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नया फोन लेने के बाद करें ये 3 सेटिंग, डेटा लीक की टेंशन हो जाएगी खत्म

जब भी नया फोन लेते हैं तो उसमें पुराने फोन का डेटा डाल लेते हैं. लेकिन डेटा ट्रांसफर करने के प्रोसेस में एक टेंशन हमेशा रहती है कि कहीं डेटा लीक तो नहीं हो जाएगा? इस प्रोसेस में थर्ड पार्टी ऐप्लिकेशन की मदद ली जाती है जिसमें डेटा लीक के चांस हमेशा बने रहते हैं. ऐसे में हम आपको 3 ऐसी सेटिंग के बारे में बताएंग जिन्हें फॉलो करके डेटा लीक के चांस कम हो जाते हैं. इससे आपका पर्सनल डेटा भी सेफ रहता है और आपका काम भी हो जाता है.

इसमें नए फोन में फाइल, फोटो, वीडियो शेयरिंग से लेकर नए ऐप्लिकेशन इंस्टॉल करने और सिस्टम अपडेट करने से पहले की सेटिंग बताई गई हैं. इन सेटिंग को पहले ही करले ताकि आप डेटा लीक की टेंशन से बच जाएं.

ये तीन सेटिंग हैं जरूरी

इसके लिए जब भी कोई फाइल, फोटो या वीडियो शेयर या रिसीव करें तो क्विक शेयर में जाना है, इसमें बाई डिफॉल्ट कॉन्टैक्ट्स सलेक्ट होता है, इसे हटाकर योर डिवाइस का ऑप्शन सलेक्ट करें. अगर कोई फाइल रिसीव करनी है तो एव्रीवन पर टिक करें.

नए फोन में ऐप इंस्टॉल करने से पहले करें सेटिंग

अब नया फोन लिया है तो उसमें ऐप्स की भी जरूरत पड़ेगी, तो नए ऐप्स इंस्टॉल कपने से पहले सेटिंग में जाएं. सेटिंग में सर्चबार में अननोन लिख कर सर्च करें, अननोन पर क्लिक करने के बाद नीचे स्क्रॉल करें और इंस्टॉल अननोन ऐप्स पर जाएं. यहां पर लिस्ट में आपको क्रोम, ड्राइव, फाइल्स, जीमेल और वॉट्सऐप शो होंगे इन सब को नॉट अलाउड करें.

टाइम टू टाइम सिस्टम अपडेट

ऊपर बताए गए स्टेप्स के बाद आपका फोन सेटअप हो जाएगा. आखिरी में आपको फोन की सेटिंग में जाना है और अपडेट लिख कर सर्च करना है. आपके सामने सिस्टम अपडेट का ऑप्शन दिख जाएगा इस पर क्लिक करें. इससे टाइम टू टाइम सिस्टम अपेडट होता रहेगा.

36 साल बाद जेल से रिहा, हुए 104 साल के रक्षित मंडल, बताई एक-एक पल की कहानी

पश्चिम बंगाल के मालदा में 36 साल से जेल की सजा काट रहे रक्षित मंडल को आखिरकार हाईकोर्ट के आदेश पर रिहा कर दिया गया है. इस समय वह 104 साल की उम्र पूरी कर चुके हैं. उन्हें साल 1988 में जमीनी विवाद में अपने ही भाई की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था. उस समय उनकी उम्र 72 साल थी. इस दौरान वह कुछ दिन जमानत पर बाहर रहे तो कुछ दिन पैरोल पर भी जेल से बाहर रहे हैं. हालांकि जेल में इनके अच्छे बर्ताव और आचरण को ध्यान में रखते हुए अब उन्हें फाइनली रिहा कर दिया गया है.

जेल से बाहर निकलकर रक्षित ने मीडिया से भी बात की. कहा कि उन्होंने अपने भाई की हत्या नहीं की, बल्कि वह तो परिस्थितियों के शिकार होकर 36 साल जेल में गुजारे हैं. अब वह बाहर आ गए हैं तो अपना पूरा समय परिवार के साथ बिताएंगे और बागवानी करेंगे. 104 साल की उम्र में भी काफी चुस्त दुरुस्त दिख रहे रक्षित मंडल ने कहा कि वह जेल में इतने दिन रह गए कि अब उन्हें ये भी याद नहीं कि वह कब जेल में आए और कितने दिन यहां रहे. एक बार तो उन्हें लगा कि यह कभी खत्म ही नहीं होगा. कहा कि जेल में उन्हें अपने परिवार और पोते-पोतियों की खूब याद आती थी. लेकिन वह विवश थे.

