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छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग ने प्रिलिम्स का रिजल्ट किया जारी, 3737 अभ्यर्थियों ने मेंस के लिए किया क्वालीफाई, यहां करें चेक
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रायपुर- छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) ने प्रीलिम्स 2024 का रिजल्ट जारी कर दिया है। इस परीक्षा के माध्यम से डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी, आबकारी सब इंस्पेक्टर समेत 17 सेवाओं के 246 पदों पर भर्ती की जाएगी। परीक्षा 9 फरवरी 2025 को दो पालियों में आयोजित हुई थी। जारी परिणाम के अनुसार, कुल 3737 अभ्यर्थियों ने मुख्य परीक्षा (मेंस) के लिए क्वालीफाई किया है। अभ्यर्थी अपना परिणाम आयोग की आधिकारिक वेबसाइट psc.cg.gov.in पर या नीचे दी गई इमेज पर क्लिक कर देख सकते हैं।

बता दें कि इस भर्ती प्रक्रिया में 246 पदों में से सर्वाधिक 90 पद आबकारी सब इंस्पेक्टर के हैं। वहीं, डिप्टी कलेक्टर के 7 और डीएसपी के 21 पद शामिल हैं। पिछले साल डीएसपी का कोई पद नहीं था, लेकिन इस बार आयोग ने 21 पदों पर भर्ती के लिए वैकेंसी निकाली है।

रिजल्ट देखने के लिए नीचे दी गई इमेज पर क्लिक करें

मेंस परीक्षा की तिथि घोषित

प्रीलिम्स परीक्षा में सफल होने वाले अभ्यर्थी अब मुख्य परीक्षा (मेंस) में शामिल होंगे। आयोग ने मेंस परीक्षा की तिथि 26, 27, 28 और 29 जून 2025 निर्धारित की है। चयनित उम्मीदवारों को मेंस परीक्षा के लिए अलग से आवेदन करना होगा, जिसके संबंध में जल्द ही अधिसूचना जारी होगी।

ई-वे बिल जांच के नाम पर अवैध वसूली का मामला सदन में उठा: अनुज शर्मा ने उठाया मुद्दा
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रायपुर- ई-वे बिल जांच के नाम पर वसूली का मामला भाजपा विधायक अनुज शर्मा ने ध्यानाकर्षण के जरिए सदन में उठाया. अनुज शर्मा ने कहा कि ई-वे बिल के नाम पर भ्रष्टाचार किया जा रहा है. वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने कहा कि जांच के नाम पर अवैध वसूली की कोई शिकायत नहीं मिली है।

भाजपा विधायक अनुज शर्मा ने ई-वे बिल के नाम पर गाड़ियों को रोका जाता है, लेकिन लेन देन कर छोड़ दिया जाता है. व्यवसाइयों को बेवजह परेशान किया जा रहा है. वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने कहा कि जांच के नाम पर अवैध वसूली की कोई शिकायत नहीं मिली है. एप के जरिए वाहनों की जांच की जाती है. बिल नहीं पाये जाने पर विभाग के अधिकारियों को वीडियो अपलोड कर व्हाट्स एप पर सूचना दी जाती है. 31 करोड़ को शास्ति वसूल की गई.

मंत्री ने बताया कि विभाग द्वारा चुनिदा अधिकारियों की एक ही जगह पर ड्यूटी नहीं लगाई गई है. पूरे प्रदेश में ई वे बिल जांच के लिए 15 टीमों का गठन किया गया है. 63 अधिकारी ई-वे बिल की जांच कर रहे हैं. कर अपवंचन करने वाले लोगों के खिलाफ ही कार्रवाई की जाती है. कर अपवंचन रोकने विभाग द्वारा कार्रवाई की जाती है. कारोबारियों से अवैध वसूली नहीं की जाती है.

