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35 नई आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को मिले नियुक्ति पत्र, महापौर ने दी जिम्मेदारी निभाने की नसीहत
विभु मिश्रा
गाजियाबाद। नगर निगम मुख्यालय में सोमवार को 35 नवचयनित आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को नियुक्ति पत्र सौंपे गए। ये नियुक्तियाँ बाल विकास परियोजना (शहर) के तहत उन 57 रिक्त पदों में से की गई हैं, जिन पर राज्य सरकार ने हाल ही में नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की थी। कार्यक्रम में गाजियाबाद की महापौर श्रीमती सुनीता दयाल ने मुख्य अतिथि के रूप में सभी चयनित कार्यकर्ताओं को नियुक्ति पत्र दिए। उन्होंने सभी से ईमानदारी और निष्ठा के साथ अपने काम को अंजाम देने की अपील की। महापौर ने कहा, “सरकार ने आप पर भरोसा जताया है। अब आपकी जिम्मेदारी है कि आप इस भरोसे को निभाएं और समाज के हर ज़रूरतमंद तक योजनाओं का लाभ पहुंचाएं।” उन्होंने पोषाहार वितरण, हॉट कुक मील और आंगनवाड़ी केंद्रों पर आने वाले 3 से 6 साल के बच्चों की शिक्षा जैसे अहम मुद्दों पर भी बात की। महापौर ने कहा कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाने की जिम्मेदारी दी गई है। कार्यक्रम में बाल विकास परियोजना अधिकारी और मुख्य सेविका समेत कई अधिकारी मौजूद रहे।
भगवान परशुराम जन्मोत्सव में उमड़ी श्रद्धा, भक्ति और उत्साह की गंगा
विभु मिश्रा
गाजियाबाद। राज नगर एक्सटेंशन में भगवान परशुराम सेवा न्यास के तत्वावधान में भगवान परशुराम जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। आयोजन में श्रद्धा, भक्ति और उत्साह का अद्भुत संगम देखने को मिला। कार्यक्रम की शुरुआत पिलखुवा के प्रसिद्ध भजन गायक हरिओम जी और सुमित सावन की टीम द्वारा भगवान परशुराम के भजनों से हुई, जिसने पूरे माहौल को भक्ति रस में डुबो दिया। विशेष रूप से सजाई गई भगवान परशुराम की भव्य झांकी ने सभी का मन मोह लिया। अतिथियों ने भगवान परशुराम के जीवन आदर्शों पर प्रकाश डालते हुए उनके बताए मार्ग को अपने जीवन में अपनाने की प्रेरणा दी। जन्मोत्सव कार्यक्रम में गाजियाबाद के सांसद अतुल गर्ग, शहर विधायक संजीव शर्मा, भाजपा महानगर अध्यक्ष मयंक गोयल, कांग्रेस राष्ट्रीय कार्य समिति सदस्य डॉ. संजीव शर्मा सहित कई गणमान्य अतिथि मौजूद रहे। भगवान परशुराम सेवा न्यास के अध्यक्ष अभिषेक शर्मा ने अपनी पूरी टीम के साथ सभी अतिथियों का स्वागत किया और आयोजन को सफल बनाने में जुटे रहे। आयोजन समिति में संरक्षक आशुतोष तिवारी, संयोजक राजेंद्र त्रिपाठी, बीपी उपाध्याय, राजेश तिवारी, विजेंद्र विद्रोही, अमित शर्मा, अनुज शर्मा, अभिषेक पांडे, प्रमोद शर्मा, विशाल गौर, संतोष भारद्वाज, अभिनव पांडे, लक्ष्मण शर्मा और आदित्य कौशिक का भी विशेष योगदान रहा। फॉर्चून रेजिडेंसी की एओए के अध्यक्ष कपिल त्यागी ने अपनी टीम के साथ कार्यक्रम की व्यवस्थाओं में सहयोग दिया। आयोजन के दौरान अतिथियों को प्रतीक चिन्ह और फरसा भेंट कर सम्मानित किया गया। महिलाओं और बच्चों की भागीदारी ने कार्यक्रम में पारिवारिक उत्सव का रंग घोल दिया। कार्यक्रम के अंत में भगवान परशुराम की आरती की गई और सभी भक्तों को प्रसाद वितरित किया गया। इस अवसर पर बीआर शर्मा, अरुण मिश्रा, एमके अग्रवाल, दिलीप धनेरिया, पुष्पेंद्र पूनिया, दिशा शर्मा, करुणा शर्मा, भावना चतुर्वेदी, अनुराधा शर्मा, गरिमा त्यागी, दिव्या त्यागी, स्वाति शर्मा, नीरज विजयवर्गीय, सुधीर त्यागी, अमृतांश शर्मा, रूपेश गुप्ता, पंकज भारद्वाज, तपेश शर्मा, विपिन पाराशर, गौरव शर्मा, संदीप चौहान, पद्माकर मिश्रा सहित अनेक विशिष्ट जनों का भी स्वागत और सम्मान किया गया। अध्यक्ष अभिषेक शर्मा ने सभी भक्तों और अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए आयोजन को सफल बनाने के लिए सभी का आभार जताया।
राज एम्पायर सोसाइटी में आतंकवाद के खिलाफ जन आक्रोश यात्रा
विभु मिश्रा
गाजियाबाद। पहलगाम के जघन्य आतंकी हमले ने हर देशवासी के दिल में आग लगा दी है। इसी ग़ुस्से और वेदना को आवाज़ देने के लिए गाजियाबाद के राज एम्पायर सोसाइटी के निवासी रविवार की शाम सड़कों पर उतर आए। काले कपड़े पहनकर, हाथों में मोबाइल की टॉर्च जलाकर और दिलों में शहीदों के प्रति सम्मान लिए, सोसाइटी के हर वर्ग के लोग जन आक्रोश यात्रा में शामिल हुए।

