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हमले के वक्त गुरुद्वारे के बाहर क्या कर रहे थे सुखबीर बादल, जानें क्यों हुई धार्मिक सज़ा?
#religious_punishment_by_akal_takht_to_sukhbir_singh_badal
* शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल पर जानलेवा हमला हुआ है। सुखबीर सिंह बादल को बुधवार की सुबह उस वक्त गोली मारने की कोशिश की गई जब वे अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर में धार्मिक सजा काट रहे थे। अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल दरबार साहिब के गेट पर दरबान के रूप में अपनी सेवा दे रहे थे। तभी एक हमलावर सामने से आता है और उन पर पिस्तौल से हमला कर देता है। अब सवाल ये उठ रहा है कि आखिर सुखबीर सिंह बादल दरबार साहिब के गेट पर दरबान के रूप में क्यों तैनात थे? आखिर सुखबीर सिंह बादल को अकाल तख़्त की ओर से सुनाई गई धार्मिक सेवा सज़ा क्या है? अकाल तख़्त सिख धर्म से जुड़ी सबसे बड़ी धार्मिक संस्था है और उसे ये अधिकार है कि वो अपराधों के लिए किसी भी सिख को तलब करे और उसके ख़िलाफ़ धार्मिक सज़ा का एलान करे, जिसे ‘तन्खाह’ कहते हैं। सिख परम्पराओं के अनुसार, अगर कोई सिख, सिख धर्म के सिद्धांतों के ख़िलाफ़ काम करता है या सिख समुदाय की भावनाओें के विपरीत काम करता है तो उसे अकाल तख़्त की ओर से धार्मिक सज़ा सुनाई जा सकती है। तनखैया घोषित किया गया व्यक्ति ना तो किसी भी तख्त पर जा सकता है और ना किसी सिंह से अरदास करवा सकता है, अगर कोई उसकी तरफ से अरदास करता है तो उसे भी कसूरवार माना जाता है। अकाल तख्त साहिब की ओर से जब किसी शख्स को तनखैया करार दिया जाता है तो इस दौरान मिलने वाली सजा का कड़ाई से पालन करना होता है। दोषी व्यक्ति को पूरे सिखी स्वरूप में सेवा देनी होती है। उसे पांचों ककार (कच्छा, कंघा, कड़ा, केश और कृपाण) धारण करके रखने होते हैं। इसके अलावा शारीरिक स्वच्छता का भी पालन करना होता है।रोजाना अरदास में शामिल होना पड़ता है। सजा की अवधि तक व्यक्ति को गुरुद्वारा साहिब में ही रहना पड़ता है। मतलब घर जाने की भी मनाही रहती है। परिवार के सदस्य गुरुद्वारा साहिब में आकर मुलाकात कर सकते हैं, लेकिन दोषी व्यक्ति को वहां से बाहर जाने की अनुमति नहीं रहती है। दो दिसम्बर को सिख प्रतिनिधियों और सिखों के पांच प्रमुख धर्म स्थलों के मुखिया की अकाल तख़्त में मीटिंग हुई थी. और इसी मीटिंग में सुखबीर बादल समेत 2007 से 2017 के बीच उनके कैबिनेट में मंत्री रहे 17 लोगों को धार्मिक सज़ा दी गई। श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रखवीर सिंह ने हजारों लोगों की मौजूदगी में अकाल तख्त की गैलरी से पढ़ कर सजा सुनाई। यह सजा सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख संत गुरमीत राम रहीम को माफी दिलाने, श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी और सिख युवाओं की हत्या करवाने वाले पुलिस अधिकारियों को उच्च पदों पर आसीन करने समेत कई पंथक गलतियों के लिए सुनाई गई। 14 जुलाई को श्री अकाल तख्त साहिब पर पांचों तख्तों के जत्थेदारों की बैठक हुई थी। इसमें इन गलतियों के लिए 15 दिन के अंदर सुखवीर बादल से स्पष्टीकरण मांगा गया था। 30 अगस्त को सुखबीर सिंह बादल को श्री अकाल तख्त ने तनखाहिया (पंधक गलतियों का दोषी) घोषित किया था। 24 जुलाई को सुखबीर ने बंद लिफाफे में अकाल तख्त को स्पष्टीकरण दिया था। साल 2007 से 2017 के बीच पंजाब में शिरोमणि अकाली दल-बीजेपी की गठबंधन सरकार थी। दिवंगत अकाली नेता प्रकाश सिंह बादल इस सरकार में मुख्यमंत्री थे जबकि सुखबीर बादल पार्टी के अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री थे। अकाली दल के नेतृत्व पर सिख धर्म के सिद्धातों और सिख समुदाय की भावनाओं के विपरीत काम करने का आरोप है। साल 2015 में पंजाब के बरगारी में गुरु ग्रंथ साहिब का अपमान हुआ था। गुरुग्रंथ साबिह के अपमान के विरोध में हुए प्रदर्शन के दौरान पुलिस फ़ायरिंग में दो सिख युवकों की मौत हो गई थी। कथित तौर पर डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम के अनुयायियों पर अपमान करने के आरोप लगाए गए थे। अक्तूबर में राम रहीम के ख़िलाफ़ अपमान के मामले में सुप्रीम कोर्ट में कार्यवाही फिर से शुरू हुई। वहीं, साल 2007 में बठिंडा के सलबतपुरा में जुटे अपने अनुयायियों के बीच राम रहीम ने