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नवनिर्वाचित विधायक की गाड़ियों का काफिला आपस में टकराई, मची अफरातफरी



झारखण्ड डेस्क 

गढ़वा। बड़ी खबर झारखंड के गढ़वा जिले से आई है, झारखंड मुक्ति मोर्चा के एक नवनिर्वाचित विधायक की गाड़ियों का काफिला आपस में टकरा गया। इसमें 3 गाड़ियां बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गईं। घटना के बाद अफरातफरी मच गयी।

दुर्घटना भवनाथपुर-श्री बंशीधरनगर मुख्य पथ पर वन डिपो के पास हुई। विधायक अनंत प्रताप देव एक दर्जन गाड़ियों के काफिले के साथ पूजा-पाठ करने के लिए केतार मंदिर जा रहे थे। गनीमत यह रही कि दुर्घटना में किसी को चोट नहीं आई

साहिबगंज तीनपहाड़ थाना क्षेत्र में दो नकाबपोश अपराधियों ने गंगोत्री फिलिंग स्टेशन के मालिक को गोली मार कर कर दी हत्या


झारखण्ड डेस्क 

बड़ी खबर झारखंड के साहिबगंज से आई है, जहां तीनपहाड़ थाना क्षेत्र में दो नकाबपोश अपराधियों ने गंगोत्री फिलिंग स्टेशन के मालिक शालिग्राम मंडल को गोली मार दी। घायल शालिग्राम को आनन-फानन में राजमहल अनुमंडल अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

मिली जानकारी के मुताबिक राजमहल मेन रोड के लालवन बाइपास के पास सोमवार को नकाबपोश अपराधियों ने लगभग 10:45 बजे मंडल कोच बस और गंगोत्री फिलिंग स्टेशन बभनगामा के मालिक शालिग्राम मंडल की गोली मारकर हत्या कर दी।

राजमहल थाना क्षेत्र दलाही गांव निवासी शालिग्राम मंडल रोज की तरह तीनपहाड़ अस्थायी बस स्टैंड गए। उसके बाद अपने गंगोत्री फिलिग स्टेशन बभनगामा से लाखों रुपए नगद लेकर भारतीय स्टेट बैंक पररिया के लिये निकल गए। जैसे ही वह लालवन बाईपास पार किये, दो नकाबपोश अपराधियों ने उनको साइड से सटा कर गोली मार दी, जिससे वह वहीं गिर गए।

गोली लगने के बाद शालिग्राम मंडल के आसपास लोग जमा हो गए। कुछ देर बाद तीनपहाड़ थाना का गश्ती दल भी पहुंच गया। घायल शालिग्राम मंडल को उठा कर इलाज के लिये अनुमंडल अस्पताल राजमहल ले जाया गया। जहां इलाज कर रहे चिकित्सक ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

घटना के बाद बरहरवा एसडीपीओ नितिन खण्डेलवाल, तीनपहाड़ थाना प्रभारी मो. शाहरुख, राधानगर थाना प्रभारी नितेश पांडे, तालझारी थाना प्रभारी अमर कुमार मिंज, राजमहल थाना प्रभारी गुलाम सरवर पुलिस बल के साथ घटना स्थल पर पहुंचे और मामले की जांच की आसपास के लोगों से पूछताछ की।

हेमंत सरकार के सर्वदलीय समिति जाएगी असम,वहां झारखण्ड से ले जाकर बसाये गए आदिवासी कि स्थिति का लेगी जयजा


झारखण्ड डेस्क 

झारखण्ड में विधानसभा चुनाव के दौरान हिमंता विश्व सरमा चुनाव प्रभारी के रूप में लगातार हेमंत सोरेन पर हमलाबर रहे. हालांकि हिमांता का बयान भाजपा के लिए उल्टा दाव पड़ा और भाजपा झारखण्ड में बुरी तरह हार गए और हेमंत सोरेन की सरकार एक तिहाई बहुमत से वापस आयी. अब हेमंत सोरेन ने अपनी राजनितिक दाव चलते हुए असम को बड़ा झटका देने की तैयारी में लग गए हैं जिससे बबाल मच गया है.

