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बेंगलुरु से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है पिता ने अपने बेटे को क्रिकेट बैट से पीटकर कर दी हत्या,बेटे की इस हरकत से पिता था परेशान


नई दिल्ली: कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। बेंगलुरु में एक व्यक्ति ने अपने 14 साल के बेटे की क्रिकेट के बल्ले से पीट-पीट कर हत्या कर दी। पिता 14 साल के बेटे की मोबाइल की लत से और पढ़ाई में उसकी रुचि न होने को लेकर परेशान था।

इस वजह से पिता ने बहस के बाद क्रिकेट के बल्ले से पीट-पीट कर और दीवार पर उसका सिर पटक कर उसकी हत्या कर दी, जिससे पूरे शहर में शोक की लहर दौड़ गई। पिता की पहचान रवि कुमार के रूप में हुई है। हत्या से पहले रवि कुमार ने अपने बेटे को न सिर्फ प्रताड़ित किया बल्कि इस मर्डर को छिपाने की कोशिश की थी।

पुलिस को कैसी मिली सूचना?

मामला तब सामने आया जब पुलिस को कुमारस्वामी लेआउट इलाके में एक स्कूली छात्र की संदिग्ध मौत की सूचना मिली। जब वे उसके घर पहुंचे तो पुलिस ने एक चौंकाने वाला नजारा देखा। जिसके बाद उन्होंने देखा कि किशोर की अर्थी तैयार थी और उसका परिवार उसके अंतिम संस्कार की तैयारी में लगा हुआ था। इसके बाद पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सामने आया सच

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, लड़के के सिर पर गंभीर चोटें थीं और उसके शरीर पर कई घाव थे, जिससे पता चलता है कि मरने से पहले उस पर बेरहमी से हमला किया गया था। पुलिस जांच से पता चला कि पेशे से बढ़ई पिता अपने बेटे कक्षा 9 के छात्र - की पढ़ाई में अरुचि के कारण बेहद नाराज थे।

नाराजगी जब ज्यादा बढ़ी तो उन्होंने अपने बेटे को दीवार पर पटक दिया और कहा, "मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि तुम जियो या मरो।"

जमीन पर गिरा लड़का और कराहता रहा

लड़का जमीन पर गिर गया और दर्द से कराहता रहा। सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक उसकी हालत बिगड़ती रही। लेकिन जांच के मुताबिक, सांस रुकने के बाद ही उन्हें अस्पताल ले जाया गया। वहां पहुंचने पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

बेंगलुरु एयरपोर्ट पर बड़ी तस्करी का पर्दाफाश, 40 दुर्लभ जीव जन्तु बरामद


बेंगलुरु: सीमा शुल्क अधिकारियों को बड़ी कामयाबी मिली है. अधिकारियों ने बेंगलुरु एयरपोर्ट पर एक अंतरराष्ट्रीय वन्य जीव तस्कर गिरोह का पर्दाफाश किया है. इस मामले में दो तस्कर पकड़े गए हैं. 

तस्करों के पास से 40 दुर्लभ और लुप्तप्राय जानवरों को बरामद किए गये हैं. तस्करों से पूछताछ की जा रही है.

देवनहल्ली के केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर सीमा शुल्क अधिकारियों द्वारा 40 दुर्लभ और लुप्तप्राय जानवरों को बचाया गया. 

बेंगलुरु कस्टम अधिकारियों ने विदेश से बेंगलुरु में वन्यजीवों की तस्करी करने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ किया है. बेंगलुरु कस्टम अधिकारियों ने ट्रॉली बैग में छिपाकर तस्करी के प्रयास के दो मामलों में 40 जंगली जानवरों को सुरक्षित बचा लिया.

आरोपी 12 नवंबर को कुआलालंपुर से देवनहल्ली केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचा. तस्करी के बारे में खुफिया जानकारी प्राप्त करने वाले बेंगलुरु सीमा शुल्क अधिकारियों ने एक अभियान चलाया. दो यात्रियों से पूछताछ की और उनके ट्रॉली बैग की जांच की. तलाशी के दौरान दुर्लभ जानवरों से भरे बैग मिले.

