देव नागरी महाविद्यालय में फॉरेंसिक साइंस विषय पर रोचक कार्यशाला आयोजित

मेरठ।19 नवम्बर 2025। देव नागरी महाविद्यालय के प्राणीशास्त्र (Zoology) विभाग द्वारा आज “फॉरेंसिक साइंस एवं उसके प्रकार : डीएनए परीक्षण तथा नारकोटिक्स ड्रग्स” विषय पर एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता रहे फॉरेंसिक साइंस लेबोरेट्री, लखनऊ (उत्तर प्रदेश) के उपनिदेशक डॉ. राजेन्द्र सिंह, जिनका प्रमुख कार्यक्षेत्र सेरोलॉजी, बायोलॉजी, नारकोटिक्स तथा क्राइम सीन इन्वेस्टिगेशन रहा है।

दीप प्रज्वलन एवं स्वागत समारोह

कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन के साथ हुई। महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. बी.एस. यादव ने पुष्पगुच्छ भेंटकर मुख्य अतिथि का स्वागत किया। कार्यक्रम का मंच संचालन Zoology विभाग के डॉ. प्रवीण कुमार ने किया।

फॉरेंसिक साइंस के बहुआयामी पहलुओं पर विस्तृत चर्चा

अपने व्याख्यान में डॉ. राजेन्द्र सिंह ने फॉरेंसिक साइंस के महत्व, कार्यप्रणाली एवं विभिन्न शाखाओं पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि—

फॉरेंसिक साइंस अपराध स्थल की वैज्ञानिक जाँच का विज्ञान है।

फॉरेंसिक को अनेक भागों में विभाजित किया गया है—

केमिस्ट्री, टॉक्सिकोलॉजी, फायर एवं विस्फोट परीक्षण

बायोलॉजिकल एग्ज़ामिनेशन, जिसमें DNA एवं सेरोलॉजी के मामले शामिल होते हैं

फिजिकल एग्ज़ामिनेशन, जिसमें फिजिक्स, बैलिस्टिक रिपोर्ट व अन्य भौतिक जाँचें आती हैं

डॉक्यूमेंट एग्ज़ामिनेशन, जिसमें हस्ताक्षर मिलान, लिखावट जाँच, दस्तावेज़ों की सत्यता जाँच शामिल है

उन्होंने बताया कि फॉरेंसिक का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत लोकार्ड का सिद्धांत है, जिसके अनुसार अपराधी अपराध स्थल पर कुछ न कुछ अवश्य छोड़ता है या वहाँ से कुछ लेकर जाता है।

DNA परीक्षण और साइबर फॉरेंसिक पर रोशनी

डॉ. सिंह ने स्पष्ट किया कि DNA परीक्षण उम्र से प्रभावित नहीं होता और यह हमेशा स्थायी रहता है। DNA जाँच के लिए वीर्य, रक्त, बाल, त्वचा, हड्डियाँ, दाँत, भ्रूण, मांसपेशियाँ आदि नमूने लिए जा सकते हैं।

साइबर फॉरेंसिक के अंतर्गत—

ऑडियो–वीडियो जांच

डेटा रिकवरी (चाहे 10 वर्ष पुराना और डिलीटेड ही क्यों न हो)

जैसी तकनीकों का उपयोग किया जाता है।

उन्होंने नार्को टेस्ट, ब्रेन मैपिंग एवं लाई डिटेक्टर जैसे बिहेवियर साइंस के आधुनिक परीक्षणों के बारे में भी विस्तार से बताया। फोटो व वीडियो एविडेंस के संदर्भ में स्केल फोटोग्राफी को आवश्यक बताया।

कार्यक्रम में भारी संख्या में शिक्षकों व विद्यार्थियों की उपस्थिति

कार्यक्रम में प्राचार्य प्रो. बी.एस. यादव, प्रो. हिमांशु अग्रवाल, प्रो. सविता रानी, महाविद्यालय के चीफ डॉक्टर डॉ. दीपक कुमार, प्रो. वंदना गर्ग, प्रो. शेफाली, प्रो. अंशु ढाका, डॉ. अंजू चौहान, डॉ. जिनेन्द्र बोध, डॉ. प्रवीण कुमार, डॉ. दीपक कुमार, डॉ. विश्वत चौधरी, डॉ. अनिल कुमार, डॉ. चंदन सिंह, डॉ. जयन्त तेवतिया, डॉ. शशांक बघेल, डॉ. अनीता चौधरी, डॉ. अनुज बावरा, शशिकांत, डॉ. भारती, डॉ. अनीता कौशल, हरेंद्र, विशाल सहित Zoology एवं Botany विभाग के सभी विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

अंत में प्राणीशास्त्र विभाग ने मुख्य अतिथि का आभार व्यक्त करते हुए बताया कि ऐसी कार्यशालाएँ विद्यार्थियों के वैज्ञानिक दृष्टिकोण को विकसित करने में अत्यंत उपयोगी सिद्ध होती हैं।

मवाना पुलिस ने फर्जी बीमा पॉलिसी गिरोह का किया पर्दाफाश, पाँच अभियुक्त गिरफ्तार

 

मवाना/मेरठ। संवाददाता

मोनू भाटी

मेरठ जनपद की मवाना थाना पुलिस ने वाहनों के फर्जी बीमा तैयार करने वाले अंतरजनपदीय गिरोह का भंडाफोड़ कर पाँच आरोपियों को गिरफ्तार किया है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मेरठ के निर्देशन में चलाए जा रहे विशेष अभियान के तहत, पुलिस अधीक्षक ग्रामीण और क्षेत्राधिकारी मवाना के मार्गदर्शन तथा थाना प्रभारी निरीक्षक श्रीमती पूनम जादौन के नेतृत्व में यह बड़ी कार्रवाई की गई।

प्राप्त जानकारी के अनुसार वादी अंकुर शर्मा निवासी ग्राम मीवा की तहरीर पर 8 अक्टूबर 2025 को थाना मवाना में मुकदमा संख्या 414/25 पंजीकृत किया गया था। इसी क्रम में व0उ0नि0 भूपेन्द्र कुमार व पुलिस टीम ने नामित अभियुक्त शिवकुमार पुत्र कालीचरण निवासी ग्राम मटौरा को गिरफ्तार किया। कठोर पूछताछ में शिवकुमार ने अपने साथियों का खुलासा किया, जिसके आधार पर पुलिस ने गिरोह के अन्य सदस्यों हितेश कालरा, जतिन राजवंशी, देवेन्द्र सोनी और हिमांशु छाबड़ा के नाम सामने आने की पुष्टि की।

गिरोह के कब्जे से पुलिस ने एक लैपटॉप, पाँच मोबाइल फोन, सात फर्जी मोहरें, चार बीमा कंपनियों के जाली दस्तावेज और तेरह फर्जी बीमा पॉलिसियाँ बरामद कीं। पूछताछ में अभियुक्तों ने बताया कि वे दुर्घटना के समय बीमा रहित वाहनों को निशाना बनाते थे। उसी मॉडल के किसी अन्य वाहन की एक्टिव पॉलिसी की जानकारी लेकर उसमें जालसाजी के जरिए एनडोर्समेंट कर वाहन की आरसी, चेसिस नंबर, इंजन नंबर आदि को एडिट कर देते थे। इसके बाद वाहन स्वामी से मोटी रकम वसूलकर फर्जी मेल आईडी बनाकर कुछ निजी बीमा कंपनियों को परिवर्तन हेतु मेल करते थे, जिससे फर्जी पॉलिसी पोर्टल पर दिखने लगती थी और वाहन मालिक अदालत से वाहन रिलीज करा लेते थे।

पुलिस के अनुसार गिरफ्तार आरोपियों में शिवकुमार और जतिन राजवंशी के खिलाफ पूर्व में भी कई आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। गिरोह मेरठ से लेकर हरियाणा तक सक्रिय था और लंबे समय से फर्जी बीमा प्रपत्र तैयार कर वाहन स्वामियों से ठगी कर रहा था।

गिरफ्तारी करने वाली पुलिस टीम में प्रभारी निरीक्षक पूनम जादौन, व0उ0नि0 भूपेन्द्र कुमार, उ0नि0 सत्येन्द्र कुमार, कांस्टेबल संजय लौर और कांस्टेबल सुधीर कुमार शामिल रहे। पुलिस ने बताया कि गिरोह के नेटवर्क की गहन जांच की जा रही है और अन्य संभावित सहयोगियों की तलाश जारी है।

मवाना पुलिस की इस कार्रवाई से क्षेत्र में फर्जी बीमा कर धोखाधड़ी करने वालों में हड़कंप मचा हुआ है।

कर्नलगंज CHC में नि:शुल्क नेत्र शिविर: 165 मरीजों की जांच, 28 मोतियाबिंद मरीज अयोध्या भेजे गए

कर्नलगंज, गोंडा। जिला दृष्टि हीनता निवारण समिति गोंडा के तत्वाधान में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कर्नलगंज में नि:शुल्क स्क्रीनिंग नेत्र शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में करीब 165 मरीजों की आंखों की जांच की गई, जिनमें से 28 मरीज मोतियाबिंद ऑपरेशन के लिए योग्य पाए गए।

ऑपरेशन योग्य मरीजों को निशुल्क लेंस प्रत्यारोपण विधि द्वारा उपचार हेतु अयोध्या नेत्र चिकित्सालय ले जाया गया। मरीजों को चिकित्सालय की ओर से निजी वाहन की सुविधा उपलब्ध कराई गई। जिन मरीजों में ऑपरेशन की आवश्यकता नहीं पाई गई, उनका चश्मा परीक्षण कर उपयुक्त नंबर का चश्मा सुझाया गया।

ऑपरेशन हेतु भेजे गए मरीजों में सीतापति, रामसेवक, शिवरानी, विजय बहादुर सिंह, सत्या सिंह, उपदेश कुमारी, कल्पयानी देवी, जुगल किशोर गुप्ता, जोगी प्रसाद, राधा मोहन महाराज, राजकुमारी देवी, बाबू प्रसाद, सीता देवी, रामराजी देवी, रामां, गंगाराम, शिवराम, किशन प्रसाद, मेवालाल यादव व सुरेश सहित कई अन्य मरीज शामिल रहे।

