*राणा प्रताप पीजी कालेज के चार विद्यार्थियों का अग्निवीर में चयन - एनसीसी ट्रेनिंग रही फायदेमंद*
सुलतानपुर,राणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय के चार विद्यार्थियों का चयन अग्निवीर सामान्य ड्यूटी में हुआ है। यह जानकारी देते हुए एनसीसी समन्वयक डॉ आलोक कुमार ने बताया कि महाविद्यालय के एन सी कैडेट अजय पाल,अमित सरोज , अविनाश कुमार रजक और अखिल मौर्य का चयन अग्निवीर के आर्मी ड्यूटी में हुआ है। अजय,अमित और अविनाश बीए तृतीय सेमेस्टर के छात्र हैं तो अखिलेश मौर्य इसी वर्ष उत्तीर्ण हो चुके हैं। इनके चयन में एनसीसी ट्रेनिंग की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। अविनाश कुमार रजक प्रतापगढ़ जिले की पट्टी तहसील के बैजलपुर और अमित सरोज उसी तहसील के भीकमपुर गोकुला गांव निवासी हैं। दोनों ने एनसीसी ट्रेनिंग के लिए ही सुलतानपुर जनपद के राणा प्रताप पीजी कालेज में प्रवेश लिया था। अजय पाल धम्मौर के भाटी गांव निवासी हरीराम पाल के पुत्र और अखिल मौर्य दूबेपुर ब्लाक के रामपुर गांव निवासी राकेश कुमार मौर्य के पुत्र हैं। महाविद्यालय एनसीसी कैडेट्स के अग्निवीर में चयन पर क्षत्रिय शिक्षा समिति के अध्यक्ष एडवोकेट संजय सिंह,प्रबंधक एडवोकेट बालचंद्र सिंह,प्राचार्य प्रोफेसर दिनेश कुमार त्रिपाठी व असिस्टेंट प्रोफेसर ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह रवि समेत महाविद्यालय परिवार ने प्रसन्नता व्यक्त की है।
*परीक्षा में वर्णात्मक एवं विश्लेषणात्मक मूल्यांकन की संतुलित व्यवस्था भी आवश्यक है -डॉ शिल्पी सिंह*
शिक्षाशास्त्र विभाग में वाद-विवाद प्रतियोगिता आयोजित।
सुलतानपुर,राणा प्रताप पी. जी. कॉलेज के शिक्षाशास्त्र विभाग द्वारा स्नातक सम सेमेस्टर परीक्षा में बहुविकल्पीय प्रश्न पद्धति की उपयोगिता एवं सीमाओं पर केंद्रित वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों में आलोचनात्मक चिंतन, तार्किक प्रस्तुति तथा शैक्षिक मूल्यांकन के प्रति जागरूकता विकसित करना रहा। इस प्रतियोगिता में बी.ए. पंचम सेमेस्टर से सृष्टि सिंह, सुप्रिया भारती, शबनम बानो, अंतिम तथा देवेंद्र तिवारी, बी.ए. तृतीय सेमेस्टर से काजल यादव, सेजल शर्मा, एवं बी.ए. प्रथम सेमेस्टर से राज सिंह, माधुरी एवं साक्षी सिंह ने बहुविकल्पीय प्रश्न प्रणाली के पक्ष एवं विपक्ष में अपने विचार प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किए। पक्ष में प्रस्तुत मुख्य विचार में बहुविकल्पीय प्रश्नों से व्यापक पाठ्यक्रम का तीव्र एवं वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन संभव होता है,यह प्रणाली मूल्यांकन में पारदर्शिता और त्रुटिरहित परिणाम प्रदान करती है,प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की तैयारी के लिए यह पद्धति विद्यार्थियों को अनुकूल वातावरण प्रदान करती है। विपक्ष में रखे गए प्रमुख तर्क बहुविकल्पीय प्रश्न विद्यार्थियों की रचनात्मकता,विश्लेषणात्मक सोच और अभिव्यक्ति कौशल को कमज़ोर कर देते हैं,अनुमान आधारित उत्तर देने की प्रवृत्ति वास्तविक ज्ञान का सही मूल्यांकन नहीं कर पाती,यह पद्धति विषय की गहराई में जाने की प्रेरणा को सीमित करती है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विभागाध्यक्ष डॉ. शिल्पी सिंह ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि स्नातक स्तर पर बहुविकल्पीय प्रश्न प्रणाली तेजी से बदलते शैक्षिक परिदृश्य की मांग है, परंतु इसके साथ वर्णात्मक एवं विश्लेषणात्मक मूल्यांकन की संतुलित व्यवस्था भी आवश्यक है। शिक्षण की गुणवत्ता तभी बढ़ती है जब मूल्यांकन समग्रता लिए हो। उन्होंने विद्यार्थियों को ऐसे आयोजनों के माध्यम से अपनी विचार-शक्ति तथा तर्क क्षमता को विकसित करने हेतु प्रेरित किया।इस अवसर पर बी.ए. शिक्षाशास्त्र के विद्यार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन सृष्टि सिंह ने किया।
*आज की युवा पीढ़ी का परीक्षा के प्रति दृष्टिकोण तेजी से बदल रहा है- डॉ अखिलेश सिंह*
युवा पीढ़ी में परीक्षा के प्रति बदलते दृष्टिकोण” विषय पर व्याख्यान आयोजित।
सुल्तानपुर,राणा प्रताप पी. जी. कॉलेज के समाजशास्त्र विभाग द्वारा आज परास्नातक प्रथम एवं तृतीय सेमेस्टर के विद्यार्थियों के लिए “युवा पीढ़ी में परीक्षा के प्रति बदलते दृष्टिकोण” विषय पर एक विचारोत्तेजक व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता कॉलेज के ही समाजशास्त्र विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.अखिलेश सिंह रहे, जिन्होंने अपने रोचक, शोधपरक एवं समकालीन विश्लेषण से उपस्थित छात्र-छात्राओं को गहराई से अवगत कराया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष श्री बृजेश कुमार सिंह ने की। संचालन डॉ. बृजेश सिंह द्वारा किया गया तथा अंत में श्री विरेन्द्र कुमार गुप्ता ने सभी अतिथियों तथा प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया। मुख्य वक्ता डॉ. अखिलेश सिंह ने अपने विस्तृत व्याख्यान में कहा कि आज की युवा पीढ़ी का परीक्षा के प्रति दृष्टिकोण तेजी से बदल रहा है। डिजिटल माध्यमों, सोशल मीडिया, कोचिंग कल्चर और प्रतियोगी माहौल ने परीक्षाओं की प्रकृति तथा विद्यार्थियों के मनोवैिज्ञान दोनों को प्रभावित किया है। उन्होंने बताया कि पहले परीक्षा को ज्ञान का मूल्यांकन माना जाता था, जबकि आज यह अधिकतर कैरियर निर्माण, प्रतिस्पर्धा और सामाजिक प्रतिष्ठा से जुड़ गया है। इस कारण छात्रों में परीक्षा को लेकर तनाव, दबाव और अति-अपेक्षा बढ़ी है, जबकि दूसरी ओर कई छात्र परीक्षा को केवल एक औपचारिकता मानकर तैयारी में सतहीपन अपनाने लगे हैं। डॉ. सिंह ने कहा कि परीक्षा को लेकर युवा पीढ़ी का बदलता दृष्टिकोण केवल चुनौती ही नहीं, बल्कि अवसर भी है। डिजिटल शिक्षण संसाधनों ने सीखने को अधिक सरल, सुलभ और रोचक बनाया है। आज का विद्यार्थी सूचना-समृद्ध है और स्वयं सीखने की क्षमता विकसित कर रहा है। उन्होंने इस परिवर्तन को सकारात्मक दिशा देने पर जोर देते हुए कहा कि परीक्षा का उद्देश्य केवल अंक प्राप्ति नहीं, बल्कि सोचने-समझने की क्षमता और विश्लेषणात्मक दृष्टि का विकास होना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि परीक्षा को भय या बोझ की तरह न लें। इसे आत्ममूल्यांकन और आत्म-विकास का मौका समझें। आत्मअनुशासन, समय-प्रबंधन, डिजिटल संसाधनों का संतुलित उपयोग और मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल—ये सभी तत्व एक संतुलित दृष्टिकोण विकसित करने के लिए आवश्यक हैं।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विभागाध्यक्ष बृजेश कुमार सिंह ने कहा कि समाजशास्त्रीय दृष्टि से परीक्षा केवल एक शैक्षणिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक सामाजिक संरचना है जो व्यक्ति के भविष्य को आकार देती है। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे अपने भीतर आत्मविश्वास विकसित करें और बदलती परिस्थितियों के अनुरूप अपने आप को ढालने की क्षमता बढ़ाएँ।संचालनकर्ता डॉ. बृजेश सिंह ने कहा कि इस प्रकार के शैक्षणिक कार्यक्रम विद्यार्थियों में सकारात्मक शैक्षिक संस्कृति को बढ़ावा देते हैं। अंत में आभार व्यक्त करते हुए श्री विरेन्द्र कुमार गुप्ता ने कहा कि समाजशास्त्र विभाग हमेशा विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्ध रहा है और भविष्य में भी इस प्रकार के उपयोगी कार्यक्रम आयोजित होते रहेंगे।कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। व्याख्यान के दौरान विद्यार्थियों ने विषय पर विभिन्न प्रश्न पूछे जिनका समाधान मुख्य वक्ता द्वारा सरल व सहज भाषा में किया गया।
*राणा प्रताप पीजी कॉलेज में हुआ द वॉयस ऑफ़ अवध प्रतियोगिता का आयोजन - सत्यधाम आश्रम द्वारा आयोजित प्रतियोगिता में गायक नंदन चंदन थे निर्णायक*
सुलतानपुर,द वॉयस ऑफ अवध इस क्षेत्र में लोक गायन की छिपी प्रतिभाओं को पहचानने का महत्वपूर्ण अवसर है। अवधी और भोजपुरी गीतों पर केंद्रित इस आयोजन में हम गांव की मिट्टी की महक महसूस कर सकते हैं। यह बातें राणा प्रताप पीजी कालेज के प्राचार्य प्रोफेसर दिनेश कुमार त्रिपाठी ने कहीं। वह सत्यधाम आश्रम और राणा प्रताप पीजी कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित अवधी और भोजपुरी लोकगीतों की प्रतियोगिता द वायस आफ अवध को बतौर विशिष्ट अतिथि सम्बोधित कर रहे थे। मुख्य अतिथि महाविद्यालय प्रबंधक एडवोकेट बालचंद सिंह ने पुस्तकालय कक्ष में दीप प्रज्ज्वलित कर प्रतियोगिता का उद्घाटन किया। संयोजक देवेंद्र कविराज देव ने बताया कि प्रतियोगिता में अवध क्षेत्र के बीस जनपदों के कुल निन्यानबे बच्चों ने भाग लिया जिसमें तीस प्रतिभागी सेमीफाइनल के लिए चयनित हुए। अगला ऑडिशन जल्द ही होगा। सेमीफाइनल के लिए कुल साठ लोगों का चयन करना है।अंतिम रूप से चयनित तीन प्रतिभागियों को आकर्षक पुरस्कार देकर द वायस आफ अवध के खिताब से नवाजा जाएगा। महाविद्यालय आई क्यू ए सी निदेशक प्रोफेसर इन्द्रमणि कुमार ने कहा कि अच्छी गायकी के लिए अच्छा स्वर, सधा सुर , संगीत की समझ, सातत्य, समर्पण, साधना और संवेदनशीलता का सामंजस्य जरूरी है। प्रतियोगिता के निर्णायक भोजपुरी के चर्चित गायक नंदन और चंदन ने अपने गीतों से प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन किया। कार्यक्रम के अंत में जादूगर संजय घायल ने अपना जादू प्रस्तुत किया। इस अवसर पर संगीत निर्देशक विनय पांडेय , कवि लोकेश श्रीवास्तव, संघ के जिला प्रचारक आशीष , डॉ अखिलेश सिंह, डॉ संतोष सिंह अंश, विनय कुमार सिंह, दिलीप कुमार सिंह, पंकज चौरसिया, अन्नू यादव, चंद्रमणि मौर्य, विपिन कुमार, देव राजन, शुभम ,धर्मराज, राजीव मौर्या,अंतिमा तिवारी,आदर्श पांडे, अर्पित सिंह, अशोक आदि उपस्थित रहे।
89 साल की उम्र में सुपरस्टार धर्मेंद्र का निधन, नहीं रहा बॉलीवुड का ‘हीमैन’