नए सरकार में शपथ लेने के बाद झारखण्ड सरकार ने निर्णय लिया है कि असम की चाय बागानों में काम करने गए झारखंड के मजदूरों के हित को देखते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में एक महत्वपूर्ण फैसला लिया गया। हेमंत सोरेन सरकार ने असम में काम कर रहे झारखंडी मजदूरों की स्थिति के बारे में जानकारी हासिल करने का फैसला लिया।आदिवासियों को असम, अंडमान और निकोबार में बसाया गया।

झारखंड कैबिनेट की बैठक के बाद समाप्त होने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मीडिया को बताया कि एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा हुई है। उन्होंने बताया कि झारखंड के आदिवासियों और मूलवासियों को देश के विभिन्न हिस्सों में बसाया गया। असम, अंडमान और निकोबार और अन्य जगहों में बसाया गया है।उन्हें अंग्रेज़ काम करने के लिए वहां ले गए थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इन आदिवासियों की आबादी 15-20 लाख है, लेकिन उन्हें अभी तक वहां आदिवासी का दर्ज़ा नहीं मिला है। उनकी सरकार ऐसे सभी मूल निवासियों को झारखंड लौटने के लिए आमंत्रित कर रही है। इस मुद्दे के लिए एक मंत्री स्तर की समिति बनाई जाएगी। यह एक सर्वदलीय समिति होगी जिसके प्रतिनिधि उन सभी जगहों पर जाएंगे। वहां के मुद्दों का आकलन करेंगे और राज्य सरकार को बताएंगे।

चाय जनजातियों के लिए सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण

कैबिनेट की बैठक समाप्त होने के बाद विभाग की सचिव वंदना दादेल ने बताया कि असम राज्य में झारखंड मूल की चाय जनजातियां को अन्य पिछड़ा वर्ग का दर्जा प्राप्त है। उन्होंने बताया कि इन चाय जनजातियों की सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक कल्याण सर्वेक्षण कराया जाएगा।

कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में कमेटी गठित होगी

चाय जनजातियों की आर्थिक और सामाजिक सर्वेक्षण के लिए एक समिति गठित की जाएगी। झारखंड के अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री के नेतृत्व में एक समिति गठित की जाएगी। झारखंड सरकार की ओर से आर्थिक सामाजिक सर्वेक्षण करा कर चाय जनजातियों को उनका हक-अधिकार दिलाने के लिए पहल की जाएगी।

क्या विधानसभा चुनाव के दौरान हिमांता विस्व सरमा द्वारा सोरेन परिवार पर प्रहार का है यह जवाब 

राजनीतिक जानकारों के अनुसार असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरकार बार-बार झरखंड आ रहे हैं, इसलिए झारखंड कैबिनेट के इस फैसले का दूरगामी प्रभाव पड़ने वाला है। जानकरों के अनुसार असम की अर्थव्यवस्था में वहां के चाय बगान का 5000 करोड़ रुपए का योगदान है, जबकि तीन हजार करोड़ रुपये फॉरेन करेंसी की मिलती है। इतना ही नहीं वहां चाय बगानों में लगभग सात लाख मजदूर काम करते हैं, जिसमें 70 फीसदी झारखंड संताल परगना और राज्य के अलग-अलग इलाकों के आदिवासी-मूलवासी हैं।

