जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक ने संयुक्त रूप से जिला कारागार का किया निरीक्षण

गोण्डा। 21 नवम्बर, 2025 जिलाधिकारी गोण्डा प्रियंका निरंजन एवं पुलिस अधीक्षक विनीत जायसवाल ने जिला कारागार का संयुक्त निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान अधिकारियों ने वहां पर कैदियों से वार्ता की तथा उन्हें जेल में दी जा रही सुविधाओं एवं उनकी समस्याओं के संबंध में जानकारी ली। निरीक्षण के दौरान कारागार अस्पताल में जाकर वहां पर भर्ती कैदियों से मुलाकात किया, साथ ही सभी भर्ती कैदियों से वार्ता कर उनकी समस्याओं के संबंध में जानकारी ली।

 जिलाधिकारी तथा एसपी ने स्वयं विभिन्न बैरकों, अस्पताल, भोजनालय, भंडार कक्ष, पुस्तकालय आदि का निरीक्षण किया तथा संबंधित को निर्देश दिए कि जेल में जेल मैनुअल के अनुसार कैदियों को सभी सुविधाएं मुहैया कराई जाएं। इसके साथ ही ऐसे कैदी जिनके पास वकील नहीं है उनके लिए सरकारी वकील का भी प्रबंध कराया जाय। जेल में निरुद्ध कैदियों का बराबर मेडिकल चेकअप कराने के भी निर्देश दिए।

निरीक्षण के दौरान जेल अधीक्षक, डिप्टी जेलर, कारागार डॉक्टर सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

पूर्वी यूपी में पहली बार PFO डिवाइस क्लोज़र से क्रॉनिक माइग्रेन का सफल इलाज।

15 वर्षो से पीड़ित 50 वर्षीय महिला को मिली बड़ी राहत।

संजय द्विवेदी प्रयागराज।पूर्वी उत्तर प्रदेश के चिकित्सा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्ज की गई है।यहां 50 वर्षीय महिला के हृदय में मौजूद 5 मिमी के पीएफओ(Patent Foramen Ovale)को डिवाइस क्लोज़र तकनीक के माध्यम से सफलतापूर्वक बंद कर दिया गया। महिला पिछले 15 वर्षो से गम्भीर क्रॉनिक माइग्रेन से पीड़ित थी और लगातार इलाज के बावजूद उसे कोई राहत नहीं मिल पा रही थी।यह प्रक्रिया पूर्वी यूपी में अपने प्रकार की पहली सफल प्रक्रिया मानी जा रही है।इस जटिल प्रक्रिया (ऑपरेशन) को कार्डियोलॉजी विभाग की विशेषज्ञ टीम—डॉ. वैभव श्रीवास्तव, डॉ.विमल निषाद एवं डॉ.ऋषिका पटेल — ने सफलता पूर्वक अंजाम दिया। प्रक्रिया के दौरान कार्डियक तकनीशियन रामनिवास और जयप्रकाश ने भी महत्वपूर्ण तकनीकी सहयोग प्रदान किया।

प्रक्रिया के बाद जानकारी देते हुए डॉ. वैभव श्रीवास्तव ने बताया कि पीएफओ सामान्यतः हर चार में से एक व्यक्ति में पाया जाता है लेकिन इसका माइग्रेन से सम्बन्ध बहुत ही कम मामलों में देखने को मिलता है। जब हृदय के दाएं हिस्से का रक्त इस छोटे छिद्र के माध्यम से बाएं हिस्से में पहुंचता है तो कुछ मरीजों में असहनीय माइग्रेन की समस्या उत्पन्न हो सकती है।ऐसे चयनित मामलों में डिवाइस क्लोज़र एक प्रभावी उपचार विकल्प साबित होता है।वही डॉ.विमल निषाद ने बताया कि कुछ उच्च जोखिम वाले पीएफओ मामलों में स्ट्रोक की संभावना भी बनी रहती है इसलिए समय रहते जांच और उपचार बेहद जरूरी है।

विभागाध्यक्ष डॉ.पीयूष सक्सेना ने इसे क्रॉनिक माइग्रेन से पीड़ित मरीजो के लिए एक नवीन और आशाजनक उपचार विधि बताते हुए कहा कि इससे उन मरीजों को राहत मिल सकेगी जो लम्बे समय से दवाइयों पर निर्भर रहने के बावजूद आराम नहीं पा रहे थे।मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ वी.के.पाण्डेय के अनुसार यह उपलब्धि पूर्वी उत्तर प्रदेश में आधुनिक चिकित्सा के क्षेत्र में एक नया अध्याय जोड़ती है और भविष्य में गम्भीर माइग्रेन व पीएफओ से पीड़ित मरीजो के लिए नई उम्मीद का मार्ग प्रशस्त करेगी।

45 वर्षीय महिला के ऑपरेशन करके 13 किलो 500 ग्राम का ट्यूमर निकाल कर सर्जन ने जान बचाई

फर्रुखाबाद lडा०राममनोहर लोहिया पुरुष चिकित्सालय में कार्यरत "सर्जन" मेजर डा०रोहित तिवारी, के द्वारा चिकित्सालय में आने वाले रोगियों को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है. इस चिकित्सालय में आने वाले अति दयनीय, शोषित, गरीब आदि को निशुल्क सरकार की मंशा के अनुसार ऑपरेशन, और ओपीडी में परामर्श के साथ ही कभी-कभी अपने स्तर से आर्थिक सहायता आदि करना इनकी दिनचर्या में शामिल हो चुका है l

"सर्जन" मेजर डा०रोहित तिवारी, के द्वारा गुरुवार को एक महिला मरीज पूनम 45 वर्ष का सफल ऑपरेशन अपनी टीम के साथ किया गया, जो कि इससे पूर्व इस चिकित्सालय में किसी के द्वारा अभी तक नहीं किया गया है। यह एक अकल्पनीय कार्य किया गया है l रोगी पूर्णरूप से स्वस्थ्य है और चल भी रही है। उन्होंने कहा कि 

 पूनम 45 वर्ष  13.5 किलो का जानलेवा ट्यूमर हटाकर 45 वर्षीय महिला की जान बचाई गई l उन्होंने कहा कि 

मरीज कई महीनों से गंभीर समस्याओं से जूझ रही थीं।

पेट में तेजी से बढ़ते ट्यूमर के कारण उन्हें आतों में रुकावट और पेशाब रुकनाबढ़ता दर्द, भूख कम, चलने-फिरने में कठिनाई

जांच में पता चला कि पेट में 13.5 किलो का विशाल मौजूद था, जो आंतों व मूत्राशय को दबाकर स्थिति को लगातार खराब कर रहा था। उन्होंने कहा कि अन्य संस्थानों की रिपोर्ट

निजी अस्पतालों ने ऑपरेशन का खर्च ₹5 लाख से अधिक बताया था l

उन्होंने कहा कि जी एस वी एम कानपुर ने मरीज को दिल्ली रेफर किया lएएम एस में सर्जरी की तारीख 2 साल बाद दी गई

स्थिति गंभीर थी और मरीज को तुरंत सर्जरी की आवश्यकता थी।

सर्जरी का निर्णय का निर्णय लिया गया l मरीज को लोहिया अस्पताल लाया गया जहाँ भर्ती करने के बाद इलाज किया गया l

Sambhal हसनपुर मुंजबता में आवासीय पट्टों को लेकर विवाद, ग्रामीण ट्रैक्टर से नई तहसील पहुंचे, तहसीलदार से कार्रवाई की मांग

ग्राम पंचायत हसनपुर मुंजबता में आवासीय पट्टों को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। इसी मुद्दे को लेकर गांव के दर्जनों ग्रामीण ट्रैक्टरों पर सवार होकर नई तहसील सम्भल पहुंचे और तहसीलदार को प्रार्थना पत्र सौंपकर तत्काल संज्ञान लेने की मांग की। ग्रामीणों ने बताया कि वर्ष 1965, 1973, 1988 और 1990 में ग्राम समाज की भूमि पर तहसील प्रशासन द्वारा आवासीय पट्टे जारी किए गए थे, जिन पर लोग दशकों से बसे हुए हैं।

ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि अब 40 वर्षों बाद कुछ लोग पुराने पट्टों पर आपत्ति उठाकर दलित एवं गरीब परिवारों को अनावश्यक रूप से परेशान कर रहे हैं। गाटा संख्या 313,356 से संबंधित पट्टों पर विवाद को लेकर प्रभावित परिवारों में भय और असुरक्षा की स्थिति बन गई है। ज्ञापन में यह भी कहा गया कि गांव का एक व्यक्ति, जिसकी राशन की दुकान पहले किसी अन्य सदस्य को आवंटित हो गई थी, दुश्मनी के चलते पट्टाधारकों को परेशान कर रहा है। ग्रामीणों ने तहसीलदार से मांग की कि सभी पुराने रिकॉर्ड की जांच कर, वैध पट्टाधारकों को संरक्षण दिया जाए और किसी भी प्रकार का भेदभाव न हो। उन्होंने कहा कि प्रशासन तत्काल हस्तक्षेप कर विवाद को शांत करे ताकि बेवजह परेशान किए जा रहे परिवारों को राहत मिल सके। तहसीलदार ने प्रार्थना पत्र प्राप्त कर कार्रवाई का आश्वासन दिया।

मां विंध्यवासिनी मेडिकल कॉलेज अंतर्गत मंडलीय चिकित्सालय में अल्ट्रासाउंड डॉक्टर का कारनामा

