिशाली महिला अधिकारी के रूप में पहचानी गई सौम्या चौरसिया जो कि राज्य प्रशासनिक सेवा की अधिकारी थीं और भूपेश बघेल के सीएम सचिवालय की उप सचिव थीं, उनके प्रभाव से केवल एक आदेश ही पर्याप्त मान लिया गया। उन्हें ( सौम्या चौरसिया ) इस मामले में आरोपी बनाया गया है और वे दिसंबर 2022 से जेल में हैं। जांच एजेंसियों ने इस घोटाले में दो आईएएस समीर बिश्नोई और रानू साहू को भी गिरफ्तार किया। एजेंसियों ने इस पूरे घोटाले का केंद्रित सूर्यकांत तिवारी को बताया। इस कोल घोटाले में अधिकांश आरोपी लगातार जेल में हैं। मामले की जांच एजेंसियां कर रही है।

ACB/EOW में दर्ज मामला

कोल घोटाले को लेकर ACB/EOW में अपराध क्रमांक 3/2024 के तहत एफआईआर दर्ज है। इस एफआईआर में धारा 420,467,468,471 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7,7ए और 12 प्रभावी है।

कुर्की और उद्घोषणा के संकेत

जिस तरह से एसीबी/ईओडब्लू ने रामगोपाल अग्रवाल समेत तीन के विरुद्ध बेमियादी और गैरजमानती वारंट जारी कराया है, उससे यह संकेत है कि जल्द ही ACB/EOW स्पेशल कोर्ट से कुर्की और उद्घोषणा की कार्यवाही करा सकती है। विधि विशेषज्ञों ने इस वारंट को लेकर कहा है कि इस वारंट के जारी होने से अग्रिम जमानत जैसी किसी कानूनी सुरक्षा लेने में दिक्कत होगी, क्योंकि कोर्ट में EOW/ACB यह सफलता से बता सकेंगे कि आरोपी सहयोग नहीं कर रहे हैं बल्कि लगातार भागने/बचने की कवायद में है।

छत्तीसगढ़ के सरकारी अस्पताल में बड़ी लापरवाही, मरीज को चढ़ा दी एक्सपायरी दवाई

दुर्ग- लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल, सुपेला में एक बार फिर गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है. अस्पताल में भर्ती एक मरीज को नर्स द्वारा एक्सपायरी डेक्सट्रोज (ग्लूकोज) की डिप चढ़ा दी गई. मामला तब उजागर हुआ जब मरीज के शरीर में जलन होने लगी और परिजनों ने डिप की बॉटल चेक की, जिसमें पाया गया कि वह तीन महीने पहले ही एक्सपायर हो चुकी थी. इस घटना के बाद जिला चिकित्सा अधिकारी (डीएमओ) ने जांच के आदेश दिए हैं.

जानकारी के अनुसार, छावनी निवासी दीपक कुमार अपने रिश्तेदार से मिलने आया था. रविवार की रात अचानक चक्कर आने और हाथ-पैर में दर्द होने पर परिजन उसे सुपेला अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां रात में डॉ. मंजू राठौर की ड्यूटी थी।

मरीज के परिजनों ने कहा कि उन्हें अच्छा इलाज चाहिए. इसके बाद डॉ. मंजू ने उसे जनरल वार्ड में भर्ती किया और डेक्सट्रोज इंजेक्शन आई चढ़ाने के लिए लिखा. नाइट ड्यूटी में जिस नर्स की ड्यूटी थी, उसने दवा के काउंटर से डिप उठाई और मरीज को लगा दी. सुबह दीपक के शरीर में तेज जलन होने लगी. इसके बाद उसने अपने जीजा अनिल सिंह को बताया. अनिल ने डिप की बोतल को देखा तो वह एक्सपायरी थी. इस पर उसने नर्स से शिकायत की, लेकिन वह मानने को तैयार नहीं हुई.

