सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव: 'अब भारत छेड़ने पर किसी को छोड़ता नहीं!'

नई दिल्ली में 'राष्ट्र, संस्कृति और मंदिर संरक्षण' सत्र आयोजित; रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ, अधिवक्ता श्रीधर पोतराजू, और प्रमोद मुतालिक ने दिए वक्तव्य
नई दिल्ली (भारत मंडपम): 14 दिसंबर 2025 को नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में आयोजित 'सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव' के अंतर्गत 'राष्ट्र, संस्कृति और मंदिर संरक्षण' विषय पर एक महत्वपूर्ण सत्र सम्पन्न हुआ।
प्रमुख वक्ताओं के वक्तव्य
1. संजय सेठ, रक्षा राज्य मंत्री
केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री श्री संजय सेठ ने ‘राष्ट्रीय सुरक्षा में सामाजिक-सांस्कृतिक संस्थाओं का योगदान’ विषय पर बोलते हुए कहा कि भारत छत्रपति शिवाजी महाराज और महाराणा प्रताप जैसे वीरों की भूमि है।
गुलामी की मानसिकता से मुक्ति: उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से पिछले 60-65 वर्षों में हमें अकबर और बाबर जैसे आक्रमणकारियों को "महान" कहकर गुलामी की मानसिकता में बांध दिया गया था, जो अब पूरी तरह टूट रही है।
जागृत भारत: उन्होंने प्रतिपादन किया कि आज भारत नया और जागृत है, जो किसी के भी आगे नहीं झुकता।
आक्रामक नीति: श्री सेठ ने कहा कि 'ऑपरेशन सिंदूर' में भारतीय सैनिकों के शौर्य ने यह सिद्ध कर दिया है कि भारत अब किसी को छेड़ने पर छोड़ता नहीं है।
2. अधिवक्ता श्रीधर पोतराजू, सुप्रीम कोर्ट
वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीधर पोतराजू ने श्रीराम मंदिर के न्यायालयीन संघर्ष पर अपने विचार व्यक्त किए।
श्रीराम की अनुभूति: उन्होंने कहा कि अधिवक्ताओं के रूप में न्यायालय में जो लड़ाई लड़ी गई, वह स्वयं श्रीराम द्वारा दी गई अनुभूति थी।
केशव परासरण की भूमिका: उन्होंने 92 वर्ष की आयु में वरिष्ठ अधिवक्ता केशव परासरण द्वारा पूरे जोश से यह केस लड़ने का श्रेय श्रीराम की अटल श्रद्धा को दिया।
3. प्रमोद मुतालिक, संस्थापक, श्रीराम सेना
'मंदिर संरक्षण' विषयक परिसंवाद में श्रीराम सेना के संस्थापक श्री प्रमोद मुतालिक ने चिक्कमंगलुरु (कर्नाटक) के दत्तपीठ की स्थिति पर बात की।
दत्तपीठ संघर्ष: उन्होंने बताया कि यह स्थान श्री गुरु दत्तात्रेय की साधना भूमि है, जहां टीपू सुल्तान ने बाबा बुडन दरगाह स्थापित की थी, जिससे क्षेत्र इस्लामीकरण का केंद्र बन गया था।
सफलता: विगत 30 वर्षों के आंदोलन और न्यायालयीन संघर्ष के कारण अब 90 प्रतिशत परिसर दत्तभक्तों का हो गया है।
शीघ्र समाधान: उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि अभी केवल शुक्रवार को होने वाला मौलवी द्वारा नमाज़ पाठ शीघ्र ही न्यायालय के आदेश से बंद होगा।
4. सुनील घनवट, राष्ट्रीय संगठक, मंदिर महासंघ
हिंदू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ राज्य संगठक श्री सुनील घनवट ने मंदिरों के संरक्षण को धर्म दायित्व बताया।
मंदिर संरक्षण: उन्होंने कहा, "मंदिर हिंदू धर्म की आधारशिला हैं। उनके परंपरा और मर्यादाओं की रक्षा हेतु 'मंदिर महासंघ' ने 15,000 मंदिरों का संगठन किया है।"
वस्त्र संहिता: उन्होंने बताया कि 2,300 से अधिक मंदिरों में वस्त्रसंहिता (Dress Code) लागू की गई है, जिसका प्रभाव ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी दिखाई देता है।
धर्मशिक्षा: हर सप्ताह 20,000 हिंदू आरती के लिए एकत्र होते हैं, इस उद्देश्य से कि मंदिर धर्मशिक्षा के केंद्र बनें।
सत्र का संचालन राष्ट्र प्रथम चैनल की पत्रकार श्रीमती श्वेता त्रिपाठी ने किया।
47 min ago
- Whatsapp
- Facebook
- Linkedin
- Google Plus
1- Whatsapp
- Facebook
- Linkedin
- Google Plus
0.8k