सम्मन देने गये दो पुलिस कर्मियों से मारपीट, दो आरोपियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज

गोंडा।जिले के नगर कोतवाली क्षेत्र अंतर्गत सम्मन देने गये दो पुलिस कर्मियों पर हमला कर दिया गया।बताते चलें कि महराजगंज जनपद से आये दिव्यांग हेडकांसटेबल छोटे लाल यादव व नगर कोतवाली क्षेत्र के महराजगंज पुलिस चौकी पर तैनात सिपाही अरुण कुमार गुप्ता के साथ इमामबाड़ा के चमरटोलिया गांव में मारपीट की गई।इस दौरान उनके मोबाइल भी पटक कर तोड़ दिये गये, जिससे उसकी स्क्रीन भी टूट गयी।मारपीट में हेड कांस्टेबल छोटे लाल यादव व सिपाही अरुण कुमार गुप्ता घायल हो गए।उनका गोंडा मेडिकल कॉलेज में इलाज करवाया गया।पुलिस के अनुसार,आरोपियों ने सम्मन लेने से इन्कार कर दिया और पुलिस कर्मियों से मारपीट कर जान से मारने की धमकी दी।नगर कोतवाली पुलिस ने हेडकांसटेबल छोटे लाल यादव की तहरीर पर शशि आनंद व राजन के खिलाफ सरकारी कार्य में बाधा,मारपीट व गाली गलौज की धाराओं में मुकदमा दर्ज दोनों आरोपियों को हिरासत में ले लिया है और मामले की जांच उपनिरीक्षक मनीष कुमार को सौंपी गई है।पुलिस आरोपियों से पूछताछ कर रही है।उक्त घटना का एक 53 सेकेण्ड का वीडियो भी सामने आया है,जो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।वीडियो में हैडकांस्टेबल छोटे लाल यादव वीडिओ रिकार्डिंग करते दिख रहे हैं,जबकि कांस्टेबल अरुण कुमार गुप्ता आरोपियों से सम्मन लेने के लिए कह रहे हैं।इस दौरान भी आरोपी पुलिसकर्मियों के मोबाइल छीनने और विवाद करने का प्रयास करते दिखाई दे रहे हैं।हैडकांस्टेबल छोटे लाल यादव महराजगंज जिले के बृजमनगंज थाने में तैनात हैं।वह न्यायिक मजिस्ट्रेट फरेन्दा,महराजगंज द्वारा जारी नोटिस शशि आनंद, राजन व नीता को देने गोंडा आये थे।इन सभी को 27 नवंबर को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट फरेन्दा, महराजगंज की अदालत में हाजिर होना था।जब सम्मन लेने से आरोपियों ने मना किया तो हैडकांस्टेबल ने दोबारा सम्मन लेने के लिए कहा तो नाराज होकर आरोपियों द्वारा मारपीट किया गया।आरोपी शशि गौतम उर्फ आनन्द गौतम ने अपने छोटे भाई की शादी महराजगंज जनपद के बृजमनगंज थाना क्षेत्र में एक लड़की से लगाई थी परन्तु कुछ लेन देन को लेकर राजन गौतम ने शादी से इन्कार कर दिया था।जिसका मुकदमा लड़की के पिता ने न्यायालय में दायर किया है।उसी का सम्मन न्यायालय से राजन गौतम और उसके बडे़ भाई शशि आनंद उर्फ आनन्द गौतम व नीता के नाम पर जारी हुआ था।नगर कोतवाल विवेक त्रिवेदी ने बताया कि हेडकांसटेबल छोटे लाल यादव की तहरीर पर दो लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर दोनों लोगों को हिरासत में लेकर पुलिस द्वारा पूरे मामले की शुरू कर दी गयी है।दोनों आरोपियों ने हमारे थाना क्षेत्र के महराजगंज चौकी पर तैनात सिपाही के साथ मारपीट की है तथा साथ ही साथ महराजगंज जिले के बृजमनगंज थाने पर तैनात हेडकांसटेबल छोटे लाल यादव के साथ भी मारपीट की है।

अपर पुलिस महानिदेशक गोरखपुर जोन ने थाना नवाबगंज का किया वार्षिक निरीक्षण

गोण्डा।अपर पुलिस महानिदेशक गोरखपुर जोन, गोरखपुर मुथा अशोक जैन द्वारा पुलिस अधीक्षक गोण्डा विनीत जायसवाल के साथ थाना नवाबगंज पहुँचकर थाने का वार्षिक निरीक्षण किया गया। निरीक्षण से पूर्व का स्वागत क्षेत्राधिकारी तरबगंज उमेश्वर प्रभात सिंह व प्रभारी निरीक्षक नवाबगंज द्वारा किया गया । तदोपरांत अपर पुलिस महानिदेशक द्वारा गार्द की सलामी ली गई। निरीक्षण के दौरान महोदय ने थाना परिसर के थाना कार्यालय का अवलोकन कर भोजनालय, आवासीय परिसर, विवेचना कक्ष, महिला हेल्प डेस्क, शस्त्रागार, आवासीय बैरक, मालखाना एवं बाउंड्री वाल आदि का निरीक्षण किया। महोदय ने थाना परिसर में सफाई व्यवस्था, कार्यालय के अभिलेखों एवं पत्रावलियों के सुव्यवस्थित एवं अद्यतन रख-रखाव, भोजनालय में पोषक एवं स्वच्छ भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु आवश्यक दिशा निर्देश दिए।

उन्होंने शस्त्रागार में शस्त्रों की नियमित सफाई करने, रजिस्टरों के अद्यतन रखरखाव तथा सुरक्षा प्रबंधन को और मजबूत करने पर बल दिया। निरीक्षण के दौरान अपर पुलिस महानिदेशक गोरखपुर जोन गोरखपुर मुथा अशोक जैन द्वारा थाने पर नवनिर्मित साइबर हेल्पडेस्क का फीता काटकर उद्घाटन भी किया गया, जिसमें साइबर अपराधों से संबंधित शिकायतों के त्वरित निस्तारण हेतु आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं। इसके साथ ही वामासारथी पुलिस वेलफेयर एसोसिएशन गोरखपुर जोन की अध्यक्षा श्रीमती शोभा जैन द्वारा थाना नवाबगंज पर नवनिर्मित मिशन शक्ति केंद्र का फीता काटकर उद्घाटन किया गया, जिसका उद्देश्य महिला सुरक्षा, सम्मान एवं स्वावलंबन को और अधिक सुदृढ़ करना है। महिला हेल्प डेस्क/मिशन शक्ति केन्द्र के निरीक्षण के दौरान ने महिला फरियादियों की समस्याओं के प्रति संवेदनशीलता तथा सहानुभूति बरतते हुये त्वरित निस्तारण पर विशेष बल देते हुए संबंधित कर्मियों को आवश्यक दिशा-निर्देश प्रदान किए। इसके साथ ही उन्होंने विवेचना कक्ष में लंबित मामलों की समीक्षा करते हुए विवेचनाओं को गुणवत्तापूर्ण एवं समयबद्ध ढंग से संपादित करने के निर्देश भी दिए। उन्होंने समस्त पुलिस कर्मियों को अनुशासन, संवेदनशीलता, त्वरित सेवा-प्रदान तथा आमजन की समस्याओं के प्रभावी निस्तारण पर केंद्रित रहते हुए दायित्व निर्वहन के निर्देश दिए।

इस अवसर पर अपर पुलिस अधीक्षक गोण्डा पश्चिमी राधेश्याम राय, क्षेत्राधिकारी तरबगंज उमेश्वर प्रभात सिंह, वामासारथी जोन अध्यक्ष शोभा जैन, थाना प्रभारी नवाबगंज सहित अन्य पुलिस अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।

सांसद कैसरगंज को हाईकोर्ट ने नहीं मिली राहत,अवैध खनन पर लगा था 10 लाख का जुर्माना

गोंडा।कैसरगंज से भाजपा सांसद करण भूषण सिंह को अवैध खनन मामले में लखनऊ हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है।उनकी फर्म मेसर्स नंदिनी इंफ्रास्ट्रक्चर पर लगे जुर्माने और रॉयल्टी जमा करने के आदेश को उच्च न्यायालय ने रद्द नहीं किया है।हाईकोर्ट ने उन्हें राज्य प्राधिकरण में रिवीजन याचिका दाखिल करने की छूट दी है।न्यायमूर्ति शेखर बी सराफ व मंजवी शुक्ला की खंडपीठ ने 21 नवंबर को सांसद की याचिका पर सुनवाई की थी।कोर्ट ने मेरिट के आधार पर याचिका खारिज करते हुए यह निर्देश दिया।बताते चलें कि सांसद करण भूषण सिंह ने अपनी याचिका में 10 लाख रुपए के जुर्माने और 4.88 करोंड़ रुपये की रॉयल्टी को रद्द करने की मांग की थी।यह मामला वर्ष 2019 का है।19 व20 जनवरी 2019 को गोंडा के खनन निरीक्षक और भूतत्व व खनिकर्म कार्यालय अयोध्या के सर्वेयर ने गोंडा के खनन पट्टे का स्थलीय निरीक्षण किया था।इस निरीक्षण में स्वीकृत पट्टे से 1.72 लाख घनमीटर अधिक खनन पाया गया था।

तत्कालीन जिलाधिकारी नितिन बंसल ने 15 जून 2019 को मैसर्स नंदिनी इंफ्रास्ट्रक्चर पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था।इसके साथ ही बालु की रॉयल्टी और खनिज मुल की राशि के रुप में 4.88 करोंड़ रुपये 15 दिन के अंदर जमा करने का आदेश दिया था।गोंडा खनन विभाग ने इस संबंध में करण भूषण सिंह और उनकी फर्म को कई नोटिस जारी किया था।नोटिस मिलने के बाद जुर्माना और बालु की रॉयल्टी जमा नहीं की गई।जिसके बाद मामला हाईकोर्ट पहुंचा।भाजपा सांसद करण भूषण सिंह और उनकी फर्म को तरबगंज तहसील क्षेत्र के दुर्गागंज ग्राम पंचायत में बालु खनन के लिए पांच साल का पट्टा मिला था।

इस कार्यवाही के बाद से सांसद व उनके परिवार के किसी भी सदस्य ने कोई नया बालु खनन पट्टा नहीं लिया है।सांसद करण भूषण सिंह ने कहा कि गलत तरीके से जुर्माना लगाया गया था।इसी जुर्माने व रॉयल्टी को रद्द करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी।हाईकोर्ट ने राज्य प्राधिकरण में रिवीजन प्रस्तुत करने को लेकर हुई देरी से छूट दी है।भाजपा सांसद द्वारा अपने फर्म के माध्यम से खनन निदेशक उत्तर प्रदेश,प्रमुख सचिव खनन विभाग,आयुक्त देवीपाटन मंडल व जिलाधिकारी गोंडा को इस पूरै मामले में पार्टी बनाया गया था।