गुरु गोबिंद सिंह की नकल की थी। इस घटना के बाद डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों और सिखों के बीच झड़प हुई। साल 2007 में अकाल तख़्त ने राम रहीम के बहिष्कार का आदेश जारी किया था। यह सज़ा इस आरोप के तहत दी गई है कि 2007 में सिख समुदाय ने राम रहीम का बहिष्कार किया था इसके बावजूद अकाली नेतृत्व ने उनसे संबंध बनाए रखे। आरोप ये भी है कि कथित तौर पर अकाली नेतृत्व ने अकाल तख़्त की ओर से उन्हें माफ़ी दिलाने में मदद की। सोमवार को सुखबीर पांव में चोट लगी होने के कारण व्हील चेयर पर बैठकर अकाल तख्त के समक्ष पेश हुए। इस दौरान ज्ञानी रघवीर सिंह ने सुखबीर व पूर्व मंत्री सुखदेव सिंह ढींडसा को श्री दरबार साहिब के बाहर घंटाघर प्रवेश द्वार के समक्ष दो दिन के लिए एक-एक घंटा सेवादार की पोशाक पहन बरछा हाथ में लेकर सुबह नौ से दस बजे तक बैठना होगा। इस दौरान उन्हें अपने गले में अकाल तख्त की ओर से दी गई तख्ती भी पहननी होगी। उन्हें तख्त श्री केसगढ़ साहिब, तख्त श्री दमदमा साहिब, गुरुद्वारा मुक्तसर साहिब, गुरुद्वारा फतेहगढ़ साहिब में एक-एक घंटा संगत के बर्तन व जूते साफ करने होंगे। इन गुरुद्वारों में उन्हें एक-एक घंटे तक कीर्तन का श्रवण भी करना होगा। सजा पूरी होने के बाद उन्हें श्री अकाल तख्त साहिब पर पेश होकर 11 हजार रुपये की कड़ाह प्रसाद की देग और 11 हजार रुपये गुरु की गोलक में डालने की हिदायत दी गई है। जत्थेदार ने आदेश दिया कि सुखबीर का शिअद अध्यक्ष पद से दिया गया इस्तीफा तीन दिन में स्वीकार किया जाए। छह माह के भीतर पार्टी का पुनगर्ठन कर पार्टी के संविधान और लोकतांत्रिक ढंग से नए पदाधिकारियों का चयन किया जाए।
जानें कौन है सुखबीर बादल पर हमला करने वाला नारायण सिंह चौरा? बब्बर खालसा से है कनेक्शन
#who_is_narain_singh_chaura_khalistani_militant_attack_akali_dal_leader
* पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल पर स्वर्ण मंदिर के बाहर जानलेवा हमला हुआ। स्वर्ण मंदिर के गेट पर सुखबीर बादल पर फायरिंग करने की कोशिश की गई। हालांकी वो इस हमले में बाल-बाल बच गए। सुखबीर बादल पर हमला करने वाले आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी की नारायण सिंह चौरा के तौर पर हुई है। आरोपी नारायण सिंह का क्रिमिनल बैकग्राउंड बताया जा रहा है। नारायण सिंह चौरा को खालिस्‍तानी आतंकी के रूप में जाना जाता है। वो बबर खालसा आतंकी संगठन से जुड़ा रहा है। वो चंडीगढ़ जेल ब्रेक कांड का भी आरोपी है। *बब्बर खालसा का पूर्व आतंकी है आरोपी* सुखबीर पर गोली चलाने के आरोपी की पहचान नारायण सिंह चौरा निवासी डेरा बाबा नानक के तौर पर हुई है। आरोपी गर्मपंथी है और दल खालसा से संबंध रखता है। हमलावर नारायण सिंह चौड़ा बब्बर खालसा इंटरनेशनल का आतंकवादी रहा है। चौरा 1984 में पाकिस्तान गया था और आतंकवाद के शुरुआती चरण के दौरान पंजाब में हथियारों और विस्फोटकों की बड़ी खेप की तस्करी में मददगार रहा है। पाकिस्तान में रहते हुए उसने कथित तौर पर गुरिल्ला युद्ध और देशद्रोही साहित्य पर एक किताब भी लिखी है। वह बुड़ैल जेलब्रेक मामले में भी आरोपी है। नारायण इससे पहले पंजाब की जेल में सजा काट चुका है। *आतंकियों की मदद करने का लगा था आरोप* चंडीगढ़ की बुरैल जेल से चार खालिस्तानी आतंकी साल 2004 में फरार हो गए थे। चारों कैदी 94 फुट लंबी सुरंग खोदकर जेल से भाग निकले थे। नारायण सिंह पर इन आतंकियों की मदद करे का आरोप है। हालांकि इस मामले में कोर्ट ने आरोपियों को बरी कर कर दिया था। *खालिस्तान लिबरेशन फोर्स से संबंध* नारायण सिंह चौरा गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत लंबे वक्‍त तक जेल में रहने के बाद बेल पर बाहर आया था। उसने अमृतसर सेंट्रल जेल में पांच साल गुजारे हैं। वो खालिस्तान लिबरेशन फोर्स और अकाल फेडरेशन से जुड़ा हुआ था। उसे 28 फरवरी, 2013 को तरन तारन के जलालाबाद गांव से गिरफ्तार किया गया था। इसी दिन उसके साथी सुखदेव सिंह और गुरिंदर सिंह को भी पकड़ा गया था। उससे पूछताछ के आधार पर तब पुलिस ने मोहाली जिले के कुराली गांव में एक ठिकाने पर छापा मारा था और निशानदेही पर हथियारों और गोला-बारूद का जखीरा बरामद करने का दावा किया था। उस पर करीब एक दर्जन मामले दर्ज हैं।
जानें कौन है सुखबीर बादल पर हमला करने वाला नारायण सिंह चौरा? बब्बर खालसा से है कनेक्शन

