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कौन हैं स्टीफन मिलर? ट्रंप कैबिनेट में शामिल ये अधिकारी है 'वीजा हेटर', भारतीयों के लिए ना बन जाए मुसीबत

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अमेरिकी चुनाव में राष्ट्रपति पद पर निर्वाचित होने वाले डोनाल्ड ट्रंप लगातार अपने मंत्रीमंडल और सरकार चलाने में मदद करने वाले अधिकारियों का चुनाव कर रहे हैं। इसी बीच, ट्रंप ने राजनीतिक सलाहकार स्टीफन मिलर को अपने नये प्रशासन में नीति मामलों का उप प्रमुख नियुक्त किया है। मिलर को ट्रंप सरकार में इस नई जिम्मेदारी का मिलना हर किसी के लिए हैरान कर देने वाला है क्योंकि वह इमिग्रेशन के मामलों में काफी कट्टरपंथी सोच को बढ़ावा देते हैं। माना जा रहा है कि ट्रंप का यह फैसला अमेरिका में रहने वाले भारतीय सॉफ्टवेयर इंजीनियरों के लिए दिक्कत खड़ी कर सकता है। बता दें कि मिलर H1B1 वीजा के कड़े आलोचक रहे हैं। 

कौन हैं मिलर?

मिलर ट्रंप के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले सहयोगियों में से एक हैं, जो व्हाइट हाउस के लिए उनके पहले चुनाव कैंपेन से ही जुड़े हुए हैं। वे ट्रंप के पहले कार्यकाल में एक वरिष्ठ सलाहकार थे और उनके कई नीतिगत निर्णयों में एक केंद्रीय व्यक्ति रहे हैं, विशेष रूप से आव्रजन पर, जिसमें 2018 में एक निवारक कार्यक्रम के रूप में हजारों अप्रवासी परिवारों को अलग करने का ट्रंप का कदम भी शामिल है।

व्हाइट हाउस छोड़ने के बाद से, मिलर ने अमेरिका फर्स्ट लीगल के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया है, जो कि ट्रम्प के सलाहकारों का एक संगठन है, जिसे अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन के रूढ़िवादी संस्करण के रूप में बनाया गया है, जो बाइडेन प्रशासन, मीडिया कंपनियों, विश्वविद्यालयों और अन्य को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और धर्म और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर चुनौती देता है।

अप्रवासियों को लेकर ट्रंप प्रशासन का विपरीत रुख

फोर्ब्स के अनुसार, अमेरिका में बहुत से अंतर्राष्ट्रीय छात्रों और उच्च-कुशल अप्रवासी अमेरिका में आकर पढाई करते हैं और फिर नौकरी करते है। इसका अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अमेरिका की आर्थिक सहमति के बावजूद, ट्रंप प्रशासन ने इसके विपरीत रुख अपनाया हुआ है। H1B1 वीजा पर बैन लगाने के अलावा अधिकारियों ने यूएसए में पढ़ाई करने के लिए इसे कम आकर्षक बनाने के लिए नीतियों का पालन किया है। 

भारतीयों की कैसे बढ़ सकती है परेशानी

बता दें कि H1B1 वीजा अमेरिका में इंटरनेशनल छात्रों समेत हाई स्किल्ड विदेशी नागरिकों को अमेरिका में लंबे समय तक काम करने, नौकरी से जुड़े इमिग्रेशन और अमेरिकी नागरिक बनने का मौका देता है। मिलर के कड़े रूख के कारण कई छात्रों और लोगों को वीजा के लिए चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। इससे भारतीयों के लिए अमेरिका में नौकरी के अवसर सीमित हो सकते हैं। वहीं कई लोगों को वीजा में देरी या वीजा रिजेक्शन का सामना भी करना पड़ सकता है।

दिल्ली नगर निगम में आप ने लहराया जीत का परचम, महेश खींची बने मेयर

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दिल्ली नगर निगम के मेयर पद पर आम आदमी पार्टी ने कब्जा कर लिया है। दिल्ली नगर निगम के मेयर चुनाव में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार महेश कुमार ने जीत दर्ज की है। उन्होंने बीजेपी के शकूरपुर वार्ड पार्षद किशन लाल को मात दी। आप के 10 पार्षदों ने बीजेपी को वोट दिया। इसके बावजूद भी पार्टी को जीत मिली। महेश कुमार को 133 वोट मिले जबकि भाजपा के पार्षद को 130 वोट प्राप्त हुए, दो वोट रद्द हुए। 

इस चुनाव में कुल 265 वोट पड़े हैं। महेश खींची को कुल 135 वोट मिले लेकिन उनके उनके 2 वोट अमान्य घोषित किए गए जिसके बाद उन्हें 133 मान्य मत मिले। महेश कुमार खींची देव नगर (वार्ड नंबर 84) से पार्षद हैं। बीजेपी के किशन लाल को 130 वोट मिले। आप ने तीन वोटों से बाजी मार ली।