अनुज शर्मा ने कहा कि बिना ई-वे बिल के समान भेजने वाले कारोबारियों के ख़िलाफ़ क्या कार्रवाई की जाती है? मंत्री ने बताया कि कोई भी कारोबारी एप के जरिए दो मिनट के भीतर ई-वे बिल जारी कर सकता है. किसी भी टोल पर ऐसी गाड़ी आसानी से स्कैन हो जाती है. भारत सरकार का सॉफ्टवेयर बीफा है, जिसके जरिए आसानी से ट्रैकिंग की जा सकती है. ई-वे बिल जारी करने की लिमिट पचास हजार रुपए से बढ़ाकर एक लाख रुपए कर दिया है.

भाजपा विधायक अनुज शर्मा ने पूछा कि ई-वे बिल जारी कर कारोबार करने वाले कितने कारोबारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की गई? इस पर मंत्री चौधरी ने कहा कि टैक्स वसूली के लिए टेरर क्रिएट करना उद्देश्य नहीं होता है. सॉफ्टवेयर में फ्लैश होने पर कार्रवाई की जाती है. जो ट्रांसपोर्ट करता है, प्रारंभिक जिम्मेदारी उसकी होती है. हमने करीब सौ के आसपास सीमित संख्या में रेड की कार्रवाई की है.

जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुनाव की फिर से बदली डेट, अब इस दिन होगा चुनाव, आदेश जारी…
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रायपुर- जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के चुनाव की तिथि में एक बार फिर से बदलाव किया गया है. पहले यह चुनाव आज (12 मार्च) होना था, लेकिन अपरिहार्य कारणों से इसे संशोधित कर दिया गया है. अब यह चुनाव 20 मार्च को होगा.

इससे पहले निर्वाचन की तिथि 12 मार्च निर्धारित की गई थी, जबकि 17 मार्च को प्रथम सम्मेलन आयोजित किया जाना था. अब जिला प्रशासन द्वारा नई तारीख जारी की गई है, जिसके अनुसार 20 मार्च को मतदान होगा. जिला प्रशासन ने इस संबंध में आधिकारिक आदेश जारी कर दिया है.

देखिये आदेश की कॉपी-

सहायक आयुक्त के घर फिर से पहुंची ACB-EOW की टीम, जांच जारी
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बीजापुर-  छत्तीसगढ़ के बीजापुर में एक बार फिर ACB-EOW की कार्रवाई देखने को मिली है. भ्रष्टाचार के मामले में घिरे सहायक आयुक्त आनंद सिंह के घर पर आज सुबह से एसीबी की टीम जांच कर रही है।

बता दें कि बीते रविवार को भी ACB और EOW की टीम ने सहायक आयुक्त आनंद सिंह के घर दबिश दी थी, लेकिन उनकी अनुपस्थिति के कारण मकान को सील कर दिया गया था. जिसके बाद आज फिर से टीम ने उनके घर पहुंचकर तलाशी शुरू कर दी है.

सहायक आयुक्त और डीएफओ के बंगले में पहुंची थी टीम

रविवार को एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) और आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) की संयुक्त टीम ने बस्तर संभाग के बीजापुर और सुकमा में बड़े पैमाने पर छापेमारी की थी. इस दौरान सहायक आयुक्त के जगदलपुर के धरमपुरा स्थित मकान के साथ-साथ उनके दो रिश्तेदारों के बैलाबाजार और धरमपुरा स्थित अन्य मकानों पर भी दबिश दी गई थी. इसके अलावा ACB और EOW की टीम ने सुकमा के डीएफओ (वन मंडल अधिकारी) समेत कई कारोबारियों के ठिकानों पर भी छापा मारा था. इस कार्रवाई के लिए रायपुर से विशेष टीम बस्तर संभाग पहुंची थी.

नर्सिंग छात्रा की मौत का मामला : CMHO ने जांच के लिए गठित की चार विशेषज्ञों की टीम, रिपोर्ट आने के बाद होगी कार्रवाई, जानिए क्या है पूरा मामला
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बिलासपुर- नर्सिंग छात्रा की मौत के मामले में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) ने चार विशेषज्ञों की जांच टीम गठित की है. टीम जांच कर CMHO को अपना रिपोर्ट सौंपेगी, जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई होगी. बता दें कि यूनिटी अस्पताल में इलाज के दौरान 21 वर्षीय नर्सिंग छात्रा की मौत हो गई थी, परिजनों ने एनेस्थीसिया देने के बाद हालत बिगड़ने और इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया था. यह मामला सिविल लाइन थाना क्षेत्र का है.

