*सुबह 10 से पहले रात 10 बजे के बाद हो रही ओवर रेट पर शराब कि बिक्री,अधिकारी मौन क्यों:*
मेरठ। शहर में कानून व्यवस्था और प्रशासन के दावों को धत्ता बताते हुए शराब माफियाओं का बोलबाला एक बार फिर खुलकर सामने आ गया है। शहर के कई इलाकों में सुबह 10 से पहले और रात 10 बजे के बाद भी खुलेआम शराब बेची जा रही है, और वह भी ओवर रेट पर। सवाल यह उठता है कि इतनी बड़ी गतिविधि के बावजूद आबकारी विभाग और पुलिस मौन क्यों है?
पहले फूलबाग कॉलोनी फिर केंटोमेंट हॉस्पिटल के सामने और अब कुटी पर सुबह हीं बिकती मिली शराब!
कुटी स्थित पेट्रोल पंप के बराबर मे देशी शराब का ठेका सुबह जल्दी व देर रात के समय नशेड़ियों का अड्डा बन चुका है। जानकारी के अनुसार, यहाँ रात 10 बजे के बाद भी शराब बिक्री जारी रहती है, और ₹ 75 की बोतल ₹90 में बेची जा रही है। स्थानीय लोगों ने कई बार वीडियो साक्ष्यों सहित आबकारी विभाग में शिकायतें दर्ज कराई, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ औपचारिकता निभाई गई। वीडियो सबूतों के बावजूद न तो ओवररेट का चालान हुआ और न ही किसी कर्मचारी पर कार्रवाई। सूत्रों के अनुसार,
ओवर रेट पर चालान की राशि ₹75,000 तय है,
जबकि ओवर टाइम बिक्री पर मात्र ₹5,000 का चालान होता है। ऐसे में अधिकारी ओवररेट को ओवर टाइम बताकर मामूली चालान कर अपनी जिम्मेदारी से बच निकलते हैं। जिसका जीता जागता सबूत केंटमेंट के सामने ठेके कि विडिओ वायरल के बाद हुआ! और यही कारण है कि अवैध बिक्री का खेल अब भी जारी है।
गढ़ अड्डे और कुटी पर खुलेआम शराबखोरी:
फूलबाग ही नहीं, बल्कि गढ़ अड्डा, और शहर के कुछ मुख्य चौराहे भी देर रात शराबियों के अड्डे बन चुके हैं। गढ़ अड्डे के सामने तो खुलेआम सड़क किनारे शराब पी जाती है।
कुछ समय पहले इस मामले में शहर के कप्तान ने सख्ती दिखाते हुए चौकी इंचार्ज को निलंबित किया था, लेकिन कुछ ही दिनों बाद वही हालात दोबारा लौट आए — जो दर्शाता है कि पुलिस की कार्रवाई सिर्फ कागज़ों तक सीमित है।
‘ बाबू डॉन’ और होटल-ढाबों की आड़ में अवैध कारोबार
बस अड्डे के बराबर में चलने वाला ‘बाबू डॉन जूस ठेला’ और गढ़ अड्डे के सामने हिमालय गेस्ट हाउस भी इन दिनों चर्चा में है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह ठेला रात में जूस नहीं, बल्कि शराब परोसने का अड्डा बन जाता है।और होटल गेस्ट हाउस भी अय्याशी के लिए मशहूर है!
इसी तरह हारमोनी होटल के पास और कुटी पेट्रोल पंप के नजदीक भी देर रात शराब की बिक्री होती है। इन स्थानों पर आए दिन लोगों की भीड़ और झगड़े की घटनाएँ होती रहती हैं,
फिर भी प्रशासनिक अमला मानो आँखें मूँदे बैठा है।
प्रशासनिक मिलीभगत या लापरवाही?
शहर के जानकारों का कहना है कि जब इतने वीडियो और शिकायतें प्रशासन के पास पहुँच चुकी हैं, तो कार्रवाई न होने का मतलब है कि कहीं न कहीं अंदरूनी मिलीभगत है।
आबकारी विभाग अधिकारियों की निष्क्रियता ने न केवल कानून व्यवस्था को कमजोर किया है,
बल्कि ईमानदार पुलिसकर्मियों की छवि पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
जनता की माँग – सख्त कार्रवाई हो
स्थानीय नागरिकों और समाजसेवी संगठनों ने आबकारी आयुक्त से तत्काल जांच की माँग की है।
लोगों का कहना है कि—
ओवर रेट और ओवर टाइम में संलिप्त ठेकेदारों पर भारी जुर्माना लगे। संबंधित अधिकारियों की भूमिका की जांच कर निलंबन और विभागीय कार्यवाही की जाए।
रात 10 बजे के बाद शराब बिक्री पर सख्त निगरानी रखी जाए।
मेरठ शहर में शराब का कारोबार अब खुलेआम चुनौती बनता जा रहा है। जहाँ एक ओर जनता सुरक्षा और शांति की उम्मीद करती है, वहीं दूसरी ओर अधिकारी भ्रष्टाचार की चादर ओढ़कर कानून की धज्जियाँ उड़ाने वालों को संरक्षण देते दिख रहे हैं।
> अगर अब भी प्रशासन नहीं जागा, तो मेरठ जल्द ही ‘ओवर रेट और ओवर टाइम के शहर’ के नाम से जाना जाएगा।*
6 hours ago
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