फिल्म इंडस्ट्री से एक बुरी खबर सामने आ रही है. हिंदी सिनेमा के दिग्गज एक्टर और ‘हीमैन’ के नाम से पहचान बनाने वाले मशहूर एक्टर धर्मेंद्र का निधन हो गया है. 89 साल की उम्र में उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया है. इस खबर से फिल्म इंडस्ट्री में मातम छा गया है. वो कुछ दिनों से ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती थे लेकिन रिकवर होने के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी. वो उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे. सोमवार दोपहर अचानक उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ने की खबर आई जिसके बाद एक एंबुलेंस को घर के अंदर जाते देखा गया. इसके बाद से सनी विला के आस-पास हलचल तेज हो गई थी. वहीं अब उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया.

धर्मेंद्र एक ऐसे एक्टर थे, जिन्होंने तरीबन 65 सालों तक बॉलीवुड पर राज किया. साल 1960 में उन्होंने ‘दिल भी तेरा हम भी तेरे’ नाम की फिल्म से डेब्यू किया था. उसके बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा और ‘शोले’, ‘सीता और गीता’, ‘मेरा गांव मेर देश’, ‘लोहा’ जैसी और भी कई बेहतरीन फिल्मों के जरिए लोगों को खूब एंटरटेन किया. हालांकि, अब धर्मेंद्र ने अपने तमाम चाहने वालों की आंखों को नम कर दिया.

300 से ज्यादा फिल्मों का हिस्सा रहे

धर्मेंद्र का जन्म 8 दिसंबर 1935 को पंजाब के नसराली गांव में हुआ था. इस छोटे से गांव से निकलकर उन्होंने बॉलीवुड के सबसे बड़े एक्टर बनने का सफर तय किया. उन्होंने अपने करियर में 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है और हार लोगों ने पर्दे पर उनकी अदाकारी पसंद की. उन्होंने हिंदी के साथ पंजाबी सिनेमा में भी अपनी एक्टिंग का जलवा बिखेरा था.

ये होगी धर्मेंद्र की आखिरी फिल्म

धर्मेंद्र अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन वो लोगों के दिलों में जिंदा हैं. उनकी एक फिल्म अभी रिलीज होने बाकी है, जिसके जरिए एक बार फिर से पर्दे पर उनकी उम्दा अदाकारी दिखेगी. वो फिल्म है ‘इक्कीस’, जो 25 दिसंबर को सिनेमाघरों में रिलीज होगी. हाल ही में इस फिल्म से एक्टर का नया पोस्टर भी आया था. इस फिल्म में अमिताभ बच्चन के नाती अगस्त्य नंदा लीड रोल में हैं. वो साल 1971 के भारत-पाक युद्ध के हीरो अरुण खेत्रपाल के रोल में दिखेंगे. वहीं धर्मेंद्र उनके पिता के किरदार में होंगे.

धर्मेंद्र के निधन से उनके फैंस के बीच मायूसी है. वे हर एक जनरेशन के पसंदीदा एक्टर रहे और जनता से उन्हें खूब प्यार और सम्मान मिला. एक्टर की खास बात ये रही कि उन्होंने अंतिम सांस तक अभिनय का दामन नहीं थामा. उनके निधन के बाद फैंस उन्हें ट्रिब्यूट दे रहे हैं. फिल्म जगत में एक्टर के योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा.

