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महाकुंभ की भीड़ ने पटना जंक्शन पर मचाया हाहाकार,ट्रेन के टॉयलेट तक में ठूंस-ठूंसकर भरे बुजुर्ग तीर्थयात्री


प्रयागराज : महाकुंभ जाने के लिए पटना जंक्शन पर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। ट्रेन की टॉयलेट तक में बुजुर्ग तीर्थयात्री ठूंस-ठूंसकर भरे हैं।

आपातकालीट्रेन के टॉयलेट तक को नहीं छोड़ा;

महाकुंभ में स्नान करने के लिए पटना जंक्शन पर मारामार जैसे हालात हो गए हैं। अनियंत्रित भीड़, कुंभ स्पेशल ट्रेनों की बोगी में घुसने के लिए धक्कामुक्की करती नजर आई। ट्रेन की टॉयलेट तक में बुजुर्ग तीर्थयात्री ठूंस-ठूंसकर भरे हैं। भीड़ इतनी हो गई, कि बोगी के दरवाजे अंदर से बंद हो गए हैं। आपातकालीन खिड़की से बोगी में घुसने की कोशिश करते हुए लोग नजर आए। 

ट्रेन छूटने की चिंता में चार और पांच नंबर प्लेटफॉर्म पर आपाधापी की स्थिति हो गई। पटना जंक्शन पर अनियंत्रित भीड़ को देखते हुए संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस को राजेंद्र नगर टर्मिनल पर रोक कर रखा गया है।

दो स्पेशल ट्रेनों में इतनी भीड़ हो गई, कि आधे यात्री प्लेटफॉर्म पर ही छूट गए। जिसके बाद हालात पर काबू पाने के लिए रेल पुलिस और आरपीएफ कुंभ स्पेशल ट्रेन के खुलने पर प्लेटफॉर्म पर पहुंची। 

संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस के आने से पहले रेलवे कमांडेंट और सीनियर सीडीएम को पटना जंक्शन भेजा गया है। इस दौरान रेल प्रशासन और यात्रियों के बीच तीखी बहस भी हुई।

वहीं सड़कों पर भारी जाम की स्थिति बनी हुई है। 

महाकुम्भ मेले में पूर्णिमा के अवसर पर अमृत स्नान के दौरान संभावित भारी भीड़ को देखते हुए सोमवार शाम से बिहार से उत्तर प्रदेश में भारी वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई। शाम 5 बजे से लागू इस प्रतिबंध के कारण चिपली सीमा पर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। बिहार में कैमूर पुलिस और यूपी सीमा पर तैनात पुलिस पूरी तरह अलर्ट पर हैं।

एयरो इंडिया 2025 का भव्य आयोजन,राजनाथ सिंह ने कहा, पराक्रम का महाकुंभ


बेंगलुरु: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को बंगलूरू में एयरो इंडिया 2025 का उद्घाटन करने के बाद कहा कि सुरक्षा की कमजोरी में कभी शांति नहीं मिल सकती और मजबूत होकर ही हम बेहतर विश्व व्यवस्था के लिए काम कर पाएंगे।

बेंगलुरू में येलहंका एयरफोर्स स्टेशन पर एयरो इंडिया 2025 का 15वां संस्करण का समारोह चल रहा है। जिसे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह संबोधित भी किया है। इस दौरान राजनाथ सिंह ने वैश्विक अनिश्चितताओं का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि एक बड़े देश के तौर पर भारत हमेशा शांति और स्थिरता का हिमायती रहा है।

रक्षा मंत्री ने आगे कहा, 'हमारे लिए भारतीय सुरक्षा या भारतीय शांति अलग-थलग नहीं है। सुरक्षा, स्थिरता और शांति साझा निर्माण हैं जो राष्ट्रीय सीमाओं से परे हैं। (एयरो इंडिया में) विदेशी देशों के हमारे मित्रों की मौजूदगी इस बात का सबूत है कि हमारे साझेदार एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य के हमारे दृष्टिकोण को साझा करते हैं।'

