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अब आरबीआई को बम से उड़ाने की धमकी, रूसी भाषा में आया मेल, जांच में जुटी पुलिस

#governor_of_reserve_bank_of_india_gets_threat_mail 

देश की राजधानी दिल्ली में आए दिन स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी मिल रही ही। इसी क्रम में गुरूवार रात को भी कई स्कूलों को धमकी भरा ई-मेल आया। इसके बाद भारतीय रिजर्व बैंक को शुक्रवार को एक धमकी भरा ईमेल मिला। इसमें आरबीआई के मुंबई कार्यालय को बम से उड़ाने की धमकी दी गई। धमकी भरा मेल आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा की आधिकारिक ईमेल आईडी पर आया। धमकी रूसी भाषा में दी गई। 

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक मुंबई पुलिस के ज़ोन 1 के डीसीपी ने बताया कि आरबीआई की आधिकारिक वेबसाइट पर रूसी भाषा में धमकी भरा ईमेल मिला। ईमेल में बैंक को उड़ाने की धमकी दी गई है। मामले में अज्ञात आरोपी के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है और जांच जारी है।

यह मेल रूसी भाषा में होने की वजह से एजेंसियां और भी सतर्क हो गई है। यह भी पता लगाया जा रहा है कि किसी ने जानबूझकर परेशान करने की मंशा से तो मेल नहीं भेजा है। किसी ने वीपीएन के जरीए तो मेल नहीं किया है, इसे लेकर आईपी एड्रेस का पता लगाया जा रहा है। इस मामले में क्राइम ब्रांच जुटी हई है और एक्सपर्ट की भी मदद ली जा रही है।

यह धमकी भरा मेल आरबीआई के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा के रिजर्व बैंक के 26वें गवर्नर के रूप में कार्यभार संभालने के कुछ दिनों बाद आया है। उन्होंने शक्तिकांत दास की जगह ली है, जिन्होंने छह साल तक इस पद की जिम्मेदारी संभाली थी। राजस्थान कैडर के आईएएस अधिकारी मल्होत्रा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने चुना था।

पिछले महीने भी मिली थी धमकी

पिछल महीने भी ऐसा ही एक मामला सामने आया था जब भारतीय रिजर्व बैंक के कस्टमर केयर नंबर पर कॉल आया और उसने खुद को लश्कर-ए-तैयबा का सीईओ बताया था। उसने सेंट्रल बैंक को बम से उड़ाने की धमकी भी दी थी। धमकी देने वाला यह कहते हुए फोन रख देता है कि पीछे का रास्ता बंद कर दो, इलेक्ट्रिक कार खराब हो गई है।

स्कूलों को हाल ही में धमकी मिली

यह घटना ऐसे समय में सामने आई है जब दिल्ली के छह स्कूलों को हाल ही में ईमेल के जरिए बम धमकी मिली थी। इन धमकियों के बाद स्कूल परिसरों में कई एजेंसियों ने सर्च अभियान चलाया। इससे पहले 9 दिसंबर को दिल्ली के 44 स्कूलों को भी इसी तरह के ईमेल मिले थे, जिन्हें पुलिस ने बाद में फर्जी करार दिया था।

डिंग लिरेन पर गुकेश से 'जानबूझकर' हारने का आरोप, रूसी शतरंज प्रमुख ने की जांच की मांग

रूसी शतरंज महासंघ के अध्यक्ष आंद्रेई फिलाटोव ने चीन के डिंग लिरेन पर विश्व शतरंज चैंपियनशिप का फाइनल भारत के डी गुकेश से जानबूझकर हारने का आरोप लगाया। यूक्रेनी शतरंज कोच पीटर हेन नीलसन ने रूसी समाचार एजेंसी TASS में प्रकाशित एक रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट साझा किया, जिसमें फिलाटोव को सिंगापुर में डिंग और गुकेश के बीच खेले गए फाइनल पर FIDE से एक अलग जांच शुरू करने के लिए कहा गया था। फिलाटोव ने कहा कि डिंग की गलती, जिसने आखिरी गेम को गुकेश के पक्ष में कर दिया, ने "पेशेवर और शतरंज प्रशंसकों के बीच घबराहट पैदा कर दी।"

"आखिरी गेम के परिणाम ने पेशेवरों और शतरंज प्रशंसकों के बीच घबराहट पैदा कर दी। निर्णायक सेगमेंट में चीनी शतरंज खिलाड़ी की हरकतें बेहद संदिग्ध हैं और FIDE द्वारा एक अलग जांच की आवश्यकता है। डिंग लिरेन जिस स्थिति में थे, उसे खोना एक प्रथम श्रेणी के खिलाड़ी के लिए भी मुश्किल है। एजेंसी के अनुसार, फिलाटोव ने कहा, "आज के खेल में चीनी शतरंज खिलाड़ी की हार कई सवाल खड़े करती है और ऐसा लगता है कि यह जानबूझकर किया गया है।"

