*गोमती मित्रों ने किया श्रमदान,सीताकुंड धाम पर चलाया सफाई अभियान*
सुल्तानपुर,गोमती मित्र मंडल ने अपने साप्ताहिक श्रमदान के दिन एक बार पुनः सीताकुंड धाम पर वृहद स्तर पर स्वच्छता जागरूकता अभियान चलाकर न केवल पूरे परिसर को साफ सुथरा किया बल्कि वहां उपस्थित श्रद्धालुओं और निवासियों से धाम पर स्वच्छता बनाए रखने का निवेदन भी किया। श्रमदान शुरू होने के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मदन सिंह के साथ सभी उपस्थित गोमती मित्रों ने वंदे मातरम का सामूहिक गान किया व जोरदार तरीके से भारत माता की जय के जयकारे लगाये, घने कोहरे के बीच श्रमदान प्रातः 6:30 बजे शुरू हुआ। श्रमदान में मुख्य रूप से संरक्षक रतन कसौधन,प्रदेश अध्यक्ष रुद्र प्रताप सिंह मदन,मीडिया प्रभारी रमेश माहेश्वरी, सेनजीत कसौधन दाऊ,मुन्ना सोनी,राकेश सिंह दद्दू,युवा मण्डल अध्यक्ष अजय वर्मा,आलोक तिवारी,राकेश मिश्रा,आयुष सोनी,ओम प्रकाश पांडे,अरुण गुप्ता,श्याम मौर्या आदि उपस्थित रहे।
यूपी भाजपा को नया अध्यक्ष, पंकज चौधरी के सामने संगठन से लेकर सियासी संतुलन तक की बड़ी अग्निपरीक्षा

लखनऊ । राजधानी लखनऊ में हुए भव्य मेगा इवेंट के साथ उत्तर प्रदेश भाजपा को नया संगठन प्रमुख मिल गया है। महाराजगंज से सात बार सांसद रह चुके और केंद्रीय मंत्री पंकज चौधरी को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई है। मंच से नाम की औपचारिक घोषणा होते ही समर्थकों में उत्साह की लहर दौड़ गई, लेकिन इस राजनीतिक ताजपोशी के साथ ही चौधरी के सामने चुनौतियों का लंबा और कठिन रास्ता भी खुल गया है।

देश के सबसे बड़े राज्य में पार्टी संगठन की कमान संभालना सिर्फ सम्मान नहीं, बल्कि एक बड़ी जिम्मेदारी है। खासकर ऐसे समय में, जब 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को अपेक्षित परिणाम नहीं मिले और पार्टी 2019 की तुलना में भारी नुकसान झेल चुकी है।

2019 से 2024 तक का सफर और फिसलता सियासी आधार

2019 में जहां भाजपा ने उत्तर प्रदेश से 62 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी, वहीं 2024 में यह आंकड़ा घटकर 36 पर आ गया। पार्टी के आंतरिक आकलन में इस गिरावट की सबसे बड़ी वजह कोर वोट बैंक— कुर्मी समाज—का खिसकना माना गया। कई सीटों पर हार की कहानी इसी सामाजिक समीकरण से जुड़कर सामने आई।

पंकज चौधरी के सामने सबसे बड़ी चुनौती

अब नए प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर पंकज चौधरी के सामने सबसे बड़ी चुनौती इसी भरोसे को दोबारा कायम करने की है। पार्टी नेतृत्व को उम्मीद है कि एक अनुभवी, मूल काडर से जुड़े और कुर्मी समाज में प्रभाव रखने वाले नेता के रूप में चौधरी इस नुकसान की भरपाई कर सकते हैं।

पंचायत से विधानसभा तक—चुनावों की कतार

पंकज चौधरी की जिम्मेदारी सिर्फ संगठन चलाने तक सीमित नहीं है। उनके सामने अगले साल प्रस्तावित पंचायत चुनाव और फिर 2027 का विधानसभा चुनाव है, जहां पिछड़ा वर्ग, खासकर कुर्मी वोट बैंक को साधना निर्णायक साबित होगा। इसके साथ ही संगठन के भीतर लंबे समय से उपेक्षित महसूस कर रहे कार्यकर्ताओं की नाराजगी को दूर करना भी एक बड़ी चुनौती के रूप में देखा जा रहा है।

पार्टी के भीतर यह आवाज लगातार उठती रही है कि कई कार्यकर्ता वर्षों से विभिन्न बोर्डों, निगमों और संस्थाओं में मनोनयन का इंतजार कर रहे हैं। इस असंतोष को संभालना और संगठन को फिर से सक्रिय करना नए अध्यक्ष के लिए आसान नहीं होगा।

सरकार और संगठन के बीच संतुलन भी परीक्षा

संगठन प्रमुख के तौर पर पंकज चौधरी को सरकार और कार्यकर्ताओं के बीच सेतु की भूमिका निभानी होगी। थानों, पुलिस और प्रशासनिक स्तर पर सुनवाई न होने की शिकायतें, स्थानीय नेताओं की अपेक्षाएं और सरकार के साथ तालमेल—इन सभी मुद्दों को साधना उनकी राजनीतिक सूझबूझ और संगठनात्मक क्षमता की कसौटी बनेगा।यह भी माना जा रहा है कि केंद्र की राजनीति में लंबा अनुभव रखने वाले पंकज चौधरी के लिए राज्य स्तर की रोजमर्रा की सियासत और संगठनात्मक दबाव एक नई चुनौती पेश करेगा।

कुर्मी समाज और नेतृत्व की उम्मीद

यादवों के बाद पिछड़े वर्ग में सबसे प्रभावशाली माने जाने वाले कुर्मी समाज का भाजपा से दूर होना पार्टी के लिए चेतावनी की घंटी साबित हुआ था। भले ही पार्टी में कई कुर्मी नेता मंत्री और विधायक हों, लेकिन प्रभाव और स्वीकार्यता के स्तर पर पंकज चौधरी और जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह को ही मूल काडर के बड़े चेहरे के तौर पर देखा जाता है।

भाजपा ने पंकज चौधरी को संगठन का चेहरा बनाया

इसी राजनीतिक हकीकत को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने पंकज चौधरी को संगठन का चेहरा बनाया है। अब देखना यह होगा कि वह संगठन को कितनी तेजी से संभालते हैं और 2027 की सियासी लड़ाई के लिए भाजपा को किस तरह तैयार करते हैं।
पंकज चौधरी उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष निर्वाचित, सीएम योगी ने जताया हर्ष
लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी की उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष के लिए केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी को निर्वाचित घोषित किया गया। पंकज के अध्यक्ष घोषित होने पर भाजपा के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सहित वरिष्ठ नेताओं ने हर्ष व्यक्त किया।

भूपेंद्र चौधरी ने पंकज को पार्टी का झण्डा सौंपा

रविवार को यहां डॉ राममनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के अम्बेडकर सभागार में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय चुनाव अधिकारी व केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने जैसे ही उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद के लिए पंकज चौधरी के नाम की घोषणा की। सम्पूर्ण सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा। भाजपा के निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने पंकज को पार्टी का झण्डा सौंपा।

नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष का किया स्वागत

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केन्द्रीय मंत्री बीएल वर्मा, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक और पार्टी के प्रदेश महामंत्री ने नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष का स्वागत किया। इस अवसर पर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ रमापति राम त्रिपाठी, सूर्य प्रताप शाही, डॉ लक्ष्मीकांत बाजपेई, डॉ महेंद्र नाथ पांडेय और स्वतंत्रत देव सिंह आदि उपस्थित रहे।
झारखंड बिजली उपभोक्ताओं को बड़ा झटका! जेबीवीएनएल ने 2026-27 के लिए टैरिफ में 59% तक बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया

रांची: झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) ने वित्तीय वर्ष 2026-27 के लिए बिजली की दरों (टैरिफ) में 59 प्रतिशत तक की भारी बढ़ोतरी का प्रस्ताव झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग (जेएसईआरसी) के समक्ष प्रस्तुत किया है।

बढ़ोतरी का कारण और वित्तीय आवश्यकता

राजस्व अंतर (Revenue Gap): निगम को वर्ष 2023-24 तक ₹4991.67 करोड़ का ट्रू-अप रेवेन्यू गैप दर्ज किया गया था।

आवश्यकता: वित्तीय लेखा-जोखा के अनुसार, जेबीवीएनएल को वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए ₹15584.46 करोड़ के राजस्व की आवश्यकता है।

वर्तमान वसूली: वर्तमान दरों के अनुसार, निगम की राजस्व वसूली केवल ₹9794.76 करोड़ होगी।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश: निगम ने अपने प्रस्ताव में कहा है कि अगस्त 2025 में जारी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, उन्हें यह रेवेन्यू गैप तीन वर्षों में समाप्त करना है। इसीलिए 2025-26 में ₹15584.46 करोड़ की राजस्व वसूली के लिए 59% की बढ़ोतरी का प्रस्ताव सौंपा गया है।

अन्य राज्यों से तुलना

जेबीवीएनएल ने अपने टैरिफ पिटीशन में विभिन्न राज्यों से तुलना की है:

श्रेणी झारखंड की दरें तुलनात्मक स्थिति

घरेलू दर (200 यूनिट से अधिक) 201 से 400 यूनिट तक सरकार देती है अनुदान। राजस्थान और बिहार में दरें झारखंड से अधिक हैं। उत्तर प्रदेश में दरें बराबर हैं।

फिक्स्ड चार्ज प्रति कनेक्शन के आधार पर लिया जाता है। अधिकांश राज्य (बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली) प्रति किलोवॉट के आधार पर निर्धारित करते हैं।

पिछले पांच वर्षों में दर वृद्धि

जेबीवीएनएल के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में झारखंड में बिजली की दरें तीन बार बढ़ी हैं:

वित्तीय वर्ष दर वृद्धि

2025-26 6.34%

2024-25 कोई बढ़ोतरी नहीं

2023-24 7.66%

2022-23 कोई बढ़ोतरी नहीं

2021-22 6.50%

प्री-पेड मीटर कनेक्शन नियम

प्रीपेड मीटर वाले उपभोक्ताओं के लिए यह नियम है कि बकाया या बैलेंस नहीं रहने पर कनेक्शन स्वतः कट जाता है और भुगतान/रिचार्ज करने पर खुद जुड़ जाता है। तकनीकी त्रुटि होने पर उपभोक्ता जांच और सुधार के लिए संबंधित कार्यालय में आवेदन कर सकते हैं।

आख़िर क्या करके मानेगा यह धुरंधर समाजसेवी व एंटरप्रेन्योर एम.के. भाटिया
आशीष कुमार

मुजफ्फरनगर/चंडीगढ़। समाजसेवा, उद्योग और टीम बिल्डिंग के अनोखे तरीकों के लिए पहचाने जाने वाले धुरंधर समाजसेवी व एंटरप्रेन्योर एम.के. भाटिया एक बार फिर चर्चा में हैं। गत दिवस एम.के. भाटिया अपनी करीब 100युवाओं की टीम के साथ फिल्म ‘धुरंधर’ देखने सिनेमा हॉल पहुँचे। यह महज़ एक फिल्म देखना नहीं था, बल्कि इसके पीछे एक गहरा और प्रेरणादायक संदेश छिपा था।

दरअसल, एम.के. भाटिया ने इस माध्यम से अपनी टीम को यह मोटिवेशनल संदेश देने का प्रयास किया कि जीवन के हर कार्य, हर फील्ड और हर क्षेत्र में धुरंधर बनकर आगे बढ़ना ही सफलता की कुंजी है। उन्होंने युवाओं को समझाया कि चुनौतियों से घबराने के बजाय उन्हें अवसर में बदलना चाहिए और अपने काम में उत्कृष्टता हासिल करनी चाहिए।

टीम के सदस्यों के अनुसार, फिल्म के बाद हुई बातचीत में भाटिया ने कहा कि आज का युवा अगर लक्ष्य के प्रति स्पष्ट, मेहनती और सकारात्मक सोच वाला हो, तो कोई भी मुकाम दूर नहीं। उन्होंने टीमवर्क, अनुशासन और निरंतर सीखने पर विशेष ज़ोर दिया।

एम.के. भाटिया का यह कदम न केवल उनकी टीम के लिए प्रेरणास्रोत बना, बल्कि यह भी दर्शाता है कि वह पारंपरिक तरीकों से हटकर युवाओं को मोटिवेट करने में विश्वास रखते हैं। यही वजह है कि लोग आज यह कहने पर मजबूर हैं—आख़िर यह धुरंधर समाजसेवी व एंटरप्रेन्योर एम.के. भाटिया करके ही मानेगा।
लखनऊ में आज होगा बड़ा ऐलान, पंकज चौधरी बनेंगे यूपी भाजपा अध्यक्ष
लखनऊ । उत्तर प्रदेश भाजपा के संगठनात्मक सियासत में आज एक बड़ा अध्याय जुड़ने जा रहा है। महीनों से चल रहे मंथन, रणनीतिक बैठकों और बंद कमरों की चर्चाओं के बाद आखिरकार पार्टी ने अपने अगले प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर मुहर लगा दी है। औपचारिक घोषणा भले ही दोपहर में हो, लेकिन तस्वीर अब पूरी तरह साफ है— पंकज चौधरी उत्तर प्रदेश भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष होंगे।

पंकज चौधरी के अलावा किसी अन्य नेता ने नामांकन नहीं किया

प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए नामांकन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और खास बात यह रही कि पंकज चौधरी के अलावा किसी अन्य नेता ने नामांकन नहीं किया। ऐसे में उनका निर्विरोध चुना जाना तय माना जा रहा है। आज दोपहर 1 बजे राजधानी लखनऊ में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम के दौरान इसका औपचारिक ऐलान किया जाएगा। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पार्टी के तमाम दिग्गज नेता मौजूद रहेंगे।

नामांकन के दिन दिखा शक्ति प्रदर्शन, संगठन एकजुट

शनिवार को भाजपा प्रदेश मुख्यालय में पंकज चौधरी ने अपना नामांकन दाखिल किया। नामांकन के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय पर्यवेक्षक विनोद तावड़े और मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी मंच पर मौजूद रहे। पंकज चौधरी के प्रस्तावकों की सूची भी अपने आप में सियासी संदेश दे गई—सीएम योगी, दोनों उपमुख्यमंत्री, पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, स्वतंत्र देव सिंह, दारा सिंह चौहान, एके शर्मा, असीम अरुण समेत कई बड़े चेहरे उनके समर्थन में खड़े दिखे।

