*हमें जाति,धर्म,वर्ग,क्षेत्र की भावनाओं को गौण मान राष्ट्र को सर्वोपरि रखना चाहिए - डॉ संतोष अंश*
सुलतानपुर,राणा प्रताप पी जी कॉलेज के शिक्षाशास्त्र विभाग में ' राष्ट्रीय एकीकरण में शिक्षा की भूमिका' विषय पर विद्यार्थी संगोष्ठी का आयोजन किया गया। शिक्षाशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ शिल्पी सिंह ने संगोष्ठी में विषय रखते हुए कहा कि व्यक्ति राष्ट्र के लिए है राष्ट्र व्यक्ति के लिए नहीं इस दृष्टि से प्रत्येक व्यक्ति अपने राष्ट्र का अभिन्न अंग होता है। राष्ट्र से अलग होकर उसका कोई अस्तित्व नहीं होता है। अत: प्रत्येक व्यक्ति का कर्त्तव्य है कि वह राष्ट्र की दृढ़ता तथा अखंडता को बनाये रखने में पूर्ण सहयोग प्रदान करे एवं राष्ट्र को शक्तिशाली बनाने के लिए राष्ट्रीयता की भावना परम आवश्यक है। वस्तुस्थिति यह है कि राष्ट्रीयता एक ऐसा भाव अथवा शक्ति है जो व्यक्तियों को अपने व्यक्तिगत हितो को त्याग कर राष्ट्र कल्याण के लिए प्रेरित करती है। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए डॉ संतोष अंश ने कहा कि राष्ट्रीयता शब्द की प्रसिद्धि पुनर्जागरण तथा विशेष रूप से फ़्रांस की क्रांति के पश्चात हुई है। यह साधारण रूप से देश-प्रेम की अपेक्षा देश-भक्ति से अधिक क्षेत्र की ओर संकेत करती है। राष्ट्रीयता में स्थान के सम्बन्ध के अतिरिक्त प्रजाति, भाषा तथा संस्कृति एवं परमपराओं के भी सम्बन्ध आ जाते हैं। हमें जाति , धर्म, वर्ग, क्षेत्र की भावनाओं का गौण मान राष्ट्र को सर्वोपरि रखना चाहिए। भावात्मक एकता राष्ट्रीय एकीकरण का प्रथम सूत्र है। इस विद्यार्थी संगोष्ठी में सानिया बानो, सानिया, श्रेया दुबे, शीबा बानो, मौसमी , साहिल खान, काजल यादव ने अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर शिक्षाशास्त्र बी ए प्रथम सेमेस्टर के विद्यार्थी उपस्थित रहे। संगोष्ठी का संचालन श्रेया दुबे ने किया।
Oct 15 2024, 15:46