1984 के सिख विरोधी दंगे: सज्जन कुमार को आजीवन कारावास की सजा

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PTI

1984 के सिख विरोधी दंगे भारतीय इतिहास के सबसे काले अध्यायों में से एक माने जाते हैं। इन दंगों के बाद सिखों के खिलाफ हुई हिंसा और अत्याचारों को लेकर आज भी न्याय की मांग की जाती है। हाल ही में, इस मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला आया, जिसमें पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान दिल्ली के सरस्वती विहार इलाके में पिता-पुत्र की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। यह फैसला 41 साल बाद आया और सिख समुदाय के लिए एक बड़ी जीत माना गया।

सज्जन कुमार और उनका कृत्य

सज्जन कुमार पर आरोप था कि उन्होंने 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान भीड़ को उकसाया और हिंसा के लिए उन्हें प्रेरित किया। विशेष रूप से, दिल्ली के सरस्वती विहार में हुई हत्या का मामला गंभीर था, जहां शिकायतकर्ता के पति और बेटे की हत्या की गई थी। अदालत ने 12 फरवरी 2025 को कुमार को दोषी ठहराया और तिहाड़ जेल के अधिकारियों से उनके मानसिक और मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन की रिपोर्ट मांगी। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि सज्जन कुमार का कृत्य एक संगठित हिंसा का हिस्सा था और उसे इसके लिए जिम्मेदार ठहराया।

दंगे की पृष्ठभूमि

1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देशभर में सिखों के खिलाफ हिंसा भड़क उठी। इंदिरा गांधी की हत्या उनके सिख अंगरक्षकों ने की थी, जो ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान सिख आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई में शामिल थे। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद, दिल्ली और अन्य राज्यों में सिखों के खिलाफ बड़े पैमाने पर हिंसा हुई। सिखों के घरों, दुकानों और गुरुद्वारों को निशाना बनाया गया, और सैकड़ों निर्दोष सिखों की हत्या की गई।

अदालत का निर्णय

अदालत ने सज्जन कुमार को इस कृत्य में दोषी ठहराया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई। हालांकि, कुछ सिख संगठनों और नेताओं ने इस सजा को नकारात्मक रूप से देखा और अधिकतम सजा की मांग की। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) के महासचिव जगदीप सिंह कहलों ने कहा कि उन्हें मौत की सजा की उम्मीद थी। उनका मानना था कि सज्जन कुमार जैसे अपराधी को मौत की सजा दी जानी चाहिए थी। 

दंगों के बाद की स्थिति

1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान दर्ज की गई एफआईआर में से अधिकांश मामलों में आरोपियों को या तो बरी कर दिया गया या मामलों को बंद कर दिया गया। इस दौरान केवल कुछ हत्याओं में ही न्याय की प्रक्रिया पूरी हुई। सज्जन कुमार को एक अन्य मामले में भी दोषी ठहराया गया था, जिसमें उन्होंने राज नगर इलाके में भीड़ को उकसाया था। दिल्ली उच्च न्यायालय ने उन्हें इस मामले में भी आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

एचएस फुल्का की दलील और अधिकतम सजा की मांग

इस मामले में शिकायतकर्ता के वकील, एचएस फुल्का ने सज्जन कुमार के लिए अधिकतम सजा की मांग की। उन्होंने कहा कि कुमार ने हत्याओं को बढ़ावा दिया और नरसंहार का नेतृत्व किया। फुल्का ने अदालत से आग्रह किया कि ऐसे अपराधियों को सख्त सजा दी जानी चाहिए और उन्होंने कहा कि सज्जन कुमार मौत की सजा का हकदार है। 

नानावटी आयोग की रिपोर्ट

1984 के सिख विरोधी दंगों की जांच के लिए नानावटी आयोग को नियुक्त किया गया था, जिसने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि इन दंगों के कारण 2,733 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें अधिकांश सिख थे। इस आयोग ने यह भी बताया कि 240 मामलों को "अज्ञात" के आधार पर बंद कर दिया गया था, और 250 मामलों में आरोपियों को बरी कर दिया गया था। कुल मिलाकर, 28 मामलों में ही दोषियों को सजा दी गई थी, जिनमें से कुछ मामलों में सज्जन कुमार को दोषी ठहराया गया था।

1984 के सिख विरोधी दंगे भारत के इतिहास में एक अंधेरे दौर के रूप में याद किए जाते हैं। सज्जन कुमार जैसे नेताओं को उनकी भूमिका के लिए सजा मिलना न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन यह सवाल भी उठता है कि क्या उन्हें और उनके जैसे अन्य अपराधियों को अधिकतम सजा मिलनी चाहिए थी। अदालत का यह फैसला 41 साल बाद आया, और यह सिख समुदाय के लिए उम्मीद की एक किरण है कि न्याय के साथ देर से ही सही, सच का पर्दाफाश हुआ। फिर भी, जब तक सच्चाई और न्याय की पूरी प्रक्रिया पूरी नहीं होती, तब तक यह स्थिति संतोषजनक नहीं हो सकती।

सज्जन कुमार को उम्रकैद, 1984 सिख विरोधी दंगा मामले में आया कोर्ट का फैसला

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1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में सज्जन कुमार के सजा का ऐलान हो गया है। स्पेशल जज कावेरी बावेजा ने सज्जन कुमार को उम्र कैद की सजा सुनाई गई। सज्जन कुमार पहले से ही सिख विरोधी दंगों से संबंधित एक मामले में दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से 2018 में दोषी ठहराए जाने के बाद आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। इससे पहले सज्जन को 12 फरवरी को दोषी ठहराया गया था। कोर्ट ने सज्जन के खिलाफ सजा पर अपना फैसला 25 फरवरी तक के लिए सुरक्षित रख लिया था।

दिल्ली के राउज ऐवन्यू कोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े सरस्वती विहार हिंसा के मामले में दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है। उनको इससे जुड़े केस में दूसरी बार उम्रकैद की सजा हुई है। इसके पहले वे दिल्ली कैंट मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। दिल्ली पुलिस और पीडितों ने इस मामले को रेयरेस्ट ऑफ रेयर की कैटेगरी में मानते हुए सज्जन कुमार के खिलाफ फांसी की सजा की मांग की थी।

इंदिरा की हत्या के बाद भड़के थे सिख दंगे

प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की हत्या 31 अक्टूबर, 1984 को नई दिल्ली के सफदरगंज रोड स्थित उनके आवास पर सुबह 9:30 बजे की गई थी। ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद उनके अंगरक्षकों बेअंत सिंह और सतवंत सिंह ने गोली मार कर उनकी हत्या की थी। इसके बाद ही दिल्ली समेत देशभर में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे थे।

दंगों में तीन हजार से ज्यादा लोगों की मौत के अनुमान

दरअसल, स्वर्ण मंदिर पर कब्जा करने वाले आतंकी जरनैल सिंह भिंडरावाले को भारतीय सेना ने ऑपरेशन ब्लू स्टार के तहत मार गिराया था। भिंडरावाले के साथ उसके कई साथी भी मारे गए थे। इस अभियान को मंजूरी देने वाली पीएम इंदिरा गांधी ही थीं। सिखों के सबसे बड़े धर्मस्थल स्वर्ण मंदिर में हमले को लेकर कई लोगों की भावनाएं आहत हुई थीं। ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके दो सिख अंगरक्षकों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस घटना के बाद देशभर में सिख विरोधी दंगे भड़क गए थे। माना जाता है कि इन दंगों में तीन हजार से पांच हजार लोगों की मौत हो गई थी। अकेले दिल्ली में करीब दो हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे।

घटना के लगभग 41 साल बाद सजा

अब इस घटना के लगभग 41 साल बीतने के बाद सज्जन कुमार को एक और मामले में सजा हुई है। वहीं कांग्रेस के एक और नेता जगदीश टाइटलर पर भी केस चल रहे हैं। इसके अलावा कांग्रेस नेता एचकेएल भगत और कमलनाथ भी सिख दंगों से जुड़े मामलों में आरोपी रह चुके हैं।

सिख दंगों के दोषी सज्जन कुमार को इस दिन सुनाई जाएगी सजा, कोर्ट ने दो दिन के भीतर मांगा लिखित जवाब

