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बांग्लादेश बार-बार कर रहा शेख हसीना के प्रत्यर्पण की बात, राज्यसभा में विदेश मंत्रालय ने दिया जवाब

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बांग्लादेश की तरफ से बार-बार पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की जा रही है। भारत फिलहाल इस मामले में कोई कार्रवाई करने के मूड में नहीं दिख रहा है। दरअसल, बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण को लेकर पूछे गए एक सवाल का विदेश मंत्रालय ने राज्यसभा में जवाब दिया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि बांग्लादेश ने शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की है जिस पर फिलहाल अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है।

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण को लेकर राज्यसभा में सवाल पूछा गया। इस पर भारत सरकार की ओर से विदेश मंत्री ने जवाब दिया। जवाब में मंत्रालय ने बताया कि बांग्लादेश ने शेख हसीना पर लगे आरोपों का विवरण साझा किया है और उनके प्रत्यर्पण की मांग की है। हालांकि, भारत सरकार ने इस मांग पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है।

इससे पहले बांग्लादेश की तरफ से बताया गया कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की भारत में रहकर की जा रही गतिविधियों पर भारत को अपना विरोध पत्र भेजा है। जिसे ढाका भड़काऊ मानता है। विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन ने गुरुवार को मीडिया को बताया कि बांग्लादेश ने भारतीय कार्यवाहक उच्चायुक्त को एक विरोध पत्र सौंपा है, जिसमें उन्हें विदेश मंत्रालय में बुलाया गया है। तौहीद ने कहा कि ढाका ने पहले भी नई दिल्ली से हसीना को ऐसी गतिविधियों से दूर रखने का अनुरोध किया था, लेकिन ढाका को नई दिल्ली से कोई जवाब नहीं मिला। उन्होंने यह भी कहा कि विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश में भारत के कार्यवाहक उच्चायुक्त के जरिये से गुरुवार को फिर से ऐसे प्रयासों का विरोध किया।

एक सवाल के जवाब में विदेशी सलाहकार ने कहा कि हसीना की हालिया टिप्पणी बहुत आक्रामक थी, जिससे युवा पीढ़ी की भावनाएं आहत हो सकती हैं। हुसैन ने कहा कि हम देखेंगे कि भारत क्या कदम उठाता है। उन्होंने कहा कि ढाका भारत से लगातार अनुरोध करता रहता है कि हसीना ऐसी गतिविधियों से दूर रहें।

बता दें कि बांग्लादेश में हुए तख्तापलट के बाद से ही बांग्लादेशी पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना भारत में शरण लिए हुए हैं। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना अगस्त 2024 से ही भारत में मौजूद है और इस सबके बीच बांग्लादेश की मौजूदा सरकार ने उनके प्रत्यर्पण की मांग जरूर की है लेकिन जिस तरह से भारत सरकार का जवाब आया है वह इस ओर इशारा कर रहा है कि अभी तक शेख हसीना भारत में ही मौजूद हैं और उनके प्रत्यर्पण को लेकर भारत सरकार ने कोई फैसला नहीं किया है। शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ने के बाद से वहां की अंतरिम सरकार ने उनके ऊपर कई केस भी दर्ज किए हैं।

एग्जिट पोल के बाद आप को सताने लगा 'ऑपरेशन लोटस' का डर, केजरीवाल ने बुलाई सभी उम्मीदवारों की बैठक

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दिल्ली में विधानसभा चुनाव के नतीजे शनिवार यानी 8 फरवरी को आने वाले हैं। इससे पहले दिल्ली मे सियासी हलचल बढ़ गई है। सत्तारुढ़ आम आदमी पार्टी को ‘ऑपरेशन लोटस’ का डर सताने लगा है। आप संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया है कि भाजपा उनके उम्मीदवारों पर डोरे डाल रही है। इन आरोपों के बीच अरविंद केजरीवाल ने आज शुक्रवार को पार्टी की बड़ी बैठक बुलाई है। यह बैठक आज करीब साढ़े 11 बजे होगी। केजरीवाल बैठक की अध्यक्षता करेंगे। बैठक में सभी उम्मीदवारों को बुलाया गया है।

कहा जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल ने सभी उम्मीदवारों को चाय पर बुलाया है। सूत्रों का कहना है कि चाय पर चर्चा के बहाने अरविंद केजरीवाल दिल्ली में नतीजों के बाद की परिस्थिति को लेकर रणनीति बनाएंगे। बता दें कि केजरीवाल ने पहले ही आरोप लगाया है कि अब तक उनके 16 उम्मीदवारों को भाजपा की तरफ से फोन किया जा चुका है। उन्हें लालच देकर भाजपा में शामिल करवाने की कोशिश की जा रही है। उम्मीदवारों से कहा जा रहा है कि आप छोड़ कर भाजपा में आ जाओ। मंत्री बना देंगे और 15-15 करोड़ देंगे।