क्या है पूरा मामला?

मुंगेली जिले के सिलदहा की रहने वाली 21 वर्षीय किरण वर्मा, शासकीय नर्सिंग कॉलेज लगरा में थर्ड ईयर की छात्रा थी. परिजनों ने बताया कि किरण को गले में थायराइड की गांठ की शिकायत थी. इलाज के लिए डॉक्टरों ने सर्जरी की सलाह दी थी. उन्हें सामान्य ऑपरेशन की जानकारी दी गई थी. इस पर 7 मार्च को परिजन किरण को लेकर यूनिटी हॉस्पिटल पहुंचे. सभी जरूरी टेस्ट के बाद उसे शाम को ऑपरेशन के लिए ले जाया गया. जहां उसे एनेस्थेसिया देने के बाद अचानक उसकी हालत बिगड़ गई. वह झटके के साथ कोमा में चली गई. डॉक्टरों ने आनन-फानन में गले में छेद कर ऑक्सीजन सपोर्ट दिया और उसे आईसीयू में भर्ती कर दिया. इसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने परिजन को कोई जानकारी नहीं दी.

परिजनों का आरोप है कि दो दिन तक किरण को आईसीयू में रखा गया. इस दौरान न तो उससे मिलने दिया और न ही किसी तरह की जानकारी दी गई. फिर 10 मार्च की रात अचानक अस्पताल प्रबंधन ने परिजन को बुलाकर किरण की मौत की सूचना दी. इससे परिजन भड़क गए और अस्पताल में जमकर हंगामा मचाया.

जांच के लिए विशेष टीम गठित

इस मामले में जिला चिकित्सा अधिकारी प्रमोद तिवारी ने चार सदस्यीय टीम का गठन कर जांच शुरू कर दी है. इस टीम में स्त्री रोग विशेषज्ञ, एनेस्थीसिया विशेषज्ञ, नाक-कान-गला रोग विशेषज्ञ और नर्सिंग होम एक्ट की निगरानी करने वाले अधिकारी शामिल हैं. यूनिटी अस्पताल के प्रबंधन से पूछताछ की जा रही है, एक-दो दिन में जांच रिपोर्ट आ जाएगी, जिसके बाद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

रायपुर रेलवे स्टेशन पर दर्दनाक हादसा : ट्रेन की चपेट में आने से युवक की मौत, दो हिस्सों में बंटा शव
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रायपुर- रायपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन पर देर रात एक दर्दनाक हादसा हुआ, जहां एक युवक चलती ट्रेन के सामने गिर गया और मौके पर ही उसकी मौत हो गई. ट्रेन गुजरते ही युवक का शरीर दो हिस्सों में बंट गया, जिससे स्टेशन पर अफरा-तफरी मच गई.

बताया जा रहा है कि युवक अचानक पटरी पर जा गिरा और तेज रफ्तार ट्रेन की चपेट में आ गया. हादसे के बाद रेलवे स्टेशन पर मौजूद यात्रियों में हड़कंप मच गया. सूचना मिलते ही रेलवे पुलिस (जीआरपी) और आरपीएफ मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है. फिलहाल, मृतक की पहचान नहीं हो सकी है, पुलिस मामले की जांच कर रही है कि यह दुर्घटना थी या आत्महत्या.