जब अनिल ने बोतल की एक्सपायरी का वीडियो-फोटो बना लिया और नर्स को दिखाया, तो उसने गलती स्वीकार की. लेकिन डॉ. मंजू ने अनिल से कहा कि ‘मरीज मरा तो नहीं ना, ऐसी गलती हो जाती है. उसका इलाज किया जा रहा है.’

जिस डिप को दीपक को लगाया गया उसका बैच नंबर 1221910 था. यह दवा सीजी-एमएससी (CGMSC) से दुर्ग जिले को सप्लाई हुई है. मार्च 2022 में बनी इस दवा की एक्सपायरी डेट फरवरी 2025 प्रिंट की गई है, लेकिन इसके बावजूद इसे सुपेला अस्पताल में रखा गया और मरीजों को चढ़ाया जा रहा है.

अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. पीयाम सिंह का कहना है कि उनके संज्ञान में यह बात आई है. यह गंभीर मामला है. उनके अस्पताल के स्टोर में तीन लेयर जांच के बाद दवा पहुंचती है. अस्पताल में एक्सपायरी दवा कैसे पहुंची और नर्स ने उसे बिना चेक किए कैसे लगा दी, यह जांच का विषय है. जांच के निर्देश दिए गए हैं. जांच के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी.

झारखंड शराब घोटाले की आंच छत्तीसगढ़ तक, CBI करेगी जांच, साय सरकार ने दी सहमति

रायपुर- झारखंड में शराब नीति में बदलाव कर करोड़ों रुपये के घोटाले को अंजाम देने के मामले की जांच अब CBI करेगी। छत्तीसगढ़ सरकार ने इसके लिए अधिसूचना जारी करते हुए दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 की धारा 6 के तहत CBI को छत्तीसगढ़ में जांच के लिए सहमति दी है। यह मामला रायपुर स्थित आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) द्वारा दर्ज अपराध से जुड़ा है।

साय सरकार ने जारी किया नोटिफिकेशन

छत्तीसगढ़ से फैला घोटाले का नेटवर्क

बता दें कि यह घोटाला झारखंड की आबकारी नीति में बदलाव के जरिए रचा गया था, जिसकी योजना छत्तीसगढ़ में बनी। आरोप है कि रायपुर से डुप्लिकेट होलोग्राम लगाकर शराब की आपूर्ति झारखंड में की गई, जिससे सरकारी राजस्व को भारी नुकसान हुआ। EOW ने पिछले साल इस मामले में FIR दर्ज की थी, लेकिन जब उनके अधिकारी जांच के लिए झारखंड पहुंचे, तो वहां के अधिकारियों ने सहयोग नहीं किया। इसके बाद जांच को केंद्रीय एजेंसी CBI को सौंपने का निर्णय लिया गया।

घोटालेबाजों की बढ़ी मुश्किलें

बता दें कि इस जांच के दायरे में छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के आरोपी पूर्व IAS अफसर अनिल टुटेजा, सलाहकार अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी, कारोबारी अनवर ढेबर, झारखंड के आबकारी सचिव विनय कुमार चौबे और संयुक्त आबकारी आयुक्त गजेन्द्र सिंह, सिद्धार्थ सिंघानिया, विधु गुप्ता, निरंजन दास और अन्य की मुसीबतें अब और बढ़ने वाली हैं।

सिंडिकेट और शराब दुकानों में घोटाले का तरीका

गौरतलब है कि झारखंड में FL-10A लाइसेंस मॉडल पर आधारित नई शराब नीति बनाई गई, जो पूरी तरह छत्तीसगढ़ की तर्ज पर थी। इसके तहत पुरानी ठेका प्रणाली को खत्म कर एक चहेती एजेंसी को आपूर्ति का ठेका दिया गया। आरोप है कि सिंडिकेट ने नकली होलोग्राम का उपयोग कर करोड़ों रुपये की अवैध कमाई की।

अब क्या होगा आगे?