नेत्र परीक्षण अधिकारी ए.के. गोस्वामी ने बताया कि प्रत्येक बुधवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कर्नलगंज में नि:शुल्क स्क्रीनिंग नेत्र शिविर का आयोजन निरंतर जारी रहेगा। उन्होंने क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों और जागरूक नागरिकों से अपील की कि नेत्र रोग से पीड़ित मरीजों को शिविर का लाभ दिलाने हेतु प्रोत्साहित करें।

IITF 2025 में झारखंड की धूम: सिसल और जूट से गढ़ रही हरित अर्थव्यवस्था की नई पहचान; बंजर भूमि पर खेती से 90,000 मानव-दिवस का रोजगार सृजित

नई दिल्ली: प्रगति मैदान में आयोजित 44वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला (IITF) 2025 में आज झारखंड पवेलियन खास चर्चा में रहा, जहाँ वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग राज्य की हरित अर्थव्यवस्था और सतत विकास की दिशा में किए जा रहे प्रयासों को प्रमुखता से प्रदर्शित कर रहा है।

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सिसल: हरित नवाचार का मॉडल

झारखंड पवेलियन में सिसल (Agave) आधारित उत्पादों और नवाचारों का प्रदर्शन किया गया, जो राज्य की उभरती ग्रामीण अर्थव्यवस्था को दर्शाते हैं।

विशेषताएं: सिसल एक ऐसा पौधा है जो कम पानी और प्रतिकूल मौसम में पनपता है। यह प्राकृतिक फाइबर का स्रोत है जिसका उपयोग रस्सी, मैट, बैग और हस्तशिल्प उत्पादों में होता है।

बायो-एथेनॉल की संभावना: सिसल के रस से बायो-एथेनॉल और स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन की संभावनाएँ भी बढ़ रही हैं, जो इसे हरित नवाचार का एक मजबूत मॉडल बनाता है।

पारिस्थितिक महत्व: सिसल का बंजर और कम उपजाऊ भूमि पर भी उगना इसे भूमि संरक्षण और जलवायु अनुकूल खेती का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाता है।

स्थायी आजीविका और रोजगार सृजन

SBO अनितेश कुमार ने सिसल परियोजना की प्रगति साझा करते हुए बताया कि वर्तमान में 450 हेक्टेयर क्षेत्र में सिसल का रोपण कार्य पूरा हो चुका है। विभाग का लक्ष्य इस वित्तीय वर्ष में इसे 100 हेक्टेयर और बढ़ाना है।

विभाग बड़े पैमाने पर सिसल पौधारोपण कर ग्रामीणों के लिए स्थायी आजीविका के अवसर तैयार कर रहा है।

"विभाग हर वर्ष लगभग 90,000 मानव-दिवस का रोजगार सृजित कर रहा है, जो ग्रामीण परिवारों की आर्थिक स्थिरता और हरित विकास को महत्वपूर्ण गति प्रदान कर रहा है।"

जूट उत्पादों से हस्तशिल्प का प्रदर्शन

पवेलियन में प्रदर्शित जूट उत्पाद भी झारखंड की समृद्ध हस्तशिल्प परंपरा को प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत कर रहे हैं। स्थानीय कारीगरों द्वारा बनाए गए ईको-फ्रेंडली जूट बैग और गृह सज्जा सामग्री, राज्य की कला-कौशल और ग्रामीण कारीगरी की गहराई को दर्शाते हैं।

IITF 2025 में झारखंड पवेलियन का लक्ष्य निवेश, बाजार और तकनीकी सहयोग के नए अवसरों को आकर्षित करना है, ताकि राज्य की ग्रामीण जनता को सशक्त बनाया जा सके।

अग्निवीर भर्ती: नर्सिंग असिस्टेंट (NA) और क्लर्क/SKT लिखित परीक्षा परिणाम घोषित; ARO रांची ने चयनित अभ्यर्थियों को तुरंत दस्तावेज सत्यापन के लिए

रांची: आर्मी भर्ती कार्यालय, रांची द्वारा अग्निपथ योजना के तहत आयोजित अग्निवीर नर्सिंग असिस्टेंट (NA) और अग्निवीर क्लर्क/स्टोर कीपर टेक्निकल (SKT) पदों की भर्ती के लिए कॉमन एंट्रेंस एग्जामिनेशन (CEE) के परिणाम आज आधिकारिक वेबसाइट पर घोषित कर दिए गए हैं।

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दस्तावेज सत्यापन के लिए तत्काल रिपोर्ट करें

चयनित सभी अभ्यर्थियों को सूचित किया गया है कि वे बिना देरी किए निर्धारित तिथि एवं समय पर आर्मी भर्ती कार्यालय, रांची में अपने सभी मूल दस्तावेजों (Original Documents) और उनकी दो सेट स्व-अभिप्रमाणित फोटोकॉपी के साथ उपस्थित हों। यह उपस्थिति दस्तावेज सत्यापन, मेडिकल परीक्षण एवं अन्य औपचारिकताएँ समय पर पूरी करने के लिए अनिवार्य है।

आवश्यक दस्तावेजों की सूची:

ऑनलाइन परीक्षा का एडमिट कार्ड

आधार कार्ड

10वीं एवं 12वीं की अंकतालिका एवं प्रमाण-पत्र

डोमिसाइल (झारखंड राज्य का स्थायी निवास प्रमाण-पत्र)

जाति प्रमाण-पत्र (यदि लागू हो)

चरित्र प्रमाण-पत्र (6 माह से पुराना न हो)

NCC प्रमाण-पत्र और खेल प्रमाण-पत्र (यदि हो तो)

20 पासपोर्ट साइज हालिया रंगीन फोटो (सफेद बैकग्राउंड)

भर्ती रैली के समय जारी सभी दस्तावेज एवं स्लिप

महत्वपूर्ण सूचना

अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि दस्तावेज सत्यापन में अनुपस्थित रहने पर अभ्यर्थिता स्वतः रद्द मान ली जाएगी। इसके साथ ही यह भी सूचित किया गया है कि अग्निवीर जनरल ड्यूटी (GD) एवं ट्रेड्समैन का लिखित परीक्षा परिणाम बहुत शीघ्र घोषित किया जाएगा।

सभी अभ्यर्थियों को नियमित रूप से आधिकारिक वेबसाइट joinindianarmy.nic.in पर अपडेट देखने की सलाह दी गई है।

पलामू: मेदिनीनगर में सनसनीखेज लूट, बच्चे पर पिस्टल तानकर महिला से ₹3.50 लाख के जेवरात लूटे; अपराधी पहले से जानते थे महिला का अकेले रहना

पलामू: जिले के मेदिनीनगर टाउन थाना क्षेत्र के छेचानी टोला में एक सनसनीखेज लूटपाट की घटना सामने आई है। बाइक सवार तीन अपराधियों ने एक महिला के घर में घुसकर, उसके बच्चे पर पिस्टल तानकर करीब ₹3.50 लाख रुपये के जेवरात और मोबाइल लूट लिए। महिला के पति रांची फायर ब्रिगेड में तैनात हैं।

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बच्चे को बंधक बनाकर की लूट

मेदिनीनगर टाउन थाना पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, पूनम तिवारी नामक महिला छेचानी टोला स्थित अपने घर में बच्चे के साथ अकेली थीं। इसी क्रम में बाइक सवार तीन अपराधी उनके घर में दाखिल हुए।

अपराधियों ने बच्चे को अपने कब्जे में लिया और बच्चे पर पिस्टल तानकर पूनम तिवारी से धमकी दी कि:

"बच्चे की जान प्यारी है तो सभी जेवरात दे दो।"

महिला ने डरकर सभी जेवरात और मोबाइल अपराधियों को सौंप दिए, जिसके बाद अपराधी मौके से फरार हो गए।

जांच में जुटी पुलिस

मेदिनीनगर टाउन थाना प्रभारी ज्योतिलाल रजवार ने बताया कि घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और छानबीन शुरू कर दी। उन्होंने पुष्टि की कि लूटपाट की घटना हुई है और अपराधियों की तलाश में कई इलाकों में छापेमारी की जा रही है।

थाना प्रभारी ने बताया कि जांच के दौरान पुलिस को कई महत्वपूर्ण जानकारी मिली है। पुलिस का मानना है कि अपराधी पहले से जानते थे कि महिला घर में अपने बच्चे के साथ अकेली रहती हैं। पुलिस ने मामले में कुछ संदिग्धों को हिरासत में भी लिया है। पीड़िता ने मेदिनीनगर टाउन थाना में आवेदन दिया है।

वोट चोरी' को लेकर पूर्व नौकरशाहों और जजों के निशाने पर राहुल गांधी, 272 हस्तियों ने लिखा ओपन लेटर

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कांग्रेस की ओर से चुनाव आयोग के खिलाफ लगार बयानबाजी जारी है। चुनाव आयोग पर लगाए गए गंभीर आरोपों को लेकर 272 हस्तियों ने खुला खत लिखा है। इन हस्तियों ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गाँधी द्वारा चुनाव आयोग पर बार-बार किए जा रहे हमलों को लेकर भी अपनी चिंता जाहिर की है। इन हस्तियों में 16 जज, 14 राजदूतों सहित 123 सेवानिवृत्त नौकरशाह और 133 सेवानिवृत्त सशस्त्र बल अधिकारी शामिल हैं।

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जनता का भरोसा कमजोर करने की कोशिश का आरोप

देश के 272 पूर्व शीर्ष अधिकारियों, जजों, राजनयिकों और सेना के अफसरों ने विपक्ष के नेता राहुल गांधी और कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इन लोगों ने एक खुला पत्र जारी कर कहा कि कांग्रेस और राहुल गांधी 'चुनाव आयोग सहित संवैधानिक संस्थाओं में जनता का भरोसा कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं।

“यह दिखाने की कोशिश कि देश की संस्थाएं ठीक तरह काम नहीं कर रहीं”

