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क्या औरंगजेब की कब्र हटानी चाहिए? विवाद के बीच आया राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का बयान

महाराष्ट्र के नागपुर में इस समय मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है. इसी बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की 3 दिवसीय बैठक के चलते अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस पीसी के दौरान सुनील आंबेकर से औरंगजेब को लेकर सवाल पूछा गया. उन से पूछा गया कि क्या अभी भी औरंगजेब प्रासंगिक है?

जहां इस वक्त औरंगजेब की कब्र को हटाने को लेकर बवाल मचा हुआ है. इसी बीच सुनील आंबेकर से जब नागपुर में हुई हिंसा और औरंगजेब की कब्र को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, किसी भी तरह की हिंसा समाज के लिए अच्छी नहीं है. पुलिस ने इस पर एक्शन लिया है. पुलिस इसकी जांच कर रही है. साथ ही मुगल बादशाह को लेकर उन्होंने कहा, औरंगजेब प्रासंगिक नहीं है.

संघ की तीन दिवसीय बैठक

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की 3 दिवसीय बैठक 21 से 23 मार्च तक कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में शुरू होने जा रही है, 19 मार्च को इस बैठक को लेकर अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान प्रचार प्रमुख ने 3 दिवसीय होने वाली बैठक को लेकर जानकारी दी. उन्होंने कहा, बैठक में देश भर से प्रतिनिधि शामिल होंगे. संघ के पदाधिकारी और कार्यकर्ता भी हिस्सा बनेंगे. उन्होंने जानकारी दी कि बैठक की शुरुआत 21 मार्च को सुबह 9 बजे होगी और 23 तारीख की शाम तक बैठक होगी. यह संघ की रचना में सबसे महत्वपूर्ण बैठक है.

औरंगजेब ने क्यों बदला था बनारस का नाम? जानें इतिहास की यह दिलचस्प कहानी

औरंगजेब का नाम हिंदुस्तान के सबसे क्रूर शासकों में आता है. उसकी सबसे ज़्यादा आलोचना मंदिरों को तोड़ने को लेकर हुई. औरंगजेब की क्रूरता से काशी भी अछूता नहीं रहा. औरंगजेब ने ना सिर्फ श्री काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़ा, बल्कि यहां चल रहे संस्कृत पाठशालाओं को भी बंद करा दिया. वाराणसी -काशी और बनारस ये तीनों नाम हटाकर इनकी जगह औरंगाबाद नाम रख दिया.

आखिर, औरंगजेब काशी से इतनी नफ़रत क्यों करता था? यही समझने के लिए हमने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) के मध्यकालीन भारत (मिडिवल हिस्ट्री) के प्रोफेसर राजीव श्रीवास्तव से इस मुद्दे पर बात चीत की. प्रोफेसर राजीव श्रीवास्तव ने कहा किकाशी के प्रति औरंगजेब के नफ़रत करने के पीछे मूलतः तीन कारण माने जाते हैं.

दाराशिकोह का संस्कृत पढ़ना , शिवाजी और काशी…

दाराशिकोह के काशी में रहकर संस्कृत के अध्ययन करने, गीता-रामायण और स्मृतियों के फ़ारसी अनुवाद करने पर औरंगजेब को आपत्ति थी!

2. शिवाजी जब औरंगजेब के बंधन से मिठाई के टोकरे के जरिए बाहर आएं, तब उन्हें काशी के ब्राह्मणों ने शरण दी थी. उनका सम्मान किया था. यहां तक की उनका अभिषेक भी काशी के ही गागा भट्ट ने किया था!

3. तीसरा और सबसे बड़ा कारण साकी मुस्ताद खान के मासिर-ए-आलमगीरी में मिलता है. औरंगजेब को ये बताया गया था की काशी के संस्कृत पाठशालाओं में इस्लाम के ख़िलाफ ग़लत बातें सिखाई जा रही हैं और मंदिर के पुरोहित दीन के ख़िलाफ माहौल बनाने में लगे हुए हैं. उनके इस कुकृत्य से दीन खतरे में है.

