अंतरिम आदेश के लिए सुनवाई इन तीन मुद्दों तक ही सीमित रखें, केंद्र की सुप्रीम कोर्ट से अपील
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सुप्रीम कोर्ट, वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। सीजेआई बी आर गवई, जस्टिस एजी मसीह और जस्टिस के विनोद के चंद्रन की बेंच सुनवाई कर रही है। सुनवाई के दौरान तुषार मेहता ने कहा कि बेंच ने पहले तीन मुद्दे उठाए थे स्टे के लिए। हमने इन तीनों पर जवाब दाखिल किया था। लेकिन अब लिखित दलीलों में और भी मुद्दे शामिल हो गए हैं। सिर्फ तीन मुद्दों तक सुनवाई सीमित हो। कपिल सिब्बल ने इसका विरोध किया।
सरकार ने जिन मुद्दों पर सुनवाई सीमित रखने की अपील की है, उनमें एक मुद्दा है अदालत द्वारा घोषित, वक्फ बाय यूजर या वक्फ बाय डीड संपत्ति को डी-नोटिफाई करने का है। दूसरा मुद्दा केंद्रीय और प्रदेश वक्फ बोर्ड के गठन से जुड़ा है, जिनमें गैर मुस्लिमों को शामिल किए जाने का विरोध हो रहा है। तीसरा मुद्दा वक्फ कानून के उस प्रावधान से जुड़ा है, जिसमें जिलाधिकारी द्वारा जांच और उसकी मंजूरी के बाद ही किसी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित किया जाएगा।
वक्फ अधिनियम, 2025 के प्रावधानों को चुनौती देने वाले लोगों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक सिंघवी ने इन दलीलों का विरोध किया कि अलग-अलग हिस्सों में सुनवाई नहीं हो सकती। एक मुद्दा अदालत द्वारा वक्फ, वक्फ बाई यूजर या वक्फ बाई डीड घोषित संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने के अधिकार का है।
याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाया गया दूसरा मुद्दा राज्य वक्फ बोर्डों और केंद्रीय वक्फ परिषद की संरचना से संबंधित है, जहां उनका तर्क है कि पदेन सदस्यों को छोड़कर केवल मुसलमानों को ही इसमें काम करना चाहिए। तीसरा मुद्दा एक प्रावधान से संबंधित है, जिसमें कहा गया है कि जब कलेक्टर यह पता लगाने के लिए जांच करते हैं कि संपत्ति सरकारी भूमि है या नहीं, तो वक्फ संपत्ति को वक्फ नहीं माना जाएगा।
इससे पहले 17 अप्रैल को हुई सुनवाई में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सुनिश्चित किया था कि वे किसी भी वक्फ संपत्ति को डी-नोटिफाई नहीं करेंगे, इनमें वक्फ बाय यूजर भी शामिल है। साथ ही वक्फ बोर्डों में नई नियुक्ति पर भी कोई नई नियुक्ति न करने की बात कही थी।
8 hours ago