काकोरी में कार पलटने से बैंक मैनेजर व अकाउंटेंट घायल

लखनऊ । काकोरी के उन्नाव में सोमवार सुबह करीब 09:35 बजे काकोरी थाना क्षेत्र में एक सड़क दुर्घटना हुई, जिसमें बैंक ऑफ इंडिया के मैनेजर और अकाउंटेंट घायल हो गए। हादसा तब हुआ जब दोनों लखनऊ से बैंक ऑफ इंडिया, मोहान शाखा (उन्नाव) जा रहे थे।

पेट्रोल पंप मदारपुर के पास अचानक अनियंत्रित होकर पलटी कार

जानकारी के अनुसार, बैंक के मैनेजर मनोज वर्मा और अकाउंटेंट उपेंद्र सिंह अपनी निजी क्रेटा कार (रजिस्ट्रेशन UP32MA 9228) में सफर कर रहे थे। पेट्रोल पंप मदारपुर के थोड़ी दूरी आगे मोहन रोड पर गाड़ी अचानक अनियंत्रित होकर पलट गई।दुर्घटना के तुरंत बाद सूचना मिलते ही थाना स्थानीय पुलिस टीम मौके पर पहुंची। बैंक के अन्य कर्मचारी भी घटनास्थल पर आए और घायल कर्मियों को तत्काल ग्लोब हॉस्पिटल, मोहन (उन्नाव) पहुंचाया गया।

दुर्घटना के कारणों की जांच कर रही पुलिस

मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार, मनोज वर्मा के सिर में चोटें आई हैं जबकि उपेंद्र सिंह के हाथ और पैर में चोटें लगी हैं। डॉक्टर उनका इलाज कर रहे हैं। परिजनों को घटना की जानकारी दे दी गई है, और बैंक के सहकर्मी शशांक कुमार भी हॉस्पिटल में मौजूद हैं।पुलिस के अनुसार, हादसे के समय सड़क पर अन्य वाहनों की आवाजाही सामान्य थी और किसी अन्य को चोट नहीं आई। पुलिस ने कहा कि प्रारंभिक जांच में यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि दुर्घटना का कारण क्या था, लेकिन स्थिति सामान्य है और आगे की कार्रवाई जारी है।

बाराबंकी में एक पल की भूल ने मां की जिंदगी छीन ली, पूरा गांव स्तब्ध"

लखनऊ, बाराबंकी। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के हैदरगढ़ थाना क्षेत्र के बहुता गांव में रविवार की दोपहर एक छोटे-से पल ने पूरे गांव को गहरे शोक में डुबो दिया। 26 वर्षीय सूरज तिवारी अपनी जिंदगी में पहली बार कार चलाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन एक क्षणिक गलती ने उसकी मां बीनू तिवारी की जान ले ली। यह हादसा न केवल परिवार, बल्कि पूरे गांव के लिए एक करुणामय दृश्य बन गया।

बहनोई की कार को चलाना सीख रहा था सूरज

जानकारी के मुताबिक, सूरज तिवारी अपने बहनोई की कार में गाड़ी चलाना सीख रहा था। पहली बार गाड़ी स्टार्ट करने के दौरान वह गियर, ब्रेक और एक्सीलेटर के बीच उलझ गया। अचानक कार एक तेज झटके के साथ आगे बढ़ी और सीधे उसकी मां बीनू तिवारी पर जा लगी। बीनू तिवारी, जो उस समय कार के सामने खड़ी थीं, गाड़ी के नीचे आ गईं और गंभीर रूप से घायल हो गईं।हादसे की आवाज सुनकर आसपास के लोग दौड़े। चीख-पुकार और मदद की आवाजें पूरे इलाके में गूँज उठीं। स्थानीय लोगों ने तुरंत एम्बुलेंस बुलाई और घायल महिला को हैदरगढ़ सीएचसी पहुंचाया। डॉक्टरों ने हर संभव प्रयास के बावजूद बीनू तिवारी को मृत घोषित कर दिया।

बेटा अपनी गलती के लिए खुद को मान रहा दोषी

घटना का दृश्य अत्यंत मार्मिक था। सूरज तिवारी का रोना, परिवार के सदस्यों का विलाप और गांव वालों की सहम सी भावनाएं हर किसी के दिल को झकझोर रही थीं। बेटा अपनी गलती के लिए खुद को दोषी मान रहा था और परिवार सदमे की स्थिति में था। गांव में मातम छा गया और हर कोई उस दुखद पल को देखकर स्तब्ध रह गया।परिजन बताते हैं कि बीनू तिवारी हमेशा अपने बेटे के उज्जवल भविष्य की चिंता करती थीं और परिवार की खुशी में हर कदम पर मार्गदर्शन देती थीं। सूरज की मासूम गलती ने उनके जीवन को हमेशा के लिए बदल दिया। परिवार का कहना है कि उन्हें इस दुःख से उबरने के लिए समय की बहुत जरूरत होगी।

प्रारंभिक जांच में यह घटना दुर्घटना प्रतीत होती है : इंस्पेक्टर

हैदरगढ़ पुलिस ने भी मामले की पुष्टि की है। इंस्पेक्टर अभिमन्यु मल्ल ने बताया कि प्रारंभिक जांच में यह साफ तौर पर एक दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना प्रतीत होती है। उन्होंने कहा कि ऐसे हादसों की कोई पूर्व सूचना नहीं थी और पुलिस पूरी जांच कर रही है।इस दर्दनाक घटना ने परिवार के जीवन को हमेशा के लिए बदल दिया है। सूरज तिवारी अब अपने जीवन के सबसे बड़े सदमे का सामना कर रहा है। गांव के लोग परिवार के साथ खड़े हैं, लेकिन उस क्षणिक गलती की मार और मां के बिना जीवन का खालीपन हर किसी के दिल में गूंज रहा है।

*एसआईआर फॉर्म डिजिटाइजेशन के प्रगति का औचक निरीक्षण कर जिलाधिकारी ने ली जानकारी*

गोण्डा ।जिला निर्वाचन अधिकारी /जिलाधिकारी गोण्डा श्रीमती प्रियंका निरंजन ने तहसील सदर गोण्डा, विकास खण्ड झंझरी तथा विकास खण्ड पण्डरीकृपाल में एसआईआर फार्म डिजिटाइजेशन कार्य की प्रगति का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने विभिन्न केंद्रों पर चल रहे फॉर्म संकलन व फीडिंग की स्थिति की विस्तार से जानकारी ली और संबंधित अधिकारियों-कर्मचारियों से कार्य की गति को लेकर आवश्यक पूछताछ की।

जिलाधिकारी ने एसआईआर फार्म डिजिटाइजेशन को निर्वाचन कार्यों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि यह कार्य समयबद्ध, शतप्रतिशत गुणवत्ता के साथ पूरा किया जाना आवश्यक है। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिया कि फार्मों का संकलन, सत्यापन एवं डिजिटाइजेशन कार्य में किसी भी प्रकार की शिथिलता स्वीकार नहीं की जाएगी।

निरीक्षण के दौरान तहसील सदर गोण्डा में कार्य की कम प्रगति सामने आई, तो जिलाधिकारी ने इस पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने उपजिलाधिकारी सदर एवं संबंधित कर्मचारियों को सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि वे तत्काल प्रभाव से कार्य की गति तेज करें तथा सुनिश्चित करें कि सभी एसआईआर फार्मों का शतप्रतिशत संकलन एवं फीडिंग समय पर पूर्ण हो जाए। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि प्रत्येक कर्मचारी को उसकी जिम्मेदारी स्पष्ट रूप से सौंपते हुए प्रगति की समीक्षा की जाए और किसी भी स्तर पर लापरवाही की स्थिति पाई जाने पर उत्तरदायित्व तय करते हुए कार्रवाई की जाएगी।

उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया कि प्रत्येक ब्लॉक और तहसील स्तर पर टीमों को सक्रिय किया जाए, फील्ड में जाकर लंबित फार्मों को तत्काल एकत्र कराया जाए और डिजिटाइजेशन कार्य निरंतर चलता रहे। जिलाधिकारी ने यह भी कहा कि निर्वाचन कार्यों में पारदर्शिता और शुचित्ता सुनिश्चित करना प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है तथा इसमें बाधक बनने वाली किसी भी प्रकार की देरी या उदासीनता को गंभीरता से लिया जाएगा, और संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी विभागीय कार्रवाई भी की जाएगी।

जिलाधिकारी ने सभी अधिकारियों से कहा कि वे स्वयं भी प्रगति की निगरानी करें और यह सुनिश्चित करें कि निर्धारित समय सीमा के भीतर सभी कार्य पूरी प्रतिबद्धता और दक्षता के साथ पूर्ण हो जाएँ। उन्होंने भरोसा व्यक्त किया कि यदि सभी टीमें समन्वय और सतत प्रयासों के साथ काम करेंगी, तो एसआईआर फार्म डिजिटाइजेशन का लक्ष्य समय पर पूरा किया जा सकेगा।

भारत के 53वें सीजेआई बने जस्टिस सूर्यकांत, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिलाई शपथ

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जस्टिस सूर्यकांत ने आज भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के रूप में शपथ ग्रहण किया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। जस्टिस सूर्यकांत सुप्रीम कोर्ट के पूर्व सीजेआई भूषण आर. गवई के उत्तराधिकारी बने हैं। उनका कार्यकाल लगभग 14 महीने का होगा।

राष्ट्रपति ने सीजेआई गवई की सिफारिश के बाद 'संविधान के आर्टिकल 124 के क्लॉज (2) से दी गई शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए' जस्टिस सूर्यकांत को भारत का अगला चीफ जस्टिस नियुक्त किया था। जस्टिस गवई ने रविवार को 65 साल की उम्र में सीजेआई का पद छोड़ दिया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के सबसे सीनियर जज को अपना उत्तराधिकारी बनाने की परंपरा को बनाए रखा।