समूह ने पत्र जारी कर कहा है कि ये आरोप राजनीतिक हताशा को संस्थागत संकट की आड़ में छिपाने की कोशिश है। 'Assault on National Constitutional Authorities' नाम के टाइटल वाले पत्र में कहा गया कि कुछ विपक्षी नेता 'जहरीली बयानबाजी' और 'बिना सबूत के आरोपों' के जरिए यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि देश की संस्थाएं ठीक तरह काम नहीं कर रहीं।

“न्यायपालिका, संसद के बाद चुनाव आयोग की बारी”

पत्र में लिखा है, पहले उन्होंने भारतीय सेना की बहादुरी पर सवाल उठाए, फिर न्यायपालिका, संसद और संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को निशाना बनाया और अब चुनाव आयोग की बारी आ गई है। पत्र में राहुल गाँधी पर सीधा हमला करते हुए लिखा गया है, लोकसभा में विपक्ष के नेता ने बार-बार चुनाव आयोग पर हमला करते हुए दावा किया है कि उनके पास सबूत है कि चुनाव आयोग वोट चोरी करा रहा है और उनकी बात 100% प्रमाणित है। उन्होंने यहाँ तक कहा कि अगर मुख्य चुनाव आयुक्त या चुनाव आयुक्त रिटायर भी हो जाएँ, तो वह उन्हें भी छोड़ेंगे नहीं।

कोई औपचारिक शिकायत नहीं करवाने पर उठाया सवाल

आगे पत्र में कहा गया है, इतने गंभीर आरोप लगाने के बावजूद उन्होंने अब तक कोई औपचारिक शिकायत, या शपथपत्र के साथ, दर्ज नहीं कराई। जिससे उन्हें अपनी बात के लिए जवाबदेह न होना पड़े।

“राजनीतिक हताशा को संस्थागत संकट का रूप देने का प्रयास”

पत्र में कहा गया है कि कांग्रेस और अन्य दलों के कई नेता, वाम समर्थित NGOs, कुछ अकादमिक और चर्चा में बने रहने वाले लोग भी इसी तरह की आक्रामक बयानबाज़ी कर रहे हैं। लेकिन चुनाव आयोग अपने SIR मॉडल की पद्धति सार्वजनिक कर चुका है, न्यायालय की निगरानी में सत्यापन हुआ है, और पात्र मतदाताओं को जोड़ने व अपात्रों को हटाने की प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से की गई। ऐसे में यह आरोप सिर्फ राजनीतिक हताशा को संस्थागत संकट का रूप देने का प्रयास लगता है।

. विद्यासागर उपाध्याय : दो नये महाग्रंथों के साथ 20 दार्शनिक कृतियों का दिव्य शिखर
संजीव सिंह बलिया| भारतीय बौद्धिक–परंपरा में समय–समय पर ऐसे मनीषी अवतरित होते रहे हैं, जिनकी सोच केवल अपने युग को नहीं, आने वाली सहस्राब्दियों को दिशा देती है। समकालीन भारत में ऐसा ही एक तेजस्वी नाम है—डॉ. विद्यासागर उपाध्याय, जिनके द्वारा लिखित 20 महत्वपूर्ण ग्रंथ भारतीय दर्शन, समाज–चिंतन और राष्ट्रीय विमर्श के क्षेत्र में अमूल्य योगदान हैं। भारतीय ज्ञानपरंपरा के आकाश में यह तारा अत्यन्त उज्ज्वल हो उठा है, जिसे समकालीन युग “विद्या–सरस्वती का जीवंत पुरुष विस्तार” कहकर श्रद्धा प्रकट करता है। डॉ. उपाध्याय के ग्रंथों की विलक्षणता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि अनेक कृतियाँ 800 पृष्ठों के ज्ञान-हिमालय की तरह खड़ी हैं, जबकि अन्य 300 पृष्ठों में भी “गागर में सागर” भर देती हैं। कई ग्रंथों के मूल्य 1000 रुपये से अधिक होने पर भी पाठकों का अटूट अनुराग, उनकी लेखनी की स्वर्ण-तुल्य गुणवत्ता का प्रमाण है। उनके 100 से अधिक शोध-आलेख देश-विदेश की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। भारतवर्ष के समस्त प्रान्त व अनेक अंतर्राष्ट्रीय बौद्धिक संस्थान उन्हें मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित करते रहे हैं। उनकी ओजस्वी वाणी, व्यापक दृष्टि और विश्लेषण की तीक्ष्णता श्रोताओं पर अमिट छाप छोड़ती है। अब तक उन्हें सैकड़ों राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय सम्मान/उपाधि प्राप्त हैं—जो उनकी प्रज्ञा, तपस्या और दार्शनिक ऊँचाई का प्रमाण है। मात्र 39 वर्ष की आयु में 20 दार्शनिक ग्रंथों का विरल शिखर स्पर्श करने वाले, अंतरराष्ट्रीय वक्ता, मौलिक चिंतक, प्रसिद्ध शिक्षाविद् और शोध-प्रज्ञा के आलोक–पुंज डॉ. विद्यासागर उपाध्याय ने वर्तमान में बौद्धिक-जगत को दो महत् वैचारिक नवीन ग्रंथ सौंपकर आधुनिक भारतीय विमर्श को नए आयाम प्रदान किए हैं। नवप्रकाशित दोनो महाग्रंथ— “सत्य कौन? तिलक अथवा आम्बेडकर! : विलुप्त प्रज्ञा का महाकोष”। और “लॉर्ड मैकाले : नायक अथवा खलनायक?” — पहुँचते ही विद्वत्-समाज में गहन बहस, विचार-मंथन और दार्शनिक पुनर्पाठ का सृजन कर चुके हैं। यह दोनों कृतियाँ ऐसी हैं, मानो भारतीय चिंतनभूमि के लिए दो दीप्तिमान वैचारिक यज्ञाहुतियाँ प्रस्तुत हो गई हों। प्रस्तुत निबंध में मैं इन दोनों ग्रंथों के गहन अध्ययन के आधार पर डॉ. उपाध्याय की शोध–दृष्टि, वैचारिक प्रस्तुति, तर्कप्रणाली और उनके विचार–लोक की व्यापकता का समीक्षात्मक विश्लेषण कर रही हूँ। 1. डॉ. विद्यासागर उपाध्याय : परंपरा और आधुनिकता के अद्वितीय सेतु - अध्ययन के दौरान यह तथ्य स्पष्ट रूप से उभरकर सामने आता है कि डॉ. उपाध्याय न तो परंपरा के अंध–समर्थक हैं और न ही आधुनिकता के अंध–अनुयायी। उनकी लेखनी में परंपरा की आत्मा और आधुनिकता की वैज्ञानिक दृष्टि दोनों साथ–साथ चलती हैं। ऐसे लेखक आज विरले हैं जो प्राचीन भारतीय ग्रंथों—उपनिषदों, धर्मशास्त्रों, न्याय–मीमांसा—की तर्क–शक्ति को आधुनिक राजनीतिक–समाजशास्त्रीय विमर्श के साथ जोड़कर प्रस्तुत करते हों। डॉ. उपाध्याय का यह समन्वय–बोध स्वयं में एक उपलब्धि है। 2. “लॉर्ड मैकाले : नायक अथवा खलनायक?”—इतिहास पर पुनर्विचार का आह्वान - यह एक ऐसी साहसिक बौद्धिक शल्य-क्रिया है, जिसने आधुनिक भारत की शिक्षा-नीति, सांस्कृतिक चेतना और मानसिक रूपांतरण की जटिल परतों को निर्भीकता से उघाड़ दिया है। ग्रंथ में मैकाले की नीतियों के भारतीय मन, सामाजिक ढाँचे और सांस्कृतिक अस्मिता पर पड़े दीर्घकालीन घावों का सुसंगत, निष्पक्ष और अत्यंत मौलिक पुनर्मूल्यांकन किया गया है। लेखक केवल आलोचना नहीं करते, बल्कि उबरने का मार्ग भी प्रदान करते हैं—जो इस कृति की सर्वाधिक विशिष्टता है। वर्तमान भारत में हिन्दी साहित्य के मूर्धन्य विद्वान प्रो. (डॉ.) पुनीत बिसारिया, अधिष्ठाता कला संकाय एवं विभागाध्यक्ष (हिन्दी), बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, इसे “सांस्कृतिक पुनरुत्थान का घोषणापत्र” बताते हुए लिखते हैं कि "डॉ. उपाध्याय की लेखनी इतिहास को केवल तिथियों का दस्तावेज़ नहीं रहने देती, बल्कि भारतीय आत्मा की जीवित आवाज़ बना देती है। न अंधभक्ति, न अंधघृणा—बल्कि संतुलन, तर्क, और भावनात्मक पारदर्शिता—इस कृति को अद्वितीय बनाती है।"इस ग्रंथ का मूल उद्देश्य किसी व्यक्तिविशेष का महिमागान अथवा निंदा करना नहीं, बल्कि मैकाले की शिक्षा–नीति के माध्यम से भारतीय मानसिकता के औपनिवेशिक पुनर्गठन का विश्लेषण करना है। डॉ. उपाध्याय ने यहाँ मात्र इतिहास नहीं बताया; अपितु उन्होंने इतिहास का तर्कसंगत पुनर्पाठ प्रस्तुत किया है। उनका प्रश्न— “क्या अंग्रेज़ी शिक्षा ने भारतीय मन को स्वतंत्र बनाया या परतंत्र?” आज भी प्रासंगिक है। यह पुस्तक न केवल शोधार्थियों के लिए उपयोगी है, बल्कि उन बुद्धिजीवियों के लिए भी अत्यंत आवश्यक है, जो भारतीय शिक्षा–दर्शन की पुनर्स्थापना में रुचि रखते हैं। 3. “सत्य कौन? तिलक अथवा आम्बेडकर!”— विलुप्त प्रज्ञा का वास्तव में महाकोष - यह ग्रंथ आधुनिक भारतीय मनीषा के दो महान विचारकों—लोकमान्य तिलक और डॉ. आम्बेडकर—के विचारों का गहन तुलनात्मक विश्लेषण तो है ही; परंतु इसका वास्तविक वैभव यह है कि इसमें विश्व के चालीस महान दार्शनिकों के दृष्टिकोणों का अद्भुत समन्वय उपस्थित है। बौद्ध दिग्नाग, जैन अकलंकदेव, वेदांती विद्यारण्य, महर्षि रमण, अरविन्द, हेगेल, मेकियावली, एक्विनास, ओशो, स्वामी करपात्री, शोज, फिरदौसी, टैगोर, गाँधी तथा अनगिनत दार्शनिक धाराएँ—सब एक ही वैचारिक पट पर ऐसे संलयित होती हैं, जैसे अनेक पवित्र सरिताएँ अंततः एक ही महासागर में विलीन होती हों। इस वैचारिक महाकोष की मंगल-शुभाशंसा करते हुए आयरलैंड में भारत के राजदूत एवं दर्शन शास्त्र के शीर्ष विद्वान् आई.एफ.एस. डॉ. अखिलेश मिश्र लिखते हैं कि - यह कृति भारतीय ज्ञान-परंपरा के “सत्य–अन्वेषण की अनन्त यात्रा” का अद्भुत दस्तावेज है, जो इन्द्रियातीत सत्ता, आत्मबोध और विश्वमानवता के विराट भाव को पुनर्जीवित करती है। वहीं नेपाल के प्रसिद्ध दार्शनिक विद्यावाचस्पति अजय कुमार झा इसे “विलुप्त प्रज्ञा के पुनरुत्थान का महाग्रंथ” बताते हुए लिखते हैं कि यहाँ झ्वांग-त्ज़ु, बर्द्यायेव, गुरुदास, माइमोनीडीज़, कबीर, रामतीर्थ, पतंजलि और वाचस्पति—सभी के विचार एक ही विश्वदर्शी चेतना में एकाकार हो जाते हैं। यह ग्रंथ डॉ. उपाध्याय की विद्वत्ता का अद्भुत और तेजोमय उदाहरण है जहां उन्होंने तिलक और आम्बेडकर के साथ ही चालीस चिन्तनधाराओं का दार्शनिक, सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक तर्कों का गहन तुलनात्मक विश्लेषण करके गागर में सागर भर दिया है। ऐसा दुर्लभ वैचारिक साहस और व्यापक अध्ययन आज के लेखक–जगत में बहुत कम देखने को मिलता है। ग्रंथ की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि लेखक न तो किसी विचारक का चयनित समर्थन करते हैं, और न ही किसी का पक्षपातपूर्ण खंडन; वे केवल यह पूछते हैं— “सत्य किसके पास है?” यही प्रश्न और उसका प्रामाणिक उत्तर पाठक को विचार–यात्रा पर ले जाता है। 4. शोध–दृष्टि और प्रस्तुति : स्पष्टता, निर्भीकता और तर्क–समृद्धि का समन्वय - डॉ. उपाध्याय की सबसे बड़ी विशेषता है बौद्धिक निर्भीकता। वे जटिल विषयों को सरल बनाकर प्रस्तुत करते हैं, परन्तु सरलता में उथलापन नहीं आने देते। उनके ग्रंथ संदर्भ–समृद्ध, तथ्य–संगत, प्रमाण–निष्ठ और दार्शनिक गहराई से पूर्ण हैं। वाक्य–बंध में साहित्यिक माधुर्य है और तर्क में ऐसी कठोरता जो पाठक को हर पंक्ति पर चिंतन करने को बाध्य करती है। 5. भारतीय चिंतन–जगत में उनका स्थान - समग्रता में देखा जाए तो डॉ. उपाध्याय उन दुर्लभ लेखकों में हैं जो न केवल इतिहास को पुनर्पाठित करते हैं, बल्कि आने वाले कालखंड के लिए विचार–ईंधन भी प्रदान करते हैं। उनके 20 ग्रंथ — दर्शन, समाज, राजनीति, इतिहास, साहित्य— हर क्षेत्र में नवीन दृष्टि का उद्घाटन करते हैं। उनकी लेखनी में ज्ञान की प्रखरता, अध्ययन की व्यापकता, और राष्ट्र–चिंतन की गरिमा स्पष्ट रूप से प्रतिध्वनित होती है। एक अध्येता होने के नाते मैं यह निस्संकोच कह सकती हूँ कि डॉ. विद्यासागर उपाध्याय आज के भारतीय चिंतन–जगत के सबसे प्रभावशाली, सबसे साहसी और सबसे अधिक मौलिक लेखकों में से एक हैं। उनकी नवीनतम कृतियाँ केवल पुस्तकें नहीं— वे विमर्श का आमंत्रण, चिंतन का आलोक, और राष्ट्रीय स्वाभिमान की पुनर्स्मृति हैं। ज्ञान–क्षेत्र में ऐसे तेजस्वी प्रतिभाशाली लेखक का होना भारतीय बौद्धिक परंपरा के लिए एक अत्यंत शुभ संकेत है। दोनों महाग्रंथों के प्रकाशन के साथ यह तथ्य पुनः प्रतिष्ठित हो गया कि डॉ. विद्यासागर उपाध्याय केवल लेखक नहीं, बल्कि भारतीय ज्ञान–परंपरा के जीवंत प्रतिनिधि, मौलिक शोध के अग्रदूत और आधुनिक वैचारिक जगत् के धैर्यवान तपस्वी हैं। उनकी कृतियाँ केवल पठन का विषय नहीं—बल्कि सतत् मनन, विमर्श और आत्मबोध के शाश्वत निमंत्रण हैं। समकालीन भारतीय दर्शन को इन ग्रंथों ने नई ऊँचाई, नई दृष्टि और नया गौरव प्रदान किया है। यह ग्रंथ निस्संदेह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अमर वैचारिक दीपस्तम्भ सिद्ध होंगे। समीक्षक डॉ. मणिकर्णिका (NET, JRF, SRF, Ph.D)
सिद्धपीठ श्री हथियाराम मठ के पीठाधीश्वर स्वामी भवानी नंदन यति महाराज का 20 नवंबर को नगरा आगमन