शिव मंदिर से उठी चिंगारी, टॉर्च की रोशनी में बही संवेदनाओं की नदी

सोसाइटी के शिव मंदिर से शुरू हुई इस यात्रा में सैकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया। राज एम्पायर से मोरटी चौक और वेदांतम तिराहे होते हुए वापसी तक का पूरा रास्ता देशभक्ति के नारों और मौन संवेदना के बीच सिहर उठा। हर हाथ में जलती टॉर्च आतंक के अंधकार के खिलाफ रोशनी का संकल्प बन चुकी थी।
हर उम्र का साथ, हर दिल में एक ही आवाज

बुजुर्गों के झुके हुए कंधे, युवाओं के जोशीले कदम और बच्चों की मासूम आंखों में भी एक ही सवाल था—“कब तक?” इस सवाल ने हर मौजूद व्यक्ति के दिल में गूंज पैदा कर दी। यात्रा के अंत में दो मिनट का मौन रखा गया और सभी ने आतंकवाद के शिकार बने निर्दोष लोगों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।
पूरा राजनगर एक्टेंशन एकजुट

केवल राज एम्पायर ही नहीं, बल्कि एसजी ग्रैंड, ब्रेव हार्ट्स, गुलमोहर, फार्च्यून जैसी कई सोसाइटी के लोग भी इस आक्रोश में शामिल हुए। एक स्वर में सबने कहा—“अब आतंक के खिलाफ सिर्फ सरकार नहीं, हर भारतवासी भी खड़ा होगा।”


एक संदेश, एक प्रण

इस शांतिपूर्ण लेकिन सशक्त प्रदर्शन ने साफ कर दिया कि अब देश का हर नागरिक आतंक के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करेगा। राज एम्पायर की सड़कों पर निकली यह टॉर्च यात्रा, एक मूक संकल्प बन गई—“हम न झुकेंगे, न टूटेंगे, न चुप रहेंगे।”