एमसीडी नियमों के अनुसार, दिल्ली में हर साल महापौर के चुनाव होते हैं। यह चुनाव अप्रैल में होते हैं। पहला कार्यकाल महिलाओं के लिए, दूसरा ओपन कैटेगरी के लिए, तीसरा आरक्षित श्रेणी के लिए और आखिरी दो कार्यकाल फिर से ओपन कैटेगरी के लिए निर्धारित हैं। इस कार्यकाल के लिए दिल्ली मेयर का पद दलित उम्मीदवार के लिए रिर्जव है।

बीजेपी ने पकड़ी कांग्रेस की “राह”, महाराष्ट्र से लेकर झारखंड तक, हो रही संविधान की चर्चा

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इस साल मई में हुए हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 400 पार का नारा दिया था। बीजेपी इसको लेकर आत्मविश्वास से लबरेज थी। हालांकि, उसे मुंह की खानी पड़ी। भाजपा ने सर्वाधिक 240 सीटें हासिल की, लेकिन 400 पार का सपना चकनाचूर हो गया था। जबकि सालों से कांग्रेस ने 99 सीटें जीती हैं।इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी सबसे बड़ी विजेता साबित हुई। कांग्रेस पार्टी को 47 सीटों का शुद्ध लाभ हुआ। उसने 2019 में कुल 52 सीटें जीतीं थीं जो अब बढ़कर 99 हो गईं। माना जाता है कि कांग्रेस को संविधान का मुद्दा उठाया फायदेमंद साबित हुआ था।

कांग्रेस ने लोकसभा चुनावों के दौरान ये नैरिटिव जोर शोर से खड़ा किया था कि बीजेपी लोक सभा में 400 सीटें इसलिए जीतना चाहती है कि वो संविधान में संशोधन कर आरक्षण खत्म कर सके। कांग्रेस का ये नैरेटिव का भी कर गया। खासकर उत्तर प्रदेश में तो इसका सबसे ज्यादा असर देखा गया। उत्तर प्रदेश में दलित और पिछड़े वर्ग ने बीजेपी का साथ तकरीबन छोड़ ही दिया। नतीजा राहुल और समाजवादी पार्टी के हक में रहा। बीजेपी को राज्य में 29 सीटों का नुकसान हुआ। उस वक्त राहुल गांधी लगातार लाल रंग की संविधान की किताब अपने साथ लिए वोटरों के बीच घूमते रहे। उस वक्त उनका नारा था संविधान को बचाना है।

बीजेपी ने पकड़ी कांग्रेस की राह

बीजेपी ने लोकसभा चुनावों से गंभीर सबक लिया। बीजेपी भी कांग्रेस की राह पर चल पड़ी है। लोकसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र और झारखंड में हो रहे विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस को उस मुद्दे को ही “हथिया” लिया है। महाराष्ट्र और झारखंड की चुनावी रैलियों में अब बीजेपी, कांग्रेस पर संविधान को खत्म करने का आरोप लगा रही है। पीएम मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राहुल गांधी पर हमला करते हुए कहा, 'कांग्रेस बाबा साहब के संविधान को खत्म करना चाहती है। कांग्रेस और उनके साथियों को बाबा साहब के संविधान से नफरत है। बीजेपी को मालूम है कि महाराष्ट्र को बाबा साहेब के अपमान की बात बहुत प्रभावित करती है।

संविधान के नाम पर लाल किताब बांटने का आरोप

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र के नांदेड़ में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा, 'कांग्रेस ने फर्जीवाड़े में अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया है। कांग्रेस के लोग संविधान के नाम पर अपनी एक अलग लाल किताब बंटवा रहे हैं। कांग्रेस की लाल किताब पर ऊपर तो लिखा है- भारत का संविधान! लेकिन लोगों ने जब भीतर से खोला तो पता चला कि लाल किताब कोरी है।'

उन्होंने आगे कहा, 'संविधान के नाम पर लाल किताब छपवाना, उसमें से संविधान के शब्दों को हटाना। ये संविधान को खत्म करने की कांग्रेस की पुरानी सोच का नमूना है। ये कांग्रेस वाले देश में बाबा साहब का नहीं बल्कि अपना अलग ही संविधान चलाना चाहते हैं। कांग्रेस और उनके साथियों को बाबा साहब के संविधान से नफरत है।'

संविधान से खिलवाड़ करने का आरोप

पीएम मोदी के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने झारखंड के छतरपुर की चुनावी सभा अपने भाषण का फोकस इसी पर रखा। उन्होंने सीधे तौर पर कह दिया कि राहुल गांधी संविधान की नकली किताब बांट कर बाबा साहेब का अपमान कर रहे हैं। शाह ने ये भी कहा कि कांग्रेस पार्टी आरक्षण और संविधान की बात कर रही है लेकिन संविधान से वही सबसे ज्यादा खिलवाड़ करती है। शाह ने कहा कि संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण की कोई व्यवस्था नहीं है, लेकिन कांग्रेस ने महाराष्ट्र में उलेमाओं के प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया है कि मुसलमानों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिलाने में मदद करेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस दलितों- पिछड़ों और आदिवासियों का हिस्सा काटकर मुसलमानों को आरक्षण देना चाहती है।

