बिहार में 72 प्रतिशत कम हुई नक्सली गतिविधियां, अगले साल के अंत तक प्रदेश नक्सलियों का पूरी तरह हो जाएगा सफाया : एडीजी
डेस्क : बिहार में पिछले 5 वर्षों में नक्सली गतिविधि में 72 फीसदी की कमी आई है। अगले साल 2025 के अंत तक प्रदेश में नक्सलियों का पूरी तरह से सफाया हो जाने की संभावना है। उक्त जानकारी एडीजी (अभियान) अमृतराज ने पुलिस मुख्यालय के मुख्य सभागार में आयोजित प्रेस वार्ता में दी।
उन्होंने कहा कि 2018 में नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 16 थी, जो अभी घटकर 8 रह गई है। जबकि, 2012 में सूबे के 22 जिले नक्सल प्रभावित हुआ करते थे। नक्सल उन्मूलन अभियान में केन्द्रीय सुरक्षा बल और राज्य एसटीएफ की निरंतर सक्रियता के कारण यह कमी आई है।
एडीजी ने वर्ष 2025 के अंत तक नक्सलियों के सफाये की संभावना जताते हुए कहा कि नक्सलियों की वित्तीय पोषकता समाप्त करने पर फोकस किया जा रहा है। इसके लिए इनके लेवी नेटवर्क को ध्वस्त करने के साथ ही इनके आय के मुख्य स्रोत में शामिल अफीम की खेती को लगातार नष्ट किया जा रहा है। लेवी के 56 लाख 61 हजार रुपये जब्त किए गए हैं। गया, जमुई, औरंगाबाद जिलों में इसके लिए निरंतर अभियान चलाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि सभी नक्सली नेताओं की संपत्ति जब्त करने पर भी खासतौर से फोकस किया जा रहा है। अब तक 32 मामलों में 6 करोड़ 75 लाख रुपये की संपत्ति जब्त की जा चुकी है। पीएमएलए के तहत 14 मामलों में 8 करोड़ 97 लाख रुपये की अवैध संपत्ति जब्त करने का प्रस्ताव ईडी को भेजा गया है। इसमें 4 करोड़ 93 लाख रुपये की चल-अचल संपत्ति कुख्यात नक्सली संदीप यादव, प्रद्मयुमन शर्मा, मुसाफिर सहनी, अरविंद यादव, रामबाबु राजन, पिंटु राणा, विनय यादव, अनिल राम, दिलीप और अभिजीत यादव शामिल हैं।
बताया कि राज्य में 2022 में गिरफ्तारी के लिए 118 कुख्यात नक्सली वांटेड थे, जिनकी संख्या अभी घटकर 18 हो गई है। इसमें औरंगाबाद इलाके का कुख्यात नक्सली विवेक और मुंगेर इलाके का सुरेश कोड़ा प्रमुख है। इस वर्ष राज्य के अंदर और दूसरे राज्यों से 123 नक्सली गिरफ्तार हुए हैं, जिसमें 11 इनामी नक्सली शामिल हैं। 24 आधुनिक हथियार बरामद हुए हैं। 3 कुख्यात नक्सली विरेंद्र कोड़ा, जगदीश कोड़ा और मतलु तुरी मुठेभेड़ में मारे गए हैं। इस वर्ष 11 नक्सली घटनाएं हुई, लेकिन किसी आम व्यक्ति की जान नहीं गई है। पिछले तीन वर्ष में 397 नक्सली गिरफ्तार हुए हैं।
Dec 24 2024, 10:56