रामगढ़ जिले में दिशा की बैठक हुआ संपन्न, विकास योजनाओं का हुआ रिव्यू

रामगढ़ ज़िला समाहरणालय सभागार में बुधवार को जिला विकास समन्वय एवं मूल्यांकन समिति (दिशा) की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। समिति के अध्यक्ष एवं सांसद मनीष जायसवाल की अध्यक्षता में संपन्न हुई। इस बैठक में ज़िले में चल रहे विभिन्न विभागों की जनहितकारी और विकास योजनाओं की विस्तृत समीक्षा की गई। पिछली बैठकों में दिए गए निर्देशों की प्रगति पर चर्चा के साथ ही क्षेत्र की ज्वलंत और गंभीर समस्याओं पर भी गहन विचार-विमर्श हुआ।

सांसद मनीष जायसवाल ने बतौर समिति अध्यक्ष योजनाओं के क्रियान्वयन का आकलन किया और भविष्य में जनहित में विकास कार्यों को धरातल पर सुदृढ़ करने की दिशा में उचित दिशा-निर्देश जारी किए।

बैठक में मनरेगा, अंत्योदय योजना, दीनदयाल उपाध्याय ग्राम कौशल योजना, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण एवं शहरी), स्वच्छ भारत मिशन, नेशनल रूरल ड्रिंकिंग वॉटर प्रोग्राम, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, उज्ज्वला योजना, पीएम कौशल विकास योजना, नेशनल हेल्थ मिशन, सर्व शिक्षा अभियान, इंटीग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमें

ट स्कीम (आईसीडीएस ) समेत रेलवे, हाईवे, वाटर वेज, माइंस से संबंधित आधारभूत संरचना निर्माण और प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना जैसी कई महत्वपूर्ण योजनाओं पर चर्चा हुई।

इस दौरान विभिन्न क्षेत्रों के माननीय विधायकों और ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधियों ने जनहित में कई महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए जिन पर संबंधित विभागों को त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए गए।

बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए सांसद मनीष जायसवाल ने विकास कार्यों की धीमी प्रगति पर गहरी चिंता और नाराज़गी व्यक्त की। उन्होंने बताया कि बैठक में ज़िले के विभिन्न विभागों के कार्यों के पैरामीटर की समीक्षा की गई, और यह पाया गया कि पेयजलापूर्ति, कोयला चोरी रोकने और सड़कों के निर्माण की प्रगति पर पिछली दिशा की बैठक में लिए गए निर्णयों के अनुरूप कोई प्रगति नहीं हुई है ।

 विभिन्न विभागों द्वारा पेश किए गए आंकड़े भ्रमजाल वाले थे, जो ज़मीनी हकीकत को सही तरीके से चित्रित नहीं कर रहे थे।

सांसद जायसवाल ने रामगढ़ ज़िला प्रशासन को गंभीर होने और जनहित में विकास योजनाओं का क्रियान्वयन धरातल पर ससमय सुनिश्चित करने को कहा। उन्होंने विभागीय उदासीनता पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह वर्तमान राज्य सरकार की कार्यशैली का एक चेतावनी भरा उदाहरण है, जहां अधिकारी निर्देश के बावजूद सिर्फ आंकड़ों के भ्रमजाल में फंसाने की कोशिश कर रहे हैं, जो कतई बर्दाश्त योग्य नहीं है।

सांसद मनीष जायसवाल ने ज़िले के विकास के लिए पेयजलापूर्ति संबंधित विभाग को अगली बैठक से पहले ज़िले की हरेक योजना का विशेष सर्वे कर शत-प्रतिशत क्रियान्वयन सुनिश्चित करने, ग्रामीण खराब सड़कों पर तत्काल कार्य शुरू करने की दिशा में सकारात्मक पहल की जाने, रामगढ़ ज़िले में व्यापक स्तर पर चल रहे कोयला चोरी को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाने, ज़िले में एम्बुलेंस की सुविधा को सहज बनाए जाने, सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ प्राइवेट हॉस्पिटल में भी नॉर्मल डिलीवरी को बढ़ावा दिए जाने, ज़िले के शत-प्रतिशत आंगनबाड़ी केंद्रों का भवन निर्माण पूरा किए जाने, पेंडिंग पड़े वृद्धा, विधवा, विकलांग और मईया योजना के पेंशनधारियों को तत्काल लाभ दिलाए जाने, प्रधानमंत्री आवास योजना के कार्य को तेज़ी से प्रगति करने, भुरकुंडा के सेंट्रल स्कूल को सुविधा संपन्न बनाने और हाइवे पर चुटूपालू घाटी तथा मांडू में स्ट्रीट लाइट को सुदृढ़ करने का महत्वपूर्ण निर्देश दिया। 

सांसद मनीष जायसवाल ने दोहराया कि बैठक का मुख्य उद्देश्य यही रहा कि सरकार द्वारा संचालित जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ क्षेत्र के अंतिम व्यक्ति तक सुनिश्चित हो सके।

बैठक में रामगढ़ विधायक ममता देवी, बड़कागांव विधायक रोशन लाल चौधरी, मांडू विधायक निर्मल महतो उर्फ़ तिवारी महतो, ज़िला परिषद अध्यक्ष सुधा देवी, रामगढ़ के उपायुक्त सह समिति के सचिव फैज़ अक अहमद मुमताज़, उप विकास आयुक्त आशीष अग्रवाल, रामगढ़ जिला सांसद प्रतिनिधि राजीव जायसवाल सहित ज़िले के विभिन्न प्रखंडों के प्रमुखगण, तथा रामगढ़, दुलमी, चितरपुर, गोला, मांडू और पतरातु प्रखंड के चयनित मुखिया सह समिति सदस्यगण विशेष रूप से उपस्थित रहे।

*घरेलू सिलेंडरों पर विभाग की ‘चयनात्मक’ कार्रवाई पर उठ रहे सवाल*, *हलवाई कि दुकानों पर क्यों नहीं जाँच*:

मेरठ। शहर में घरेलू गैस सिलेंडरों के अवैध उपयोग पर विभाग की कार्रवाई अब सवालों के घेरे में है। कुछ चुनिंदा स्थानों पर छापेमारी के बाद ऐसा लग रहा है कि विभाग की सक्रियता एक-दो मामलों तक ही सीमित रह गई है, जबकि पूरे शहर में इस खतरे का दायरा कहीं बड़ा है।

हरिया लस्सी पर कार्रवाई, लेकिन बाकी शहर क्यों सुरक्षित?

बीते दिनों लालकुर्ती स्थित हरिया लस्सी पर घरेलु सिलेंडरों के गलत उपयोग को लेकर विभाग ने कार्रवाई करते हुए सिलेंडर जब्त किए। लेकिन इसके बाद विभाग की गतिविधियां अचानक सुस्त पड़ती दिखाई दे रही हैं। सवाल यह उठ रहा है कि एक दुकान पर कार्रवाई कर देना क्या पूरे शहर को सुरक्षित कर देता है? सेंट्रल मार्किट और गुरुद्वारा रोड पर घरेलू सिलेंडरों का खुलेआम इस्तेमाल :

शास्त्रीनगर सेंट्रल मार्किट और गुरुद्वारा रोड पर अधिकांश फास्ट फूड के ठेले, चाट-स्टॉल और हलवाई की दुकानों में खुलेआम घरेलू सिलेंडरों का उपयोग किया जा रहा है। ये सिलेंडर सिर्फ घरेलू उपयोग के लिए अधिकृत हैं, ऐसे में बाजारों में चल रहा यह प्रयोग न सिर्फ अवैध है बल्कि कभी भी बड़ा हादसा कराने की क्षमता रखता है। साथ हीं सूरजकुंड पार्क के पास लगने वाले ठेलों पर विभाग की नजर क्यों नहीं? ये भी एक सवाल है! सूरजकुंड पार्क के पास शाम होते ही दर्जनों ठेले सजते हैं, जहां खानपान का कारोबार घरेलू सिलेंडरों पर ही चलता है। यहां भी स्थिति कम खतरनाक नहीं है। स्थानीय लोगों का कहना है कि विभागीय अधिकारी कई बार इस रास्ते से गुजरते हैं, लेकिन कार्रवाई शून्य है।

क्या विभाग शिकायत का इंतजार करता है?

सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या विभाग स्वयं सघन जांच करेगा या फिर सिर्फ शिकायत आने पर ही एक्टिव होगा? यदि शिकायत-आधारित कार्रवाई ही होनी है, तो शहर में फैल रहे इस गैस-खतरे को रोकना असंभव हो जाएगा।

लोगों का कहना है कि विभाग को चाहिए कि—

सभी बाजारों में सघन अभियान चलाए,

अवैध सिलेंडर उपयोग करने वालों को चेतावनी के साथ नोटिस जारी करे,

और बार-बार दोहराने वालों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए।

घरेलू सिलेंडरों का व्यावसायिक उपयोग सिर्फ अवैध नहीं, बल्कि लोगों की जान से खिलवाड़ है। विभाग को चाहिए कि एक-दो जगह की औपचारिक कार्रवाई के बजाय पूरे शहर में समान रूप से जांच अभियान चलाए, ताकि किसी बड़े हादसे को होने से रोका जा सके।

अंबा स्टील फैक्ट्री के बाहर केटर चालक कफिल पर जानलेवा हमला, सिर फटा—

आशीष कुमार

मुजफ्फरनगर। मन्सूरपुर थाना क्षेत्र के जड़ौदा अहे के पास स्थित अंबा स्टील फैक्ट्री के बाहर मंगलवार शाम केटर चालक पर हुए हमले से हड़कंप मच गया। फैक्ट्री में माल भरने आए केटर चालक कफिल पुत्र हमीद निवासी ग्राम सुजडू (थाना खालापार) को तीन युवकों ने लाठी-डंडों और लोहे की शैठ से बुरी तरह पीट कर गंभीर रूप से घायल कर दिया।

जानकारी के अनुसार कफिल अपनी केटर UP13CT1352 लेकर फैक्ट्री पर माल भरने पहुंचा था। इसी दौरान गोबिस पुत्र मीरहसन निवासी ग्राम सधावली, थाना मन्सूरपुर, अपनी गाड़ी लेकर वहां आया और कथित रूप से उसने अपनी गाड़ी कफिल की केटर में टकरा दी। टक्कर से केटर को भारी नुकसान हुआ। कफिल द्वारा गोबिस से भरपाई की मांग करने पर विवाद बढ़ गया।

आरोप है कि मौके पर मौजूद मोनिस ने गाली-गलौज शुरू कर दी और जान से मारने की धमकी देते हुए अपने साथियों को बुला लिया। कुछ ही देर में मोनिस, गोबिस और उनका तीसरा साथी लाठी, उन्ना और लोहे की शैठ लेकर कफिल पर टूट पड़े। हमले के दौरान लोहे की शैठ कफिल के सिर पर लगने से वह जमीन पर गिर पड़ा। गंभीर चोट के बावजूद आरोपी धमकाते हुए मौके से फरार हो गए।