यहां से मिली को मिला मुद्दा

यही नहीं, इस बार राहुल के विरोध में कुछ वीडियो भी बीजेपी के सोशल हैंडलों से शेयर हुए। ये वीडियो महाराष्ट्र का ही बताया गया। नागपुर में राहुल गांधी ने संविधान सम्मेलन का आयोजन किया था और वहां संविधान की प्रतियां बांटी गई थी। राहुल गांधी ने कहा कि बाबा साहेब आंबेडकर की ओर से रचित संविधान सिर्फ एक किताब नहीं, बल्कि जीने का तरीका है। उन्होंने जातिगत जनगणना, ओबीसी आरक्षण और संविधान की सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए। इस दौरान एक लाल रंग की किताब बांटी गई, जिस पर संविधान लिखा था, लेकिन वह अंदर से खाली थी। इसके बाद से ही बीजेपी ने राहुल गांधी और कांग्रेस को घेरना शुरू कर दिया है।

नहीं हो रहा विराट, गंभीर और रोहित के बीच तालमेल: पूर्व ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज ने 4 दिन में भारत को साफ़ करने की करी भविष्यवाणी

पूर्व ऑस्ट्रेलियाई बाएं हाथ के तेज गेंदबाज ब्रेंडन जूलियन ने बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के पहले मैच के लिए एक साहसिक भविष्यवाणी की है, जिसमें पैट कमिंस और उनकी टीम पर्थ में चार दिन के अंदर भारत को धूल चटा देगी। जूलियन, जिन्होंने 1993 और 1992 के बीच ऑस्ट्रेलिया के लिए 7 टेस्ट और 25 वनडे खेले हैं, का मानना ​​है कि भारत कई 'चिंताओं' से जूझ रहा है, जिसमें फॉर्म और खिलाड़ियों की अनुपलब्धता शामिल है, जो ऑस्ट्रेलियाई टीम को पहला टेस्ट जीतने का प्रबल दावेदार बनाती है।

भारत शायद पहले टेस्ट में रोहित शर्मा के बिना खेलेगा, जिसका मतलब है कि जसप्रीत बुमराह कप्तानी की जिम्मेदारी संभालेंगे। यहीं जूलियन की पहली चिंता है। दूसरा, मोहम्मद शमी की अनुपस्थिति में - वे स्वदेश में रणजी ट्रॉफी खेल रहे हैं - और खराब फॉर्म में चल रहे विराट कोहली - जिनके बारे में उनका दावा है कि वे अपने कोच और कप्तान के साथ एकमत नहीं हैं - भारत की संभावनाएँ धूमिल दिखती हैं। बेशक, जूलियन भारत द्वारा ऑस्ट्रेलिया को कड़ी टक्कर दिए जाने की संभावना से इनकार नहीं कर रहे हैं, लेकिन उनके पक्ष में बहुत कम होने के कारण, उन्हें पूरा भरोसा है कि ऑस्ट्रेलियाई टीम दूसरे टेस्ट में 1-0 से आगे होगी।

न्यूजीलैंड के खिलाफ विराट कोहली जिस तरह से आउट हुए - उस टेस्ट सीरीज में उनका इस तरह से आउट होना अविश्वसनीय था। कोहली अपने सर्वश्रेष्ठ फॉर्म में नहीं हैं। शायद वह कप्तान और कोच के साथ तालमेल नहीं बिठा पा रहे हैं, लेकिन इतना कहने के बाद, वह जल्दी ही स्थिति को बदल सकते हैं। लेकिन अगर वे पर्थ को अपने पक्ष में करना शुरू कर देते हैं, तो मुझे लगता है कि सब कुछ खत्म हो जाएगा।"

विराट कोहली बनाम नाथन लियोन

कोहली, जिन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ़ एक निराशाजनक सीरीज़ खेली थी, छह पारियों में 100 रन का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाए थे - ने WACA में अभ्यास शुरू कर दिया है, और अगर कोई विपक्षी टीम है जिसका सामना वह करना चाहते हैं, तो वह ऑस्ट्रेलिया है। कोहली ऑस्ट्रेलिया की आँखों में काँटा रहे हैं, जिन्होंने 25 टेस्ट मैचों में उनके खिलाफ़ 2000 से ज़्यादा रन बनाए हैं। और जबकि परिस्थितियाँ उनकी बल्लेबाज़ी की शैली के अनुकूल होंगी - सुरुचिपूर्ण और मुक्त-प्रवाह - जूलियन का मानना ​​है कि नाथन लियोन पूर्व भारतीय कप्तान को गेंदबाज़ी करने के लिए अपने होंठ चाटेंगे।

