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अब डीजीपी की सीधे नियुक्ति कर सकेगी राज्य सरकार, कैबिनेट ने नियुक्ति नियमावली 2024 को दी मंजूरी
लखनऊ । प्रदेश में अब डीजीपी की नियुक्ति राज्य सरकार के स्तर से ही हो सकेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में सोमवार को कैबिनेट ने इस बाबत पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश (उत्तर प्रदेश के पुलिस बल प्रमुख) चयन एवं नियुक्ति नियमावली 2024 को मंजूरी प्रदान कर दी। इसमें हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में मनोनयन समिति गठित करने का प्राविधान किया गया है। वहीं डीजीपी का न्यूनतम कार्यकाल दो वर्ष निर्धारित किया गया है।

मनोनयन समिति में मुख्य सचिव, संघ लोक सेवा आयोग द्वारा नामित अधिकारी, उप्र लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या नामित अधिकारी, अपर मुख्य सचिव गृह, बतौर डीजीपी कार्य कर चुके एक सेवानिवृत्त डीजीपी सदस्य होंगे। इस नियमावली का उद्देश्य डीजीपी के पद पर उपयुक्त व्यक्ति की नियुक्ति के चयन के लिए स्वतंत्र एवं पारदर्शी तंत्र स्थापित करना है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उसका चयन राजनीतिक या कार्यकारी हस्तक्षेप से मुक्त है। साथ ही प्रदेश की विशिष्ट दशाओं तथा पुलिसिंग आवश्कताओं के अनुरूप भी है।

डीजीपी का चयन राज्य सरकार द्वारा पुलिस बल का नेतृत्व करने के लिए उनकी सेवा अवधि, सामान्यत: बहुत अच्छे सेवा रिकॉर्ड और अनुभव की सीमा के आधार पर किया जाना प्राविधानित किया गया है। मनोनयन समिति उन अधिकारियों के नाम पर विचार करेगी, जिनकी सेवानिवृत्ति में छह माह से अधिक शेष है। केवल उन नामों पर ही विचार किया जाएगा, जो वेतन मैट्रिक्स के स्तर 16 में डीजीपी के पद पर कार्यरत हैं।


डीजीपी को पद से हटाने से संबंधित प्राविधानों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित दिशा-निर्देशों का पालन किया गया है। किसी आपराधिक मामले में या भ्रष्टाचार के मामले में, या यदि वह अन्यथा अपने कर्तव्यों एवं दायित्वों का निर्वहन करने में विफल है, तो राज्य सरकार द्वारा उन्हें दो वर्ष की अवधि पूरी होने से पहले जिम्मेदारियों से मुक्त किया जा सकता है।बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में वर्ष 2006 में पुलिस सुधारों को लेकर दायर याचिका पर पारित निर्णय एवं आदेश के मुताबिक राज्य सरकारों से एक नवीन पुलिस अधिनियम बनाने की आशा की गई थी, ताकि पुलिस व्यवस्था को किसी भी दबाव से मुक्त रखा जा सके। साथ ही नागरिकों के अधिकारों को सुरक्षित रखने के साथ विधि का शासन स्थापित किया जा सके।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिनों डीजीपी की नियुक्ति करने पर 8 राज्यों का अवमानना का नोटिस जारी किया था। इसमें यूपी भी शामिल था। दरअसल, यूपी में बीते ढाई साल में लगातार कार्यवाहक डीजीपी की तैनाती की जा रही है। मुकुल गोयल को डीजीपी के पद से हटाने के बाद संघ लोक सेवा आयोग में नये डीजीपी के चयन का पैनल नहीं भेजा गया। लगातार कार्यवाहक डीजीपी की तैनाती को लेकर सवाल भी उठते रहे हैं। राज्य सरकार नई नियमावली लाकर इन पर विराम लगा दिया है।

स्थायी डीजीपी के लिए भेजना पड़ता है पैनल
दरअसल, स्थायी डीजीपी की तैनाती के लिए संघ लोक सेवा आयोग को अधिकारियों के नाम का पैनल भेजना होता है। आयोग इनमें से तीन वरिष्ठ अधिकारियों के नाम का चयन करके राज्य सरकार को उनमें से किसी एक को चुनने का विकल्प देता है। विजिलेंस क्लीयरेंस के बाद राज्य सरकार तीनों में से उपयुक्त अधिकारी का चयन करती है।

ढाई साल में बने कार्यवाहक डीजीपी
डीएस चौहान
आरके विश्वकर्मा
विजय कुमार
प्रशांत कुमार
परियोजनाओं में गड़बड़ी मिली तो जेई से लेकर चीफ इंजीनियर तक सब की जवाबदेही तय होगी : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सड़क निर्माण की परियोजना तैयार करते समय स्थानीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखें। प्रत्येक परियोजना के लिए समयबद्धता और गुणवत्ता अनिवार्य शर्त है, इससे समझौता नहीं किया जा सकता। गड़बड़ी पर जेई से लेकर चीफ इंजीनियर तक सबकी जवाबदेही तय होगी। एग्रीमेंट के नियमों का उल्लंघन होगा तो कांट्रेक्टर ब्लैकलिस्ट होगा और कठोर कार्रवाई भी होगी। पेटी कॉन्ट्रेक्टर की व्यवस्था स्वीकार नहीं की जानी चाहिए।