इस दौरान उन्होंने एयरो इंडिया 2025 की तुलना महाकुंभ से की है। उन्होंने कहा- 'इस समय भारत में महाकुंभ चल रहा है...मुझे भी संगम में डुबकी लगाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। मैं समझता हूं कि एयरो इंडिया के रूप में आज से भारत में एक और महाकुंभ का प्रारंभ हो रहा है। जहां एक तरफ प्रयागराज का महाकुंभ आत्म संधान का कुंभ है, वहीं दूसरी तरफ एयरो इंडिया का यह महाकुंभ अनुसंधान का कुंभ है। जहां एक तरफ प्रयागराज का महाकुंभ आंतरिक मजबूती पर ध्यान दे रहा है, वहीं दूसरी तरफ एयरो इंडिया का यह महाकुंभ हमारी बाहरी मजबूती पर ध्यान दे रहा है। जहां एक तरफ प्रयागराज का महाकुंभ भारत की संस्कृति को दर्शा रहा है, वहीं दूसरी तरफ एयरो इंडिया का यह महाकुंभ भारत की शक्ति को दर्शा रहा है। जहां एक तरफ परंपरा और आध्यात्म का महाकुंभ चल रहा है, वहीं दूसरी तरफ पराक्रम का महाकुंभ चल रहा है'।

एयरो इंडिया 2025 का उद्घाटन करने के बाद बोलते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, आज की अनिश्चितताओं और आज के परिप्रेक्ष्य में उभर रही नई चुनौतियों से निपटने के लिए मिलकर काम करने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा, शांति का वट वृक्ष केवल शक्ति की जड़ों पर ही खड़ा हो सकता है। मेरा मानना है कि हम सभी को एक साथ मज़बूत होना होगा, तभी हम शांति सुनिश्चित कर पाएंगे। रक्षा मंत्री ने आगे कहा कि वैश्विक अनिश्चितता के इस माहौल में भारत एक बड़ा देश है, जहां शांति और समृद्धि है।

एयरो इंडिया 2025 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि रक्षा क्षेत्र की एक विशेषता यह है कि रक्षा औद्योगिक प्रणाली के उत्पादों का ऑर्डर सरकार द्वारा दिया जाता है और सरकार ही उनका उपयोग करती है। केवल सरकार ही उत्पादों के विनिर्माण या निर्यात करने का लाइसेंस दे सकती है। 

इस प्रक्रिया के हर चरण में सरकार की निरंतर भागीदारी होती है। रक्षा मंत्री ने कहा कि 2047 तक विकासशील देश से विकसित देश में परिवर्तन को सुविधाजनक बनाने के लिए सरकार ने हमारे रक्षा उद्योग को समग्र राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण घटक बनाने के लिए कई परिवर्तनकारी कदम उठाए हैं।

उन्होंने कहा कि हमारे विदेशी मित्रों के लिए हमने नए रक्षा लाइसेंस चाहने वाली कंपनियों के लिए ऑटोमैटिक मोड से 75% तक एफडीआई की अनुमति दी है। 

व्यापार करने में आसानी बढ़ाने, 6-8 ग्रीनफील्ड परीक्षण और प्रमाणन सुविधाओं की स्थापना करने, एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए रक्षा परीक्षण अवसंरचना योजना शुरू की गई थी। डेफएक्सपो पोर्टल ने निर्यात प्राधिकरण को सहज बना दिया है। रक्षा निर्यात केंद्र के रूप में भारत के उभरने के प्रमाण के रूप में भारत में वित्तीय वर्ष 2013-14 की तुलना में पिछले 10 वर्षों में रक्षा उत्पादों के निर्यात में 31 गुना वृद्धि हुई है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि युद्ध की प्रकृति तेजी से बदल रही है। इसलिए हमें लगातार समाधानों को अनुकूलित और बेहतर बनाने की आवश्यकता है। उदाहरण के शुद्ध हार्डवेयर-आधारित प्रणाली पर निर्भरता तेजी से सॉफ्टवेयर-आधारित प्रणालियों द्वारा प्रतिस्थापित की जा रही है। आज सैन्य अभियानों में संचार और डाटा-साझाकरण की प्रकृति बहुत अधिक जटिल होती जा रही है। अंतरिक्ष-आधारित नेविगेशन प्रणाली, अंतरिक्ष-आधारित संचार और निगरानी पर हमारी निर्भरता का अर्थ है कि अंतरिक्ष-आधारित परिसंपत्तियों को हमारी परिचालन योजनाओं में एकीकृत करना होगा। 