इन कारणों से औरंगजेब ने 8 अप्रैल 1669 को श्री काशी विश्वनाथ मंदिर तोड़ने का फरमान जारी किया और वो शहर जिसके तीन नाम थे बनारस, वाराणसी और काशी उसका नाम बदलकर उसने औरंगाबाद रख दिया था. लेकिन काशी के लोगों ने उसके इस फैसले को मानने से इंकार कर दिया और औरंगाबाद नाम सिमट कर एक मोहल्ले तक सीमित रह गया. आज भी औरंगाबाद में रहने वालों को लेकर बनारस में कहावत मशहूर है की काशी बस कर क्या हुआ, घर औरंगाबाद!

इतिहासकार ने बताया औरंगजेब को भ्रष्ट और क्रूर

मध्यकालीन भारत के प्रोफेसर राजीव श्रीवास्तव औरंगजेब को भ्रष्ट, क्रूर और हिन्दुओं से नफ़रत करने वाला बताया है. उन्होंने ये मानने से इंकार कर दिया कि वो सादगी पसंद बादशाह था और राजपूत राजाओं को सम्मान देता था. प्रोफेसर श्रीवास्तव ने बताया कि औरंगज़ेब के समय में जाट,राजपूत, सिख, मराठा और सतनामी ये पांच क्षेत्रीय ताकत उभर रहे थे. औरंगजेब एक दूसरे के ख़िलाफ लड़ाने में इनका उपयोग करता था. औरंगज़ेब ने राजपूतों का उपयोग मराठों को दबाने में किया.

प्रोफेसर श्रीवास्तव ने कहा कि औरंगजेब के चरित्र को गढ़ने के क्रम में ही उसको सादगी पसंद और सख्त प्रशासक के रूप में दिखाया गया, जबकि इसका वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं. औरंगजेब के समय में भारत की जीडीपी सर्वाधिक रही, ये भी गढ़ने वाली बात ही है. औरंगजेब के समय में जजिया जैसा कर और उसको वसूलने का तरीका ये बताता है कि औरंगजेब एक क्रूर और हिन्दुओं से नफ़रत करने वाला शख्स था. प्रोफेसर श्रीवास्तव ने कहा कि औरंगज़ेब की कब्र रहनी चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ियां उसके कब्र को देख कर ये जान सकें की औरंगजेब ने इस मुल्क में नफ़रत फैलाने के लिए कौन कौन से निर्णय लिए!

सचिन की बेटी को लेकर ससुराल पहुंची सीमा हैदर, ऐसे हुआ नोएडा में स्वागत

सीमा हैदर और सचिन मीणा की लव स्टोरी जितनी विवादास्पद है, उतनी ही फेमस भी. सीमा हैदर पाकिस्तान की रहने वाली है. दो साल पहले चार बच्चों को लेकर प्रेमी सचिन मीणा की खातिर अवैध तरीके से भारत आई. उसके खिलाफ अभी केस चल ही रहा है कि इस बीच खबर आई कि वो सचिन के बच्चे की मां भी बन गई है. सीमा हैदर ने 18 मार्च को सचिन की बेटी को जन्म दिया. इसके बाद 19 मार्च को वो ससुराल पहुंची. यहां उसका और बेटी का धूमधाम से स्वागत किया गया.

सीमा ने इसके लिए सभी को धन्यवाद दिया. सीमा हैदर ने कहा- मैं बहुत खुश हूं कि लोग हमारी इस खुशी में शामिल हुए. हम जल्द ही बेटी का नाम रखेंगे. लोग इसके लिए हमें इंस्टाग्राम पर सजेशन दे सकते हैं. जो भी नाम सजेशन में सबसे ज्यादा आया, हम बेटी का वही नाम रखेंगे.

पहले पति गुलाम हैदर का रिएक्शन

उधर, सीमा की इस गुड न्यूज पर पहले पति का पाकिस्तान से रिएक्शन आया है. सीमा के पहले पति गुलाम हैदर ने कहा- मैं पिछले दो सालों से न्याय मांग रहा हूं. लेकिन मेरी कोई भी नहीं सुन रहा. वहां सीमा हैदर दूसरे देश में बैठकर मनमर्जी किए जा रही है. उससे भी गलत है एपी सिंह, जो उसका साथ दे रहा है. एपी सिंह तुझपर थू है. अल्लाह करे तेरी बेटी भी सीमा की तरह निकले. घर से भाग जाए और तू फिर मेरी तरह तड़पे. अब कहां है कानून.