सोशल मीडिया पर केजरीवाल ने लिखा कि कुछ एजेंसी दिखा रही हैं कि भाजपा की 55 से ज्यादा सीटें आ रही हैं। अगर ज्यादा सीटें आ रहीं हैं तो आप उम्मीदवारों को फोन करने की क्या जरूरत है। सभी सर्वे फर्जी हैं। इसके माध्यम से दिल्ली में माहौल बनाकर आप के उम्मीदवारों को साधने की कोशिश की जा रही है।

आप सांसद संजय सिंह ने गुरुवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेसवार्ता में कहा कि इस बार भी भाजपा की सरकार नहीं बनेगी। ऐसे में आप को तोड़कर भाजपा सरकार बनाने का प्रयास कर रही है। आप के सात उम्मीदवारों से भाजपा संपर्क कर 15-15 करोड़ रुपये लेकर पार्टी में शामिल करना चाह रही है। उन्होंने सभी उम्मीदवारों को सचेत रहने की सलाह देते हुए कहा कि भाजपा से जितनी भी कॉल आएं, उनकी रिकॉर्डिंग कर लें। अगर कोई मुलाकात कर पैसे का ऑफर देता है, तो हिडन कैमरे से वीडियो बना लें। बता दें कि कुछ ऐसा ही दावा आप ने 2013 में किया था। उस समय पार्टी ने दिल्लीभर में बड़े-बड़े होर्डिंग लगाकर दावा किया था कि आप के उम्मीदवारों को 20-20 करोड़ रुपये देकर भाजपा में शामिल होने के लिए कहा जा रहा है। आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने 49 दिनों की सरकार चलाने के बाद इस्तीफा दे दिया था।

बता दें कि एग्जिट पोल के अनुमान के बाद से ही आम आदमी पार्टी, भाजपा और कांग्रेस में हलचल बढ़ गई है। ज्यादातर एग्जिट पोल ने दिल्ली में भाजपा की जीत और आम आदमी पार्टी की हार की भविष्यवाणी की है। कांग्रेस का प्रदर्शन इस बार भी बुरा रहने की संभावना है।

कौन हैं मोहिनी जिसके लिए अपनी संपत्ति का एक तिहाई हिस्सा छोड़ गए हैं रतन टाटा, वसीयत में बड़ा खुलासा

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हाल ही में रतन टाटा वसीयत खोली गई। इस वसीयत को खोले जाने के बाद चौंकाने वाली बात सामने आई है। जिसमें 500 करोड़ रुपये की रकम को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। उन्होंने अपनी संपत्ति का एक तिहाई हिस्सा यानी लगभग 500 करोड़ रुपये से ज्यादा एक ऐसी शख्सियत को दिया जिसके बारे में दुनिया कम ही जानती है। कहा जाता है कि इस मिस्ट्रीमैन की के संबंध रतन टाटा के साथ करीब 60 साल पुराने हैं। यह खबर टाटा परिवार के लिए भी चौंकाने वाली है। वैसे इस मामले में किसी का कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।

रतन टाटा की वसीयत में जिस मिस्ट्रीमैन को 500 करोड़ रुपए की संपत्ति देने की बात कही गई है, वो मूल रूप से जमशेदपुर के रहने वाले ट्रैवल सेक्टर के बिजनेसमैन मोहिनी मोहन दत्ता है। वसीयत में देखकर टाटा परिवार के लोग भी काफी स्तब्ध बताए जा रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार दत्ता और उनके परिवार के पास ट्रैवल एजेंसी स्टैलियन का स्वामित्व था, जिसे 2013 में ताज ग्रुप ऑफ होटल्स के पार्ट, ताज सर्विसेज के साथ विलय कर दिया गया था। मोहिनी दत्ता और उनके परिवार के पास स्टैलियन में 80% हिस्सेदारी थी, और शेष का स्वामित्व टाटा इंडस्ट्रीज के पास था। उन्होंने थॉमस कुक की पूर्व सहयोगी कंपनी टीसी ट्रैवल सर्विसेज के डायरेक्टर के रूप में भी काम किया है।

रतन टाटा के करीबी लोगों का कहना है कि दत्ता उनके पुराने साथी थे। परिवार समेत उनके करीबी लोग दत्ता को जानते थे। इस बारे में पूछे जाने पर मोहिनी दत्ता ने कोई जवाब नहीं दिया। रतन टाटा की वसीयत के एग्जीक्यूटर्स में उनकी सौतेली बहनें शिरीन और डीना जेजीभॉय भी शामिल हैं। उन्होंने भी इस पर कुछ नहीं कहा। एक और एग्जीक्यूटर डेरियस खंबाटा ने भी कोई टिप्पणी नहीं की। चौथे एग्जीक्यूटर मेहली मिस्त्री ने कहा, मैं इस व्यक्ति के बारे में कुछ नहीं कहना चाहता।

कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि संपत्ति के वितरण पर गहन जांच हो सकती है। 74 वर्षीय मोहिनी मोहन दत्‍ता टाटा समूह के पूर्व कर्मचारी हैं। उनका दावा है कि वे रतन टाटा के करीबी थे और उनकी वसीयत से बड़ी राशि मिलने की उम्‍मीद भी कर रहे हैं। दत्‍ता ने रतन टाटा की संपत्ति को स्‍वीकार करने पर सहमति भी जता दी है। दत्‍ता का दावा है कि उनकी मुलाकात 24 साल की उम्र में रतन टाटा से हुई थी। सूत्रों का कहना है कि वैसे तो दत्‍ता ने रतन टाटा की ओर से गिफ्ट की गई संपत्ति को स्‍वीकार करने पर राजी हैं, लेकिन उनका मानना है कि यह रकम करीब 650 करोड़ रुपये होगी। इससे रतन टाटा के हितधारकों में चिंता बढ़ गई है।

पिता मुजीबुर्रहमान के आवास पर हमले से भड़कीं हसीना, कहा-वो इमारत को ध्वस्त कर सकते हैं इतिहास नहीं

#sheikh_hasina_replied_they_can_demolish_the_building_but_not_the_history 

बांग्लादेश में बुधवार और गुरुवार की दरमियानी रात जमकर हिंसा हुई है। हिंसक प्रदर्शनकारियों के एक बड़े समूह ने राजधानी ढाका में बांग्लादेश के राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के धनमंडी-32 स्थित आवास को आग लगा दी गई। घर को बुलडोजर से गिरा दिया गया।ये तोड़फोड़ उस समय की गई शेख मुजीब की बेटी और बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानंत्री शेख हसीना के एक ऑनलाइन संबोधन दे रही थीं। 

बांग्लादेश में हिंसक कार्रवाइयों के बीच दिए गए संबोधन में शेख हसीना ने कह कि अगर वह अभी जिंदा हैं, तो निश्चित रूप से कुछ बड़ा काम बाकी है। अगर अल्लाह ने मुझे इन हमलों के बावजूद भी जिंदा रखा है तो कुछ जरूर बड़ा काम करना होगा। अगर ऐसा नहीं होता तो मैं इतनी बार मौत को मात नहीं दे पाती। हसीना ने कहा कि भीड़ बुलडोजर से उनका घर गिरा सकती है, लेकिन इतिहास को मिटाने में सफल नहीं होगी।

हसीना ने भावुक होते हुए कहा, हम धनमंडी की उन यादों को जीते हैं। अब वे उस घर को नष्ट कर रहे हैं। पिछली बार उन्होंने इस घर को आग लगा दी थी। अब वे इसे तोड़ भी रह हैं। क्या मैंने कुछ नहीं किया? क्या मैंने आप सभी के लिए काम नहीं किया? हसीना ने समर्थकों को ऑनलाइन संबोधन में कहा, जिस घर से मेरे पिता ने आजादी का आह्वान किया था, उसे क्यों लूटा गया? मैं अपने लोगों से पूछना चाहती हूं कि इसके पीछे कौन है? मुझे न्याय चाहिए।

शेख हसीना ने आगे कहा कि जिस घर में प्रदर्शनकारियों ने तोड़फोड़ की थी, उस घर से मेरी काफी यादें जुड़ी हुई थी। उन्होंने मोहम्मद यूनुस और उनके समर्थकों को चुनौती देते हुए कहा कि वो लोग राष्ट्रीय ध्वज, संविधान को बुलडोजर से नष्ट कर सकते हैं, जिसे हमनें लाखों शहीदों के जीवन की कीमत पर हासिल किया था। बुलडोजर से इतिहास नहीं मिट सकता।

बता दें कि हसीना के घर के बगल के भूखंड में बने अवामी लीग से जुड़े कई संगठनों के कार्यालय भी ध्वस्त कर दी गई है। प्रदर्शनकारियों ने धानमंडी में रोड पांच स्थित हसीना के दिवंगत पति वाजिद मियां के आवास ‘सुधा सदन’ में भी आग लगा दी है। प्रधानमंत्री पद से इस्तीफे के बाद हसीना के पिछले साल पांच अगस्त को देश छोड़कर चले जाने के बाद से यह आवास खाली पड़ा था।

लता मंगेशकर-देवानंद-बलराज साहनी तक का जिक्र, पीएम मोदी ने इमर्जेंसी के “काले” दिन को किया याद

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बजट सत्र के दौरान कांग्रेस ने कई मुद्दों को लेकर मोदी सरकार को घेरा। बृहस्पतिवार को पीएम मोदी राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई चर्चा का जवाब देने आए तो जमकर कांग्रेस को सुनाया। लोकसभा की तरह राज्यसभा में भी पीएम मोदी ने विपक्ष खासकर कांग्रेस पर तीखे हमले किए। पीएम मोदी ने ओबीसी से लेकर आरक्षण तक कांग्रेस को जमकर घेरा। बलराज साहनी, देवानंद से लेकर किशोर कुमार के साथ हुई ज्यादतियों को याद दिलाया। इसके साथ ही कांग्रेस की रीति-नीति को लेकर भी पीएम मोदी ने करारे वार किए।