हाल के संघर्षों में ड्रोन का उपयोग यह दर्शाता है कि भविष्य मानवयुक्त, मानवरहित और स्वायत्त युद्ध प्रणालियों के एकीकृत प्रयासों पर निर्भर करेगा। इसलिए रक्षा विनिर्माण पर हमारे प्रयासों को इन उभरते क्षेत्रों के लिए जवाबी उपाय बनाने पर ध्यान केंद्रित करना होगा। 

उन्होंने कहा, 'अगर आप भारत के इतिहास का आकलन करेंगे, तो आप पाएंगे कि हमने न तो किसी देश पर हमला किया है और न ही हम किसी बड़ी शक्ति की प्रतिद्वंद्विता में शामिल रहे हैं।' उन्होंने कहा, 'एक बड़े देश के रूप में भारत हमेशा शांति और स्थिरता का हिमायती रहा है। और जब मैं यह कह रहा हूं, तो यह सिर्फ कहने की बात नहीं है, बल्कि यह हमारे मौलिक आदर्श की बात है।' 

येलहंका एयरफोर्स स्टेशन पर एशिया की सबसे बड़ी एयरोस्पेस और रक्षा प्रदर्शनी माने-जाने वाले एयरो इंडिया के 15वें संस्करण के उद्घाटन के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसके थीम 'द रनवे टू ए बिलियन ऑपर्च्युनिटीज' की ओर इशारा करते हुए, 'मेरा मानना है कि इससे अधिक उपयुक्त थीम कोई और हो ही नहीं सकती। यह हमें बताता है कि एक अरब से अधिक लोगों वाले हमारे देश में, एक अरब अवसरों को मूर्त रूप देते हुए, यह एयरो शो उससे कम कुछ नहीं हो सकता।' 

उन्होंने कहा, आज से शुरू हो रहे एयरो इंडिया के कई उद्देश्य हैं, 'एयरो इंडिया का पहला महत्वपूर्ण उद्देश्य न केवल हमारी औद्योगिक क्षमता बल्कि हमारी तकनीकी प्रगति को भी पूरी दुनिया के सामने प्रदर्शित करना है। यह हमारे राष्ट्र की सुरक्षा के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।' राजनाथ सिंह ने कहा कि इससे भी बड़ा उद्देश्य मित्र देशों के साथ हमारे सहजीवी संबंधों को और मजबूत करना है। 

वायुसेना प्रमुख एपी सिंह और सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने एलसीए तेजस लड़ाकू विमान के प्रशिक्षक संस्करण में उड़ान भरी।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आज एयरो इंडिया के मंच पर दुनिया भर से सरकारी प्रतिनिधि, उद्योग जगत के नेता, वायुसेना के अधिकारी, वैज्ञानिक, रक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञ, स्टार्ट-अप, शिक्षाविद और कई अन्य हितधारक एक साथ आए हैं। उन्होंने कहा, 'यह संगम हमारे साझेदारों को एक साथ लाने में प्रभावी होगा, जिससे आखिर में हम सभी को लाभ होगा।

रक्षा मंंत्री ने इस दौरान कहा- आज भारत में जो एक जीवंत और संपन्न रक्षा उद्योग का पारिस्थितिकी तंत्र बना है, उनके पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, हमारी सरकार द्वारा एक ठोस, टिकाऊ और अच्छी तरह से सोचा गया रोडमैप है। ऐतिहासिक रूप से रक्षा औद्योगिक क्षेत्र पर, भारत में एक गैर-आर्थिक क्षेत्र की तरह देखा जा रहा था। इसे राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के एक घटक के रूप में नहीं देखा गया था, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा को केवल एक अपरिहार्य आवश्यकता के रूप में देखा गया था।