गोण्डा: ‘ऑपरेशन कन्विक्शन’ में छेड़खानी के आरोपी को 3 साल की सजा

गोण्डा। मिशन शक्ति के तहत चलाए गए ‘ऑपरेशन कन्विक्शन’ के अंतर्गत गोण्डा पुलिस और अभियोजन की प्रभावी पैरवी से छेड़खानी के आरोपी को न्यायालय ने 03 वर्ष सश्रम कारावास और 10,000 रुपये के अर्थदण्ड की सजा सुनाई।

घटना दिनांक 12 जनवरी 2020 की है, जब थाना कटरा बाजार में वादी ने शिकायत दी थी कि सहबे आलम पुत्र अमीन ने उसकी 16 वर्षीय बेटी के साथ अश्लील हरकतें कीं और फोटो खींचने की कोशिश की। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए अभियुक्त को गिरफ्तार किया और जेल भेजा।

पुलिस अधीक्षक गोण्डा के निर्देशन में विशेष अभियान चलाकर अभियुक्त के विरुद्ध प्रभावी पैरवी की गई। 26 नवंबर 2025 को अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश पॉक्सो अधिनियम श्री निर्भय प्रकाश ने अभियुक्त सहबे आलम को दोषी मानते हुए दंडित किया।

अभियुक्त का विवरण:

नाम: सहबे आलम

पिता: अमीन

पता: ग्राम मंगरे पुरवा, थाना कटरा बाजार, गोण्डा

अभियोग का विवरण:

मामला संख्या: मु0अ0सं0-08/2020

धारा: 354 भादवि एवं 7/8 पॉक्सो एक्ट

जहानाबाद में सिर्फ 50 हजार में लॉन्च हुई इलेक्ट्रिक स्कूटी, बिक्री शुरू — कम खर्च में मिलेगा 80 KM का सफर

जहानाबाद: जिले में अब लोगों के लिए इलेक्ट्रिक वाहन खरीदना और भी आसान हो गया है। स्कॉट इलेक्ट्रोराइड कंपनी ने जहानाबाद में अपनी किफायती इलेक्ट्रिक स्कूटियों की बिक्री शुरू कर दी है। कंपनी ने दो मॉडल—SL Pro और ZL Pro—लॉन्च किए हैं, जिनकी शुरुआती कीमत मात्र 50 हजार रुपये तय की गई है। कम बजट में बेहतर माइलेज और आधुनिक फीचर्स के कारण ये स्कूटियां लोगों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं।

एक यूनिट बिजली में चलेगी 80 किलोमीटर

कंपनी के अनुसार, स्कूटी की सबसे बड़ी खासियत इसकी चार्जिंग क्षमता है। इसे फुल चार्ज करने में मात्र 1 यूनिट बिजली की खपत होती है। पूरी चार्जिंग के बाद स्कूटी 80 किलोमीटर तक आराम से चलती है। रोज ऑफिस जाने वाले, छात्रों और शहर के भीतर यात्रा करने वालों के लिए यह स्कूटी बेहद किफायती विकल्प साबित हो रही है। बढ़ती पेट्रोल-डीजल की कीमतों के बीच यह वाहन लोगों की जेब पर भी हल्का असर डालता है।

गांधी मैदान स्थित स्वाद देसी रेस्टोरेंट में उपलब्ध

इलेक्ट्रिक स्कूटी की बिक्री अभी जहानाबाद के गांधी मैदान स्थित स्वाद देसी रेस्टोरेंट से की जा रही है। यहां कंपनी ने अपना कार्यालय स्थापित किया है, जहां ग्राहक स्कूटी की जानकारी, टेस्ट राइड और खरीदारी कर सकते हैं।
कंपनी की ओर से एक फ्री सर्विसिंग और उसके बाद एक पेड सर्विसिंग की सुविधा भी दी जा रही है।

युवाओं के लिए बड़ा अवसर—डीलरशिप भी उपलब्ध

स्कॉट इलेक्ट्रोराइड सिर्फ वाहन नहीं बेच रही, बल्कि रोजगार के अवसर भी प्रदान कर रही है। जहानाबाद के डीलर हिमांशु कश्यप ने बताया कि इलेक्ट्रिक वाहन बाजार तेजी से बढ़ रहा है और ऐसे में स्कूटी की डीलरशिप लेना युवाओं के लिए बेहतर व्यवसाय का मौका है।
उन्होंने कहा कि बेरोजगारी के समय में यह स्थायी और सुलभ रोजगार का विकल्प साबित हो सकता है। इच्छुक लोग स्वदेशी फैमिली रेस्टोरेंट पहुंचकर डीलरशिप की प्रक्रिया पूरी कर सकते हैं। कंपनी की ओर से डीलर्स को पूरा कॉर्पोरेट सहयोग भी दिया जाएगा।

पर्यावरण और बजट—दोनों के लिए फायदेमंद

इलेक्ट्रिक वाहन प्रदूषण कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कम खर्च, कम मेंटेनेंस और जीरो उत्सर्जन के साथ यह स्कूटी स्वच्छ और हरित बिहार बनाने की दिशा में बड़ा कदम है।
हिमांशु कश्यप के अनुसार, यह स्कूटी छोटे परिवारों, नौकरीपेशा लोगों और रोज 40–50 किलोमीटर की यात्रा करने वालों के लिए काफी आरामदायक है। उन्होंने लोगों से स्कूटी का टेस्ट राइड लेने और इसके फीचर्स को नजदीक से देखने की अपील की है।

जल्द बढ़ेगा कंपनी का नेटवर्क

वर्तमान में स्कॉट इलेक्ट्रोराइड पटना, जहानाबाद और अरवल में सक्रिय है। कंपनी जल्द ही बिहार के अन्य जिलों में भी आउटलेट और सर्विस सेंटर खोलने की तैयारी कर रही है।

कम कीमत, कम खर्च और बेहतरीन माइलेज — इन खूबियों के साथ यह इलेक्ट्रिक स्कूटी जहानाबाद के लोगों के लिए एक नया और सस्ता विकल्प बनकर उभर रही है।

2014 के चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ रची गई साजिश! पूर्व सांसद का सीआईए-मोसाद को लेकर चौंकाने वाला दावा

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद कुमार केतकर ने 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार को लेकर बड़ा बयान दिया है। कुमार केतकर ने दावा का है कि सीआईए और मोसाद, जो अमेरिका और इजराइल की जासूसी एजेंसियां हैं, ने 2014 में हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की हार की साजिश रची थी।

कांग्रेस की हार सीआईए और मोसाद की साजिश!

मुंबई में संविधान दिवस के अवसर पर आयोजित कांग्रेस के एक कार्यक्रम में बुधवार को कांग्रेस नेता और राज्यसभा के पूर्व सदस्य कुमार केतकर ने एक चौंकाने वाला दावा किया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की भारी हार किसी सामान्य राजनीतिक परिवर्तन का परिणाम नहीं थी, बल्कि इसके पीछे अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए और इजराइल की मोसाद की कथित साजिश थी।

केतकर ने समझाया आंकड़ों का गणित

केतकर ने कहा कि दोनों एजेंसियों ने मिलकर यह सुनिश्चित किया था कि कांग्रेस का सीट संख्या 206 से आगे न बढ़े और पार्टी सत्ता से बाहर हो जाए। केतकर ने याद दिलाया कि 2004 में कांग्रेस ने 145 सीटें जीती थीं और 2009 में यह आंकड़ा बढ़कर 206 हो गया था। उन्होंने कहा कि अगर यही ट्रेंड जारी रहता तो 2014 में कांग्रेस को 250 से ज्यादा सीटें मिलनी चाहिए थीं और वह आराम से सत्ता में वापस आ जाती। लेकिन अचानक सीटें घटकर सिर्फ 44 रह गईं। यह सामान्य जनादेश नहीं था।

भारत के राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित करने की रणनीति

केतकर ने कहा कुछ अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने तय किया था कि किसी भी हाल में कांग्रेस को 206 सीटों से ज्यादा नहीं मिलने दी जाए। सीआईए और मोसाद ने डेटा इकट्ठा किया, रणनीति बनाई और ऐसा माहौल बनाया कि कांग्रेस सत्ता में न लौट सके। केतकर के मुताबिक, इन एजेंसियों को डर था कि यदि यूपीए दोबारा स्थिर सरकार बनाती, तो भारत की नीतियों पर उनका प्रभाव सीमित हो जाता और वे अपनी इच्छानुसार हस्तक्षेप नहीं कर पाते।

अपने अनुकूल सरकार बनाने की साजिश का आरोप

पूर्व पत्रकार रहे केतकर ने दावा किया कि इन विदेशी खुफिया एजेंसियों का उद्देश्य भारत में ऐसी सरकार तैयार करना था जो उनके लिए अनुकूल हो और उनकी नीतियों को आसानी से लागू कर सके। केतकर के मुताबिक, अगर कांग्रेस की स्थिर सरकार लौटती या गठबंधन सरकार मजबूत स्थिति में आती, तो विदेशी एजेंसियों के लिए भारत में हस्तक्षेप करना मुश्किल हो जाता है।

हेमंत सरकार का 'नियुक्ति वर्ष': 28 नवंबर को 9,000 युवाओं को सरकारी नौकरी का तोहफा!