किसी को ये नजर क्यों नहीं आ रहा कि सीमा बिना तलाक दिए किसी गैर मर्द के बच्चे की मां बन गई है. मैं अब भी भारत और पाकिस्तान सरकार से गुजारिश करता हूं कि अब तो कोई एक्शन ले लो.

सीमा हैदर-सचिन मीणा की लव स्टोरी

सीमा हैदर और सचिन मीणा की प्रेम कहानी PUBG गेम के जरिए शुरू हुई थी. दोनों की पहली मुलाकात नेपाल में हुई, जहां उन्होंने मंदिर में शादी कर ली. हालांकि, उस समय वे अपने-अपने देश लौट गए. बाद में, सीमा ने सचिन के साथ रहने का फैसला किया और अपने चारों बच्चों के साथ भारत आ गई. 10 मई 2023 को सीमा अपने बच्चों के साथ पाकिस्तान के कराची से शारजाह पहुंची. वहां से फ्लाइट के जरिए काठमांडू गई और फिर सड़क मार्ग से भारत में दाखिल हुई.

नोएडा में सचिन उसका इंतजार कर रहा था. अगले महीने पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया. सीमा के खिलाफ अवैध तरीके से भारत आने को लेकर केस चल रहा है. वहीं, सचिन के खिलाफ भी एक पाकिस्तानी को भारत में शह देने के चलते केस चल रहा है.

IPL 2025 से पहले मुकेश अंबानी ने दिया तोहफा, 90 दिनों के लिए फ्री मिलेंगे ये फायदे

Indian Premier League उर्फ IPL 2025 Matches का आगाज़ 22 मार्च से होने वाला है, इसी बात को ध्यान में रखते हुए मुकेश अंबानी की कंपनी क्रिकेट लवर्स के लिए Jio Unlimited Offer लेकर आई है. रिलायंस जियो का ये नया ऑफर, कंपनी के मौजूदा और नए दोनों ही यूजर्स के लिए है, क्या है ऑफर और कैसे मिलेगा आपको फायदा? चलिए जानते हैं.

Jio Cricket Offer 2025

रिलायंस जियो के लेटेस्ट ऑफर के तहत करोड़ों जियो यूजर्स को कंपनी की तरफ से फ्री में Jio Hotstar का एक्सेस दिया जा रहा है. खास बात यह है कि कंपनी केवल आपको एक नहीं बल्कि तीन फायदे दे रही है, पहला फायदा 4K क्वालिटी, दूसरा फायदा मोबाइल और तीसरा फायदा टीवी पर भी जियो हॉटस्टार को एक्सेस मिलेगा.

ऐसे मिलेगा आपको फायदा

फ्री में जियो हॉटस्टार का फायदा चाहिए तो आपको Jio 299 Plan या फिर इससे ऊपर का कोई भी प्लान खरीदना होगा. प्लान खरीदने के बाद आपको 90 दिनों के लिए फ्री में जियो हॉटस्टार दिया जाएगा

न केवल जियो हॉटस्टार बल्कि 50 दिनों के लिए जियो होम की भी सर्विस दी जा रही है जिसके तहत 800 से ज्यादा लाइव टीवी चैनल, 11 से ज्यादा ओटीटी ऐप्स और अनलिमिटेड वाई-फाई का फायदा मिलेगा. गौर करने वाली बात यह है कि कंपनी 2 जीबी डेली डेटा और इससे ऊपर के प्लान्स के साथ अनलिमिटेड 5जी डेटा ऑफर करती है.

ध्यान दें

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इस गांव से 14 बच्चे UP पुलिस में भर्ती,3 बेटियों ने भी बढ़ाया मान

मेरठ जिले के सरूरपुर खुर्द गांव ने उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती परीक्षा में इतिहास रच दिया है. गांव के 14 युवक-युवतियों ने पुलिस भर्ती की कठिन प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पार कर अपना स्थान सुनिश्चित किया है. उत्तर प्रदेश में किसी एक गांव से इतनी बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों का चयन होना एक अनूठी उपलब्धि मानी जा रही है. इस सफलता से न केवल अभ्यर्थियों और उनके परिजनों में खुशी की लहर है, बल्कि पूरे गांव में जश्न का माहौल बना हुआ है.