नौसेना विमानन में बड़ी संख्या में किए जा रहे नवाचार :दिनेश के त्रिपाठी

वहीं एयरो इंडिया 2025 पर नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने कहा, 'नौसेना विमानन में बड़ी संख्या में नवाचार किए जा रहे हैं और यह समय की मांग है क्योंकि आपको विरोधी से एक कदम आगे रहना होगा। हमारे पास हाल ही में P8I विमान की तरफ से एयर-ड्रॉप करने योग्य कंटेनर है जो विस्तारित दूरी पर हमारे बेड़े का समर्थन कर सकता है। हमारे पास स्वदेशी रूप से विकसित रुद्रम मिसाइल है जिसे मिग 29 के साथ एकीकृत किया गया है और हम ऐसे कई और नवाचारों की कोशिश कर रहे हैं जो हमारे नौसेना विमानन की लड़ाकू क्षमता को बढ़ाएंगे'।

उज्जैन में दर्दनाक हादसा: गले में फंसा अंगूर, 16 माह के बच्चे की मौत


उज्जैन:- 16 माह के बालक के गले में अंगूर फंसने से उसकी मौत हो गई। मामले में माधवनगर पुलिस ने मर्ग कायम किया है। 

बालक अपनी मां के साथ पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद से उज्जैन आया था। यहां उसकी मां देवास रोड स्थित अभिनंदन परिसर में लगे मेले में बैग की दुकान संचालित कर रही थी।

बेंगलुरु का विधान सौधा पर्यटकों के लिए खुलेगा,फरवरी के आखिरी सप्ताह से शुरू होगी विधान सौधा की पर्यटन यात्रा


बेंगलुरु: जल्द ही पर्यटकों के लिए खुलने वाला है कर्नाटक विधान सभा (विधान सौधा) के द्वार। अब बेंगलुरु में स्थित विधान सौधा के अंदर पर्यटक प्रवेश कर सकेंगे। 

मीडिया रिपोर्ट से मिली जानकारी के अनुसार पिछले दिनों ही राज्य के पर्यटन मंत्री एचके पाटिल ने बताया कि पर्यटक और टूर ऑपरेटरों के लिए विधान सौधा के द्वार खोल दिये जाएंगे।लेकिन कब से? विधान सौधा के कौन से क्षेत्रों में पर्यटकों के जाने की अनुमति होगी? आइए विस्तार से इस बारे में जान लेते हैं.

 मीडिया रिपोर्ट में एचके पाटिल के हवाले से बताया गया है कि फरवरी के आखिरी सप्ताह में बेंगलुरु के विधान सौधा को पर्यटकों के लिए खोल दिया जाएगा। 

मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि बेंगलुरु का विधान सौधा एक पर्यटन स्थल है। जो लोग कर्नाटक इंटरनेशनल ट्रैवल एक्सपो (KITE) में हिस्सा लेने के लिए आएंगे, वे विधान सौधा के अंदर प्रवेश कर सकेंगे।

यह एक्सपो 26 फरवरी से शुरू होगा, जो 3 दिनों तक चलेगा। इस एक्सपो में आने वाले मेहमान विधान सौधा के एसेंबली और काउंसिल हॉल, गैलरी और विधान सौधा के कॉरिडोर में घूम सकेंगे। बताया जाता है कि बेंगलुरु इंटरनेशनल एग्जिबिशन सेंटर में KITES का आयोजन होगा, जिसमें 400 से ज्यादा खरीदार और विक्रेता, 150 से ज्यादा एग्जिबिटर्स और करीब 25 देशों के सदस्यों ने इसके लिए रजिस्टर किया है।

पाटिल ने आगे बताया कि विधान सौधा की गैलरी में कर्नाटक की ऐसी कई प्रतिष्ठित लेकिन कम लोकप्रिय जगहें हैं, जो कई ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी रह चुका है, की तस्वीरें भी देखने को मिलेगी। इस साल KITES का दूसरा संस्करण आयोजित होने वाला है। इससे पहले साल 2019 में KITES का पहला संस्करण आयोजित हुआ था।

आमतौर पर इसे हर साल आयोजित किया जाना चाहिए लेकिन बीच में कोरोना महामारी की वजह से कुछ साल इसका आयोजन नहीं हो पाया था। अब से इसे हर साल आयोजित किया जाएगा, जो न सिर्फ पर्यटकों को आकर्षित करेगा बल्कि राज्य के GDP को बढ़ाने में भी मददगार साबित होगा।

