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नौंवी कक्षा के छात्र ने अपने अपहरण की झूठी कहानी गढ़ी, पुलिस ने किया खुलासा


मानगो जवाहरनगर रोड नंबर-6 में रहनेवाले एक नौंवी कक्षा के छात्र ने सोमवार को मानगो थाना की पुलिस को करीब छह घंटे तक परेशान किया. छात्र दो युवकों को फंसाने के इरादे से खुद के अपहरण की झूठी कहानी गढ़कर पुलिस को गुमराह करता रहा. छात्र ने अपना मोबाइल भी बंद कर लिया था, जबकि वाट्सअप कॉल के जरिये बात कर रहा था. छात्र के बरामद होने के बाद जब पुलिस ने जब कड़ाई से उससे पूछताछ की तो उसने सारा राज उगल दिया और पुलिस से मांफी मांगी. मंगलवार की देर शाम पुलिस ने छात्र को उसके घरवालों को सौंप दिया.

क्या है पूरा माजरा

हुआ यूं कि सोमवार की अपराहन करीब 3.30 बजे एक महिला मानगो थाना पहुंची. उसने पुलिस को बताया कि उसके बेटे की साइकिल लावारिश हालत में पड़ी मिली और उसका मोबाइल भी बंद है. बेटे ने वाट्सअप कॉल कर बताया कि दो युवकों ने नशीला पदार्थ सुंघाकर कार से उसका अपहरण कर लिया है और किसी गुमनाम स्थान पर रखे हुए है।

मानगो थाना प्रभारी निरंजन कुमार ने महिला की बातों को गंभीरता से लेते हुए खुद को छात्र के चाचा का दोस्त बनकर उससे वाट्सअप कॉल पर बात की. जिसके बाद उसे वीडियो कॉल करने को कहा. छात्र ने वीडियो में खुद को कार के अंदर बताया. फिर छात्र को उन्होंने कार से बाहर निकलने को कहा और फोन पर लगातार संपर्क में रहने की बात कही. कुछ दूर पर ही पुलिस बल की तैनाती कर दी गयी थी. 

कार से निकलते ही पुलिस ने छात्र को बरामद कर लिया और उसे थाना ले आयी. थाना लाने पर छात्र ने पुलिस को बताया कि राजा व उसके साथी ने उसका अपहरण किया था. उनलोगों ने पिछले दिनों उसके घर के बाहर खड़ी बाइक में आग लगा दी थी. केस उठाने की धमकी देने के लिए राजा व उसके साथी ने अपहरण किया था. लेकिन जब पुलिस ने कड़ाई से पूछताछ की तो छात्र ने सारा राज उगल दिया।

छात्र ने पुलिस को बताया कि राजा व उसके साथियों को फंसाने के उद्देश्य से उसने अपहरण की योजना बनायी थी. साइकिल को सड़क पर छोड़ व मोबाइल बंद कर वह टेंपो से कुमरुम बस्ती चला गया. वहां एक शिक्षक के घर के बगल में खड़ी कार में जाकर छुप गया. जिसके बाद वह वाट्सअप कॉल के जरिये घरवालों से बात कर रहा था।

मानगो थाना प्रभारी निरंजन कुमार ने बताया कि छात्र दोनों युवक को फंसाने के उद्देश्य से खुद के अपहरण की झूठी कहानी बनायी थी. छात्र को घरवालों को सौंप दिया गया है।

पूर्वी सिंहभूम जिलांतर्गत पोटका व जुगसलाई विधान सभा क्षेत्र,जहाँ प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला शहरी वोटर तय करते हैं

झारखंड डेस्क 

पूर्वी सिंहभूम जिलांतर्गत पोटका व जुगसलाई विधान सभा क्षेत्र ऐसा है जहां शहरी और ग्रामीण वोटरों का अच्छा खासा अनुपात है. हर बार प्रत्याशी रणनीति बनाने से लेकर चुनाव प्रचार करने तक में दोनों ही वोटरों का खास ख्याल रखते हैं. खास कर शहरी वोटरों का मिजाज जीत-हार में निर्णायक भूमिका निभाता है.

ऐसे में हर चुनाव में शहरी वोटरों को अपने-अपने पक्ष में करने के लिए प्रत्याशी अंतिम समय तक जोर लगाते हैं. अगर पोटका की बात करें तो इसमें जमशेदपुर प्रखंड की 21 शहरी पंचायतें हैं. यहां सामान्य वर्ग के लगभग 35-40 हजार वोटर हर चुनाव में निर्णायक साबित होते हैं. इनका समर्थन प्रत्याशी को लीड दिलाने में सहायक होता है और चुनाव परिणाम को प्रभावित करता है.