रांची के मोरहाबादी मैदान में होगा समारोह; राज्य में सबसे अधिक 8,000 सहायक आचार्यों को मिलेंगे नियुक्ति पत्र

रांची। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार अपने दूसरे कार्यकाल के एक वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में 28 नवंबर को 'नियुक्ति वर्ष' के रूप में मनाएगी। इस अवसर पर रांची के मोरहाबादी मैदान में एक भव्य समारोह आयोजित किया जाएगा, जहाँ मुख्यमंत्री लगभग 9,000 अभ्यर्थियों को सरकारी नौकरी का नियुक्ति पत्र वितरित करेंगे।

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मोरहाबादी मैदान में तैयारियां जोरों पर

नियुक्ति पत्र वितरण समारोह के लिए मोरहाबादी मैदान में बड़े पैमाने पर तैयारियां की जा रही हैं।

व्यवस्था: अभ्यर्थियों के लिए 10 हजार लोगों के बैठने की व्यवस्था की जा रही है, और चारों तरफ होर्डिंग्स लगाए गए हैं।

नियुक्ति पत्र की सूची: अब तक 8,514 अभ्यर्थियों की सूची तैयार हो चुकी है, जिनकी नियुक्ति राज्य सरकार के अलग-अलग विभागों में की जाएगी।

एंटीबायोटिक्स का मकड़जाल

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प्रदीप श्रीवास्तव

किसी भी बीमारी के लिए, एंटीबायोटिक्स यानी रोग प्रतिरोधी दवाएँ बहुत कारगर मानी जाती है, शायद यही वजह है कि बाज़ार में सबसे ज़्यादा एंटीबायोटिक दवाएँ बिकती हैं। हालाँकि, इनके अंधाधुंध प्रयोग से हमारे देश में “सुपरबग्स” जैसी खतरनाक स्थिति पैदा हो गई है, जहाँ दवाएँ बेअसर हो जाती हैं और सामान्य बीमारी भी जल्दी ठीक नहीं होती है और उनके इलाज पर बहुत ज़्यादा खर्च करना पड़ता है। चिंता की बात यह है कि पोल्ट्री और डेयरी फार्मिंग में भी एंटीबायोटिक्स का अत्यधिक प्रयोग किया जा रहा है। नतीजतन, अगर हम खुद एंटीबायोटिक्स कम लें तो भी यह समस्या दूसरे रूप में हमें घेरे ही रहेगी। इसलिए सरकार ने एंटीबायोटिक्स के प्रयोग को लेकर गाइडलाइन जारी की है, जिसमें इनके इस्तेमाल को लेकर कई तरह के दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। 

सन 1928 में लंदन के सेंट मैरी हॉस्पिटल मेडिकल स्कूल में कार्यरत स्कॉटलैंड के वैज्ञानिक अलेक्ज़ेंडर फ़्लेमिंग ने जीवाणुओं (बैक्टीरिया) पर शोध करते हुए एंटीबायोटिक पेनिसिलिन की खोज की। दूसरे विश्वयुद्ध में जब लाखों घायल सैनिक संक्रमण से मर रहे थे, तब पेनिसिलिन एक वरदान साबित हुई। इससे अनगिनत सैनिकों की जान बचाई गई। पेनिसिलिन ने चिकित्सा विज्ञान की दिशा बदल दी और इसे आधुनिक एंटीबायोटिक युग की शुरुआत माना जाता है। 

हालाँकि, 1945 के बाद से ही फ़्लेमिंग ने खुद चेतावनी दी कि “एंटीबायोटिक के बहुत ज़्यादा प्रयोग से प्रतिरोध पैदा होगा”। और यही हुआ, एंटीबायोटिक का अंधाधुंध प्रयोग शुरू हो गया, जिससे बीमारी एक बार ठीक होने बाद, दोबारा होने पर उससे कई तरह की परेशानियाँ शुरू होने लगी। 

अब यह समस्या और बड़ी बनने लगी है, क्योंकि भारत जैसे देशों में बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीबायोटिक लेना, अधूरा कोर्स करना और छोटी-मोटी बीमारी में भी इस्तेमाल करना आम बात है। ज़्यादा एंटीबायोटिक के प्रयोग से हमारे शरीर के बैक्टीरिया, दवाइयों के प्रति प्रतिरोधक विकसित कर लेते है इसे एंटीमाइक्रोबियल रेज़िस्टेंस कहा जाता है और यह स्थिति “सुपरबग्स” के रूप में उभरकर सामने आती है, यानी ऐसी स्थिति जिसमें ताकतवर जीवाणु, दवाओं से नहीं मरते और उन पर साधारण एंटीबायोटिक काम नहीं करती। ऐसे में न सिर्फ, मरीजों पर दवाओँ का खर्च बढ़ता जाता है, बल्कि भविष्य में वह कई बीमारियों को न्योता देता है और सामान्य संक्रमण यानी खाँसी, बुखार, घाव का इन्फेक्शन होने पर इसका इलाज भी मुश्किल हो जाता है। 

पहले जिन बीमारियों का इलाज ₹100 की दवा से हो जाता था, उनके लिए अब लाखों रुपये की नई और महँगी दवाएँ या इंजेक्शन लगते हैं। क्योंकि वह छोटी या सामान्य बीमारी पर दवाएँ बेअसर होती है, उन्हें ठीक करने के लिए कई तरह की जाँचें करानी पड़ती है और नए किस्म की दवाएँ देनी पड़ती है और मरीज को अस्पताल में ज़्यादा दिन भर्ती रहना पड़ता है। 

बार-बार एंटीबायोटिक लेने से डायरिया, एलर्जी, त्वचा पर दाने जैसी समस्याएँ भी आने लगती हैं और लंबे समय में किडनी, लीवर और पेट पर असर पड़ता है। सबसे बड़ी बात है कि एंटीबायोटिक हानिकारक बैक्टीरिया के साथ-साथ अच्छे बैक्टीरिया को भी मार देते हैं। इससे खराब पाचन, इम्युनिटी कमज़ोर और बार-बार संक्रमण की समस्या हो सकती है। 

भारत पहले से ही एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस का हॉटस्पॉट बन चुका है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद की रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर साल लगभग 7 लाख लोग एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस से जुड़ी बीमारियों से प्रभावित होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि अगर इस समस्या पर रोक नहीं लगी तो 2050 तक भारत समेत विश्व में एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस के कारण 1 करोड़ मौतें प्रति वर्ष हो सकती हैं। 

भारत में एंटीबायोटिक्स का बाज़ार बहुत बड़ा है, क्योंकि यहाँ संक्रमण संबंधी बीमारियाँ आम हैं। 2023 में भारत में एंटीबायोटिक्स का बाज़ार करीब 49,000 करोड़ रूपये का था। अनुमान है कि 2024–2030 के बीच यह बाज़ार लगभग 6–7% चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ेगा और 2030 तक यह बाज़ार 83,000 करोड़ रूपये तक पहुँच सकता है। मालूम हो कि भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा एंटीबायोटिक उत्पादक देश है। यहाँ बनने वाले जेनेरिक एंटीबायोटिक्स का एक बड़ा हिस्सा अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका को निर्यात होता है। भारतीय फ़ार्मा कंपनियाँ दुनिया भर के 20% से अधिक जेनेरिक दवाओं की आपूर्ति करती हैं। 

द लैंसेट की 2022 रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रति व्यक्ति एंटीबायोटिक खपत दुनिया में सबसे अधिक है। अनुमान है कि हर साल भारत में लगभग 1,300 करोड़ से अधिक की खुराक एंटीबायोटिक की ली जाती हैं। इसमें से भी ग्रामीण और छोटे शहरों व कस्बों में एंटीबायोटिक का उपयोग बड़े शहरों की अपेक्षा बहुत अधिक होता है। भारत सरकार ने शेड्यूल एच1 लागू किया है, जिसके तहत कई एंटीबायोटिक दवाएँ केवल पर्चे पर ही मिल सकती हैं। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद और विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से एंटीबायोटिक स्टीवर्डशिप प्रोग्राम को लागू किया जा रहा है ताकि दुरुपयोग कम हो, फिर भी समस्या जस की तस है। 

2025 में भारत की जनसंख्या लगभग 1.40 अरब है, यानी भारत दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश है। देश में करीब लगभग 93 करोड़ आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है, जबकि शहरों में लगभग 50 करोड़ लोग निवास करते हैं। 

वहीं, सर्दी-खाँसी-जुकाम, बुखार, डायरिया जैसी बीमारियाँ से हर साल भारत में करीब 30–35 करोड़ से अधिक लोग प्रभावित होते हैं और लगभग 6.2 करोड़ डायबिटीज और 7.7 करोड़ हृदय रोग से पीड़ित हैं। 2024 तक हमारे देश में कुल पंजीकृत डॉक्टरों की संख्या लगभग 13 लाख हैं, इनमें से 10.4 लाख एलोपैथिक डॉक्टर और 4.5 लाख आयुष डाक्टर (आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी आदि) हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के अनुसार 1,000 की जनसंख्या पर कम से कम 1 डॉक्टर होना चाहिए। जबकि भारत में 1,000 की आबादी पर मात्र 0.7 डॉक्टर उपलब्ध हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में यह अनुपात और भी कम है और कई राज्यों में 1000 की आबादी पर मात्र 0.2 डाक्टर हैं। 

भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी, 2023 की रिपोर्ट की माने तो देश में 1.55 लाख सब-सेंटर, 25,000 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 5,600 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। इनमें से लगभग 65–70% स्वास्थ्य केंद्र ग्रामीण इलाकों में स्थित हैं। 

भले ही देश में करीब एक लाख से ज़्यादा स्वास्थ्य केंद्र ग्रामीण इलाकों में हों, लेकिन अभी भी यहाँ डाक्टरों और स्वास्थ्य केंद्रों की भारी कमी है। देश में साधारण बीमारियों से हर साल करीब 30 करोड़ लोग प्रभावित हैं, जिनका इलाज कुछ लाख डाक्टरों या स्वास्थ्य केंद्रों के भरोसे संभव नहीं है। 

हालाँकि, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद और स्वास्थ्य मंत्रालय ने एंटीबायोटिक उपयोग पर नियंत्रण के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। इसमें ज़ोर दिया गया है कि एंटीबायोटिक केवल बैक्टीरियल संक्रमण में ही दी जाए और साधारण सर्दी-जुकाम या फ्लू में नहीं। डॉक्टर की पर्ची अनिवार्य होगी और अस्पतालों को एंटीबायोटिक स्टीवर्डशिप प्रोग्राम अपनाना होगा। साथ ही, दवा की अवधि को कम से कम रखने और मरीजों को पूरी जानकारी देने पर ज़ोर दिया गया है। 

मालूम हो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एंटीबायोटिक को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया है, पहला एक्सेस यानी वे एंटीबायोटिक जो सामान्य संक्रमण के लिए सुरक्षित हैं और इनका कोई ज़्यादा साइड इफ़ेक्ट नहीं है। दूसरी श्रेणी है वॉच की, इनका उपयोग सीमित परिस्थितियों में ही किया जाना चाहिए और इनके लिए निगरानी ज़रूरी है। तीसरी श्रेणी है रिज़र्व की, ये अंतिम विकल्प की दवाइयाँ हैं, जिन्हें केवल जीवन-रक्षक स्थिति में ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए। भारत भी इसी गाइडलाइन का पालन करता है और डॉक्टरों को सलाह भी दी गई है कि वे केवल ज़रूरत पड़ने पर ही एंटीबायोटिक लिखें और मरीजों को पूरी जानकारी दें। 