केलो प्रोजेक्ट में भू-अर्जन में गड़बड़ी पर उबला सदन, भूपेश बघेल ने की सदन की समिति की जांच कराने की मांग
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रायपुर- विधानसभा में आज प्रश्नकाल के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केलो प्रोजेक्ट में जमीनों की अफरा-तफरी का आरोप लगाया. विपक्षी सदस्यों ने सदन की समिति से मामले की जांच कराने की मांग को लेकर हंगामा मचाया. इस पर मंत्री के जवाब से असंतुष्ट होकर विपक्ष ने सदन से बहिर्गमन किया।

कांग्रेस विधायक उमेश पटेल ने प्रश्नकाल के दौरान केलो प्रोजेक्ट में भू-अर्जन का मुद्दा उठाते हुए पूर्णता को लेकर सवाल पूछा. मंत्री टंकराम वर्मा ने बताया कि परियोजना 80% पूरी हो चुकी है. प्रोजेक्ट में 23 प्रकरण लंबित होने के अलग-अलग कारण हैं. इस पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रोजेक्ट में जमीनों की अफरा-तफरी का आरोप लगाते हुए सदन की समिति से मामले की जांच कराने की बात कही.

मंत्री टंकराम वर्मा ने कहा कि विभागीय रुप से जांच कराई जाएगी. इस पर भूपेश बघेल ने कहा कि सदन की समिति से जांच होनी चाहिए. इस पर विपक्ष ने हंगामा मचाते हुए नारेबाजी की. इसके साथ मंत्री के जवाब से असंतुष्ट होकर विपक्ष के सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया.

भारतमाला परियोजना में भ्रष्टाचार का मामला : सरकार ने माना मुआवजा वितरण में हुई बड़ी गड़बड़ी, नेता प्रतिपक्ष ने की CBI जांच की मांग, CM साय बोले
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रायपुर- विधानसभा बजट सत्र के 12वें दिन विपक्ष ने भारतमाला परियोजना में गड़बड़ी का मामला उठाया. नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत ने कहा कि यह बड़ी गड़बड़ी है कई लोग मिले हुए हैं. राजनीतिक दलों के लोग भी मिले हो सकते हैं, इसकी सीबीआई से जांच होने चाहिए. विभागीय मंत्री ने आयुक्त से जांच करने का ऐलान किया. मंत्री के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने वॉकआउट किया.

विधानसभा में राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने भारतमाला परियोजना में गड़बड़ी स्वीकार करते हुए कहा कि अधिसूचना के बाद रकबे का टुकड़ा किया गया. अधिकृत भूमि का दोबारा भू-अर्जन किया गया. ट्रस्ट के बदले ट्रस्ट के व्यक्ति को मुआवजा मिल गया. डिप्टी कलेक्टर, एसडीएम, तहसीलदार और पटवारी पर कार्रवाई की गई है.

इस पर नेता प्रतिपक्ष डॉ चरणदास महंत ने कहा कि जिम्मेदार अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज कर जेल भेज दिया जाए. निलंबन ऐसी प्रक्रिया है, जिससे दोषी जल्द बच जाते हैं. निलंबन से लौटने के बाद फिर अधिकारी उसी हिसाब से काम करते हैं. मेरा हाथ जोड़कर निवेदन है कि मामले की सीबीआई जांच की मांग स्वीकार कर लें.

इस पर राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने मामले की जांच आयुक्त से कराने का ऐलान किया. विषय पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि कांग्रेस की सरकार ने तो सीबीआई को बैन किया था. इस पर नेता प्रतिपक्ष ने विधायकों की समिति बनाकर मामले की जांच कराने की मांग की.

भारतमाला परियोजना में जांच की मांग पर विपक्ष के हंगामे के बीच सत्तापक्ष के विधायक रिकेश सेन ने कटाक्ष करते हुए कहा कि कांग्रेस को केंद्रीय एजेंसी पर कब से भरोसा हो गया. जो लोग सीबीआई को बैन करते हैं. ईडी पर भरोसा नहीं है. वह आज जांच की मांग कर रहे हैं. कांग्रेस विधायक उमेश पटेल ने शिकायत के आधार पर जांच के दायरे पर सवाल उठाया. मंत्री ने कहा कि आयुक्त से विस्तृत जांच कराई जाएगी.

इसके बाद भारतमाला परियोजना के गड़बड़ी पर नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने सत्तापक्ष के जवाब से असंतुष्ट होकर हाईकोर्ट जाने का ऐलान किया. इसके साथ ही पूरे विपक्ष ने सदन से बहिर्गमन किया.

