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ऑपरेशन सिंदूर पर ऑल पार्टी डेलीगेशन में शामिल हुई टीएमसी, युसुफ पठान की जगह लेंगे अभिषेक बनर्जी

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केंद्र सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर और सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत का रुख बताने के लिए सर्वदलीय सांसदों के 7 डेलिगेशन बनाए हैं। ये डेलिगेशन दुनिया के बड़े देशों, खासकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के सदस्य देशों का दौरा करेगा। इस संसदीय प्रतिनिधिमंडल में तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और पार्टी सांसद अभिषेक बनर्जी पार्टी का प्रतिनिधित्व करेंगे। इससे पहले ऑपरेशन सिंदूर पर बने डेलीगेशन में टीएमसी पार्टी से शामिल होने वाले नेता को लेकर विवाद छिड़ गया था। पहले सांसद यूसुफ पठान का नाम केंद्र की तरफ से पेश किया गया था, लेकिन पार्टी की तरफ से सवाल उठाए जाने पर अब अभिषेक बनर्जी के नाम पर मुहर लग गई है।

टीएमसी ने क्या कहा?

टीएमसी ने 'एक्स' पर लिखा, 'हमें यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हमारी अध्यक्ष ममता बनर्जी ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की वैश्विक पहुंच के लिए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में तृणमूल कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करने के लिए राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी को नामित किया है।'

तृणमूल ने आगे कहा कि ऐसे समय में जब दुनिया को आतंकवाद के बढ़ते खतरे का सामना करने के लिए एकजुट होना चाहिए, अभिषेक बनर्जी का प्रतिनिधिमंडल से जुड़ना दृढ़ विश्वास और स्पष्टता दोनों लाता है। उनकी उपस्थिति न केवल आतंकवाद के खिलाफ बंगाल के दृढ़ रुख को दर्शाएगी, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की सामूहिक आवाज को भी मजबूत करेगी।

यूसुफ पठान के नाम पर सियासत

इससे पहले जब केंद्र की तरफ से यूसुफ पठान के नाम का ऐलान किया गया था तब सीएम ममता बनर्जी ने यह बात साफ कर दी थी कि प्रतिनिधिमंडल में पार्टी की तरफ से कौन शामिल होगा, इसके लिए नाम जानने के लिए पार्टी से नहीं पूछा गया। उन्होंने केंद्र सरकार को लेकर कहा, वो अपने आप सदस्य का नाम तय नहीं कर सकते। यह उनकी पसंद नहीं है, पार्टी फैसला करेगी।

इसी के साथ जिस समय यूसुफ पठान का नाम सामने आया तभी अभिषेक बनर्जी का भी बयान सामने आया था। उन्होंने कहा था, केंद्र को विपक्ष के साथ चर्चा करके यह तय करना चाहिए था कि कौन सा प्रतिनिधि भेजना है। बनर्जी ने कहा, केंद्र सरकार तृणमूल के प्रतिनिधि का फैसला कैसे कर सकती है? उन्हें यह तय करने के लिए विपक्ष के साथ चर्चा करनी चाहिए थी कि कोई पार्टी कौन सा प्रतिनिधि भेजेगीठ

59 सदस्यों वाला डेलिगेशन दुनिया को देंगे भारत का संदेश

इस 59 सदस्यों वाले डेलिगेशन में 51 नेता और 8 राजदूत हैं। एनडीए के 31, कांग्रेस के 3 और 20 दूसरे दलों के हैं। ये डेलिगेशन दुनिया के बड़े देशों, खासकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के सदस्य देशों का दौरा करेगा। वहां ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर भारत का रुख रखेगा। डेलिगेशन कब रवाना होगा, फिलहाल इसकी जानकारी सामने नहीं आई है। हालांकि, डेलिगेशन के 23 या 24 मई को भारत से रवाना होने की बात कही जा रही है। इस डेलिगेशन को 7 ग्रुप में बांटा गया है। हर ग्रुप में एक सांसद को लीडर बनाया गया है। प्रत्येक ग्रुप 8 से 9 सदस्य हैं। इनमें 6-7 सांसद, सीनियर लीडर (पूर्व मंत्री) और राजदूत शामिल हैं। सभी डेलिगेशन में कम से कम एक मुस्लिम प्रतिनिधि को रखा गया है। चाहे वह राजनेता हो गया राजदूत हो।

