जनप्रतिनिधि को लम्बित मनरेगा की मजदूरी और पक्का काम की भुगतान की मांग संसद विधानसभा में करें: अजय राय
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चंदौली /सपा सांसद चंदौली से अनुरोध हैं कि चंदौली जनपद में मनरेगा में घोटाले पर सवाल उठाने से पहले वह संसद में यह सवाल उठाते कि चंदौली जनपद में मनरेगा मजदूरों का कई महीनों से काम करने के बाद भी मजदूरों की मजदूरी का पैसा का भुगतान क्यों नहीं हो रहा हैं, गांव में मनरेगा योजना के तहत पक्का कार्य हुआ हैं उसका पैसा करीब दो साल से नहीं आया हैं गरीब प्रधान कर्ज लेकर काम कराकर परेशान हैं ! गांव का विकास रूक गया हैं ! मजदूरों को मनरेगा के तहत काम नहीं मिल रहा हैं ! संसद चाहते तो मनरेगा मजदूरों की मजदूरी की भुगतान सहित पक्का कार्य की भुगतान की मांग संसद में कर सकते थें लेकिन असली मंशा तो कुछ और हैं? मनरेगा घोटाले की जांच-पड़ताल के नाम पर केवल कोरम पुर्ति हैं एआईपीएफ के राज्य कार्य समिति सदस्य अजय राय कि मनरेगा मजदूरों की मजदूरी व पक्के काम की भुगतान जल्द से जल्द कराने की मांग उठाई और! शीर्ष अदालत के द्वारा एक एनजीओ के द्वारा रिट पर जो 2018 में दाखिल था उस पर कहा गया था उन्होंने फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि मज़दूरों को काम पूरा होने के एक पखवाड़े के भीतर अपना भुगतान पाने का अधिकार है. यदि कोई खामी है तो यह राज्य सरकारों और ग्रामीण विकास मंत्रालय की ज़िम्मेदारी है।
उच्चतम न्यायालय ने 2018 में आदेश देते हुए कहा था कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत मजदूरी के भुगतान में कोई विलंब स्वीकार्य नहीं है और इसमें लाल फीताशाही का बहाना नहीं बनाया जा सकता.
न्यायालय ने उल्लेख किया कि केंद्र ने मजदूरी के भुगतान में विलंब की बात स्वीकार की है और कहा था कि मनरेगा के तहत काम करने वालों को भुगतान तत्काल किया जाना चाहिए. ऐसा न किए जाने पर एक निर्धारित मुआवज़ा देना पड़ेगा।
शीर्ष अदालत ने कहा था कि किसी भी मजदूर को काम पूरा होने के एक पखवाड़े के भीतर अपना भुगतान पाने का अधिकार है और यदि कोई प्रशासनिक अक्षमता या खामी है तो यह पूरी तरह राज्य सरकारों और ग्रामीण विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी है कि वे समस्या का समाधान करें।जस्टिस मदन बी. लोकूर और जस्टिस एनवी रमण की पीठ ने कहा था कि कानून के प्रावधानों का अनुपालन कराने का दायित्व राज्य सरकारों, केंद्रशासित प्रशासनों और केंद्र का है. कोई एक-दूसरे पर जिम्मेदारी नहीं थोप सकता है।
पीठ ने आगे कहा था कि ‘इसके मद्देनजर हम केंद्र सरकार को निर्देश देते हैं कि वह ग्रामीण विकास मंत्रालय के माध्यम से राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रशासनों के साथ परामर्श करके श्रमिकों की मजदूरी और मुआवजे के भुगतान के लिए तत्काल एक समयबद्ध कार्यक्रम तैयार करे पीठ ने कहा था ‘इसलिए हम यह साफ करते हैं और निर्देश देते हैं कि क़ानून और अनुसूची दो के तहत एक मजदूर काम किए जाने की तिथि से दो हफ्तों (एक पखवाड़े) के भीतर अपना मेहनताना पाने का हकदार है, जो अगर नहीं दिया जाता है तो मजदूर कानून की अनुसूची दो के अनुच्छेद 29 के अनुसार मुआवजा पाने का हकदार है!पीठ ने कहा था कि ‘नौकरशाही की ओर से होने वाली देरी या लालफीताशाही मजदूरों को मजदूरी के भुगतान से इनकार करने का बहाना नहीं हो सकती.’
एआईपीएफ राज्य कार्य समिति सदस्य अजय राय ने कहा कि मनरेगा अधिनियम को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय को कदम उठाना चाहिए व सरकार को बजट देना चाहिए ।
May 29 2025, 10:44