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पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल पर स्वर्ण मंदिर के बाहर जानलेवा हमला हुआ। स्वर्ण मंदिर के गेट पर सुखबीर बादल पर फायरिंग करने की कोशिश की गई। हालांकी वो इस हमले में बाल-बाल बच गए। सुखबीर बादल पर हमला करने वाले आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी की नारायण सिंह चौरा के तौर पर हुई है। आरोपी नारायण सिंह का क्रिमिनल बैकग्राउंड बताया जा रहा है। नारायण सिंह चौरा को खालिस्‍तानी आतंकी के रूप में जाना जाता है। वो बबर खालसा आतंकी संगठन से जुड़ा रहा है। वो चंडीगढ़ जेल ब्रेक कांड का भी आरोपी है।

बब्बर खालसा का पूर्व आतंकी है आरोपी

सुखबीर पर गोली चलाने के आरोपी की पहचान नारायण सिंह चौरा निवासी डेरा बाबा नानक के तौर पर हुई है। आरोपी गर्मपंथी है और दल खालसा से संबंध रखता है। हमलावर नारायण सिंह चौड़ा बब्बर खालसा इंटरनेशनल का आतंकवादी रहा है। चौरा 1984 में पाकिस्तान गया था और आतंकवाद के शुरुआती चरण के दौरान पंजाब में हथियारों और विस्फोटकों की बड़ी खेप की तस्करी में मददगार रहा है। पाकिस्तान में रहते हुए उसने कथित तौर पर गुरिल्ला युद्ध और देशद्रोही साहित्य पर एक किताब भी लिखी है। वह बुड़ैल जेलब्रेक मामले में भी आरोपी है। नारायण इससे पहले पंजाब की जेल में सजा काट चुका है।

आतंकियों की मदद करने का लगा था आरोप

चंडीगढ़ की बुरैल जेल से चार खालिस्तानी आतंकी साल 2004 में फरार हो गए थे। चारों कैदी 94 फुट लंबी सुरंग खोदकर जेल से भाग निकले थे। नारायण सिंह पर इन आतंकियों की मदद करे का आरोप है। हालांकि इस मामले में कोर्ट ने आरोपियों को बरी कर कर दिया था।

खालिस्तान लिबरेशन फोर्स से संबंध

नारायण सिंह चौरा गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत लंबे वक्‍त तक जेल में रहने के बाद बेल पर बाहर आया था। उसने अमृतसर सेंट्रल जेल में पांच साल गुजारे हैं। वो खालिस्तान लिबरेशन फोर्स और अकाल फेडरेशन से जुड़ा हुआ था। उसे 28 फरवरी, 2013 को तरन तारन के जलालाबाद गांव से गिरफ्तार किया गया था। इसी दिन उसके साथी सुखदेव सिंह और गुरिंदर सिंह को भी पकड़ा गया था। उससे पूछताछ के आधार पर तब पुलिस ने मोहाली जिले के कुराली गांव में एक ठिकाने पर छापा मारा था और निशानदेही पर हथियारों और गोला-बारूद का जखीरा बरामद करने का दावा किया था। उस पर करीब एक दर्जन मामले दर्ज हैं।