अभिव्यक्ति की आजादी के मुद्दे पर कांग्रेस को घेरा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, देश की पहली सरकार थी। नेहरू प्रधानमंत्री थे। मुंबई में मजदूरों की एक हड़ताल हुई, उसमें मशहूर गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी ने एक गीत गाया था- कॉमनवेल्थ का दास है। ये कविता उन्होंने गाई थी। कविता गाने पर नेहरू ने देश के एक महान कवि को जेल में ठूंस दिया। मशहूर अभिनेता बलराज साहनी आंदोलन करने वालों के सिर्फ एक जुलूस में शामिल हुए थे, इसलिए उन्हें जेल में बंद कर दिया गया। लता मंगेशकर के भाई हृदयनाथ मंगेशकर ने वीर सावरकर पर एक कविता स्वरबद्ध करके आकाशवाणी पर प्रस्तुत करने की योजना बनाई, इतने मात्र से हृदयनाथ मंगेशकर को आकाशवाणी से हमेशा के लिए बाहर कर दिया गया। इसके बाद देश ने आपातकाल का भी दौर देखा है। संविधान को किस प्रकार से कुचला गया। संविधान की भावना को किस प्रकार से रौंदा गया, वह भी सत्ता सुख के लिए किया गया।

इमर्जेंसी को लेकर किया गुस्से का इजहार

प्रधानमंत्री ने कहा, मैं इमर्जेंसी के उन दिनों को भूल नहीं सकता और शायद आज भी वो तस्वीरें मौजूद हैं। ये जो लोग लोकतंत्र की बातें करते हैं, मानव गरिमा की बातें करते हैं और बड़े-बड़े भाषण देने के शौकीन हैं।' इतना कहते ही प्रधानमंत्री का चेहरा गुस्से से तमतमा उठा। उन्होंने बेहद गुस्से में कहा, 'आपातकाल में जॉर्ज फर्नांडिस समेत देश के महानुभावों को हथकड़ियां पहनाई गई थीं, जंजीरों से बांधा गया था। संसद के सदस्य, देश के गणमान्य नेता, उनको हथकड़ियां और जंजीरों से बांधा गया था। इनके मुंह में संविधान शब्द शोभा नहीं देता है।'

जो अपने जेब में संविधान को रखते हैं-पीएम मोदी

पीएम मोदी ने इमरजेंसी के दौर को याद दिलाते हुए कहा, संविधान को किस प्रकार से कुचला गया, वो भी सत्ता सुख के लिए किया गया। ये भी देश जानता है। उस दौरान प्रसिद्ध सिने कलाकार देवानंद जी से आग्रह किया गया कि वे इमरजेंसी का सार्वजनिक रूप से समर्थन करें। देवानंद ने इससे इनकार कर दिया और इसलिए दूरदर्शन पर देवानंद की सभी फिल्मों को प्रतिबंधित कर दिया गया। ये लोग संविधान की बातें करते हैं, जो अपने जेब में संविधान को रखते हैं। ये सब उसी का तो परिणाम था। मशहूर गायक किशोर कुमार ने कांग्रेस के लिए गाना गाने से मना किया तो आकाशवाणी पर उनके सभी गानों को प्रतिबंधित कर दिया गया।

जिस तरह से हो मौसम बदलना चाहिए..,राज्यसभा में पीएम मोदी का कांग्रेस पर शायराना कटाक्ष

#pmmodiattackscongressinrajyasabha

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को कांग्रेस पर जमकर बरसे। राज्‍यसभा में राष्‍ट्रपत‍ि के अभ‍िभाषण पर चर्चा का जवाब देते हुए पीएम मोदी ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। पीएम मोदी ने आपातकाल से लेकर दूरदर्शन पर देवानंद की फिल्म तक सभी मुद्दों बारी-बारी से चर्चा कर विपक्ष को आड़े हाथ लिया।संसद में पीएम मोदी का शायराना अंदाज भी चर्चा का विषय रहा। उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधने के लिए एक से बढ़कर एक पंक्तियां पढ़ी।

संसद में विपक्ष पर कटाक्ष करने के लिए पीएम मोदी ने गोपाल दास नीरज की कविता का जिक्र करते हुए कहा कि...

है बहुत अंधियारा, अब सुरज निकलना चाहिए..

