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बिहार में नई सरकार बनाने की कवायद तेज, मंत्रिमंडल का फॉर्मूला तय, जानें किस दल से कितने होंगे मंत्री?

#biharnewcabinetformulanda_government

बिहार में अब नई सरकार बनाने की कवायद तेज हो गई है। जेडीयू ने कल विधायक दल की बैठक बुलाई है। इसमें नीतीश कुमार को विधायक दल का नेता चुना जाएगा। कल यानी सोमवार को बीजेपी विधायक दल की भी बैठक हो सकती है। नीतीश कुमार 17 नवंबर को राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपेंगे और इसी दिन नई सरकार बनाने का दावा भी पेश कर सकते हैं। सीएम हाउस के सूत्रों की मानें तो 20 नवंबर को नीतीश कुमार 10वीं बार सीएम पद की शपथ ले सकते हैं।

नई सरकार के गठन के कवायद के बीच सबसे बड़ा सवाल यही है- नई सरकार की कैबिनेट कैसी होगी और किस दल से कितने मंत्री शामिल किए जाएंगे?

मंत्रालयों के बंटवारे का फॉर्मूला तय

सूत्रों के मुताबिक, एनडीए के घटक दलों के बीच मंत्रालयों के बंटवारे पर प्राथमिक सहमति बन चुकी है। हालांकि अंतिम घोषणा से पहले मामूली फेरबदल की संभावना बनी हुई है। सूत्रों से मिले रिपोर्ट के अनुसार बिहार में एनडीए घटक से मंत्री बनाए जाने के लिए 6-1 का फॉर्मूला लागू किया जाएगा। यानी 6 विधायक पर एक मंत्री सरकार के मंत्री मंडल में शामिल हो सकते हैं।

30-32 मंत्रियों का हो सकता है मंत्रिमंडल

सूत्रों की मानें तो इस बार 30-32 मंत्रियों का मंत्रिमंडल हो सकता है। इसमें जेडीयू और बीजेपी के बराबर-बराबर मंत्री हो सकते हैं। इनके अलावा चिराग पासवान की पार्टी को 3 मंत्री पद, जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को एक-एक मंत्री पद मिल सकता है। विधानसभा के मौजूदा नंबर के हिसाब से बिहार में कुल 36 मंत्री बनाए जा सकते हैं।

किस दल के कितने मंत्री?

जदयू: सीएम नीतीश कुमार के अलावा 13-14 विधायक मंत्री बनाए जा सकते हैं।

बीजेपी: विधायकों की संख्या के आधार पर 15 से 16 मंत्रियों की संभावना है।

लोजपा (आर): चिराग पासवान की पार्टी से 3 मंत्री शामिल किए जा सकते हैं।

हम और रालोमो: इन दोनों दलों से एक–एक विधायक को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है।

फिर से दो डिप्टी सीएम बनाने की चर्चा

बिहार में एक बार फिर से दो डिप्टी सीएम बनाने की चर्चा है, लेकिन दोनों बीजेपी की जगह एक डिप्टी सीएम पद पर एलजेपी (R) भी दावेदारी कर रही है। फिलहाल कैमरे पर सीधे बोलने की बजाय वे दबी जुबान ये बातें कर रहे है। हालांकि, नीतीश कुमार सीएम होंगे तो डिप्टी सीएम कौन होगा ये बीजेपी ही तय करेगी।

बिहार में बंपर जीत के बाद BJP मुख्यालय पहुंचे PM मोदी, गमछा लहाराकर जताया आभार

बिहार विधानसभा चुनाव में NDA की बंपर जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कार्यकर्ताओं से मिलने के लिए पार्टी मुख्यालय पहुंचे हैं. पीएम मोदी जैसे ही गाड़ी से उतरे उन्होंने गमछा लहराकर वहां मौजूद कार्यकर्ताओं का आभार जताया. बिहार चुनाव में प्रचार के समय में पीएम मोदी ने गमछा लहराया था

पीएम मोदी ने अपना संबोधन जय छठी मईया के साथ किया. पीएम ने कहा कि यह प्रचंड जीत और अटूट विश्वास, बिहार के लोगों ने बिल्कुल गर्दा उड़ा दिया है. हम तो जनता जनार्दन के सेवक हैं. हम अपनी मेहनत से जनता का दिल खुश करते रहते हैं. हम तो जनता जनार्दन का दिल चुरा कर बैठे हैं. इसलिए पूरा ये बिहार ने आज बता दिया है कि फिर एक बार एनडीए सरकार.