एयरपोर्ट से लेकर पार्टी कार्यालय तक हुआ भव्य स्वागत

लखनऊ पहुंचते ही पंकज चौधरी का एयरपोर्ट से लेकर पार्टी कार्यालय तक जोरदार स्वागत हुआ। खासतौर पर उनके गृह क्षेत्र महाराजगंज से पहुंचे कार्यकर्ताओं में भारी उत्साह देखने को मिला। साफ संकेत था कि संगठन में उनके नाम पर व्यापक सहमति बन चुकी है।

क्यों पंकज चौधरी? इसके पीछे छुपी है बड़ी सियासी रणनीति

भाजपा ने पंकज चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर सिर्फ एक संगठनात्मक नियुक्ति नहीं की है, बल्कि 2027 के विधानसभा चुनाव की बुनियाद रखने का काम किया है। पूर्वांचल के कद्दावर नेता, सात बार के सांसद और वर्तमान में केंद्रीय मंत्री रहे पंकज चौधरी को संगठन की कमान सौंपने के पीछे कई अहम सियासी कारण माने जा रहे हैं।

सबसे बड़ा कारण है— कुर्मी वोट बैंक

यादवों के बाद प्रदेश में कुर्मी समाज को पिछड़ों में सबसे प्रभावशाली माना जाता है और लंबे समय तक यह भाजपा का मजबूत आधार रहा है। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने इस वोट बैंक में बड़ी सेंध लगाई, जिसका असर भाजपा के सीट आंकड़ों पर साफ दिखा। 2019 में 62 सीटें जीतने वाली भाजपा 2024 में 36 सीटों पर सिमट गई।

कुर्मी समाज को साधने की आखिरी कड़ी?

लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी के आंतरिक विश्लेषण में सामने आया कि मिर्जापुर, वाराणसी, प्रयागराज, प्रतापगढ़ और कौशांबी जैसे कुर्मी बहुल इलाकों में एनडीए का प्रदर्शन कमजोर रहा। यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वाराणसी सीट पर भी जीत का अंतर कम हुआ।पार्टी नेतृत्व इस बात को लेकर आश्वस्त हुआ कि कुर्मी समाज के बीच भरोसा बहाल करने के लिए मूल काडर से निकले, जमीन से जुड़े और प्रभावी चेहरे की जरूरत है।

9 बार लोकसभा चुनाव लड़ चुके पंकज चौधरी

यही वजह है कि शीर्ष नेतृत्व की नजर पंकज चौधरी पर जाकर ठहरी। पार्टी के भीतर उन्हें इस समय सबसे वरिष्ठ और स्वीकार्य कुर्मी नेता के तौर पर देखा जा रहा है। 9 बार लोकसभा चुनाव लड़ चुके पंकज चौधरी ने 7 बार जीत हासिल की है—वह भी ऐसे समय में जब पार्टी सत्ता में नहीं थी। यही उनकी सबसे बड़ी राजनीतिक पूंजी मानी जा रही है।

2027 का रोडमैप और संगठन को नया संदेश

पंकज चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर भाजपा ने कार्यकर्ताओं को भी साफ संदेश दिया है कि पार्टी अपने मूल काडर और समर्पित नेताओं की कद्र करना जानती है। संगठनात्मक अनुभव, चुनावी विश्वसनीयता और सामाजिक संतुलन—तीनों को साधने की कोशिश इस फैसले में साफ झलकती है। अब सबकी नजर इस पर है कि पंकज चौधरी संगठन को किस तरह मजबूत करते हैं और 2027 के रण में भाजपा को किस रणनीति के साथ उतारते हैं। इतना तय है कि उत्तर प्रदेश की सियासत में यह नियुक्ति आने वाले दिनों में बड़े राजनीतिक समीकरणों को जन्म देने वाली है।
अज्ञात परिस्थितियों में 35 वर्षीय युवक का शव मिलने से मचा हड़कंप, परिजनों ने जताई हत्या की आशंका
अहरौला। अहरौला थाना क्षेत्र के शंभूपुर पूरा गांव निवासी 35 वर्षीय युवक का शव रविवार सुबह संदिग्ध परिस्थितियों में मिलने से क्षेत्र में सनसनी फैल गई। मृतक की पहचान मिथिलेश सिंह पुत्र इंद्रसेन सिंह के रूप में हुई है। उनका शव लेदौरा गांव स्थित मौनी बाबा के कुटिया से करीब 500 मीटर पश्चिम की तरफ पड़ा मिला। प्रातःकाल जब ग्रामीण शौच आदि के लिए उधर गए तो उन्होंने मिथिलेश सिंह को अचेत अवस्था में पड़ा देखा। इसकी सूचना तत्काल परिजनों को दी गई। परिजनों को पहले विश्वास नहीं हुआ, क्योंकि मिथिलेश बनारस में रहकर काम करता था। सूचना मिलने के बाद मृतक के बड़े भाई दुर्गेश सिंह समेत परिवार के अन्य सदस्य मौके पर पहुंचे, जहां मिथिलेश का शव देख उनके होश उड़ गए। मृतक के बड़े भाई दुर्गेश सिंह ने बताया कि मिथिलेश पिछले करीब 15 दिनों से बनारस में काम कर रहा था। उन्हें यह जानकारी नहीं है कि वह गांव कब आया और किन परिस्थितियों में उसकी मौत हो गई। परिजनों ने साफ तौर पर हत्या का आरोप लगाते हुए निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। ग्रामीणों के अनुसार, शनिवार की शाम मिथिलेश को कुछ लोगों के साथ एक दुकान पर देखा गया था, जिसके बाद से उसका कोई पता नहीं चला। इससे मामले को लेकर संदेह और गहरा गया है। सूचना मिलते ही अहरौला थाना अध्यक्ष अमित मिश्रा पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। कुछ ही देर में क्षेत्राधिकार बुढ़नपुर अजय कुमार सिंह भी घटनास्थल पर पहुंच गए। पुलिस ने शव का पंचनामा कराकर पोस्टमार्टम के लिए भेजने की तैयारी शुरू कर दी। क्षेत्राधिकार बुढ़नपुर अजय कुमार सिंह ने बताया कि प्रथम दृष्टया शरीर पर कुछ ऐसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं, जिससे किसी जहरीले पदार्थ के सेवन की आशंका जताई जा रही है। शरीर पर कही भी चोट के निशान नही दिखाई दिए है हालांकि वास्तविक कारण पोस्टमार्टम रिपोर्ट और जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा। मामले की गंभीरता को देखते हुए फोरेंसिक टीम और डॉग स्क्वॉड को भी मौके पर बुलाया गया है। मृतक मिथिलेश सिंह तीन भाइयों में दूसरे नंबर पर थे और अविवाहित थे। वह रोजी-रोटी के लिए पिछले 5–6 वर्षों से बनारस में POP का काम कर रहे थे। परिजनों का कहना है कि 15 दिन पहले वह बनारस काम पर गए थे, लेकिन इस बीच क्या हुआ, इसकी कोई जानकारी उन्हें नहीं है। मृतक के भाई दुर्गेश सिंह ने कहा की ये हत्या है और शव को फॉरेंसिक टीम आ जाने के बाद ही पोस्टमार्टम के लिए ले जाया जाएगा । पुलिस अधिकारियों ने परिजनों को समझा-बुझाकर कर शव पोस्टमार्टम के लिए भेजने पर सहमति बनाई। थाना अध्यक्ष अमित मिश्रा कहा की जांच में जो भी तथ्य सामने आएंगे, उनके आधार पर आगे की विधिक कार्रवाई की जाएगी। यदि मामला हत्या का पाया जाता है तो आरोपियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।
रांची में ठंड आते ही अंडे की कीमतों में भारी उछाल