बेंगलुरु में नहीं मिल रहे होटल-कैब, एयर शो के कारण बढ़ी मुश्किलें


बेंगलुरु: देश की सिलिकॉन सिटी बेंगलुरु में पांच दिन तक होटल, रेस्तरा और कैब मिलना मुश्किल हैं. इन सभी की बुकिंग हो चुकी है. होटल में जो कमरे बचे हैं वह दोगुना दामों में बुक किए जा रहे हैं, इनमें 5 और 3 स्टार के होटल भी शामिल हैं. ऐसे हालात यहां होने जा रहे एयर शो के कारण बने हैं. 

बेंगलुरु एयर शो की उल्टी गिनती शुरू हो गई है, शहर में ट्रैवल एजेंसियों पर लग्जरी कारों सहित सभी प्रकार की कारों की बुकिंग हो चुकी है.

येलहंका वायुसेना अड्डे पर आयोजित हो रहे एयर शो के कारण बेंगलुरू शहर और आसपास के क्षेत्रों में जहां एयर शो आयोजित किया जा रहा है, वहां किराए पर कमरे उपलब्ध नहीं हैं. अगर आपको कमरा चाहिए तो इसके लिए दोगुनी राशि चुकानी होगी. 

आरोप लगे हैं कि एयर शो के नाम पर दोगुनी रकम मांगी जा रही है.एयर शो के दौरान शहर में कमरों, टैक्सियों और कैब की बुकिंग में तेजी आई है. यह एयर शो 10 से 14 फरवरी तक आयोजित किया जाएगा और शहर के अधिकांश होटल और लॉज पहले ही बुक हो चुके हैं.

सूत्रों ने बताया कि एयर शो देखने के लिए विदेश से भी लोग पहुंचेंगे और ट्रैवल्स के पास बीएमडब्ल्यू, ऑडी और बेंज समेत सभी मॉडल की कारें पहले ही बुक हो चुकी हैं. एयर शो के पांच दिनों के लिए शहर में कमरे और टैक्सी मिलना मुश्किल हैं. ऑरेंज ट्रैवल्स के मालिक प्रशांत ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनकी और उनके दोस्तों की सभी यात्राओं के लिए कारें बुक हो चुकी हैं. 

उन्होंने बताया कि उन्होंने अन्य राज्यों से टैक्सी बुलाकर कैब सेवा उपलब्ध कराने की व्यवस्था की है.ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है कि हुनसेमरनहल्ली, येलहंका, देवनहल्ली और हेब्बल, जहां एयर शो हो रहा है, के आसपास के होटलों में एक भी कमरा उपलब्ध नहीं है. 

शहर में पांच दिवसीय एयर शो को लेकर कमरे, होटल और टैक्सियां पांच दिनों के लिए बुक हो चुकी हैं. इसलिए, अगर आपको कोई जरूरी काम हो तो पहले से ही कैब या कमरा बुक कर लेना बेहतर है.दूसरी ओर, एयर शो के दौरान बेंगलुरु के केम्पेगौड़ा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उड़ान परिचालन में भी व्यवधान रहेगा, जिससे हवाई यात्री प्रभावित होंगे. 

एयर शो के विशिष्ट घंटों के दौरान बैंगलोर हवाई अड्डे पर कोई लैंडिंग या टेकऑफ नहीं होगा.

आज बर्थ डे स्पेशल : 'पंजाब केसरी' लाला लाजपत राय की जयंती आज,जाने उनके जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

नयी दिल्ली : इतिहास के पन्नो को पलट के देखेंगे को पाएंगे हर दिन अपने आप में महत्व रखता है. इसी कड़ी में 28 जनवरी साल 1865 में 'पंजाब केसरी' के नाम से मशहूर स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय का जन्म हुआ था. लालाजी कम उम्र में ही आजादी के संघर्ष में शामिल हो गए थे. 