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राऊज एवेन्यू कोर्ट दिल्ली की स्पेशल जज कावेरी बावेजा ने 1984 के सिख विरोधी दंगे से संबद्ध सरस्वती विहार के मामले में दोषी करार दिए गए पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार की सजा की अवधि पर फैसला आज सुरक्षित रख लिया है। उन्होंने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 25 फरवरी को फैसला सुनाने का आदेश दिया। सज्जन कुमार दो दिन में अपना जवाब दाखिल करेंगे। पीड़ित पक्ष के वकील एच एस फुल्का ने फांसी की सजा की मांग की है। दिल्ली पुलिस भी फांसी की सजा चाहती है।

सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता द्वारा पूर्व कांग्रेस सांसद को मौत की सजा देने का आग्रह किया। शिकायतकर्ता ने अपने वकील के माध्यम से विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा के समक्ष यह दलील दी, जिन्होंने सज्जन कुमार के खिलाफ सजा की अवधि पर फैसला 25 फरवरी तक सुरक्षित रख लिया। शिकायतकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एच एस फुल्का ने अदालत से कहा कि आरोपी भीड़ का नेता था, जिसने नरसंहार और मानवता के खिलाफ अपराध और निर्मम हत्याओं के लिए दूसरों को उकसाया। उसे मृत्युदंड की सजा दी जानी चाहिए

वहीं गुरुवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने सज्जन कुमार को मिली जमानत के खिलाफ दायर एसआईटी की याचिका का गुरुवार को निपटारा कर दिया। हाई कोर्ट ने गौर किया कि मामले में कुमार को दोषी करार दिया गया है। जस्टिस विकास महाजन ने याचिका को निरर्थक माना और इसका निपटारा कर दिया। कोर्ट ने कहा कि याचिका के लंबित रहने के दौरान कुमार को मामले में दोषी करार दिया गया और औपचारिक रूप से हिरासत में लिया गया। इसलिए यह याचिका निरर्थक हो गई है।

1984 सिख विरोधी दंगे में सरस्‍वती विहार के मामले में कांग्रेस के नेता सज्जन कुमार दोषी करार दिए गए है। यह मामला 1 नवंबर 1984 को जसवंत सिंह और उनके बेटे तरुणदीप सिंह की हत्या से जुड़ा है। दिल्ली के सरस्वती विहार में इन दोनों की हत्या कर दी गई थी। उस समय दिल्ली में सिख विरोधी दंगे भड़के हुए थे। इस मामले में दोबारा जांच हुई। जांच के बाद नए सबूत मिले। स्पेशल पीपी ने कोर्ट को इन सबूतों के बारे में बताया।

सज्जन कुमार को फांसी या उम्र कैद? 1984 सिख विरोधी दंगे पर आज आएगा फैसला

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1984 के सिख दंगों से जुड़े एक मामले में कांग्रेस के पूर्व नेता और सांसद सज्जन कुमार की सजा का ऐलान आज होगा। राउज एवेन्यू कोर्ट की स्पेशल जज कावेरी बावेजा सुनवाई करेंगी। मामला दिल्ली के सरस्वती विहार में 2 सिखों की हत्या से जुड़ा है। दंगों के दौरान सज्जन बाहरी दिल्ली सीट से सांसद थे। इससे पहले मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने सज्जन कुमार के लिए सजा-ए-मौत मांगी। पीड़ित पक्ष ने भी इसी सजा की मांग की।

कोर्ट ने 12 फरवरी को उन्हें दोषी ठहराया था। इसके बाद सजा पर बहस होनी थी। सरकारी वकील ने 18 फरवरी को लिखित दलील में फांसी की मांग की थी। वहीं, सज्जन के वकील ने दलीलें पेश करने के लिए समय मांगा था। इस पर 21 फरवरी तक सुनवाई टाल दी गई थी।

पिछली सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को लिखित जवाब दाखिल कर सज्जन कुमार को फांसी देने की सजा की मांग की थी। वहीं, पीड़ितों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एचएस फुल्का ने भी फांसी की सजा की मांग की थी। इस मामले में कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान करीब 41 साल बाद इस मामले में सज्जन कुमार को दोषी करार दिया था।

कांग्रेस नेता सज्जन कुमार पर दिल्ली दंगे की जिस केस में दोषी करार दिए गए हैं वह सरस्वती विहार से जुड़ा हुआ है। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश में सिख विरोधी दंगा भड़क उठा था। सरस्वती विहार थाने क्षेत्र में सज्जन सिंह के नेतृत्व में दंगाइयों ने 2 सिख समुदाय के लोगों को लाठी से पीट-पीट कर मार डाला था।

मीनल चौबे ने दर्ज की ऐतिहासिक जीत, दीप्ति दुबे को 153290 वोट से हराया

रायपुर- छत्तीसगढ़ के नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा ने जीत का परचम लहराया है. रायपुर में 15 साल बाद भाजपा ने कांग्रेस का किला ढहाया है. यहां बीजेपी महापौर प्रत्याशी मीनल चौबे ने 153290 वोट से कांग्रेस प्रत्याशी दीप्ति दुबे को मात दी है. महापौर चुनाव में कुल 509146 वोट पड़े थे. इसमें से भाजपा प्रत्याशी मीनल चौबे को 315835 वोट और कांग्रेस प्रत्याशी दीप्ति दुबे को 162545 वोट मिले.


जानिए, रायपुर नगर निगम का इतिहास

ब्रिटिश शासन के दौरान 17 मई 1867 को रायपुर नगर समिति बनी. इसका प्राथमिक उद्देश्य तेजी से बढ़ती शहरी बस्ती में बुनियादी नागरिक सुविधाएं सुनिश्चित करना था. इसके बाद साल 1973 में इसका स्वरूप बदला और रायपुर नगर निगम बना. उस समय रायपुर नगर निगम में कुल 40 वार्ड थे. 1980 में पहली बार हुए नगर निगम चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) के स्वरूप चंद जैन महापौर बने. इसके बाद 1981 से 82 तक कांग्रेस के एसआर मूर्ति महापौर बने. 1982 से 1983 तक फिर स्वरूपचंद जैन महापौर रहे. 1983 से 84 तक कांग्रेस के ही तरुण चटर्जी, 1984-85 तक कांग्रेस के संतोष अग्रवाल महापौर चुने गए. 1985 से लेकर 1995 तक रायपुर नगर निगम में प्रशासक बैठे थे. फिर 1995 में वार्डों की संख्या बढ़कर 60 कर दी गई . 1995-2000 तक कांग्रेस के बलबीर एस जुनेजा महापौर चुने गए. पहले नगर निगम कार्यालय जयस्तंभ के पास था. इसके बाद नया नगर निगम कार्यालय सीटी कोतवाली के पास भव्य रूप में बनाया गया है, जिसे व्हाइट हाउस के नाम से भी जाना जाता है. वर्तमान में रायपुर नगर निगम में कुल 70 वार्ड हैं.

2004 में पहली बार महापौर चुनाव में कांग्रेस को मिली थी हार

साल 2000 में छत्तीसगढ़ गठन के बाद तरुण प्रसाद चटर्जी रायपुर के पहले महापौर थे. हालांकि बाद में उन्होंने भाजपा ज्वाइन कर लिया था. छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद पहले स्थानीय निकाय चुनाव साल 2004 में हुआ. तब भाजपा के सुनील सोनी रायपुर नगर निगम के महापौर बने, जो वर्तमान में विधायक हैं. रायपुर नगर निगम के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था, जब कांग्रेस को महापौर चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. 2010 से 2015 तक कांग्रेस नेत्री किरणमयी नायक महापौर रहीं. वे रायपुर नगर निगम की पहली महिला महापौर थीं. इसके बाद 2015 से 2020 तक कांग्रेस के प्रमोद दुबे महापौर रहे. 2020 से 2025 तक एजाज ढेबर महापौर रहे. भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में महापौर का अप्रत्यक्ष चुनाव हुआ. इस नियम को बदलते हुए वर्तमान साय सरकार ने इस बार महापौर का प्रत्यक्ष चुनाव कराया. सभी जगह ईव्हीएम से चुनाव संपन्न कराया गया.