13 मार्च को उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती परीक्षा का अंतिम परिणाम घोषित हुआ, जिसमें सरूरपुर खुर्द गांव के 11 युवक और तीन युवतियां सिपाही के पद पर चयनित हुए. इस ऐतिहासिक उपलब्धि को लेकर रविवार को गांव में सम्मान समारोह आयोजित किया गया, जिसमें थाना प्रभारी अजय शुक्ला ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की. उन्होंने सभी चयनित अभ्यर्थियों को पुलिस परिवार में स्वागत किया और उन्हें कर्तव्यपरायणता और अनुशासन का पाठ पढ़ाया.

गांव के वरिष्ठ नागरिकों और जनप्रतिनिधियों ने भी इन युवा अभ्यर्थियों की मेहनत और लगन की सराहना की. इस दौरान चयनित युवाओं के परिवारजनों ने पुलिस भर्ती प्रक्रिया की निष्पक्षता और पारदर्शिता की भूरी-भूरी प्रशंसा की.

दिव्यांग पिता के 2 बच्चों ने किया नाम रोशन

इस सफलता की सबसे प्रेरणादायक कहानी अजय कुमार और सनी की है, जिनके पिता बब्लू दिव्यांग हैं. आर्थिक चुनौतियों और कठिन परिस्थितियों के बावजूद दोनों भाइयों ने कठिन परिश्रम कर उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती परीक्षा उत्तीर्ण की और अपने परिवार का नाम रोशन किया. उनकी इस उपलब्धि से न केवल उनके पिता बल्कि पूरे गांव में गर्व का माहौल है. यह कहानी संघर्ष और दृढ़ संकल्प की मिसाल बन गई है, जो आने वाली पीढ़ी को प्रेरित करेगी.

ये हैं चयनित अभ्यर्थी

प्रीति सूर्यवंशी (पुत्री वीरेन्द्र सूर्यवंशी)

टीना (पुत्री सुरेशपाल)

आंचल (पुत्री चन्द्रपाल)

अनुज कुमार (पुत्र धर्मेन्द्र सिंह)

सनी (पुत्र बबलू)

अजय कुमार (पुत्र बबलू)

रोबिन (पुत्र बिजेन्द्र सिंह)

विशांत (पुत्र देवेन्द्र कुमार)

सागर (पुत्र ऋषिपाल)

अरविंद (पुत्र रतनपाल सिंह)

निशांत पूनिया (पुत्र ओमेन्द्र सिंह)

रितिक पूनिया (पुत्र अजय कुमार)

नईम (पुत्र याकूब)

प्रदीप (पुत्र राजवीर)

गांव का नाम रोशन, युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा

थाना प्रभारी सरूरपुर अजय शुक्ला ने कहा कि ये गर्व की बात है. एक साथ 14 बच्चे इस गांव के यूपी पुलिस में सलेक्ट हुए हैं. मैं सभी बच्चों को शुभकामनाएं देने के लिए यहां आया था. साथ ही सबको सलाह दी कि ट्रेनिंग होने तक सब ख्याल रखें. इधर-उधर घूमने कम जाएं और वाहन चलाते हुए अपना खास ध्यान रखें. थाना प्रभारी ने पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली से भी सभी को अवगत कराया.

बिहार, बंगाल और असम जाने वाले यात्रियों को झटका, 40 दिनों तक कानपुर-लखनऊ रेल रूट पर लगा ब्रेक!

कानपुर-लखनऊ रेलमार्ग पर आगामी 20 मार्च से 30 अप्रैल तक रेल सेवा बाधित रहेगी. गंगा पुल पर ट्रैक के काम को पूरा करने के लिए ये फैसला लिया गया है. गंगा नदी पर स्थित रेलवे पुल का अप लाइन टर्फ बदलने का काम शुरू होने जा रहा है, जिसको लेकर आज लखनऊ मंडल के डीआरएम एस.एम शर्मा ने बताया कि रेलवे विभाग 20 मार्च से 30 अप्रैल तक रोजाना सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक मेगा ट्रैफिक और पावर ब्लॉक लेगा.