सीएम ने  गुणवत्ता सुनिश्चित करते हुए दिशा-निर्देश दिए

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को लोक निर्माण विभाग की विभिन्न परियोजनाओं की अद्यतन स्थिति की समीक्षा की और निर्माणकार्यों की समयबद्धता और गुणवत्ता सुनिश्चित करते हुए दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि डीपीआर को अंतिम रूप देने के साथ ही कार्य प्रारंभ करने और समाप्त होने की तिथि सुनिश्चित कर ली जानी चाहिए और फिर इसका कड़ाई से अनुपालन किया जाए। बजट की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी। पूर्ण हो चुके कार्यों की थर्ड पार्टी ऑडिट भी कराई जाए।

विकास में संतुलन सबसे आवश्यक

सड़क और सेतु हो अथवा आमजन से जुड़ी अन्य निर्माण परियोजनाएं, स्वीकृति देने से पहले उसकी लोक महत्ता का आंकलन जरूर किया जाए। विकास में संतुलन सबसे आवश्यक है। पहले आवश्यकता की परख करें, प्राथमिकता तय करें, फिर मेरिट के आधार पर किसी सड़क अथवा सेतु निर्माण की स्वीकृति दें। विकास कार्यों का लाभ सभी 75 जनपदों को मिले। उन्होंने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय तहसील/ब्लाक मुख्यालय योजना अंतर्गत प्रदेश के समस्त तहसील/ब्लॉक मुख्यालय को जिला मुख्यालय से न्यूनतम दो लेन मार्गों से जोड़े जाने का कार्य तेजी से पूरा किया जाए। एक भी तहसील-एक भी ब्लॉक इससे अछूता न रहे।

भव्य 'मैत्री द्वार' बनाने का कार्य तेजी के साथ पूरा कराएं

प्रदेश के अंतरराज्यीय तथा अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भव्य 'मैत्री द्वार' बनाने का कार्य तेजी के साथ पूरा कराएं। जहां भूमि की अनुपलब्धता हो, तत्काल स्थानीय प्रशासन से संपर्क करें। द्वार सीमा पर ही बनाए जाएं। यह आकर्षक हों, यहां प्रकाश व्यवस्था भी अच्छी हो। अब तक 96 मार्गों पर प्रवेश द्वार पूर्ण/निर्माणाधीन हैं। अवशेष मार्गों पर प्रवेश द्वार निर्माण की कार्यवाही यथाशीघ्र पूरी कर ली जाए।

चीनी उद्योग विभाग की सड़कों के निर्माण में प्राथमिकता दें

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग विभाग की सड़कों का निर्माण अब लोक निर्माण विभाग द्वारा ही किया जा रहा है। यह किसानों-व्यापारियों के हित से जुड़ा प्रकरण है, इसे प्राथमिकता दें। यहां गड्ढे नहीं होने चाहिए।अभी लगभग 6000 किमी सड़कों का पुनर्निर्माण/चौड़ीकरण/सुदृढ़ीकरण किया जाना है। इन्हें एफडीआर तकनीक से बनाया जाना चाहिए। इसके लिए बजट की कमी नहीं होने दी जाएगी।

मार्ग का चयन मानक के अनुरूप ही हो

धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मार्गों पर अच्छी सड़कें हों, पर्यटकों/श्रद्धालुओं को आवागमन में सुविधा हो, सड़कों के निर्माण/चौड़ीकरण किये जा रहे हैं। इसमें प्रत्येक जिले के सिख, बौद्ध, जैन, वाल्मीकि, रविदासी, कबीरपंथी सहित सभी पंथों/ संप्रदायों के धार्मिक, ऐतिहासिक,पौराणिक महत्व के स्थलों को जोड़ा जाए। मार्ग का चयन मानक के अनुरूप ही हो। जनप्रतिनिधियों से प्राप्त प्रस्ताव के आधार पर धर्मार्थ कार्य विभाग और संबंधित जिलाधिकारी के सहयोग से इसे समय से पूरा कराएं।

कहीं भी अनावश्यक वृक्ष नहीं कटने चाहिए

सड़क निर्माण, चौड़ीकरण, सुदृढ़ीकरण के कार्यों में पर्यावरण संरक्षण की भावना का पूरा ध्यान रखा जाए। कहीं भी अनावश्यक वृक्ष नहीं कटने चाहिए। सड़क निर्माण की कार्ययोजना में मार्ग के बीच आने वाले वृक्षों के संरक्षण को अनिवार्य रूप से सम्मिलित करें।देवरिया-बरहज मार्ग का सुदृढ़ीकरण किया जाना आवश्यक है। इस संबंध में आवश्यक प्रस्ताव तैयार कर प्रस्तुत करें।

चयनित मार्गों को यथासंभव फोर लेन मार्ग से जोड़ा जाना चाहिए

औद्योगिक विकास विभाग, एमएसएमई एवं जैव ऊर्जा विभाग द्वारा डिफेंस कॉरिडोर, औ‌द्योगिक लॉजिस्टिक्स पार्क, औ‌द्योगिक क्षेत्र और प्लेज पार्क योजना जैसी बड़े महत्व की योजनाओं पर कार्य किया जा रहा है। इन औद्योगिक क्षेत्रों तक आने-जाने के लिए चयनित मार्गों को यथासंभव फोर लेन मार्ग से जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे राज्य मार्ग जो वर्तमान में दो-लेन एवं दो-लेन से कम चौड़े हैं उन्हें लोक महत्ता के अनुरूप न्यूनतम दो-लेन विद पेव्ड शोल्डर की चौड़ाई में निर्माण किया जाना चाहिए।