"विराट कोहली के साथ बात यह है कि मुझे लगता है कि वह ऑस्ट्रेलिया में बल्लेबाज़ी करना पसंद करेंगे। भारत में न्यूजीलैंड के खिलाफ जिस तरह से उन्होंने बल्लेबाजी की, वह स्पिनरों के सामने आउट हो रहे थे। उनके लिए सबसे बड़ा खतरा नाथन लियोन होंगे। उनके पास लकड़ी है, लेकिन वह परिस्थितियों का आनंद लेने जा रहे हैं। हां, पर्थ तेज और उछाल वाला होगा। हां, वह पैट कमिंस, मिशेल स्टार्क और हेज़लवुड के खिलाफ खेल चुके हैं, लेकिन मुझे लगता है कि अगर वह अच्छी शुरुआत करते हैं, तो उनके लिए यह सीरीज वाकई अच्छी रहेगी। लेकिन आपको उन्हें जल्दी आउट करना होगा। आप उन्हें अपनी बल्लेबाजी में सहज नहीं होने दे सकते," उन्होंने आगे कहा।

कनाडा में भारतीय हिन्दुओं के बाद खालिस्तानी अब इन्हें बना रहे निशाना, क्या करेंगे ट्रूडो?*
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कनाडा में खालिस्तान समर्थक अब तक भारतीय हिंदुओं को ही निशाना बना रहे थे। हालांकि “सरकारी संरक्षण” मिलने के बाद उनके हौसले इस कदर बुलंद हैं कि अब ये उसी देश के लोगों को निशाने बना रहे हैं। खालिस्तानियों की रैली में भारत विरोधी नारेबाजी आम रही है लेकिन अब एक नए वीडियो में खालिस्तानी गोरे लोगों को भी वापस यूरोप जाने के लिए कह रहे हैं। हाल ही में एक वायरल वीडियो सामने आया है जिसमें खालिस्तान समर्थकों की रैली के दौरान गोरे लोगों को कनाडा छोड़ने और यूरोप वापस जाने की बात कही गई है। कनाडा में निकाले गए एक ‘नगर कीर्तन’ के दो मिनट के वायरल वीडियो में खालिस्तान समर्थकों ने कनाडाई लोगों को ‘घुसपैठिया’ कहा और उन्हें ‘इंग्लैंड और यूरोप वापस जाने’ के लिए कहा। वीडियो में जुलूस में शामिल लोगों को यह कहते हुए सुना जा सकता है, ‘यह कनाडा है, हमारा अपना देश। तुम कनाडाई वापस जाओ।’ इस वीडियो में सैकड़ों लोग खालिस्तानी झंडों के साथ दिख रहे हैं। एक शख्स इस पूरी रैली का वीडियो बनाते हुए कह रहा है कि हम कनाडा के मालिक हैं और कनाडाई होने पर हमें गर्व है। गोरे लोगों को यूरोप और इजरायल वापस जाना चाहिए क्योंकि वो असली कनाडाई नहीं है बल्कि कनाडा सही मायनों में हमारा है। यह वीडियो कनाडा के सरे शहर का बताया जा रहा है, जिसे कनाडाई पत्रकार डेनियल बोर्डमैन ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर साझा किया है। डेनियल बोर्डमैन ने यह वीडियो साझा करते हुए कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और उनकी सरकार से इस तरह की गतिविधियों पर सख्त सवाल किए हैं। उन्होंने पूछा है कि इस तरह की रैलियों की अनुमति कैसे दी जा रही है, और यह कैसे कनाडा की विदेश नीति को खतरे में डाल सकता है। बोर्डमैन का मानना है कि यह समस्या कनाडा की अंतरराष्ट्रीय छवि और सुरक्षा दोनों को प्रभावित कर सकती है। बोर्डमैन इससे पहले भी खालिस्तान के मुद्दे पर जस्टिन ट्रूडो को घेरते रहे हैं। हाल ही में उन्होंने कहा था कि जस्टिन ट्रूडो और उनकी सरकार को कनाडा की सुरक्षा की परवाह नहीं है। चरमपंथी गतिविधियों ने देशभर के समुदायों को तेजी से खतरे में डाला है। हमारी सड़कों पर जिस तरह के मार्च हुए हैं, वो डराने वाले हैं। कानून का पालन करने वाले कनाडाई लोगों के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार हो रहा है, जबकि उग्रता फैलाने वाले बचकर निकल जा रहे हैं।
रूस-भारत की दोस्ती पर उठाया सवाल, एस जयशंकर ने आस्ट्रेलियाई एंकर को ऐसे किया “लाजवाब”