खुले बाजार में ₹9/पीस मिल रहा अंडा, ट्रे का दाम ₹230 तक; थोक विक्रेता भी हैरान

रांची: राजधानी रांची में ठंड का मौसम शुरू होते ही अंडे की कीमतों में भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जिससे यह आम लोगों की पहुँच से दूर होता जा रहा है। थोक विक्रेताओं के अनुसार, अंडे की कीमत इतनी अधिक पहले कभी नहीं हुई थी।

वर्तमान खुदरा और थोक मूल्य (14 दिसंबर 2025)

वस्तु कीमत

खुला बाजार (एक पीस) ₹9.00

एक दर्जन ₹95.00 से ₹100.00

एक ट्रे (30 पीस) ₹225.00 से ₹230.00

पेटी (210 पीस) ₹1570.00

थोक विक्रेताओं ने बताया कि गर्मी के मौसम में यही अंडा ₹160 प्रति ट्रे की दर से बिक रहा था, जिसके बाद से धीरे-धीरे कीमत बढ़ती चली गई। पिछले साल, यह ₹200 से ₹210 प्रति ट्रे की दर से बिका था।

अन्य अंडों के दाम

अंडे का प्रकार खुदरा कीमत (प्रति पीस)

देशी अंडा (लोकल) ₹16.00 से ₹17.00

सोनाली मुर्गी का अंडा ₹13.00 से ₹14.00

बत्तख का अंडा ₹12.00 से ₹13.00

देशी अंडे की कीमत अधिक होने के कारण केवल शौकिया लोग ही इसकी खरीदारी कर रहे हैं। दुकानदारों का कहना है कि फिलहाल कीमत कम होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं।

आपूर्ति स्रोत

वर्तमान में रांची में अंडे की मुख्य आपूर्ति आंध्र प्रदेश और ओड़िशा से हो रही है। इसके अलावा, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ से भी अंडे की आवक होती है।

ठंड में अंडा क्यों है पसंद?

ठंड के मौसम में लोग अंडा खाना ज्यादा पसंद करते हैं क्योंकि यह:

गर्मी और ऊर्जा: शरीर को गर्माहट और पोषण देता है। अंडे में भरपूर मात्रा में प्रोटीन और फैट होता है, जो शरीर में गर्मी बनाए रखने में मदद करता है।

पाचन और कैलोरी: इसे पचाने में शरीर अधिक ऊर्जा खर्च करता है, जिससे ठंड कम महसूस होती है। सर्दियों में शरीर को ज्यादा कैलोरी की जरूरत होती है, जिसे अंडा आसानी से पूरा करता है।

स्वास्थ्य लाभ: यह इम्यूनिटी बढ़ाने, मांसपेशियों को मजबूत करने और कमजोरी दूर करने में भी मददगार होता है।

प्रदेश में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल, 5 IAS और 4 PCS अधिकारियों के तबादले

लखनऊ। प्रदेश सरकार ने शनिवार को प्रशासनिक स्तर पर बड़ा फेरबदल करते हुए 5 आईएएस और 4 पीसीएस अधिकारियों के तबादले कर दिए। चित्रकूट के सीडीओ पद पर तैनात राजेश कुमार को यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) का अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी (एसीईओ) नियुक्त किया गया है। वहीं, उप्र लोक सेवा आयोग प्रयागराज में उप सचिव के पद पर कार्यरत देवी प्रसाद पाल को चित्रकूट का नया मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) बनाया गया है।

प्रेरणा शर्मा को एसीईओ इन्वेस्ट यूपी की भी मिली जिम्मेदारी

विशेष सचिव उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण, विभागाध्यक्ष खाद्य प्रसंस्करण और निदेशक रेशम के पद पर तैनात प्रेरणा शर्मा को विशेष सचिव अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग के साथ-साथ एसीईओ इन्वेस्ट यूपी की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके अलावा विशेष सचिव एपीसी शाखा टीके शिबु को अपने वर्तमान पद के साथ विशेष सचिव उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण एवं विभागाध्यक्ष खाद्य प्रसंस्करण का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है।

सौरभ पांडेय, एसडीएम संभल को एडीएम (न्यायिक) संभल बनाया गया

विशेष सचिव रेशम विभाग देवेंद्र कुमार सिंह कुशवाहा को निदेशक रेशम का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।पीसीएस अधिकारियों में सौरभ कुमार पांडेय, एसडीएम संभल को एडीएम (न्यायिक) संभल बनाया गया है। अजय कुमार त्रिपाठी को उप निदेशक स्थानीय निकाय निदेशालय से अपर नगर आयुक्त शाहजहांपुर के पद पर तैनाती दी गई है। वहीं, पूनम निगम को अपर आयुक्त कानपुर मंडल से उप सचिव लोक सेवा आयोग प्रयागराज और सुशीला को राजस्व परिषद से अपर आयुक्त कानपुर मंडल बनाया गया है।
यूपी में जश्न का मौका: 24/25 और 30/31 दिसंबर को रात 11 बजे तक खुलेंगी मदिरा पान की दुकानें
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में जश्न मनाने वालों के लिए बड़ी खुशखबरी है। क्रिसमस और नववर्ष के अवसर पर राज्य सरकार ने मदिरा पान करने वालों को विशेष राहत दी है। प्राप्त जानकारी के अनुसार 24/25 दिसंबर तथा 30/31 दिसंबर की रात को प्रदेश भर में मदिरा पान की दुकानें रात 11:00 बजे तक खुली रहेंगी। इस निर्णय से नए साल और क्रिसमस के जश्न की तैयारियों में जुटे लोगों को काफी सहूलियत मिलेगी।

आबकारी विभाग द्वारा जारी निर्देशों के तहत यह व्यवस्था केवल निर्धारित तिथियों के लिए ही लागू रहेगी। सामान्य दिनों की तरह अन्य सभी नियम और शर्तें यथावत रहेंगी। अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि तय समय के बाद किसी भी दुकान को खुला रखने की अनुमति नहीं होगी और नियमों का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