जमीनी विवाद में हुई थी भाई की हत्या

जानकारी के मुताबिक मालदा जिले के मानिकचक में रहने वाले रक्षित मंडल का अपने ही भाई के साथ जमीनी विवाद था. 1988 में इसी झगड़े में इनके भाई की मौत हो गई थी. उस समय पुलिस ने इन्हें अरेस्ट कर जेल भेज दिया था. इसके बाद साल 1992 में मालदा की जिला एवं सत्र न्यायाधीश की कोर्ट ने इन्हें दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई.बाद में इन्होंने हाईकोर्ट में अपील कर जमानत तो ले ली, लेकिन हाईकोर्ट में भी दोष साबित हो गया तो इन्हें फिर से जेल जाना पड़ा.

हाईकोर्ट से मिली राहत

इसके बाद साल 2020 में ये पैरोल पर बाहर आए थे. इस दौरान रक्षित ने रिहाई के लिए कोलकाता हाईकोर्ट में कई बार अर्जी लगाई, लेकिन कामयाब नहीं हुए. हालांकि लगातार प्रयास के बाद आखिरकार अब इन्हें हाईकोर्ट से ही राहत मिली है. जेल से छूटते समय उनसे पूछा गया कि वह कितने साल के हैं, तो उन्होंने अपनी उम्र 108 साल बताई. हालांकि उनके बेटे ने सुधार करते हुए बताया कि वह 104 साल की उम्र पूरी कर चुके हैं. जेल प्रबंधन ने भी दस्तावेजों के आधार पर उनकी उम्र 104 साल ही बताई है.

बॉलीवुड के दिग्गज एक्टर अशोक कुमार के पूर्वज थे डकैत, जानें उनकी जिंदगी से जुड़े दिलचस्प किस्से

बॉलीवुड जगत के तमाम ऐसे किस्से हैं जिन्हें फिल्मी दुनिया से लगाव रखने वाले जानना चाहते हैं. अक्सर फिल्मी सितारे भी अपने इंटरव्यूज में कुछ ऐसे दिलचस्प किस्से सुनाते हैं, जिन्हें लोग जानकर हैरान रह जाते हैं. ऐसा ही किस्सा अशोक कुमार से जुड़ा है, जब एक्टर ने खुद एक इंटरव्यू में अपने फैमिली बैकग्राउंड के बारे में बताया था.

एक्ट्रेस और एंकर तबस्सुम के साथ बातचीत के दौरान अशोक कुमार ने कई किस्से सुनाए थे. अशोक कुमार ने इस इंटरव्यू में बताया था कि एक दौर था जब उनके पूर्वज डाकू हुआ करते थे, लेकिन बाद में पीढ़ी बदली जो सिंगर और एक्टर बनी.

पूर्वजों के डाकू होने का अशोक कुमार ने सुनाया किस्सा

जब तबस्सुम ने अशोक कुमार से पूछा कि आप अपने पूर्वजों के बारे में कुछ बताइए. तब अशोक कुमार ने कहा, “पूर्वजों के बारे में एक दिलचस्प बात है मेरे पिता जी कहते थे कि करीब 150 साल पहले बंगाल में हमारे पूर्वज डकैती करते थे.” इसपर एंकर हैरान होकर पूछती हैं, ‘डकैती?’

अशोक कुमार ने हंसते हुए कहा था, ‘जी हां…उनका नाम था रोहू डकैत और वो बहुत प्रसिद्ध थे. बंगाल के उसी इलाके में वो डकैती करते थे. लेकिन वो अमीरों को लूटकर गरीबों को पैसे देते थे, इसलिए लोग उन्हें बहुत चाहते थे. यहां तक कि रवींद्रनाथ टैगोर ने उनके बारे में कुछ लिखा है.’ इसके बाद अशोक कुमार एक किताब निकालते हैं और पूर्वज की तारीफ में कुछ लाइने पढ़ने लगते हैं.

अशोक कुमार के दोनों भाई भी थे फेमस

अशोक कुमार ने 1936 में आई फिल्म जीवन नईया से एक्टिंग करियर की शुरुआत की थी. इसके बाद उन्होंने एक से बढ़कर एक फिल्में दीं. अशोक कुमार ने कई फिल्मों में उस दौर में रैप गाने गाए जब कोई इसके बारे में जानता भी नहीं था. वहीं अशोक कुमार के दो छोटे भाई किशोर कुमार और अनूप कुमार भी फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े थे.