मीरजापुर। मां विंध्यवासिनी स्वायत्तशासी महाविद्यालय अंतर्गत मंडलीय चिकित्सालय इस समय अपने ऊल- जुलुल हरकतों व नौसीखीया डॉक्टरो के उपेक्षा पूर्ण रवैया और गुंडागर्दी से काफी चर्चा में चल रहा है । इसी क्रम में 19 नवंबर को अल्ट्रासाउंड डॉक्टर ने एक और कारनामा कर दिखाया। अल्ट्रासाउंड के डॉक्टर और उनकी पूरी टीम ने फर्जी जॉच व रिपोर्ट तैयार कर प्रार्थी की घोर मानसिक क्षति कारित किया। अपने साथ हुए इस खिलवाड़ के संदर्भ में पीड़ित अधिवक्ता अजीत कुमार सिंह पुत्र कमलापति सिंह निवासी ग्राम लखौली, पो०-नेवढ़ियाघाट, थाना-को० दैहात, जनपद- मीरजापुर ने डा० अंकित शर्मा एमबीबीएस एमडी , डा० के० के० सिंह (अल्ट्रासाउण्ड डाक्टर) डा० एस० के० नायक (अल्ट्रासाउण्ड डाक्टर सीनियर), व 3 अन्य डाक्टर सहयोगियो के विरुद्ध जिलाधिकारी मिर्जापुर के यहां प्रार्थना पत्र देकर अपने साथ हुए घृणित मजाक के संदर्भ में डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने अपने पत्र में जिलाधिकारी को लिखा है कि प्रार्थी के कमर में दर्द की शिकायत थी जिसके कारण उसी दिन दिन समय लगभग 10:44 सुबह सरकारी अस्पताल जाकर विपक्षी सं0-1 से अपनी बात बताई जिस पर विपक्षी सं०-1 द्वारा अल्ट्रासाउण्ड करने की सलाह देते हुए प्रार्थी के पर्चा पर अल्ट्रासाउण्ड करने हेतु कहा गया तब प्रार्थी अस्पताल के अल्ट्रासाउण्ड विभाग में जाकर उसी दिन अपनी जाँच कराया जॉच रिपोर्ट में विपक्षी सं0-2 द्वारा यह लिखा गया कि प्रार्थी की दाहिने साइट की किडनी नही है। प्रार्थी जब उक्त रिपोर्ट विपक्षी सं०-1 जो कि उक्त विभाग के डाक्टर है को दिखाया तो वह उनके साथ बैठे 3 अन्य डाक्टरो को उक्त रिपोर्ट दिखाकर प्रार्थी को आश्चर्य भरी नजरो से देखने लगे प्रार्थी को शंका हुआ तो प्रार्थी उनसे पूछा कि डाक्टर साहब मेरी रिपोर्ट सही है कि नही तो डाक्टर विपक्षी सं०-1 मुझसे कहे कि आप कि दाहिनी किडनी जन्म से ही नहीं है।

 यह सुनते ही प्रार्थी का ब्लड पेसर काफी बढ़ गया । वहाँ मौके पर मौजूद कर्मचारी द्वारा मुझे कुर्सी पर बैठाकर मेरा बी०पी० चेक किय जिसमें बी०पी० 150 से ज्यादा बढ़ने लगा तब हमे डाक्टरो द्वारा बी०पी० की दवा देते हुए आश्वासन दिया गया कि आप एक किडनी पर जीवित रह सकते है। प्रार्थी उक्त विपक्षी गणो के द्वारा बताये गये जॉच रिपोर्ट से अवसाद में चला गया।

 तब मेरे परिवार वालो ने इसका कारण पूछा, तो मैने उन्हे सारी बात बताई । जिस पर परिवार वाले मुझे सतीश डायग्नोस्टिक रामबाग मीरजापुर लेकर आये और प्रार्थी का फुल चेक/अल्ट्रासाउण्ड कराया। उस जॉच में प्रार्थी की दोनो किडनी सही पाई गई। विपक्षीग फर्जी जॉच व रिपोर्ट तैयार कर प्रार्थी को घोर मानसिक शारीरिक आर्थिक छति पहुचाने का कार्य किये है। प्रार्थी प्रार्थना पत्र के साथ उक्त दोनो अल्ट्रासाउण्ड की रिपोर्ट संल कर रहा है। ऐसी स्थिति में उक्त विपक्षीगण की विभागीय जाँच कराकर दोषी पाये पर इनके विरूद्ध विभागीय कार्यवाही किया जाना उचित एवं न्याय संगत होगा। इस संदर्भ में पीड़ित के द्वारा श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के जिलाध्यक्ष दिलीप सिंह गहरवार से भी मदद मांगी गई , और उन्होंने जिलाधिकारी महोदय से मिलकर इस संदर्भ में प्रार्थना पत्र दिलवा कर तत्काल ऐसे अयोग्य डॉक्टरो के विरुद्ध कार्यवाही की मांग की है । उन्होंने साथ ही साथ यह भी चेतावनी दी है कि यदि जीवन के साथ खिलवाड़ करने वाले ऐसे डॉक्टरों को तत्काल यहां से कार्य मुक्त नहीं किया गया तो श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना बड़े स्तर पर मंडलीय चिकित्सालय में धरना प्रदर्शन व अग्रिम कार्यवाही के लिए बाध्य होगी जिसकी सारी जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी। 

मौके पर उपस्थित रहने वालों में जिला अध्यक्ष दिलीप सिंह गहरवार पूर्वांचल सचिव अभिषेक सिंह धवल ,जिला उपाध्यक्ष राकेश सिंह राणा, जिला उपाध्यक्ष इंस्पेक्टर सिंह शिवम, नगर अध्यक्ष युवराज सिंह युवा जिला अध्यक्ष  ऋषि कुमार सिंह प्रांजल, शाश्वत सिंह जंग बहादुर सिंह अजीत कुमार सिंह मधुकर मिश्रा एडवोकेट अरुण सिंह एडवोकेट हेमंत कुमार प्रवीण दीक्षित एडवोकेट सहित श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना सभी पदाधिकारी उपस्थित रहे।

पीके अपनी इनकम का 90 फीसदी हिस्सा पार्टी को करेंगे दान, बोले- अब सिर्फ पैसे देने वाले से करूंगा मुलाकात

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जनसुराज अभियान के संस्थापक नेता प्रशांत किशोर ने गुरुवार को बड़ा ऐलान किया। बिहार के पश्चिम चंपारण के भितिहरवा में एक दिन के मौन उपवास के बाद प्रशांत किशोर ने पार्टी के लिए अपनी संपत्ति दान करने और लोगों से मिलने के लिए अपनी फीस तय करने का ऐलान किया है। प्रशांत किशोर ने चुनावी हार के बाद अब पूरी तरह मिशन मोड में लौटने का ऐलान करते हुए कहा कि उनके अभियान को आर्थिक परेशानी नहीं हो इसको लेकर उन्होंने जन सुराज से जुड़े लोगों को एक-एक हजार रुपये पार्टी फंड में मदद करने की अपील की है। साथ ही कहा है कि जो लोग रुपया जमा नहीं करेंगे उससे हम नहीं मिलेंगे।

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एक घर को छोड़कर सब कुछ पार्टी को करेंगे दान

बिहार विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद मौनव्रत कर हार का प्रायश्चित करने के बाद पीके ने मीडिया से बात की। इस दौरान उन्होंने कहा कि अगले पांच वर्षों तक वह अपनी आय का 90 प्रतिशत पार्टी को दान देंगे। उन्होंने कहा, पिछले 20 वर्षों में जो भी चल-अचल संपत्ति अर्जित की है, दिल्ली में स्थित एक घर को छोड़कर, सब कुछ जन सुराज पार्टी को दान करूंगा।

अब पीके से मिलने के लिए देनें होंगे पैसे

मीडिया को संबोधित करते हुए पीके ने साफ कहा कि बिहार की गरीब जनता की आशा को आर्थिक बाधाएं नहीं रोक पाएंगी। पैसे की वजह से यह आंदोलन रुकने नहीं दूंगा। चाहे इसके लिए मुझे कुछ भी करना पड़े। पीके ने आगे कहा कि अब आगे उन्हीं लोगों से मिलेंगे, जो जन सुराज पार्टी को कम से कम एक हजार रुपया दान देंगे। अगर एक करोड़ लोग भी 1-1 हजार रुपया दे तो काफी होगा। इस प्रकार अगर एक करोड़ लोग 1-1 हजार रुपया जन सुराज को देंगे तो कुल 10 अरब रुपये जमा हो जाएंगे।

15 जनवरी से बिहार संकल्प यात्रा की घोषणा

दरअसल, जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर भितिहरवा गांधी आश्रम में एक दिवसीय मौन अनशन के बाद घोषणा की है कि वे 15 जनवरी से बिहार संकल्प यात्रा की शुरुआत करेंगे। इस यात्रा के दौरान वे राज्य के 1 लाख 18 हजार वार्डों में उन महिलाओं से मुलाकात करेंगे, जिन्हें सरकार द्वारा 10 हजार रूपये की राशि मिली है। इसके साथ ही उन्हें बिहार सरकार की ओर से दिए जाने वाले 2 लाख के लाभ के लिए फॉर्म भरवाने का कार्य भी करेंगे।

विनोद कुमार शुक्ल हिंदी के सर्वोच्च सम्मान ज्ञानपीठ से हुए सम्मानित



रायपुर- आज हिंदी के शीर्ष कवि-कथाकार विनोद कुमार शुक्ल को हिंदी का सर्वोच्च सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार, उनके रायपुर स्थित निवास पर दिया गया. ज्ञानपीठ के महाप्रबंधक आरएन तिवारी ने सम्मान के साथ उन्हें वाग्देवी की प्रतिमा और पुरस्कार का चेक उन्हें प्रदान किया गया.

विनोद कुमार शुक्ल ने अपने पाठकों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा- “जब हिन्दी भाषा सहित तमाम भाषाओं पर संकट की बात कही जा रही है, मुझे पूरी उम्मीद है नई पीढ़ी हर भाषा का सम्मान करेगी. हर विचारधारा का सम्मान करेगी. किसी भाषा या अच्छे विचार का नष्ट होना, मनुष्यता का नष्ट होना है.”

वे पिछले कई सालों से बच्चों और किशोरों के लिए भी लिख रहे हैं. अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा कि “मुझे बच्चों, किशोरों और युवाओं से बहुत उम्मीदें हैं. मैं हमेशा कहता रहा हूँ कि हर मनुष्य को अपने जीवन में एक किताब जरूर लिखनी चाहिए. अच्छी किताबें हमेशा साथ होनी चाहिए. अच्छी किताब को समझने के लिए हमेशा जूझना पड़ता है. किसी भी क्षेत्र में शास्त्रीयता को पाना है तो उस क्षेत्र के सबसे अच्छे साहित्य के पास जाना चाहिये.”