इन नेताओं को मिली कमान

कांग्रेस सांसद शशि थरूर को अमेरिका सहित 5 देश जाने वाले डेलिगेशन की कमान सौंपी गई है। ग्रुप 1 की कमान भाजपा सांसद बैजयंत पांडा, ग्रुप 2 की जिम्मेदारी भाजपा के रविशंकर प्रसाद, ग्रुप 3 JDU के संजय कुमार झा, ग्रुप 4 शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे, ग्रुप 5 शशि थरूर, ग्रुप 6 डीएमके सांसद कनिमोझी और ग्रुप 7 की जिम्मेदारी एनसीपी (एसपी) सांसद सुप्रिया सुले के हाथ है।

राहुल पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं, बीजेपी नेता अमित मालवीय ने दिलाई DGMO राजीव घई की याद

#amitmalviyassharpattackrahul_gandhi

बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर निशाना साधा है। अमित मालवीय ने कहा कि राहुल गांधी पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं। 'ऑपरेशन सिंदूर' को लेकर विदेश मंत्री एस. जयशंकर के बयान पर बार बार सवाल उठाने को लेकर मालवीय ने राहुल गांधी को घेरा है।

भाजपा नेता अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि राहुल पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं। वे यह क्यों नहीं पूछ रहे कि हमने पाकिस्तान के कितने फाइटर जेट मार गिराए। राहुल यह भी बताएं कि उन्होंने ऐसे सफल ऑपरेशन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई क्यों नहीं दी।

मुनीर और राहुल की फोटो मिलाकर बनाई

अमित मालवीय ने एक फोटो के साथ ट्वीट करते हुए यह बात कही। यह फोटो पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर और राहुल गांधी की आधी-आधी फोटो को मिलाकर बनाई गई है। अमित मालवीय ने राहुल गांधी के सोमवार को किए गए ट्वीट के बाद यह सवाल किया है जिसमें उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के संदर्भ में विदेश मंत्री एस. जयशंकर द्वारा की गई एक कथित टिप्पणी को लेकर कहा था कि यह ‘अपराध’ है और ‘पाप’ की श्रेणी में आता है, जिस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और विदेश मंत्री को जवाब देना चाहिए। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा कि देश को सच जानने का पूरा हक है।

राहुल ने क्या कहा था?

ऑपरेशन सिंदूर के बाद अब उस पर राजनीतिक बयानबाजी जोड़ पकड़ने लगी है। विदेश मंत्री एस जयशंकर की एक टिप्पणी पर सवाल उठाते हुए विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सरकार पर नए आरोप लगाए गए हैं। राहुल गांधी ने कहा है कि हमारे हमले से पहले पाकिस्तान को इसकी जानकारी देना एक अपराध था। राहुल गांधी ने कहा कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है कि भारत सरकार ने ऐसा किया। राहुल ने सवाल किया है कि ऐसा करने के लिए किसने अधिकृत किया और इसके कारण हमारी वायुसेना ने कितने विमान खो दिए?

पूरा पाकिस्तान भारत की जद में...', सेना के एयर डिफेंस ऑफिसर का दावा

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22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 मासूम लोगों की हत्या कर दी गई। पाकिस्तान के आतंकवादी हमले के जवाब में भारत ने उसके ठिकानों को तबाह कर दिया। भारत के इस हमले से बौखलाए पाकिस्न ने सैन्य संघर्ष को बढ़ावा दिया। जिसके जवाब में भारत ने उसके एयरबेस नष्ट कर दिए। सेना के इस शौर्य की पूरा देश सराहना कर रहा है। अब सेना वायु रक्षा महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल सुमेर इवान डी कुन्हा ने सोमवार को देश की सैन्य क्षमताओं पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि भारत के पास पाकिस्तान की पूरी गहराई में लक्ष्य पर हमला करने की क्षमता है। ऑपरेशन सिंदूर से इतर अगर कहा जाए तो पूरी पाकिस्तान भारत की जद में हैं।

एएनआई के साथ एक पॉडकास्ट में लेफ्टिनेंट जनरल डी'कुन्हा ने कहा, 'पूरा पाकिस्तान जद में है।' उन्होंने कहा कि भले ही वे पाकिस्तानी सेना के जनरल मुख्यालय (जीएचक्यू) को रावलपिंडी से खैबर पख्तूनख्वा (केपीके) जैसे क्षेत्रों में स्थानांतरित कर दें, उन्हें सुरक्षा का भाव तब भी नहीं आएगा। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि भारत के पास पाकिस्तान के समूचे क्षेत्र में स्थित टारगेट पर हमला करने की क्षमता है।

‘हम पूरे पाकिस्तान से मुकाबला कर सकते हैं’