यह चाल अंतिम गेम (14वें) के अंतिम चरण में आई, जो ड्रॉ की ओर बढ़ रहा था। तनावपूर्ण एंडगेम के दौरान समय के दबाव में, डिंग ने एक महत्वपूर्ण गलत अनुमान लगाया। ड्रॉ के लिए अपने राजा और किश्ती को जुटाने के प्रयास में, उसने अनजाने में एक गलती कर दी। इस चाल ने गुकेश की स्थिति को और अधिक लाभप्रद सेटअप में सरल बनाने की अनुमति दी, जहाँ उसके सक्रिय मोहरे और बेहतर मोहरे की संरचना ने अंततः जीत हासिल की।

क्रैमनिक फाइनल की गुणवत्ता से खुश नहीं

फिलाटोव अकेले ऐसे व्यक्ति नहीं थे जिन्होंने डिंग की गलती पर अपनी निराशा व्यक्त की, जिसने गुकेश को 18 साल की उम्र में सबसे कम उम्र का विश्व चैंपियन बना दिया। पूर्व विश्व चैंपियन व्लादिमीर क्रैमनिक फाइनल में प्रदर्शित शतरंज की गुणवत्ता से प्रभावित नहीं थे। मैच के बाद, क्रैमनिक ने खेल की गुणवत्ता पर अपनी निराशा व्यक्त की, और डिंग द्वारा की गई एक गंभीर गलती को "बचकाना" बताया। अपनी प्रतिक्रिया में, क्रैमनिक ने 'X' पर लिखा, "कोई टिप्पणी नहीं। दुखद। शतरंज का अंत जैसा कि हम जानते हैं।" दूसरे ट्वीट में, उन्होंने कहा, "अभी तक किसी भी विश्व कप खिताब का फैसला इतनी बचकानी एक चाल की गलती से नहीं हुआ है।" क्रैमनिक ने चैंपियनशिप के छठे गेम के बाद खेल के स्तर की भी आलोचना की थी, इसे "कमज़ोर" कहा था। "सच कहूँ तो, मैं आज के खेल (गेम 6) से बहुत निराश हूँ। यहाँ तक कि गेम 5 भी बहुत उच्च स्तर का नहीं था, लेकिन आज यह वास्तव में - एक पेशेवर के लिए - दोनों खिलाड़ियों का खेल वास्तव में कमज़ोर था। यह बहुत निराशाजनक स्तर है," उन्होंने कहा था।

लोकसभा में आज संविधान पर चर्चा, प्रियंका गांधी विपक्षी खेमे से करेंगी बहस की शुरुआत, संसद में होगा पहला भाषण

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देश में संविधान को अपनाए जाने के 75वें वर्ष की शुरुआत के उपलक्ष्य में शुक्रवार को लोकसभा में संविधान पर दो दिवसीय बहस शुरू होगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बहस की शुरुआत करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को बहस का जवाब देंगे। गृह मंत्री अमित शाह राज्यसभा में 16 दिसंबर को बहस की शुरुआत करेंगे। 17 को पीएम मोदी राज्यसभा में बहस का जवाब देंगे। लोकसभा के एजेंडे के अनुसार, संविधान पर विशेष चर्चा प्रश्नकाल के बाद शुरू होगी। विपक्ष की ओर से प्रियंका गांधी चर्चा की शुरुआत कर सकती हैं। वहीं, राज्यसभा में विपक्ष की ओर से मल्लिकार्जुन खरगे बहस शुरू करेंगे।

प्रियंका गांधी का लोकसभा में पहला भाषण

वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी वाद्रा आज यानी 13 दिसंबर को पहली बार संसद में बोलेंगी और विपक्षी खेमे से बहस की शुरुआत करेंगी। प्रियंका गांधी का यह लोकसभा में पहला भाषण होगा। इस दौरान संभावना है कि वो संविधान को लेकर हो रही चर्चा में कई अहम मुद्दे उठाएंगी। प्रियंका गांधी से पहले संभावना थी कि विपक्ष की तरफ से राहुल गांधी विपक्ष के नेता के रूप में लोकसभा में संविधान पर चर्चा शुरू करेंगे, लेकिन कुछ नेताओं ने रणनीति में बदलाव की ओर इशारा करते हुए कहा कि वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी वाद्रा विपक्षी खेमे के लिए बहस की शुरुआत कर सकती हैं। प्रियंका गांधी ने भी वायनाड के उपचुनाव में कई बार संविधान का मुद्दा उठाया है, इसी के बाद आज पहली बार होगा जब वो लोकसभा में संविधान को लेकर बात करेंगी।