पीएम बोले- कट्टा सरकार अब वापस नहीं आएगी

बिहार के चुनाव में जब मैं जंगलराज और कट्टा सरकार की बात करता था तो आरजेडी वाले कभी विरोध नहीं करते थे लेकिन कांग्रेस वालों को बहुत चुभता था. मैं आज फिर कहना चाहता हूं कि कट्टा सरकार अब वापस नहीं आएगी. बिहार के लोगों ने विकसित बिहार के लिए मतदान किया है. मैंने चुनाव चुनाव प्रचार के दौरान बिहार की जनता से रिकॉर्ड वोटिंग के लिए आग्रह किया था और बिहार के लोगों ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं.

मैंने बिहार के लोगों से एनडीए को प्रचंड विजय दिलाने का आग्रह किया था. बिहार की जनता ने मेरा ये आग्रह भी माना है. बिहार ने 2010 के बाद सबसे बड़ा जनादेश एनडीए को दिया है. मैं बहुत विनम्रता से एनडीए और सभी दलों की ओर से बिहार की महान जनता का आभार व्यक्त करता हूं.

बिहार की जीत केवल एनडीए नहीं बल्कि लोकतंत्र की जीत है

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि आज सिर्फ एनडीए की विजय नहीं है, ये लोकतंत्र की भी जीत है. इस चुनाव में भारत के चुनाव आयोग पर जनता का विश्वास और मजबूत हुआ है. बीते कुछ सालों से भारी मतदान होना ये चुनाव आयोग की बहुत बड़ी सिद्धि है. ये वही बिहार है जो पहले माओवादी आतंक हावी था. जहां पर नक्सल प्रभावित इलाकों में 3 बजे वोटिंग खत्म हो जाती थी. इस बार के चुनाव में बिहार में बिना किसी डर के लोगों ने उत्साह और उमंग के साथ एक उत्सव की तरह वोट किया.

पीएम ने फिर याद दिलाया जंगलराज का समय

पीएम ने कहा कि बिहार में जब जंगलराज था तब क्या-क्या होता था ये भी आप जानते हैं. सरेआम मतदान केंद्रों पर हिंसा होती थी. मतपेटियां लूटी जाती थीं. आज वही बिहार रिकॉर्ड मतदान कर रहा है. शांतिपूर्ण मतदान कर रहा है. हर किसी का मत दर्ज हुआ, हर किसी ने अपनी पसंद से मत दिया है. री-पोलिंग के आंकड़े भी इस बदलाव के गवाही देते हैं. 2005 से पहले सैकड़ों जगह पर री-पोलिंग हुई थी. 1995 में हजार पर पोलिंग स्टेशन पर री-पोलिंग करानी पड़ी. इस बाद दो चरण के चुनाव में कही पर भी री-पोलिंग की नौबत नहीं आई.

बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार एनडीए ने ऐतिहासिक जीत हासिल की है. राज्य की 243 सीटों की बात करें तो एनडीए 201 सीट पर बढ़त बनाए हुआ है. इसमें बीजेपी पहले नंबर पर है, यानी इस बार वो राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. बीजेपी 90 तो जेडीयू 83 सीट पर या तो जीत दर्ज कर चुकी है या फिर रुझानों में आगे चल रही है.