9 फरवरी, 2027 को रिटायर होंगे जस्टिस सूर्यकांत

जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई का सीजेआई के तौर पर कार्यकाल 23 नवंबर, 2025 को समाप्त हो गया। वह साढ़े छह महीनों के लिए इस पद पर रहे। जस्टिस सूर्यकांत का सीजेआई के तौर पर कार्यकाल करीब डेढ़ साल का होगा। वह 9 फरवरी, 2027 को रिटायर होंगे।

हरियाणा के गांव से सुप्रीम कोर्ट तक का सफर

सीजेआई सूर्यकांत का जन्म 10 फरवरी, 1962 को हरियाणा के एक मिडिल क्लास परिवार में हुआ था। उन्होंने 1984 में हिसार से अपनी लॉ यात्रा शुरू की। सीजेआई सूर्यकांत ने 1981 में हिसार के गवर्मेंट पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज से ग्रेजुएशन की और फिर 1984 में लॉ में बेचलर की डिग्री ली। उन्होंने 1984 में रोहतक के महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने 1984 में हिसार में ही लॉ की प्रैक्टिस शुरू कर दी और 1985 में वह पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने लगे। साल 2000 में वह हरियाणा के सबसे युवा एडवोकेट जनरल बने। साल 2011 में सीजेआई सूर्यकांत ने कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से लॉ में मास्टर्स किया, जिसे उन्होंने डिस्टिंक्शन के साथ 'फर्स्ट क्लास फर्स्ट' से पास किया। वह 2018 में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस नियुक्त किए गए और इसके बाद 2019 में वह सुप्रीम कोर्ट के जज अपॉइंट किए गए।

महत्वपूर्ण मामले

1. चुनाव आयोग को बिहार में मसौदा मतदाता सूची से बाहर किए गए 65 लाख मतदाताओं का ब्योरा सार्वजनिक करने का निर्देश दिया था।

2. उस संविधान पीठ का भी हिस्सा थे, जिसने अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर राज्य का विशेष दर्जा समाप्त करने के केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखा था।

3. ओआरओपी (वन रैंक वन पेंशन) को संविधानिक रूप से वैध माना और भारतीय सशस्त्र बलों में महिलाओं के लिए समान अवसरों का समर्थन किया।

4. जस्टिस कांत उस पीठ का भी हिस्सा थे, जिसने असम से संबंधित नागरिकता के मुद्दों पर धारा 6ए की वैधता को बरकरार रखा था।

5. जस्टिस कांत दिल्ली आबकारी शराब नीति मामले में अरविंद केजरीवाल को जमानत देने वाली पीठ के सदस्य थे। हालांकि, उन्होंने केजरीवाल की गिरफ्तारी को जायज ठहराया था।

पारदर्शी, दूरदर्शी, कल्याणकारी, संवेदनशील हेमंत सरकार के आगे भाजपा पस्त : विनोद पांडेय

मंईयां सम्मान योजना, प्रोन्नति मामलों और ‘सरकार आपके द्वार’ कार्यक्रम पर भाजपा द्वारा लगाए गए आरोपों पर झामुमो महासचिव सह प्रवक्ता विनोद पांडेय ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि विपक्ष जनता को भटकाने के लिए झूठ और आधी-अधूरी जानकारी का सहारा ले रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी द्वारा अधिकारियों पर लगाए गए आरोपों पर पांडेय ने कहा कि भाजपा शासन में वर्षों तक कैडर समीक्षा लंबित रहने और फाइलों के गड़बड़ रहने की वजह से ही लंबे समय तक कई प्रक्रिया बाधित रहीं।

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उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार ने हजारों कर्मचारियों को लंबित प्रमोशन दिया है और पेंशन व सेवा लाभों को तेजी से निष्पादित भी किया है।

उन्होंने कहा कि सरकार से वेतन लेकर भाजपा के स्लीपर सेल के रूप में काम करने वाले कुछ अधिकारियों की चिंता में भाजपा नेता डूबे हुए हैं। उनके लिए ही भाजपा में बौखलाहट है। माननीय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने न केवल पारदर्शी शासन स्थापित किया है बल्कि हर वर्ग के लोगों के विकास के लिए समान अवसर उपलब्ध करा रहे हैं। झारखंड में भाजपा की हर रणनीति बार-बार फेल साबित हो रही है।

हेमंत सरकार की जिम्मेदार और संवेदनसील पहल सेवा का अधिकार सप्ताह

सरकार आपके द्वार कार्यक्रम को लेकर भाजपा के आरोप पर उन्होंने कहा कि जनता के आशीर्वाद से चुनी हुई हेमंत सरकार की हर लोकप्रिय योजना को बदनाम करने का षडयंत्र रचना भाजपा की पुरानी आदत और राजनीतिक मजबूरी है। महासचिव पांडेय ने कहा कि सरकार आपके द्वार कार्यक्रम हेमंत सरकार के सबसे लोकप्रिय और सफल कार्यक्रमों में शामिल है। राष्ट्रीय स्तर पर विरोधियों ने भी अंतिम व्यक्ति के घर तक पहुंच कर सरकार की योजनाओं का लाभ पहुंचाने के इस संकल्प की सराहना की है।

इस कार्यक्रम की प्रगति पूरी तरह पारदर्शी है और इसका पूरा डाटा पब्लिक डोमेन में उपलब्ध है। सेवा की गारंटी की दिशा में पहली बार झारखंड में सरकार के स्तर से इतनी व्यापक पहल की गई है। भाजपा को सेवा का अधिकार अधिनियम के बारे में जानकारी ही नहीं है। अगर होती तो मंईयां सम्मान योजना को लेकर बेतुका बयान जारी नहीं करती।

उन्होंने कहा कि भाजपा को इस कार्यक्रम की सफलता से असहजता है क्योंकि सरकार सीधे गांव – पंचायतों के अंतिम व्यक्ति के घर जाकर उन्हें उनका हक और अधिकार के प्रति न सिर्फ जागरूक कर रही है बल्कि उन्हें उनका हक दे भी रही है। बिचौलियों या दलालों के चंगुल से भोले भाले आदिवासी, मूलवासी, गरीब, पिछड़े, अल्पसंख्यकों को छुटकारा दिला कर हेमंत सरकार ने नया कीर्तिमान स्थापित किया है। इस प्रकार का संवेदनशील शासन पूंजीपतियों की पार्टी भाजपा के बूते की बात नहीं है। इतिहास में श्री हेमंत जी की यह पहल मिल का पत्थर साबित हुआ है।

मंईयां सम्मान योजना की अपार सफलता से भाजपा नेता चिंतित

उन्होंने कहा कि भाजपा को महिलाओं, कर्मचारियों या ग्रामीण जनता की चिंता नहीं, बल्कि अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन की फिक्र है। हकीकत यह है कि मंईयां सम्मान योजना की तर्ज पर भाजपा शासित राज्यों में योजनाएं शुरू की गई हैं। ऐसे में भाजपा का भ्रामक आरोप सिर्फ और सिर्फ हर दिन माननीय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की बढ़ती लोकप्रियता से घबराहट में दिया गया है।

महासचिव विनोद पांडेय ने भाजपा के आरोपों को “राजनीतिक हताशा की उपज”बताया। उन्होंने कहा कि मंईयां सम्मान योजना महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण का ऐतिहासिक कदम है, और भाजपा को इससे तकलीफ इसलिए हो रही है क्योंकि वह अपने शासनकाल में महिलाओं के लिए एक भी स्वतंत्र आर्थिक सहायता योजना शुरू नहीं कर सकी। उन्होंने कहा कि मंईयां सम्मान का लाभ झारखंड की 50 लाख से अधिक महिलाओं को नियमित मिल रहा है। और श्री हेमंत सोरेन के इस संकल्प के आगे भाजपा पूरी तरह धराशायी नजर आ रही है। जनता के पैसा का उपयोग पूरी तरह पारदर्शिता के साथ करना अनिवार्य है। यही काम भाजपा अपने शासन में नहीं कर पाई जिस कारण उसे जनता ने विपक्ष में बैठा दिया। भाजपा के पूंजीपति मित्र बैंकों में जमा जनता का अरबों रुपये लेकर भाग जाए तो उनका कर्ज माफ कराया जाना भाजपा को सही लगता है, लेकिन जरूरतमंद और गरीबों को उनका हक देना गलत लगता है।