प्रधानमंत्री ने की रणनीतिक बैठक

दो दिवसीय बहस से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक रणनीतिक बैठक की। इसमें अमित शाह, राजनाथ सिंह के अलावा भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा भी शामिल हुए। शाह ने इससे पूर्व संसद स्थित अपने कार्यालय में नड्डा, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल व संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू समेत भाजपा के वरिष्ठ मंत्रियों के साथ बैठक की।

भाजपा व कांग्रेस ने जारी किया तीन लाइन का व्हिप

वहीं, भाजपा और कांग्रेस ने अपने सभी लोकसभा सांसदों के लिए ‘तीन लाइन व्हिप’ नोटिस जारी किया है। इसमें उनसे 13 व 14 दिसंबर को संविधान पर चर्चा के दौरान लोकसभा में मौजूद रहने को कहा है। भाजपा ने सभी सदस्यों से सदन में उपस्थित रहकर सरकार के रुख का समर्थन करने को कहा है।

एनडीए के ये सांसद चर्चा में लेंगे हिस्‍सा

भारतीय जनता पार्टी की ओर से 12 सांसदों के संविधान पर चर्चा में भाग लेने की खबर सामने आ रही है। वहीं, एनडीए के सहयोगी दलों में जेडीएस से एचडी कुमारस्वामी, शिवसेना से श्रीकांत शिंदे, एलजेपी से शांभवी चौधरी, आरएलडी से राजकुमार सांगवान, एचएएम से जीतन राम मांझी, अपना दल से अनुप्रिया पटेल और जेडीयू से राजीव रंजन सिंह चर्चा में हिस्‍सा ले सकते हैं।

विपक्षी पार्टियों से 7 से 9 सांसद

कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियों से 7 से 9 सांसद बहस में शामिल हो सकते हैं। इनमें कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी, प्रियंका गांधी के अलावा मनीष तिवारी और शशि थरूर हो सकते हैं। डीएमके की ओर से टीआर बालू और ए राजा, टीएमसी से कल्याण बनर्जी और मोहुआ मोइत्रा बहस में भाग ले सकती हैं।

सर्दी का सितमःदिल्ली-एनसीआर में बढ़ी ठिठुरन, पारा गिरकर 3.2 डिग्री तक पहुंचा, शीतलहर को लेकर अलर्ट
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* दिल्ली-एनसीआर समेत पूरा उत्तर भारत में मौसम का मिजाज बदलने लगा हैं। भीषण ठंड के प्रकोप में लोग ठिठुर रहे हैं। पहाड़ों पर बर्फबारी हो रही है जिसका असर देश की राजधानी दिल्ली में दिखने लगा है। दिल्ली में 2 दिनों से ठंड में इजाफा हुआ है। मौसम विभाग के मुताबिक दिल्ली में गुरुवार को पिछले तीन सालों में सबसे ठंडा दिसंबर का दिन रहा। नई दिल्ली स्थित क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र के आंकड़ों के अनुसार, गुरुवार (12 दिसंबर) को दिल्ली के पूसा में न्यूनतम तापमान 3.2 डिग्री सेल्सियस और अयंगर में 3.8 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। साथ ही इलाकों में शीत लहर की भी स्थिति देखी गई। आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर 2023 और 2022 में न्यूनतम तापमान 4.9 डिग्री सेल्सियस से नीचे नहीं गया। पिछले साल दिसंबर में सबसे कम न्यूनतम तापमान 15 तारीख को 4.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था, जबकि 2022 में सबसे कम तापमान 26 तारीख को पांच डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक आने वाले हफ्तों में उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में अलग-अलग स्थानों पर शीत लहर की स्थिति बनी रहेगी। विभाग ने दिल्ली और आसपास के इलाकों के लिए अलर्ट जारी किया है। विभाग के मुताबिक आने वाले आज राष्ट्रीय राजधानी में शीतलहर चलेगी, जिसकी वजह से तापमान में गिरावट आएगी और ठंड बढ़ेगी। मौसम विभाग ने कोल्ड वेव के दौरान लोगों को सतर्क रहने के भी निर्देश दिए हैं। मौसम विभाग ने 15 दिसंबर तक अलग-अलग स्थानों पर शीतलहर की स्थिति रहने का अनुमान जताया है. शुक्रवार सुबह धुंध और कोहरा छाए रहने की संभावना है तथा दिन में आसमान साफ रहेगा. शाम और रात में फिर से धुंध और कोहरा छाए रहने की संभावना है. तापमान न्यूनतम 4.9 डिग्री सेल्सियस से नीचे जा सकता है.
दिल्ली में फिर स्कूलों में बम की धमकी, जानें कौन से स्कूल हैं शामिल?