30 अक्टूबर 1928 को साइमन कमीशन के विरोध की लालजी अगुवाई कर रहे थे. इस दौरान अंग्रेज अधिकारीयों ने विरोध कर रहे लोगों पर लाठीचार्ज कर दी.. इस लाठीचार्ज में लालजी बुरी तरह घायल हो गए. इसी चोट की वजह से 17 नवंबर 1928 को उनका निधन हो गया. अपने ऊपर हुए आत्मघाती हमले के दौरान लालजी ने कहा था कि 'मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी ब्रिटिश साम्राज्य के ताबूत की आखिरी कील साबित होगी', और असल में ऐसा हुआ भी.

लाला लाजपत राय कौन थे?

लाला लाजपत राय लाल-बाल-पाल तिकड़ी (लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक और बिपिन चंद्र पाल) के नेता थे, जिन्होंने स्वराज की वकालत की और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सबसे आगे थे. 1928 में, लाला लाजपत राय ने ब्रिटिश संसदीय समूह साइमन कमीशन के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया. विरोध के दौरान, उन पर बेरहमी से लाठीचार्ज किया गया, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए और अंततः 17 नवंबर, 1928 को उनकी मृत्यु हो गई.

लाला लाजपत राय जयंती का महत्व

लाला लाजपत राय की जयंती महान नेता के बलिदान को याद करने और उनके योगदान का सम्मान करने का एक शानदार अवसर है. उनके आदर्श आज भी पीढ़ियों को प्रेरित करते हैं. लाला लाजपत राय देश के स्वतंत्रता संग्राम, सामाजिक सुधार और शिक्षा में अपने महान योगदान के लिए भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं. राय भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में एक प्रमुख व्यक्ति थे, जिन्होंने स्वदेशी आंदोलन, असहयोग आंदोलन और ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ अन्य संघर्षों में सक्रिय रूप से भाग लिया. कई संस्थानों, सड़कों और स्थलों का नाम उनके नाम पर रखा गया है, जैसे कि दिल्ली में लाजपत नगर और हरियाणा के हिसार में लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय.

भारत और चीन के बीच सहमति से फिर शुरू होगी कैलाश मानसरोवर यात्रा

नयी दिल्ली : देश मंत्रालय की ओर से जारी जानकारी के मुताबिक, भारत और चीन ने कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू करने का फैसला किया। भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री और चीनी मंत्री वांग यी के बीच में हुई मुलाकात में यह फैसला लिया गया।

बता दें कि, काफी लंबे समय से कैलाश मानसरोवर यात्रा बंद है।

विदेश मंत्रालय ने कहा कि, भारत और चीन संबंधों को स्थिर करने और पुनर्निर्माण के लिए कुछ जन-केंद्रित कदम उठाने पर भी सहमत हुए है।

बता दें कि, विदेश सचिव विक्रम मिसरी इन दिनों चीन की यात्रा पर गए हुए हैं।

संजय पाठक पर सहारा घोटाले का आरोप,1,000 करोड़ की जमीन 90 करोड़ में बेची गई

भोपाल, जबलपुर और कटनी में सहारा समूह की 310 एकड़ जमीन को औने-पौने दाम में बेचने के पहले समूह की तरफ से 10 से अधिक सब्सिडियरी कंपनियां बनाई गई थीं। इन्हें जमीन भेजने के लिए अधिकृत किया गया था।

भाजपा विधायक संजय पाठक के स्वजन की हिस्सेदारी वाली दो कंपनियों को जमीन की रजिस्ट्री इन्हीं कंपनियों ने कराई थी। एक- एक रजिस्ट्री में विक्रेता के तौर पर 10 से अधिक कंपनियों के नाम हैं। अब आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) इन कंपनियों की भूमिका की जांच कर रहा है। इस मामले में जल्द ही एफआइआर भी हो सकती है।

ईओडब्ल्यू कर रहा जांच

ईओडब्ल्यू यह पता कर रहा है कि बिक्री से प्राप्त राशि किन खातों में जमा कराई गई। इसके बाद राशि कहां गई। कंपनियों को जमीन के विक्रय के लिए किसने अधिकृत किया था। जमीन बिक्री के लिए एक करोड़ रुपये ब्रोकरेज शुल्क की राशि किन खातों में गई। यह राशि किन-किन खातों में घूमी।