घटना के बाद वहां मौजूद लोग, मिलान सुपरवाइजर राहुल (डॉ. मुनाजर फुरकान के) तथा साथी पहलवान ने घायल कफिल को अस्पताल पहुंचाया। परिजनों व साथियों ने बताया कि हमलावर पहले भी दबंगई कर चुके हैं और जान से मारने की धमकियां देते रहते हैं।

घायल कफिल की ओर से मन्सूरपुर थाने में तहरीर देकर तीनों आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की गई है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

गड्ढो का पानी पीने को मजबूर. बुनियादी सुविधाओ के अभाव से ग्रामीण परेशान।

संजय द्विवेदी प्रयागराज।यमुनानगर अन्तर्गत मेजा क्षेत्र सिलौधी और सिरहीर गांव के पहाड़ी इलाको में जीवन आज भी संघर्ष का पर्याय बना हुआ है।यहां के ग्रामीणों को सबसे बड़ी समस्या साफ पेयजल की है। आधुनिक दौर में जब सरकारे हर घर नल जल योजना, पाइपलाइन टैंक और शुद्ध पानी उपलब्ध कराने का दावा करती है वही मेजा की पहाड़ियों पर रहने वाले हजारों लोग आज भी गड्ढों और प्राकृतिक जलस्रोतो में जमा हुए पानी से अपनी प्यास बुझाने को मजबूर है।यह तस्वीर विकास के सरकारी दावों पर बड़ा सवाल खड़ा करती है।स्थानीय ग्रामीण बताते हैं कि वर्षों पहले जब कोई व्यवस्था नहीं थी तब लोग गड्ढो पोखरो और तालाबो का ही सहारा लेते थे लेकिन समय बदलने के बावजूद आज भी हालात जस के तस बने हुए है।बरसात का पानी पहाड़ी चट्टानो के बीच बने गड्ढों में भर जाता है और वही धीरे-धीरे महीनो तक जमा रहता है। इसी गंदे और प्रदूषित पानी का उपयोग ग्रामीण पीने नहाने और जानवरों को पिलाने तक के लिए करते है।साफ पानी की सुविधा न होने से ग्रामीण न चाहते हुए भी इसी पर निर्भर रहने को मजबूर है।गांव के निवासी रामचरन बताते है सरकार कहती है कि हर घर नल से पानी मिलेगा लेकिन हमारी पहाड़ियो पर न कोई पाइपलाइन बिछी और न ही कोई टंकी बनी।हम आज भी गड्ढों का पानी पीते है।बीमार हों तो अस्पताल भी दूर है।वही शारदा देवी कहती है “बरसात में पानी भर जाता है वही पी लेते हैं। सूखे के दिनों में पानी के लिए मीलो चलना पड़ता है। कई बार बच्चे पेट दर्द, उल्टी-दस्त से बीमार पड़ जाते है।ग्रामीणो का कहना है कि पहाड़ी क्षेत्रों में विकास कार्यों को हमेशा पीछे कर दिया जाता है। न पेयजल की योजना लागू होती है न सड़के बन पाती हैं। कई बार स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियो को शिकायत की गई, लेकिन अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिला है। लोगों में नाराजगी इस बात को लेकर भी है कि क्षेत्र के बारे में योजनाएं तो बनती हैं, लेकिन क्रियान्वयन शून्य रहता है।ग्राम प्रधान और सामाजिक कार्यकर्ता भी मानते है कि यदि पहाड़ी इलाके में जल्द ही स्थायी पेयजल व्यवस्था नही की गई तो आने वाले दिनों में गंभीर स्वास्थ्य संकट उत्पन्न हो सकता है।उन्होंने मांग की है कि यहां हैंडपंप ट्यूबवेल टंकी और पाइपलाइन की व्यवस्था की जाए, ताकि ग्रामीणों को गंदा पानी पीने से मुक्ति मिल सके।मेजा क्षेत्र की यह तस्वीर बताती है कि विकास के दावे और वास्तविकता में कितना बड़ा अंतर है।आज भी कई गांव बुनियादी सुविधाओ से वंचित है और ग्रामीण अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रकृति के भरोसे ही जीने को मजबूर हैं।

सोनभद्र खनन हादसा: 7 शव बरामद, दर्जन भर फंसे! मजदूर नेता मंगल तिवारी ने सीएम योगी से की भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों जांच की मांग

सोनभद्र। उत्तर प्रदेश: सोनभद्र जिले के बिल्ली-मारकुण्डी घाटी में बीते शनिवार को हुए भयंकर खनन हादसे ने प्रदेश में श्रमिकों की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस हृदय विदारक दुर्घटना में बचाव दल द्वारा अब तक 7 मजदूर मृतकों के शव बरामद किए जा चुके हैं, जबकि अभी भी लगभग एक दर्जन मजदूरों के मलबे में फंसे होने की आशंका व्यक्त की जा रही है।

हादसे पर गहरा दुःख व्यक्त करते हुए, मजदूर नेता एवं वरिष्ठ पत्रकार मंगल तिवारी ने इस मामले में गहन जांच की मांग उठाते हुए बड़ा बयान दिया है। उन्होंने सीधे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को संबोधित करते हुए एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने खदानों में होने वाले श्रमिकों की मौत की गहराई से जांच कराने तथा खनन कारोबारियों से लगाए संबंधित विभाग एवं संलिप्त लोगों की संपत्तियों की जांच की मांग की है।

सीएम योगी को पत्र में मुख्य मांगें

मिर्ज़ापुर असंगठित कामगार यूनियन (माकू यूनियन) के महामंत्री मंगल तिवारी ने मुख्यमंत्री से निवेदन भरे शब्दों में कहा है कि यदि उनके प्रत्यक्ष नियंत्रण वाले मंत्रालय में भी कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से भ्रष्टाचार तथा अपने पद एवं दायित्वों के प्रति घोर लापरवाही बरती जा रही है, तो अन्य मंत्रालयों की स्थिति का अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है।

माकू यूनियन ने उत्तर प्रदेश सरकार की शून्य सहनशीलता (Zero Tolerance) नीति पर पूर्ण विश्वास व्यक्त करते हुए निम्नलिखित निष्पक्ष जांचों की मांग की है:

 दोषी अधिकारियों की जांच: खनन विभाग के संबंधित अधिकारी, स्थानीय पुलिस अधिकारी, सहायक निदेशक कारखाना (ADF) तथा श्रम विभाग के संबंधित मॉनिटरिंग अधिकारी (सहायक श्रमायुक्त, उप श्रमायुक्त) की भूमिका एवं दायित्वों की निष्पक्ष जांच कराई जाए।

 संपत्ति की विस्तृत जांच: दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों एवं लीज धारकों की संपत्ति की विस्तृत जांच की जाए।

 स्वतंत्र एजेंसी से जांच: इस घटना सहित विगत दो वर्षों में खनन क्षेत्र में मजदूरों के साथ हुई दुर्घटनाओं एवं मौतों की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाए।एनजीटी मानकों पर जांच: मिर्जापुर-सोनभद्र के सभी खनन पट्टों की एनजीटी (NGT) के मानकों के तर्ज पर जांच कराई जाए।

 समान आर्थिक सहायता: सभी दिवंगत श्रमिक आश्रितों को एक समान आर्थिक सहायता मिले।

"यह परिस्थिति शासन-प्रशासन की निगरानी व्यवस्था पर गंभीर प्रश्नचिह्न उत्पन्न करती है।"

मंगल तिवारी, मजदूर नेता एवं वरिष्ठ पत्रकार

भविष्य के लिए बड़े आंदोलन की चेतावनी

मंगल तिवारी ने बताया कि माकू यूनियन श्रमिकों के लिए पूर्ण रूप से समर्पित संगठन है, जिसका एकमात्र लक्ष्य श्रमिकों और उनके परिवार का उत्थान, उनको मान सम्मान और अधिकार दिलाना है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि यूनियन का उद्देश्य केवल इतना है कि प्रदेश में कार्यरत श्रमिक भाइयों को सुरक्षा का अधिकार मिले तथा इस भीषण घटना में मारे गए श्रमिकों के परिजनों को शीघ्र न्याय मिल सके।

मंगल तिवारी ने बड़ी चेतावनी देते हुए कहा है कि जल्द ही सोनभद्र जिले में श्रमिकों के हक अधिकारों को लेकर एक बड़ा आंदोलन खड़ा किया जाएगा, ताकि प्रति वर्ष खदानों में खाक होती मजदूरों की जिंदगी को बचाया जा सके और उन पूँजिपतियों से लेकर सफेदपोशों के कारनामों का भी खुलासा किया जा सके जो इन मजदूरों के कंधों का उपयोग कर अपने लिए सुख-सुविधाएं तो बना लेते हैं लेकिन मजदूरों की जिंदगी जस की तस ही बनी रह जाती है।

Sambhal हसीना बेगम हॉस्पिटल में मोतियाबिंद के मरीजों के लिए फ्री ऑपरेशन कैंप, आई ओपीडी की भी हुई शुरुआत

हसीना बेगम हॉस्पिटल में बुधवार को नेत्र रोग विभाग की ओर से मोतियाबिंद के मरीजों के लिए लगाया गया, जिसमें आयुष्मान कार्ड धारकों को निःशुल्क ऑपरेशन कैंप का सफल आयोजन किया गया। नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. तनुज ने बताया कि कैंप में एक दर्जन से अधिक मरीजों का आधुनिक तकनीक टॉपिकल एनेस्थीसिया से ऑपरेशन किया गया। यह प्रक्रिया पूरी तरह बिना टांका, बिना इंजेक्शन और बिना पट्टी के की जाती है, जिससे मरीज को किसी प्रकार के दर्द का सामना नहीं करना पड़ता। ऑपरेशन के बाद मरीज अगले ही दिन से टीवी, कंप्यूटर, मोबाइल और सामान्य कार्य कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि आयुष्मान कार्ड धारकों के लिए यह सेवा पूरी तरह निःशुल्क है और हफ्ते में एक बार ऐसे कैंप आयोजित किए जाएंगे। प्राइवेट मरीजों का भी इसी विधि से इलाज उपलब्ध रहेगा।

इसी के साथ आज हसीना बेगम हॉस्पिटल में आई ओपीडी की भी औपचारिक शुरुआत की गई।डॉ. गौरव ने बताया कि पहले ही दिन एक दर्जन से अधिक मोतियाबिंद ऑपरेशन प्रस्तावित हैं। उन्होंने कहा कि आयुष्मान कार्ड वाले मरीजों से किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जा रहा है। मरीज बिना इंजेक्शन, बिना पट्टी और बिना किसी बड़े चीरे के केवल कुछ मिनटों में ऑपरेशन करा सकेंगे। सभी सर्जरी एडवांस मशीनों और आधुनिक तकनीक के माध्यम से की जा रही हैं। डॉ. गौरव ने बताया कि हॉस्पिटल में आयुष्मान योजना के तहत सभी प्रकार की नेत्र संबंधी सेवाएं उपलब्ध हैं। वहीं, डॉ. कुमार संभव कैंप में आने वाले मरीजों को अटेंड कर रहे हैं।

अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि आगे भी जनता की सुविधा के लिए नियमित रूप से ऐसे विशेष कैंप आयोजित किए जाएंगे, ताकि ज्यादा से ज्यादा मरीजों को लाभ मिल सके। हसीना बेगम हॉस्पिटल में आयुष्मान कार्ड के अंतर्गत अन्य तरह के मरीज का इलाज भी किया जाता है।

अग्निवीर भर्ती: नर्सिंग असिस्टेंट (NA) और क्लर्क/SKT लिखित परीक्षा परिणाम घोषित; ARO रांची ने चयनित अभ्यर्थियों को तुरंत दस्तावेज सत्यापन के लिए

रांची: आर्मी भर्ती कार्यालय, रांची द्वारा अग्निपथ योजना के तहत आयोजित अग्निवीर नर्सिंग असिस्टेंट (NA) और अग्निवीर क्लर्क/स्टोर कीपर टेक्निकल (SKT) पदों की भर्ती के लिए कॉमन एंट्रेंस एग्जामिनेशन (CEE) के परिणाम आज आधिकारिक वेबसाइट पर घोषित कर दिए गए हैं।

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दस्तावेज सत्यापन के लिए तत्काल रिपोर्ट करें

चयनित सभी अभ्यर्थियों को सूचित किया गया है कि वे बिना देरी किए निर्धारित तिथि एवं समय पर आर्मी भर्ती कार्यालय, रांची में अपने सभी मूल दस्तावेजों (Original Documents) और उनकी दो सेट स्व-अभिप्रमाणित फोटोकॉपी के साथ उपस्थित हों। यह उपस्थिति दस्तावेज सत्यापन, मेडिकल परीक्षण एवं अन्य औपचारिकताएँ समय पर पूरी करने के लिए अनिवार्य है।

आवश्यक दस्तावेजों की सूची:

ऑनलाइन परीक्षा का एडमिट कार्ड

आधार कार्ड

10वीं एवं 12वीं की अंकतालिका एवं प्रमाण-पत्र

डोमिसाइल (झारखंड राज्य का स्थायी निवास प्रमाण-पत्र)

जाति प्रमाण-पत्र (यदि लागू हो)

चरित्र प्रमाण-पत्र (6 माह से पुराना न हो)

NCC प्रमाण-पत्र और खेल प्रमाण-पत्र (यदि हो तो)

20 पासपोर्ट साइज हालिया रंगीन फोटो (सफेद बैकग्राउंड)

भर्ती रैली के समय जारी सभी दस्तावेज एवं स्लिप

महत्वपूर्ण सूचना

अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि दस्तावेज सत्यापन में अनुपस्थित रहने पर अभ्यर्थिता स्वतः रद्द मान ली जाएगी। इसके साथ ही यह भी सूचित किया गया है कि अग्निवीर जनरल ड्यूटी (GD) एवं ट्रेड्समैन का लिखित परीक्षा परिणाम बहुत शीघ्र घोषित किया जाएगा।

सभी अभ्यर्थियों को नियमित रूप से आधिकारिक वेबसाइट joinindianarmy.nic.in पर अपडेट देखने की सलाह दी गई है।

पर्यटन मंत्री आवास के पास मां-बेटे ने  सुसाइड करने का किया प्रयास, मचा हड़कंप
लखनऊ । राजधानी में खुदकुशी करने वाले आये दिन लखनऊ पहुंच रहे है। बुधवार को मथुरा से पहुंचे मां और बेटे ने पर्यटन मंत्री आवास के पास आत्महत्या करने की कोशिश की। इससे मौके पर हड़कंप मच गया। चूंकि दोनों जहर खाने के बाद सड़क पर तड़प रहे थे। यह देखकर वहां पर तैनात सुरक्षा कर्मियों व राहगीरों के होश उड़ गए और फौरन पुलिस को सूचित किया।

पुलिस ने दोनों को सिबल अस्पताल में कराया भर्ती

आज सुबह लगभग 11:30 बजे, राधारानी टाउनशिप, बरसाना की निवासी  मुनेश सिंह (55 वर्ष) और उनके पुत्र बलजीत सिंह (38 वर्ष) ने कथित प्लॉट विवाद के चलते जहरीला पदार्थ खा लिया।मौके पर स्थिति गंभीर होने लगी, जिससे पुलिस को सूचना दी गई। चौकी इंचार्ज बंदरिया बाग, उप निरीक्षक आदित्य सिंह, मय पुलिस बल तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे और दोनों को तत्काल सिविल अस्पताल ले जाया गया। अस्पताल सूत्रों के अनुसार, दोनों का इलाज चल रहा है और उनकी हालत नाजुक बनी हुई है।