राजनगर सेंट्रल पार्क में 350 पेड़ों पर चढ़ाया जहरीला रंग, पर्यावरणविद् ने ठोंकी शिकायत
विभु मिश्रा
गाजियाबाद। राजनगर के हरे-भरे सेंट्रल पार्क में प्रकृति से क्रूर मजाक किया गया है। यहां 350 से ज्यादा घने और पुराने पेड़ों को मोटे पेंट और वार्निश की परतों में लपेट दिया गया है। यह ‘सजावट’ नहीं, बल्कि पेड़ों के अस्तित्व पर सीधा हमला है। इस घिनौने काम के खिलाफ समाजसेवी और पर्यावरण संरक्षक संस्था 'सोसाइटी फॉर प्रोटेक्शन ऑफ एनवायरनमेंट एंड बायोडायवर्सिटी' (SPENBIO) के संस्थापक सचिव आकाश वशिष्ठ ने कड़ी आपत्ति जताई है और चार शीर्ष अधिकारियों को औपचारिक शिकायत भेजी है। शिकायत के मुताबिक, सेंट्रल पार्क के हर पेड़ को नीचे से ऊपर तक तीन अलग-अलग रंगों के भारी पेंट से ढंक दिया गया है। मोटी परतों में लगाया गया पेंट पेड़ों के भीतर के जीवन-तंत्र यानी ज़ाइलेम और फ्लोएम तक पहुंचकर पोषण के प्रवाह को बाधित कर रहा है, जिससे पेड़ों का दम घुटने और धीरे-धीरे मरने का खतरा पैदा हो गया है। आकाश वशिष्ठ ने यह भी आरोप लगाया है कि यह कृत्य वार्ड-84 के पार्षद प्रवीण चौधरी के निर्देश पर नगर निगम कर्मचारियों द्वारा अंजाम दिया गया है। यह न सिर्फ 'उत्तर प्रदेश वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1976' का उल्लंघन है, बल्कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) द्वारा 23 अप्रैल 2013 को पारित आदेश की भी सीधी अवहेलना है। पर्यावरणविद् ने PCCF (मुख्य वन संरक्षक, यूपी सरकार), डीएफओ गाजियाबाद, जिलाधिकारी गाजियाबाद और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी को शिकायत भेजते हुए मांग की है कि दोषी पार्षद और निगम कर्मचारियों के खिलाफ ‘एच-2’ केस दर्ज कर तत्काल कार्रवाई की जाए। साथ ही चेतावनी दी गई है कि यदि कोई कार्रवाई नहीं हुई तो वह इस गंभीर पर्यावरणीय अपराध के खिलाफ न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे। आकाश वशिष्ठ ने कहा कि "पेड़ सिर्फ हरियाली नहीं हैं, वे जीवन का आधार हैं। जिन हाथों में संरक्षण का जिम्मा है, वही इस तरह का अपराध करेंगे तो आने वाली पीढ़ियों को क्या सौंपेंगे?" राजनगर में इस घटना को लेकर अब स्थानीय लोगों और पर्यावरण प्रेमियों के बीच भी नाराजगी फैलती दिख रही है।
देशद्रोहियों को करारा जवाब: पावन चिंतन धारा आश्रम ने फूंका पाकिस्तान का पुतला
विभु मिश्रा
गाजियाबाद। कश्मीर के पहलगाम में निर्दोषों के खून से सनी आतंकी वारदात ने पूरे देश के सीने में आग लगा दी है। इसी क्रोध की ज्वाला में रविवार को पावन चिंतन धारा आश्रम के संस्थापक डॉ. पवन सिन्हा 'गुरुजी' के नेतृत्व में मुरादनगर की धरती गूंज उठी। पाकिस्तान का झंडा और पुतला जलाकर आतंक और उसके सरपरस्तों के खिलाफ जोरदार हुंकार भरी गई। डॉ. पवन सिन्हा 'गुरुजी' ने इस दौरान कहा कि "देशभक्ति मरी नहीं है, अब वो अंगार बनकर फूटेगी। जो अपने राष्ट्र के लिए जिए बिना चैन से जीते हैं, वे सिर्फ पशु समान हैं। अब हर भारतवासी को जागना होगा, लड़ना होगा!" गुरुजी ने कहा कि आज की घटनाएं चीख-चीख कर कह रही हैं कि अगर हिन्दू समाज अब भी नहीं जगा तो इतिहास हमें कभी माफ नहीं करेगा। उन्होंने अफसोस जताया कि आतंकवादी चाहे बाहर से आएं या भीतर से पनपें, हमारी सुरक्षा एजेंसियां उन्हें समय रहते क्यों नहीं पकड़ पातीं? उन्होंने युवाओं पर तंज कसते हुए कहा कि जो हाथ देश की सेवा में उठने चाहिए, वे आज नशे और भ्रमित संबंधों में खो गए हैं। "जो कौम अपनी रक्षा खुद नहीं कर सकती, उसे मिटने से कोई नहीं बचा सकता,"। गुरुजी की यह चेतावनी सभा में बिजली बनकर गूंज उठी। आश्रम साधिका खुशी गुप्ता ने कड़े शब्दों में कहा, "जब मंदिरों पर हमला होता है, जब हमारे बच्चों के सिरों पर पत्थर फेंके जाते हैं, तब हमारा मौन सबसे बड़ा अपराध बन जाता है। अब चुप्पी नहीं, जवाब देना होगा!" देवब्रत शर्मा ने आगाह किया, "पाकिस्तान हमारी ही सहनशीलता की कीमत पर बना था। अब अगर हम फिर चूक गए, तो भारत भी कमजोर कर दिया जाएगा।" युवा अभ्युदय मिशन के रोहित अरोड़ा और सुहानी सिंह ने भी हुंकार भरी कि अब भारत का सनातनी समाज जाग रहा है, और आतंक को उसकी भाषा में जवाब मिलेगा। सभा में 'भारत माता की जय', 'वंदे मातरम्' और 'पाकिस्तान मुर्दाबाद' के नारों से पूरा वातावरण गूंजता रहा। इस राष्ट्रवादी हुंकार में गुरुमाँ डॉ. कविता अस्थाना, बॉबी त्यागी, गुलशन राजपूत समेत सैकड़ों देशभक्तों ने भी भाग लिया। सभी ने प्रण लिया कि अब जो भी राष्ट्र के खिलाफ खड़ा होगा, उसका मुँहतोड़ जवाब दिया जाएगा।
कलेवा रेस्टोरेंट में लापरवाही की हद: गोलगप्पों में कॉकरोच, ग्राहकों की सेहत से खिलवाड़
विभु मिश्रा
गाजियाबाद। राजनगर एक्सटेंशन के मशहूर कलेवा रेस्टोरेंट ने साफ-सफाई के नाम पर ग्राहकों के भरोसे को तार-तार कर दिया है। एक वायरल वीडियो ने इस रेस्टोरेंट की गंदगी की पोल खोल दी, जिसमें गोलगप्पों के बीच कॉकरोच बेरोकटोक रेंगते नजर आ रहे हैं। यह घिनौना नजारा न केवल पेट पकड़ने वाला है, बल्कि खाद्य सुरक्षा के तमाम दावों की धज्जियां उड़ाता है।