कानपुर पुल बांया किनारा और कानपुर स्टेशन के बीच स्थित ब्रिज संख्या 110 पर यह कार्य होगा. पुराने स्टील टर्फ की जगह एच-बीम स्लीपर लगाए जाएंगे. इससे ट्रेनों का संचालन अधिक सुरक्षित होगा. वर्तमान में जर्जर टर्फ के कारण अप लाइन की सभी ट्रेनों को पूरी तरह रोक कर गुजारा जा रहा है. इससे ट्रेनों की गति और यात्रियों की सुविधा प्रभावित हो रही है. नई सामग्री रेलवे स्टेशन पर पहुंच गई है.

रेलवे विभाग ने कार्य के लिए विशेष दिशा-निर्देश जारी किए हैं. ब्लॉक से पहले सभी जरूरी उपकरण और सामग्री साइट पर पहुंचाई गई हैं. इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारी नियमित निगरानी रख रहे हैं. यात्रियों को ट्रेनों के रद्द होने या मार्ग बदलने की जानकारी दी गई है. रेलवे सुरक्षा बल और तकनीकी टीम कार्य के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित करेगी.

मुख्य ट्रैक की मरम्मत के साथ मेंटेनेंस

अन्य रेलवे मंडलों को भी पहले से सूचित कर दिया गया है. इससे मुख्य ट्रैक की मरम्मत के साथ मेंटेनेंस और शैडो ब्लॉक्स की योजना भी बनाई गई है. वहीं ट्रेनों की जानकारी देते हुए डीआरएम ने बताया कि यूपी में अलग-अलग वजहों से विभिन्न ट्रेन रूट प्रभावित होंगे. इसमें मार्च और अप्रैल में कई गाड़िया रद्द होंगी या मार्गों में फिर बदलाव किया जाएगा.

ये ट्रेनें रहेंगी प्रभावित

यात्रियों के लिए जो ट्रेन चलाई जा रही है, उसमें ढाई से 3 घंटे लेट होने की संभावना है. प्रतिदिन 9 घंटे का ब्लॉक दिया जाएगा. लगभग 74 ट्रेनें प्रभावित रहेंगी, जिससे यात्रियों को असुविधा हो सकती है. कानपुर-लखनऊ रेल मार्ग पर बाधित रहने वाली ट्रेनों में 11110 लखनऊ-वीरांगना लक्ष्मीबाई झांसी इंटरसिटी 20 मार्च से 1 मई तक बाधित रहेगी, 51813 झांसी लखनऊ, 51814 लखनऊ झांसी पैसेंजर, 55345 लखनऊ कासगंज, 55346 कासगंज लखनऊ पैसेंजर, 64203 लखनऊ कानपुर सेंट्रल मेमू, 64204 कानपुर सेंट्रल लखनऊ मेमू भी 20 मार्च से 1 मई तक नहीं चलेगी.

देश भर में कैसे मनाई जाती हैं रंग पंचमी? जानें क्या है परंपरा

होली रंगों का त्योहार है. पारंपरिक तौर पर ये त्योहार आठ दिनों तक चलता है. होली के ठीक पांच दिन बाद रंग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है. धार्मिक मान्यता है कि रंग पंचमी मनाने की शुरुआत द्वापर युग से हुई थी. मान्यता है कि इस दिन देवी-देवता धरती लोक पर आते हैं और इस त्योहार का आंनद लेते हैं. भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी ने इस दिन होली मनाई थी. रंग पंचमी के त्योहार की देश के कई राज्यों में धूम देखने को मिलती है. ऐसे में आइए जानते हैं कि देश के अलग-अलग हिस्सों में रंग पंचमी का त्योहार किस तरह मानाया जाता है. इसे मनाने की परंपरा क्या है.

हिंदू वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि की शुरुआच कल यानी 18 मार्च को रात 10 बजकर 9 मिनट पर होगी. वहीं इस पंचमी तिथि का समापन 20 मार्च को रात को 12 बजकर 36 मिनट पर होगा जाएगा. हिंदू धर्म में उदया तिथि मान्य होती है. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, रंग पचमी का त्योहार इस साल 19 मार्च मनाया जाएगा.