जनप्रतिनिधियों से प्रस्ताव लें, प्राथमिकता तय करें

सभी विधानसभाओं के प्रमुख जिला मार्गों को न्यूनतम दो-लेन (7 मीटर) एवं अन्य जिला मार्गों को न्यूनतम डेढ़-लेन (5.50 मीटर) चौडाई में निर्माण कराया जाए। जनप्रतिनिधियों से प्रस्ताव लें, प्राथमिकता तय करें और कार्य प्रारंभ कराएं।क्षतिग्रस्त सेतु, जनता द्वारा निर्मित अस्थाई पुल, संकरे पुल, बाढ़ के कारण प्रायः क्षतिग्रस्त होने वाले मार्गों पर पुल तथा सार्वजनिक, धार्मिक एवं पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण मार्गों पर सेतु निर्माण को प्राथमिकता में रखें। हर विधानसभा में जरूरत के अनुसार 03 लघु सेतुओं के निर्माण की कार्ययोजना तैयार करें।

रेल ओवरब्रिज, रेल अंडरब्रिज से जुड़े प्रस्तावों को भारत सरकार को भेजें

मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां भी दीर्घ सेतु क्षतिग्रस्त हैं, उन्हें तत्काल ठीक कराया जाए। सभी जिलों से प्रस्ताव लें, जहां दीर्घ सेतु की आवश्यकता हो, कार्ययोजना में सम्मिलित करें। शहरी क्षेत्रों में क्षतिग्रस्त/संकरे सेतुओं के स्थान पर नये सेतुओं का निर्माण कराया जाना आवश्यक है। इसका लाभ सभी जिलों को मिलना चाहिए। रेल ओवरब्रिज, रेल अंडरब्रिज से जुड़े प्रस्तावों को तत्काल भारत सरकार को भेजें। राज्य सरकार द्वारा इसमें हर जरूरी सहयोग किया जाए।शहरों की घनी आबादी को जाम से मुक्ति दिलाने हेतु बाईपास रिंगरोड, फ्लाईओवर निर्माण कराया जाना चाहिए। निर्माण कार्य का प्रस्ताव शहर, कस्बे की आबादी एवं प्राथमिकता के आधार पर तैयार किया जाए।

इंटर-कनेक्टिविटी प्रदान किये जाने हेतु सम्पर्क मार्ग का निर्माण भी हो

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर ऐसी बसावट या ग्राम जिसकी आबादी 250 से अधिक हो तथा मार्ग की लम्बाई 1.00 किमी या उससे अधिक हो, उन्हें एकल कनेक्टिीविटी प्रदान किये जाने हेतु संपर्क मार्ग का निर्माण कराया जाए। इसी प्रकार, दो ग्रामों को जिनकी आबादी 250 से अधिक है, को इंटर-कनेक्टिविटी प्रदान किये जाने हेतु सम्पर्क मार्ग का निर्माण भी हो। इसके लिए सर्वे कराएं, आवश्यकता को परखें, फिर निर्णय लें।
यूपी में विदेशी निवेश बढ़ाने को योगी सरकार की पहल, एफडीआई पॉलिसी में किया संशोधन

लखनऊ। योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश में विदेशी निवेश को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। सोमवार को लोकभवन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट बैठक में एफडीआई एवं
फॉर्च्यून 500 कंपनियों के निवेश हेतु प्रोत्साहन नीति 2023 में संशोधन को मंजूरी दे दी। इस संशोधन के माध्यम से योगी सरकार ने विदेशी निवेशकों को बड़ी राहत दी है। इसके माध्यम से अब ऐसी विदेशी कंपनियां भी प्रदेश में निवेश कर सकेंगी जो इक्विटी के साथ-साथ लोन या किसी अन्य स्रोत से पैसों की व्यवस्था करती हैं। योगी सरकार के इस निर्णय से प्रदेश में विदेशी निवेश के बढ़ने की संभावना है।

फॉरेन कैपिटल इन्वेस्टमेंट को किया गया शामिल

योगी कैबिनेट के निर्णयों की जानकारी देते हुए वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि 1/11/2023 को फॉरेन डायरेक्टर इन्वेस्टमेंट (एफडीआई) की नीति आई थी, इसमें थोड़ा संशोधन किया गया है। नीति में अर्हता के लिए निवेश की न्यूनतम सीमा 100 करोड़ रुपये रखी गई है। आरबीआई द्वारा जो एफडीआई की परिभाषा दी गई है, उसके अनुसार अभी तक मात्र इक्विटी में किए गए निवेश को ही एफडीआई में सम्मिलित किया जाता है।


नीति में जो संसोधन किया गया है, उसमें हमने इसे फॉरेन कैपिटल इन्वेस्टमेंट का रूप दिया है। उन्होंने कहा कि अभी तक एफडीआई के तहत कंपनी के पास अपनी इक्विटी होती थी लेकिन ज्यादातर कंपनी अपने बिजनेस को बढ़ाने के लिए बाहर से लोन के साथ ही दूसरे माध्यमों से भी पैसा मैनेज करती हैं। हमने उसको भी अनुमति दे दिया है। यदि किसी कंपनी के पास इक्विटी केवल 10 प्रतिशत है और 90 प्रतिशत निवेश राशि की व्यवस्था दूसरे स्रोतों से कर रखी होगी तो हम उसको भी बेनिफिट प्रदान करेंगे।

