गया में 16 दिवसीय चल रहे पितृपक्ष मेला आज हो गया समापन: इस वर्ष गयाजी में आये 22 लाख तीर्थ यात्री, 1 लाख से ऊपर पैकेजिंग कराकर दिया गया गंगाजल
गया। बिहार के गया में 17 सितंबर से चल रहे 16 दिवसीय पितृपक्ष मेला का आज समापन हो गया। इस वर्ष का पितृपक्ष मेला काफी ऐतिहासिक मेला साबित हुआ है। जिला प्रशासन की ओर से लगभग 3 महीना पहले से ही पितृपक्ष मेला के सफल आयोजन के लिए हर स्तर पर तैयारी की गई थी, जिसका परिणाम रहा कि पितृपक्ष मेला में 22 लाख से अधिक संख्या में आए तीर्थ यात्री ने सरकार एवं प्रशासन को प्रशंसा की और धन्यवाद दिया है। जिला प्रशासन द्वारा हर जगह पर तीर्थ यात्रियों को पूरी मदद, सेवा भाव एवं समर्पण के साथ उनका सहयोग देने का कार्य किया है।
पितृपक्ष मेला को सफल बनाने में तमाम पदाधिकारियों, पुलिस पदाधिकारियों, सफाई कर्मियों, स्वयं सेवी संस्थानों, समाजसेवियों, NCC, NSS के बच्चे, स्काउट गाइड के बच्चे, नेहरू युवा केन्द्र के वोलेंटियर, विभिन्न मीडिया हाउस के प्रतिनिधियों सहित अन्य सभी लोगो के साथ साथ गया जिला वासियों को इस वर्ष पितृपक्ष मेला को ऐतिहासिक बनाने, स्मरणीय बनाने तथा यादगार बनाने के साथ साथ सफल बनाने में जो भी योगदान किया है, जिन्हें मैं धन्यवाद देता हूं। इस वर्ष का मेला सालो साल इतिहास के रूप में याद किया जाएगा। देश विदेश से आए पिंडदानी गया जिला के साथ-साथ बिहार का अच्छा छवि लेकर घर वापस लौटे। सभी यात्रियों ने इस वर्ष के मेले की व्यवस्थाओं से काफी खुश दिखे और इस आयोजन के माध्यम से बिहार एवं गयाजी के छवी और बेहतर होगी ऐसा मेरा भरोसा है. पितृपक्ष मेला के अवसर पर 22 लाख से अधिक तीर्थयात्री गया जी आकर अपने पूर्वजों का पिंडदान किया है साथ ही लगभग 25 से अधिक विदेशी पिंडदानी जो रसिया, फ्रांस, जर्मनी, साउथ अफ्रीका सहित अन्य देशों से आकर अपने पूर्वजों का पिंडदान किए हैं। विदेशी पिंडदानी ने भी कहा कि जिस फल्गु नदी में पानी नहीं होती थी, वहां अब लबालब पानी देखने को मिल रहा है। गया जी डैम बहुत बड़ा आकर्षण का केंद्र बना है। पहले पिंडदानी गड्डा खोदकर पानी निकालकर तर्पण करते थे। अभी लबालब पानी मे यात्री तर्पण कर काफी संतुष्ट हो रहे हैं।
पितृपक्ष मेला 2024 समापन संबंधित सारांश
◆ इस वर्ष गयाजी आये कुल तीर्थ यात्रियों की संख्या- 22 लाख
◆ वर्ष 2023 में गयाजी आए तीर्थ यात्रियों की संख्या- 15 लाख
◆ वर्ष 2022 में गयाजी आए तीर्थ यात्रियों की संख्या- 13 लाख
◆ इस वर्ष राज्य सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर निशुल्क अवसान प्रदान किए गए इसमें लगभग डेढ़ लाख (1.5 लाख) तीर्थयात्री अवसान किए हैं।
◆ विभिन्न स्वास्थ्य शिविर के माध्यम से 82 हजार से अधिक तीर्थ यात्रियों ने स्वास्थ्य लाभ लिया है।
◆ निशुल्क ई रिक्शा का लाभ 3 लाख 20 हजार तीर्थयात्रियों ने लिया है।
◆ गयाजी आये तीर्थ यात्रियों को गंगाजल का पाउच पैकेजिंग कराकर 1 लाख से ऊपर यात्रियों के बीच वितरित करवाया गया है।
◆ बुजुर्ग एवं दिव्यांग तीर्थ यात्रियों के लिए व्हीलचेयर की सुविधा रखी गई थी, व्हीलचेयर लगभग 2000 तीर्थयात्रियों ने प्रयोग किया है।
