देवघर- उप विकास आयुक्त पीयूष सिन्हा के द्वारा सभी योजनाओं की पंचायत वार गहन समीक्षा की गई।
देवघर: उप विकास आयुक्त पीयूष सिन्हा द्वारा 09 दिसंबर 2024 को प्रखंड कार्यालय देवीपुर के सभागार मे पंचायत सेवक, रोजगार सेवक, कनीय अभियंता, सहायक अभियंता आदि के साथ पंचायतवार प्रधानमंत्री आवास योजना, अबुआ आवास योजना ,मनरेगा के अंतर्गत वित्त वर्ष 2022-23 के पूर्व की लंबित विभिन्न योजनाओं जैसे बिरसा सिंचाई संबर्धन कूप मिशन योजना, पोटो हो खेल योजना, बिरसा हरित ग्राम योजना, डोभा,टी.सी.बी आदि योजनाओं की पंचायतवार गहन समीक्षा की गयी एवं विभागीय निर्देश के आलोक में प्राथमिकता के आधार पर पूर्ण कराने का निर्देश दिया गया। इसके अलावा विगत 5 साल कि सभी योजनाओं में अनिवार्य रूप से सूचनापट्ट लगाने का निर्देश दिया गया। साथ प्रखंड विकास पदाधिकारी, देवीपुर को निर्देश दिया गया कि एक सप्ताह के अंदर सभी योजनाओं में सूचनापट्ट लगवाना सुनिश्चित करें। इसके अतिरिक्त सभी पंचायत सेवक एवं रोजगार सेवक को पंचायत में संचिकाओं को उचित तरीके से संधारित करने एवं मनरेगा की सातअनिवार्य पंजीयों को एक सप्ताह में अद्यतन करने का निर्देश दिया गया। साथ ही समीक्षा के क्रम मे लंबित आवास योजनाओं को एक सप्ताह में पूर्ण करने का निर्देश दिया गया। लाभुकों को स समय भुगतान करने एवम् आवास योजना का लगातार पर्यवेक्षण एवम् अनुश्रवण करने का निर्देश प्रखंड विकास पदाधिकार, देवीपुर को दिया गया। इस समीक्षा बैठक मे प्रखंड के विभिन्न पंचायतों के पंचायत सेवक, रोजगार सेवक, कनीय अभियंता, सहायक अभियंता, प्रखंड समन्वयक, प्रखंड विकास पदाधिकारी, देवीपुर के साथ साथ डी आर डी ए,देवघर की निदेशक सागरी बराल, परियोजना पदाधिकारी प्रीति कुमारी, आदि उपस्थित थे।
विधान परिषद संसदीय अध्ययन समिति ने की विभागवार समीक्षा

M N पाण्डेय,देवरिया।06 दिसंबर।उत्तर प्रदेश विधान परिषद की संसदीय अध्ययन समिति ने विकास भवन के गांधी सभागार में जनपद के विभागाध्यक्षों के साथ बैठक कर विभिन्न विभागीय योजनाओं, प्रगति एवं आवेदनों के निस्तारण की विस्तृत समीक्षा की। बैठक की अध्यक्षता समिति के सभापति किरण पाल कश्यप ने की।

बैठक की शुरुआत अधिकारियों से परिचय के साथ हुई। जिलाधिकारी दिव्या मित्तल ने सभापति श्री कश्यप का पुष्पगुच्छ व स्मृति चिन्ह भेंटकर स्वागत किया।बैठक में सरकार के गठन से अब तक जनप्रतिनिधियों द्वारा प्रेषित पत्रों पर विभागवार की गई कार्रवाई की गहन समीक्षा की गई। पुलिस, राजस्व, चिकित्सा, पंचायती राज, सिंचाई, बेसिक शिक्षा, विद्युत, कृषि, पूर्ति, पशुपालन, चकबंदी सहित विभिन्न विभागों द्वारा प्राप्त आवेदनों के निस्तारण की स्थिति पर विस्तृत चर्चा हुई।

सभापति कश्यप ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया कि आवेदनों का निस्तारण समयबद्ध तरीके से सुनिश्चित करें तथा इसकी जानकारी माननीय सदस्यों को उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने यह भी निर्देशित किया कि अगली बैठक में सभी विभाग वर्ष 2022 से 2025 की अवधि में प्राप्त जनप्रतिनिधियों के पत्रों की संख्या, उनके निस्तारण की प्रगति तथा सदस्यों को अवगत कराने की स्थिति—इन सभी बिंदुओं पर पूर्ण तैयारी के साथ उपस्थित हों।

इस अवसर पर जिलाधिकारी दिव्या मित्तल ने समिति को आश्वस्त किया कि उनके द्वारा दिए गए सभी निर्देशों का अक्षरशः पालन सुनिश्चित किया जाएगा।बैठक में समिति सदस्य हंसराज विश्वकर्मा, पुलिस अधीक्षक संजीव सुमन, मुख्य विकास अधिकारी प्रत्यूष पाण्डेय, अनु सचिव एवं समिति अधिकारी विनोद कुमार यादव, समीक्षा अधिकारी सौरभ दीक्षित, प्रतिवेदन अधिकारी राम प्रकाश पाल, अपर निजी सचिव अमितेश पाल सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।

उप्र कैबिनेट- : अयोध्या में अब 52 एकड़ में बनेगा विश्वस्तरीय मंदिर संग्रहालय, टाटा ग्रुप करेगा निर्माण और संचालन

लखनऊ ।योगी सरकार ने अयोध्या को विश्व स्तर का एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक गंतव्य के रूप में विकसित करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है।मंगलवार को लोकभवन में हुई कैबिनेट ने टाटा सन्स के सहयोग से अयोध्या में प्रस्तावित विश्वस्तरीय ‘मंदिर संग्रहालय’ का दायरा और बड़ा कर दिया है।

कैबिनेट के निर्णय के बारे में जानकारी देते हुए वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि टाटा सन्स ने अपने सीएसआर फंड से एक अत्याधुनिक मंदिर संग्रहालय विकसित करने और उसका संचालन करने की इच्छा व्यक्त की है। परियोजना के लिए भूमि आवंटन के लिए केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार और टाटा सन्स के बीच त्रिपक्षीय एम्ओयू बीते 3 सितंबर 2024 को ही हस्ताक्षरित हो चुका है। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि पूर्व में प्रदेश सरकार ने अयोध्या के मांझा जमथरा गांव में 25 एकड़ नजूल भूमि टाटा सन्स को 90 वर्षों के लिए उपलब्ध कराने की अनुमति दी थी लेकिन टाटा संस ने संग्रहालय की भव्यता के दृष्टिगत अधिक भूमि की अपेक्षा की थी। ऐसे में अब इस भूमि के अतिरिक्त 27.102 एकड़ और मिलाकर कुल 52.102 एकड़ भूमि का निःशुल्क हस्तांतरण आवास एवं शहरी नियोजन विभाग से पर्यटन विभाग के पक्ष में किया जाएगा, ताकि परियोजना का दायरा और बड़ा किया जा सके।

उन्हाेंने बताया कि वर्ल्ड-क्लास मंदिर संग्रहालय तैयार होने के बाद अयोध्या को न सिर्फ एक नया सांस्कृतिक पहचान चिन्ह मिलेगा, बल्कि बड़े पैमाने पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार भी पैदा होंगे। साथ ही, पर्यटन से सरकार को राजस्व में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी भी होगी। युवा पीढ़ी, विदेशी सैलानियों और भारतीय संस्कृति में रुचि रखने वाले आगंतुकों को ध्यान में रखते हुए अयोध्या में सांस्कृतिक आकर्षणों को बढाने की दिशा में यह संग्रहालय महत्वपूर्ण होगा।

राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय खेलों में हिस्सा लेने वाले यूपी के नियुक्त खिलाड़ियों को बड़ी राहतउत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता खिलाड़ियों को बड़ी राहत देते हुए स्पष्ट कर दिया है कि अब वे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं, ट्रेनिंग कैंपों और संबंधित गतिविधियों में शामिल होने की पूरी अवधि, आवागमन के समय सहित उनकी ‘ड्यूटी’ मानी जाएगी। मंत्री खन्ना ने बताया कि योगी कैबिनेट के इस फैसले से खिलाड़ियों को अनुमति लेने में होने वाली मुश्किलें खत्म होंगी। अब तक ‘अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता सीधी भर्ती नियमावली-2022’ में ऐसी कोई स्पष्ट व्यवस्था नहीं थी। सेवा नियमावली में अवकाश संबंधी प्रावधान न होने के कारण खिलाड़ियों को प्रतियोगिताओं और प्रशिक्षण शिविरों में भाग लेने के लिए अनुमति प्रक्रिया में दिक्कतें आती थीं।

उन्होंने कहा कि अब सरकार नई प्रणाली में व्यवस्था होगी कि नियुक्त खिलाड़ी जब भी किसी राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता, कैंप या प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लें, वह अवधि सेवा अवधि (ड्यूटी) मानी जाएगी। इसमें आने-जाने का पूरा समय भी शामिल होगा। इससे न केवल खिलाड़ियों को अपने खेल कॅरियर में आगे बढ़ने का मौका मिलेगा, बल्कि राज्य का प्रतिनिधित्व भी और मजबूत होगा, क्योंकि अब उन्हें अनुमति लेने में कोई बाधा नहीं आएगी।

वाराणसी के सम्पूर्णानंद स्पोर्ट्स स्टेडियम का संचालन अब साई कोयोगी कैबिनेट ने वाराणसी में निर्माणाधीन डॉ. सम्पूर्णानंद स्पोर्ट्स स्टेडियम, सिगरा के संचालन, प्रबंधन और रखरखाव तथा राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना के लिए ‘भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के साथ हुए एमओयू को मंजूरी दे दी है। यह वही स्टेडियम है, जहां ‘खेलो इंडिया’ योजना के तहत आधुनिक स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया गया है। एमओयू के तहत स्टेडियम परिसर में मौजूद खेल सुविधाओं; जैसे, भवन, ढांचे, मैदान और अन्य अवसंरचनाओं को साई को सौंपा जाएगा, ताकि यहां नेशनल सेंटर ऑfफ एक्सीलेंस की स्थापना और संचालन सुचारु रूप से हो सके।

वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र बनने के बाद प्रदेश के उभरते खिलाड़ियों को बड़ा मंच मिलेगा। विभिन्न आयु वर्गों और खेल विधाओं के प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की पहचान की जाएगी और उन्हें राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए उच्च स्तरीय प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाएगा। इससे न सिर्फ उत्तर प्रदेश की खेल प्रतिभा को मजबूत प्रोत्साहन मिलेगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राज्य का प्रतिनिधित्व भी और सशक्त होगा। सरकार का मानना है कि इस पहल से खिलाड़ियों के सामने भविष्य में रोजगार और खेल करियर दोनों की संभावनाएं बढ़ेंगी, साथ ही वाराणसी देश के प्रमुख खेल केंद्रों में से एक के रूप में उभरकर सामने आएगा।
पूर्व सैनिक की बेटी ने किया गाँव का नाम रौशन

सैनिक कॉलोनी के भारतीय थल सेना के पूर्व सूबेदार कारगिल युद्ध विजेता बी के पाण्डेय(निराला जी)की बेटी ने रचा इतिहास—ABV-IIITM ग्वालियर की एकमात्र AR (Legal)पद पर निहारिका का चयन

संजय द्विवेदी प्रयागराज।भारतीय थल सेना के पूर्व सुबेदार कारगिल युद्ध विजेता बी के पाण्डेय(निराला जी)की बेटी निहारिका का हुआ चयन। निहारिका ने एक छोटे गाँव बुधुआं के साधारण परिवार मे पली-बढ़ी निहारिका ने संघर्ष मेहनत और निरंतर प्रयास के दम पर वह उपलब्धि हासिल की है जो कई युवाओ का सपना होती है।उनका चयन देश के प्रतिष्ठित अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी एवं प्रबन्धन संस्थान ग्वालियर(ABV-IIITM Gwalior)में असिस्टेंट रजिस्ट्रार (लीगल) पद पर हुआ है। उल्लेखनीय है कि

इस पद के लिए पूरे भारत में केवल एक ही रिक्ति थी!