100 करोड़ के निवेश को माना जाएगा पात्र

उन्होंने बताया कि अब इस नीति को फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट, फॉरेन कैपिटल इन्वेस्टमेंट एंड फॉर्च्यून ग्लोबल 500 एंड फॉर्च्यून इंडिया 500 इन्वेस्टमेंट प्रमोशन पॉलिसी 2023 कहा जाएगा। फॉरेन कैपिटल इन्वेस्टमेंट के रूप में इक्विटी में निवेश करने वाली विदेशी कंपनी के लिए प्रिफरेंश शेयर, डिवेंचर्स, एक्सटर्नल कॉमर्शियल बॉरोइंग, स्टैंड बाई लैटर ऑफ क्रेडिट, लैटर्स ऑफ गारंटी व अन्य डेब्ट सिक्योरिटी को भी शामिल कर दिया गया है।

100 करोड़ के विदेशी निवेश की गणना के लिए अर्ह होंगे

इसके अतिरिक्त, अन्य मोड जो आरबीआई के द्वारा फ्रेमवर्क ऑन एक्सटर्नल कॉमर्शियल बॉरोइंग, ट्रेड क्रेडिट, स्ट्रक्चर्ड ऑब्लीगेशंस के अंतर्गत किए गए 100 करोड़ के विदेशी निवेश की गणना के लिए अर्ह होंगे।
विदेशी निवेशक कंपनी द्वारा की गई फॉरेन कैपिटल इन्वेस्टमेंट राशि (जिसमें इक्विटी में न्यूनतम 10 प्रतिशत तथा शेष ऋण व अन्य इंस्ट्रूमेंट के माध्यम से मिलाकर 100 करोड़ रुपए का निवेश) को इस नीति के अंतर्गत पात्र माना जाएगा तथा पूंजी निवेश की गणना में सम्मिलित किया जाएगा।
यूपी कैबिनेट ने एफडीआई नीति में संशोधन समेत कई प्रस्तावों को दी मंजूरी
लखनऊ।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में सोमवार को यहां लोकभवन में हुई कैबिनेट की बैठक में एफडीआई नीति में संशोधन, जलशक्ति, पशुपालन, आबकारी और उच्च शिक्षा समेत अन्य विभागों से संबंधित कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों को मंजूरी दी गयी। कैबिनेट की बैठक के बाद जलशक्ति मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह, पशुपाल मंत्री धर्मपाल सिंह और वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने पत्रकारों को फैसलों की जानकारी दी।

इन प्रस्तावों को मिली मंजूरी

मध्य गंगा नहर परियोजना के द्वितीय चरण पुनरीक्षण प्रस्ताव को मंजूरी मिली है। सरकार के इस फैसले से संभल, अमरोहा और मुरादाबाद के 1850 ग्राम लाभान्वित होंगे। ललितपुर में भौरट बांध परियोजना के द्वितीय पुनरीक्षित प्रस्ताव को मंजूरी मिली है। केन बेतवा लिंक परियोजना से संबंधित प्रस्ताव को स्वीकृति। इससे बुंदेलखंड के सूखाग्रस्त क्षेत्र को लाभ प्राप्त होगा। पशुपालन विभाग का प्रस्ताव भी आया जिसे मंजूरी मिली है। प्रदेश में पशु चिकित्सकों की कमी को पूरी करने के लिए पशुपालन पाठ्यक्रम के लिए डिप्लोमा, सर्टिफिकेट कोर्स के लिए नीति तैयार करने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली है।

उत्तर प्रदेश शीरा नीति के प्रस्ताव को हरी झंडी

आबकारी विभाग के तहत उत्तर प्रदेश शीरा नीति 2024-25 के प्रस्ताव को मंजूरी। एक नवंबर 2024 से 31 अक्टूबर 2025 के शीरा वर्ष के लिए शीरा रिजर्वेशन को मंजूरी मिली है। इसके तहत 19 फीसदी शीरा रिजर्वेशन को मिली स्वीकृति। उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा विभाग के लिए नियमावली उत्तर प्रदेश सहायता प्राप्त महाविद्यालय अध्यापक स्थानांतरण नियमावली 2024 को मंजूरी प्रदान की गयी है। इस फैसले
के तहत महाविद्यालय में न्यूनतम तैनाती के 5 वर्ष को घटाकर 3 वर्ष किया गया है।

शिक्षण संस्थाओं को प्रदेश में स्थापित होने का अवसर मिलेगा

उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम 2019 में संशोधन को मंजूरी मिली है। इस फैसले से अन्य प्रदेशों के शिक्षण संस्थाओं को प्रदेश में स्थापित होने का अवसर मिलेगा। लखनऊ में अंग्रेज़ी एवं विदेशी भाषा केंद्रीय विश्वविद्यालय के लखनऊ परिसर स्थापना के लिए तहसील सरोजिनी नगर में चकरौली परगना बिजनौर में 2.3239 हेक्टेयर भूमि को चिह्नित कर उपलब्ध करवाने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गयी। योगी कैबिनेट ने एफडीआई नीति में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की है।