◆ घाटों पर तीर्थयात्री अपने परिजन से बिछड़ जाते हैं इसे लेकर खोया पाया सेल बनाया गया था, इस सेल के माध्यम से 470 तीर्थ यात्रियों को उनके परिजन से मिलने का कार्य किया गया है।
◆ आईवीआरएस सिस्टम /शिकायत नियंत्रण कक्ष के माध्यम से 940 से ऊपर समस्याओं को निदान करवाया गया है।
◆ पिंडदान मोबाइल एप लगभग 2700 से अधिक तीर्थ यात्रियों ने इसका भरपूर मदद उठाया है।
◆ विभिन्न सहायता केंद्र द्वारा सहयोग लेने वाले तीर्थ यात्रियों की संख्या 3400 है।
इसके अलावा इस वर्ष लोकार्पित विष्णुपथ भी यात्रियों के लिये काफी मददगार साबित हुई है। अब विष्णुपद एरिया पूरी तरह कॉरिडोर के रूप में विकसित हुआ है। सरकार एवं माननीय मुख्यमंत्री के निर्देश के अनुरूप पितृपक्ष मेला को हर वर्ष नए नए ऊँचे आयाम तक पहुंचाया जा रहा है। इस वर्ष मुख्यमंत्री के निर्देश के आलोक में गयाजी आये तीर्थयात्रियों के लिये गंगाजल को पाउच में पैकिंग करवाकर उपहार स्वरूप उन सभी के बीच वितरित करवाने का कार्य किया गया है। गंगाजल आस्था का प्रतीक है इसके लिए सभी तीर्थ यात्रियों ने राज्य सरकार को कोटि-कोटि धन्यवाद भी दिया है।
इसके अलावा इस वर्ष टेंट सिटी में रहने वाले तीर्थ यात्रियों को पीने के लिए गंगा जल भी उपलब्ध कराया गया है साथ ही विष्णु पद मंदिर के समीप प्याऊ तथा देवघाट एवं सीता कुंड में प्याऊ के माध्यम से आए हुए सभी तीर्थ यात्रियों को गंगाजल पिलाने का कार्य' बिहार सरकार एवं जिला प्रशासन द्वारा किया गया था, साथ ही गया बोधगया एव सभी पिंड वेदियों तक गंगाजल पहुँचाया गया है। इस व्यवस्था को लेकर देश-विदेश से आए सभी तीर्थ यात्रियों ने काफी सराहा है। जिला प्रशासन एव पंडा समाज द्वारा पितृपक्ष मेला के अवसर पर 01 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों के बीच गंगाजल का वितरण किया गया है। पितृपक्ष मेला के अवसर पर गांधी मैदान में बनाए गए टेंट सिटी में तीर्थ यात्रियों को निशुल्क सभी व्यवस्था उपलब्ध करवाना एक बहुत बड़ी उपलब्धि साबित हुई है। यहां जो भी पिंडदानी रहने आए उन सभी ने सरकार एवं प्रशासन का सराहना किया है। टेंट सिटी में जीविका दीदियों द्वारा लगाए गए स्टॉल, सुधा के काउंटर भी लगाए गए थे। 'टेंट सिटी में लगभग 15000 से ऊपर तीर्थ यात्रियों ने आवासन किया है।
विगत 3-4 वर्षों से मेला का स्वरूप में बड़ी बदलाव हुई है। तीर्थ यात्रियों को जगह-जगह पर निशुल्क ई-रिक्शा की व्यवस्था रखकर उन्हें यह सुविधा उपलब्ध करवाई गई। विशेष रूप से विष्णुपद मंदिर से चांद चौराहा एवं विष्णुपद मंदिर से बंगाली आश्रम तक नो व्हीकल जोन बनाकर यात्रियों के लिए पर्याप्त संख्या में ई रिक्शा की व्यवस्था रखी गई। इस व्यवस्था को लेकर सभी तीर्थ यात्रियों ने काफी सराहा है एवं भरपूर ई रिक्शा का प्रयोग किया है। लगभग 3 लाख 20 हजार से ज्यादा तीर्थयात्रियों ने निःशुल्क ई रिक्शा का लाभ लिया है। मंदिर परिसर में यात्री अच्छे तरीके से भगवान का दर्शन करें इसके लिए क्यू सिस्टम बनाकर यात्रियों को कतारबद्ध रूप से गर्वगृह में प्रवेश करवाया गया, जिससे भगदड़ जैसी कोई भी स्थिति उत्पन्न नही हुई। अब शतप्रतिशत तीर्थयात्री भगवान का दर्शन कर पा रहे हैं। क्यू सिस्टम बनने से कोई भी श्रद्धालु भगवान के दर्शन से वंचित नहीं रह पाये।