लेफ्टिनेंट जनरल डी’कुन्हा ने कहा, ‘मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि भारत के पास पाकिस्तान से पूरी गहराई तक निपटने के लिए पर्याप्त हथियार हैं इसलिए सबसे बड़े से लेकर सबसे छोटे तक, चाहे वह कहीं भी हो, पूरा पाकिस्तान हमारी सीमा के भीतर है। हम पूरी तरह से सक्षम हैं, चाहे वह हमारी सीमाओं पर हो या गहराई में, हम पूरे पाकिस्तान से मुकाबला कर सकते हैं।’

उन्होंने कहा, ‘जीएचक्यू रावलपिंडी से केपीके या जहां भी वे जाना चाहते हैं, वहां जा सकते हैं, लेकिन वे सभी सीमा के भीतर हैं इसलिए उन्हें वास्तव में एक गहरा गड्ढा ढूंढना होगा।’

लोइटरिंग म्यूनिशन का इस्तेमाल

'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान भारत के जवाबी आक्रामक कार्रवाइयों ने अहम पाकिस्तानी एयरबेसों को सटीकता से निशाना बनाया। इस दौरान लक्ष्यों को निशाना बनाने के लिए लोइटरिंग म्यूनिशन का उपयोग किया गया। लोइटरिंग म्यूनिशन को आत्मघाती या कामीकेज ड्रोन्स भी कहा जाता है। ये अनमैन्ड एरियल हथियार हैं। इनकी खासियत ये है कि ये अपने टारगेट के ऊपर आसमान में मंडराते रहते हैं और कमांड मिलते ही दुश्मन के ठिकाने को तबाह कर देते हैं। ये अपनी सटीकता के लिए जाने जाते हैं।

दरअसल, लंबी दूरी के ड्रोन और गाइडेड युद्ध सामग्री सहित आधुनिक स्वदेशी तकनीक ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

'हमारा काम अपनी संप्रभुता, अपने लोगों की रक्षा करना'

लेफ्टिनेंट जनरल डी कुन्हा ने आगे रेखांकित किया कि सशस्त्र बलों का प्राथमिक कर्तव्य देश की संप्रभुता और उसके लोगों की रक्षा करना है। हमारा काम अपनी संप्रभुता, अपने लोगों की रक्षा करना है। इसलिए, मुझे लगता है कि हम अपनी मातृभूमि को इस हमले से बचाने में सक्षम रहे हैं, जिसका उद्देश्य आबादी वाले केंद्रों और हमारी छावनियों में बहुत सारी समस्याएं पैदा करना था, यह तथ्य कि हमने अपने लोगों को, न केवल अपनी नागरिक आबादी को यह आश्वासन दिया है। हमारे अपने बहुत से जवान, अधिकारी, पत्नियां छावनियों में रह रहे थे। और वे भी इन ड्रोन हमलों के बारे में समान रूप से चिंतित थे। हमने सुनिश्चित किया कि इससे कोई हताहत न हो, मुझे यकीन है कि इससे न केवल सैनिक को गर्व महसूस हुआ, बल्कि इससे परिवारों को भी गर्व महसूस हुआ। अंत में, भारत की आबादी को गर्व महसूस हुआ। मुझे लगता है कि यही बात है।

फिर बढ़ रहे कोरोना के मामले, सिंगापुर-हॉन्‍ग कॉन्‍ग में तेजी से फैल रहा वायरस, जानें भारत का हाल

#newcoronavariantjn1

एशिया के कुछ देशों में इन दिनों कोरोना ने फिर से पैर फैलाना शुरू कर दिया है। सिंगापुर, हॉन्गकॉन्ग, चीन और थाईलैंड में कोरोना वायरस के मामले फिर से बढ़ रहे हैं। इन देशों में नए मामलों की संख्या में इजाफा हो रहा है।कोरोना वायरस ने रूप बदलकर एक बार फिर से दस्तक दे दी है।इस बार संक्रमण के लिए ओमिक्रोन के नए वेरिएंट JN1 और उसके सब-वेरिएंट्स LF7 और NB1.8 को जिम्मेदार माना जा रहा है।

एशिया के किन-किन देशों में बढ़ रहे मामले

कोरोना वायरस के नए वेरिएंड के मामले सिंगापुर और हांगकांग जैसे एशियाई देशों में सबसे ज्यादा बढ़ रहे है। सिंगापुर में एक से 19 मई के बीच कोरोना के 3000 मामले सामने आए थे। अप्रैल के आखिरी हफ्ते तक ये संख्या 11,100 थी। यहां मामलों में 28% का इजाफा हुआ है। हॉन्गकॉन्ग में जनवरी से अब तक 81 मामले सामने आए हैं। इनमें से 30 की मौत हो चुकी है। चीन और थाईलैंड में भी अलर्ट जारी किया गया है। हालांकि, यहां मरीजों की संख्या के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है।

