भिक्षाटन के रूप में स्वच्छता का संकल्प व वचन ले रहे हैं :सरदार पतविंदर सिंह
विश्वनाथ प्रताप सिंह
प्रयागराज। गंगा-यमुना एवं उसके घाट तट को स्वच्छ रखने का संकल्प के रूप में वचन ले रहे हैं आए हुए महाकुंभ मेले में श्रद्धालुओं से बताते चलें पिछले 35 वर्षों से माघ मेला,अर्ध कुंभ,कुंभ,अब महाकुंभ म भी सरदार पतविंदर सिंह भिक्षा के रूप संकल्प-वचन घाट में बैठकर मांग रहे हैं गंगा और यमुना में हो रहे प्रदूषण को लेकर सरदार पतविंदर सिंह महाकुंभ मेले में घूम घूमकर प्ले कार्ड में स्लोगन लिखकर सामाजिक कार्य अपने सहयोगियों के साथ कर रहे हैं।
सरदार पतविंदर सिंह ने कहा कि पैसे नहीं बल्कि गंगा-यमुना और उनके तट को स्वच्छ रखने की मांग करते हैं उन्होंने कहा कि ना पैसा- ना कोई मूल्यवान वस्तु मुझे चाहिए आपसे वचन व संकल्प केअभिलाषी हैं। सरदार पतविंदर सिंह ने लोगों से कहा कि धर्म की नगरी में पान,गुटखा,तंबाकू का नशा ना करें ।भारतीय जनता पार्टी अल्पसंख्यक मोर्चा काशी क्षेत्र,क्षेत्रीय उपाध्यक्ष सरदार पतविंदर सिंह ने पिछले 35 वर्षों से मतदाता जागरूकता अभियान चलाते हुए।
क्षेत्रीय उपाध्यक्ष सरदार पतविंदर सिंह ने मतदाताओं को जागरूक करने की कोई कोर कसर नहीं छोड़ी पिछले 35वर्षों से देश के विभिन्न कोने में भ्रमण कर मतदाताओं को जगाने के लिए ग्राम पंचायत स्तर से मतदान अवश्य करें,लोकतंत्र मजबूत करें का संदेश विभिन्न माध्यमों से दिया जैसे भिखारियों के साथ, विभिन्न धार्मिक स्थलों के प्रांगण में बैठकर मतदाताओं को प्रेरित,मतदाताओं की चरण पादुका साफ कर,मतदाताओं के चरण धोकर,अपने अर्धनग्न शरीर पर सूक्ति वाक्य लिखकर,दीवार लेखन,चौपाल लगाकर,नंगे पांव पद यात्रा,सब से आश्चर्यजनक बात मतदाताओं को जागरूक करने के लिए अपने मुंह पर कालिख पोतने में भी रच मात्र संकोच नहीं किया मतदाताओं के बीच में भ्रमण करते रहे,जूते-चप्पलों की माला पहन कर,गधे पर सवार होकर भ्रमण,मतदाताओं (युवाओं) के चरण पादुका हाथों में सजो कर( एक कदम-मतदान की ओर)बस एक ही उद्देश्य रहा कि मतदाता-मतदान प्रतिशत बढ़ जाए,जागरूकता के लिए कभी किसी से आर्थिक सहयोग नहीं लिया,पिछले 35वर्षों से मतदाता जागरूकता जैसे आदि सामाजिक कार्य देशभर में किए।
अविस्मरणीय है सरदार पतविंदर सिंह का देश प्रेम प्रयागराज सहित देश में अपनी प्रतिभा के कारण सामाजिक क्षेत्र के बीच लोकप्रिय सरदार पतविंदर सिंह पुत्र श्री स्वर्गीय भूपेंद्र सिंह ने अपने जीवन के बाल्यवस्था,युवावस्था की बसंत पूर्ण कर लिए,प्रयागराज अरैल तहसील के गुरु नानक नगर में जन्मे,दिखावे और पक्षपात से दूर सरल स्वभाव के धनी,सादा जीवन उच्च विचार के हिमायती सरदार पतविंदर सिंह सशक्त समाज सेवी हैंl सरदार पतविंदर सिंह से जब भी कोई मिलता है तो ना जाने क्यों देशभक्ति की धारा अंकुरित हो जाती है सुदूर आयोजनों में भी अपनी उपस्थिति ना केवल दर्ज कराते हैं बल्कि वहां अपनी अमिट छाप छोड़ कर भी आते हैं यह कभी ना थकने वाले,कभी न झुकने वाले,अपनी मंजिल तक पहुंचकर ही रुकने वाले सरदार पतविंदर सिंह कई कीर्तिमान स्थापित कर चुके हैं और वह सदैव सरल स्वभाव और सदैव सुलभ रहते हैं जिसका प्रभाव आज भी यहां के आबोहवा में देखने को मिल रहा है या परिलक्षित हो रहा है।
