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पूर्व डिप्टी सीएम सिंहदेव ने आतंकी हमले पर दिया बड़ा बयान, कहा- नक्सलवाद की तरह आतंकवादियों के खात्मे का भी देना चाहिए टारगेट…

रायपुर- जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने अपने बिलासपुर प्रवास के दौरान मीडिया से कहा कि केंद्र सरकार ने जिस तरह छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद को समाप्त करने का टारगेट रखा है. सरकार को उसी तरह देश से आंतकवाद को खत्म करने का भी टारगेट देना चाहिए.

उन्होंने आगे कहा कि पहलगांव में हुई घटना अत्यंत अमानवीय, वीभत्स और निंदनीय है. आतंकियों द्वारा प्रदेश और देश में अस्थिरता का वातावरण पैदा करने, आपसी भाईचारा को तोड़ने के लिए यह कुत्सित प्रयास किया गया है. इस मौके पर हम सब, पूरा देश सेना और सरकार के साथ खड़ा है. बड़े से बड़ा जवाब दिया जाए और आतंकवाद को समूल जड़ से समाप्त किया जाए. 

पूर्वी डिप्टी सीएम सिंहदेव ने आगे कहा कि सीमा पर आतंकवादी संगठन इसी तरह की घटना को अंजाम देते रहे हैं. बीते वर्षों में इसमें कमी देखी गई है. आंकड़ों, घटनाओं में कमी आ रही है, लेकिन सिलसिला थम नहीं रहा है. इसलिए इसे जड़ से खत्म करने की दिशा में सरकार को जल्द निर्णय लेना चाहिए।

बता दें, छत्तीसगढ़ के बीजापुर और तेलंगाना की सीमा पर नक्सलियों के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा एंटी नक्सल ऑपरेशन चलाया गया है. बीते 32 घंटो से तीन राज्यों (छत्तीसगढ़, तेलंगाना और महाराष्ट्र) के 5 हजार से अधिक सुरक्षा बलों ने टॉप नक्सली लीडर हिड़मा, देवा, विकास समेत बड़े कैडर के नक्सलियों को घेर रखा है. लगातार चल रही पुलिस-नक्सल मुठभेड़ में अब तक 5 नक्सली मारे जा चुके हैं.

जानकारी के अनुसार, मंगलवार सुबह से करीब 5 हजार से अधिक की संख्या में नक्सल मोर्चे पर तैनात जवानों ने माओवादी संगठन के बटालियन नंबर-1 के नक्सलियों को घेर रखा है. लगातार दोनों ओर से गोलीबारी जारी है. यह मुठभेड़ कर्रेगट्टा, नडपल्ली, पुजारी कांकेर की पहाड़ी पर 30 घंटे से जारी है. इस मुठभेड़ में छत्तीसगढ़, तेलंगाना और महाराष्ट के जवानों ने मोर्चा संभाला है. अब तक 100 से अधिक आईईडी मिलने की बात सामने आई है, जिन्हें जवानों को निशाना बनाने के मकसद से बिछाया गया था.

जवानों के घेरे में कई बड़े नक्सली लीडर

इस इलाके में नक्सलियों की बटालियन नंबर 1, 2, समेत अन्य कंपनियां सक्रिय हैं. बताया जा रहा है कि मौके पर 100 से अधिक संख्या में नक्सली मौजूद हैं. टॉप नक्सली लीडर हिड़मा, देवा, विकास समेत आंध्र-तेलंगाना-महाराष्ट्र के सेंट्रल कमेटी, DKSZCM (दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी), DVCM (डिविजनल कमेटी मेंबर), ACM (एरिया कमेटी मेंबर), संगठन सचिव जैसे बड़े कैडर्स के नक्सली भी यहां मौजूद हैं।

राज्य सरकार पर साधा निशाना

वहीं उन्होंने प्रदेश में कामकाज को लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि मैंने राज्य सरकार को उनके कार्य के लिए पहले 4.5 अंक दिए थे. लेकिन अब घटाकर 4 करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि एक साल बाद भी सड़कों की हालत नहीं सुधरी है. सरगुजा से रामानुजगंज तक सड़कों की हालत बेहद बदहाल है. बदलाव को जनता उम्मीद से देख रही थी. लेकिन जमीन पर नतीजा निराशाजनक है.