आदिवासी-मूलवासी व सामान्य वोटरों की संख्या 1.50 लाख

इसी तरह जमशेदपुर प्रखंड के जुगसलाई विधानसभा क्षेत्र की 33 पंचायतों में आदिवासी-मूलवासी व सामान्य वोटरों की संख्या करीब 1.50 लाख है जो जीत-हार का मापदंड तय करते हैं. 

इनमें ग्रामीण वोटरों की संख्या अधिक होने के कारण प्रत्याशियों को शहरी और ग्रामीण मतदाताओं के बीच संतुलन साधना पड़ता है. कभी-कभी शहरी मतदाता ग्रामीण वोटरों पर हावी हो जाते हैं, जिससे क्षेत्रीय समीकरण में बदलाव देखने को मिलता है. इस चुनाव में प्रत्याशी शहरी और ग्रामीण दोनों मतदाताओं की नब्ज टटोलते हुए रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं, ताकि मतदान के अंतिम क्षण तक वोटरों को अपने पक्ष में किया जा सके.

जुगसलाई विधानसभा क्षेत्र का आधा से अधिक हिस्सा ग्रामीण और बाकी हिस्सा शहरी क्षेत्र में आता है. यहां मतदान केंद्रों की संख्या 381 है. 

यहां 13 नवंबर को यहां मतदान होना है. फिलहाल इस सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा का कब्जा है. 2019 के चुनाव में झामुमो प्रत्यााशी मंगल कालिंदी ने जीत दर्ज की थी.

1977 में बना था अलग विधानसभा सीट

जुगसलाई वर्ष 1977 में अलग विधानसभा सीट बना था. इस सीट के अंतर्गत पटमदा, बोड़ाम के अलावा जुगसलाई नगरपालिका और गोविंदपुर क्षेत्र आते हैं. इस सीट से जनता पार्टी के कार्तिक कुमार पहले विधायक चुने गये. 1980 में तुलसी रजक (सीपीआइ) और 1985 में त्रिलोचन कालिंदी (कांग्रेस) विधायक बने.

जीत की हैट्रिक लगाने वाले पहले विधायक रहे दुलाल भुइयां : 

पहली बार 1990 में मंगल राम ने झामुमो के टिकट पर यहां जीत हासिल की. इसके बाद दुलाल भुइयां वर्ष 1995 में जीत दर्ज की. वे 2000 व 2005 में अपना कब्जा बरकरार रखा.

2009 में दुलाल भुइयां को हरा कर रामचंद्र सहिस ने चौंकाया था :

 साल 2009 में आजसू प्रत्याशी रामचंद्र सहिस ने दुलाल भुइयां को हरा कर सबको चौंका दिया था. रामचंद्र सहिस को 42810 मत, भाजपा प्रत्याशी राखी राय को 39328 तथा झामुमो प्रत्याशी दुलाल भुइयां को 35,629 मत मिले. दुलाल भुइयां तीसरे स्थान पर चले गये थे. साल 2014 के चुनाव में भाजपा-आजसू गठबंधन का लाभ आजसू प्रत्याशी रामचंद्र सहिस को मिला और दूसरी बार उन्होंने जीत दर्ज की थी.

2019 में मंगल कालिंदी ने जीती सीट : 

2019 में भाजपा और आजसू पार्टी के बीच गठबंधन टूट गया और इस बार जुगसलाई सीट पर झामुमो के मंगल कालिंदी ने भाजपा के मुचीराम बाउरी को भारी अंतर से हराया. इस चुनाव में रामचंद्र सहिस को भी हार का सामना करना पड़ा.

लोकसभा चुनाव में एनडीए प्रत्याशी को मिली थी बढ़त :

 वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा और आजसू पार्टी मिलकर चुनाव लड़ी. जमशेदपुर संसदीय सीट के चुनाव में जुगसलाई विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी विद्युत वरण महतो को बढ़त मिली. यहां विद्युत वरण महतो को जहां करीब 1 लाख 40 हजार वोट मिले, वहीं झामुमो प्रत्याशी समीर मोहंती को लगभग 83 हजार वोटों से संतोष करना पड़ा.