300 करोड़ के निवेश के प्रोत्साहन प्रस्ताव पास

उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण नीति 2020 के अंतर्गत 300 करोड़ के निवेश के प्रोत्साहन प्रस्ताव पास हुआ है। सेवानिवृत्त राज्य कर्मचारियों के लिए उत्तर प्रदेश रिटायरमेंट बेनिफिट रूल्स 1961 में संशोधन प्रस्ताव को मंजूरी मिली है। कोई सरकारी कर्मचारी रिटायरमेंट के बाद यदि अपने किसी नॉमिनी, वारिस को नहीं छोड़ता तो उसकी ग्रेच्युटी का पैसा सरकार को समाहित होता था लेकिन अब नई नीति के तहत इसको बदलाव किये जाने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गयी है।

बागपत में अंतराष्ट्रीय योग एवं आरोग्य केंद्र स्थापना को मंजूरी

अब यदि कोई व्यक्ति सक्षम न्यायालय से इस प्रकार की परिस्थितियों में उत्तराधिकार प्रमाण पत्र प्रस्तुत करता है तो उसे यह पैसा दे दिया जाएगा।जनपद बागपत में अंतराष्ट्रीय योग एवं आरोग्य केंद्र स्थापना के लिए प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गयी। बागपत तहसील के ग्राम हरियाखेवा में 1.069 हेक्टेयर भूमि पर्यटन विभाग को निःशुल्क हस्तांतरण को मंजूरी मिली है। प्रदेश के हेरिटेज इमारतों को संरक्षित करने के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप द्वारा डेवलप करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी है।
यूपी कैबिनेट : अब सिर्फ 3 साल में मिलेगा ट्रांसफर का अवसर
लखनऊ। योगी सरकार ने प्रदेश के सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में कार्यरत शिक्षकों को बड़ी राहत दी है। सोमवार को मंत्रिपरिषद की बैठक में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया, जिसमें अब शिक्षकों को 5 वर्षों की न्यूनतम सेवा के बजाय केवल 3 वर्षों की सेवा के बाद स्थानांतरण का अधिकार मिल सकेगा। इस निर्णय से घर से दूर प्रदेश के विभिन्न जिलों में सेवाएं दे रहीं महिला शिक्षकों को विशेष लाभ होगा, क्योंकि उन्हें अपने परिवार के पास वापस आने का अवसर पहले से कम समय में मिल सकेगा।

नई नियमावली से शिक्षकों को मिलेगी राहत

नई उच्चतर सेवा नियमावली 2024 के अनुसार, प्रदेश के सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में कार्यरत शिक्षक, जो नियमित आधार पर नियुक्त और स्थायी रूप से पदस्थापित हैं, अब केवल 3 वर्षों की सेवा के बाद अपने स्थानांतरण का अनुरोध कर सकेंगे। इससे पहले यह सीमा 5 साल थी। नई नियमावली के अंतर्गत यह प्रावधान भी है कि शिक्षक अपने संपूर्ण सेवा काल में केवल एक बार स्थानांतरण के हकदार होंगे। इस निर्णय के पीछे योगी सरकार की मंशा है कि इससे शिक्षक समुदाय में सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। घर से दूर रहने के कारण कठिनाई महसूस कर रही महिला शिक्षकों और अन्य शिक्षकों को इस नियमावली से काफी राहत मिलेगी। योगी सरकार के इस कदम को शिक्षा प्रणाली में संतुलन और स्थिरता बनाए रखने की दिशा में एक ठोस प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।

अधिनियम-2023 के तहत नई व्यवस्थाएं लागू

योगी सरकार ने हाल ही में उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग अधिनियम-2023 को लागू किया है, जो कि 23 अगस्त 2023 को प्रख्यापित किया गया था। इस अधिनियम के तहत उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग अधिनियम-1980 को निरसित कर दिया गया है, जिससे 1980 के अधिनियम के तहत जारी स्थानांतरण नियम स्वतः समाप्त हो गए हैं। इसके बाद 2005 में जारी नियमावली भी निरस्त कर दी गई
है, जिससे नई नियमावली बनाने की आवश्यकता उत्पन्न हुई। अधिनियम-2023 की धारा-31 (1) के तहत शिक्षा सेवा में चयन की नई व्यवस्था लागू की गई है, जो शिक्षक समुदाय में स्थानांतरण की प्रक्रिया को और सुगम बनाएगी। इस नई व्यवस्था के तहत शिक्षक केवल अपने महाविद्यालय के प्रबंधतंत्र और विश्वविद्यालय के अनुमोदन के साथ स्थानांतरण का आवेदन कर सकेंगे, जिसे निदेशक, उच्च शिक्षा को प्रस्तुत करना होगा।

स्थानांतरण की प्रक्रिया हुई सरल और पारदर्शी

इस नई नियमावली के तहत एक महाविद्यालय से दूसरे महाविद्यालय में एकल अथवा पारस्परिक स्थानांतरण करने के लिए शिक्षकों को विधिवत आवेदन प्रक्रिया का पालन करना होगा। आवेदन पत्र संबंधित महाविद्यालय के प्रबंधतंत्र के माध्यम से प्रस्तुत किया जाएगा, जो विश्वविद्यालय द्वारा अनुमोदित होगा। प्रबंधतंत्र की सहमति के बाद ही आवेदन को निदेशक, उच्च शिक्षा के पास भेजा जा सकेगा। इससे स्थानांतरण प्रक्रिया में पारदर्शिता और स्पष्टता आएगी, साथ ही अनावश्यक देरी से भी बचा जा सकेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय शिक्षकों की व्यावसायिक संतुष्टि बढ़ाने में सहायक होगा। साथ ही, यह कदम शिक्षा क्षेत्र में महिला सशक्तीकरण के उद्देश्य को भी पूरा करता है, क्योंकि इससे उन महिला शिक्षकों को लाभ मिलेगा जो अपने परिवारों से दूर सेवा देने को मजबूर हैं। योगी सरकार का यह निर्णय राज्य के शैक्षिक ढांचे में संतुलन और सुधार की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।

