झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नाम शानदार उपलब्धि20 साल में झारखंड की साक्षरता दर 53%से बढ़ कर 76 प्रतिशत हो गयी
रांची : झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सत्ता काल में कई उपलब्धि सामने आई जिसमे साक्षरता दर में लगातार सुधार हो रहा है। वर्ष 2000 में 53 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में 76 प्रतिशत हो गई है।
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पुरुषों में साक्षरता दर 83 प्रतिशत और महिलाओं में 70 प्रतिशत है। साक्षरता में लैंगिंक अंतर भी घटकर 17.2 प्रतिशत हो गया है। राज्य में स्नातक छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
शिक्षा के क्षेत्र में शानदार उपलब्धि
झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने वह काम कर दिया जिसे 20 साल में किसी मुख्यमंत्री ने नहीं किया। दरअसल, झारखंड में अब तेजी से साक्षरता में सुधार होने लगा है। स्नातकों की संख्या में जबरदस्त तरीके से इजाफा हो रहा है।
वर्ष 2000 में झारखंड की साक्षरता दर 53 प्रतिशत थी जो वर्ष 2023-24 में बढ़कर 76 प्रतिशत हो गई है। वर्ष 2023-25 में पुरुषों में साक्षरता दर 83 प्रतिशत तथा महिला साक्षरता दर 70 प्रतिशत थी। हालांकि वर्ष 2019-20 की तुलना में साक्षरता में लैंगिंक अंतर 27 प्रतिशत था जो अब घटकर 17.2 प्रतिशत रह गया है।
राज्य सरकार द्वारा विधानसभा में रखी गई झारखंड आर्थिक सर्वेक्षण-2023-24 की रिपोर्ट में इसका उल्लेख करते हुए कहा गया कि राज्य में अशिक्षितों की संख्या तेजी घट रही है, वहीं स्नातकों की संख्या में सात प्रतिशत तथा स्नातकोत्तर की संख्या में एक प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
हालांकि, सर्वेक्षण में शिक्षा में ग्रामीण-शहरी समानता व उच्च शिक्षा तक पहुंच काे बड़ी चुनौती बताते हुए इसमें काम करने की आवश्यकता बताई है।
देश में सिंगल टीचर वाले स्कूलों की संख्या घटी
इधर, देश में सिंगल टीचर वाले स्कूलों की संख्या घटी है, लेकिन झारखंड में ऐसे स्कूलों की संख्या बढ़ गई है। झारखंड आर्थिक सर्वेक्षण-2024-25 की रिपोर्ट के अनुसार, देश में वर्ष 2022-23 में ऐसे स्कूलों की संख्या 8.06 प्रतिशत थी, जो वर्ष 2023-24 में घटकर 7.53 प्रतिशत हो गई है।
इसके उलट झारखंड में इस दौरान सिंगल टीचर वाले स्कूलों की संख्या 17.13 प्रतिशत से बढ़कर 18.78 प्रतिशत हो गई है। राज्य में ऐसे स्कूलों में नामांकन भी बढ़ा है। वर्तमान में इन विद्यालयों में 4.10,199 बच्चे नामांकित हैं। यह सर्वेक्षण यूडायस प्लस में उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के आधार पर किया गया है।
इस बीच, राहत की खबर यह है कि राज्य में ऐसे स्कूलों की संख्या में कमी आई है, जहां शून्य नामांकन होता है। ऐसे स्कूलों की संख्या उक्त अवधि के दौरान 370 से घटकर 199 हो गई है। रिपोर्ट के अनुसार, यह राज्य में शिक्षा में हुए सुधार को दर्शाता है।
शिक्षक और छात्र की संख्यां में सुधार
आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड में स्कूली शिक्षा में छात्र शिक्षक अनुपात (पीटीआर) में सभी स्तरों पर लगातार सुधार हुआ है। हालांकि राष्ट्रीय स्तर पर 25 छात्रों पर एक शिक्षक उपलब्ध हैं, जबकि झारखंड में 35 छात्रों पर एक शिक्षक उपलब्ध हैं।
दूसरी तरफ, उच्च कक्षाओं में शिक्षक-छात्र अनुपात बढ़ता जाता है। रिपोर्ट में शिक्षकों की नियुक्ति की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।
Mar 02 2025, 17:41