#mails_threatening_to_blow_up_bombs_sent_to_four_schools_in_delhi

दिल्ली के कई स्कूलों को एक बार फिर बम की धमकी मिली है। राजधानी के की प्राइवेट स्कूलों में शुक्रवार की सुबह एक बार फिर धमकी भरा ईमेल आया है। ईमेल की जानकारी दिल्ली पुलिस और फायर डिपार्टमेंट को दी गई, जिसके बाद तुरंत जांच शुरू हुई। जांच में अब तक कुछ संदिग्ध नहीं पाया गया है।दिल्ली के अलग-अलग स्कूलों को पहले भी इस तरह से धमकी भरे ई-मेल भेजे गए थे। जांच-पड़ताल में मेल में दी गईं सूचनाएं झूठी निकली थीं।

अभी तक छह निजी स्कूलों में बम की धमकी मिली है। बमों की धमकी साउथ दिल्ली पब्लिक स्कूल डिफेंस कॉलोनी, दिल्ली पुलिस पब्लिक स्कूल सफदरजंग, वेंकटेश्वर ग्लोबल स्कूल रोहिणी, भटनागर इंटरनेशनल स्कूल, कैम्ब्रिज स्कूल और डीपीएस अमर कॉलोनी स्कूल को मिली है। डीपीएस स्कूल में सभी अभिभावकों को छुट्टी का मैसेज किया गया है।

इस बार भी बम की धमकी ईमेल से मिली है। देर रात 12 बजकर 54 मिनट पर ये ईमेल भेजी गई है।ईमेल में लिखा गया है कि यह ईमेल आपको यह सूचित करने के लिए है कि आपके स्कूल परिसर में कई विस्फोटक हैं और मुझे यकीन है कि आप सभी अपने छात्रों के स्कूल परिसर में प्रवेश करने पर बार-बार उनके बैग की जांच नहीं करते हैं। इस गतिविधि में एक गुप्त डार्क वेब समूह शामिल है और कई लाल कमरे भी हैं।

ईमेल में आगे कहा गया है कि बम इमारतों को नष्ट करने और लोगों को नुकसान पहुंचाने के लिए पर्याप्त शक्तिशाली हैं। आज से 14 दिसंबर तक, मतलब कल, दोनों दिनों में, एक अपेक्षित पैरेंट्स-टीचर मीटिंग होने वाली है। हमारे स्रोतों के माध्यम से, यह भी पुष्टि हुई है कि सभी ईमेल में शामिल स्कूलों में से एक वर्तमान में अपने खेल दिवस के लिए मार्चिंग कर रहा है, जिसमें छात्र एक सामूहिक मैदान में इकट्ठा होते हैं, जिससे भारी भीड़ होती है।

दमकल विभाग ने ईमेल से धमकी मिलने की पुष्टि की है। दमकल विभाग के मुताबिक सुबह 4.21 बजे भटनागर इंटरनेशनल स्कूल, 6.21 बजे कैम्ब्रिज स्कूल, 6.35 बजे डीपीएस अमर कॉलोनी स्कूल से सूचना मिली है। सूचना मिलते ही सभी स्कूलों में दमकल की गाड़ियां भेजी गई है। अधिकारियों ने कहा कि स्कूलों से अभी भी कई कॉल मिल रहे हैं। सभी स्कूल में पुलिस और दमकल की गाड़ियां के साथ साथ बम निरोधक दस्ता पहुंच कर जांच पड़ताल में जुट गई है।

29 नवंबर को भी मिली थी धमकी

इससे पहले बीते 29 नवंबर को दिल्ली के रोहिणी में एक स्कूल को बम से उड़ाने की धमकी दी गई थी। सुबह 10.57 बजे स्कूल में बम रखने की खबर फैलाई गई थी। जिसके बाद स्कूल की तलाशी ली गई थी। पुलिस को जांच के दौरान कुछ भी नहीं मिला था। पुलिस ने जांच पूरी करने के बाद खबर को झूठा करार दिया था।

भारत के गुकेश बने सबसे युवा वर्ल्ड चैंपियन, चीनी खिलाड़ी को हराकर रचा इतिहास

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भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश ने गुरुवार को विश्व शतरंज चैंपियनशिप के 14वें और अंतिम दौर में चीन के डिंग लिरेन को हराकर खिताब अपने नाम कर लिया। लिरेन को हराकर वह सबसे युवा विश्व शतरंज चैंपियन बन गए। 18 वर्ष की उम्र में उन्होंने इतिहास रच दिया।