*राणा प्रताप पीजी कालेज के चार विद्यार्थियों का अग्निवीर में चयन - एनसीसी ट्रेनिंग रही फायदेमंद*
सुलतानपुर,राणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय के चार विद्यार्थियों का चयन अग्निवीर सामान्य ड्यूटी में हुआ है। यह जानकारी देते हुए एनसीसी समन्वयक डॉ आलोक कुमार ने बताया कि महाविद्यालय के एन सी कैडेट अजय पाल,अमित सरोज , अविनाश कुमार रजक और अखिल मौर्य का चयन अग्निवीर के आर्मी ड्यूटी में हुआ है। अजय,अमित और अविनाश बीए तृतीय सेमेस्टर के छात्र हैं तो अखिलेश मौर्य इसी वर्ष उत्तीर्ण हो चुके हैं। इनके चयन में एनसीसी ट्रेनिंग की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। अविनाश कुमार रजक प्रतापगढ़ जिले की पट्टी तहसील के बैजलपुर और अमित सरोज उसी तहसील के भीकमपुर गोकुला गांव निवासी हैं। दोनों ने एनसीसी ट्रेनिंग के लिए ही सुलतानपुर जनपद के राणा प्रताप पीजी कालेज में प्रवेश लिया था। अजय पाल धम्मौर के भाटी गांव निवासी हरीराम पाल के पुत्र और अखिल मौर्य दूबेपुर ब्लाक के रामपुर गांव निवासी राकेश कुमार मौर्य के पुत्र हैं। महाविद्यालय एनसीसी कैडेट्स के अग्निवीर में चयन पर क्षत्रिय शिक्षा समिति के अध्यक्ष एडवोकेट संजय सिंह,प्रबंधक एडवोकेट बालचंद्र सिंह,प्राचार्य प्रोफेसर दिनेश कुमार त्रिपाठी व असिस्टेंट प्रोफेसर ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह रवि समेत महाविद्यालय परिवार ने प्रसन्नता व्यक्त की है।
*परीक्षा में वर्णात्मक एवं विश्लेषणात्मक मूल्यांकन की संतुलित व्यवस्था भी आवश्यक है -डॉ शिल्पी सिंह*
शिक्षाशास्त्र विभाग में वाद-विवाद प्रतियोगिता आयोजित।
सुलतानपुर,राणा प्रताप पी. जी. कॉलेज के शिक्षाशास्त्र विभाग द्वारा स्नातक सम सेमेस्टर परीक्षा में बहुविकल्पीय प्रश्न पद्धति की उपयोगिता एवं सीमाओं पर केंद्रित वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों में आलोचनात्मक चिंतन, तार्किक प्रस्तुति तथा शैक्षिक मूल्यांकन के प्रति जागरूकता विकसित करना रहा। इस प्रतियोगिता में बी.ए. पंचम सेमेस्टर से सृष्टि सिंह, सुप्रिया भारती, शबनम बानो, अंतिम तथा देवेंद्र तिवारी, बी.ए. तृतीय सेमेस्टर से काजल यादव, सेजल शर्मा, एवं बी.ए. प्रथम सेमेस्टर से राज सिंह, माधुरी एवं साक्षी सिंह ने बहुविकल्पीय प्रश्न प्रणाली के पक्ष एवं विपक्ष में अपने विचार प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किए। पक्ष में प्रस्तुत मुख्य विचार में बहुविकल्पीय प्रश्नों से व्यापक पाठ्यक्रम का तीव्र एवं वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन संभव होता है,यह प्रणाली मूल्यांकन में पारदर्शिता और त्रुटिरहित परिणाम प्रदान करती है,प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की तैयारी के लिए यह पद्धति विद्यार्थियों को अनुकूल वातावरण प्रदान करती है। विपक्ष में रखे गए प्रमुख तर्क बहुविकल्पीय प्रश्न विद्यार्थियों की रचनात्मकता,विश्लेषणात्मक सोच और अभिव्यक्ति कौशल को कमज़ोर कर देते हैं,अनुमान आधारित उत्तर देने की प्रवृत्ति वास्तविक ज्ञान का सही मूल्यांकन नहीं कर पाती,यह पद्धति विषय की गहराई में जाने की प्रेरणा को सीमित करती है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विभागाध्यक्ष डॉ. शिल्पी सिंह ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि स्नातक स्तर पर बहुविकल्पीय प्रश्न प्रणाली तेजी से बदलते शैक्षिक परिदृश्य की मांग है, परंतु इसके साथ वर्णात्मक एवं विश्लेषणात्मक मूल्यांकन की संतुलित व्यवस्था भी आवश्यक है। शिक्षण की गुणवत्ता तभी बढ़ती है जब मूल्यांकन समग्रता लिए हो। उन्होंने विद्यार्थियों को ऐसे आयोजनों के माध्यम से अपनी विचार-शक्ति तथा तर्क क्षमता को विकसित करने हेतु प्रेरित किया।इस अवसर पर बी.ए. शिक्षाशास्त्र के विद्यार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन सृष्टि सिंह ने किया।
*आज की युवा पीढ़ी का परीक्षा के प्रति दृष्टिकोण तेजी से बदल रहा है- डॉ अखिलेश सिंह*
युवा पीढ़ी में परीक्षा के प्रति बदलते दृष्टिकोण” विषय पर व्याख्यान आयोजित।
सुल्तानपुर,राणा प्रताप पी. जी. कॉलेज के समाजशास्त्र विभाग द्वारा आज परास्नातक प्रथम एवं तृतीय सेमेस्टर के विद्यार्थियों के लिए “युवा पीढ़ी में परीक्षा के प्रति बदलते दृष्टिकोण” विषय पर एक विचारोत्तेजक व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता कॉलेज के ही समाजशास्त्र विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.अखिलेश सिंह रहे, जिन्होंने अपने रोचक, शोधपरक एवं समकालीन विश्लेषण से उपस्थित छात्र-छात्राओं को गहराई से अवगत कराया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष श्री बृजेश कुमार सिंह ने की। संचालन डॉ. बृजेश सिंह द्वारा किया गया तथा अंत में श्री विरेन्द्र कुमार गुप्ता ने सभी अतिथियों तथा प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया। मुख्य वक्ता डॉ. अखिलेश सिंह ने अपने विस्तृत व्याख्यान में कहा कि आज की युवा पीढ़ी का परीक्षा के प्रति दृष्टिकोण तेजी से बदल रहा है। डिजिटल माध्यमों, सोशल मीडिया, कोचिंग कल्चर और प्रतियोगी माहौल ने परीक्षाओं की प्रकृति तथा विद्यार्थियों के मनोवैिज्ञान दोनों को प्रभावित किया है। उन्होंने बताया कि पहले परीक्षा को ज्ञान का मूल्यांकन माना जाता था, जबकि आज यह अधिकतर कैरियर निर्माण, प्रतिस्पर्धा और सामाजिक प्रतिष्ठा से जुड़ गया है। इस कारण छात्रों में परीक्षा को लेकर तनाव, दबाव और अति-अपेक्षा बढ़ी है, जबकि दूसरी ओर कई छात्र परीक्षा को केवल एक औपचारिकता मानकर तैयारी में सतहीपन अपनाने लगे हैं। डॉ. सिंह ने कहा कि परीक्षा को लेकर युवा पीढ़ी का बदलता दृष्टिकोण केवल चुनौती ही नहीं, बल्कि अवसर भी है। डिजिटल शिक्षण संसाधनों ने सीखने को अधिक सरल, सुलभ और रोचक बनाया है। आज का विद्यार्थी सूचना-समृद्ध है और स्वयं सीखने की क्षमता विकसित कर रहा है। उन्होंने इस परिवर्तन को सकारात्मक दिशा देने पर जोर देते हुए कहा कि परीक्षा का उद्देश्य केवल अंक प्राप्ति नहीं, बल्कि सोचने-समझने की क्षमता और विश्लेषणात्मक दृष्टि का विकास होना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि परीक्षा को भय या बोझ की तरह न लें। इसे आत्ममूल्यांकन और आत्म-विकास का मौका समझें। आत्मअनुशासन, समय-प्रबंधन, डिजिटल संसाधनों का संतुलित उपयोग और मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल—ये सभी तत्व एक संतुलित दृष्टिकोण विकसित करने के लिए आवश्यक हैं।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विभागाध्यक्ष बृजेश कुमार सिंह ने कहा कि समाजशास्त्रीय दृष्टि से परीक्षा केवल एक शैक्षणिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक सामाजिक संरचना है जो व्यक्ति के भविष्य को आकार देती है। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे अपने भीतर आत्मविश्वास विकसित करें और बदलती परिस्थितियों के अनुरूप अपने आप को ढालने की क्षमता बढ़ाएँ।संचालनकर्ता डॉ. बृजेश सिंह ने कहा कि इस प्रकार के शैक्षणिक कार्यक्रम विद्यार्थियों में सकारात्मक शैक्षिक संस्कृति को बढ़ावा देते हैं। अंत में आभार व्यक्त करते हुए श्री विरेन्द्र कुमार गुप्ता ने कहा कि समाजशास्त्र विभाग हमेशा विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्ध रहा है और भविष्य में भी इस प्रकार के उपयोगी कार्यक्रम आयोजित होते रहेंगे।कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। व्याख्यान के दौरान विद्यार्थियों ने विषय पर विभिन्न प्रश्न पूछे जिनका समाधान मुख्य वक्ता द्वारा सरल व सहज भाषा में किया गया।
*राणा प्रताप पीजी कॉलेज में हुआ द वॉयस ऑफ़ अवध प्रतियोगिता का आयोजन - सत्यधाम आश्रम द्वारा आयोजित प्रतियोगिता में गायक नंदन चंदन थे निर्णायक*
सुलतानपुर,द वॉयस ऑफ अवध इस क्षेत्र में लोक गायन की छिपी प्रतिभाओं को पहचानने का महत्वपूर्ण अवसर है। अवधी और भोजपुरी गीतों पर केंद्रित इस आयोजन में हम गांव की मिट्टी की महक महसूस कर सकते हैं। यह बातें राणा प्रताप पीजी कालेज के प्राचार्य प्रोफेसर दिनेश कुमार त्रिपाठी ने कहीं। वह सत्यधाम आश्रम और राणा प्रताप पीजी कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित अवधी और भोजपुरी लोकगीतों की प्रतियोगिता द वायस आफ अवध को बतौर विशिष्ट अतिथि सम्बोधित कर रहे थे। मुख्य अतिथि महाविद्यालय प्रबंधक एडवोकेट बालचंद सिंह ने पुस्तकालय कक्ष में दीप प्रज्ज्वलित कर प्रतियोगिता का उद्घाटन किया। संयोजक देवेंद्र कविराज देव ने बताया कि प्रतियोगिता में अवध क्षेत्र के बीस जनपदों के कुल निन्यानबे बच्चों ने भाग लिया जिसमें तीस प्रतिभागी सेमीफाइनल के लिए चयनित हुए। अगला ऑडिशन जल्द ही होगा। सेमीफाइनल के लिए कुल साठ लोगों का चयन करना है।अंतिम रूप से चयनित तीन प्रतिभागियों को आकर्षक पुरस्कार देकर द वायस आफ अवध के खिताब से नवाजा जाएगा। महाविद्यालय आई क्यू ए सी निदेशक प्रोफेसर इन्द्रमणि कुमार ने कहा कि अच्छी गायकी के लिए अच्छा स्वर, सधा सुर , संगीत की समझ, सातत्य, समर्पण, साधना और संवेदनशीलता का सामंजस्य जरूरी है। प्रतियोगिता के निर्णायक भोजपुरी के चर्चित गायक नंदन और चंदन ने अपने गीतों से प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन किया। कार्यक्रम के अंत में जादूगर संजय घायल ने अपना जादू प्रस्तुत किया। इस अवसर पर संगीत निर्देशक विनय पांडेय , कवि लोकेश श्रीवास्तव, संघ के जिला प्रचारक आशीष , डॉ अखिलेश सिंह, डॉ संतोष सिंह अंश, विनय कुमार सिंह, दिलीप कुमार सिंह, पंकज चौरसिया, अन्नू यादव, चंद्रमणि मौर्य, विपिन कुमार, देव राजन, शुभम ,धर्मराज, राजीव मौर्या,अंतिमा तिवारी,आदर्श पांडे, अर्पित सिंह, अशोक आदि उपस्थित रहे।
89 साल की उम्र में सुपरस्टार धर्मेंद्र का निधन, नहीं रहा बॉलीवुड का ‘हीमैन’