महाराष्ट्र को आज मिल सकता है मुख्यमंत्री, भाजपा विधायक दल की बैठक में फैसला संभव

#maharashtragovtformation

महाराष्‍ट्र का नया मुख्यमंत्री कौन होगा, इस प्रश्न पर से आज यानी बुधवार को पर्दा हट सकता है। आज महाराष्ट्र बीजेपी विधायक दल की बैठक होगी। इसमें विधायक अपना नेता चुनेंगे। सूत्रों के अनुसार, विधायक दल की बैठक के बाद बीजेपी अपने सहयोगी दलों के प्रमुख नेताओं के साथ उनके समर्थन पत्र लेकर 3.30 बजे राज्यपाल के पास जाएगी। इसमें महायुति के नेता भी होंगे। राज्यपाल से मिलकर बीजेपी सरकार बनाने का दावा पेश करेगी।

बीजेपी विधायक दल का नेता चुनने के लिए गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी मुंबई पहुंच गए हैं जबकि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सुबह मुंबई पहुंच जाएंगी। जिसके बाद विधान भवन के सेंट्रल हॉल में बीजेपी विधायक दल की बैठक होगी। चर्चा है कि नेता चुने जाने के बाद कौन बनेगा मुख्यमंत्री से पर्दा उठ सकता है क्योंकि मुख्यमंत्री बीजेपी का बनेगा इसलिए रेस में अब भी देवेंद्र फडणवीस आगे चल रहे हैं। बीजेपी के विधायक दल के नेता चुने जाने के बाद महायुति की बैठक होगी जिसमें नेता चुना जाएगा। फिर महायुति के नेता राजभवन जाएंगे, जहां राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन के सामने सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे।

मंत्री पद के बंटवारे के लिए फॉर्मूला तैयार

महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह से एक दिन पहले सत्तारूढ़ गठबंधन ने अभी तक मौजूदा मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा नहीं की है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि मंत्री पद के बंटवारे के लिए एक फॉर्मूला तैयार हो गया है। सत्ता का बंटवारा 6-1 के फॉर्मूले पर आधारित होगा यानी पार्टी के हर छह विधायकों पर एक मंत्री पद दिया जाएगा। इस फॉर्मूले के तहत 132 सीटें जीतने वाली भाजपा के पास सबसे ज्यादा मंत्री पद होंगे। इसके दो सहयोगी दलों - एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के गुट के लिए भी यह फायदे का सौदा है। संख्या के हिसाब से भाजपा को 20 से 22 मंत्री पद मिल सकते हैं। एकनाथ शिंदे की पार्टी को 12 और एनसीपी के अजित पवार गुट को 9 से 10 मंत्री पद दिए जा सकते हैं।

नई सरकार का पांच दिसंबर को शपथ ग्रहण

शिवसेना के एक नेता ने कहा कि भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों का सामना कर रहे मंत्रियों को महाराष्ट्र की नई सरकार में शामिल नहीं करने के लिए भाजपा के शीर्ष नेताओं और महायुति के अन्य सहयोगियों के बीच व्यापक सहमति बन गई है। उन्होंने कहा कि बुधवार को भाजपा विधायकों द्वारा अपने विधायक दल के नेता का चुनाव करने के बाद ही विभागों के आवंटन पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। नई सरकार पांच दिसंबर को दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में शपथ लेगी।