होली से पहले होटलों में खाद्य विभाग की दबिश, जांच में दो सैंपल मिले अमानक
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रायपुर- छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में होली पर्व से पहले खाद्य सुरक्षा विभाग सक्रीय हो गया है. हर साल त्योहारों के समय नकली मावा, पनीर और मिलावटी मिठाइयों की खपत बढ़ जाती है. इसे रोकने के लिए प्रशासन ने सख्ती बरतनी शुरू कर दी है. खाद्य सुरक्षा अधिकारी साधना चंद्राकर, रोशनी राजपूत, बृजेंद्र भारती और सिद्धार्थ पांडे की टीम ने आज होटल पहुंचकर जांच की.

टीम ने विवान फूड (प्रोफेसर कॉलोनी), अग्रवाल मिठाई वाला (दावड़ा कॉलोनी, पचपेड़ी), कलकत्ता स्वीट (टाटीबंध), और न्यू दिल्ली स्वीट्स (रायपुर) से मिठाइयों के नमूने लिए. जांच के दौरान गुलाब जामुन, कुंदा, लूज चमचम और गुझिया के 4 विधिक और 4 सर्विलेंस नमूने एकत्र किए गए. इसके अलावा, 50 नमूने चलित खाद्य प्रयोगशाला में जांचे गए, जिनमें से 48 नमूने मानक पाए गए, जबकि 2 नमूने अवमानक मिले।

भारतीय निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों को लिखा पत्र, चुनाव प्रक्रिया को और सुदृढ़ बनाने पार्टी अध्यक्षों और वरिष्ठ नेताओं को किया आमंत्रित
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रायपुर-  भारतीय निर्वाचन आयोग ने सभी राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों से 30 अप्रैल 2025 तक उन किसी भी अनसुलझे मुद्दों पर सुझाव मांगे हैं, जो संबंधित निर्वाचन रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (ERO), जिला निर्वाचन अधिकारी (DEO) या मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (CEO) के स्तर पर लंबित हैं। राजनीतिक दलों को आज जारी एक व्यक्तिगत पत्र में, आयोग ने यह भी प्रस्ताव रखा है कि पार्टी अध्यक्षों और वरिष्ठ नेताओं के साथ परस्पर सहमति से सुविधाजनक समय पर बातचीत की जाएगी, जिससे स्थापित विधिक प्रावधानों के अनुरूप चुनावी प्रक्रियाओं को और अधिक सशक्त बनाया जा सके।

इससे पहले, गत सप्ताह आयोजित निर्वाचन आयोग के एक सम्मेलन में, मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (CEO), जिला निर्वाचन अधिकारियों (DEO) और निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारियों (ERO) को निर्देश दिया था कि वे राजनीतिक दलों के साथ नियमित संवाद करें, उन बैठकों में प्राप्त सुझावों का समाधान पूर्व निर्धारित विधिक ढांचे के तहत करें और 31 मार्च 2025 तक आयोग को कार्यवाही रिपोर्ट प्रस्तुत करें। आयोग ने राजनीतिक दलों से इस विकेंद्रीकृत संवाद प्रक्रिया का सक्रिय रूप से उपयोग करने का भी आग्रह किया। राजनीतिक दल, 28 प्रमुख हितधारकों में से एक हैं, जिन्हें संविधान और वैधानिक ढांचे के तहत आयोग द्वारा चुनावी प्रक्रियाओं के सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए चिह्नित किया गया है।

आयोग ने अपने पत्र में यह भी उल्लेख किया है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और 1951; निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण नियम, 1960; निर्वाचन संचालन नियम, 1961; माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश; तथा भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा समय-समय पर जारी किए गए दिशा-निर्देश, नियमावली और हैंडबुक (जो निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं) एक विकेंद्रीकृत, मजबूत और पारदर्शी विधिक ढांचे की स्थापना करते हैं, जिससे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों का सफल आयोजन सुनिश्चित हो सके।