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कोलकाता रेप-मर्डर केस में संजय रॉय के अलावा क्या और लोग भी थे शामिल? सामने आया चौंकाने वाला खुलासा

कोलकाता के आरजीकर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल की जूनियर डॉक्टर की बलात्कार और हत्या के मामले में कई अपराधियों के शामिल होने की अटकलें और चर्चा आज तक जारी है, जो आरजीकर के अपराध में अन्य लोगों के शामिल रहने की ओर संकेत करते हैं. भाजपा और टीएमसी दोनों ही पार्टियां आरोप लगा रही हैं, लेकिन सवाल यह है कि सबूत स्पष्ट होने के बावजूद सीबीआई कुछ क्यों नहीं कर रही है?..

बता दें कि नौ अगस्त को आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल की छात्रा का शव सेमिनार हॉल में मिला था. सीसीटीवी फुटेज और अन्य साक्ष्य के आधार पर पुलिस ने सिविक वॉलेंटियर संजय रॉय को गिरफ्तार किया था. फिलहाल सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है और मामले की सुनवाई चल रही है.

विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम द्वारा अंतिम रिपोर्ट के रूप में सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत दस्तावेज लगे हैं, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि संजय रॉय के अलावा लेडी डॉक्टर की हत्या में और भी लोग शामिल थे.

सेंट्रल फॉरेंसिक लैब की रिपोर्ट से खुला राज

सेंट्रल फॉरेंसिक लैब की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद, जूनियर डॉक्टर से बलात्कार और हत्या मामले में वास्तविक लोगों की संख्या को लेकर विवाद सामने आया है. प्रारंभिक सीएफएसएल की रिपोर्ट से सामने आए ये तथ्य:

सेमिनार कक्ष में खून के अलावा गद्दे पर कोई दाग नहीं मिला.

अपराध स्थल पर बहुत सारे सहायक नमूने मिले, लेकिन वे जैविक प्रकृति के नहीं थे.

हत्या कक्ष में संघर्ष के साक्ष्य गायब हैं.

अपराध स्थल सेमिनार कक्ष नहीं था.

किसी के द्वारा सेमिनार कक्ष में बिना किसी की जानकारी के घुसकर अपराध करने की संभावना कम है.

जब इन निष्कर्षों ने विवाद पैदा किया तो विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक टीम को CFSL रिपोर्ट को समाप्त करने और सुप्रीम कोर्ट को प्रस्तुत करने के लिए कहा गया.

जानें, डॉक्टरों की विशेषज्ञ टीम का निष्कर्ष

आरोपी संजय रॉय अपराध स्थल पर मौजूद था और उन्होंने पीड़िता के निप्पल को छुआ था.

संजय रॉय के अलावा, अपराध स्थल पर कम से कम एक महिला के मौजूद होने के साक्ष्य हैं, जिसने पीड़िता के शरीर के अंगों को भी छुआ था

अपराध स्थल पर संजय रॉय के अलावा पुरुषों की मौजूदगी से इंकार नहीं किया जा सकता

डॉक्टरों को ये सबूत कहां से मिले? सीएफएसएल द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि पीड़िता के निप्पल, योनि और गुदा से डीएनए के नमूने लिए गए थे. सीएफएसएल ने संजय रॉय के डीएनए और गुणसूत्र को अलग-अलग संख्या के साथ स्पष्ट रूप से वर्गीकृत किया. अब वही संख्या मृत लेडी डॉक्टर के शरीर के अंगों से पाई गई, लेकिन सभी को आश्चर्य हुआ कि मृत लेडी डॉक्टर के शरीर में और उसके ऊपर और भी अज्ञात गुणसूत्र और डीएनए थे, जो मृत डॉक्टर या संजय से मेल नहीं खाते थे.

संजय रॉय-मृत डॉक्टर के अतिरिक्त अन्य के मिले डीएनए

प्रश्न यह है कि महिला का डीएनए किसका था और अन्य दो पुरुषों का डीएनए और गुणसूत्र कौन हैं? वरिष्ठ सर्जन डॉ तापस फ्रांसिस बिस्वास ने कहा कि कि संजय रॉय को बलि का बकरा बनाया गया है. उसने मृत्यु के बाद शव को छुआ था, लेकिन सीएफएसएल रिपोर्ट में किसके नमूने हैं? सीबीआई निराशाजनक रूप से विफल क्यों हो रही है? यह स्पष्ट रूप से केंद्र और राज्य के भीतर एक राजनीतिक गठबंधन है, जहां दोनों एक-दूसरे की गंदगी को सुरक्षित रखने की कोशिश कर रहे हैं.

आरजीकर हत्या मामले में जूनियर डॉक्टर के विरोध का सामना करने वाले डॉ. अनिकेत महतो ने भी इस तथ्य को स्वीकार किया कि सीएफएसएल रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि कई लोग के डीएनए पाए गए हैं, लेकिन मैं स्पष्ट नहीं कर सकता. लेकिन हम सीबीआई से उम्मीद खो रहे हैं.