शिक्षण कार्य में आएगी अधिक समर्पण और प्रतिबद्धता

उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने बताया कि इस नियमावली के लागू होने के बाद से शिक्षकों को अपने गृह जनपद में लौटने का अवसर मिलेगा, जिससे शिक्षण कार्य में अधिक समर्पण और प्रतिबद्धता आएगी। इससे न केवल शिक्षकों के कार्यस्थल पर संतोष का स्तर बढ़ेगा, बल्कि छात्रों को भी लाभ होगा, क्योंकि शिक्षक अधिक सहज और संतुष्ट होकर अपने कर्तव्यों का पालन कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि योगी सरकार द्वारा सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेज के शिक्षकों के स्थानांतरण नियमों में किए गए इस बदलाव से राज्य के शिक्षा क्षेत्र में सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा।
भाजपा सरकार स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण, कानून व्यवस्था के मामले में फेल : अखिलेश यादव

लखनऊ। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोमवार को कहा है कि भाजपा सरकार ने पूरी व्यवस्था को बर्बाद कर दिया है। स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण, कानून व्यवस्था के हर मोर्चे पर सरकार फेल है। शासन-प्रशासन अकर्मण्यता का शिकार है। डेंगू, मलेरिया जैसी संक्रामक बीमारियों से राजधानी लखनऊ समेत प्रदेश के तमाम शहरी इलाके बेहाल हैं।

डेंगू के मरीजों का आंकड़ा 2111 तक पहुंच गया

लखनऊ के अस्पतालों में डेढ़ हजार से ज्यादा बुखार के मरीज भर्ती हैं। लखनऊ में अब तक बड़ी संख्या में लोग डेंगू और मलेरिया की चपेट में आ चुके हैं। साफ-सफाई के अभाव में मच्छर जनित बीमारियां बढ़ती जा रही है। 03 नवम्बर 2024 तक मिले डेंगू के मरीजों का आंकड़ा 2111 तक पहुंच गया है।लखनऊ में ही प्लेटलेट को लेकर मारामारी है तो अन्य जिलों की स्थिति क्या होगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। भाजपा सरकार में स्वास्थ्य व्यवस्था ध्वस्त है।

सरकारी अस्पतालों के इंतजाम नाकाफी

टीबी जैसे रोग के 86 प्रतिशत मरीज उत्तर प्रदेश में हैं। प्रदेश में 31 अक्टूबर तक 5 लाख 59 हजार टीबी मरीजों की पहचान की जा चुकी है। मलेरिया के जनवरी से अब तक 475 मरीज मिल चुके हैं। सरकारी अस्पतालों के इंतजाम नाकाफी है। लोग मजबूरी में निजी अस्पतालों में जाने के लिए विवश है। मरीजों से निजी ब्लड बैंक मनमानी वसूली कर रहे हैं।शहरों की आबोहवा जहरीली हो रही है। हवा की खराब गुणवत्ता की वजह से सांस और अन्य बीमारियों से पीड़ित लोगों की हालत बिगड़ती जा रही है। लाखों-करोड़ों वृक्षारोपण का दावा करने वाली भाजपा सरकार में झूठ और लूट के अलावा कुछ नहीं दिखाई देता है।

भाजपा सरकार में शिक्षा व्यवस्था भी चौपट

इसी तरह भाजपा सरकार में शिक्षा व्यवस्था भी चौपट है। भाजपा सरकार ने शिक्षा व्यवस्था को रसातल में पहुंचा दिया है। सरकारी स्कूलों में लोग अपने बच्चों को नहीं भेजना चाहतें। भाजपा सरकार स्कूलों की व्यवस्था सुधारने के बजाय 27,764 परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों को बंद करने का षडयंत्र कर रही है। इससे गरीब परिवार के बच्चों की पढ़ाई रूक जाएगी। इसके पीछे भी भाजपा सरकार की साजिश दिखाई देती है। सरकारी स्कूल बंद हो जाएंगे तो अभिभावकों के पास अपने बच्चों को महंगे निजी स्कूलों में भेजने के अलावा कोई रास्ता नहीं होगा।
बुजुर्ग ने मुख्यमंत्री  योगी से लगाई गुहार तो संडे को बैंक खोलकर मिली 'मदद'
लखनऊ। योगी सरकार की सीएम हेल्पलाइन (1076) प्रदेशवासियों की समस्याओं के निस्तारण में अहम भूमिका निभा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सतत मॉनीटरिंग का नतीजा है कि कई मामलों में सीएम हेल्पलाइन के जरिये प्रदेशवासियों की समस्याओं का निस्तारण कुछ ही घंटों में किया जा रहा है। इसका ताजा उदाहरण राजधानी के इंदिरानगर के एक बुजुर्ग की समस्या का निस्तारण में देखा भी गया, जिनकी समस्या का निस्तारण कुछ ही घंटों में कर दिया गया। इतना ही नहीं बुजुर्ग की समस्या के निस्तारण के लिए मुख्य सचिव ने संज्ञान लिया तो संडे को बैंक खोलकर बैंक अधिकारियों ने मामले का निपटारा किया और खाते से पैसे निकालकर दिये जबकि इसके लिए बुजुर्ग काफी दिनों से बैंक के चक्कर लगा रहे थे।