अमर बहादुर सिंह, बलिया शहर। भक्तों और श्रद्धालुओं के लिए हर्ष का विषय है कि सिद्धपीठ श्री हथियाराम मठ, वाराणसी के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर परमपूज्य स्वामी भवानी नंदन यति महाराज जी 20 नवंबर 2025, गुरुवार को रामहित कार्यक्रम के अंतर्गत नगरा आगमन करेंगे। गुरुदेव का पावन स्वागत प्राचीन दुर्गा मंदिर, नगरा के पावन प्रांगण में संध्या 5 बजे किया जाएगा।सिद्धपीठ द्वारा विगत वर्षों से ग्रामीण अंचलों में धर्म, शिक्षा, संस्कार और सामाजिक चेतना के विस्तार हेतु रामहित कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। इसी क्रम में संत, ब्राह्मण और सेवकों की लगभग 20–25 सदस्यीय टोली भगवान लक्ष्मीनारायण जी के आसन के साथ नगरा पहुँचेगी।कार्यक्रम के प्रमुख बिंदु:ग्राम आगमन एवं स्वागत: शाम 5:00 बजेसायंकाल उद्घोधन: 5:30 से 6:00 बजेसायंकालीन महाआरती: 7:30 से 8:30 बजेरात्रिकालीन प्रवचन: 8:30 से 9:30 बजेरात्रि भोजन (महाप्रसाद): 9:30 से 10:00 बजेअगले दिन 21 नवंबर, शुक्रवार को अपराह्न 4:00 बजे स्वामी जी का प्रस्थान तय है।भक्तों से अपील:आयोजन समिति ने समस्त भक्तों से अनुरोध किया है कि वे समयानुसार उपस्थित होकर प्रवचन श्रवण, महाप्रसाद ग्रहण एवं गुरुदेव के दर्शन–आशीर्वाद का लाभ अवश्य प्राप्त करें।
झारखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र 5 दिसंबर से; 11 दिसंबर तक चलेगा 5 कार्यदिवस का सत्र, नवनिर्वाचित सोमेश सोरेन लेंगे शपथ

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रांची: झारखंड विधानसभा का बहुप्रतीक्षित शीतकालीन सत्र राज्यपाल श्री संतोष कुमार गंगवार ने मंत्रिपरिषद की सलाह पर संविधान के अनुच्छेद 174 के तहत आहूत कर दिया है। यह सत्र 5 दिसंबर को शुरू होगा और 11 दिसंबर तक चलेगा।

राज्यपाल से मंजूरी मिलने के बाद, विधानसभा सचिवालय ने सत्र का औपबंधिक कार्यक्रम जारी कर दिया है। पाँच कार्यदिवस वाले इस सत्र में चार दिन प्रश्नकाल होंगे। आज, 19 नवंबर से माननीय सदस्य अपने प्रश्न विधानसभा में डाल सकेंगे।

सत्र के मुख्य कार्यक्रम

दिनांक मुख्य गतिविधि

5 दिसंबर (पहला दिन) शोक प्रकाश, घाटशिला के नवनिर्वाचित विधायक श्री सोमेश चंद्र सोरेन को शपथ दिलाई जाएगी।

6-7 दिसंबर अवकाश (शनिवार और रविवार)

8 दिसंबर प्रश्नकाल के बाद वित्तीय वर्ष 2025-26 का द्वितीय अनुपूरक बजट पेश होगा।

9 दिसंबर अनुपूरक बजट पर सामान्य वाद-विवाद, मतदान और विनियोग विधेयक पारित करने की प्रक्रिया पूरी होगी।

10 दिसंबर प्रश्नकाल के बाद राजकीय विधायक और अन्य सरकारी कामकाज।

11 दिसंबर (अंतिम दिन) प्रश्नकाल के बाद गैर सरकारी संकल्प का निपटारा होगा।

सोमेश चंद्र सोरेन लेंगे शपथ

सत्र के पहले दिन, घाटशिला उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी बाबूलाल सोरेन को हराकर नवनिर्वाचित हुए विधायक श्री सोमेश चंद्र सोरेन को शपथ दिलाई जाएगी। उन्होंने अपने पिता स्वर्गीय रामदास सोरेन के असामयिक निधन से खाली हुई सीट पर जीत दर्ज की है।

