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हमीरपुर में अनोखा रावण दहन:14 साल से सौतन को झेल रही महिला ने अपने पति का किया पुतला दहन बोली रावण है मेरा पति इसलिए किया दहन


 

हमीरपुर:- विजयादशमी पर लोगों ने रावण का दहन किया, वहीं जिले में एक महिला ने अपने पति को रावण बताकर उसका पुतला जलाया. पति के साथ ही महिला ने अपने ससुरालीजनों की भी फोटो पुतलों पर लगाकर दहन किया. 

महिला का कहना था कि भगवान राम ने 14 वर्ष का वनवास काटा था, जबकि उसका पति पिछले 14 साल से दूसरी महिला के साथ रह रहा है. जिस तरह रावण पराई स्त्री को ले आया था, उसी तरह उसका पति भी दूसरे की पत्नी को घर ले आया है. इसीलिए वह रावण रूपी पति और ससुरालीजनों के पुतले का दहन कर रही है.

यह मामला हमीरपुर के मुस्करा थाना कस्बे का है. यहां की रहने वालीं प्रियंका ने बताया कि उरई उसका मायका है. वह अभी बाबा ससुर के मकान में रहती है. उसकी शादी 14 साल पहले हुई थी।

आरोप है कि उसका पति दूसरी महिला के साथ लिव इन रिलेशन में रहता है. कोर्ट से पति तलाक का मुकदमा हार चुका है. कोर्ट ने मुझे साथ रखने का आदेश दिया है, लेकिन पति कोर्ट के आदेश का भी पालन नहीं कर रहा है. पति अब भी उसी महिला के साथ रह रहा है. प्रियंका का आरोप है कि इसमें पति के परिवार वाले भी उसका ही साथ दे रहे हैं.

प्रियंका का कहना है कि उसका पति और ससुराल के लोग उसके लिए रावण के समान हैं. त्रेता युग में रावण पराई महिला को घर लेकर आया था और इस युग में उसके पति ने किसी और की पत्नी को घर में रखा हुआ है. ऐसे में पति को रावण का प्रतीक मानते हुए उसका दहन किया है।

ससुराल के लोगों की भी फोटो लगा कर पूरे परिवार का प्रतीकात्मक दहन कर दिया है. इसके पहले प्रियंका ने घर के पास एक छोटी सी झोपड़ी बनाई और उसमें पुतले-फोटो लगाकर आग लगा दी.प्रियंका ने पति और उसके परिजनों पर उसे संपत्ति से बेदखल करने का भी आरोप लगाया है. फिलहाल, महिला के अपने ही पति का पुतला बनाकर दहन करने का मामला चर्चा का विषय बना हुआ है।

गुजरात का अनोखा उत्सव:50 करोड़ के शुद्ध घी का अभिषेक,बहती है घी की नदिया

गुजरात : पल्ली जहां से भी गुजरी वहां घी की नदियां बहने का दृश्य निर्मित हो गया. गांव की परंपरा के अनुसार इस घी का उपयोग गांव के ही विशेष समुदाय के लोग करते हैं. इस समाज के लोग पल्ली से गुजरते ही बर्तनों में घी भर लेते हैं।कई श्रद्धालुओं द्वारा मन्नत पूरी करने के लिए घी चढ़ाया गया. पांडव काल से चली आ रही पल्ली की यह परंपरा आज भी कायम है।

असल में हर साल की तरह इस साल भी रूपाल गांव में घी की नदियां बहती नजर आईं. पल्ली की विशेषताओं में घी अभिषेक प्रमुख है. पल्ली में लाखों श्रद्धालुओं द्वारा लाखों लीटर घी चढ़ाया गया।

हजारों सालों से चली आ रही परंपरा के मुताबिक पल्ली आसु सूद नोम के दिन निकलती है. पांडवों के वनवास काल की कहानी से जुड़ी यह परंपरा आज भी कायम है. पल्ली पूरे गांव के 27 चौराहो पर होते हुए पुन: मंदिर पहुंचती है।

गांव के सभी चौराहों पर पल्ली पर घी का अभिषेक किया जाता है. हजारों श्रद्धालु पल्ली पर भी का अभिषेक कर अपनी मन्नत पूरी करते हैं. हालांकि इस बार माताजी के गोख में कबूतरों को देखकर श्रद्धालुओं में एक 

अलग ही खुशी देखने को मिली.