ये 1840 में ले जाये गए असम

1840 के दशक के दौरान छोटानागपुर क्षेत्र के आदिवासी ब्रिटिश नियंत्रण के विस्तार के खिलाफ विद्रोह कर रहे थे और असम में चाय उद्योग के विस्तार के लिए सस्ते श्रमिकों की कमी हो रही थी। इस कारण ब्रिटिश अधिकारियों ने मुख्य रूप से आदिवासियों और कुछ पिछड़ी जाति के हिन्दुओं को अनुबंधित मजदूरों के रूप में असम के चाय बागानों में काम करने के लिए भर्ती किया। इस तरह से धीरे-धीरे झारखंड के हजारों-लाख आदिवासी असम जाकर मजदूर बन गए।

अब झारखंड सरकार के इस फैसले से असम की राजनीति पर भी असर पड़ेगा। पहले तो वहां की सरकार पर झारखंड के आदिवासियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिलाने की मांग के जोर पकड़ने की संभावना है। वहीं इन चाय मजदूरों को आर्थिक तौर पर उनके योगदान को सम्मान भी मिलने की उम्मीद है।

हेमंत सरकार के सर्वदलीय समिति जाएगी असम,वहां झारखण्ड से ले जाकर बसाये गए आदिवासी कि स्थिति का लेगी जयजा

* झारखण्ड डेस्क झारखण्ड में विधानसभा चुनाव के दौरान हिमंता विश्व सरमा चुनाव प्रभारी के रूप में लगातार हेमंत सोरेन पर हमलाबर रहे. हालांकि हिमांता का बयान भाजपा के लिए उल्टा दाव पड़ा और भाजपा झारखण्ड में बुरी तरह हार गए और हेमंत सोरेन की सरकार एक तिहाई बहुमत से वापस आयी. अब हेमंत सोरेन ने अपनी राजनितिक दाव चलते हुए असम को बड़ा झटका देने की तैयारी में लग गए हैं जिससे बबाल मच गया है. नए सरकार में शपथ लेने के बाद झारखण्ड सरकार ने निर्णय लिया है कि असम की चाय बागानों में काम करने गए झारखंड के मजदूरों के हित को देखते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में एक महत्वपूर्ण फैसला लिया गया। हेमंत सोरेन सरकार ने असम में काम कर रहे झारखंडी मजदूरों की स्थिति के बारे में जानकारी हासिल करने का फैसला लिया।आदिवासियों को असम, अंडमान और निकोबार में बसाया गया। झारखंड कैबिनेट की बैठक के बाद समाप्त होने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मीडिया को बताया कि एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा हुई है। उन्होंने बताया कि झारखंड के आदिवासियों और मूलवासियों को देश के विभिन्न हिस्सों में बसाया गया। असम, अंडमान और निकोबार और अन्य जगहों में बसाया गया है।उन्हें अंग्रेज़ काम करने के लिए वहां ले गए थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन आदिवासियों की आबादी 15-20 लाख है, लेकिन उन्हें अभी तक वहां आदिवासी का दर्ज़ा नहीं मिला है। उनकी सरकार ऐसे सभी मूल निवासियों को झारखंड लौटने के लिए आमंत्रित कर रही है। इस मुद्दे के लिए एक मंत्री स्तर की समिति बनाई जाएगी। यह एक सर्वदलीय समिति होगी जिसके प्रतिनिधि उन सभी जगहों पर जाएंगे। वहां के मुद्दों का आकलन करेंगे और राज्य सरकार को बताएंगे। *चाय जनजातियों के लिए सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण* कैबिनेट की बैठक समाप्त होने के बाद विभाग की सचिव वंदना दादेल ने बताया कि असम राज्य में झारखंड मूल की चाय जनजातियां को अन्य पिछड़ा वर्ग का दर्जा प्राप्त है। उन्होंने बताया कि इन चाय जनजातियों की सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक कल्याण सर्वेक्षण कराया जाएगा। *कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में कमेटी गठित होगी* चाय जनजातियों की आर्थिक और सामाजिक सर्वेक्षण के लिए एक समिति गठित की जाएगी। झारखंड के अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री के नेतृत्व में एक समिति गठित की जाएगी। झारखंड सरकार की ओर से आर्थिक सामाजिक सर्वेक्षण करा कर चाय जनजातियों को उनका हक-अधिकार दिलाने के लिए पहल की जाएगी। *क्या विधानसभा चुनाव के दौरान हिमांता विस्व सरमा द्वारा सोरेन परिवार पर प्रहार का है यह जवाब* राजनीतिक जानकारों के अनुसार असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरकार बार-बार झरखंड आ रहे हैं, इसलिए झारखंड कैबिनेट के इस फैसले का दूरगामी प्रभाव पड़ने वाला है। जानकरों के अनुसार असम की अर्थव्यवस्था में वहां के चाय बगान का 5000 करोड़ रुपए का योगदान है, जबकि तीन हजार करोड़ रुपये फॉरेन करेंसी की मिलती है। इतना ही नहीं वहां चाय बगानों में लगभग सात लाख मजदूर काम करते हैं, जिसमें 70 फीसदी झारखंड संताल परगना और राज्य के अलग-अलग इलाकों के आदिवासी-मूलवासी हैं। *ये 1840 में ले जाये गए असम* 1840 के दशक के दौरान छोटानागपुर क्षेत्र के आदिवासी ब्रिटिश नियंत्रण के विस्तार के खिलाफ विद्रोह कर रहे थे और असम में चाय उद्योग के विस्तार के लिए सस्ते श्रमिकों की कमी हो रही थी। इस कारण ब्रिटिश अधिकारियों ने मुख्य रूप से आदिवासियों और कुछ पिछड़ी जाति के हिन्दुओं को अनुबंधित मजदूरों के रूप में असम के चाय बागानों में काम करने के लिए भर्ती किया। इस तरह से धीरे-धीरे झारखंड के हजारों-लाख आदिवासी असम जाकर मजदूर बन गए। अब झारखंड सरकार के इस फैसले से असम की राजनीति पर भी असर पड़ेगा। पहले तो वहां की सरकार पर झारखंड के आदिवासियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिलाने की मांग के जोर पकड़ने की संभावना है। वहीं इन चाय मजदूरों को आर्थिक तौर पर उनके योगदान को सम्मान भी मिलने की उम्मीद है।
प्रो.डॉ.दीपक कुमार सेन को मिला उत्कृष्ट बासभूमि पुरस्कार