दुकानदारों में भी इस फैसले को लेकर उत्साह देखा जा रहा है, क्योंकि इससे बिक्री बढ़ने की संभावना है। वहीं प्रशासन ने कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस और आबकारी विभाग को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं। सरकार का यह फैसला त्योहारों के माहौल को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, ताकि लोग जिम्मेदारी के साथ उत्सव का आनंद उठा सकें।
*गोमती मित्रों ने किया श्रमदान,सीताकुंड धाम पर चलाया सफाई अभियान*
सुल्तानपुर,गोमती मित्र मंडल ने अपने साप्ताहिक श्रमदान के दिन एक बार पुनः सीताकुंड धाम पर वृहद स्तर पर स्वच्छता जागरूकता अभियान चलाकर न केवल पूरे परिसर को साफ सुथरा किया बल्कि वहां उपस्थित श्रद्धालुओं और निवासियों से धाम पर स्वच्छता बनाए रखने का निवेदन भी किया। श्रमदान शुरू होने के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मदन सिंह के साथ सभी उपस्थित गोमती मित्रों ने वंदे मातरम का सामूहिक गान किया व जोरदार तरीके से भारत माता की जय के जयकारे लगाये, घने कोहरे के बीच श्रमदान प्रातः 6:30 बजे शुरू हुआ। श्रमदान में मुख्य रूप से संरक्षक रतन कसौधन,प्रदेश अध्यक्ष रुद्र प्रताप सिंह मदन,मीडिया प्रभारी रमेश माहेश्वरी, सेनजीत कसौधन दाऊ,मुन्ना सोनी,राकेश सिंह दद्दू,युवा मण्डल अध्यक्ष अजय वर्मा,आलोक तिवारी,राकेश मिश्रा,आयुष सोनी,ओम प्रकाश पांडे,अरुण गुप्ता,श्याम मौर्या आदि उपस्थित रहे।
यूपी भाजपा को नया अध्यक्ष, पंकज चौधरी के सामने संगठन से लेकर सियासी संतुलन तक की बड़ी अग्निपरीक्षा

लखनऊ । राजधानी लखनऊ में हुए भव्य मेगा इवेंट के साथ उत्तर प्रदेश भाजपा को नया संगठन प्रमुख मिल गया है। महाराजगंज से सात बार सांसद रह चुके और केंद्रीय मंत्री पंकज चौधरी को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई है। मंच से नाम की औपचारिक घोषणा होते ही समर्थकों में उत्साह की लहर दौड़ गई, लेकिन इस राजनीतिक ताजपोशी के साथ ही चौधरी के सामने चुनौतियों का लंबा और कठिन रास्ता भी खुल गया है।

देश के सबसे बड़े राज्य में पार्टी संगठन की कमान संभालना सिर्फ सम्मान नहीं, बल्कि एक बड़ी जिम्मेदारी है। खासकर ऐसे समय में, जब 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को अपेक्षित परिणाम नहीं मिले और पार्टी 2019 की तुलना में भारी नुकसान झेल चुकी है।

2019 से 2024 तक का सफर और फिसलता सियासी आधार

2019 में जहां भाजपा ने उत्तर प्रदेश से 62 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी, वहीं 2024 में यह आंकड़ा घटकर 36 पर आ गया। पार्टी के आंतरिक आकलन में इस गिरावट की सबसे बड़ी वजह कोर वोट बैंक— कुर्मी समाज—का खिसकना माना गया। कई सीटों पर हार की कहानी इसी सामाजिक समीकरण से जुड़कर सामने आई।

पंकज चौधरी के सामने सबसे बड़ी चुनौती

अब नए प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर पंकज चौधरी के सामने सबसे बड़ी चुनौती इसी भरोसे को दोबारा कायम करने की है। पार्टी नेतृत्व को उम्मीद है कि एक अनुभवी, मूल काडर से जुड़े और कुर्मी समाज में प्रभाव रखने वाले नेता के रूप में चौधरी इस नुकसान की भरपाई कर सकते हैं।

पंचायत से विधानसभा तक—चुनावों की कतार

पंकज चौधरी की जिम्मेदारी सिर्फ संगठन चलाने तक सीमित नहीं है। उनके सामने अगले साल प्रस्तावित पंचायत चुनाव और फिर 2027 का विधानसभा चुनाव है, जहां पिछड़ा वर्ग, खासकर कुर्मी वोट बैंक को साधना निर्णायक साबित होगा। इसके साथ ही संगठन के भीतर लंबे समय से उपेक्षित महसूस कर रहे कार्यकर्ताओं की नाराजगी को दूर करना भी एक बड़ी चुनौती के रूप में देखा जा रहा है।

पार्टी के भीतर यह आवाज लगातार उठती रही है कि कई कार्यकर्ता वर्षों से विभिन्न बोर्डों, निगमों और संस्थाओं में मनोनयन का इंतजार कर रहे हैं। इस असंतोष को संभालना और संगठन को फिर से सक्रिय करना नए अध्यक्ष के लिए आसान नहीं होगा।

सरकार और संगठन के बीच संतुलन भी परीक्षा

संगठन प्रमुख के तौर पर पंकज चौधरी को सरकार और कार्यकर्ताओं के बीच सेतु की भूमिका निभानी होगी। थानों, पुलिस और प्रशासनिक स्तर पर सुनवाई न होने की शिकायतें, स्थानीय नेताओं की अपेक्षाएं और सरकार के साथ तालमेल—इन सभी मुद्दों को साधना उनकी राजनीतिक सूझबूझ और संगठनात्मक क्षमता की कसौटी बनेगा।यह भी माना जा रहा है कि केंद्र की राजनीति में लंबा अनुभव रखने वाले पंकज चौधरी के लिए राज्य स्तर की रोजमर्रा की सियासत और संगठनात्मक दबाव एक नई चुनौती पेश करेगा।

कुर्मी समाज और नेतृत्व की उम्मीद

यादवों के बाद पिछड़े वर्ग में सबसे प्रभावशाली माने जाने वाले कुर्मी समाज का भाजपा से दूर होना पार्टी के लिए चेतावनी की घंटी साबित हुआ था। भले ही पार्टी में कई कुर्मी नेता मंत्री और विधायक हों, लेकिन प्रभाव और स्वीकार्यता के स्तर पर पंकज चौधरी और जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह को ही मूल काडर के बड़े चेहरे के तौर पर देखा जाता है।

भाजपा ने पंकज चौधरी को संगठन का चेहरा बनाया

इसी राजनीतिक हकीकत को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने पंकज चौधरी को संगठन का चेहरा बनाया है। अब देखना यह होगा कि वह संगठन को कितनी तेजी से संभालते हैं और 2027 की सियासी लड़ाई के लिए भाजपा को किस तरह तैयार करते हैं।
पंकज चौधरी उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष निर्वाचित, सीएम योगी ने जताया हर्ष
लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी की उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष के लिए केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी को निर्वाचित घोषित किया गया। पंकज के अध्यक्ष घोषित होने पर भाजपा के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सहित वरिष्ठ नेताओं ने हर्ष व्यक्त किया।

भूपेंद्र चौधरी ने पंकज को पार्टी का झण्डा सौंपा

रविवार को यहां डॉ राममनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के अम्बेडकर सभागार में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय चुनाव अधिकारी व केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने जैसे ही उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद के लिए पंकज चौधरी के नाम की घोषणा की। सम्पूर्ण सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा। भाजपा के निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने पंकज को पार्टी का झण्डा सौंपा।

नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष का किया स्वागत

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केन्द्रीय मंत्री बीएल वर्मा, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक और पार्टी के प्रदेश महामंत्री ने नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष का स्वागत किया। इस अवसर पर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ रमापति राम त्रिपाठी, सूर्य प्रताप शाही, डॉ लक्ष्मीकांत बाजपेई, डॉ महेंद्र नाथ पांडेय और स्वतंत्रत देव सिंह आदि उपस्थित रहे।
झारखंड बिजली उपभोक्ताओं को बड़ा झटका! जेबीवीएनएल ने 2026-27 के लिए टैरिफ में 59% तक बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया

रांची: झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) ने वित्तीय वर्ष 2026-27 के लिए बिजली की दरों (टैरिफ) में 59 प्रतिशत तक की भारी बढ़ोतरी का प्रस्ताव झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग (जेएसईआरसी) के समक्ष प्रस्तुत किया है।

बढ़ोतरी का कारण और वित्तीय आवश्यकता

राजस्व अंतर (Revenue Gap): निगम को वर्ष 2023-24 तक ₹4991.67 करोड़ का ट्रू-अप रेवेन्यू गैप दर्ज किया गया था।

आवश्यकता: वित्तीय लेखा-जोखा के अनुसार, जेबीवीएनएल को वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए ₹15584.46 करोड़ के राजस्व की आवश्यकता है।

वर्तमान वसूली: वर्तमान दरों के अनुसार, निगम की राजस्व वसूली केवल ₹9794.76 करोड़ होगी।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश: निगम ने अपने प्रस्ताव में कहा है कि अगस्त 2025 में जारी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, उन्हें यह रेवेन्यू गैप तीन वर्षों में समाप्त करना है। इसीलिए 2025-26 में ₹15584.46 करोड़ की राजस्व वसूली के लिए 59% की बढ़ोतरी का प्रस्ताव सौंपा गया है।

अन्य राज्यों से तुलना

जेबीवीएनएल ने अपने टैरिफ पिटीशन में विभिन्न राज्यों से तुलना की है:

श्रेणी झारखंड की दरें तुलनात्मक स्थिति

घरेलू दर (200 यूनिट से अधिक) 201 से 400 यूनिट तक सरकार देती है अनुदान। राजस्थान और बिहार में दरें झारखंड से अधिक हैं। उत्तर प्रदेश में दरें बराबर हैं।

फिक्स्ड चार्ज प्रति कनेक्शन के आधार पर लिया जाता है। अधिकांश राज्य (बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली) प्रति किलोवॉट के आधार पर निर्धारित करते हैं।

पिछले पांच वर्षों में दर वृद्धि

जेबीवीएनएल के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में झारखंड में बिजली की दरें तीन बार बढ़ी हैं:

वित्तीय वर्ष दर वृद्धि

2025-26 6.34%

2024-25 कोई बढ़ोतरी नहीं

2023-24 7.66%

2022-23 कोई बढ़ोतरी नहीं

2021-22 6.50%

प्री-पेड मीटर कनेक्शन नियम

प्रीपेड मीटर वाले उपभोक्ताओं के लिए यह नियम है कि बकाया या बैलेंस नहीं रहने पर कनेक्शन स्वतः कट जाता है और भुगतान/रिचार्ज करने पर खुद जुड़ जाता है। तकनीकी त्रुटि होने पर उपभोक्ता जांच और सुधार के लिए संबंधित कार्यालय में आवेदन कर सकते हैं।

आख़िर क्या करके मानेगा यह धुरंधर समाजसेवी व एंटरप्रेन्योर एम.के. भाटिया
आशीष कुमार

मुजफ्फरनगर/चंडीगढ़। समाजसेवा, उद्योग और टीम बिल्डिंग के अनोखे तरीकों के लिए पहचाने जाने वाले धुरंधर समाजसेवी व एंटरप्रेन्योर एम.के. भाटिया एक बार फिर चर्चा में हैं। गत दिवस एम.के. भाटिया अपनी करीब 100युवाओं की टीम के साथ फिल्म ‘धुरंधर’ देखने सिनेमा हॉल पहुँचे। यह महज़ एक फिल्म देखना नहीं था, बल्कि इसके पीछे एक गहरा और प्रेरणादायक संदेश छिपा था।

दरअसल, एम.के. भाटिया ने इस माध्यम से अपनी टीम को यह मोटिवेशनल संदेश देने का प्रयास किया कि जीवन के हर कार्य, हर फील्ड और हर क्षेत्र में धुरंधर बनकर आगे बढ़ना ही सफलता की कुंजी है। उन्होंने युवाओं को समझाया कि चुनौतियों से घबराने के बजाय उन्हें अवसर में बदलना चाहिए और अपने काम में उत्कृष्टता हासिल करनी चाहिए।

टीम के सदस्यों के अनुसार, फिल्म के बाद हुई बातचीत में भाटिया ने कहा कि आज का युवा अगर लक्ष्य के प्रति स्पष्ट, मेहनती और सकारात्मक सोच वाला हो, तो कोई भी मुकाम दूर नहीं। उन्होंने टीमवर्क, अनुशासन और निरंतर सीखने पर विशेष ज़ोर दिया।

एम.के. भाटिया का यह कदम न केवल उनकी टीम के लिए प्रेरणास्रोत बना, बल्कि यह भी दर्शाता है कि वह पारंपरिक तरीकों से हटकर युवाओं को मोटिवेट करने में विश्वास रखते हैं। यही वजह है कि लोग आज यह कहने पर मजबूर हैं—आख़िर यह धुरंधर समाजसेवी व एंटरप्रेन्योर एम.के. भाटिया करके ही मानेगा।
लखनऊ में आज होगा बड़ा ऐलान, पंकज चौधरी बनेंगे यूपी भाजपा अध्यक्ष
लखनऊ । उत्तर प्रदेश भाजपा के संगठनात्मक सियासत में आज एक बड़ा अध्याय जुड़ने जा रहा है। महीनों से चल रहे मंथन, रणनीतिक बैठकों और बंद कमरों की चर्चाओं के बाद आखिरकार पार्टी ने अपने अगले प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर मुहर लगा दी है। औपचारिक घोषणा भले ही दोपहर में हो, लेकिन तस्वीर अब पूरी तरह साफ है— पंकज चौधरी उत्तर प्रदेश भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष होंगे।

पंकज चौधरी के अलावा किसी अन्य नेता ने नामांकन नहीं किया

प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए नामांकन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और खास बात यह रही कि पंकज चौधरी के अलावा किसी अन्य नेता ने नामांकन नहीं किया। ऐसे में उनका निर्विरोध चुना जाना तय माना जा रहा है। आज दोपहर 1 बजे राजधानी लखनऊ में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम के दौरान इसका औपचारिक ऐलान किया जाएगा। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पार्टी के तमाम दिग्गज नेता मौजूद रहेंगे।

नामांकन के दिन दिखा शक्ति प्रदर्शन, संगठन एकजुट

शनिवार को भाजपा प्रदेश मुख्यालय में पंकज चौधरी ने अपना नामांकन दाखिल किया। नामांकन के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय पर्यवेक्षक विनोद तावड़े और मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी मंच पर मौजूद रहे। पंकज चौधरी के प्रस्तावकों की सूची भी अपने आप में सियासी संदेश दे गई—सीएम योगी, दोनों उपमुख्यमंत्री, पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, स्वतंत्र देव सिंह, दारा सिंह चौहान, एके शर्मा, असीम अरुण समेत कई बड़े चेहरे उनके समर्थन में खड़े दिखे।

