साई कॉलेज में मना ओजोन दिवस, राष्ट्रीय सेमिनार में विशेषज्ञों ने संरक्षण के लिये दिये तकनीकी सुझाव
अम्बिकापुर- मानवता के लिए ओजोन परत का संरक्षण जरूरी है। इसके लिए युवाओं को संधारित विकास के साथ आगे बढ़ना होगा। यह बातें विश्व ओजोन दिवस पर श्री साई बाबा आदर्श स्नातकोत्तर महाविद्यालय में रोड मैप ऑफ विकसित भारत : फ्राम साईंस टू ग्लोबल इम्पैक्ट विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार के दौरान ऑनलाइन मोड में जुड़े संत गहिरा गुरू विश्वविद्यालय के विश्वविद्यालय शिक्षण विभाग के पूर्व अधिष्ठाता प्रो. मधुर मोहन रंगा ने कही।
इको क्लब, साईंस क्लब और आईक्यूएसी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सेमिनार को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि ओजोन लेयर क्षरण के लिए हमारे प्रयोग में आने वाली गैसे हैं। इन गैसों के उत्सर्जन पर नियंत्रण लाना होगा। उन्होंने विश्व जैव विविधता संगठनों के कार्यक्रम और उसके कार्यों से अवगत कराया।
इससे पहले अतिथियों ने मां सरस्वती और श्री साई नाथ की तस्वीर पर माल्यार्पण तथा दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। अतिथियों का स्वागत पुष्प गुच्छ और बैच लगा कर किया गया।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए प्राचार्य डॉ. राजेश श्रीवास्तव ने कहा कि ओजोन दिवस एक दिन विशेष नहीं हो कर बल्कि इसके लिए हमेशा सचेत होना होगा। उन्होंने गैसों के उत्सर्जन और पर्यावरण संरक्षण पर बल दिया।
सेमिनार में श्रोताओं और ऑनलाइन मोड में जुड़े विषय विशेषज्ञों को सम्बोधित करते हुए लाइफ साईंस विभाग के अध्यक्ष अरविन्द तिवारी ने बताया कि ओजोन लेयर पृथ्वी का आवरण है जो लगभग ३० किलोमीटर चौड़ी परत है। यह परत जब पतली होगी तो सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणें पृथ्वी पर सीधे पड़ेंगी जिससे ग्लोबल वार्मिंग जैसी स्थितियों से गुजरना होगा। वन्यजीव, मनुष्य और वनस्पतियों को सीधे नुकसान होगा। उन्होंने युवाओं का आह्वान किया कि 2030 तक कार्बन के उत्सर्जन में न्यूनतम कमी लाना होगा।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए संत गहिरा गुरू विश्वविद्यालय के फार्म फारेस्ट्री विभाग के डॉ. मनोज झारिया ने पॉवर प्वाईंट के माध्यम से कहा कि जल, जंगल और जमीन के साथ पर्यावरण संतुलन बनाये रखना हमारी जिम्मेदारी है।
कार्यक्रम को ऑनलाइन मोड में सम्बोधित करते हुए सीतापुर स्थित शासकीय श्यामा प्रसाद मुखर्जी महाविद्यालय के गणित विभाग के अध्यक्ष डॉ. प्रवीण साहू ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण और ओजोन परत संरक्षण के लिए निश्चित आंकड़े और तथ्य आवश्यक हैं। इसमें सेटेलाइट से प्राप्त डॉटा को एआई से विश्लेषित करना और उसका उपयोग आवश्यक है। उन्होंने आधुनिक तकनीक, गणितीय दक्षता के उपयोग पर बल दिया।
सेमिनार के कन्वीनर सहायक प्राध्यापक दीपक तिवारी ने कार्यक्रम का संचालन किया तथा सचिव रेखा हलदार ने आभार प्रकट किया।
इस अवसर पर ऑनलाइन मोड में शासी निकाय के अध्यक्ष विजय कुमार इंगोले, कलिंगा विश्वविद्यालय से डॉ. अजय कुमार शुक्ल तथा सभागार में आईक्यूएसी समन्वयक डॉ. शैलेष देवांगन, डॉ. श्रीराम बघेल, कंचन साहू और सभी प्राध्यापक और विद्यार्थी उपस्थित रहे।
Sep 18 2025, 20:09