आलोचना को लेकर उन्होंने कहा कि “किसी अच्छे काम की आलोचना अगर की जाती है तो उन आलोचनाओं को अपनी ताकत बना लें. आलोचना जो है, दूसरों का विचार है, जो उपयोगी या अनुपयोगी हो सकता है. किसी कविता की सबसे अच्छी आलोचना का उत्तर उससे अच्छी एक और नयी कविता को रच देना है. किसी काम की सबसे अच्छी आलोचना का उत्तर, उससे और अच्छा काम करके दिखाना होना चाहिए. साहित्य में गलत आलोचनाओं ने अच्छे साहित्य का नुक़सान ज्यादा किया है.”

उन्होंने कहा कि “जीवन में असफलताएँ, गलतियाँ, आलोचनाएँ सभी तरफ़ बिखरी पड़ी मिल सकती हैं, वे बहुत सारी हो सकती हैं. उस बिखराव के किसी कोने में अच्छा, कहीं छिटका सा पड़ा होगा. दुनिया में जो अच्छा है, उस अच्छे को देखने की दृष्टि हमें स्वयं ही पाना होगा. इसकी समझ खुद विकसित करनी होगी. हमें अपनी रचनात्मकता पर ध्यान देना चाहिये. जब कहीं, किसी का साथ न दिखाई दे, तब भी चलो. अकेले चलो. चलते रहो. जीवन में उम्मीद सबसे बड़ी ताकत है. मेरे लिये पढ़ना और लिखना साँस लेने की तरह है.”

इससे पहले उन्होंने अपनी एक कविता का भी पाठ किया-

सबके साथ

सबके साथ हो गया हूँ

अपने पैरों से नहीं

सबके पैरों से चल रहा हूँ

अपनी आँखों से नहीं

सबकी आँखों से देख रहा हूँ

जागता हूँ तो सबकी नींद से

सोता हूँ तो सबकी नींद में

मैं अकेला नहीं

मुझमें लोगों की भीड़ इकट्ठी है

मुझे ढूँढो मत

मैं सब लोग हो चुका हूँ

मैं सबके मिल जाने के बाद

आख़िर में मिलूँगा

या नहीं मिल पाया तो

मेरे बदले किसी से मिल लेना.

विनोद कुमार शुक्ल के बारे में

छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में 1 जनवरी 1937 को जन्मे, लगभग 90 की उम्र के होने को आए विनोद कुमार शुक्ल हिंदी साहित्य के ऐसे रचनाकार हैं, जो बहुत धीमे बोलते हैं, लेकिन साहित्य की दुनिया में उनकी आवाज़ बहुत दूर तक सुनाई देती है. मध्यमवर्गीय, साधारण और लगभग अनदेखे रह जाने वाले जीवन को शब्द देते हुए हिंदी में एक बिल्कुल अलग तरह की संवेदनशील, न्यूनतम और जादुई दुनिया रची. वे उन दुर्लभ लेखकों में हैं, जिनके यहाँ एक साधारण कमरा, एक खिड़की, एक पेड़, एक कमीज़ या घास का छोटा-सा टुकड़ा भी किसी पूरे ब्रह्मांड की तरह खुल जाता है.

उनका पहला कविता संग्रह ‘लगभग जय हिन्द’ 1971 में आया और वहीं से उनकी विशिष्ट भाषिक बनावट, चुप्पी और भीतर तक उतरती कोमल संवेदनाएँ हिंदी कविता में दर्ज होने लगीं. आगे चलकर ‘वह आदमी चला गया नया गरम कोट पहिनकर विचार की तरह’ (1981), ‘सब कुछ होना बचा रहेगा’ (1992), ‘अतिरिक्त नहीं’ (2000), ‘कविता से लंबी कविता’ (2001), ‘आकाश धरती को खटखटाता है’ (2006), ‘पचास कविताएँ’ (2011), ‘कभी के बाद अभी’ (2012), ‘कवि ने कहा’, चुनी हुई कविताएँ (2012) और ‘प्रतिनिधि कविताएँ’ (2013) जैसे संग्रहों ने उन्हें समकालीन हिंदी कविता के सबसे मौलिक स्वरों में शुमार कर दिया. उनकी कविताएँ बोलने से ज़्यादा सुनने वाली, नारेबाज़ी से कहीं अधिक, धीमी फुसफुसाहट की तरह काम करती हैं, लेकिन असर उनका बहुत दीर्घकालिक है.

उनके उपन्यास ‘नौकर की कमीज़’ (1979) ने हिंदी कथा-साहित्य में एक नया मोड़ दिया, जिस पर मणि कौल ने फिल्म भी बनाई. इसके बाद ‘खिलेगा तो देखेंगे’ (1996), ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ (1997, साहित्य अकादमी पुरस्कार), ‘हरी घास की छप्पर वाली झोपड़ी और बौना पहाड़’ (2011), ‘यासि रासा त’ (2016) और ‘एक चुप्पी जगह’ (2018) के माध्यम से उन्होंने लोकआख्यान, स्वप्न, स्मृति, मध्यवर्गीय जीवन और मनुष्य की अस्तित्वगत जटिल आकांक्षाओं को एक नये कथा-ढांचे में समाहित किया.

कहानी-संग्रह ‘पेड़ पर कमरा’ (1988), ‘महाविद्यालय’ (1996), ‘एक कहानी’ (2021) और ‘घोड़ा और अन्य कहानियाँ’ (2021) में भी वही सूक्ष्म, घरेलू और लगभग उपेक्षित जीवन-कण अद्भुत कथा-समृद्धि के साथ उपस्थित होते हैं.

उनकी रचनाएँ अनेक भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनूदित हुईं. ‘The Servant’s Shirt’, ‘A Window Lived In The Wall’, ‘Once It Flowers’, ‘Moonrise From The Green Grass Roof’, ‘Blue Is Like Blue’, ‘The Windows In Our House Are Little Doors’ जैसे अंग्रेज़ी अनुवादों ने उन्हें वैश्विक पाठकों तक पहुँचाया. ‘नौकर की कमीज़’ और ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ के साथ ‘पेड़ पर कमरा’ और अनेक कविताएँ विदेशी तथा भारतीय भाषाओं में रूपांतरित होकर एक व्यापक पाठक-वृत्त तक पहुँचीं. कई रचनाओं पर फिल्में बनीं, नाटक लिखे गए.

साहित्य अकादमी पुरस्कार, गजानन माधव मुक्तिबोध फेलोशिप, रज़ा पुरस्कार, शिखर सम्मान, राष्ट्रीय मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, दयावती मोदी कवि शेखर सम्मान, हिंदी गौरव सम्मान, ‘Blue Is Like Blue’ के लिए मातृभूमि पुरस्कार, साहित्य अकादमी का महत्तर सदस्य सम्मान और 2023 का पैन-नाबोकोव पुरस्कार जैसी उपलब्धियाँ उनके दीर्घ, शांत और गहन रचनात्मक सफ़र की सार्वजनिक स्वीकृति हैं.

लेकिन इन सब के बीच उनका लेखक-स्वर वही बना रहा-संकोची, आंतरिक, लगभग अदृश्य, जो शब्दों की अत्यधिक सजावट से बचते हुए, बेहद सरल वाक्यों में हमारे भीतर एक खिड़की खोल देता है, जहाँ से दुनिया थोड़ी और मानवीय, थोड़ी और कल्पनाशील और थोड़ी और सच दिखाई देने लगती है.

कहां से कहां पहुंचने के चक्कर में भारतीय नारियां कहां से कहां पहुंच रही हैं : कविता तिवारी

लखनऊ । भारतीय समाज को पुरुष प्रधान समाज कहा जाता था किंतु समाज को संवारने का कार्य महिलाओं ने भी कुशलता पूर्वक किया है । विश्व पटल पर भारतीय नारियों ने अपनी छवि आज चमकाई है चाहे वह खेल जगत हो उद्योग जगत शिक्षा हो या अन्य क्षेत्र में। आज भारतीय नारियां हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही हैं यह हमारे लिए गर्व की बात है आज से ही नहीं भारत में स्त्रियां प्राचीन काल से ही आगे रही हैं गार्गी मैत्रेई अपला जैसी विदुषी, महारानी लक्ष्मीबाई जैसी साहसी और सीता सती पार्वती जैसी पवित्रता की प्रतीक हुई है कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स जैसी महिलाओं के साहस एवं योग्यता को सारा विश्व देख चुका है सोफिया एवं व्योमिका सिंह जैसी साहसी महिलाओं के पराक्रम से तो दुश्मन भी हैरान हो चुका है किंतु भारतीय नारियों के लिए कुछ चिंता चिंता का विषय भी है जैसी सामाजिक असुरक्षा जिस पर देश में लगातार प्रयास हो रहे हैं किंतु एक ऐसा विषय है जिस के लिए महिला समाज स्वयं जिम्मेदार है जैसे घर गृहस्थी के निर्वहन में असर्मथता आजकल महिलाएं जितना ज्यादा शिक्षित होती जा रही है उतना ही गृहस्थ जीवन में रहना नहीं पसंद कर रही हैं कभी तलाक कभी कभी घर छोड़ कभी जीवन साथी को ही मार देना जैसी स्थिति उत्पन्न कर रही हैं मै यह नहीं कह रही हूं कि सारी गलतियां महिलाओं की ही है मगर कहीं न कहीं महिलाएं अपनी सहनशीलता को खो रही हैं अपनी पुरानी पीढ़ी की महिलाओं से नहीं सीखने की कोशिश कर रही हैं पुरानी पीढ़ी की महिलाएं अशिक्षित बेशक थी मगर परिवार को चलाना बखूबी जानती थी उसके लिए चाहे उनको कितना भी कुछ सहन करना पड़ता था मगर परिवार को लेकर चलती थी आधुनिक भारतीय नारियां अपनी प्राचीन भारतीय नारियों को अपना आदर्श न मानकर अपितु पश्चिमी सभ्यता को अपनाती जा रही हैं परिणास्वरुप आज कल कहीं नीले ड्रम की घटना तो कहीं कुछ घटित हो रहा है जिससे भारतीय नारियों की छवि धूमिल हो रही है।उक्त विचार राष्ट्रीय सवर्ण आर्मी भारत के राष्ट्रीय प्रचारक कविता तिवारी ने कही।
पति और दोस्तों ने मिलकर किया महिला के साथ अनैतिक कृत्य, FIR दर्ज