एयरपोर्ट से लेकर पार्टी कार्यालय तक हुआ भव्य स्वागत

लखनऊ पहुंचते ही पंकज चौधरी का एयरपोर्ट से लेकर पार्टी कार्यालय तक जोरदार स्वागत हुआ। खासतौर पर उनके गृह क्षेत्र महाराजगंज से पहुंचे कार्यकर्ताओं में भारी उत्साह देखने को मिला। साफ संकेत था कि संगठन में उनके नाम पर व्यापक सहमति बन चुकी है।

क्यों पंकज चौधरी? इसके पीछे छुपी है बड़ी सियासी रणनीति

भाजपा ने पंकज चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर सिर्फ एक संगठनात्मक नियुक्ति नहीं की है, बल्कि 2027 के विधानसभा चुनाव की बुनियाद रखने का काम किया है। पूर्वांचल के कद्दावर नेता, सात बार के सांसद और वर्तमान में केंद्रीय मंत्री रहे पंकज चौधरी को संगठन की कमान सौंपने के पीछे कई अहम सियासी कारण माने जा रहे हैं।

सबसे बड़ा कारण है— कुर्मी वोट बैंक

यादवों के बाद प्रदेश में कुर्मी समाज को पिछड़ों में सबसे प्रभावशाली माना जाता है और लंबे समय तक यह भाजपा का मजबूत आधार रहा है। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने इस वोट बैंक में बड़ी सेंध लगाई, जिसका असर भाजपा के सीट आंकड़ों पर साफ दिखा। 2019 में 62 सीटें जीतने वाली भाजपा 2024 में 36 सीटों पर सिमट गई।

कुर्मी समाज को साधने की आखिरी कड़ी?

लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी के आंतरिक विश्लेषण में सामने आया कि मिर्जापुर, वाराणसी, प्रयागराज, प्रतापगढ़ और कौशांबी जैसे कुर्मी बहुल इलाकों में एनडीए का प्रदर्शन कमजोर रहा। यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वाराणसी सीट पर भी जीत का अंतर कम हुआ।पार्टी नेतृत्व इस बात को लेकर आश्वस्त हुआ कि कुर्मी समाज के बीच भरोसा बहाल करने के लिए मूल काडर से निकले, जमीन से जुड़े और प्रभावी चेहरे की जरूरत है।

9 बार लोकसभा चुनाव लड़ चुके पंकज चौधरी

यही वजह है कि शीर्ष नेतृत्व की नजर पंकज चौधरी पर जाकर ठहरी। पार्टी के भीतर उन्हें इस समय सबसे वरिष्ठ और स्वीकार्य कुर्मी नेता के तौर पर देखा जा रहा है। 9 बार लोकसभा चुनाव लड़ चुके पंकज चौधरी ने 7 बार जीत हासिल की है—वह भी ऐसे समय में जब पार्टी सत्ता में नहीं थी। यही उनकी सबसे बड़ी राजनीतिक पूंजी मानी जा रही है।

2027 का रोडमैप और संगठन को नया संदेश

पंकज चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर भाजपा ने कार्यकर्ताओं को भी साफ संदेश दिया है कि पार्टी अपने मूल काडर और समर्पित नेताओं की कद्र करना जानती है। संगठनात्मक अनुभव, चुनावी विश्वसनीयता और सामाजिक संतुलन—तीनों को साधने की कोशिश इस फैसले में साफ झलकती है। अब सबकी नजर इस पर है कि पंकज चौधरी संगठन को किस तरह मजबूत करते हैं और 2027 के रण में भाजपा को किस रणनीति के साथ उतारते हैं। इतना तय है कि उत्तर प्रदेश की सियासत में यह नियुक्ति आने वाले दिनों में बड़े राजनीतिक समीकरणों को जन्म देने वाली है।
अज्ञात परिस्थितियों में 35 वर्षीय युवक का शव मिलने से मचा हड़कंप, परिजनों ने जताई हत्या की आशंका
अहरौला। अहरौला थाना क्षेत्र के शंभूपुर पूरा गांव निवासी 35 वर्षीय युवक का शव रविवार सुबह संदिग्ध परिस्थितियों में मिलने से क्षेत्र में सनसनी फैल गई। मृतक की पहचान मिथिलेश सिंह पुत्र इंद्रसेन सिंह के रूप में हुई है। उनका शव लेदौरा गांव स्थित मौनी बाबा के कुटिया से करीब 500 मीटर पश्चिम की तरफ पड़ा मिला। प्रातःकाल जब ग्रामीण शौच आदि के लिए उधर गए तो उन्होंने मिथिलेश सिंह को अचेत अवस्था में पड़ा देखा। इसकी सूचना तत्काल परिजनों को दी गई। परिजनों को पहले विश्वास नहीं हुआ, क्योंकि मिथिलेश बनारस में रहकर काम करता था। सूचना मिलने के बाद मृतक के बड़े भाई दुर्गेश सिंह समेत परिवार के अन्य सदस्य मौके पर पहुंचे, जहां मिथिलेश का शव देख उनके होश उड़ गए। मृतक के बड़े भाई दुर्गेश सिंह ने बताया कि मिथिलेश पिछले करीब 15 दिनों से बनारस में काम कर रहा था। उन्हें यह जानकारी नहीं है कि वह गांव कब आया और किन परिस्थितियों में उसकी मौत हो गई। परिजनों ने साफ तौर पर हत्या का आरोप लगाते हुए निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। ग्रामीणों के अनुसार, शनिवार की शाम मिथिलेश को कुछ लोगों के साथ एक दुकान पर देखा गया था, जिसके बाद से उसका कोई पता नहीं चला। इससे मामले को लेकर संदेह और गहरा गया है। सूचना मिलते ही अहरौला थाना अध्यक्ष अमित मिश्रा पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। कुछ ही देर में क्षेत्राधिकार बुढ़नपुर अजय कुमार सिंह भी घटनास्थल पर पहुंच गए। पुलिस ने शव का पंचनामा कराकर पोस्टमार्टम के लिए भेजने की तैयारी शुरू कर दी। क्षेत्राधिकार बुढ़नपुर अजय कुमार सिंह ने बताया कि प्रथम दृष्टया शरीर पर कुछ ऐसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं, जिससे किसी जहरीले पदार्थ के सेवन की आशंका जताई जा रही है। शरीर पर कही भी चोट के निशान नही दिखाई दिए है हालांकि वास्तविक कारण पोस्टमार्टम रिपोर्ट और जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा। मामले की गंभीरता को देखते हुए फोरेंसिक टीम और डॉग स्क्वॉड को भी मौके पर बुलाया गया है। मृतक मिथिलेश सिंह तीन भाइयों में दूसरे नंबर पर थे और अविवाहित थे। वह रोजी-रोटी के लिए पिछले 5–6 वर्षों से बनारस में POP का काम कर रहे थे। परिजनों का कहना है कि 15 दिन पहले वह बनारस काम पर गए थे, लेकिन इस बीच क्या हुआ, इसकी कोई जानकारी उन्हें नहीं है। मृतक के भाई दुर्गेश सिंह ने कहा की ये हत्या है और शव को फॉरेंसिक टीम आ जाने के बाद ही पोस्टमार्टम के लिए ले जाया जाएगा । पुलिस अधिकारियों ने परिजनों को समझा-बुझाकर कर शव पोस्टमार्टम के लिए भेजने पर सहमति बनाई। थाना अध्यक्ष अमित मिश्रा कहा की जांच में जो भी तथ्य सामने आएंगे, उनके आधार पर आगे की विधिक कार्रवाई की जाएगी। यदि मामला हत्या का पाया जाता है तो आरोपियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।
रांची में ठंड आते ही अंडे की कीमतों में भारी उछाल

