भारत को निशाना बनाना गलत...’ यूक्रेन युद्ध को लेकर बोले जयशंकर
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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने फिनलैंड के विदेश मंत्री से फोन पर बातचीत में कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर भारत को गलत तरीके से निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए। भारत हमेशा शांति और बातचीत की वकालत करता रहा है। विदेश मंत्री की इस टिप्पणी को संयुक्त राज्य अमेरिका के उन आरोपों के संदर्भ में देखा जा रहा है, जिसमें कहा गया कि भारत रियायती मूल्य पर रूस से कच्चा तेल खरीदकर यूक्रेन युद्ध में मॉस्को की युद्ध मशीन की सहायता कर रहा है।
एस. जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस संबंध में एक पोस्ट किया। उन्होंने एक्स पर लिखा, फिनलैंड के विदेश मंत्री से फोन पर बात हुई। हमने यूक्रेन जंग और इसके असर पर बात की। इस मामले में भारत को गलत तरीके से निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए। हम बातचीत और डिप्लोमेसी के पक्ष में हैं।
यूरोप में भारत की बढ़ती अहमियत
फिनलैंड की विदेश मंत्री वाल्तोनेन के साथ यह बातचीत ऐसे समय हुई है जब यूरोप भारत की भूमिका को लेकर काफी उत्सुक है। यूरोपीय संघ के कई देशों ने साफ कहा है कि उन्हें भारत से ऊर्जा, व्यापार और सुरक्षा के मामलों में संतुलित सहयोग चाहिए। जयशंकर ने अप्रत्यक्ष रूप से कहा कि भारत को किसी के राजनीतिक नैरेटिव का हिस्सा नहीं बनाया जाना चाहिए और हमारी प्राथमिकता हमेशा शांति स्थापना ही रहेगी।
अमेरिका का भारत पर गंभीर आरोप
दरअसल अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प भारत पर रूसी तेल खरीद की वजह से 25% एक्स्ट्रा टैरिफ लगाया। इसके कुछ ही दिनों के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर अतिरिक्त 25 परसेंट टैरिफ लगाने की घोषणा की। जिसके बाद अमेरिका की ओर से भारत पर लगने वाला अतिरिक्त टैरिफ बढ़कर 50 परसेंट हो गया। ट्रंप का कहना है कि भारत रूस से तेल खरीद रहा है, जिस वजह से पुतिन को यूक्रेन जंग जारी रखने में मदद मिल रही है
ट्रंप के सलाहकार का बेतुका बयान
वहीं, अमेरिका के व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने इस सप्ताह कहा था कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारतीय वस्तुओं पर लगाया गया 50 परसेंट टैरिफ सिर्फ भारत के अनुचित व्यापार के बारे में नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य मॉस्को की युद्ध मशीन को नई दिल्ली की ओर से दी गई वित्तीय जीवन रेखा को काटना भी है। हालांकि, भारत पहले ही अमेरिका की ओर से लगाए जा रहे इन आरोपों को खारिज कर चुका है। संयुक्त राज्य अमेरिका ने आश्चर्यजनक रूप से चीन की आलोचना नहीं की है, जो रूस से तेल क सबसे बड़ा आयातक है।
Aug 31 2025, 15:21