संभल हिंसा मामले में चौकाने वाला खुलासा, सर्वे के पहले ही दिन भी बगैर अनुमति के अंदर घुसे थे 150-200 लोग
डेस्क: जामा मस्जिद बनाम हरिहर मंदिर को लेकर चंदौसी सिविल जज (सीनियर डिवीजन) आदित्य सिंह के आदेश का अनुपालन करने के लिए बेशक पुलिस और जिला प्रशासन, सर्वे की टीम के साथ था लेकिन मस्जिद के अंदर यह कार्य कर पाना बेहद चुनौती पूर्ण रहा क्योंकि 19 नवंबर को जैसे ही जिला प्रशासन के द्वारा मस्जिद के सदर और अन्य समिति के सदस्यों से सूचना देकर सर्वे करने सहमति ली गई थी तो कुछ चिह्नित लोगों को ही अंदर जाना था लेकिन ऐसा हुआ नहीं और अनाधिकृत लोग भी अंदर घुसे।
अत्यधिक भीड़ होने के चलते पहले दिन का कार्य अधूरा छोड़कर उसे स्थगित करना पड़ा। जिसकी वजह से ही 24 नवंबर को फिर से सर्वे करने का समय निर्धारित किया गया था।
डीएम और एसपी के अलावा प्रशासनिक सभी लोगों को बाहर रखा गया और मुख्य द्वार को बंद कर दिया गया था। समस्या तब उत्पन्न हुई, जब अचानक शहर के कुछ जनप्रतिनिधि और उनके समर्थक लोग आए और मस्जिद का गेट खुलवाकर अंदर घुस गए।
मस्जिद में जबरन घुस गए 150-200 लोग
इस दौरान प्रशासन और पुलिस की टीम ने ऐसे लोगों के अंदर जाने का विरोध भी किया लेकिन उनकी आपत्ति को दरकिनार किया गया था। इतना ही नहीं एक के बाद एक मस्जिद में 150 से 200 लोग दाखिल हो गए और टीम को अपना सर्वे कार्य करने में दिक्कत आने लगी।
लोग सर्वे पर आपत्ति और विरोध की बातें करने लगे, सवाल खड़े करने लगा। ज्यादा भीड़ को देखते हुए कार्य लगातार प्रभावित हो रहा था और रात्रि का समय भी हो रहा था। जिसके चलते एडवोकेट कमिश्नर और जिला प्रशासन कार्य को स्थगित किया और यह कार्य अगले दिन करने का निर्णय लिया, लेकिन जुम्मे की नमाज और उपचुनाव की मतगणना को लेकर चार दिन तक यह कार्य नहीं हुआ।
संभल जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने बताया-
यह बात सही है कि पहले दिन के सर्वे के दौरान मस्जिद के अंदर कुछ अनधिकृत लोग प्रवेश कर गए थे। जिनकी संख्या लगभग डेढ़ सौ से ज्यादा थी। हालांकि उनको बाहर निकला गया था, क्योंकि रात्रि में सर्वे पूरा नहीं हो सकता था। इसलिए 24 नवंबर को टीम फिर से गई तो दूसरे दिन भी मस्जिद के अंदर काफी लोग थे। जिन्हें बाहर निकालने के बाद सर्वे का कार्य कराया गया था।
पहले दिन जिस वक्त सर्वे का कार्य चल रहा था, उस वक्त सभी सुरक्षा कर्मियों को मस्जिद के बाहर ही रहने दिया गया था, यहां तक की पुलिस अधीक्षक के पीआरओ, कैमरामैन से लेकर अन्य सुरक्षा गार्ड भी बाहर रहे। डीएम के साथ भी रहने वाले स्टाफ को बाहर रखा गया था। चिंता की बात तब हुई जब मस्जिद का गेट अंदर से बंद तो था लेकिन 150 से 200 लोग एक प्रवेश करते जा रहे थे और सुरक्षा के लिए अंदर कोई नहीं था, जिसमें डीएम और एसपी के अलावा एडवोकेट कमिश्नर और याची दो अधिवक्ता की सुरक्षा का सवाल था।
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