फिल्म इंडस्ट्री से एक बुरी खबर सामने आ रही है. हिंदी सिनेमा के दिग्गज एक्टर और ‘हीमैन’ के नाम से पहचान बनाने वाले मशहूर एक्टर धर्मेंद्र का निधन हो गया है. 89 साल की उम्र में उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया है. इस खबर से फिल्म इंडस्ट्री में मातम छा गया है. वो कुछ दिनों से ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती थे लेकिन रिकवर होने के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी. वो उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे. सोमवार दोपहर अचानक उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ने की खबर आई जिसके बाद एक एंबुलेंस को घर के अंदर जाते देखा गया. इसके बाद से सनी विला के आस-पास हलचल तेज हो गई थी. वहीं अब उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया.

धर्मेंद्र एक ऐसे एक्टर थे, जिन्होंने तरीबन 65 सालों तक बॉलीवुड पर राज किया. साल 1960 में उन्होंने ‘दिल भी तेरा हम भी तेरे’ नाम की फिल्म से डेब्यू किया था. उसके बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा और ‘शोले’, ‘सीता और गीता’, ‘मेरा गांव मेर देश’, ‘लोहा’ जैसी और भी कई बेहतरीन फिल्मों के जरिए लोगों को खूब एंटरटेन किया. हालांकि, अब धर्मेंद्र ने अपने तमाम चाहने वालों की आंखों को नम कर दिया.

300 से ज्यादा फिल्मों का हिस्सा रहे

धर्मेंद्र का जन्म 8 दिसंबर 1935 को पंजाब के नसराली गांव में हुआ था. इस छोटे से गांव से निकलकर उन्होंने बॉलीवुड के सबसे बड़े एक्टर बनने का सफर तय किया. उन्होंने अपने करियर में 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है और हार लोगों ने पर्दे पर उनकी अदाकारी पसंद की. उन्होंने हिंदी के साथ पंजाबी सिनेमा में भी अपनी एक्टिंग का जलवा बिखेरा था.

ये होगी धर्मेंद्र की आखिरी फिल्म

धर्मेंद्र अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन वो लोगों के दिलों में जिंदा हैं. उनकी एक फिल्म अभी रिलीज होने बाकी है, जिसके जरिए एक बार फिर से पर्दे पर उनकी उम्दा अदाकारी दिखेगी. वो फिल्म है ‘इक्कीस’, जो 25 दिसंबर को सिनेमाघरों में रिलीज होगी. हाल ही में इस फिल्म से एक्टर का नया पोस्टर भी आया था. इस फिल्म में अमिताभ बच्चन के नाती अगस्त्य नंदा लीड रोल में हैं. वो साल 1971 के भारत-पाक युद्ध के हीरो अरुण खेत्रपाल के रोल में दिखेंगे. वहीं धर्मेंद्र उनके पिता के किरदार में होंगे.

धर्मेंद्र के निधन से उनके फैंस के बीच मायूसी है. वे हर एक जनरेशन के पसंदीदा एक्टर रहे और जनता से उन्हें खूब प्यार और सम्मान मिला. एक्टर की खास बात ये रही कि उन्होंने अंतिम सांस तक अभिनय का दामन नहीं थामा. उनके निधन के बाद फैंस उन्हें ट्रिब्यूट दे रहे हैं. फिल्म जगत में एक्टर के योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा.