कलेक्टर गाइडलाइन में नहीं बढ़े जमीन के रेट

सहारा समूह की बेची गई कुल 310 एकड़ जमीन में से 110 एकड़ भोपाल में मक्सी गांव में है। सूत्रों ने बताया कि इस क्षेत्र की जमीन के रेट कलेक्टर गाइड लाइन में कई वर्ष से नहीं बढ़े हैं। यह भी बड़ा सवाल है।एक पूर्व मुख्य सचिव व अन्य अधिकारियों के दबाव के चलते जमीन के रेट नहीं बढ़ने की बात सामने आ रही है।इसका लाभ जमीन खरीदने वाले को मिला।

हजार करोड़ की जमीन 90 करोड़ रुपये में बेची गई

दूसरा, यह आवासीय जमीन थी जिसे कृषि भूमि बताकर बेचा गया। वर्तमान मूल्य के हिसाब से बेची गई 310 एकड़ जमीन की कीमत लगभग एक हजार करोड़ रुपये थी, जिसे 90 करोड़ रुपये में बेचा गया। इस तरह स्टांप और पंजीयन शुल्क के रूप में शासन को 90 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

सहारा सिटी बनाने के लिए खरीदी गई थी भूमि

सहारा इंडिया रियल स्टेट कार्पोरेशन लिमिटेड और सहारा हाउसिंग कार्पोरेशन इंवेस्टमेंट समूह द्वारा विभिन्न शहरों में निवेशकों से धन जुटाकर सहारा सिटी बनाने के उद्देश्य से भूमि खरीदी गई थी।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार इस जमीन की बिक्री से मिली राशि सेबी के खाते में जमा कराना था, जिससे निवेशकों को राशि लौटाई जा सके, पर राशि सहारा इंडिया रियल स्टेट लिमिटेड, सहारा हाउसिंग इंवेस्टमेंट कार्पोरेशन एवं निजी शैल कंपनियों के खातों में जमा कराई गई।

महाकुंभ 2025: बच्चों के साथ यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए जाने ये 5 जरूरी उपाय

महाकुंभ 2025 जैसे बड़े धार्मिक आयोजन में लाखों लोग शामिल होते हैं, जिससे भीड़भाड़ का माहौल रहता है। बच्चों के साथ यात्रा करना एक बड़ी जिम्मेदारी है। यहां 5 ऐसे जरूरी कदम बताए गए हैं, जो आपकी यात्रा को सुरक्षित और सुगम बनाएंगे।

1. बच्चों को पहचानने योग्य बनाएं

बच्चों को ऐसे कपड़े पहनाएं जो दूर से पहचान में आ सकें। उनके कपड़ों में एक पहचान पत्र (ID) लगाएं, जिसमें उनका नाम, माता-पिता का नाम, फोन नंबर और पता लिखा हो। यह गुम होने की स्थिति में मददगार साबित होगा।

2. भीड़ से बचने के लिए समय और स्थान का चयन करें

महाकुंभ के दौरान सबसे ज्यादा भीड़ स्नान पर्व पर होती है। बच्चों के साथ यात्रा के लिए सुबह जल्दी या शाम को कम भीड़भाड़ वाले समय का चयन करें। बच्चों को मुख्य घाटों की भीड़ में ले जाने से बचें।

3. बच्चों को सुरक्षा नियम समझाएं

यात्रा से पहले बच्चों को सिखाएं कि अगर वे गुम हो जाएं तो क्या करें। उन्हें बताएँ कि वे किसी पुलिसकर्मी, सुरक्षा कर्मी या आयोजन स्थल के वॉलंटियर की मदद लें।

4. GPS ट्रैकर या स्मार्टवॉच का इस्तेमाल करें

बच्चों को GPS ट्रैकर या स्मार्टवॉच पहनाएं, जिससे आप उनकी लोकेशन ट्रैक कर सकें। यह तकनीक गुम होने की स्थिति में बहुत उपयोगी होती है।

5. योजना बनाकर यात्रा करें

यात्रा से पहले महाकुंभ के नक्शे का अध्ययन करें। बच्चों के लिए एक निश्चित मिलन स्थल तय करें और उन्हें इसके बारे में जानकारी दें। इसके अलावा, भीड़भाड़ वाले स्थानों में हमेशा बच्चों का हाथ पकड़े रहें।