सीबीआई जांच को लेकर उठे सवाल

दूसरी ओर, केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री डॉ सुकांत मजूमदार ने आरजीकर मामले में सीबीआई जांच पर उन्होंने कहा कि अगर कुछ दस्तावेजों में लोगों की संलिप्तता के बारे में विशेष रूप से कहा गया है तो सीबीआई को इसका जवाब देना चाहिए

दूसरी ओर, टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने स्पष्ट रूप से कहा कि चूंकि मामला विचाराधीन है, इसलिए हम सवाल का जवाब नहीं देंगे. सीबीआई और भारत सरकार जवाब देगी.

सवाल यह है कि डीएनए रिपोर्ट के बावजूद सीबीआई इस बलात्कार और हत्या मामले में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई क्यों करना चाहती है. सीएफएसएल रिपोर्ट का विश्लेषण करने वाले डॉक्टरों के समूह द्वारा सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत विशेषज्ञ रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि वे सादे चेहरे में छिपे हुए कई अपराधी थे, जो बलात्कार और हत्या के मामले में शामिल थे.

कौन हैं डोनाल्ड ट्रंप का न्योता ठुकराने वाले काशी के पंडित अमित भट्टाचार्य?

वाराणसी की गलियों में रहने वाले पंडित अमित भट्टाचार्य ने अमेरिका को नेशन फर्स्ट का संदेश दिया है. पंडित अमित को अमेरिका से डोनाल्ड ट्रम्प के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने का न्योता मिला था जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया है. देश और दुनिया में सरोद वादन के लिए ख्याति प्राप्त कर चुके अमित भट्टाचार्य ने न्योता अस्वीकार करने का कारण अपने सोशल मीडिया हैंडल शेयर किया है.

वाराणसी स्थित कबीर नगर के रहने वाले पं. अमित भट्टाचार्य को संगीत में महारत हासिल है. अपने सरोद वादन के लिए भारत के साथ-साथ दुनिया के कई देशों में अमित भट्टाचार्य ख्याति प्राप्त कर चुके हैं. 20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति पद के लिए दूसरी बार शपथ लेने वाले हैं. इसको लेकर दुनिया की जानी-मानी हस्तियों को निमंत्रण भेजा गया है. इसमें वाराणसी के अमित भट्टाचार्य को भी सादर आमंत्रित किया गया था.

अमेरिका से मिला था न्योता

अमित भट्टाचार्य को शपथ समारोह के लिए डॉ. जे मार्क बर्न की तरफ से निमंत्रण पत्र मिला है. उन्होंने इसे अस्वीकार कर दिया है. उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके सांसद हैं और संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं. उनका नैतिक कर्तव्य है कि वह अपने देश और देश के नेता के साथ खड़े रहें. इसलिए नेशन फर्स्ट की नीति के तहत वे यह निर्णय ले रहे हैं.

पीएम मोदी पर है गर्व

उन्होंने अपने पोस्ट में आगे लिखा कि वह प्रधानमंत्री मोदी के कार्यों की सराहना करते हैं और उन्हें उनपर गर्व है. उन्हें इस बात पर भी गर्व है कि वह प्रधानमंत्री मोदी के साथ खड़े हैं. पंडित अमित भट्टाचार्य जाने माने सरोद वादक हैं और स्वर्गीय पंडित ज्योतिन भट्टाचार्य के पुत्र हैं जिन्होंने उस्ताद अल्लाउद्दीन खान से सरोद की शिक्षा ली थी.

पंडित अमित भट्टाचार्य के इस फैसले से संगीत घराने से भी प्रतिक्रिया आ रही है. बनारस संगीत घराने के पंडित देवव्रत मिश्र ने कहा कि ये उनका अपना फ़ैसला है लेकिन उनको जाना चाहिए था. बनारस संगीत को वो वहां रिप्रेजेंट करते. पद्मश्री सोमा घोष ने कहा कि ये पंडित अमित भट्टाचार्य का अपना फ़ैसला है मुझे कुछ नही कहना.

प्रशांत किशोर का आमरण अनशन खत्म, गंगा में डुबकी लगाकर तोड़ा 14 दिन का उपवास

जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने अपनी 14 दिन लंबी भूख हड़ताल समाप्त कर दी है. पटना में गंगा पथ के पास आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने पवित्र गंगा में डुबकी लगाकर अपनी भूख हड़ताल तोड़ी. बीपीएससी परीक्षा में कथित अनियमितताओं और छात्रों के रोजगार के मुद्दे पर प्रशांत किशोर ये हड़ताल कर रहे थे.