इस बार दीप्ति दुबे और मीनल चौबे थे आमने-सामने

इस बार रायपुर में कांग्रेस ने रायपुर में दीप्ति दुबे को मेयर प्रत्याशी बनाया था. दीप्ति दुबे पूर्व सभापति प्रमोद दुबे की पत्नी है. वे साइकोलाजिस्ट हैं. उनका मेंटल हेल्थ क्लीनिक है. वे सामाजिक कार्यों में सक्रिय रही हैं. दीप्ति दुबे ने मास्टर्स इन साइकोलॉजी के साथ एमए हिंदी साहित्य की पढ़ाई की है. वर्तमान में पीएचडी कर रही हैं. पत्रकारिता में डिप्लोमा होने के साथ-साथ वह मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता के क्षेत्र में काम कर रही हैं. कांग्रेस पार्टी की सक्रिय सदस्य के रूप में दीप्ति दुबे ने पिछले 20 वर्षों में पार्टी के विभिन्न अभियानों और कार्यक्रमों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. बीजेपी ने रायपुर नगर निगम महापौर का टिकट मीनल चौबे को दिया था. वह नगर निगम परिषद में नेता प्रतिपक्ष रह चुकी हैं. पार्षद, जिला और प्रदेश महिला भाजपा मोर्चा में कई पदों पर काम कर चुकी हैं. वे तीन बार बीजेपी पार्षद रह चुकी हैं.

आजमगढ़ : ओम प्रकाश मिश्र स्मारक पीजी कालेज में पोलबामा की घटना याद करते हुए काला दिवस के रूप में मनाया
सिद्धेश्वर पाण्डेय
  व्यूरो चीफ
आजमगढ़ । जिले के ओमप्रकाश मिश्र स्मारक पीजी कॉलेज फूलेश में 14 फरवरी 2025 दिन शुक्रवार को एक कार्यक्रम के तहत पुलवामा की घटना को याद करते हुए काला दिवस मनाया गया l कार्यक्रम में 14 फरवरी 2019 की घटना को याद करते हुए उन शहीदों की कुर्बानी को भी याद किया गया जो देश को आजाद कराने में हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूम लिये l दुश्मनों से लड़ते-लड़ते शहीद हो गए l कार्यक्रम के दौरान महाविद्यालय के निदेशक रामचंद्र मिश्र काउंसलर छोटेलाल चतुर्वेदी अनूप मिश्रा डॉक्टर आर एस एन त्रिपाठी डॉ आर एस एन उपाध्याय डॉक्टर सतीश त्रिपाठी डॉक्टर प्रतिमा सिंह डॉक्टर मुंशीलाल पटेल संतोष कुमार गुप्ता राजेश यादव अनु सिंह समस्त प्राध्यापक गण एवं पदाधिकारी गण उपस्थित रहे l कार्यक्रम के अंत में महाविद्यालय के प्राचार्य ने सबका आभार व्यक्त किया और शहीदों को विनम्र श्रद्धांजलि देते हुए उनकी आत्मा की शांति के लिए समस्त छात्र-छात्राओं अधिकारी पदाधिकारी द्वारा 2 मिनट का मौन होकर ईश्वर से उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना किया गया ।
1984 सिख विरोधी दंगे मामले में सज्जन कुमार को दोषी करार, राउज एवेन्यू कोर्ट का फैसला
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* 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों के मामले में राउस एवेन्‍यू कोर्ट ने कांग्रेस नेता सज्‍जन कुमार को दोषी करार दिया है। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार को दो लोगों की हत्या के लिए दोषी ठहराया। कोर्ट ने अभी सज्जन कुमार को इस मामले में सिर्फ दोषी करार दिया है। सजा का ऐलान अभी नहीं किया गया है। अगली तारीख यानी 18 फरवरी को स्‍पेशल जज कावेरी बावेजा दोनों पक्षा के बीच सजा पर बहस को सुनेंगी। इसके बाद इसपर फैसला सुनाया जाएगा। यह मामला सरस्‍वती विहार में दंगों के दौरान दो लोगों की हत्‍या से जुड़ा है। ये मामला 1 नवंबर 1984 का है, जिसमें पश्चिमी दिल्ली के राज नगर इलाके में पिता-पुत्र, सरदार जसवंत सिंह और सरदार तरुण दीप सिंह की हत्या कर दी गई थी। शाम में करीब चार से साढ़े चार बजे के बीच दंगाइयों की एक भीड़ ने लोहे की सरियों और लाठियों से पीड़ितों के घर पर हमला किया था। कोर्ट ने माना कि सज्‍जन कुमार ने लोगों को भड़काया, जिसके कारण दंगा फैला और कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। सज्जन कुमार के उकसावे के बाद बाद बाप-बेटे को उनके घर में जिंदा जला दिया गया। भीड़ ने घर में तोड़फोड़, लूटपाट और आगजनी भी की थी। मारपीट कर घर के अन्य लोगों को भी घायल किया गया। शुरुआत में पंजाबी बाग पुलिस स्टेशन ने मामला दर्ज किया था, लेकिन बाद में एक विशेष जांच दल ने जांच अपने हाथ में ले ली। 16 दिसंबर, 2021 को अदालत ने कुमार के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला पाते हुए उनके खिलाफ आरोप तय किए। हिंसा की जांच के लिए गठित नानावती आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, 1984 के दंगों से संबंधित दिल्ली में 587 एफआईआर दर्ज की गईं, जिसमें 2,733 लोगों की मौत हुई। इनमें से लगभग 240 मामलों को अनट्रेस के रूप में बंद कर दिया गया और लगभग 250 को बरी कर दिया गया। मई 2023 में ही सीबीआई ने 1 नवंबर, 1984 को कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया।
आज का इतिहास:1931 में आज ही के दिन भारत की राजधानी बनी थी नई दिल्ली


नयी दिल्ली: 10 फरवरी का इतिहास महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि 1921 में आज ही के दिन महात्मा गांधी जी ने काशी विद्यापीठ का उद्घाटन किया था। 

1931 में 10 फरवरी के दिन ही नई दिल्ली भारत की राजधानी बनी थी।

1933 में आज ही के दिन जर्मनी के तानाशाह हिटलर ने मार्क्सवाद के समाप्त होने की घोषणा की थी।

2009 में आज ही के दिन प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित भीमसेन जोशी को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारतरत्न से सम्मानित किया गया था।

1992 में 10 फरवरी के दिन ही अंडमान और निकोबार द्वीप विदेशी पर्यटकों के लिए खुला था।

1989 में आज ही के दिन अमेरिका ने नेवादा परीक्षण स्थल से न्यूक्लियर टेस्ट किया था।

1981 में 10 फरवरी के दिन ही खगोलविद राय पेंथर द्वारा धूमकेतु की खोज की थी।

1979 में आज ही के दिन ईटानगर को अरुणाचल प्रदेश की राजधानी बनाया गया था।

1947 में 10 फरवरी के दिन ही नीदरलैंड्स रेडियो यूनियन की स्थापना हुई थी।

1933 में आज ही के दिन जर्मनी के तानाशाह हिटलर ने मार्क्सवाद के समाप्त होने की घोषणा की थी।

1931 में 10 फरवरी के दिन ही नई दिल्ली भारत की राजधानी बनी थी।

1921 में आज ही के दिन महात्मा गांधी जी ने काशी विद्यापीठ का उद्घाटन किया था।

1918 में 10 फरवरी के दिन सोवियत नेता लियों ट्रोटस्की ने रूस के प्रथम विश्व युद्ध से हटने की घोषणा की थी।

1916 में आज ही के दिन ब्रिटेन में सैन्य भर्ती शुरू हुआ था।

1912 में 10 फरवरी के दिन ही ब्रिटेन के किंग जार्ज पंचम तथा क्वीन मैरी भारत से रवाना हुआ था।

1904 में आज ही के दिन रूस और जापान ने युद्ध की घोषणा की थी।

1879 में 10 फरवरी के दिन ही अमेरिका के कैलिफोर्निया थियेटर में पहली बार रोशनी के लिए 

बिजली का इस्तेमाल किया गया था।

1846 में आज ही के दिन सिख और ईस्‍ट इंडिया कंपनी के बीच सोबराऊं की जंग शुरू हुई थी।

1828 में 10 फरवरी के दिन ही दक्षिण अमेरिकी क्रांतिकारी साइमन बोलिवार कोलंबिया के शासक बने थे।