धनबाद : मुर्शिदाबाद जिला के बहरामपुर,रबिंद्र भवन में बासभूमि पत्रिका द्वाराआयोजित कार्यक्रम में प्रो. डॉ.डी. के .सेन संपादक शिल्पीअनन्या को उत्कृष्ट बंगला पत्रिका के लिए प्रतिष्ठित बासभूमि पुरस्कार दिया गया।

बांसभूमि पत्रिका के संपादक अरूप चंद्र प्रख्यात इतिहासकार शोधकर्ता लेखक और कवि है।बाश भूमि पत्रिका 45 वर्ष से प्रकाशित हो रहा है।उनके द्वारा पिछले 16 वर्ष से पूरे देश से बंगला भाषा में उत्क्रिस्ट कार्य के लिए लेखक,कवि, शोधकर्ता चित्रकार और उत्कृष्ट पत्रिका के संपादक को चुना जाता है और उन्हें सम्मानित किया जाता है।

यह हर्ष और खुशी की बात है कि इस बार झारखंड धनबाद से प्रकाशित होने वाला त्रैमासिक बंगला पत्रिका शिल्पे अनन्या के संपादक को दिया गया ।इस अवसर पर पश्चिम बंगाल के लेखक और कवियों को भी सम्मानित किया गया।इस अवसर पर उपस्थित डॉ.काशी नाथ चटर्जी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भारत ज्ञान विज्ञान समिति सह परामर्शी शिल्पे अनन्या को अरूप चंद्र के लिखित पुस्तक देकर सम्मानित किया गया।

लातेहार में कोयला साइडिंग के पास अपराधियों का तांडव, कोयला लदे दो वाहनों को किया आग के हवाले