प्रशांत किशोर ने यह हड़ताल 2 जनवरी को शुरू की थी. उनका कहना है कि यह कदम उन्होंने बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की 70वीं प्रारंभिक परीक्षा में कथित धांधली और छात्रों के प्रदर्शन पर पुलिस लाठीचार्ज के विरोध में उठाया गया है. इससे पहले, 30 दिसंबर को पटना में आयोजित छात्र संसद के दौरान पुलिस ने प्रदर्शनकारी छात्रों पर लाठीचार्ज किया था. इस घटना के बाद प्रशांत किशोर ने छात्रों के समर्थन में भूख हड़ताल शुरू की.

गंगा स्नान और सत्याग्रह की घोषणा

गंगा पथ के पास आयोजित कार्यक्रम में प्रशांत किशोर ने गंगा में स्नान कर अपनी हड़ताल खत्म की. इसके साथ ही उन्होंने सत्याग्रह के दूसरे चरण की घोषणा करने की बात भी कही. जन सुराज पार्टी के सूत्रों के अनुसार, सत्याग्रह का दूसरा चरण छात्रों और युवाओं के रोजगार के मुद्दे पर केंद्रित होगा. किशोर का कहना है कि यह हड़ताल छात्रों की आवाज को बुलंद करने और सरकार को जवाबदेह बनाने के लिए की गई थी.

राजनीतिक महत्व और रणनीति

प्रशांत किशोर ने पिछले साल बिहार में जन सुराज पार्टी की स्थापना की थी. वे 2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनावों से पहले अपने दल का जनाधार मजबूत करना चाहते हैं. छात्रों और युवाओं के रोजगार के मुद्दों पर सक्रिय समर्थन देकर वे एक मजबूत वोट बैंक तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं. यह हड़ताल उनके राजनीतिक भविष्य के लिए एक अहम रणनीति मानी जा रही है.

सरकार पर दबाव और छात्रों का समर्थन

प्रशांत किशोर की भूख हड़ताल ने बिहार में शिक्षा, परीक्षा और रोजगार जैसे मुद्दों को एक बार फिर केंद्र में ला दिया है. छात्रों का कहना है कि बीपीएससी परीक्षा में हुई कथित धांधली के खिलाफ आवाज उठाने पर प्रशासन ने उनकी बात को दबाने की कोशिश की. प्रशांत किशोर ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय पटल पर लाकर छात्रों के समर्थन में सरकार पर दबाव बनाया. अब सत्याग्रह के अगले चरण में वे इस आंदोलन को और तेज करेंगे.

ममता बनर्जी का बड़ा एक्शन: सलाइन स्कैम मामले में 12 डॉक्टरों को किया निलंबित

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सलाइन स्कैम मामले में डॉक्टरों के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया है. गुरुवार को उन्होंने राज्य सचिवालय नबान्न से कहा कि अगर डॉक्टरों ने अपना कर्तव्य ठीक से निभाया होता तो मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज में गर्भवती महिला और नवजात को बचाया जा सकता था. उन्होंने इस घटना में 12 डॉक्टरों को निलंबित करने का आदेश दिया. इनमें मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज के आरएमओ और एमएसवीपी भी शामिल हैं.

मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज में प्रसव के बाद पांच गर्भवती महिलाएं बीमार हो गईं थी. कथित तौर पर, वे सलाइन चढ़ाने के बाद बीमार हो गई थी. बाद में एक गर्भवती महिला की मृत्यु हो गई. मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज में बीमार पड़ी एक गर्भवती महिला के बच्चे की मौत हो गई थी.

गुरुवार को मुख्यमंत्री ने इस घटना के लिए डॉक्टरों पर उंगली उठाई. उन्होंने सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा सेवाओं के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि चिकित्सा सेवाओं में सुधार के बावजूद मां और बच्चे को बचाया नहीं जा सका, क्योंकि डॉक्टरों ने अपना कर्तव्य नहीं निभाया.

ममता बनर्जी ने कहा, “यदि वे लोग जो लोगों के भाग्य का निर्धारण करते हैं, जिनके हाथों में बच्चे जन्म लेते हैं, अपनी जिम्मेदारियों को ठीक से निभाते, तो मां और बच्चे को बचाया जा सकता था.”

12 डॉक्टरों को किया गया निलंबित

ममता बनर्जी ने कहा कि अगर इमारत के अंदर सीसीटीवी कैमरा होता तो आरोपी को रंगे हाथों पकड़ा जा सकता था. उन्होंने कहा कि ऑपरेशन थियेटर के अंदर भी सीसीटीवी कैमरे होने चाहिए.

मुख्य सचिव मनोज पंत ने कहा, “सीसीटीवी कैमरे गलियारों में हैं. इसलिए मैं डॉक्टरों की गतिविधियों के बारे में नहीं जान सकता. हालांकि, मुख्यमंत्री की तरह उन्होंने भी कहा, ”सर्जरी के दौरान जिस प्रोटोकॉल का पालन किया जाना चाहिए, उसका पालन नहीं किया गया. वरिष्ठ डॉक्टरों की मौजूदगी के बिना जूनियर डॉक्टरों ने सर्जरी कर दी.