काकोरी में कार पलटने से बैंक मैनेजर व अकाउंटेंट घायल

लखनऊ । काकोरी के उन्नाव में सोमवार सुबह करीब 09:35 बजे काकोरी थाना क्षेत्र में एक सड़क दुर्घटना हुई, जिसमें बैंक ऑफ इंडिया के मैनेजर और अकाउंटेंट घायल हो गए। हादसा तब हुआ जब दोनों लखनऊ से बैंक ऑफ इंडिया, मोहान शाखा (उन्नाव) जा रहे थे।

पेट्रोल पंप मदारपुर के पास अचानक अनियंत्रित होकर पलटी कार

जानकारी के अनुसार, बैंक के मैनेजर मनोज वर्मा और अकाउंटेंट उपेंद्र सिंह अपनी निजी क्रेटा कार (रजिस्ट्रेशन UP32MA 9228) में सफर कर रहे थे। पेट्रोल पंप मदारपुर के थोड़ी दूरी आगे मोहन रोड पर गाड़ी अचानक अनियंत्रित होकर पलट गई।दुर्घटना के तुरंत बाद सूचना मिलते ही थाना स्थानीय पुलिस टीम मौके पर पहुंची। बैंक के अन्य कर्मचारी भी घटनास्थल पर आए और घायल कर्मियों को तत्काल ग्लोब हॉस्पिटल, मोहन (उन्नाव) पहुंचाया गया।

दुर्घटना के कारणों की जांच कर रही पुलिस

मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार, मनोज वर्मा के सिर में चोटें आई हैं जबकि उपेंद्र सिंह के हाथ और पैर में चोटें लगी हैं। डॉक्टर उनका इलाज कर रहे हैं। परिजनों को घटना की जानकारी दे दी गई है, और बैंक के सहकर्मी शशांक कुमार भी हॉस्पिटल में मौजूद हैं।पुलिस के अनुसार, हादसे के समय सड़क पर अन्य वाहनों की आवाजाही सामान्य थी और किसी अन्य को चोट नहीं आई। पुलिस ने कहा कि प्रारंभिक जांच में यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि दुर्घटना का कारण क्या था, लेकिन स्थिति सामान्य है और आगे की कार्रवाई जारी है।

बाराबंकी में एक पल की भूल ने मां की जिंदगी छीन ली, पूरा गांव स्तब्ध"

लखनऊ, बाराबंकी। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के हैदरगढ़ थाना क्षेत्र के बहुता गांव में रविवार की दोपहर एक छोटे-से पल ने पूरे गांव को गहरे शोक में डुबो दिया। 26 वर्षीय सूरज तिवारी अपनी जिंदगी में पहली बार कार चलाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन एक क्षणिक गलती ने उसकी मां बीनू तिवारी की जान ले ली। यह हादसा न केवल परिवार, बल्कि पूरे गांव के लिए एक करुणामय दृश्य बन गया।

बहनोई की कार को चलाना सीख रहा था सूरज

जानकारी के मुताबिक, सूरज तिवारी अपने बहनोई की कार में गाड़ी चलाना सीख रहा था। पहली बार गाड़ी स्टार्ट करने के दौरान वह गियर, ब्रेक और एक्सीलेटर के बीच उलझ गया। अचानक कार एक तेज झटके के साथ आगे बढ़ी और सीधे उसकी मां बीनू तिवारी पर जा लगी। बीनू तिवारी, जो उस समय कार के सामने खड़ी थीं, गाड़ी के नीचे आ गईं और गंभीर रूप से घायल हो गईं।हादसे की आवाज सुनकर आसपास के लोग दौड़े। चीख-पुकार और मदद की आवाजें पूरे इलाके में गूँज उठीं। स्थानीय लोगों ने तुरंत एम्बुलेंस बुलाई और घायल महिला को हैदरगढ़ सीएचसी पहुंचाया। डॉक्टरों ने हर संभव प्रयास के बावजूद बीनू तिवारी को मृत घोषित कर दिया।

बेटा अपनी गलती के लिए खुद को मान रहा दोषी

घटना का दृश्य अत्यंत मार्मिक था। सूरज तिवारी का रोना, परिवार के सदस्यों का विलाप और गांव वालों की सहम सी भावनाएं हर किसी के दिल को झकझोर रही थीं। बेटा अपनी गलती के लिए खुद को दोषी मान रहा था और परिवार सदमे की स्थिति में था। गांव में मातम छा गया और हर कोई उस दुखद पल को देखकर स्तब्ध रह गया।परिजन बताते हैं कि बीनू तिवारी हमेशा अपने बेटे के उज्जवल भविष्य की चिंता करती थीं और परिवार की खुशी में हर कदम पर मार्गदर्शन देती थीं। सूरज की मासूम गलती ने उनके जीवन को हमेशा के लिए बदल दिया। परिवार का कहना है कि उन्हें इस दुःख से उबरने के लिए समय की बहुत जरूरत होगी।

प्रारंभिक जांच में यह घटना दुर्घटना प्रतीत होती है : इंस्पेक्टर

हैदरगढ़ पुलिस ने भी मामले की पुष्टि की है। इंस्पेक्टर अभिमन्यु मल्ल ने बताया कि प्रारंभिक जांच में यह साफ तौर पर एक दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना प्रतीत होती है। उन्होंने कहा कि ऐसे हादसों की कोई पूर्व सूचना नहीं थी और पुलिस पूरी जांच कर रही है।इस दर्दनाक घटना ने परिवार के जीवन को हमेशा के लिए बदल दिया है। सूरज तिवारी अब अपने जीवन के सबसे बड़े सदमे का सामना कर रहा है। गांव के लोग परिवार के साथ खड़े हैं, लेकिन उस क्षणिक गलती की मार और मां के बिना जीवन का खालीपन हर किसी के दिल में गूंज रहा है।

*एसआईआर फॉर्म डिजिटाइजेशन के प्रगति का औचक निरीक्षण कर जिलाधिकारी ने ली जानकारी*

गोण्डा ।जिला निर्वाचन अधिकारी /जिलाधिकारी गोण्डा श्रीमती प्रियंका निरंजन ने तहसील सदर गोण्डा, विकास खण्ड झंझरी तथा विकास खण्ड पण्डरीकृपाल में एसआईआर फार्म डिजिटाइजेशन कार्य की प्रगति का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने विभिन्न केंद्रों पर चल रहे फॉर्म संकलन व फीडिंग की स्थिति की विस्तार से जानकारी ली और संबंधित अधिकारियों-कर्मचारियों से कार्य की गति को लेकर आवश्यक पूछताछ की।

जिलाधिकारी ने एसआईआर फार्म डिजिटाइजेशन को निर्वाचन कार्यों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि यह कार्य समयबद्ध, शतप्रतिशत गुणवत्ता के साथ पूरा किया जाना आवश्यक है। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिया कि फार्मों का संकलन, सत्यापन एवं डिजिटाइजेशन कार्य में किसी भी प्रकार की शिथिलता स्वीकार नहीं की जाएगी।

निरीक्षण के दौरान तहसील सदर गोण्डा में कार्य की कम प्रगति सामने आई, तो जिलाधिकारी ने इस पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने उपजिलाधिकारी सदर एवं संबंधित कर्मचारियों को सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि वे तत्काल प्रभाव से कार्य की गति तेज करें तथा सुनिश्चित करें कि सभी एसआईआर फार्मों का शतप्रतिशत संकलन एवं फीडिंग समय पर पूर्ण हो जाए। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि प्रत्येक कर्मचारी को उसकी जिम्मेदारी स्पष्ट रूप से सौंपते हुए प्रगति की समीक्षा की जाए और किसी भी स्तर पर लापरवाही की स्थिति पाई जाने पर उत्तरदायित्व तय करते हुए कार्रवाई की जाएगी।

उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया कि प्रत्येक ब्लॉक और तहसील स्तर पर टीमों को सक्रिय किया जाए, फील्ड में जाकर लंबित फार्मों को तत्काल एकत्र कराया जाए और डिजिटाइजेशन कार्य निरंतर चलता रहे। जिलाधिकारी ने यह भी कहा कि निर्वाचन कार्यों में पारदर्शिता और शुचित्ता सुनिश्चित करना प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है तथा इसमें बाधक बनने वाली किसी भी प्रकार की देरी या उदासीनता को गंभीरता से लिया जाएगा, और संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी विभागीय कार्रवाई भी की जाएगी।

जिलाधिकारी ने सभी अधिकारियों से कहा कि वे स्वयं भी प्रगति की निगरानी करें और यह सुनिश्चित करें कि निर्धारित समय सीमा के भीतर सभी कार्य पूरी प्रतिबद्धता और दक्षता के साथ पूर्ण हो जाएँ। उन्होंने भरोसा व्यक्त किया कि यदि सभी टीमें समन्वय और सतत प्रयासों के साथ काम करेंगी, तो एसआईआर फार्म डिजिटाइजेशन का लक्ष्य समय पर पूरा किया जा सकेगा।

भारत के 53वें सीजेआई बने जस्टिस सूर्यकांत, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिलाई शपथ

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जस्टिस सूर्यकांत ने आज भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के रूप में शपथ ग्रहण किया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। जस्टिस सूर्यकांत सुप्रीम कोर्ट के पूर्व सीजेआई भूषण आर. गवई के उत्तराधिकारी बने हैं। उनका कार्यकाल लगभग 14 महीने का होगा।

राष्ट्रपति ने सीजेआई गवई की सिफारिश के बाद 'संविधान के आर्टिकल 124 के क्लॉज (2) से दी गई शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए' जस्टिस सूर्यकांत को भारत का अगला चीफ जस्टिस नियुक्त किया था। जस्टिस गवई ने रविवार को 65 साल की उम्र में सीजेआई का पद छोड़ दिया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के सबसे सीनियर जज को अपना उत्तराधिकारी बनाने की परंपरा को बनाए रखा।