नक्सली दंपती ने किया आत्मसमर्पण, दो-दो लाख रुपए का है ईनाम…

कवर्धा- सुरक्षाबलों की सख्त कार्रवाई एवं नई और बेहतर पुर्नवास नीति ने बहुत से नक्सली आत्मसमर्पण का रास्ता अख्तियार कर रहे हैं. इसी कड़ी में 5-5 लाख रुपए के इनामी नक्सली रमेश उर्फ आटम गुड्डू और उसकी पत्नी सविता उर्फ लच्छी पोयम ने कबीरधाम पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया है.

29 वर्षीय रमेश प्लाटून नंबर 01, एमएमसी जोन, जीआरबी डिवीजन कमेटी का सक्रिय सदस्य था, जबकि उसकी पत्नी 21 वर्ष सविता टांडा एरिया कमेटी में कार्यरत थी. दोनों पिछले 8 वर्षों से एमएमसी क्षेत्र में नक्सली गतिविधियों में शामिल थे.

साल 2019 में थाना भोरमदेव क्षेत्र के बकोदा जंगल में मुठभेड़ के दौरान रमेश घायल भी हुआ था. संगठन में रहते हुए रमेश के पास 12 बोर बंदूक और सविता के पास 8 एमएम रायफल थी. आत्मसमर्पण के बाद दोनों को सरकार की पुनर्वास नीति के तहत सभी सुविधाएं दी जाएंगी.

फरार राजस्व निरीक्षक को ACB ने किया गिरफ्तार, सीमांकन के नाम पर किसान से ले रहा था रिश्वत…

गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही- एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने रिश्वत मामले में फरार चल रहे गौरेला तहसील के फरार राजस्व निरीक्षक घनश्याम भारद्वाज को गिरफ्तार कर लिया है. ACB की टीम ने रिश्वतखोर आरोपी घनश्याम भारद्वाज को गिरफ्तार कर जेल दाखिल कर दिया है.

बता दें कि गौरेला निवासी शिकायतकर्ता रंजीत राठौर से कृषि भूमि का सीमांकन करने के लिए 50 हजार रुपए की मांग की गई थी. मामले में ACB की टीम ने मध्यस्थता कर रहे राजस्व निरीक्षक संतोष कुमार चंद्रसेन को 50 हजार रिश्वत लेते पकड़ा था.

दरअसल, राजस्व निरीक्षक के बिना पैसे के काम नहीं करने की वजह से किसान को कई महीने से घूमा रहे थे. थक-हारकर शिकायतकर्ता ने ACB से शिकायत की थी. ACB ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई करते हुए आरोपी राजस्व निरीक्षक को न्यायालय में पेश किया.

सास की हत्या करने वाली बहू को उम्रकैद, कोर्ट ने पांच साल बाद सुनाया फैसला

खैरागढ़- सास की हत्या करने वाली बहू को पांच साल बाद अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। 24 वर्षीय रूपा साहू ने घरेलू विवाद के चलते अपनी सास बिंदा साहू की लोहे की फूंकनी से पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। यह वारदात जुलाई 2020 में हुई थी। पुलिस ने मामला दर्ज कर अदालत में चालान पेश किया था। करीब 5 साल तक चले मुकदमे के बाद अब अदालत ने बहू को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ ही 1000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। यह मामला खैरागढ़ थाना क्षेत्र के भीमपुरी गांव का है।

खाना बनाने को लेकर हुआ था विवाद

पुलिस जांच में सामने आया कि 16 जुलाई 2020 की रात घर में खाना बनाने को लेकर रूपा और उसकी सास बिंदा के बीच कहासुनी हुई थी। बहस इतनी बढ़ गई कि गुस्से में रूपा ने पास में रखी लोहे की फूंकनी उठाकर सास के सिर पर कई बार वार कर दिया। बिंदा को गंभीर चोटें आईं और उसकी मौके पर ही मौत हो गई।

खैरागढ़ थाना पुलिस ने इस मामले में हत्या का केस दर्ज कर आरोपी बहू रूपा साहू को गिरफ्तार किया। पूछताछ में उसने अपना गुनाह कबूल कर लिया था। पुलिस ने घटना स्थल से फूंकनी को जब्त कर सबूतों के साथ चालान अदालत में पेश किया। मामला अपर सत्र न्यायालय खैरागढ़ में चला। कोर्ट में 5 साल तक चली सुनवाई के दौरान गवाहों के बयान और सबूतों के आधार पर अदालत ने रूपा साहू को दोषी माना। अब अदालत ने फैसला सुनाते हुए उसे उम्रकैद और 1000 रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस की दी शुभकामनाएं