ट्रॉली बैग में कुल 40 दुर्लभ जानवरों की तस्करी करने की कोशिश की गई. एक बैग में 24 जानवर थे जिनमें अल्दाबरा विशाल कछुए, लाल पैर वाले कछुए, छिपकलियां, शिंगलबैक स्किंक, गैंडा इगुआना, एल्बिनो चमगादड़ और दूसरे बैग में 16 अन्य जानवर हैं.इनमें ल्यूटिनो इगुआना, गिब्बन, बेबी अमेरिकन एलीगेटर, बेबी लेपर्ड कछुए, लाल पैर वाले कछुए शामिल हैं. सभी जानवर जीवित हैं. अधिकारियों ने बताया कि दोनों यात्रियों को सीमा शुल्क अधिनियम और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया. उन्हें 15 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

जानिए ठंड में बच्चों को जायफल क्यों खिलाना चाहिए


जायफल एक महत्वपूर्ण मसाला है जो न केवल स्वाद बढ़ाने के लिए उपयोग होता है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है। खासकर ठंड के मौसम में यह बच्चों के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है, लेकिन इसे देने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है।

1. जायफल के फायदे

पाचन में मदद:

 जायफल बच्चों के पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में मदद करता है। यह गैस और कब्ज जैसी समस्याओं को दूर करने में भी कारगर है।

इम्यून सिस्टम को बढ़ावा:

 ठंड में शरीर को अतिरिक्त देखभाल की जरूरत होती है। जायफल बच्चों के इम्यून सिस्टम को मजबूती प्रदान करता है और वायरल बिमारियों से बचाव करता है।

सर्दी-खांसी में राहत: 

जायफल के एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण सर्दी, खांसी और जुकाम के इलाज में मदद कर सकते हैं। यह बच्चों के गले में होने वाली जलन और खांसी को भी कम करता है।

नींद में सुधार:

जायफल में हल्के सिडेटिव गुण होते हैं, जो बच्चों को बेहतर नींद दिलाने में मदद कर सकते हैं। रात को सोते समय थोड़ी सी जायफल का पाउडर दूध में मिलाकर देने से आरामदायक नींद मिल सकती है।

2. सावधानियाँ

खानपान में संतुलन:

बच्चों को जायफल का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए। ज्यादा मात्रा में सेवन से पेट में जलन या उल्टी हो सकती है। इसलिए, इसे छोटे हिस्सों में ही देना चाहिए।

बच्चों की उम्र:

साल से छोटे बच्चों को जायफल देना उचित नहीं है। इससे उन्हें एलर्जी या पेट संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

मेडिकल कंडीशन:

अगर बच्चे को किसी प्रकार की विशेष बीमारी है, जैसे कि एलर्जी, तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।

3. कैसे दें जायफल

दूध में मिलाकर: 

बच्चों को जायफल पाउडर दूध में डालकर दे सकते हैं, जो स्वाद में भी अच्छा लगता है और आसानी से पच जाता है।

खीर या हलवा में: 

आप बच्चों की खीर या हलवे में जायफल का पाउडर मिला सकते हैं। इससे स्वाद भी बढ़ेगा और इसके फायदे भी मिलेंगे।

फलों में डालकर: 

जायफल का पाउडर ताजे फलों के ऊपर भी छिड़का जा सकता है, जो एक नया स्वाद देने के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता है।

निष्कर्ष

ठंड में बच्चों को जायफल देने के फायदे हैं, लेकिन इसका सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए। किसी भी प्रकार के एलर्जी या स्वास्थ्य समस्या के मामले में पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के अवसर पर सरकार ने किया बड़ा फैसला,दिल्ली के सराय काले खां चौक का नाम,अब बिरसा मुंडा चौक के नाम से जाना जाएगा

भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर जनजातीय गौरव दिवस को काफी उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार के जमुई में कार्यक्रम कर रहे हैं तो वहीं, दिल्ली में भी केंद्र सरकार की ओर से बड़ा ऐलान किया गया है। केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बिरसा मुंडा की जयंती पर ऐलान किया है कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सराय काले खां ISBT चौक का नाम बदलकर बिरसा मुंडा चौक रखा जाएगा।

दिल्ली के सराय काले खां ISBT चौक को अब बिरसा मुंडा चौक के नाम से जाना जाएगा। भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के मौके पर सरकार ने बड़ा फैसला किया है। सरकार ने दिल्ली के मशहूर सराय काले खां ISBT चौक का नाम बदलकर बिरसा मुंडा चौक रख दिया है। 

केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने नाम बदलने का ऐलान किया। इसके अलावा इस चौक के पास ही बिरसा मुंडा की भव्य प्रतिमा का भी अनावरण किया गया है।

केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने किया ऐलान

केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा, "मैं आज घोषणा कर रहा हूं कि यहां आईएसबीटी बस स्टैंड के बाहर बड़े चौक को भगवान बिरसा मुंडा के नाम से जाना जाएगा। इस प्रतिमा और उस चौक का नाम देखकर न केवल दिल्ली के नागरिक बल्कि बस स्टैंड पर आने वाले लोग भी निश्चित रूप से उनके जीवन से प्रेरित होंगे।"

बिरसा मुंडा की प्रतिमा का अनावरण

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में बिरसा मुंडा की जयंती के मौके पर उनकी भव्य प्रतिमा का अनावरण किया। इस मौके पर उन्होंने कहा, "अभी हमारे एलजी साहब ने मुझे बताया कि ये 30 हज़ार हेक्टेयर ज़मीन जिस पर ये बांसेरा बनाया गया है, कभी कूड़े का ढेर हुआ करता था और आज यहां लाखों पक्षी आते हैं। जब कोई सरकार लोगों और समाज के कल्याण को ध्यान में रखकर आती है, तो ये उसका उत्तम उदाहरण है।

उत्पाद विभाग की छापेमारी में रांची में शराब की मिनी फैक्ट्री का हुआ खुलासा,250 ब्रांडेड शराब की बोतलें ज़ब्त


रांची : सहायक आयुक्त उत्पाद अरुण कुमार मिश्रा के निर्देश पर गुरुवार को उत्पाद विभाग की टीम ने यह कार्रवाई की है। उत्पाद विभाग ने टाटीसिल्वे थाना के महिलोंग के महुआ टोली बस्ती में छापेमारी कर एक अवैध विदेशी शराब की मिनी फैक्ट्री का खुलासा किया है।

रांची के सहायक आयुक्त उत्पाद के निर्देश पर गुरुवार को उत्पाद विभाग की टीम ने यह कार्रवाई की है।

250 ब्रांडेड शराब की बोतलें ज़ब्त

छापेमारी के क्रम में मनोज कुजूर के मकान के अंदर और मकान के पीछे करकट के कमरे से 980 प्लास्टिक बोतल में विदेशी शराब और 250 ब्रांडेड शराब की बोतलें ज़ब्त की गई है

घटनास्थल से मकान मालिक मनोज कुजूर को हिरासत में लिया, जबकि मुख्य अभियुक्त चंदन यादव की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है।

सभी प्लास्टिक बोतल के नकली शराब को ब्रांडेड शराब की बोतलों में भरा जा रहा था। मौके से अवैध विदेशी शराब 828 लीटर बरामद किया गया।

झारखंड स्थापना दिवस: विकास की अवधारणा को लेकर बिरसा मुंडा जयंती पर हुआ था अलग झारखंड राज्य की स्थापना


ममता कुमारी 

आज झारखंड का स्थापना दिवस है,15नवम्बर 2000 को बिहार से काट कर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने अलग झारखंड राज्य कि स्थापना की थी. इस सोच के साथ की छोटे छोटे राज्यों के प्रशासनिक व्यवस्था दुरुस्त होगी और विकास पर फोकस किया जा सकेगा.लेकिन इस सोच को साकार रूप देने में आज तक राजनेता सफल नहीं हो पाए.

यूं तो झारखंड भारत के पूर्वी भाग में स्थित एक ऐसा राज्य है, जहाँ प्रकृति ने खनिज,वन संसाधन से सम्पन्न बनाया है यहाँ का इतिहास आदिवासी संस्कृति और संघर्ष से भरा पड़ा है। बिरसा मुंडा की जयंती यहाँ के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है।

सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत

झारखंड, जो भारत के सबसे खूबसूरत और प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर राज्यों में से एक है, 15 नवंबर 2000 को बिहार से अलग होकर एक नए राज्य के रूप में स्थापित हुआ। इस दिन को झारखंड स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है। झारखंड का इतिहास सदियों पुराना है, जहां यह क्षेत्र मुंडा, संथाल, उरांव जैसी अनेक आदिवासी समुदायों की भूमि रही है। इन समुदायों ने न केवल इस क्षेत्र की भूमि, जंगल और पानी की सुरक्षा की बल्कि भारतीय संस्कृति में भी अपना विशिष्ट योगदान दिया।