निहारिका की शिक्षा यात्रा हमेशा उत्कृष्ट रही है।उन्होने Dr. Ram Manohar Lohiya National Law University (RMLNLU), Lucknow से BA LLB (Hons.)वर्ष 2020 में पूरा किया।इसके बाद उन्होंने उच्च शिक्षा की दिशा में आगे बढ़ते हुए वर्ष 2021में देश के प्रतिष्ठित Tata Institute of Social Sciences (TISS), Mumbai से LL.M की डिग्री प्राप्त की।उच्च शिक्षा के बाद निहारिका को राष्ट्रीय स्तर पर भी उनकी शैक्षणिक प्रतिभा के लिए सम्मान मिला।उन्हें मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार (MHRD, GoI) की ओर से Merit Certificate प्रदान किया गया।साथ ही निहारिका गोल्ड मेडलिस्ट भी हैं, जो उनकी उत्कृष्ट शैक्षणिक उपलब्धियों का प्रमाण है।फरवरी 2022 से निहारिका Delhi Skill and Entrepreneurship University (DSEU),Delhi Government University में Training and Placement Officer (Grade A)के रूप में कार्यरत है।इस भूमिका में उन्होंने विद्यार्थियो के लिए इंडस्ट्री कनेक्ट प्लेसमेंट के अवसर प्री-प्लेसमेंट ट्रेनिंग और कौशल विकास कार्यक्रमो में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।प्रशासनिक जिम्मेदारियो और चुनौतियो के बावजूद निहारिका ने अपनी तैयारी और लक्ष्य को कभी नही छोड़ा।उनकी मेहनत ने अंततः उन्हें राष्ट्रीय महत्व के संस्थान ABV-IIITM में Assistant Registrar (Legal) के सम्मानित पद तक पहुँचाया। निहारिका का कहना है“मेरी यह यात्रा आसान नही थी लेकिन मैंने कभी उम्मीद नहीं छोड़ी।मैं चाहती हूँ कि छोटे शहरों और सीमित संसाधनो से आने वाली लड़कियाँ जाने कि मेहनत और लगातार प्रयास से कोई भी मंज़िल पाई जा सकती है।उनकी उपलब्धि न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे बुधुआँ गाँव एवम क्षेत्र के लिए गर्व का विषय है।निहारिका की कहानी उन सभी युवाओ के लिए प्रेरणा स्रोत है जो कठिन परिस्थितियो में भी बड़े सपने देखते है।निहारिका बुधुआँ गाँव के स्व० पंडित रामस्वरूप पाण्डेय की परपोती स्व0बबन पाण्डेय उर्फ जनता बाबा की पोती है!इनकी इस उपलब्धि पर उनके दादा ददन पाण्डेय बहुत खुश है।इनके पिता भारतीय थल सेना के पूर्व सूबेदार(कारगिल युद्ध विजेता)बी के पाण्डेय(निराला जी)इसे अपने गाँव के लिये सम्मान की बात मानते हैं! निहारिका का कहना है कि वे अपने गाँव के सभी लड़कियो को निशुल्क भाव से उनके उज्जवल भविष्य के लिये सहयोग करती रहेगी ताकि गाँव की और भी लड़कियो को सरकारी या गैर सरकारी विभाग मे अपनी सेवा प्रदान करने का अवसर मिलता रहे निहारिका के छोटे भाई ने भी सेना मे अधिकारी बन कर पहले ही अपने गाँव का नाम रौशन किया है!पद पर चयन के बाद गाँव के बधाई देने मे प्रमुख लोग शामिल रहे.पंडित ददन पाण्डेय आशुतोष तिवारी उर्फ छोटन बाबा राम अवध राम संजय सिंह यादव लोकगायक देवलाल अवधेश साह अजीत कुमार महतो एवम समस्त बुधुआँ गाँववासी इस बात को अपने गाँव के लिए गर्व की बात मानते है।वही लोगो ने निहारिका को शुभकामनाएं एवं बधाई दी।

हुनर से स्वावलंबन की राह: ऐधना फाउंडेशन की अनूठी पहल पाँचवें वर्ष में
ऐधना फाउंडेशन द्वारा महिलाओं के सशक्तिकरण हेतु विगत चार वर्ष पाँच माह से पटना के राजेंद्र नगर रोड नंबर 10 पर संचालित निःशुल्क सिलाई, कढ़ाई और ब्यूटीशियन प्रशिक्षण कार्यक्रम सफलतापूर्वक अपने पाँचवें वर्ष में प्रवेश कर गया है। इस महत्वाकांक्षी पहल का प्राथमिक उद्देश्य स्थानीय और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर सृजित करना, उनकी पारिवारिक आय में वृद्धि सुनिश्चित करना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है। फाउंडेशन कौशल विकास के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में निरंतर प्रयासरत है, जिसके तहत उन्हें मुफ्त प्रशिक्षण, आवश्यक उपकरण और अनुदान भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। केंद्र में सिलाई और कढ़ाई के अलावा ब्यूटीशियन, आर्ट एंड क्राफ्ट, टीकूली आर्ट, फिनिशिंग, सांस्कृतिक कार्यक्रम तथा छोटे उद्यम संचालन का व्यापक प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। ऐधना फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष, प्रेम कुमार ने इस अवसर पर पहल के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि उनका लक्ष्य केवल तकनीकी ज्ञान देना नहीं, बल्कि महिलाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना है। प्रशिक्षण के अंतिम चरण में, प्रतिभागियों को व्यवसाय योजना निर्माण, लागत प्रबंधन, बाजार की मांग का विश्लेषण और ग्राहकों से जुड़ने की तकनीकों की विस्तृत जानकारी दी जाती है, जिससे वे प्रशिक्षण पूर्ण करने के उपरांत स्वयं का व्यवसाय स्थापित करने में सक्षम बन सकें। प्रशिक्षण में शामिल प्रतिभागियों ने इस पहल को अपने जीवन में एक बड़ा सकारात्मक बदलाव लाने वाला बताया है; कई महिलाएं, जो पूर्व में केवल घरेलू कार्यों तक सीमित थीं, अब सिलाई के माध्यम से घर से ही आय अर्जित करने की दिशा में अग्रसर हैं, और कुछ ने तो अपना छोटा बुटीक शुरू करने की योजना भी बना ली है। केंद्र प्रबंधन के अनुसार, प्रशिक्षण सफलतापूर्वक पूरा करने वाली सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा, जो उन्हें भविष्य में नौकरी या स्वरोजगार के अधिक अवसर प्राप्त करने में सहायक होगा। यह निःशुल्क सिलाई प्रशिक्षण महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के साथ-साथ उन्हें समाज में आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने का अवसर प्रदान कर रहा है। कार्यक्रम के लिए पंजीकरण प्रक्रिया अभी भी जारी है, और इच्छुक महिलाएं सीधे ऐधना फाउंडेशन में पहुंचकर नामांकन करा सकती हैं।
दिल्‍ली ब्‍लास्‍ट: आतंकी डॉ. शाहीन की अल-फलाह यूनिवर्सिटी में अलमारी, जहां से मिले 18 लाख कैश

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दिल्ली में हुए ब्लास्ट केस की जांच में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को एक के बाद एक बड़े खुलासे हाथ लग रहे हैं। एनआईए ने अब दिल्ली में लाल किला के पास हुए कार ब्लास्ट मामले में मुख्य आरोपी और जैश-ए-मोहम्मद की कथित महिला कमांडर डॉ. शाहीन के ठिकाने से 18 लाख रुपये नकद बरामद किए हैं। माना जा रहा है कि बकामद की गई इतनी बड़ी रकम आतंकी फंडिंग का हिस्सा हो सकता है।

देश की राजधानी दिल्‍ली के ऐतिहासिक लाल किला के पास हुए कार ब्‍लास्‍ट के जांच की जिम्मेदारी नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) को सौंपी गई है। एनआईए की टीम कार ब्‍लास्‍ट की आरोपी डॉ. शाहीन शाहिद को लेकर मौका मुआयना करने के लिए फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी ले गई थी। शाहीन यूनिवर्सिटी के हॉस्‍टल के जिस रूम नंबर-22 में रहती थी, उसकी छानबीन गई। इस दौरान आलमारी से 18 लाख रुपये नकद मिले।

शाहीन के पास कहां से आई इतनी बड़ी रकम?

जांच एजेंसी अब यह पता लगाने में जुटी है कि आखिर इतनी बड़ी राशि शाहीन के पास कहां से आई? सूत्रों के मुताबिक यह पैसा आतंकी फंडिंग का हिस्सा हो सकता है। अलमारी में मिले इन भारी भरकम अंदेशा है कि इन पैसों का इस्‍तेमाल टेरर मॉड्यूल की गतिविधियों को फंड करने में किया जाना था। यह पैसा विश्वविद्यालय के भीतर से संचालित हो रहे ‘सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल’ को वित्तपोषित करने के लिए रखा गया होगा।

डॉक्टर मुजम्मिल अहमद ने खोले राज

यह कार्रवाई आतंक मॉड्यूल से जुड़े डॉक्टर मुजम्मिल अहमद गनई को फरीदाबाद लाकर पूछताछ के एक दिन बाद हुई। डॉक्टर मुजम्मिल ने पूछताछ में उन दो दुकानों की पहचान की जहां से उसने अमोनियम नाइट्रेट खरीदा था। जांच में पता चला है कि मुजम्मिल ने यूनिवर्सिटी से कुछ किलोमीटर दूर दो अलग-अलग कमरों में करीब 2,900 किलो अमोनियम नाइट्रेट जमा कर रखा था। इसके अलावा उसने इस विस्फोटक सामग्री का एक बड़ा हिस्सा पास के गांव के खेतों में छुपाया था, जिसे बाद में वह फतेहपुर टैगा में किराये पर लिए एक मौलवी के घर में ले गया। एनआईए को आशंका है कि अभी और भी विस्फोटक सामग्री छुपाई गई हो सकती है, जिसके लिए तलाशी अभियान जारी है।

शाहीन ने जांच एजेंसियों के सामने किया बड़ा खुलासा

इधर, आतंकी डॉक्टर शाहीन ने जांच एजेंसियों को बताया कि वह आतंकी मॉड्यूल में डॉक्टर मुजम्मिल के कहने पर शामिल हुई थी और वही करती थी जो मुजम्मिल उसे निर्देश देता था। इसके अलावा, एजेंसियों को डॉक्टर अबू उकाशाह नाम के हैंडलर का टेलीग्राम अकाउंट भी मिला है। इसी अकाउंट के माध्यम से डॉक्टर मुजफ्फर, डॉक्टर उमर और डॉक्टर आदिल साल 2022 में तुर्किए गए थे।

एंटीबायोटिक्स का मकड़जाल

प्रदीप श्रीवास्तव

किसी भी बीमारी के लिए, एंटीबायोटिक्स यानी रोग प्रतिरोधी दवाएँ बहुत कारगर मानी जाती है, शायद यही वजह है कि बाज़ार में सबसे ज़्यादा एंटीबायोटिक दवाएँ बिकती हैं। हालाँकि, इनके अंधाधुंध प्रयोग से हमारे देश में “सुपरबग्स” जैसी खतरनाक स्थिति पैदा हो गई है, जहाँ दवाएँ बेअसर हो जाती हैं और सामान्य बीमारी भी जल्दी ठीक नहीं होती है और उनके इलाज पर बहुत ज़्यादा खर्च करना पड़ता है। चिंता की बात यह है कि पोल्ट्री और डेयरी फार्मिंग में भी एंटीबायोटिक्स का अत्यधिक प्रयोग किया जा रहा है। नतीजतन, अगर हम खुद एंटीबायोटिक्स कम लें तो भी यह समस्या दूसरे रूप में हमें घेरे ही रहेगी। इसलिए सरकार ने एंटीबायोटिक्स के प्रयोग को लेकर गाइडलाइन जारी की है, जिसमें इनके इस्तेमाल को लेकर कई तरह के दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। 

सन 1928 में लंदन के सेंट मैरी हॉस्पिटल मेडिकल स्कूल में कार्यरत स्कॉटलैंड के वैज्ञानिक अलेक्ज़ेंडर फ़्लेमिंग ने जीवाणुओं (बैक्टीरिया) पर शोध करते हुए एंटीबायोटिक पेनिसिलिन की खोज की। दूसरे विश्वयुद्ध में जब लाखों घायल सैनिक संक्रमण से मर रहे थे, तब पेनिसिलिन एक वरदान साबित हुई। इससे अनगिनत सैनिकों की जान बचाई गई। पेनिसिलिन ने चिकित्सा विज्ञान की दिशा बदल दी और इसे आधुनिक एंटीबायोटिक युग की शुरुआत माना जाता है। 

हालाँकि, 1945 के बाद से ही फ़्लेमिंग ने खुद चेतावनी दी कि “एंटीबायोटिक के बहुत ज़्यादा प्रयोग से प्रतिरोध पैदा होगा”। और यही हुआ, एंटीबायोटिक का अंधाधुंध प्रयोग शुरू हो गया, जिससे बीमारी एक बार ठीक होने बाद, दोबारा होने पर उससे कई तरह की परेशानियाँ शुरू होने लगी। 

अब यह समस्या और बड़ी बनने लगी है, क्योंकि भारत जैसे देशों में बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीबायोटिक लेना, अधूरा कोर्स करना और छोटी-मोटी बीमारी में भी इस्तेमाल करना आम बात है। ज़्यादा एंटीबायोटिक के प्रयोग से हमारे शरीर के बैक्टीरिया, दवाइयों के प्रति प्रतिरोधक विकसित कर लेते है इसे एंटीमाइक्रोबियल रेज़िस्टेंस कहा जाता है और यह स्थिति “सुपरबग्स” के रूप में उभरकर सामने आती है, यानी ऐसी स्थिति जिसमें ताकतवर जीवाणु, दवाओं से नहीं मरते और उन पर साधारण एंटीबायोटिक काम नहीं करती। ऐसे में न सिर्फ, मरीजों पर दवाओँ का खर्च बढ़ता जाता है, बल्कि भविष्य में वह कई बीमारियों को न्योता देता है और सामान्य संक्रमण यानी खाँसी, बुखार, घाव का इन्फेक्शन होने पर इसका इलाज भी मुश्किल हो जाता है। 