मेला क्षेत्र के विभिन्न संकीर्ण गलियों एवं मंदिर परिसर के चिन्हित बिंदुओं पर वॉकी-टॉकी के साथ पदाधिकारी को प्रतिनियुक्त किया गया था ताकि अत्यधिक भीड़ बढ़ने पर अलग-अलग स्पॉट पर भीड़ की कैसी स्थिति है इसका पूरा निगरानी हो सके। और भीड़ नियंत्रण कर सके। दूर दराज से आए सभी पिंड दानियों को स्वास्थ्य सुविधा की पूरी मुकम्मल व्यवस्था इस बार रखी गई। सिविल सर्जन एवं उनके स्तर पर निरंतर इसकी जांच एवं समीक्षा की गई। कहीं भी कोई भी छोटी से छोटी स्वास्थ्य संबंधी समस्या होने पर स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा क्विक रिस्पांस दिया गया। पूरे 17 दिनों में 67 स्वास्थ्य शिविर में 82540 से अधिक तीर्थयात्री चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराई गई। इसके अलावा 255 तीर्थ यात्रियों को कैंप में रखकर जरूरी उपचार यथा स्लाइन पानी चढ़ाना, बैंडेज इत्यादि का इलाज किया गया। इसके अलावा 198 तीर्थ यात्रियों को स्वास्थ्य शिविर से बेहतर इलाज के लिए मगध मेडिकल, जयप्रकाश नारायण अस्पताल सहित अन्य डेडीकेटेड बनाए गए अस्पतालों में रेफर किया गया। इसके अलावा बीटीएमसी बोधगया द्वारा भी महाबोधि मंदिर के समीप निशुल्क स्वास्थ्य शिविर लगाए गए थे जिसमें 15 प्रकार की दवाइयां रखी गयी थी और 3 हजार से ऊपर की संख्या में उपचार किये गए थे।
फूड इंस्पेक्टर की टीम बनाकर निरंतर मेला क्षेत्र के विभिन्न दुकानों प्रतिष्ठानों में दूषित खाना का जांच करवाया गया, जिसमें 344 दुकानों में छापेमारी की गई उसमें 362 फूड सैंपल संग्रह किये गए तथा जांच हेतु सैंपल को लैब में भेजा गया, जांच रिपोर्ट के आधार पर कानूनी कार्रवाई की जा रही है। तीर्थयात्री के छोटी-छोटी सुविधाओं पर विशेष ध्यान इस वर्ष रखा गया है। तीर्थयात्री जब भगवान के दर्शन करने जाने पर अपने जूते चप्पल को एक जगह सुरक्षित रखने के लिए जिला प्रशासन द्वारा 3 अलग-अलग स्थान पर चप्पल जूता स्टैंड बनवाया गया, जहां विभिन्न स्वयंसेवी संस्था द्वारा इसका संचालन किया गया। अनेकों तीर्थ यात्री इसका भरपूर लाभ उठाएं। विष्णुपद मंदिर दर्शन करने आने वाले अति बुजुर्ग तीर्थ यात्रियों को विशेष रूप से व्हीलचेयर की सुविधा इस वर्ष उपलब्ध कराई गई। पूरे मेला अवधि में लगभग 2 हजार तीर्थ यात्रियों को व्हीलचेयर की सुविधा मुहैया कराई गई।
देवघाट पर बनाए गए नियंत्रण कक्ष में लगभग 470 तीर्थ यात्रियों को खोया पाया काउंटर के माध्यम से उनके परिजन से मिलाने का कार्य किया गया है। इसके अलावा संवास सदन नियंत्रण कक्ष में बनाए गए आईवीआरएस सिस्टम के तहत 940 से अधिक कॉल्स तीर्थ यात्रियों का सीधे पदाधिकारी से संपर्क स्थापित कराकर उनके आवश्यक सुविधा के बारे में जानकारी ली। विभिन्न तालाबों एवं सरोवर में एसडीआरएफ एवं गोताखोर के टीम द्वारा लगभग 20 से ऊपर रेस्क्यू ऑपरेशन कर तीर्थ यात्रियों को सहायता प्रदान किया है। इस पितृपक्ष मेला के दौरान नदी तालाबो में बढ़े हुए जलस्तर को लेकर एसडीआरएफ एव गोताखोरों की संख्या को बढ़ाया गया था, साथ ही हर नदी तालाब में नाव सहित टीम को रखा गया था, जिसके कारण से डूबने जैसी कोई समस्या नहीं हुई।