गर्भवती महिलाओं में अभी भी 3 की हालत गंभीर

मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सर्जरी के बाद बीमार पड़ी पांच गर्भवती महिलाओं में से तीन की हालत गंभीर है. तीनों को कोलकाता लाकर एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती कराया गया है. मुख्यमंत्री ने गुरुवार को बताया कि तीन लोगों में से एक की हालत गंभीर है.

उन्होंने कहा कि उन माताओं के परिवारों के लिए कोई भी सांत्वना वास्तव में सांत्वना नहीं ह. वे केवल चिकित्सा प्रणाली पर ही उंगली उठा सकते हैं. यदि वे परिवार कुछ कहते हैं, तो उन्हें सुनना चाहिए.

सलाइन कांड की सीआईडी जांच करेगी

इसके बाद उन्होंने घटना के दिन 8 जनवरी को मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज में मौजूद डॉक्टरों, आरएमओ और आरएसवीपी को निलंबित करने का आदेश दिया. सूची में प्रसूति वार्ड में यूनिट 1 सी के बेड प्रभारी दिलीप पाल, वरिष्ठ डॉक्टर हिमाद्री नायक, आरएमओ सौमेन दास, एनेस्थेटिस्ट पल्लबी बनर्जी, पीजीटी प्रथम वर्ष की डॉक्टर मौमिता मंडल, पूजा साहा, इंटर्न डॉक्टर सुशांत मंडल, पीजीटी तृतीय वर्ष के डॉक्टर शामिल हैं.

इस अवसर पर पीजीटी प्रथम वर्ष के चिकित्सक जागृति घोष, भाग्यश्री कुंडू, एनेस्थेटिस्ट मनीष कुमार, विभागाध्यक्ष मोहम्मद अलाउद्दीन, अस्पताल अधीक्षक जयंत राउत मौजूद थे. डॉक्टर दिलीप पर आरोप है कि वह उस दिन अस्पताल के बाहर सर्जरी कर रहे थे। स्वास्थ्य विभाग ने लापरवाही के आरोप में बाकी लोगों को निलंबित कर दिया है. सीआईडी ​​उनकी जांच करेगी.

राजस्थान से मध्य प्रदेश जा रही एक बोलेरो को पुलिस ने रोकी तो हैरान रह गए अधिकारी!

आपने बोलेरो में लोगों को सफर करते हुए अक्सर देखा होगा, लेकिन क्या कभी एक बोलेरो में 78 लोगों को सफर करते हुए देखा है. एक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया है, जिसमें राजस्थान से मध्य प्रदेश मेला देखने के लिए बेहिसाब लोग एक ही बोलेरो में भरकर जा रहे थे. बोलेरो को पुलिस ने रोका, तो उनके भी होश उड़ गए.

दरअसल मध्य प्रदेश के पोहरी क्षेत्र में मंगलवार को धार्मिक और पर्यटक स्थल मकर संक्रांति के अवसर पर धार्मिक मेले का आयोजन किया गया था. इस मेले में राजस्थान से एक बोलेरो में दर्शनार्थी मेले में शामिल होने जा रहे थे. इसी दौरान पोहरी टीआई रजनी चौहान भी वहां भ्रमण कर रही थीं. तभी उन्होंने उसे रोका, जिसमें 5 या 10 नहीं बल्कि 70 से भी ज्यादा लोग सवार थे.

बोलेरों में 78 लोग सवार

उन्होंने गाड़ी को रोका और सभी को गाड़ी से उतरवाया और उनकी गिनती शुरू की, तो एक बोलेरो के अंदर से 78 लोग निकले, जो खचाखच इसके भरे पड़े थे. इन 78 लोगों में महिलाएं, बच्चे और पुरुष सभी थे. ये सभी लोग बोलेरो में सामान भरने की जगह पर बैठे थे. यही नहीं कुछ लोग इनमें से बोलेरो की छत पर भी बैठे थे. इन लोगों में कई बहुत छोटे बच्चे भी थे.

पुलिस भी रह गई हैरान

बोलेरो में खचाखच भरे लोगों को देखकर खुद टीआई भी हैरान हो गईं. उन्होंने गाड़ी चालक की इस हरकत को देखकर उसी से पूछा कि बताओ आपका क्या करना चाहिए. इसके बाद जब गाड़ी में सवार यात्रियों ने पुलिस से गुहार लगाई तो गाड़ी को बिना कार्रवाई के छोड़ दिया गया. इसके साथ ही ड्राइवर को इस तरह की हरकत दोबारा न करने की बात कही गई.

सोशल मीडिया पर वायरल

टीआई ने बताया कि गाड़ी में सवार लोगों को दो से तीन बार में छुड़वाया गया. उनका कहना है कि अगर इतने लोगों के साथ कोई हादसा हो जाता है, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा. इस दौरान का वीडियो सोशल मीडिया खूब वायरल हो रहा है. जिस बोलेरो में इतने लोग सवार थे. उसे आमतौर पर सामान लाने ले जाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है और इसे बोलेरो लोडिंग गाड़ी कहा जाता है.