पहले जिन बीमारियों का इलाज ₹100 की दवा से हो जाता था, उनके लिए अब लाखों रुपये की नई और महँगी दवाएँ या इंजेक्शन लगते हैं। क्योंकि वह छोटी या सामान्य बीमारी पर दवाएँ बेअसर होती है, उन्हें ठीक करने के लिए कई तरह की जाँचें करानी पड़ती है और नए किस्म की दवाएँ देनी पड़ती है और मरीज को अस्पताल में ज़्यादा दिन भर्ती रहना पड़ता है। 

बार-बार एंटीबायोटिक लेने से डायरिया, एलर्जी, त्वचा पर दाने जैसी समस्याएँ भी आने लगती हैं और लंबे समय में किडनी, लीवर और पेट पर असर पड़ता है। सबसे बड़ी बात है कि एंटीबायोटिक हानिकारक बैक्टीरिया के साथ-साथ अच्छे बैक्टीरिया को भी मार देते हैं। इससे खराब पाचन, इम्युनिटी कमज़ोर और बार-बार संक्रमण की समस्या हो सकती है। 

भारत पहले से ही एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस का हॉटस्पॉट बन चुका है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद की रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर साल लगभग 7 लाख लोग एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस से जुड़ी बीमारियों से प्रभावित होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि अगर इस समस्या पर रोक नहीं लगी तो 2050 तक भारत समेत विश्व में एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस के कारण 1 करोड़ मौतें प्रति वर्ष हो सकती हैं। 

भारत में एंटीबायोटिक्स का बाज़ार बहुत बड़ा है, क्योंकि यहाँ संक्रमण संबंधी बीमारियाँ आम हैं। 2023 में भारत में एंटीबायोटिक्स का बाज़ार करीब 49,000 करोड़ रूपये का था। अनुमान है कि 2024–2030 के बीच यह बाज़ार लगभग 6–7% चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ेगा और 2030 तक यह बाज़ार 83,000 करोड़ रूपये तक पहुँच सकता है। मालूम हो कि भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा एंटीबायोटिक उत्पादक देश है। यहाँ बनने वाले जेनेरिक एंटीबायोटिक्स का एक बड़ा हिस्सा अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका को निर्यात होता है। भारतीय फ़ार्मा कंपनियाँ दुनिया भर के 20% से अधिक जेनेरिक दवाओं की आपूर्ति करती हैं। 

द लैंसेट की 2022 रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रति व्यक्ति एंटीबायोटिक खपत दुनिया में सबसे अधिक है। अनुमान है कि हर साल भारत में लगभग 1,300 करोड़ से अधिक की खुराक एंटीबायोटिक की ली जाती हैं। इसमें से भी ग्रामीण और छोटे शहरों व कस्बों में एंटीबायोटिक का उपयोग बड़े शहरों की अपेक्षा बहुत अधिक होता है। भारत सरकार ने शेड्यूल एच1 लागू किया है, जिसके तहत कई एंटीबायोटिक दवाएँ केवल पर्चे पर ही मिल सकती हैं। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद और विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से एंटीबायोटिक स्टीवर्डशिप प्रोग्राम को लागू किया जा रहा है ताकि दुरुपयोग कम हो, फिर भी समस्या जस की तस है। 

2025 में भारत की जनसंख्या लगभग 1.40 अरब है, यानी भारत दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश है। देश में करीब लगभग 93 करोड़ आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है, जबकि शहरों में लगभग 50 करोड़ लोग निवास करते हैं। 

वहीं, सर्दी-खाँसी-जुकाम, बुखार, डायरिया जैसी बीमारियाँ से हर साल भारत में करीब 30–35 करोड़ से अधिक लोग प्रभावित होते हैं और लगभग 6.2 करोड़ डायबिटीज और 7.7 करोड़ हृदय रोग से पीड़ित हैं। 2024 तक हमारे देश में कुल पंजीकृत डॉक्टरों की संख्या लगभग 13 लाख हैं, इनमें से 10.4 लाख एलोपैथिक डॉक्टर और 4.5 लाख आयुष डाक्टर (आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी आदि) हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के अनुसार 1,000 की जनसंख्या पर कम से कम 1 डॉक्टर होना चाहिए। जबकि भारत में 1,000 की आबादी पर मात्र 0.7 डॉक्टर उपलब्ध हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में यह अनुपात और भी कम है और कई राज्यों में 1000 की आबादी पर मात्र 0.2 डाक्टर हैं। 

भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी, 2023 की रिपोर्ट की माने तो देश में 1.55 लाख सब-सेंटर, 25,000 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 5,600 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। इनमें से लगभग 65–70% स्वास्थ्य केंद्र ग्रामीण इलाकों में स्थित हैं। 

भले ही देश में करीब एक लाख से ज़्यादा स्वास्थ्य केंद्र ग्रामीण इलाकों में हों, लेकिन अभी भी यहाँ डाक्टरों और स्वास्थ्य केंद्रों की भारी कमी है। देश में साधारण बीमारियों से हर साल करीब 30 करोड़ लोग प्रभावित हैं, जिनका इलाज कुछ लाख डाक्टरों या स्वास्थ्य केंद्रों के भरोसे संभव नहीं है। 

हालाँकि, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद और स्वास्थ्य मंत्रालय ने एंटीबायोटिक उपयोग पर नियंत्रण के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। इसमें ज़ोर दिया गया है कि एंटीबायोटिक केवल बैक्टीरियल संक्रमण में ही दी जाए और साधारण सर्दी-जुकाम या फ्लू में नहीं। डॉक्टर की पर्ची अनिवार्य होगी और अस्पतालों को एंटीबायोटिक स्टीवर्डशिप प्रोग्राम अपनाना होगा। साथ ही, दवा की अवधि को कम से कम रखने और मरीजों को पूरी जानकारी देने पर ज़ोर दिया गया है। 

मालूम हो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एंटीबायोटिक को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया है, पहला एक्सेस यानी वे एंटीबायोटिक जो सामान्य संक्रमण के लिए सुरक्षित हैं और इनका कोई ज़्यादा साइड इफ़ेक्ट नहीं है। दूसरी श्रेणी है वॉच की, इनका उपयोग सीमित परिस्थितियों में ही किया जाना चाहिए और इनके लिए निगरानी ज़रूरी है। तीसरी श्रेणी है रिज़र्व की, ये अंतिम विकल्प की दवाइयाँ हैं, जिन्हें केवल जीवन-रक्षक स्थिति में ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए। भारत भी इसी गाइडलाइन का पालन करता है और डॉक्टरों को सलाह भी दी गई है कि वे केवल ज़रूरत पड़ने पर ही एंटीबायोटिक लिखें और मरीजों को पूरी जानकारी दें। 

एंटीबायोटिक की समस्या इसलिए भी बड़ी होती जा रही है क्योंकि इंसानों के साथ ही कृषि और पशुपालन क्षेत्र में भी एंटीबायोटिक का अंधाधुंध उपयोग होना शुरू हो चुका है, खासतौर पर मुर्गीपालन और डेयरी फार्मिंग में। 

खाद्य और कृषि संगठन (संयुक्त राष्ट्र), भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण और विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में कुल एंटीबायोटिक खपत का 50% से अधिक हिस्सा पशुपालन में होता है। पोल्ट्री सेक्टर (मुर्गीपालन) का अनुमान है कि भारत में हर साल लगभग 70–75% मुर्गीपालकों द्वारा चारे में एंटीबायोटिक का प्रयोग किया जाता है। 

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण की एक रिपोर्ट में बताया गया कि बाजार में बिकने वाले 40% से अधिक चिकन में एंटीबायोटिक रेज़िड्यू पाए गए। डेयरी फार्मिंग डेयरी सेक्टर में, दूध देने वाली गायों और भैंसों में संक्रमण रोकने और दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए एंटीबायोटिक का बार-बार प्रयोग किया जाता है। 2022 के एक सर्वे में पाया गया कि 10–12% दूध के सैंपल्स में एंटीबायोटिक अवशेष मौजूद थे। 

ईयू और अमेरिका जैसे देशों ने एंटीबायोटिक-युक्त मीट और डेयरी उत्पादों के आयात पर कड़ी पाबंदी लगा रखी है। 2017 में ईयू ने भारत से निर्यात किए गए 26% पोल्ट्री उत्पादों को अस्वीकार कर दिया था, क्योंकि उनमें एंटीबायोटिक अवशेष पाए गए। एंटीबायोटिक्स को ग्रोथ प्रमोटर के रूप में प्रयोग करने पर रोक लगा दी गई है। पशुपालन में केवल चिकित्सकीय ज़रूरत पर ही डॉक्टर या वैटरनरी प्रिस्क्रिप्शन से उपयोग की सिफ़ारिश है। 

एंटीबायोटिक न सिर्फ जनस्वास्थ्य के लिए ख़तरनाक है, बल्कि निर्यात और खाद्य सुरक्षा पर भी सीधा असर डालता है। नई गाइडलाइन का उद्देश्य एंटीबायोटिक का विवेकपूर्ण उपयोग सुनिश्चित करना और भविष्य में गंभीर संक्रमणों के इलाज के लिए उनकी प्रभावशीलता बनाए रखना है। यदि मरीज, डॉक्टर, अस्पताल और किसान सभी मिलकर इन नियमों का पालन करें, तो “सुपरबग्स” की समस्या पर काबू पाया जा सकता है। इसके लिए व्यापक जनजागरूकता, सख्त नियम और सतत निगरानी बेहद आवश्यक है। 

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं )

प्रयागराज की छात्रा को मिली ब्रिटैन की प्रतिष्ठित स्यूरेस स्कॉलरशिप के तहत पीएचडी में हुआ चयन।

संजय द्विवेदी प्रयागराज।इलाहाबाद विश्वविद्यालय की छात्रा रह चुकी फाफामऊ इलाहाबाद निवासी उर्वशी यादव का चयन ब्रिटेन की प्रतिष्ठित स्वानसी यूनिवर्सिटी में पीएचडी के लिए हुआ है।वह ऊर्जा एवं नवाचार के क्षेत्र में"फ्लोराइड आयन बैटरियो हेतु पॉलिमर इलेक्ट्रोड के विकास"नामक विषय पर केमिकल इंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसर अंजी मुनान्गी रेड्डी एवं प्रोफेसर शिरीन एलेक्सेंडर के मार्गदर्शन में शोध करेगी। इस फ़ेलोशिप के तहत उर्वशी को 4 वर्षो के लिए अनुदान प्राप्त होगा और उनका शोध 30 सितंबर 2029 तक चलेगा।

उर्वशी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के विज्ञान संकाय से 2022 में स्नातक (गणित) एवं 2024में परास्नातक भौतिकी विभाग से किया हैं। वह इलाहाबाद विश्वविद्यालय में स्नातक एवं परास्नातक दोनों की गोल्ड मेडलिस्ट रही हैं। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में परास्नातक के अध्ययन के दौरान वह महिला छत्रावास के हाल ऑफ़ रेजीडेन्सी हॉस्टल में रहकर पढ़ाई की।परास्नातक के बाद उन्होंने कुछ दिनों तक आईआईटी रुड़की के भौतिकी विभाग में भी शोध कार्य किया।इस अवसर पर भौतिकी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर के एन उत्तम ने प्रसन्नता जाहिर की साथ में विभाग के प्रोफेसर फूल सिंह यादव प्रो.राम मनोहर प्रोफेसर विवेक तिवारी प्रो.अशील कुमार प्रो.कमलेश प्रो.ठाकुर प्रसाद प्रो.राजन वालिया प्रो.तारकेश्वर त्रिवेदी प्रो.कमलेश प्रोफेसर सरिता ने बधाई दी।

प्रो.के एन उत्तम के अनुसार उर्वशी ने परास्नातक का डेज़र्टेशन उनके मार्गदर्शन में किया था और वह बहुत ही होनहार छात्रा है।इसके अलावा उर्वशी के गावं में हर्ष का माहौल है।उर्वशी के पिता रतन सिंह यादव थल सेना से रिटायर हैं जबकि माता उमेश देवी एक कुशल गृहणी है।इन्होने इस सफलता का श्रेय उर्वशी के कठिन परिश्रम और विज्ञान के प्रति लगन को दिया है।

From Indian Air Force Aspirant to Global Startup Recognition: The Inspiring Journey of Rajasthan’s Young Entrepreneur Mr. Sunil Saharan

Today we are talking about a determined entrepreneur who once absented himself from a stable Indian Air Force job to chase his startup dream. After facing a tough failure in his first venture, his new tech startup has now earned a place in the prestigious Y Combinator Accelerator Program — one of the world’s top startup programs.

A Dream Beyond Uniforms: The Beginning Sunil Saharan, a young man from Hanumangarh, Rajasthan, began his professional life serving in the Indian Air Force in 2019. To many, a government service job like this is a dream of stability and pride. But Sunil Saharan carried a different kind of dream — a dream to create something meaningful for India’s tech future.

In 2022, driven by passion and urgency, Sunil took one of the boldest decisions of his life. He absented himself from his secure Air Force service to start his entrepreneurial journey. With little knowledge of what lay ahead, he founded his first Ed-Tech startup UPTOP, only to witness a harsh failure.

Crushed but Unshaken: The Struggle Phase Sunil Saharan was doing well in his career, but his desire to build something of value was stronger than a safe life. The journey he chose, however, was not easy. He worked tirelessly — 16 to 18 hours a day, seven days a week, yet nothing seemed to move in his favor.