जिस तरह से भी हो बस ये मौसम बदलना चाहिए....।।

पीएम मोदी ने आगे कहा कि 1970 जब चारो ओर कांग्रेस ही कांग्रेक का राज चलता था तब फिर गोपाल दास नीरज का एक और कविता प्रकाशित हुआ था। 'फ़िर दीप जलेगा'.. पीएम मोदी ने उस पंक्ति का जिक्र करते हुए कहा कि...'मेरे देश उदास न हो, फिर दीप जलेगा, तिमिर ढलेगा'

इसके बाद पीएम मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कविता का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि आज से 40 साल पहले अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि 'सूरज निकलेगा, अंधेरा छटेगा, कमल खिलेगा'

कांग्रेस को बताया एक परिवार को समर्पित दल

पीएम मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति ने भारत की उपलब्धियों के बारे में, दुनिया की भारत से अपेक्षाओं के बारे में और भारत के सामान्य मानवी का आत्मविश्वास, विकसित भारत का संकल्प जैसे सभी विषयों की विस्तार से चर्चा की थी। देश को आगे की दिशा भी उन्होंने दिखाई। राष्ट्रपति का अभिभाषण प्रेरक भी था, प्रभावी भी था और हम सब के लिए भविष्य का मार्गदर्शक भी था। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के सांसदों ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर अपने विचार व्यक्त किए। सबका साथ, सबका विकास पर यहां बहुत कुछ कहा गया। ये हम सब का दायित्व है। इसीलिए देश ने हम सब को यहां बैठने का अवसर दिया है। जहां तक कांग्रेस का सवाल है, उनसे सबका साथ सबका विकास के संबंध में कुछ अपेक्षा करना बहुत बड़ी गलती है। ये उनकी सोच के बाहर है। उनके रोडमैप में सही नहीं बैठता। इतना बड़ा दल एक परिवार को समर्पित हो गया है, उनके लिए सबका साथ, सबका विकास संभव ही नहीं है। कांग्रेस के मॉडल में फैमिली फर्स्ट सर्वोपरि रहा।

कांग्रेस अध्यक्ष खरगे पर तंज

पीएम मोदी ने राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का नाम लेते हुए कहा कि सदन में वह पिछले कुछ समय से काफी कविताएं सुना रहे हैं। एक मैं भी सुनाता हूं- तमाशा करने वालों को क्या खबर, हमने कितने तूफानों को पार कर दीया जलाया है। कांग्रेस अध्यक्ष पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि वह पार्टी के हालात देखकर दुखी हैं लेकिन वहां कुछ कह नहीं सकते। अपने दिल की बात यहां आकर कहते रहते हैं।

कांग्रेस कालखंड में अटकाना-भटकाना-लटकाना की संस्कृति

पीएम मोदी ने कहा कि विकासशील से विकसित की यात्रा इंफ्रास्ट्रक्चर से गुजरती है और हमने इंफ्रास्ट्रक्चर के महत्व को समझते हुए इस पर बल दिया है। जब इंफ्रास्ट्रक्चर की बात होती है, तो ये भी जरूरी है कि वो समय से पूरे हों। कांग्रेस के कालखंड में अटकाना-भटकाना और लटकाना उनकी संस्कृति बन गई थी। कांग्रेस के इस कल्चर से मुक्ति पाने के लिए हमने प्रगति नाम की व्यवस्था बनाई और मैं स्वयं नियमित रूप से इस प्रगति प्लेटफॉर्म के माध्यम से इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट की विस्तार से मॉनिटरिंग करता हूं।

समंदर में दुश्मन का हर वार होगा नाकाम, रूस से एंटी-शिप क्रूज मिसाइल खरीद रहा भारत, बढ़ेगी नौसेना की ताकत

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भारत लगाातार अपनी सैन्य क्षमताओं में इजाफा कर रहा है। साउथ एशिया में भारत एक मजबूत देश के रूप में उभर रहा हैं। अब भारत सरकार ने इंडियन नेवी को और ताकतवर बनाने के लिए रूस से क्लब-एस क्रूज मिसाइलों की खरीददारी के लिए बहुत बड़ा समझौता किया है। भारत ने एंटी-शिप क्रूज मिसाइलों की खरीद के लिए रूस के साथ ये अहम समझौता किया है। इस कदम से भारतीय नौसेना की पनडुब्बी बेड़े की युद्धक क्षमताओं में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी।

रक्षा मंत्रालय ने इस संबंध में जानकारी दी। मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में बताया कि आज रक्षा मंत्रालय ने रूस के साथ एंटी-शिप क्रूजत मिसाइल की खरीद के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इन मिसाइलों से भारतीय नौसेना की पनडुब्बी बेड़े की युद्धक क्षमता में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी। समझौता रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की मौजूदगी में किया गया। हालांकि, रक्षा मंत्रालय ने मिसाइल सिस्टम के नाम, संख्या और लागत को लेकर कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी है

बता दें कि एंटी-शिप क्रूज मिसाइल गाइडेड मिसाइल होती हैं, जिसे समुद्र में दुश्मन के जंगी जहाजों के खिलाफ इस्तेमाल किया जाता है। इन्हें पनडुब्बियों में लगाया जाता है, और ये पलभर में दुश्मन के फाइटर जेट्स को तबाह करने की क्षमता रखती हैं। बता दें कि कई देशों ने अपने यहां एंटी-शिप क्रूज मिसाइल विकसित की हैं। रूस की एंटी-शिप क्रूज मिसाइल को काफी पावरफुल माना जाता है।