6.5 अंको के साथ खेल की शुरुआत हुई थी। अंतिम मैच भी ड्रॉ की तरफ बढ़ता दिख रहा था कि तभी लिरेन की एक गलती उनके लिए भारी पड़ गई और गुकेश को जीत दिला गई। 12 साल के बाद किसी भारतीय ने इस खिताब को अपने नाम करने में कामयाबी हासिल की है।इसके साथ ही विश्वनाथ आनंद के बाद वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप का खिताब जीतने वाले गुकेश सिर्फ दूसरे भारतीय ग्रैंडमास्टर बन गए हैं।

सिंगापुर में पिछले कई दिनों से चल रही वर्ल्ड चैंपियशिप में चीन के डिंग और भारत के गुकेश के बीच कड़ी टक्कर चल रही थी। डिंग ने पिछले साल ये चैंपियनशिप जीती थी। ऐसे में वो डिफेंडिंग चैंपियन के रूप में इस चैंपियनशिप में उतरे थे। वहीं गुकेश ने इस साल के शुरुआत में हुए कैंडिडेट्स टूर्नामेंट जीतकर चैलेंजर के रूप में इस चैंपियनशिप में प्रवेश किया था।

पहले 13 राउंड में दोनों ने 2-2 मुकाबले जीतकर रोमांच और भी बढ़ा दिया था। 9 मैच ड्रॉ भी रहे थे और दोनों के पास 6.5 प्वाइंट्स ही थे। निर्णायक मैच में भी कांटे की टक्कर देखने को मिली। उन्होंने टाइब्रेकर तक इस खिताबी जंग को नहीं पहुंचने दिया। उन्होंने मुकाबले में चीन के ग्रैंडमास्टर को 7.5 – 6.5 के अंतर से शिकस्त दी। जैसे ही डिंग ने रिजाइन किया, गुकेश अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रख पाए और अपनी कुर्सी पर बैठे-बैठे रोने लगे। उनके चेहरे पर जीत की खुशी, सपने के सच होने का एहसास और एक राहत साफ नजर आ रही थी, जबकि उनकी आंखों से आंसू भी बह रहे थे। वो वर्ल्ड चैंपियनशिप में पहुंचने वाले विश्वनाथन आनंद के बाद सिर्फ दूसरे भारतीय और दुनिया के सबसे युवा खिलाड़ी बने थे।

प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्टःकोई नया केस दर्ज नहीं होगा, ना निचली अदालतें दे सकेंगी आदेश, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

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सुप्रीम कोर्ट ने प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट (1991) से जुड़े मामलों को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि जब तक इस कानून को लेकर शीर्ष अदालत में मामला पेंडिंग है, तब तक कोई भी नया मुकदमा देश की किसी भी अदालत में दर्ज नहीं किया जाएगा। सीजेआई संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ यह सुनवाई कर रही थी। याचिका में उपासना स्थल अधिनियम, 1991 की धारा 2, 3 और 4 को रद्द करने की मांग की गई है।

दायर याचिका में प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट, 1991 को चुनौती दी गई है। सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार का पक्ष जानना बेहद जरूरी है। अगली तारीख तक कोई केस दर्ज न हों, तब तक कोई नया मंदिर-मस्जिद विवाद दाखिल नहीं होगा। केंद्र सरकार जल्द इस मामले में हलफनामा दाखिल करें सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सिविल कोर्ट के आदेशों पर पर रोक लगा दी और कहा कि केंद्र सरकार 4 हफ्ते में जवाब दाखिल करे। 8 हफ्ते के बाद मामले की सुनवाई होगी।

सीजेआई ने कहा कि आगे कोई केस दर्ज नहीं होगा। उन्होंने कहा कि हमारे पास अयोध्या का फैसला भी मौजूद है। इस पर केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मामले में जल्द ही जवाब दाखिल किया जाएगा। सीजेआई ने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार का जवाब जरूरी है।

मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह जानकारी दी कि वर्तमान में धार्मिक स्थलों से संबंधित 18 मुकदमे देशभर में अदालतों में लंबित हैं। सीजेआई ने इस संदर्भ में कोर्ट का रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि जब तक सुप्रीम कोर्ट इन मामलों पर कोई निर्णय नहीं देता, तब तक नया मुकदमा दायर नहीं होगा।

क्या है 1991 का प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट

1991 का प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट पीवी नरसिम्हा राव सरकार ने राम मंदिर आंदोलन के चरम पर लागू किया था। इस कानून का उद्देश्य 15 अगस्त, 1947 को मौजूद धार्मिक स्थलों की स्थिति की रक्षा करना था। देश भर में मस्जिद और दरगाह सहित विभिन्न धार्मिक स्थलों पर सर्वेक्षण करने के लिए लगभग 18 मुकदमे दायर किए गए हैं, जिसके बारे में मुस्लिम पक्षों ने दावा किया है कि यह कानून के प्रावधानों की अवहेलना है।

क्या बांग्लादेश की पहचान मिटाने में लगे मोहम्मद यूनुस? अब 'जॉय बांग्ला' अब नहीं होगा राष्ट्रीय नारा