झारखंड की संस्कृति आदिवासी समुदायों से गहराई से जुड़ी है, जिनकी कला, नृत्य, गीत और हस्तकला राज्य के पहचान का हिस्सा हैं। यहां का छऊ नृत्य, करम पर्व, सरहुल और मगही गीत झारखंड की अनूठी सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हैं। इसके अलावा, झारखंड का भूगोल और खनिज संसाधन भी इसे एक महत्वपूर्ण आर्थिक केंद्र बनाते हैं।

बिरसा का त्याग और बलिदान बना प्रेरणा का श्रोत

बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड के एक छोटे से गाँव में हुआ था। वे मुंडा आदिवासी समुदाय से संबंध रखते थे और बचपन से ही अपने अधिकारों के प्रति जागरूक थे। ब्रिटिश शोषण और धार्मिक आक्रमण से त्रस्त होकर बिरसा ने अपने समुदाय को संगठित किया और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए 'उलगुलान' (विद्रोह) की शुरुआत की।

बिरसा मुंडा न केवल एक महान योद्धा थे, बल्कि एक समाज सुधारक और धार्मिक नेता भी थे। उन्होंने अपने अनुयायियों को ब्रिटिश राज के अत्याचारों के खिलाफ संगठित होने के लिए प्रेरित किया। उनके संघर्ष का प्रमुख उद्देश्य आदिवासियों की भूमि की रक्षा और उनके परंपरागत अधिकारों को बनाए रखना था। उन्होंने अपने अनुयायियों को यह भी सिखाया कि वे प्रकृति के प्रति आदर और सम्मान करें, जो उनकी धार्मिक मान्यता का हिस्सा था।

झारखंड स्थापना दिवस और बिरसा मुंडा जयंती का महत्व

झारखंड का स्थापना दिवस और बिरसा मुंडा की जयंती एक ही दिन मनाई जाती है, जो आदिवासी समुदायों के अधिकारों और उनके संघर्ष का प्रतीक है। यह दिन राज्य में एक महत्वपूर्ण पर्व के रूप में मनाया जाता है, जहां लोग बिरसा मुंडा के योगदान को याद करते हैं और उनके आदर्शों को अपनाने का संकल्प लेते हैं।

बिरसा मुंडा का प्रभाव आज भी झारखंड और अन्य आदिवासी समुदायों में देखा जा सकता है। वे सभी आदिवासी समुदायों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं और उनकी मूर्ति राज्य के विभिन्न भागों में स्थापित की गई है। झारखंड सरकार इस दिन को विशेष उत्सव के रूप में मनाती है और बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि अर्पित करती है।

झारखंड स्थापना दिवस और बिरसा मुंडा जयंती का यह दिवस न केवल एक ऐतिहासिक अवसर है बल्कि आदिवासी समुदायों की संस्कृति, उनके संघर्ष और उनके अधिकारों की पहचान को भी दर्शाता है। बिरसा मुंडा का बलिदान और उनका संघर्ष झारखंड के हर व्यक्ति के लिए प्रेरणा का स्रोत है, और झारखंड का स्थापना दिवस उनके योगदान को नमन करने का सर्वोत्तम अवसर है।

दुनिया को योग की शिक्षा देने वाले योग गुरु शरत जोइस की हार्ट अटैक से हुई मौत,जानें कौन थे शरत जोइस


नयी दिल्ली : प्रसिद्ध योग प्रशिक्षक और योग के दिग्गज गुरु कृष्ण पट्टाभि जोइस के पोते शरत जोइस का निधन हो गया। सोमवार को अमेरिका के वर्जीनिया में उन्होंने अंतिम सांस ली है।

शरत जोइस 53 वर्ष के थे। खबरों की मानें तो वर्जीनिया विश्वविद्यालय के पास एक हाइकिंग ट्रेल पर दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई। इस दौरान वह घूमने निकले थे।

शरत जोइस की बहन शर्मिला महेश ने उनकी मृत्यु की पुष्टि की। उन्होंने लिखा कि यह लिखते हुए मेरे हाथ कांप रहे हैं। गहरे दुख के साथ हम सभी को सूचित करना चाहते हैं कि सरस्वती के बेटे और मेरे भाई शरत जोइस का आज तड़के अमेरिका में निधन हो गया।

शरत जोइस के योग केंद्र की तरफ से भी उनके निधन की खबर की पुष्टि की। योग केंद्र की तरफ से जारी किए गए के बयान में कहा गया है कि यह बहुत दुख की बात है कि हम अपने प्रिय गुरु शरत जोइस के अचानक निधन की खबर आपके साथ साझा कर रहे हैं। उनका निधन 11 नवंबर, 2024 को वर्जीनिया, अमेरिका में हुआ।

कौन थे शरत जोइस?