किशोर कुमार हिंदी सिनेमा के दिग्गज सिंगर और अभिनेता थे. वहीं अनूप कुमार ने एक्टिंग के साथ कुछ फिल्में प्रोड्यूस कीं. अशोक कुमार और किशोर कुमार की लेगेसी आज भी याद की जाती है. दोनों भाईयों ने कई दशक तक हिंदी सिनेमा पर राज किया और किशोर कुमार ने हिंदी के अलावा कई अलग-अलग भाषाओं में गाने गाए.

बेजुबानों का क्या कसूर? बंगाल में 15 से अधिक बंदरों की मौत

पश्चिम बंगाल के कटवा जिले के केतुग्राम शाखा गांव में बीते शनिवार को बंदरों के शव मिले, जिन्हें जमीन पर पड़े हुए वन विभाग के कर्मचारियों ने देखा. स्थानीय लोगों का दावा है कि अब तक 15 से अधिक बंदरों की मौत हो चुकी है. इन्हें इरादतन मारा गया है. लोगों ने बंदरों को जहर खिलाने का आरोप लगाया, जिसमें कथित तौर पर केले में जहर मिलाकर मारने का आरोप लगाया. स्थानीय लोगों ने कहा कि फसलों को बचाने के लिए बंदरों को जहरीला केला खिलाया गया है.

स्थानीय लोगों का आरोप है कि बंदरों की हत्या सीताहाटी पंचायत के उप प्रधान के भाई सागर दास ने की, जो बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी टीएमसी से जुड़ा हुआ है. मामले को गंभीरता से लेते हुए वन विभाग की टीम ने घटना की सूचना के बाद सागर दास के खिलाफ कटवा थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई और कार्रवाई में जुट गई.

मृत बंदरों में से एक मादा बंदर गर्भवती थी

वन विभाग द्वारा किए गए पोस्टमार्टम में यह खुलासा हुआ कि मृत बंदरों के शरीर में अत्यधिक जहर पाया गया, जिससे यह साफ जाहिर होता है कि उन्हें जानबूझकर जहर दिया गया. वन विभाग ने इस मामले में फॉरेंसिक जांच के लिए सैंपल भी भेजे हैं. जांच में यह भी सामने आया कि मृत बंदरों में से एक मादा बंदर गर्भवती थी, जिससे मामला और गंभीर हो गया. वन अधिकारियों ने कहा कि गर्भवती बंदर की हत्या करने वालों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए.

आरोपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग

जिला वन अधिकारी सौगत मुखर्जी ने बीते मंगलवार को घटनास्थल का दौरा किया और कहा, “हम दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करते हैं.” उन्होंने कहा कि इस तरह की बर्बरता को किसी भी हालत में सहन नहीं किया जा सकता. वहीं, सागर दास ने आरोपों से पूरी तरह से किनारा करते हुए कहा कि उसने फसलों को बचाने के लिए कीटनाशक का इस्तेमाल किया था, लेकिन बंदर उसकी जमीन पर नहीं मरे.

बंदरों की मौत से उसका कोई भी लेना-देना नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें राजनीतिक कारणों से इस गंभीर मामले में फंसाया जा रहा है. वहीं घटना के बाद वन विभाग और पुलिस स्थानीय लोगों की मदद से मामले की जांच कर रही है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की योजना बना रहे हैं.

उज्जैन के समाजसेवी अनिल डागर ने किया 114 लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार, निभा रहे मानवीय धर्म

आपने अमिताभ बच्चन का एक गाना सुना होगा जिसमे वह ‘जिसका कोई नहीं उसका तो खुदा है यारो….’ सुनाकर लोगों को यह भरोसा दिलाते हैं कि आज के समय में घबराने की जरूरत नहीं है. आप अपना काम करते रहें बाकी सबका भला ऊपर वाला करेगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि असल जिंदगी में उज्जैन में एक ऐसे समाजसेवी हैं जिन्हें प्रतिदिन अस्पताल, समाजसेवी संस्थाएं और पुलिस के माध्यम से लावारिस अवस्था में लोगों की लाश मिलने की खबर मिलती है. यह समाजसेवी ऐसी खबरे मिलने पर डरते घबराते नहीं है बल्कि इन लाशों की जाति का पता चलते ही उनका अंतिम संस्कार भी उनके धर्म के आधार पर ही करते हैंं.

जूना सोमवारिया क्षेत्र में रहने वाले समाजसेवी अनिल डागर का नाम एक अलग ही समाज सेवा के लिए प्रसिद्ध है. अनिल लावारिस अवस्था में मिलने वाली लाशों का पूर्ण विधि विधान के साथ अंतिम संस्कार करते हैं. अनिल डागर वैसे तो वर्षों से यह समाजसेवा कर रहे हैं लेकिन इस साल उन्होंने 1 जनवरी 2024 से अब तक लगभग 114 लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार किया है.

26 लावारिश लाशों का किया अंतिम संस्कार

अनिल डागर को शहर हो या जिला कहीं भी हत्या, बीमारी, आत्महत्या, फांसी, जहर खाने, पानी में डूबने, बारिश, बलात्कार सहित अन्य किसी भी कारण से किसी भी व्यक्ति की मौत हुई हो लेकिन लावारिस अवस्था में लाश मिलने पर हमेशा ही याद किया जाता है. बताया जाता है कि इस वर्ष अनिल डागर ने जीआरपी में 26 लावारिश लाशों का अंतिम संस्कार किया, जिनमें ट्रेन से कटे, बीमारी से मरे और आत्महत्या के साथ ही गिरकर मरे, हाइटेंशन लाइन पकड़कर झुलसने के मामले शामिल हैं. थाना चिमनगंज मंडी में 6 लावारिस लाशों में एक्सीडेंट, बीमारी और पानी में डूबने से मौत हुई. महाकाल थाना में 14 लावारिस लाशें जिनमें पानी में डूबने, दुर्घटना, आत्म हत्या से मौत शामिल हैं. देवासगेट में 14 लावारिस लाशें मिली इनमें बीमारी से मौत, ठंड से मौत शामिल हैं.

मौत का कारण

इसके अलावा अनिल ने कोतवाली की 19 लावारिस लाशें, जिनमें मौत का कारण दुर्घटना, बीमारी रहा. थाना खाराकुआं में 5 लोगों की बीमारी से, नीलगंगा में 2 की पानी में डूबने से मौत, जीवाजीगंज में 3 की पानी में डूबने और बीमारी से, माधवनगर में 6 लोगों की बीमारी से, चिंतामन थाना 3 जिनमें फांसी लगाना, बीमारी से मौत, भेरूगढ़ में 4 पानी में डूबने, बीमारी, एक्सीडेंट से मौत शामिल हैं. नानाखेड़ा में 4 बीमारी से मौत, नरवर 1 बीमारी से, पंवासा में 2 फांसी और बीमारी से, नागझिरी में 2 रेल से काटकर, बीमारी से मौत, घटिया थाना में 3 मौत एक्सीडेंट, बीमारी से शामिल लोगों का अतिंम संस्कार किया

महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस की वापसी: बाबा महाकाल के पुजारी को आमंत्रित किया गया, शपथ ग्रहण समारोह में होंगे शामिल

मुंबई के आजाद मैदान में मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियां जोर-शोर से की जा रही हैं. देवेंद्र फडणवीस को विधायक दल का नेता चुना गया है. वहीं, विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल के पुजारी पंडित आशीष शर्मा को देवेंद्र फडणवीस ने फोन करके इस शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया है. पंडित आशीष शर्मा को मुंबई आमंत्रित करने के साथ ही उनके आने-जाने के लिए फ्लाइट की टिकट, एयरपोर्ट से आयोजन स्थल तक पहुंचने के लिए गाड़ी और ठहरने के लिए उचित व्यवस्था की गई है.

पंडित आशीष शर्मा ने बताया कि देवेंद्र फडणवीस बाबा महाकाल के अनन्य भक्त हैं और वे बाबा महाकाल के दरबार आते रहते हैं. बाबा महाकाल की कृपा ही कहें, जब वे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने थे, तब उन्होंने सबसे पहले बाबा महाकाल के गर्भग्रह में पहुंचकर पूजन और अभिषेक किया और उनका आशीर्वाद लेकर इस कृपा के लिए बाबा महाकाल का धन्यवाद किया था.

क्या-क्या लेकर जाएंगे?

पंडित आशीष शर्मा शपथ ग्रहण समारोह में महाराष्ट्र के होने वाले मुख्यमंत्री के लिए बाबा महाकाल को प्रतिदिन चढ़ने वाली भस्म, रुद्रक्ष की माला, लड्डू प्रसाद और आशीर्वाद के स्वरूप में अन्य सामग्री लेकर आज शाम फ्लाइट से मुंबई के लिए रवाना होंगे.

विधायक दल की बैठक के बाद हुई घोषणा

आज बीजेपी विधायक दल की बैठक में देवेंद्र फडणवीस के नाम का चयन किया गया. चयन होने के बाद वे राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे. महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री कौन होगा, इस पर संदेह खत्म हो चुका है. देवेंद्र फडणवीस ने महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित आशीष शर्मा को शपथ ग्रहण समारोह के लिए आमंत्रित कर यह संकेत पहले ही दे दिया था कि इस बार भी फडणवीस पर बाबा महाकाल की कृपा बनी हुई है.

देवेंद्र फडणवीस एक ऐसे व्यक्ति हैं जो समय-समय पर बाबा महाकाल के दर्शन के लिए उज्जैन जाते रहे हैं. जब वे महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री थे, तब भी उनकी प्रभु भक्ति में कोई कमी नहीं आई. उन्होंने कुछ महीने पहले भी बाबा महाकाल का पूजन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया था. देवेंद्र फडणवीस के महाकाल मंदिर के पुजारी को मिले इस आमंत्रण से यह स्पष्ट था कि इस बार भी फडणवीस पर बाबा महाकाल की कृपा बनी हुई है.

दिल्ली विधानसभा चुनाव: बीजेपी की बड़ी रणनीति, अरविंद केजरीवाल के खिलाफ प्रवेश वर्मा को उतारने की तैयारी

दिल्ली में अगले कुछ महीनों में ही विधानसभा चुनाव होने हैं, इसके लिए आम आदमी पार्टी और बीजेपी ने तैयारियां भी शुरू कर दी हैं. विधानसभा चुनाव में बीजेपी पूर्व सीएम केजरीवाल के खिलाफ बड़ी रणनीति तैयार कर रही है. सूत्रों के अनुसार नई दिल्ली सीट से पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ बीजेपी पूर्व सांसद प्रवेश वर्मा को विधानसभा चुनाव के मैदान में उतार सकती है.

जानकारी के मुताबिक, संसद सत्र के बाद बीजेपी दिल्ली में अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी करेगी. वहीं सूत्रों का ये भी कहना है कि आम आदमीं पार्टी के कुछ विधायक और पार्षद बीजेपी के संपर्क में हैं यानी आने वाले दिनों में दिल्ली में बड़ी सियासी लड़ाई देखने को मिल सकती है.

कई बड़े चेहरों को मैदान में उतारने की तैयारी

इसके अलावा खबर है कि बीजेपी के कई बड़े चेहरे भी विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा, कस्तूरबा गांधी नगर या विश्वास नगर से टिकट चाहते हैं. कैलाश गहलोत, बिजवासन से चुनाव लड़ने के इच्छा जता रहे हैं जबकि बीजेपी उन्हें नजफगढ़ सीट से ही चुनाव लड़ाने के पक्ष में है. रमेश बिधूड़ी कालका सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं पर पार्टी उनको तुगलकाबाद से चुनाव लड़ाने पर विचार कर रही है.

लेखी और हर्षवर्धन भी लड़ना चाहते हैं विधानसभा चुनाव

सूत्रों के अनुसार, पूर्व सांसद मीनाक्षी लेखी ग्रेटर कैलाश से चुनाव लड़ना चाहती हैं,पूर्व सीएम मदनलाल खुराना के बेटे हरीश खुराना मोतीनगर सीट से टिकट की रेस में शामिल हैं औरदिल्ली बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष सतीश उपाध्याय मालवीयनगर से चुनाव लड़ना चाहते हैं. यही नहींमनजिंदर सिंह सिरसा राजौरी गार्डन सीट से टिकट मांग रहे हैं तो वहींओम प्रकाश शर्मा को बीजेपी वर्तमान सिटिंग सीट विश्वासनगर से ही उतार सकती है. इसके अलावाविजय गोयल और डॉ हर्षवर्धन भी विधानसभा का चुनाव लड़ना चाहते हैं लेकिन सूत्रों के अनुसार बीजेपी ने फिलहान इन नेताओं को लेकर मन नहीं बनाया है.

प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त योजना: 2027 तक 1 करोड़ घरों में सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने का लक्ष्य, जानें कैसे उठाएं लाभ

प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त योजना के जरिए सरकार कार्बन रहित बिजली से घरों को रोशन करना चाहती है, इसके लिए सरकार ने 2027 तक 1 करोड़ घरों में प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त योजना का लाभ पहुंचाने की योजना बनाई है.

3 दिसंबर को संसद में जानकारी देते हुए नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा और बिजली राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने बताया कि सरकार के पास कुल 1.45 पंजीकरण हो चुके हैं, जिसमें से 6.34 लाख घरों में इंस्टॉलेशन पूरा किया जा चुका है.

1 करोड़ रूफटॉप पर कितना होगा खर्च?

प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना में वित्त वर्ष 27 तक 75,021 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे, जिससे 1 करोड़ रूफटॉप सोलर इंस्टॉलेशन किए जाएंगे. केंद्रीय मंत्री श्रीपद नाइक ने राज्यसभा में एक लिखित जवाब में कहा कि राष्ट्रीय पोर्टल पर कुल 1.45 करोड़ पंजीकरण, 26.38 लाख आवेदन और 6.34 लाख रूफटॉप सोलर इंस्टॉलेशन की सूचना दी गई है. वहीं उन्होंने बताया कि 3.66 लाख आवेदकों को सब्सिडी जारी की गई है और यह 15-21 दिनों के भीतर नियमित रूप से जारी की जा रही है.

गुजरात में सबसे ज्यादा सौर ऊर्जा संयंत्र लगाए

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, गुजरात में इस योजना के तहत सबसे अधिक 2,86,545 सौर ऊर्जा संयंत्र लगाए गए हैं, जिसके बाद महाराष्ट्र में 1,26,344 और उत्तर प्रदेश में 53,423 सौर ऊर्जा संयंत्र लगाए गए हैं. नाइक ने कहा कि मंत्रालय इस योजना के सफल क्रियान्वयन में आने वाली किसी भी चुनौती का समाधान करने के लिए आरईसी, डिस्कॉम और विक्रेताओं जैसे सभी हितधारकों के साथ समन्वय कर रहा है.

कैसे कर सकते हैं अप्लाई?

सबसे पहले पोर्टल में रजिस्ट्रेशन करें. उसके बाद अपना स्टेट चुनें. इलेक्ट्रीसिटी डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी को सेलेक्ट करें.

उसके बाद इलेक्ट्रीसिटी कंज्यूमर नंबर डालें. अपना मोबाइल नंबर और ईमेल डालें. पोर्टल में दिए गए डायरेक्शन का पाजने करें.

कंज्यूमर नंबर और मोबाइल नंबर के साथ लॉगिन करें. फॉर्म के अनुसार रूफटॉप सोलर के लिए आवेदन करें.

डिस्कॉम से फिजिबिलिटी अप्रूवल का वेट करें. एक बार जब आपको फिजिबिलिटी अप्रूवल मिल जाए तो अपने डिस्कॉम में किसी भी रजिस्टर्ड वेंडर से प्लांट लगवाए.

एक बार इंस्टॉलेशन पूरा हो जाने पर, प्लांट की डिटेल डिपॉजिट करें और नेट मीटर के लिए आवेदन करें.

नेट मीटर की इंस्टॉलेशन और डिस्कॉम द्वारा इंस्पेक्शन के बाद, वे पोर्टल से कमीशनिंग सर्टिफिकेट तैयार करेंगे.

एक बार जब आपको कमीशनिंग रिपोर्ट मिल जाएगी. पोर्टल के माध्यम से बैंक अकाउंट की डिटेल और एक कैंसल चेक

डिपॉजिट करें.

आपको 30 दिनों के भीतर आपके बैंक अकाउंट में आपकी सब्सिडी प्राप्त हो जाएगी.

मौत के 19 दिन बाद घर पहुंचा हर्षिता का शव, लंदन में पति की कार में मिली थी बॉडी

14 नवंबर को दिल्ली की रहने वाली 24 वर्षीय हर्षिता ब्रेला का लंदन के ब्रिसबेन रोड पर अपने पति की कार की डिक्की में शव मिला. 15 नवंबर को लीसेस्टर रॉयल इन्फर्मरी में पोस्टमार्टम के लिए शव को भेजा गया, जिसकी रिपोर्ट में सामने आया कि हर्षिता की मौत गला घोंटने की वजह से हुई है. मामले की जांच कर रही नॉर्थम्पटनशायर पुलिस ने उसके पति पंकज लांबा को मुख्य संदिग्ध बताया. तब से लेकर अब तक परिवार अपनी बेटी के शव का इंतजार कर रहा था. अब हर्षिता का शव 19 दिन बाद उसके घर पहुंचा.

हर्षिता की मौत 14 नवंबर को विदेश में हुई थी, लेकिन उसके परिवार वाले चाहते थे कि उसका अंतिम संस्कार भारत में किया जाए. इसलिए उन्होंने लंदन में रहने वाले अपने रिश्तेदारों की मदद से बेटी के शव को लंदन से मंगाया. हर्षिता का शव शनिवार को 30 नवंबर को भारत लाया गया और दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल के शवगृह में रखा गया था. इसके बाद शव उसके घर मंगलवार, 3 दिसंबर को पूरे 19 दिन बाद पहुंचा. दिल्ली की हर्षिता का शव जब मंगलवार को पालम कॉलोनी के साध नगर में पहुंचा तो उसे देखते ही हर्षिता की मां फूट-फूटकर रोने लगीं. हर्षिता की बड़ी बहन ने छोटी बहन का शव देखकर रोते हुए कहा कि वह बहुत मासूम और बच्चों जैसी थी, वह किसी से लड़ाई नहीं करती थी.

अप्रैल में शादी करके गई थी लंदन

दरअसल हर्षिता और पंकज ने पिछले साल अगस्त में कोर्ट मैरिज की थी. इसके बाद हर्षिता का पति अक्टूबर में यूके चला गया और वह भारत में रही. इस बीच हर्षिता का वीजा बनवाया गया. फिर पंकज वापस आया और दोनों ने इस साल 22 मार्च को नई दिल्ली में शादी की. इसके बाद 30 अप्रैल को वो दोनों लंदन के लिए रवाना हो गए. हर्षिता के परिवार ने बताया कि इसके तुरंत बाद से ही परेशानियां शुरू हो गई थीं.

पति पर घरेलू हिंसा की शिकायत

मृतका के परिवार के मुताबिक अगस्त में हर्षिता ने अपने पति के खिलाफ घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज कराई थी. परिवार ने कहा कि उन्हें बाद में यह भी पता चला कि बेटी के पति यानी पंकज ने अपनी नौकरी के बारे में झूठ बोला था. इसलिए जब बेटी की मौत की खबर सामने आई तो उन्हें बेटी के ससुराल वालों पर शक हुआ था. मृतका की बहन ने कहा कि विवाहित महिला का अंतिम संस्कार उसके ससुराल में ही किया जाता है, लेकिन वो एक बार भी यहां नहीं आए. उन्होंने हमसे कोई कॉन्टेक्ट भी नहीं किया. अगर वो निर्दोष हैं और उन्होंने कुछ नहीं किया है, तो उन्हें किस बात का डर है?

मृतका के पिता ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि भारत की पुलिस उनकी मदद करेगी. उन्होंने बताया कि बेटी के ससुराल वालों ने उनसे बहुत ज़्यादा दहेज लिया. उन्होंने कहा, “मैंने पालम पुलिस स्टेशन में लिखित शिकायत दी है. मुझे यह भी उम्मीद है कि यूके के अधिकारी और पुलिस उसे (पंकज) जल्दी से जल्दी पकड़ लेंगे”

एंटी करप्शन टीम की बड़ी कार्रवाई: जूनियर इंजीनियर को रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा, बिजली कनेक्शन के लिए मांगी थी 60 हजार की रिश्वत

उत्तर प्रदेश के एटा में एंटी करप्शन टीम ने विद्युत विभाग के जूनियर इंजीनियर को 30 हजार रुपये की रिश्वत के साथ गिरफ्तार किया है. आरोपी जेई ने बिजली के कनेक्शन करने के लिए उपभोक्ता से 60 हजार रुपये की रिश्वत मांगी थी. पीड़ित उपभोक्ता ने रिश्वत के 10 हजार रुपये पहले दे दिए थे. बाद में उसने 30 हजार रुपये दिए. जेई की रिश्वत मांगे जाने की शिकायत उसने अलीगढ़ एंटी करप्शन टीम को मिली. छापे के दौरान टीम को जेई के आवास से रिश्वत की रकम भी बरामद हुई है.

मामला एटा जिले की अलीगंज थाना क्षेत्र का है. अलीगंज उपखंड विद्युत विभाग में अर्जुन सिंह जेई के पद पर तैनात हैं. उसके खिलाफ अलीगढ़ एंटी करप्शन टीम को रिश्वत मांगे जाने की शिकायत मिली थी. एंटी करप्शन टीम के प्रभारी देवेंद्र कुमार ने बताया कि जूनियर इंजीनियर को 30 हजार रुपये के साथ रंगे हाथ गिरफ्तार किया है. आरोपी जेई मथुरा जिले के थाना माटी क्षेत्र के गांव नवीपुर का रहने वाला है.

बिजली कनेक्शन के लिए मांगी 60 हजार की रिश्वत

एंटी करप्शन टीम ने आरोपी जेई के खिलाफ अलीगंज थाने में शिकायत दर्ज कराई है. टीम प्रभारी देवेंद्र कुमार के मुताबिक, अलीगंज थाना क्षेत्र के मौहल्ला काजी निवासी आबिद अली ने विद्युत विभाग को 5 किलो वाट के बिजली कनेक्शन के लिए आवेदन दिया था. उसने जेई अर्जुन से कनेक्शन के लिए कहा टघा. आरोप है कि जेई ने उससे कनेक्शन के लिए 60 हजार रुपये की रिश्वत मांगी थी. आबिद ने 10 हजार रुपये इसके लिए पहले ही दे दिए थे. उसके बाद उसे अगली रकम देनी थी.

रिश्वत लेते पकड़ा जेई

पीड़ित आबिद ने इसकी शिकायत अलीगढ़ एंटी करप्शन टीम से की थी. देवेंद्र कुमार ने बताया कि आबिद द्वारा आरोपी जेई को रिश्वत के 30 हजार रुपये और देने थे. इसकी शिकायत एंटी करप्शन टीम को पहले ही दी जा चुकी थी. जब आबिद ने 30 हजार रुपये जेई को दिए तब एंटी करप्शन टीम ने उसे रंगे हाथ दबोच लिया. टीम आरोपी को थाने ले गई. मंगलवार की देर रात आरोपी जेई के खिलाफ अलीगंज थाने में शिकायत दी गई. पुलिस मामले की जांच में जुट गई है. एंटी करप्शन की टीम आरोपी जेई को मेरठ ले गई.

उत्तर प्रदेश के एटा में एंटी करप्शन टीम ने विद्युत विभाग के जूनियर इंजीनियर को 30 हजार रुपये की रिश्वत के साथ गिरफ्तार किया है. आरोपी जेई ने बिजली के कनेक्शन करने के लिए उपभोक्ता से 60 हजार रुपये की रिश्वत मांगी थी. पीड़ित उपभोक्ता ने रिश्वत के 10 हजार रुपये पहले दे दिए थे. बाद में उसने 30 हजार रुपये दिए. जेई की रिश्वत मांगे जाने की शिकायत उसने अलीगढ़ एंटी करप्शन टीम को मिली. छापे के दौरान टीम को जेई के आवास से रिश्वत की रकम भी बरामद हुई है.

मामला एटा जिले की अलीगंज थाना क्षेत्र का है. अलीगंज उपखंड विद्युत विभाग में अर्जुन सिंह जेई के पद पर तैनात हैं. उसके खिलाफ अलीगढ़ एंटी करप्शन टीम को रिश्वत मांगे जाने की शिकायत मिली थी. एंटी करप्शन टीम के प्रभारी देवेंद्र कुमार ने बताया कि जूनियर इंजीनियर को 30 हजार रुपये के साथ रंगे हाथ गिरफ्तार किया है. आरोपी जेई मथुरा जिले के थाना माटी क्षेत्र के गांव नवीपुर का रहने वाला है.

बिजली कनेक्शन के लिए मांगी 60 हजार की रिश्वत

एंटी करप्शन टीम ने आरोपी जेई के खिलाफ अलीगंज थाने में शिकायत दर्ज कराई है. टीम प्रभारी देवेंद्र कुमार के मुताबिक, अलीगंज थाना क्षेत्र के मौहल्ला काजी निवासी आबिद अली ने विद्युत विभाग को 5 किलो वाट के बिजली कनेक्शन के लिए आवेदन दिया था. उसने जेई अर्जुन से कनेक्शन के लिए कहा टघा. आरोप है कि जेई ने उससे कनेक्शन के लिए 60 हजार रुपये की रिश्वत मांगी थी. आबिद ने 10 हजार रुपये इसके लिए पहले ही दे दिए थे. उसके बाद उसे अगली रकम देनी थी.

रिश्वत लेते पकड़ा जेई

पीड़ित आबिद ने इसकी शिकायत अलीगढ़ एंटी करप्शन टीम से की थी. देवेंद्र कुमार ने बताया कि आबिद द्वारा आरोपी जेई को रिश्वत के 30 हजार रुपये और देने थे. इसकी शिकायत एंटी करप्शन टीम को पहले ही दी जा चुकी थी. जब आबिद ने 30 हजार रुपये जेई को दिए तब एंटी करप्शन टीम ने उसे रंगे हाथ दबोच लिया. टीम आरोपी को थाने ले गई. मंगलवार की देर रात आरोपी जेई के खिलाफ अलीगंज थाने में शिकायत दी गई. पुलिस मामले की जांच में जुट गई है. एंटी करप्शन की टीम आरोपी जेई को मेरठ ले गई.