सरदार पतविंदर सिंह की सबसे बड़ी ख़ासियत यह है कि वे स्वयं महत्वकांक्षा से रहित रहकर दूसरों को महत्व प्रदान करते हैं निजी पहचान बनाने की लालसा से दूर रहकर अपने आसपास जुड़े लोगों को महत्त्व प्रदान करने में रुचि रखते हैं जो इनको आम से खास बनाती है बाल्यवस्था से ही नियमित सामाजिक जागरूकता के कार्यों के कार्य सदैव राष्ट्रप्रेम और जन जागृति की अलख जगाते रहते हैं सामाजिक सेवा में सदैव राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत होकर निर्लिप्त भाव से जो सेवा कर रहे हैं वह अविस्मरणीय हैंl मानव समाज को समृद्धिशाली बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैंl प्रयागराज का ऐसा सिख जो(भिक्षा) मांग कर लोकतंत्र को मजबूत करने का आह्वान कर रहा हैl विश्व में एक ऐसा सिख(सरदार पतविंदर सिंह 9335357034)जो पिछले 35 वर्षों से मांग रहा है भिक्षा।
भारत देश के उत्तर प्रदेश प्रांत जिला प्रयागराज के नैनी क्षेत्र में रहने वाले एक सिख जो पिछले 35वर्षों से देश के विभिन्न धार्मिक स्थलों,प्रमुख चौराहों पर भिक्षा मांगते देखा जा सकता है उनका भिक्षा मांगने का तरीका एकदम अलग और अनोखा हैl सिख(सरदार पतविंदर सिंह 9335357034)देशभक्ति से लबालब बचपन से ही समाज में सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ जागरूक करने का कार्य करने वाले संपन्न घराने से ताल्लुक रखने वाले को ऐसा जुनून चढ़ा देशभक्ति का,की भिक्षा मांगने के मार्ग पर चल दियाl भिक्षा भी ऐसी कि अपना पेट या अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए नहीं बल्कि लोकतंत्र को मजबूत करने की भिक्षाlमतदान के गर्भ से ही सरकार का जन्म होता है हमें वचन देना चाहिए कि मतदान के प्रतिशत में लगातार बढ़ोतरी जरूर करेंगे।
देश के लोकतंत्र के गर्भ(मतदान) मे सबको भागीदारी लेनी जरूरी हैl भिक्षा मांगते मांगते इस सिख को पता ही नहीं चला अब तक लोकतंत्र के कितने ही (उत्सव महापर्व) बीत गए समय के चक्र के साथ ही इस सिख युवक का बचपन,जवानी बीत गई और वृद्धावस्था की ओर अग्रसर हो गए किंतु आज भी भिक्षा मांगना नहीं छोड़ाl भिक्षा मांगने के कारण ही इन्होंने विवाह नहीं किया उन्होंने बताया कि पता नहीं अर्धांगिनी कैसी आए जिसे भिक्षा मांगना अच्छा ना लगे और देश भक्ति की मुहिम लोकतंत्र को मजबूत करने की जन जागरूकता अधूरी ना रह जाए इसलिए विवाह व सांसारिक बंधन से मुक्त रहना ही उचित समझाl
Feb 07 2025, 14:54