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दिल्ली हाईकोर्ट ने पूछा: डीपफेक और एआई पर क्या कर रही है केंद्र सरकार?


नई दिल्ली:- दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि वो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और डीपफेक टेक्नोलॉजी पर नियंत्रण के लिए क्या कर रही? चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार को इस संबंध में तीन हफ्ते में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया.

मामले की अगली सुनवाई 21 नवंबर को होगी.

कोर्ट ने कहा कि डीपफेक के जरिए वीडियो बनाकर डाले जा रहे हैं, जिसका उपयोग लोगों के बारे में गलत सूचनाएं अपलोड करने के लिए किया जाता है. कोर्ट ने कहा कि डीपफेक का इस्तेमाल बढ़ गया है, ऐसे में इससे निपटने के लिए कारगर कदम उठाने की जरूरत है. केंद्र को इस बारे में गंभीरता से विचार करना होगा.

कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या कोई ऐसी कमेटी बनी है, जो इस मसले का हल करे. अगर केंद्र सरकार ने अभी तक कोई कमेटी नहीं बनाई है तो कोर्ट कमेटी का गठन करेगी. तब केंद्र की ओर से पेश एएसजी चेतन शर्मा ने कहा कि केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय इसे देख रहा है।

चेतन शर्मा ने कहा कि इस मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए सारी जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा सकती है. तब कोर्ट ने कहा कि कमेटी के बारे में सबकुछ मत बताइए लेकिन हम ये जानना चाहते हैं कि इस पर कोई कदम उठाया जा रहा है या नहीं. कोर्ट ने केंद्र को तीन हफ्ते में इस पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।

हाईकोर्ट ने 26 अगस्त को केंद्र से इस मामले पर कानून बनाने पर विचार करने का आग्रह किया था. कोर्ट ने कहा था कि यह एक वैश्विक समस्या है जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है. डीपफेक वीडियोज का उपयोग दवाओं की बिक्री या धोखाधड़ी के लिए किया जा रहा है. ऐसे वीडियोज में डिस्क्लेमर नहीं होता है. तब केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील ने कोर्ट से कहा था कि केंद्र सरकार के संबंधित अधिकारी इस मामले पर विचार कर रहे हैं.

हाईकोर्ट ने 4 दिसंबर 2023 को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. याचिका वकील चैतन्य रोहिल्ला ने दायर की है. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील मनोहर लाल ने डीपफेक और एआई का एक्सेस देने वाली वेबसाइटों को ब्लॉक करने की मांग की थी. उन्होंने कहा था कि डीपफेक और एआई टेक्नोलॉजी को नियंत्रित करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए जाएं. एआई टेक्नोलॉजी पर नियंत्रण संविधान के मुताबिक होने चाहिए।

एआई टेक्नोलॉजी की परिभाषा तय होनी चाहिए, क्योंकि डीपफेक जैसी टेक्नोलॉजी से किसी की छवि को खराब किया जा सकता है.सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि टेक्नोलॉजी का काफी महत्व है और यह कई मायने में सहयोग करता है. इसलिए टेक्नोलॉजी से निपटना आसान नहीं है. सभी पहलुओं पर गौर करते हुए संतुलन कायम करने की जरूरत है. 

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि एआई और डीपफेक टेक्नोलॉजी को लेकर केंद्र सरकार दिशा-निर्देश तैयार कर रही है. सरकार इसके दुष्परिणामों से वाकिफ है और वो निपटने की कार्ययोजना पर काम कर रही है।

बीएसएनएल की नई शुरुआत: लॉन्च हुआ नया लोगो और स्लोगन,लॉन्च की 7 नई सर्विस, मिलेगी बेहतर कनेक्टिविटी_


नई दिल्ली: भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) ने अपना नया लोगो(Logo) और स्लोगन लॉन्च कर दिया है. नया लोगो (Logo) भारत के हर कोने में सुरक्षित, किफ़ायती और विश्वसनीय कनेक्टिविटी प्रदान करने पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने का संकेत देता है. स्लोगन "कनेक्टिंग इंडिया" की जगह "कनेक्टिंग भारत" कर दिया गया है. लोगो को संचार और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री डॉ. पेम्मासनी चंद्रशेखर की मौजूदगी में केंद्रीय संचार और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने लॉन्च किया.

नए लोगो के साथ-साथ, बीएसएनएल ने भारत में कनेक्टिविटी, संचार और डिजिटल सुरक्षा में क्रांति लाने के उद्देश्य से सात अग्रणी पहलों की घोषणा की. ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने कहा कि, यह लॉन्च सेवा प्रदाता के लिए एक परिवर्तनकारी युग की शुरुआत है, जो सभी को निर्बाध, सार्वभौमिक, किफ़ायती और सुलभ कनेक्टिविटी प्रदान करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है। 

उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि बीएसएनएल की अपनी तरह की पहली सेवाओं की श्रृंखला सुरक्षित, किफ़ायती और विश्वसनीय दूरसंचार नेटवर्क प्रदान करने में एक गेम चेंजर साबित होगी.

