शीतलहर व ठंड से बचाव के लिए कृषकों व पशुपालकों के लिए जारी की गयी एडवाईज़री
महेश चंद्र गुप्ता
बहराइच। अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी उ.प्र. राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के आदेश के क्रम में शीतलहर व ठंड से बचाव के लिए जिला आपदा प्रबन्ध प्राधिकरण, बहराइच की अध्यक्ष/जिलाधिकारी मोनिका रानी द्वारा कृषकों एवं पशुपकों हेतु क्या करें और क्या न करें के सम्बन्ध में एडवाईज़री जारी की गयी है।
डीएम ने बताया कि शीत लहर व पाला फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे फसलों में काला रतुआ, सफेद रतुआ, पछेती तुषार आदि रोग उत्पन्न होते हैं। शीतलहर के कारण फसलों में अंकुरण, वृद्धि, पुष्पन, उपज और भण्डारण अवधि में विभिन्न प्रकार के व्यवधान उत्पन्न हो जाते हैं। क्या करें के सम्बन्ध में कृषकों को सुझाव दिया गया है कि ठंड से होने वाली बीमारी के लिए उपचारात्मक उपाय अपनायें जैसे बेहतर जड विकास को सक्रिय करने के लिए बोर्डाे मिश्रण या कॉपर ऑक्सी-क्लोराइड, फास्फोरस (पी) और पोटेशियम (के) का छिडकाव करें। शीत लहर के दौरान जहां भी संभव हो, हल्की और बार-बार सतही सिंचाई करें।
कृषकों को सुझाव दिया गया है कि यदि संभव हो तो स्प्रिंकलर सिंचाई का उपयोग करें। ठंड प्रतिरोधी पौधों/फसलों/किस्मों की खेती करें। बागवानी और बगीचों में इंटरक्रॉपिंग (अन्तर फसल) खेती का उपयोग करें। टमाटर, बैंगन जैसी सब्जियों की मिश्रित फसल, के साथ सरसों/अरहर जैसी लंबी फसलें ठंडी हवाओं (हंड के खिलाफ आश्रय) के खिलाफ आवश्यक आश्रय प्रदान करेगी। सर्दियों के दौरान युवा फलदार पौधों को प्लास्टिक द्वारा ढककर अथवा पुआल या सरकंडा घास आदि के छप्पर (झुग्गिया) बनाकर विकिरण अवशोषण (एबसार्पशन) को बढायें जिससे गर्म तापीय व्यवस्था बनी रहे। जैविक मल्चिंग (तापीय इन्सुलेशन के लिए) के साथ-साथ विंड ब्रेक/शेल्टर बेल्ट लगाकर (हवा की गति को कम करने के लिए) उपाय किये जा सकते हैं।
इसी प्रकार पशुपालकों को सुझाव दिया गया है कि शीत लहर के दौरान, जानवरों और पशुधन को जीविका के लिए अधिक भोजन की आवश्यकता होती है क्योंकि ऊर्जा की आवश्यकता बढ़ जाती है। ठंड के कारण तापमान में अत्यधिक भिन्नता भैंसों/मवेशियों में प्रजनन दर प्रभावित हो सकती है।
क्या करें के सम्बन्ध में पशुपालकों को सुझाव दिया गया है कि ठंडी हवाओं के सीधे संपर्क से बचने के लिए रात के दौरान सभी तरफ से जानवरों के आवास को ढक दें। पशुओं और मुर्गियों को ठंड से बचाने और गर्म कपड़े से ढकने की व्यवस्था करें। पशुधन आहार पद्धति और आहार पूरकों में सुधार करें। उच्च गुणवत्ता वाले चारे या चरागाहों के उपयोग के साथ वसामुक्त खुराक प्रदान करें तथा - आहार सेवन, दिखलाने और चबाने के व्यवहार पर अनुपात केंद्रित करें। जलवायु अनुकूल शेड का निर्माण करें जो सर्दियों के दौरान अधिकतम सूर्य प्रकाश तथा गर्मियों के दौरान कम विकिरण की अनुमति देता है। सर्दियों के दौरान पशुओं के नीचे सूखा भूसा जैसी कुछ बिछावान सामग्री डालें तथा विशेष रूप से उपयुक्त नस्लों (फिट नस्लों) का चयन करें।
क्या न करें के सम्बन्ध में सुझाव दिया गया है कि शीतलहर के दौरान पशुओं को खुले स्थानों में न बांधे और न घूमने दें। शीतलहर के दौरान पशुमेलों से बचें। जानकवरों का ठंडा चारा और ठंडा पानी देने से बचें। पशुआश्रय को नमी और धुएं से बचायें तथा मृत पशुओं के शवों को पशुओं के नियमित चरने वाले मार्गों पर फेंकने से बचा जाय।
Dec 11 2024, 19:27