Investors showed no interest in his Ed-Tech model, revenues dried up, and eventually he had to shut down all operations. It was a mentally, financially, and emotionally draining phase — a moment where most would quit.

But Sunil didn’t.

The Soldier Attitude: Rising Again With the spirit of a soldier who refuses to leave the battlefield, Sunil returned with a fresh mindset. He started building a new tech startup, again pouring in 16 to 18 hours every single day for an entire year without worrying about setbacks or opinions.

Slowly, results started to show. The company began securing strong corporate clients and generating traction. After three long years of struggle, sacrifice, and persistence, the breakthrough finally arrived — the startup was selected for the Y Combinator Accelerator Program, one of the most competitive and globally respected platforms for startups.

Being selected out of thousands of Indian startups is a massive milestone for any founder. For a 27-year-old from a small town in Rajasthan, this is nothing less than extraordinary.

What is Y Combinator? Y Combinator (YC) is a leading American startup accelerator and venture capital organization. Since inception, YC has helped launch over 5,000 companies, including globally recognized giants like Airbnb, Coinbase, Reddit, Instacart, Stripe, Twitch, Scale AI, Dropbox, and DoorDash.

YC offers seed funding, direct mentorship from industry leaders, and access to a highly influential global network of founders, investors, and partners. Joining YC is considered one of the greatest opportunities a young startup can achieve.

Future Vision: Empowering India’s Businesses with Tech Sunil envisions building technological solutions for India’s booming MSME sector. His mission is to bring smart tech and AI automation to millions of small and medium enterprises, helping them improve efficiency, reduce operational load, and grow faster using automation.

In simple words, he aims to democratize technology so that Indian businesses, no matter how small, can scale like global companies.

A Story of Courage, Failure & Comeback Sunil Saharan’s journey is more than a startup success story — it is a reminder that real entrepreneurship demands courage, sacrifice, and an unbreakable spirit. He walked away from a secure career, faced failure head-on, stood tall through loneliness, and rebuilt himself from scratch.

Today, his story stands as an inspiration to every young Indian who dares to dream beyond the ordinary.

हजारीबाग के क्रिकेट इतिहास का स्वर्णिम अध्याय शुरू, संजय सिंह क्रिकेट स्टेडियम को मिली बीसीसीआई टूर्नामेंट की मेजबानी

हजारीबाग शहर के संजय सिंह क्रिकेट स्टेडियम पूर्व के वेल्स ग्राउंड का साल 2017 से पूर्व बेहद दयनीय स्थिति था। साल 2017 से पहले इस मैदान में क्रिकेट की सुविधा नगण्य थी लेकिन साल 2017 में हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र के सांसद और उस वक्त के सदर विधायक सह हजारीबाग जिला क्रिकेट संघ ( एचडीसीए) के अध्यक्ष मनीष जायसवाल ने अपने पूरे हजारीबाग जिला क्रिकेट संघ के जमात के साथ मिलकर इस क्रिकेट ग्राउंड के व्यापक बदलाव का संकल्प लिया और फ़िर हजारीबाग के क्रिकेट खिलाड़ियों को हर संभव जरूरत के मुताबिक आधारभूत संरचना के साथ साधन संसाधन उपलब्ध कराने के दिशा में उनका सकारात्मक प्रयास शुरू हुआ। साल 2017 में अपने विधायक निधि की राशि 25 लाख देकर इस मैदान के आधारभूत विकास का कार्य शुरू करते हुए मैदान के उन्नयन की नींव रखी। तत्पश्चात सांसद मनीष जायसवाल के प्रयास से पूरे मैदान परिसर में विशेषकर एंट्री क्षेत्र को आकर्षक और खेल योग्य बनाने हेतु गुणवत्त सिलेक्शन वन किस्म के घास को प्लांट किया गया। मैदान में प्रोफेशनल स्तर का टर्फ विकेट तैयार किया गया और बरमूडा घास बिछाई गई जो बेहद टिकाऊ तेज रिकवरी और अच्छी बाउंस प्रदान करती है। फिलवक्त इस मैदान में कुल 5 टर्फ विकेट और 3 प्रैक्टिस पिच मौजूद है। मैदान के प्लेयिंग एरिया सेंटर का विकेट में वृद्धि किया गया। मैदान के चारोंओर सुरक्षा एवं प्रवेश नियंत्रण के लिए लोहे की मजबूत जाली से फेंसिंग किया गया। मैदान मैं प्लेयर अधिकारियों और दर्शकों के लिए आधुनिक पवेलियन और दो दर्शक गैलरी का निर्माण राज्य सरकार द्वारा प्रदत्त राशि करीब 01 करोड़ 10 लाख रुपए की लागत से कराया गया। मैदान में नाइट टूर्नामेंट फैसिलिटी के लिए राज्य सरकार से प्रयास करके करीब 01 करोड़ 53 लाख रुपए की राशि से उच्च गुणवत्ता वाली 04 फ्लड लाइट अधिष्ठापिता कराया गया। मैदान परिसर में 07 स्वच्छ बाथरूम, स्टोर रूम, पूरे पवेलियन के ड्रेसिंग रूम, ऑफिस रूम सहित अन्य कमरों का फर्निशिंग कराया गया। मैच के दौरान खिलाड़ियों के लिए डगआउट बनाए गए। बल्लेबाजों की दृश्यता सुधारने के लिए उच्च गुणवत्ता वाली साइड स्क्रीन लगाई गई। यह मैदान जो उजड़ा चमन हुआ करता था आज यहां चमन-ए- बहार है और क्रिकेट के दृष्टिकोण से यह मैदान बीसीसीआई के मानकों के अनुरूप उन्नत एवं सूटेबल है। उक्त बातें हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र के सांसद मनीष जायसवाल ने वेल्स क्रिकेट मैदान में एक प्रेस-वार्ता के दौरान कही।

सांसद मनीष जायसवाल ने बताया कि सकारात्मक दिशा में किया गया हर प्रयास सफल जरूर होता है और जब सफल होता है तो आंतरिक खुशी होती है। उन्होंने बताया कि साल 2017 से पूर्व इस मैदान में क्रिकेट तो खेला जाता था लेकिन कामचलाउ क्रिकेट होता था। इस मैदान में 25 % घास और 75 % हिस्से में मोरम या कंक्रीट हुआ करता था। मैदान ऊबड़-खाबड़ था इस वजह से पुराने समय के खिलाड़ी जो यहां खेलते थे उनके बदन पर खरोच और छिलने के निशान हमेशा दिखाई देते थे। 

लेकिन पिछले साल 2017 से जिस मैदान के कायाकल्प की शुरुआत की उसे साल 2025 में तब मुकाम मिला जब बीते 17 जुलाई 2025 को बीसीसीआई के अधिकारियों की एक टीम ने संजय सिंह क्रिकेट स्टेडियम का निरीक्षण कर जायजा लिया और इस स्टेडियम को बीसीसीआई के मैच के लिए सक्षम बताया। हजारीबाग के क्रिकेट प्रेमियों के लिए जब यह अनाउंस हुआ की हजारीबाग को पहली बार बीसीसीआई घरेलू कूच बेहार ट्रॉफी की मेजबानी मिली तो लोग फूले नहीं समाए। यह ऐतिहासिक मैच आगामी 8 - 11 दिसंबर 2025 के बीच संजय सिंह क्रिकेट स्टेडियम हजारीबाग में झारखंड और केरल के बीच खेला जाएगा। बतौर हजारीबाग जिला क्रिकेट संघ के अध्यक्ष सांसद मनीष जायसवाल ने बताया कि हम बीसीसीआई के आगामी होने वाले मैच को लेकर मैदान सुधार की दिशा में नए टर्फ विकेट, प्रैक्टिस विकेट, साइड स्क्रीन विस्तार, दोनों ओर वीडियो प्लेटफॉर्म, थर्ड अंपायर वीडियो विश्लेषण प्लेटफार्म का निर्माण कर रहें हैं। पवेलियन सुधार की दिशा में ड्रेसिंग रूम और वाशरूम का विस्तार, मेडिकल एवं फिजियोथेरेपी की सुविधा, खिलाड़ियों और अधिकारियों के लिए अलग रास्ते, मैच रेफरी वीडियो एनालिसिस अंपायर और स्कॉलर के लिए उपयुक्त कमरे, पूरे पवेलियन का नवीनीकरण कर रहें हैं। आवास व्यवस्था के लिए ठहराव हेतु शहर के हो होटल एक इंटरनेशनल, 02 एसी बसें और एसयूवी बहनों की सुविधा एवं मेडिकल सुविधा के लिए वृष डॉक्टर सहित मेडिकल टीम, हाई टेक एम्बुलेंस की सुविधा बना रहें हैं ।

सांसद मनीष जायसवाल ने बताया कि साल 2022-23 में संजय सिंह क्रिकेट स्टेडियम में अंडर -16 बॉयज, अंडर-19 वूमेन, अंडर -19 मेंस, रणधीर वर्मा ट्रॉफी (सीनियर डिस्ट्रिक्ट मेंस), साल 2023 -24 में अंडर-19 विमेंस, सीमा देसाई टी 20 टूर्नामेंट, अंडर-19 मेंस, अंडर -14 बॉयज, रणधीर वर्मा ट्रॉफी (सीनियर डिस्ट्रिक्ट मेंस), साल 2024-25 में सीमा देसाई टूर्नामेंट, अंडर -16 बॉयज, अंडर-14 बॉयज, अंडर-19 जोनल मेंस मैच, अंडर- 23 विमेंस स्टेट कैंप, अंडर- 23 विमेंस इंटर डिस्ट्रिक्ट टूर्नामेंट का सफल आयोजन यहां हो चुका है। इस दौरान हजारीबाग जिला क्रिकेट संघ (एचडीसीए) के खिलाड़ियों ने इस मैदान से अभ्यास करके क्रिकेट के क्षेत्र में राज्य स्तरीय कैंप में अपना बेहतर प्रदर्शन और प्रतिनिधित्व किया। जिसमें पुरुष वर्ग में अंडर- 16 स्टेट कैंप में पंकज कुमार, सौरव कुमार, अंडर- 16 स्टेट टीम में जीवन पटेल, अंडर-19 स्टेट कैंप में सचिन यादव, अश्विनी झा, अंडर-19 स्टेट टीम में अमित यादव, शिवांश, राहुल रजक ( करेंट), अंडर-23 स्टेट टीम में अमित यादव और रणजी ट्रॉफी कैंप में मणिकांत ने जगह बनाई वहीं महिला वर्ग में अंडर-15 स्टेट कैंप में आश्विका गुप्ता, अंडर- 15 स्टेट टीम में वर्षा कुमारी, नंदिनी कुमारी, ऋतिका कुमारी, अंडर- 19 स्टेट कैंप में श्रेया शाह, अंडर- 23 स्टैंडबाई में अर्चना कुमारी ने अपने प्रतिभा का प्रदर्शन कर हजारीबाग को गौरवान्वित किया। सांसद सह एचडीसीए के अध्यक्ष मनीष जायसवाल ने बताया कि एचडीसीए भविष्य में इस दिशा में प्रयासरत है कि रणजी ट्रॉफी की मेजबानी हेतु पूर्ण बीसीसीआई अनुपालन हासिल हो, अत्यधिक इंदौर प्रैक्टिस स्टेडियम का निर्माण, हाई परफॉमेंस जिम, एस्ट्रोटर्फ इनडोर पिचें, रिकवरी एवं स्किल डेवलपमेंट क्षेत्र में बेहतर करते हुए हजारीबाग के इस संजय सिंह क्रिकेट स्टेडियम को राष्ट्रीय स्तर का ख्यातिपूर्ण टूर्नामेंट बनाया जाय और हजारीबाग के होनहार क्रिकेट खिलाड़ियों को बीसीसीआई के मानक के अनुरूप आधारभूत संरचना एवं संसाधन उपलब्ध कराया जाए ताकि हजारीबाग से पुरुष और महिला वर्ग में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी निकलकर देश -दुनिया में हजारीबाग का नाम रोशन करें। सांसद मनीष जायसवाल ने यह भी बताया कि क्रिकेट जगत में हजारीबाग राष्ट्रीय मानचित्र पर जल्द ही दस्तक देने वाला है। उन्होंने बीसीसीआई के आने वाले टूर्नामेंट में बड़ी संख्या में संजय सिंह स्टेडियम पहुंचकर क्रिकेट प्रेमियों से अपील किया कि टीमों का हौसला बढ़ाएं ।

मौके पर हजारीबाग जिला क्रिकेट संघ के सचिव बंटी तिवारी सहित संघ से जुड़े विकास चौधरी, प्रमोद कुमार, अनिल अग्रवाल, सागर सरकार, जयप्रकाश जैन, रितेश सिन्हा, जयप्रकाश, आनंद देव, राकेश चोपड़ा, सुरेंद्र यादव, मनोज कुमार सिंह, सुबोध सिन्हा, मनोज अग्रवाल, डॉ. राजकिशोर, जयप्रकाश, अमित भंडारी, नीरज पासवान, अभिषेक जोशी, हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र के सांसद प्रतिनिधि सत्येंद्र नारायण सिंह, सदर विधानसभा क्षेत्र के सांसद प्रतिनिधि किशोरी राणा, पट्टू सिंह, लोकसभा क्षेत्र के सांसद मीडिया प्रतिनिधि रंजन चौधरी सहित अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहें ।