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विदेश मंत्री एस जशंकर अपने बयानों के लिए जानें जाते हैं। अंतरराष्ट्रीय मामलों और कूटनीति से जुड़े मामलों में भाषा की बारीकी, उसके टोन, टेनर पर बड़ा ध्यान दिया जाता है। भारतीय विदेश मंत्री इन चीजों में माहीर हैं। इसी कड़ी में एस जयशंकर ने भारत-रूस संबंध पर उठाए गए सवाल का ऐसा जवाब दिया कि वहां मौजूद लोगों की बोलती बंद हो गई।

दरअसल, जयशंकर पिछले दिनों ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर थे। इस दौरान वहां के एक टीवी चैनल ने उनका इंटरव्यू किया। इंटरव्यू करने वाली पत्रकार एंकर ने भारत की रूस के साथ दोस्ती पर सवाल उठाया और कहा कि इससे ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत के रिश्ते प्रभावित हो सकते हैं। इस पर हाजिरजवाब जयशंकर ने जो कहा उसके आगे एंकर की बोलने की हिम्मत नहीं हुई। विदेश मंत्री ने अपने जवाब के समर्थन में पाकिस्तान का उदाहरण दिया और कहा कि आपको जैसा दिख रहा है दरअसल वास्तविकता में वैसा नहीं होता।

ऑस्ट्रेलिया की एंकर ने जयशंकर से सवाल किया कि क्या रूस के साथ भारत की दोस्ती से ऑस्ट्रेलिया के साथ रिश्तों में कोई दिक्कत आ रही है। जयशंकर ने जवाब दिया कि उन्हें ऐसा नहीं लगता। उन्होंने कहा कि आज के समय में किसी भी देश के एक्सक्लूसिव रिश्ते नहीं होते। जयशंकर ने पाकिस्तान का उदाहरण देते हुए कहा, 'अगर हम आपके तर्क के हिसाब से सोचें तो हम कह सकते हैं कि पाकिस्तान के साथ कई देशों के रिश्ते हैं। ऐसे में भारत को भी परेशान होने की जरूरत है।'

बताया भारत-रूस संबंध का दुनिया पर क्या असर पड़ा

जयशंकर ने इस दौरान भारत-रूस संबंध का दुनिया पर पड़ने वाले प्रभाव की भी बात की। उन्होंने कहा कि आपके सवाल के उलट रूस के साथ भारत के रिश्ते से अंतरराष्ट्रीय समुदाय को फायदा हो रहा है। प्रतिबंधों के बावजूद रूस से तेल खरीदने के भारत के फैसले के संदर्भ में उन्होंने कहा कि अगर हमने ऐसा नहीं किया होता तो वैश्विक ऊर्जा बाजार पूरी तरह तबाह हो जाता। वैश्विक स्तर पर ऊर्जा संकट पैदा हो गया होता। इससे पूरी दुनिया में महंगाई चरम पर होती।

रूस-यूक्रेन संघर्ष पर भारत की भूमिका पर कही ये बात

जयशंकर ने इसमें आगे जोड़ा कि रूस के साथ भारत के रिश्ते की वजह से ही हम इस संघर्ष को वार्ता की मेज पर लाने में कामयाब हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि रूस के साथ हमारे अच्छे संबंध हैं। ऐसे में हम रूस और यूक्रेन दोनों के साथ बातचीत करने में सक्षम हैं। हम मानते है कि दुनिया और यहां तक कि ऑस्ट्रेलिया को भी ऐसे देश की जरूरत है जो जंग को वार्ता की मेज तक लाने में सहयोग कर सके। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा विरले होता है जब कोई जंग युद्ध के मैदान में खत्म हुआ हो, बल्कि अधिकतर समय में यह बातचीत की मेज पर खत्म होता है।

कॉमनवेल्थ ऑफ डोमिनिका पीएम मोदी को देगा सर्वोच्च सम्मान, जानें क्या से अवार्ड देने की वजह

#pm_modi_will_be_awarded_commonwealth_of_dominica_highest_national_award

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज दुनिया के सबसे प्रभावशाली नेताओं में शुमार होते हैं। बीते 10 से ज्यादा सालों में विश्व के कई देश उन्हें अपने सर्वोच्च सम्मान से नवाज चुके हैं। अब इस लिस्ट में करेबियाई देश डोमिनिका भी शामिल हो गया है। डोमिनिका ने भी पीएम मोदी को अपने सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित करने का फैसला किया है। कोविड 19 महामारी में मदद के लिए पीएम मोदी को यह अवॉर्ड गुयाना में 19-21 नवंबर को होने वाले भारत-कैरिकॉम शिखर सम्मेलन के दौरान दिया जाएगा। डोमिनिका के राष्ट्रपति सिल्वेनी बर्टन उन्हें यह सम्मान देंगे।