भारत के पहले 5G कैप्टिव नेटवर्क से लेकर एक मजबूत इंट्रानेट फाइबर लाइव टीवी तक, यह नया "अवतार" बीएसएनएल को भारत में दूरसंचार नवाचार के मामले में सबसे आगे रखेगा, जो गर्व से कहेगा कि यह सब "मेड इन इंडिया, मेड फॉर इंडिया और मेड बाय इंडिया" है.लोगो के अलावा, बीएसएनएल ने सात नई पहल शुरू की हैं: स्पैम-फ्री नेटवर्क, नेशनल वाई-फाई रोमिंग, आईएफटीवी, एनी टाइम सिम (एटीएस) कियोस्क, डायरेक्ट-टू-डिवाइस सर्विस, पब्लिक प्रोटेक्शन एंड डिजास्टर रिलीफ, और फर्स्ट प्राइवेट 5जी इन माइंस, सभी को ग्राहकों के लिए एक सहज और सुरक्षित नेटवर्क प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.

बीएसएनएल ने आज अपना स्पैम-फ्री नेटवर्क लॉन्च किया, जिसके बारे में कंपनी का दावा है कि यह फ़िशिंग प्रयासों और दुर्भावनापूर्ण एसएमएस को स्वचालित रूप से फ़िल्टर करेगा, जिससे अलर्ट जारी किए बिना उपयोगकर्ताओं के लिए एक सुरक्षित संचार वातावरण तैयार होगा. यह सभी के लिए सहज और सुरक्षित संचार सुनिश्चित करता है.

इसके अतिरिक्त, बीएसएनएल ने अपने एफटीटीएच ग्राहकों के लिए अपनी तरह की पहली निर्बाध वाई-फाई रोमिंग सेवा शुरू की, जिससे बीएसएनएल हॉटस्पॉट पर बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के हाई-स्पीड इंटरनेट एक्सेस संभव हो गया, जिससे यूजर्स के लिए डेटा लागत कम हो गई. बीएसएनएल ने भारत की पहली फाइबर-आधारित इंट्रानेट टीवी सेवा आईएफटीवी भी लॉन्च की, जो अपने एफटीटीएच नेटवर्क के माध्यम से 500 से अधिक लाइव चैनल और पे टीवी पेश करती है. 

यह सेवा सभी बीएसएनएल एफटीटीएच ग्राहकों के लिए बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के उपलब्ध होगी, और टीवी देखने के लिए इस्तेमाल किया गया डेटा एफटीटीएच डेटा पैक में नहीं गिना जाएगा.

एनी टाइम सिम (एटीएस) कियोस्क के साथ, बीएसएनएल उपयोगकर्ताओं को 24/7 आधार पर सिम खरीदने, अपग्रेड करने, पोर्ट करने या बदलने की अनुमति देगा, जिससे निर्बाध केवाईसी एकीकरण और बहुभाषी पहुंच के साथ यूपीआई/क्यूआर-सक्षम भुगतान का लाभ उठाया जा सकेगा.

बीएसएनएल का पहला डायरेक्ट-टू-डिवाइस (डी2डी) कनेक्टिविटी समाधान उपग्रह और स्थलीय मोबाइल नेटवर्क को एकीकृत करता है ताकि निर्बाध, विश्वसनीय कनेक्टिविटी प्रदान की जा सके। यह अभूतपूर्व तकनीक विशेष रूप से आपातकालीन स्थितियों और अलग-थलग क्षेत्रों में उपयोगी है, जिससे ऐसे क्षेत्रों में यूपीआई भुगतान संभव हो पाता है।

सरकारी क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी की 'सार्वजनिक सुरक्षा और आपदा राहत' पहल आपदा प्रतिक्रिया के लिए एक सुरक्षित नेटवर्क प्रदान करती है, जो संकट के दौरान सरकार और राहत एजेंसियों के लिए भारत का पहला गारंटीकृत एन्क्रिप्टेड संचार प्रदान करती है, जिससे राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन क्षमताओं में वृद्धि होती है। मजबूत नेटवर्क डिजाइन निर्बाध कनेक्टिविटी की गारंटी देता है और आपदाओं के दौरान कवरेज बढ़ाने के लिए अभिनव ड्रोन-आधारित और बैलून-आधारित सिस्टम को शामिल करता है.

इसके अलावा, बीएसएनएल सी-डैक के साथ साझेदारी में खनन कार्यों के लिए विश्वसनीय, कम विलंबता वाली 5G कनेक्टिविटी शुरू कर रहा है, जिसमें मेड-इन-इंडिया उपकरण और बीएसएनएल की तकनीकी विशेषज्ञता का लाभ उठाया जा रहा है. यह सेवा भूमिगत खदानों और बड़े ओपनकास्ट संचालन में उन्नत एआई और आईओटी अनुप्रयोगों को सक्षम करेगी, जिसमें सुरक्षा विश्लेषण, एजीवी के वास्तविक समय के रिमोट कंट्रोल, एआर-सक्षम रिमोट रखरखाव, बेड़े की ट्रैकिंग और अनुकूलन के लिए उच्च गति, कम विलंबता कनेक्टिविटी की आवश्यकता होती है.