शरत जोइस प्रसिद्ध योग प्रशिक्षक और योग के दिग्गज गुरु कृष्ण पट्टाभि का पोते थे। उन्होंने अपने दादा कृष्ण पट्टाभि जोइस से यह कला सीखी। गुरु कृष्ण पट्टाभि दुनिया भर में प्रसिद्ध थे और उन्हें मानने वालों में ग्वेनेथ पाल्ट्रो और मैडोना जैसी हस्तियां शामिल थीं। 

2009 में अपने दादा की मृत्यु के बाद जोइस ने उनकी विरासत को संजोने के लिए जाना जाता है।

2019 में शरत जोइस की मां सरस्वती रंगास्वामी ने संस्थान का नाम बदलकर के पट्टाभि जोइस अष्टांग योग शाला रख दिया। 

शरत ने एक नया केंद्र, शरत योग केंद्र खोला। शरत के संस्थान में कथित तौर पर हर महीने 5,000 से ज्यादा आवेदन आते थे। जिसमें हर सत्र में लगभग 350-400 छात्र आते थे। उन्होंने प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित किया जिन्होंने अष्टांग योग को अफ्रीका, एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी अमेरिका और दक्षिण अमेरिका सहित महाद्वीपों में फैलाया।

न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, अपनी मृत्यु के दिन जोइस वर्जीनिया विश्वविद्यालय में एक सेमिनार में गए थे और लगभग 50 छात्रों के साथ पदयात्रा पर भी गए। उनके अंदर थकावट दिख रही थी और वह सबसे पीछे चल रहे थे। कुछ दूर चलने के बाद एक बेंच पर बैठे और बाद में उससे गिर गए। बाद में पता चला कि उन्हें हार्ट अटैक आया था।

उपलब्धि:आज ही के दिन शीतल महाजन ने माउंट एवरेस्ट से 21,500 फीट की ऊंचाई से छलांग लगाकर विश्व रिकॉर्ड बनाने वाली पहली महिला बनी


नयी दिल्ली : 14 नवंबर 2023 का दिन भारतीय महिला शीतल महाजन के लिए एक खास उपलब्धि का प्रतीक बन था। इस दिन शीतल ने माउंट एवरेस्ट के सामने 21,500 फीट की ऊंचाई से हेलीकॉप्टर से छलांग लगाई और इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया था।

इस उपलब्धि के साथ 41 वर्षीय शीतल महाजन ने विश्व की पहली महिला के रूप में इस ऊंचाई से छलांग लगाने का गौरव हासिल किया। उनकी इस साहसिक उपलब्धि ने भारत को गर्व का अनुभव कराया और उन्हें प्रेरणा का स्रोत बना दिया। 

बता दें, शीतल महाजन राणे भारतीय साहसी खेलप्रेमी और विश्व रिकॉर्ड धारक स्काइडाइवर हैं। उन्होंने स्काइडाइविंग में आठ विश्व रिकॉर्ड बनाए हैं। शीतल महाजन ने अपनी यूनिक अचीवमेंट से दुनियाभर में अपने साहस का परिचय दिया है।

वे पहली भारतीय महिला हैं जिन्होंने अंटार्कटिका के ऊपर 10,000 फीट की ऊंचाई से फ्री फॉल जम्प किया, और उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव के ऊपर सफल छलांग लगाने वाली सबसे युवा महिला भी बनीं। 2011 में, भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया था। 

19 सितंबर 1982 को पश्चिमी भारतीय राज्य महाराष्ट्र के जलगांव में जन्मी शीतल महाजन का साहसिक सफर 2006 में दक्षिणी ध्रुव पर फ्री फॉल जम्प करने के साथ नई ऊंचाईयों पर पहुंचा। 

उन्होंने न केवल दक्षिणी ध्रुव पर, बल्कि उत्तरी ध्रुव पर भी बिना किसी पूर्व अभ्यास के सफल छलांग लगाई।