लातेहार जिले के बालूमाथ थाना क्षेत्र में स्थित कुसमाही रेलवे कोल साइडिंग के पास कल रविवार की रात अपराधियों ने खूब उत्पात मचाया।

इस दौरान अपराधियों ने दो कोयला लदे वाहनों को आग के हवाले कर दिया। घटना की जानकारी मिलते ही बालूमाथ पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और मामले की जांच में जुट गई है।

फायरिंग कर ड्राइवर को रोका

इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार, अपराधी बालूमाथ थाना क्षेत्र के मकईयाटांड़ पहुंचे और वहां दो कोयला लदे वाहनों को रोका।

उन्होंने पहले एक वाहन को आग के हवाले कर दिया। जब दूसरे वाहन का ड्राइवर भागने की कोशिश करने लगा, तो अपराधियों ने फायरिंग कर उसे रोक लिया.इसके बाद ड्राइवर को वाहन से उतारकर दूसरे वाहन में भी आग लगा दी।

पीड़ित ड्राइवर साबिर अंसारी ने बताया कि वह तुबेद से कोयला लेकर कुसमाही साइडिंग आ रहा था। रास्ते में चार अपराधियों ने उसकी गाड़ी को रोका।

उन्होंने पहले उसका मोबाइल छीन लिया और फिर पेट्रोल डालकर वाहन में आग लगा दी। अपराधियों ने साबिर को मौके से भागने को कहा। जाते-जाते अपराधी एक पर्चा भी फेंक गए।

इस घटना के बाद से इलाके के लोगों में भय का माहौल है। मुख्य सड़क के किनारे हुई इस वारदात ने पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

जो फहीम खान के साथ रहेगा, उसे ठोकेंगे; धनबाद में नसीम पर फायरिंग के बाद प्रिंस का ऑडियो वायरल


धनबाद : गैग्स ऑफ वासेपुर के गैंगस्टर फहीम खान के भाई नसीम खान उर्फ सानो को रविवार की शाम भूली मोड़ ऑटो स्टैंड के पास बाइक सवार दो हमलावरों ने गोली मारने का प्रयास किया। गोली पिस्टल में फंस गई और नसीम बाल-बाल बच गए।

मिस फायर होने के बाद बाइक से दोनों हमलावर दो राउंड फायरिंग करते हुए वासेपुर की तरफ भाग गए।

प्रिंस खान ने लिया गोलीकांड का जिम्मा

गोली चलाने का आरोप वासेपुर के कुख्यात प्रिंस खान के गुर्गों पर लगा है। प्रिंस ने दुबई से ऑडियो जारी करते हुए गोलीकांड का जिम्मा लिया है। बैंक मोड़ व भूली पुलिस मौके पर पहुंच कर मामले की छानबीन की। नसीम ने पुलिस को बताया कि रविवार की शाम हर दिन की तरह वह भूली मोड़ ऑटो स्टैंड पर बैठे थे। वह वासेपुर कमर मखदुमी रोड स्थित अपने घर की तरफ जाने के लिए बाइक से निकले ही थे कि दो बाइक सवारों ने उन पर पीछे से गोली चलाने की कोशिश की।

सारिक चला रहा था बाइक, शाहिद ने सटा कर चलाई गोली

नसीम ने बताया कि वह बाइक से धीरे-धीरे अपने घर की तरफ जा रहे थे। रास्ते में अब्दुल हक कॉम्पलेक्स के पास काली रंग की बाइक पर सवार होकर आए हमलावरों ने उन्हें गोली मारने की कोशिश की। उन्हें कुछ आभास हुआ। वह पीछे मुड़े तो देखा कि भूली ट्रेनिंग स्कूल जामिया नगर निवासी सारिक बाइक चला रहा था। पीछे वासेपुर नीचे मुहल्ला निवासी शाहिद रजा हाथ में पिस्टल लिए हुए बैठा था। शाहिद ने जान मारने की नीयत से मुझ पर गोली चलाई, लेकिन मिस फायर हो गया। वह बाइक से उतरे और दोनों पर पत्थर फेंकते हुए शोर मचाने लगे। भागते-भागते दोनों ने दो राउंड फायरिंग की। शाहिद और सारिक अभी हाल ही में जेल से बाहर आए हैं।