यह सुशासन, विकास की जीत…बिहार चुनाव में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद पीएम मोदी की पहली प्रतिक्रिया

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बिहार में एक बार फिर से एनडीए की सरकार आ रही है। विधानसभा चुनाव-2025 में बीजेपी-जेडीयू को बंपर वोट मिला है। गठबंधन की प्रचंड जीत हुई है। बिहार चुनाव के नतीजे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुशासन और विकास की जीत बताया है।

पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर बिहार चुनाव के नतीजों पर लिखा कि 'सुशासन की जीत हुई है। विकास की जीत हुई है। जन-कल्याण की भावना की जीत हुई है। सामाजिक न्याय की जीत हुई है। बिहार के मेरे परिवारजनों का बहुत-बहुत आभार, जिन्होंने 2025 के विधानसभा चुनावों में एनडीए को ऐतिहासिक और अभूतपूर्व जीत का आशीर्वाद दिया है। यह प्रचंड जनादेश हमें जनता-जनार्दन की सेवा करने और बिहार के लिए नए संकल्प के साथ काम करने की शक्ति प्रदान करेगा।'

पीएम ने जताया एनडीए के प्रत्येक कार्यकर्ता का आभार

पीएम मोदी ने आगे कहा कि मैं एनडीए के प्रत्येक कार्यकर्ता का आभार व्यक्त करता हूं, जिन्होंने अथक परिश्रम किया है। उन्होंने जनता के बीच जाकर हमारे विकास के एजेंडे को सामने रखा और विपक्ष के हर झूठ का मजबूती से जवाब दिया। मैं उनकी हृदय से सराहना करता हूं!'

पीएम मोदी ने नीतीश कुमार दी बधाई

प्रधानमंत्री ने कहा कि एनडीए ने राज्य का चौतरफा विकास किया है। लोगों ने हमारे ट्रैक रिकॉर्ड और राज्य को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के हमारे विजन को देखकर हमें भारी बहुमत दिया है। मैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी और एनडीए परिवार के हमारे सहयोगी चिराग पासवान जी, जीतन राम मांझी जी और उपेंद्र कुशवाहा जी को इस जबरदस्त जीत के लिए हार्दिक बधाई देता हूं।

बढ़-चढ़कर काम करने का दिया भरोसा

पीएम मोदी ने लिखा कि आने वाले समय में हम बिहार के विकास, यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर और राज्य की संस्कृति को नई पहचान देने के लिए बढ़-चढ़कर काम करेंगे। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि यहां की युवा शक्ति और नारी शक्ति को समृद्ध जीवन के लिए भरपूर अवसर मिले।

मोकामा से जीते बाहुबली अनंत सिंह, RJD की वीणा देवी को 29 हजार वोटों से दी मात

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मोकामा से अनंत सिंह ने जीत दर्ज कर ली। बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाली मोकामा की विधानसभा सीट पर एक बार फिर से अनंत सिंह का परचम लहराया है। वह पहले राउंड से ही लगातार बढ़त बनाए हुए थे। उनके खिलाफ लड़ रही सूरजभान सिंह की पत्नी और आरजेडी प्रत्याशी वीणा देवी को हार का सामना करना पड़ा।

वीणा देवी को 29710 मतों के अंतर से हराया

जेडीयू के बाहुबली उम्मीदवार अनंत कुमार सिंह को कुल 81,692 वोट मिले। उन्होंने नजदीकी प्रतिद्वंद्वी आरजेडी की प्रत्याशी वीणा देवी को 29710 मतों के अंतर से हरा दिया। उनकी मुख्य प्रतिद्वंद्वी आरजेडी की वीना देवी को 51,982 वोट मिले। जन सुराज पार्टी के प्रियदर्शी पीयूष को 11,231 वोट मिले।

मोकामा में जश्न का माहौल

मोकामा में जश्न की कुछ तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। जिसमें उनके आवास पर हलवाई खाना बनाने में लगे हुए हैं। काउंटिंग शुरू होने के बाद से ही आवास पर ढोल नगाड़े बजने शुरू हो गए थे। जीत के साथ ही अब उनको इंतजार है तो केवल अपने नेता की, जो फिलहाल बेऊर जेल में बंद हैं

मतदान से ठीक पहले हुए थे गिरफ़्तार

बता दें कि मोकामा सीट जेडीयू के उम्मीदवार अनंत सिंह को मतदान से ठीक पहले गिरफ़्तार किए जाने की वजह से सीट चर्चा में है। मोकामा से जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार पीयूष प्रियदर्शी के समर्थक दुलारचंद यादव की हत्या के मामले में अनंत सिंह मुख्य आरोपी हैं। चुनाव प्रचार के दौरान ही दुलारचंद यादव की हत्या कर दी गई थी। आरोप है कि हत्या में अनंत सिंह स्वयं शामिल थे। इस हत्याकांड को लेकर अनंत सिंह और जेडीयू सहित एनडीए पर विपक्षी दलों ने जमकर हमले किए थे। अनंत सिंह को गिरफ्तार भी किया गया था।