देव नागरी महाविद्यालय में फॉरेंसिक साइंस विषय पर रोचक कार्यशाला आयोजित

मेरठ।19 नवम्बर 2025। देव नागरी महाविद्यालय के प्राणीशास्त्र (Zoology) विभाग द्वारा आज “फॉरेंसिक साइंस एवं उसके प्रकार : डीएनए परीक्षण तथा नारकोटिक्स ड्रग्स” विषय पर एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता रहे फॉरेंसिक साइंस लेबोरेट्री, लखनऊ (उत्तर प्रदेश) के उपनिदेशक डॉ. राजेन्द्र सिंह, जिनका प्रमुख कार्यक्षेत्र सेरोलॉजी, बायोलॉजी, नारकोटिक्स तथा क्राइम सीन इन्वेस्टिगेशन रहा है।

दीप प्रज्वलन एवं स्वागत समारोह

कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन के साथ हुई। महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. बी.एस. यादव ने पुष्पगुच्छ भेंटकर मुख्य अतिथि का स्वागत किया। कार्यक्रम का मंच संचालन Zoology विभाग के डॉ. प्रवीण कुमार ने किया।

फॉरेंसिक साइंस के बहुआयामी पहलुओं पर विस्तृत चर्चा

अपने व्याख्यान में डॉ. राजेन्द्र सिंह ने फॉरेंसिक साइंस के महत्व, कार्यप्रणाली एवं विभिन्न शाखाओं पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि—

फॉरेंसिक साइंस अपराध स्थल की वैज्ञानिक जाँच का विज्ञान है।

फॉरेंसिक को अनेक भागों में विभाजित किया गया है—

केमिस्ट्री, टॉक्सिकोलॉजी, फायर एवं विस्फोट परीक्षण

बायोलॉजिकल एग्ज़ामिनेशन, जिसमें DNA एवं सेरोलॉजी के मामले शामिल होते हैं

फिजिकल एग्ज़ामिनेशन, जिसमें फिजिक्स, बैलिस्टिक रिपोर्ट व अन्य भौतिक जाँचें आती हैं

डॉक्यूमेंट एग्ज़ामिनेशन, जिसमें हस्ताक्षर मिलान, लिखावट जाँच, दस्तावेज़ों की सत्यता जाँच शामिल है

उन्होंने बताया कि फॉरेंसिक का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत लोकार्ड का सिद्धांत है, जिसके अनुसार अपराधी अपराध स्थल पर कुछ न कुछ अवश्य छोड़ता है या वहाँ से कुछ लेकर जाता है।

DNA परीक्षण और साइबर फॉरेंसिक पर रोशनी

डॉ. सिंह ने स्पष्ट किया कि DNA परीक्षण उम्र से प्रभावित नहीं होता और यह हमेशा स्थायी रहता है। DNA जाँच के लिए वीर्य, रक्त, बाल, त्वचा, हड्डियाँ, दाँत, भ्रूण, मांसपेशियाँ आदि नमूने लिए जा सकते हैं।

साइबर फॉरेंसिक के अंतर्गत—

ऑडियो–वीडियो जांच

डेटा रिकवरी (चाहे 10 वर्ष पुराना और डिलीटेड ही क्यों न हो)

जैसी तकनीकों का उपयोग किया जाता है।

उन्होंने नार्को टेस्ट, ब्रेन मैपिंग एवं लाई डिटेक्टर जैसे बिहेवियर साइंस के आधुनिक परीक्षणों के बारे में भी विस्तार से बताया। फोटो व वीडियो एविडेंस के संदर्भ में स्केल फोटोग्राफी को आवश्यक बताया।

कार्यक्रम में भारी संख्या में शिक्षकों व विद्यार्थियों की उपस्थिति

कार्यक्रम में प्राचार्य प्रो. बी.एस. यादव, प्रो. हिमांशु अग्रवाल, प्रो. सविता रानी, महाविद्यालय के चीफ डॉक्टर डॉ. दीपक कुमार, प्रो. वंदना गर्ग, प्रो. शेफाली, प्रो. अंशु ढाका, डॉ. अंजू चौहान, डॉ. जिनेन्द्र बोध, डॉ. प्रवीण कुमार, डॉ. दीपक कुमार, डॉ. विश्वत चौधरी, डॉ. अनिल कुमार, डॉ. चंदन सिंह, डॉ. जयन्त तेवतिया, डॉ. शशांक बघेल, डॉ. अनीता चौधरी, डॉ. अनुज बावरा, शशिकांत, डॉ. भारती, डॉ. अनीता कौशल, हरेंद्र, विशाल सहित Zoology एवं Botany विभाग के सभी विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

अंत में प्राणीशास्त्र विभाग ने मुख्य अतिथि का आभार व्यक्त करते हुए बताया कि ऐसी कार्यशालाएँ विद्यार्थियों के वैज्ञानिक दृष्टिकोण को विकसित करने में अत्यंत उपयोगी सिद्ध होती हैं।

मवाना पुलिस ने फर्जी बीमा पॉलिसी गिरोह का किया पर्दाफाश, पाँच अभियुक्त गिरफ्तार

 

मवाना/मेरठ। संवाददाता

मोनू भाटी

मेरठ जनपद की मवाना थाना पुलिस ने वाहनों के फर्जी बीमा तैयार करने वाले अंतरजनपदीय गिरोह का भंडाफोड़ कर पाँच आरोपियों को गिरफ्तार किया है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मेरठ के निर्देशन में चलाए जा रहे विशेष अभियान के तहत, पुलिस अधीक्षक ग्रामीण और क्षेत्राधिकारी मवाना के मार्गदर्शन तथा थाना प्रभारी निरीक्षक श्रीमती पूनम जादौन के नेतृत्व में यह बड़ी कार्रवाई की गई।

प्राप्त जानकारी के अनुसार वादी अंकुर शर्मा निवासी ग्राम मीवा की तहरीर पर 8 अक्टूबर 2025 को थाना मवाना में मुकदमा संख्या 414/25 पंजीकृत किया गया था। इसी क्रम में व0उ0नि0 भूपेन्द्र कुमार व पुलिस टीम ने नामित अभियुक्त शिवकुमार पुत्र कालीचरण निवासी ग्राम मटौरा को गिरफ्तार किया। कठोर पूछताछ में शिवकुमार ने अपने साथियों का खुलासा किया, जिसके आधार पर पुलिस ने गिरोह के अन्य सदस्यों हितेश कालरा, जतिन राजवंशी, देवेन्द्र सोनी और हिमांशु छाबड़ा के नाम सामने आने की पुष्टि की।

गिरोह के कब्जे से पुलिस ने एक लैपटॉप, पाँच मोबाइल फोन, सात फर्जी मोहरें, चार बीमा कंपनियों के जाली दस्तावेज और तेरह फर्जी बीमा पॉलिसियाँ बरामद कीं। पूछताछ में अभियुक्तों ने बताया कि वे दुर्घटना के समय बीमा रहित वाहनों को निशाना बनाते थे। उसी मॉडल के किसी अन्य वाहन की एक्टिव पॉलिसी की जानकारी लेकर उसमें जालसाजी के जरिए एनडोर्समेंट कर वाहन की आरसी, चेसिस नंबर, इंजन नंबर आदि को एडिट कर देते थे। इसके बाद वाहन स्वामी से मोटी रकम वसूलकर फर्जी मेल आईडी बनाकर कुछ निजी बीमा कंपनियों को परिवर्तन हेतु मेल करते थे, जिससे फर्जी पॉलिसी पोर्टल पर दिखने लगती थी और वाहन मालिक अदालत से वाहन रिलीज करा लेते थे।

पुलिस के अनुसार गिरफ्तार आरोपियों में शिवकुमार और जतिन राजवंशी के खिलाफ पूर्व में भी कई आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। गिरोह मेरठ से लेकर हरियाणा तक सक्रिय था और लंबे समय से फर्जी बीमा प्रपत्र तैयार कर वाहन स्वामियों से ठगी कर रहा था।

गिरफ्तारी करने वाली पुलिस टीम में प्रभारी निरीक्षक पूनम जादौन, व0उ0नि0 भूपेन्द्र कुमार, उ0नि0 सत्येन्द्र कुमार, कांस्टेबल संजय लौर और कांस्टेबल सुधीर कुमार शामिल रहे। पुलिस ने बताया कि गिरोह के नेटवर्क की गहन जांच की जा रही है और अन्य संभावित सहयोगियों की तलाश जारी है।

मवाना पुलिस की इस कार्रवाई से क्षेत्र में फर्जी बीमा कर धोखाधड़ी करने वालों में हड़कंप मचा हुआ है।

कर्नलगंज CHC में नि:शुल्क नेत्र शिविर: 165 मरीजों की जांच, 28 मोतियाबिंद मरीज अयोध्या भेजे गए

कर्नलगंज, गोंडा। जिला दृष्टि हीनता निवारण समिति गोंडा के तत्वाधान में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कर्नलगंज में नि:शुल्क स्क्रीनिंग नेत्र शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में करीब 165 मरीजों की आंखों की जांच की गई, जिनमें से 28 मरीज मोतियाबिंद ऑपरेशन के लिए योग्य पाए गए।

ऑपरेशन योग्य मरीजों को निशुल्क लेंस प्रत्यारोपण विधि द्वारा उपचार हेतु अयोध्या नेत्र चिकित्सालय ले जाया गया। मरीजों को चिकित्सालय की ओर से निजी वाहन की सुविधा उपलब्ध कराई गई। जिन मरीजों में ऑपरेशन की आवश्यकता नहीं पाई गई, उनका चश्मा परीक्षण कर उपयुक्त नंबर का चश्मा सुझाया गया।

ऑपरेशन हेतु भेजे गए मरीजों में सीतापति, रामसेवक, शिवरानी, विजय बहादुर सिंह, सत्या सिंह, उपदेश कुमारी, कल्पयानी देवी, जुगल किशोर गुप्ता, जोगी प्रसाद, राधा मोहन महाराज, राजकुमारी देवी, बाबू प्रसाद, सीता देवी, रामराजी देवी, रामां, गंगाराम, शिवराम, किशन प्रसाद, मेवालाल यादव व सुरेश सहित कई अन्य मरीज शामिल रहे।

