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“25 भाषाओं को 'निगल' गई हिंदी, यूपी-बिहार 'हिंदी हार्टलैंड' नहीं…” एमके स्टालिन के दावों में कितना दम* राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है। एनईपी के तहत त्रि-भाषा फॉर्मूले पर तमिलनाडु और केंद्र सरकार आमने-सामने है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन केन्द्र सरकार पर लगातार हिंदी थोपने का आरोप लगा रहे हैं। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने इसके खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। स्टालिन ने गुरुवार को बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार पर हिंदी थोपने को लेकर हमला तेज करते हुए बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा कि हिंदी ने उत्तर भारत की 20 से ज्यादा क्षेत्रीय भाषाओं को निगल लिया है। साथ ही उन्होंने दावा किया कि उत्तर प्रदेश और बिहार कभी भी हिंदी क्षेत्र नहीं थे।

*यूपी-बिहार कभी सिर्फ 'हिंदी भाषी क्षेत्र' नहीं-स्टालिन*
स्टालिन ने एक्स पर एक पोस्ट शेयर करते हुए कहा, 'एक ही हिंदी भाषा को थोपने की कोशिश से प्राचीन भाषाएं मरती हैं। यूपी और बिहार कभी सिर्फ 'हिंदी भाषी क्षेत्र' नहीं थे। उनकी असली भाषाएं अब इतिहास बन चुकी हैं।' स्टालिन ने इस मामले में एक पत्र भी लिखा है, जिसे उन्होंने अपनी पोस्ट के साथ शेयर किया है।

*उत्तर भारतीय भाषाएं दबंग हिंदी-संस्कृत भाषाओं के आक्रमण से खत्म-स्टालिन*
स्टालिन ने लिखा- दूसरे राज्यों के मेरे प्रिय बहनों और भाइयों, क्या आपने कभी सोचा है कि हिंदी ने कितनी भारतीय भाषाओं को निगल लिया है? भोजपुरी, मैथिली, अवधी, ब्रज, बुंदेली, गढ़वाली, कुमाऊंनी, मगही, मारवाड़ी, मालवी, छत्तीसगढ़ी, संथाली, अंगिका, हो, खरिया, खोरठा, कुरमाली, कुरुख, मुंडारी, और कई सारी भाषाएं अब अस्तित्व के लिए हांफ रहे हैं। डीएमके प्रमुख ने कहा, 25 से ज्यादा उत्तर भारतीय भाषाएं दबंग हिंदी-संस्कृत भाषाओं के आक्रमण से खत्म हो चुकी हैं। सदियों पुराने द्रविड़ आंदोलन ने तमिल और उसकी संस्कृति को बचाया है, क्योंकि इसने जागरूकता पैदा की और कई आंदोलन चलाए।

*हिंदी मुखौटा है-स्टालिन*
स्टालिन ने कहा- हिंदी थोपने का विरोध किया जाएगा क्योंकि हिंदी मुखौटा और संस्कृत छुपा हुआ चेहरा है। द्रविड़ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सीएन अन्नादुरई ने दशकों पहले दो भाषा नीति लागू की थी। इसका मकसद यह था कि तमिल लोगों पर हिंदी-संस्कृत की आर्य संस्कृति को न थोपा जाए। *भाषाई विविधता को व्यवस्थित रूप से मिटाने का आरोप* स्टालिन ने नई शिक्षा नीति को बीजेपी की 'योजनाबद्ध' कोशिश करार दिया है ताकि हिंदी को थोपा जा सके। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हुए महाकुंभ में, जहां देशभर से और अलग-अलग संस्कृतियों के लोग आए थे, क्या गैर-हिंदी भाषाओं में साइन बोर्ड लगाए गए थे? स्टालिन यही नहीं रुके। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 आधिकारिक भाषाएं सूचीबद्ध हैं, लेकिन फिर भी कई भाषाओं को इसमें जगह नहीं मिली है। स्टालिन ने आरोप लगाया कि केंद्र का मकसद एकता नहीं, बल्कि केंद्रीकरण के बहाने भाषाई विविधता को व्यवस्थित रूप से मिटाना है।

*हिंदी को लेकर तमिलनाडु- केंद्र के बीच विवाद?*
बता दें कि दक्षिण के राज्यों में पिछले काफी समय से हिंदी को लेकर विवाद है। यह विवाद तब और बढ़ गया, जब नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू हुई, जिसमें हर राज्य के छात्रों को 3 भाषा सीखनी है, जिसमें एक हिंदी शामिल है। तमिलनाडु में ऐतिहासिक रूप से 'दो-भाषा' नीति रही है। इसका मतलब, यहां तमिल और अंग्रेजी पढ़ाई जाती है। इससे पहले 1930 और 1960 के दशक में यहां बड़े पैमाने पर हिंदी विरोधी आंदोलन हो चुके हैं।