CBI की टीम अब FIR की कॉपी के आधार पर झारखंड में नए सिरे से जांच करेगी और जिन लोगों के नाम EOW की चार्जशीट में हैं, उनसे पूछताछ के बाद गिरफ्तारी की संभावना भी जताई जा रही है। इस जांच से झारखंड-छत्तीसगढ़ के राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है।

क्या है छत्तीसगढ़ शराब घोटाला?

यह घोटाला 2019 से 2022 के बीच राज्य की सरकारी शराब दुकानों से अवैध तरीके से शराब बेचने का था, जिससे सरकार को करोड़ों का नुकसान होने का आरोप है। इस घोटाले में लगभग दो हजार करोड़ रुपये के नुकसान का खुलासा हुआ है। ED की जांच में यह सामने आया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के शासनकाल में IAS अधिकारी अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी ए.पी. त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के गठजोड़ ने यह घोटाला किया। ED ने इस मामले में 28 दिसंबर 2024 को कवासी लखमा और उनके परिवार के सदस्यों के घरों पर छापे मारे थे और कई महत्वपूर्ण दस्तावेज व डिजिटल डिवाइस जब्त किए थे, जिनमें अपराध से अर्जित आय के सबूत मिले थे।

तेन्दूपत्ता प्रोत्साहन राशि वितरण में भ्रष्टाचार, 11 वनोपज समिति प्रबंधक निलंबित, संचालक मंडल को किया भंग

जगदलपुर- सुकमा जिले में तेन्दूपत्ता संग्राहकों को दी जाने वाली प्रोत्साहन पारिश्रमिक राशि के वितरण में भ्रष्टाचार सामने आया था. मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए 11 प्राथमिक वनोपज समिति प्रबंधकों को हटा दिया गया है. इसके साथ ही इन समितियों के संचालक मंडल को भी भंग कर दिया गया है.

इस मामले में पहले ही सुकमा जिले के डीएफओ को निलंबित करने के बाद एंटी करप्शन ब्यूरो ने डीएफओ को गिरफ्तार किया है. अब समिति के प्रबंधकों को हटाने के साथ समिति के संचालक मंडल को भंग करने के बाद संबंधित नोडल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की अनुसंशा की गई है.

बता दें कि सुकमा जिले के अंतर्गत सीजन वर्ष 2021 के लिए 31,356 संग्राहकों को 4.53 करोड़ व वर्ष 2022 के लिए 18,918 संग्राहकों को 3.32 करोड़ रुपये प्रोत्साहन पारिश्रमिक का भुगतान किया जाना था. इनमें से वर्ष 2021 के 10,131 संग्राहकों को 1.38 करोड़ तथा वर्ष 2022 के 5,739 संग्राहकों को 74 लाख रुपये की राशि सीधे उनके बैंक खातों में अंतरित की गई.

शेष संग्राहकों के बैंक खाते उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में सुकमा कलेक्टर की अनुशंसा पर शासन ने नगद भुगतान की अनुमति दी थी. इसके लिए राशि जिला यूनियन को हस्तांतरित की गई थी. कुछ समितियों द्वारा नगद भुगतान किया गया, लेकिन 11 समितियां – जिसमें सुकमा, फूलबगड़ी, दुब्बाटोटा, जगरगुण्डा, मिचीगुड़ा, बोड़केल, कोंटा, जग्गावरम, गोलापल्ली, किस्टाराम एवं पालाचलमा शामिल है, वहां प्रोत्साहन राशि का वितरण नहीं किया गया था.