एंटीबायोटिक की समस्या इसलिए भी बड़ी होती जा रही है क्योंकि इंसानों के साथ ही कृषि और पशुपालन क्षेत्र में भी एंटीबायोटिक का अंधाधुंध उपयोग होना शुरू हो चुका है, खासतौर पर मुर्गीपालन और डेयरी फार्मिंग में। 

खाद्य और कृषि संगठन (संयुक्त राष्ट्र), भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण और विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में कुल एंटीबायोटिक खपत का 50% से अधिक हिस्सा पशुपालन में होता है। पोल्ट्री सेक्टर (मुर्गीपालन) का अनुमान है कि भारत में हर साल लगभग 70–75% मुर्गीपालकों द्वारा चारे में एंटीबायोटिक का प्रयोग किया जाता है। 

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण की एक रिपोर्ट में बताया गया कि बाजार में बिकने वाले 40% से अधिक चिकन में एंटीबायोटिक रेज़िड्यू पाए गए। डेयरी फार्मिंग डेयरी सेक्टर में, दूध देने वाली गायों और भैंसों में संक्रमण रोकने और दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए एंटीबायोटिक का बार-बार प्रयोग किया जाता है। 2022 के एक सर्वे में पाया गया कि 10–12% दूध के सैंपल्स में एंटीबायोटिक अवशेष मौजूद थे। 

ईयू और अमेरिका जैसे देशों ने एंटीबायोटिक-युक्त मीट और डेयरी उत्पादों के आयात पर कड़ी पाबंदी लगा रखी है। 2017 में ईयू ने भारत से निर्यात किए गए 26% पोल्ट्री उत्पादों को अस्वीकार कर दिया था, क्योंकि उनमें एंटीबायोटिक अवशेष पाए गए। एंटीबायोटिक्स को ग्रोथ प्रमोटर के रूप में प्रयोग करने पर रोक लगा दी गई है। पशुपालन में केवल चिकित्सकीय ज़रूरत पर ही डॉक्टर या वैटरनरी प्रिस्क्रिप्शन से उपयोग की सिफ़ारिश है। 

एंटीबायोटिक न सिर्फ जनस्वास्थ्य के लिए ख़तरनाक है, बल्कि निर्यात और खाद्य सुरक्षा पर भी सीधा असर डालता है। नई गाइडलाइन का उद्देश्य एंटीबायोटिक का विवेकपूर्ण उपयोग सुनिश्चित करना और भविष्य में गंभीर संक्रमणों के इलाज के लिए उनकी प्रभावशीलता बनाए रखना है। यदि मरीज, डॉक्टर, अस्पताल और किसान सभी मिलकर इन नियमों का पालन करें, तो “सुपरबग्स” की समस्या पर काबू पाया जा सकता है। इसके लिए व्यापक जनजागरूकता, सख्त नियम और सतत निगरानी बेहद आवश्यक है। 

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं )

ड्रग्स के खिलाफ बड़ा कदम: सीएम योगी ने ANTF को और सशक्त करने के निर्देश दिए
लखनऊ । उत्तर प्रदेश में अवैध ड्रग नेटवर्क को समाप्त करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (ANTF) को और अधिक प्रभावी, सक्षम और संसाधन-संपन्न बनाने के स्पष्ट निर्देश दिए। बुधवार को आयोजित समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि मादक पदार्थों के खिलाफ लड़ाई केवल कानून-व्यवस्था का विषय नहीं बल्कि समाज और प्रशासन की सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि अपराधियों को यह सख्त संदेश जाना चाहिए कि उत्तर प्रदेश में अवैध ड्रग कारोबार किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

सभी थानों व यूनिटों में स्थायी मैनपॉवर की तैनाती के निर्देश

सीएम योगी ने बताया कि ANTF की संरचना को मजबूत करते हुए इसके 6 थानों और 8 यूनिटों में निरीक्षक, उपनिरीक्षक, आरक्षी, कंप्यूटर ऑपरेटर और अन्य आवश्यक मैनपॉवर की स्थायी तैनाती तत्काल पूरी की जाए। उन्होंने कहा कि टीम को विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया जाए ताकि कार्रवाई अधिक प्रभावी और पेशेवर ढंग से हो सके।

एएनटीएफ को आधुनिक तकनीक व डिजिटल सिस्टम से लैस किया जाएगा

मुख्यमंत्री ने एएनटीएफ को आधुनिक उपकरण, डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम, उन्नत निगरानी संसाधन और अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित करने पर जोर दिया। उनका कहना था कि तकनीकी क्षमता बढ़ने से कार्रवाई तेज, सटीक और परिणामकारी होगी।प्रस्तावित थानों के लिए न्यायालय आवंटन की प्रक्रिया शीघ्र पूरी करने के निर्देश देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कदम मामलों की त्वरित सुनवाई और अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करेगा। उन्होंने कहा कि फोर्स के सभी थानों के लिए स्थायी भवन निर्माण भी आवश्यक है, जिससे कार्यप्रणाली और बेहतर होगी।

883 तस्कर गिरफ्तार किया

2023 से 2025 के बीच बड़ी कार्रवाई—310 मामले, 35 हजार किलो से अधिक ड्रग्स जब्त। बैठक में प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार एएनटीएफ गठन के बाद कार्रवाई में महत्वपूर्ण सफलता मिली है।2023 से 2025 के बीच, 310 मुकदमे दर्ज, 35,313 किलो अवैध मादक पदार्थ जब्त, 883 तस्कर गिरफ्तार किया, जब्त माल की कीमत 343 करोड़ रुपये से अधिक आंकी गई

अब तक 2.61 लाख किलो ड्रग्स का विनष्टीकरण

समीक्षा के दौरान यह भी बताया गया कि सामान्य कार्रवाई के साथ-साथ बड़े नेटवर्क और माफियाओं पर भी कड़ी कार्रवाई की गई है।पिछले तीन वर्षों में  2,61,391 किलो अवैध मादक पदार्थों का विधिसम्मत विनष्टीकरण किया गया, जिसका अनुमानित कीमत लगभग 775 करोड़ रुपये है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ड्रग्स का निस्तारण नियमित, पारदर्शी और विधिसम्मत तरीके से जारी रहना चाहिए ताकि किसी तरह की गड़बड़ी की संभावना न रहे।

ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई में समाज की भूमिका पर बल

मुख्यमंत्री योगी ने स्पष्ट कहा कि ड्रग्स के खिलाफ संघर्ष केवल पुलिस या सरकार का काम नहीं है, बल्कि यह युवाओं की सुरक्षा, परिवारों की भलाई और समाज की जिम्मेदारी का मुद्दा है। उन्होंने परिवारों, शैक्षणिक संस्थानों, सामाजिक संगठनों और स्थानीय प्रशासन से सहयोग बढ़ाने की अपील की।उन्होंने कहा हमारी कोशिश है कि नशे की पहुंच किसी भी हालत में युवाओं तक न हो। कानून सख्त है और कार्रवाई और सख्त होगी।”
डीजीपी ने किया आगरा कमिश्नरेट स्थापना दिवस का वर्चुअल उद्घाटन, संवेदनशील पुलिसिंग पर जोर

लखनऊ । आगरा पुलिस कमिश्नरेट की स्थापना के तीन वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम का वर्चुअल शुभारम्भ उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक  राजीव कृष्ण ने किया। इस अवसर पर उन्होंने पुलिस आयुक्त आगरा दीपक कुमार, वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों, सम्मानित नागरिकों और पत्रकारों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कमिश्नरेट व्यवस्था के अब तक के योगदान को महत्वपूर्ण बताया।

साल 2020 में यूपी में कमिश्नरी प्रणाली लागू की गई थी

डीजीपी ने अपने संबोधन में कहा कि  मुख्यमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व में वर्ष 2020 में उत्तर प्रदेश में पुलिस के प्रशासनिक ढांचे में ऐतिहासिक सुधार करते हुए कमिश्नरी प्रणाली लागू की गई थी। इसी क्रम में आगरा को तीन वर्ष पूर्व कमिश्नरेट का दर्जा दिया गया, जिसका उद्देश्य आमजन को अधिक प्रभावी, त्वरित और संवेदनशील पुलिस सेवा उपलब्ध कराना है।

कमिश्नरेट प्रणाली पहले से ही कई राज्यों में सफल मॉडल साबित हुई

उन्होंने बताया कि कमिश्नरेट प्रणाली पहले से ही देश के कई राज्यों में सफल मॉडल साबित हुई है। उत्तर प्रदेश में भी जहां-जहां यह व्यवस्था लागू की गई, वहाँ अपराध नियंत्रण, महिला सुरक्षा, साइबर अपराधों से निपटने और शिकायतों के समयबद्ध निस्तारण में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिले हैं। डीजीपी ने कहा कि आगरा पुलिस कमिश्नरेट ने भी इन सभी क्षेत्रों में प्रभावी कार्य किया है।

ट्रैफिक प्रबंधन और साइबर जागरूकता की सराहना

डीजीपी राजीव कृष्णा ने आगरा में प्रस्तावित मेट्रो परियोजना के चलते उत्पन्न यातायात चुनौतियों पर चर्चा करते हुए, पुलिस द्वारा किए जा रहे सुगम यातायात प्रबंधन प्रयासों की प्रशंसा की। उन्होंने आगरा पुलिस द्वारा चलाए जा रहे साइबर अपराध जागरूकता अभियानों को भी अत्यंत महत्वपूर्ण बताया, जिनके माध्यम से नागरिकों को साइबर अपराधों के तरीकों और बचाव के उपायों की जानकारी दी जा रही है।

पुलिस कर्मियों को स्थापना दिवस पर डीजीपी ने दी शुभकामनाएं

कार्यक्रम के दौरान डीजीपी ने सभी उपस्थित नागरिकों, पत्रकारों और पुलिस कर्मियों को स्थापना दिवस की शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि इस अवसर पर यह संकल्प लिया जाना चाहिए कि कमिश्नरेट व्यवस्था के मूल उद्देश्योंजन शिकायतों का त्वरित निस्तारण, महिलाओं की सुरक्षा, अपराध नियंत्रण और संवेदनशील पुलिसिंग को निरंतर और बेहतर बनाया जाए।

उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि आज संविधान दिवस है, और संविधान नागरिकों के अधिकारों की रक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है। उन्होंने सभी पुलिसकर्मियों को संविधान की भावना को आत्मसात करते हुए कार्य करने का आह्वान किया।
सम्मन देने गये दो पुलिस कर्मियों से मारपीट, दो आरोपियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज

गोंडा।जिले के नगर कोतवाली क्षेत्र अंतर्गत सम्मन देने गये दो पुलिस कर्मियों पर हमला कर दिया गया।बताते चलें कि महराजगंज जनपद से आये दिव्यांग हेडकांसटेबल छोटे लाल यादव व नगर कोतवाली क्षेत्र के महराजगंज पुलिस चौकी पर तैनात सिपाही अरुण कुमार गुप्ता के साथ इमामबाड़ा के चमरटोलिया गांव में मारपीट की गई।इस दौरान उनके मोबाइल भी पटक कर तोड़ दिये गये, जिससे उसकी स्क्रीन भी टूट गयी।मारपीट में हेड कांस्टेबल छोटे लाल यादव व सिपाही अरुण कुमार गुप्ता घायल हो गए।उनका गोंडा मेडिकल कॉलेज में इलाज करवाया गया।पुलिस के अनुसार,आरोपियों ने सम्मन लेने से इन्कार कर दिया और पुलिस कर्मियों से मारपीट कर जान से मारने की धमकी दी।नगर कोतवाली पुलिस ने हेडकांसटेबल छोटे लाल यादव की तहरीर पर शशि आनंद व राजन के खिलाफ सरकारी कार्य में बाधा,मारपीट व गाली गलौज की धाराओं में मुकदमा दर्ज दोनों आरोपियों को हिरासत में ले लिया है और मामले की जांच उपनिरीक्षक मनीष कुमार को सौंपी गई है।पुलिस आरोपियों से पूछताछ कर रही है।उक्त घटना का एक 53 सेकेण्ड का वीडियो भी सामने आया है,जो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।वीडियो में हैडकांस्टेबल छोटे लाल यादव वीडिओ रिकार्डिंग करते दिख रहे हैं,जबकि कांस्टेबल अरुण कुमार गुप्ता आरोपियों से सम्मन लेने के लिए कह रहे हैं।इस दौरान भी आरोपी पुलिसकर्मियों के मोबाइल छीनने और विवाद करने का प्रयास करते दिखाई दे रहे हैं।हैडकांस्टेबल छोटे लाल यादव महराजगंज जिले के बृजमनगंज थाने में तैनात हैं।वह न्यायिक मजिस्ट्रेट फरेन्दा,महराजगंज द्वारा जारी नोटिस शशि आनंद, राजन व नीता को देने गोंडा आये थे।इन सभी को 27 नवंबर को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट फरेन्दा, महराजगंज की अदालत में हाजिर होना था।जब सम्मन लेने से आरोपियों ने मना किया तो हैडकांस्टेबल ने दोबारा सम्मन लेने के लिए कहा तो नाराज होकर आरोपियों द्वारा मारपीट किया गया।आरोपी शशि गौतम उर्फ आनन्द गौतम ने अपने छोटे भाई की शादी महराजगंज जनपद के बृजमनगंज थाना क्षेत्र में एक लड़की से लगाई थी परन्तु कुछ लेन देन को लेकर राजन गौतम ने शादी से इन्कार कर दिया था।जिसका मुकदमा लड़की के पिता ने न्यायालय में दायर किया है।उसी का सम्मन न्यायालय से राजन गौतम और उसके बडे़ भाई शशि आनंद उर्फ आनन्द गौतम व नीता के नाम पर जारी हुआ था।नगर कोतवाल विवेक त्रिवेदी ने बताया कि हेडकांसटेबल छोटे लाल यादव की तहरीर पर दो लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर दोनों लोगों को हिरासत में लेकर पुलिस द्वारा पूरे मामले की शुरू कर दी गयी है।दोनों आरोपियों ने हमारे थाना क्षेत्र के महराजगंज चौकी पर तैनात सिपाही के साथ मारपीट की है तथा साथ ही साथ महराजगंज जिले के बृजमनगंज थाने पर तैनात हेडकांसटेबल छोटे लाल यादव के साथ भी मारपीट की है।

अपर पुलिस महानिदेशक गोरखपुर जोन ने थाना नवाबगंज का किया वार्षिक निरीक्षण

गोण्डा।अपर पुलिस महानिदेशक गोरखपुर जोन, गोरखपुर मुथा अशोक जैन द्वारा पुलिस अधीक्षक गोण्डा विनीत जायसवाल के साथ थाना नवाबगंज पहुँचकर थाने का वार्षिक निरीक्षण किया गया। निरीक्षण से पूर्व का स्वागत क्षेत्राधिकारी तरबगंज उमेश्वर प्रभात सिंह व प्रभारी निरीक्षक नवाबगंज द्वारा किया गया । तदोपरांत अपर पुलिस महानिदेशक द्वारा गार्द की सलामी ली गई। निरीक्षण के दौरान महोदय ने थाना परिसर के थाना कार्यालय का अवलोकन कर भोजनालय, आवासीय परिसर, विवेचना कक्ष, महिला हेल्प डेस्क, शस्त्रागार, आवासीय बैरक, मालखाना एवं बाउंड्री वाल आदि का निरीक्षण किया। महोदय ने थाना परिसर में सफाई व्यवस्था, कार्यालय के अभिलेखों एवं पत्रावलियों के सुव्यवस्थित एवं अद्यतन रख-रखाव, भोजनालय में पोषक एवं स्वच्छ भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु आवश्यक दिशा निर्देश दिए।

उन्होंने शस्त्रागार में शस्त्रों की नियमित सफाई करने, रजिस्टरों के अद्यतन रखरखाव तथा सुरक्षा प्रबंधन को और मजबूत करने पर बल दिया। निरीक्षण के दौरान अपर पुलिस महानिदेशक गोरखपुर जोन गोरखपुर मुथा अशोक जैन द्वारा थाने पर नवनिर्मित साइबर हेल्पडेस्क का फीता काटकर उद्घाटन भी किया गया, जिसमें साइबर अपराधों से संबंधित शिकायतों के त्वरित निस्तारण हेतु आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं। इसके साथ ही वामासारथी पुलिस वेलफेयर एसोसिएशन गोरखपुर जोन की अध्यक्षा श्रीमती शोभा जैन द्वारा थाना नवाबगंज पर नवनिर्मित मिशन शक्ति केंद्र का फीता काटकर उद्घाटन किया गया, जिसका उद्देश्य महिला सुरक्षा, सम्मान एवं स्वावलंबन को और अधिक सुदृढ़ करना है। महिला हेल्प डेस्क/मिशन शक्ति केन्द्र के निरीक्षण के दौरान ने महिला फरियादियों की समस्याओं के प्रति संवेदनशीलता तथा सहानुभूति बरतते हुये त्वरित निस्तारण पर विशेष बल देते हुए संबंधित कर्मियों को आवश्यक दिशा-निर्देश प्रदान किए। इसके साथ ही उन्होंने विवेचना कक्ष में लंबित मामलों की समीक्षा करते हुए विवेचनाओं को गुणवत्तापूर्ण एवं समयबद्ध ढंग से संपादित करने के निर्देश भी दिए। उन्होंने समस्त पुलिस कर्मियों को अनुशासन, संवेदनशीलता, त्वरित सेवा-प्रदान तथा आमजन की समस्याओं के प्रभावी निस्तारण पर केंद्रित रहते हुए दायित्व निर्वहन के निर्देश दिए।

इस अवसर पर अपर पुलिस अधीक्षक गोण्डा पश्चिमी राधेश्याम राय, क्षेत्राधिकारी तरबगंज उमेश्वर प्रभात सिंह, वामासारथी जोन अध्यक्ष शोभा जैन, थाना प्रभारी नवाबगंज सहित अन्य पुलिस अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।

सांसद कैसरगंज को हाईकोर्ट ने नहीं मिली राहत,अवैध खनन पर लगा था 10 लाख का जुर्माना

गोंडा।कैसरगंज से भाजपा सांसद करण भूषण सिंह को अवैध खनन मामले में लखनऊ हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है।उनकी फर्म मेसर्स नंदिनी इंफ्रास्ट्रक्चर पर लगे जुर्माने और रॉयल्टी जमा करने के आदेश को उच्च न्यायालय ने रद्द नहीं किया है।हाईकोर्ट ने उन्हें राज्य प्राधिकरण में रिवीजन याचिका दाखिल करने की छूट दी है।न्यायमूर्ति शेखर बी सराफ व मंजवी शुक्ला की खंडपीठ ने 21 नवंबर को सांसद की याचिका पर सुनवाई की थी।कोर्ट ने मेरिट के आधार पर याचिका खारिज करते हुए यह निर्देश दिया।बताते चलें कि सांसद करण भूषण सिंह ने अपनी याचिका में 10 लाख रुपए के जुर्माने और 4.88 करोंड़ रुपये की रॉयल्टी को रद्द करने की मांग की थी।यह मामला वर्ष 2019 का है।19 व20 जनवरी 2019 को गोंडा के खनन निरीक्षक और भूतत्व व खनिकर्म कार्यालय अयोध्या के सर्वेयर ने गोंडा के खनन पट्टे का स्थलीय निरीक्षण किया था।इस निरीक्षण में स्वीकृत पट्टे से 1.72 लाख घनमीटर अधिक खनन पाया गया था।

तत्कालीन जिलाधिकारी नितिन बंसल ने 15 जून 2019 को मैसर्स नंदिनी इंफ्रास्ट्रक्चर पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था।इसके साथ ही बालु की रॉयल्टी और खनिज मुल की राशि के रुप में 4.88 करोंड़ रुपये 15 दिन के अंदर जमा करने का आदेश दिया था।गोंडा खनन विभाग ने इस संबंध में करण भूषण सिंह और उनकी फर्म को कई नोटिस जारी किया था।नोटिस मिलने के बाद जुर्माना और बालु की रॉयल्टी जमा नहीं की गई।जिसके बाद मामला हाईकोर्ट पहुंचा।भाजपा सांसद करण भूषण सिंह और उनकी फर्म को तरबगंज तहसील क्षेत्र के दुर्गागंज ग्राम पंचायत में बालु खनन के लिए पांच साल का पट्टा मिला था।

इस कार्यवाही के बाद से सांसद व उनके परिवार के किसी भी सदस्य ने कोई नया बालु खनन पट्टा नहीं लिया है।सांसद करण भूषण सिंह ने कहा कि गलत तरीके से जुर्माना लगाया गया था।इसी जुर्माने व रॉयल्टी को रद्द करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी।हाईकोर्ट ने राज्य प्राधिकरण में रिवीजन प्रस्तुत करने को लेकर हुई देरी से छूट दी है।भाजपा सांसद द्वारा अपने फर्म के माध्यम से खनन निदेशक उत्तर प्रदेश,प्रमुख सचिव खनन विभाग,आयुक्त देवीपाटन मंडल व जिलाधिकारी गोंडा को इस पूरै मामले में पार्टी बनाया गया था।