इस बार रोचक मुकाबले की उम्मीद : 

इस बार जुगसलाई सीट पर एनडीए बनाम इंडिया गठबंधन के बीच मुकाबले की संभावना है. एनडीए से आजसू पार्टी के रामचंद्र सहिस, जबकि इंडिया गठबंधन में शामिल कांग्रेस, राजद और झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर से मंगल कालिंदी उम्मीदवार है. इसके अलावा कई बागी व निर्दलीय प्रत्याशी हैं जिनसे कुछ वोटों के बिखराव होने की संभावना है.

जुगसलाई से अब तक निर्वाचित विधायक

वर्ष   प्रत्याशी का नाम   पार्टी

1977 कार्तिक कुमार   जनता पार्टी

1980 तुलसी रजक   सीपीआई

1985 त्रिलोचन कालिंदी कांग्रेस

1990 मंगल राम झामुमो

1995 दुलाल भुइयां झामुमो

2000 दुलाल भुइयां झामुमो

2005 दुलाल भुइयां झामुमो

2009 रामचंद्र सहिस आजसू

2014 रामचंद्र सहिस आजसू

2019 मंगल कालिंदी झामुमो

मांडर विधानसभा 2024: इस बाऱ मांडर विधानसभा सीट पर शिल्पी नेहा तिर्की फिर करेगी जीत दर्ज़ या भाजपा के सन्नी टोप्पो देंगें उन्हें शिकस्त,

झारखंड डेस्क 

लोहरदगा लोकसभा का हिस्सा मांडर विधानसभा में वर्ष 2005, 2009 और 2019 में बंधू तिर्की अलग अलग पार्टियों के बनैर तले जीत दर्ज कर चुके हैं। वर्ष 2005 में बंधू तिर्की ने गोवा डमोक्रेटिक पार्टी, वर्ष 2009 में झारखंड जनाधिकार मंच और वर्ष 2019 में झाविमो के टिकट पर जीत दर्ज की थी। 

हालांकि आय से अधिक मामले में उनकी विधायकी जाने के बाद बेटी शिल्पी नेहा तिर्की ने मोर्चा संभाला और 2022 के उपचुनाव में जीत दर्ज करने में सफल भी रही, इस बार कांग्रेस ने शिल्पी नेहा तिर्की पर एक बार फिर से दांव लगाया है, जबकि भाजपा ने सन्नी टोप्पो को मोर्चे पर तैनात किया है। 

वर्ष 2014 में कमल खिलाने वाले गंगोत्री कुजूर पर इस बार पार्टी ने दांव लगाना बेहतर नहीं समझा, दरअसल वर्ष 2022 के उपचुनाव में पार्टी ने एक बार फिर से गंगोत्री कुजूर पर दांव लगाया था, लेकिन गंगोत्री कुजूर शिल्पी नेहा तिर्की का मुकाबला सफलता का परचम फहराने में सफल नहीं हो सकी, इस हालत में देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी ने सन्नी टोप्पो जैसे युवा चेहरा पर जो दांव खेला है, कि कामयाब रहता है। 

वर्ष 2014 में गंगोत्री को हाथों खिला था कमल

यदि मांडर के पुराने इतिहास को खंगाले तो इस सीट से वर्ष 2000 में देवकुमार धान ने पंजा को जीत दिलाई थी, जबकि वर्ष 2005 और 2009 में बंधू तिर्की ने जीत का सेहरा बांधा, लेकिन वर्ष 2014 में गंगोत्री कुजूर कमल खिलाने में कामयाब रही। वर्ष 2022 के उप चुनाव में शिल्पी नेहा तिर्की के हिस्से 95,486 तो गंगोत्री कुजूर के खाते में 71,796 वोट आया था, जबकि पूर्व विधायक देव कुमार धान ने निर्दलीय अखाड़े में कूदते हुए 22,424 वोट पाने में कामयाब हुए थे। जबकि वर्ष 2019 में बंधू तिर्की के हिस्से 92,491 तो देव कुमार धन भाजपा की ओर से बैटिंग करते हुए महज 69,364 पर सिमट गये थें, जबकि उस वक्त के कांग्रेस उम्मीदवार सन्नी 8,840 के साथ चौथे स्थान पर थें। 

हार जीत का अंतर करीबन 23 हजार का था। इस हालत में इस बार सन्नी टोप्पो कितनी मजबूत चुनौती पेश कर सकेंगे, यह देखने वाली बात होगी। हालांकि शिल्पी नेहा तिर्की और बंधू तिर्की अपनी जीत को लेकर बेहद आश्वस्त नजर आ रहे हैं, बंधू तिर्की का दावा है कि कहीं कोई मुकाबला नहीं है, कांग्रेस की जीत महज औपचारिकता है, लेकिन अंतिम फैसला तो मतपटियों से ही निकल कर सामने आयेगा।

कोडरमा सीट पर JLKM प्रत्याशी समेत तीन का नामांकन रद्द हो गया है.