MGI घरोन्डा सोसाइटी के निवासी अखिलेश पांडे ने यह वीडियो शेयर किया, जिसमें साफ दिखता है कि कलेवा रेस्टोरेंट की रसोई में स्वच्छता नाम की चीज गायब है। चमचमाती ब्रांडिंग और ऊंची कीमतों के पीछे छिपा यह सच ग्राहकों के लिए खतरे की घंटी है। कॉकरोच से सने गोलगप्पे परोसने वाला यह रेस्टोरेंट खाने की गुणवत्ता और सेहत के प्रति कितना गंभीर है, इसका जवाब वीडियो में साफ दिख रहा है। अखिलेश ने गुस्से में कहा, "छोटे ठेले वाले तो साफ-सफाई का ख्याल रखते हैं, लेकिन कलेवा जैसे रेस्टोरेंट मोटा बिल थमा कर गंदगी परोस रहे हैं। यह ग्राहकों के साथ धोखा है।" उनका गुस्सा जायज है, क्योंकि कॉकरोच जैसे कीड़े खाने में मिलना न केवल घृणित है, बल्कि गंभीर बीमारियों को न्योता देता है।

सोशल मीडिया पर वायरल यह वीडियो राजनगर एक्सटेंशन के निवासियों में आग की तरह फैल गया है। लोग अब कलेवा रेस्टोरेंट के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। कई ग्राहकों ने इसे "सेहत का अपमान" करार दिया और "स्वच्छ भारत" जैसे अभियानों पर सवाल उठाए। एक स्थानीय निवासी ने तंज कसते हुए कहा, "अगर बड़े रेस्टोरेंट्स में कॉकरोच परोसने की आजादी है, तो स्वच्छता के नारे बस दिखावा हैं।"