9 फरवरी, 2027 को रिटायर होंगे जस्टिस सूर्यकांत

जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई का सीजेआई के तौर पर कार्यकाल 23 नवंबर, 2025 को समाप्त हो गया। वह साढ़े छह महीनों के लिए इस पद पर रहे। जस्टिस सूर्यकांत का सीजेआई के तौर पर कार्यकाल करीब डेढ़ साल का होगा। वह 9 फरवरी, 2027 को रिटायर होंगे।

हरियाणा के गांव से सुप्रीम कोर्ट तक का सफर

सीजेआई सूर्यकांत का जन्म 10 फरवरी, 1962 को हरियाणा के एक मिडिल क्लास परिवार में हुआ था। उन्होंने 1984 में हिसार से अपनी लॉ यात्रा शुरू की। सीजेआई सूर्यकांत ने 1981 में हिसार के गवर्मेंट पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज से ग्रेजुएशन की और फिर 1984 में लॉ में बेचलर की डिग्री ली। उन्होंने 1984 में रोहतक के महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने 1984 में हिसार में ही लॉ की प्रैक्टिस शुरू कर दी और 1985 में वह पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने लगे। साल 2000 में वह हरियाणा के सबसे युवा एडवोकेट जनरल बने। साल 2011 में सीजेआई सूर्यकांत ने कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से लॉ में मास्टर्स किया, जिसे उन्होंने डिस्टिंक्शन के साथ 'फर्स्ट क्लास फर्स्ट' से पास किया। वह 2018 में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस नियुक्त किए गए और इसके बाद 2019 में वह सुप्रीम कोर्ट के जज अपॉइंट किए गए।

महत्वपूर्ण मामले

1. चुनाव आयोग को बिहार में मसौदा मतदाता सूची से बाहर किए गए 65 लाख मतदाताओं का ब्योरा सार्वजनिक करने का निर्देश दिया था।

2. उस संविधान पीठ का भी हिस्सा थे, जिसने अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर राज्य का विशेष दर्जा समाप्त करने के केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखा था।

3. ओआरओपी (वन रैंक वन पेंशन) को संविधानिक रूप से वैध माना और भारतीय सशस्त्र बलों में महिलाओं के लिए समान अवसरों का समर्थन किया।

4. जस्टिस कांत उस पीठ का भी हिस्सा थे, जिसने असम से संबंधित नागरिकता के मुद्दों पर धारा 6ए की वैधता को बरकरार रखा था।

5. जस्टिस कांत दिल्ली आबकारी शराब नीति मामले में अरविंद केजरीवाल को जमानत देने वाली पीठ के सदस्य थे। हालांकि, उन्होंने केजरीवाल की गिरफ्तारी को जायज ठहराया था।

पारदर्शी, दूरदर्शी, कल्याणकारी, संवेदनशील हेमंत सरकार के आगे भाजपा पस्त : विनोद पांडेय

मंईयां सम्मान योजना, प्रोन्नति मामलों और ‘सरकार आपके द्वार’ कार्यक्रम पर भाजपा द्वारा लगाए गए आरोपों पर झामुमो महासचिव सह प्रवक्ता विनोद पांडेय ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि विपक्ष जनता को भटकाने के लिए झूठ और आधी-अधूरी जानकारी का सहारा ले रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी द्वारा अधिकारियों पर लगाए गए आरोपों पर पांडेय ने कहा कि भाजपा शासन में वर्षों तक कैडर समीक्षा लंबित रहने और फाइलों के गड़बड़ रहने की वजह से ही लंबे समय तक कई प्रक्रिया बाधित रहीं।

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उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार ने हजारों कर्मचारियों को लंबित प्रमोशन दिया है और पेंशन व सेवा लाभों को तेजी से निष्पादित भी किया है।

उन्होंने कहा कि सरकार से वेतन लेकर भाजपा के स्लीपर सेल के रूप में काम करने वाले कुछ अधिकारियों की चिंता में भाजपा नेता डूबे हुए हैं। उनके लिए ही भाजपा में बौखलाहट है। माननीय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने न केवल पारदर्शी शासन स्थापित किया है बल्कि हर वर्ग के लोगों के विकास के लिए समान अवसर उपलब्ध करा रहे हैं। झारखंड में भाजपा की हर रणनीति बार-बार फेल साबित हो रही है।

हेमंत सरकार की जिम्मेदार और संवेदनसील पहल सेवा का अधिकार सप्ताह

सरकार आपके द्वार कार्यक्रम को लेकर भाजपा के आरोप पर उन्होंने कहा कि जनता के आशीर्वाद से चुनी हुई हेमंत सरकार की हर लोकप्रिय योजना को बदनाम करने का षडयंत्र रचना भाजपा की पुरानी आदत और राजनीतिक मजबूरी है। महासचिव पांडेय ने कहा कि सरकार आपके द्वार कार्यक्रम हेमंत सरकार के सबसे लोकप्रिय और सफल कार्यक्रमों में शामिल है। राष्ट्रीय स्तर पर विरोधियों ने भी अंतिम व्यक्ति के घर तक पहुंच कर सरकार की योजनाओं का लाभ पहुंचाने के इस संकल्प की सराहना की है।

इस कार्यक्रम की प्रगति पूरी तरह पारदर्शी है और इसका पूरा डाटा पब्लिक डोमेन में उपलब्ध है। सेवा की गारंटी की दिशा में पहली बार झारखंड में सरकार के स्तर से इतनी व्यापक पहल की गई है। भाजपा को सेवा का अधिकार अधिनियम के बारे में जानकारी ही नहीं है। अगर होती तो मंईयां सम्मान योजना को लेकर बेतुका बयान जारी नहीं करती।

उन्होंने कहा कि भाजपा को इस कार्यक्रम की सफलता से असहजता है क्योंकि सरकार सीधे गांव – पंचायतों के अंतिम व्यक्ति के घर जाकर उन्हें उनका हक और अधिकार के प्रति न सिर्फ जागरूक कर रही है बल्कि उन्हें उनका हक दे भी रही है। बिचौलियों या दलालों के चंगुल से भोले भाले आदिवासी, मूलवासी, गरीब, पिछड़े, अल्पसंख्यकों को छुटकारा दिला कर हेमंत सरकार ने नया कीर्तिमान स्थापित किया है। इस प्रकार का संवेदनशील शासन पूंजीपतियों की पार्टी भाजपा के बूते की बात नहीं है। इतिहास में श्री हेमंत जी की यह पहल मिल का पत्थर साबित हुआ है।

मंईयां सम्मान योजना की अपार सफलता से भाजपा नेता चिंतित

उन्होंने कहा कि भाजपा को महिलाओं, कर्मचारियों या ग्रामीण जनता की चिंता नहीं, बल्कि अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन की फिक्र है। हकीकत यह है कि मंईयां सम्मान योजना की तर्ज पर भाजपा शासित राज्यों में योजनाएं शुरू की गई हैं। ऐसे में भाजपा का भ्रामक आरोप सिर्फ और सिर्फ हर दिन माननीय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की बढ़ती लोकप्रियता से घबराहट में दिया गया है।

महासचिव विनोद पांडेय ने भाजपा के आरोपों को “राजनीतिक हताशा की उपज”बताया। उन्होंने कहा कि मंईयां सम्मान योजना महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण का ऐतिहासिक कदम है, और भाजपा को इससे तकलीफ इसलिए हो रही है क्योंकि वह अपने शासनकाल में महिलाओं के लिए एक भी स्वतंत्र आर्थिक सहायता योजना शुरू नहीं कर सकी। उन्होंने कहा कि मंईयां सम्मान का लाभ झारखंड की 50 लाख से अधिक महिलाओं को नियमित मिल रहा है। और श्री हेमंत सोरेन के इस संकल्प के आगे भाजपा पूरी तरह धराशायी नजर आ रही है। जनता के पैसा का उपयोग पूरी तरह पारदर्शिता के साथ करना अनिवार्य है। यही काम भाजपा अपने शासन में नहीं कर पाई जिस कारण उसे जनता ने विपक्ष में बैठा दिया। भाजपा के पूंजीपति मित्र बैंकों में जमा जनता का अरबों रुपये लेकर भाग जाए तो उनका कर्ज माफ कराया जाना भाजपा को सही लगता है, लेकिन जरूरतमंद और गरीबों को उनका हक देना गलत लगता है।