इंदौर में फाग यात्रा

मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में रंग पंचमी के त्योहार के अवसर पर गेर उत्सव के आयोजन की परंपरा है. इसमें सड़कों पर हजारों लोगों के ऊपर टैंकरों से रंगों की बरसात की जाती है. इसे फाग यात्रा भी कहा जाता है. इसमें डीजे, ढोल-नगाड़े और बैंड-बाजों पर नाचते हुए लोग रंगों से खेलते हैं. इंदौर के अलावा ये त्योहार उज्जैन, महेश्वर और मालवा क्षेत्र के अन्य शहरों में भी महत्व रखता है.

महाराष्ट्र में गोविंदा मंडलियां

महाराष्ट्र में रंग पंचमी के दिन गुलाल और अबीर उड़ाया जाता है. एक दूसरे को रंग लगाया जाता है. मंदिरों में श्रीकृष्ण और राधा की झांकियां सजाई जाती हैं. महाराष्ट्र में इस त्योहार को भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की लिलाओं से संबंधित माना जाता है. राज्य के कई शहरों में गोविंदा मंडलियां भी बनाई जाती हैं.

राजस्थान में गुलाल और फूलों की होली

राजस्थान में रंग पंचमी के त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन राज्य के कई शहरों में गुलाल और फूलों की होली मनाई जाती है. मेवाड़ और मारवाड़ इलाके में शाही परिवार कार्यक्रम का आोजन करते हैं.

श्रीकृष्ण नगरी में रंग पंचमी

उत्तर प्रदेश में खासकर भगवान श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा-वृंदावन, बरसाना और नंदगांव में रंग पंचमी की अलग ही धूम रहती है. इस दिन बांके बिहारी मंदिर, द्वारकाधीश मंदिर और गोकुल के मंदिरों में रंग खेला जाता है. भगवान को गुलाल और अबीर चढ़ाया जाता है. लोग भजन करते हैं.

Note - इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. हम इसकी पुष्टि नहीं करता है.

खुशखबरी! अब सिर्फ 30 मिनट में फरीदाबाद से पहुचेंगे ग्रेटर नोएडा, 11 साल बाद दूर हुई ये दिक्कत

ग्रेटर नोएडा को फरीदाबाद के मंझावली पुल से जोड़ने वाले प्रोजेक्ट की राह में आ रही दिक्कत अब दूर हो गई है. वर्ष 2014 में शुरू हुई इस महत्वाकांक्षी मंझावली पुल परियोजना में सरकार ने 25.62 करोड़ रुपये का बजट जारी कर दिया है. ऐसे में जिला प्रशासन ने किसानों से जमीन लेने के लिए सार्वजनिक नोटिस जारी कर दिया है. जानकारी के मुताबिक प्रशासन ने भूमि खरीद की प्रक्रिया को अगले सप्ताह तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है. शिलान्यास के 11 साल बाद जमीन लेने को लेकर नोटिफिकेशन हुआ है.

फरीदाबाद और ग्रेटर नोएडा के बीच यातायात को सुगम बनाने के लिए इस पुल का निर्माण किया गया है. फरीदाबाद से ग्रेटर नोएडा पहुंचने में लगभग डेढ़ घंटे का समय लगता है. ऐसे में इस पुल के बनने से यह समय घटाकर 20 से 25 मिनट रह जाएगा. मंझावली पुल के माध्यम से दोनों शहरों के बीच लोगों को आवागमन में सुविधा होगी. यह पुल यमुना नदी पर 630 मीटर लंबा चार-लेन का पुल है.

11 साल से चल रहा था विवाद

महत्वाकांक्षी मंझावली पुल परियोजना का हरियाणा की तरफ से काम पूरा हो चुका है. यमुना नदी पार कर करीब एक किलोमीटर की सड़क ग्रेटर नोएडा की तरफ भी बन गई है. जानकारी के मुताबिक 2014 में शुरू हुई इस परियोजना का काम पिछले 11 साल से जमीन को लेकर शुरू हुए विवाद की वजह से अटका था. प्रशासन को पुल तक सड़क का निर्माण करने के लिए 6.5 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण करना था लेकिन किसानों के साथ जमीन को लेकर सहमति न बन पाई, इस वजह से ये इसका काम अटक गया.