कलेवा रेस्टोरेंट की यह लापरवाही कोई नई बात नहीं है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस रेस्टोरेंट में पहले भी साफ-सफाई को लेकर शिकायतें उठती रही हैं, लेकिन प्रबंधन ने कभी सुधार की जहमत नहीं उठाई। अब जब गोलगप्पों में कॉकरोच की बात सामने आई है, तो ग्राहकों का सब्र जवाब दे गया है। लोग खाद्य सुरक्षा अधिकारियों से मांग कर रहे हैं कि कलेवा रेस्टोरेंट की गहन जांच हो और ऐसी लापरवाही के लिए कड़ा दंड दिया जाए।

रेस्टोरेंट की ओर से अब तक कोई सफाई नहीं आई है, जो उनकी गैरजिम्मेदारी को और उजागर करता है। ग्राहकों का कहना है कि मोटी रकम वसूलने वाले इस रेस्टोरेंट को अपनी रसोई साफ करने की बजाय माफी मांगने की भी फुर्सत नहीं है। यह घटना राजनगर एक्सटेंशन के हर उस शख्स के लिए सबक है, जो चमक-दमक के पीछे खाद्य सुरक्षा को हल्के में लेता है।निवासियों ने क्षेत्र के सभी रेस्टोरेंट्स की जांच की मांग की है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
सपनों का आशियाना या टूटी सड़क का फरेब? राजनगर एक्सटेंशन में जिंदगी बन गई जाम और गंदगी का नाम
विभु मिश्रा
गाजियाबाद। आम आदमी अपनी पूरी जिंदगी की कमाई एक बेहतर जिंदगी के सपने में लगा देता है—एक ऐसा घर, जहां सुकून हो, सुविधाएं हों और भविष्य संवरता नजर आए। लेकिन जब हकीकत वादों के सुनहरे महल से बाहर निकलती है, तो सड़कों के गड्ढे, अंधेरी गलियां और जाम के जंगल उसका स्वागत करते हैं।

राजनगर एक्सटेंशन की तस्वीर भी कुछ ऐसी ही है। यहां रहने वाले लाखों लोग टूटी-फूटी सड़कों, अतिक्रमण से अटी गलियों, गंदगी के अंबार और रात के अंधेरे से जूझने को मजबूर हैं। वोट मांगते वक्त विकास के जो सपने दिखाए गए थे, अब वही सपने धूल फांक रहे हैं।

इस दर्द को आवाज दी है विवेक कुमार ने, जिन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, कैबिनेट मंत्री सुनील शर्मा, सांसद एवं पूर्व मंत्री अतुल गर्ग, जिलाधिकारी गाजियाबाद, जीडीए वीसी, यूपी के मुख्य सचिव और महापौर सुनीता दयाल को ट्वीट के माध्यम से अपना और हजारों निवासियों का दर्द सुनाया है।
विवेक कुमार ने दो वीडियो भी ट्वीट में साझा किए, जिनमें दिल्ली की सड़कों की खूबसूरती और राजनगर एक्सटेंशन की सड़कों और डिवाइडर की दुर्दशा को दिखाया गया है जिन्हें देखकर समझा जा सकता है कि गाजियाबाद में विकास अब सिर्फ नारों और झूठे वादों तक सीमित रह गया है।

शर्मनाक है कि जो क्षेत्र कभी "गाजियाबाद का पॉश ड्रीम डेस्टिनेशन" कहकर बेचा गया था, वह आज जाम, गंदगी और अंधेरे का पर्याय बन चुका है।

रहवासियों की पीड़ा सवाल बनकर गूंज रही है:
"घर तो ले लिया, अब किससे पूछें ज़िंदगी की गारंटी?"