पुलिस कर रही सीसीटीवी फुटेज की जांच

घटना की जानकारी पाकर डीएसपी लॉ एंड ऑर्डर नौशाद आलम, बैंक मोड़ थाना प्रभारी लव कुमार, भूली ओपी प्रभारी अभिनव कुमार मौके पर पहुंचे। पुलिस नसीम को साथ लेकर थाना आई। पूछताछ के बाद उन्हें वापस घर छोड़ दिया। पुलिस घटना के सत्यापन में जुटी है।

इकबाल हमलाकांड में गवाही नहीं देने की मिल रही थी धमकी

नसीम खान ने पुलिस को बताया कि नन्हे हत्याकांड और भतीजा यानी फहीम के पुत्र इकबाल खान पर हुई फायरिंग मामले में वह मुख्य गवाह हैं। उन्हें कोर्ट में गवाही देने से रोका जा रहा था। जब वे नहीं माने तो उनकी हत्या की साजिश रची गई। नसीम का आरोप है कि प्रिंस खान, उसके भाई बंटी खान, गोडविन खान और गोपी खान तथा नीचे मुहल्ला में रहने वाला अफरीदी रजा के कहने पर उन पर हमला किया गया ताकि मैं कोर्ट में गवाही न दे सकूं। आरोपियों पर बैंक मोड़ थाना में केस कर लिया गया है।

फहीम को ठेकेदारों से कराता था बात, इसलिए मारी गोली...

हमले के बाद वायरल ऑडियो में प्रिंस खान कह रहा है कि वह दुबई से बोल रहा है। फहीम के भाई पर जो गोली चली है, उसकी जिम्मेवारी हम लेते हैं। नसीम बार-बार फहीम को जेल से अस्पताल जाने पर फोन से ठेकेदारों को धमकी दिलवाता है। जो ठेकेदार फहीम को पैसा देगा, उसको मार देंगे। आज ट्रैक्टर आ गया, इसलिए बच गया। दोबारा नहीं बचेगा। फहीम का पूरा नस्ल खत्म कर देंगे। प्रिंस अपने मामा फहीम और नसीम खान को इससे पहले भी धमकी दे चुका है। वह ऑडियो व वीडियो वायरल कर इकबाल को भी धमकियां देते रहता है।

फायरिंग में जेल जा चुके हैं सारिक, अफरीदी व शाहिद

प्रिंस खान के इशारे पर गोली चलाने आधा दर्जन मामलों में सारिक, शाहिद और अफरीदी आरोपी रहे हैं। कार सेंटर के मालिक पर फायरिंग में सारिक ने ही हथियार छोटू को दिया था। प्रिंस खान के लिए शूटरों को हथियार और रुपए पहुंचने में भी उसका नाम सामने आता रहा हैं। वहीं अफरीदी और सारिक ने मिल कर मटकुरिया के मार्डन टायर शोरूम पर भी हमला किया था। अप्सरा ड्रेसेज के मालिक के घर और लाला हत्याकांड के आरोपी डबलू अंसारी पर गोलीबारी में भी दोनों के नाम सामने आए थे। हाउसिंग कॉलोनी के आरईओ ठेकेदार रामनरेश सिंह के घर पर फायरिंग में सारिक और अफरीदी रजा जेल जा चुके हैं। वहीं शाहिद रजा पप्पू मंडल के घर के बाहर फायरिंग में जेल गया था।

साढ़े सात करोड़ से देवघर, मोहनपुर व देवीपुर में बनेंगे तीन पुल


रांची : ग्रामीण विकास विभाग के विशेष प्रमंडल से देवघर, मोहनपुर व देवीपुर में कुल साढ़े सात करोड़ की लागत से तीन पुलों का निर्माण होगा. गोड्डा सांसद डॉ निशिकांत दुबे के निर्देश पर विभागीय सचिव ने तीन पुलाें की स्वीकृति दी है. विभाग ने पुलों की स्वीकृति देने के बाद टेंडर निकाल दिया है.