देवघर- उप विकास आयुक्त पीयूष सिन्हा के द्वारा सभी योजनाओं की पंचायत वार गहन समीक्षा की गई।
देवघर: उप विकास आयुक्त पीयूष सिन्हा द्वारा 09 दिसंबर 2024 को प्रखंड कार्यालय देवीपुर के सभागार मे पंचायत सेवक, रोजगार सेवक, कनीय अभियंता, सहायक अभियंता आदि के साथ पंचायतवार प्रधानमंत्री आवास योजना, अबुआ आवास योजना ,मनरेगा के अंतर्गत वित्त वर्ष 2022-23 के पूर्व की लंबित विभिन्न योजनाओं जैसे बिरसा सिंचाई संबर्धन कूप मिशन योजना, पोटो हो खेल योजना, बिरसा हरित ग्राम योजना, डोभा,टी.सी.बी आदि योजनाओं की पंचायतवार गहन समीक्षा की गयी एवं विभागीय निर्देश के आलोक में प्राथमिकता के आधार पर पूर्ण कराने का निर्देश दिया गया। इसके अलावा विगत 5 साल कि सभी योजनाओं में अनिवार्य रूप से सूचनापट्ट लगाने का निर्देश दिया गया। साथ प्रखंड विकास पदाधिकारी, देवीपुर को निर्देश दिया गया कि एक सप्ताह के अंदर सभी योजनाओं में सूचनापट्ट लगवाना सुनिश्चित करें। इसके अतिरिक्त सभी पंचायत सेवक एवं रोजगार सेवक को पंचायत में संचिकाओं को उचित तरीके से संधारित करने एवं मनरेगा की सातअनिवार्य पंजीयों को एक सप्ताह में अद्यतन करने का निर्देश दिया गया। साथ ही समीक्षा के क्रम मे लंबित आवास योजनाओं को एक सप्ताह में पूर्ण करने का निर्देश दिया गया। लाभुकों को स समय भुगतान करने एवम् आवास योजना का लगातार पर्यवेक्षण एवम् अनुश्रवण करने का निर्देश प्रखंड विकास पदाधिकार, देवीपुर को दिया गया। इस समीक्षा बैठक मे प्रखंड के विभिन्न पंचायतों के पंचायत सेवक, रोजगार सेवक, कनीय अभियंता, सहायक अभियंता, प्रखंड समन्वयक, प्रखंड विकास पदाधिकारी, देवीपुर के साथ साथ डी आर डी ए,देवघर की निदेशक सागरी बराल, परियोजना पदाधिकारी प्रीति कुमारी, आदि उपस्थित थे।
विधान परिषद संसदीय अध्ययन समिति ने की विभागवार समीक्षा

M N पाण्डेय,देवरिया।06 दिसंबर।उत्तर प्रदेश विधान परिषद की संसदीय अध्ययन समिति ने विकास भवन के गांधी सभागार में जनपद के विभागाध्यक्षों के साथ बैठक कर विभिन्न विभागीय योजनाओं, प्रगति एवं आवेदनों के निस्तारण की विस्तृत समीक्षा की। बैठक की अध्यक्षता समिति के सभापति किरण पाल कश्यप ने की।

बैठक की शुरुआत अधिकारियों से परिचय के साथ हुई। जिलाधिकारी दिव्या मित्तल ने सभापति श्री कश्यप का पुष्पगुच्छ व स्मृति चिन्ह भेंटकर स्वागत किया।बैठक में सरकार के गठन से अब तक जनप्रतिनिधियों द्वारा प्रेषित पत्रों पर विभागवार की गई कार्रवाई की गहन समीक्षा की गई। पुलिस, राजस्व, चिकित्सा, पंचायती राज, सिंचाई, बेसिक शिक्षा, विद्युत, कृषि, पूर्ति, पशुपालन, चकबंदी सहित विभिन्न विभागों द्वारा प्राप्त आवेदनों के निस्तारण की स्थिति पर विस्तृत चर्चा हुई।

सभापति कश्यप ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया कि आवेदनों का निस्तारण समयबद्ध तरीके से सुनिश्चित करें तथा इसकी जानकारी माननीय सदस्यों को उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने यह भी निर्देशित किया कि अगली बैठक में सभी विभाग वर्ष 2022 से 2025 की अवधि में प्राप्त जनप्रतिनिधियों के पत्रों की संख्या, उनके निस्तारण की प्रगति तथा सदस्यों को अवगत कराने की स्थिति—इन सभी बिंदुओं पर पूर्ण तैयारी के साथ उपस्थित हों।

इस अवसर पर जिलाधिकारी दिव्या मित्तल ने समिति को आश्वस्त किया कि उनके द्वारा दिए गए सभी निर्देशों का अक्षरशः पालन सुनिश्चित किया जाएगा।बैठक में समिति सदस्य हंसराज विश्वकर्मा, पुलिस अधीक्षक संजीव सुमन, मुख्य विकास अधिकारी प्रत्यूष पाण्डेय, अनु सचिव एवं समिति अधिकारी विनोद कुमार यादव, समीक्षा अधिकारी सौरभ दीक्षित, प्रतिवेदन अधिकारी राम प्रकाश पाल, अपर निजी सचिव अमितेश पाल सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।

उप्र कैबिनेट- : अयोध्या में अब 52 एकड़ में बनेगा विश्वस्तरीय मंदिर संग्रहालय, टाटा ग्रुप करेगा निर्माण और संचालन

लखनऊ ।योगी सरकार ने अयोध्या को विश्व स्तर का एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक गंतव्य के रूप में विकसित करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है।मंगलवार को लोकभवन में हुई कैबिनेट ने टाटा सन्स के सहयोग से अयोध्या में प्रस्तावित विश्वस्तरीय ‘मंदिर संग्रहालय’ का दायरा और बड़ा कर दिया है।

कैबिनेट के निर्णय के बारे में जानकारी देते हुए वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि टाटा सन्स ने अपने सीएसआर फंड से एक अत्याधुनिक मंदिर संग्रहालय विकसित करने और उसका संचालन करने की इच्छा व्यक्त की है। परियोजना के लिए भूमि आवंटन के लिए केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार और टाटा सन्स के बीच त्रिपक्षीय एम्ओयू बीते 3 सितंबर 2024 को ही हस्ताक्षरित हो चुका है। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि पूर्व में प्रदेश सरकार ने अयोध्या के मांझा जमथरा गांव में 25 एकड़ नजूल भूमि टाटा सन्स को 90 वर्षों के लिए उपलब्ध कराने की अनुमति दी थी लेकिन टाटा संस ने संग्रहालय की भव्यता के दृष्टिगत अधिक भूमि की अपेक्षा की थी। ऐसे में अब इस भूमि के अतिरिक्त 27.102 एकड़ और मिलाकर कुल 52.102 एकड़ भूमि का निःशुल्क हस्तांतरण आवास एवं शहरी नियोजन विभाग से पर्यटन विभाग के पक्ष में किया जाएगा, ताकि परियोजना का दायरा और बड़ा किया जा सके।

उन्हाेंने बताया कि वर्ल्ड-क्लास मंदिर संग्रहालय तैयार होने के बाद अयोध्या को न सिर्फ एक नया सांस्कृतिक पहचान चिन्ह मिलेगा, बल्कि बड़े पैमाने पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार भी पैदा होंगे। साथ ही, पर्यटन से सरकार को राजस्व में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी भी होगी। युवा पीढ़ी, विदेशी सैलानियों और भारतीय संस्कृति में रुचि रखने वाले आगंतुकों को ध्यान में रखते हुए अयोध्या में सांस्कृतिक आकर्षणों को बढाने की दिशा में यह संग्रहालय महत्वपूर्ण होगा।

राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय खेलों में हिस्सा लेने वाले यूपी के नियुक्त खिलाड़ियों को बड़ी राहतउत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता खिलाड़ियों को बड़ी राहत देते हुए स्पष्ट कर दिया है कि अब वे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं, ट्रेनिंग कैंपों और संबंधित गतिविधियों में शामिल होने की पूरी अवधि, आवागमन के समय सहित उनकी ‘ड्यूटी’ मानी जाएगी। मंत्री खन्ना ने बताया कि योगी कैबिनेट के इस फैसले से खिलाड़ियों को अनुमति लेने में होने वाली मुश्किलें खत्म होंगी। अब तक ‘अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता सीधी भर्ती नियमावली-2022’ में ऐसी कोई स्पष्ट व्यवस्था नहीं थी। सेवा नियमावली में अवकाश संबंधी प्रावधान न होने के कारण खिलाड़ियों को प्रतियोगिताओं और प्रशिक्षण शिविरों में भाग लेने के लिए अनुमति प्रक्रिया में दिक्कतें आती थीं।

उन्होंने कहा कि अब सरकार नई प्रणाली में व्यवस्था होगी कि नियुक्त खिलाड़ी जब भी किसी राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता, कैंप या प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लें, वह अवधि सेवा अवधि (ड्यूटी) मानी जाएगी। इसमें आने-जाने का पूरा समय भी शामिल होगा। इससे न केवल खिलाड़ियों को अपने खेल कॅरियर में आगे बढ़ने का मौका मिलेगा, बल्कि राज्य का प्रतिनिधित्व भी और मजबूत होगा, क्योंकि अब उन्हें अनुमति लेने में कोई बाधा नहीं आएगी।

वाराणसी के सम्पूर्णानंद स्पोर्ट्स स्टेडियम का संचालन अब साई कोयोगी कैबिनेट ने वाराणसी में निर्माणाधीन डॉ. सम्पूर्णानंद स्पोर्ट्स स्टेडियम, सिगरा के संचालन, प्रबंधन और रखरखाव तथा राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना के लिए ‘भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के साथ हुए एमओयू को मंजूरी दे दी है। यह वही स्टेडियम है, जहां ‘खेलो इंडिया’ योजना के तहत आधुनिक स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया गया है। एमओयू के तहत स्टेडियम परिसर में मौजूद खेल सुविधाओं; जैसे, भवन, ढांचे, मैदान और अन्य अवसंरचनाओं को साई को सौंपा जाएगा, ताकि यहां नेशनल सेंटर ऑfफ एक्सीलेंस की स्थापना और संचालन सुचारु रूप से हो सके।

वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र बनने के बाद प्रदेश के उभरते खिलाड़ियों को बड़ा मंच मिलेगा। विभिन्न आयु वर्गों और खेल विधाओं के प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की पहचान की जाएगी और उन्हें राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए उच्च स्तरीय प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाएगा। इससे न सिर्फ उत्तर प्रदेश की खेल प्रतिभा को मजबूत प्रोत्साहन मिलेगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राज्य का प्रतिनिधित्व भी और सशक्त होगा। सरकार का मानना है कि इस पहल से खिलाड़ियों के सामने भविष्य में रोजगार और खेल करियर दोनों की संभावनाएं बढ़ेंगी, साथ ही वाराणसी देश के प्रमुख खेल केंद्रों में से एक के रूप में उभरकर सामने आएगा।
पूर्व सैनिक की बेटी ने किया गाँव का नाम रौशन

सैनिक कॉलोनी के भारतीय थल सेना के पूर्व सूबेदार कारगिल युद्ध विजेता बी के पाण्डेय(निराला जी)की बेटी ने रचा इतिहास—ABV-IIITM ग्वालियर की एकमात्र AR (Legal)पद पर निहारिका का चयन

संजय द्विवेदी प्रयागराज।भारतीय थल सेना के पूर्व सुबेदार कारगिल युद्ध विजेता बी के पाण्डेय(निराला जी)की बेटी निहारिका का हुआ चयन। निहारिका ने एक छोटे गाँव बुधुआं के साधारण परिवार मे पली-बढ़ी निहारिका ने संघर्ष मेहनत और निरंतर प्रयास के दम पर वह उपलब्धि हासिल की है जो कई युवाओ का सपना होती है।उनका चयन देश के प्रतिष्ठित अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी एवं प्रबन्धन संस्थान ग्वालियर(ABV-IIITM Gwalior)में असिस्टेंट रजिस्ट्रार (लीगल) पद पर हुआ है। उल्लेखनीय है कि

इस पद के लिए पूरे भारत में केवल एक ही रिक्ति थी!