रायपुर-  मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने प्रदेश के पंचायत राज प्रतिनिधियों को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस की बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि पंचायत बुनियादी स्तर पर हमारी लोकतांत्रिक प्रणाली की नींव है। छत्तीसगढ़ में पंचायती राज संस्थाओं ने जमीनी स्तर पर अपनी नेतृत्व क्षमता और विकास कार्यों में भागीदारी को साबित किया है। उन्होंने कहा कि पंचायती राज संस्थाएं जितनी सशक्त होंगी, लोकतंत्र भी उतना ही मजबूत होगा।

अवैध प्लाटिंग पर लगाम : निर्माण की देनी होगी पूरी जानकारी, बाउंड्रीवाल के साथ बोर्ड लगाना अनिवार्य

रायपुर- अवैध प्लॉटिंग को रोकने के लिए छत्तीसगढ़ की विष्णु देव साय सरकार नए और सख्त नियम बनाने जा रही है. प्रस्ताव के अनुसार, अब बिल्डर या कॉलोनाइजर प्लाटिंग की अनुमति के लिए पहले से ही बताना होगा कि किस हिस्से में कौन सा निर्माण होगा. यही नहीं बाउंड्रीवॉल बनाकर बाकायदा इसकी जानकारी के लिए बोर्ड भी लगाना होगा. इसके साथ हर प्लाटिंग एरिया में पहले से सड़क की लंबाई-चौड़ाई भी तय की जाएगी, जिससे प्लाटिंग के बाद रोड – रास्ते की जमीन नहीं बेचा जा सके.

दरअसल, राज्य सरकार को मिलने वाली ज्यादातर शिकायतों में लोगों का दावा रहता है कि बिल्डर या कॉलोनाइजर ने उन्हें रोड – रास्ते की जमीन बेच दी है, या फिर प्लॉटिंग करने वाले जहां क्लब, गार्डन या सामुदायिक भवन बनाने का वादा किया था उस जमीन को भी दूसरे लोगों को बेच दिया. इस वजह से जमीन फर्जीवाड़े की मी शिकायतें भी बढ़ने लगी थी. यही वजह है कि आवास एवं पर्यावरण विभाग के में अफसरों ने लगातार छह महीने तक इन नियमों को लेकर काम किया. इसके बाद ती ही नए नियम और आवेदन का प्रारूप तैयार किया गया. जल्द कैबिनेट में रखेंगे.

इस बदलाव से कॉलोनाइजर को लाभ

नया प्रारूप लागू होने पर कॉलोनाइजर को सीधा फायदा होगा. वैसे इसमें प्रावधान रहेगा कि टाउन एंड प्लानिंग विभाग से नक्शा पास कराने के लिए कोई बिल्डर या कॉलोनाइजर गलत जानकारी देता है तो उस पर एफआईआर भी कराई जा सकती है. बिल्डर को नक्शे में बताना होगा कि उसने किस काम के लिए कौन सी जमीन कहां छोड़ी है. इसके फोटो भी जमा करने होंगे. आवेदन आने के बाद विभाग के अफसर इसका भौतिक सत्यापन भी करेंगे. किसी भी तरह की गड़बड़ी मिली तो कॉलोनाइजर का नक्शा पास नहीं किया जाएगा. नक्शा पास कराने के बाद तय निर्माण में गड़बड़ी की जाती है और इसकी शिकायत रेरा में की जाती है. रेरा ऐसे बिल्डरों के प्रोजेक्ट की खरीदी-बिक्री में बैन लगा सकते हैं.

अब तक यह होता था

प्लाटिंग करने वाले प्लॉट की कटिंग कर बेच रहे हैं. प्लाटिंग एरिया में गार्डन, क्लब, स्वीमिंग पूल समेत कई निर्माण बताते हैं, पर बाद में उसी जमीन पर दूसरे काम करवा लेते हैं. या इस खाली जमीन को भी लोगों को बेच देते हैं. सड़क की चौड़ाई कम कर रोड- रास्ते की जगह भी लोगों को बेच देते हैं. इससे अक्सर विवाद की स्थिति बनती है. निगम वाले कार्रवाई भी कर देते, जिससे प्लॉट लेने वाला सबसे ज्यादा परेशान होता है. अधिकतर बार एक एकड़ से भी कम जमीन पर प्लॉटिंग कर दी जाती है, जिससे उपभोक्ताओं को परेशानी होती थी.