नवाचारों की नर्सरी बनी उत्तरांचल यूनिवर्सिटी, बौद्धिक संपदा पर राष्ट्रीय कार्यशाला में उमड़ा जोश
विभु मिश्रा
देहरादून। विज्ञान और तकनीक की नई सोच को आकार देने का मंच बना उत्तरांचल विश्वविद्यालय, जहां शनिवार को बौद्धिक संपदा दिवस के मौके पर एक खास राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन हुआ। विषय था ‘महत्वपूर्ण बौद्धिक संपदा और नवाचारों का विकास’। आयोजन ने न केवल छात्रों को पेटेंट और कॉपीराइट की बारीकियों से रूबरू कराया, बल्कि नवाचार की दिशा में सोचने की प्रेरणा भी दी।
कार्यशाला की शुरुआत एक गरिमामयी उद्घाटन सत्र से हुई, जिसमें विश्वविद्यालय की उपाध्यक्ष सुश्री अंकिता जोशी, कुलपति प्रो. धर्म बुद्धि, प्रो. अजय सिंह, डॉ. मनमोहन रावत, हिमांशु गोयल, आशीष शर्मा और डॉ. अनिल सिंह जैसी शख्सियतों ने ज्ञान और अनुभव की रोशनी बिखेरी। प्रो. अजय सिंह ने कार्यशाला की रूपरेखा रखते हुए बताया कि कैसे बौद्धिक संपदा केवल एक अधिकार नहीं, बल्कि विचारों की सुरक्षा का माध्यम है। तकनीकी सत्रों में एक के बाद एक विशेषज्ञों ने मंच संभाला। किसी ने बताया कि पेटेंट कैसे फाइल होता है, किसी ने कॉपीराइट के कायदे-कानून समझाए, तो किसी ने वैश्विक संधियों और WIPO की जटिलताओं को आसान भाषा में समझाया। डॉ. मनमोहन रावत और प्रो. जी. के. ढींगरा ने उदाहरणों से यह बताया कि बौद्धिक संपदा का सही इस्तेमाल किस तरह से नए उद्योग और तकनीकी खोजों की नींव रख सकता है। श्री आशीष शर्मा और डॉ. हिमांशु गोयल के सत्र युवाओं के लिए खास आकर्षण रहे, जहां उन्होंने केस स्टडीज़ के ज़रिए जमीनी स्तर पर IP फाइलिंग की प्रक्रिया बताई। उपाध्यक्ष सुश्री अंकिता जोशी ने कार्यशाला की टीम को बधाई देते हुए युवाओं से कहा, “यह समय है सोच को अधिकार में बदलने का।”
करीब 200 प्रतिभागियों ने इस राष्ट्रीय कार्यशाला में हिस्सा लिया। मंच के पीछे की टीम भी उतनी ही सक्रिय रही। डॉ. निशेष शर्मा के नेतृत्व में डॉ. साधना अवस्थी, डॉ. पूजा यादव, श्री राहुल गौड़, सुश्री शिवांगी, रूबी पोखरियाल, डॉ. वी.के. श्रीवास्तव, डॉ. शिवम पांडे और डॉ. इंद्रा रौतेला ने आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
अधिवक्ताओं ने थामी सेवा की बागडोर, लगाया स्वास्थ्य जांच व रक्तदान शिविर
विभु मिश्रा
गाजियाबाद। गाजियाबाद टैक्सेशन बार एसोसिएशन द्वारा शनिवार को राज्य कर विभाग भवन, कलेक्ट कंपाउंड, आरडीसी, राजनगर में स्वास्थ्य जांच और रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। अधिवक्ताओं और आम लोगों की भागीदारी से यह कार्यक्रम सफल रहा। शिविर में आए लोगों की स्वास्थ्य जांच विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम द्वारा की गई, जिसमें रक्तचाप, शुगर समेत कई सामान्य जांचें शामिल थीं। वहीं, रक्तदान शिविर में अधिवक्ताओं ने स्वेच्छा से रक्तदान कर जरूरतमंदों की मदद के लिए योगदान दिया। एसोसिएशन के अध्यक्ष विनीत त्यागी और महामंत्री मधुकर गुप्ता ने कहा कि