लखनऊ । यूपी की राजधानी में एक महिला के साथ रोंगटे खड़े कर देने वाली दरिंदगी का मामला सामने आया है। वजीरगंज थाना क्षेत्र में रहने वाली पीड़िता ने अपने ही पति पर ऐसा आरोप लगाया है, जिसने स्थानीय पुलिस से लेकर इलाके के लोगों तक को हिलाकर रख दिया है। महिला का कहना है कि उसका पति न केवल दहेज के लिए उसे प्रताड़ित करता था, बल्कि उसे नशीला पदार्थ पिलाकर अपने दोस्तों के साथ अनैतिक कार्य करवाने तक पहुंच गया। शादी के चंद दिनों पर पति का असली चेहरा आ गया सामने पीड़िता के अनुसार, 14 अक्तूबर 2022 को उसका निकाह हरदोई रोड स्थित अंधे की चौकी के पास रहने वाले एक व्यापारी से हुआ था। शादी के चंद दिनों बाद ही पति का असली चेहरा सामने आने लगा। आरोप है कि पति ने अतिरिक्त दहेज की मांग शुरू कर दी। विरोध करने पर कभी शराब के नशे में बुरी तरह पिटाई, तो कभी घंटों भूखा रखने जैसे अमानवीय अत्याचार किए जाने लगे। दोस्तों से कराया दरिंदगी फिर बनाई वीडियो महिला ने बताया कि एक दिन पति घर आया और कोल्ड ड्रिंक में नशीला पदार्थ मिलाकर उसे पिला दिया। कुछ ही देर में वह बेहोश हो गई। इसी दौरान पति ने अपने दो दोस्तों को घर बुलाया और बेहोशी की हालत में उनके साथ अनैतिक कार्य करवाया। आरोप है कि इस दरिंदगी की वीडियो और फोटो भी बनाई गईं। विरोध करने पर पीटा, प्रताड़ना से परेशान होकर चली गई मायके होश में आने पर जब पीड़िता ने विरोध किया, तो पति और भी ज्यादा बेरहम हो गया। कथित तौर पर उसने न केवल उसे पीटा, बल्कि धमकी दी कि यदि उसने किसी को कुछ बताया तो बनाई गई अश्लील वीडियो वायरल कर देगा। पीड़िता के मुताबिक, बढ़ती प्रताड़ना से तंग आकर वह मायके चली गई। इसी बीच उसे पता चला कि आरोपी पति ने उनका मकान भी बेच दिया। जब उसने विरोध किया, तो पति ने धमकी को अंजाम देते हुए उसकी निजी फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दीं, जिससे पीड़िता मानसिक रूप से टूट गई। पीड़िता की शिकायत पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर शुरू की जांच मामले की जानकारी पुलिस तक पहुंची तो वजीरगंज थाने में पति सहित उसके दोस्तों के खिलाफ गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई है। इंस्पेक्टर राजेश त्रिपाठी ने बताया कि पूरे मामले की तफ्तीश जारी है। तकनीकी साक्ष्य व अन्य प्रमाण जुटाए जा रहे हैं। साक्ष्य मिलने पर आरोपियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
बहाना करना नहीं छोड़ेंगे तो अगली पीढ़ी भी सत्ता में नहीं आ पाएगी चिराग पासवान


पटना
राजद ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि पोस्टल वोट रिजेक्ट होने के कारण हमारे गठबंधन के उम्मीदवार हार गए नहीं तो कुछ सीटों पर हमारे उम्मीदवार जीतते इसपर केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा कि राजद और कांग्रेस जिंदगी भर कभी भी पलट करके यह लोग सत्ता में नहीं आएंगे अगर यह लोग बहाने बनाना नहीं छोड़ेंगे. हर हार के बाद आपको एक ईमानदार मंथन करने की जरूरत है कौन नहीं गुजरा है हार से. हम लोग हार से गुजरे हैं फिर भी हमारे पिता 2009 की हार के बाद अपने आप को 2014 मे खड़ा करने का काम किया. 2021 में मुझे मेरी पूरी पार्टी छीन ली गई और आज 2024-25 में हम लोगों ने पुनः अपने आप को स्थापित करने का काम किया क्योंकि हम लोगों ने ईमानदार मंथन किया. 2020 के हमारे इंटरव्यू निकाल करके देखिए हमने कभी भी किसी पर ठीकरा तक नहीं फोड़ा कि हमारी पार्टी का क्यों ऐसा परफॉर्मेंस रहा. हम लोगों ने ईमानदार मंथन किया कि हम लोगों से कहां कमी रह गई और कहां चुक हो गई. इतने अहंकार में डूबी हुई यह पार्टियों है कांग्रेस हो या राजद हो. आज रिजल्ट आए हुए इतने दिन हो गए और आज एक सप्ताह होने को आ गया है इन लोगों ने अभी तक मंथन तक करना जरूरी नहीं समझा एक बैठक की और अपने आप को नेता चुन लिया. और आज भी इस बात का ठीकरा फोड़ने में लगे हैं कि कभी इसका वोट चोरी हो गया तो कभी इसने वोट काट लिया. केवल आप लोग दूध के धुले हैं बाकी सब गलत है. तीन बार से एनडीए जीत करके आ रही है तो वह गलत है पर दो-दो बार यूपीए जीतकर के आ जाती है वह ठीक था. जहां पर आप जीत जाते हैं झारखंड जैसे राज्यों में तो वह सही हो जाता है और हम महाराष्ट्र की जातते हैं तो वह गलत हो जाता है. SIR चल रहा था तब से बहाना बना रहे हैं वोट चोरी का. यह लोग बहाना बना नहीं छोड़ेंगे तो *लालू जी की अगली पीढ़ी भी सत्ता में नहीं आएगी अगर यह लोग बहाना बनाना नहीं छोड़ेंगे तो* उनकी सभा में अगर आप चले जाइए तो आपको देखने को मिलेगा कि महिलाओं के साथ बदतमीजी की जाती थी इन लोगों के कार्यक्रम में इन लोगों के प्रवक्ताओं को देख लीजिए किस तरीके से एग्रेसिव होकर के बातों को रखते थे. आप अपने विपक्ष के तौर पर बातों को रखिए लेकिन केवल बहाना करते रहना है. EVM को लेकर के रोना रोते थे आज क्यों नहीं है ऐसा. SIR को नया मुद्दा बना लिया है और अगले 10 साल तक हारेंगे फिर नया मुद्दा ढूंढ लेंगे. ईमानदार से एक बार बैठ करके यह मंथन करें कि जनता ने क्यों नहीं साथ दिया है तब पता चलेगा. जनता ने 2005 से इन लोगों का साथ छोड़ा हुआ है और यह लोग समझ नहीं पा रहे हैं. यह लोग बताएं कि 2015 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का साथ नहीं मिलता तो सात जन्म में भी ये लोग सरकार नहीं बनाते. 2020 में अगर मैं अलग नहीं रहता यूनाइटेड NDA रहता तो इससे भी बद्दतर प्रदर्शन रहता. यह लोग जो सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं कि इसकी या उसकी वजह से हुआ एक बार ईमानदारी सब बैठेंगे तो इन लोगों को पता चलेगा कि यह लोग कितनी जगह गलत रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी और नीतीश कुमार हमेशा परिवारवाद पर हमला करते हैं लेकिन कल आशीर्वाद देते नजर आए उपेंद्र कुशवाहा के बेटे को ना कि वह MLA है और नाही एमएलसी है इसको आप लोग बढ़ावा दे रहे हैं इस पर चिराग पासवान ने कहा कि मैं परिवारवाद पर कुछ बोल ही नहीं सकता हूं. लेकिन मैं बस इतना ही कहूंगा कि आप उस व्यवस्था को ऐसे में सुधार नहीं सकते आप एक नई लकीड़ नही खींच सकते मैं इसको नहीं मानता. क्योंकि आप एक परिवार से आते हैं आपको एक मौका नहीं मिलना चाहिए मैं इसका पक्षधर नहीं हूं लेकिन मैं बस इतना कहूंगा कि अगर आपके अंदर काबिलियत नहीं होगी आप कितने भी बड़े परिवार से आ जाओ आपका कुछ नहीं होगा. मैं अपना उदाहरण दूंगा 2021 में मेरे से मेरी पार्टी सिंबल सब कुछ लिया गया. आज अगर काबिलियत नहीं होती तो सात जन्म में भी चिराग पासवान या पार्टी खड़ी नहीं हो सकती थी. ऐसे में किसी परिवार का होना आपका सौभाग्य हो सकता है पर आपकी काबिलियत ही आपको आगे लेकर के जाएगी. काबिलियत होगी आप आगे बढ़ेंगे नहीं होगी तो कोई आपको आगे नहीं बढ़ा पाएगा. बंगाल बिहार जीतने के बाद बंगाल की बारी है हम लोग असम भी जीतने जा रहे हैं बंगाल भी जीतने जा रहे हैं और जितने राज्यों में डॉन साउथ तमिलनाडु सारी जगह आप लोग देखेंगे इस चुनाव के परिणामों की परछाई पूरे देश में देखने को मिलेगी. बंगाल में आपकी क्या भूमिका रहेगी इस पर चिराग पासवान ने कहा कि जो बिहार में भूमिका थी वही बंगाल में भी भूमिका रहेगी. समावेश के साथ महिला युवाओं को जोड़ते हुए आगे बढ़ना और वही भूमिका में आने वाले दिनों में असम बंगाल तमिलनाडु उत्तर प्रदेश 2027 में चुनाव है तमाम राज्यों में देखने को मिलेगा
जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक ने संयुक्त रूप से जिला कारागार का किया निरीक्षण