ग्रामीण विकास विभाग ने दी स्वीकृति

ग्रामीण विकास विभाग के विशेष प्रमंडल से देवघर, मोहनपुर व देवीपुर में कुल साढ़े सात करोड़ की लागत से तीन पुलों का निर्माण होगा. गोड्डा सांसद डॉ निशिकांत दुबे के निर्देश पर विभागीय सचिव ने तीन पुलाें की स्वीकृति दी है. विभाग ने पुलों की स्वीकृति देने के बाद टेंडर निकाल दिया है. इसमें देवघर प्रखंड में गौरीपुर पंचायत स्थित गम्हरिया व कर्णकोल गांव के बीच जोरिया में 2.27 करोड़ की लागत से पुल बनेंगे. देवीपुर प्रखंड में पिपराटोला गांव के जोरिया में 1.68 करोड़ की लागत से पुल बनेंगे व मोहनपुर प्रखंड में विश्वानी से मीनीडीह जाने वाले रास्ते में छातमी नदी के मनीडीह घाट पर 3.51 करोड़ की लागत से पुल का निर्माण कराया जायेगा. 

तीनों पुल का निर्माण कार्य 15 से 18 महीने में पूरा हो जायेगा. टेंडर प्रक्रिया भी 12 दिसंबर तक पूरे हो जायेंगे. तीनों पुल का निर्माण होने से ग्रामीणों को एक छोर के गांव से दूसरे छोर के गांव तक जाने में चार से पांच किलोमीटर की दूरी तय नहीं करनी पड़ेगी. हजारों लोगों को आवागमन में सुविधा हो जायेगी.

चुनाव के दौरान ही देवघर, मोहनपुर व देवीपुर प्रखंड के ये तीन गांवों के ग्रामीणों ने पुल की इस समस्या से अवगत कराया था. विभागीय सचिव को जल्द पुल की स्वीकृति का निर्देश दिया गया था. पुल का टेंडर हो गया है. जनवरी से पुल का निर्माण कार्य चालू करा दिया जायेगा. पुल बन जाने से दर्जनों गांव के लोगों को राहत मिलेगी.

विधानसभा के कारण रुकी हुई 35 हजार पदों के लिए बहालियां दिसंबर माह से होगी शुरू


सीएम सोरेन ने शपथ ग्रहण के बाद दिए इसके लिए पहल का निर्देश

राज्य में लगभग 35 हजार पदों के लिए रुकी हुई बहालियां दिसंबर माह से फिर से शुरू हो सकती हैं। विधानसभा चुनाव को लेकर आदर्श आचार संहिता लागू होने से झारखंड कर्मचारी चयन आयोग तथा झारखंड लोक सेवा आयोग में नियुक्ति प्रक्रिया लगभग ठप थी। अब आदर्श आचार संहिता समाप्त होने के बाद जहां झारखंड लोक सेवा आयोग में अध्यक्ष की नियुक्ति होगी, वहीं, झारखंड कर्मचारी चयन आयोग में लंबित परीक्षा प्रक्रियाएं पूरी की जाएंगी।

शपथ ग्रहण के बाद हुई कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी बहालियों में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। सीएम के आदेश के बाद अब दिसंबर से बहाली प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। पहली बार कैबिनेट की बैठक में जेएसएससी एवं जेपीएससी दोनाें आयोगों में कैलेंडर के आधार पर अगले वर्ष जनवरी माह से परीक्षाएं आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। इसे लेकर दोनाें आयोगों को निर्देश दे दिए गए हैं।