ये लॉन्च भारत के दूरसंचार परिदृश्य को बदलने के लिए बीएसएनएल की निरंतर प्रतिबद्धता का संकेत देते हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि सुरक्षित, सस्ती और विश्वसनीय कनेक्टिविटी सभी के लिए सुलभ बनी रहे।

जल प्रबंधन में उत्कृष्टता के लिए यूपी को मिला राष्ट्रीय जल अवार्ड,राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया सम्मानित

जल प्रबंधन और जल संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए उत्तर प्रदेश को राष्ट्रीय जल पुरस्कार से नवाजा गया है. ग्रामीण इलाकों में घर-घर तक नल कनेक्शन पहुंचाने के साथ जल संरक्षण और जल प्रबंधन के क्षेत्र में शानदार काम के लिए सर्वश्रेष्ठ राज्य की श्रेणी में उत्तर प्रदेश को देश में दूसरा स्थान मिला है.

नई दिल्ली के विज्ञान भवन में मंगलवार को आयोजित पांचवें राष्ट्रीय जल पुरस्कार कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश की ओर से नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति विभाग के अपर मुख्य सचिव अनुराग श्रीवास्तव और आवास आयुक्त डॉ. बलकार सिंह ने राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू से राष्ट्रीय जल पुरस्कार ग्रहण किया. 

सर्वश्रेष्ठ राज्य की श्रेणी में उड़ीसा को पहला और गुजरात एवं पुडुचेरी को संयुक्त रूप से तीसरा स्थान मिला.

इस मौके पर राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने हर घर तक नल से जल पहुंचाने की मुहिम में किए गए कार्यों और और जल संरक्षण की दिशा में किए गए अभिनव प्रयोगों की तारीफ की.

कार्यक्रम के दौरान केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने भी उत्तर प्रदेश द्वारा बुंदेलखंड और विन्ध्य क्षेत्र में घर-घर तक नल कनेक्शन पहुंचाने और जल संरक्षण की दिशा में किए गए कार्यों को सराहा.इस उपलब्धि के लिए मिला पुरस्कारः जल संरक्षण और जल प्रबंधन के साथ-साथ उत्तर प्रदेश ने 2023 में सबसे तेजी से राज्य के 17900 गांवों को हर घर नल से जल पहुंचाने का कीर्तिमान स्थापित किया था. 

2023 में डायरेक्टर ग्राउंड वॉटर और सचिव नमामि गंगे रहते हुए डॉ. बलकार सिंह ने जल संरक्षण और जल प्रबंधन के लिए कई अभिनव प्रयोग किए थे. जिसका लाभ जल प्रबंधन के साथ-साथ किसानों को सिंचाई में भी मिला. प्रदेश में सिंचाई की व्यवस्था बेहतर करने के लिए कुल 6000 से अधिक चेक डैम और 1000 तालाबों का निर्माण किया गया. इसके अलावा जल संरक्षण के लिए 31360 सरकारी भवनों पर रेन वॉटर हार्वेस्टिंग संरचनाओं का निर्माण किया गया. 

2022 से 2023 में 5 ब्लॉक अतिदोहित और क्रिटिकल श्रेणी से हटाए गए. साथ ही 34 शहरों के औसत भूजल स्तर में सुधार हुआ. प्रदेश में 27,368 पारंपरिक जल निकायों का पुनरोद्धार किया गया. 17279 अमृत सरोवरों का निर्माण कराया गया. यही वजह थी कि राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कार ग्रहण करने के लिए अपर मुख्य सचिव नमामि गंगे के साथ तत्कालीन डायरेक्टर ग्राउंड वॉटर, सचिव नमामि गंगे डॉ बलकार सिंह मौजूद थे.जल जीवन मिशन की हर घर जल योजना के तहत उत्तर प्रदेश 22 अक्टूबर, 2024 तक 2 करोड़ 27 लाख 77 हजार 194 ग्रामीण परिवारों तक नल कनेक्शन पहुंचा चुका है. जिससे 13.66 करोड़ ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल मुहैया हो रहा है। इससे पहले हाल ही में राज्य स्वच्छता एवं पेयजल मिशन को इंटरनेशनल ट्रेड शो में बेस्ट डिस्प्ले अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया था।

दिल्ली में पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध जारी, हाईकोर्ट का फैसला

नई दिल्ली:- दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली में पटाखों की बिक्री की अनुमति देने से साफ इनकार कर दिया है. जस्टिस संजीव नरुला की बेंच ने कहा कि दिल्ली में पहले से ही प्रदूषण काफी बढ़ा हुआ है, ऐसे में पटाखों की बिक्री की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

याचिका दिल्ली फायरवर्क्स शॉपकीपर्स एसोसिएशन ने दायर की थी. याचिकाकर्ता एसोसिशएन पटाखों की बिक्री और उन्हें स्टोर करने वाले स्थायी लाइसेंस धारक दुकानदारों का संगठन है।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि पटाखों के स्टोर करने की वजह से फायरवर्क्स शॉपकीपर्स को बेजवह परेशान किया जा रहा है. फायरवर्क्स शॉपकीपर्स पटाखे नहीं बेच रहे हैं लेकन पुलिस उनके परिसरों में आ रही है।

पुलिस स्टोर किए गए पटाखों के बारे में पूछताछ कर उन्हें परेशान कर रही है. तब कोर्ट ने कहा कि वे प्रशासन से कहेंगे कि जहां पटाखों को स्टोर कर रखा गया है उन्हें सील कर दिया जाए ताकि वहां से कोई कालाबाजारी नहीं हो. अगर पटाखों को स्टोर किया गया है तो उनकी बिक्री की भी संभावना है. हम किसी भी सूरत में पटाखों की बिक्री की अनुमति नहीं दे सकते हैं।

बता दें कि दिल्ली सरकार ने 14 सितंबर को दिल्ली में पटाखों की बिक्री और स्टोरेज पर रोक लगा दी थी. ये रोक 1 जनवरी 2025 तक लागू है. पटाखों की बिक्री और स्टोरेज पर रोक की घोषणा करते हुए दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय ने दिल्ली के निवासियों से सहयोग देने की अपील की थी. दिल्ली सरकार के इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी.

आज का इतिहास : आज ही के दिन भारत ने चंद्रमा के लिए भरी उड़ान,जाने 22 अक्टूबर से जुड़े महत्वपूर्ण घटनाएं

नयी दिल्ली : देश-दुनिया के इतिहास में 22 अक्टूबर की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। यह तारीख भारत की अंतरिक्ष में बड़ी उपलब्धि के खास है। दरअसल, 22 अक्टूबर, 2008 को भारत ने अपने पहले चंद्र मिशन चंद्रयान-1 का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया था। श्रीहरिकोटा में प्रक्षेपण स्थल पर कई दिन की बारिश और खराब मौसम के बाद आखिरकार भारत ने इस तारीख को चंद्रयान-1 के रूप में अपने पहले मानवरहित चंद्र अभियान को अमली जामा पहनाया।

1797ः फ्रांस सेना के आंद्रे-जैक्स गार्नेरिन ने सेना के लिए गुब्बारों के इस्तेमाल की हिमायत करते हुए एक विशाल गुब्बारा बनाया और करीब 3200 फुट की ऊंचाई से हवा में छलांग लगाकर पैराशूटिंग का प्रदर्शन किया।

1867ः नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ कोलंबिया की आधारशिला रखी गई।

1875ः अर्जेंटिना में पहले टेलीग्राफिक कनेक्शन की शुरुआत।

1879ः ब्रिटिश शासन के खिलाफ पहला राजद्रोह का मुकदमा बसुदेव बलवानी फड़के के खिलाफ।

1883ः न्यूयॉर्क में ओपेरा हाउस का उद्घाटन हुआ।

1963: भारत की सबसे बड़ी बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना भाखड़ा नांगल राष्ट्र को समर्पित।

1964ः फ्रांसीसी दार्शनिक और लेखक ज्यां पाल सार्त्र ने नोबेल पुरस्कार ठुकराया।

1966ः ब्रिटेन के कुख्यात डबल एजेंटों में शुमार जार्ज ब्लेक जेल से फरार। माना जाता है कि उसके जेल से भागने की योजना सोवियत संघ ने बनाई थी।

1975ःवीनस-9 अंतरिक्षयान का शुक्र ग्रह पर अवतरण।

1975ः तुर्किये के राजनयिक की वियना में गोली मारकर हत्या।

2004ः सीका सम्मेलन में सदस्य देशों ने आतंकवाद से मिलकर निपटने का संकल्प व्यक्त किया।

2006ः अफगानिस्तान में अधिक नशीली दवाएं जब्त की गईं।

2007ः चीन के तत्कालीन राष्ट्रपति हू जिंताओ ने लगातार दूसरी बार सत्तारूढ़ कम्यूनिस्ट पार्टी की कमान संभाली।

2008: भारत ने अपना पहला मानवरहित चंद्र अभियान शुरू किया और चंद्रयान-1 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया।

2010ः विकिलीक्स ने इराक और अफगानिस्तान युद्ध से जुड़े हजारों गोपनीय अमेरिकी दस्तावेज सार्वजनिक किए।

2014ः माइकल जेहाफ बिडायु ने ओटावा में कनाडा के संसद पर हमला किया।

2016ः भारत ने कबड्डी विश्वकप जीता।

जन्म

1873ः वेदों के ज्ञाता स्वामी रामतीर्थ।

1900: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे जांबाज क्रांतिकारी अशफाकुल्लाह खान।

1947ः मशहूर कवि अदम गोंडवी।

1937ः अभिनेता कादर खान

निधन

1680ः मेवाड़ के राणा राज सिंह।

हालांकि इसी वर्ष जून में उन्होंने मुगलों की घुसपैठ का बहादुरी से जवाब दिया था।

1933ः सरदार पटेल के बड़े भाई एवं प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी विट्ठलभाई पटेल।

महत्वपूर्ण दिवस

-स्वामी रामतीर्थ जयंती।

-क्रांतिकारी अशफाकुल्लाह खान की जयंती।

-स्वतंत्रता सेनानी विट्ठलभाई पटेल की पुण्यतिथि।

मौत के 47 दिन बाद आया परीक्षा परिणाम,दो- दो सरकारी नौकरी में पास,परिजन के आंखे हुई नम

नौकरी के लिए हर युवा दिन रात मेहनत कर रहे हैं। लेकिन सफलता हर किसी के हाथ नहीं लगती है। अभी हाल ही में हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने ग्रुप सी और डी की भर्ती परीक्षा का परिणाम घोषित किया था। इसमें नारनौल के एक युवक की करीब सवा माह पहले हार्ट अटैक से मौत हो गई। लेकिन परीक्षा परिणाम में वह एक नहीं दो-दो परीक्षाओं में सफल हो गया। 

जब मोबाइल पर दो-दो सरकारी नौकरियों में चयन का मैसेज आया तो परिजनों की आंखें भी नम हो गईं। हम बात कर रहे हैं नारनौल के मुकेश की। मुकेश की परिणाम आने से 47 दिन पहले ही ह्रदय गति रुकने से मौत हो गई थी। मुकेश का ग्रुप सी में चयन पटवारी के लिए हुआ था। मुकेश पढ़ाई में होशियार था, उसने रोहतक के वैष्णव कॉलेज से बीटेक की पढ़ाई की थी। 

मुकेश सरकारी नौकरी के लिए घर पर ही तैयारी करता था। वह कभी किसी कोचिंग सेंटर में नहीं गया था। बता दें कि ग्रुप सी और डी में चयन से पहले मुकेश का लोको पायलट में चयन हुआ था। लेकिन उस समय भी उसने नौकरी ज्वाइन नहीं की थी। अब जब दो-दो नौकरियों में पास होने का मैसेज आया तो वह इस संसार में नहीं रहा।

परिणाम आया उस दिन मुकेश का था जन्मदिन

परीक्षा परिणाम आने से 47 दिन पहले मुकेश की मौत हो गई थी। जब परिणाम आया तो उस दिन उसका जन्मदिन था। मुकेश का परिवार नारनौल के मोती नगर में रहता है। उनके पिता व्यवसायी हैं। परिवार को नहीं पता था कि मुकेश ने कब फॉर्म भरा था। जब वह परीक्षा देने गया, तब जाकर परिवार को पता चला कि उसने नौकरी का फॉर्म भरा है।

दिल्ली के फेमस फूड छोले भटूरे के शौकीन अब मथुरा में भी ले दिल्ली के छोले भटूरे का स्वाद,नंदास छोले भटूरे में खाएं में मिलेगा दिल्ली जैसा स्वाद

अगर आप छोले भटूरे खाने के शौकीन हैं और आप छोला भटूरा भटूरा दिल्ली का खाना चाहते हैं, तो मथुरा में आपको दिल्ली जैसा स्वाद यहां मिलेगा. यह दुकान कहां स्थित है और कितने रुपए प्लेट छोले भटूरे की दी जाती है. दुकान खुलने का क्या समय है, वह सब आपको बताएंगे.

नंदास छोले भटूरे के नाम से प्रसिद्ध है दुकान

दिल्ली के छोले भटूरे का नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है. दिल्ली छोले भटूरे खाने के लिए अब आपको नहीं जाना पड़ेगा, क्योंकि मथुरा में दिल्ली जैसा स्वाद छोले भटूरे का खाने को आपको मिल जाएगा. हर दिन दर्जनों प्लेट यहां चंद घंटे में छोले भटूरे की प्लेट बेच दी जाती है. छोले भटूरे खाने वालों का यहां जमघट लगा रहता है.

दुकानदार ने बताया

नंदास छोले भटूरे दुकानदार राघव अग्रवाल ने दुकान के बारे में जानकारी देते हुए लोकल18 को बताया कि 6 महीने दुकान को शुरू किये हुए हैं. नंदास छोले भटूरे के नाम से दुकान संचालित है. उन्होंने यह भी बताया कि उन लोगों की दिल्ली पैटर्न पर छोले भटूरे बनाते हैं. दिल्ली जैसा ही स्वाद आपको मथुरा में मिलेगा.

जानें कब-कब खुलती है दुकान

राघव ने यह भी बताया कि दुकान दोपहर 12:00 बजे से और रात 10:00 बजे तक खुली रहती है. यहां लोग आकर छोले भटूरे का आनंद लेते हैं. अगर कोई व्यक्ति छोले भटूरे खाने आना चाहता है, तो वह गोवर्धन चौराहे पर आकर नंदास छोले भटूरे के नाम से दुकान स्थित है, उस पर आ सकता है. दुकान स्वामी ने यह भी बताया कि छोले भटूरे की एक प्लेट की कीमत 80 रखी गई है. यहां आपको पनीर के भटूरे के साथ-साथ अचार और भी अन्य सामान थाली में दिया जाता है.

पैकिंग का देना होता है अतिरिक्त चार्ज

दुकानदार राघव अग्रवाल ने यह भी बताया कि यहां आपको अच्छी क्वालिटी के छोले भटूरे खाने को मिलेंगे. कोई भी व्यक्ति अगर पैकिंग करा कर ले जाना चाहता है, तो उसका अतिरिक्त चार्ज पैकिंग का देना होता है. जहां 10 रुपए प्रति पैकिंग के हिसाब से चार्ज लेते हैं. अगर जो व्यक्ति दुकान पर खाता है, तो उसे 80 रुपए प्लेट और पैकिंग करा कर ले जाता है, तो उसे 90 रुपए प्लेट के हिसाब से छोले भटूरे दिए जाते हैं।

दिल्ली हाईकोर्ट ने लॉ स्टूडेंट की आत्महत्या मामले में बीसीआई का स्टैंड मांगा


नयी दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में पांच वर्षीय एलएलबी डिग्री पाठ्यक्रमों के लिए उपस्थिति आवश्यकताओं के संबंध में बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) की कानूनी शिक्षा समिति से उसके स्टैंड के बारे में पूछा है।

जस्टिस प्रतिभा एम सिंह और जस्टिस अमित शर्मा की खंडपीठ ने बीसीआई की कानूनी शिक्षा समिति को अपनी स्थिति को अंतिम रूप देने के लिए एक वर्चुअल बैठक आयोजित करने को कहा और निर्देश दिया कि दो सप्ताह के भीतर एक हलफनामा दायर किया जाए।

पीठ 2016 में दिल्ली के एमिटी लॉ स्कूल के छात्र सुशांत रोहिल्ला की आत्महत्या से संबंधित एक स्वतः संज्ञान मामले की सुनवाई कर रही थी। उनके दोस्त ने उस वर्ष अगस्त में तत्कालीन सीजेआई को एक पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि रोहिल्ला को कम उपस्थिति के कारण कॉलेज और कुछ संकाय सदस्यों द्वारा परेशान किया गया था।

पत्र के अनुसार, रोहिल्ला को एक पूरे शैक्षणिक वर्ष को दोबारा पढ़ने के लिए मजबूर किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने तब मित्र द्वारा दायर पत्र याचिका का संज्ञान लिया था, और अंततः 6 मार्च, 2017 के अपने आदेश में मामले को हाईकोर्ट को स्थानांतरित कर दिया था, जो इस मामले की सुनवाई कर रहा है।

14 अक्टूबर को पारित अपने आदेश में, पीठ ने दर्ज किया कि बीसीआई के वकील ने वकीलों के निकाय की कानूनी शिक्षा समिति के गठन और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों की उपस्थिति आवश्यकताओं से संबंधित एक दस्तावेज रिकॉर्ड पर रखा था।

कोर्ट ने कहा,

“वर्तमान मामला एलएलबी डिग्री (पांच वर्षीय पाठ्यक्रम) के लिए निर्धारित उपस्थिति आवश्यकताओं से संबंधित है, जिसे बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा निर्धारित किया गया है। तदनुसार, बार काउंसिल ऑफ इंडिया की कानूनी शिक्षा समिति को एक बैठक आयोजित करने दें और उपस्थिति के लिए प्रचलित आवश्यकताओं और 9 सितंबर, 2024 के आदेश के पैराग्राफ 32 (बी) में निर्धारित कारकों पर विचार करने के बाद उपस्थिति आवश्यकताओं के संबंध में न्यायालय के समक्ष अपना पक्ष रखने दें”।

केंद्र सरकार द्वारा पीठ को सूचित किया गया कि उसके पिछले आदेश के अनुसरण में, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने 19 सितंबर को एक पत्र लिखकर सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को यूजीसी (छात्रों की शिकायतों का निवारण) विनियम, 2023 के अनुसार छात्र शिकायत निवारण समितियों का गठन करने के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया था।

हालांकि, पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तुत संक्षिप्त नोट में यूजीसी और एआईसीटीई के साथ-साथ मामले में सभी वैधानिक परिषदों या निकायों के साथ 07 अक्टूबर को आयोजित परामर्श बैठक के परिणाम को शामिल नहीं किया गया है।

पीठ ने कहा, “उच्च शिक्षा विभाग की ओर से एक उचित हलफनामा दायर किया जाए, जिसमें यूजीसी के सचिव द्वारा 19 सितंबर, 2024 को जारी किए गए पत्र की पूरी जानकारी दी जाए। उक्त सूची में वे सभी संस्थान भी शामिल होने चाहिए, जिनके जवाब प्राप्त हुए हैं”।

इसके अलावा, एमिटी लॉ स्कूल की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि रोहिल्ला के माता-पिता को समय-समय पर उसकी उपस्थिति की कमी के बारे में विधिवत सूचित किया गया था और इस प्रकार, संस्थान को उसकी मौत के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।

इसके बाद पीठ ने वकील से निर्देश प्राप्त करने को कहा कि क्या विश्वविद्यालय रोहिल्ला के परिवार को अनुग्रह राशि देने के लिए तैयार है।

इस मामले में न्याय मित्र के रूप में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन ने प्रस्तुत किया कि विभिन्न संस्थानों में हाल ही में आत्महत्या की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हुई हैं। उन्होंने परामर्श के दायरे का विस्तार करने के लिए एक नोट रिकॉर्ड पर रखने की अनुमति मांगी।

अनुरोध को स्वीकार करते हुए, न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई 06 नवंबर को निर्धारित की।

पिछले महीने, पीठ ने सचिव, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय (उच्च शिक्षा से संबंधित) से कहा था कि वे इस बात पर चर्चा करने के लिए हितधारक परामर्श शुरू करें कि क्या स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में उपस्थिति मानदंडों को अनिवार्य बनाया जाना चाहिए।

21 अगस्त को, पीठ ने कहा था कि स्नातक या स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में अनिवार्य उपस्थिति मानदंडों पर पुनर्विचार करने की तत्काल आवश्यकता है।

कोर्ट ने कहा था कि यह विभिन्न कारकों का अध्ययन करने और उपस्थिति आवश्यकताओं के संबंध में स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिए क्या समान अभ्यास विकसित किए जा सकते हैं, इस बारे में एक रिपोर्ट पेश करने के लिए एक समिति बनाने का इरादा रखता है।

आज का इतिहास: आज ही के दिन हुई थी ब्रिटिश ब्राॅडकास्टिंग कॉरपोरेशन की स्थापना


नयी दिल्ली : 18 अक्टूबर का इतिहास महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि 1973 में आज ही के दिन अमेरिका के मशहूर अर्थशास्त्री वैसिली लिओन्टीफ को अर्थव्यवस्था का नोबेल पुरस्कार दिया गया था। 

1976 में 18 अक्टूबर को ही विलियम एन लिप्सकोंब जूनियर को रसायन का नोबेल पुरस्कार दिया गया था।

2008 में आज ही के दिन उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने रायबरेली की रेल कोच फैक्ट्री के लिए 189.25 करोड़ एकड़ भूमि रेल मंत्रालय को वापस की थी।

2007 में 18 अक्टूबर को ही आठ वर्ष के बाद बेनजीर भुट्टो अपने देश पाकिस्तान लौटीं थीं।

2005 में आज ही के दिन पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ़ ने नियंत्रण रेखा को भूकंप राहत कार्य के लिए खोलने का सुझाव दिया था।

2004 में 18 अक्टूबर को ही कुख्यात चंदन तस्कर वीरप्पन को मारा गया था।

2000 में आज ही के दिन श्रीलंका में पहली बार विपक्षी सदस्य अनुरा भंडारनायके को संसद अध्यक्ष बनाने की सहमति हुई थी।

1998 में 18 अक्टूबर को ही भारत और पाकिस्तान आणविक खतरे रोकने के लिए सहमत हुए थे।

1980 में आज ही के दिन पहली हिमालय कार रैली काे मुंबई के ब्रेबोर्न स्टेडियम से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया था।

1976 में 18 अक्टूबर के दिन विलियम एन लिप्सकोंब जूनियर को रसायन का नोबेल पुरस्कार दिया गया था।

1973 में आज ही के दिन अमेरिका के मशहूर अर्थशास्त्री वैसिली लिओन्टीफ को अर्थव्यवस्था का नोबेल पुरस्कार दिया गया था।

1972 में 18 अक्टूबर को ही पहले बहुद्देशीय हेलिकाॅप्टर एस ए 315 का बैंगलोर में परीक्षण हुआ था।

1954 में आज ही के दिन टेक्सास इंस्ट्रूमेंट्स कंपनी ने पहले ट्रांजिस्टर रेडियो की घोषणा की थी।

1922 में 18 अक्टूबर को ही ब्रिटिश ब्राॅडकास्टिंग कॉरपोरेशन की स्थापना हुई थी।

1900 में आज ही के दिन काउंट बर्नार्ड वॉन बुलो जर्मनी के चांसलर बने थे।

1878 में 18 अक्टूबर के दिन ही थॉमस एल्वा एडीसन ने घरेलू उपयोग के लिए बिजली उपलब्ध कराई थी।

1572 में आज ही के दिन स्पेन की सेना ने मास्ट्रिच पर हमला कर दिया था।

18 अक्टूबर को जन्मे प्रसिद्ध व्यक्ति

1950 में 18 अक्टूबर को ही हिंदी फिल्मों के प्रसिद्ध अभिनेता ओम पुरी का जन्म हुआ था।

1925 में आज ही के दिन उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी का जन्म हुआ था।

18 अक्टूबर को हुए निधन

1996 में आज ही के दिन भारत के प्रमुख क्रांतिकारियों में से एक रामकृष्ण खत्री का निधन हुआ था।

1976 में 18 अक्टूबर के दिन ही प्रसिद्ध तेलुगू साहित्यकार विश्वनाथ सत्यनारायण का निधन हुआ था।

गुड न्यूज़ : बीसीआई ने शहरी क्षेत्रों में जूनियर अधिवक्ताओं के लिए ₹20,000 ग्रामीण समकक्षों के लिए ₹15,000 वजीफा देने की सिफारिश की

नयी दिल्ली : नवोदित कानूनी पेशेवरों पर वित्तीय दबाव को कम करने के उद्देश्य से एक निर्णायक कदम उठाते हुए, बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने जूनियर अधिवक्ताओं के लिए एक संरचित वजीफा कार्यक्रम का प्रस्ताव पेश किया है। यह पहल कानूनी क्षेत्र में अपना करियर शुरू करने वाले, वरिष्ठ अधिवक्ताओं, कानूनी फर्मों और स्वतंत्र चिकित्सकों के अधीन काम करने वाले लोगों का समर्थन करने के लिए बनाई गई है।

दिल्ली हाईकोर्ट के 29 जुलाई के निर्देश के जवाब में सामने आए इस प्रस्ताव की उत्पत्ति अधिवक्ता सिमरन कुमारी द्वारा नए वकीलों के सामने आने वाली आर्थिक कठिनाइयों के बारे में बताई गई चिंताओं से हुई है। इसके अतिरिक्त, इस तरह के वित्तीय समर्थन के लिए एक मिसाल पहले मद्रास हाईकोर्ट द्वारा दी गई थी, जिसमें जूनियर वकीलों के लिए ₹15,000 से ₹20,000 के मासिक वजीफे की वकालत की गई थी। 

बीसीआई के दिशा-निर्देशों में शहरी क्षेत्रों में जूनियर अधिवक्ताओं के लिए 20,000 रुपये प्रति माह वजीफा देने की सिफारिश की गई है, जबकि शांत ग्रामीण क्षेत्रों में उनके समकक्षों को 15,000 रुपये मिलेंगे। 

यह वित्तीय सहायता जूनियर अधिवक्ता की पेशेवर भागीदारी की शुरुआत से कम से कम तीन साल तक जारी रखने की सलाह दी जाती है।

हालांकि, दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि ये भुगतान अनिवार्य के बजाय अनुशंसित हैं, यह स्वीकार करते हुए कि कम लाभ वाले बाजारों में वरिष्ठ अधिवक्ता और छोटी फर्म इन शर्तों के साथ संघर्ष कर सकती हैं। 

बीसीआई का परिपत्र, जिसे सभी राज्य बार काउंसिल और एसोसिएशनों को भेजा गया

है, जूनियर अधिवक्ताओं को न केवल वित्तीय रूप से बल्कि मेंटरशिप के माध्यम से भी समर्थन देने के महत्व पर जोर देता है। इसमें कोर्टरूम अवलोकन, कानूनी शोध और केस रणनीति जैसे व्यावहारिक प्रशिक्षण अवसर शामिल होने चाहिए। 

बीसीआई जूनियर और उनके वरिष्ठ समकक्षों के बीच औपचारिक समझौतों को प्रोत्साहित कर रहा है ताकि भागीदारी की शर्तों को स्पष्ट रूप से रेखांकित किया जा सके, जिसमें वजीफा विवरण और समर्थन की अवधि शामिल है। 

इन समझौतों के साथ-साथ सावधानीपूर्वक रिकॉर्ड रखने की व्यवस्था भी की जानी है, तथा तथा वार्षिक रिपोर्ट राज्य बार काउंसिल को प्रस्तुत की जानी है। 

वजीफा भुगतान या अपनी नियुक्ति के अन्य पहलुओं से संबंधित समस्याओं का सामना कर रहे जूनियर अधिवक्ताओं के लिए, बीसीआई उनके राज्य बार काउंसिल के समक्ष शिकायत दर्ज करने का एक माध्यम प्रदान करता है। 

हालांकि, काउंसिल वित्तीय बाधाओं को ध्यान में रखते हुए शिकायतों पर विचार करेगी, जो कुछ वरिष्ठ अधिवक्ताओं की भुगतान करने की क्षमता को प्रभावित कर सकती हैं। 

वजीफा कार्यक्रम की प्रभावशीलता और अनुकूलनशीलता सुनिश्चित करने के लिए, बीसीआई एक समिति स्थापित करने की योजना बना रही है, जिसका कार्य समय-समय पर इन दिशानिर्देशों की समीक्षा करना और आर्थिक रुझानों और हितधारकों से प्राप्त फीडबैक को दर्शाने के लिए वजीफा राशि को समायोजित करना है।