मथुरा जनपद का मामला, प्लॉट पर कब्जा को लेकर है परेशान

जानकारी के अनुसार, विवाद मथुरा में किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा उनके प्लॉट पर कब्जा कर लिया है। इसकी शिकायत स्थानीय स्तर पर पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों से कई बार कर चुकी है लेकिन कहीं पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है। जिसकी वजह से लंबे समय तक मानसिक तनाव और न्याय न मिलने की भावना के कारण मां-बेटे ने यह गंभीर कदम उठाया।जनपद मथुरा पुलिस से भी संपर्क किया जा रहा है और मामले की पूरी जांच शुरू कर दी गई है। प्रशासन और पुलिस ने दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और परिवार को राहत देने के लिए तत्काल कदम उठाए हैं।पुलिस पूरे मामले की छानबीन करने में जुट गई है। परिजनों को भी फोन करके सूचित कर दिया गया है।
. विद्यासागर उपाध्याय : दो नये महाग्रंथों के साथ 20 दार्शनिक कृतियों का दिव्य शिखर
संजीव सिंह बलिया| भारतीय बौद्धिक–परंपरा में समय–समय पर ऐसे मनीषी अवतरित होते रहे हैं, जिनकी सोच केवल अपने युग को नहीं, आने वाली सहस्राब्दियों को दिशा देती है। समकालीन भारत में ऐसा ही एक तेजस्वी नाम है—डॉ. विद्यासागर उपाध्याय, जिनके द्वारा लिखित 20 महत्वपूर्ण ग्रंथ भारतीय दर्शन, समाज–चिंतन और राष्ट्रीय विमर्श के क्षेत्र में अमूल्य योगदान हैं। भारतीय ज्ञानपरंपरा के आकाश में यह तारा अत्यन्त उज्ज्वल हो उठा है, जिसे समकालीन युग “विद्या–सरस्वती का जीवंत पुरुष विस्तार” कहकर श्रद्धा प्रकट करता है। डॉ. उपाध्याय के ग्रंथों की विलक्षणता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि अनेक कृतियाँ 800 पृष्ठों के ज्ञान-हिमालय की तरह खड़ी हैं, जबकि अन्य 300 पृष्ठों में भी “गागर में सागर” भर देती हैं। कई ग्रंथों के मूल्य 1000 रुपये से अधिक होने पर भी पाठकों का अटूट अनुराग, उनकी लेखनी की स्वर्ण-तुल्य गुणवत्ता का प्रमाण है। उनके 100 से अधिक शोध-आलेख देश-विदेश की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। भारतवर्ष के समस्त प्रान्त व अनेक अंतर्राष्ट्रीय बौद्धिक संस्थान उन्हें मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित करते रहे हैं। उनकी ओजस्वी वाणी, व्यापक दृष्टि और विश्लेषण की तीक्ष्णता श्रोताओं पर अमिट छाप छोड़ती है। अब तक उन्हें सैकड़ों राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय सम्मान/उपाधि प्राप्त हैं—जो उनकी प्रज्ञा, तपस्या और दार्शनिक ऊँचाई का प्रमाण है। मात्र 39 वर्ष की आयु में 20 दार्शनिक ग्रंथों का विरल शिखर स्पर्श करने वाले, अंतरराष्ट्रीय वक्ता, मौलिक चिंतक, प्रसिद्ध शिक्षाविद् और शोध-प्रज्ञा के आलोक–पुंज डॉ. विद्यासागर उपाध्याय ने वर्तमान में बौद्धिक-जगत को दो महत् वैचारिक नवीन ग्रंथ सौंपकर आधुनिक भारतीय विमर्श को नए आयाम प्रदान किए हैं। नवप्रकाशित दोनो महाग्रंथ— “सत्य कौन? तिलक अथवा आम्बेडकर! : विलुप्त प्रज्ञा का महाकोष”। और “लॉर्ड मैकाले : नायक अथवा खलनायक?” — पहुँचते ही विद्वत्-समाज में गहन बहस, विचार-मंथन और दार्शनिक पुनर्पाठ का सृजन कर चुके हैं। यह दोनों कृतियाँ ऐसी हैं, मानो भारतीय चिंतनभूमि के लिए दो दीप्तिमान वैचारिक यज्ञाहुतियाँ प्रस्तुत हो गई हों। प्रस्तुत निबंध में मैं इन दोनों ग्रंथों के गहन अध्ययन के आधार पर डॉ. उपाध्याय की शोध–दृष्टि, वैचारिक प्रस्तुति, तर्कप्रणाली और उनके विचार–लोक की व्यापकता का समीक्षात्मक विश्लेषण कर रही हूँ। 1. डॉ. विद्यासागर उपाध्याय : परंपरा और आधुनिकता के अद्वितीय सेतु - अध्ययन के दौरान यह तथ्य स्पष्ट रूप से उभरकर सामने आता है कि डॉ. उपाध्याय न तो परंपरा के अंध–समर्थक हैं और न ही आधुनिकता के अंध–अनुयायी। उनकी लेखनी में परंपरा की आत्मा और आधुनिकता की वैज्ञानिक दृष्टि दोनों साथ–साथ चलती हैं। ऐसे लेखक आज विरले हैं जो प्राचीन भारतीय ग्रंथों—उपनिषदों, धर्मशास्त्रों, न्याय–मीमांसा—की तर्क–शक्ति को आधुनिक राजनीतिक–समाजशास्त्रीय विमर्श के साथ जोड़कर प्रस्तुत करते हों। डॉ. उपाध्याय का यह समन्वय–बोध स्वयं में एक उपलब्धि है। 2. “लॉर्ड मैकाले : नायक अथवा खलनायक?”—इतिहास पर पुनर्विचार का आह्वान - यह एक ऐसी साहसिक बौद्धिक शल्य-क्रिया है, जिसने आधुनिक भारत की शिक्षा-नीति, सांस्कृतिक चेतना और मानसिक रूपांतरण की जटिल परतों को निर्भीकता से उघाड़ दिया है। ग्रंथ में मैकाले की नीतियों के भारतीय मन, सामाजिक ढाँचे और सांस्कृतिक अस्मिता पर पड़े दीर्घकालीन घावों का सुसंगत, निष्पक्ष और अत्यंत मौलिक पुनर्मूल्यांकन किया गया है। लेखक केवल आलोचना नहीं करते, बल्कि उबरने का मार्ग भी प्रदान करते हैं—जो इस कृति की सर्वाधिक विशिष्टता है। वर्तमान भारत में हिन्दी साहित्य के मूर्धन्य विद्वान प्रो. (डॉ.) पुनीत बिसारिया, अधिष्ठाता कला संकाय एवं विभागाध्यक्ष (हिन्दी), बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, इसे “सांस्कृतिक पुनरुत्थान का घोषणापत्र” बताते हुए लिखते हैं कि "डॉ. उपाध्याय की लेखनी इतिहास को केवल तिथियों का दस्तावेज़ नहीं रहने देती, बल्कि भारतीय आत्मा की जीवित आवाज़ बना देती है। न अंधभक्ति, न अंधघृणा—बल्कि संतुलन, तर्क, और भावनात्मक पारदर्शिता—इस कृति को अद्वितीय बनाती है।"इस ग्रंथ का मूल उद्देश्य किसी व्यक्तिविशेष का महिमागान अथवा निंदा करना नहीं, बल्कि मैकाले की शिक्षा–नीति के माध्यम से भारतीय मानसिकता के औपनिवेशिक पुनर्गठन का विश्लेषण करना है। डॉ. उपाध्याय ने यहाँ मात्र इतिहास नहीं बताया; अपितु उन्होंने इतिहास का तर्कसंगत पुनर्पाठ प्रस्तुत किया है। उनका प्रश्न— “क्या अंग्रेज़ी शिक्षा ने भारतीय मन को स्वतंत्र बनाया या परतंत्र?” आज भी प्रासंगिक है। यह पुस्तक न केवल शोधार्थियों के लिए उपयोगी है, बल्कि उन बुद्धिजीवियों के लिए भी अत्यंत आवश्यक है, जो भारतीय शिक्षा–दर्शन की पुनर्स्थापना में रुचि रखते हैं। 3. “सत्य कौन? तिलक अथवा आम्बेडकर!”— विलुप्त प्रज्ञा का वास्तव में महाकोष - यह ग्रंथ आधुनिक भारतीय मनीषा के दो महान विचारकों—लोकमान्य तिलक और डॉ. आम्बेडकर—के विचारों का गहन तुलनात्मक विश्लेषण तो है ही; परंतु इसका वास्तविक वैभव यह है कि इसमें विश्व के चालीस महान दार्शनिकों के दृष्टिकोणों का अद्भुत समन्वय उपस्थित है। बौद्ध दिग्नाग, जैन अकलंकदेव, वेदांती विद्यारण्य, महर्षि रमण, अरविन्द, हेगेल, मेकियावली, एक्विनास, ओशो, स्वामी करपात्री, शोज, फिरदौसी, टैगोर, गाँधी तथा अनगिनत दार्शनिक धाराएँ—सब एक ही वैचारिक पट पर ऐसे संलयित होती हैं, जैसे अनेक पवित्र सरिताएँ अंततः एक ही महासागर में विलीन होती हों। इस वैचारिक महाकोष की मंगल-शुभाशंसा करते हुए आयरलैंड में भारत के राजदूत एवं दर्शन शास्त्र के शीर्ष विद्वान् आई.एफ.एस. डॉ. अखिलेश मिश्र लिखते हैं कि - यह कृति भारतीय ज्ञान-परंपरा के “सत्य–अन्वेषण की अनन्त यात्रा” का अद्भुत दस्तावेज है, जो इन्द्रियातीत सत्ता, आत्मबोध और विश्वमानवता के विराट भाव को पुनर्जीवित करती है। वहीं नेपाल के प्रसिद्ध दार्शनिक विद्यावाचस्पति अजय कुमार झा इसे “विलुप्त प्रज्ञा के पुनरुत्थान का महाग्रंथ” बताते हुए लिखते हैं कि यहाँ झ्वांग-त्ज़ु, बर्द्यायेव, गुरुदास, माइमोनीडीज़, कबीर, रामतीर्थ, पतंजलि और वाचस्पति—सभी के विचार एक ही विश्वदर्शी चेतना में एकाकार हो जाते हैं। यह ग्रंथ डॉ. उपाध्याय की विद्वत्ता का अद्भुत और तेजोमय उदाहरण है जहां उन्होंने तिलक और आम्बेडकर के साथ ही चालीस चिन्तनधाराओं का दार्शनिक, सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक तर्कों का गहन तुलनात्मक विश्लेषण करके गागर में सागर भर दिया है। ऐसा दुर्लभ वैचारिक साहस और व्यापक अध्ययन आज के लेखक–जगत में बहुत कम देखने को मिलता है। ग्रंथ की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि लेखक न तो किसी विचारक का चयनित समर्थन करते हैं, और न ही किसी का पक्षपातपूर्ण खंडन; वे केवल यह पूछते हैं— “सत्य किसके पास है?” यही प्रश्न और उसका प्रामाणिक उत्तर पाठक को विचार–यात्रा पर ले जाता है। 4. शोध–दृष्टि और प्रस्तुति : स्पष्टता, निर्भीकता और तर्क–समृद्धि का समन्वय - डॉ. उपाध्याय की सबसे बड़ी विशेषता है बौद्धिक निर्भीकता। वे जटिल विषयों को सरल बनाकर प्रस्तुत करते हैं, परन्तु सरलता में उथलापन नहीं आने देते। उनके ग्रंथ संदर्भ–समृद्ध, तथ्य–संगत, प्रमाण–निष्ठ और दार्शनिक गहराई से पूर्ण हैं। वाक्य–बंध में साहित्यिक माधुर्य है और तर्क में ऐसी कठोरता जो पाठक को हर पंक्ति पर चिंतन करने को बाध्य करती है। 5. भारतीय चिंतन–जगत में उनका स्थान - समग्रता में देखा जाए तो डॉ. उपाध्याय उन दुर्लभ लेखकों में हैं जो न केवल इतिहास को पुनर्पाठित करते हैं, बल्कि आने वाले कालखंड के लिए विचार–ईंधन भी प्रदान करते हैं। उनके 20 ग्रंथ — दर्शन, समाज, राजनीति, इतिहास, साहित्य— हर क्षेत्र में नवीन दृष्टि का उद्घाटन करते हैं। उनकी लेखनी में ज्ञान की प्रखरता, अध्ययन की व्यापकता, और राष्ट्र–चिंतन की गरिमा स्पष्ट रूप से प्रतिध्वनित होती है। एक अध्येता होने के नाते मैं यह निस्संकोच कह सकती हूँ कि डॉ. विद्यासागर उपाध्याय आज के भारतीय चिंतन–जगत के सबसे प्रभावशाली, सबसे साहसी और सबसे अधिक मौलिक लेखकों में से एक हैं। उनकी नवीनतम कृतियाँ केवल पुस्तकें नहीं— वे विमर्श का आमंत्रण, चिंतन का आलोक, और राष्ट्रीय स्वाभिमान की पुनर्स्मृति हैं। ज्ञान–क्षेत्र में ऐसे तेजस्वी प्रतिभाशाली लेखक का होना भारतीय बौद्धिक परंपरा के लिए एक अत्यंत शुभ संकेत है। दोनों महाग्रंथों के प्रकाशन के साथ यह तथ्य पुनः प्रतिष्ठित हो गया कि डॉ. विद्यासागर उपाध्याय केवल लेखक नहीं, बल्कि भारतीय ज्ञान–परंपरा के जीवंत प्रतिनिधि, मौलिक शोध के अग्रदूत और आधुनिक वैचारिक जगत् के धैर्यवान तपस्वी हैं। उनकी कृतियाँ केवल पठन का विषय नहीं—बल्कि सतत् मनन, विमर्श और आत्मबोध के शाश्वत निमंत्रण हैं। समकालीन भारतीय दर्शन को इन ग्रंथों ने नई ऊँचाई, नई दृष्टि और नया गौरव प्रदान किया है। यह ग्रंथ निस्संदेह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अमर वैचारिक दीपस्तम्भ सिद्ध होंगे। समीक्षक डॉ. मणिकर्णिका (NET, JRF, SRF, Ph.D)
जदयू ने नीतीश तो भाजपा ने सम्राट चौधरी को चुना नेता, दोनों का डिप्टी सीएम बनने का रास्ता साफ

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बिहार में सीएम और डिप्टी सीएम के चेहरे पर फंसा सस्पेंस खत्म हो चुका है। जदयू विधायक दल ने अपना नेता नीतीश कुमार को चुना है। जाहिर है एक बार फिर से नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। वहीं बीजेपी ने फिर से चौंकाया है। विधायक दल के नेता के तौर पर सम्राट चौधरी और उपनेता के लिए विजय सिन्हा का नाम बढ़ा कर बीजेपी ने अघोषित तौर पर दोनों नेताओं को उप मुख्यमंत्री पद के लिए रिपीट कर सभी को चौंका दिया है।

भाजपा विधायक दल की बैठक पर उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और बिहार में विधायक दल के नेता के चुनाव के लिए भाजपा के केंद्रीय पर्यवेक्षक केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, सम्राट चौधरी को निर्वाचित करने का प्रस्ताव किया और भारती जनता पार्टी के विधायक दल ने सर्वसम्मति से सम्राट चौधरी को विधायक दल का नेता चुनने का समर्थन किया है और हमारे उपमुख्यमंत्री के रूप में शानदार काम करने कार्य किया। वह (विजय कुमार सिन्हा) बहुत ही वरिष्ठ नेता है। उनके नाम का भी प्रस्ताव आया है और सर्वसम्मति समर्थन मिला। मैं सम्राट चौधरी को विधायक दल के नेता के रूप में सम्राट चौधरी और उप नेता के रूप में विजय कुमार सिन्हा के नाम का ऐलान करता हूं।

डिप्टी सीएम में कोई बदलाव नहीं

इस फैसले के साथ ही दोनों नेताओं के दोबारा उपमुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया है। भाजपा विधायक दल के नेता सम्राट चौधरी होंगे और विजय कुमार सिन्हा उपनेता बने रहेंगे। इस तरह भाजपा ने बिहार में कोई बदलाव नहीं किया है। पिछले 3 बार से भाजपा डिप्टी सीएम पद पर लगातार बदलाव करती रही है। पिछली बार बीजेपी ने तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी के बदले सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा को डिप्टी सीएम बनाया था। इस बार लग रहा था कि बीजेपी फिर से बदलाव कर सकती है। लेकिन विधायक दल के नेता के तौर पर सम्राट चौधरी और उपनेता के लिए विजय सिन्हा का नाम बढ़ा कर बीजेपी ने फिर से चौंका दिया।

चौधरी और सिन्हा को बरकरार रखने के क्या है मायने?

सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को बरकरार रखने का निर्णय पूरी तरह से बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व, खासकर अमित शाह की रणनीति का परिणाम माना जा रहा है। इसके पीछे का तर्क यह है कि निरंतरता बनाए रखना: सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा ने विपक्ष में रहते हुए और फिर एनडीए की सरकार में डिप्टी सीएम के रूप में पार्टी के लिए सफलतापूर्वक काम किया है। उनकी जोड़ी ने सफलतापूर्वक एनडीए को जीत दिलाई है. ऐसे में अमित शाह ने ‘विनिंग कॉम्बिनेशन’ को बदलने का जोखिम नहीं लिया, ताकि संगठन में किसी तरह की अस्थिरता पैदा न हो।

रामगढ़ जिले में दिशा की बैठक हुआ संपन्न, विकास योजनाओं का हुआ रिव्यू

रामगढ़ ज़िला समाहरणालय सभागार में बुधवार को जिला विकास समन्वय एवं मूल्यांकन समिति (दिशा) की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। समिति के अध्यक्ष एवं सांसद मनीष जायसवाल की अध्यक्षता में संपन्न हुई। इस बैठक में ज़िले में चल रहे विभिन्न विभागों की जनहितकारी और विकास योजनाओं की विस्तृत समीक्षा की गई। पिछली बैठकों में दिए गए निर्देशों की प्रगति पर चर्चा के साथ ही क्षेत्र की ज्वलंत और गंभीर समस्याओं पर भी गहन विचार-विमर्श हुआ।

सांसद मनीष जायसवाल ने बतौर समिति अध्यक्ष योजनाओं के क्रियान्वयन का आकलन किया और भविष्य में जनहित में विकास कार्यों को धरातल पर सुदृढ़ करने की दिशा में उचित दिशा-निर्देश जारी किए।

बैठक में मनरेगा, अंत्योदय योजना, दीनदयाल उपाध्याय ग्राम कौशल योजना, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण एवं शहरी), स्वच्छ भारत मिशन, नेशनल रूरल ड्रिंकिंग वॉटर प्रोग्राम, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, उज्ज्वला योजना, पीएम कौशल विकास योजना, नेशनल हेल्थ मिशन, सर्व शिक्षा अभियान, इंटीग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमें

ट स्कीम (आईसीडीएस ) समेत रेलवे, हाईवे, वाटर वेज, माइंस से संबंधित आधारभूत संरचना निर्माण और प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना जैसी कई महत्वपूर्ण योजनाओं पर चर्चा हुई।

इस दौरान विभिन्न क्षेत्रों के माननीय विधायकों और ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधियों ने जनहित में कई महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए जिन पर संबंधित विभागों को त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए गए।

बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए सांसद मनीष जायसवाल ने विकास कार्यों की धीमी प्रगति पर गहरी चिंता और नाराज़गी व्यक्त की। उन्होंने बताया कि बैठक में ज़िले के विभिन्न विभागों के कार्यों के पैरामीटर की समीक्षा की गई, और यह पाया गया कि पेयजलापूर्ति, कोयला चोरी रोकने और सड़कों के निर्माण की प्रगति पर पिछली दिशा की बैठक में लिए गए निर्णयों के अनुरूप कोई प्रगति नहीं हुई है ।

 विभिन्न विभागों द्वारा पेश किए गए आंकड़े भ्रमजाल वाले थे, जो ज़मीनी हकीकत को सही तरीके से चित्रित नहीं कर रहे थे।

सांसद जायसवाल ने रामगढ़ ज़िला प्रशासन को गंभीर होने और जनहित में विकास योजनाओं का क्रियान्वयन धरातल पर ससमय सुनिश्चित करने को कहा। उन्होंने विभागीय उदासीनता पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह वर्तमान राज्य सरकार की कार्यशैली का एक चेतावनी भरा उदाहरण है, जहां अधिकारी निर्देश के बावजूद सिर्फ आंकड़ों के भ्रमजाल में फंसाने की कोशिश कर रहे हैं, जो कतई बर्दाश्त योग्य नहीं है।

सांसद मनीष जायसवाल ने ज़िले के विकास के लिए पेयजलापूर्ति संबंधित विभाग को अगली बैठक से पहले ज़िले की हरेक योजना का विशेष सर्वे कर शत-प्रतिशत क्रियान्वयन सुनिश्चित करने, ग्रामीण खराब सड़कों पर तत्काल कार्य शुरू करने की दिशा में सकारात्मक पहल की जाने, रामगढ़ ज़िले में व्यापक स्तर पर चल रहे कोयला चोरी को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाने, ज़िले में एम्बुलेंस की सुविधा को सहज बनाए जाने, सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ प्राइवेट हॉस्पिटल में भी नॉर्मल डिलीवरी को बढ़ावा दिए जाने, ज़िले के शत-प्रतिशत आंगनबाड़ी केंद्रों का भवन निर्माण पूरा किए जाने, पेंडिंग पड़े वृद्धा, विधवा, विकलांग और मईया योजना के पेंशनधारियों को तत्काल लाभ दिलाए जाने, प्रधानमंत्री आवास योजना के कार्य को तेज़ी से प्रगति करने, भुरकुंडा के सेंट्रल स्कूल को सुविधा संपन्न बनाने और हाइवे पर चुटूपालू घाटी तथा मांडू में स्ट्रीट लाइट को सुदृढ़ करने का महत्वपूर्ण निर्देश दिया। 

सांसद मनीष जायसवाल ने दोहराया कि बैठक का मुख्य उद्देश्य यही रहा कि सरकार द्वारा संचालित जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ क्षेत्र के अंतिम व्यक्ति तक सुनिश्चित हो सके।

बैठक में रामगढ़ विधायक ममता देवी, बड़कागांव विधायक रोशन लाल चौधरी, मांडू विधायक निर्मल महतो उर्फ़ तिवारी महतो, ज़िला परिषद अध्यक्ष सुधा देवी, रामगढ़ के उपायुक्त सह समिति के सचिव फैज़ अक अहमद मुमताज़, उप विकास आयुक्त आशीष अग्रवाल, रामगढ़ जिला सांसद प्रतिनिधि राजीव जायसवाल सहित ज़िले के विभिन्न प्रखंडों के प्रमुखगण, तथा रामगढ़, दुलमी, चितरपुर, गोला, मांडू और पतरातु प्रखंड के चयनित मुखिया सह समिति सदस्यगण विशेष रूप से उपस्थित रहे।

*घरेलू सिलेंडरों पर विभाग की ‘चयनात्मक’ कार्रवाई पर उठ रहे सवाल*, *हलवाई कि दुकानों पर क्यों नहीं जाँच*:

मेरठ। शहर में घरेलू गैस सिलेंडरों के अवैध उपयोग पर विभाग की कार्रवाई अब सवालों के घेरे में है। कुछ चुनिंदा स्थानों पर छापेमारी के बाद ऐसा लग रहा है कि विभाग की सक्रियता एक-दो मामलों तक ही सीमित रह गई है, जबकि पूरे शहर में इस खतरे का दायरा कहीं बड़ा है।

हरिया लस्सी पर कार्रवाई, लेकिन बाकी शहर क्यों सुरक्षित?

बीते दिनों लालकुर्ती स्थित हरिया लस्सी पर घरेलु सिलेंडरों के गलत उपयोग को लेकर विभाग ने कार्रवाई करते हुए सिलेंडर जब्त किए। लेकिन इसके बाद विभाग की गतिविधियां अचानक सुस्त पड़ती दिखाई दे रही हैं। सवाल यह उठ रहा है कि एक दुकान पर कार्रवाई कर देना क्या पूरे शहर को सुरक्षित कर देता है? सेंट्रल मार्किट और गुरुद्वारा रोड पर घरेलू सिलेंडरों का खुलेआम इस्तेमाल :

शास्त्रीनगर सेंट्रल मार्किट और गुरुद्वारा रोड पर अधिकांश फास्ट फूड के ठेले, चाट-स्टॉल और हलवाई की दुकानों में खुलेआम घरेलू सिलेंडरों का उपयोग किया जा रहा है। ये सिलेंडर सिर्फ घरेलू उपयोग के लिए अधिकृत हैं, ऐसे में बाजारों में चल रहा यह प्रयोग न सिर्फ अवैध है बल्कि कभी भी बड़ा हादसा कराने की क्षमता रखता है। साथ हीं सूरजकुंड पार्क के पास लगने वाले ठेलों पर विभाग की नजर क्यों नहीं? ये भी एक सवाल है! सूरजकुंड पार्क के पास शाम होते ही दर्जनों ठेले सजते हैं, जहां खानपान का कारोबार घरेलू सिलेंडरों पर ही चलता है। यहां भी स्थिति कम खतरनाक नहीं है। स्थानीय लोगों का कहना है कि विभागीय अधिकारी कई बार इस रास्ते से गुजरते हैं, लेकिन कार्रवाई शून्य है।

क्या विभाग शिकायत का इंतजार करता है?

सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या विभाग स्वयं सघन जांच करेगा या फिर सिर्फ शिकायत आने पर ही एक्टिव होगा? यदि शिकायत-आधारित कार्रवाई ही होनी है, तो शहर में फैल रहे इस गैस-खतरे को रोकना असंभव हो जाएगा।

लोगों का कहना है कि विभाग को चाहिए कि—

सभी बाजारों में सघन अभियान चलाए,

अवैध सिलेंडर उपयोग करने वालों को चेतावनी के साथ नोटिस जारी करे,

और बार-बार दोहराने वालों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए।

घरेलू सिलेंडरों का व्यावसायिक उपयोग सिर्फ अवैध नहीं, बल्कि लोगों की जान से खिलवाड़ है। विभाग को चाहिए कि एक-दो जगह की औपचारिक कार्रवाई के बजाय पूरे शहर में समान रूप से जांच अभियान चलाए, ताकि किसी बड़े हादसे को होने से रोका जा सके।

अंबा स्टील फैक्ट्री के बाहर केटर चालक कफिल पर जानलेवा हमला, सिर फटा—

आशीष कुमार

मुजफ्फरनगर। मन्सूरपुर थाना क्षेत्र के जड़ौदा अहे के पास स्थित अंबा स्टील फैक्ट्री के बाहर मंगलवार शाम केटर चालक पर हुए हमले से हड़कंप मच गया। फैक्ट्री में माल भरने आए केटर चालक कफिल पुत्र हमीद निवासी ग्राम सुजडू (थाना खालापार) को तीन युवकों ने लाठी-डंडों और लोहे की शैठ से बुरी तरह पीट कर गंभीर रूप से घायल कर दिया।

जानकारी के अनुसार कफिल अपनी केटर UP13CT1352 लेकर फैक्ट्री पर माल भरने पहुंचा था। इसी दौरान गोबिस पुत्र मीरहसन निवासी ग्राम सधावली, थाना मन्सूरपुर, अपनी गाड़ी लेकर वहां आया और कथित रूप से उसने अपनी गाड़ी कफिल की केटर में टकरा दी। टक्कर से केटर को भारी नुकसान हुआ। कफिल द्वारा गोबिस से भरपाई की मांग करने पर विवाद बढ़ गया।

आरोप है कि मौके पर मौजूद मोनिस ने गाली-गलौज शुरू कर दी और जान से मारने की धमकी देते हुए अपने साथियों को बुला लिया। कुछ ही देर में मोनिस, गोबिस और उनका तीसरा साथी लाठी, उन्ना और लोहे की शैठ लेकर कफिल पर टूट पड़े। हमले के दौरान लोहे की शैठ कफिल के सिर पर लगने से वह जमीन पर गिर पड़ा। गंभीर चोट के बावजूद आरोपी धमकाते हुए मौके से फरार हो गए।