गोण्डा। 21 नवम्बर, 2025 जिलाधिकारी गोण्डा प्रियंका निरंजन एवं पुलिस अधीक्षक विनीत जायसवाल ने जिला कारागार का संयुक्त निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान अधिकारियों ने वहां पर कैदियों से वार्ता की तथा उन्हें जेल में दी जा रही सुविधाओं एवं उनकी समस्याओं के संबंध में जानकारी ली। निरीक्षण के दौरान कारागार अस्पताल में जाकर वहां पर भर्ती कैदियों से मुलाकात किया, साथ ही सभी भर्ती कैदियों से वार्ता कर उनकी समस्याओं के संबंध में जानकारी ली।

 जिलाधिकारी तथा एसपी ने स्वयं विभिन्न बैरकों, अस्पताल, भोजनालय, भंडार कक्ष, पुस्तकालय आदि का निरीक्षण किया तथा संबंधित को निर्देश दिए कि जेल में जेल मैनुअल के अनुसार कैदियों को सभी सुविधाएं मुहैया कराई जाएं। इसके साथ ही ऐसे कैदी जिनके पास वकील नहीं है उनके लिए सरकारी वकील का भी प्रबंध कराया जाय। जेल में निरुद्ध कैदियों का बराबर मेडिकल चेकअप कराने के भी निर्देश दिए।

निरीक्षण के दौरान जेल अधीक्षक, डिप्टी जेलर, कारागार डॉक्टर सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

पूर्वी यूपी में पहली बार PFO डिवाइस क्लोज़र से क्रॉनिक माइग्रेन का सफल इलाज।

15 वर्षो से पीड़ित 50 वर्षीय महिला को मिली बड़ी राहत।

संजय द्विवेदी प्रयागराज।पूर्वी उत्तर प्रदेश के चिकित्सा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्ज की गई है।यहां 50 वर्षीय महिला के हृदय में मौजूद 5 मिमी के पीएफओ(Patent Foramen Ovale)को डिवाइस क्लोज़र तकनीक के माध्यम से सफलतापूर्वक बंद कर दिया गया। महिला पिछले 15 वर्षो से गम्भीर क्रॉनिक माइग्रेन से पीड़ित थी और लगातार इलाज के बावजूद उसे कोई राहत नहीं मिल पा रही थी।यह प्रक्रिया पूर्वी यूपी में अपने प्रकार की पहली सफल प्रक्रिया मानी जा रही है।इस जटिल प्रक्रिया (ऑपरेशन) को कार्डियोलॉजी विभाग की विशेषज्ञ टीम—डॉ. वैभव श्रीवास्तव, डॉ.विमल निषाद एवं डॉ.ऋषिका पटेल — ने सफलता पूर्वक अंजाम दिया। प्रक्रिया के दौरान कार्डियक तकनीशियन रामनिवास और जयप्रकाश ने भी महत्वपूर्ण तकनीकी सहयोग प्रदान किया।

प्रक्रिया के बाद जानकारी देते हुए डॉ. वैभव श्रीवास्तव ने बताया कि पीएफओ सामान्यतः हर चार में से एक व्यक्ति में पाया जाता है लेकिन इसका माइग्रेन से सम्बन्ध बहुत ही कम मामलों में देखने को मिलता है। जब हृदय के दाएं हिस्से का रक्त इस छोटे छिद्र के माध्यम से बाएं हिस्से में पहुंचता है तो कुछ मरीजों में असहनीय माइग्रेन की समस्या उत्पन्न हो सकती है।ऐसे चयनित मामलों में डिवाइस क्लोज़र एक प्रभावी उपचार विकल्प साबित होता है।वही डॉ.विमल निषाद ने बताया कि कुछ उच्च जोखिम वाले पीएफओ मामलों में स्ट्रोक की संभावना भी बनी रहती है इसलिए समय रहते जांच और उपचार बेहद जरूरी है।

विभागाध्यक्ष डॉ.पीयूष सक्सेना ने इसे क्रॉनिक माइग्रेन से पीड़ित मरीजो के लिए एक नवीन और आशाजनक उपचार विधि बताते हुए कहा कि इससे उन मरीजों को राहत मिल सकेगी जो लम्बे समय से दवाइयों पर निर्भर रहने के बावजूद आराम नहीं पा रहे थे।मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ वी.के.पाण्डेय के अनुसार यह उपलब्धि पूर्वी उत्तर प्रदेश में आधुनिक चिकित्सा के क्षेत्र में एक नया अध्याय जोड़ती है और भविष्य में गम्भीर माइग्रेन व पीएफओ से पीड़ित मरीजो के लिए नई उम्मीद का मार्ग प्रशस्त करेगी।

45 वर्षीय महिला के ऑपरेशन करके 13 किलो 500 ग्राम का ट्यूमर निकाल कर सर्जन ने जान बचाई

फर्रुखाबाद lडा०राममनोहर लोहिया पुरुष चिकित्सालय में कार्यरत "सर्जन" मेजर डा०रोहित तिवारी, के द्वारा चिकित्सालय में आने वाले रोगियों को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है. इस चिकित्सालय में आने वाले अति दयनीय, शोषित, गरीब आदि को निशुल्क सरकार की मंशा के अनुसार ऑपरेशन, और ओपीडी में परामर्श के साथ ही कभी-कभी अपने स्तर से आर्थिक सहायता आदि करना इनकी दिनचर्या में शामिल हो चुका है l

"सर्जन" मेजर डा०रोहित तिवारी, के द्वारा गुरुवार को एक महिला मरीज पूनम 45 वर्ष का सफल ऑपरेशन अपनी टीम के साथ किया गया, जो कि इससे पूर्व इस चिकित्सालय में किसी के द्वारा अभी तक नहीं किया गया है। यह एक अकल्पनीय कार्य किया गया है l रोगी पूर्णरूप से स्वस्थ्य है और चल भी रही है। उन्होंने कहा कि 

 पूनम 45 वर्ष  13.5 किलो का जानलेवा ट्यूमर हटाकर 45 वर्षीय महिला की जान बचाई गई l उन्होंने कहा कि 

मरीज कई महीनों से गंभीर समस्याओं से जूझ रही थीं।

पेट में तेजी से बढ़ते ट्यूमर के कारण उन्हें आतों में रुकावट और पेशाब रुकनाबढ़ता दर्द, भूख कम, चलने-फिरने में कठिनाई

जांच में पता चला कि पेट में 13.5 किलो का विशाल मौजूद था, जो आंतों व मूत्राशय को दबाकर स्थिति को लगातार खराब कर रहा था। उन्होंने कहा कि अन्य संस्थानों की रिपोर्ट

निजी अस्पतालों ने ऑपरेशन का खर्च ₹5 लाख से अधिक बताया था l

उन्होंने कहा कि जी एस वी एम कानपुर ने मरीज को दिल्ली रेफर किया lएएम एस में सर्जरी की तारीख 2 साल बाद दी गई

स्थिति गंभीर थी और मरीज को तुरंत सर्जरी की आवश्यकता थी।

सर्जरी का निर्णय का निर्णय लिया गया l मरीज को लोहिया अस्पताल लाया गया जहाँ भर्ती करने के बाद इलाज किया गया l

Sambhal हसनपुर मुंजबता में आवासीय पट्टों को लेकर विवाद, ग्रामीण ट्रैक्टर से नई तहसील पहुंचे, तहसीलदार से कार्रवाई की मांग

ग्राम पंचायत हसनपुर मुंजबता में आवासीय पट्टों को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। इसी मुद्दे को लेकर गांव के दर्जनों ग्रामीण ट्रैक्टरों पर सवार होकर नई तहसील सम्भल पहुंचे और तहसीलदार को प्रार्थना पत्र सौंपकर तत्काल संज्ञान लेने की मांग की। ग्रामीणों ने बताया कि वर्ष 1965, 1973, 1988 और 1990 में ग्राम समाज की भूमि पर तहसील प्रशासन द्वारा आवासीय पट्टे जारी किए गए थे, जिन पर लोग दशकों से बसे हुए हैं।

ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि अब 40 वर्षों बाद कुछ लोग पुराने पट्टों पर आपत्ति उठाकर दलित एवं गरीब परिवारों को अनावश्यक रूप से परेशान कर रहे हैं। गाटा संख्या 313,356 से संबंधित पट्टों पर विवाद को लेकर प्रभावित परिवारों में भय और असुरक्षा की स्थिति बन गई है। ज्ञापन में यह भी कहा गया कि गांव का एक व्यक्ति, जिसकी राशन की दुकान पहले किसी अन्य सदस्य को आवंटित हो गई थी, दुश्मनी के चलते पट्टाधारकों को परेशान कर रहा है। ग्रामीणों ने तहसीलदार से मांग की कि सभी पुराने रिकॉर्ड की जांच कर, वैध पट्टाधारकों को संरक्षण दिया जाए और किसी भी प्रकार का भेदभाव न हो। उन्होंने कहा कि प्रशासन तत्काल हस्तक्षेप कर विवाद को शांत करे ताकि बेवजह परेशान किए जा रहे परिवारों को राहत मिल सके। तहसीलदार ने प्रार्थना पत्र प्राप्त कर कार्रवाई का आश्वासन दिया।

मां विंध्यवासिनी मेडिकल कॉलेज अंतर्गत मंडलीय चिकित्सालय में अल्ट्रासाउंड डॉक्टर का कारनामा