महज 24 वर्ष की उम्र में इस कीर्तिमान को हासिल कर वे सबसे युवा महिला बन गईं जिन्होंने यह साहसिक कार्य किया। इसके साथ ही, वे पहली भारतीय महिला बनीं जिन्होंने विंगसूट जम्प का प्रदर्शन किया। शीतल महाजन का नाम स्काइडाइविंग के क्षेत्र में कई अन्य रिकॉर्ड्स से भी जुड़ा है।

उन्होंने अंटार्कटिका के ऊपर फ्री फॉल पैराशूट जम्प करने वाली टीम का नेतृत्व किया, जो अपने आप में एक विश्व रिकॉर्ड था। उन्होंने 2014 में 85 भारतीय स्काइडाइवर्स की टीम का नेतृत्व किया और स्पेन में एक घंटे में अधिकतम टैंडम जम्प करने का रिकॉर्ड भी स्थापित किया।

इसके अलावा, उन्होंने 19 अप्रैल 2009 को महिलाओं की श्रेणी में 13,000 फीट की ऊंचाई से जम्प कर एक और रिकॉर्ड अपने नाम किया। इसके साथ ही उन्होंने 5,800 फीट की ऊंचाई से हॉट एयर बलून से फ्री फॉल जम्प और 24,000 फीट की ऊंचाई से जम्प भी की है।

शीतल महाजन की उपलब्धियों को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। 2005 में उन्हें गोडावरी गौरव पुरस्कार से नवाजा गया और उसी वर्ष महाराष्ट्र राज्य खेल विशेष पुरस्कार भी मिला। इसके अलावा, 2004 में उत्तरी ध्रुव पर सफल छलांग के बाद, उन्हें तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार प्राप्त करने वाली वह पहली सिविलियन बनीं।

बाल दिवस आज:पंडित नेहरू की जयंती पर बाल दिवस,बच्चों के लिए सुरक्षित और खुशहाल भविष्य का संकल्प

नयी दिल्ली : हर साल दुनियाभर में अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस 20 नवंबर को मनाया जाता है। लेकिन भारत में इसे हर वर्ष 14 नवंबर 2024 को मनाया जाता है। पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती के दिन बाल दिवस मनाया जाता है। यह दिन खासतौर से बच्चों के लिए होता है, जिसमें उनकी खुशियों, उनके अधिकारों और उनके उज्ज्वल भविष्य को संवारने के लिए जागरूकता फैलाई जाती है। 

इस दिन का मुख्य उद्देश्य बच्चों के प्रति जागरूकता को बढ़ाना और उन्हें एक सुरक्षित, खुशहाल और शिक्षा से भरपूर जीवन देने की दिशा में कार्य करना है। आइए जानें बाल दिवस से जुड़ी पांच अहम बातें, जिन्हें हर बच्चे और बड़े को जानना चाहिए।

बाल दिवस का इतिहास और महत्व

भारत में बाल दिवस की शुरुआत पंडित जवाहर लाल नेहरू के जन्मदिन पर हुई, जिन्हें बच्चे ‘चाचा नेहरू’ के नाम से जानते थे। पंडित नेहरू को बच्चों से गहरा लगाव था और वे मानते थे कि बच्चे देश का भविष्य हैं। उनके विचार में बच्चों को एक अच्छी शिक्षा और स्वस्थ जीवन देने की आवश्यकता है, ताकि वे आगे चलकर समाज और देश की बेहतरी के लिए योगदान दे सकें।

साल में दो बार मनाया जाता है बाल दिवस?

1954 में, संयुक्त राष्ट्र ने 20 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस घोषित किया। हर साल दुनियाभर में अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस 20 नवंबर को मनाया जाता है। लेकिन भारत में इसे पंडित नेहरू की जयंती पर मनाने का निर्णय लिया गया।

बाल दिवस का उद्देश्य

बाल दिवस का मुख्य उद्देश्य बच्चों के अधिकारों की रक्षा करना, उन्हें सुरक्षित वातावरण देना और उनकी शिक्षा व स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करना है। बाल दिवस पर बच्चों के प्रति बढ़ते अत्याचार, बाल श्रम, और शिक्षा की कमी जैसी समस्याओं पर जागरूकता फैलाने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यह दिन बच्चों की खुशियों के साथ-साथ उनके अधिकारों के प्रति समाज में जिम्मेदारी को भी बढ़ावा देने का प्रतीक है।