इन मिसाइलों को भारतीय नौसेना की किलो-क्लास अटैक पनडुब्बियों में फिट किया जाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक, रूसी मिसाइलों को सिंधुघोष-क्लास के नाम से जानी जाने वाली डीजल-इलेक्ट्रिक पावर्ड अटैक पनडुब्बियों में लैस किया जाएगा। जो किलो-क्लास (प्रोजेक्ट 877) पर आधारित है। इन पनडुब्बियों को भारत ने 1980 के दशक में सोवियत संघ से खरीदा था।

भारतीय नौसेना कलवरी, सिंधुघोष और शिशुमार क्लास की पनडुब्बियों का संचालन करती हैं। सिंधुघोष-क्लास या किलो-क्लास पनडुब्बियां रूस और भारत के बीच एक समझौते के तहत निर्मित डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियां हैं। ये लंबी दूरी के गश्त के लिए डिजाइन की गई हैं और टॉरपीडो तथा मिसाइलों से लैस हैं। इस बेड़े में आईएनएस सिंधुघोष, आईएनएस सिंधुध्वज, सिंधुराज, आईएनएस सिंधुवीर, आईएनएस सिंधुरत्न, आईएनएस सिंधुकेसरी, आईएनएस सिंधुकिर्ती, आईएनएस सिंधुविजय, आईएनएस सिंधुरक्षक और आईएनएस सिंधुशस्त्र शामिल हैं। हालांकि, आईएनएस सिंधुध्वज, आईएनएस सिंधुरक्षक और आईएनएस सिंधुवीर अब सेवा में नहीं हैं और अगले 2-3 सालों में दो और पनडुब्बियों के सेवानिवृत्त होने की संभावना है।

यूएस से डिपोर्ट भारतीयों को लेकर आया प्लेन पंजाब में क्यों उतरा? कांग्रेस उठा रही सवाल

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अमेरिका से 104 अवैध अप्रवासियों की वापसी हो चुकी है। उनको लेकर आए सैन्य विमान की लैंडिंग पंजाब के अमृतसर में हुई। निर्वासित लोगों में से 30 पंजाब से, 33-33 हरियाणा और गुजरात से, तीन-तीन महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश, दो चंडीगढ़ से हैं। निर्वासित किए गए लोगों में 19 महिलाएं और चार वर्षीय एक बच्चा, पांच व सात वर्षीय दो लड़कियों सहित 13 नाबालिग शामिल हैं। इस बीच प्लेन के देश की राजधानी दिल्ली की जगह अमृतसर में लैंडिंग को लेकर सवाल उठने लगे हैं।

कांग्रेस ने निर्वासित भारतीयों को ले जा रहे अमेरिकी सैन्य विमान को दिल्ली के बजाय अमृतसर में उतरने की अनुमति देने के केंद्र सरकार के फैसले पर सवाल उठाया है। कांग्रेस ने कहा कि शहर को 'धारणा' और 'नैरेटिव' को ध्यान में रखते हुए चुना गया था।

“बदनाम करने वाले नैरेटिव”

कांग्रेस के जालंधर कैंट विधायक परगट सिंह ने कहा कि पंजाब की तुलना में गुजरात सहित अन्य राज्यों से अधिक निर्वासित लोग हैं। परगट सिंह ने सोशल मीडिया प्लोट कहा कि जब पंजाब अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की मांग करता है, तो पंजाब को आर्थिक लाभ से वंचित करने के लिए केवल दिल्ली एयरपोर्ट को अनुमति दी जाती है। लेकिन जब बदनाम करने वाले नैरेटिव की बात आती है, तो एक अमेरिकी निर्वासन विमान पंजाब में उतरता है। भले ही उसमें अधिककर निर्वासित गुजरात और हरियाणा से हों।

लोकसभा में इस पर चर्चा की मांग

वहीं, अमृतसर से सांसद और कांग्रेस नेता गुरजीत औजला ने विमान को अमृतसर में उतारे जाने पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने लोकसभा में इस पर चर्चा की मांग का नोटिस देते हुए पूछा कि प्लेन को दिल्ली में क्यों नहीं उतारा गया? उन्होंने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए एक्स पर लिखा, शर्मनाक और अस्वीकार्य! मोदी सरकार ने भारतीय अप्रवासियों को बेड़ियों में जकड़े हुए विदेशी सैन्य विमान से वापस भेजने की अनुमति दी। कोई विरोध क्यों नहीं? वाणिज्यिक उड़ान क्यों नहीं? विमान दिल्ली में क्यों नहीं उतरा? यह हमारे लोगों और हमारी संप्रभुता का अपमान है। सरकार को जवाब देना चाहिए!’