छोटे से काम के लिए कई दिनों से बैंक के चक्कर लगा रहे थे बुजुर्ग सोहनलाल

राजधानी के इंदिरानगर स्थित कैलाशपुरी निवासी मुकेश कुमार ने बताया कि उनके पिता सोहनलाल और माता राजेश्वरी का एक बैंक में ज्वाइंट अकाउंट था। उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले इलाज के दौरान उनकी माता का देहांत हो गया। मुकेश ने बताया कि पिता सोहनलाल को पैसे की जरूरत थी। इस पर वह बैंक गये और पत्नी के देहांत की सूचना के साथ पैसे निकालने के लिए चेक दिए। वहीं बैंक अधिकारियों ने ज्वाइंट अकाउंट से पैसे न निकलने की बात कही। उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी का देहांत हो गया है, ऐसे में उन्हे कुछ कागजी कार्रवाई करनी होगी। इसके बाद ही ज्वाइंट अकाउंट से पैसे निकल पाएंगे।

हेल्प लाइन पर शिकायत करने पर जागे अधिकारी

बुजुर्ग सोहनलाल ने बताया कि बैंक अधिकारियों द्वारा जो भी कागजी कार्रवाई बतायी गयी, उसे पूरा किया गया। इसके बाद भी पैसे नहीं निकल सके। उन्होंने वजह पूछी तो अधिकारियों ने बताया कि प्रोसेस में समय लग रहा है। इसके बाद सोहनलाल लगातार कई दिनों तक बैंक के चक्कर लगाते रहे लेकिन पैसे नहीं मिले। इससे परेशान होकर बुजुर्ग ने 26 अक्टूबर शाम को सीएम हेल्पलाइन (1076) पर अपनी समस्या बतायी। साथ ही पैसे की जरूरत की बात कही। इस पर सीएम हेल्पलाइन के अधिकारियों ने उनकी समस्या के जल्द निस्तारण की बात कही।

मुख्य सचिव के निर्देश पर रविवार को बैंक खोलकर बुजुर्ग को दिये पैसे

मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने बताया कि सीएम हेल्पलाइन पर सोहनलाल की समस्या के बारे में बताया। इस पर उन्होंने संबंधित विभाग के अधिकारियों को बैंक के जीएम और मैनेजर से संपर्क कर तत्काल समस्या के निस्तारण के निर्देश दिये।मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह के हस्तक्षेप के बाद बैंक अधिकारियों ने सोहनलाल की समस्या का कुछ ही घंटों में निस्तारण कर दिया, जबकि इसके लिए वह काफी दिनों से बैंक के चक्कर लगा रहे थे। इतना ही नहीं मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह के निर्देश पर बैंक अधिकारियों ने रविवार को बैंक खोलकर सोहनलाल को पैसे दिये। इस पर सोहनलाल और उनके परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने योगी सरकार की सीएम हेल्पलाइन की तारीफ कर मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रति अपना आभार व्यक्त किया।
आगरा में वायुसेना का विमान दुर्घटनाग्रस्त, दोनों पायलट ने कूदकर बचाई जान
लखनऊ । आगरा में सोमवार को वायु सेना का विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इसमें पायलट और को-पायलट ने कूदकर जान बचाई। फिलहाल इस घटना को लेकर वायु सेना की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

बताया जा रहा है कि हादसे के बाद पायलट और उसके साथी दो किलोमीटर दूर मिले हैं। गनीमत रही कि पायलट ने सूझबूझ का परिचय देते हुए विमान को कागारौल के सोनिगा गांव के पास खाली खेतों में गिराया। यदि आबादी वाले हिस्से में विमान क्रैश होता तो बड़ी क्षति हो सकती थी।

शुरुआती जानकारी के मुताबिक यह मिग-29 विमान था, जो पंजाब के आदमपुर से उड़ा था। फिलहाल घटनास्थल पर ग्रामीणों की भारी भीड़ है। मौके पर पुलिस बल भी पहुंच गया है।
टालेंगे तो और भी बुरा हारेंगे : अखिलेश यादव
लखनऊ। समाजवादी पार्टी  के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में होने वाले उपचुनाव की तारीख बढ़ाई जाने पर भाजपा सरकार पर तंज कसा है।

अखिलेश यादव ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट (एक्स)पर लिखा कि "टालेंगे तो और भी बुरा हारेंगे।" उन्होंने लिखा कि पहले मिल्कीपुर का उपचुनाव टाला, अब बाकी सीटों के उपचुनाव की तारीख, भाजपा इतनी कमजोर कभी न थी।