गोण्डा: ‘ऑपरेशन कन्विक्शन’ में छेड़खानी के आरोपी को 3 साल की सजा

गोण्डा। मिशन शक्ति के तहत चलाए गए ‘ऑपरेशन कन्विक्शन’ के अंतर्गत गोण्डा पुलिस और अभियोजन की प्रभावी पैरवी से छेड़खानी के आरोपी को न्यायालय ने 03 वर्ष सश्रम कारावास और 10,000 रुपये के अर्थदण्ड की सजा सुनाई।

घटना दिनांक 12 जनवरी 2020 की है, जब थाना कटरा बाजार में वादी ने शिकायत दी थी कि सहबे आलम पुत्र अमीन ने उसकी 16 वर्षीय बेटी के साथ अश्लील हरकतें कीं और फोटो खींचने की कोशिश की। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए अभियुक्त को गिरफ्तार किया और जेल भेजा।

पुलिस अधीक्षक गोण्डा के निर्देशन में विशेष अभियान चलाकर अभियुक्त के विरुद्ध प्रभावी पैरवी की गई। 26 नवंबर 2025 को अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश पॉक्सो अधिनियम श्री निर्भय प्रकाश ने अभियुक्त सहबे आलम को दोषी मानते हुए दंडित किया।

अभियुक्त का विवरण:

नाम: सहबे आलम

पिता: अमीन

पता: ग्राम मंगरे पुरवा, थाना कटरा बाजार, गोण्डा

अभियोग का विवरण:

मामला संख्या: मु0अ0सं0-08/2020

धारा: 354 भादवि एवं 7/8 पॉक्सो एक्ट

जहानाबाद में सिर्फ 50 हजार में लॉन्च हुई इलेक्ट्रिक स्कूटी, बिक्री शुरू — कम खर्च में मिलेगा 80 KM का सफर

जहानाबाद: जिले में अब लोगों के लिए इलेक्ट्रिक वाहन खरीदना और भी आसान हो गया है। स्कॉट इलेक्ट्रोराइड कंपनी ने जहानाबाद में अपनी किफायती इलेक्ट्रिक स्कूटियों की बिक्री शुरू कर दी है। कंपनी ने दो मॉडल—SL Pro और ZL Pro—लॉन्च किए हैं, जिनकी शुरुआती कीमत मात्र 50 हजार रुपये तय की गई है। कम बजट में बेहतर माइलेज और आधुनिक फीचर्स के कारण ये स्कूटियां लोगों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं।

एक यूनिट बिजली में चलेगी 80 किलोमीटर

कंपनी के अनुसार, स्कूटी की सबसे बड़ी खासियत इसकी चार्जिंग क्षमता है। इसे फुल चार्ज करने में मात्र 1 यूनिट बिजली की खपत होती है। पूरी चार्जिंग के बाद स्कूटी 80 किलोमीटर तक आराम से चलती है। रोज ऑफिस जाने वाले, छात्रों और शहर के भीतर यात्रा करने वालों के लिए यह स्कूटी बेहद किफायती विकल्प साबित हो रही है। बढ़ती पेट्रोल-डीजल की कीमतों के बीच यह वाहन लोगों की जेब पर भी हल्का असर डालता है।

गांधी मैदान स्थित स्वाद देसी रेस्टोरेंट में उपलब्ध

इलेक्ट्रिक स्कूटी की बिक्री अभी जहानाबाद के गांधी मैदान स्थित स्वाद देसी रेस्टोरेंट से की जा रही है। यहां कंपनी ने अपना कार्यालय स्थापित किया है, जहां ग्राहक स्कूटी की जानकारी, टेस्ट राइड और खरीदारी कर सकते हैं।
कंपनी की ओर से एक फ्री सर्विसिंग और उसके बाद एक पेड सर्विसिंग की सुविधा भी दी जा रही है।

युवाओं के लिए बड़ा अवसर—डीलरशिप भी उपलब्ध

स्कॉट इलेक्ट्रोराइड सिर्फ वाहन नहीं बेच रही, बल्कि रोजगार के अवसर भी प्रदान कर रही है। जहानाबाद के डीलर हिमांशु कश्यप ने बताया कि इलेक्ट्रिक वाहन बाजार तेजी से बढ़ रहा है और ऐसे में स्कूटी की डीलरशिप लेना युवाओं के लिए बेहतर व्यवसाय का मौका है।
उन्होंने कहा कि बेरोजगारी के समय में यह स्थायी और सुलभ रोजगार का विकल्प साबित हो सकता है। इच्छुक लोग स्वदेशी फैमिली रेस्टोरेंट पहुंचकर डीलरशिप की प्रक्रिया पूरी कर सकते हैं। कंपनी की ओर से डीलर्स को पूरा कॉर्पोरेट सहयोग भी दिया जाएगा।

पर्यावरण और बजट—दोनों के लिए फायदेमंद

इलेक्ट्रिक वाहन प्रदूषण कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कम खर्च, कम मेंटेनेंस और जीरो उत्सर्जन के साथ यह स्कूटी स्वच्छ और हरित बिहार बनाने की दिशा में बड़ा कदम है।
हिमांशु कश्यप के अनुसार, यह स्कूटी छोटे परिवारों, नौकरीपेशा लोगों और रोज 40–50 किलोमीटर की यात्रा करने वालों के लिए काफी आरामदायक है। उन्होंने लोगों से स्कूटी का टेस्ट राइड लेने और इसके फीचर्स को नजदीक से देखने की अपील की है।

जल्द बढ़ेगा कंपनी का नेटवर्क

वर्तमान में स्कॉट इलेक्ट्रोराइड पटना, जहानाबाद और अरवल में सक्रिय है। कंपनी जल्द ही बिहार के अन्य जिलों में भी आउटलेट और सर्विस सेंटर खोलने की तैयारी कर रही है।

कम कीमत, कम खर्च और बेहतरीन माइलेज — इन खूबियों के साथ यह इलेक्ट्रिक स्कूटी जहानाबाद के लोगों के लिए एक नया और सस्ता विकल्प बनकर उभर रही है।

2014 के चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ रची गई साजिश! पूर्व सांसद का सीआईए-मोसाद को लेकर चौंकाने वाला दावा

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद कुमार केतकर ने 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार को लेकर बड़ा बयान दिया है। कुमार केतकर ने दावा का है कि सीआईए और मोसाद, जो अमेरिका और इजराइल की जासूसी एजेंसियां हैं, ने 2014 में हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की हार की साजिश रची थी।

कांग्रेस की हार सीआईए और मोसाद की साजिश!

मुंबई में संविधान दिवस के अवसर पर आयोजित कांग्रेस के एक कार्यक्रम में बुधवार को कांग्रेस नेता और राज्यसभा के पूर्व सदस्य कुमार केतकर ने एक चौंकाने वाला दावा किया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की भारी हार किसी सामान्य राजनीतिक परिवर्तन का परिणाम नहीं थी, बल्कि इसके पीछे अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए और इजराइल की मोसाद की कथित साजिश थी।

केतकर ने समझाया आंकड़ों का गणित

केतकर ने कहा कि दोनों एजेंसियों ने मिलकर यह सुनिश्चित किया था कि कांग्रेस का सीट संख्या 206 से आगे न बढ़े और पार्टी सत्ता से बाहर हो जाए। केतकर ने याद दिलाया कि 2004 में कांग्रेस ने 145 सीटें जीती थीं और 2009 में यह आंकड़ा बढ़कर 206 हो गया था। उन्होंने कहा कि अगर यही ट्रेंड जारी रहता तो 2014 में कांग्रेस को 250 से ज्यादा सीटें मिलनी चाहिए थीं और वह आराम से सत्ता में वापस आ जाती। लेकिन अचानक सीटें घटकर सिर्फ 44 रह गईं। यह सामान्य जनादेश नहीं था।

भारत के राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित करने की रणनीति

केतकर ने कहा कुछ अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने तय किया था कि किसी भी हाल में कांग्रेस को 206 सीटों से ज्यादा नहीं मिलने दी जाए। सीआईए और मोसाद ने डेटा इकट्ठा किया, रणनीति बनाई और ऐसा माहौल बनाया कि कांग्रेस सत्ता में न लौट सके। केतकर के मुताबिक, इन एजेंसियों को डर था कि यदि यूपीए दोबारा स्थिर सरकार बनाती, तो भारत की नीतियों पर उनका प्रभाव सीमित हो जाता और वे अपनी इच्छानुसार हस्तक्षेप नहीं कर पाते।

अपने अनुकूल सरकार बनाने की साजिश का आरोप

पूर्व पत्रकार रहे केतकर ने दावा किया कि इन विदेशी खुफिया एजेंसियों का उद्देश्य भारत में ऐसी सरकार तैयार करना था जो उनके लिए अनुकूल हो और उनकी नीतियों को आसानी से लागू कर सके। केतकर के मुताबिक, अगर कांग्रेस की स्थिर सरकार लौटती या गठबंधन सरकार मजबूत स्थिति में आती, तो विदेशी एजेंसियों के लिए भारत में हस्तक्षेप करना मुश्किल हो जाता है।

हेमंत सरकार का 'नियुक्ति वर्ष': 28 नवंबर को 9,000 युवाओं को सरकारी नौकरी का तोहफा!