1818 में आज ही के दिन तीसरा और अंतिम युद्ध रामपुर में अंग्रेजों तथा मराठा के बीच लड़ा गया था।

10 फरवरी को जन्मे प्रसिद्ध व्यक्ति

1970 में आज ही के दिन हिंदी मंच के कवि कुमार विश्वास का जन्म हुआ था।

1922 में आज ही के दिन हंगरी के राष्ट्रपति अर्पद गांक्ज का जन्म हुआ था।

1915 में आज ही के दिन प्रसिद्ध लेखक सुरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव का जन्म हुआ था।

1890 में 10 फरवरी के दिन ही नोबेल पुरस्कार विजेता रूसी लेखक बोरिस पास्तरनेक का जन्म हुआ था।

1847 में 10 फरवरी के दिन ही बांग्‍ला कवि लेखक नवीनचंद्र सेन का जन्‍म हुआ था।

10 फरवरी को हुए निधन

1995 में आज ही के दिन प्रसिद्ध साहित्यकार गुलशेर खां शानी का निधन हुआ था।

1692 में 10 फरवरी के दिन ही कलकत्ता के संस्थापक जॉब चारनॉक का निधन हुआ था।

1984 में आज ही के दिन सोवियत राष्ट्रपति यूरी आंद्रोपोव का निधन हुआ था।

दिल्ली चुनाव 2025: बीजेपी की बड़ी जीत, 40 साल में पहली बार NCR में एक ही पार्टी की सरकार

दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने का भारतीय जनता पार्टी (BJP) का करीब 3 दशक पुराना सपना कल शनिवार को तब पूरा हो गया जब पार्टी ने 70 में से 48 सीटों पर कब्जा जमा लिया. आम आदमी पार्टी (22 सीट) को समेटते हुए बीजेपी ने बड़ी जीत हासिल की है. यह जीत इस मायने में भी बेहद खास है क्योंकि 40 साल में पहली बार दिल्ली-NCR में आने वाले सभी राज्यों में किसी एक राजनीतिक दल की सरकार हो गई, साथ ही उत्तर भारत में आने वाले ज्यादातर राज्यों में डबल इंजन की सरकार आ गई है.

केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में विधानसभा चुनावों में शानदार जीत हासिल करने के साथ ही 4 दशक बाद भारतीय जनता पार्टी केंद्र के साथ-साथ दिल्ली-NCR में शासन करने वाली पहली पार्टी बन गई है. बीजेपी साल 1985 के बाद पहली बार दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के सभी नेशनल कैपिटल रीजन (एनसीआर) राज्यों पर भी राज करेगी. उत्तर भारत के अन्य राज्यों उत्तराखंड में भी बीजेपी की सरकार है.

कितना बड़ा है दिल्ली-NCR

दिल्ली-NCR जो करीब 55,144 वर्ग किलोमीटर (Sq km) एरिया में फैला हुआ है. साल 2011 की जनगणना के अनुसार, इस क्षेत्र में 46 करोड़ से अधिक लोग रहते हैं. यह देश के सबसे अहम आर्थिक गलियारों में से एक है. दिल्ली-NCR क्षेत्र में दिल्ली के अलावा नोएडा, गुरुग्राम, गाजियाबाद और फरीदाबाद जैसे चर्चित औद्योगिक क्षेत्र आते हैं.

बीजेपी दिल्ली की सत्ता से 1998 से ही दूर थी, लेकिन अब उसकी सत्ता देश की राजधानी में हो गई है. दिल्ली के अलावा राजधानी से सटे अन्य राज्यों उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में पहले से ही बीजेपी की सरकार है. बीजेपी ने जहां दिल्ली में 10 साल से अधिक समय से सत्ता में रही AAP सरकार को हटाया वहीं सटे 3 राज्यों में भी उसकी 5 साल से अधिक समय से सरकार चल रही है.

40 सालों में पहली बार डबल इंजन सरकार

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ, राजस्थान में भजन लाल शर्मा और हरियाणा में नायब सिंह सैनी की अगुवाई में बीजेपी की सरकार चल रही है. अब दिल्ली में भी बीजेपी की सरकार बनने जा रही है. पिछले 40 सालों से यह पहली बार होगा जब कोई एक पार्टी केंद्र समेत इन 4 राज्यों में शासन करने जा रही है.

इससे पहले 1985 में ऐसा आखिरी बार हुआ था जब सत्तारुढ़ पार्टी का केंद्र के साथ-साथ दिल्ली से सटे राज्यों में भी सरकार थी. केंद्र की सत्ता पर कांग्रेस सबसे बड़ी जीत के साथ काबिज हुई थी. 1984 के दिसंबर में हुए चुनाव में इंदिरा गांधी की नृशंस हत्या के बाद पार्टी को सहानुभूति लहर का फायदा मिला और 400 से अधिक सीट जीतने में कामयाब रही.

1985 में क्या था माहौल

राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री बने. फिर नए साल 1985 में देश के 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव कराए गए थे. इसी साल यूपी में भी चुनाव कराए गए जिसमें कांग्रेस को पूर्ण बहुमत के साथ जीत हासिल हुई और नारायण दत्त तिवारी मुख्यमंत्री बने थे. इसी तरह राजस्थान में भी चुनाव हुए कांग्रेस को बड़ी जीत मिली. उसने तब बीजेपी को हराया. हरि देव जोशी मुख्यमंत्री बने.

इसी तरह हरियाणा में 1982 में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली थी और 1985 के वक्त भजन लाल ही मुख्यमंत्री थे. तब दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश जरूर था, लेकिन विधानसभा की व्यवस्था नहीं थी. 1992 में दिल्ली में पूर्ण विधानसभा की व्यवस्था बनी और 1993 में पहली बार चुनाव कराए गए थे.

किसलिए हुआ दिल्ली-NCR का गठन

1985 में यानी आज से 40 साल पहले उत्तराखंड अविभाजित उत्तर प्रदेश का हिस्सा हुआ करता था, और यहां पर कांग्रेस की सरकार थी. लेकिन 2025 में उत्तराखंड अलग राज्य के रूप में देश के नक्शे पर है और यहां बीजेपी का शासन है. बीजेपी उत्तराखंड में भी लगातार दूसरी जीत के साथ सत्ता पर काबिज है. इसी तरह उत्तर भारत के अन्य राज्यों पंजाब, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल में गैर बीजपी पार्टी शासन कर रही है.

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड (The National Capital Region Planning Board (NCRPB) की स्थापना 1985 में NCRPB एक्ट 1985 के तहत की गई थी. इसके गठन का मकसद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के विकास के लिए प्लानिंग करना, योजना के कार्यान्वयन को लेकर समन्वय करना था. साथ ही निगरानी करने, अव्यवस्थित विकास से बचने के लिए भूमि उपयोग नियंत्रण और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए सामंजस्यपूर्ण नीति भी तैयार करना शामिल था.

1985 के बाद अब दिल्ली समेत उससे सटे राज्यों में केंद्र में सत्तारुढ़ पार्टी की सरकार आ गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यों में विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान अपने भाषणों में अक्सर डबल इंजन वाली सरकार का जिक्र करते हैं. अब दिल्ली में भी बीजेपी की अगुवाई वाली डबल इंजन की सरकार आ गई है.