इस वर्ष पितृपक्ष मेला में पहली बार निर्बाध बिजली आपूर्ति के साथ-साथ मेला क्षेत्र में कहीं भी लो वोल्टेज की समस्या नहीं आने के उद्देश्य से मेला क्षेत्र के अलग-अलग स्थान पर जरूरत के अनुसार अतिरिक्त ट्रांसफार्मर लगवाए गए थे। साफ सफाई के क्षेत्र में भी काफी उत्कृष्ट कार्य नगर निगम द्वारा किए गए हैं। नदी के पानी को स्वच्छ रखने के लिए पर्याप्त सफाई कर्मी द्वारा जाल के साथ पानी से यत्र तत्र पूजन सामग्री को लगातार साफ करने का कार्य किए हैं। इसके अलावा मेला क्षेत्र, टेंट सिटी एवं सभी आवासन स्थल में डेंगू से बचाव हेतु विशेष रूप से फोगिंग की व्यवस्था रखी गई थी। नगर निगम द्वारा पूरे मेला क्षेत्र को 5 जोन अन्यर्गत 61 सेक्टर में बाटते हुए सफाई व्यवस्था सुनिश्चित कराई है। सफाई व्यवस्था में 1200 सफाई कर्मी तीन पालियों में लगाए गए थे, इसके अलावा सफाई की निगरानी हेतु 30 पदाधिकारी की प्रतिनियुक्ति की गई थी, 80 की संख्या में सीएनजी वाहन के माध्यम से पिंड सामग्रियों को डिस्पोज में लगाई गई थी।
विष्णुपद मंदिर गर्वगृह में यात्रियों को कोई फिसलन ना हो इसे ध्यान में रखते हुए मंदिर प्रांगण एवं मंदिर परिसर में लगातार साफ सफाई की व्यवस्था करवाई गई है। इस वर्ष किसी भी तीर्थ यात्रियों को फिसलन जैसी कोई समस्या नहीं हुई। पितृपक्ष मेला प्रारंभ होने के पहले से प्रशासन का एक प्रमुख चौलेंज था, यातायात को सुगम रखना। पितृपक्ष मेला के पहले विभिन्न मुख्य सड़कों को युद्ध स्तर पर मरम्मत करवाए गए थे एव नए सिरे से कुछ सड़कों का निर्माण भी करवाए थे, जिसमें मुख्य रूप से चांद चौरा से विष्णुपद मंदिर तक, पिता महेश्वर की मुख्य सड़क, रामशिला प्रेतशिला की मुख्य सड़क तथा घुगड़ी ताड़ बाईपास सड़क को नए सिरे से पितृपक्ष मेला के पहले बनवाने का कार्य पूर्ण किया गया था, ताकि देश विदेश से आने वाले लाखों लाख तीर्थ यात्रियों को आवागमन में कोई समस्या नहीं हो।
उन्होंने कहां की पितृपक्ष मेला में हर एक तिथि के अनुसार सभी अपने-अपने पिंड वेदी स्थल का धार्मिक आस्था की दृष्टिकोण से एक अलग महत्व है। इन सभी चीजों को देखकर उक्त तिथियों पर अतिरिक्त पदाधिकारी का डेप्लॉयमेंट, पुलिस की डेप्लॉयमेंट एवं सफाई व्यवस्था रखी जाती थी ताकि तीर्थ यात्रियों को कहीं कोई समस्या नहीं हो। संपूर्ण मेला क्षेत्र को 43 जोन में विभक्त कर कुल 324 सेक्टर में बाँटते हुए प्रशासनिक दृष्टिकोण से सभी व्यवस्थाएं मुकम्मल कराई गई थी।
भविष्य के लिए गयाजी के विकास के लिए मुख्यमंत्री द्वारा गयाजी धर्मशाला का निर्माण तुरन्त ही शुरू होनेवाला है। इसमें निशुल्क आवासन की क्षमता बढ़ेगी। विष्णुपद मंदिर एवं विष्णुपथ एवं सीतापथ में जानेवाले यात्रियों के लिए पार्किंग स्थल का निर्माण घुघरीटाँड़ के दोनो तरफ निर्माण कार्य शुरू होगा। मनसरवा नाला के उपर सड़क का निर्माण, वैकल्पिक मार्ग का मजबूतीकरण एवं चौड़ीकरण इसी साल प्रारम्भ हो जायेगा। ऐसा उम्मीद है इन कार्यों से 2025 का पितृपक्ष मेला और बेहतर रूप प्रदान करेगा।
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