आप ने भी घेरा

इस बीच, आम आदमी पार्टी (आप) ने सवाल किया है कि विमान की लैंडिंग अमृतसर में क्यों कराई गई। देश के किसी अन्य राज्य में विमान को क्यों नहीं उतारा गया। आप पंजाब के अध्यक्ष अमन अरोड़ा ने सवाल किया कि विमान अमृतसर में क्यों उतरा, देश के किसी अन्य हवाई अड्डे पर क्यों नहीं। उन्होंने कहा, जब निर्वासित लोग पूरे देश से हैं, तो विमान को उतारने के लिए अमृतसर को क्यों चुना गया? यह सवाल हर किसी के दिमाग में है। अमन अरोड़ा ने कहा कि केंद्र सरकार ने पंजाब के साथ हमेशा सौतेला व्यवहार किया है। पंजाब की तुलना में अन्य राज्यों के लोग (निर्वासित) अधिक हैं. इस विमान को उतारने के लिए अमृतसर को चुनना एक सवालिया निशान खड़ा करता है।

जयशंकर ने यूएस से डिपोर्ट अवैध भारतीय प्रवासियों पर दिया जवाब, सदन को बताया सरकार को थी जानकारी

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अमेरिका से निर्वासित किए गए भारतीय नागरिकों पर राज्यसभा में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बयान दिया। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राज्यसभा में कहा कि यदि कोई नागरिक विदेश में अवैध रूप से रह रहा पाया जाता है तो उसे वापस बुलाना सभी देशों का दायित्व है।उन्होंने कहा अमेरिका के नियम के तहत यह कार्रवाई हुई। पहले भी इस तरह की कार्रवाई हुई है। यह कोई नया प्रोसेस नहीं है। उन्होंने कहा कि हम यह सुनिश्चित करने के लिए अमेरिकी सरकार से संपर्क कर रहे हैं कि निर्वासितों के साथ किसी भी तरह का दुर्व्यवहार न हो।

विदेश मंत्री ने कहा, हम जानते हैं कि कल 104 लोग वापस आए। हम ही हैं जिन्होंने उनकी राष्ट्रीयता की पुष्टि की। हमें ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि यह कोई नया मामला है। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा मामला है जो पहले भी होता रहा है। अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे वापस लौटने वाले प्रत्येक व्यक्ति (अमेरिका से निर्वासित भारतीय) के साथ बैठें और पता लगाएं कि वे अमेरिका कैसे गए, एजेंट कौन था, और हम कैसे सावधानी बरतें ताकि यह फिर से न हो।

विदेश मंत्री ने कहा, भारतीय प्रवासी अमानवीय हालात में फंसे थे. अवैध रूप में रह रहे लोगों को वापस स्वदेश भेजा जाता है. हमारे कई नागरिक गलत तरीके से अमेरिका पहुंचे थे. अवैध प्रवासियों को वापस लाना ही था। उन्होंने कहा कि साथ ही, सदन इस बात की सराहना करेगा कि हमारा ध्यान अवैध आव्रजन उद्योग के खिलाफ कड़ी कार्रवाई पर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि निर्वासितों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर, कानून प्रवर्तन एजेंसियां एजेंटों और ऐसी एजेंसियों के खिलाफ आवश्यक, निवारक और अनुकरणीय कार्रवाई करेंगी।

एग्जिट पोले में दिल्ली में खिल रहा कमल, अगर बीजेपी की बनी सरकार तो कौन होगा सीएम?

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दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों पर 5 फरवरी को मतदान हुआ। इसके बाद अब एग्जिट पोल सामने आए। एग्जिट पोल में दिल्ली में बड़ा बदलाव होता दिख रहा है। लगभग सभी एग्जिट पोल में बीजेपी को करीब 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में वापसी की संभावना जताई गई है। सभी चुनाव सर्वे भाजपा की जीत और आम आदमी पार्टी की हार का अनुमान लगा रहे हैं। एग्जिट पोल में जिस तरह से अनुमान लगाए गए हैं अगर 8 फरवरी को चुनाव नतीजों में तब्दील होते हैं तो फिर 27 साल बाद दिल्ली में बीजेपी की सरकार होगी। ऐसे में सवाल उठता है कि बीजेपी दिल्ली में किसे मुख्यमंत्री बनाएगी?

बीजेपी ने अपने किसी भी नेता को दिल्ली में मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित कर चुनाव नहीं लड़ा था। पीएम मोदी के नाम और काम को लेकर बीजेपी दिल्ली चुनाव में उतरी थी। अब सभी चुनाव सर्वे भाजपा की जीत के अनुमान के बाद मुख्यमंत्री के नाम को लेकर चर्चा ने जोर पकड़ा है। पार्टी के भीतर कई नामों पर चर्चा हो रही है, फैसला चुनाव नतीजों के बाद होगा। फिलहाल रेस में जो पांच नाम सबसे आगे चल रहे हैं।

बीजेपी जीती तो कौन होगा सीएम?