दरअसल बात यह है कि उप्र मेंह्यमहा-बेरोजगारीह्ण की वजह से जो लोग पूरे देश में काम-रोजगार के लिए जाते हैं, वो दिवाली और छठ की छुट्टी लेकर उप्र आए हुए हैं और उपचुनाव में भाजपा को हराने के लिए वोट डालने वाले थे। जैसे ही भाजपा को इसकी भनक लगी, उसने उपचुनावों को आगे खिसका दिया, जिससे लोगों की छुट्टी खत्म हो जाए और वो बिना वोट डाले ही वापस चले जाएं।

ये भाजपा की पुरानी चाल है,'हारेंगे तो टालेंगे

उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में 09 सीटों पर 13 नवम्बर को उपचुनाव (मतदान) होने वाले थे। चुनाव आयोग ने सोमवार को उत्तर प्रदेश की 09 सीटों समेत अन्य प्रदेशों की कुल 14 सीटों पर होने वाले चुनाव की तारीखों में संशोधन करते हुए 20 नवम्बर को अब बदली तारीख में मतदान कराने का निर्णय लिया है। चुनाव की बदली तारीख को लेकर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा को निशाने पर लेकर ट्वीट कर निशाना साधा है।
अब टीचर का ट्रांसफर 5 की बजाए 3 साल में होगा, योगी कैबिनेट में 27 प्रस्तावों को मंजूरी
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में सोमवार को यहां लोकभवन में हुई कैबिनेट की बैठक में एफडीआई नीति में संशोधन, जलशक्ति, पशुपालन, आबकारी और उच्च शिक्षा समेत अन्य विभागों से संबंधित कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों को मंजूरी दी गयी। कैबिनेट की बैठक के बाद जलशक्ति मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह, पशुपाल मंत्री धर्मपाल सिंह और वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने पत्रकारों को फैसलों की जानकारी दी।

इन प्रस्तावों को मिली मंजूरी-

मध्य गंगा नहर परियोजना के द्वितीय चरण पुनरीक्षण प्रस्ताव को मंजूरी मिली है। सरकार के इस फैसले से संभल, अमरोहा और मुरादाबाद के 1850 ग्राम लाभान्वित होंगे। ललितपुर में भौरट बांध परियोजना के द्वितीय पुनरीक्षित प्रस्ताव को मंजूरी मिली है। केन बेतवा लिंक परियोजना से संबंधित प्रस्ताव को स्वीकृति। इससे बुंदेलखंड के सूखाग्रस्त क्षेत्र को लाभ प्राप्त होगा। पशुपालन विभाग का प्रस्ताव भी आया जिसे मंजूरी मिली है। प्रदेश में पशु चिकित्सकों की कमी को पूरी करने के लिए पशुपालन पाठ्यक्रम के लिए डिप्लोमा, सर्टिफिकेट कोर्स के लिए नीति तैयार करने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली है।

आबकारी विभाग के तहत उत्तर प्रदेश शीरा नीति 2024-25 के प्रस्ताव को मंजूरी। एक नवंबर 2024 से 31 अक्टूबर 2025 के शीरा वर्ष के लिए शीरा रिजर्वेशन को मंजूरी मिली है। इसके तहत 19 फीसदी शीरा रिजर्वेशन को मिली स्वीकृति। उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा विभाग के लिए नियमावली उत्तर प्रदेश सहायता प्राप्त महाविद्यालय अध्यापक स्थानांतरण नियमावली 2024 को मंजूरी प्रदान की गयी है। इस फैसले के तहत महाविद्यालय में न्यूनतम तैनाती के 5 वर्ष को घटाकर 3 वर्ष किया गया है। उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम 2019 में संशोधन को मंजूरी मिली है। इस फैसले से अन्य प्रदेशों के शिक्षण संस्थाओं को प्रदेश में स्थापित होने का अवसर मिलेगा।

लखनऊ में अंग्रेजी एवं विदेशी भाषा केंद्रीय विश्वविद्यालय के लखनऊ परिसर स्थापना के लिए तहसील सरोजिनी नगर में चकरौली परगना बिजनौर में 2.3239 हेक्टेयर भूमि को चिह्नित कर उपलब्ध करवाने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गयी। योगी कैबिनेट ने एफडीआई नीति में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की है। उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण नीति 2020 के अंतर्गत 300 करोड़ के निवेश के प्रोत्साहन प्रस्ताव पास हुआ है।

सेवानिवृत्त राज्य कर्मचारियों के लिए उत्तर प्रदेश रिटायरमेंट बेनिफिट रूल्स 1961 में संशोधन प्रस्ताव को मंजूरी मिली है। कोई सरकारी कर्मचारी रिटायरमेंट के बाद यदि अपने किसी नॉमिनी, वारिस को नहीं छोड़ता तो उसकी ग्रेच्युटी का पैसा सरकार को समाहित होता था लेकिन अब नई नीति के तहत इसको बदलाव किये जाने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गयी है। अब यदि कोई व्यक्ति सक्षम न्यायालय से इस प्रकार की परिस्थितियों में उत्तराधिकार प्रमाण पत्र प्रस्तुत करता है तो उसे यह पैसा दे दिया जाएगा।

जनपद बागपत में अंतराष्ट्रीय योग एवं आरोग्य केंद्र स्थापना के लिए प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गयी। बागपत तहसील के ग्राम हरियाखेवा में 1.069 हेक्टेयर भूमि पर्यटन विभाग को नि:शुल्क हस्तांतरण को मंजूरी मिली है। प्रदेश के हेरिटेज इमारतों को संरक्षित करने के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप द्वारा डेवलप करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी है।