अब ये होगा

करीब ढाई दशक के बाद आवास एवं पर्यावरण विभाग ने नियमों में संशोधन किया है. अब कोई भी व्यक्ति, बिल्डर या कॉलोनाइजर प्लाटिंग करेगा तो उसे सभी निर्माण के लिए बाउंड्रीवॉल के साथ जमीन छोड़नी होगी. प्लाटिंग कितने एरिया में होगी यह भी तय रहेगा. सड़क की लंबाई-चौड़ाई भी पहले से तय रहेगी. इससे लोगों को पता चलेगा कि वे जहां प्लॉट खरीद रहे हैं वहां किस तरह के निर्माण किस दिशा में होंगे. इसके अलावा प्लॉटिंग एरिया में कृषि जमीन शामिल होगी तो उसे भी कलेक्टर गाइडलाइन के अनुसार शुल्क लेकर आवासीय कर दिया जाएगा.

इन नियमों से भी होगा लोगों को फायदा

– प्लॉटिंग का एरिया 2 से 10 एकड़ तक का रहेगा. भूखंडीय विकास के लिए न्यूनतम क्षेत्रफल 3.25 एकड़ रहेगा.

– कम्यूनिटी हॉल, क्लब आदि के लिए प्लॉटिंग एरिया का 2 फीसदी और व्यावसायिक क्षेत्र में 3% छोड़ना होगा.

– जहां प्लाटिंग हो रही वहां पहुंच मार्ग की चौड़ाई न्यूनतम 9 मीटर और आंतरिक मार्ग की लंबाई न्यूनतम 8 मीटर होगी.

– प्लाटिंग एरिया में कृषि जमीन शामिल है तो कलेक्टर गाइडलाइन से उसका शुल्क अदा कर आवासीय कराना होगा.

– सामुदायिक कामों के लिए जगह पर न्यूनतम 5% छोड़ना होगा. सामुदायिक खुली जगह 250 वर्गमी से कम नहीं होगी.

– प्लाटिंग एरिया में प्लॉट की साइज अधिकतम 150 वर्गमीटर तक ही होगी. नियमों के तहत एफएआर भी दिया जाएगा.

अवैध प्लॉटिंग और धोखाधड़ी पर कसेंगे लगाम

आवास एवं पर्यावरण विभाग मंत्री ओपी चौधरी ने बताया कि लोगों को किफायती आवास उपलब्ध कराने और अवैध प्लॉटिंग को पूरी तरह से खत्म करने के लिए ही नए आवास नियम बनाए गए हैं. इससे लोगों को सीधे तौर पर बड़े फायदे होंगे. प्लॉट खरीदना आसान होगा. धोखाधड़ी खत्म होगी.

छुरा नगर पंचायत में टेंडर गेम, खुदाई हो चुके स्थानों में बोर के लिए फिर से हुआ टेंडर, उठ रही जांच की मांग…

गरियाबंद- छुरा नगर पंचायत में शासन की पारदर्शी कार्यप्रणाली और क्रय नियमों की अनदेखी करते हुए एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने प्रशासनिक व्यवस्था की सुचिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं. पंचायत ने 17 अप्रैल को छह नलकूपों के खनन हेतु आठ लाख रुपए की लागत की निविदा जारी की, जिसकी अंतिम तिथि 8 मई रखी गई है. लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि जिन कार्यों के लिए टेंडर निकाला गया, वे पहले ही पूरे हो चुके हैं.

बता दें कि वार्ड क्रमांक 1, 4, 10 और 12 में स्थित स्थलों पर लगभग एक माह पहले ही नलकूप खुदवाए जा चुके हैं. इससे यह स्पष्ट होता है कि निविदा प्रक्रिया केवल कागजी खानापूर्ति बनकर रह गई है.

लेकिन राज्य शासन के क्रय नियम यह स्पष्ट करते हैं कि कोई भी कार्य, चाहे वह कितनी भी छोटी राशि का हो, निर्धारित प्रक्रिया और सार्वजनिक निविदा के माध्यम से ही किया जाना चाहिए. केवल आपातकालीन स्थितियों में ही सीधी क्रय प्रक्रिया को अनुमति दी जाती है, वह भी समुचित दस्तावेजी औचित्य और स्वीकृति के साथ.

