पर्यटन मंत्री आवास के पास मां-बेटे ने  सुसाइड करने का किया प्रयास, मचा हड़कंप
लखनऊ । राजधानी में खुदकुशी करने वाले आये दिन लखनऊ पहुंच रहे है। बुधवार को मथुरा से पहुंचे मां और बेटे ने पर्यटन मंत्री आवास के पास आत्महत्या करने की कोशिश की। इससे मौके पर हड़कंप मच गया। चूंकि दोनों जहर खाने के बाद सड़क पर तड़प रहे थे। यह देखकर वहां पर तैनात सुरक्षा कर्मियों व राहगीरों के होश उड़ गए और फौरन पुलिस को सूचित किया।

पुलिस ने दोनों को सिबल अस्पताल में कराया भर्ती

आज सुबह लगभग 11:30 बजे, राधारानी टाउनशिप, बरसाना की निवासी  मुनेश सिंह (55 वर्ष) और उनके पुत्र बलजीत सिंह (38 वर्ष) ने कथित प्लॉट विवाद के चलते जहरीला पदार्थ खा लिया।मौके पर स्थिति गंभीर होने लगी, जिससे पुलिस को सूचना दी गई। चौकी इंचार्ज बंदरिया बाग, उप निरीक्षक आदित्य सिंह, मय पुलिस बल तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे और दोनों को तत्काल सिविल अस्पताल ले जाया गया। अस्पताल सूत्रों के अनुसार, दोनों का इलाज चल रहा है और उनकी हालत नाजुक बनी हुई है।

मथुरा जनपद का मामला, प्लॉट पर कब्जा को लेकर है परेशान

जानकारी के अनुसार, विवाद मथुरा में किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा उनके प्लॉट पर कब्जा कर लिया है। इसकी शिकायत स्थानीय स्तर पर पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों से कई बार कर चुकी है लेकिन कहीं पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है। जिसकी वजह से लंबे समय तक मानसिक तनाव और न्याय न मिलने की भावना के कारण मां-बेटे ने यह गंभीर कदम उठाया।जनपद मथुरा पुलिस से भी संपर्क किया जा रहा है और मामले की पूरी जांच शुरू कर दी गई है। प्रशासन और पुलिस ने दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और परिवार को राहत देने के लिए तत्काल कदम उठाए हैं।पुलिस पूरे मामले की छानबीन करने में जुट गई है। परिजनों को भी फोन करके सूचित कर दिया गया है।
. विद्यासागर उपाध्याय : दो नये महाग्रंथों के साथ 20 दार्शनिक कृतियों का दिव्य शिखर
संजीव सिंह बलिया| भारतीय बौद्धिक–परंपरा में समय–समय पर ऐसे मनीषी अवतरित होते रहे हैं, जिनकी सोच केवल अपने युग को नहीं, आने वाली सहस्राब्दियों को दिशा देती है। समकालीन भारत में ऐसा ही एक तेजस्वी नाम है—डॉ. विद्यासागर उपाध्याय, जिनके द्वारा लिखित 20 महत्वपूर्ण ग्रंथ भारतीय दर्शन, समाज–चिंतन और राष्ट्रीय विमर्श के क्षेत्र में अमूल्य योगदान हैं। भारतीय ज्ञानपरंपरा के आकाश में यह तारा अत्यन्त उज्ज्वल हो उठा है, जिसे समकालीन युग “विद्या–सरस्वती का जीवंत पुरुष विस्तार” कहकर श्रद्धा प्रकट करता है। डॉ. उपाध्याय के ग्रंथों की विलक्षणता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि अनेक कृतियाँ 800 पृष्ठों के ज्ञान-हिमालय की तरह खड़ी हैं, जबकि अन्य 300 पृष्ठों में भी “गागर में सागर” भर देती हैं। कई ग्रंथों के मूल्य 1000 रुपये से अधिक होने पर भी पाठकों का अटूट अनुराग, उनकी लेखनी की स्वर्ण-तुल्य गुणवत्ता का प्रमाण है। उनके 100 से अधिक शोध-आलेख देश-विदेश की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। भारतवर्ष के समस्त प्रान्त व अनेक अंतर्राष्ट्रीय बौद्धिक संस्थान उन्हें मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित करते रहे हैं। उनकी ओजस्वी वाणी, व्यापक दृष्टि और विश्लेषण की तीक्ष्णता श्रोताओं पर अमिट छाप छोड़ती है। अब तक उन्हें सैकड़ों राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय सम्मान/उपाधि प्राप्त हैं—जो उनकी प्रज्ञा, तपस्या और दार्शनिक ऊँचाई का प्रमाण है। मात्र 39 वर्ष की आयु में 20 दार्शनिक ग्रंथों का विरल शिखर स्पर्श करने वाले, अंतरराष्ट्रीय वक्ता, मौलिक चिंतक, प्रसिद्ध शिक्षाविद् और शोध-प्रज्ञा के आलोक–पुंज डॉ. विद्यासागर उपाध्याय ने वर्तमान में बौद्धिक-जगत को दो महत् वैचारिक नवीन ग्रंथ सौंपकर आधुनिक भारतीय विमर्श को नए आयाम प्रदान किए हैं। नवप्रकाशित दोनो महाग्रंथ— “सत्य कौन? तिलक अथवा आम्बेडकर! : विलुप्त प्रज्ञा का महाकोष”। और “लॉर्ड मैकाले : नायक अथवा खलनायक?” — पहुँचते ही विद्वत्-समाज में गहन बहस, विचार-मंथन और दार्शनिक पुनर्पाठ का सृजन कर चुके हैं। यह दोनों कृतियाँ ऐसी हैं, मानो भारतीय चिंतनभूमि के लिए दो दीप्तिमान वैचारिक यज्ञाहुतियाँ प्रस्तुत हो गई हों। प्रस्तुत निबंध में मैं इन दोनों ग्रंथों के गहन अध्ययन के आधार पर डॉ. उपाध्याय की शोध–दृष्टि, वैचारिक प्रस्तुति, तर्कप्रणाली और उनके विचार–लोक की व्यापकता का समीक्षात्मक विश्लेषण कर रही हूँ। 1. डॉ. विद्यासागर उपाध्याय : परंपरा और आधुनिकता के अद्वितीय सेतु - अध्ययन के दौरान यह तथ्य स्पष्ट रूप से उभरकर सामने आता है कि डॉ. उपाध्याय न तो परंपरा के अंध–समर्थक हैं और न ही आधुनिकता के अंध–अनुयायी। उनकी लेखनी में परंपरा की आत्मा और आधुनिकता की वैज्ञानिक दृष्टि दोनों साथ–साथ चलती हैं। ऐसे लेखक आज विरले हैं जो प्राचीन भारतीय ग्रंथों—उपनिषदों, धर्मशास्त्रों, न्याय–मीमांसा—की तर्क–शक्ति को आधुनिक राजनीतिक–समाजशास्त्रीय विमर्श के साथ जोड़कर प्रस्तुत करते हों। डॉ. उपाध्याय का यह समन्वय–बोध स्वयं में एक उपलब्धि है। 2. “लॉर्ड मैकाले : नायक अथवा खलनायक?”—इतिहास पर पुनर्विचार का आह्वान - यह एक ऐसी साहसिक बौद्धिक शल्य-क्रिया है, जिसने आधुनिक भारत की शिक्षा-नीति, सांस्कृतिक चेतना और मानसिक रूपांतरण की जटिल परतों को निर्भीकता से उघाड़ दिया है। ग्रंथ में मैकाले की नीतियों के भारतीय मन, सामाजिक ढाँचे और सांस्कृतिक अस्मिता पर पड़े दीर्घकालीन घावों का सुसंगत, निष्पक्ष और अत्यंत मौलिक पुनर्मूल्यांकन किया गया है। लेखक केवल आलोचना नहीं करते, बल्कि उबरने का मार्ग भी प्रदान करते हैं—जो इस कृति की सर्वाधिक विशिष्टता है। वर्तमान भारत में हिन्दी साहित्य के मूर्धन्य विद्वान प्रो. (डॉ.) पुनीत बिसारिया, अधिष्ठाता कला संकाय एवं विभागाध्यक्ष (हिन्दी), बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, इसे “सांस्कृतिक पुनरुत्थान का घोषणापत्र” बताते हुए लिखते हैं कि "डॉ. उपाध्याय की लेखनी इतिहास को केवल तिथियों का दस्तावेज़ नहीं रहने देती, बल्कि भारतीय आत्मा की जीवित आवाज़ बना देती है। न अंधभक्ति, न अंधघृणा—बल्कि संतुलन, तर्क, और भावनात्मक पारदर्शिता—इस कृति को अद्वितीय बनाती है।"इस ग्रंथ का मूल उद्देश्य किसी व्यक्तिविशेष का महिमागान अथवा निंदा करना नहीं, बल्कि मैकाले की शिक्षा–नीति के माध्यम से भारतीय मानसिकता के औपनिवेशिक पुनर्गठन का विश्लेषण करना है। डॉ. उपाध्याय ने यहाँ मात्र इतिहास नहीं बताया; अपितु उन्होंने इतिहास का तर्कसंगत पुनर्पाठ प्रस्तुत किया है। उनका प्रश्न— “क्या अंग्रेज़ी शिक्षा ने भारतीय मन को स्वतंत्र बनाया या परतंत्र?” आज भी प्रासंगिक है। यह पुस्तक न केवल शोधार्थियों के लिए उपयोगी है, बल्कि उन बुद्धिजीवियों के लिए भी अत्यंत आवश्यक है, जो भारतीय शिक्षा–दर्शन की पुनर्स्थापना में रुचि रखते हैं। 3. “सत्य कौन? तिलक अथवा आम्बेडकर!”— विलुप्त प्रज्ञा का वास्तव में महाकोष - यह ग्रंथ आधुनिक भारतीय मनीषा के दो महान विचारकों—लोकमान्य तिलक और डॉ. आम्बेडकर—के विचारों का गहन तुलनात्मक विश्लेषण तो है ही; परंतु इसका वास्तविक वैभव यह है कि इसमें विश्व के चालीस महान दार्शनिकों के दृष्टिकोणों का अद्भुत समन्वय उपस्थित है। बौद्ध दिग्नाग, जैन अकलंकदेव, वेदांती विद्यारण्य, महर्षि रमण, अरविन्द, हेगेल, मेकियावली, एक्विनास, ओशो, स्वामी करपात्री, शोज, फिरदौसी, टैगोर, गाँधी तथा अनगिनत दार्शनिक धाराएँ—सब एक ही वैचारिक पट पर ऐसे संलयित होती हैं, जैसे अनेक पवित्र सरिताएँ अंततः एक ही महासागर में विलीन होती हों। इस वैचारिक महाकोष की मंगल-शुभाशंसा करते हुए आयरलैंड में भारत के राजदूत एवं दर्शन शास्त्र के शीर्ष विद्वान् आई.एफ.एस. डॉ. अखिलेश मिश्र लिखते हैं कि - यह कृति भारतीय ज्ञान-परंपरा के “सत्य–अन्वेषण की अनन्त यात्रा” का अद्भुत दस्तावेज है, जो इन्द्रियातीत सत्ता, आत्मबोध और विश्वमानवता के विराट भाव को पुनर्जीवित करती है। वहीं नेपाल के प्रसिद्ध दार्शनिक विद्यावाचस्पति अजय कुमार झा इसे “विलुप्त प्रज्ञा के पुनरुत्थान का महाग्रंथ” बताते हुए लिखते हैं कि यहाँ झ्वांग-त्ज़ु, बर्द्यायेव, गुरुदास, माइमोनीडीज़, कबीर, रामतीर्थ, पतंजलि और वाचस्पति—सभी के विचार एक ही विश्वदर्शी चेतना में एकाकार हो जाते हैं। यह ग्रंथ डॉ. उपाध्याय की विद्वत्ता का अद्भुत और तेजोमय उदाहरण है जहां उन्होंने तिलक और आम्बेडकर के साथ ही चालीस चिन्तनधाराओं का दार्शनिक, सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक तर्कों का गहन तुलनात्मक विश्लेषण करके गागर में सागर भर दिया है। ऐसा दुर्लभ वैचारिक साहस और व्यापक अध्ययन आज के लेखक–जगत में बहुत कम देखने को मिलता है। ग्रंथ की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि लेखक न तो किसी विचारक का चयनित समर्थन करते हैं, और न ही किसी का पक्षपातपूर्ण खंडन; वे केवल यह पूछते हैं— “सत्य किसके पास है?” यही प्रश्न और उसका प्रामाणिक उत्तर पाठक को विचार–यात्रा पर ले जाता है। 4. शोध–दृष्टि और प्रस्तुति : स्पष्टता, निर्भीकता और तर्क–समृद्धि का समन्वय - डॉ. उपाध्याय की सबसे बड़ी विशेषता है बौद्धिक निर्भीकता। वे जटिल विषयों को सरल बनाकर प्रस्तुत करते हैं, परन्तु सरलता में उथलापन नहीं आने देते। उनके ग्रंथ संदर्भ–समृद्ध, तथ्य–संगत, प्रमाण–निष्ठ और दार्शनिक गहराई से पूर्ण हैं। वाक्य–बंध में साहित्यिक माधुर्य है और तर्क में ऐसी कठोरता जो पाठक को हर पंक्ति पर चिंतन करने को बाध्य करती है। 5. भारतीय चिंतन–जगत में उनका स्थान - समग्रता में देखा जाए तो डॉ. उपाध्याय उन दुर्लभ लेखकों में हैं जो न केवल इतिहास को पुनर्पाठित करते हैं, बल्कि आने वाले कालखंड के लिए विचार–ईंधन भी प्रदान करते हैं। उनके 20 ग्रंथ — दर्शन, समाज, राजनीति, इतिहास, साहित्य— हर क्षेत्र में नवीन दृष्टि का उद्घाटन करते हैं। उनकी लेखनी में ज्ञान की प्रखरता, अध्ययन की व्यापकता, और राष्ट्र–चिंतन की गरिमा स्पष्ट रूप से प्रतिध्वनित होती है। एक अध्येता होने के नाते मैं यह निस्संकोच कह सकती हूँ कि डॉ. विद्यासागर उपाध्याय आज के भारतीय चिंतन–जगत के सबसे प्रभावशाली, सबसे साहसी और सबसे अधिक मौलिक लेखकों में से एक हैं। उनकी नवीनतम कृतियाँ केवल पुस्तकें नहीं— वे विमर्श का आमंत्रण, चिंतन का आलोक, और राष्ट्रीय स्वाभिमान की पुनर्स्मृति हैं। ज्ञान–क्षेत्र में ऐसे तेजस्वी प्रतिभाशाली लेखक का होना भारतीय बौद्धिक परंपरा के लिए एक अत्यंत शुभ संकेत है। दोनों महाग्रंथों के प्रकाशन के साथ यह तथ्य पुनः प्रतिष्ठित हो गया कि डॉ. विद्यासागर उपाध्याय केवल लेखक नहीं, बल्कि भारतीय ज्ञान–परंपरा के जीवंत प्रतिनिधि, मौलिक शोध के अग्रदूत और आधुनिक वैचारिक जगत् के धैर्यवान तपस्वी हैं। उनकी कृतियाँ केवल पठन का विषय नहीं—बल्कि सतत् मनन, विमर्श और आत्मबोध के शाश्वत निमंत्रण हैं। समकालीन भारतीय दर्शन को इन ग्रंथों ने नई ऊँचाई, नई दृष्टि और नया गौरव प्रदान किया है। यह ग्रंथ निस्संदेह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अमर वैचारिक दीपस्तम्भ सिद्ध होंगे। समीक्षक डॉ. मणिकर्णिका (NET, JRF, SRF, Ph.D)
जदयू ने नीतीश तो भाजपा ने सम्राट चौधरी को चुना नेता, दोनों का डिप्टी सीएम बनने का रास्ता साफ