कॉमनवेल्थ ऑफ डोमिनिका ने अपने लिखे पत्र में कहा कि डोमिनिका का राष्ट्रमंडल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार, डोमिनिका अवार्ड ऑफ ऑनर प्रदान करेगा। यह पुरस्कार कोविड-19 महामारी के दौरान डोमिनिका में उनके योगदान और भारत और डोमिनिका के बीच साझेदारी को मजबूत करने के लिए उनके समर्पण को मान्यता देता है। यह पुरस्कार गुयाना में आगामी भारत-कैरिकॉम शिखर सम्मेलन के दौरान राष्ट्रपति सिल्वानी बर्टन की ओर से प्रदान किया जाएगा।

पत्र में बताया गया है कि फरवरी 2021 में, भारत ने उदारतापूर्वक डोमिनिका को एस्ट्राजेनेका कोविड-19 वैक्सीन की 70,000 खुराक दी थी, जिससे डोमिनिका अपने कैरेबियाई पड़ोसियों को समर्थन देने में सक्षम हुआ था। यह पुरस्कार प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, सूचना प्रौद्योगिकी और जलवायु लचीलापन-निर्माण पहल में डोमिनिका के लिए भारत के समर्थन को भी स्वीकार करता है।

अमेरिका-रूस तक दे चुके हैं अवार्ड

ये पहली बार नहीं है जब पीएम मोदी को किसी देश की तरफ से सम्मानित किया जा रहा है। इससे पहले भी कई देश अपने सर्वोच्च सम्मान से पीएम मोदी को नवाज चुके हैं। इसमें अमेरिका से लेकर रूस जैसे ताकतवर देश भी शामिल हैं। पीएम मोदी को हाल ही में विश्व के सबसे शक्तिशाली देशों में से एक रूस ने भी अपने सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित किया था। रूस ने पीएम मोदी को 9 जुलाई 2024 को ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू पुरस्कार से सम्मानित किया है।

पीएम मोदी पर ये देश कर चुके हैं सम्मानितः-

पुरस्कार का नाम     प्रदानकर्ता देश साल 

 

ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू पुरस्कार रूस 9 जुलाई 2024

 

ऑर्डर ऑफ द ड्रैगन किंग भूटान  24 मार्च 2024

 

ग्रैंड क्रॉस ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर फ्रांस 13 जुलाई, 2023

 

ऑर्डर ऑफ नाइल मिस्र जून 2023

कम्पैनियन ऑफ द ऑर्डर ऑफ फिजी फिजी मई 2023

ग्रैंड कम्पैनियन ऑफ द ऑर्डर ऑफ लोगोहू पापुआ न्यू गिनी मई 2023

 

एबाकल अवार्ड पलाउ   2023

 

ऑर्डर ऑफ द ड्रुक ग्यालपो भूटान 2021

 

लीजन ऑफ मेरिट संयुक्त राज्य अमेरिका  2020

 

किंग हमाद ऑर्डर ऑफ द रिनेसांस बहरीन 2019

 

ऑर्डर ऑफ द डिस्टिंग्विश्ड रूल ऑफ निशान इज्जुद्दीन मालदीव 2019

 

ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू   रूस   2019

 

ऑर्डर ऑफ जायद संयुक्त अरब अमीरात 2019

 

ग्रैंड कॉलर ऑफ द स्टेट ऑफ फिलिस्तीन फिलिस्तीन 2018

 

