चालबाजियों से बाज नहीं आ रहा चीन, भूटान में डोकलाम के पास बसाए 22 गांव, भारत के लिए क्यों टेंशन की बात?
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एक तरफ भारत और चीन द्विपक्षीय संबंधों की बहाली को लेकर बातचीत कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर ड्रैगन अपनी चालबाजी से बाज नहीं आ रहा है। एक बार फिर चीन की चाल ने भारत की परेशानी को बढ़ाने का काम किया है। चीन ने पिछले 8 साल में भूटान का हिस्सा माने जाने वाले क्षेत्र में कम से कम 22 गांव और बस्तियां बसाने का काम किया है।
*चीन ने बढ़ाई भारत की चिंता*
चीन ने जिन 22 गांवों का निर्माण किया है, उसमें सबसे बड़े गांव का नाम जीवू है, जो पारंपरिक भूटानी चरागाह त्सेथांखखा पर स्थित है। चीन की इस चाल ने भारत की टेंशन बढ़ा दी है। इस क्षेत्र में चीनी स्थिति मजबूत होने से सिलीगुड़ी कॉरिडोर (जिसे चिकन नेक भी कहा जाता है) की सुरक्षा पर खतरा मंडरा सकता है। यह कॉरिडोर भारत को पूर्वोत्तर के राज्यों से जोड़ता है।सिलीगुड़ी कॉरिडोर के पास भारत-तिब्बत-भूटान ट्राई-जंक्शन है। 60 किमी लंबा और 22 किमी चौड़ा यह कॉरिडोर नॉर्थ-ईस्ट के 7 राज्यों को भारत के साथ जोड़ता है।इस कॉरिडोर का भारत के लिए रणनीतिक महत्व है, क्योंकि चीन भूटान की सीमाओं के पास अपने अतिक्रमण का विस्तार कर रहा है, ताकि ज़मीन के इस संकरे हिस्से पर अपना प्रभाव जमा सके। इसकी कमज़ोरी भारत के पूर्वी क्षेत्र में चीन की मज़बूती है।
*7 हजार लोगों को किया स्थानांतरित*
स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज (एसओएएस) के रिसर्च सहयोगी रॉबर्ट बार्नेट की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, 2016 से, जब चीन ने पहली बार भूटान का हिस्सा माने जाने वाले क्षेत्र में एक गांव बनाया था, तब से चीनी अधिकारियों ने अनुमानित 2,284 आवासीय इकाइयों वाले 22 गांवों और बस्तियों का निर्माण पूरा कर लिया है। रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने लगभग 7 हजार लोगों को यहां स्थानांतरित भी कर दिया है।
रिपोर्ट के अनुसार चीन ने लगभग 825 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर (जो भूटान के अंदर था) कब्जा कर लिया, जो देश के 2 फीसदी हिस्से से थोड़ा अधिक है। चीन ने इन गांवों में अज्ञात संख्या में अधिकारियों, निर्माण करने वालो मजदूरों, बॉर्डर पुलिस और सैन्य कर्मियों को भी भेजा है। ये सभी गांव सड़क के माध्यम से चीन से जुड़े हुए हैं।
*साल 2017 से चल रहा डोकलाम बॉर्डर पर विवाद*
भूटान की 600 किमी सीमा चीन से लगती है। दो इलाकों को लेकर सबसे ज्यादा विवाद है। पहला- 269 वर्ग किमी क्षेत्रफल का डोकलाम इलाका और दूसरा- उत्तर भूटान में 495 वर्ग किमी का जकारलुंग और पासमलुंग घाटी का क्षेत्र। सबसे गंभीर मामला डोकलाम का है, जहां चीन, भारत और भूटान तीनों देशों की सीमाएं लगती है।
भारत और चीन की सेनाओं के बीच साल 2017 में लद्दाख के पास डोकलाम में हुए विवाद पर गतिरोध 73 दिनों तक चला था। उस दौरान भारत ने चीन की ओर से सड़क निर्माण का विरोध किया था। जिसके बाद दोनों देशों की सेनाएं पीछे हटीं। बीते कुछ सालों से चीन फिर डोकलाम के पास अपनी गतिविधि बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।
*भारत के सामने कई सवाल*
कागजों पर, भूटान, भारत की सहमति के बिना डोकलाम के नजदीकी इलाकों को नहीं छोड़ सकता क्योंकि 2007 की भारत-भूटान शांति संधि के अनुसार भारत को भारत की सुरक्षा चिंताओं का सम्मान करना होगा। इससे हमारे सामने कई सवाल खड़े होते हैं - क्या चीन ने भूटान को भारतीय सीमा के नजदीकी इलाके को छोड़ने के लिए मजबूर किया?