प्रवेश वर्मा- बीजेपी के जीतने की सूरत में सबसे पहला नाम प्रवेश वर्मा का है। नई दिल्ली सीट पर उनका मुकाबला सीधे आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस के संदीप दीक्षित से है। यह सीट हालिया चुनावों की सबसे चर्चित सीट रही है। वर्मा ने ‘केजरीवाल हटाओ, देश बचाओ’ अभियान चलाया और बेहद आक्रामक ढंग से प्रचार किया। उन्होंने प्रदूषण, महिला सुरक्षा और यमुना की गंदगी जैसे मसलों पर आप सरकार को जमकर घेरा।

दुष्यंत कुमार गौतम- बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत कुमार गौतम भी सीएम रेस में हैं। दिल्ली के करोल बाग विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरे गौतम बीजेपी का दलित चेहरा माने जाते हैं और पार्टी के तमाम अहम पदों पर रह चुके हैं। अमित शाह और पीएम मोदी के करीबी माने जाते हैं.

दुष्यंत कुमार गौतम ने अपना सियासी सफर एबीवीपी से शुरू किया था। दलित मुद्दों पर मुखर रहते हैं और तीन बार अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष रहे हैं। राज्यसभा सदस्य भी रह चुके हैं। दुष्यंत कुमार गौतम ने संगठनात्मक राजनीति में अपनी पहचान बनाई है। दिल्ली में दलित वोटों को जोड़े रखने के लिए बीजेपी उनके चेहरे को प्रोजेक्ट कर सकती है।

कपिल मिश्रा- कट्टर हिंदूवादी नेता की छवि रखने वाले कपिल दिल्ली बीजेपी के उपाध्यक्ष हैं। वह 2019 में बीजेपी से जुड़ने से पहले करावल नगर सीट से ही आप के विधायक थे। कपिल मिश्रा, राजधानी में पार्टी के सबसे प्रमुख पूर्वांचली चेहरों में से एक हैं। हालांकि, उन पर फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों के दौरान नफरत भरे भाषण देने का आरोप लगाया गया था।

विजेंद्रर गुप्ता- दिल्ली के रोहिणी विधानसभा से बीजेपी प्रत्याशी और विधायक विजेंदर गुप्ता एक बार फिर से इस सीट से चुनावी मैदान में हैं। उनका मुकाबला कांग्रेस के सुमेश गुप्ता और आम आदमी पार्टी के प्रदीप मित्तल से है। विजेंदर गुप्ता ने अपनी सियासी पहचान एक मजबूत नेता और केजरीवाल की लहर में भी जीतने में सफल रहने वाले एकलौते नेता के रूप में बनाई हैं। केजरीवाल के 10 साल के कार्यकाल में सबसे ज्यादा मुखर रहने वाले बीजेपी नेता हैं। दिल्ली बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका भी अदा कर चुके हैं। ऐसे में बीजेपी सत्ता में वापसी करती है तो विजेंद्रर गुप्ता सीएम पद के प्रबल दावेदार होंगे

रमेश बिधूड़ी- दिल्ली की सीएम आतिशी को कालकाजी सीट से चुनौती देने वाले नेता हैं बिधूड़ी। जैसे ही उनकी उम्मीदवारी का ऐलान हुआ, बिधूड़ी ने आतिशी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। पहले आतिशी के पिता को लेकर टिप्पणी की। दोनों के बीच विधानसभा चुनाव के प्रचार अभियान के दौरान लगातार तीखी नोक-झोंक चली है। बिधूड़ी अपने फायरब्रांड अंदाज के लिए जाने जाते हैं।

मनोज तिवारी- दिल्ली में अगर बीजेपी इस बार चुनाव जीत जाती है तो सांसद मनोज तिवारी भी सीएम के प्रबल दावेदार हो सकते हैं। मनोज तिवारी लगातार तीन बार से नॉर्थ दिल्ली सीट से सांसद हैं और बीजेपी के पूर्वांचल चेहरा माने जाते हैं। मनोज तिवारी तीन बार से लोकसभा चुनाव जीत रहे हैं। 2024 में बीजेपी ने दिल्ली के 7 में से 6 सांसदों का टिकट काट दिया था, लेकिन मनोज तिवारी एकलौते चेहरा थे, जिनको टिकट दिया था। मनोज तिवारी दिल्ली प्रदेश की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। उनके अध्यक्ष रहते हुए 2020 में चुनाव हुए थे, लेकिन बीजेपी सत्ता में नहीं आ सकी।

बता दें कि दिल्ली के सियासी इतिहास में बीजेपी ने 1993 में सरकार बनाई थी और पांच साल के कार्यकाल के दौरान तीन सीएम बनाए थे। 1993 में बीजेपी ने सत्ता में आने के बाद ही मदनलाल खुराना को सीएम बनाया था और उसके बाद साहिब सिंह वर्मा को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी। 1998 चुनाव से पहले साहिब वर्मा की जगह सुषमा स्वराज को मुख्यमंत्री बना दिया था। साल 1998के चुनाव हारने के बाद बीजेपी कभी भी सत्ता में वापसी नहीं कर सकी। अब 2025 में एग्जिट पोल के लिहाज से बीजेपी सरकार बनाती नजर आ रही है।