घटना के बाद वहां मौजूद लोग, मिलान सुपरवाइजर राहुल (डॉ. मुनाजर फुरकान के) तथा साथी पहलवान ने घायल कफिल को अस्पताल पहुंचाया। परिजनों व साथियों ने बताया कि हमलावर पहले भी दबंगई कर चुके हैं और जान से मारने की धमकियां देते रहते हैं।

घायल कफिल की ओर से मन्सूरपुर थाने में तहरीर देकर तीनों आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की गई है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

गड्ढो का पानी पीने को मजबूर. बुनियादी सुविधाओ के अभाव से ग्रामीण परेशान।

संजय द्विवेदी प्रयागराज।यमुनानगर अन्तर्गत मेजा क्षेत्र सिलौधी और सिरहीर गांव के पहाड़ी इलाको में जीवन आज भी संघर्ष का पर्याय बना हुआ है।यहां के ग्रामीणों को सबसे बड़ी समस्या साफ पेयजल की है। आधुनिक दौर में जब सरकारे हर घर नल जल योजना, पाइपलाइन टैंक और शुद्ध पानी उपलब्ध कराने का दावा करती है वही मेजा की पहाड़ियों पर रहने वाले हजारों लोग आज भी गड्ढों और प्राकृतिक जलस्रोतो में जमा हुए पानी से अपनी प्यास बुझाने को मजबूर है।यह तस्वीर विकास के सरकारी दावों पर बड़ा सवाल खड़ा करती है।स्थानीय ग्रामीण बताते हैं कि वर्षों पहले जब कोई व्यवस्था नहीं थी तब लोग गड्ढो पोखरो और तालाबो का ही सहारा लेते थे लेकिन समय बदलने के बावजूद आज भी हालात जस के तस बने हुए है।बरसात का पानी पहाड़ी चट्टानो के बीच बने गड्ढों में भर जाता है और वही धीरे-धीरे महीनो तक जमा रहता है। इसी गंदे और प्रदूषित पानी का उपयोग ग्रामीण पीने नहाने और जानवरों को पिलाने तक के लिए करते है।साफ पानी की सुविधा न होने से ग्रामीण न चाहते हुए भी इसी पर निर्भर रहने को मजबूर है।गांव के निवासी रामचरन बताते है सरकार कहती है कि हर घर नल से पानी मिलेगा लेकिन हमारी पहाड़ियो पर न कोई पाइपलाइन बिछी और न ही कोई टंकी बनी।हम आज भी गड्ढों का पानी पीते है।बीमार हों तो अस्पताल भी दूर है।वही शारदा देवी कहती है “बरसात में पानी भर जाता है वही पी लेते हैं। सूखे के दिनों में पानी के लिए मीलो चलना पड़ता है। कई बार बच्चे पेट दर्द, उल्टी-दस्त से बीमार पड़ जाते है।ग्रामीणो का कहना है कि पहाड़ी क्षेत्रों में विकास कार्यों को हमेशा पीछे कर दिया जाता है। न पेयजल की योजना लागू होती है न सड़के बन पाती हैं। कई बार स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियो को शिकायत की गई, लेकिन अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिला है। लोगों में नाराजगी इस बात को लेकर भी है कि क्षेत्र के बारे में योजनाएं तो बनती हैं, लेकिन क्रियान्वयन शून्य रहता है।ग्राम प्रधान और सामाजिक कार्यकर्ता भी मानते है कि यदि पहाड़ी इलाके में जल्द ही स्थायी पेयजल व्यवस्था नही की गई तो आने वाले दिनों में गंभीर स्वास्थ्य संकट उत्पन्न हो सकता है।उन्होंने मांग की है कि यहां हैंडपंप ट्यूबवेल टंकी और पाइपलाइन की व्यवस्था की जाए, ताकि ग्रामीणों को गंदा पानी पीने से मुक्ति मिल सके।मेजा क्षेत्र की यह तस्वीर बताती है कि विकास के दावे और वास्तविकता में कितना बड़ा अंतर है।आज भी कई गांव बुनियादी सुविधाओ से वंचित है और ग्रामीण अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रकृति के भरोसे ही जीने को मजबूर हैं।

सोनभद्र खनन हादसा: 7 शव बरामद, दर्जन भर फंसे! मजदूर नेता मंगल तिवारी ने सीएम योगी से की भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों जांच की मांग

सोनभद्र। उत्तर प्रदेश: सोनभद्र जिले के बिल्ली-मारकुण्डी घाटी में बीते शनिवार को हुए भयंकर खनन हादसे ने प्रदेश में श्रमिकों की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस हृदय विदारक दुर्घटना में बचाव दल द्वारा अब तक 7 मजदूर मृतकों के शव बरामद किए जा चुके हैं, जबकि अभी भी लगभग एक दर्जन मजदूरों के मलबे में फंसे होने की आशंका व्यक्त की जा रही है।

हादसे पर गहरा दुःख व्यक्त करते हुए, मजदूर नेता एवं वरिष्ठ पत्रकार मंगल तिवारी ने इस मामले में गहन जांच की मांग उठाते हुए बड़ा बयान दिया है। उन्होंने सीधे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को संबोधित करते हुए एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने खदानों में होने वाले श्रमिकों की मौत की गहराई से जांच कराने तथा खनन कारोबारियों से लगाए संबंधित विभाग एवं संलिप्त लोगों की संपत्तियों की जांच की मांग की है।

सीएम योगी को पत्र में मुख्य मांगें

मिर्ज़ापुर असंगठित कामगार यूनियन (माकू यूनियन) के महामंत्री मंगल तिवारी ने मुख्यमंत्री से निवेदन भरे शब्दों में कहा है कि यदि उनके प्रत्यक्ष नियंत्रण वाले मंत्रालय में भी कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से भ्रष्टाचार तथा अपने पद एवं दायित्वों के प्रति घोर लापरवाही बरती जा रही है, तो अन्य मंत्रालयों की स्थिति का अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है।

माकू यूनियन ने उत्तर प्रदेश सरकार की शून्य सहनशीलता (Zero Tolerance) नीति पर पूर्ण विश्वास व्यक्त करते हुए निम्नलिखित निष्पक्ष जांचों की मांग की है:

 दोषी अधिकारियों की जांच: खनन विभाग के संबंधित अधिकारी, स्थानीय पुलिस अधिकारी, सहायक निदेशक कारखाना (ADF) तथा श्रम विभाग के संबंधित मॉनिटरिंग अधिकारी (सहायक श्रमायुक्त, उप श्रमायुक्त) की भूमिका एवं दायित्वों की निष्पक्ष जांच कराई जाए।

 संपत्ति की विस्तृत जांच: दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों एवं लीज धारकों की संपत्ति की विस्तृत जांच की जाए।

 स्वतंत्र एजेंसी से जांच: इस घटना सहित विगत दो वर्षों में खनन क्षेत्र में मजदूरों के साथ हुई दुर्घटनाओं एवं मौतों की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाए।एनजीटी मानकों पर जांच: मिर्जापुर-सोनभद्र के सभी खनन पट्टों की एनजीटी (NGT) के मानकों के तर्ज पर जांच कराई जाए।

 समान आर्थिक सहायता: सभी दिवंगत श्रमिक आश्रितों को एक समान आर्थिक सहायता मिले।

"यह परिस्थिति शासन-प्रशासन की निगरानी व्यवस्था पर गंभीर प्रश्नचिह्न उत्पन्न करती है।"

मंगल तिवारी, मजदूर नेता एवं वरिष्ठ पत्रकार

भविष्य के लिए बड़े आंदोलन की चेतावनी

मंगल तिवारी ने बताया कि माकू यूनियन श्रमिकों के लिए पूर्ण रूप से समर्पित संगठन है, जिसका एकमात्र लक्ष्य श्रमिकों और उनके परिवार का उत्थान, उनको मान सम्मान और अधिकार दिलाना है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि यूनियन का उद्देश्य केवल इतना है कि प्रदेश में कार्यरत श्रमिक भाइयों को सुरक्षा का अधिकार मिले तथा इस भीषण घटना में मारे गए श्रमिकों के परिजनों को शीघ्र न्याय मिल सके।

मंगल तिवारी ने बड़ी चेतावनी देते हुए कहा है कि जल्द ही सोनभद्र जिले में श्रमिकों के हक अधिकारों को लेकर एक बड़ा आंदोलन खड़ा किया जाएगा, ताकि प्रति वर्ष खदानों में खाक होती मजदूरों की जिंदगी को बचाया जा सके और उन पूँजिपतियों से लेकर सफेदपोशों के कारनामों का भी खुलासा किया जा सके जो इन मजदूरों के कंधों का उपयोग कर अपने लिए सुख-सुविधाएं तो बना लेते हैं लेकिन मजदूरों की जिंदगी जस की तस ही बनी रह जाती है।

Sambhal हसीना बेगम हॉस्पिटल में मोतियाबिंद के मरीजों के लिए फ्री ऑपरेशन कैंप, आई ओपीडी की भी हुई शुरुआत

हसीना बेगम हॉस्पिटल में बुधवार को नेत्र रोग विभाग की ओर से मोतियाबिंद के मरीजों के लिए लगाया गया, जिसमें आयुष्मान कार्ड धारकों को निःशुल्क ऑपरेशन कैंप का सफल आयोजन किया गया। नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. तनुज ने बताया कि कैंप में एक दर्जन से अधिक मरीजों का आधुनिक तकनीक टॉपिकल एनेस्थीसिया से ऑपरेशन किया गया। यह प्रक्रिया पूरी तरह बिना टांका, बिना इंजेक्शन और बिना पट्टी के की जाती है, जिससे मरीज को किसी प्रकार के दर्द का सामना नहीं करना पड़ता। ऑपरेशन के बाद मरीज अगले ही दिन से टीवी, कंप्यूटर, मोबाइल और सामान्य कार्य कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि आयुष्मान कार्ड धारकों के लिए यह सेवा पूरी तरह निःशुल्क है और हफ्ते में एक बार ऐसे कैंप आयोजित किए जाएंगे। प्राइवेट मरीजों का भी इसी विधि से इलाज उपलब्ध रहेगा।

इसी के साथ आज हसीना बेगम हॉस्पिटल में आई ओपीडी की भी औपचारिक शुरुआत की गई।डॉ. गौरव ने बताया कि पहले ही दिन एक दर्जन से अधिक मोतियाबिंद ऑपरेशन प्रस्तावित हैं। उन्होंने कहा कि आयुष्मान कार्ड वाले मरीजों से किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जा रहा है। मरीज बिना इंजेक्शन, बिना पट्टी और बिना किसी बड़े चीरे के केवल कुछ मिनटों में ऑपरेशन करा सकेंगे। सभी सर्जरी एडवांस मशीनों और आधुनिक तकनीक के माध्यम से की जा रही हैं। डॉ. गौरव ने बताया कि हॉस्पिटल में आयुष्मान योजना के तहत सभी प्रकार की नेत्र संबंधी सेवाएं उपलब्ध हैं। वहीं, डॉ. कुमार संभव कैंप में आने वाले मरीजों को अटेंड कर रहे हैं।

अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि आगे भी जनता की सुविधा के लिए नियमित रूप से ऐसे विशेष कैंप आयोजित किए जाएंगे, ताकि ज्यादा से ज्यादा मरीजों को लाभ मिल सके। हसीना बेगम हॉस्पिटल में आयुष्मान कार्ड के अंतर्गत अन्य तरह के मरीज का इलाज भी किया जाता है।

अग्निवीर भर्ती: नर्सिंग असिस्टेंट (NA) और क्लर्क/SKT लिखित परीक्षा परिणाम घोषित; ARO रांची ने चयनित अभ्यर्थियों को तुरंत दस्तावेज सत्यापन के लिए

रांची: आर्मी भर्ती कार्यालय, रांची द्वारा अग्निपथ योजना के तहत आयोजित अग्निवीर नर्सिंग असिस्टेंट (NA) और अग्निवीर क्लर्क/स्टोर कीपर टेक्निकल (SKT) पदों की भर्ती के लिए कॉमन एंट्रेंस एग्जामिनेशन (CEE) के परिणाम आज आधिकारिक वेबसाइट पर घोषित कर दिए गए हैं।

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दस्तावेज सत्यापन के लिए तत्काल रिपोर्ट करें

चयनित सभी अभ्यर्थियों को सूचित किया गया है कि वे बिना देरी किए निर्धारित तिथि एवं समय पर आर्मी भर्ती कार्यालय, रांची में अपने सभी मूल दस्तावेजों (Original Documents) और उनकी दो सेट स्व-अभिप्रमाणित फोटोकॉपी के साथ उपस्थित हों। यह उपस्थिति दस्तावेज सत्यापन, मेडिकल परीक्षण एवं अन्य औपचारिकताएँ समय पर पूरी करने के लिए अनिवार्य है।

आवश्यक दस्तावेजों की सूची:

ऑनलाइन परीक्षा का एडमिट कार्ड

आधार कार्ड

10वीं एवं 12वीं की अंकतालिका एवं प्रमाण-पत्र

डोमिसाइल (झारखंड राज्य का स्थायी निवास प्रमाण-पत्र)

जाति प्रमाण-पत्र (यदि लागू हो)

चरित्र प्रमाण-पत्र (6 माह से पुराना न हो)

NCC प्रमाण-पत्र और खेल प्रमाण-पत्र (यदि हो तो)

20 पासपोर्ट साइज हालिया रंगीन फोटो (सफेद बैकग्राउंड)

भर्ती रैली के समय जारी सभी दस्तावेज एवं स्लिप

महत्वपूर्ण सूचना

अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि दस्तावेज सत्यापन में अनुपस्थित रहने पर अभ्यर्थिता स्वतः रद्द मान ली जाएगी। इसके साथ ही यह भी सूचित किया गया है कि अग्निवीर जनरल ड्यूटी (GD) एवं ट्रेड्समैन का लिखित परीक्षा परिणाम बहुत शीघ्र घोषित किया जाएगा।

सभी अभ्यर्थियों को नियमित रूप से आधिकारिक वेबसाइट joinindianarmy.nic.in पर अपडेट देखने की सलाह दी गई है।

पर्यटन मंत्री आवास के पास मां-बेटे ने  सुसाइड करने का किया प्रयास, मचा हड़कंप
लखनऊ । राजधानी में खुदकुशी करने वाले आये दिन लखनऊ पहुंच रहे है। बुधवार को मथुरा से पहुंचे मां और बेटे ने पर्यटन मंत्री आवास के पास आत्महत्या करने की कोशिश की। इससे मौके पर हड़कंप मच गया। चूंकि दोनों जहर खाने के बाद सड़क पर तड़प रहे थे। यह देखकर वहां पर तैनात सुरक्षा कर्मियों व राहगीरों के होश उड़ गए और फौरन पुलिस को सूचित किया।

पुलिस ने दोनों को सिबल अस्पताल में कराया भर्ती

आज सुबह लगभग 11:30 बजे, राधारानी टाउनशिप, बरसाना की निवासी  मुनेश सिंह (55 वर्ष) और उनके पुत्र बलजीत सिंह (38 वर्ष) ने कथित प्लॉट विवाद के चलते जहरीला पदार्थ खा लिया।मौके पर स्थिति गंभीर होने लगी, जिससे पुलिस को सूचना दी गई। चौकी इंचार्ज बंदरिया बाग, उप निरीक्षक आदित्य सिंह, मय पुलिस बल तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे और दोनों को तत्काल सिविल अस्पताल ले जाया गया। अस्पताल सूत्रों के अनुसार, दोनों का इलाज चल रहा है और उनकी हालत नाजुक बनी हुई है।