15 लीटर देसी शराब के साथ एक शराब कारोबारी किया गिरफ्तार
डंडारी पुलिस के द्वारा प्रतारपुर से एक शराब कारोबारी को 15 लीटर देसी शराब के साथ किया गिरफ्तार डंडारी थाना अध्यक्ष विवेक कुमार ने बताया गुप्त सूचना के आधार पर डंडारी थाना क्षेत्र अंतर्गत प्रतापपुर से एक शराब कारोबारी को 15 लीटर देसी शराब के साथ गिरफ्तार किया गया है गिरफ्तार किए गए शराब कारोबारी पर डंडारी थाने में
कांड संख्या 19/25 दर्ज कर धारा 30  बिहार मध्य निषेध एवं उत्पाद अधिनियम 2018 के प्राथमिक की  अभियुक्त शुलो यादव उम्र करीब 60 वर्ष पिता स्वर्गीय गांगो यादव ग्राम प्रतारपुर  वार्ड नंबर 14 थाना डंडारी जिला बेगूसराय को 15 लीटर देसी शराब के साथ गिरफ्तार कर जेल भेजा गया
1984 के सिख विरोधी दंगे: सज्जन कुमार को आजीवन कारावास की सजा

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PTI

1984 के सिख विरोधी दंगे भारतीय इतिहास के सबसे काले अध्यायों में से एक माने जाते हैं। इन दंगों के बाद सिखों के खिलाफ हुई हिंसा और अत्याचारों को लेकर आज भी न्याय की मांग की जाती है। हाल ही में, इस मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला आया, जिसमें पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान दिल्ली के सरस्वती विहार इलाके में पिता-पुत्र की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। यह फैसला 41 साल बाद आया और सिख समुदाय के लिए एक बड़ी जीत माना गया।

सज्जन कुमार और उनका कृत्य

सज्जन कुमार पर आरोप था कि उन्होंने 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान भीड़ को उकसाया और हिंसा के लिए उन्हें प्रेरित किया। विशेष रूप से, दिल्ली के सरस्वती विहार में हुई हत्या का मामला गंभीर था, जहां शिकायतकर्ता के पति और बेटे की हत्या की गई थी। अदालत ने 12 फरवरी 2025 को कुमार को दोषी ठहराया और तिहाड़ जेल के अधिकारियों से उनके मानसिक और मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन की रिपोर्ट मांगी। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि सज्जन कुमार का कृत्य एक संगठित हिंसा का हिस्सा था और उसे इसके लिए जिम्मेदार ठहराया।

दंगे की पृष्ठभूमि

1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देशभर में सिखों के खिलाफ हिंसा भड़क उठी। इंदिरा गांधी की हत्या उनके सिख अंगरक्षकों ने की थी, जो ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान सिख आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई में शामिल थे। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद, दिल्ली और अन्य राज्यों में सिखों के खिलाफ बड़े पैमाने पर हिंसा हुई। सिखों के घरों, दुकानों और गुरुद्वारों को निशाना बनाया गया, और सैकड़ों निर्दोष सिखों की हत्या की गई।

अदालत का निर्णय

अदालत ने सज्जन कुमार को इस कृत्य में दोषी ठहराया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई। हालांकि, कुछ सिख संगठनों और नेताओं ने इस सजा को नकारात्मक रूप से देखा और अधिकतम सजा की मांग की। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) के महासचिव जगदीप सिंह कहलों ने कहा कि उन्हें मौत की सजा की उम्मीद थी। उनका मानना था कि सज्जन कुमार जैसे अपराधी को मौत की सजा दी जानी चाहिए थी। 

दंगों के बाद की स्थिति

1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान दर्ज की गई एफआईआर में से अधिकांश मामलों में आरोपियों को या तो बरी कर दिया गया या मामलों को बंद कर दिया गया। इस दौरान केवल कुछ हत्याओं में ही न्याय की प्रक्रिया पूरी हुई। सज्जन कुमार को एक अन्य मामले में भी दोषी ठहराया गया था, जिसमें उन्होंने राज नगर इलाके में भीड़ को उकसाया था। दिल्ली उच्च न्यायालय ने उन्हें इस मामले में भी आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

एचएस फुल्का की दलील और अधिकतम सजा की मांग

इस मामले में शिकायतकर्ता के वकील, एचएस फुल्का ने सज्जन कुमार के लिए अधिकतम सजा की मांग की। उन्होंने कहा कि कुमार ने हत्याओं को बढ़ावा दिया और नरसंहार का नेतृत्व किया। फुल्का ने अदालत से आग्रह किया कि ऐसे अपराधियों को सख्त सजा दी जानी चाहिए और उन्होंने कहा कि सज्जन कुमार मौत की सजा का हकदार है। 

नानावटी आयोग की रिपोर्ट

1984 के सिख विरोधी दंगों की जांच के लिए नानावटी आयोग को नियुक्त किया गया था, जिसने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि इन दंगों के कारण 2,733 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें अधिकांश सिख थे। इस आयोग ने यह भी बताया कि 240 मामलों को "अज्ञात" के आधार पर बंद कर दिया गया था, और 250 मामलों में आरोपियों को बरी कर दिया गया था। कुल मिलाकर, 28 मामलों में ही दोषियों को सजा दी गई थी, जिनमें से कुछ मामलों में सज्जन कुमार को दोषी ठहराया गया था।

1984 के सिख विरोधी दंगे भारत के इतिहास में एक अंधेरे दौर के रूप में याद किए जाते हैं। सज्जन कुमार जैसे नेताओं को उनकी भूमिका के लिए सजा मिलना न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन यह सवाल भी उठता है कि क्या उन्हें और उनके जैसे अन्य अपराधियों को अधिकतम सजा मिलनी चाहिए थी। अदालत का यह फैसला 41 साल बाद आया, और यह सिख समुदाय के लिए उम्मीद की एक किरण है कि न्याय के साथ देर से ही सही, सच का पर्दाफाश हुआ। फिर भी, जब तक सच्चाई और न्याय की पूरी प्रक्रिया पूरी नहीं होती, तब तक यह स्थिति संतोषजनक नहीं हो सकती।

सज्जन कुमार को उम्रकैद, 1984 सिख विरोधी दंगा मामले में आया कोर्ट का फैसला

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1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में सज्जन कुमार के सजा का ऐलान हो गया है। स्पेशल जज कावेरी बावेजा ने सज्जन कुमार को उम्र कैद की सजा सुनाई गई। सज्जन कुमार पहले से ही सिख विरोधी दंगों से संबंधित एक मामले में दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से 2018 में दोषी ठहराए जाने के बाद आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। इससे पहले सज्जन को 12 फरवरी को दोषी ठहराया गया था। कोर्ट ने सज्जन के खिलाफ सजा पर अपना फैसला 25 फरवरी तक के लिए सुरक्षित रख लिया था।

दिल्ली के राउज ऐवन्यू कोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े सरस्वती विहार हिंसा के मामले में दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है। उनको इससे जुड़े केस में दूसरी बार उम्रकैद की सजा हुई है। इसके पहले वे दिल्ली कैंट मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। दिल्ली पुलिस और पीडितों ने इस मामले को रेयरेस्ट ऑफ रेयर की कैटेगरी में मानते हुए सज्जन कुमार के खिलाफ फांसी की सजा की मांग की थी।

इंदिरा की हत्या के बाद भड़के थे सिख दंगे

प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की हत्या 31 अक्टूबर, 1984 को नई दिल्ली के सफदरगंज रोड स्थित उनके आवास पर सुबह 9:30 बजे की गई थी। ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद उनके अंगरक्षकों बेअंत सिंह और सतवंत सिंह ने गोली मार कर उनकी हत्या की थी। इसके बाद ही दिल्ली समेत देशभर में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे थे।

दंगों में तीन हजार से ज्यादा लोगों की मौत के अनुमान

दरअसल, स्वर्ण मंदिर पर कब्जा करने वाले आतंकी जरनैल सिंह भिंडरावाले को भारतीय सेना ने ऑपरेशन ब्लू स्टार के तहत मार गिराया था। भिंडरावाले के साथ उसके कई साथी भी मारे गए थे। इस अभियान को मंजूरी देने वाली पीएम इंदिरा गांधी ही थीं। सिखों के सबसे बड़े धर्मस्थल स्वर्ण मंदिर में हमले को लेकर कई लोगों की भावनाएं आहत हुई थीं। ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके दो सिख अंगरक्षकों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस घटना के बाद देशभर में सिख विरोधी दंगे भड़क गए थे। माना जाता है कि इन दंगों में तीन हजार से पांच हजार लोगों की मौत हो गई थी। अकेले दिल्ली में करीब दो हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे।

घटना के लगभग 41 साल बाद सजा

अब इस घटना के लगभग 41 साल बीतने के बाद सज्जन कुमार को एक और मामले में सजा हुई है। वहीं कांग्रेस के एक और नेता जगदीश टाइटलर पर भी केस चल रहे हैं। इसके अलावा कांग्रेस नेता एचकेएल भगत और कमलनाथ भी सिख दंगों से जुड़े मामलों में आरोपी रह चुके हैं।

सिख दंगों के दोषी सज्जन कुमार को इस दिन सुनाई जाएगी सजा, कोर्ट ने दो दिन के भीतर मांगा लिखित जवाब