इन सावधानियों को अपनाकर आप महाकुंभ 2025 की यात्रा को बच्चों के साथ सुरक्षित और यादगार बना सकते हैं।

पिंगली वेंकैया ने किया तिरंगे का डिजाइन, जानें इसके रंगों और चक्र का रहस्य


भारत का राष्ट्रीय ध्वज न केवल हमारे देश की स्वतंत्रता का प्रतीक है, बल्कि यह देश की एकता, विविधता और सांस्कृतिक विरासत को भी दर्शाता है। आइए जानते हैं इसके डिजाइन, रंगों का अर्थ और इसके इतिहास के बारे में विस्तार से।

1. राष्ट्रीय ध्वज का डिजाइन किसने तैयार किया?

भारत के राष्ट्रीय ध्वज का वर्तमान स्वरूप पिंगली वेंकैया ने तैयार किया था।

पिंगली वेंकैया एक स्वतंत्रता सेनानी और कृषि वैज्ञानिक थे।

उन्होंने 1916 में भारतीय ध्वज के लिए कई डिजाइनों पर काम किया।

1931 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने उनके डिजाइन को संशोधित रूप में स्वीकार किया।

22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने इसे स्वतंत्र भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया।

2. ध्वज का स्वरूप और रंगों का रहस्य

राष्ट्रीय ध्वज को "तिरंगा" कहा जाता है क्योंकि इसमें तीन क्षैतिज पट्टियां हैं। हर रंग का अपना विशेष महत्व है:

केसरिया रंग (ऊपरी पट्टी)

यह साहस, बलिदान और शक्ति का प्रतीक है।

यह देशवासियों को निस्वार्थ सेवा और समर्पण का संदेश देता है।

सफेद रंग (मध्य पट्टी)

यह शांति, सच्चाई और पवित्रता का प्रतीक है।

यह देश में शांति और सद्भाव बनाए रखने का संदेश देता है।

हरा रंग (निचली पट्टी)

यह समृद्धि, हरियाली और प्रगति का प्रतीक है।

यह पर्यावरण और कृषि के महत्व को दर्शाता है।

3. अशोक चक्र का महत्व

सफेद पट्टी के केंद्र में अशोक चक्र स्थित है।

यह सम्राट अशोक के सारनाथ स्तंभ से लिया गया है।

चक्र में 24 तीलियां हैं, जो समय, प्रगति और सतत विकास का प्रतीक हैं।

यह धर्म, न्याय और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

4. राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास

1906: पहला भारतीय ध्वज (वंदे मातरम ध्वज) कोलकाता में फहराया गया।.

1921: महात्मा गांधी ने पिंगली वेंकैया के डिजाइन को कांग्रेस के अधिवेशन में प्रस्तुत किया।

1931: तिरंगे को स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक बनाया गया।

1947: भारत के स्वतंत्र होने पर इसे राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया।

5. राष्ट्रीय ध्वज से जुड़े नियम

राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग भारतीय ध्वज संहिता के अनुसार किया जाना चाहिए।

इसे हमेशा सम्मान के साथ फहराया जाना चाहिए।

ध्वज को जमीन पर गिराना, फाड़ना या किसी अनुचित तरीके से इस्तेमाल करना अपराध है।

इसे केवल खादी या हाथ से बुने कपड़े से बनाया जा सकता है।

6. राष्ट्रीय ध्वज का महत्व

राष्ट्रीय ध्वज न केवल भारत की आजादी का प्रतीक है, बल्कि यह हर भारतीय के गर्व, एकता और देशभक्ति का प्रतीक भी है। यह हमें देश के प्रति अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों की याद दिलाता है।

निष्कर्ष:

भारत का राष्ट्रीय ध्वज हमारी आजादी और राष्ट्रीयता का प्रतीक है। इसके रंग और अशोक चक्र हमें साहस, शांति और सतत विकास की प्रेरणा देते हैं। तिरंगा हर भारतीय के लिए गर्व और सम्मान का प्रतीक है।