मथुरा जनपद का मामला, प्लॉट पर कब्जा को लेकर है परेशान

जानकारी के अनुसार, विवाद मथुरा में किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा उनके प्लॉट पर कब्जा कर लिया है। इसकी शिकायत स्थानीय स्तर पर पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों से कई बार कर चुकी है लेकिन कहीं पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है। जिसकी वजह से लंबे समय तक मानसिक तनाव और न्याय न मिलने की भावना के कारण मां-बेटे ने यह गंभीर कदम उठाया।जनपद मथुरा पुलिस से भी संपर्क किया जा रहा है और मामले की पूरी जांच शुरू कर दी गई है। प्रशासन और पुलिस ने दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और परिवार को राहत देने के लिए तत्काल कदम उठाए हैं।पुलिस पूरे मामले की छानबीन करने में जुट गई है। परिजनों को भी फोन करके सूचित कर दिया गया है।
. विद्यासागर उपाध्याय : दो नये महाग्रंथों के साथ 20 दार्शनिक कृतियों का दिव्य शिखर
संजीव सिंह बलिया| भारतीय बौद्धिक–परंपरा में समय–समय पर ऐसे मनीषी अवतरित होते रहे हैं, जिनकी सोच केवल अपने युग को नहीं, आने वाली सहस्राब्दियों को दिशा देती है। समकालीन भारत में ऐसा ही एक तेजस्वी नाम है—डॉ. विद्यासागर उपाध्याय, जिनके द्वारा लिखित 20 महत्वपूर्ण ग्रंथ भारतीय दर्शन, समाज–चिंतन और राष्ट्रीय विमर्श के क्षेत्र में अमूल्य योगदान हैं। भारतीय ज्ञानपरंपरा के आकाश में यह तारा अत्यन्त उज्ज्वल हो उठा है, जिसे समकालीन युग “विद्या–सरस्वती का जीवंत पुरुष विस्तार” कहकर श्रद्धा प्रकट करता है। डॉ. उपाध्याय के ग्रंथों की विलक्षणता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि अनेक कृतियाँ 800 पृष्ठों के ज्ञान-हिमालय की तरह खड़ी हैं, जबकि अन्य 300 पृष्ठों में भी “गागर में सागर” भर देती हैं। कई ग्रंथों के मूल्य 1000 रुपये से अधिक होने पर भी पाठकों का अटूट अनुराग, उनकी लेखनी की स्वर्ण-तुल्य गुणवत्ता का प्रमाण है। उनके 100 से अधिक शोध-आलेख देश-विदेश की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। भारतवर्ष के समस्त प्रान्त व अनेक अंतर्राष्ट्रीय बौद्धिक संस्थान उन्हें मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित करते रहे हैं। उनकी ओजस्वी वाणी, व्यापक दृष्टि और विश्लेषण की तीक्ष्णता श्रोताओं पर अमिट छाप छोड़ती है। अब तक उन्हें सैकड़ों राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय सम्मान/उपाधि प्राप्त हैं—जो उनकी प्रज्ञा, तपस्या और दार्शनिक ऊँचाई का प्रमाण है। मात्र 39 वर्ष की आयु में 20 दार्शनिक ग्रंथों का विरल शिखर स्पर्श करने वाले, अंतरराष्ट्रीय वक्ता, मौलिक चिंतक, प्रसिद्ध शिक्षाविद् और शोध-प्रज्ञा के आलोक–पुंज डॉ. विद्यासागर उपाध्याय ने वर्तमान में बौद्धिक-जगत को दो महत् वैचारिक नवीन ग्रंथ सौंपकर आधुनिक भारतीय विमर्श को नए आयाम प्रदान किए हैं। नवप्रकाशित दोनो महाग्रंथ— “सत्य कौन? तिलक अथवा आम्बेडकर! : विलुप्त प्रज्ञा का महाकोष”। और “लॉर्ड मैकाले : नायक अथवा खलनायक?” — पहुँचते ही विद्वत्-समाज में गहन बहस, विचार-मंथन और दार्शनिक पुनर्पाठ का सृजन कर चुके हैं। यह दोनों कृतियाँ ऐसी हैं, मानो भारतीय चिंतनभूमि के लिए दो दीप्तिमान वैचारिक यज्ञाहुतियाँ प्रस्तुत हो गई हों। प्रस्तुत निबंध में मैं इन दोनों ग्रंथों के गहन अध्ययन के आधार पर डॉ. उपाध्याय की शोध–दृष्टि, वैचारिक प्रस्तुति, तर्कप्रणाली और उनके विचार–लोक की व्यापकता का समीक्षात्मक विश्लेषण कर रही हूँ। 1. डॉ. विद्यासागर उपाध्याय : परंपरा और आधुनिकता के अद्वितीय सेतु - अध्ययन के दौरान यह तथ्य स्पष्ट रूप से उभरकर सामने आता है कि डॉ. उपाध्याय न तो परंपरा के अंध–समर्थक हैं और न ही आधुनिकता के अंध–अनुयायी। उनकी लेखनी में परंपरा की आत्मा और आधुनिकता की वैज्ञानिक दृष्टि दोनों साथ–साथ चलती हैं। ऐसे लेखक आज विरले हैं जो प्राचीन भारतीय ग्रंथों—उपनिषदों, धर्मशास्त्रों, न्याय–मीमांसा—की तर्क–शक्ति को आधुनिक राजनीतिक–समाजशास्त्रीय विमर्श के साथ जोड़कर प्रस्तुत करते हों। डॉ. उपाध्याय का यह समन्वय–बोध स्वयं में एक उपलब्धि है। 2. “लॉर्ड मैकाले : नायक अथवा खलनायक?”—इतिहास पर पुनर्विचार का आह्वान - यह एक ऐसी साहसिक बौद्धिक शल्य-क्रिया है, जिसने आधुनिक भारत की शिक्षा-नीति, सांस्कृतिक चेतना और मानसिक रूपांतरण की जटिल परतों को निर्भीकता से उघाड़ दिया है। ग्रंथ में मैकाले की नीतियों के भारतीय मन, सामाजिक ढाँचे और सांस्कृतिक अस्मिता पर पड़े दीर्घकालीन घावों का सुसंगत, निष्पक्ष और अत्यंत मौलिक पुनर्मूल्यांकन किया गया है। लेखक केवल आलोचना नहीं करते, बल्कि उबरने का मार्ग भी प्रदान करते हैं—जो इस कृति की सर्वाधिक विशिष्टता है। वर्तमान भारत में हिन्दी साहित्य के मूर्धन्य विद्वान प्रो. (डॉ.) पुनीत बिसारिया, अधिष्ठाता कला संकाय एवं विभागाध्यक्ष (हिन्दी), बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, इसे “सांस्कृतिक पुनरुत्थान का घोषणापत्र” बताते हुए लिखते हैं कि "डॉ. उपाध्याय की लेखनी इतिहास को केवल तिथियों का दस्तावेज़ नहीं रहने देती, बल्कि भारतीय आत्मा की जीवित आवाज़ बना देती है। न अंधभक्ति, न अंधघृणा—बल्कि संतुलन, तर्क, और भावनात्मक पारदर्शिता—इस कृति को अद्वितीय बनाती है।"इस ग्रंथ का मूल उद्देश्य किसी व्यक्तिविशेष का महिमागान अथवा निंदा करना नहीं, बल्कि मैकाले की शिक्षा–नीति के माध्यम से भारतीय मानसिकता के औपनिवेशिक पुनर्गठन का विश्लेषण करना है। डॉ. उपाध्याय ने यहाँ मात्र इतिहास नहीं बताया; अपितु उन्होंने इतिहास का तर्कसंगत पुनर्पाठ प्रस्तुत किया है। उनका प्रश्न— “क्या अंग्रेज़ी शिक्षा ने भारतीय मन को स्वतंत्र बनाया या परतंत्र?” आज भी प्रासंगिक है। यह पुस्तक न केवल शोधार्थियों के लिए उपयोगी है, बल्कि उन बुद्धिजीवियों के लिए भी अत्यंत आवश्यक है, जो भारतीय शिक्षा–दर्शन की पुनर्स्थापना में रुचि रखते हैं। 3. “सत्य कौन? तिलक अथवा आम्बेडकर!”— विलुप्त प्रज्ञा का वास्तव में महाकोष - यह ग्रंथ आधुनिक भारतीय मनीषा के दो महान विचारकों—लोकमान्य तिलक और डॉ. आम्बेडकर—के विचारों का गहन तुलनात्मक विश्लेषण तो है ही; परंतु इसका वास्तविक वैभव यह है कि इसमें विश्व के चालीस महान दार्शनिकों के दृष्टिकोणों का अद्भुत समन्वय उपस्थित है। बौद्ध दिग्नाग, जैन अकलंकदेव, वेदांती विद्यारण्य, महर्षि रमण, अरविन्द, हेगेल, मेकियावली, एक्विनास, ओशो, स्वामी करपात्री, शोज, फिरदौसी, टैगोर, गाँधी तथा अनगिनत दार्शनिक धाराएँ—सब एक ही वैचारिक पट पर ऐसे संलयित होती हैं, जैसे अनेक पवित्र सरिताएँ अंततः एक ही महासागर में विलीन होती हों। इस वैचारिक महाकोष की मंगल-शुभाशंसा करते हुए आयरलैंड में भारत के राजदूत एवं दर्शन शास्त्र के शीर्ष विद्वान् आई.एफ.एस. डॉ. अखिलेश मिश्र लिखते हैं कि - यह कृति भारतीय ज्ञान-परंपरा के “सत्य–अन्वेषण की अनन्त यात्रा” का अद्भुत दस्तावेज है, जो इन्द्रियातीत सत्ता, आत्मबोध और विश्वमानवता के विराट भाव को पुनर्जीवित करती है। वहीं नेपाल के प्रसिद्ध दार्शनिक विद्यावाचस्पति अजय कुमार झा इसे “विलुप्त प्रज्ञा के पुनरुत्थान का महाग्रंथ” बताते हुए लिखते हैं कि यहाँ झ्वांग-त्ज़ु, बर्द्यायेव, गुरुदास, माइमोनीडीज़, कबीर, रामतीर्थ, पतंजलि और वाचस्पति—सभी के विचार एक ही विश्वदर्शी चेतना में एकाकार हो जाते हैं। यह ग्रंथ डॉ. उपाध्याय की विद्वत्ता का अद्भुत और तेजोमय उदाहरण है जहां उन्होंने तिलक और आम्बेडकर के साथ ही चालीस चिन्तनधाराओं का दार्शनिक, सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक तर्कों का गहन तुलनात्मक विश्लेषण करके गागर में सागर भर दिया है। ऐसा दुर्लभ वैचारिक साहस और व्यापक अध्ययन आज के लेखक–जगत में बहुत कम देखने को मिलता है। ग्रंथ की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि लेखक न तो किसी विचारक का चयनित समर्थन करते हैं, और न ही किसी का पक्षपातपूर्ण खंडन; वे केवल यह पूछते हैं— “सत्य किसके पास है?” यही प्रश्न और उसका प्रामाणिक उत्तर पाठक को विचार–यात्रा पर ले जाता है। 4. शोध–दृष्टि और प्रस्तुति : स्पष्टता, निर्भीकता और तर्क–समृद्धि का समन्वय - डॉ. उपाध्याय की सबसे बड़ी विशेषता है बौद्धिक निर्भीकता। वे जटिल विषयों को सरल बनाकर प्रस्तुत करते हैं, परन्तु सरलता में उथलापन नहीं आने देते। उनके ग्रंथ संदर्भ–समृद्ध, तथ्य–संगत, प्रमाण–निष्ठ और दार्शनिक गहराई से पूर्ण हैं। वाक्य–बंध में साहित्यिक माधुर्य है और तर्क में ऐसी कठोरता जो पाठक को हर पंक्ति पर चिंतन करने को बाध्य करती है। 5. भारतीय चिंतन–जगत में उनका स्थान - समग्रता में देखा जाए तो डॉ. उपाध्याय उन दुर्लभ लेखकों में हैं जो न केवल इतिहास को पुनर्पाठित करते हैं, बल्कि आने वाले कालखंड के लिए विचार–ईंधन भी प्रदान करते हैं। उनके 20 ग्रंथ — दर्शन, समाज, राजनीति, इतिहास, साहित्य— हर क्षेत्र में नवीन दृष्टि का उद्घाटन करते हैं। उनकी लेखनी में ज्ञान की प्रखरता, अध्ययन की व्यापकता, और राष्ट्र–चिंतन की गरिमा स्पष्ट रूप से प्रतिध्वनित होती है। एक अध्येता होने के नाते मैं यह निस्संकोच कह सकती हूँ कि डॉ. विद्यासागर उपाध्याय आज के भारतीय चिंतन–जगत के सबसे प्रभावशाली, सबसे साहसी और सबसे अधिक मौलिक लेखकों में से एक हैं। उनकी नवीनतम कृतियाँ केवल पुस्तकें नहीं— वे विमर्श का आमंत्रण, चिंतन का आलोक, और राष्ट्रीय स्वाभिमान की पुनर्स्मृति हैं। ज्ञान–क्षेत्र में ऐसे तेजस्वी प्रतिभाशाली लेखक का होना भारतीय बौद्धिक परंपरा के लिए एक अत्यंत शुभ संकेत है। दोनों महाग्रंथों के प्रकाशन के साथ यह तथ्य पुनः प्रतिष्ठित हो गया कि डॉ. विद्यासागर उपाध्याय केवल लेखक नहीं, बल्कि भारतीय ज्ञान–परंपरा के जीवंत प्रतिनिधि, मौलिक शोध के अग्रदूत और आधुनिक वैचारिक जगत् के धैर्यवान तपस्वी हैं। उनकी कृतियाँ केवल पठन का विषय नहीं—बल्कि सतत् मनन, विमर्श और आत्मबोध के शाश्वत निमंत्रण हैं। समकालीन भारतीय दर्शन को इन ग्रंथों ने नई ऊँचाई, नई दृष्टि और नया गौरव प्रदान किया है। यह ग्रंथ निस्संदेह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अमर वैचारिक दीपस्तम्भ सिद्ध होंगे। समीक्षक डॉ. मणिकर्णिका (NET, JRF, SRF, Ph.D)
जदयू ने नीतीश तो भाजपा ने सम्राट चौधरी को चुना नेता, दोनों का डिप्टी सीएम बनने का रास्ता साफ

#samratchaudharyandvijaykumarsinhawillbothretainthepostofdeputy_cm

बिहार में सीएम और डिप्टी सीएम के चेहरे पर फंसा सस्पेंस खत्म हो चुका है। जदयू विधायक दल ने अपना नेता नीतीश कुमार को चुना है। जाहिर है एक बार फिर से नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। वहीं बीजेपी ने फिर से चौंकाया है। विधायक दल के नेता के तौर पर सम्राट चौधरी और उपनेता के लिए विजय सिन्हा का नाम बढ़ा कर बीजेपी ने अघोषित तौर पर दोनों नेताओं को उप मुख्यमंत्री पद के लिए रिपीट कर सभी को चौंका दिया है।

भाजपा विधायक दल की बैठक पर उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और बिहार में विधायक दल के नेता के चुनाव के लिए भाजपा के केंद्रीय पर्यवेक्षक केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, सम्राट चौधरी को निर्वाचित करने का प्रस्ताव किया और भारती जनता पार्टी के विधायक दल ने सर्वसम्मति से सम्राट चौधरी को विधायक दल का नेता चुनने का समर्थन किया है और हमारे उपमुख्यमंत्री के रूप में शानदार काम करने कार्य किया। वह (विजय कुमार सिन्हा) बहुत ही वरिष्ठ नेता है। उनके नाम का भी प्रस्ताव आया है और सर्वसम्मति समर्थन मिला। मैं सम्राट चौधरी को विधायक दल के नेता के रूप में सम्राट चौधरी और उप नेता के रूप में विजय कुमार सिन्हा के नाम का ऐलान करता हूं।

डिप्टी सीएम में कोई बदलाव नहीं

इस फैसले के साथ ही दोनों नेताओं के दोबारा उपमुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया है। भाजपा विधायक दल के नेता सम्राट चौधरी होंगे और विजय कुमार सिन्हा उपनेता बने रहेंगे। इस तरह भाजपा ने बिहार में कोई बदलाव नहीं किया है। पिछले 3 बार से भाजपा डिप्टी सीएम पद पर लगातार बदलाव करती रही है। पिछली बार बीजेपी ने तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी के बदले सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा को डिप्टी सीएम बनाया था। इस बार लग रहा था कि बीजेपी फिर से बदलाव कर सकती है। लेकिन विधायक दल के नेता के तौर पर सम्राट चौधरी और उपनेता के लिए विजय सिन्हा का नाम बढ़ा कर बीजेपी ने फिर से चौंका दिया।

चौधरी और सिन्हा को बरकरार रखने के क्या है मायने?

सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को बरकरार रखने का निर्णय पूरी तरह से बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व, खासकर अमित शाह की रणनीति का परिणाम माना जा रहा है। इसके पीछे का तर्क यह है कि निरंतरता बनाए रखना: सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा ने विपक्ष में रहते हुए और फिर एनडीए की सरकार में डिप्टी सीएम के रूप में पार्टी के लिए सफलतापूर्वक काम किया है। उनकी जोड़ी ने सफलतापूर्वक एनडीए को जीत दिलाई है. ऐसे में अमित शाह ने ‘विनिंग कॉम्बिनेशन’ को बदलने का जोखिम नहीं लिया, ताकि संगठन में किसी तरह की अस्थिरता पैदा न हो।