जिला प्रशासन ने जारी किया नोटिस

जनवरी 2025 में प्रशासन और किसानों के बीच इसे लेकर सहमति बन गई थी, जिसके बाद 12 मार्च को जिला प्रशासन ने इसका नोटिस कर दिया. 40 किसानों की सूची सार्वजनिक रूप से जारी कर इन्हें आपत्ति के लिए 22 मार्च तक का समय दिया गया है. ऐसे में 22 मार्च के बाद तो जमीन लेने की प्रक्रिया किसानों के साथ तुरंत शुरू हो जाएगी.

खजाने वाली 7 पहाड़ियां, यहां छिपा है 25 टन सोना; क्या है इनकी कहानी?

केंद्र सरकार ने 24 साल पहले 1 मार्च 2001 को घाटे के बहाने कर्नाटक स्थित कोलार सोने की खदान को बंद कर दिया था. हालाँकि, सोने की खदान बंद होने के समय, सोने की खदान के श्रमिकों का बकाया वेतन और पेंशन कुल 58 करोड़ रुपये था. ऐसे में कई श्रमिक संगठन सड़कों पर उतर आए और अपने साथ हुए अन्याय को चुनौती देने के लिए अदालत चले गए. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भी 7 जुलाई 2006 को सोने की खदान को पुनः खोलने की मंजूरी दे दी.

कर्नाटक हाई कोर्ट ने भी 2010 में वैश्विक स्तर पर सोने की बढ़ती कीमतों का हवाला देते हुए केंद्र सरकार को कोलार सोने की खदान को फिर से खोलने का निर्देश दिया. इसके बाद केंद्र सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. मामले की सुनवाई करने वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया.

फिर से खोली गई खदान

सुप्रीम कोर्ट ने वैश्विक निविदा आमंत्रित कर शर्तों के साथ 2013 में सोने की खदान को पुनः खोलने का आदेश जारी किया था. हालांकि, केंद्र सरकार ने वैश्विक निविदा के जरिए सोने की खदान की नीलामी की प्रक्रिया शुरू करते हुए कहा था कि मौजूदा हालात में सोने का खनन शुरू करना आसान काम नहीं होगा. ऐसे में हाल ही में हुए शोध से पता चला है कि केजीएफ में सोने के खनन के दौरान सोने से अलग की गई मिट्टी से सोना प्राप्त किया जा सकता है.

शहर के आसपास हैं 13 साइनाइड पहाड़ियां

केजीएफ शहर के आसपास 13 साइनाइड पहाड़ियां हैं, जिनमें लगभग 5 मिलियन टन मिट्टी होने का अनुमान है. ऐसे में इस सारी मिट्टी की खुदाई की जाए तो औसत 25 टन सोना मिलने की उम्मीद है. ऐसे में केजीएफ की 13 साइनाइड पहाड़ियों में, सोने की फिर से जांच करने के काम के लिए टेंडर बुलाया गया. शोध के अनुसार कहा जाता है कि एक टन मिट्टी में औसतन एक ग्राम सोना पाया जाता है. इसका मतलब यह है कि यदि इस सारी मिट्टी की खुदाई की जाए तो औसत 25 टन सोना मिलने की उम्मीद है. अब उस मिट्टी से सोना निकालने का काम शुरू हो गया है. हालांकि अभी टेंडर प्रक्रिया को भी रोक दिया गया है.

52 करोड़ रुपये का मुआवजा

केंद्र सरकार के कैबिनेट प्रस्ताव और 2016 के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार यहां के खनिकों को 52 करोड़ रुपये का मुआवजा मिलना अभी बाकी है. इसके अलावा अगर मिट्टी के टीलों को खोदने का काम फिर से शुरू हो गया, तो इससे केजीएफ सिटी के लिए समस्या उत्पन्न हो जाएगी. ऐसे कहा जा रहा है कि साइनाइड-दूषित मिट्टी शहर में रहने वाले लोगों के लिए स्वास्थ्य समस्याएं और धूल की समस्या पैदा कर सकती है.