नेत्र परीक्षण अधिकारी ए.के. गोस्वामी ने बताया कि प्रत्येक बुधवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कर्नलगंज में नि:शुल्क स्क्रीनिंग नेत्र शिविर का आयोजन निरंतर जारी रहेगा। उन्होंने क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों और जागरूक नागरिकों से अपील की कि नेत्र रोग से पीड़ित मरीजों को शिविर का लाभ दिलाने हेतु प्रोत्साहित करें।

IITF 2025 में झारखंड की धूम: सिसल और जूट से गढ़ रही हरित अर्थव्यवस्था की नई पहचान; बंजर भूमि पर खेती से 90,000 मानव-दिवस का रोजगार सृजित

नई दिल्ली: प्रगति मैदान में आयोजित 44वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला (IITF) 2025 में आज झारखंड पवेलियन खास चर्चा में रहा, जहाँ वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग राज्य की हरित अर्थव्यवस्था और सतत विकास की दिशा में किए जा रहे प्रयासों को प्रमुखता से प्रदर्शित कर रहा है।

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सिसल: हरित नवाचार का मॉडल

झारखंड पवेलियन में सिसल (Agave) आधारित उत्पादों और नवाचारों का प्रदर्शन किया गया, जो राज्य की उभरती ग्रामीण अर्थव्यवस्था को दर्शाते हैं।

विशेषताएं: सिसल एक ऐसा पौधा है जो कम पानी और प्रतिकूल मौसम में पनपता है। यह प्राकृतिक फाइबर का स्रोत है जिसका उपयोग रस्सी, मैट, बैग और हस्तशिल्प उत्पादों में होता है।

बायो-एथेनॉल की संभावना: सिसल के रस से बायो-एथेनॉल और स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन की संभावनाएँ भी बढ़ रही हैं, जो इसे हरित नवाचार का एक मजबूत मॉडल बनाता है।

पारिस्थितिक महत्व: सिसल का बंजर और कम उपजाऊ भूमि पर भी उगना इसे भूमि संरक्षण और जलवायु अनुकूल खेती का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाता है।

स्थायी आजीविका और रोजगार सृजन

SBO अनितेश कुमार ने सिसल परियोजना की प्रगति साझा करते हुए बताया कि वर्तमान में 450 हेक्टेयर क्षेत्र में सिसल का रोपण कार्य पूरा हो चुका है। विभाग का लक्ष्य इस वित्तीय वर्ष में इसे 100 हेक्टेयर और बढ़ाना है।

विभाग बड़े पैमाने पर सिसल पौधारोपण कर ग्रामीणों के लिए स्थायी आजीविका के अवसर तैयार कर रहा है।

"विभाग हर वर्ष लगभग 90,000 मानव-दिवस का रोजगार सृजित कर रहा है, जो ग्रामीण परिवारों की आर्थिक स्थिरता और हरित विकास को महत्वपूर्ण गति प्रदान कर रहा है।"

जूट उत्पादों से हस्तशिल्प का प्रदर्शन

पवेलियन में प्रदर्शित जूट उत्पाद भी झारखंड की समृद्ध हस्तशिल्प परंपरा को प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत कर रहे हैं। स्थानीय कारीगरों द्वारा बनाए गए ईको-फ्रेंडली जूट बैग और गृह सज्जा सामग्री, राज्य की कला-कौशल और ग्रामीण कारीगरी की गहराई को दर्शाते हैं।

IITF 2025 में झारखंड पवेलियन का लक्ष्य निवेश, बाजार और तकनीकी सहयोग के नए अवसरों को आकर्षित करना है, ताकि राज्य की ग्रामीण जनता को सशक्त बनाया जा सके।

अग्निवीर भर्ती: नर्सिंग असिस्टेंट (NA) और क्लर्क/SKT लिखित परीक्षा परिणाम घोषित; ARO रांची ने चयनित अभ्यर्थियों को तुरंत दस्तावेज सत्यापन के लिए

रांची: आर्मी भर्ती कार्यालय, रांची द्वारा अग्निपथ योजना के तहत आयोजित अग्निवीर नर्सिंग असिस्टेंट (NA) और अग्निवीर क्लर्क/स्टोर कीपर टेक्निकल (SKT) पदों की भर्ती के लिए कॉमन एंट्रेंस एग्जामिनेशन (CEE) के परिणाम आज आधिकारिक वेबसाइट पर घोषित कर दिए गए हैं।

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दस्तावेज सत्यापन के लिए तत्काल रिपोर्ट करें

चयनित सभी अभ्यर्थियों को सूचित किया गया है कि वे बिना देरी किए निर्धारित तिथि एवं समय पर आर्मी भर्ती कार्यालय, रांची में अपने सभी मूल दस्तावेजों (Original Documents) और उनकी दो सेट स्व-अभिप्रमाणित फोटोकॉपी के साथ उपस्थित हों। यह उपस्थिति दस्तावेज सत्यापन, मेडिकल परीक्षण एवं अन्य औपचारिकताएँ समय पर पूरी करने के लिए अनिवार्य है।

आवश्यक दस्तावेजों की सूची:

ऑनलाइन परीक्षा का एडमिट कार्ड

आधार कार्ड

10वीं एवं 12वीं की अंकतालिका एवं प्रमाण-पत्र

डोमिसाइल (झारखंड राज्य का स्थायी निवास प्रमाण-पत्र)

जाति प्रमाण-पत्र (यदि लागू हो)

चरित्र प्रमाण-पत्र (6 माह से पुराना न हो)

NCC प्रमाण-पत्र और खेल प्रमाण-पत्र (यदि हो तो)

20 पासपोर्ट साइज हालिया रंगीन फोटो (सफेद बैकग्राउंड)

भर्ती रैली के समय जारी सभी दस्तावेज एवं स्लिप

महत्वपूर्ण सूचना

अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि दस्तावेज सत्यापन में अनुपस्थित रहने पर अभ्यर्थिता स्वतः रद्द मान ली जाएगी। इसके साथ ही यह भी सूचित किया गया है कि अग्निवीर जनरल ड्यूटी (GD) एवं ट्रेड्समैन का लिखित परीक्षा परिणाम बहुत शीघ्र घोषित किया जाएगा।

सभी अभ्यर्थियों को नियमित रूप से आधिकारिक वेबसाइट joinindianarmy.nic.in पर अपडेट देखने की सलाह दी गई है।

पलामू: मेदिनीनगर में सनसनीखेज लूट, बच्चे पर पिस्टल तानकर महिला से ₹3.50 लाख के जेवरात लूटे; अपराधी पहले से जानते थे महिला का अकेले रहना

पलामू: जिले के मेदिनीनगर टाउन थाना क्षेत्र के छेचानी टोला में एक सनसनीखेज लूटपाट की घटना सामने आई है। बाइक सवार तीन अपराधियों ने एक महिला के घर में घुसकर, उसके बच्चे पर पिस्टल तानकर करीब ₹3.50 लाख रुपये के जेवरात और मोबाइल लूट लिए। महिला के पति रांची फायर ब्रिगेड में तैनात हैं।

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बच्चे को बंधक बनाकर की लूट

मेदिनीनगर टाउन थाना पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, पूनम तिवारी नामक महिला छेचानी टोला स्थित अपने घर में बच्चे के साथ अकेली थीं। इसी क्रम में बाइक सवार तीन अपराधी उनके घर में दाखिल हुए।

अपराधियों ने बच्चे को अपने कब्जे में लिया और बच्चे पर पिस्टल तानकर पूनम तिवारी से धमकी दी कि:

"बच्चे की जान प्यारी है तो सभी जेवरात दे दो।"

महिला ने डरकर सभी जेवरात और मोबाइल अपराधियों को सौंप दिए, जिसके बाद अपराधी मौके से फरार हो गए।

जांच में जुटी पुलिस

मेदिनीनगर टाउन थाना प्रभारी ज्योतिलाल रजवार ने बताया कि घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और छानबीन शुरू कर दी। उन्होंने पुष्टि की कि लूटपाट की घटना हुई है और अपराधियों की तलाश में कई इलाकों में छापेमारी की जा रही है।

थाना प्रभारी ने बताया कि जांच के दौरान पुलिस को कई महत्वपूर्ण जानकारी मिली है। पुलिस का मानना है कि अपराधी पहले से जानते थे कि महिला घर में अपने बच्चे के साथ अकेली रहती हैं। पुलिस ने मामले में कुछ संदिग्धों को हिरासत में भी लिया है। पीड़िता ने मेदिनीनगर टाउन थाना में आवेदन दिया है।

वोट चोरी' को लेकर पूर्व नौकरशाहों और जजों के निशाने पर राहुल गांधी, 272 हस्तियों ने लिखा ओपन लेटर

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कांग्रेस की ओर से चुनाव आयोग के खिलाफ लगार बयानबाजी जारी है। चुनाव आयोग पर लगाए गए गंभीर आरोपों को लेकर 272 हस्तियों ने खुला खत लिखा है। इन हस्तियों ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गाँधी द्वारा चुनाव आयोग पर बार-बार किए जा रहे हमलों को लेकर भी अपनी चिंता जाहिर की है। इन हस्तियों में 16 जज, 14 राजदूतों सहित 123 सेवानिवृत्त नौकरशाह और 133 सेवानिवृत्त सशस्त्र बल अधिकारी शामिल हैं।

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जनता का भरोसा कमजोर करने की कोशिश का आरोप

देश के 272 पूर्व शीर्ष अधिकारियों, जजों, राजनयिकों और सेना के अफसरों ने विपक्ष के नेता राहुल गांधी और कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इन लोगों ने एक खुला पत्र जारी कर कहा कि कांग्रेस और राहुल गांधी 'चुनाव आयोग सहित संवैधानिक संस्थाओं में जनता का भरोसा कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं।

“यह दिखाने की कोशिश कि देश की संस्थाएं ठीक तरह काम नहीं कर रहीं”