चीन-थाईलैंड भी अलर्ट पर, वायरस के मामले दोगुने

चीन और थाईलैंड में भी कोविड को लेकर सरकार अलर्ट पर हैं। चीन में बीमारियों की जांच करवाने जा रहे मरीजों में कोरोना वायरस पाए जाने के मामले दोगुने हो गए हैं। लोगों को बूस्टर शॉट लेने की सलाह दी गई है। चाइनीज सेंटर फॉर डिजीज एंड प्रिवेंशन के आंकड़ों के मुताबिक, कोविड की लहर जल्द ही तेज हो सकती है। वहीं, थाइलैंड में दो अलग-अलग इलाकों मे तेजी से कोविड केस बढ़ने का मामले आए हैं।

भारत में कोरोना के कहां कितने नए मामले?

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वायरस पर एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक सोमवार को बुलाई थी। बैठक में देश में मौजूदा कोविड-19 की स्थिति की विस्तार से समीक्षा की गई। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देश में कोरोना की स्थिति कंट्रोल में है। 19 मई तक भारत में कोरोना के 257 एक्टिव मामले पाए गए। ये आंकड़ा देश की बड़ी आबादी को देखते हुए बहुत कम है। मुंबई में 2 मरीजों की जान भी संक्रमण से जा चुकी है। भारत में कोरोना के ज्यादातर केस केरल, महाराष्ट्र और तमिलनाडु से मिले हैं। हालांकि, भारत में JN.1 कोरोना वेरिएंट के सर्कुलेट होने की अब तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। पीटीआई ने एक आधिकारिक सूत्र के हवाले से कहा, देश में पाए गए कोरोना के मामलों में लगभग सभी मामले हल्के हैं, इससे अस्पताल में भर्ती होने की भी जरूरत नहीं है।

नया वेरिएंट कितना खतरनाक?

कोरोना का नया वेरिएंट JN.1 कितना खतरनाक है, ये अब तक साफ नहीं हो सका है। अधिकारियों के मुताबिक, ऐसा कोई सबूत अब तक मिला नहीं है जिससे ये कहा जा सके कि ये वेरिएंट पहले से ज्यादा खतरनाक है। या फिर ये ज्यादा तेजी से फैल रहा है। अधिकारियों का कहना है कि कमजोर इम्यूनिटी वालों को थोड़ा संभलकर रहने की जरूरत है। ऐसे लोगों को ये आसानी से अपना निशाना बना सकता है।

अटारी-वाघा बॉर्डर पर फिर शुरू होगी बीटिंग रिट्रीट, भारत-पाकिस्‍तान तनाव के बाद बंद हो गई थी सेरेमनी

#beating_retreat_ceremony_returns_to_attari_wagah_border

भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सीजफायर के बाद अब पंजाब के अमृतसर स्थित अटारी-वाघा बॉर्डर, फिरोजपुर के हुसैनीवाला और सादकी बॉर्डर पर बंद रिट्रीट सेरेमनी आज से दोबारा शुरू होगी। जानकारी के मुताबिक सीजफायर के बाद बॉर्डर पर शांति को देखते हुए रिट्रीट सेरेमनी को दोबारा शुरू करने पर सहमति बनी है जिसके बाद मंगलवार को बीएसएफ जवानों और पाकिस्तानी रेंजर्स के बीच शाम साढ़े छह बजे रिट्रीट सेरेमनी होगी।

बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (बीएसएफ) ने मंगलवार से पंजाब में भारत-पाक सीमा पर रिट्रीट सेरेमनी को एक बार फिर आम जनता के लिए शुरू करने का फैसला किया है। यह समारोह ऑपरेशन सिंदूर के बाद सुरक्षा कारणों से बंद कर दिया गया था। अधिकारियों के मुताबिक, अटारी (अमृतसर), हुसैनीवाला (फिरोज़पुर) और सदकी (फाजिल्का) बॉर्डर पोस्ट्स पर हर शाम होने वाली यह सेरेमनी अब मंगलवार से फिर से आम जनता के लिए खोली जा रही है।

हालांकि, इस बार कुछ बदलाव किए गए हैं। बीएसएफ और पाकिस्तान रेंजर्स के बीच पारंपरिक हाथ मिलाना और बॉर्डर का गेट खोलने जैसी एक्टिविटी नहीं होगी।किसानों के लिए कंटीले तारों वाले गेट कल से खुल जाएंगे।

भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव के दौरान सरहद पर फेंसिंग पर लगे गेट बंद कर दिए गए थे। लेकिन अब दोनों देशों के बीच स्थिति सामान्य हो चुकी है। फेंसिंग पर लगे गेट भी किसानों के लिए खोल दिए गए हैं। अब वे उस पार जाकर खेती कर सकेंगे। बीएसएफ अधिकारियों ने बताया कि जवानों ने फेंसिंग पार सारी जमीन को चेक किया कि कहीं दुश्मन ने लैंड माइन तो नहीं बिछा दी है। पूरी तरह से संतुष्ट होेने के बाद सोमवार से गेट खोल दिए गए।

भारत के नए एक्शन से बांग्लादेश पर कितना होगा असर?