रांची के मोरहाबादी मैदान में होगा समारोह; राज्य में सबसे अधिक 8,000 सहायक आचार्यों को मिलेंगे नियुक्ति पत्र

रांची। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार अपने दूसरे कार्यकाल के एक वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में 28 नवंबर को 'नियुक्ति वर्ष' के रूप में मनाएगी। इस अवसर पर रांची के मोरहाबादी मैदान में एक भव्य समारोह आयोजित किया जाएगा, जहाँ मुख्यमंत्री लगभग 9,000 अभ्यर्थियों को सरकारी नौकरी का नियुक्ति पत्र वितरित करेंगे।

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मोरहाबादी मैदान में तैयारियां जोरों पर

नियुक्ति पत्र वितरण समारोह के लिए मोरहाबादी मैदान में बड़े पैमाने पर तैयारियां की जा रही हैं।

व्यवस्था: अभ्यर्थियों के लिए 10 हजार लोगों के बैठने की व्यवस्था की जा रही है, और चारों तरफ होर्डिंग्स लगाए गए हैं।

नियुक्ति पत्र की सूची: अब तक 8,514 अभ्यर्थियों की सूची तैयार हो चुकी है, जिनकी नियुक्ति राज्य सरकार के अलग-अलग विभागों में की जाएगी।

एंटीबायोटिक्स का मकड़जाल

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प्रदीप श्रीवास्तव

किसी भी बीमारी के लिए, एंटीबायोटिक्स यानी रोग प्रतिरोधी दवाएँ बहुत कारगर मानी जाती है, शायद यही वजह है कि बाज़ार में सबसे ज़्यादा एंटीबायोटिक दवाएँ बिकती हैं। हालाँकि, इनके अंधाधुंध प्रयोग से हमारे देश में “सुपरबग्स” जैसी खतरनाक स्थिति पैदा हो गई है, जहाँ दवाएँ बेअसर हो जाती हैं और सामान्य बीमारी भी जल्दी ठीक नहीं होती है और उनके इलाज पर बहुत ज़्यादा खर्च करना पड़ता है। चिंता की बात यह है कि पोल्ट्री और डेयरी फार्मिंग में भी एंटीबायोटिक्स का अत्यधिक प्रयोग किया जा रहा है। नतीजतन, अगर हम खुद एंटीबायोटिक्स कम लें तो भी यह समस्या दूसरे रूप में हमें घेरे ही रहेगी। इसलिए सरकार ने एंटीबायोटिक्स के प्रयोग को लेकर गाइडलाइन जारी की है, जिसमें इनके इस्तेमाल को लेकर कई तरह के दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। 

सन 1928 में लंदन के सेंट मैरी हॉस्पिटल मेडिकल स्कूल में कार्यरत स्कॉटलैंड के वैज्ञानिक अलेक्ज़ेंडर फ़्लेमिंग ने जीवाणुओं (बैक्टीरिया) पर शोध करते हुए एंटीबायोटिक पेनिसिलिन की खोज की। दूसरे विश्वयुद्ध में जब लाखों घायल सैनिक संक्रमण से मर रहे थे, तब पेनिसिलिन एक वरदान साबित हुई। इससे अनगिनत सैनिकों की जान बचाई गई। पेनिसिलिन ने चिकित्सा विज्ञान की दिशा बदल दी और इसे आधुनिक एंटीबायोटिक युग की शुरुआत माना जाता है। 

हालाँकि, 1945 के बाद से ही फ़्लेमिंग ने खुद चेतावनी दी कि “एंटीबायोटिक के बहुत ज़्यादा प्रयोग से प्रतिरोध पैदा होगा”। और यही हुआ, एंटीबायोटिक का अंधाधुंध प्रयोग शुरू हो गया, जिससे बीमारी एक बार ठीक होने बाद, दोबारा होने पर उससे कई तरह की परेशानियाँ शुरू होने लगी। 

अब यह समस्या और बड़ी बनने लगी है, क्योंकि भारत जैसे देशों में बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीबायोटिक लेना, अधूरा कोर्स करना और छोटी-मोटी बीमारी में भी इस्तेमाल करना आम बात है। ज़्यादा एंटीबायोटिक के प्रयोग से हमारे शरीर के बैक्टीरिया, दवाइयों के प्रति प्रतिरोधक विकसित कर लेते है इसे एंटीमाइक्रोबियल रेज़िस्टेंस कहा जाता है और यह स्थिति “सुपरबग्स” के रूप में उभरकर सामने आती है, यानी ऐसी स्थिति जिसमें ताकतवर जीवाणु, दवाओं से नहीं मरते और उन पर साधारण एंटीबायोटिक काम नहीं करती। ऐसे में न सिर्फ, मरीजों पर दवाओँ का खर्च बढ़ता जाता है, बल्कि भविष्य में वह कई बीमारियों को न्योता देता है और सामान्य संक्रमण यानी खाँसी, बुखार, घाव का इन्फेक्शन होने पर इसका इलाज भी मुश्किल हो जाता है। 

पहले जिन बीमारियों का इलाज ₹100 की दवा से हो जाता था, उनके लिए अब लाखों रुपये की नई और महँगी दवाएँ या इंजेक्शन लगते हैं। क्योंकि वह छोटी या सामान्य बीमारी पर दवाएँ बेअसर होती है, उन्हें ठीक करने के लिए कई तरह की जाँचें करानी पड़ती है और नए किस्म की दवाएँ देनी पड़ती है और मरीज को अस्पताल में ज़्यादा दिन भर्ती रहना पड़ता है। 

बार-बार एंटीबायोटिक लेने से डायरिया, एलर्जी, त्वचा पर दाने जैसी समस्याएँ भी आने लगती हैं और लंबे समय में किडनी, लीवर और पेट पर असर पड़ता है। सबसे बड़ी बात है कि एंटीबायोटिक हानिकारक बैक्टीरिया के साथ-साथ अच्छे बैक्टीरिया को भी मार देते हैं। इससे खराब पाचन, इम्युनिटी कमज़ोर और बार-बार संक्रमण की समस्या हो सकती है। 

भारत पहले से ही एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस का हॉटस्पॉट बन चुका है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद की रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर साल लगभग 7 लाख लोग एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस से जुड़ी बीमारियों से प्रभावित होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि अगर इस समस्या पर रोक नहीं लगी तो 2050 तक भारत समेत विश्व में एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस के कारण 1 करोड़ मौतें प्रति वर्ष हो सकती हैं। 

भारत में एंटीबायोटिक्स का बाज़ार बहुत बड़ा है, क्योंकि यहाँ संक्रमण संबंधी बीमारियाँ आम हैं। 2023 में भारत में एंटीबायोटिक्स का बाज़ार करीब 49,000 करोड़ रूपये का था। अनुमान है कि 2024–2030 के बीच यह बाज़ार लगभग 6–7% चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ेगा और 2030 तक यह बाज़ार 83,000 करोड़ रूपये तक पहुँच सकता है। मालूम हो कि भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा एंटीबायोटिक उत्पादक देश है। यहाँ बनने वाले जेनेरिक एंटीबायोटिक्स का एक बड़ा हिस्सा अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका को निर्यात होता है। भारतीय फ़ार्मा कंपनियाँ दुनिया भर के 20% से अधिक जेनेरिक दवाओं की आपूर्ति करती हैं। 

द लैंसेट की 2022 रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रति व्यक्ति एंटीबायोटिक खपत दुनिया में सबसे अधिक है। अनुमान है कि हर साल भारत में लगभग 1,300 करोड़ से अधिक की खुराक एंटीबायोटिक की ली जाती हैं। इसमें से भी ग्रामीण और छोटे शहरों व कस्बों में एंटीबायोटिक का उपयोग बड़े शहरों की अपेक्षा बहुत अधिक होता है। भारत सरकार ने शेड्यूल एच1 लागू किया है, जिसके तहत कई एंटीबायोटिक दवाएँ केवल पर्चे पर ही मिल सकती हैं। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद और विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से एंटीबायोटिक स्टीवर्डशिप प्रोग्राम को लागू किया जा रहा है ताकि दुरुपयोग कम हो, फिर भी समस्या जस की तस है। 

2025 में भारत की जनसंख्या लगभग 1.40 अरब है, यानी भारत दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश है। देश में करीब लगभग 93 करोड़ आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है, जबकि शहरों में लगभग 50 करोड़ लोग निवास करते हैं। 

वहीं, सर्दी-खाँसी-जुकाम, बुखार, डायरिया जैसी बीमारियाँ से हर साल भारत में करीब 30–35 करोड़ से अधिक लोग प्रभावित होते हैं और लगभग 6.2 करोड़ डायबिटीज और 7.7 करोड़ हृदय रोग से पीड़ित हैं। 2024 तक हमारे देश में कुल पंजीकृत डॉक्टरों की संख्या लगभग 13 लाख हैं, इनमें से 10.4 लाख एलोपैथिक डॉक्टर और 4.5 लाख आयुष डाक्टर (आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी आदि) हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के अनुसार 1,000 की जनसंख्या पर कम से कम 1 डॉक्टर होना चाहिए। जबकि भारत में 1,000 की आबादी पर मात्र 0.7 डॉक्टर उपलब्ध हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में यह अनुपात और भी कम है और कई राज्यों में 1000 की आबादी पर मात्र 0.2 डाक्टर हैं। 

भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी, 2023 की रिपोर्ट की माने तो देश में 1.55 लाख सब-सेंटर, 25,000 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 5,600 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। इनमें से लगभग 65–70% स्वास्थ्य केंद्र ग्रामीण इलाकों में स्थित हैं। 

भले ही देश में करीब एक लाख से ज़्यादा स्वास्थ्य केंद्र ग्रामीण इलाकों में हों, लेकिन अभी भी यहाँ डाक्टरों और स्वास्थ्य केंद्रों की भारी कमी है। देश में साधारण बीमारियों से हर साल करीब 30 करोड़ लोग प्रभावित हैं, जिनका इलाज कुछ लाख डाक्टरों या स्वास्थ्य केंद्रों के भरोसे संभव नहीं है। 

हालाँकि, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद और स्वास्थ्य मंत्रालय ने एंटीबायोटिक उपयोग पर नियंत्रण के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। इसमें ज़ोर दिया गया है कि एंटीबायोटिक केवल बैक्टीरियल संक्रमण में ही दी जाए और साधारण सर्दी-जुकाम या फ्लू में नहीं। डॉक्टर की पर्ची अनिवार्य होगी और अस्पतालों को एंटीबायोटिक स्टीवर्डशिप प्रोग्राम अपनाना होगा। साथ ही, दवा की अवधि को कम से कम रखने और मरीजों को पूरी जानकारी देने पर ज़ोर दिया गया है। 

मालूम हो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एंटीबायोटिक को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया है, पहला एक्सेस यानी वे एंटीबायोटिक जो सामान्य संक्रमण के लिए सुरक्षित हैं और इनका कोई ज़्यादा साइड इफ़ेक्ट नहीं है। दूसरी श्रेणी है वॉच की, इनका उपयोग सीमित परिस्थितियों में ही किया जाना चाहिए और इनके लिए निगरानी ज़रूरी है। तीसरी श्रेणी है रिज़र्व की, ये अंतिम विकल्प की दवाइयाँ हैं, जिन्हें केवल जीवन-रक्षक स्थिति में ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए। भारत भी इसी गाइडलाइन का पालन करता है और डॉक्टरों को सलाह भी दी गई है कि वे केवल ज़रूरत पड़ने पर ही एंटीबायोटिक लिखें और मरीजों को पूरी जानकारी दें। 