क्या थिम्पू ने भूटानी प्रधानमंत्री की हाल की भारत यात्रा के दौरान डोकलाम के नजदीक चीन द्वारा किए जा रहे निर्माण कार्य के बारे में नई दिल्ली को बताया या शर्मिंदगी से बचने के लिए मामले को दबा दिया गया? ये सवाल इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में अपने सीमा विवाद को सुलझाने की प्रक्रिया में हैं।





दिल्ली हाई कोर्ट ने बर्खास्त ट्रेनी आईएएस अफसर पूजा खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि पूजा खेडकर ने जिस तरह का फ्रॉड किया है, यह न केवल उस संस्था (यूपीएससी) के साथ फ्रॉड है बल्कि पूरे समाज के साथ खिलवाड़ है। इसलिए यह याचिका खारिज की जाती है और खेडकर को दी गई अंतरिम सुरक्षा रद्द की जाती है।पूर्व आईएएस प्रोबेशनर पर सिविल सेवा परीक्षा में कथित धोखाधड़ी और ओबीसी-दिव्यांगता कोटे का गलत लाभ उठाने का केस दर्ज है।
सीरिया में तख्तापलट के बाद राष्ट्रपति बशर अल असद का परिवार रूस में है। वह खुद भी रूस भाग चुके हैं। लेकिन इस बीच उनके लिए बुरी खबर आई है।सीरिया के अपदस्थ राष्ट्रपति बशर अल-असद की पत्नी अस्मा अल-असद ने अदालत में तलाक के लिए अर्जी दाखिल की। खबरों के मुताबिक असमा ने रूस की कोर्ट में असद से तलाक और रूस छोड़ने की अर्जी दायर की है। बशर अल-असद की पत्नी रूस में नहीं रहना चाहती हैं और वापस लंदन जाना चाहती हैं।
पंजाब के गुरुदासपुर जिले में पुलिस चौकी पर ग्रेनेड से हमला मामले में पुलिस को बड़ी कामयाबी हासिल हुई है। यूपी और पंजाब पुलिस ने मुठभेड़ में तीन खालिस्तानी आतंकियों को मार गिराया है। तीनों आतंकी खालिस्तानी कमांडो फोर्स के थे। मौके से दो एके-47 और दो पिस्टल बरामद की गई हैं। तीनों ने गुरदासपुर चौकी पर ग्रेनेड फेंका था। तीनोम आतंकियों के साथ उत्तर प्रदेश पुलिस ने पीलीभीत जिले में मुठभेड़ हुई। मुठभेड़ में घायल होने के बाद तीन आतंकियों को गिरफ्तार कर लिया गया। लेकिन इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई इनके पास से 2 एके 47 और दो पिस्टल बरामद हुई हैं। मुठभेड़ की घटना पूरनपुर थानाक्षेत्र में नहर के पास हुई। पूरनपुर क्षेत्र में पंजाब और यूपी पुलिस की संयुक्त टीम ने यह कार्रवाई की है। पूरनपुर क्षेत्र में हरदोई ब्रांच नहर के करीब सोमवार सुबह करीब पांच बजे मुठभेड़ हुई। मारे गए आतंकवादियों के नाम प्रताप सिंह (23) पुत्र स्वरूप सिंह, शाहनूर खुर्द कलानूर जिला गुरदास पुर, वीरेंद्र सिंह (23) पुत्र रंजीत सिंह, ऐशबान थाना कलानूर, गुरविंदर सिंह (20) पुत्र गुरदेव सिंह बुढिया कलानूर गुरदासपुर पंजाब हैं। दो एके-47 और दो पिस्टल बरामद हुई हैं। बताया जा रहा है कि ये तीनों पंजाब के गुरदासपुर में पुलिस चौकी पर हमले के मामले में वांछित थे। पंजाब के गुरदासपुर में पुलिस चौकियों में धमाके हुए थे। पहले बंद पड़ी पुलिस चौकी बख्शीवाल पर गुरुवार को हमला हुआ। उसके एक दिन बाद शुक्रवार रात्रि एक और बंद पुलिस चौकी पर धमाका हुआ। ये दोनों पुलिस चौकियां कर्मचारियों की कमी के कारण पिछले दिनों बंद कर दी गई थीं। धमाके से आसपास के घरों के लोग सहम गए थे। पुलिस ने बताया था कि वडाला बांगर की चौकी में रात को धमाके से लोग दहल गए थे। लोग डर के घरों से बाहर निकले तो पता चला कि पुलिस थाने से आवाज आई है। इसके बाद यहां रात भर पुलिस की गाड़ियों के सायरन बजते रहे।
Dec 23 2024, 18:54
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