*राम गोपाल के हत्यारोपी अब्दुल हमीद ने 14 साल पहले भी फैलाई थी दहशत...फिर भी कैसे मिला बंदूक का लाइसेंस*
बहराइच जिले के महराजगंज बाजार में 14 वर्ष पूर्व भी एक ही समुदाय में जमकर विवाद हुआ था। जिसमें हिंसा के मास्टर माइंड अब्दुल हमीद और बेटे मोहम्मद आलम पर वर्ष 2010 में बलवा फैलाने समेत अन्य धाराओं में केस दर्ज किया गया था। इसके बाद भी अब्दुल हमीद को बंदूक का लाइसेंस कैसे मिल गया, यह सवालों के घेरे में है। अब सवाल है कि अगर गंभीर धाराओं में केस दर्ज है तो लाइसेंस कैसे मिल गया।
हरदी थाना क्षेत्र के महराजगंज बाजार में 13 अक्टूबर को मूर्ति विसर्जन जुलूस के दौरान पथराव हो गया था। इसके बाद लाइसेंसी बंदूक से अब्दुल हमीद और बेटे मोहम्मद आलम उर्फ पिंटू पर रामगांव थाना क्षेत्र के रेहुआ मंसूर गांव निवासी राम गोपाल मिश्रा की गोली मारकर हत्या करने का आरोप है। पुलिस ने केस दर्ज दोनों को जेल भेज दिया है। लेकिन अब इस मामले में नया खुलासा हुआ है। अब्दुल हमीद और उनके बेटे पहले से ही दंगाई रहे हैं।
वर्ष 2010 में महराजगंज निवासी अब्दुल हमीद और मोहम्मद इकरार के बीच जमीनी विवाद को लेकर विवाद हुआ था। जिसमें एक व्यक्ति पर प्राणघातक हमला करने, बलवा फैलाने समेत सात धाराओं में केस दर्ज है। जिसका ट्रायल कोर्ट में चल रहा है। इसके बाद भी पुलिस ने मामले को संजीदगी से नहीं लिया। जिसके चलते पिता पुत्र ने 14 वर्ष बाद पुनः घटना को अंजाम दे दिया। जबकि दोनों वर्ष 2010 के कृत्य में नामजद हैं। मालूम हो कि घटना के वादी मोहम्मद इकरार द्वारा कोर्ट में पैरवी नहीं की जा रही है। वरना अब तक सभी को सजा हो जाती।
तो बच जाती जान
गांव के लोगों का कहना है कि वर्ष 2010 में विवाद में अब्दुल हमीद और मोहम्मद आलम के विरुद्ध गंभीर धाराओं में केस दर्ज होने के बाद भी उनके नाम से बंदूक का लाइसेंस कैसे जारी हो गया। अगर लाइसेंस जारी न होता तो शायद वह गोली न मारते और राम गोपाल की जान बच जाती।
मामले की नहीं है जानकारी
हरदी थाना क्षेत्र के महराजगंज बाजार में वर्ष 2010 में 13 अक्टूबर के हिंसा के मास्टर माइंड अब्दुल हमीद और मोहम्मद आलम पर केस दर्ज होने की जानकारी अब हुई है। गंभीर धाराओं में केस दर्ज होने के बाद भी बंदूक का लाइसेंस कैसे जारी हो गया, यह जांच के बाद ही पता चलेगा।
Oct 26 2024, 19:00