मोकामा में अनंत कुमार सिंह का दबदबा

मोकामा विधानसभा क्षेत्र में 58 साल के अनंत सिंह और उनके परिवार का पिछले 35 साल से दबदबा है। सन 2000 के बिहार के विधानसभा चुनाव में सूरजभान सिंह ने अनंत सिंह के बड़े भाई दिलीप सिंह को मोकामा सीट पर हराया था। सूरजभान सिंह की पहले दिलीप सिंह से दोस्ती थी। लेकिन सन 2000 के बाद उनके संबंधों में बदलाव आ गया। अनंत कुमार सिंह के भाई दिलीप सिंह राबड़ी देवी की सरकार में मंत्री भी रहे थे। दिलीप सिंह साल मोकामा सीट पर सन 1990 और 1995 में जीते थे। इसके बाद सन 2005 से अनंत सिंह इस क्षेत्र से जीत रहे हैं। अनंत सिंह जेडीयू से पहले आरजेडी में रहे, निर्दलीय भी चुनाव लड़ा लेकिन वे कभी हारे नहीं।

बिहार में बेदम हुई कांग्रेस, ओवैसी से भी पिछड़ी पार्टी

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बिहार की अपनी पुरानी राजनीतिक जमीन तलाश रही कांग्रेस को बहुत बड़ा झटका लगा है। रुझानों में एनडीए को 198, महागठबंधन को 39 और अन्य के खाते में 6 सीटें जाने के संकेत मिल रहे हैं। एनडीए के खाते में से नीतीश कुमार की जदयू के हिस्से में अपने दम पर 80 सीटें आती दिख रही हैं। 39 सीटों पर सिमटते दिख रहे महागठबंधन में कांग्रेस का हाल और भी बुरा है, वो महज 4 सीटों ही जीतती दिख रही है।

एआईएमआईएम से भी पीछे कांग्रेस

कांग्रेस की हालत रुझानों के मुताबिक तो ऐसी है कि राहुल गांधी जैसे कद्दावर नेता के वोट चोरी जैसे तमाम आरोपों के बावजूद पार्टी असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम से पीछे है। एआईएमआईएम को रुझानों में 5 सीटें मिलती दिख रही हैं।

पिछले चुनाव से भी खराब प्रदर्शन

बिहार के चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन पिछले विधानसभा चुनाव से भी खराब रहा। वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को महागठबंधन में 70 सीटें मिली थीं और वह 19 सीटें जीती थी। इस बार उसे 61 सीटें मिलीं जिनमें से वह 5 सीटें ही जीतती दिख रही है। यानी पिछले चुनाव के मुकाबले कांग्रेस आधी सीटें भी नहीं जीत सकी।

वोटर अधिकार यात्रा में दिखा आत्मविश्वास “फुस्स”

कांग्रेस का 2020 के चुनाव में प्रदर्शन बहुत निराशाजनक रहा था। इसे सुधारने और बिहार में नया जनाधार बनाने के लिए ही कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बिहार में विधानसभा चुनाव के ऐलान से पहले सितंबर में वोटर लिस्ट के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) में कथित धांधली और 'वोट चोरी' के आरोपों को लेकर वोटर अधिकार यात्रा निकाली थी। इस यात्रा के दौरान राहुल गांधी में आत्मविश्वास झलकता रहा। तब प्रतीत हो रहा था कि कांग्रेस दशकों बाद बिहार की सत्ता में लौटने के लिए तैयार हो गई है। हालांकि जब महागठबंधन में सीटों के बंटवारे की बारी आई तो विपक्ष के इस गठबंधन के नेतृत्व और सीटों को लेकर जमकर रस्साकशी चली। इस भिड़ंत में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने अपना वर्चस्व बना लिया और कांग्रेस का उत्साह ठंडा पड़ता हुआ दिखा।