सहायक आचार्य का परिणाम भी जल्द हो सकता है जारी

उम्मीद की जा रही है कि जेएसएससी में लंबित संयुक्त स्नातक स्तरीय प्रतियोगिता परीक्षा (सीजीएल) तथा राज्य के प्रारंभिक विद्यालयों में सहायक आचार्य के 26,001 पदों के लिए आयोजित प्रतियोगिता परीक्षा के परिणाम जारी करने पर भी उच्चस्तरीय निर्णय शीघ्र हो सकता है। इधर, आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण कई प्रतियोगिता परीक्षाओं का परिणाम जारी नहीं हो सका था।

उनका भी परिणाम शीघ्र जारी होने की उम्मीद है। इनमें मैट्रिक स्तरीय संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा तथा झारखंड महिला पर्यवेक्षिका नियुक्त परीक्षा आदि परीक्षाएं सम्मिलित हैं। वहीं, झारखंड इंटरमीडिएट स्तरीय परीक्षा, पारा मेडिकल प्रतियोगिता परीक्षा, झारखंड क्षेत्रीय कार्यकर्ता नियुक्ति प्रतियोगिता परीक्षा, झारखंड सचिवालय आशुलिपिक प्रतियोगिता परीक्षा आदि के आयोजन की तिथियां अगले माह घोषित हो सकती हैं। इधर, जेपीएससी में अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद सभी लंबित परीक्षाएं पूरी होंगी।इस आयोग में लगभग आधा दर्जन प्रतियोगिता परीक्षाएं अध्यक्ष के नहीं होने से लंबित हैं।

झारखंड JPSC Mains परीक्षा परिणाम न निकलने से छात्र नाराज

बता दें कि झारखंड में JPSC परीक्षा के मेंस का रिजल्ट अभी तक नहीं निकल पाया है। दुर्भाग्य की बात यह है कि पूरे 5 साल में केवल एक बार ही JPSC की परीक्षा लेकर रिजल्ट दिया गया है। दूसरी बार परीक्षा हुई, लेकिन अभी तक मेंस का रिजल्ट भी जारी नहीं हो पाया है। छात्रों का कहना है कि झारखंड सरकार प्रत्येक साल JPSC की परीक्षा नियमित रूप से लेने की कोशिश करे।

मालगाड़ी की चपेट में आने से बुजुर्ग की इलाज के दौरान हुई मौत

धनबाद: केंदुआ : बसेरिया रेलवे फाटक के पास रविवार को धनबाद-चंद्रपुरा रेल लाइन पर हुए एक दर्दनाक हादसे में 65 वर्षीय मुकेश प्रसाद गुप्ता (मुक्कू) की मौत हो गई.मुकेश प्रसाद गुप्ता मालगाड़ी की चपेट में आ गए थे, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे.

घटना की सूचना मिलते ही कुसुंडा जीआरपी थाना के पुलिस ओर परिजन घटनास्थल पर पहुँचे ओर गंभीररूप से घायल मुकेश प्रसाद गुप्ता को इलाज के लिए धनबाद एसएनएमसीएच अस्पताल भेजा गया.जहां इलाज के दौरान शाम को उनकी मौत हो गई.

स्थानीय लोगों ने बताया कि मृतक एक भूजा विक्रेता था.अक्सर घर से बाहर घूमते थे.उनके परिवार में उनकी पत्नी तारा देवी, तीन पुत्र और एक पुत्री हैं.इस हादसे के बारे में मृतक के पुत्र राजू गुप्ता ने बताया कि उनके पिता की तबियत ठीक नहीं थी फिर भी वह घूमने के लिए घर से निकले थे.इस दौरान वह रेलवे ट्रैक पार कर रहे थे, तभी अचानक मालगाड़ी की चपेट में आ गए.