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भारत सरकार ने बांग्लादेश से आने वाले कई अहम उत्पादों के आयात पर नई पाबंदियां लगा दी है। नए नियमों के अनुसार, बांग्लादेश से आने वाले कुछ खास सामान जैसे रेडीमेड कपड़े, प्रोसेस्ड फूड और प्लास्टिक के सामान अब कुछ खास समुद्री बंदरगाहों से ही भारत में आ सकेंगे। कुछ सामान को तो जमीनी रास्तों से पूरी तरह से बैन कर दिया गया है। इससे पहले, पिछले महीने की शुरुआत में भारत ने बांग्लादेश को दी गई ट्रांसशिपमेंट सुविधा भी वापस ले ली थी। इस कदम से बांग्लादेश की पहले से ही कमजोर अर्थव्यवस्था पर और दबाव पड़ने की संभावना है।

770 मिलियन डॉलर के आयात पर प्रतिबंध

भारत सरकार के नए आदेश के तहत बांग्लादेश से होने वाले 770 मिलियन डॉलर के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। यह आंकड़ा दोनों देशों के द्विपक्षीय आयात का लगभग 42 प्रतिशत है। आंकड़ों के मुताबिक़, वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत और बांग्लादेश के बीच कुल 14 अरब डॉलर का व्यापार हुआ। इस दौरान बांग्लादेश ने भारत को लगभग 1.97 अरब डॉलर का सामान निर्यात किया। बांग्लादेश का सबसे बड़ा निर्यात उत्पाद रेडीमेड गारमेंट है। आंकड़े बताते हैं कि बांग्लादेश की कुल निर्यात आय का लगभग 83 प्रतिशत हिस्सा रेडीमेड गारमेंट्स से आता है।

बांग्लादेश से भारत आने वाले रेडीमेड गारमेंट्स की कुल अनुमानित क़ीमत 618 मिलियन डॉलर है। अब ये कपड़े केवल कोलकाता और न्हावा शेवा की बंदरगाहों के ज़रिए ही भारत में आ सकेंगे।

नए प्रतिबंधों का बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर क्या असर होगा?

गारमेंट इंडस्ट्री- पिछले साल, बांग्लादेश से भारत में रेडीमेड गारमेंट्स का एक्सपोर्ट 700 मिलियन डॉलर (करीब 6,000 करोड़ रुपए) का था। इनमें से 93% रेडीमेड गारमेंट एक्सपोर्ट भारत के लैंड रूट्स के जरिए हुए। समुद्री रास्ते पर शिफ्ट होने से शिपिंग कॉस्ट 20-30% बढ़ जाएगी, जिससे ये प्रोडक्ट कम कॉम्पिटिटिव होंगे।

ट्रेड घट जाएगा- इन प्रतिबंधों से बांग्लादेश का भारत के लिए 2 बिलियन डॉलर (करीब 17 हजार करोड़ रुपए) का एक्सपोर्ट मार्केट 15-20% तक कम हो सकता है। इससे उसका व्यापार घाटा बढ़ जाएगा। गारमेंट, फूड प्रोसेसिंग, और लॉजिस्टिक्स सेक्टर में हजारों नौकरियां खतरे में आ सकती है।

आर्थिक दबाव- विदेशी मुद्रा भंडार की कमी और टका के अवमूल्यन के बीच, एक्सपोर्ट कॉस्ट बढ़ने से बांग्लादेश के पेमेंट बैलेंस पर और प्रेशर आएगा। वहीं, सख्त नियमों के कारण छोटे और मध्यम उद्यमों की कॉम्पिटिटिवनेस कम होगी।

बांग्लादेश पर कौन से नए आयात प्रतिबंध लगाए हैं?