निहारिका की शिक्षा यात्रा हमेशा उत्कृष्ट रही है।उन्होने Dr. Ram Manohar Lohiya National Law University (RMLNLU), Lucknow से BA LLB (Hons.)वर्ष 2020 में पूरा किया।इसके बाद उन्होंने उच्च शिक्षा की दिशा में आगे बढ़ते हुए वर्ष 2021में देश के प्रतिष्ठित Tata Institute of Social Sciences (TISS), Mumbai से LL.M की डिग्री प्राप्त की।उच्च शिक्षा के बाद निहारिका को राष्ट्रीय स्तर पर भी उनकी शैक्षणिक प्रतिभा के लिए सम्मान मिला।उन्हें मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार (MHRD, GoI) की ओर से Merit Certificate प्रदान किया गया।साथ ही निहारिका गोल्ड मेडलिस्ट भी हैं, जो उनकी उत्कृष्ट शैक्षणिक उपलब्धियों का प्रमाण है।फरवरी 2022 से निहारिका Delhi Skill and Entrepreneurship University (DSEU),Delhi Government University में Training and Placement Officer (Grade A)के रूप में कार्यरत है।इस भूमिका में उन्होंने विद्यार्थियो के लिए इंडस्ट्री कनेक्ट प्लेसमेंट के अवसर प्री-प्लेसमेंट ट्रेनिंग और कौशल विकास कार्यक्रमो में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।प्रशासनिक जिम्मेदारियो और चुनौतियो के बावजूद निहारिका ने अपनी तैयारी और लक्ष्य को कभी नही छोड़ा।उनकी मेहनत ने अंततः उन्हें राष्ट्रीय महत्व के संस्थान ABV-IIITM में Assistant Registrar (Legal) के सम्मानित पद तक पहुँचाया। निहारिका का कहना है“मेरी यह यात्रा आसान नही थी लेकिन मैंने कभी उम्मीद नहीं छोड़ी।मैं चाहती हूँ कि छोटे शहरों और सीमित संसाधनो से आने वाली लड़कियाँ जाने कि मेहनत और लगातार प्रयास से कोई भी मंज़िल पाई जा सकती है।उनकी उपलब्धि न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे बुधुआँ गाँव एवम क्षेत्र के लिए गर्व का विषय है।निहारिका की कहानी उन सभी युवाओ के लिए प्रेरणा स्रोत है जो कठिन परिस्थितियो में भी बड़े सपने देखते है।निहारिका बुधुआँ गाँव के स्व० पंडित रामस्वरूप पाण्डेय की परपोती स्व0बबन पाण्डेय उर्फ जनता बाबा की पोती है!इनकी इस उपलब्धि पर उनके दादा ददन पाण्डेय बहुत खुश है।इनके पिता भारतीय थल सेना के पूर्व सूबेदार(कारगिल युद्ध विजेता)बी के पाण्डेय(निराला जी)इसे अपने गाँव के लिये सम्मान की बात मानते हैं! निहारिका का कहना है कि वे अपने गाँव के सभी लड़कियो को निशुल्क भाव से उनके उज्जवल भविष्य के लिये सहयोग करती रहेगी ताकि गाँव की और भी लड़कियो को सरकारी या गैर सरकारी विभाग मे अपनी सेवा प्रदान करने का अवसर मिलता रहे निहारिका के छोटे भाई ने भी सेना मे अधिकारी बन कर पहले ही अपने गाँव का नाम रौशन किया है!पद पर चयन के बाद गाँव के बधाई देने मे प्रमुख लोग शामिल रहे.पंडित ददन पाण्डेय आशुतोष तिवारी उर्फ छोटन बाबा राम अवध राम संजय सिंह यादव लोकगायक देवलाल अवधेश साह अजीत कुमार महतो एवम समस्त बुधुआँ गाँववासी इस बात को अपने गाँव के लिए गर्व की बात मानते है।वही लोगो ने निहारिका को शुभकामनाएं एवं बधाई दी।

हुनर से स्वावलंबन की राह: ऐधना फाउंडेशन की अनूठी पहल पाँचवें वर्ष में
ऐधना फाउंडेशन द्वारा महिलाओं के सशक्तिकरण हेतु विगत चार वर्ष पाँच माह से पटना के राजेंद्र नगर रोड नंबर 10 पर संचालित निःशुल्क सिलाई, कढ़ाई और ब्यूटीशियन प्रशिक्षण कार्यक्रम सफलतापूर्वक अपने पाँचवें वर्ष में प्रवेश कर गया है। इस महत्वाकांक्षी पहल का प्राथमिक उद्देश्य स्थानीय और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर सृजित करना, उनकी पारिवारिक आय में वृद्धि सुनिश्चित करना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है। फाउंडेशन कौशल विकास के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में निरंतर प्रयासरत है, जिसके तहत उन्हें मुफ्त प्रशिक्षण, आवश्यक उपकरण और अनुदान भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। केंद्र में सिलाई और कढ़ाई के अलावा ब्यूटीशियन, आर्ट एंड क्राफ्ट, टीकूली आर्ट, फिनिशिंग, सांस्कृतिक कार्यक्रम तथा छोटे उद्यम संचालन का व्यापक प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। ऐधना फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष, प्रेम कुमार ने इस अवसर पर पहल के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि उनका लक्ष्य केवल तकनीकी ज्ञान देना नहीं, बल्कि महिलाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना है। प्रशिक्षण के अंतिम चरण में, प्रतिभागियों को व्यवसाय योजना निर्माण, लागत प्रबंधन, बाजार की मांग का विश्लेषण और ग्राहकों से जुड़ने की तकनीकों की विस्तृत जानकारी दी जाती है, जिससे वे प्रशिक्षण पूर्ण करने के उपरांत स्वयं का व्यवसाय स्थापित करने में सक्षम बन सकें। प्रशिक्षण में शामिल प्रतिभागियों ने इस पहल को अपने जीवन में एक बड़ा सकारात्मक बदलाव लाने वाला बताया है; कई महिलाएं, जो पूर्व में केवल घरेलू कार्यों तक सीमित थीं, अब सिलाई के माध्यम से घर से ही आय अर्जित करने की दिशा में अग्रसर हैं, और कुछ ने तो अपना छोटा बुटीक शुरू करने की योजना भी बना ली है। केंद्र प्रबंधन के अनुसार, प्रशिक्षण सफलतापूर्वक पूरा करने वाली सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा, जो उन्हें भविष्य में नौकरी या स्वरोजगार के अधिक अवसर प्राप्त करने में सहायक होगा। यह निःशुल्क सिलाई प्रशिक्षण महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के साथ-साथ उन्हें समाज में आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने का अवसर प्रदान कर रहा है। कार्यक्रम के लिए पंजीकरण प्रक्रिया अभी भी जारी है, और इच्छुक महिलाएं सीधे ऐधना फाउंडेशन में पहुंचकर नामांकन करा सकती हैं।
दिल्‍ली ब्‍लास्‍ट: आतंकी डॉ. शाहीन की अल-फलाह यूनिवर्सिटी में अलमारी, जहां से मिले 18 लाख कैश

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दिल्ली में हुए ब्लास्ट केस की जांच में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को एक के बाद एक बड़े खुलासे हाथ लग रहे हैं। एनआईए ने अब दिल्ली में लाल किला के पास हुए कार ब्लास्ट मामले में मुख्य आरोपी और जैश-ए-मोहम्मद की कथित महिला कमांडर डॉ. शाहीन के ठिकाने से 18 लाख रुपये नकद बरामद किए हैं। माना जा रहा है कि बकामद की गई इतनी बड़ी रकम आतंकी फंडिंग का हिस्सा हो सकता है।

देश की राजधानी दिल्‍ली के ऐतिहासिक लाल किला के पास हुए कार ब्‍लास्‍ट के जांच की जिम्मेदारी नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) को सौंपी गई है। एनआईए की टीम कार ब्‍लास्‍ट की आरोपी डॉ. शाहीन शाहिद को लेकर मौका मुआयना करने के लिए फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी ले गई थी। शाहीन यूनिवर्सिटी के हॉस्‍टल के जिस रूम नंबर-22 में रहती थी, उसकी छानबीन गई। इस दौरान आलमारी से 18 लाख रुपये नकद मिले।

शाहीन के पास कहां से आई इतनी बड़ी रकम?

जांच एजेंसी अब यह पता लगाने में जुटी है कि आखिर इतनी बड़ी राशि शाहीन के पास कहां से आई? सूत्रों के मुताबिक यह पैसा आतंकी फंडिंग का हिस्सा हो सकता है। अलमारी में मिले इन भारी भरकम अंदेशा है कि इन पैसों का इस्‍तेमाल टेरर मॉड्यूल की गतिविधियों को फंड करने में किया जाना था। यह पैसा विश्वविद्यालय के भीतर से संचालित हो रहे ‘सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल’ को वित्तपोषित करने के लिए रखा गया होगा।

डॉक्टर मुजम्मिल अहमद ने खोले राज

यह कार्रवाई आतंक मॉड्यूल से जुड़े डॉक्टर मुजम्मिल अहमद गनई को फरीदाबाद लाकर पूछताछ के एक दिन बाद हुई। डॉक्टर मुजम्मिल ने पूछताछ में उन दो दुकानों की पहचान की जहां से उसने अमोनियम नाइट्रेट खरीदा था। जांच में पता चला है कि मुजम्मिल ने यूनिवर्सिटी से कुछ किलोमीटर दूर दो अलग-अलग कमरों में करीब 2,900 किलो अमोनियम नाइट्रेट जमा कर रखा था। इसके अलावा उसने इस विस्फोटक सामग्री का एक बड़ा हिस्सा पास के गांव के खेतों में छुपाया था, जिसे बाद में वह फतेहपुर टैगा में किराये पर लिए एक मौलवी के घर में ले गया। एनआईए को आशंका है कि अभी और भी विस्फोटक सामग्री छुपाई गई हो सकती है, जिसके लिए तलाशी अभियान जारी है।

शाहीन ने जांच एजेंसियों के सामने किया बड़ा खुलासा

इधर, आतंकी डॉक्टर शाहीन ने जांच एजेंसियों को बताया कि वह आतंकी मॉड्यूल में डॉक्टर मुजम्मिल के कहने पर शामिल हुई थी और वही करती थी जो मुजम्मिल उसे निर्देश देता था। इसके अलावा, एजेंसियों को डॉक्टर अबू उकाशाह नाम के हैंडलर का टेलीग्राम अकाउंट भी मिला है। इसी अकाउंट के माध्यम से डॉक्टर मुजफ्फर, डॉक्टर उमर और डॉक्टर आदिल साल 2022 में तुर्किए गए थे।

एंटीबायोटिक्स का मकड़जाल

प्रदीप श्रीवास्तव

किसी भी बीमारी के लिए, एंटीबायोटिक्स यानी रोग प्रतिरोधी दवाएँ बहुत कारगर मानी जाती है, शायद यही वजह है कि बाज़ार में सबसे ज़्यादा एंटीबायोटिक दवाएँ बिकती हैं। हालाँकि, इनके अंधाधुंध प्रयोग से हमारे देश में “सुपरबग्स” जैसी खतरनाक स्थिति पैदा हो गई है, जहाँ दवाएँ बेअसर हो जाती हैं और सामान्य बीमारी भी जल्दी ठीक नहीं होती है और उनके इलाज पर बहुत ज़्यादा खर्च करना पड़ता है। चिंता की बात यह है कि पोल्ट्री और डेयरी फार्मिंग में भी एंटीबायोटिक्स का अत्यधिक प्रयोग किया जा रहा है। नतीजतन, अगर हम खुद एंटीबायोटिक्स कम लें तो भी यह समस्या दूसरे रूप में हमें घेरे ही रहेगी। इसलिए सरकार ने एंटीबायोटिक्स के प्रयोग को लेकर गाइडलाइन जारी की है, जिसमें इनके इस्तेमाल को लेकर कई तरह के दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। 

सन 1928 में लंदन के सेंट मैरी हॉस्पिटल मेडिकल स्कूल में कार्यरत स्कॉटलैंड के वैज्ञानिक अलेक्ज़ेंडर फ़्लेमिंग ने जीवाणुओं (बैक्टीरिया) पर शोध करते हुए एंटीबायोटिक पेनिसिलिन की खोज की। दूसरे विश्वयुद्ध में जब लाखों घायल सैनिक संक्रमण से मर रहे थे, तब पेनिसिलिन एक वरदान साबित हुई। इससे अनगिनत सैनिकों की जान बचाई गई। पेनिसिलिन ने चिकित्सा विज्ञान की दिशा बदल दी और इसे आधुनिक एंटीबायोटिक युग की शुरुआत माना जाता है। 

हालाँकि, 1945 के बाद से ही फ़्लेमिंग ने खुद चेतावनी दी कि “एंटीबायोटिक के बहुत ज़्यादा प्रयोग से प्रतिरोध पैदा होगा”। और यही हुआ, एंटीबायोटिक का अंधाधुंध प्रयोग शुरू हो गया, जिससे बीमारी एक बार ठीक होने बाद, दोबारा होने पर उससे कई तरह की परेशानियाँ शुरू होने लगी। 

अब यह समस्या और बड़ी बनने लगी है, क्योंकि भारत जैसे देशों में बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीबायोटिक लेना, अधूरा कोर्स करना और छोटी-मोटी बीमारी में भी इस्तेमाल करना आम बात है। ज़्यादा एंटीबायोटिक के प्रयोग से हमारे शरीर के बैक्टीरिया, दवाइयों के प्रति प्रतिरोधक विकसित कर लेते है इसे एंटीमाइक्रोबियल रेज़िस्टेंस कहा जाता है और यह स्थिति “सुपरबग्स” के रूप में उभरकर सामने आती है, यानी ऐसी स्थिति जिसमें ताकतवर जीवाणु, दवाओं से नहीं मरते और उन पर साधारण एंटीबायोटिक काम नहीं करती। ऐसे में न सिर्फ, मरीजों पर दवाओँ का खर्च बढ़ता जाता है, बल्कि भविष्य में वह कई बीमारियों को न्योता देता है और सामान्य संक्रमण यानी खाँसी, बुखार, घाव का इन्फेक्शन होने पर इसका इलाज भी मुश्किल हो जाता है। 