रखा जाता है।

क्या होता है पल्ली

 पल्ली एक प्रकार का लकड़ी का ढ़ांचा है जिसमें 5 ज्योत होती हैं, इस पर घी का अभिषेक किया जाता है। सामान्य तौर पर माता की ज्योत में घी अर्पण किया जाता है, लेकिन पल्ली उत्सव में जिस तरह घी का चढ़ावा चढ़ता है वो अनोखा है। नवरात्र के नवमी-दशमी की रात मां वरदायिनी की रथ यात्रा पूरे गांव में घूमती है। इस दौरान श्रद्धालु मां के दर्शन करते हैं और बाल्टियां और बैरल भर घी माता पर अर्पित करते हैं।

रूपाल गांव में 27 चौराहे हैं जहां बड़े-बड़े बर्तनों, बैरल में घी भरकर रखा जाता है,

जैसे ही पल्ली वहां आती है, लोग इस घी को माता की पल्ली पर अभिषेक करते हैं। अभिषेक करते ही ये घी नीचे जमीन पर गिर जाता है, जिसपर इस गांव के एक खास समुदाय का हक रहता है। इस समुदाय के लोग इस घी को इकट्ठा कर इसे पूरे साल इस्तमाल करते हैं।

कहा जाता है कि पांडव अपने अज्ञातवास के दौरान कुछ दिन इसी मंदिर में रुके थे।

पांडवों से जुड़ी है कहानी

रुपाल गांव की वरदायिनी माता की कहानी पांडवों से जुडी हुई है। कहा जाता है कि पांडव अपने अज्ञातवास में यहीं आकर रुके थे और अपने शस्त्र छुपाने के लिए उन्होंने वरदायिनी मां का आह्वान किया था। घी का अभिषेक करने पर वरदायिनी मां उत्पन्न हुईं और पांडवों को वरदान दिया था। 

पांडवों ने तब संकल्प किया था कि हर नवरात्रि की नवमी की रात को वरदायिनी माता के रथ को निकालकर उसे घी का अभिषेक करवायेंगे, तब से यह परंपरा चली आ रही है।

हरिद्वार के जेल में रामलीला का हो रहा था मंचन,वानर बने 2 कैदी सीता माता को ऐसा खोजने गए, अभी तक वापस नहीं लौटे,अब पुलिस कर रही तलाश


हरिद्वार : हरिद्वार की रोशनबाद जेल से दो कैदियों के फरार होने का मामला सामने आया है. खबर है कि ?वहां रामलीला का आयोजन किया गया था. जेल के कैदियों ने ही रामलीला में अलग-अलग किरदारों का रोल निभाया.इसी दौरान वानर बने दो कैदी मौका देखकर जेल की बाउंड्री फांदकर भाग निकले.

हर साल की तरह इस बार भी जेल में रामलीला का प्रोग्राम रखा गया. जेल प्रशासन के सारे कर्मचारी प्रोग्राम में लगे हुए थे. इस दौरान जेल में हाई सिक्योरिटी बैरक बनाने का काम भी चल रहा था. खबर है कि शुक्रवार रात सीता माता की खोज के बहाने दोनों कैदी दीवार फांदकर भाग गए. वहां मौजूद सीढ़ी के सहारे ही दोनों कैदी दीवार फांदकर भागे।

आज का इतिहास:2002 में आज ही के दिन अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के लिए एक भारतीय छात्र का चयन हुआ था


नयी दिल्ली : 13 अक्टूबर का इतिहास महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि 2002 में आज ही के दिन अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के लिए एक भारतीय स्टूडेंट्स का चयन हुआ था। 

2002 में 13 अक्टूबर के दिन ही जर्मनी ने स्वीडन को हराकर पहली बार विश्व कप फ़ुटबाल टूर्नामेंट जीता था।

2011 में आज ही के दिन होम मिनिस्ट्री के राजभाषा विभाग की सचिव वीणा उपाध्याय ने इस सिलसिले में सभी मंत्रालयों और विभागों को दिशा-निर्देश जारी किए थे।

2011 में 13 अक्टूबर के दिन ही दफ़्तरों में इस्तेमाल होने वाले हिंदी के कठिन शब्दों की जगह उर्दू, सामान्य हिंदी और अंग्रेज़ी के शब्दों का उपयोग करने के निर्देश दिए थे।

2005 में आज ही के दिन जर्मनी के प्रख्यात नाटककार हेराल्ड पिंटर को उसी साल का साहित्य का नोबल पुरस्कार देने की घोषणा की गई थी।

2002 में 13 अक्टूबर को ही नई दिल्ली में इंटरपोल सदस्य देशों के प्रतिनिधियों का सम्मेलन शुरू हुआ था।

2002 में आज ही के दिन पहली बार मानव को लेकर चीनी अंतरिक्ष यान लांग मार्च 2 एफ़ उड़ा था।

2002 में 13 अक्टूबर के दिन ही जर्मनी ने स्वीडन को हराकर पहली बार विश्व कप फ़ुटबाल टूर्नामेंट जीता था। 

2002 में आज ही के दिन अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के लिए एक भारतीय छात्र का चयन हुआ था।

1999 में 13 अक्टूबर के दिन ही कोलंबिया यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्री प्रो. राबर्ट मुंडेल को नोबेल पुरस्कार प्रदान करने की घोषणा था।

1999 में आज ही के दिन अटल बिहारी वाजपेयी तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री बने थे।

1988 में आज ही के दिन अमेरिका ने नेवाडा में न्यूक्लियर टेस्ट किया था।

1943 में 13 अक्टूबर को ही इटली ने जर्मनी के पूर्व मित्र राष्ट्रों के खिलाफ लड़ाई की घोषणा की थी।

