जाली नोट छापने वाले को दस वर्ष की सजा,21 साल बाद हुआ फैसला, दो आरोपी पहले ही दंडित, एक बरी
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फरुर्खाबाद । भारतीय मुद्रा के नकली नोट छापकर उन्हें बाजार में चलाने के मामले में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश मेराज अहमद की अदालत ने अहम फैसला सुनाया। न्यायालय ने आरोपी राजवीर पुत्र स्व. अतिराज सिंह निवासी ग्राम मेदेपुर, थाना एलाऊ, जनपद मैनपुरी को दोषी करार देते हुए 10 वर्ष के कठोर कारावास एवं ?12,500 के अर्थदंड से दंडित किया। अर्थदंड अदा न करने की स्थिति में आरोपी को अतिरिक्त 6 माह का कारावास काटना होगा।
मामला वर्ष 2003 का है, जब फतेहगढ़ कोतवाली पुलिस को सूचना मिली थी कि नेकपुर चौरासी में कुछ लोग किराए के मकान में रहकर प्रिंटर, स्याही और कागज की सहायता से नकली नोट छाप रहे हैं और उन्हें कमीशन पर बाजार में चलवा रहे हैं।सूचना के आधार पर पुलिस ने एक युवक को जाली नोटों के साथ गिरफ्तार किया, जिसकी निशानदेही पर पुलिस ने नकली नोट छापने वाले अड्डे पर छापेमारी की। इस कार्रवाई में आरोपी राजवीर, प्रेमपाल, रक्षपाल और सुधीश को नोट छापने की सामग्री के साथ गिरफ्तार किया गया था।उपनिरीक्षक राजेश सिंह ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 498क, 498ख और 498ग के तहत मुकदमा दर्ज किया था। विवेचना के बाद अभियोग पत्र न्यायालय में दाखिल किया गया, जिसमें साक्ष्यों व गवाहों के आधार पर मामले की सुनवाई की गई।इस मामले में पूर्व में प्रेमपाल और रक्षपाल को अदालत द्वारा सजा सुनाई जा चुकी है, जबकि सुधीश को साक्ष्य के अभाव में न्यायालय ने दोषमुक्त कर दिया था।
सरकारी अधिवक्ता संजय कुमार मिश्र की प्रभावी बहस और साक्ष्य के आधार पर न्यायाधीश मेराज अहमद ने राजवीर को दोषी करार दिया और उसे दस वर्ष के कठोर कारावास के साथ ?12,500 के आर्थिक दंड से दंडित किया।
May 29 2025, 19:37