पहले जिन बीमारियों का इलाज ₹100 की दवा से हो जाता था, उनके लिए अब लाखों रुपये की नई और महँगी दवाएँ या इंजेक्शन लगते हैं। क्योंकि वह छोटी या सामान्य बीमारी पर दवाएँ बेअसर होती है, उन्हें ठीक करने के लिए कई तरह की जाँचें करानी पड़ती है और नए किस्म की दवाएँ देनी पड़ती है और मरीज को अस्पताल में ज़्यादा दिन भर्ती रहना पड़ता है। 

बार-बार एंटीबायोटिक लेने से डायरिया, एलर्जी, त्वचा पर दाने जैसी समस्याएँ भी आने लगती हैं और लंबे समय में किडनी, लीवर और पेट पर असर पड़ता है। सबसे बड़ी बात है कि एंटीबायोटिक हानिकारक बैक्टीरिया के साथ-साथ अच्छे बैक्टीरिया को भी मार देते हैं। इससे खराब पाचन, इम्युनिटी कमज़ोर और बार-बार संक्रमण की समस्या हो सकती है। 

भारत पहले से ही एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस का हॉटस्पॉट बन चुका है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद की रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर साल लगभग 7 लाख लोग एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस से जुड़ी बीमारियों से प्रभावित होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि अगर इस समस्या पर रोक नहीं लगी तो 2050 तक भारत समेत विश्व में एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस के कारण 1 करोड़ मौतें प्रति वर्ष हो सकती हैं। 

भारत में एंटीबायोटिक्स का बाज़ार बहुत बड़ा है, क्योंकि यहाँ संक्रमण संबंधी बीमारियाँ आम हैं। 2023 में भारत में एंटीबायोटिक्स का बाज़ार करीब 49,000 करोड़ रूपये का था। अनुमान है कि 2024–2030 के बीच यह बाज़ार लगभग 6–7% चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ेगा और 2030 तक यह बाज़ार 83,000 करोड़ रूपये तक पहुँच सकता है। मालूम हो कि भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा एंटीबायोटिक उत्पादक देश है। यहाँ बनने वाले जेनेरिक एंटीबायोटिक्स का एक बड़ा हिस्सा अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका को निर्यात होता है। भारतीय फ़ार्मा कंपनियाँ दुनिया भर के 20% से अधिक जेनेरिक दवाओं की आपूर्ति करती हैं। 

द लैंसेट की 2022 रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रति व्यक्ति एंटीबायोटिक खपत दुनिया में सबसे अधिक है। अनुमान है कि हर साल भारत में लगभग 1,300 करोड़ से अधिक की खुराक एंटीबायोटिक की ली जाती हैं। इसमें से भी ग्रामीण और छोटे शहरों व कस्बों में एंटीबायोटिक का उपयोग बड़े शहरों की अपेक्षा बहुत अधिक होता है। भारत सरकार ने शेड्यूल एच1 लागू किया है, जिसके तहत कई एंटीबायोटिक दवाएँ केवल पर्चे पर ही मिल सकती हैं। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद और विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से एंटीबायोटिक स्टीवर्डशिप प्रोग्राम को लागू किया जा रहा है ताकि दुरुपयोग कम हो, फिर भी समस्या जस की तस है। 

2025 में भारत की जनसंख्या लगभग 1.40 अरब है, यानी भारत दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश है। देश में करीब लगभग 93 करोड़ आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है, जबकि शहरों में लगभग 50 करोड़ लोग निवास करते हैं। 

वहीं, सर्दी-खाँसी-जुकाम, बुखार, डायरिया जैसी बीमारियाँ से हर साल भारत में करीब 30–35 करोड़ से अधिक लोग प्रभावित होते हैं और लगभग 6.2 करोड़ डायबिटीज और 7.7 करोड़ हृदय रोग से पीड़ित हैं। 2024 तक हमारे देश में कुल पंजीकृत डॉक्टरों की संख्या लगभग 13 लाख हैं, इनमें से 10.4 लाख एलोपैथिक डॉक्टर और 4.5 लाख आयुष डाक्टर (आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी आदि) हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के अनुसार 1,000 की जनसंख्या पर कम से कम 1 डॉक्टर होना चाहिए। जबकि भारत में 1,000 की आबादी पर मात्र 0.7 डॉक्टर उपलब्ध हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में यह अनुपात और भी कम है और कई राज्यों में 1000 की आबादी पर मात्र 0.2 डाक्टर हैं। 

भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी, 2023 की रिपोर्ट की माने तो देश में 1.55 लाख सब-सेंटर, 25,000 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 5,600 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। इनमें से लगभग 65–70% स्वास्थ्य केंद्र ग्रामीण इलाकों में स्थित हैं। 

भले ही देश में करीब एक लाख से ज़्यादा स्वास्थ्य केंद्र ग्रामीण इलाकों में हों, लेकिन अभी भी यहाँ डाक्टरों और स्वास्थ्य केंद्रों की भारी कमी है। देश में साधारण बीमारियों से हर साल करीब 30 करोड़ लोग प्रभावित हैं, जिनका इलाज कुछ लाख डाक्टरों या स्वास्थ्य केंद्रों के भरोसे संभव नहीं है। 

हालाँकि, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद और स्वास्थ्य मंत्रालय ने एंटीबायोटिक उपयोग पर नियंत्रण के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। इसमें ज़ोर दिया गया है कि एंटीबायोटिक केवल बैक्टीरियल संक्रमण में ही दी जाए और साधारण सर्दी-जुकाम या फ्लू में नहीं। डॉक्टर की पर्ची अनिवार्य होगी और अस्पतालों को एंटीबायोटिक स्टीवर्डशिप प्रोग्राम अपनाना होगा। साथ ही, दवा की अवधि को कम से कम रखने और मरीजों को पूरी जानकारी देने पर ज़ोर दिया गया है। 

मालूम हो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एंटीबायोटिक को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया है, पहला एक्सेस यानी वे एंटीबायोटिक जो सामान्य संक्रमण के लिए सुरक्षित हैं और इनका कोई ज़्यादा साइड इफ़ेक्ट नहीं है। दूसरी श्रेणी है वॉच की, इनका उपयोग सीमित परिस्थितियों में ही किया जाना चाहिए और इनके लिए निगरानी ज़रूरी है। तीसरी श्रेणी है रिज़र्व की, ये अंतिम विकल्प की दवाइयाँ हैं, जिन्हें केवल जीवन-रक्षक स्थिति में ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए। भारत भी इसी गाइडलाइन का पालन करता है और डॉक्टरों को सलाह भी दी गई है कि वे केवल ज़रूरत पड़ने पर ही एंटीबायोटिक लिखें और मरीजों को पूरी जानकारी दें। 

एंटीबायोटिक की समस्या इसलिए भी बड़ी होती जा रही है क्योंकि इंसानों के साथ ही कृषि और पशुपालन क्षेत्र में भी एंटीबायोटिक का अंधाधुंध उपयोग होना शुरू हो चुका है, खासतौर पर मुर्गीपालन और डेयरी फार्मिंग में। 

खाद्य और कृषि संगठन (संयुक्त राष्ट्र), भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण और विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में कुल एंटीबायोटिक खपत का 50% से अधिक हिस्सा पशुपालन में होता है। पोल्ट्री सेक्टर (मुर्गीपालन) का अनुमान है कि भारत में हर साल लगभग 70–75% मुर्गीपालकों द्वारा चारे में एंटीबायोटिक का प्रयोग किया जाता है। 

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण की एक रिपोर्ट में बताया गया कि बाजार में बिकने वाले 40% से अधिक चिकन में एंटीबायोटिक रेज़िड्यू पाए गए। डेयरी फार्मिंग डेयरी सेक्टर में, दूध देने वाली गायों और भैंसों में संक्रमण रोकने और दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए एंटीबायोटिक का बार-बार प्रयोग किया जाता है। 2022 के एक सर्वे में पाया गया कि 10–12% दूध के सैंपल्स में एंटीबायोटिक अवशेष मौजूद थे। 

ईयू और अमेरिका जैसे देशों ने एंटीबायोटिक-युक्त मीट और डेयरी उत्पादों के आयात पर कड़ी पाबंदी लगा रखी है। 2017 में ईयू ने भारत से निर्यात किए गए 26% पोल्ट्री उत्पादों को अस्वीकार कर दिया था, क्योंकि उनमें एंटीबायोटिक अवशेष पाए गए। एंटीबायोटिक्स को ग्रोथ प्रमोटर के रूप में प्रयोग करने पर रोक लगा दी गई है। पशुपालन में केवल चिकित्सकीय ज़रूरत पर ही डॉक्टर या वैटरनरी प्रिस्क्रिप्शन से उपयोग की सिफ़ारिश है। 

एंटीबायोटिक न सिर्फ जनस्वास्थ्य के लिए ख़तरनाक है, बल्कि निर्यात और खाद्य सुरक्षा पर भी सीधा असर डालता है। नई गाइडलाइन का उद्देश्य एंटीबायोटिक का विवेकपूर्ण उपयोग सुनिश्चित करना और भविष्य में गंभीर संक्रमणों के इलाज के लिए उनकी प्रभावशीलता बनाए रखना है। यदि मरीज, डॉक्टर, अस्पताल और किसान सभी मिलकर इन नियमों का पालन करें, तो “सुपरबग्स” की समस्या पर काबू पाया जा सकता है। इसके लिए व्यापक जनजागरूकता, सख्त नियम और सतत निगरानी बेहद आवश्यक है। 

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं )

प्रयागराज की छात्रा को मिली ब्रिटैन की प्रतिष्ठित स्यूरेस स्कॉलरशिप के तहत पीएचडी में हुआ चयन।

संजय द्विवेदी प्रयागराज।इलाहाबाद विश्वविद्यालय की छात्रा रह चुकी फाफामऊ इलाहाबाद निवासी उर्वशी यादव का चयन ब्रिटेन की प्रतिष्ठित स्वानसी यूनिवर्सिटी में पीएचडी के लिए हुआ है।वह ऊर्जा एवं नवाचार के क्षेत्र में"फ्लोराइड आयन बैटरियो हेतु पॉलिमर इलेक्ट्रोड के विकास"नामक विषय पर केमिकल इंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसर अंजी मुनान्गी रेड्डी एवं प्रोफेसर शिरीन एलेक्सेंडर के मार्गदर्शन में शोध करेगी। इस फ़ेलोशिप के तहत उर्वशी को 4 वर्षो के लिए अनुदान प्राप्त होगा और उनका शोध 30 सितंबर 2029 तक चलेगा।

उर्वशी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के विज्ञान संकाय से 2022 में स्नातक (गणित) एवं 2024में परास्नातक भौतिकी विभाग से किया हैं। वह इलाहाबाद विश्वविद्यालय में स्नातक एवं परास्नातक दोनों की गोल्ड मेडलिस्ट रही हैं। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में परास्नातक के अध्ययन के दौरान वह महिला छत्रावास के हाल ऑफ़ रेजीडेन्सी हॉस्टल में रहकर पढ़ाई की।परास्नातक के बाद उन्होंने कुछ दिनों तक आईआईटी रुड़की के भौतिकी विभाग में भी शोध कार्य किया।इस अवसर पर भौतिकी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर के एन उत्तम ने प्रसन्नता जाहिर की साथ में विभाग के प्रोफेसर फूल सिंह यादव प्रो.राम मनोहर प्रोफेसर विवेक तिवारी प्रो.अशील कुमार प्रो.कमलेश प्रो.ठाकुर प्रसाद प्रो.राजन वालिया प्रो.तारकेश्वर त्रिवेदी प्रो.कमलेश प्रोफेसर सरिता ने बधाई दी।

प्रो.के एन उत्तम के अनुसार उर्वशी ने परास्नातक का डेज़र्टेशन उनके मार्गदर्शन में किया था और वह बहुत ही होनहार छात्रा है।इसके अलावा उर्वशी के गावं में हर्ष का माहौल है।उर्वशी के पिता रतन सिंह यादव थल सेना से रिटायर हैं जबकि माता उमेश देवी एक कुशल गृहणी है।इन्होने इस सफलता का श्रेय उर्वशी के कठिन परिश्रम और विज्ञान के प्रति लगन को दिया है।

From Indian Air Force Aspirant to Global Startup Recognition: The Inspiring Journey of Rajasthan’s Young Entrepreneur Mr. Sunil Saharan

Today we are talking about a determined entrepreneur who once absented himself from a stable Indian Air Force job to chase his startup dream. After facing a tough failure in his first venture, his new tech startup has now earned a place in the prestigious Y Combinator Accelerator Program — one of the world’s top startup programs.

A Dream Beyond Uniforms: The Beginning Sunil Saharan, a young man from Hanumangarh, Rajasthan, began his professional life serving in the Indian Air Force in 2019. To many, a government service job like this is a dream of stability and pride. But Sunil Saharan carried a different kind of dream — a dream to create something meaningful for India’s tech future.

In 2022, driven by passion and urgency, Sunil took one of the boldest decisions of his life. He absented himself from his secure Air Force service to start his entrepreneurial journey. With little knowledge of what lay ahead, he founded his first Ed-Tech startup UPTOP, only to witness a harsh failure.

Crushed but Unshaken: The Struggle Phase Sunil Saharan was doing well in his career, but his desire to build something of value was stronger than a safe life. The journey he chose, however, was not easy. He worked tirelessly — 16 to 18 hours a day, seven days a week, yet nothing seemed to move in his favor.