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राऊज एवेन्यू कोर्ट दिल्ली की स्पेशल जज कावेरी बावेजा ने 1984 के सिख विरोधी दंगे से संबद्ध सरस्वती विहार के मामले में दोषी करार दिए गए पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार की सजा की अवधि पर फैसला आज सुरक्षित रख लिया है। उन्होंने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 25 फरवरी को फैसला सुनाने का आदेश दिया। सज्जन कुमार दो दिन में अपना जवाब दाखिल करेंगे। पीड़ित पक्ष के वकील एच एस फुल्का ने फांसी की सजा की मांग की है। दिल्ली पुलिस भी फांसी की सजा चाहती है।

सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता द्वारा पूर्व कांग्रेस सांसद को मौत की सजा देने का आग्रह किया। शिकायतकर्ता ने अपने वकील के माध्यम से विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा के समक्ष यह दलील दी, जिन्होंने सज्जन कुमार के खिलाफ सजा की अवधि पर फैसला 25 फरवरी तक सुरक्षित रख लिया। शिकायतकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एच एस फुल्का ने अदालत से कहा कि आरोपी भीड़ का नेता था, जिसने नरसंहार और मानवता के खिलाफ अपराध और निर्मम हत्याओं के लिए दूसरों को उकसाया। उसे मृत्युदंड की सजा दी जानी चाहिए

वहीं गुरुवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने सज्जन कुमार को मिली जमानत के खिलाफ दायर एसआईटी की याचिका का गुरुवार को निपटारा कर दिया। हाई कोर्ट ने गौर किया कि मामले में कुमार को दोषी करार दिया गया है। जस्टिस विकास महाजन ने याचिका को निरर्थक माना और इसका निपटारा कर दिया। कोर्ट ने कहा कि याचिका के लंबित रहने के दौरान कुमार को मामले में दोषी करार दिया गया और औपचारिक रूप से हिरासत में लिया गया। इसलिए यह याचिका निरर्थक हो गई है।

1984 सिख विरोधी दंगे में सरस्‍वती विहार के मामले में कांग्रेस के नेता सज्जन कुमार दोषी करार दिए गए है। यह मामला 1 नवंबर 1984 को जसवंत सिंह और उनके बेटे तरुणदीप सिंह की हत्या से जुड़ा है। दिल्ली के सरस्वती विहार में इन दोनों की हत्या कर दी गई थी। उस समय दिल्ली में सिख विरोधी दंगे भड़के हुए थे। इस मामले में दोबारा जांच हुई। जांच के बाद नए सबूत मिले। स्पेशल पीपी ने कोर्ट को इन सबूतों के बारे में बताया।

सज्जन कुमार को फांसी या उम्र कैद? 1984 सिख विरोधी दंगे पर आज आएगा फैसला

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1984 के सिख दंगों से जुड़े एक मामले में कांग्रेस के पूर्व नेता और सांसद सज्जन कुमार की सजा का ऐलान आज होगा। राउज एवेन्यू कोर्ट की स्पेशल जज कावेरी बावेजा सुनवाई करेंगी। मामला दिल्ली के सरस्वती विहार में 2 सिखों की हत्या से जुड़ा है। दंगों के दौरान सज्जन बाहरी दिल्ली सीट से सांसद थे। इससे पहले मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने सज्जन कुमार के लिए सजा-ए-मौत मांगी। पीड़ित पक्ष ने भी इसी सजा की मांग की।

कोर्ट ने 12 फरवरी को उन्हें दोषी ठहराया था। इसके बाद सजा पर बहस होनी थी। सरकारी वकील ने 18 फरवरी को लिखित दलील में फांसी की मांग की थी। वहीं, सज्जन के वकील ने दलीलें पेश करने के लिए समय मांगा था। इस पर 21 फरवरी तक सुनवाई टाल दी गई थी।

पिछली सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को लिखित जवाब दाखिल कर सज्जन कुमार को फांसी देने की सजा की मांग की थी। वहीं, पीड़ितों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एचएस फुल्का ने भी फांसी की सजा की मांग की थी। इस मामले में कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान करीब 41 साल बाद इस मामले में सज्जन कुमार को दोषी करार दिया था।

कांग्रेस नेता सज्जन कुमार पर दिल्ली दंगे की जिस केस में दोषी करार दिए गए हैं वह सरस्वती विहार से जुड़ा हुआ है। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश में सिख विरोधी दंगा भड़क उठा था। सरस्वती विहार थाने क्षेत्र में सज्जन सिंह के नेतृत्व में दंगाइयों ने 2 सिख समुदाय के लोगों को लाठी से पीट-पीट कर मार डाला था।

मीनल चौबे ने दर्ज की ऐतिहासिक जीत, दीप्ति दुबे को 153290 वोट से हराया

रायपुर- छत्तीसगढ़ के नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा ने जीत का परचम लहराया है. रायपुर में 15 साल बाद भाजपा ने कांग्रेस का किला ढहाया है. यहां बीजेपी महापौर प्रत्याशी मीनल चौबे ने 153290 वोट से कांग्रेस प्रत्याशी दीप्ति दुबे को मात दी है. महापौर चुनाव में कुल 509146 वोट पड़े थे. इसमें से भाजपा प्रत्याशी मीनल चौबे को 315835 वोट और कांग्रेस प्रत्याशी दीप्ति दुबे को 162545 वोट मिले.


जानिए, रायपुर नगर निगम का इतिहास

ब्रिटिश शासन के दौरान 17 मई 1867 को रायपुर नगर समिति बनी. इसका प्राथमिक उद्देश्य तेजी से बढ़ती शहरी बस्ती में बुनियादी नागरिक सुविधाएं सुनिश्चित करना था. इसके बाद साल 1973 में इसका स्वरूप बदला और रायपुर नगर निगम बना. उस समय रायपुर नगर निगम में कुल 40 वार्ड थे. 1980 में पहली बार हुए नगर निगम चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) के स्वरूप चंद जैन महापौर बने. इसके बाद 1981 से 82 तक कांग्रेस के एसआर मूर्ति महापौर बने. 1982 से 1983 तक फिर स्वरूपचंद जैन महापौर रहे. 1983 से 84 तक कांग्रेस के ही तरुण चटर्जी, 1984-85 तक कांग्रेस के संतोष अग्रवाल महापौर चुने गए. 1985 से लेकर 1995 तक रायपुर नगर निगम में प्रशासक बैठे थे. फिर 1995 में वार्डों की संख्या बढ़कर 60 कर दी गई . 1995-2000 तक कांग्रेस के बलबीर एस जुनेजा महापौर चुने गए. पहले नगर निगम कार्यालय जयस्तंभ के पास था. इसके बाद नया नगर निगम कार्यालय सीटी कोतवाली के पास भव्य रूप में बनाया गया है, जिसे व्हाइट हाउस के नाम से भी जाना जाता है. वर्तमान में रायपुर नगर निगम में कुल 70 वार्ड हैं.

2004 में पहली बार महापौर चुनाव में कांग्रेस को मिली थी हार

साल 2000 में छत्तीसगढ़ गठन के बाद तरुण प्रसाद चटर्जी रायपुर के पहले महापौर थे. हालांकि बाद में उन्होंने भाजपा ज्वाइन कर लिया था. छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद पहले स्थानीय निकाय चुनाव साल 2004 में हुआ. तब भाजपा के सुनील सोनी रायपुर नगर निगम के महापौर बने, जो वर्तमान में विधायक हैं. रायपुर नगर निगम के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था, जब कांग्रेस को महापौर चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. 2010 से 2015 तक कांग्रेस नेत्री किरणमयी नायक महापौर रहीं. वे रायपुर नगर निगम की पहली महिला महापौर थीं. इसके बाद 2015 से 2020 तक कांग्रेस के प्रमोद दुबे महापौर रहे. 2020 से 2025 तक एजाज ढेबर महापौर रहे. भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में महापौर का अप्रत्यक्ष चुनाव हुआ. इस नियम को बदलते हुए वर्तमान साय सरकार ने इस बार महापौर का प्रत्यक्ष चुनाव कराया. सभी जगह ईव्हीएम से चुनाव संपन्न कराया गया.