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बिहार में सीएम और डिप्टी सीएम के चेहरे पर फंसा सस्पेंस खत्म हो चुका है। जदयू विधायक दल ने अपना नेता नीतीश कुमार को चुना है। जाहिर है एक बार फिर से नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। वहीं बीजेपी ने फिर से चौंकाया है। विधायक दल के नेता के तौर पर सम्राट चौधरी और उपनेता के लिए विजय सिन्हा का नाम बढ़ा कर बीजेपी ने अघोषित तौर पर दोनों नेताओं को उप मुख्यमंत्री पद के लिए रिपीट कर सभी को चौंका दिया है।

भाजपा विधायक दल की बैठक पर उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और बिहार में विधायक दल के नेता के चुनाव के लिए भाजपा के केंद्रीय पर्यवेक्षक केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, सम्राट चौधरी को निर्वाचित करने का प्रस्ताव किया और भारती जनता पार्टी के विधायक दल ने सर्वसम्मति से सम्राट चौधरी को विधायक दल का नेता चुनने का समर्थन किया है और हमारे उपमुख्यमंत्री के रूप में शानदार काम करने कार्य किया। वह (विजय कुमार सिन्हा) बहुत ही वरिष्ठ नेता है। उनके नाम का भी प्रस्ताव आया है और सर्वसम्मति समर्थन मिला। मैं सम्राट चौधरी को विधायक दल के नेता के रूप में सम्राट चौधरी और उप नेता के रूप में विजय कुमार सिन्हा के नाम का ऐलान करता हूं।

डिप्टी सीएम में कोई बदलाव नहीं

इस फैसले के साथ ही दोनों नेताओं के दोबारा उपमुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया है। भाजपा विधायक दल के नेता सम्राट चौधरी होंगे और विजय कुमार सिन्हा उपनेता बने रहेंगे। इस तरह भाजपा ने बिहार में कोई बदलाव नहीं किया है। पिछले 3 बार से भाजपा डिप्टी सीएम पद पर लगातार बदलाव करती रही है। पिछली बार बीजेपी ने तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी के बदले सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा को डिप्टी सीएम बनाया था। इस बार लग रहा था कि बीजेपी फिर से बदलाव कर सकती है। लेकिन विधायक दल के नेता के तौर पर सम्राट चौधरी और उपनेता के लिए विजय सिन्हा का नाम बढ़ा कर बीजेपी ने फिर से चौंका दिया।

चौधरी और सिन्हा को बरकरार रखने के क्या है मायने?

सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को बरकरार रखने का निर्णय पूरी तरह से बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व, खासकर अमित शाह की रणनीति का परिणाम माना जा रहा है। इसके पीछे का तर्क यह है कि निरंतरता बनाए रखना: सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा ने विपक्ष में रहते हुए और फिर एनडीए की सरकार में डिप्टी सीएम के रूप में पार्टी के लिए सफलतापूर्वक काम किया है। उनकी जोड़ी ने सफलतापूर्वक एनडीए को जीत दिलाई है. ऐसे में अमित शाह ने ‘विनिंग कॉम्बिनेशन’ को बदलने का जोखिम नहीं लिया, ताकि संगठन में किसी तरह की अस्थिरता पैदा न हो।

झारखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र 5 दिसंबर से; 11 दिसंबर तक चलेगा 5 कार्यदिवस का सत्र, नवनिर्वाचित सोमेश सोरेन लेंगे शपथ

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रांची: झारखंड विधानसभा का बहुप्रतीक्षित शीतकालीन सत्र राज्यपाल श्री संतोष कुमार गंगवार ने मंत्रिपरिषद की सलाह पर संविधान के अनुच्छेद 174 के तहत आहूत कर दिया है। यह सत्र 5 दिसंबर को शुरू होगा और 11 दिसंबर तक चलेगा।

राज्यपाल से मंजूरी मिलने के बाद, विधानसभा सचिवालय ने सत्र का औपबंधिक कार्यक्रम जारी कर दिया है। पाँच कार्यदिवस वाले इस सत्र में चार दिन प्रश्नकाल होंगे। आज, 19 नवंबर से माननीय सदस्य अपने प्रश्न विधानसभा में डाल सकेंगे।

सत्र के मुख्य कार्यक्रम

दिनांक मुख्य गतिविधि

5 दिसंबर (पहला दिन) शोक प्रकाश, घाटशिला के नवनिर्वाचित विधायक श्री सोमेश चंद्र सोरेन को शपथ दिलाई जाएगी।

6-7 दिसंबर अवकाश (शनिवार और रविवार)

8 दिसंबर प्रश्नकाल के बाद वित्तीय वर्ष 2025-26 का द्वितीय अनुपूरक बजट पेश होगा।

9 दिसंबर अनुपूरक बजट पर सामान्य वाद-विवाद, मतदान और विनियोग विधेयक पारित करने की प्रक्रिया पूरी होगी।

10 दिसंबर प्रश्नकाल के बाद राजकीय विधायक और अन्य सरकारी कामकाज।

11 दिसंबर (अंतिम दिन) प्रश्नकाल के बाद गैर सरकारी संकल्प का निपटारा होगा।

सोमेश चंद्र सोरेन लेंगे शपथ

सत्र के पहले दिन, घाटशिला उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी बाबूलाल सोरेन को हराकर नवनिर्वाचित हुए विधायक श्री सोमेश चंद्र सोरेन को शपथ दिलाई जाएगी। उन्होंने अपने पिता स्वर्गीय रामदास सोरेन के असामयिक निधन से खाली हुई सीट पर जीत दर्ज की है।

अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन मंच पर बलरामपुर टीम को मिला हिंदू रत्न सम्मान

बलरामपुर। गोरखपुर,योगी गंभीर नाथ। प्रेक्षाग्रह मेंआयोजित अंतरराष्ट्रीय हिंदू सम्मेलन एवं प्रांतीय अधिवेशन के दौरान विश्व हिंदू महासंघ बलरामपुर जिला अध्यक्ष को " हिंदू रत्न सम्मान"से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में प्रदेश स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन के आधार पर जिले की टीम को प्रदेश में दूसरा स्थान प्राप्त हुआ।सम्मेलन में प्रदेश अध्यक्ष भिखारी प्रजापति ने सम्मान पत्र प्रदान करते हुए कहा कि चौधरी विजय सिंह एवं टीम ने संगठन को गांव-गांव तक विस्तार करते हुए मजबूती प्रदान की है जिसमें उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि वह आगे भी अपनी टीम के साथ समाज और संगठन को सशक्त करने का कार्य करते रहेंगे।

सोशल मीडिया प्रदेश अध्यक्ष गंगा शर्मा कौशिक ने सम्मान को जिले के लिए गौरवपूर्ण बताया, उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया टीम और जिला इकाई के संयुक्त प्रयास से बलरामपुर टीम ने प्रदेश में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए दूसरा स्थान प्राप्त किया इस अवसर पर प्रदेश उपाध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने बलरामपुर टीम को बधाई देते हुए आशा किया कि आगे समय में प्रथम स्थान प्राप्त करेंगे।

इस अवसर पर विश्व हिंदू महासंघ के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्क्षा अस्मिता भंडारी के अलावा 6 राष्ट्रो के विश्व हिंदू महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष विभिन्न प्रांतो से आए हजारों कार्यकर्ता एवं पदाधिकारी उपस्थित रहे साथ ही जिला अध्यक्ष चौधरी विजय सिंह वरिष्ठ उपाध्यक्ष जीवनलाल मिथिलेश गिरी सुग्रीव कश्यप जय सिंह राधेश्याम कौशल कालीदीन सरोज प्रदीप कुमार संजय शिव कुमार राजू राम जागर बसंत पांडे प्रेम मिश्रा नरेंद्र देव विजय प्रताप सोनी आदि उपस्थित रहे।

अल फलाह यूनिवर्सिटी के फाउंडर जवाद सिद्दीकी ईडी की रिमांड में, आतंकी डॉक्टरों का खुलेगा राज

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दिल्ली की एक विशेष अदालत ने अल-फलाह समूह के चेयरमैन जावद अहमद सिद्दीकी को 13 दिन की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) हिरासत में भेज दिया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शीतल चौधरी प्रधान ने आधी रात के बाद अपने चैंबर में सुनवाई कर यह आदेश पारित किया। जावेद अहमद सिद्दकी से अब ईडी राज उगलवाने की तैयारी में है।

एक ओर एनआईए दिल्ली ब्लास्ट से जुड़े आतंकी डॉक्टरों के अल फलाह कनेक्शन की जांच कर रही है। वहीं प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लांड्रिंग के तहत मामला दर्ज किया है। ईडी ने मंगलवार को यूनिवर्सिटी के ओखला स्थित मुख्यालय और ट्रस्टियों के ठिकानों पर छापेमारी भी की थी। मंगलवार को लाल किला कार धमाके मामले से जुड़े यूनिवर्सिटी के ट्रस्टियों और प्रवर्तकों के खिलाफ दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में कई जगहों पर रेड डालने के बाद ग्रुप के अध्यक्ष जवाद अहमद को गिरफ्तार किया था।

मनी लॉन्ड्रिंग के तहत गिरफ्तारी

जवाद की गिरफ्तारी दिल्ली धमाके मामले की जगह मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले की गई है। गिरफ्तारी के बाद जवाद को साकेत कोर्ट की एडिशनल सेशन जज शीतल चौधरी प्रधान के घर में रात 11:00 बजे अल फलाह विश्वविद्यालय के संस्थापक को पेश किया गया था। रिमांड आदेश में अदालत ने कहा है कि सिद्दीकी के खिलाफ बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी, फर्जी मान्यता दावे करने और अल-फलाह विश्वविद्यालय से प्राप्त धन को अन्यत्र हस्तांतरित करने से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध का संलिप्त होने के पर्याप्त आधार मौजूद हैं।

यूनिवर्सिटी से जुड़े लाल किला कार धमाका के तार

बता दें कि लाल किला कार बम धमाका मामले के तार इस यूनिवर्सिटी से जुड़े हैं। इस धमाके को अंजाम देने वाला डॉक्टर उमर नबी इसी विश्वविद्यालय के अस्पताल से जुड़ा था। इसके अलावा सफेदपोश आतंकी नेटवर्क में पकड़े गए कई लोग इस संस्थान से जुड़े हैं। दिल्ली धमाके की जांच आगे बढ़ने पर विश्वविद्यालय भी जांच में दायरे में आ गया है। इस विश्वविद्यालय के वित्तीय लेन-देन की जांच के बाद अब ईडी ने संस्थापक जावद सिद्दीकी को गिरफ्तार किया है।

यूनिवर्सिटी के खिलाफ क्या है मामला?

ईडी ने यह जांच दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा की ओर से दर्ज दो एफआईआर के आधार पर शुरू की है। ये दोनों एफआईआर 13 नवंबर को दर्ज कराई गई थी। इन एफआईआर में NACC Accreditation और यूजीसी से जुड़े झूठे दावे किए जाने का जिक्र है। दिल्ली पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता के तहत धारा 318 (4), 336 (2), 336 (3), 336 (4), 338 और 340 (2) के तहत केस दर्ज किया। FIR में यह आरोप लगाया गया था कि फरीदाबाद स्थित अल फलाह यूनिवर्सिटी ने गलत तरीके से NAAC मान्यता (Accreditation) होने का दावा किया। यही नहीं यूनिवर्सिटी ने UGC के सेक्शन 12(B) के तहत मान्यता होने की झूठी जानकारी दी। ताकि छात्रों, माता-पिता और आम जनता को गुमराह कर आर्थिक फायदा लिया जा सके। इस बीच UGC ने भी साफ कर दिया है कि अल फहल यूनिवर्सिटी सिर्फ सेक्शन 2(f) के तहत एक स्टेट प्राइवेट यूनिवर्सिटी के रूप में लिस्टेड है और उसने कभी भी 12(B) के तहत मान्यता के लिए आवेदन नहीं किया है।

आजमगढ़:-वर्षों से खराब सड़क के निर्माण से कस्बा के लोगों में खुशी का माहौल
वी कुमार यदुवंशी
आजमगढ़। फूलपुर कस्बा के सरहद से लेकर पशु अस्पताल तक जाने वाली सड़क वर्षों से खराब थी। जिसके चलते आवागमन में लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। 
गढ्ढों में तब्दील सड़क पर चलने के दौरान कई बार तो साइकिल और बाइक से गिर कर  काफी चोटिल हो जाते थे। प्रधान संघ अध्यक्ष फूलपुर के प्रधान ऊदपुर अमित कुमार यादव के अथक प्रयास से सड़क की मरम्मत का कार्य शुरू हो गया है। प्रधान अमित कुमार यादव ने बताया कि लगभग 8 लाख से रोड के मरम्मत का कार्य शुरू हुआ है। जिसकी चौड़ाई 4.20 मीटर और लम्बाई 125 मीटर है। यह स्वीकृति फूलपुर ब्लाक प्रमुख अर्चना यादव के निधि से प्राप्त हुआ है। इस सड़क के बनने से लोगो में हर्ष व्याप्त है।

आजमगढ़:-वर्षों से खराब सड़क के निर्माण से कस्बा के लोगों में खुशी का माहौल
वी कुमार यदुवंशी
आजमगढ़। फूलपुर कस्बा के सरहद से लेकर पशु अस्पताल तक जाने वाली सड़क वर्षों से खराब थी। जिसके चलते आवागमन में लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। 
गढ्ढों में तब्दील सड़क पर चलने के दौरान कई बार तो साइकिल और बाइक से गिर कर  काफी चोटिल हो जाते थे। प्रधान संघ अध्यक्ष फूलपुर के प्रधान ऊदपुर अमित कुमार यादव के अथक प्रयास से सड़क की मरम्मत का कार्य शुरू हो गया है। प्रधान अमित कुमार यादव ने बताया कि लगभग 8 लाख से रोड के मरम्मत का कार्य शुरू हुआ है। जिसकी चौड़ाई 4.20 मीटर और लम्बाई 125 मीटर है। यह स्वीकृति फूलपुर ब्लाक प्रमुख अर्चना यादव के निधि से प्राप्त हुआ है। इस सड़क के बनने से लोगो में हर्ष व्याप्त है।
धनबाद: झरिया में सनसनीखेज वारदात, पेट्रोल पंप के पास युवक को सिर में मारी गोली; अज्ञात बाइक सवार तीन बदमाश फरार, इलाके में हड़कंप

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धनबाद: जिले के झरिया थाना क्षेत्र अंतर्गत रत्नजी इलाके में मंगलवार दोपहर एक सनसनीखेज हत्या की घटना सामने आई है। पेट्रोल पंप के पास बाइक सवार तीन अज्ञात बदमाशों ने एक युवक को बेहद करीब से सिर में गोली मार दी, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।

मौके पर ही मौत, दहशत का माहौल

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, तीन बाइक सवार हमलावर अचानक आए, युवक को गोली मारी और तेजी के साथ मौके से फरार हो गए। गोली लगते ही युवक सड़क पर गिर पड़ा। स्थानीय लोगों ने तुरंत झरिया थाना पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने घायल युवक को तत्काल अस्पताल पहुंचाया, लेकिन डॉक्टरों ने जाँच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया।

तीन थानों की पुलिस जांच में जुटी

घटना की सूचना मिलते ही पूरे इलाके में हड़कंप मच गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए तीन थानों की पुलिस टीमें तुरंत घटनास्थल पर पहुंचीं और जाँच पड़ताल में जुट गईं। सिंदरी एसडीपीओ आशुतोष कुमार सत्यम और लॉ एंड ऑर्डर के डीएसपी नौशाद आलम भी दलबल के साथ मौके पर पहुंचे और घटना की जानकारी ली।

पुलिस ने अपराधियों की पहचान करने के लिए आसपास लगे सीसीटीवी फुटेज को खंगालना शुरू कर दिया है। घटनास्थल से युवक का मोबाइल फोन, चप्पल और एक खोखा बरामद किया गया है।

मृतक की पहचान नहीं

सिंदरी एसडीपीओ आशुतोष कुमार सत्यम ने बताया कि मृत युवक की पहचान अभी तक नहीं हो सकी है और न ही इस हमले के पीछे के कारणों का खुलासा हो सका है।

"सीसीटीवी फुटेज में पूरी घटना कैद है और उसके आधार पर पुलिस आगे की कार्रवाई कर रही है। जल्द ही अपराधियों को गिरफ्तार कर मामले का खुलासा किया जाएगा।"

शिया पी.जी. कॉलेज लखनऊ में स्वैच्छिक रक्तदान शिविर, युवाओं ने दिखाया जोश, 35 ने किया जीवनदायिनी रक्तदान
लखनऊ । एंथ्रोलॉजी विभाग, शिया पी.जी. कॉलेज लखनऊ एवं ह्यूमेन फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में 18 नवम्बर 2025 को स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का सफल आयोजन किया गया। शिविर में युवाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, जहां 60 से अधिक प्रतिभागियों ने रजिस्ट्रेशन कराया और 35 रक्तदाताओं ने स्वैच्छिक रक्तदान किया।

रक्तदान मानवता की सर्वोच्च सेवा: प्रोफेसर रजा बाकरी

शिविर का शुभारंभ महाविद्यालय के प्रिंसिपल प्रोफेसर शबीहे रज़ा बाकरी द्वारा किया गया। उन्होंने रक्तदाताओं का उत्साह बढ़ाते हुए कहा रक्तदान मानवता की सर्वोच्च सेवा है। छात्र जीवन में किया गया प्रत्येक रक्तदान न केवल किसी जरूरतमंद की जान बचाता है, बल्कि समाज के प्रति जिम्मेदारी का भी भाव जगाता है। ऐसे आयोजन युवाओं को समाजसेवा के लिए प्रेरित करते हैं।”

युवाओं को प्रोत्साहित करने का उद्देश्य : असमा खान

शिविर की मुख्य आयोजक एवं ह्यूमेन फाउंडेशन की डायरेक्टर असमा खान ने कहा इस शिविर का उद्देश्य रक्तदान से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करना और युवाओं को आगे आने के लिए प्रेरित करना है। जब युवा स्वेच्छा से रक्तदान करते हैं, तब समाज में जीवनरक्षक रक्त की उपलब्धता सुनिश्चित होती है।

नियमित रक्तदान शिविरों की जरूरत : विभागाध्यक्ष

शिविर के विशिष्ट अतिथि एवं एंथ्रोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर सैय्यद ऐमन रज़ा ने कहा ऐसे स्वैच्छिक रक्तदान शिविर प्रत्येक शैक्षणिक संस्थान में नियमित रूप से आयोजित होने चाहिए। इससे युवाओं में सामाजिक उत्तरदायित्व और सकारात्मक जागरूकता विकसित होती है।”

शिक्षक, कर्मचारी और छात्र रहे सक्रिय

रक्तदान शिविर में कॉलेज के अध्यापकगण, कर्मचारी और बड़ी संख्या में विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्ण भागीदारी की। 60+ रजिस्ट्रेशन और 35 रक्तदान ने शिविर को उल्लेखनीय सफलता प्रदान की।

इनका रहा विशेष सहयोग

इस आयोजन में असिस्टेंट प्रो. डॉ. अर्चना सोलंकी, जी.एम.यू. लखनऊ ब्लड बैंक टीम, तथा जितेंद्र सिंह, संस्थापक – लखनऊ पुलिस मित्र परिवार का महत्वपूर्ण सहयोग रहा।साथ ही वॉलेंटियर अखिलेश यादव, मोहम्मद अली, युसरा, तौफीक, अलीना, इकरा ने कार्यक्रम को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई।
पर्यटन मंत्री आवास के पास मां-बेटे ने  सुसाइड करने का किया प्रयास, मचा हड़कंप
लखनऊ । राजधानी में खुदकुशी करने वाले आये दिन लखनऊ पहुंच रहे है। बुधवार को मथुरा से पहुंचे मां और बेटे ने पर्यटन मंत्री आवास के पास आत्महत्या करने की कोशिश की। इससे मौके पर हड़कंप मच गया। चूंकि दोनों जहर खाने के बाद सड़क पर तड़प रहे थे। यह देखकर वहां पर तैनात सुरक्षा कर्मियों व राहगीरों के होश उड़ गए और फौरन पुलिस को सूचित किया।

पुलिस ने दोनों को सिबल अस्पताल में कराया भर्ती

आज सुबह लगभग 11:30 बजे, राधारानी टाउनशिप, बरसाना की निवासी  मुनेश सिंह (55 वर्ष) और उनके पुत्र बलजीत सिंह (38 वर्ष) ने कथित प्लॉट विवाद के चलते जहरीला पदार्थ खा लिया।मौके पर स्थिति गंभीर होने लगी, जिससे पुलिस को सूचना दी गई। चौकी इंचार्ज बंदरिया बाग, उप निरीक्षक आदित्य सिंह, मय पुलिस बल तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे और दोनों को तत्काल सिविल अस्पताल ले जाया गया। अस्पताल सूत्रों के अनुसार, दोनों का इलाज चल रहा है और उनकी हालत नाजुक बनी हुई है।

मथुरा जनपद का मामला, प्लॉट पर कब्जा को लेकर है परेशान

जानकारी के अनुसार, विवाद मथुरा में किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा उनके प्लॉट पर कब्जा कर लिया है। इसकी शिकायत स्थानीय स्तर पर पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों से कई बार कर चुकी है लेकिन कहीं पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है। जिसकी वजह से लंबे समय तक मानसिक तनाव और न्याय न मिलने की भावना के कारण मां-बेटे ने यह गंभीर कदम उठाया।जनपद मथुरा पुलिस से भी संपर्क किया जा रहा है और मामले की पूरी जांच शुरू कर दी गई है। प्रशासन और पुलिस ने दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और परिवार को राहत देने के लिए तत्काल कदम उठाए हैं।पुलिस पूरे मामले की छानबीन करने में जुट गई है। परिजनों को भी फोन करके सूचित कर दिया गया है।
. विद्यासागर उपाध्याय : दो नये महाग्रंथों के साथ 20 दार्शनिक कृतियों का दिव्य शिखर
संजीव सिंह बलिया| भारतीय बौद्धिक–परंपरा में समय–समय पर ऐसे मनीषी अवतरित होते रहे हैं, जिनकी सोच केवल अपने युग को नहीं, आने वाली सहस्राब्दियों को दिशा देती है। समकालीन भारत में ऐसा ही एक तेजस्वी नाम है—डॉ. विद्यासागर उपाध्याय, जिनके द्वारा लिखित 20 महत्वपूर्ण ग्रंथ भारतीय दर्शन, समाज–चिंतन और राष्ट्रीय विमर्श के क्षेत्र में अमूल्य योगदान हैं। भारतीय ज्ञानपरंपरा के आकाश में यह तारा अत्यन्त उज्ज्वल हो उठा है, जिसे समकालीन युग “विद्या–सरस्वती का जीवंत पुरुष विस्तार” कहकर श्रद्धा प्रकट करता है। डॉ. उपाध्याय के ग्रंथों की विलक्षणता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि अनेक कृतियाँ 800 पृष्ठों के ज्ञान-हिमालय की तरह खड़ी हैं, जबकि अन्य 300 पृष्ठों में भी “गागर में सागर” भर देती हैं। कई ग्रंथों के मूल्य 1000 रुपये से अधिक होने पर भी पाठकों का अटूट अनुराग, उनकी लेखनी की स्वर्ण-तुल्य गुणवत्ता का प्रमाण है। उनके 100 से अधिक शोध-आलेख देश-विदेश की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। भारतवर्ष के समस्त प्रान्त व अनेक अंतर्राष्ट्रीय बौद्धिक संस्थान उन्हें मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित करते रहे हैं। उनकी ओजस्वी वाणी, व्यापक दृष्टि और विश्लेषण की तीक्ष्णता श्रोताओं पर अमिट छाप छोड़ती है। अब तक उन्हें सैकड़ों राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय सम्मान/उपाधि प्राप्त हैं—जो उनकी प्रज्ञा, तपस्या और दार्शनिक ऊँचाई का प्रमाण है। मात्र 39 वर्ष की आयु में 20 दार्शनिक ग्रंथों का विरल शिखर स्पर्श करने वाले, अंतरराष्ट्रीय वक्ता, मौलिक चिंतक, प्रसिद्ध शिक्षाविद् और शोध-प्रज्ञा के आलोक–पुंज डॉ. विद्यासागर उपाध्याय ने वर्तमान में बौद्धिक-जगत को दो महत् वैचारिक नवीन ग्रंथ सौंपकर आधुनिक भारतीय विमर्श को नए आयाम प्रदान किए हैं। नवप्रकाशित दोनो महाग्रंथ— “सत्य कौन? तिलक अथवा आम्बेडकर! : विलुप्त प्रज्ञा का महाकोष”। और “लॉर्ड मैकाले : नायक अथवा खलनायक?” — पहुँचते ही विद्वत्-समाज में गहन बहस, विचार-मंथन और दार्शनिक पुनर्पाठ का सृजन कर चुके हैं। यह दोनों कृतियाँ ऐसी हैं, मानो भारतीय चिंतनभूमि के लिए दो दीप्तिमान वैचारिक यज्ञाहुतियाँ प्रस्तुत हो गई हों। प्रस्तुत निबंध में मैं इन दोनों ग्रंथों के गहन अध्ययन के आधार पर डॉ. उपाध्याय की शोध–दृष्टि, वैचारिक प्रस्तुति, तर्कप्रणाली और उनके विचार–लोक की व्यापकता का समीक्षात्मक विश्लेषण कर रही हूँ। 1. डॉ. विद्यासागर उपाध्याय : परंपरा और आधुनिकता के अद्वितीय सेतु - अध्ययन के दौरान यह तथ्य स्पष्ट रूप से उभरकर सामने आता है कि डॉ. उपाध्याय न तो परंपरा के अंध–समर्थक हैं और न ही आधुनिकता के अंध–अनुयायी। उनकी लेखनी में परंपरा की आत्मा और आधुनिकता की वैज्ञानिक दृष्टि दोनों साथ–साथ चलती हैं। ऐसे लेखक आज विरले हैं जो प्राचीन भारतीय ग्रंथों—उपनिषदों, धर्मशास्त्रों, न्याय–मीमांसा—की तर्क–शक्ति को आधुनिक राजनीतिक–समाजशास्त्रीय विमर्श के साथ जोड़कर प्रस्तुत करते हों। डॉ. उपाध्याय का यह समन्वय–बोध स्वयं में एक उपलब्धि है। 2. “लॉर्ड मैकाले : नायक अथवा खलनायक?”—इतिहास पर पुनर्विचार का आह्वान - यह एक ऐसी साहसिक बौद्धिक शल्य-क्रिया है, जिसने आधुनिक भारत की शिक्षा-नीति, सांस्कृतिक चेतना और मानसिक रूपांतरण की जटिल परतों को निर्भीकता से उघाड़ दिया है। ग्रंथ में मैकाले की नीतियों के भारतीय मन, सामाजिक ढाँचे और सांस्कृतिक अस्मिता पर पड़े दीर्घकालीन घावों का सुसंगत, निष्पक्ष और अत्यंत मौलिक पुनर्मूल्यांकन किया गया है। लेखक केवल आलोचना नहीं करते, बल्कि उबरने का मार्ग भी प्रदान करते हैं—जो इस कृति की सर्वाधिक विशिष्टता है। वर्तमान भारत में हिन्दी साहित्य के मूर्धन्य विद्वान प्रो. (डॉ.) पुनीत बिसारिया, अधिष्ठाता कला संकाय एवं विभागाध्यक्ष (हिन्दी), बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, इसे “सांस्कृतिक पुनरुत्थान का घोषणापत्र” बताते हुए लिखते हैं कि "डॉ. उपाध्याय की लेखनी इतिहास को केवल तिथियों का दस्तावेज़ नहीं रहने देती, बल्कि भारतीय आत्मा की जीवित आवाज़ बना देती है। न अंधभक्ति, न अंधघृणा—बल्कि संतुलन, तर्क, और भावनात्मक पारदर्शिता—इस कृति को अद्वितीय बनाती है।"इस ग्रंथ का मूल उद्देश्य किसी व्यक्तिविशेष का महिमागान अथवा निंदा करना नहीं, बल्कि मैकाले की शिक्षा–नीति के माध्यम से भारतीय मानसिकता के औपनिवेशिक पुनर्गठन का विश्लेषण करना है। डॉ. उपाध्याय ने यहाँ मात्र इतिहास नहीं बताया; अपितु उन्होंने इतिहास का तर्कसंगत पुनर्पाठ प्रस्तुत किया है। उनका प्रश्न— “क्या अंग्रेज़ी शिक्षा ने भारतीय मन को स्वतंत्र बनाया या परतंत्र?” आज भी प्रासंगिक है। यह पुस्तक न केवल शोधार्थियों के लिए उपयोगी है, बल्कि उन बुद्धिजीवियों के लिए भी अत्यंत आवश्यक है, जो भारतीय शिक्षा–दर्शन की पुनर्स्थापना में रुचि रखते हैं। 3. “सत्य कौन? तिलक अथवा आम्बेडकर!”— विलुप्त प्रज्ञा का वास्तव में महाकोष - यह ग्रंथ आधुनिक भारतीय मनीषा के दो महान विचारकों—लोकमान्य तिलक और डॉ. आम्बेडकर—के विचारों का गहन तुलनात्मक विश्लेषण तो है ही; परंतु इसका वास्तविक वैभव यह है कि इसमें विश्व के चालीस महान दार्शनिकों के दृष्टिकोणों का अद्भुत समन्वय उपस्थित है। बौद्ध दिग्नाग, जैन अकलंकदेव, वेदांती विद्यारण्य, महर्षि रमण, अरविन्द, हेगेल, मेकियावली, एक्विनास, ओशो, स्वामी करपात्री, शोज, फिरदौसी, टैगोर, गाँधी तथा अनगिनत दार्शनिक धाराएँ—सब एक ही वैचारिक पट पर ऐसे संलयित होती हैं, जैसे अनेक पवित्र सरिताएँ अंततः एक ही महासागर में विलीन होती हों। इस वैचारिक महाकोष की मंगल-शुभाशंसा करते हुए आयरलैंड में भारत के राजदूत एवं दर्शन शास्त्र के शीर्ष विद्वान् आई.एफ.एस. डॉ. अखिलेश मिश्र लिखते हैं कि - यह कृति भारतीय ज्ञान-परंपरा के “सत्य–अन्वेषण की अनन्त यात्रा” का अद्भुत दस्तावेज है, जो इन्द्रियातीत सत्ता, आत्मबोध और विश्वमानवता के विराट भाव को पुनर्जीवित करती है। वहीं नेपाल के प्रसिद्ध दार्शनिक विद्यावाचस्पति अजय कुमार झा इसे “विलुप्त प्रज्ञा के पुनरुत्थान का महाग्रंथ” बताते हुए लिखते हैं कि यहाँ झ्वांग-त्ज़ु, बर्द्यायेव, गुरुदास, माइमोनीडीज़, कबीर, रामतीर्थ, पतंजलि और वाचस्पति—सभी के विचार एक ही विश्वदर्शी चेतना में एकाकार हो जाते हैं। यह ग्रंथ डॉ. उपाध्याय की विद्वत्ता का अद्भुत और तेजोमय उदाहरण है जहां उन्होंने तिलक और आम्बेडकर के साथ ही चालीस चिन्तनधाराओं का दार्शनिक, सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक तर्कों का गहन तुलनात्मक विश्लेषण करके गागर में सागर भर दिया है। ऐसा दुर्लभ वैचारिक साहस और व्यापक अध्ययन आज के लेखक–जगत में बहुत कम देखने को मिलता है। ग्रंथ की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि लेखक न तो किसी विचारक का चयनित समर्थन करते हैं, और न ही किसी का पक्षपातपूर्ण खंडन; वे केवल यह पूछते हैं— “सत्य किसके पास है?” यही प्रश्न और उसका प्रामाणिक उत्तर पाठक को विचार–यात्रा पर ले जाता है। 4. शोध–दृष्टि और प्रस्तुति : स्पष्टता, निर्भीकता और तर्क–समृद्धि का समन्वय - डॉ. उपाध्याय की सबसे बड़ी विशेषता है बौद्धिक निर्भीकता। वे जटिल विषयों को सरल बनाकर प्रस्तुत करते हैं, परन्तु सरलता में उथलापन नहीं आने देते। उनके ग्रंथ संदर्भ–समृद्ध, तथ्य–संगत, प्रमाण–निष्ठ और दार्शनिक गहराई से पूर्ण हैं। वाक्य–बंध में साहित्यिक माधुर्य है और तर्क में ऐसी कठोरता जो पाठक को हर पंक्ति पर चिंतन करने को बाध्य करती है। 5. भारतीय चिंतन–जगत में उनका स्थान - समग्रता में देखा जाए तो डॉ. उपाध्याय उन दुर्लभ लेखकों में हैं जो न केवल इतिहास को पुनर्पाठित करते हैं, बल्कि आने वाले कालखंड के लिए विचार–ईंधन भी प्रदान करते हैं। उनके 20 ग्रंथ — दर्शन, समाज, राजनीति, इतिहास, साहित्य— हर क्षेत्र में नवीन दृष्टि का उद्घाटन करते हैं। उनकी लेखनी में ज्ञान की प्रखरता, अध्ययन की व्यापकता, और राष्ट्र–चिंतन की गरिमा स्पष्ट रूप से प्रतिध्वनित होती है। एक अध्येता होने के नाते मैं यह निस्संकोच कह सकती हूँ कि डॉ. विद्यासागर उपाध्याय आज के भारतीय चिंतन–जगत के सबसे प्रभावशाली, सबसे साहसी और सबसे अधिक मौलिक लेखकों में से एक हैं। उनकी नवीनतम कृतियाँ केवल पुस्तकें नहीं— वे विमर्श का आमंत्रण, चिंतन का आलोक, और राष्ट्रीय स्वाभिमान की पुनर्स्मृति हैं। ज्ञान–क्षेत्र में ऐसे तेजस्वी प्रतिभाशाली लेखक का होना भारतीय बौद्धिक परंपरा के लिए एक अत्यंत शुभ संकेत है। दोनों महाग्रंथों के प्रकाशन के साथ यह तथ्य पुनः प्रतिष्ठित हो गया कि डॉ. विद्यासागर उपाध्याय केवल लेखक नहीं, बल्कि भारतीय ज्ञान–परंपरा के जीवंत प्रतिनिधि, मौलिक शोध के अग्रदूत और आधुनिक वैचारिक जगत् के धैर्यवान तपस्वी हैं। उनकी कृतियाँ केवल पठन का विषय नहीं—बल्कि सतत् मनन, विमर्श और आत्मबोध के शाश्वत निमंत्रण हैं। समकालीन भारतीय दर्शन को इन ग्रंथों ने नई ऊँचाई, नई दृष्टि और नया गौरव प्रदान किया है। यह ग्रंथ निस्संदेह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अमर वैचारिक दीपस्तम्भ सिद्ध होंगे। समीक्षक डॉ. मणिकर्णिका (NET, JRF, SRF, Ph.D)
जदयू ने नीतीश तो भाजपा ने सम्राट चौधरी को चुना नेता, दोनों का डिप्टी सीएम बनने का रास्ता साफ

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बिहार में सीएम और डिप्टी सीएम के चेहरे पर फंसा सस्पेंस खत्म हो चुका है। जदयू विधायक दल ने अपना नेता नीतीश कुमार को चुना है। जाहिर है एक बार फिर से नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। वहीं बीजेपी ने फिर से चौंकाया है। विधायक दल के नेता के तौर पर सम्राट चौधरी और उपनेता के लिए विजय सिन्हा का नाम बढ़ा कर बीजेपी ने अघोषित तौर पर दोनों नेताओं को उप मुख्यमंत्री पद के लिए रिपीट कर सभी को चौंका दिया है।

भाजपा विधायक दल की बैठक पर उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और बिहार में विधायक दल के नेता के चुनाव के लिए भाजपा के केंद्रीय पर्यवेक्षक केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, सम्राट चौधरी को निर्वाचित करने का प्रस्ताव किया और भारती जनता पार्टी के विधायक दल ने सर्वसम्मति से सम्राट चौधरी को विधायक दल का नेता चुनने का समर्थन किया है और हमारे उपमुख्यमंत्री के रूप में शानदार काम करने कार्य किया। वह (विजय कुमार सिन्हा) बहुत ही वरिष्ठ नेता है। उनके नाम का भी प्रस्ताव आया है और सर्वसम्मति समर्थन मिला। मैं सम्राट चौधरी को विधायक दल के नेता के रूप में सम्राट चौधरी और उप नेता के रूप में विजय कुमार सिन्हा के नाम का ऐलान करता हूं।

डिप्टी सीएम में कोई बदलाव नहीं

इस फैसले के साथ ही दोनों नेताओं के दोबारा उपमुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया है। भाजपा विधायक दल के नेता सम्राट चौधरी होंगे और विजय कुमार सिन्हा उपनेता बने रहेंगे। इस तरह भाजपा ने बिहार में कोई बदलाव नहीं किया है। पिछले 3 बार से भाजपा डिप्टी सीएम पद पर लगातार बदलाव करती रही है। पिछली बार बीजेपी ने तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी के बदले सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा को डिप्टी सीएम बनाया था। इस बार लग रहा था कि बीजेपी फिर से बदलाव कर सकती है। लेकिन विधायक दल के नेता के तौर पर सम्राट चौधरी और उपनेता के लिए विजय सिन्हा का नाम बढ़ा कर बीजेपी ने फिर से चौंका दिया।

चौधरी और सिन्हा को बरकरार रखने के क्या है मायने?

सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को बरकरार रखने का निर्णय पूरी तरह से बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व, खासकर अमित शाह की रणनीति का परिणाम माना जा रहा है। इसके पीछे का तर्क यह है कि निरंतरता बनाए रखना: सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा ने विपक्ष में रहते हुए और फिर एनडीए की सरकार में डिप्टी सीएम के रूप में पार्टी के लिए सफलतापूर्वक काम किया है। उनकी जोड़ी ने सफलतापूर्वक एनडीए को जीत दिलाई है. ऐसे में अमित शाह ने ‘विनिंग कॉम्बिनेशन’ को बदलने का जोखिम नहीं लिया, ताकि संगठन में किसी तरह की अस्थिरता पैदा न हो।

झारखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र 5 दिसंबर से; 11 दिसंबर तक चलेगा 5 कार्यदिवस का सत्र, नवनिर्वाचित सोमेश सोरेन लेंगे शपथ

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रांची: झारखंड विधानसभा का बहुप्रतीक्षित शीतकालीन सत्र राज्यपाल श्री संतोष कुमार गंगवार ने मंत्रिपरिषद की सलाह पर संविधान के अनुच्छेद 174 के तहत आहूत कर दिया है। यह सत्र 5 दिसंबर को शुरू होगा और 11 दिसंबर तक चलेगा।

राज्यपाल से मंजूरी मिलने के बाद, विधानसभा सचिवालय ने सत्र का औपबंधिक कार्यक्रम जारी कर दिया है। पाँच कार्यदिवस वाले इस सत्र में चार दिन प्रश्नकाल होंगे। आज, 19 नवंबर से माननीय सदस्य अपने प्रश्न विधानसभा में डाल सकेंगे।

सत्र के मुख्य कार्यक्रम

दिनांक मुख्य गतिविधि

5 दिसंबर (पहला दिन) शोक प्रकाश, घाटशिला के नवनिर्वाचित विधायक श्री सोमेश चंद्र सोरेन को शपथ दिलाई जाएगी।

6-7 दिसंबर अवकाश (शनिवार और रविवार)

8 दिसंबर प्रश्नकाल के बाद वित्तीय वर्ष 2025-26 का द्वितीय अनुपूरक बजट पेश होगा।

9 दिसंबर अनुपूरक बजट पर सामान्य वाद-विवाद, मतदान और विनियोग विधेयक पारित करने की प्रक्रिया पूरी होगी।

10 दिसंबर प्रश्नकाल के बाद राजकीय विधायक और अन्य सरकारी कामकाज।

11 दिसंबर (अंतिम दिन) प्रश्नकाल के बाद गैर सरकारी संकल्प का निपटारा होगा।

सोमेश चंद्र सोरेन लेंगे शपथ

सत्र के पहले दिन, घाटशिला उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी बाबूलाल सोरेन को हराकर नवनिर्वाचित हुए विधायक श्री सोमेश चंद्र सोरेन को शपथ दिलाई जाएगी। उन्होंने अपने पिता स्वर्गीय रामदास सोरेन के असामयिक निधन से खाली हुई सीट पर जीत दर्ज की है।

अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन मंच पर बलरामपुर टीम को मिला हिंदू रत्न सम्मान

बलरामपुर। गोरखपुर,योगी गंभीर नाथ। प्रेक्षाग्रह मेंआयोजित अंतरराष्ट्रीय हिंदू सम्मेलन एवं प्रांतीय अधिवेशन के दौरान विश्व हिंदू महासंघ बलरामपुर जिला अध्यक्ष को " हिंदू रत्न सम्मान"से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में प्रदेश स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन के आधार पर जिले की टीम को प्रदेश में दूसरा स्थान प्राप्त हुआ।सम्मेलन में प्रदेश अध्यक्ष भिखारी प्रजापति ने सम्मान पत्र प्रदान करते हुए कहा कि चौधरी विजय सिंह एवं टीम ने संगठन को गांव-गांव तक विस्तार करते हुए मजबूती प्रदान की है जिसमें उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि वह आगे भी अपनी टीम के साथ समाज और संगठन को सशक्त करने का कार्य करते रहेंगे।

सोशल मीडिया प्रदेश अध्यक्ष गंगा शर्मा कौशिक ने सम्मान को जिले के लिए गौरवपूर्ण बताया, उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया टीम और जिला इकाई के संयुक्त प्रयास से बलरामपुर टीम ने प्रदेश में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए दूसरा स्थान प्राप्त किया इस अवसर पर प्रदेश उपाध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने बलरामपुर टीम को बधाई देते हुए आशा किया कि आगे समय में प्रथम स्थान प्राप्त करेंगे।

इस अवसर पर विश्व हिंदू महासंघ के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्क्षा अस्मिता भंडारी के अलावा 6 राष्ट्रो के विश्व हिंदू महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष विभिन्न प्रांतो से आए हजारों कार्यकर्ता एवं पदाधिकारी उपस्थित रहे साथ ही जिला अध्यक्ष चौधरी विजय सिंह वरिष्ठ उपाध्यक्ष जीवनलाल मिथिलेश गिरी सुग्रीव कश्यप जय सिंह राधेश्याम कौशल कालीदीन सरोज प्रदीप कुमार संजय शिव कुमार राजू राम जागर बसंत पांडे प्रेम मिश्रा नरेंद्र देव विजय प्रताप सोनी आदि उपस्थित रहे।

अल फलाह यूनिवर्सिटी के फाउंडर जवाद सिद्दीकी ईडी की रिमांड में, आतंकी डॉक्टरों का खुलेगा राज

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दिल्ली की एक विशेष अदालत ने अल-फलाह समूह के चेयरमैन जावद अहमद सिद्दीकी को 13 दिन की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) हिरासत में भेज दिया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शीतल चौधरी प्रधान ने आधी रात के बाद अपने चैंबर में सुनवाई कर यह आदेश पारित किया। जावेद अहमद सिद्दकी से अब ईडी राज उगलवाने की तैयारी में है।

एक ओर एनआईए दिल्ली ब्लास्ट से जुड़े आतंकी डॉक्टरों के अल फलाह कनेक्शन की जांच कर रही है। वहीं प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लांड्रिंग के तहत मामला दर्ज किया है। ईडी ने मंगलवार को यूनिवर्सिटी के ओखला स्थित मुख्यालय और ट्रस्टियों के ठिकानों पर छापेमारी भी की थी। मंगलवार को लाल किला कार धमाके मामले से जुड़े यूनिवर्सिटी के ट्रस्टियों और प्रवर्तकों के खिलाफ दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में कई जगहों पर रेड डालने के बाद ग्रुप के अध्यक्ष जवाद अहमद को गिरफ्तार किया था।

मनी लॉन्ड्रिंग के तहत गिरफ्तारी

जवाद की गिरफ्तारी दिल्ली धमाके मामले की जगह मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले की गई है। गिरफ्तारी के बाद जवाद को साकेत कोर्ट की एडिशनल सेशन जज शीतल चौधरी प्रधान के घर में रात 11:00 बजे अल फलाह विश्वविद्यालय के संस्थापक को पेश किया गया था। रिमांड आदेश में अदालत ने कहा है कि सिद्दीकी के खिलाफ बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी, फर्जी मान्यता दावे करने और अल-फलाह विश्वविद्यालय से प्राप्त धन को अन्यत्र हस्तांतरित करने से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध का संलिप्त होने के पर्याप्त आधार मौजूद हैं।

यूनिवर्सिटी से जुड़े लाल किला कार धमाका के तार

बता दें कि लाल किला कार बम धमाका मामले के तार इस यूनिवर्सिटी से जुड़े हैं। इस धमाके को अंजाम देने वाला डॉक्टर उमर नबी इसी विश्वविद्यालय के अस्पताल से जुड़ा था। इसके अलावा सफेदपोश आतंकी नेटवर्क में पकड़े गए कई लोग इस संस्थान से जुड़े हैं। दिल्ली धमाके की जांच आगे बढ़ने पर विश्वविद्यालय भी जांच में दायरे में आ गया है। इस विश्वविद्यालय के वित्तीय लेन-देन की जांच के बाद अब ईडी ने संस्थापक जावद सिद्दीकी को गिरफ्तार किया है।

यूनिवर्सिटी के खिलाफ क्या है मामला?

ईडी ने यह जांच दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा की ओर से दर्ज दो एफआईआर के आधार पर शुरू की है। ये दोनों एफआईआर 13 नवंबर को दर्ज कराई गई थी। इन एफआईआर में NACC Accreditation और यूजीसी से जुड़े झूठे दावे किए जाने का जिक्र है। दिल्ली पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता के तहत धारा 318 (4), 336 (2), 336 (3), 336 (4), 338 और 340 (2) के तहत केस दर्ज किया। FIR में यह आरोप लगाया गया था कि फरीदाबाद स्थित अल फलाह यूनिवर्सिटी ने गलत तरीके से NAAC मान्यता (Accreditation) होने का दावा किया। यही नहीं यूनिवर्सिटी ने UGC के सेक्शन 12(B) के तहत मान्यता होने की झूठी जानकारी दी। ताकि छात्रों, माता-पिता और आम जनता को गुमराह कर आर्थिक फायदा लिया जा सके। इस बीच UGC ने भी साफ कर दिया है कि अल फहल यूनिवर्सिटी सिर्फ सेक्शन 2(f) के तहत एक स्टेट प्राइवेट यूनिवर्सिटी के रूप में लिस्टेड है और उसने कभी भी 12(B) के तहत मान्यता के लिए आवेदन नहीं किया है।

आजमगढ़:-वर्षों से खराब सड़क के निर्माण से कस्बा के लोगों में खुशी का माहौल
वी कुमार यदुवंशी
आजमगढ़। फूलपुर कस्बा के सरहद से लेकर पशु अस्पताल तक जाने वाली सड़क वर्षों से खराब थी। जिसके चलते आवागमन में लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। 
गढ्ढों में तब्दील सड़क पर चलने के दौरान कई बार तो साइकिल और बाइक से गिर कर  काफी चोटिल हो जाते थे। प्रधान संघ अध्यक्ष फूलपुर के प्रधान ऊदपुर अमित कुमार यादव के अथक प्रयास से सड़क की मरम्मत का कार्य शुरू हो गया है। प्रधान अमित कुमार यादव ने बताया कि लगभग 8 लाख से रोड के मरम्मत का कार्य शुरू हुआ है। जिसकी चौड़ाई 4.20 मीटर और लम्बाई 125 मीटर है। यह स्वीकृति फूलपुर ब्लाक प्रमुख अर्चना यादव के निधि से प्राप्त हुआ है। इस सड़क के बनने से लोगो में हर्ष व्याप्त है।

आजमगढ़:-वर्षों से खराब सड़क के निर्माण से कस्बा के लोगों में खुशी का माहौल
वी कुमार यदुवंशी
आजमगढ़। फूलपुर कस्बा के सरहद से लेकर पशु अस्पताल तक जाने वाली सड़क वर्षों से खराब थी। जिसके चलते आवागमन में लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। 
गढ्ढों में तब्दील सड़क पर चलने के दौरान कई बार तो साइकिल और बाइक से गिर कर  काफी चोटिल हो जाते थे। प्रधान संघ अध्यक्ष फूलपुर के प्रधान ऊदपुर अमित कुमार यादव के अथक प्रयास से सड़क की मरम्मत का कार्य शुरू हो गया है। प्रधान अमित कुमार यादव ने बताया कि लगभग 8 लाख से रोड के मरम्मत का कार्य शुरू हुआ है। जिसकी चौड़ाई 4.20 मीटर और लम्बाई 125 मीटर है। यह स्वीकृति फूलपुर ब्लाक प्रमुख अर्चना यादव के निधि से प्राप्त हुआ है। इस सड़क के बनने से लोगो में हर्ष व्याप्त है।
धनबाद: झरिया में सनसनीखेज वारदात, पेट्रोल पंप के पास युवक को सिर में मारी गोली; अज्ञात बाइक सवार तीन बदमाश फरार, इलाके में हड़कंप

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धनबाद: जिले के झरिया थाना क्षेत्र अंतर्गत रत्नजी इलाके में मंगलवार दोपहर एक सनसनीखेज हत्या की घटना सामने आई है। पेट्रोल पंप के पास बाइक सवार तीन अज्ञात बदमाशों ने एक युवक को बेहद करीब से सिर में गोली मार दी, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।

मौके पर ही मौत, दहशत का माहौल

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, तीन बाइक सवार हमलावर अचानक आए, युवक को गोली मारी और तेजी के साथ मौके से फरार हो गए। गोली लगते ही युवक सड़क पर गिर पड़ा। स्थानीय लोगों ने तुरंत झरिया थाना पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने घायल युवक को तत्काल अस्पताल पहुंचाया, लेकिन डॉक्टरों ने जाँच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया।

तीन थानों की पुलिस जांच में जुटी

घटना की सूचना मिलते ही पूरे इलाके में हड़कंप मच गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए तीन थानों की पुलिस टीमें तुरंत घटनास्थल पर पहुंचीं और जाँच पड़ताल में जुट गईं। सिंदरी एसडीपीओ आशुतोष कुमार सत्यम और लॉ एंड ऑर्डर के डीएसपी नौशाद आलम भी दलबल के साथ मौके पर पहुंचे और घटना की जानकारी ली।

पुलिस ने अपराधियों की पहचान करने के लिए आसपास लगे सीसीटीवी फुटेज को खंगालना शुरू कर दिया है। घटनास्थल से युवक का मोबाइल फोन, चप्पल और एक खोखा बरामद किया गया है।

मृतक की पहचान नहीं

सिंदरी एसडीपीओ आशुतोष कुमार सत्यम ने बताया कि मृत युवक की पहचान अभी तक नहीं हो सकी है और न ही इस हमले के पीछे के कारणों का खुलासा हो सका है।

"सीसीटीवी फुटेज में पूरी घटना कैद है और उसके आधार पर पुलिस आगे की कार्रवाई कर रही है। जल्द ही अपराधियों को गिरफ्तार कर मामले का खुलासा किया जाएगा।"

शिया पी.जी. कॉलेज लखनऊ में स्वैच्छिक रक्तदान शिविर, युवाओं ने दिखाया जोश, 35 ने किया जीवनदायिनी रक्तदान
लखनऊ । एंथ्रोलॉजी विभाग, शिया पी.जी. कॉलेज लखनऊ एवं ह्यूमेन फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में 18 नवम्बर 2025 को स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का सफल आयोजन किया गया। शिविर में युवाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, जहां 60 से अधिक प्रतिभागियों ने रजिस्ट्रेशन कराया और 35 रक्तदाताओं ने स्वैच्छिक रक्तदान किया।

रक्तदान मानवता की सर्वोच्च सेवा: प्रोफेसर रजा बाकरी

शिविर का शुभारंभ महाविद्यालय के प्रिंसिपल प्रोफेसर शबीहे रज़ा बाकरी द्वारा किया गया। उन्होंने रक्तदाताओं का उत्साह बढ़ाते हुए कहा रक्तदान मानवता की सर्वोच्च सेवा है। छात्र जीवन में किया गया प्रत्येक रक्तदान न केवल किसी जरूरतमंद की जान बचाता है, बल्कि समाज के प्रति जिम्मेदारी का भी भाव जगाता है। ऐसे आयोजन युवाओं को समाजसेवा के लिए प्रेरित करते हैं।”

युवाओं को प्रोत्साहित करने का उद्देश्य : असमा खान

शिविर की मुख्य आयोजक एवं ह्यूमेन फाउंडेशन की डायरेक्टर असमा खान ने कहा इस शिविर का उद्देश्य रक्तदान से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करना और युवाओं को आगे आने के लिए प्रेरित करना है। जब युवा स्वेच्छा से रक्तदान करते हैं, तब समाज में जीवनरक्षक रक्त की उपलब्धता सुनिश्चित होती है।

नियमित रक्तदान शिविरों की जरूरत : विभागाध्यक्ष

शिविर के विशिष्ट अतिथि एवं एंथ्रोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर सैय्यद ऐमन रज़ा ने कहा ऐसे स्वैच्छिक रक्तदान शिविर प्रत्येक शैक्षणिक संस्थान में नियमित रूप से आयोजित होने चाहिए। इससे युवाओं में सामाजिक उत्तरदायित्व और सकारात्मक जागरूकता विकसित होती है।”

शिक्षक, कर्मचारी और छात्र रहे सक्रिय

रक्तदान शिविर में कॉलेज के अध्यापकगण, कर्मचारी और बड़ी संख्या में विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्ण भागीदारी की। 60+ रजिस्ट्रेशन और 35 रक्तदान ने शिविर को उल्लेखनीय सफलता प्रदान की।

इनका रहा विशेष सहयोग

इस आयोजन में असिस्टेंट प्रो. डॉ. अर्चना सोलंकी, जी.एम.यू. लखनऊ ब्लड बैंक टीम, तथा जितेंद्र सिंह, संस्थापक – लखनऊ पुलिस मित्र परिवार का महत्वपूर्ण सहयोग रहा।साथ ही वॉलेंटियर अखिलेश यादव, मोहम्मद अली, युसरा, तौफीक, अलीना, इकरा ने कार्यक्रम को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई।