पार्किंग के नाम पर लूट घसोट में शामिल हैं जिम्मेदार हुक्मरान
श्रीप्रकाश यादव
चंदौली / वाराणसी l सरकार लाख कोशिश कर ले लेकिन अवैध अतिक्रमण अनैतिक धंधा बंद होने का नाम नहीं ले रहा आखिर इसके पीछे कारण क्या है वजह कई हो सकते हैं लेकिन जो दिखाई और सुनाई पड़ रहा है वह यह है कि जितने भी जिम्मेदार पद पर बैठे अधिकारी हैं उनकी उदासीनता और जेब गर्म करने की आदत ना बदली है ना बदल रही है जब तक सख्ती से कोई भी कानून का पालन नहीं किया जाएगा तब तक बदलाव लाना असंभव है ! नए कमिश्नर साहब ने आते ही शहर में डुगडुगी बजा दी की अतिक्रमा हटा दिया जाएगा ।
यदि नहीं हटा तो स्थानीय थानेदार जिम्मेदार होंगे और नपेंगे कितना पालन हुआ इस आदेश का क्या आप घर से बाहर सड़कों पर निकलते हैं तो आसपास बिना अतिक्रमण का कुछ नजर आता है ! आपका जवाब बिल्कुल होगा नहीं साहब चारों तरफ अतिक्रमण फैला हुआ है सड़के सकरी होती जा रही है अतिक्रमण की वजह से जाम के झाम से लोग परेशान हैं जहां हजारों टोटो को दरकिनार करते हुए नई व्यवस्था लागू किया गया वहीं कई परिवारों का भरम पोषण संबंधित समस्या बड़े पैमाने पर उत्पन्न हो गया ! दूसरी तरफ सिर्फ आदेश और कुछ नहीं चल रहा है वाराणसी के अलग-अलग इलाके जैसे सिगरा, लंका ,गोदौलिया ,गिरजाघर लक्सा मैदागिन किसी भी समय आप वहां से निकलेंगे तो आप जाम से दो-दो हाथ जरूर करेंगे तभी आप अपने गंतव्य की ओर आगे बढ़ सकते हैं ! बनारस रेलवे स्टेशन पर दस मिनट की पार्किंग का पचास रुपए लिया जा रहा है...
इसके तुरंत बाद सौ और फिर डेढ़ सौ रुपए चार्ज किया जा रहा है...
..... इतना चार्ज तो एयरपोर्ट पर नहीं लगता...
यह कहने की हिम्मत हम नहीं जुटा पा रहे हैं बल्कि बाहर से आए हुए सैलानी अपने सोशल मीडिया हैंडल पर लिखते हुए लोगों से गुहार लगा रहे हैं कहीं ना कहीं बनारस की छवि खराब की जा रही है क्योंकि जिस तरीके से प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र और धर्म आध्यात्मिक की नगरी है जहां लोग बड़े भाव से दर्शन पूजा पाठ के साथ घूमने का मन मिजाज बनकर आते हैं वही यह लूटने वाले लोग अपनी मनमानी कर बनारसीपन का मखौल उड़ा रहे हैं ! स्टे होम,लॉज गेस्ट हाउस होटल तो ऐसे संचालित हो रहे हैं जैसे पूछो जुगाड़ तंत्र से अपना काम चला रहे हैं लेकिन यह कितना उचित है यह विभाग जाने और विभागीय अधिकारी ..
एक सज्जन अपने फेसबुक बल पर लिखते हैं की ...
पार्किंग के कर्मचारी पहले से रसीद लिए रहते हैं और उसमें कुछ भी समय दर्ज़ रहता है...
पूछ लो तो मारपीट पर उतर आते हैं... हुज्जत करते हैं... वहां एक बोर्ड भी टंगा है जिस पर दिन भर की पार्किंग का चार्ज तीस रुपए लिखा है वो भी जीएसटी के साथ... पूछा तो बताया गया की वो कई साल पुराना है...
बनारस स्टेशन कोई इतना पुराना तो है नहीं...
इस लूट में जीआरपी मंडुवाडीह, आरपीएफ और सिविल पुलिस की हिस्सेदारी होने की बात कही जा रही है... चूंकि सब एक साथ बैठे रहते हैं इसलिए आरोप पुख्ता लगता है...
सवाल पूछते हैं उन्होंने कई जिम्मेदारों को उनके जिम्मेदारियां का भी एहसास दिलाया लेकिन क्या करेंगे सब योगी मोदी जी के नाम पर तो उनकी राजनीति का सिक्का चल ही रहा है बाकी उनके पास फीता काटने और किसी भी संचालित हो रहे प्रोजेक्ट में हिस्सा लेने के अलावा बचा क्या है यदि नेताओं की कहानी की तफसीस की जाए तो पता चलेगा कि सामाजिक सरोकार और समाज के प्रति जवाब दे ही उनकी कितनी है और उन्होंने कितना किया है दोनों खुद एक दूसरे के पूरक होंगे सवाल भी स्वयं और जवाब भी स्वयं देंगे जितना मोदी जी के कार्यकाल में वाराणसी को हजारों करोड़ों रुपए की सौगात मिला है यदि स्थानीय नेता जागरूक और जैन सारोकार से जुड़कर काम के प्रति अपनी जिम्मेदारी तय करते तो निश्चित तौर पर काशी आज क्योटो बन चुका होता !
लेकिन आईना कौन दिखाएं योगी जी आते हैं तो ऐसे लोगों से घीरे हैं जो सिर्फ चापलूसी और उनको पसंद वाली चीज बातें बताते हैं जाहिर सी बात है पसंद ना पसंद का ख्याल रखोगे तो साथ बना रहेगा यदि सच बोलोगे तो दूरी बन जाएगी लेकिन काशी आज भी अपने खेवन हार की तलाश में मुंह बाए खड़ा है गली गली चौराहे पर बट रहे काशी रत्न में जैसे अवार्ड स्वीकार नहीं ! रत्न का शाब्दिक और आर्थिक अर्थ नहीं होता बल्कि सामाजिक रुतबा होता है जिसके एहसान और एहसास का अनुभव सिर्फ उसके कर्मों से लगाया जा सकता है यहां तो ₹200 में भी काशी रत्न में जैसा अवार्ड संस्थाओं द्वारा वितरित किया जा रहा है विषय गंभीर है इस संबंध में लिखने लगेंगे तो कई नाम और समस्या की तस्वीर उघेर दी जाएगी लेकिन फायदा सिर्फ इतना होगा कि चार लोग पढ़कर फिर दो दिन बाद इसको भुला देंगे आप सरसरी निगाह से देखिए जो समस्याएं हैं उनका इलाज और समाधान दोनों जिम्मेदार हुकमरान के पास है लेकिन मिलावट में दखल उनको पसंद नहीं क्योंकि सवाल जेब का है !
क्या इस मामले का सरोकार किसी सरकार, इलाकाई विधायक, तमाम राजनीतिक दलों, उनके पदाधिकारियों या जनप्रतिनिधियों से नहीं है..?
अगर है तो सब चुप क्यों हैं....?
लोग आएंगे सवाल पूछेंगे फिर अपने काम में व्यस्त हो जाएंगे लेकिन इनका काम तो साहब मौके पर छक्का लगाने का है अपना काम बनता भाड़ में जाए जनताl
Oct 25 2024, 15:30