चुनाव की घोषणा के बाद बिहार से रहे गायब

चुनाव का ऐलान होने के बाद राहुल गांधी बिहार से गायब हो गए। जब उनका आंदोलन गति पकड़ चुका था, जनता में उसकी अच्छी प्रतिक्रिया हो रही थी, तब विरोध की आग को जलाए रखने के बजाय वे विदेश यात्रा पर चले गए। इसका सत्ता पक्ष ने ही नहीं कांग्रेस के सहयोगी आरजेडी ने भी फायदा उठाया।

बिहार में जो खेल SIR ने किया है वो बाकी जगह नहीं हो पाएगा, रुझान पर बौखला गए अखिलेश यादव

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बिहार विधानसभा चुनाव के लिए शुक्रवार को जारी मतगणना में एनडीए गठबंधन बड़ी जीत की ओर बढ़ रहा है। वहीं, महागठबंधन की हालत खस्ता है। चुनाव परिणाम के रुझानों में जदयू, भाजपा और अन्य दलों का गठबंधन की जीत और राजद, कांग्रेस आदि के महागठबंधन की हार पर अब समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव का बयान सामने आया है। उन्होंने विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर महागठबंधन की हार की ठीकरा फोड़ दिया है।

अब आगे हम ये खेल इनको नहीं खेलने देंगे-अखिलेश

अखिलेश यादव ने एक्स पर पोस्ट कर अपनी बौखलाहट जाहिर की। अखिलेश यादव ने लिखा, 'बिहार में जो खेल एसआईआर ने किया है वो पश्चिम बंगाल, तमिलनाडू, यूपी और बाक़ी जगह पर अब नहीं हो पायेगा क्योंकि इस चुनावी साजिश का अब भंडाफोड़ हो चुका है। अब आगे हम ये खेल, इनको नहीं खेलने देंगे।

भाजपा दल नहीं छल है-अखिलेश

सपा प्रमुख ने आगे कहा कि सीसीटीवी की तरह हमारा ‘पीपीटीवी’ मतलब ‘पीडीए प्रहरी’ चौकन्ना रहकर भाजपाई मंसूबों को नाकाम करेगा। भाजपा दल नहीं छल है।'

क्या है ‘पीपीटीवी’?

बता दें कि ‘पीपीटीवी’ वाला विचार अखिलेश ने पहले भी 12 नवंबर को एक्स पर साझा किया था, जहां उन्होंने लिखा था, “हम एसआईआर के लिए सीसीटीवी की तरह ‘पीपीटीवी’ लगाएंगे। पीडीए प्रहरी का चुनाव आयोग के लिए मूल संदेश है: तू जहाँ-जहाँ चलेगा, मेरा साया साथ होगा।” सपा नेताओं का दावा है कि यह तंत्र युवा कार्यकर्ताओं के साथ डिजिटल टूल्स पर आधारित होगा, जो वोटर लिस्ट, बूथ मैनेजमेंट और मतगणना पर सतर्क निगरानी रखेगा

पटना: JDU कार्यालय के बाहर जश्न, 'यहीं मनेगी होली-दिवाली'; समर्थक बोले- बिहार की जनता ने नीतीश कुमार को विजयी बनाया है

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम के रुझानों के बीच, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समर्थक पटना स्थित जेडीयू कार्यालय के बाहर जश्न मना रहे हैं। जेडीयू नेता छोटू सिंह ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि बिहार की जनता ने नीतीश कुमार को विजयी बनाया है। उन्होंने कहा, "हम यहीं होली, दिवाली मनाएंगे।" कार्यकर्ताओं ने पटाखे फोड़कर और नारेबाजी कर अपनी खुशी का इजहार किया।

Bihar Chunav Result: रूझानों में एनडीए को बहुमत, बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी

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बिहार विधानसभा के कुल 243 सीटों पर काउंटिंग जारी है। चुनाव के रुझान आने लगे हैं। चुनाव आयोग ने अपनी वेबसाइट results.eci.gov.in पर रूझान जारी कर दिया है। शुरुआती रुझान में एनडीए को भारी बढ़त दिख रही है। रुझान में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरती दिख रही है।