महाकुंभ से इस दिन वापस लौटेंगे नागा साधु, फिर इतने साल बाद यहां दिखेंगे दोबारा

2025 के महाकुंभ मेले का आगाज 13 जनवरी से हो चुका है और इसका समापन 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि के दिन होगा. 26 फरवरी के बाद से अगले कुंभ तक फिर आपको नागा साधु नजर नहीं आएंगे. नागा साधु महाकुंभ के समापन के बाद वापस अपने-अपने आखाड़ों में लौट जाते हैं. प्रयागराज के बाद अगला कुंभ नासिक में गोदावरी नदी के तट पर लगेगा. जो कि 2027 में आयोजित किया जाएगा. यहां पिछली बार 2015 में जुलाई से सितंबर तक कुंभ मेला लगा था.

आखाड़े भारत के विभिन्न हिस्सों में स्थित होते हैं और ये नागा साधुओं वहां ध्यान, साधना और धार्मिक शिक्षाओं का अभ्यास करते हैं. वहीं कुछ नागा साधु काशी (वाराणसी), हरिद्वार, ऋषिकेश, उज्जैन या प्रयागराज जैसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों पर रहते हैं.

कुंभ के बाद कहां जाते हैं नागा साधु

कुंभ में ज्यादातर नागा साधु दो विशेष अखाड़ों से आते हैं. एक अखाड़ा है वाराणसी का महापरिनिर्वाण अखाड़ा और दूसरा है पंच दशनाम जूना अखाड़ा. इन दोनों अखाड़ों के नागा साधु कुंभ का हिस्सा बनते हैं. हाथों में त्रिशूल, शरीर पर भस्म, रुद्राक्ष, की माला और कभी-कभी जानवरों की खाल को शरीर पर लपेटे ये साधु कुंभ आते हैं.

कुंभ का पहला शाही स्नान नागा साधु करते हैं और उसके बाद ही अन्य श्रद्धालुओं को कुंभ स्नान की अनुमति होती है. नागा साधु अन्य दिनों में दिगम्बर स्वरूप यानी निर्वस्त्र नहीं रहते हैं. समाज में दिगम्बर स्वरूप स्वीकार्य नहीं है इसीलिए यह साधु कुंभ के बाद गमछा पहनकर आश्रमों में निवास करते हैं. दिग्मबर का अर्थ है धरती और अम्बर. नागा साधुओं का मानना है कि धरती उनका बिछौना और अम्बर उनका ओढ़ना है. इसीलिए वे कुंभ की अमृत वर्षा के लिए नागा स्वरूप में आते हैं.

ध्यान और साधना करते हैं

जब कुंभ की समाप्ति हो जोती है तो इसके बाद नागा साधु अपने-अपने अखाड़ों में लौट जाते हैं. इन अखाड़ों में नागा साधु ध्यान और साधना करते हैं, साथ ही धार्मिक शिक्षा भी देते हैं. इनकी तपस्वी जीवनशैली होती है. बहुत से नागा साधु हिमालयों, जंगलों और अन्य एकांत स्थानों में तपस्या करने चले जाते हैं. वहीं, बहुत से नागा साधु शरीर पर भभूत लपेटे हिमालय तपस्या करने जाते हैं. यहां वे कठोर तप करते हैं, फल व फूल खाकर जीवन निर्वाह करते हैं.

कब और कहां पड़ता है कुंभ?

प्रयागराज: ऐसी मान्यता है कि जब सूर्य मकर राशि और गुरु वृष राशि में होते हैं तब गंगा, युमना और अदृश्य सरस्वती के पवित्र तट पर महाकुंभ लगता है. हरिद्वार: कहा जाता है कि जब कुंभ राशि में गुरु और मेष राशि में सूर्य हो तब गंगा के तट पर कुंभ पड़ता है. नासिक: मान्यता है कि जब सिंह राशि में गुरु और सूर्य हो तब नासिक में गोदावरी नदी के तट पर कुंभ लगता है. उज्जैन: कहा जाता है कि जब सिंह राशि में गुरु और मेष राशि में सूर्य हो तब उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर कुंभ लगता है.

महाकुंभ में सबसे पहले नागा क्यों करते हैं शाही स्नान : जानें 265 साल पुराने इस परंपरा के पीछे की कहानी

प्रयागराज में 45 दिवसीय महाकुंभ के चौथे दिन श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में पवित्र डुबकी लगाई. दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक समागम में 6 करोड़ से ज़्यादा श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया. माना जा रहा है कि तीसरे शाही स्नान पर 10 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचेंगे. शागी स्नान सबसे पहले नागा साधु करते हैं. उसके बाद बाकी लोगों को शाही स्नान करने की अनुमति होती है. आपके भी मन में यह सवाल जरूर आया होगा कि आखिर नागा साधु ही क्यों सबसे पहले शाही स्नान करते हैं? तो चलिए बताते हैं 265 साल पुराना वो किस्सा.