समूह ने पत्र जारी कर कहा है कि ये आरोप राजनीतिक हताशा को संस्थागत संकट की आड़ में छिपाने की कोशिश है। 'Assault on National Constitutional Authorities' नाम के टाइटल वाले पत्र में कहा गया कि कुछ विपक्षी नेता 'जहरीली बयानबाजी' और 'बिना सबूत के आरोपों' के जरिए यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि देश की संस्थाएं ठीक तरह काम नहीं कर रहीं।

“न्यायपालिका, संसद के बाद चुनाव आयोग की बारी”

पत्र में लिखा है, पहले उन्होंने भारतीय सेना की बहादुरी पर सवाल उठाए, फिर न्यायपालिका, संसद और संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को निशाना बनाया और अब चुनाव आयोग की बारी आ गई है। पत्र में राहुल गाँधी पर सीधा हमला करते हुए लिखा गया है, लोकसभा में विपक्ष के नेता ने बार-बार चुनाव आयोग पर हमला करते हुए दावा किया है कि उनके पास सबूत है कि चुनाव आयोग वोट चोरी करा रहा है और उनकी बात 100% प्रमाणित है। उन्होंने यहाँ तक कहा कि अगर मुख्य चुनाव आयुक्त या चुनाव आयुक्त रिटायर भी हो जाएँ, तो वह उन्हें भी छोड़ेंगे नहीं।

कोई औपचारिक शिकायत नहीं करवाने पर उठाया सवाल

आगे पत्र में कहा गया है, इतने गंभीर आरोप लगाने के बावजूद उन्होंने अब तक कोई औपचारिक शिकायत, या शपथपत्र के साथ, दर्ज नहीं कराई। जिससे उन्हें अपनी बात के लिए जवाबदेह न होना पड़े।

“राजनीतिक हताशा को संस्थागत संकट का रूप देने का प्रयास”

पत्र में कहा गया है कि कांग्रेस और अन्य दलों के कई नेता, वाम समर्थित NGOs, कुछ अकादमिक और चर्चा में बने रहने वाले लोग भी इसी तरह की आक्रामक बयानबाज़ी कर रहे हैं। लेकिन चुनाव आयोग अपने SIR मॉडल की पद्धति सार्वजनिक कर चुका है, न्यायालय की निगरानी में सत्यापन हुआ है, और पात्र मतदाताओं को जोड़ने व अपात्रों को हटाने की प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से की गई। ऐसे में यह आरोप सिर्फ राजनीतिक हताशा को संस्थागत संकट का रूप देने का प्रयास लगता है।

. विद्यासागर उपाध्याय : दो नये महाग्रंथों के साथ 20 दार्शनिक कृतियों का दिव्य शिखर
संजीव सिंह बलिया| भारतीय बौद्धिक–परंपरा में समय–समय पर ऐसे मनीषी अवतरित होते रहे हैं, जिनकी सोच केवल अपने युग को नहीं, आने वाली सहस्राब्दियों को दिशा देती है। समकालीन भारत में ऐसा ही एक तेजस्वी नाम है—डॉ. विद्यासागर उपाध्याय, जिनके द्वारा लिखित 20 महत्वपूर्ण ग्रंथ भारतीय दर्शन, समाज–चिंतन और राष्ट्रीय विमर्श के क्षेत्र में अमूल्य योगदान हैं। भारतीय ज्ञानपरंपरा के आकाश में यह तारा अत्यन्त उज्ज्वल हो उठा है, जिसे समकालीन युग “विद्या–सरस्वती का जीवंत पुरुष विस्तार” कहकर श्रद्धा प्रकट करता है। डॉ. उपाध्याय के ग्रंथों की विलक्षणता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि अनेक कृतियाँ 800 पृष्ठों के ज्ञान-हिमालय की तरह खड़ी हैं, जबकि अन्य 300 पृष्ठों में भी “गागर में सागर” भर देती हैं। कई ग्रंथों के मूल्य 1000 रुपये से अधिक होने पर भी पाठकों का अटूट अनुराग, उनकी लेखनी की स्वर्ण-तुल्य गुणवत्ता का प्रमाण है। उनके 100 से अधिक शोध-आलेख देश-विदेश की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। भारतवर्ष के समस्त प्रान्त व अनेक अंतर्राष्ट्रीय बौद्धिक संस्थान उन्हें मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित करते रहे हैं। उनकी ओजस्वी वाणी, व्यापक दृष्टि और विश्लेषण की तीक्ष्णता श्रोताओं पर अमिट छाप छोड़ती है। अब तक उन्हें सैकड़ों राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय सम्मान/उपाधि प्राप्त हैं—जो उनकी प्रज्ञा, तपस्या और दार्शनिक ऊँचाई का प्रमाण है। मात्र 39 वर्ष की आयु में 20 दार्शनिक ग्रंथों का विरल शिखर स्पर्श करने वाले, अंतरराष्ट्रीय वक्ता, मौलिक चिंतक, प्रसिद्ध शिक्षाविद् और शोध-प्रज्ञा के आलोक–पुंज डॉ. विद्यासागर उपाध्याय ने वर्तमान में बौद्धिक-जगत को दो महत् वैचारिक नवीन ग्रंथ सौंपकर आधुनिक भारतीय विमर्श को नए आयाम प्रदान किए हैं। नवप्रकाशित दोनो महाग्रंथ— “सत्य कौन? तिलक अथवा आम्बेडकर! : विलुप्त प्रज्ञा का महाकोष”। और “लॉर्ड मैकाले : नायक अथवा खलनायक?” — पहुँचते ही विद्वत्-समाज में गहन बहस, विचार-मंथन और दार्शनिक पुनर्पाठ का सृजन कर चुके हैं। यह दोनों कृतियाँ ऐसी हैं, मानो भारतीय चिंतनभूमि के लिए दो दीप्तिमान वैचारिक यज्ञाहुतियाँ प्रस्तुत हो गई हों। प्रस्तुत निबंध में मैं इन दोनों ग्रंथों के गहन अध्ययन के आधार पर डॉ. उपाध्याय की शोध–दृष्टि, वैचारिक प्रस्तुति, तर्कप्रणाली और उनके विचार–लोक की व्यापकता का समीक्षात्मक विश्लेषण कर रही हूँ। 1. डॉ. विद्यासागर उपाध्याय : परंपरा और आधुनिकता के अद्वितीय सेतु - अध्ययन के दौरान यह तथ्य स्पष्ट रूप से उभरकर सामने आता है कि डॉ. उपाध्याय न तो परंपरा के अंध–समर्थक हैं और न ही आधुनिकता के अंध–अनुयायी। उनकी लेखनी में परंपरा की आत्मा और आधुनिकता की वैज्ञानिक दृष्टि दोनों साथ–साथ चलती हैं। ऐसे लेखक आज विरले हैं जो प्राचीन भारतीय ग्रंथों—उपनिषदों, धर्मशास्त्रों, न्याय–मीमांसा—की तर्क–शक्ति को आधुनिक राजनीतिक–समाजशास्त्रीय विमर्श के साथ जोड़कर प्रस्तुत करते हों। डॉ. उपाध्याय का यह समन्वय–बोध स्वयं में एक उपलब्धि है। 2. “लॉर्ड मैकाले : नायक अथवा खलनायक?”—इतिहास पर पुनर्विचार का आह्वान - यह एक ऐसी साहसिक बौद्धिक शल्य-क्रिया है, जिसने आधुनिक भारत की शिक्षा-नीति, सांस्कृतिक चेतना और मानसिक रूपांतरण की जटिल परतों को निर्भीकता से उघाड़ दिया है। ग्रंथ में मैकाले की नीतियों के भारतीय मन, सामाजिक ढाँचे और सांस्कृतिक अस्मिता पर पड़े दीर्घकालीन घावों का सुसंगत, निष्पक्ष और अत्यंत मौलिक पुनर्मूल्यांकन किया गया है। लेखक केवल आलोचना नहीं करते, बल्कि उबरने का मार्ग भी प्रदान करते हैं—जो इस कृति की सर्वाधिक विशिष्टता है। वर्तमान भारत में हिन्दी साहित्य के मूर्धन्य विद्वान प्रो. (डॉ.) पुनीत बिसारिया, अधिष्ठाता कला संकाय एवं विभागाध्यक्ष (हिन्दी), बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, इसे “सांस्कृतिक पुनरुत्थान का घोषणापत्र” बताते हुए लिखते हैं कि "डॉ. उपाध्याय की लेखनी इतिहास को केवल तिथियों का दस्तावेज़ नहीं रहने देती, बल्कि भारतीय आत्मा की जीवित आवाज़ बना देती है। न अंधभक्ति, न अंधघृणा—बल्कि संतुलन, तर्क, और भावनात्मक पारदर्शिता—इस कृति को अद्वितीय बनाती है।"इस ग्रंथ का मूल उद्देश्य किसी व्यक्तिविशेष का महिमागान अथवा निंदा करना नहीं, बल्कि मैकाले की शिक्षा–नीति के माध्यम से भारतीय मानसिकता के औपनिवेशिक पुनर्गठन का विश्लेषण करना है। डॉ. उपाध्याय ने यहाँ मात्र इतिहास नहीं बताया; अपितु उन्होंने इतिहास का तर्कसंगत पुनर्पाठ प्रस्तुत किया है। उनका प्रश्न— “क्या अंग्रेज़ी शिक्षा ने भारतीय मन को स्वतंत्र बनाया या परतंत्र?” आज भी प्रासंगिक है। यह पुस्तक न केवल शोधार्थियों के लिए उपयोगी है, बल्कि उन बुद्धिजीवियों के लिए भी अत्यंत आवश्यक है, जो भारतीय शिक्षा–दर्शन की पुनर्स्थापना में रुचि रखते हैं। 3. “सत्य कौन? तिलक अथवा आम्बेडकर!”— विलुप्त प्रज्ञा का वास्तव में महाकोष - यह ग्रंथ आधुनिक भारतीय मनीषा के दो महान विचारकों—लोकमान्य तिलक और डॉ. आम्बेडकर—के विचारों का गहन तुलनात्मक विश्लेषण तो है ही; परंतु इसका वास्तविक वैभव यह है कि इसमें विश्व के चालीस महान दार्शनिकों के दृष्टिकोणों का अद्भुत समन्वय उपस्थित है। बौद्ध दिग्नाग, जैन अकलंकदेव, वेदांती विद्यारण्य, महर्षि रमण, अरविन्द, हेगेल, मेकियावली, एक्विनास, ओशो, स्वामी करपात्री, शोज, फिरदौसी, टैगोर, गाँधी तथा अनगिनत दार्शनिक धाराएँ—सब एक ही वैचारिक पट पर ऐसे संलयित होती हैं, जैसे अनेक पवित्र सरिताएँ अंततः एक ही महासागर में विलीन होती हों। इस वैचारिक महाकोष की मंगल-शुभाशंसा करते हुए आयरलैंड में भारत के राजदूत एवं दर्शन शास्त्र के शीर्ष विद्वान् आई.एफ.एस. डॉ. अखिलेश मिश्र लिखते हैं कि - यह कृति भारतीय ज्ञान-परंपरा के “सत्य–अन्वेषण की अनन्त यात्रा” का अद्भुत दस्तावेज है, जो इन्द्रियातीत सत्ता, आत्मबोध और विश्वमानवता के विराट भाव को पुनर्जीवित करती है। वहीं नेपाल के प्रसिद्ध दार्शनिक विद्यावाचस्पति अजय कुमार झा इसे “विलुप्त प्रज्ञा के पुनरुत्थान का महाग्रंथ” बताते हुए लिखते हैं कि यहाँ झ्वांग-त्ज़ु, बर्द्यायेव, गुरुदास, माइमोनीडीज़, कबीर, रामतीर्थ, पतंजलि और वाचस्पति—सभी के विचार एक ही विश्वदर्शी चेतना में एकाकार हो जाते हैं। यह ग्रंथ डॉ. उपाध्याय की विद्वत्ता का अद्भुत और तेजोमय उदाहरण है जहां उन्होंने तिलक और आम्बेडकर के साथ ही चालीस चिन्तनधाराओं का दार्शनिक, सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक तर्कों का गहन तुलनात्मक विश्लेषण करके गागर में सागर भर दिया है। ऐसा दुर्लभ वैचारिक साहस और व्यापक अध्ययन आज के लेखक–जगत में बहुत कम देखने को मिलता है। ग्रंथ की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि लेखक न तो किसी विचारक का चयनित समर्थन करते हैं, और न ही किसी का पक्षपातपूर्ण खंडन; वे केवल यह पूछते हैं— “सत्य किसके पास है?” यही प्रश्न और उसका प्रामाणिक उत्तर पाठक को विचार–यात्रा पर ले जाता है। 4. शोध–दृष्टि और प्रस्तुति : स्पष्टता, निर्भीकता और तर्क–समृद्धि का समन्वय - डॉ. उपाध्याय की सबसे बड़ी विशेषता है बौद्धिक निर्भीकता। वे जटिल विषयों को सरल बनाकर प्रस्तुत करते हैं, परन्तु सरलता में उथलापन नहीं आने देते। उनके ग्रंथ संदर्भ–समृद्ध, तथ्य–संगत, प्रमाण–निष्ठ और दार्शनिक गहराई से पूर्ण हैं। वाक्य–बंध में साहित्यिक माधुर्य है और तर्क में ऐसी कठोरता जो पाठक को हर पंक्ति पर चिंतन करने को बाध्य करती है। 5. भारतीय चिंतन–जगत में उनका स्थान - समग्रता में देखा जाए तो डॉ. उपाध्याय उन दुर्लभ लेखकों में हैं जो न केवल इतिहास को पुनर्पाठित करते हैं, बल्कि आने वाले कालखंड के लिए विचार–ईंधन भी प्रदान करते हैं। उनके 20 ग्रंथ — दर्शन, समाज, राजनीति, इतिहास, साहित्य— हर क्षेत्र में नवीन दृष्टि का उद्घाटन करते हैं। उनकी लेखनी में ज्ञान की प्रखरता, अध्ययन की व्यापकता, और राष्ट्र–चिंतन की गरिमा स्पष्ट रूप से प्रतिध्वनित होती है। एक अध्येता होने के नाते मैं यह निस्संकोच कह सकती हूँ कि डॉ. विद्यासागर उपाध्याय आज के भारतीय चिंतन–जगत के सबसे प्रभावशाली, सबसे साहसी और सबसे अधिक मौलिक लेखकों में से एक हैं। उनकी नवीनतम कृतियाँ केवल पुस्तकें नहीं— वे विमर्श का आमंत्रण, चिंतन का आलोक, और राष्ट्रीय स्वाभिमान की पुनर्स्मृति हैं। ज्ञान–क्षेत्र में ऐसे तेजस्वी प्रतिभाशाली लेखक का होना भारतीय बौद्धिक परंपरा के लिए एक अत्यंत शुभ संकेत है। दोनों महाग्रंथों के प्रकाशन के साथ यह तथ्य पुनः प्रतिष्ठित हो गया कि डॉ. विद्यासागर उपाध्याय केवल लेखक नहीं, बल्कि भारतीय ज्ञान–परंपरा के जीवंत प्रतिनिधि, मौलिक शोध के अग्रदूत और आधुनिक वैचारिक जगत् के धैर्यवान तपस्वी हैं। उनकी कृतियाँ केवल पठन का विषय नहीं—बल्कि सतत् मनन, विमर्श और आत्मबोध के शाश्वत निमंत्रण हैं। समकालीन भारतीय दर्शन को इन ग्रंथों ने नई ऊँचाई, नई दृष्टि और नया गौरव प्रदान किया है। यह ग्रंथ निस्संदेह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अमर वैचारिक दीपस्तम्भ सिद्ध होंगे। समीक्षक डॉ. मणिकर्णिका (NET, JRF, SRF, Ph.D)
सिद्धपीठ श्री हथियाराम मठ के पीठाधीश्वर स्वामी भवानी नंदन यति महाराज का 20 नवंबर को नगरा आगमन