#joybanglawillnolongerbethenationalsloganofbangladesh

शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद से बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर बदलाव हो रहे हैं। शेख हसीना को 5 अगस्त को देश छोड़कर भागना पड़ा और उनकी जगह मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस की अगुवाई में अंतरिम सरकार 8 अगस्त को अस्तित्व में आई। अंतरिम सरकार हसीना सरकार के दौर में लिए गए कई बड़े फैसलों को पलटने में लगी है। इसी बीच, बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट ने एक हाईकोर्ट के उस फैसले को नकार दिया, जिसमें 'जॉय बांग्ला' को बांग्लादेश का राष्ट्रीय नारा घोषित किया गया था।यह नारा पूर्व पीएम और बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान द्वारा लोकप्रिय किया गया था।

शेख हसीना सरकार के जाने के बाद देश में अंतरिम सरकार अस्तित्व में आई और हाई कोर्ट के फैसले को निलंबित करने की मांग की। अंतरिम सरकार ने 2 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में अपील याचिका दायर कर 10 मार्च, 2020 के हाई कोर्ट के इस फैसले पर रोक लगाने की मांग की। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सैयद रेफात अहमद की अगुवाई वाली अपीलीय खंडपीठ की 4 सदस्यीय बेंच ने मंगलवार को इस आधार पर आदेश पारित किया कि राष्ट्रीय नारा सरकार के नीतिगत फैसले से जुड़ा मैटर है और न्यायपालिका इस मुद्दे में हस्तक्षेप नहीं कर सकती।

आदेश में कहा गया कि राष्ट्रीय नारा सरकार के नीतिगत निर्णय का मामला है और न्यायपालिका इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती। सुनवाई में सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त अटॉर्नी जनरल अनीक आर हक ने कहा कि इस आदेश के बाद जॉय बांग्ला को राष्ट्रीय नारा नहीं माना जाएगा।

अंतरिम सरकार की नीति अब “बांग्ला” विरोधी!

इससे यह भी स्पष्ट होता है कि अंतरिम सरकार की नीति अब “बांग्ला” आधार पर नहीं है। बांग्लादेश का पाकिस्तान से अलग होना पूरी तरह से भाषाई अत्याचार पर आधारित था। शेख मुजीबुर्रहमान ने भी अपनी मुस्लिम पहचान को कायम रखते हुए बांग्ला भाषावासियों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाई थी। शेख मुजीबुर्रहमान ने जब यह अनुभव किया था कि उर्दू बोलने वाला पश्चिमी पाकिस्तान अपने ही उस अंग की उपेक्षा कर रहा है, जो बांग्ला बोलता है, तो उन्होंने इसके खिलाफ आवाज उठाई। भारत की सहायता से अपने ही उस मुल्क से आजादी पाई थी, जिस मुल्क के लिए उन्होंने भारत से एक प्रकार से आजादी से पहले जंग लड़ी थी। ऐसे में अब सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को क्या माना जाए?

यह था हाईकोर्ट का फैसला

उच्च न्यायालय ने 10 मार्च 2020 को 'जॉय बांग्ला' को देश का राष्ट्रीय नारा घोषित किया था। कोर्ट ने सरकार को आवश्यक कदम उठाने का आदेश दिया था ताकि नारे का इस्तेमाल सभी राज्य समारोहों और शैक्षणिक संस्थानों की सभाओं में किया जा सके। इसके बाद 20 फरवरी 2022 को हसीना के नेतृत्व वाली कैबिनेट ने इसे राष्ट्रीय नारे के रूप में मान्यता देते हुए एक नोटिस जारी किया और अवामी लीग सरकार ने 2 मार्च 2022 को एक गजट अधिसूचना जारी की।

तख्तापलट के बाद कई बड़े बदलाव

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक दिसंबर को 15 अगस्त को राष्ट्रीय शोक दिवस और सार्वजनिक अवकाश घोषित करने के हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी। इससे पहले 13 अगस्त को अंतरिम सरकार की सलाहकार परिषद ने फैसला लिया था कि 15 अगस्त को कोई राष्ट्रीय अवकाश नहीं होगा। कुछ दिन पहले बांग्लादेश के केंद्रीय बैंक ने करेंसी नोटों से बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की तस्वीर हटाने का फैसला लिया था। बांग्लादेश में हुए सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद बांग्लादेश के राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की बेटी शेख हसीना को पांच अगस्त को प्रधानमंत्री पद और देश छोड़ना पड़ा था। इसके बाद अंतरिम सरकार ने बांग्लादेश की सत्ता संभाली। इसके बाद बंगबंधु रहमान और शेख हसीना के खिलाफ फैसले लिए जा रहे हैं।

एक देश, एक चुनावः बिल पास कैसे कराएगी मोदी सरकार, संविधान में करने होंगे संशोधन?