सुखबीर सिंह बादल पर जानलेवा हमला, स्वर्ण मंदिर के पास गोली चली, बाल-बाल बचे
#sukhbir_badal_shot_in_amritsar_golden_temple
* पंजाब के पूर्व उप मुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल पर जानलेवा हमला हुआ है। उनके ऊपर अमृतसर में फायरिंग हुई है। हालांकि जानकारी के मुताबिक वे बाल-बाल बच गए हैं। तत्काल उन्हें घेर लिया गया और सुरक्षा मुहैया कराई गई है। बता दें कि सुखबीर बादल श्री अकाल तख्त साहिब की तरफ से दी गई धार्मिक सजा भुगतने श्री हरमंदिर साहिब पहुंचे थे। यह घटना अमृतसर के स्वर्ण मंदिर के बाहर घटी जहां सुखबीर बादल पहरेदार के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे थे। स्वर्ण मंदिर के प्रवेश द्वार पर शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल पर एक शख्स ने अचानक गोली चला दी।हालांकि मौके पर मौजूद लोगों ने उस व्यक्ति को पकड़ लिया। जानकारी के अनुसार, आरोपी की पहचान नारायण सिंह चाैड़ा के ताैर पर हुई है। आरोपी डेरा बाबा नानक का है और वह दल खालसा से संबंधित बताया जा रहा है। गोली चलाने के बाद पुलिस कर्मियों ने तुरंत उसे पकड़ लिया गया। पुलिस ने आरोपी का हाथ ऊपर कर दिया जिससे गोली हवा में चल गई। वारदात मेन गेट के सामने हुई।
*संभल जाने के लिए घर से निकले राहुल गांधी और प्रियंका, पार्टी कार्यकर्ताओं को पुलिस ने दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर रोका
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* कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और प्रियंका गांधी आज संभल जाएंगे, लेकिन प्रशासन ने एंट्री की इजाजत नहीं है। इस बीच राहुल और प्रियंका को रोकने के लिए प्रशासन ने बड़े स्तर पर तैयारी की है। राहुल गांधी के संभल दौरे से पहले ही उत्तर प्रदेश पुलिस ने दिल्ली-यूपी के गाजीपुर बॉर्डर पर सुरक्षा बढ़ा दी है। दिल्ली से बाहर जाने वाले रास्ते पर भारी पुलिस बल तैनात है। सड़क के एक साइट पर बैरिकेडिंग की है और वहीं यूपी गेट के नीचे वाले हिस्से को बैरिकेट से बंद कर दिया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी सहित पांच लोगों का प्रतिनिधि मंडल संभल जाएगा। फिलहाल कांग्रेस के दिल्ली दफ्तर में कांग्रेस नेता बड़ी संख्या में मौजूद हैं। राहुल गांधी घर से निकल चुके हैं। उन्हें संभल जाने से रोकने के लिए पुलिस प्रशासन की ओर से पुख्ता तैयारी की गई है। उधर उन्हें रोकने के लिए संभल के जिलाधिकारी राजेंद्र पेंसिया ने मंगलवार को पड़ोसी जिलों बुलंदशहर, अमरोहा, गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर के अधिकारियों को पत्र लिखकर अनुरोध किया कि वे लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को अपने जिले की सीमा पर ही रोक लें। संभल के एसपी केके बिश्नोई ने भी राहुल गांधी से अपील की है कि वो अपना संभल दौरा टाल दें। इधर, दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर आज भारी ट्रैफिक जाम देखा गया, जब कांग्रेस कार्यकर्ता लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के संभल दौरे को लेकर इकट्ठा हुए। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के गाजीपुर बॉर्डर पर आज सुबह से ही धीमी गति से यातायात देखा गया। इसकी वजह बॉर्डर पर सुरक्षा व्यवस्था का सख्त होना बताया जा रहा है। संभल में हाल ही में कोर्ट द्वारा शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा में चार लोगों की जान चली गई थी, जिसके बाद राहुल गांधी का दौरा काफी अहम हो गया है। राहुल के दौरे को लेकर भारी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। संभल प्रशासन ने 10 दिसंबर तक बाहरी शख्स की एंट्री पर रोक लगा रखी है।
दिसंबर में भी ज्यादातर राज्यों में तापमान सामान्य से 3 से 5 डिग्री ज्यादा*

*अक्टूबर और नवंबर माह में बारिश न होने से ठंड में देरी,15 के बाद सर्दी के जोर पकड़ने की संभावना* रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव देश के अधिकतर इलाकों में न्यूनतम तापमान में कोई बड़ा बदलाव नहीं देखा जा रहा है, जबकि दिसंबर का महीना शुरू हो चुका है। ज्यादातर राज्यों में न्यूनतम तापमान सामान्य से तीन से पांच डिग्री सेल्सियस तक अधिक है। आमतौर पर दिसंबर के पहले हफ्ते का तापमान 24 से 26 डिग्री के आसपास रहता है। इस बार सात दिसंबर तक तापमान 26 डिग्री से नीचे जाने की संभावना नहीं है। इसके 26 या 27 डिग्री पर रहने के आसार हैं। 2011 से अब तक दिसंबर के पहले हफ्ते में मौसम का ऐसा मिजाज नहीं दिखा था। इस बार दिसंबर का पहला हफ्ता पिछले एक दशक में सबसे गर्म हो सकता है। अक्तूबर और नवंबर माह में बारिश न होने के कारण ठंड का आगाज देरी से हो रहा है। 12 से 15 दिसंबर के बाद ही ठंड के जोर पकड़ने की संभावना है। अक्तूबर, नवंबर और दिसंबर में बारिश ठंड को बढ़ाने के लिए जरूरी होती है, लेकिन यह पूरी तरह से पश्चिमी विक्षोभ पर निर्भर है। इस बार कमजोर पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत को प्रभावित नहीं कर पा रहे हैं रहे हैं। इसीलिए ठंड के आगमन में देरी हुई है। मौसम विभाग के अनुसार, पश्चिम बंगाल में गंगा के तटीय इलाकों, बिहार, पंजाब, नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा और तटीय आंध्र प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में न्यूनतम तापमान सामान्य से तीन से पांच डिग्री सेल्सियस अधिक यानी सामान्य से काफी ज्यादा है। *पूर्वी उत्तर प्रदेश और पश्चिम मध्य प्रदेश में तापमान गिरा* मौसम विभाग के अनुसार, पश्चिमी मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में न्यूनतम तापमान सामान्य से 5 से 3 डिग्री सेल्सियस यानी काफी नीचे है। इसी प्रकार पूर्वी उत्तर प्रदेश के अलग-अलग इलाकों, असम और मेघालय के अलग-अलग हिस्सों, सौराष्ट्र, कच्छ, कोंकण और गोवा में न्यूनतम तापमान सामान्य से 1 से 3 डिग्री सेल्सियस नीचे बना हुआ है। अगले पांच दिनों के दौरान उत्तर-पश्चिम और पूर्वी भारत में न्यूनतम तापमान में कोई बड़ा बदलाव होने की संभावना नहीं है। *अगले तीन दिनों के दौरान मध्य भारत में तापमान बढ़ेगा* मौसम विभाग के अनुसार, अगले तीन दिनों के दौरान मध्य भारत में न्यूनतम तापमान में धीरे-धीरे दो से तीन डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होने के आसार हैं। इसी दौरान पश्चिम भारत में न्यूनतम तापमान में धीरे-धीरे दो से चार डिग्री सेल्सियस की गिरावट आने का पूर्वानुमान लगाया गया है। दिल्ली और एनसीआर में न्यूनतम तापमान में दो डिग्री सेल्सियस तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है और अधिकतम तापमान में मामूली वृद्धि रिकॉर्ड की गई है। दिल्ली में ऑधकतम तापमान 24 से 27 और न्यूनतम 10 से 13 डिग्री सेल्सियस के बीच बना हुआ है। ज्यादातर इलाकों में अधिकतम और न्यूनतम तापमान सामान्य के आसपास दर्ज किया जा रहा है। *देश का अधिकतम तापमान 34.6 डिग्री* देशभर में अधिकतम और न्यूनतम तापमान की बात करें तो सोमवार को तटीय कर्नाटक के कारवार में अधिकतम तापमान 346 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वहीं, देश के मैदानी इलाकों में पश्चिम मध्य प्रदेश के नौगांव में न्यूनतम तापमान 7.2 डिग्री सेल्सियस रहा।
बांग्लादेश में भारतीय उच्चायुक्त तलब, जानें क्या है मामला?