जवाब: भारत ने बांग्लादेश से कई उपभोक्ता सामानों के आयात पर लैंड बॉर्डर के माध्यम से रोक लगा दी है। इनमें शामिल हैं:

• शर्ट, पैंट, टी-शर्ट जैसे रेडीमेड गारमेंट्स

• बिस्किट, चिप्स, कनफेक्शनरी, स्नैक्स प्रोसेस्ड फूड आइटम

• कार्बोनेटेड और एनर्जी ड्रिंक्स

• बाल्टी, खिलौने, कुर्सियां जैसे प्लास्टिक उत्पाद

• कॉटन वेस्ट और इंडस्ट्रियल ग्रेड कॉटन बाय प्रोडक्ट

• सोफा, बेड, टेबल, कुर्सियां जैसे लकड़ी के फर्नीचर

ये सामान अब नॉर्थ-ईस्ट (असम, मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम) और पश्चिम बंगाल के लैंड कस्टम स्टेशनों या इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट्स जैसे पेट्रापोल (पश्चिम बंगाल), सुतरकंडी (असम), या डॉकी (मेघालय) जैसे लैंड पोर्ट्स के माध्यम से भारत में प्रवेश नहीं कर सकते। इसके बजाय, बांग्लादेश को मुंबई के नवा शेवा पोर्ट या कोलकाता के श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट के माध्यम से समुद्री रास्ते का उपयोग करना होगा।

हालांकि, कुछ आवश्यक वस्तुओं जैसे मछली और समुद्री भोजन, एलपीजी, एडिबल ऑयल और क्रस्ट स्टोन पर ये प्रतिबंध लागू नहीं होंगे। साथ ही, नेपाल और भूटान को बांग्लादेश के माध्यम से भेजे जाने वाले सामान पर भी कोई रोक नहीं लगाई गई है, क्योंकि भारत इन देशों के साथ फ्रेंडली रिलेशन बनाए रखना चाहता है।

केंद्र के ऑल पार्टी डेलिगेशन पर उठ रहे सवाल, कांग्रेस की नाराजगी के बाद आया शशि थरूर का बयान

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केंद्र सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर और सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत का रुख बताने के लिए सर्वदलीय सांसदों के 7 डेलिगेशन बनाए हैं। ये डेलिगेशन दुनिया के बड़े देशों, खासकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के सदस्य देशों का दौरा करेगा। हालांकि, सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों पर कांग्रेस समेत कुछ विपक्षी दलों द्वारा आपत्ति जाहिर की जा रही है। इस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस नेता शशि थरूर का भी नाम शामिल है, जिसे लेकर कांग्रेस खफा है।

संसद की विदेश मामलों की स्थायी समिति के अध्यक्ष शशि थरूर ने प्रतिनिधिमंडलों में शामिल नामों को लेकर कांग्रेस की आपत्तियों को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है। इसको लेकर एक सवाल के जवाब में कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, मैं इस मुद्दे में नहीं पड़ूंगा।

बता दें कि थरूर को भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों में से एक का नेतृत्व करने के लिए चुना है। उनका समूह अमेरिका और चार अन्य देशों का दौरा करेगा। हांलांकि, कांग्रेस ने प्रतिनिधिमंडलों के लिए अपनी ओर से जिन चार नेताओं के नाम सरकार को भेजे थे, उनमें थरूर का नाम शामिल नहीं था।

रिजिजू के दावे को बताया झूठा

सरकार की ओर से प्रतिनिधिमंडल के लिए चार सांसदों के नाम मांगे जाने के बाद, कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा, लोकसभा में पार्टी के उपनेता गौरव गोगोई, राज्यसभा सदस्य सैयद नासिर हुसैन और लोकसभा सदस्य राजा बरार के नाम दिए थे। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि किरेन रिजिजू का ये दावा झूठा है कि सरकार ने प्रतिनिधिमंडलों के लिए कांग्रेस से चार नाम नहीं मांगे थे। उन्होंने ये भी कहा कि प्रतिनिधिमंडलों के लिए नामों की स्वीकृति ना लेकर सरकार ने तुच्छ राजनीति की है।

पीएम मोदी का विमर्श पंचर हो चुका-जयराम रमेश

जयराम रमेश ने आगे कहा कि विदेशी दौरों पर कांग्रेस के बारे में बुरा-भला कहने और उसे बदनाम करने वाले प्रधानमंत्री मोदी अब उसकी मदद ले रहे हैं क्योंकि उनका विमर्श पंचर हो चुका है।

भारत कोई धर्मशाला नहीं...जानें सुप्रीम कोर्ट की इस सख्त टिप्पणी की वजह

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सुप्रीम कोर्ट ने शरणार्थियों को लेकर बड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि भारत कोई धर्मशाला नहीं है। सोमवार को एक श्रीलंकाई नागरिक की भारत में शरणार्थी के तौर पर रहने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत कोई धर्मशाला नहीं है, जहां दुनिया भर से शरणार्थियों को रखा जा सके। दुनिया भर से आए शरणार्थियों को भारत में शरण क्यों दें?

जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस दीपांकर दत्ता ने श्रीलंका से आए तमिल शरणार्थी को हिरासत में लिए जाने के मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए ये बात कही। सुप्रीम कोर्ट में श्रीलंका के एक नागरिक की हिरासत के खिलाफ याचिका दाखिल की गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर दखल देने से इनकार कर दिया। पीठ मद्रास हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें निर्देश दिया गया था कि याचिकाकर्ता को UAPA मामले में लगाए गए 7 साल की सजा पूरी होते ही तुरंत भारत छोड़ देना चाहिए।

हालांकि, सजा पूरा होते ही उसने श्रीलंका वापस जाने से मना कर दिया। उसने दलील दी कि श्रीलंका में उसकी जान को खतरा है इसलिए उसे भारत में शरणार्थी के तौर पर रहने की इजाजत दी जाए। याचिकाकर्ता ने ये भी बताया कि उसकी पत्नी और बच्चे भी भारत में ही हैं।

कोर्ट ने क्या कहा?

याचिकाकर्ता के इस तर्क पर न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा, क्या भारत को दुनिया भर से शरणार्थियों की मेजबानी करनी है? हम 140 करोड़ लोगों के साथ संघर्ष कर रहे हैं। यह कोई धर्मशाला नहीं है कि हम हर जगह से विदेशी नागरिकों का स्वागत कर सकें।

क्या है पूरा मामला?

बता दें कि श्रीलंकाई नागरिक को 2015 में टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) से जुड़े होने के शक में गिरफ्तार किया गया था। लिट्टे एक आतंकवादी संगठन था। यह कभी श्रीलंका में सक्रिय था। 2018 में, एक ट्रायल कोर्ट ने उसे गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत दोषी ठहराया। उसे 10 साल की जेल की सजा सुनाई गई। 2022 में, मद्रास हाई कोर्ट ने उसकी सजा को घटाकर 7 साल कर दिया, लेकिन कोर्ट ने कहा कि सजा पूरी होने के बाद उसे देश छोड़ना होगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि निर्वासन से पहले उसे एक शरणार्थी शिविर में रहना होगा। इसका मतलब है कि उसे देश से निकालने से पहले कुछ समय के लिए एक खास शिविर में रहना होगा।

ऑपरेशन सिंदूर के डेलिगेशन क्यों शामिल नहीं हो रहे टीएमसी सांसद यूसुफ पठान, ममता ने बताई वजह

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ऑपरेशन सिंदूर और आतंकवाद के खिलाफ भारत का स्टैंड बताने के लिए भारत सरकार ने 7 प्रतिनिधिमंडल बनाए हैं। इस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस, एनसीपी-एसपी, डीएमके के विपक्ष के नेताओं को भी शामिल किया गया है। तृणमूल कांग्रेस ने अपने सांसद यूसुफ पठान इस डेलिगेशन से बाहर रखने का फैसला किया है। इससे पहले टीएमसी नेता सुदीप बंद्योपाध्याय ने स्वास्थ्य कारणों से इसमें भाग लेने से मना कर चुके हैं। 

ममता बनर्जी ने क्या कहा?

तृणमूल कांग्रेस के इस फैसले पर कई सवाल उठ रहे हैं। हालांकि, इस मामले पर पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी ने बड़ा बयान दिया है। ममता ने साफ किया कि उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस इस मामले में पूरी तरह से केंद्र सरकार के साथ खड़ी है, लेकिन इस प्रतिनिधिमंडल में कौन जाएगा, यह फैसला उनकी पार्टी करेगी, न कि बीजेपी।

सुदीप बंद्योपाध्याय पहले ही झाड़ चुके हैं पल्ला

टीएमसी सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय ने भी प्रतिनिधिमंडल में भाग लेने से इनकार कर दिया है. उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया. सांसद यूसुफ पठान का नाम सूची में शामिल था, लेकिन सूत्रों के अनुसार वह भी अब यात्रा पर नहीं जाएंगे.

आतंकवाद के खिलाफ भारत की नीतियां आएंगी दुनिया के सामने

बता दें कि केंद्र सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत का रुख बताने के लिए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल बनाया है। 51 नेताओं का एक दल अलग-अलग देशों में आतंकवाद के खिलाफ भारत की नीतियों के बारे में जानकारी देंगे। इन नेताओं में सांसद, पूर्व मंत्री और कई पार्टियों के सदस्य शामिल है। यह दल दुनिया को बताएगा कि भारत आतंकवाद के खिलाफ सख्त है। 