यदुनाथ सरकार अपनी किताब ‘द हिस्ट्री ऑफ दशनामी नागा संन्यासीज’ में लिखते हैं- ‘कुंभ में पहले स्नान करने को लेकर हमेशा से विवाद होते रहे हैं. नागा साधुओं और वैरागी साधुओं के बीच खूनी जंग हुई है. 1760 के हरिद्वार कुंभ के दौरान पहले स्नान को लेकर नागा और वैरागी आपस में लड़ गए. दोनों ओर से तलवारें निकल आईं. सैकड़ों वैरागी संत मारे गए.

1789 के नासिक कुंभ में भी फिर यही स्थिति बनी और वैरागियों का खून बहा. इस खूनखराबे से परेशान होकर वैरागियों के चित्रकूट खाकी अखाड़े के महंत बाबा रामदास ने पुणे के पेशवा दरबार में शिकायत की. 1801 में पेशवा कोर्ट ने नासिक कुंभ में नागा और वैरागियों के लिए अलग-अलग घाटों की व्यवस्था करने का आदेश दिया. नागाओं को त्र्यंबक में कुशावर्त-कुंड और वैष्णवों को नासिक में रामघाट दिया गया. उज्जैन कुंभ में वैरागियों को शिप्रा तट पर रामघाट और नागाओं को दत्तघाट दिया गया.

इसके बाद भी हरिद्वार और प्रयाग में पहले स्नान को लेकर विवाद जारी रहा. कुंभ पर अंग्रेजों के शासन के बाद तय किया गया कि पहले शैव नागा साधु स्नान करेंगे, उसके बाद वैरागी स्नान करेंगे. इतना ही नहीं, शैव अखाड़े आपस में ना लड़ें, इसलिए अखाड़ों की सीक्वेंसिंग भी तय की गई. तब से लेकर आज तक यही परंपरा चल रही है.

क्यों करते हैं पहले नागा स्नान?

वहीं, धार्मिक मान्यताओं की मानें तो जब देवता और असुर समुद्र मंथन से निकले अमृत कलश की रक्षा के लिए एक-दूसरे से संघर्ष कर रहे थे, तो अमृत की 4 बूंदे कुंभ के 4 जगहों (प्रयागराज, उज्जैन, हरिद्वार और नाशिक) पर गिर गई. इसके बाद यहां महाकुंभ मेले की शुरुआत की गई. नागा साधु भोले बाबा के अनुयायी माने जाते हैं और वह भोले शंकर की तपस्या और साधना की वजह से इस स्नान को नागा साधु सबसे पहले करने के अधिकारी माने गए. तभी से यह परंपरा चली आ रही कि अमृत स्नान पर सबसे पहला हक नागा साधुओं का ही रहता है. नागा का स्नान धर्म और आध्यत्मिक ऊर्जा की केंद्र माना जाता है.

एक अलग मान्यता के मुताबिक, ऐसा भी कहा जाता है कि आदि शंकराचार्य ने जब धर्म की रक्षा के लिए नागा साधुओं की टोली बनाई, तो अन्य संतों ने आगे आकर धर्म की रक्षा करने वाले नागा साधुओं को पहले स्नान करने को आमंत्रित किया. चूंकि नागा भोले शंकर के उपासक है, इस कारण भी इन्हें पहले हक दिया गया. तब से यह परंपरा निरंतर चली आ रही है.

‘संस्कृति का महाकुम्भ’

14 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर 3.5 करोड़ से ज़्यादा श्रद्धालुओं ने पवित्र डुबकी लगाई थी. दस देशों का 21 सदस्यीय दल संगम में स्नान करने के लिए पहुंचा. इससे पहले विदेशी दल ने रात्रि में अखाड़ों के संतो के दर्शन भी किए. महाकुम्भ में 16 जनवरी से 24 फरवरी तक ‘संस्कृति का महाकुम्भ’ होगा. मुख्य मंच गंगा पंडाल का होगा, जिसमें देश के नामचीन कलाकार भारतीय संस्कृति का प्रवाह करेंगे.

जम्मू जाने वाली 65 ट्रेनें मार्च तक रद्द, माता वैष्णो देवी के दर्शन पर जाने वाले श्रद्धालुओं को होगी परेशानी

आप अगर माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए ट्रेन से जाने का प्लान बना रहे हैं तो जरा ये खबर पढ़ लीजिए. जम्मू जाने वाली 65 ट्रेनों को रद्द किया गया है. वहीं, 6 गाड़ियों को री-शेड्यूल किया जा रहा है. ऐसे में माता वैष्णो देवी जाने वाले श्रद्धालुओं को परेशानी हो सकती है. जम्मू तवी रेलवे स्टेशन पर चल रहे विकास कार्य के चलते रेलवे ने मार्च तक 65 ट्रेनों को रद्द किए जाने का निर्णय लिया है. इसके चलते अगले दो महीने तक यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा.