खुले बाजार में ₹9/पीस मिल रहा अंडा, ट्रे का दाम ₹230 तक; थोक विक्रेता भी हैरान

रांची: राजधानी रांची में ठंड का मौसम शुरू होते ही अंडे की कीमतों में भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जिससे यह आम लोगों की पहुँच से दूर होता जा रहा है। थोक विक्रेताओं के अनुसार, अंडे की कीमत इतनी अधिक पहले कभी नहीं हुई थी।

वर्तमान खुदरा और थोक मूल्य (14 दिसंबर 2025)

वस्तु कीमत

खुला बाजार (एक पीस) ₹9.00

एक दर्जन ₹95.00 से ₹100.00

एक ट्रे (30 पीस) ₹225.00 से ₹230.00

पेटी (210 पीस) ₹1570.00

थोक विक्रेताओं ने बताया कि गर्मी के मौसम में यही अंडा ₹160 प्रति ट्रे की दर से बिक रहा था, जिसके बाद से धीरे-धीरे कीमत बढ़ती चली गई। पिछले साल, यह ₹200 से ₹210 प्रति ट्रे की दर से बिका था।

अन्य अंडों के दाम

अंडे का प्रकार खुदरा कीमत (प्रति पीस)

देशी अंडा (लोकल) ₹16.00 से ₹17.00

सोनाली मुर्गी का अंडा ₹13.00 से ₹14.00

बत्तख का अंडा ₹12.00 से ₹13.00

देशी अंडे की कीमत अधिक होने के कारण केवल शौकिया लोग ही इसकी खरीदारी कर रहे हैं। दुकानदारों का कहना है कि फिलहाल कीमत कम होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं।

आपूर्ति स्रोत

वर्तमान में रांची में अंडे की मुख्य आपूर्ति आंध्र प्रदेश और ओड़िशा से हो रही है। इसके अलावा, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ से भी अंडे की आवक होती है।

ठंड में अंडा क्यों है पसंद?

ठंड के मौसम में लोग अंडा खाना ज्यादा पसंद करते हैं क्योंकि यह:

गर्मी और ऊर्जा: शरीर को गर्माहट और पोषण देता है। अंडे में भरपूर मात्रा में प्रोटीन और फैट होता है, जो शरीर में गर्मी बनाए रखने में मदद करता है।

पाचन और कैलोरी: इसे पचाने में शरीर अधिक ऊर्जा खर्च करता है, जिससे ठंड कम महसूस होती है। सर्दियों में शरीर को ज्यादा कैलोरी की जरूरत होती है, जिसे अंडा आसानी से पूरा करता है।

स्वास्थ्य लाभ: यह इम्यूनिटी बढ़ाने, मांसपेशियों को मजबूत करने और कमजोरी दूर करने में भी मददगार होता है।

प्रदेश में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल, 5 IAS और 4 PCS अधिकारियों के तबादले

लखनऊ। प्रदेश सरकार ने शनिवार को प्रशासनिक स्तर पर बड़ा फेरबदल करते हुए 5 आईएएस और 4 पीसीएस अधिकारियों के तबादले कर दिए। चित्रकूट के सीडीओ पद पर तैनात राजेश कुमार को यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) का अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी (एसीईओ) नियुक्त किया गया है। वहीं, उप्र लोक सेवा आयोग प्रयागराज में उप सचिव के पद पर कार्यरत देवी प्रसाद पाल को चित्रकूट का नया मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) बनाया गया है।

प्रेरणा शर्मा को एसीईओ इन्वेस्ट यूपी की भी मिली जिम्मेदारी

विशेष सचिव उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण, विभागाध्यक्ष खाद्य प्रसंस्करण और निदेशक रेशम के पद पर तैनात प्रेरणा शर्मा को विशेष सचिव अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग के साथ-साथ एसीईओ इन्वेस्ट यूपी की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके अलावा विशेष सचिव एपीसी शाखा टीके शिबु को अपने वर्तमान पद के साथ विशेष सचिव उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण एवं विभागाध्यक्ष खाद्य प्रसंस्करण का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है।

सौरभ पांडेय, एसडीएम संभल को एडीएम (न्यायिक) संभल बनाया गया

विशेष सचिव रेशम विभाग देवेंद्र कुमार सिंह कुशवाहा को निदेशक रेशम का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।पीसीएस अधिकारियों में सौरभ कुमार पांडेय, एसडीएम संभल को एडीएम (न्यायिक) संभल बनाया गया है। अजय कुमार त्रिपाठी को उप निदेशक स्थानीय निकाय निदेशालय से अपर नगर आयुक्त शाहजहांपुर के पद पर तैनाती दी गई है। वहीं, पूनम निगम को अपर आयुक्त कानपुर मंडल से उप सचिव लोक सेवा आयोग प्रयागराज और सुशीला को राजस्व परिषद से अपर आयुक्त कानपुर मंडल बनाया गया है।
यूपी में जश्न का मौका: 24/25 और 30/31 दिसंबर को रात 11 बजे तक खुलेंगी मदिरा पान की दुकानें
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में जश्न मनाने वालों के लिए बड़ी खुशखबरी है। क्रिसमस और नववर्ष के अवसर पर राज्य सरकार ने मदिरा पान करने वालों को विशेष राहत दी है। प्राप्त जानकारी के अनुसार 24/25 दिसंबर तथा 30/31 दिसंबर की रात को प्रदेश भर में मदिरा पान की दुकानें रात 11:00 बजे तक खुली रहेंगी। इस निर्णय से नए साल और क्रिसमस के जश्न की तैयारियों में जुटे लोगों को काफी सहूलियत मिलेगी।

आबकारी विभाग द्वारा जारी निर्देशों के तहत यह व्यवस्था केवल निर्धारित तिथियों के लिए ही लागू रहेगी। सामान्य दिनों की तरह अन्य सभी नियम और शर्तें यथावत रहेंगी। अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि तय समय के बाद किसी भी दुकान को खुला रखने की अनुमति नहीं होगी और नियमों का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

दुकानदारों में भी इस फैसले को लेकर उत्साह देखा जा रहा है, क्योंकि इससे बिक्री बढ़ने की संभावना है। वहीं प्रशासन ने कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस और आबकारी विभाग को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं। सरकार का यह फैसला त्योहारों के माहौल को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, ताकि लोग जिम्मेदारी के साथ उत्सव का आनंद उठा सकें।