इस तरह के आयोजन समाज के प्रति जिम्मेदारी निभाने का एक तरीका हैं। उन्होंने बताया कि आगे भी ऐसे कार्यक्रमों को जारी रखने की योजना है। इस मौके पर डॉक्टर लवीना महक, डॉ हर्ष शर्मा सहित अन्य डॉक्टरों की टीम मौजूद रही। कार्यक्रम में अधिवक्ता पीएस उपाध्याय, वीपी नगर, नवीन मित्तल, मदन कुमार त्यागी, प्रिंस वाधवा, शिवम गर्ग, अमित शर्मा, अमन अग्रवाल, कौशल कुमार, मनोज शर्मा, मनोज कुमार, रोजिन यादव और दीपक त्यागी सहित कई अधिवक्ता उपस्थित रहे। आयोजन के समापन पर एसोसिएशन ने सभी डॉक्टरों, स्वयंसेवकों और सहयोगियों का धन्यवाद किया।
बुआ-दादी का दांव! ठहाकों में छिपी एक कड़वी सच्चाई
विभु मिश्रा
ग्रेटर नोएडा। शुक्रवार शाम शारदा विश्वविद्यालय में “यूथ फॉर नेशन” के आयोजन में मंचित हुआ ऐसा नाटक, जो देखने में मजेदार था लेकिन दिल में सवाल छोड़ गया। ‘अपने-अपने दांव’, पद्मश्री दया प्रकाश सिन्हा का रचा हास्य नाटक, जिसे निर्देशित किया अरुण अरोड़ा ने, ऐसा जमा कि हॉल ठहाकों से गूंजता रहा। बुजुर्ग बुआ-दादी की चालें नाटक की नायिका हैं एक बुजुर्ग बुआ-दादी अक्षम हैं, मगर चालाकी में कोई जवाब नहीं। उन्हें चाहिए सेवा और स्वाद, और इसके लिए वो रचती हैं ऐसा जाल कि पूरा परिवार उनकी ‘सेवा’ में जुट जाता है। अनीता शर्मा ने इस भूमिका को इतनी जीवंतता से निभाया कि हर संवाद पर हँसी की लहर दौड़ गई। परिवार बना कॉमिक अखाड़ा बाबू जी (दिनेश शर्मा) दब्बू, उनकी पत्नी (एकता) तेज-तर्रार। काके, रानी, हरी बाबू और शहंशाह जैसे किरदारों ने मंच को ऐसा रंग दिया कि दर्शक सीट छोड़कर भी हँसते रहे। हर किरदार अपने आप में दमदार, अपने संवादों में सटीक। नाटक में सिर्फ हँसी नहीं थी नाटक के अंत में उठता है एक सवाल क्या बुजुर्गों को अपनी सेवा के लिए लालच देना ज़रूरी हो गया है? क्या परिवार अब संवेदनाओं से नहीं, स्वार्थ से चलता है? यही वो मोड़ था जहां ठहाके धीरे-धीरे सोच में बदल गए। हॉल में तालियां, लेकिन आंखों में सोच यह सिर्फ एक मनोरंजन नहीं था, बल्कि समाज के उस आईने की झलक थी जिसमें बुजुर्ग आज अकेले खड़े हैं। दर्शकों ने हँसी के साथ इस संदेश को भी गहराई से महसूस किया। निर्देशक अरुण अरोड़ा ने न सिर्फ अभिनय संयोजन शानदार किया, बल्कि कुछ नई प्रतिभाओं को भी मंच पर उतार कर यह दिखाया कि रसोई से भी रंगमंच तक की दूरी तय की जा सकती है। खास मेहमान, खास मौके पर दीप प्रज्वलन से शुरू हुए इस कार्यक्रम में मौजूद रहे खुद नाटक के लेखक पद्मश्री दया प्रकाश सिन्हा। उनके साथ मंच पर थे आरएसएस के नरेंद्र ठाकुर, पत्रकार प्रो. के.जी. सुरेश, शिक्षाविद जासिम मोहम्मद और “यूथ फॉर नेशन” के अध्यक्ष सुनील त्यागी। यूथ फॉर नेशन का लक्ष्य बड़ा है संस्था के अध्यक्ष सुनील त्यागी ने बताया कि वे कला के ज़रिए युवाओं में सामाजिक जागरूकता और देशभक्ति का संचार करना चाहते हैं। इससे पहले भी वे शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल और ऐतिहासिक प्रस्तुतियों का सफल आयोजन कर चुके हैं।