जम्मू तवी रेलवे स्टेशन पर विकास कार्य तेजी से चल रहे हैं. इसके चलते यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. स्टेशन पर यात्रियों को सर्दी के साथ अव्यवस्थाओं से रूबरू होना पड़ रहा है. फिरोजपुर रेलवे डिविजन ने प्रेस नोट जारी कर जानकारी दी कि है कि जम्मू तवी रेलवे स्टेशन पर री डेवलपमेंट काम के चलते करीब 65 ट्रेनें अलग अलग तारीखों पर रद्द की गई और कईयों को रिश्डयूल किया गया है.

रद्द रहने वाली ट्रेनों में जम्मू तवी-बाड़मेर (14662) है, इसे 15 जनवरी से 6 मार्च तक रद्द किया है. इसके अलावा ट्रेन संख्या 14661 बाड़मेर-जम्मू तवी को 18 जनवरी से 9 मार्च तक के लिए केंसल किया गया है. ट्रेन संख्या 74909 और 74910 पठानकोट-उधमपुर-पठानकोट 15 जनवरी से 6 मार्च तक नहीं चलेगी. ट्रेन संख्या 12355 पटना-जम्मू तवी और 12356 जम्मू तवी-पटना जनवरी में 14, 18, 21, 25, 28, फरवरी महीने में 1, 4, 8, 11, 15, 18, 22, 25 और मार्च में 1 और 4 को रद्द रहेंगी.

इनके अलावा केंसल ट्रेनों में गाड़ी संख्या22941 और 22942 इंदौर-एमसीटीएम उधमपुर-इंदौर भी शामिल है. ये जनवरी में 20, 22, 27, 29, फरवरी में 3, 5, 10, 12, 17, 19, 24, 26 और मार्च में 3 और 5 को रद्द रहेगी. गाड़ी संख्या 20847-20848 दुर्ग-एमसीटीएम उधमपुर 15, 17, 22, 24, 29, 31 जनवरी, फरवरी में 5, 7, 12, 14, 19,21, 25 और 28 को केंसल की गई है. ट्रेन संख्या 22317 सियालदह-जम्मू तवी 24 फरवरी से 3 मार्च और गाड़ी संख्या 22318 जम्मू तवी-सियालदह 26 फरवरी से पांच मार्च तक रद्द रहेगी.

जम्मू तवी रेलवे स्टेशन आने वाली गाड़ी संख्या 22705 और 22706 त्रिपुरा-जम्मू-त्रिपुरा को जनवरी में 14,17,21,24, 28,31 फरवरी में 4, 7, 11, 14, 18, 21, 25 और 28 को रद्द किया गया है. गाड़ी संख्या 12210 और 11209 काठगोदाम-कानपुर सेंट्रल एक्सप्रेस तीन व चार मार्च, गाड़ी संख्या 12587 और 12588 गोरखपुर-जम्मूतवी एक्सप्रेस तीन व आठ मार्च, गाड़ी संख्या 15098 और 15097 जम्मू तवी-भागलपुर एक्सप्रेस चार और छह मार्च को केंसल रहेगी.

भारत ने स्पेस में रचा नया इतिहास, ISRO के SpaDeX ने पूरा किया डॉकिंग प्रोसेस

भारत ने अंतरिक्ष में नया कीर्तिमान स्थापित किया है. इसरो के स्पैडेक्स मिशन ने ऐतिहासिक डॉकिंग सफलता हासिल की. इसरो ने पहली बार पृथ्वी की कक्षा में दो उपग्रह सफलतापूर्वक स्थापित किए. इसके साथ ही भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला अमेरिका, रूस , चीन के बाद चौथा देश बन गया है. यह वाकई ​​भारत के लिए गर्व का पल है. पीएम मोदी ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए इसरो को बधाई दी है.

ISRO ने कहा- यह एक ऐतिहासिक क्षण है

वहीं, इसरो ने भी इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए अपनी पूरी टीम को बधाई दी है. एजेंसी ने कहा कि स्पैडेक्स मिशन के डॉकिंग की प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी हुई. यह एक ऐतिहासिक क्षण है. 15 मीटर से 3 मीटर होल्ड पॉइंट तक लाने का प्रोसेस पूरा हुआ. स्पेसक्राफ्ट को सफलतापूर्वक कैप्चर किया गया. भारत अंतरिक्ष में सफल डॉकिंग हासिल करने वाला चौथा देश बन गया.

12 जनवरी को पूरा हुआ था इसका ट्रायल

दरअसल, रविवार 12 जनवरी को स्पैडेक्स के दोनों उपग्रह चेजर और टारगेट एक दूसरे के बेहद करीब आ गए थे. दोनों सैटेलाइट्स को पहले 15 मीटर और फिर 3 मीटर तक करीब लाया गया था. इससे एक दिन पहले यानी शनिवार को स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (स्पेडेक्स) मिशन में शामिल दोनों उपग्रहों के बीच की दूरी 230 मीटर थी. इससे पहले इस मिशन को दो से तीन बार से लिए स्थगित भी किया गया था.