इस मामले में न तो कार्य के पहले कोई वैध निविदा निकाली गई, न ही कोई आपात प्रस्ताव पारित किया गया. इसके बावजूद ठेकेदार द्वारा कार्य पूर्ण करवा लिया गया, जिससे यह संदेह गहरा हो गया है कि किसी खास एजेंसी को लाभ पहुंचाने के लिए यह सब सुनियोजित ढंग से किया गया.

इस मुद्दे पर जब नगर पंचायत के मुख्य नगर पालिका अधिकारी (सीएमओ) लालसिंह मरकाम से सवाल किया गया तो उन्होंने नगर में पानी की किल्लत का हवाला देते हुए इसे “अत्यावश्यक कार्य” बताया. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि अगर कार्य वाकई आपातकालीन था, तो उसे तत्काल पीआईएसी प्रस्ताव के माध्यम से स्वीकृत कर भुगतान किया जा सकता था.

वहीं नगरवासियों ने इस पूरी प्रक्रिया को “टेंडर गेम” करार देते हुए सवाल उठाए हैं कि बिना टेंडर के एजेंसी का चयन आखिर कैसे हुआ. उन्होंने संदेह जताया कि यह किसी करीबी ठेकेदार को अनुचित लाभ पहुंचाने की साजिश हो सकती है. नगरवासियों ने जिलाधिकारी से मामले की गहन जांच कराने और दोषी अधिकारी के विरूद्ध कार्यवाही की मांग की है.

मुख्यमंत्री ने पहलगाम आतंकी हमले में दिवंगत दिनेश मिरानिया के पार्थिव शरीर को दिया कंधा, अंतिम संस्कार में शामिल होकर दी श्रद्धांजलि

रायपुर-  मुख्यमंत्री विष्णु देव साय आज जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में दिवंगत प्रदेश के कारोबारी दिनेश मिरानिया के अंतिम संस्कार में शामिल होकर पार्थिव शरीर को कंधा दिया। उन्होंने स्वर्गीय दिनेश मिरानिया के पार्थिव देह पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की और ईश्वर से मृतात्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। श्री साय ने शोकाकुल परिवारजनों से मुलाकात कर गहरी संवेदना व्यक्त की और ढांढस बंधाया। उन्होंने कहा कि सरकार इस दुख की घड़ी में परिवार के साथ खड़ी है और उन्हें हर संभव सहयोग का भरोसा दिलाया। श्री साय ने कहा कि स्वर्गीय श्री मिरानिया के पावन स्मृतियों को सहेजने और चिर स्थायी बनाने लिए सरकार किसी सड़क या चौक को उनके नाम पर करने की बात कही।

श्री साय ने कहा कि आतंकवादियों की इस कायराना हरकत ने देश की आत्मा पर चोट किया है। पूरे प्रदेश के लिए भी यह दुख और पीड़ा का क्षण है। घिनौनी आतंकवादी घटना में प्रदेश ने अपना एक बेटा खो दिया है। उन्होंने कहा कि धारा 370 हटने से जम्मू कश्मीर में शांति स्थापित हुई, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिला और घाटी के विकास को गति मिली थी। आतंकवादियों ने पर्यटकों के जरिए कश्मीर और देश को अस्थिर करने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि पूरा देश एकजुटता के साथ इस अमानवीय कृत्य का बदला लेगा। श्री साय ने कहा कि पाकिस्तान के शह पर हुई इस हमले का अंजाम उसे भुगताना पड़ेगा।

इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा, वित्त मंत्री ओ पी चौधरी, केंद्रीय राज्यमंत्री तोखन साहू, विधायक किरण देव, विधायक राजेश मूणत और नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष संजय श्रीवास्तव समेत बड़ी संख्या में आम नागरिक मौजूद रहे।

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला, करदाता ने गलती स्वीकार की तो नहीं लगेगा जुर्माना

बिलासपुर-  हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. उन्होंने साफ कहा है कि यदि कोई करदाता स्वेच्छा से अपनी त्रुटि को उजागर करता है और उसका कोई दुर्भावनापूर्ण इरादा नहीं होता तो उस पर आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 271 (1) (सी) के तहत जुर्माना नहीं लगाया जा सकता. यह धारा आमतौर पर आय छिपाने या गलत जानकारी देने पर लागू होती है.