मीरजापुर। मां विंध्यवासिनी स्वायत्तशासी महाविद्यालय अंतर्गत मंडलीय चिकित्सालय इस समय अपने ऊल- जुलुल हरकतों व नौसीखीया डॉक्टरो के उपेक्षा पूर्ण रवैया और गुंडागर्दी से काफी चर्चा में चल रहा है । इसी क्रम में 19 नवंबर को अल्ट्रासाउंड डॉक्टर ने एक और कारनामा कर दिखाया। अल्ट्रासाउंड के डॉक्टर और उनकी पूरी टीम ने फर्जी जॉच व रिपोर्ट तैयार कर प्रार्थी की घोर मानसिक क्षति कारित किया। अपने साथ हुए इस खिलवाड़ के संदर्भ में पीड़ित अधिवक्ता अजीत कुमार सिंह पुत्र कमलापति सिंह निवासी ग्राम लखौली, पो०-नेवढ़ियाघाट, थाना-को० दैहात, जनपद- मीरजापुर ने डा० अंकित शर्मा एमबीबीएस एमडी , डा० के० के० सिंह (अल्ट्रासाउण्ड डाक्टर) डा० एस० के० नायक (अल्ट्रासाउण्ड डाक्टर सीनियर), व 3 अन्य डाक्टर सहयोगियो के विरुद्ध जिलाधिकारी मिर्जापुर के यहां प्रार्थना पत्र देकर अपने साथ हुए घृणित मजाक के संदर्भ में डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने अपने पत्र में जिलाधिकारी को लिखा है कि प्रार्थी के कमर में दर्द की शिकायत थी जिसके कारण उसी दिन दिन समय लगभग 10:44 सुबह सरकारी अस्पताल जाकर विपक्षी सं0-1 से अपनी बात बताई जिस पर विपक्षी सं०-1 द्वारा अल्ट्रासाउण्ड करने की सलाह देते हुए प्रार्थी के पर्चा पर अल्ट्रासाउण्ड करने हेतु कहा गया तब प्रार्थी अस्पताल के अल्ट्रासाउण्ड विभाग में जाकर उसी दिन अपनी जाँच कराया जॉच रिपोर्ट में विपक्षी सं0-2 द्वारा यह लिखा गया कि प्रार्थी की दाहिने साइट की किडनी नही है। प्रार्थी जब उक्त रिपोर्ट विपक्षी सं०-1 जो कि उक्त विभाग के डाक्टर है को दिखाया तो वह उनके साथ बैठे 3 अन्य डाक्टरो को उक्त रिपोर्ट दिखाकर प्रार्थी को आश्चर्य भरी नजरो से देखने लगे प्रार्थी को शंका हुआ तो प्रार्थी उनसे पूछा कि डाक्टर साहब मेरी रिपोर्ट सही है कि नही तो डाक्टर विपक्षी सं०-1 मुझसे कहे कि आप कि दाहिनी किडनी जन्म से ही नहीं है।

 यह सुनते ही प्रार्थी का ब्लड पेसर काफी बढ़ गया । वहाँ मौके पर मौजूद कर्मचारी द्वारा मुझे कुर्सी पर बैठाकर मेरा बी०पी० चेक किय जिसमें बी०पी० 150 से ज्यादा बढ़ने लगा तब हमे डाक्टरो द्वारा बी०पी० की दवा देते हुए आश्वासन दिया गया कि आप एक किडनी पर जीवित रह सकते है। प्रार्थी उक्त विपक्षी गणो के द्वारा बताये गये जॉच रिपोर्ट से अवसाद में चला गया।

 तब मेरे परिवार वालो ने इसका कारण पूछा, तो मैने उन्हे सारी बात बताई । जिस पर परिवार वाले मुझे सतीश डायग्नोस्टिक रामबाग मीरजापुर लेकर आये और प्रार्थी का फुल चेक/अल्ट्रासाउण्ड कराया। उस जॉच में प्रार्थी की दोनो किडनी सही पाई गई। विपक्षीग फर्जी जॉच व रिपोर्ट तैयार कर प्रार्थी को घोर मानसिक शारीरिक आर्थिक छति पहुचाने का कार्य किये है। प्रार्थी प्रार्थना पत्र के साथ उक्त दोनो अल्ट्रासाउण्ड की रिपोर्ट संल कर रहा है। ऐसी स्थिति में उक्त विपक्षीगण की विभागीय जाँच कराकर दोषी पाये पर इनके विरूद्ध विभागीय कार्यवाही किया जाना उचित एवं न्याय संगत होगा। इस संदर्भ में पीड़ित के द्वारा श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के जिलाध्यक्ष दिलीप सिंह गहरवार से भी मदद मांगी गई , और उन्होंने जिलाधिकारी महोदय से मिलकर इस संदर्भ में प्रार्थना पत्र दिलवा कर तत्काल ऐसे अयोग्य डॉक्टरो के विरुद्ध कार्यवाही की मांग की है । उन्होंने साथ ही साथ यह भी चेतावनी दी है कि यदि जीवन के साथ खिलवाड़ करने वाले ऐसे डॉक्टरों को तत्काल यहां से कार्य मुक्त नहीं किया गया तो श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना बड़े स्तर पर मंडलीय चिकित्सालय में धरना प्रदर्शन व अग्रिम कार्यवाही के लिए बाध्य होगी जिसकी सारी जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी। 

मौके पर उपस्थित रहने वालों में जिला अध्यक्ष दिलीप सिंह गहरवार पूर्वांचल सचिव अभिषेक सिंह धवल ,जिला उपाध्यक्ष राकेश सिंह राणा, जिला उपाध्यक्ष इंस्पेक्टर सिंह शिवम, नगर अध्यक्ष युवराज सिंह युवा जिला अध्यक्ष  ऋषि कुमार सिंह प्रांजल, शाश्वत सिंह जंग बहादुर सिंह अजीत कुमार सिंह मधुकर मिश्रा एडवोकेट अरुण सिंह एडवोकेट हेमंत कुमार प्रवीण दीक्षित एडवोकेट सहित श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना सभी पदाधिकारी उपस्थित रहे।

पीके अपनी इनकम का 90 फीसदी हिस्सा पार्टी को करेंगे दान, बोले- अब सिर्फ पैसे देने वाले से करूंगा मुलाकात

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जनसुराज अभियान के संस्थापक नेता प्रशांत किशोर ने गुरुवार को बड़ा ऐलान किया। बिहार के पश्चिम चंपारण के भितिहरवा में एक दिन के मौन उपवास के बाद प्रशांत किशोर ने पार्टी के लिए अपनी संपत्ति दान करने और लोगों से मिलने के लिए अपनी फीस तय करने का ऐलान किया है। प्रशांत किशोर ने चुनावी हार के बाद अब पूरी तरह मिशन मोड में लौटने का ऐलान करते हुए कहा कि उनके अभियान को आर्थिक परेशानी नहीं हो इसको लेकर उन्होंने जन सुराज से जुड़े लोगों को एक-एक हजार रुपये पार्टी फंड में मदद करने की अपील की है। साथ ही कहा है कि जो लोग रुपया जमा नहीं करेंगे उससे हम नहीं मिलेंगे।

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एक घर को छोड़कर सब कुछ पार्टी को करेंगे दान

बिहार विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद मौनव्रत कर हार का प्रायश्चित करने के बाद पीके ने मीडिया से बात की। इस दौरान उन्होंने कहा कि अगले पांच वर्षों तक वह अपनी आय का 90 प्रतिशत पार्टी को दान देंगे। उन्होंने कहा, पिछले 20 वर्षों में जो भी चल-अचल संपत्ति अर्जित की है, दिल्ली में स्थित एक घर को छोड़कर, सब कुछ जन सुराज पार्टी को दान करूंगा।

अब पीके से मिलने के लिए देनें होंगे पैसे

मीडिया को संबोधित करते हुए पीके ने साफ कहा कि बिहार की गरीब जनता की आशा को आर्थिक बाधाएं नहीं रोक पाएंगी। पैसे की वजह से यह आंदोलन रुकने नहीं दूंगा। चाहे इसके लिए मुझे कुछ भी करना पड़े। पीके ने आगे कहा कि अब आगे उन्हीं लोगों से मिलेंगे, जो जन सुराज पार्टी को कम से कम एक हजार रुपया दान देंगे। अगर एक करोड़ लोग भी 1-1 हजार रुपया दे तो काफी होगा। इस प्रकार अगर एक करोड़ लोग 1-1 हजार रुपया जन सुराज को देंगे तो कुल 10 अरब रुपये जमा हो जाएंगे।

15 जनवरी से बिहार संकल्प यात्रा की घोषणा

दरअसल, जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर भितिहरवा गांधी आश्रम में एक दिवसीय मौन अनशन के बाद घोषणा की है कि वे 15 जनवरी से बिहार संकल्प यात्रा की शुरुआत करेंगे। इस यात्रा के दौरान वे राज्य के 1 लाख 18 हजार वार्डों में उन महिलाओं से मुलाकात करेंगे, जिन्हें सरकार द्वारा 10 हजार रूपये की राशि मिली है। इसके साथ ही उन्हें बिहार सरकार की ओर से दिए जाने वाले 2 लाख के लाभ के लिए फॉर्म भरवाने का कार्य भी करेंगे।

विनोद कुमार शुक्ल हिंदी के सर्वोच्च सम्मान ज्ञानपीठ से हुए सम्मानित



रायपुर- आज हिंदी के शीर्ष कवि-कथाकार विनोद कुमार शुक्ल को हिंदी का सर्वोच्च सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार, उनके रायपुर स्थित निवास पर दिया गया. ज्ञानपीठ के महाप्रबंधक आरएन तिवारी ने सम्मान के साथ उन्हें वाग्देवी की प्रतिमा और पुरस्कार का चेक उन्हें प्रदान किया गया.

विनोद कुमार शुक्ल ने अपने पाठकों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा- “जब हिन्दी भाषा सहित तमाम भाषाओं पर संकट की बात कही जा रही है, मुझे पूरी उम्मीद है नई पीढ़ी हर भाषा का सम्मान करेगी. हर विचारधारा का सम्मान करेगी. किसी भाषा या अच्छे विचार का नष्ट होना, मनुष्यता का नष्ट होना है.”

वे पिछले कई सालों से बच्चों और किशोरों के लिए भी लिख रहे हैं. अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा कि “मुझे बच्चों, किशोरों और युवाओं से बहुत उम्मीदें हैं. मैं हमेशा कहता रहा हूँ कि हर मनुष्य को अपने जीवन में एक किताब जरूर लिखनी चाहिए. अच्छी किताबें हमेशा साथ होनी चाहिए. अच्छी किताब को समझने के लिए हमेशा जूझना पड़ता है. किसी भी क्षेत्र में शास्त्रीयता को पाना है तो उस क्षेत्र के सबसे अच्छे साहित्य के पास जाना चाहिये.”