इसरो ने इस मिशन को 30 दिसबंर कोलॉन्चकिया था

स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट मिशन का उद्देश्य अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक को प्रदर्शित करना है, जो भारत के भविष्य के अंतरिक्ष प्रयासों के लिए महत्वपूर्ण है. अब ये मिशन अंतरिक्ष स्टेशन और चंद्रयान-4 की सफलता तय करेगा. इसरो ने इस मिशन को 30 दिसबंर को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर सेPSLV-C60 रॉकेट की सहायता से सफलतापूर्वक लॉन्च किया था.

चंद्रयान-4 की सफलता के लिए मील का पत्थर साबित होगा

श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किए गए इस मिशन में दो छोटे उपग्रह शामिल हैं. इनमें से प्रत्येक का वजन लगभग 220 किलोग्राम है. इसरो के लिए ये मिशन एक बहुत बड़ा एक्सपेरिमेंट है. यह मिशन भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना और चंद्रयान-4 की सफलता के लिए मील का पत्थर साबित होगा. चंद्रयान-4 मिशन में इसी डॉकिंग-अनडॉकिंग तकनीक का इस्तेमाल होगा. नासा की तरह अपना खुद का स्पेस स्टेशन बनाने में इसी मिशन की तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा. इंसानों को चंद्रमा पर भेजने के लिए भी ये टेक्नोलॉजी जरूरी है.

अयोध्या में महाकुंभ जैसा नजारा, दर्शन को पहुंचे लाखों श्रद्धालु

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में महाकुंभ जैसा नजारा देखने को मिल रहा है. यहां रामलला के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है. जहां एक तरफ प्रयागराज में लगे महाकुंभ में देश-विदेश के श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा हुआ है और पूरी दुनियां सनातन के इस महापर्व में उमड़े श्रद्धालुओं की संख्या को देख कर अचंभित है, वहीं वैसा ही नजारा अयोध्या धाम में भी देखने को मिल रहा है. कुंभ में शाही स्नान के बाद उत्तर प्रदेश में अन्य तीर्थ स्थलों पर श्रद्धालुओं की आमद में भारी संख्या में इजाफा हुआ है.

उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ पर्व के दौरान प्रदेश के सभी तीर्थ स्थलों पर श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोतरी की आशंका व्यक्त की थी. अयोध्या धाम में भी जिला प्रशासन ने महाकुंभ के दौरान श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोतरी की आशंका जताई थी. ठीक वैसा ही हुआ है. 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा और 14 जनवरी को मकर संक्रांति के शाही स्नान के बाद अयोध्या में 15 जनवरी और आज यानी 16 जनवरी को श्रद्धालुओं की भीड़ का रैला देखने को मिल रहा है.

5 जोन और 12 सेक्टर में बांटा

अयोध्या धाम में श्रद्धालुओं का आवागमन जारी है. सरयू तट, हनुमानगढ़ी, राम मंदिर, राम पथ पर भारी तादात में श्रद्धालु देखे जा रहे हैं. यही नहीं राम नगरी में श्रद्धालुओं की भीड़ को मैनेज करने के लिए पूरे मेला क्षेत्र को 5 जोन 12 सेक्टर में बांटा गया है. जगहजगह यातायात व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए बैरिकेडिंग की गई है. भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन के द्वारा बैकअप प्लान की भी रूप रेखा तैयार की गई है.

हनुमान गढ़ी में दर्शन के लिए लगी लंबी कतार

15 जनवरी को राम नगरी में पूरे दिन बाहरी तादात में श्रद्धालुओं का आगमन हुआ. सिद्ध पीठ हनुमानगढ़ी में दर्शन के लिए छोटी देवकाली चौराहे के समीप मौर्य मिष्ठान तक श्रद्धालुओं की लंबी कतार देखी गई.रामपथ के निवासियों का कहना है कि अपने जीवनकाल में हनुमान गढ़ी में दर्शन हेतु इतनी लंबी कतार उन्होंने पहले कभी नहीं देखी. वहीं, राम मंदिर में भी पूरे दिन श्रद्धालुओं का ताता लगा रहा.

एसएसपी ने संभाला मोर्चा

भीड़ में मोर्चा संभालने के लिए जिले के पुलिस कप्तान राज करण नैयर को खुद ग्राउंड पर उतरना पड़ा. राम पथ, लता मंगेशकर चौक, हनुमानगढ़ी पर श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने एक-एक घंटे पर इन जगहों पर पैदल मार्च किया तथा व्यवस्थाओं को परखा. इस दौरान पूरे दिन श्रद्धालु नाचते गाते राम नाम का कीर्तन करते हुए सरयू घाट से राम मंदिर और हनुमानगढ़ी तक देखें गए.