अमर बहादुर सिंह, बलिया शहर। भक्तों और श्रद्धालुओं के लिए हर्ष का विषय है कि सिद्धपीठ श्री हथियाराम मठ, वाराणसी के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर परमपूज्य स्वामी भवानी नंदन यति महाराज जी 20 नवंबर 2025, गुरुवार को रामहित कार्यक्रम के अंतर्गत नगरा आगमन करेंगे। गुरुदेव का पावन स्वागत प्राचीन दुर्गा मंदिर, नगरा के पावन प्रांगण में संध्या 5 बजे किया जाएगा।सिद्धपीठ द्वारा विगत वर्षों से ग्रामीण अंचलों में धर्म, शिक्षा, संस्कार और सामाजिक चेतना के विस्तार हेतु रामहित कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। इसी क्रम में संत, ब्राह्मण और सेवकों की लगभग 20–25 सदस्यीय टोली भगवान लक्ष्मीनारायण जी के आसन के साथ नगरा पहुँचेगी।कार्यक्रम के प्रमुख बिंदु:ग्राम आगमन एवं स्वागत: शाम 5:00 बजेसायंकाल उद्घोधन: 5:30 से 6:00 बजेसायंकालीन महाआरती: 7:30 से 8:30 बजेरात्रिकालीन प्रवचन: 8:30 से 9:30 बजेरात्रि भोजन (महाप्रसाद): 9:30 से 10:00 बजेअगले दिन 21 नवंबर, शुक्रवार को अपराह्न 4:00 बजे स्वामी जी का प्रस्थान तय है।भक्तों से अपील:आयोजन समिति ने समस्त भक्तों से अनुरोध किया है कि वे समयानुसार उपस्थित होकर प्रवचन श्रवण, महाप्रसाद ग्रहण एवं गुरुदेव के दर्शन–आशीर्वाद का लाभ अवश्य प्राप्त करें।
झारखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र 5 दिसंबर से; 11 दिसंबर तक चलेगा 5 कार्यदिवस का सत्र, नवनिर्वाचित सोमेश सोरेन लेंगे शपथ

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रांची: झारखंड विधानसभा का बहुप्रतीक्षित शीतकालीन सत्र राज्यपाल श्री संतोष कुमार गंगवार ने मंत्रिपरिषद की सलाह पर संविधान के अनुच्छेद 174 के तहत आहूत कर दिया है। यह सत्र 5 दिसंबर को शुरू होगा और 11 दिसंबर तक चलेगा।

राज्यपाल से मंजूरी मिलने के बाद, विधानसभा सचिवालय ने सत्र का औपबंधिक कार्यक्रम जारी कर दिया है। पाँच कार्यदिवस वाले इस सत्र में चार दिन प्रश्नकाल होंगे। आज, 19 नवंबर से माननीय सदस्य अपने प्रश्न विधानसभा में डाल सकेंगे।

सत्र के मुख्य कार्यक्रम

दिनांक मुख्य गतिविधि

5 दिसंबर (पहला दिन) शोक प्रकाश, घाटशिला के नवनिर्वाचित विधायक श्री सोमेश चंद्र सोरेन को शपथ दिलाई जाएगी।

6-7 दिसंबर अवकाश (शनिवार और रविवार)

8 दिसंबर प्रश्नकाल के बाद वित्तीय वर्ष 2025-26 का द्वितीय अनुपूरक बजट पेश होगा।

9 दिसंबर अनुपूरक बजट पर सामान्य वाद-विवाद, मतदान और विनियोग विधेयक पारित करने की प्रक्रिया पूरी होगी।

10 दिसंबर प्रश्नकाल के बाद राजकीय विधायक और अन्य सरकारी कामकाज।

11 दिसंबर (अंतिम दिन) प्रश्नकाल के बाद गैर सरकारी संकल्प का निपटारा होगा।

सोमेश चंद्र सोरेन लेंगे शपथ

सत्र के पहले दिन, घाटशिला उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी बाबूलाल सोरेन को हराकर नवनिर्वाचित हुए विधायक श्री सोमेश चंद्र सोरेन को शपथ दिलाई जाएगी। उन्होंने अपने पिता स्वर्गीय रामदास सोरेन के असामयिक निधन से खाली हुई सीट पर जीत दर्ज की है।