आलोचना को लेकर उन्होंने कहा कि “किसी अच्छे काम की आलोचना अगर की जाती है तो उन आलोचनाओं को अपनी ताकत बना लें. आलोचना जो है, दूसरों का विचार है, जो उपयोगी या अनुपयोगी हो सकता है. किसी कविता की सबसे अच्छी आलोचना का उत्तर उससे अच्छी एक और नयी कविता को रच देना है. किसी काम की सबसे अच्छी आलोचना का उत्तर, उससे और अच्छा काम करके दिखाना होना चाहिए. साहित्य में गलत आलोचनाओं ने अच्छे साहित्य का नुक़सान ज्यादा किया है.”

उन्होंने कहा कि “जीवन में असफलताएँ, गलतियाँ, आलोचनाएँ सभी तरफ़ बिखरी पड़ी मिल सकती हैं, वे बहुत सारी हो सकती हैं. उस बिखराव के किसी कोने में अच्छा, कहीं छिटका सा पड़ा होगा. दुनिया में जो अच्छा है, उस अच्छे को देखने की दृष्टि हमें स्वयं ही पाना होगा. इसकी समझ खुद विकसित करनी होगी. हमें अपनी रचनात्मकता पर ध्यान देना चाहिये. जब कहीं, किसी का साथ न दिखाई दे, तब भी चलो. अकेले चलो. चलते रहो. जीवन में उम्मीद सबसे बड़ी ताकत है. मेरे लिये पढ़ना और लिखना साँस लेने की तरह है.”

इससे पहले उन्होंने अपनी एक कविता का भी पाठ किया-

सबके साथ

सबके साथ हो गया हूँ

अपने पैरों से नहीं

सबके पैरों से चल रहा हूँ

अपनी आँखों से नहीं

सबकी आँखों से देख रहा हूँ

जागता हूँ तो सबकी नींद से

सोता हूँ तो सबकी नींद में

मैं अकेला नहीं

मुझमें लोगों की भीड़ इकट्ठी है

मुझे ढूँढो मत

मैं सब लोग हो चुका हूँ

मैं सबके मिल जाने के बाद

आख़िर में मिलूँगा

या नहीं मिल पाया तो

मेरे बदले किसी से मिल लेना.

विनोद कुमार शुक्ल के बारे में

छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में 1 जनवरी 1937 को जन्मे, लगभग 90 की उम्र के होने को आए विनोद कुमार शुक्ल हिंदी साहित्य के ऐसे रचनाकार हैं, जो बहुत धीमे बोलते हैं, लेकिन साहित्य की दुनिया में उनकी आवाज़ बहुत दूर तक सुनाई देती है. मध्यमवर्गीय, साधारण और लगभग अनदेखे रह जाने वाले जीवन को शब्द देते हुए हिंदी में एक बिल्कुल अलग तरह की संवेदनशील, न्यूनतम और जादुई दुनिया रची. वे उन दुर्लभ लेखकों में हैं, जिनके यहाँ एक साधारण कमरा, एक खिड़की, एक पेड़, एक कमीज़ या घास का छोटा-सा टुकड़ा भी किसी पूरे ब्रह्मांड की तरह खुल जाता है.

उनका पहला कविता संग्रह ‘लगभग जय हिन्द’ 1971 में आया और वहीं से उनकी विशिष्ट भाषिक बनावट, चुप्पी और भीतर तक उतरती कोमल संवेदनाएँ हिंदी कविता में दर्ज होने लगीं. आगे चलकर ‘वह आदमी चला गया नया गरम कोट पहिनकर विचार की तरह’ (1981), ‘सब कुछ होना बचा रहेगा’ (1992), ‘अतिरिक्त नहीं’ (2000), ‘कविता से लंबी कविता’ (2001), ‘आकाश धरती को खटखटाता है’ (2006), ‘पचास कविताएँ’ (2011), ‘कभी के बाद अभी’ (2012), ‘कवि ने कहा’, चुनी हुई कविताएँ (2012) और ‘प्रतिनिधि कविताएँ’ (2013) जैसे संग्रहों ने उन्हें समकालीन हिंदी कविता के सबसे मौलिक स्वरों में शुमार कर दिया. उनकी कविताएँ बोलने से ज़्यादा सुनने वाली, नारेबाज़ी से कहीं अधिक, धीमी फुसफुसाहट की तरह काम करती हैं, लेकिन असर उनका बहुत दीर्घकालिक है.

उनके उपन्यास ‘नौकर की कमीज़’ (1979) ने हिंदी कथा-साहित्य में एक नया मोड़ दिया, जिस पर मणि कौल ने फिल्म भी बनाई. इसके बाद ‘खिलेगा तो देखेंगे’ (1996), ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ (1997, साहित्य अकादमी पुरस्कार), ‘हरी घास की छप्पर वाली झोपड़ी और बौना पहाड़’ (2011), ‘यासि रासा त’ (2016) और ‘एक चुप्पी जगह’ (2018) के माध्यम से उन्होंने लोकआख्यान, स्वप्न, स्मृति, मध्यवर्गीय जीवन और मनुष्य की अस्तित्वगत जटिल आकांक्षाओं को एक नये कथा-ढांचे में समाहित किया.

कहानी-संग्रह ‘पेड़ पर कमरा’ (1988), ‘महाविद्यालय’ (1996), ‘एक कहानी’ (2021) और ‘घोड़ा और अन्य कहानियाँ’ (2021) में भी वही सूक्ष्म, घरेलू और लगभग उपेक्षित जीवन-कण अद्भुत कथा-समृद्धि के साथ उपस्थित होते हैं.

उनकी रचनाएँ अनेक भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनूदित हुईं. ‘The Servant’s Shirt’, ‘A Window Lived In The Wall’, ‘Once It Flowers’, ‘Moonrise From The Green Grass Roof’, ‘Blue Is Like Blue’, ‘The Windows In Our House Are Little Doors’ जैसे अंग्रेज़ी अनुवादों ने उन्हें वैश्विक पाठकों तक पहुँचाया. ‘नौकर की कमीज़’ और ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ के साथ ‘पेड़ पर कमरा’ और अनेक कविताएँ विदेशी तथा भारतीय भाषाओं में रूपांतरित होकर एक व्यापक पाठक-वृत्त तक पहुँचीं. कई रचनाओं पर फिल्में बनीं, नाटक लिखे गए.

साहित्य अकादमी पुरस्कार, गजानन माधव मुक्तिबोध फेलोशिप, रज़ा पुरस्कार, शिखर सम्मान, राष्ट्रीय मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, दयावती मोदी कवि शेखर सम्मान, हिंदी गौरव सम्मान, ‘Blue Is Like Blue’ के लिए मातृभूमि पुरस्कार, साहित्य अकादमी का महत्तर सदस्य सम्मान और 2023 का पैन-नाबोकोव पुरस्कार जैसी उपलब्धियाँ उनके दीर्घ, शांत और गहन रचनात्मक सफ़र की सार्वजनिक स्वीकृति हैं.

लेकिन इन सब के बीच उनका लेखक-स्वर वही बना रहा-संकोची, आंतरिक, लगभग अदृश्य, जो शब्दों की अत्यधिक सजावट से बचते हुए, बेहद सरल वाक्यों में हमारे भीतर एक खिड़की खोल देता है, जहाँ से दुनिया थोड़ी और मानवीय, थोड़ी और कल्पनाशील और थोड़ी और सच दिखाई देने लगती है.

कहां से कहां पहुंचने के चक्कर में भारतीय नारियां कहां से कहां पहुंच रही हैं : कविता तिवारी

लखनऊ । भारतीय समाज को पुरुष प्रधान समाज कहा जाता था किंतु समाज को संवारने का कार्य महिलाओं ने भी कुशलता पूर्वक किया है । विश्व पटल पर भारतीय नारियों ने अपनी छवि आज चमकाई है चाहे वह खेल जगत हो उद्योग जगत शिक्षा हो या अन्य क्षेत्र में। आज भारतीय नारियां हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही हैं यह हमारे लिए गर्व की बात है आज से ही नहीं भारत में स्त्रियां प्राचीन काल से ही आगे रही हैं गार्गी मैत्रेई अपला जैसी विदुषी, महारानी लक्ष्मीबाई जैसी साहसी और सीता सती पार्वती जैसी पवित्रता की प्रतीक हुई है कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स जैसी महिलाओं के साहस एवं योग्यता को सारा विश्व देख चुका है सोफिया एवं व्योमिका सिंह जैसी साहसी महिलाओं के पराक्रम से तो दुश्मन भी हैरान हो चुका है किंतु भारतीय नारियों के लिए कुछ चिंता चिंता का विषय भी है जैसी सामाजिक असुरक्षा जिस पर देश में लगातार प्रयास हो रहे हैं किंतु एक ऐसा विषय है जिस के लिए महिला समाज स्वयं जिम्मेदार है जैसे घर गृहस्थी के निर्वहन में असर्मथता आजकल महिलाएं जितना ज्यादा शिक्षित होती जा रही है उतना ही गृहस्थ जीवन में रहना नहीं पसंद कर रही हैं कभी तलाक कभी कभी घर छोड़ कभी जीवन साथी को ही मार देना जैसी स्थिति उत्पन्न कर रही हैं मै यह नहीं कह रही हूं कि सारी गलतियां महिलाओं की ही है मगर कहीं न कहीं महिलाएं अपनी सहनशीलता को खो रही हैं अपनी पुरानी पीढ़ी की महिलाओं से नहीं सीखने की कोशिश कर रही हैं पुरानी पीढ़ी की महिलाएं अशिक्षित बेशक थी मगर परिवार को चलाना बखूबी जानती थी उसके लिए चाहे उनको कितना भी कुछ सहन करना पड़ता था मगर परिवार को लेकर चलती थी आधुनिक भारतीय नारियां अपनी प्राचीन भारतीय नारियों को अपना आदर्श न मानकर अपितु पश्चिमी सभ्यता को अपनाती जा रही हैं परिणास्वरुप आज कल कहीं नीले ड्रम की घटना तो कहीं कुछ घटित हो रहा है जिससे भारतीय नारियों की छवि धूमिल हो रही है।उक्त विचार राष्ट्रीय सवर्ण आर्मी भारत के राष्ट्रीय प्रचारक कविता तिवारी ने कही।
पति और दोस्तों ने मिलकर किया महिला के साथ अनैतिक कृत्य, FIR दर्ज