मामला छत्तीसगढ़ स्टेट पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड से जुड़ा है, जो एक सार्वजनिक लिमिटेड कंपनी है. कंपनी के कर विवरण की जांच आयकर अधिनियम की धारा 143(2) के तहत की जा रही थी. इस प्रक्रिया में कंपनी ने स्वेच्छा से यह जानकारी दी कि उसके द्वारा बहीखाता लाभ (बुक प्रोफिट) में गणना के दौरान ₹35,74,90,033 रुपये के स्थान पर ₹26,89,97,367 रुपए की जानकारी दर्ज की गई थी. यह अंतर अनजाने में डेटा फीडिंग की त्रुटि के कारण हुआ था. कर निर्धारण अधिकारी (एओ) ने इसे आय का गलत विवरण मानते हुए आयकर अधिनियम की धारा 271 (1) (सी) के तहत कंपनी पर जुर्माना लगाया. उन्होंने आरोप लगाया कि कंपनी ने जानबूझकर कर से बचने का प्रयास किया है. कर निर्धारण अधिकारी के इस आदेश को चुनौती देते हुए कंपनी ने सीआइटी के समक्ष अपील पेश की. मामले की सुनवाई के बाद अपीलीय अधिकारी ने इसे मानवीय त्रुटि मानते हुए कर निर्धारण अधिकारी द्वारा लगाए गए जुर्माना को खारिज कर दिया.

अपीलीय अधिकारी के आदेश को राजस्व विभाग ने चुनौती देते हुए आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण ITAT के समक्ष अपील पेश की. अपील की सुनवाई के बाद अपीलीय न्यायाधिकरण ने अपीलीय अधिकारी के आदेश को रद्द करते हुए बिजली कंपनी को आयकर अधिकारी द्वारा लगाए गए जुर्माने को पटाने का आदेश दिया. ITAT के आदेश को चुनौती देते हुए बिजली कंपनी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की. मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा है कि जब करदाता स्वयं अपनी गलती स्वीकार करता है और उसमें कोई धोखाधड़ी या छिपाने का इरादा नहीं पाया जाता है तब ऐसी स्थिति में उस पर दंडात्मक कार्रवाई उचित नहीं है. इस महत्वपूर्ण टिप्पणी के साथ कोर्ट ने ITAT के आदेश को खारिज कर दिया है.

तेंदूपत्ता बोनस घोटाला: निलंबित DFO अशोक पटेल 3 दिन की रिमांड पर, करोड़ों की हेराफेरी में ACB-EOW ने किया है गिरफ्तार

रायपुर- तेंदूपत्ता बोनस घोटाले मामले में ACB-EOW की संयुक्त कार्रवाई जारी है. इस मामले में गिरफ्तार किए गए निलंबित डीएफओ अशोक पटेल को आज विशेष कोर्ट में पेश किया गया, जहां कोर्ट ने अशोक पटेल को 26 अप्रैल तक तीन दिन की रिमांड पर सौंप दिया है.

एसीबी/ईओडब्ल्यू (ACB-EOW) की टीम ने निलंबित IFS अशोक पटेल को 17 अप्रैल को गिरफ्तार किया था. अब पूछताछ के लिए EOW ने कोर्ट से 30 अप्रैल तक की रिमांड की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने फिलहाल 26 अप्रैल तक की रिमांड मंजूर की है.

क्या है तेंदूपत्ता बोनस घोटाला?

आरोप है कि वर्ष 2021-22 में वन विभाग द्वारा तेंदूपत्ता बोनस वितरण के दौरान लगभग 7 करोड़ रुपये की आर्थिक अनियमितता हुई. यह राशि तेंदूपत्ता संग्राहकों को अप्रैल-मई 2022 में वितरित की जानी थी, लेकिन राशि के आहरण के बावजूद आदिवासी संग्राहकों को भुगतान नहीं किया गया. जब इस मामले की जानकारी पूर्व विधायक मनीष कुंजाम को हुई, तो उन्होंने जनवरी 2025 में कलेक्टर सुकमा और सीसीएफ को पत्र लिखकर मामले की जांच की मांग की.

शिकायत के बाद कलेक्टर और वन विभाग ने अलग-अलग जांच समितियां गठित की. नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तेंदूपत्ता संग्राहकों के बयान दर्ज किए गए, जिनमें तत्कालीन डीएफओ सुकमा अशोक पटेल की भूमिका सामने आई. प्रारंभिक जांच में दोषी पाए जाने पर उन्हें तत्काल निलंबित कर दिया गया. इसके बाद से एसीबी और ईडब्ल्यू की संयुक्त टीम सुकमा और कोंटा क्षेत्र में तेंदूपत्ता प्रबंधकों पर निगरानी बनाए हुए है.