उपेक्षा का शिकार अमिलिया तरहार का महिला अस्पताल

विश्वनाथ प्रताप सिंह

प्रयागराज।जनपद के यमुनानगर तहसील बारा क्षेत्र अंतर्गत निर्मित महिला अस्पताल उपेक्षा का शिकार हो गया है। क्षेत्र के अमिलिया तरहार गांव के महिला अस्पताल में महिला चिकित्सक की नियुक्ति न होने से क्षेत्र की महिलाओं को इलाज के लिए काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

छोटी सी छोटी बीमारी को लेकर महिलाओं को 30 से 40 किलोमीटर दूरी का सफर तय करना पड़ता है। जानकारी के मुताबिक दिसंबर 2022 को सीएमओ कार्यालय प्रयागराज से एक नियुक्ति आदेश जारी किया गया था। मगर ऐसा लगता है आदेश क्षेत्र की महिलाओं के हक में साबित नहीं हुआ। क्योंकि जिस महिला चिकित्सक की नियुक्ति की गई थी अस्पताल आने के लिए उनके द्वारा असमर्थता जताई गई थी। तब से अब तक इस महिला अस्पताल की नियुक्ति ठंडे बस्ते में डाल दी गई है।

वर्षों बीत जाने के बाद भी आज तक दूसरी नियुक्ति का आदेश नहीं पारित हुआ। वहीं क्षेत्र के कई गांवों के महिलाओं का उपचार करने वाला अस्पताल बिना डॉक्टर के वीरान खड़ा है। ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधियों से लेकर सीएमओ प्रयागराज तक से कई बार चिकित्सा अधिकारी की नियुक्ति को लेकर मांग की गई लेकिन नतीजा अब तक सीफर है। क्षेत्रीय लोगों ने मांग की है कि महिला अस्पताल में महिला चिकित्सक की नियुक्ति हो जिससे महिलाओं का इलाज सुचारू रूप से संचालित हो सके और लंबी सफर की दूरी तय करने से बचा जा सके।

छत्तीसगढ़ शराब घोटालाः सुप्रीम कोर्ट की ईडी पर तल्ख टिप्पणी, कहा- बिना सबूत के आरोप लगाने का आपने नया पैटर्न बनाया

नई दिल्ली-  छत्तीसगढ़ शराब घोटाले मामले केस में बंद आरोपी अरविंद सिंह की जमानत याचिका सोमवार (5 मई) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ईडी पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि बिना सबूत के आरोप लगाने का ED ने आजकल नया पैटर्न बनाया है। दरअसल सुनवाई के दौरान ED के वकील ने एसवी राजू ने आरोपी के खिलाफ सबूत पेश करने का समय मांगा था। इस दौरान जस्टिस अभय एस ओका ने ED की जांच पर सवाल खड़े किया।

सुनवाई के दौरान जस्टिस अभय एस ओका ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच पर सवाल उठाए, जिसमें आरोपी पर 40 करोड़ रुपये कमाने का आरोप है, लेकिन कंपनी से संबंध साबित नहीं हुआ। जस्टिस ओका ने कहा कि ईडी बिना सबूत के आरोप लगाता है, यह एक पैटर्न है। ईडी के वकील एसवी राजू ने सबूत पेश करने के लिए समय मांगा।

बचा दें कि यह कथित घोटाला 2019-2022 के बीच हुआ था, जिसमें 2,161 करोड़ रुपये की हानि का अनुमान है। ईडी ने आरोपी अरविंद सिंह पर 40 करोड़ रुपये कमाने का आरोप लगाया है। ईडी के वकील एसवी राजू ने सबूत पेश करने के लिए समय मांगा। इसके बाद शीर्ष न्यायालय ने मामला अगली सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया।

अनगिनत मामलों में हम यही देख रहे-जस्टिस

सुप्रीम कोर्ट ने कहा हम प्रवर्तन निदेशालय की ओर से दर्ज किए गए अनगिनत मामलों में यही देख रहे हैं कि आप बिना किसी सबूत के सिर्फ आरोप लगाते हैं। यह एक पैटर्न सा हो गया है। बता दे कि पिछली सरकार के दौरान ED की जांच में यह सामने आया था कि प्रदेश के आबकारी विभाग में 2000 करोड़ से अधिक के राजस्व का नुकसान सरकार को हुआ है। वही ED ने इसमें तत्कालीन आईएएस अनिल टुटेजा , आबकारी विभाग के अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी कारोबारी अनवर ढेबर और अरविंद सिंह समेत नेताओं और मंत्रियों के सिंडिकेट का खुलासा किया था।

क्या है छत्तीसगढ़ शराब घोटाला?