स्टेट ऑर्डर ऑफ गाजी अमीर अमानुल्लाह खान अफगानिस्तान 2016

किंग अब्दुलअज़ीज़ सश सऊदी अरब 2016

अबकी बार गुयाना समेत तीन देशों की यात्रा पर जा रहे हैं पीएम मोदी, जानें ये दौरा क्यों है खास?*
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इस साल जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी ब्राजील कर रहा है। रियो-डि- जेनेरियो में जी-20 देशों के शीर्ष नेता पहुंचेंगे। इसमें भारत की तरफ से हिस्सा लेने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्राजील दौरे पर 18-19 नवंबर को जाएंगे। इसके अलावा पीएम मोदी नाइजीरिया और गुयाना का दौरा भी करेंगे। विदेश मंत्रालय ने पीएम मोदी के विदेश दौरे की जानकारी दी।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 16-21 नवंबर तक तीन देशों की यात्रा पर रहेंगे। *17 सालों के बाद कोई पीएम जा रहा नाइजीरिया* पीएम मोदी 16 नवंबर को नाइजीरिया पहुचेंगे, जहां नाइजीरिया के राष्ट्रपति बोला अहमद टीनूबू से मिलेंगे। नाइजीरिया के राष्ट्रपति बोला अहमद टीनूबू के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री मोदी 16-17 नवंबर को नाइजीरिया की यात्रा पर जाएंगे। यह 17 वर्षों में भारत के प्रधानमंत्री की नाइजीरिया की पहली यात्रा होगी।यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री भारत और नाइजीरिया के बीच रणनीतिक साझेदारी की समीक्षा करेंगे तथा द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने के अवसरों पर चर्चा करेंगे।भारत और नाइजीरिया के बीच 2007 से रणनीतिक साझेदारी है, जिसमें ऊर्जा, आर्थिक और रक्षा सहयोग शामिल हैं। इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री भारतीय समुदाय को भी संबोधित करेंगे, जो दोनों देशों के सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों को और मज़बूत करेगा। *जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने ब्राजील जाएंगे पीएम मोदी* नाइजीरिया के दौरे के बाद प्रधानमंत्री मोदी 18-19 नवंबर को रियो डी जेनेरो में होने वाले जी20 शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे। विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि भारत ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के साथ जी-20 ‘‘ट्रोइका’’ का हिस्सा है और जी-20 शिखर सम्मेलन की चर्चाओं में सक्रिय रूप से योगदान दे रहा है। विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री वैश्विक महत्व के विभिन्न मुद्दों पर भारत का रुख सामने रखेंगे और पिछले दो वर्षों में भारत द्वारा आयोजित ‘जी-20 नयी दिल्ली लीडर्स डिक्लेरेशन’ और ‘वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ समिट’ के परिणामों पर चर्चा करेंगे।’’ *56 साल बाद भारतीय पीएम की ऐतिहासिक यात्रा* प्रधानमंत्री मोदी 19-21 नवंबर को गुयाना का दौरा करेंगे, जो 1968 के बाद इस देश में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा होगी। राष्ट्रपति मोहम्मद इरफ़ान अली के निमंत्रण पर इस यात्रा का आयोजन हो रहा है। प्रधानमंत्री यहां गुयाना के नेताओं के साथ द्विपक्षीय वार्ताएं करेंगे और भारतीय प्रवासी के एक बड़े सम्मेलन में भी भाग लेंगे। इसके अलावा, वे दूसरे कारिकॉम-भारत शिखर सम्मेलन में भी शामिल होंगे, जिससे कैरिबियन देशों के साथ भारत के संबंध और गहरे होंगे। पीएम मोदी गुयाना की संसद के नेशनल एसेम्‍बली को संबोधित करेंगे। यह दर्शाता है कि दोनों देशों के बीच लोकतांत्रिक रिश्‍ते कितने मजबूत हैं। *पीएम मोदी का दौरा रणनीतिक और कूटनीतिक रूप से अहम* पीएम मोदी का यह दौरा भारत के लिए एक रणनीतिक और कूटनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मिशन है। यह यात्रा दो महाद्वीपों के तीन प्रमुख देशों के साथ संबंधों को और गहरा करने का महत्वपूर्ण अवसर है. यह यात्रा प्रमुख वैश्विक साझेदारों के साथ राजनयिक और आर्थिक संबंधों को मजबूत करने और जी-20 तथा कैरेबियाई समुदाय के बहुपक्षीय मंचों के भीतर संबंधों को गहरा करने की भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करेगा।
सउदी अरब के साथ मिलकर क्या प्लानिंग कर रहा भारत? दोनों देशों के विदेश मंत्री के बीच हुई मुलाकात

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सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान अल-सऊद अपने दो दिवसीय आधिकारिक दौरे पर भारत पहुंचे हैं। जहां उन्होंने हैदराबाद हाउस में विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की। सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान अल सऊद से मुलाकात में एस जयशंकर ने कहा कि भारत गाजा में शीघ्र युद्धविराम का समर्थन करता है और वह लगातार दो स्टेट सॉल्यूशन के माध्यम से फिलिस्तीनी मुद्दे के समाधान के लिए खड़ा है। जयशंकर ने कहा कि पश्चिम एशिया की स्थिति खासकर गाजा में स्थिति गहरी चिंता का विषय है। विदेश मंत्री ने सऊदी अरब को क्षेत्र में स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण ताकत बताया।

दिल्ली के हैदराबाद हाउस में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने प्रिंस फैसल बिन फरहान अल सऊद से मुलाकात की। एस जयशंकर और प्रिंस फैसल बिन फरहान अल सऊद के बीच बैठक के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी किया। एस जयशंकर ने कहा कि हमने क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों, विशेष रूप से पश्चिम एशिया में चल रहे संघर्ष और विभिन्न बहुपक्षीय मंचों पर हमारे संयुक्त प्रयासों पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया। जयशंकर ने कहा कि भारत दो-राज्य समाधान के माध्यम से फिलिस्तीनी मुद्दे के समाधान के लिए खड़ा है। फिलिस्तीनी संस्थाओं के निर्माण में योगदान दिया है।

इन मुद्दों पर हुई दोनों नेताओं की बात

जारी बयान में कहा गया है कि एस जयशंकर और प्रिंस फैसल बिन फरहान अल सऊद ने व्यापार, रक्षा, निवेश, ऊर्जा, सुरक्षा और कांसुलर मुद्दों पर भारत और सऊदी अरब के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की। एस जयशंकर और प्रिंस फैसल बिन फरहान अल सऊद भारत-सऊदी रणनीतिक साझेदारी परिषद (एसपीसी) की राजनीतिक, सुरक्षा, सामाजिक और सांस्कृतिक (पीएसएससी) समिति की सह-अध्यक्षता करते हैं। इस दौरान दोनों ने सितंबर 2023 में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की भारत यात्रा के बाद दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में हुई प्रगति की समीक्षा की।

हम शीघ्र युद्धविराम का समर्थन करते हैं’

एस जयशंकर ने कहा कि पश्चिम एशिया की स्थिति गहरी चिंता का विषय है। विशेषकर गाजा में संघर्ष. इस संबंध में भारत की स्थिति सैद्धांतिक और सुसंगत रही है। उन्होंने कहा, हालांकि हम आतंकवाद और बंधक बनाने के कृत्यों की निंदा करते हैं। हम निर्दोष नागरिकों की मौत से बहुत दुखी हैं। हम शीघ्र युद्धविराम का समर्थन करते हैं।

सऊदी के साथ भारत की पार्टनरशिप

जयशंकर ने कहा कि सऊदी अरब का 'विजन 2030' और भारत का विकसित भारत 2047 दोनों देशों के उद्योगों के लिए नई पार्टनरशिप करने के लिए पूरक हैं। उन्होंने कहा कि व्यापार और निवेश हमारी साझेदारी के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। हम प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन सहित नवीकरणीय ऊर्जा, कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य और शिक्षा सहित नए क्षेत्रों में अपने सहयोग को मजबूत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सऊदी अरब में भारतीय समुदाय की संख्या 26 लाख है।

क्या है सरकारी ठेकों में मुसलमानों को आरक्षण पर विवाद? सिद्धारमैया ने दी सफाई

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कर्नाटक की कांग्रेस सरकार अब एक बार फिर मुस्लिम आरक्षण पर फंसती नजर आ रही है। दरअसल, कर्नाटक में सरकारी ठेकों में मुसलमानों के लिए चार फीसदी आरक्षण के मसले पर विवाद बढ़ गया है। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि कर्नाटक सरकार मुसलमानों को सरकारी निर्माण (सिविल) ठेकों में आरक्षण देने पर विचार कर रही है। इसके बाद से विपक्षी दल खासकर भाजपा ने कड़ा रूख अख्तिय़ार कर लिया है। हालांकि, इसे लेकर अब कर्नाटक के मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से सफाई आई है।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सरकारी ठेकों में मुसलमानों को चार प्रतिशत आरक्षण देने की मांग पर अपना पक्ष स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि इस पर अब तक कोई निर्णय नहीं हुआ है। सिद्धारमैया ने कहा कि कर्नाटक के नगर प्रशासन और हज मंत्री रहीम खान, कांग्रेस विधायक और विधान परिषद सदस्यों ने 24 अगस्त को पत्र लिखकर आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े मुसलमानों को सरकारी ठेकों में चार प्रतिशत आरक्षण देने की मांग की थी। सिद्धारमैया ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि मुस्लिम समुदाय के लिए आरक्षण की मांग उठ रही है, लेकिन फिलहाल इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।

इसस पहले मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि कर्नाटक सरकार मुसलमानों को सरकारी ठेकों में चार फीसदी आरक्षण देने पर विचार कर रही है। यह आरक्षण उन ठेकों के लिए होगा जिनकी लागत एक करोड़ रुपये तक हो। सरकारी ठेकों में आरक्षण पहले से ही अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ी जातियों (OBC) के लिए निर्धारित है। मुसलमानों को यह आरक्षण कैटगरी 2बी के तहत मिल सकता है, जो कि ओबीसी का एक वर्ग है।

अगर यह प्रस्ताव मंजूर होता है तो कर्नाटक में सरकारी ठेकों में आरक्षण की सीमा बढ़कर 47 फीसदी तक हो जाएगी। फिलहाल राज्य में सरकारी ठेकों में कुल 43 फीसदी आरक्षण है। इसमें एससी/एसटी को 24 फीसदी आरक्षण मिलता है और बाकी आरक्षण ओबीसी के लिए है। ठेके की सीमा एक करोड़ से बढ़ाकर दो करोड़ करने का भी विचार किया जा रहा है।

इस मामले पर अब कर्नाटक बीजेपी ने कांग्रेस को घेरना शुरू कर दिया। बीजेपी नेता आर. अशोक ने कहा कि कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीतिक सभी हद को पार कर रही है।वक्फ की जमीन हड़पने की तरकीबों को समर्थन देने के बाद कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया की अगुवाई में अब कर्नाटक की कांग्रेस सरकार सरकारी ठेकों में मुस्लिमों को चार फीसदी आरक्षण देने की योजना बना रही है। इस तरह तो कर्नाटक जल्द ही इस्लामिक राज्य में तब्दील हो जाएगा और यहां हिंदू दोयम दर्जे के नागरिक बनकर रह जाएंगे।