भाजपा सबसे आगे

चुनाव आयोग के आंकड़ों में भाजपा सबसे ज्यादा 84 सीटों पर आगे है जबकि जेडीयू 76 सीटों पर आगे है। राजद इतिहास का दूसरा सबसे बुरा प्रदर्शन करती दिख रही है। वह केवल 34 सीटों पर आगे है। लोजपा 22 सीटों पर आगे चल रही है।कांग्रेस का भी बुरा हाल है, वो मात्र 5 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है।

एनडीए ने पार किया बहुमत का आंकड़ा

बहुमत के लिए 243 सदस्यीय विधानसभा में 122 सीटें चाहिए। इस लिहाज से एनडीए ने बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है। एनडीए को इस चुनाव में 190 के करीब सीटें मिलती दिख रही है।

किस पार्टी को कितनी बढ़त?

Party Won Leading Total

Bharatiya Janata Party - BJP 0 84 84

Janata Dal (United) - JD(U) 0 76 76

Rashtriya Janata Dal - RJD 0 34 34

Lok Janshakti Party (Ram Vilas) - LJPRV 0 22 22

Communist Party of India (Marxist-Leninist) (Liberation) - CPI(ML)(L) 0 7 7

Indian National Congress - INC 0 5 5

Hindustani Awam Morcha (Secular) - HAMS 0 5 5

Rashtriya Lok Morcha - RSHTLKM 0 3 3

All India Majlis-E-Ittehadul Muslimeen - AIMIM 0 3 3

Communist Party of India (Marxist) - CPI(M) 0 2 2

Vikassheel Insaan Party - VSIP 0 1 1

Bahujan Samaj Party - BSP 0 1 1

Total 0 243 243

बिहार में जंगलराज से जीरो Repoll तक, 30 सालों में कैसे बदलता गया राज्य का चुनाव?

बिहार चुनाव के आज नतीजे का दिन है. 243 विधानसभा सीटों पर वोटों की गिनती जारी है. सरकार किसकी बनेगी, ये फाइनल आंकड़ा आने के बाद साफ होगा, फिलहाल एनडीए ने रुझानों में बढ़त बना ली है. एनडीए का सत्ता में बने रहना अपने आप में एक रिकॉर्ड कहलाएगा. वहीं चुनाव आयोग का कहना है कि इस बार बिहार चुनाव में एक नया रिकॉर्ड बन गया है. पिछले तीस साल में यह पहला मौका है कि बिहार में मतदान के दौरान हिंसा नहीं हुई है. इस बार बिहार चुनाव में पहली बार कई सुधार भी किए गए थे. हिंसा मुक्त मतदान की एक बड़ी वजह यह भी है.

साल 1985 से 2005 के दौर को बीजेपी और जेडीयू जंगलराज बताती रही है. हिंसा और पुनर्मतदान बिहार चुनाव की पहचान बन गया था लेकिन 2025 के विधानसभा चुनाव के दोनों चरणों के दौरान कोई हिंसा देखने को नहीं मिली. और यही वजह है कि बिहार में इस बार शांतिपूर्ण मतदान हुआ. 243 सीटों में से एक भी सीट पर री-पोल यानी दोबारा मतदान कराने की नौबत नहीं आई. चुनाव आयोग इसे अपने लिए बड़ी उपलब्धि मान रहा है.

SIR पर खूब हंगामा भी हुआ

जाहिर है चुनाव आयोग ने बिहार में एक नया रिकॉर्ड बना लिया है. पिछले तीस साल में पहली बार किसी भी बूथ से हिंसा की कोई बड़ी खबर नहीं आई. हालांकि मतदान से पहले बिहार में खूब हंगामा हुआ. एसआईआर यानी मतदाता सूची शुद्धिकरण को लेकर चुनाव आयोग को बिहार में विपक्षी दलों का जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ा था. मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया. तमाम आरोपों के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने प्रेस कांफ्रेंस करके अपना पक्ष रखा. एसआईआर से मतदान में गड़बड़ी की आशंका जताई गई थी. वहीं चुनाव आयोग के मुताबिक, यह पहला चुनाव है जो पूरी तरह से शांतिपूर्ण रहा. दोनों ही चरणों के मतदान में कहीं हिंसा या तोड़फोड़ नहीं हुई.

बिहार चुनाव में हिंसा आम बात

बिहार में चुनाव के दौरान पहले हिंसा आम बात थी. हिंसा के चलते मतदान रद्द भी होते रहे हैं. चुनावी हिंसा में लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी है. चुनाव आयोग के आंकड़ों पर गौर करें तो 1985 के विधानसभा चुनाव में जमकर हिंसा हुई थी. इस दौरान 63 लोगों की मौत हुई थी. चुनाव आयोग को 156 पोलिंग बूथों पर दोबारा मतदान करवाना पड़ा था. वहीं साल 1990 के विधानसभा चुनाव में भी खूब हिंसा हुई. इस दौरान 87 लोगों की मौत हो गई. 1990 में ही लालू प्रसाद यादव पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने.

1995 में टीएन शेषन ने दिखाई सख्ती

बिहार चुनाव के इतिहास के पन्ने पलटें तो साल 1995 का विधानसभा चुनाव कई मायनों में सबसे यादगार था. इस साल चुनाव के ऐलान के बाद पूरे राज्य में जमकर हिंसा हुई थी. मतदान के दौरान जमकर गड़बड़ियां हुईं. ज्यादातर बूथों पर बवाल, हिंसा हुई थी. हालात को देखते हुए तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन को एक दो बार नहीं बल्कि चार बार चुनाव को टालना पड़ा था. यह साल बिहार के लिए बहुत ही अराजकता वाला साल था. टीएन शेषन ने जिस तरह से सख्ती दिखाई, उससे उनकी साफ सुथरी छवि निखर कर सामने आई. उन्हें एक सशक्त चुनाव आयुक्त के तौर पर गिना गया. आज भी गिना जाता है.

2005 से नीतीश हर चुनाव में सीएम

हालांकि इसके बाद भी बिहार विधानसभा के चुनाव में हिंसा बदस्तूर जारी रही. साल 2000 में हुए विधानसभा चुनाव में भी छिटपुट हिंसा दर्ज की गई थी. इसके बाद 2005 के विधानसभा चुनाव भी हिंसा मुक्त नहीं रहा. इस साल दो बार चुनाव हुए थे. पहले फरवरी-मार्च के दौरान और दूसरा अक्टूबर-नवंबर के दौरान. अक्टूबर-नवंबर में हुए मतदान के बाद से ही हर चुनाव में बिहार में नीतीश कुमार लगातार मुख्यमंत्री चुने जा रहे हैं. हालांकि इस चुनाव में भी बिहार में हिंसा और चुनावी गड़बड़ियों की शिकायतें सामने थीं. जिसके चलते 660 बूथों पर दोबारा मतदान कराया गया था.

बिहार में मतों की गिनती जारी, शुरुआती रुझानों में बीजेपी को बढ़त

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बिहार विधानसभा चुनाव में दो चरण में मतदान के के बाद नई सरकार चुनने के लिए कुछ ही देर में वोटों की गिनती शुरू हो चुकी है। मतगणना के बाद यह तय हो जाएगा कि अगले पांच साल तक बिहार में सीएम की कुर्सी पर कौन बैठेगा।

रुझानों में बीजेपी आगे

चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक शुरूआती रुझानों में बीजेपी आगे चल रही है। चुनाव आयोग की साइट पर जारी आंकड़ों के मुताबिक बीजेपी 28 सीटों पर बढ़त बने हुए है। जेडीयू 20 सीटों पर आगे है। वहीं, आरजेडी 17 और कांग्रेस 3 सीटों पर आगे चल रही है।

कौन कितनी सीटों पर आगेः

Party Won Leading Total

Bharatiya Janata Party - BJP 0 28 28

Janata Dal (United) - JD(U) 0 20 20

Rashtriya Janata Dal - RJD 0 17 17

Lok Janshakti Party (Ram Vilas) - LJPRV 0 7 7

Indian National Congress - INC 0 3 3

Communist Party of India (Marxist-Leninist) (Liberation) - CPI(ML)(L) 0 1 1

The Plurals Party - TPLRSP 0 1 1

Hindustani Awam Morcha (Secular) - HAMS 0 1 1

Total 0 78 78