यह घोटाला 2019 से 2022 के बीच राज्य के सरकारी शराब दुकानों से अवैध तरीके से शराब बेचने का था, जिससे सरकार को करोड़ों का नुकसान होने का आरोप है। इस घोटाले में लगभग दो हजार करोड़ रुपए के नुकसान का खुलासा हुआ है। ED की जांच में यह सामने आया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के शासनकाल में आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी ए.पी. त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के गठजोड़ ने यह घोटाला किया। ED ने इस मामले में 28 दिसंबर 2024 को कवासी लखमा और उनके परिवार के सदस्यों के घरों पर छापे मारे थे और कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और डिजिटल डिवाइस जब्त किए थे, जिनमें अपराध से अर्जित आय के सबूत मिले थे।

तेंदूपत्ता बोनस घोटाला : EOW-ACB की बड़ी लापरवाही, DFO को दंतेवाड़ा की जगह रायपुर में किया पेश, कोर्ट ने लगाई फटकार, जानिए पूरा मामला…

रायपुर- तेंदूपत्ता बोनस घोटाले मामले में EOW-ACB की बड़ी लापरवाही सामने आई है. निलंबित डीएफओ अशोक पटेल को गिरफ्तार कर दंतेवाड़ा के विशेष कोर्ट में पेश करना था, लेकिन EOW ने उसे रायपुर कोर्ट में पेश कर दो बार रिमांड पर ले लिया. इस पर रायपुर के विशेष कोर्ट ने EOW-ACB को कड़ी फटकार लगाई है. इसके बाद डीएफओ को दंतेवाडा विशेष कोर्ट में पेश कर अशोक पटेल को 9 मई तक न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया.

जानिए क्या है तेंदूपत्ता बोनस घोटाला

आरोप है कि वर्ष 2021-22 में वन विभाग ने तेंदूपत्ता बोनस वितरण के दौरान लगभग 7 करोड़ रुपये की आर्थिक अनियमितता की. यह राशि तेंदूपत्ता संग्राहकों को अप्रैल-मई 2022 में वितरित की जानी थी, लेकिन राशि के आहरण के बावजूद आदिवासी संग्राहकों को भुगतान नहीं किया गया. जब इस मामले की जानकारी पूर्व विधायक मनीष कुंजाम को हुई तो उन्होंने जनवरी 2025 में कलेक्टर सुकमा और सीसीएफ को पत्र लिखकर मामले की जांच की मांग की.

शिकायत के बाद कलेक्टर और वन विभाग ने अलग-अलग जांच समितियां गठित की. नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तेंदूपत्ता संग्राहकों के बयान दर्ज किए गए, जिनमें तत्कालीन डीएफओ सुकमा अशोक पटेल की भूमिका सामने आई. प्रारंभिक जांच में दोषी पाए जाने पर उन्हें तत्काल निलंबित कर दिया गया. इस मामले में भ्रष्टाचार निवारण ब्यूरो (EOW/ACB) ने अशोक कुमार पटेल और अन्य लोगों के खिलाफ आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी की धाराओं में केस दर्ज किया. 8 अप्रैल 2025 को एफआईआर दर्ज होने के बाद 10 अप्रैल को छापेमार कार्रवाई की गई.

पिछले दिनों छापेमारी में ACB-EOW को कई महत्वपूर्ण दस्तावेज, मोबाइल फोन, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, बैंक खातों की जानकारी और निवेश से जुड़े दस्तावेज बरामद हुए. चौंकाने वाली बात यह रही कि डीएफओ ऑफिस के कर्मचारी राजशेखर पुराणिक के घर से 26 लाख 63 हजार 700 रुपए कैश मिले थे.