Investors showed no interest in his Ed-Tech model, revenues dried up, and eventually he had to shut down all operations. It was a mentally, financially, and emotionally draining phase — a moment where most would quit.

But Sunil didn’t.

The Soldier Attitude: Rising Again With the spirit of a soldier who refuses to leave the battlefield, Sunil returned with a fresh mindset. He started building a new tech startup, again pouring in 16 to 18 hours every single day for an entire year without worrying about setbacks or opinions.

Slowly, results started to show. The company began securing strong corporate clients and generating traction. After three long years of struggle, sacrifice, and persistence, the breakthrough finally arrived — the startup was selected for the Y Combinator Accelerator Program, one of the most competitive and globally respected platforms for startups.

Being selected out of thousands of Indian startups is a massive milestone for any founder. For a 27-year-old from a small town in Rajasthan, this is nothing less than extraordinary.

What is Y Combinator? Y Combinator (YC) is a leading American startup accelerator and venture capital organization. Since inception, YC has helped launch over 5,000 companies, including globally recognized giants like Airbnb, Coinbase, Reddit, Instacart, Stripe, Twitch, Scale AI, Dropbox, and DoorDash.

YC offers seed funding, direct mentorship from industry leaders, and access to a highly influential global network of founders, investors, and partners. Joining YC is considered one of the greatest opportunities a young startup can achieve.

Future Vision: Empowering India’s Businesses with Tech Sunil envisions building technological solutions for India’s booming MSME sector. His mission is to bring smart tech and AI automation to millions of small and medium enterprises, helping them improve efficiency, reduce operational load, and grow faster using automation.

In simple words, he aims to democratize technology so that Indian businesses, no matter how small, can scale like global companies.

A Story of Courage, Failure & Comeback Sunil Saharan’s journey is more than a startup success story — it is a reminder that real entrepreneurship demands courage, sacrifice, and an unbreakable spirit. He walked away from a secure career, faced failure head-on, stood tall through loneliness, and rebuilt himself from scratch.

Today, his story stands as an inspiration to every young Indian who dares to dream beyond the ordinary.

हजारीबाग के क्रिकेट इतिहास का स्वर्णिम अध्याय शुरू, संजय सिंह क्रिकेट स्टेडियम को मिली बीसीसीआई टूर्नामेंट की मेजबानी

हजारीबाग शहर के संजय सिंह क्रिकेट स्टेडियम पूर्व के वेल्स ग्राउंड का साल 2017 से पूर्व बेहद दयनीय स्थिति था। साल 2017 से पहले इस मैदान में क्रिकेट की सुविधा नगण्य थी लेकिन साल 2017 में हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र के सांसद और उस वक्त के सदर विधायक सह हजारीबाग जिला क्रिकेट संघ ( एचडीसीए) के अध्यक्ष मनीष जायसवाल ने अपने पूरे हजारीबाग जिला क्रिकेट संघ के जमात के साथ मिलकर इस क्रिकेट ग्राउंड के व्यापक बदलाव का संकल्प लिया और फ़िर हजारीबाग के क्रिकेट खिलाड़ियों को हर संभव जरूरत के मुताबिक आधारभूत संरचना के साथ साधन संसाधन उपलब्ध कराने के दिशा में उनका सकारात्मक प्रयास शुरू हुआ। साल 2017 में अपने विधायक निधि की राशि 25 लाख देकर इस मैदान के आधारभूत विकास का कार्य शुरू करते हुए मैदान के उन्नयन की नींव रखी। तत्पश्चात सांसद मनीष जायसवाल के प्रयास से पूरे मैदान परिसर में विशेषकर एंट्री क्षेत्र को आकर्षक और खेल योग्य बनाने हेतु गुणवत्त सिलेक्शन वन किस्म के घास को प्लांट किया गया। मैदान में प्रोफेशनल स्तर का टर्फ विकेट तैयार किया गया और बरमूडा घास बिछाई गई जो बेहद टिकाऊ तेज रिकवरी और अच्छी बाउंस प्रदान करती है। फिलवक्त इस मैदान में कुल 5 टर्फ विकेट और 3 प्रैक्टिस पिच मौजूद है। मैदान के प्लेयिंग एरिया सेंटर का विकेट में वृद्धि किया गया। मैदान के चारोंओर सुरक्षा एवं प्रवेश नियंत्रण के लिए लोहे की मजबूत जाली से फेंसिंग किया गया। मैदान मैं प्लेयर अधिकारियों और दर्शकों के लिए आधुनिक पवेलियन और दो दर्शक गैलरी का निर्माण राज्य सरकार द्वारा प्रदत्त राशि करीब 01 करोड़ 10 लाख रुपए की लागत से कराया गया। मैदान में नाइट टूर्नामेंट फैसिलिटी के लिए राज्य सरकार से प्रयास करके करीब 01 करोड़ 53 लाख रुपए की राशि से उच्च गुणवत्ता वाली 04 फ्लड लाइट अधिष्ठापिता कराया गया। मैदान परिसर में 07 स्वच्छ बाथरूम, स्टोर रूम, पूरे पवेलियन के ड्रेसिंग रूम, ऑफिस रूम सहित अन्य कमरों का फर्निशिंग कराया गया। मैच के दौरान खिलाड़ियों के लिए डगआउट बनाए गए। बल्लेबाजों की दृश्यता सुधारने के लिए उच्च गुणवत्ता वाली साइड स्क्रीन लगाई गई। यह मैदान जो उजड़ा चमन हुआ करता था आज यहां चमन-ए- बहार है और क्रिकेट के दृष्टिकोण से यह मैदान बीसीसीआई के मानकों के अनुरूप उन्नत एवं सूटेबल है। उक्त बातें हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र के सांसद मनीष जायसवाल ने वेल्स क्रिकेट मैदान में एक प्रेस-वार्ता के दौरान कही।

सांसद मनीष जायसवाल ने बताया कि सकारात्मक दिशा में किया गया हर प्रयास सफल जरूर होता है और जब सफल होता है तो आंतरिक खुशी होती है। उन्होंने बताया कि साल 2017 से पूर्व इस मैदान में क्रिकेट तो खेला जाता था लेकिन कामचलाउ क्रिकेट होता था। इस मैदान में 25 % घास और 75 % हिस्से में मोरम या कंक्रीट हुआ करता था। मैदान ऊबड़-खाबड़ था इस वजह से पुराने समय के खिलाड़ी जो यहां खेलते थे उनके बदन पर खरोच और छिलने के निशान हमेशा दिखाई देते थे। 

लेकिन पिछले साल 2017 से जिस मैदान के कायाकल्प की शुरुआत की उसे साल 2025 में तब मुकाम मिला जब बीते 17 जुलाई 2025 को बीसीसीआई के अधिकारियों की एक टीम ने संजय सिंह क्रिकेट स्टेडियम का निरीक्षण कर जायजा लिया और इस स्टेडियम को बीसीसीआई के मैच के लिए सक्षम बताया। हजारीबाग के क्रिकेट प्रेमियों के लिए जब यह अनाउंस हुआ की हजारीबाग को पहली बार बीसीसीआई घरेलू कूच बेहार ट्रॉफी की मेजबानी मिली तो लोग फूले नहीं समाए। यह ऐतिहासिक मैच आगामी 8 - 11 दिसंबर 2025 के बीच संजय सिंह क्रिकेट स्टेडियम हजारीबाग में झारखंड और केरल के बीच खेला जाएगा। बतौर हजारीबाग जिला क्रिकेट संघ के अध्यक्ष सांसद मनीष जायसवाल ने बताया कि हम बीसीसीआई के आगामी होने वाले मैच को लेकर मैदान सुधार की दिशा में नए टर्फ विकेट, प्रैक्टिस विकेट, साइड स्क्रीन विस्तार, दोनों ओर वीडियो प्लेटफॉर्म, थर्ड अंपायर वीडियो विश्लेषण प्लेटफार्म का निर्माण कर रहें हैं। पवेलियन सुधार की दिशा में ड्रेसिंग रूम और वाशरूम का विस्तार, मेडिकल एवं फिजियोथेरेपी की सुविधा, खिलाड़ियों और अधिकारियों के लिए अलग रास्ते, मैच रेफरी वीडियो एनालिसिस अंपायर और स्कॉलर के लिए उपयुक्त कमरे, पूरे पवेलियन का नवीनीकरण कर रहें हैं। आवास व्यवस्था के लिए ठहराव हेतु शहर के हो होटल एक इंटरनेशनल, 02 एसी बसें और एसयूवी बहनों की सुविधा एवं मेडिकल सुविधा के लिए वृष डॉक्टर सहित मेडिकल टीम, हाई टेक एम्बुलेंस की सुविधा बना रहें हैं ।

सांसद मनीष जायसवाल ने बताया कि साल 2022-23 में संजय सिंह क्रिकेट स्टेडियम में अंडर -16 बॉयज, अंडर-19 वूमेन, अंडर -19 मेंस, रणधीर वर्मा ट्रॉफी (सीनियर डिस्ट्रिक्ट मेंस), साल 2023 -24 में अंडर-19 विमेंस, सीमा देसाई टी 20 टूर्नामेंट, अंडर-19 मेंस, अंडर -14 बॉयज, रणधीर वर्मा ट्रॉफी (सीनियर डिस्ट्रिक्ट मेंस), साल 2024-25 में सीमा देसाई टूर्नामेंट, अंडर -16 बॉयज, अंडर-14 बॉयज, अंडर-19 जोनल मेंस मैच, अंडर- 23 विमेंस स्टेट कैंप, अंडर- 23 विमेंस इंटर डिस्ट्रिक्ट टूर्नामेंट का सफल आयोजन यहां हो चुका है। इस दौरान हजारीबाग जिला क्रिकेट संघ (एचडीसीए) के खिलाड़ियों ने इस मैदान से अभ्यास करके क्रिकेट के क्षेत्र में राज्य स्तरीय कैंप में अपना बेहतर प्रदर्शन और प्रतिनिधित्व किया। जिसमें पुरुष वर्ग में अंडर- 16 स्टेट कैंप में पंकज कुमार, सौरव कुमार, अंडर- 16 स्टेट टीम में जीवन पटेल, अंडर-19 स्टेट कैंप में सचिन यादव, अश्विनी झा, अंडर-19 स्टेट टीम में अमित यादव, शिवांश, राहुल रजक ( करेंट), अंडर-23 स्टेट टीम में अमित यादव और रणजी ट्रॉफी कैंप में मणिकांत ने जगह बनाई वहीं महिला वर्ग में अंडर-15 स्टेट कैंप में आश्विका गुप्ता, अंडर- 15 स्टेट टीम में वर्षा कुमारी, नंदिनी कुमारी, ऋतिका कुमारी, अंडर- 19 स्टेट कैंप में श्रेया शाह, अंडर- 23 स्टैंडबाई में अर्चना कुमारी ने अपने प्रतिभा का प्रदर्शन कर हजारीबाग को गौरवान्वित किया। सांसद सह एचडीसीए के अध्यक्ष मनीष जायसवाल ने बताया कि एचडीसीए भविष्य में इस दिशा में प्रयासरत है कि रणजी ट्रॉफी की मेजबानी हेतु पूर्ण बीसीसीआई अनुपालन हासिल हो, अत्यधिक इंदौर प्रैक्टिस स्टेडियम का निर्माण, हाई परफॉमेंस जिम, एस्ट्रोटर्फ इनडोर पिचें, रिकवरी एवं स्किल डेवलपमेंट क्षेत्र में बेहतर करते हुए हजारीबाग के इस संजय सिंह क्रिकेट स्टेडियम को राष्ट्रीय स्तर का ख्यातिपूर्ण टूर्नामेंट बनाया जाय और हजारीबाग के होनहार क्रिकेट खिलाड़ियों को बीसीसीआई के मानक के अनुरूप आधारभूत संरचना एवं संसाधन उपलब्ध कराया जाए ताकि हजारीबाग से पुरुष और महिला वर्ग में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी निकलकर देश -दुनिया में हजारीबाग का नाम रोशन करें। सांसद मनीष जायसवाल ने यह भी बताया कि क्रिकेट जगत में हजारीबाग राष्ट्रीय मानचित्र पर जल्द ही दस्तक देने वाला है। उन्होंने बीसीसीआई के आने वाले टूर्नामेंट में बड़ी संख्या में संजय सिंह स्टेडियम पहुंचकर क्रिकेट प्रेमियों से अपील किया कि टीमों का हौसला बढ़ाएं ।

मौके पर हजारीबाग जिला क्रिकेट संघ के सचिव बंटी तिवारी सहित संघ से जुड़े विकास चौधरी, प्रमोद कुमार, अनिल अग्रवाल, सागर सरकार, जयप्रकाश जैन, रितेश सिन्हा, जयप्रकाश, आनंद देव, राकेश चोपड़ा, सुरेंद्र यादव, मनोज कुमार सिंह, सुबोध सिन्हा, मनोज अग्रवाल, डॉ. राजकिशोर, जयप्रकाश, अमित भंडारी, नीरज पासवान, अभिषेक जोशी, हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र के सांसद प्रतिनिधि सत्येंद्र नारायण सिंह, सदर विधानसभा क्षेत्र के सांसद प्रतिनिधि किशोरी राणा, पट्टू सिंह, लोकसभा क्षेत्र के सांसद मीडिया प्रतिनिधि रंजन चौधरी सहित अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहें ।