दो करोड़ से होगा ढेमवाघाट पर बनेगा पीपे का पुल,64.96 लाख रुपये की पहली किस्त जारी
![]()
बाढ़ में बह गया था पुल का एक हिस्सा
गोंडा।जिले के नवाबगंज क्षेत्र अंतर्गत ढेमवाघाट पुल पर अस्थाई पीपे के पुल का निर्माण होने जा रहा है।इससे नवाबगंज, गोंडा व अयोध्या के लाखों लोगों को आवागमन में बड़ी राहत मिलेगी।इस पुल के निर्माण में 2 करोड़ 16 लाख रूपए की लागत आएगी।कैसरगंज से भाजपा सांसद करण भूषण सिंह व तरबगंज से भाजपा विधायक प्रेम नारायण पांडेय के प्रयासों से यह परियोजना स्वीकृत हुई है।शासन ने पुल निर्माण की जिम्मेदारी लोक निर्माण विभाग को सौंपा है।पुल निर्माण के लिए प्रथम किस्त के रूप में 64.96 लाख रूपए शासन द्वारा आवंटित किया गया है।जिसमें अनुदान संख्या 57 से 51.18 लाख रुपए और अनुदान संख्या 83 से 13.78 लाख रुपए शामिल है।वर्ष 2021 में आई भीषण बाढ़ के कारण ढेमवाघाट पुल का एक हिस्सा घाघरा नदी में बह गया था।इसके बाद गोंडा और अयोध्या के बीच आवागमन बाधित था,जिससे स्थानीय लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था।पुल टूटने के बाद बीते चार सालों से जान जोखिम में डालकर नाव से नदी पार करने को मजबूर थे।इस दौरान कई वाहन फंसे,जिन्हें स्थानीय लोगों की मदद से निकाला गया।हाल ही में आई बाढ़ में एक बुल्डोजर भी फंस गया था,जिसे क्रैन से बाहर निकाला गया।इस बड़ी सौगात के लिए सांसद करण भूषण सिंह और विधायक प्रेम नारायण पांडेय ने सोशल मीडिया के माध्यम से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आभार व्यक्त किया है।जनप्रतिनिधियों द्वारा स्थाई पुल निर्माण की मांग की जा रही थी,फिलहाल अस्थाई पीपे पुल का निर्माण किया जाएगा।बाढ़ इतनी भीषण थी कि कैसरगंज के पूर्व सांसद बृज भूषण शरण सिंह के घर तक पानी पहुंच था ऐसे में बृजभूषण शरण सिंह को ट्रैक्टर ट्राली के माध्यम से आना जाना पड़ रहा था और उसी दौरान बृजभूषण शरण सिंह ने पहली बार तंज भी कसा था।पुल के निर्माण को लेकर के वर्ष 2022 में बृजभूषण शरण सिंह ने मौके पर पहुंचकर के प्रेस वार्ता कर मांग की थी और कई बार उनके सांसद बेटे ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी।जिसका नतीजा है कि ढेमवाघाट पर अस्थाई पीपे के पुल का निर्माण होने जा रहा है।कैसरगंज सांसद करण भूषण सिंह व विधायक प्रेम नारायण पांडेय ने बताया कि जल्द ही पुल का निर्माण कार्य भी शुरू हो जायेगा।23 अगस्त को ही लोक निर्माण विभाग देवीपाटन मंडल के मुख्य अभियंता अखिलेश कुमार दिवाकर द्वारा इसको लेकर स्वीकृत प्रदान करने के लिए शासन को पत्र भी भेजा गया था।






संजय द्विवेदी प्रयागराज।उमेश चन्द्र गणेश केसरवानी महापौर द्वारा नगर निगम द्वारा वर्तमान समय में शहर में बेहतर साफ सफाई के सम्बन्ध में बैठक आहुत की गयी।बैठक में साई तेजा नगर आयुक्त दीपेन्द्र यादव अपर नगर आयुक्त डा0महेश कुमार नगर स्वास्थ्य अधिकारी समस्त जोनल अधिकारी राम सक्सेना अवर अभियन्ता व जोनल सीनेटरी निरीक्षक उपस्थित रहे।महापौर द्वारा आक्रोश व्यक्त करते हुये समस्त अधिकारियों को शहर की सफाई व्यवस्था की वर्तमान व्यवस्था से अवगत कराया गया कि शहर के सभी डिवाईडरो के दोनों तरफ, रोड के किनारे स्थित पेड़ तथा सभी ओवर ब्रिज के नीचे तथा स्टेशन से जाने वाले मार्गो पर गन्दगी व्याप्त है।महापौर द्वारा निर्देश दिये गये कि उक्त सभी स्थानो की सफाई व्यवस्था सुदृढ़ की जाय इसमे किसी भी प्रकार की शिथिलता न बरती जाय।इसके अतिरिक्त रोड के किनारे स्थित पेड़ो व शहर में स्थापित मूर्तियो की सफाई प्रतिदिन व अल्टरनेट डे पर कराना सुनिश्चित किया जाय तथा माल्यापर्ण की व्यवस्था की जाय।स्प्रिंकल मशीनो के संचालन का रूट चार्ट मेरे कार्यालय को भी उपलब्ध कराया जाय।आगामी दिनों में माघ मेला 2025 जनवरी में प्रारम्भ होगा इसको दृश्टिगत रखते हुए मेला मार्ग स्टेशन व हवाई अड्डा जाने व आने मार्ग को समुचित तरह से साफ रखा जाय।गंगा यमुना के किनारे के घाटो को स्वच्छ रखा जाय तथा अस्थाई चेंजिग रूम व शौचालय की व्यवस्था रखी जाय।
मानवाधिकार दिवस पर समावेशी शिक्षा : दिव्यांग शिक्षार्थियों के अधिकार और शिक्षक की भूमिका” विषयक संगोष्ठी
सुलतानपुर,रा.प्र.पी.जी.कॉलेज के बी.एड. विभाग द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर “समावेशी शिक्षा : दिव्यांग शिक्षार्थियों के अधिकार और शिक्षक की भूमिका” विषय पर एक सारगर्भित एवं जागरूकता-परक संगोष्ठी का सफल आयोजन किया गया। संगोष्ठी की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष डॉ. भारती सिंह ने की। उन्होंने कहा कि समावेशी शिक्षा मानवाधिकारों की सच्ची अभिव्यक्ति है। हर बच्चे के भीतर सीखने की क्षमता होती है, बस शिक्षक को उसे पहचानने और अवसर देने की आवश्यकता होती है।
असिस्टेंट प्रोफेसर शांतिलता कुमारी ने अपने उद्बोधन में कहा कि दिव्यांगता किसी विद्यार्थी की सीखने की क्षमता को कम नहीं करती; बाधा केवल समाज की सोच और शिक्षण वातावरण में होती है। शिक्षक यदि सहयोगी दृष्टिकोण अपनाएँ, तो कक्षा हर बच्चे के लिए सहज बन सकती है। डॉ. संतोष अंश ने कहा कि समावेशी शिक्षा से ही हम ऐसा समाज बना सकते हैं जहाँ किसी भी बच्चे को उसकी कमी के आधार पर अलग-थलग न किया जाए। शिक्षक ही वह सेतु हैं जो दिव्यांग विद्यार्थियों को मुख्यधारा से जोड़ते हैं।समावेशी शिक्षा केवल कक्षा का विषय नहीं, बल्कि मानवता का दायित्व है ।
दिव्यांग शिक्षार्थियों की राष्ट्र उन्नयन में महती भूमिका है, उसे समावेशी शिक्षा का अधिकार सुलभ कराना शिक्षक और का दायित्व है। उसके अनुकूल विद्यालय का वातावरण होना चाहिये। डॉ. सीमा सिंह ने कहा कि विशेष आवश्यकता वाले विद्यार्थियों के लिए बहु-संवेदी शिक्षण अत्यधिक प्रभावी होता है। शिक्षकों को लचीली पद्धतियों को अपनाना चाहिए ताकि हर विद्यार्थी समान रूप से सीख सके। बी.एड. द्वितीय वर्ष की आर्चिता सिंह ने कहा कि समावेशी शिक्षा का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि हर बच्चे को सम्मान और सुरक्षा का वातावरण मिले। एक सच्चा शिक्षक वही है जो विद्यार्थी की कमजोरी नहीं, उसकी क्षमता को पहचानता है। अनुभवी सिंह ने कहा कि दिव्यांग शिक्षार्थियों को केवल सहानुभूति की नहीं, अवसर और उपयुक्त संसाधनों की आवश्यकता होती है।

3 hours ago
- Whatsapp
- Facebook
- Linkedin
- Google Plus
0- Whatsapp
- Facebook
- Linkedin
- Google Plus
1.4k