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बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने ढाका में मंगलवार को भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा को तलब किया है। यह घटना त्रिपुरा के अगरतला में बांग्लादेश के सहायक उच्चायोग में हमले में एक दिन बाद हुई है। त्रिपुरा के अगरतला में स्थित बांग्लादेश के उप-उच्चायोग में हुई तोड़फोड़ के मामले में प्रणय वर्मा को बुलाया गया। बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए त्रिपुरा के अगरतला स्थित उप उच्चायोग में वीजा और वाणिज्य दूतावास से जुड़े कामकाज भी रोकने का निर्णय भी लिया है।

सरकारी समाचार एजेंसी बांग्लादेश संगबाद संस्था (बीएसएस) ने कहा कि भारतीय दूत शाम 4 बजे विदेश मंत्रालय में दाखिल हुए। भारतीय उच्चायुक्त को कार्यवाहक विदेश सचिव रियाज हमीदुल्लाह ने तलब किया।

भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा ने मंगलवार को कहा कि भारत और बांग्लादेश के बीच “व्यापक और बहुआयामी संबंध” हैं और इसे “सिर्फ एक मुद्दे तक सीमित नहीं किया जा सकता।” द डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा, “हमारे बीच व्यापक और बहुआयामी संबंध हैं।” उन्होंने कहा कि भारत आपसी लाभ के लिए दोनों देशों के बीच “निर्भरता” का निर्माण करना चाहता है। वर्मा ने यह टिप्पणी ढाका में बांग्लादेश के कार्यवाहक विदेश सचिव रियाज हमीदुल्लाह से मुलाकात के बाद की।

भारत ने हमले की निंदा की

इससे पहले भारतीय विदेश मंत्रालय ने पहले एक बयान में हमले को "बेहद खेदजनक" बताया और कहा कि किसी भी परिस्थिति में राजनयिक और वाणिज्य दूतावास की संपत्तियों को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए। भारत ने कहा, "सरकार नई दिल्ली में बांग्लादेश उच्चायोग और देश में उनके उप/सहायक उच्चायोगों की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने के लिए कार्रवाई कर रही है।" अगरतला में बांग्लादेश सहायक उच्चायोग पर भीड़ द्वारा हमला करने, परिसर में कथित तौर पर तोड़फोड़ करने और बांग्लादेशी 'राष्ट्रीय ध्वज' को जबरन हटाने के बाद सोमवार को सात लोगों को गिरफ्तार किया गया और तीन पुलिस अधिकारियों को निलंबित भी किया गया।

अगरतला में क्या हुआ था?

अगरतला में हजारों लोगों ने हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के साथ-साथ बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हमलों के खिलाफ सोमवार को ढाका के मिशन के पास एक विशाल प्रदर्शन किया था। प्रदर्शनकारी कथित तौर पर कुंजाबन क्षेत्र में बांग्लादेश के सहायक उच्चायोग में घुस गए और कथित तौर पर तोड़फोड़ की। अब बांग्लादेश इसी को लेकर नाराज है।

ये कैसा युद्धविराम? सीजफायर के बीच इजरायल ने लेबनान पर दागी मिसाइलें

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इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच सीजफायर पर सवाल उठने लगे हैं। दरअसल, लेबनान में 27 नवंबर को हुए युद्धविराम के बावजूद दोनों पक्षों से हमले जारी हैं। हिजबुल्लाह के साथ लंबे समय से जारी युद्ध के बीच लागू हुए सीजफायर के बाद इजरायल ने लेबनान में अपना सबसे बड़ा एयर स्ट्राइक किया है। दो दिसंबर (सोमवार) को इजरायली लड़ाकू विमानों ने हिजबुल्लाह के ठिकानों पर कई मिसाइलें दागी। जिससे करीब 11 लोगों की मौत हुई है।इजरायल ने ये हमले लेबनान से हिजबुल्लाह के मोर्टार दागे जाने के बाद किए हैं। पिछले बुधवार को 60 दिनों के युद्ध विराम को प्रभावी होने के बाद हिजबुल्लाह का इजरायल के ऊपर मोर्टार दागे जाने का यह पहला मामला है।

27 नवंबर इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच करीब एक साल से चल रहे युद्ध को समाप्त करने के उद्देश्य से युद्ध विराम हुआ था।हालांकि युद्ध विराम के बावजूद दोनों देश एक दूसरे पर उल्लंघन का आरोप लगाते हुए युद्धविराम के प्रोटोकॉल को बार-बार तोड़ते नजर आ रह हैं।

एक बयान में इजरायली रक्षा बलों ने कहा कि लड़ाकू विमानों ने लेबनान में हिजबुल्लाह के ऑपरेटिव्स और दर्जनों रॉकेट लांचरों और आतंकी समूह से संबंधित सुविधाओं पर हमला किया। हिजबुल्लाह ने इसके पहले सोमवार को दावा किया था कि उसने पिछले सप्ताह हुए युद्ध विरम समझौते के बार-बार उल्लंघन के जवाब में मोर्टार दागे और इसे संघर्ष विराम के दौरान लेबनान पर आईडीएफ के हमलों के खिलाफ 'प्रारंभिक चेतावनी' बताया था।

आईडीएफ ने कहा कि हमले के दौरान उसने हिजबुल्लाह की सुविधाओं के अलावा माउंट डोव पर दो मोर्टार दागने के लिए इस्तेमाल किए गए लांचर को भी निशाना बनाया। इजरायली सेना के अनुसार, हमले के कुछ समय बाद ही साइट को निशाना बनाया गया। सेना ने कहा, 'इजराइल की मांग है कि लेबनान में संबंधित पक्ष अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करें और लेबनानी क्षेत्र के भीतर हिज्बुल्लाह की शत्रुतापूर्ण गतिविधि को रोकें। इजराइल लेबनान में युद्ध विराम समझौते की शर्तों को पूरा करने के लिए बाध्य है।

27 नवंबर की सुबह हुए युद्धविराम में यह तय किया गया है कि इजरायल लेबनान में नागरिक, सैन्य या अन्य सरकारी लक्ष्यों के खिलाफ आक्रामक सैन्य अभियान नहीं चलाएगा। वहीं लेबनान हिजबुल्ला समेत किसी भी सशस्त्र समूह को इजरायल के खिलाफ अभियान चलाने से रोकेगा। लेबनान और इजरायल ने पहले ही एक-दूसरे पर युद्धविराम के उल्लंघन का आरोप लगा चुके हैं।

ट्रंप ने भारत समेत ब्रिक्स देशों को क्यों दी चेतावनी, किस बात की है बौखलाहट?

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अमेरिकी के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अभी शपथ ग्रहण नहीं किया है। हालांकि, पदभार ग्रहण करने से पहले ही ट्रंप एक्शन में दिख रहे हैं। एक तरफ ट्रंप अपनी टीम बनाने में जुटे हैं, तो दूसरी तरफ अपनी धमकी भरी घोषणाओं से सनसनी फैलाने में लगे हैं। अब अमेरिका के नए चुने गए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स (BRICS) देशों को चेतावनी दी है। ट्रंप ने चेताया है कि अगर इन देशों ने अमेरिकी डॉलर को कमजोर करने या अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के रूप में उसका कोई विकल्प लाने का प्रयास किया तो उन्हें अमेरिकी बाजार से हाथ धोना पड़ सकता है। बता दें कि ब्रिक्स में केवल रूस और चीन जैसे अमेरिका विरोधी माने जाने वाले देश ही नहीं हैं, बल्कि भारत, ब्राजील और साउथ अफ्रीका के साथ ही अब इजिप्ट, ईरान और यूएई भी शामिल हैं।

ट्रंप ने कहा है कि अगर ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, साऊथ अफ्रीका जैसे विकासशील देशों का समूह) देशों ने अमेरिकी डॉलर को रिप्लेस करने की कोशिश की तो उन पर 100% टैरिफ लगाया जाएगा।यही नहीं, यहां तक कह दिया कि फिर वे देश अमेरिकी बाजार तक पहुंचने का ख्वाब छोड़ दें। अब बड़ा सवाल ये है कि ट्रंप की इस धमकी की वजह क्या है? क्या अमेरिका को अपने डॉलर का दबदबा घटता नजर आ रहा है? या फिर अमेरिका दुनियाभर के देशों के बदलते समीकरण से चिंतित है?

ट्रंप ने क्या कहा?

ट्रंप ने शनिवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के अपने हैंडल पर लिखा, “डॉलर से दूर होने की ब्रिक्स देशों की कोशिश में हम मूकदर्शक बने रहें, यह दौर अब ख़त्म हो गया है। हमें इन देशों से प्रतिबद्धता की ज़रूरत है कि वे न तो कोई नई ब्रिक्स मुद्रा बनाएंगे, न ही ताक़तवर अमेरिकी डॉलर की जगह लेने के लिए किसी दूसरी मुद्रा का समर्थन करेंगे, वरना उन्हें 100 प्रतिशत टैरिफ़ का सामना करना पड़ेगा।”

ट्रंप ने लिखा, “अगर ब्रिक्स देश ऐसा करते हैं तो उन्हें शानदार अमेरिकी अर्थव्यवस्था में अपने उत्पाद बेचने को विदा कहना होगा। वे किसी दूसरी जगह तलाश सकते हैं। इसकी कोई संभावना नहीं है कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार में ब्रिक्स अमेरिकी डॉलर की जगह ले पाएगा और ऐसा करने वाले किसी भी देश को अमेरिका को गुडबॉय कह देना चाहिए।”

क्या ब्रिक्स करेंसी की आहट से डरा अमेरिका?

ट्रंप का यह बयान ब्रिक्स देशों के अक्टूबर में हुए शिखर सम्मेलन का जवाब माना जा रहा है, जिसमें नॉन-डॉलर ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने पर चर्चा की गई थी। हालांकि सम्मेलन के आखिर में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पूतिन ने साफ कर दिया था कि सिस्टम सोसाइटी फॉर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फाइनेंशल टेलिकम्युनिकेशन (SWIFT) जैसी वित्तीय संरचना का विकल्प खड़ा करने की दिशा में अब तक ठोस कुछ नहीं किया गया है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा कि ब्रिक्स को ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए जिससे उसकी छवि ऐसी बने कि वह वैश्विक संस्थानों की जगह लेना चाहता है।

अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करना चाहता है ब्रिक्स

बता दें कि ब्रिक्स 9 देशों का एक समूह है, जो अपने हितों को ध्यान में रखकर आपसी व्यापार को बढ़ावा देने का काम करता है। भारत इसका कोर मेंबर है। भारत, चीन, रूस, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका ने 2009 में इस ग्रुप का गठन किया था। ब्रिक्स देशों ने वैश्विक व्यापार के लिए अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करने की दिशा में कदम उठाए हैं। इसका ताजा उदाहरण है, भारत और चीन द्वारा रूस से तेल खरीदना। इस सौदे के लिए डॉलर का उपयोग नहीं किया गया।

रूस और यूक्रेन में लड़ाई के चलते अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे। इसके बाद, रूस, भारत और चीन ने अपनी-अपनी करेंसियों का इस्तेमाल करके व्यापार किया। अमेरिका को लग रहा था कि बिना डॉलर रूस का तेल बिक नहीं पाएगा, मगर ऐसा हुआ नहीं। भारत और चीन ने रूस से ताबड़तोड़ तेल खरीदा। ये बात अमेरिकी को काफी चुभी है।

दुनियाभर में कम हो रहा डॉलर का दबदबा?

बता दें कि दुनियाभर में डॉलर का दबदबा है, क्योंकि इसे ही व्यापार के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है। हर देश अपने रिजर्व में डॉलर को रखना चाहता है, क्योंकि किसी भी स्थिति में इसे इस्तेमाल किया जा सकता है। दूसरे देशों द्वारा डॉलर को रिजर्व मे रखने से इस करेंसी की मांग बढ़ी रहती है। इसके परिणामस्वरूप अमेरिका के लिए कर्ज लेना आसान हो जाता है और उसे कम ब्याज चुकानी पड़ती है।भारत या अन्य देशों को कर्ज लेने पर ज्यादा ब्याज दरें चुकानी पड़ती हैं। ऐसे में वह अपनी वित्तीय पूंजी की पूर्ति के लिए भी डॉलर का इस्तेमाल करता है। हालांकि, रूस-युक्रेन युद्ध के बाद से हालात बदले हैं। यह बदलाव अमेरिकी डॉलर के प्रभुत्व को चुनौती की तरह है।