झारखंड डेस्क 

झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए कोडरमा सीट पर JLKM प्रत्याशी समेत तीन का नामांकन रद्द हो गया है.

आज नामांकन पत्रों की जांच के बाद निर्वाची पदाधिकारी सह कोडरमा SDO रिया सिंह ने प्रेम नायक, लक्ष्मण यादव और जेएलकेएम के मनोज कुमार का नामांकन रद्द होने की जानकारी दी.

साथ ही भाजपा की डॉ. नीरा यादव, राजद के सुभाष यादव, निर्दलीय शालिनी गुप्ता समेत 16 उम्मीदवारों के नामांकन वैध पाए गए हैं।

चुनावी संग्राम में जयराम महतो की इंट्री, किसका होगा नुकसान..?कौन करेगा बैतरणी पार

झारखण्ड डेस्क 

झारखंड में सत्ता का संग्राम शुरू हो चुका है. सभी दल अपनी-अपनी गोटियां बिठाने में लगे हुए हैं. इस बार का मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ महागठबंधन और एनडीए के बीच माना जा रहा है.

 इन दोनों गठबंधनों को चुनौती देने के लिए कुछ छोटे दल भी चुनाव मैदान में हैं.इन छोटे दलों में से एक है झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा जेकेएलएम, यानी जयराम महतो की पार्टी.पिछले दिनों जिस तरह से जयराम महतो की सभाओं में भीड़ जूट रही है और जिस तरह पिछले लोकसभा में उसका प्रदर्शन रहा उसमे यह तय है कि दोनों दलों को जयराम महतो से कड़ी चुनौती मिलेगी.

 जयराम महतो. कुड़मी जाति के हैं. झारखंड में कुड़मी जाति की आबादी 15 फीसदी से अधिक है.यह राज्य में 26 फीसदी से अधिक आदिवासियों के बाद सबसे बड़ा जातीय समूह है. 

जेकेएलएम ने अपने इरादे लोकसभा चुनाव में ही साफ कर दिए थे. जेकेएलएम ने लोकसभा चुनाव में राज्य की 14 में से आठ सीटों पर चुनाव लड़ा था. जेकेएलएम की इन सीटों पर अपनी तगड़ी मौजूदगी दर्ज कराई थी. जेकेएलएम ने जिन सीटों पर चुनाव लड़ा था, उनमें रांची, हजारीबाग,गिरीडीह, कोडरमा और धनबाद.है जहाँ उन्हें अच्छा मत मिला था.

रांची सीट पर बीजेपी ने कांग्रेस को एक लाख 20 हजार से अधिक वोटों से हराया था.इस सीट पर जेकेएलएम के देवेंद्र नाथ महतो को 1 लाख 32 हजार से अधिक वोट मिले थे.जेकेएलएम प्रमुख जयराम महतो ने गिरिडीह सीट से चुनाव लड़ा था. वहां उन्होंने तीन लाख 47 हजार 322 वोट हासिल किए थे. वहीं दूसरे नंबर पर रहे झारखंड मुक्ति मोर्चा के मथुरा प्रसाद महतो को तीन लाख 70 हजार 259 वोट मिले थे.

लोकसभा चुनाव में जयराम महतो ने गिरिडीह सीट में आने वाली गोमिया और डुमरी में झारखंड मुक्तिमोर्चा और बीजेपी के उम्मीदवारों से अधिक वोट हासिल किए थे. साल 2019 के विधानसभा चुनाव में ये दोनों सीटें झारखंड मुक्ति मोर्चा ने जीती थीं.

लोकसभा चुनाव में जेकेएलएम भले ही कोई सीट नहीं जीत पाई थी, लेकिन उसने हर सीट पर अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई थी.जेकेएलएम ने जिस तरह का प्रदर्शन लोकसभा चुनाव में किया, वैसा ही अगर विधानसभा चुनाव में किया तो दोनों गठबंधनों के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है. 

माना जा रहा है कि झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा ने अगर अच्छा प्रदर्शन किया तो, इसका नुकसान बीजेपी को उठाना पड़ेगा, क्योंकि यह मोर्चा सुदेश महतो के आल झारखंड स्टूडेंट यूनियन (आजसू) का ही वोट काटेगा.इससे झारखंड में बीजेपी का वही हाल हो सकता है, जो हरियाणा में कांग्रेस का हुआ है. 

आजसू झारखंड में बीजेपी की सहयोगी है. बीजेपी ने 2019 का विधानसभा चुनाव अलग-अलग लड़ा था. इसमें बीजेपी को 33.8 फीसदी वोट और 25 सीटें मिली थीं. वहीं आजसू ने 8.2 फीसदी वोट हासिल किए थे और दो सीटें जीती थीं. वैसे स्थानीयता और भाषा संस्कृति के नाम पर जयराम महतो के साथ अब आदिवासी और अन्य जाति के युवा भी जूट रहे हैं ऐसे हालात में नुकसान झारखण्ड मुक्ति मोर्चा को भी उठाना पड़ेगा.

अब देखना है कि 2024,के विधान सभा चुनाव में जयराम महतो किस पार्टी को कितना नुकसान पहुँचाती है और कितना सीट हासिल कर अपने भविष्य की बुनियाद मज़बूत कर पाते हैं.

धनबाद के मैथन पुलिस ने 43 गौवंश लदे कंटेनर को किया जब्त, तीन हिरासत में

झारखंड डेस्क

धनबाद :मैथन पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर सोमवार सुबह करीब 5 बजे मैथन टोल प्लाजा के समीप गोवंश लदे एक कंटेनर संख्या(आरजे 32 जीडी 5478) को जब्त किया है। इस दौरान कंटेनर में मौजूद तीन लोगों ने पुलिस को देख भागने लगे। जिन्हें पुलिस ने खदेड़कर पकड़ा। 

पकड़े गए लोगों में फहेद आलम, नसीम अहमद एवं कैलाश कुमार शामिल है। जिन्हें पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। तीनों से मैथन पुलिस गहन पूछताछ कर रही है। मैथन पुलिस ने बताया कि कंटेनर में लदे 43 गोवंशों में सात गोवंश मरे हुए मिले। पुलिस के अनुसार गोवंश से भरे कंटेनर बिहार के गया से पश्चिम बंगाल कोलकाता ले जाया जा रहा था। 

इसी दौरान गुप्त सूचना के आधार पर मैथन पुलिस ने मैथन टोल प्लाजा के समीप कंटेनर को रोक कर जांच किया, तो कंटेनर में कुल 43 गोवंश ठूस-ठूसकर लादे हुए थे। सभी गौवंश को मैथन पुलिस ने बाहर निकालकर उनकी स्वास्थ्य जांच करवाया। इस संबंध में मैथन ओपी प्रभारी आकृष्ट अमन ने कहा कि गुप्त सूचना के आधार पर गोवंशों से लदे कंटेनर को पकड़ा गया है। इस दौरान चालक सहित तीन लोगों को हिरासत में लिया गया है। प्राथमिकी दर्ज करने की प्रक्रिया जारी है। सभी गोवंशों को कतरास गौशाला भेजा जाएगा।

इस बार झारखंड विंधानसभा में महिला वोटर की भूमिका होगी किंग मेकर की,

यहां के 81 विंधानसभा सीट में से 32 पर महिला मतदाता की संख्यां ज्यादा,


झारखंड डेस्क 

झारखंड के 81 विंधानसभा क्षेत्र में से 32 सीट ऐसा है जहां मतदाता सूची में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या  अधिक है.अगर हम इस पर नज़र डालें तो मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन की सीट सहित 32 विधानसभा क्षेत्रों में महिला मतदाताओं की भूमिका निर्णायक हो सकती है. 

आंकड़े के अनुसार पुरुषों की तुलना में महिला मतदाताओं की अधिक संख्या वाले 32 निर्वाचन क्षेत्रों में से 26 अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के लिए आरक्षित हैं.

81 सीट वाली झारखंड 

विधानसभा के लिए चुनाव 13 नवंबर और 20 नवंबर को दो चरणों में होने हैं. मतों की गिनती 23 नवंबर को होगी. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बरहेट विधानसभा क्षेत्र से अपना नामांकन पत्र दाखिल किया है, जहां महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष मतदाताओं से अधिक है. 

इस निर्वाचन क्षेत्र में 2.25 लाख से अधिक मतदाता हैं, जिनमें 1.15 लाख महिलाएं और 1.09 लाख पुरुष मतदाता हैं. 

इसी तरह, सरायकेला विधानसभा क्षेत्र में 3.69 लाख से अधिक मतदाता पंजीकृत हैं, जिनमें 1.83 लाख पुरुष और 1.85 लाख महिला मतदाता शामिल हैं.

कोल्हान के सरायकेला, मझगांव विधान सभा सीट पर पुरुष से अधिक महिला मतदाताओं की संख्यां है.

पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा उम्मीदवार चंपई सोरेन सरायकेला सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. सोरेन ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) नेताओं के हाथों ‘अपमान’ और ‘बेइज्जती’ किये जाने का हवाला देते हुए 30 अगस्त को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थामा था. बरहेट और सरायकेला उन 32 विधानसभा सीट में शामिल हैं, जहां महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष मतदाताओं से अधिक है. झारखंड में कुल 81 निर्वाचन क्षेत्रों में से 28 सीट अनुसूचित जनजाति (एसटी) एवं नौ अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित और बाकी सामान्य श्रेणी की सीट हैं. 

पश्चिमी सिंहभूम जिले के मझगांव विधानसभा क्षेत्र में पुरुष मतदाताओं की तुलना में सबसे अधिक महिला मतदाता पंजीकृत हैं. मतदाता सूची के अनुसार इस निर्वाचन क्षेत्र में 1.12 लाख पुरुष मतदाताओं की तुलना में 1.21 लाख महिला मतदाताएं पंजीकृत हैं.

2.60 करोड़ मतदाता, जिनमें 1.29 करोड़ महिलाएं


झारखंड में करीब 2.60 करोड़ मतदाता हैं, जिनमें 1.31 करोड़ पुरुष और 1.29 करोड़ महिला मतदाता हैं, जबकि 2019 के विधानसभा चुनाव में यह संख्या 2.23 करोड़ थी. ग्यारह लाख 84 हजार मतदाता पहली बार मतदान करेंगे और 1.13 लाख विकलांग और थर्ड जेंडर के वरिष्ठ नागरिक मतदान करेंगे.

राज्य में महिला मतदाताओं को लुभाने के लिए राजनीतिक दल कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. महिला मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए भाजपा ने झामुमो के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार की ‘मईंया सम्मान योजना’ का मुकाबला करने के लिए ‘गोगो दीदी योजना’ शुरू की है. मईंया सम्मान योजना के तहत राज्य की 50 लाख से अधिक महिलाओं के खातों में 1,000 रुपये प्रतिमाह जमा किए जाते हैं.

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आई तो दिसंबर से यह राशि बढ़ाकर 2,500 रुपये मासिक कर दी जाएगी.

दूसरी ओर, भाजपा ने अपने पहले घोषणापत्र में झारखंड में सरकार बनने पर महिलाओं के खातों में 2,100 रुपये प्रति माह डालने का वादा किया है.

आज धनबाद में नामांकन के लिए रहा मेगा डे,झरिया से रागनी सिंह,निरसा से अपर्णा और वाघमरा से शत्रुघ्न महतो ने किया नामांकन

धनबाद :आज धनबाद में नामांकन का मेगा डे रहा ।आज झरिया से भाजपा प्रत्याशी रागिनी सिंह, निरसा से भाजपा प्रत्याशी अपर्णा सेनगुप्ता, बाघमारा से कांग्रेस प्रत्याशी जलेश्वर महतो, बाघमारा से भाजपा प्रत्याशी शत्रुधन महतो, सिंदरी विधानसभा से माले प्रत्याशी बबलू महतो ने नामांकन दर्ज किया।

 

हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए रोहित यादव टिकट नहीं मिलने पर बागी होकर बतौर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में तथा अन्य दर्ज़नो प्रत्याशी ने आज नामांकन किया है जिससे शहर में आज जाम की स्थिति भी बनी रही।

 बता दें कि 20 नवंबर के चुनाव के लिए नामांकन का कल यानी 29 अक्टूबर को आखिरी दिन होगा।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा- हेमंत सोरेन के दिल में थोड़ा भी स्वाभिमान है, तो इरफान अंसारी को मंत्रिमंडल से हटायें


सीता सोरेन पर इरफ़ान द्वारा अभद्र टिप्पणी से भड़के मरांडी, कहा जो मुख्यमंत्री अपनी भाभी की रक्षा नहीं कर सकता वह राज्य की बहु-बेटियों की रक्षा कैसे करेगा..?

झारखण्ड डेस्क 

भाजपा के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने सीता सोरेन के खिलाफ अमर्यादित बयान देने वाले मंत्री इरफान अंसारी को मंत्रिमंडल से हटाने की मांग की है. रविवार को पत्रकारों से श्री मरांडी ने कहा कि यह बिल्कुल स्पष्ट हो चुका है कि हेमंत सोरेन लाचार और विवश हैं. वोट की खातिर वे किसी भी हद तक गिर सकते हैं. पार्टी भले अलग हो, लेकिन सीता सोरेन उनकी भाभी हैं.

उनके आंदोलनकारी भाई स्व दुर्गा सोरेन की पत्नी हैं. झारखंड की एक महिला भी हैं. श्री मरांडी ने कहा कि सीता सोरेन के बारे में जामताड़ा के विधायक इरफान अंसारी ने घटिया शब्द का उपयोग किया है. 

अगर हेमंत सोरेन के दिल में थोड़ा सा भी स्वाभिमान है, तो इरफान अंसारी को मंत्रिमंडल से हटा देना चाहिए. श्री मरांडी ने कहा कि सीता सोरेन के बारे में घटिया शब्द का प्रयोग करने के बाद भी हेमंत सोरेन चुप हैं और उन्हें मंत्रिमंडल से नहीं हटा रहे हैं, तो सोच सकते हैं कि उनसे झारखंड की मां बहनों की रक्षा कैसे हो सकती है. झारखंड की जनता इस बात को अच्छी तरह जान रही है.

रविंद्र राय को कार्यकारी अध्यक्ष बनाये जाने के पीछे उनकी नाराजगी दूर कर डैमेज कंट्रोल का प्रयास या और कुछ....


जानिए क्या कहा बाबूलाल मरांडी..?

झारखण्ड डेस्क 

पूर्व सांसद रविंद्र राय को भाजपा द्वारा झारखंड का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त करने की घोषणा के बाद से कई तरह की चर्चा शुरू हो गयी है. कुछ लोग डैमेज कंट्रोल का प्रयास बता रहे है तो कुछ लोग बाबूलाल मरांडी के कद छोटा करने की बात कर रहे हैं.

बाहरहाल उनकी नियुक्ति तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है। रविंद्र राय की नियुक्ति ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं और पिछले दिनों उनकी नाराजगी को लेकर चल रही चर्चा को और हवा दे दी है। 

चर्चा इसी बात की है कि क्या किसी नाराजगी के कारण रविंद्र कुमार राय की नियुक्ति हुई है? 2019 में बीजेपी ने रविंद्र राय को लोकसभा का टिकट नहीं दिया था तो उस वक्त भी उनकी नाराजगी सामने आई थी। वह झारखंड बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं। वह कोडरमा से बीजेपी के लोकसभा सांसद रहे हैं। रविंद्र राय ने बीच में बीजेपी छोड़ दी थी लेकिन बाद में वह मतभेद भुलाकर वापस बीजेपी में शामिल हो गए थे।

 उधर, बीजेपी ने अपने प्रत्याशियों की पहली सूची में बाबूलाल मरांडी को धनवार से टिकट दिया है. इस वक्त वह अपने चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं।

रविंद्र राय के बारे में ऐसी चर्चा थी कि वह गिरीडीह से टिकट मांग रहे थे। हालांकि नाराजगी के सवाल पर अब बाबूलाल मरांडी का जवाब आ गया है। मरांडी ने मीडिया से बातचीत में कहा, ''स्वाभाविक है कि अब हम खुद चुनाव लड़ रहे हैं और हमारा अपना व्यस्त कार्यक्रम है, ऐसे में हमारे पुराने साथी को केंद्र द्वारा मनोनीत किए जाने से बेहतर क्या हो सकता है। 

किसी तरह की नाराजगी का कोई सवाल ही नहीं है। यह कोई डैमेज कंट्रोल नहीं है। हम सभी मिलकर झारखंड में 51 से अधिक सीटें जीतेंगे।