पंडित नेहरू का बच्चों के प्रति दृष्टिकोण

पंडित नेहरू का मानना था कि बच्चों को बचपन में सही मार्गदर्शन और प्यार दिया जाना चाहिए। उनके अनुसार, बच्चे बिना किसी भेदभाव के स्वतंत्र रूप से सीखने और बढ़ने का अधिकार रखते हैं। पंडित नेहरू हमेशा बच्चों के बीच जाकर उनके साथ समय बिताना पसंद करते थे, और उनका मानना था कि बच्चों में मासूमियत, सच्चाई, और निष्ठा होती है, जो बड़े लोगों को भी प्रेरणा देती है।

बाल अधिकारों के प्रति जागरूकता और जिम्मेदारी

बाल दिवस के माध्यम से बच्चों के अधिकारों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। जैसे कि उन्हें अच्छी शिक्षा का अधिकार, बाल श्रम से सुरक्षा, और एक सुरक्षित व प्यार भरे वातावरण में बढ़ने का अधिकार। भारत में बाल अधिकारों की सुरक्षा के लिए बाल संरक्षण कानून और संस्थाएँ कार्यरत हैं, जिनका उद्देश्य बच्चों के भविष्य को सुरक्षित बनाना है।

सीएम सोरेन ने ओल्ड पेंशन योजना को लेकर भाजपा पर किया करारा प्रहार, कहा कर्मचारियों के बुढ़ापे कि सहारा हीं छीन लिया


डेस्क : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने OPS के मुद्दे पर भाजपा पर करारा वार किया है। निरसा में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पुरानी पेंशन योजना को लेकर भाजपा का आड़े हाथों लिय़ा। उन्होंने भाजपा ने अपने कर्मचारियों के बुढ़ापे के सहारे को छिन लिया था। आज भाजपा के शासित राज्यों में कर्मचारियों को पुराना पेंशन नहीं मिलता है।

हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखण्ड के लाखों सरकारी कर्मचारियों को OPS का सम्मान देकर हमने उनके बुढ़ापे की लाठी मजबूत की है। भाजपा ने तो कर्मचारियों को असहाय कर उनके हक का पैसा बाजार में लगा रखा था। 

निरसा में भाकपा माले प्रत्याशी अरुप चटर्जी के लिए चुनावी रैली को संबोधित करते हुए हेमंत सोरेन ने कहा कि भाजपा के लोग ऐसे हैं, पूरे देश के कर्मचारियों का बुढ़ापे का लाठी छिन लिया है। किसी भी कर्मचारी को पेंशन नहीं मिलता है।

ये देश का पहला प्रदेश है, जहां हम अपने कर्मचारियों को उनके बुढ़ापे की लाठी, पुराने पेंशन से उन्हें जोड़ा है। आज कोई भी कर्मचारी, बिना पेंशन का नहीं है। पूछो, इनके भारतीय जनता पार्टी में सरकारी कर्मचारियों को पेंशन मिलता है क्या? किसी को नहीं मिलता है।

हेमंत सरकार ने लागू किया था पुरानी पेंशन

हेमंत सरकार ने 2021 में पुरानी पेंशन योजना झारखंड के कर्मचारियों के लिए लागू की थी। बजट में इसके लिए सरकार ने प्रावधान भी किया था। राज्य में करीब 1.95 लाख स्थाई अधिकारी-कर्मी हैं।

इनमें से 1.25 लाख नई पेंशन योजना के दायरे में थे, जो 2004 में अंशदायी पेंशन योजना लागू होने के बाद बहाल हुए, इन्हें इसका सीधा लाभ मिलेगा। बाद में पुरानी पेंशन योजना का दायरा धीरे-धीरे बढ़ाया गया। कर्मचारियों के अलावा अन्य संवर्ग को भी आज राज्य में पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिल रहा है।

झारखण्ड के लाखों सरकारी कर्मचारियों को OPS का सम्मान देकर हमने उनके बुढ़ापे की लाठी मजबूत की है।

भाजपा ने तो कर्मचारियों को असहाय कर उनके हक का पैसा बाजार में लगा रखा था।

चंदा चोर भाजपा नए-नए तरीके ढूंढ कर लोगों को लूटने का षड्यंत्र रचती है।