केजीएफ में हैं बहुत सारे सोने के भंडार

कुछ खनन यूनियन नेताओं का कहना है कि प्रौद्योगिकी उन्नत हो चुकी है और यदि सोने का खनन अब पुनः शुरू हो जाए तो यह लाभदायक हो सकता है. केजीएफ में सोने के बहुत सारे भंडार हैं. ब्रिटिश काल के दौरान केजीएफ में लगभग 27 स्वर्ण भंडारों की पहचान की गई थी. इनमें से केवल दो या तीन स्थानों पर ही सोने का खनन कार्य चल रहा है, जबकि शेष 24 स्थानों पर कोई खनन कार्य नहीं चल रहा है.

अमृतसर में मंदिर पर ग्रेनेड हमला करने वाले का एनकाउंटर, मारा गया मुख्य आरोपी

अमृतसर में ठाकुरद्वारा मंदिर पर ग्रेनेड हमला करने वाले का एनकाउंटर कर दिया गया है. इसमें मुख्य आरोपी मारा गया. पंजाब पुलिस के सूत्रों ने ये जानकारी दी है. पुलिस ने घेराबंदी कर मुख्य आरोपी का एनकाउंटर किया. शुक्रवार की देर रात मंदिर पर ग्रेनेड से हमला किया गया था.

एनकाउंटर पर पंजाब पुलिस ने क्या कहा?

एनकाउंटर को लेकर पंजाब पुलिस ने बताया कि पुलिस मुठभेड़ में मुख्य आरोपी गुरसिदक मारा गया जबकि एक अन्य आरोपी घायल हो गया. दोनों ओर से गोलीबारी हुई. आज सुबह-सुबह आरोपियों के बारे में विशेष सूचना मिली कि आरोपी राजासांसी के इलाके में घूम रहे हैं. उन्हें पकड़ने के लिए सीआईए और SHO छेहरटा की पुलिस टीम वहां पहुंची. जब एसएचओ छेहरटा ने आरोपी की मोटरसाइकिल को रोकने की कोशिश की तो आरोपी अपनी मोटरसाइकिल छोड़कर पुलिस टीम पर फायरिंग करने लगे.

आरोपी गुरसिदक ने अस्पताल में तोड़ा दम

इस दौरान एक गोली कांस्टेबल गुरप्रीत सिंह के बाएं हाथ पर लगी, एक गोली इंस्पेक्टर अमोलक सिंह की पगड़ी पर लगी और एक गोली पुलिस वाहन पर लगी. इंस्पेक्टर विनोद कुमार ने आत्मरक्षा में अपनी पिस्टल से गोली चलाई, यह गोली गुरसिदक को लगी, जिससे वह घायल हो गया. विशाल सहित अन्य आरोपी मौके से भागने में सफल रहे. गुरप्रीत सिंह और गुरसिदक को इलाज के लिए सिविल अस्पताल ले जाया गया. गुरसिदक ने अस्पताल में दम तोड़ दिया. हमलावरों के पाकिस्तान और आईएसआई से संबंधों की भी जांच की जा रही है.

शुक्रवार की देर रात हुआ था मंदिर पर हमला

मामले में तीन युवकों को गिरफ्तार किया गया था. तीनों को बिहार से अरेस्ट किया गया था. ये नेपाल भागने की फिराक में थे. इन युवकों पर आरोप है कि उन्होंने मंदिर पर हमला करने वाले आरोपियों को ग्रेनेड और हथियार सप्लाई करते थे.सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो के मुताबिक, दो अज्ञात व्यक्ति मोटरसाइकिल पर सवार होकर मंदिर पहुंचे थे. कुछ सेकंड रुकने के बाद उनमें से एक ने मंदिर की ओर कुछ विस्फोटक सामग्री फेंकी और मौके से भाग गया. जैसे ही वे भागे, मंदिर में एक बड़ा धमाका हुआ.

यह घटना रात देर रात 12:35 बजे हुई. गनीमत यह रही कि इस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ, लेकिन इससे अमृतसर के खंडवाला इलाके के निवासियों में दहशत फैल गई है. मंदिर पर जब यह हमला हुआ तब मंदिर के पंडित भी अंदर सोए हुए थे पर उन्हें कुछ नहीं हुआ. पुलिस ने हमलावरों की पहचान करने और हमले की प्रकृति को समझने के लिए सीसीटीवी फुटेज के आधार पर जांच शुरू की थी.