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‘एक देश एक चुनाव’ बिल को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। केंद्रीय कैबिनेट ने आज यानी गुरुवार को ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ यानी ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ बिल को मंजूरी दे दी है। अब बिल इसी चल रहे शीतकालीन सत्र में संसद में पेश किया जाएगा। चूंकि, वन नेशन, वन इलेक्‍शन के तहत लोकसभा, विधानसभा, नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ कराने की मंशा है, इसलिए यह मामला पेंचीदा हो जाता है। वन नेशन-वन इलेक्शन पर केंद्र सरकार को संविधान में संशोधन करने पड़ेंगे, जिसके लिए इसे संसद में बिल के तौर पर पेश करना होगा। इसके बाद केंद्र सरकार को लोकसभा और राज्यसभा से इसे पास कराना होगा। इतना ही नहीं, संसद से पास होने के बाद इस बिल को 15 राज्यों की विधानसभा से भी पास कराना होगा। ये सब होने के बाद राष्ट्रपति इस बिल पर मुहर लगाएंगे। सवाल यह है कि क्या यह इतनी आसानी से लागू हो जाएगा?

केन्द्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद मोदी सरकार अब संसद में विधेयक लाएगी और वहीं पर उसका असली टेस्ट होगा। बिल को संसद के ऊपरी सदन यानी राज्यसभा से पास कराने में सरकार को मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ेगा, लेकिन लोकसभा में लड़ाई मुश्किल दिख रही है। निचले सदन में जब बिल पर वोटिंग की बारी आएगी तो सरकार विपक्षी दलों के समर्थन की आवश्यकता होगी। मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में बीजेपी के पास अकेले बहुमत नहीं है। केन्द्र में बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार है।

क्या है संसद में नंबर गेम?

लोकसभा चुनाव-2024 के बाद 271 सांसदों ने कोविंद समिति की सिफारिशों का समर्थन किया। इसमें से 240 सांसद बीजेपी के हैं। लोकसभा में एनडीए के आंकड़े की बात करें तो ये 293 है। जब ये बिल लोकसभा में पेश होगा और वोटिंग की बारी आएगी तो उसे पास कराने के लिए सरकार को 362 वोट या दो तिहाई बहुमत की जरूरत पड़ेगी। संवैधानिक विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को अगर वाईएसआरसीपी, बीजेडी और गैर-एनडीए दलों का साथ मिल जाता है तो भी 362 का आंकड़ा छूने की संभावना नहीं है। बीजेपी को 69 सांसदों की जरूरत पड़ेगी जो उसके साथ खड़े रहें।हालांकि ये स्थिति तब होगी जब वोटिंग के दौरान लोकसभा में फुल स्ट्रेंथ रहती है। लेकिन 439 सांसद (अगर 100 सांसद उपस्थित नहीं रहते हैं) ही वोटिंग के दौरान लोकसभा में रहते हैं तो 293 वोटों की जरूरत होगी। ये संख्या एनडीए के पास है। इसका मतलब है कि अगर विपक्षी पार्टियों के सभी सांसद वोटिंग के दौरान लोकसभा में मौजूद रहते हैं तो संविधान संशोधन बिल गिर जाएगा।

एक देश एक चुनाव का 15 दलों ने किया विरोध

बता दें कि कोविंद समिति ने कुल 62 राजनीतिक दलों से एक राष्ट्र एक चुनाव पर राय मांगी थी, जिनमें से 47 ने अपने जवाब भेजे, जबकि 15 ने जवाब नहीं दिया। 47 राजनीतिक पार्टियों में से 32 पार्टियों ने कोविंद समिति की सिफारियों का समर्थन किया, जबकि 15 दल विरोध में रहे। जिन 32 पार्टियों ने कोविंद समिति की सिफारिशों का समर्थन किया उसमें ज्यादातर बीजेपी की सहयोगी पार्टियां हैं और या तो उनका उसके प्रति नरम रुख रहा है। नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी जो मोदी सरकार 2.0 में साथ खड़ी रहती थी उसका रुख भी अब बदल गया है। वहीं, जिन 15 पार्टियों ने पैनल की सिफारिशों का विरोध किया उसमें कांग्रेस, सपा, आप जैसी पार्टियां हैं।

क्या है वन नेशन वन इलेक्शन

भारत में फिलहाल राज्यों के विधानसभा और देश के लोकसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। वन नेशन वन इलेक्शन का मतलब है कि पूरे देश में एकसाथ ही लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव हों। यानी मतदाता लोकसभा और राज्य के विधानसभाओं के सदस्यों को चुनने के लिए एक ही दिन, एक ही समय पर या चरणबद्ध तरीके से अपना वोट डालेंगे।

आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एकसाथ ही हुए थे, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग कर दी गईं। उसके बाद 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई। इस वजह से एक देश-एक चुनाव की परंपरा टूट गई।

वन नेशन-वन इलेक्शन' बिल को मोदी कैबिनेट की मंजूरी, जल्द ही हो सकता है संसद में पेश*
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संसद के शीतकालीन सत्र के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट की अहम बैठक हुई। जिसमें ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक को मंजूरी दे दी गई। अगले सप्ताह संसद में इसे पेश किए जाने की संभावना है। बता दें कि बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार इस पर तेजी से काम कर रही है।इससे पहले 'एक देश, एक चुनाव' पर बनी कोविंद समिति की रिपोर्ट को 18 सितंबर को केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिल गई थी। एक देश एक चुनाव पर यह लेटेस्ट डेवलपमेंट ऐसे वक्त में आया है, जब बुधवार को केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का पुरजोर समर्थन किया था और कहा कि बार-बार चुनाव होने से देश की प्रगति में बाधा आ रही है।सूत्रों के मुताबिक, सरकार बहुत जल्द इस विधेयक को संसद में पेश करेगी। उसके बाद विस्तार से चर्चा की जाएगी। सूत्रों की मानें तो सरकार ने यह तय कर लिया है कि यह एक व्यापक ब‍िल के रूप में पेश क‍िया जाएगा। इसके लिए सभी दलों की राय भी जरूरी होगी, क्‍योंक‍ि यह बहुत बड़ा बदलाव होगा। इसल‍िए इसे पहले संसद की ज्‍वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी को भेजा जा सकता है। इसके बाद राज्‍यों की विधानसभाओं से इसे पास कराना होगा। *कोविंद समिति ने सौंपी थी सिफारिश* प्रधानमंत्री मोदी ने सबसे पहले 2019 में 73वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर एक देश एक चुनाव के अपने विचार को आगे बढ़ाया था। उन्होंने कहा था कि देश के एकीकरण की प्रक्रिया हमेशा चलती रहनी चाहिए। 2024 में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भी प्रधानमंत्री ने इस पर विचार रखा। मोदी सरकार इस बिल को लेकर लगातार सक्रिय रही है। सरकार ने सितंबर 2023 में इस महत्वाकांक्षी योजना पर आगे बढ़ने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई में एक समिति का गठन किया था। कोविंद समिति ने अप्रैल-मई में हुए लोकसभा चुनाव की घोषणा से ठीक पहले मार्च में सरकार को अपनी सिफारिश सौंपी थी। केंद्र सरकार ने कुछ समय पहले समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया था। रिपोर्ट में 2 चरणों में चुनाव कराने की सिफारिश की गई थी। समिति ने पहले चरण के तहत लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने की सिफारिश की है। जबकि दूसरे चरण में स्थानीय निकाय के लिए चुनाव कराए जाने की सिफारिश की गई है। *18 हजार 626 पन्नों की रिपोर्ट* 191 दिनों तक विशेषज्ञों और स्टेकहोल्डर्स से विचार के बाद 18 हजार 626 पन्नों की रिपोर्ट दी गई. इसमें सभी राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल बढ़ाकर 2029 तक करने का सुझाव दिया गया है, ताकि लोकसभा के साथ राज्यों के विधानसभा चुनाव कराए जा सकें. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि नो कॉन्फिडेंस मोशन या हंग असेंबली की स्थिति में 5 साल में से बचे समय के लिए नए चुनाव कराए जा सकते हैं। पहले चरण में विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ कराए जाएं। वहीं, दूसरे चरण में 100 दिनों के अंदर स्थानीय निकायों के चुनाव हो सकते हैं। इन चुनावों के लिए चुनाव आयोग, लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकायों के लिए वोटर लिस्ट तैयार कर सकता है। इसके अलावा सुरक्षा बलों के साथ प्रशासनिक अफसरों, कर्मचारियों और मशीन के लिए एडवांस में योजना बनाने की सिफारिश की गई है। *'वन नेशन, वन इलेक्शन' की राह में कई अड़चन* बता दें कि केंद्र सरकार शुरू से ही वन नेशन, वन इलेक्शन के समर्थन में रही है। हालांकि, मौजूदा व्यवस्था को बदलना बेहद चुनौतीपूर्ण काम है। इसके लिए आम सहमति बेहद आवश्यक है। देश में एक राष्ट्र एक चुनाव को लागू करने के लिए संविधान में संशोधन करने के लिए करीब 6 विधेयक लाने होंगे। इन सभी को संसद में पारित कराने के लिए दो-तिहाई बहुमत की जरूरत होगी।