लखनऊ । यूपी की राजधानी में एक महिला के साथ रोंगटे खड़े कर देने वाली दरिंदगी का मामला सामने आया है। वजीरगंज थाना क्षेत्र में रहने वाली पीड़िता ने अपने ही पति पर ऐसा आरोप लगाया है, जिसने स्थानीय पुलिस से लेकर इलाके के लोगों तक को हिलाकर रख दिया है। महिला का कहना है कि उसका पति न केवल दहेज के लिए उसे प्रताड़ित करता था, बल्कि उसे नशीला पदार्थ पिलाकर अपने दोस्तों के साथ अनैतिक कार्य करवाने तक पहुंच गया। शादी के चंद दिनों पर पति का असली चेहरा आ गया सामने पीड़िता के अनुसार, 14 अक्तूबर 2022 को उसका निकाह हरदोई रोड स्थित अंधे की चौकी के पास रहने वाले एक व्यापारी से हुआ था। शादी के चंद दिनों बाद ही पति का असली चेहरा सामने आने लगा। आरोप है कि पति ने अतिरिक्त दहेज की मांग शुरू कर दी। विरोध करने पर कभी शराब के नशे में बुरी तरह पिटाई, तो कभी घंटों भूखा रखने जैसे अमानवीय अत्याचार किए जाने लगे। दोस्तों से कराया दरिंदगी फिर बनाई वीडियो महिला ने बताया कि एक दिन पति घर आया और कोल्ड ड्रिंक में नशीला पदार्थ मिलाकर उसे पिला दिया। कुछ ही देर में वह बेहोश हो गई। इसी दौरान पति ने अपने दो दोस्तों को घर बुलाया और बेहोशी की हालत में उनके साथ अनैतिक कार्य करवाया। आरोप है कि इस दरिंदगी की वीडियो और फोटो भी बनाई गईं। विरोध करने पर पीटा, प्रताड़ना से परेशान होकर चली गई मायके होश में आने पर जब पीड़िता ने विरोध किया, तो पति और भी ज्यादा बेरहम हो गया। कथित तौर पर उसने न केवल उसे पीटा, बल्कि धमकी दी कि यदि उसने किसी को कुछ बताया तो बनाई गई अश्लील वीडियो वायरल कर देगा। पीड़िता के मुताबिक, बढ़ती प्रताड़ना से तंग आकर वह मायके चली गई। इसी बीच उसे पता चला कि आरोपी पति ने उनका मकान भी बेच दिया। जब उसने विरोध किया, तो पति ने धमकी को अंजाम देते हुए उसकी निजी फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दीं, जिससे पीड़िता मानसिक रूप से टूट गई। पीड़िता की शिकायत पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर शुरू की जांच मामले की जानकारी पुलिस तक पहुंची तो वजीरगंज थाने में पति सहित उसके दोस्तों के खिलाफ गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई है। इंस्पेक्टर राजेश त्रिपाठी ने बताया कि पूरे मामले की तफ्तीश जारी है। तकनीकी साक्ष्य व अन्य प्रमाण जुटाए जा रहे हैं। साक्ष्य मिलने पर आरोपियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
बहाना करना नहीं छोड़ेंगे तो अगली पीढ़ी भी सत्ता में नहीं आ पाएगी चिराग पासवान


पटना
राजद ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि पोस्टल वोट रिजेक्ट होने के कारण हमारे गठबंधन के उम्मीदवार हार गए नहीं तो कुछ सीटों पर हमारे उम्मीदवार जीतते इसपर केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा कि राजद और कांग्रेस जिंदगी भर कभी भी पलट करके यह लोग सत्ता में नहीं आएंगे अगर यह लोग बहाने बनाना नहीं छोड़ेंगे. हर हार के बाद आपको एक ईमानदार मंथन करने की जरूरत है कौन नहीं गुजरा है हार से. हम लोग हार से गुजरे हैं फिर भी हमारे पिता 2009 की हार के बाद अपने आप को 2014 मे खड़ा करने का काम किया. 2021 में मुझे मेरी पूरी पार्टी छीन ली गई और आज 2024-25 में हम लोगों ने पुनः अपने आप को स्थापित करने का काम किया क्योंकि हम लोगों ने ईमानदार मंथन किया. 2020 के हमारे इंटरव्यू निकाल करके देखिए हमने कभी भी किसी पर ठीकरा तक नहीं फोड़ा कि हमारी पार्टी का क्यों ऐसा परफॉर्मेंस रहा. हम लोगों ने ईमानदार मंथन किया कि हम लोगों से कहां कमी रह गई और कहां चुक हो गई. इतने अहंकार में डूबी हुई यह पार्टियों है कांग्रेस हो या राजद हो. आज रिजल्ट आए हुए इतने दिन हो गए और आज एक सप्ताह होने को आ गया है इन लोगों ने अभी तक मंथन तक करना जरूरी नहीं समझा एक बैठक की और अपने आप को नेता चुन लिया. और आज भी इस बात का ठीकरा फोड़ने में लगे हैं कि कभी इसका वोट चोरी हो गया तो कभी इसने वोट काट लिया. केवल आप लोग दूध के धुले हैं बाकी सब गलत है. तीन बार से एनडीए जीत करके आ रही है तो वह गलत है पर दो-दो बार यूपीए जीतकर के आ जाती है वह ठीक था. जहां पर आप जीत जाते हैं झारखंड जैसे राज्यों में तो वह सही हो जाता है और हम महाराष्ट्र की जातते हैं तो वह गलत हो जाता है. SIR चल रहा था तब से बहाना बना रहे हैं वोट चोरी का. यह लोग बहाना बना नहीं छोड़ेंगे तो *लालू जी की अगली पीढ़ी भी सत्ता में नहीं आएगी अगर यह लोग बहाना बनाना नहीं छोड़ेंगे तो* उनकी सभा में अगर आप चले जाइए तो आपको देखने को मिलेगा कि महिलाओं के साथ बदतमीजी की जाती थी इन लोगों के कार्यक्रम में इन लोगों के प्रवक्ताओं को देख लीजिए किस तरीके से एग्रेसिव होकर के बातों को रखते थे. आप अपने विपक्ष के तौर पर बातों को रखिए लेकिन केवल बहाना करते रहना है. EVM को लेकर के रोना रोते थे आज क्यों नहीं है ऐसा. SIR को नया मुद्दा बना लिया है और अगले 10 साल तक हारेंगे फिर नया मुद्दा ढूंढ लेंगे. ईमानदार से एक बार बैठ करके यह मंथन करें कि जनता ने क्यों नहीं साथ दिया है तब पता चलेगा. जनता ने 2005 से इन लोगों का साथ छोड़ा हुआ है और यह लोग समझ नहीं पा रहे हैं. यह लोग बताएं कि 2015 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का साथ नहीं मिलता तो सात जन्म में भी ये लोग सरकार नहीं बनाते. 2020 में अगर मैं अलग नहीं रहता यूनाइटेड NDA रहता तो इससे भी बद्दतर प्रदर्शन रहता. यह लोग जो सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं कि इसकी या उसकी वजह से हुआ एक बार ईमानदारी सब बैठेंगे तो इन लोगों को पता चलेगा कि यह लोग कितनी जगह गलत रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी और नीतीश कुमार हमेशा परिवारवाद पर हमला करते हैं लेकिन कल आशीर्वाद देते नजर आए उपेंद्र कुशवाहा के बेटे को ना कि वह MLA है और नाही एमएलसी है इसको आप लोग बढ़ावा दे रहे हैं इस पर चिराग पासवान ने कहा कि मैं परिवारवाद पर कुछ बोल ही नहीं सकता हूं. लेकिन मैं बस इतना ही कहूंगा कि आप उस व्यवस्था को ऐसे में सुधार नहीं सकते आप एक नई लकीड़ नही खींच सकते मैं इसको नहीं मानता. क्योंकि आप एक परिवार से आते हैं आपको एक मौका नहीं मिलना चाहिए मैं इसका पक्षधर नहीं हूं लेकिन मैं बस इतना कहूंगा कि अगर आपके अंदर काबिलियत नहीं होगी आप कितने भी बड़े परिवार से आ जाओ आपका कुछ नहीं होगा. मैं अपना उदाहरण दूंगा 2021 में मेरे से मेरी पार्टी सिंबल सब कुछ लिया गया. आज अगर काबिलियत नहीं होती तो सात जन्म में भी चिराग पासवान या पार्टी खड़ी नहीं हो सकती थी. ऐसे में किसी परिवार का होना आपका सौभाग्य हो सकता है पर आपकी काबिलियत ही आपको आगे लेकर के जाएगी. काबिलियत होगी आप आगे बढ़ेंगे नहीं होगी तो कोई आपको आगे नहीं बढ़ा पाएगा. बंगाल बिहार जीतने के बाद बंगाल की बारी है हम लोग असम भी जीतने जा रहे हैं बंगाल भी जीतने जा रहे हैं और जितने राज्यों में डॉन साउथ तमिलनाडु सारी जगह आप लोग देखेंगे इस चुनाव के परिणामों की परछाई पूरे देश में देखने को मिलेगी. बंगाल में आपकी क्या भूमिका रहेगी इस पर चिराग पासवान ने कहा कि जो बिहार में भूमिका थी वही बंगाल में भी भूमिका रहेगी. समावेश के साथ महिला युवाओं को जोड़ते हुए आगे बढ़ना और वही भूमिका में आने वाले दिनों में असम बंगाल तमिलनाडु उत्तर प्रदेश 2027 में चुनाव है तमाम राज्यों में देखने को मिलेगा