प्रतिनिधिमंडल 32 देशों का करेंगे दौरा

इन दलों का नेतृत्व बीजेपी के बैजयंत पांडा और रवि शंकर प्रसाद करेंगे। साथ ही, जेडीयू के संजय कुमार झा, शिवसेना के श्रीकांत शिंदे, कांग्रेस के शशि थरूर, डीएमके की कनिमोझी और एनसीपी-एसपी की सुप्रिया सुले भी नेतृत्व करेंगे। प्रतिनिधिमंडल 32 देशों और बेल्जियम के ब्रुसेल्स स्थित यूरोपियन यूनियन मुख्यालय का दौरा करेगा। हर दल में सात या आठ नेता होंगे। उनकी मदद के लिए कुछ पूर्व राजनयिक भी साथ जाएंगे। इन 51 नेताओं में से 31 एनडीए गठबंधन से हैं, जबकि 20 गैर-एनडीए दलों से हैं।

कर्नल सोफिया कुरैशी पर टिप्पणी करने वाले मंत्री विजय शाह की बढ़ी मुश्किलें, सुप्रीम कोर्ट ने SIT बनाने को कहा

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कर्नल सोफिया पर विवादित बयान देने वाले मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री विजय शाह की मुश्किलें बढ़ती दिख रही है।कर्नल कुरैशी को लेकर विवादित टिप्पणी करने वाले विजय शाह को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की विशेष जांच टीम (एसआईटी) गठित करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि यह मामला गंभीर है और इसे किसी भी तरह से राजनीतिक रंग नहीं लेने दिया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक बार फिर मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री विजय शाह को कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर दिए बयान पर फटकार लगाई है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि हम इस मामले में मंत्री की माफी स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। कोर्ट ने आगे कहा, "आप एक सार्वजनिक चेहरा हैं। एक अनुभवी नेता हैं। आपको बोलने से पहले अपने शब्दों को तोलना चाहिए। हमें आपके वीडियो यहां चलाने चाहिए। यह सेना के लिए एक अहम मुद्दा है। हमें इस मामले में बेहद जिम्मेदार होना होगा।"

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एसवीएन भट की पीठ इस मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से सख्त लहजे में कहा कि हम इस केस को बहुत करीब से देख रहे हैं और यह सरकार के लिए एक अग्नि परीक्षा है। अदालत ने कहा कि मंत्री को उनके बयान के नतीजे भुगतने होंगे और कानून को अपना रास्ता तय करने दिया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि हम इस बात से संतुष्ट हैं कि एफआईआर की जांच एसआईटी द्वारा की जानी चाहिए, जिसमें एमपी कैडर के सीधे भर्ती किए गए 3 वरिष्ठ आईपीसी अधिकारी शामिल हों, लेकिन जो एमपी से संबंधित नहीं हों। इन 3 में से 1 महिला आईपीएस अधिकारी होनी चाहिए। डीजीपी, एमपी को कल रात 10 बजे से पहले एसआईटी गठित करने का निर्देश दिया जाता है। इसका नेतृत्व एक आईजीपी द्वारा किया जाना चाहिए और दोनों सदस्य भी एसपी या उससे ऊपर के रैंक के होंगे।

इससे पहले वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने दलील देते हुए कहा कि विजय शाह माफी मांग रहे हैं। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि आपकी माफी कहां है? यह जिस प्रकृति का मामला है, आप किस तरह कि माफी मांगना चाहते हैं, आपका क्या घड़ियाली आंसू बहाना चाहते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपने बिना सोचे जो किया और अब माफी मांग रहे हैं। हमें आपकी माफी नहीं चाहिए। अब कानून के मुताबिक निपटेंगे। आपने अगर दोबारा माफी मांगी तो हम अदालत की अवमानना मानेंगे। आप पब्लिक फिगर हैं, राजनेता हैं और क्या बोलते हैं? ये सब वीडियो में है और आप कहां जाकर रुकेंगे। संवेदनशील होना चाहिए और अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए। यह बहुत गैर जिम्मेदाराना है। हमें अपनी आर्मी पर गर्व है और आप टाइमिंग देखिए, क्या आप बोले?

इससे पहले बीते गुरुवार को विजय शाह सुप्रीम कोर्ट की शरण पहुंचे और एफआईआर पर रोक लगाने की मांग की, लेकिन शाह को यहां भी फटकार ही पड़ी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा- आप संवैधानिक पद हैं, आपको अपनी जिम्मेदारी का एहसास होना चाहिए। एक मंत्री होकर आप कैसी भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने एफआईआर कें कंटेंट को लेकर भी फटकारा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एफआईआर की भाषा ऐसी लिखी गई है जो चुनौती देने पर निरस्त हो जाए। सुप्रीम कोर्ट की ओर से एफआईआर में सुधार करने और पुलिलिस विवेचना की मॉनिटरिंग हाईकोर्ट द्वारा किए जाने के भी आदेश दिए।