बीजेपी का 'अबुआ सरकार' पर हमला: "नर्स, लैब टेक्नीशियन 'अकुशल', जबकि राजमिस्त्री 'अति कुशल' श्रेणी में!"

श्रम विभाग की नीतियों पर सवाल; सदर अस्पताल के आउटसोर्सिंग स्टाफ के वेतन में करोड़ों के घोटाले का आरोप
रांची। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने झारखंड सरकार के श्रम नियोजन विभाग द्वारा जारी गजट में विभिन्न कर्मचारियों के वर्गीकरण और रांची सदर अस्पताल में आउटसोर्सिंग कर्मियों के वेतन भुगतान में व्याप्त विसंगतियों को लेकर राज्य सरकार पर तीखा हमला किया है। प्रतुल शाहदेव ने इस पूरे मामले को "अजब सरकार की गजब कहानी" बताया।
अति कुशल श्रेणी के वर्गीकरण पर गंभीर विसंगति
प्रतुल शाहदेव ने 11 मार्च 2024 को प्रकाशित श्रम विभाग के गजट का हवाला देते हुए मुख्य मुद्दा उठाया:
श्रेणी शामिल कर्मी (गजट के अनुसार) बाहर रखे गए कर्मी (आरोप के अनुसार)
अति कुशल राजमिस्त्री, ईंट पारने वाले (भट्ठा मजदूर), बावर्ची स्टाफ नर्स, एक्स-रे टेक्नीशियन, लैब फार्मासिस्ट, पैरामेडिकल स्टाफ
आरोप: शाहदेव ने कहा कि श्रम विभाग ने वर्षों की पढ़ाई और लाखों रुपए खर्च करके आने वाले स्टाफ नर्स, लैब टेक्नीशियन और अन्य पैरामेडिकल कोर्स किए लोगों को अति कुशल या कुशल श्रेणी में भी जिक्र करना जरूरी नहीं समझा।
परिणाम: इस विसंगति के कारण ये प्रशिक्षित युवा आउटसोर्सिंग एजेंसियों के रहमों-करम पर आ जाते हैं, जिन्हें कहीं सामान्य वर्ग का तो कहीं कुशल श्रेणी का भुगतान मिलता है, जबकि तकनीकी रूप से इन्हें अति कुशल श्रेणी में होना चाहिए। प्रतुल ने इसे युवाओं के साथ क्रूर मजाक बताया
सदर अस्पताल में आउटसोर्सिंग एजेंसी पर घोटाला का आरोप
प्रतुल शाहदेव ने रांची सदर अस्पताल में कार्यरत समानता सिक्योरिटी एजेंसी पर गंभीर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगाए, जहां 600 से अधिक संविदा कर्मी कार्यरत हैं:
वेतन विसंगति: सरकारी फाइलों में पैरामेडिकल स्टाफ का मानदेय ₹805 प्रतिदिन है, जबकि एजेंसी द्वारा इन्हें मात्र ₹514 प्रतिदिन का भुगतान कुशल श्रेणी के नाम पर किया जाता है।
भुगतान के दिनों में अंतर: सिविल सर्जन का कार्यालय एजेंसी को पूरे महीने (30/31 दिन) का ₹18,138 भुगतान करता है, जबकि एजेंसी इन संविदा कर्मियों को सिर्फ 26 दिन का वेतन (₹14,704) ही देती है।
जीएसटी का बोझ: सरकार द्वारा एजेंसी को 18% जीएसटी अलग से देने की व्यवस्था है, लेकिन एजेंसी आश्चर्यजनक रूप से संविदा कर्मियों की तनख़ाह से ही अतिरिक्त 18% जीएसटी काटती है।
ईपीएफ में धांधली: ईपीएफ नियम के अनुसार 12% संविदा कर्मी और 12% एजेंसी का योगदान होना चाहिए। लेकिन इन संविदा कर्मियों से पूरा 25% (12%+12% की कुल राशि) उनकी तनख्वाह से काटा जाता है, और एजेंसी का कोई योगदान नहीं रहता।
प्रतुल शाहदेव ने आरोप लगाया कि इस पूरे प्रकरण में करोड़ों रुपए के मासिक घोटाले को अंजाम दिया जा रहा है।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि उनकी पार्टी संविदा कर्मियों के मुद्दे पर संवेदनशील है और यदि सरकार ने हठधर्मिता नहीं छोड़ी, तो भाजपा इस मुद्दे को सड़क से लेकर विधानसभा तक ले जाने में सक्षम है।
21 min ago
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