इस बार दीप्ति दुबे और मीनल चौबे थे आमने-सामने

इस बार रायपुर में कांग्रेस ने रायपुर में दीप्ति दुबे को मेयर प्रत्याशी बनाया था. दीप्ति दुबे पूर्व सभापति प्रमोद दुबे की पत्नी है. वे साइकोलाजिस्ट हैं. उनका मेंटल हेल्थ क्लीनिक है. वे सामाजिक कार्यों में सक्रिय रही हैं. दीप्ति दुबे ने मास्टर्स इन साइकोलॉजी के साथ एमए हिंदी साहित्य की पढ़ाई की है. वर्तमान में पीएचडी कर रही हैं. पत्रकारिता में डिप्लोमा होने के साथ-साथ वह मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता के क्षेत्र में काम कर रही हैं. कांग्रेस पार्टी की सक्रिय सदस्य के रूप में दीप्ति दुबे ने पिछले 20 वर्षों में पार्टी के विभिन्न अभियानों और कार्यक्रमों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. बीजेपी ने रायपुर नगर निगम महापौर का टिकट मीनल चौबे को दिया था. वह नगर निगम परिषद में नेता प्रतिपक्ष रह चुकी हैं. पार्षद, जिला और प्रदेश महिला भाजपा मोर्चा में कई पदों पर काम कर चुकी हैं. वे तीन बार बीजेपी पार्षद रह चुकी हैं.

आजमगढ़ : ओम प्रकाश मिश्र स्मारक पीजी कालेज में पोलबामा की घटना याद करते हुए काला दिवस के रूप में मनाया
सिद्धेश्वर पाण्डेय
  व्यूरो चीफ
आजमगढ़ । जिले के ओमप्रकाश मिश्र स्मारक पीजी कॉलेज फूलेश में 14 फरवरी 2025 दिन शुक्रवार को एक कार्यक्रम के तहत पुलवामा की घटना को याद करते हुए काला दिवस मनाया गया l कार्यक्रम में 14 फरवरी 2019 की घटना को याद करते हुए उन शहीदों की कुर्बानी को भी याद किया गया जो देश को आजाद कराने में हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूम लिये l दुश्मनों से लड़ते-लड़ते शहीद हो गए l कार्यक्रम के दौरान महाविद्यालय के निदेशक रामचंद्र मिश्र काउंसलर छोटेलाल चतुर्वेदी अनूप मिश्रा डॉक्टर आर एस एन त्रिपाठी डॉ आर एस एन उपाध्याय डॉक्टर सतीश त्रिपाठी डॉक्टर प्रतिमा सिंह डॉक्टर मुंशीलाल पटेल संतोष कुमार गुप्ता राजेश यादव अनु सिंह समस्त प्राध्यापक गण एवं पदाधिकारी गण उपस्थित रहे l कार्यक्रम के अंत में महाविद्यालय के प्राचार्य ने सबका आभार व्यक्त किया और शहीदों को विनम्र श्रद्धांजलि देते हुए उनकी आत्मा की शांति के लिए समस्त छात्र-छात्राओं अधिकारी पदाधिकारी द्वारा 2 मिनट का मौन होकर ईश्वर से उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना किया गया ।
1984 सिख विरोधी दंगे मामले में सज्जन कुमार को दोषी करार, राउज एवेन्यू कोर्ट का फैसला
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* 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों के मामले में राउस एवेन्‍यू कोर्ट ने कांग्रेस नेता सज्‍जन कुमार को दोषी करार दिया है। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार को दो लोगों की हत्या के लिए दोषी ठहराया। कोर्ट ने अभी सज्जन कुमार को इस मामले में सिर्फ दोषी करार दिया है। सजा का ऐलान अभी नहीं किया गया है। अगली तारीख यानी 18 फरवरी को स्‍पेशल जज कावेरी बावेजा दोनों पक्षा के बीच सजा पर बहस को सुनेंगी। इसके बाद इसपर फैसला सुनाया जाएगा। यह मामला सरस्‍वती विहार में दंगों के दौरान दो लोगों की हत्‍या से जुड़ा है। ये मामला 1 नवंबर 1984 का है, जिसमें पश्चिमी दिल्ली के राज नगर इलाके में पिता-पुत्र, सरदार जसवंत सिंह और सरदार तरुण दीप सिंह की हत्या कर दी गई थी। शाम में करीब चार से साढ़े चार बजे के बीच दंगाइयों की एक भीड़ ने लोहे की सरियों और लाठियों से पीड़ितों के घर पर हमला किया था। कोर्ट ने माना कि सज्‍जन कुमार ने लोगों को भड़काया, जिसके कारण दंगा फैला और कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। सज्जन कुमार के उकसावे के बाद बाद बाप-बेटे को उनके घर में जिंदा जला दिया गया। भीड़ ने घर में तोड़फोड़, लूटपाट और आगजनी भी की थी। मारपीट कर घर के अन्य लोगों को भी घायल किया गया। शुरुआत में पंजाबी बाग पुलिस स्टेशन ने मामला दर्ज किया था, लेकिन बाद में एक विशेष जांच दल ने जांच अपने हाथ में ले ली। 16 दिसंबर, 2021 को अदालत ने कुमार के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला पाते हुए उनके खिलाफ आरोप तय किए। हिंसा की जांच के लिए गठित नानावती आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, 1984 के दंगों से संबंधित दिल्ली में 587 एफआईआर दर्ज की गईं, जिसमें 2,733 लोगों की मौत हुई। इनमें से लगभग 240 मामलों को अनट्रेस के रूप में बंद कर दिया गया और लगभग 250 को बरी कर दिया गया। मई 2023 में ही सीबीआई ने 1 नवंबर, 1984 को कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया।
आज का इतिहास:1931 में आज ही के दिन भारत की राजधानी बनी थी नई दिल्ली


नयी दिल्ली: 10 फरवरी का इतिहास महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि 1921 में आज ही के दिन महात्मा गांधी जी ने काशी विद्यापीठ का उद्घाटन किया था। 

1931 में 10 फरवरी के दिन ही नई दिल्ली भारत की राजधानी बनी थी।

1933 में आज ही के दिन जर्मनी के तानाशाह हिटलर ने मार्क्सवाद के समाप्त होने की घोषणा की थी।

2009 में आज ही के दिन प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित भीमसेन जोशी को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारतरत्न से सम्मानित किया गया था।

1992 में 10 फरवरी के दिन ही अंडमान और निकोबार द्वीप विदेशी पर्यटकों के लिए खुला था।

1989 में आज ही के दिन अमेरिका ने नेवादा परीक्षण स्थल से न्यूक्लियर टेस्ट किया था।

1981 में 10 फरवरी के दिन ही खगोलविद राय पेंथर द्वारा धूमकेतु की खोज की थी।

1979 में आज ही के दिन ईटानगर को अरुणाचल प्रदेश की राजधानी बनाया गया था।

1947 में 10 फरवरी के दिन ही नीदरलैंड्स रेडियो यूनियन की स्थापना हुई थी।

1933 में आज ही के दिन जर्मनी के तानाशाह हिटलर ने मार्क्सवाद के समाप्त होने की घोषणा की थी।

1931 में 10 फरवरी के दिन ही नई दिल्ली भारत की राजधानी बनी थी।

1921 में आज ही के दिन महात्मा गांधी जी ने काशी विद्यापीठ का उद्घाटन किया था।

1918 में 10 फरवरी के दिन सोवियत नेता लियों ट्रोटस्की ने रूस के प्रथम विश्व युद्ध से हटने की घोषणा की थी।

1916 में आज ही के दिन ब्रिटेन में सैन्य भर्ती शुरू हुआ था।

1912 में 10 फरवरी के दिन ही ब्रिटेन के किंग जार्ज पंचम तथा क्वीन मैरी भारत से रवाना हुआ था।

1904 में आज ही के दिन रूस और जापान ने युद्ध की घोषणा की थी।

1879 में 10 फरवरी के दिन ही अमेरिका के कैलिफोर्निया थियेटर में पहली बार रोशनी के लिए 

बिजली का इस्तेमाल किया गया था।

1846 में आज ही के दिन सिख और ईस्‍ट इंडिया कंपनी के बीच सोबराऊं की जंग शुरू हुई थी।

1828 में 10 फरवरी के दिन ही दक्षिण अमेरिकी क्रांतिकारी साइमन बोलिवार कोलंबिया के शासक बने थे।