एंटीबायोटिक की समस्या इसलिए भी बड़ी होती जा रही है क्योंकि इंसानों के साथ ही कृषि और पशुपालन क्षेत्र में भी एंटीबायोटिक का अंधाधुंध उपयोग होना शुरू हो चुका है, खासतौर पर मुर्गीपालन और डेयरी फार्मिंग में। 

खाद्य और कृषि संगठन (संयुक्त राष्ट्र), भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण और विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में कुल एंटीबायोटिक खपत का 50% से अधिक हिस्सा पशुपालन में होता है। पोल्ट्री सेक्टर (मुर्गीपालन) का अनुमान है कि भारत में हर साल लगभग 70–75% मुर्गीपालकों द्वारा चारे में एंटीबायोटिक का प्रयोग किया जाता है। 

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण की एक रिपोर्ट में बताया गया कि बाजार में बिकने वाले 40% से अधिक चिकन में एंटीबायोटिक रेज़िड्यू पाए गए। डेयरी फार्मिंग डेयरी सेक्टर में, दूध देने वाली गायों और भैंसों में संक्रमण रोकने और दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए एंटीबायोटिक का बार-बार प्रयोग किया जाता है। 2022 के एक सर्वे में पाया गया कि 10–12% दूध के सैंपल्स में एंटीबायोटिक अवशेष मौजूद थे। 

ईयू और अमेरिका जैसे देशों ने एंटीबायोटिक-युक्त मीट और डेयरी उत्पादों के आयात पर कड़ी पाबंदी लगा रखी है। 2017 में ईयू ने भारत से निर्यात किए गए 26% पोल्ट्री उत्पादों को अस्वीकार कर दिया था, क्योंकि उनमें एंटीबायोटिक अवशेष पाए गए। एंटीबायोटिक्स को ग्रोथ प्रमोटर के रूप में प्रयोग करने पर रोक लगा दी गई है। पशुपालन में केवल चिकित्सकीय ज़रूरत पर ही डॉक्टर या वैटरनरी प्रिस्क्रिप्शन से उपयोग की सिफ़ारिश है। 

एंटीबायोटिक न सिर्फ जनस्वास्थ्य के लिए ख़तरनाक है, बल्कि निर्यात और खाद्य सुरक्षा पर भी सीधा असर डालता है। नई गाइडलाइन का उद्देश्य एंटीबायोटिक का विवेकपूर्ण उपयोग सुनिश्चित करना और भविष्य में गंभीर संक्रमणों के इलाज के लिए उनकी प्रभावशीलता बनाए रखना है। यदि मरीज, डॉक्टर, अस्पताल और किसान सभी मिलकर इन नियमों का पालन करें, तो “सुपरबग्स” की समस्या पर काबू पाया जा सकता है। इसके लिए व्यापक जनजागरूकता, सख्त नियम और सतत निगरानी बेहद आवश्यक है। 

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं )

ड्रग्स के खिलाफ बड़ा कदम: सीएम योगी ने ANTF को और सशक्त करने के निर्देश दिए
लखनऊ । उत्तर प्रदेश में अवैध ड्रग नेटवर्क को समाप्त करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (ANTF) को और अधिक प्रभावी, सक्षम और संसाधन-संपन्न बनाने के स्पष्ट निर्देश दिए। बुधवार को आयोजित समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि मादक पदार्थों के खिलाफ लड़ाई केवल कानून-व्यवस्था का विषय नहीं बल्कि समाज और प्रशासन की सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि अपराधियों को यह सख्त संदेश जाना चाहिए कि उत्तर प्रदेश में अवैध ड्रग कारोबार किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

सभी थानों व यूनिटों में स्थायी मैनपॉवर की तैनाती के निर्देश

सीएम योगी ने बताया कि ANTF की संरचना को मजबूत करते हुए इसके 6 थानों और 8 यूनिटों में निरीक्षक, उपनिरीक्षक, आरक्षी, कंप्यूटर ऑपरेटर और अन्य आवश्यक मैनपॉवर की स्थायी तैनाती तत्काल पूरी की जाए। उन्होंने कहा कि टीम को विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया जाए ताकि कार्रवाई अधिक प्रभावी और पेशेवर ढंग से हो सके।

एएनटीएफ को आधुनिक तकनीक व डिजिटल सिस्टम से लैस किया जाएगा

मुख्यमंत्री ने एएनटीएफ को आधुनिक उपकरण, डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम, उन्नत निगरानी संसाधन और अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित करने पर जोर दिया। उनका कहना था कि तकनीकी क्षमता बढ़ने से कार्रवाई तेज, सटीक और परिणामकारी होगी।प्रस्तावित थानों के लिए न्यायालय आवंटन की प्रक्रिया शीघ्र पूरी करने के निर्देश देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कदम मामलों की त्वरित सुनवाई और अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करेगा। उन्होंने कहा कि फोर्स के सभी थानों के लिए स्थायी भवन निर्माण भी आवश्यक है, जिससे कार्यप्रणाली और बेहतर होगी।

883 तस्कर गिरफ्तार किया

2023 से 2025 के बीच बड़ी कार्रवाई—310 मामले, 35 हजार किलो से अधिक ड्रग्स जब्त। बैठक में प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार एएनटीएफ गठन के बाद कार्रवाई में महत्वपूर्ण सफलता मिली है।2023 से 2025 के बीच, 310 मुकदमे दर्ज, 35,313 किलो अवैध मादक पदार्थ जब्त, 883 तस्कर गिरफ्तार किया, जब्त माल की कीमत 343 करोड़ रुपये से अधिक आंकी गई

अब तक 2.61 लाख किलो ड्रग्स का विनष्टीकरण

समीक्षा के दौरान यह भी बताया गया कि सामान्य कार्रवाई के साथ-साथ बड़े नेटवर्क और माफियाओं पर भी कड़ी कार्रवाई की गई है।पिछले तीन वर्षों में  2,61,391 किलो अवैध मादक पदार्थों का विधिसम्मत विनष्टीकरण किया गया, जिसका अनुमानित कीमत लगभग 775 करोड़ रुपये है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ड्रग्स का निस्तारण नियमित, पारदर्शी और विधिसम्मत तरीके से जारी रहना चाहिए ताकि किसी तरह की गड़बड़ी की संभावना न रहे।

ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई में समाज की भूमिका पर बल

मुख्यमंत्री योगी ने स्पष्ट कहा कि ड्रग्स के खिलाफ संघर्ष केवल पुलिस या सरकार का काम नहीं है, बल्कि यह युवाओं की सुरक्षा, परिवारों की भलाई और समाज की जिम्मेदारी का मुद्दा है। उन्होंने परिवारों, शैक्षणिक संस्थानों, सामाजिक संगठनों और स्थानीय प्रशासन से सहयोग बढ़ाने की अपील की।उन्होंने कहा हमारी कोशिश है कि नशे की पहुंच किसी भी हालत में युवाओं तक न हो। कानून सख्त है और कार्रवाई और सख्त होगी।”
डीजीपी ने किया आगरा कमिश्नरेट स्थापना दिवस का वर्चुअल उद्घाटन, संवेदनशील पुलिसिंग पर जोर

लखनऊ । आगरा पुलिस कमिश्नरेट की स्थापना के तीन वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम का वर्चुअल शुभारम्भ उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक  राजीव कृष्ण ने किया। इस अवसर पर उन्होंने पुलिस आयुक्त आगरा दीपक कुमार, वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों, सम्मानित नागरिकों और पत्रकारों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कमिश्नरेट व्यवस्था के अब तक के योगदान को महत्वपूर्ण बताया।

साल 2020 में यूपी में कमिश्नरी प्रणाली लागू की गई थी

डीजीपी ने अपने संबोधन में कहा कि  मुख्यमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व में वर्ष 2020 में उत्तर प्रदेश में पुलिस के प्रशासनिक ढांचे में ऐतिहासिक सुधार करते हुए कमिश्नरी प्रणाली लागू की गई थी। इसी क्रम में आगरा को तीन वर्ष पूर्व कमिश्नरेट का दर्जा दिया गया, जिसका उद्देश्य आमजन को अधिक प्रभावी, त्वरित और संवेदनशील पुलिस सेवा उपलब्ध कराना है।

कमिश्नरेट प्रणाली पहले से ही कई राज्यों में सफल मॉडल साबित हुई

उन्होंने बताया कि कमिश्नरेट प्रणाली पहले से ही देश के कई राज्यों में सफल मॉडल साबित हुई है। उत्तर प्रदेश में भी जहां-जहां यह व्यवस्था लागू की गई, वहाँ अपराध नियंत्रण, महिला सुरक्षा, साइबर अपराधों से निपटने और शिकायतों के समयबद्ध निस्तारण में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिले हैं। डीजीपी ने कहा कि आगरा पुलिस कमिश्नरेट ने भी इन सभी क्षेत्रों में प्रभावी कार्य किया है।

ट्रैफिक प्रबंधन और साइबर जागरूकता की सराहना

डीजीपी राजीव कृष्णा ने आगरा में प्रस्तावित मेट्रो परियोजना के चलते उत्पन्न यातायात चुनौतियों पर चर्चा करते हुए, पुलिस द्वारा किए जा रहे सुगम यातायात प्रबंधन प्रयासों की प्रशंसा की। उन्होंने आगरा पुलिस द्वारा चलाए जा रहे साइबर अपराध जागरूकता अभियानों को भी अत्यंत महत्वपूर्ण बताया, जिनके माध्यम से नागरिकों को साइबर अपराधों के तरीकों और बचाव के उपायों की जानकारी दी जा रही है।

पुलिस कर्मियों को स्थापना दिवस पर डीजीपी ने दी शुभकामनाएं

कार्यक्रम के दौरान डीजीपी ने सभी उपस्थित नागरिकों, पत्रकारों और पुलिस कर्मियों को स्थापना दिवस की शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि इस अवसर पर यह संकल्प लिया जाना चाहिए कि कमिश्नरेट व्यवस्था के मूल उद्देश्योंजन शिकायतों का त्वरित निस्तारण, महिलाओं की सुरक्षा, अपराध नियंत्रण और संवेदनशील पुलिसिंग को निरंतर और बेहतर बनाया जाए।

उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि आज संविधान दिवस है, और संविधान नागरिकों के अधिकारों की रक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है। उन्होंने सभी पुलिसकर्मियों को संविधान की भावना को आत्मसात करते हुए कार्य करने का आह्वान किया।