1818 में आज ही के दिन तीसरा और अंतिम युद्ध रामपुर में अंग्रेजों तथा मराठा के बीच लड़ा गया था।

10 फरवरी को जन्मे प्रसिद्ध व्यक्ति

1970 में आज ही के दिन हिंदी मंच के कवि कुमार विश्वास का जन्म हुआ था।

1922 में आज ही के दिन हंगरी के राष्ट्रपति अर्पद गांक्ज का जन्म हुआ था।

1915 में आज ही के दिन प्रसिद्ध लेखक सुरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव का जन्म हुआ था।

1890 में 10 फरवरी के दिन ही नोबेल पुरस्कार विजेता रूसी लेखक बोरिस पास्तरनेक का जन्म हुआ था।

1847 में 10 फरवरी के दिन ही बांग्‍ला कवि लेखक नवीनचंद्र सेन का जन्‍म हुआ था।

10 फरवरी को हुए निधन

1995 में आज ही के दिन प्रसिद्ध साहित्यकार गुलशेर खां शानी का निधन हुआ था।

1692 में 10 फरवरी के दिन ही कलकत्ता के संस्थापक जॉब चारनॉक का निधन हुआ था।

1984 में आज ही के दिन सोवियत राष्ट्रपति यूरी आंद्रोपोव का निधन हुआ था।

दिल्ली चुनाव 2025: बीजेपी की बड़ी जीत, 40 साल में पहली बार NCR में एक ही पार्टी की सरकार

दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने का भारतीय जनता पार्टी (BJP) का करीब 3 दशक पुराना सपना कल शनिवार को तब पूरा हो गया जब पार्टी ने 70 में से 48 सीटों पर कब्जा जमा लिया. आम आदमी पार्टी (22 सीट) को समेटते हुए बीजेपी ने बड़ी जीत हासिल की है. यह जीत इस मायने में भी बेहद खास है क्योंकि 40 साल में पहली बार दिल्ली-NCR में आने वाले सभी राज्यों में किसी एक राजनीतिक दल की सरकार हो गई, साथ ही उत्तर भारत में आने वाले ज्यादातर राज्यों में डबल इंजन की सरकार आ गई है.

केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में विधानसभा चुनावों में शानदार जीत हासिल करने के साथ ही 4 दशक बाद भारतीय जनता पार्टी केंद्र के साथ-साथ दिल्ली-NCR में शासन करने वाली पहली पार्टी बन गई है. बीजेपी साल 1985 के बाद पहली बार दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के सभी नेशनल कैपिटल रीजन (एनसीआर) राज्यों पर भी राज करेगी. उत्तर भारत के अन्य राज्यों उत्तराखंड में भी बीजेपी की सरकार है.

कितना बड़ा है दिल्ली-NCR

दिल्ली-NCR जो करीब 55,144 वर्ग किलोमीटर (Sq km) एरिया में फैला हुआ है. साल 2011 की जनगणना के अनुसार, इस क्षेत्र में 46 करोड़ से अधिक लोग रहते हैं. यह देश के सबसे अहम आर्थिक गलियारों में से एक है. दिल्ली-NCR क्षेत्र में दिल्ली के अलावा नोएडा, गुरुग्राम, गाजियाबाद और फरीदाबाद जैसे चर्चित औद्योगिक क्षेत्र आते हैं.

बीजेपी दिल्ली की सत्ता से 1998 से ही दूर थी, लेकिन अब उसकी सत्ता देश की राजधानी में हो गई है. दिल्ली के अलावा राजधानी से सटे अन्य राज्यों उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में पहले से ही बीजेपी की सरकार है. बीजेपी ने जहां दिल्ली में 10 साल से अधिक समय से सत्ता में रही AAP सरकार को हटाया वहीं सटे 3 राज्यों में भी उसकी 5 साल से अधिक समय से सरकार चल रही है.

40 सालों में पहली बार डबल इंजन सरकार

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ, राजस्थान में भजन लाल शर्मा और हरियाणा में नायब सिंह सैनी की अगुवाई में बीजेपी की सरकार चल रही है. अब दिल्ली में भी बीजेपी की सरकार बनने जा रही है. पिछले 40 सालों से यह पहली बार होगा जब कोई एक पार्टी केंद्र समेत इन 4 राज्यों में शासन करने जा रही है.

इससे पहले 1985 में ऐसा आखिरी बार हुआ था जब सत्तारुढ़ पार्टी का केंद्र के साथ-साथ दिल्ली से सटे राज्यों में भी सरकार थी. केंद्र की सत्ता पर कांग्रेस सबसे बड़ी जीत के साथ काबिज हुई थी. 1984 के दिसंबर में हुए चुनाव में इंदिरा गांधी की नृशंस हत्या के बाद पार्टी को सहानुभूति लहर का फायदा मिला और 400 से अधिक सीट जीतने में कामयाब रही.

1985 में क्या था माहौल

राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री बने. फिर नए साल 1985 में देश के 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव कराए गए थे. इसी साल यूपी में भी चुनाव कराए गए जिसमें कांग्रेस को पूर्ण बहुमत के साथ जीत हासिल हुई और नारायण दत्त तिवारी मुख्यमंत्री बने थे. इसी तरह राजस्थान में भी चुनाव हुए कांग्रेस को बड़ी जीत मिली. उसने तब बीजेपी को हराया. हरि देव जोशी मुख्यमंत्री बने.

इसी तरह हरियाणा में 1982 में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली थी और 1985 के वक्त भजन लाल ही मुख्यमंत्री थे. तब दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश जरूर था, लेकिन विधानसभा की व्यवस्था नहीं थी. 1992 में दिल्ली में पूर्ण विधानसभा की व्यवस्था बनी और 1993 में पहली बार चुनाव कराए गए थे.

किसलिए हुआ दिल्ली-NCR का गठन

1985 में यानी आज से 40 साल पहले उत्तराखंड अविभाजित उत्तर प्रदेश का हिस्सा हुआ करता था, और यहां पर कांग्रेस की सरकार थी. लेकिन 2025 में उत्तराखंड अलग राज्य के रूप में देश के नक्शे पर है और यहां बीजेपी का शासन है. बीजेपी उत्तराखंड में भी लगातार दूसरी जीत के साथ सत्ता पर काबिज है. इसी तरह उत्तर भारत के अन्य राज्यों पंजाब, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल में गैर बीजपी पार्टी शासन कर रही है.

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड (The National Capital Region Planning Board (NCRPB) की स्थापना 1985 में NCRPB एक्ट 1985 के तहत की गई थी. इसके गठन का मकसद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के विकास के लिए प्लानिंग करना, योजना के कार्यान्वयन को लेकर समन्वय करना था. साथ ही निगरानी करने, अव्यवस्थित विकास से बचने के लिए भूमि उपयोग नियंत्रण और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए सामंजस्यपूर्ण नीति भी तैयार करना शामिल था.

1985 के बाद अब दिल्ली समेत उससे सटे राज्यों में केंद्र में सत्तारुढ़ पार्टी की सरकार आ गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यों में विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान अपने भाषणों में अक्सर डबल इंजन वाली सरकार का जिक्र करते हैं. अब दिल्ली में भी बीजेपी की अगुवाई वाली डबल इंजन की सरकार आ गई है.

15 लीटर देसी शराब के साथ एक शराब कारोबारी किया गिरफ्तार
डंडारी पुलिस के द्वारा प्रतारपुर से एक शराब कारोबारी को 15 लीटर देसी शराब के साथ किया गिरफ्तार डंडारी थाना अध्यक्ष विवेक कुमार ने बताया गुप्त सूचना के आधार पर डंडारी थाना क्षेत्र अंतर्गत प्रतापपुर से एक शराब कारोबारी को 15 लीटर देसी शराब के साथ गिरफ्तार किया गया है गिरफ्तार किए गए शराब कारोबारी पर डंडारी थाने में
कांड संख्या 19/25 दर्ज कर धारा 30  बिहार मध्य निषेध एवं उत्पाद अधिनियम 2018 के प्राथमिक की  अभियुक्त शुलो यादव उम्र करीब 60 वर्ष पिता स्वर्गीय गांगो यादव ग्राम प्रतारपुर  वार्ड नंबर 14 थाना डंडारी जिला बेगूसराय को 15 लीटर देसी शराब के साथ गिरफ्तार कर जेल भेजा गया