1914 में आज ही के दिन गैरेट मोर्गन ने गैस मास्क की खोज की और उसका पेंटेट कराया था।

1773 में 13 अक्टूबर को ही चार्ल्स मेसीयर ने व्हर्लपूल गैलेक्सी की खोज की थी।

1760 में आज ही के दिन रूस और ऑस्ट्रिया की सेना जर्मनी की राजधानी बर्लिन से हटी थी।

13 अक्टूबर को जन्मे प्रसिद्ध व्यक्ति

1934 में आज ही के दिन ग्रीक गायिका और राजनीतिज्ञ- ऐननमस कूरी का जन्म हुआ था।

1925 में 13 अक्टूबर को ही युनाइटेड किंगडम की प्रधानमंत्री मार्ग्रेट थैचर का जन्म हुआ था।

1911 में आज ही के दिन ही भारतीय अभिनेता अशोक कुमार का जन्म हुआ था।

1895 में 13 अक्टूबर को ही भारत की क्रिकेट टीम के प्रथम टेस्ट कप्तान सीके नायडू का जन्म हुआ था।

1542 में आज ही के दिन मुगल बादशाह अकबर का सिंध के अमरकोट में जन्म हुआ था।

13 अक्टूबर को हुए निधन

1987 में 13 अक्टूबर को ही भारतीय गायक किशोर कुमार का निधन हुआ था।

2004 में आज ही के दिन प्रसिद्ध हिंदी फिल्म अभिनेत्री निरुपा रॉय का निधन हुआ था।

महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) नेता बाबा सिद्दीकी की मुंबई में गोली मारकर हत्या


महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) नेता बाबा सिद्दीकी की मुंबई में हमलावरों की गोली लगने से मौत हो गई। बाबा सिद्दीकी को तीन गोली लगी थी, जिसके बाद उन्हें लीलावती अस्पताल में भर्ती करवाया गया था।

सिद्दीकी के बेटे जीशान सिद्दीकी के दफ्तर बांद्रा खेरवाड़ी सिगनल के पास उनपर गोलीबारी हुई थी. लीलावती अस्पताल में उन्होंने दम तोड़ दिया.बांद्रा ईस्ट में बाबा सिद्दीकी पर फायरिंग की गई, जो कि निर्मल नगर पुलिस स्टेशन अंतर्गत की घटना बताई जा रही है।

घटना की सूचना मिलते ही मुंबई क्राइम ब्रांच की टीमें स्पॉट पर पहुंच गई हैं. वहीं इस मामले में दो शूटर्स को गिरफ्तार कर लिया गया है. शूटर्स ने सिद्दीकी पर छह राउंड फायरिंग की, जिसमें तीन गोलियां उन्हें लगीं.

वहीं बाबा सीद्दीकी की मौत की खबर के बाद बॉलीवुड नेता सलमान खान भी लीलावती अस्पताल पहुंच रहे हैं. बता दें कि सलमान खान और बाबा सीद्दीकी दोस्त रहे हैं।

बांग्लादेश में दुर्गा पूजा पंडाल पर क्रूड बम से हमला, भारत ने बांग्लादेश से मांगी सुरक्षा


नई दिल्ली: बांग्लादेश की राजधानी ढाका में दुर्गा पूजा पंडाल पर हमले और सतखीरा में जेशोरेश्वरी काली मंदिर में चोरी की घटना को भारत ने घृणित कृत्य करार दिया है. 

भारत ने हिंदू समुदाय के खिलाफ इन अमानवीय घटनाओं की निंदा करते हुए गंभीर चिंता जताई है. साथ ही बांग्लादेश सरकार से हिंदुओं समेत सभी अल्पसंख्यकों और उनके पूजा स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक बयान में कहा, "हमने ढाका के तांतीबाजार में पूजा मंडप पर हमले और सतखीरा में प्रतिष्ठित जेशोरेश्वरी काली मंदिर में चोरी की घटना को गंभीर चिंता जताई है. ये घटनाएं निंदनीय हैं. 

वे मंदिरों और देवताओं को अपवित्र करने और नुकसान पहुंचाने के सुनियोजित पैटर्न को दर्शाती हैं, जिसे हम पिछले कई दिनों से देख रहे हैं."हिंदुओं और सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का आह्वान करते हुए जायसवाल ने कहा, "हम बांग्लादेश सरकार से हिंदुओं और सभी अल्पसंख्यकों के साथ-साथ उनके पूजा स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह करते हैं, खास तौर पर इस पावन त्योहार के समय."

दुर्गा पूजा पंडाल पर 'क्रूड बम' फेंके गए

विदेश मंत्रालय का यह बयान पुराने ढाका के तांतीबाजार इलाके में एक दुर्गा पूजा पंडाल पर 'क्रूड बम' फेंके जाने की घटना के बाद आया है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बम फेंके जाने के बाद पंडाल में हल्की आग लग गई. हालांकि इस घटना में कोई घायल नहीं हुआ. 

रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने कांच की बोतल में पेट्रोल भरकर बनाया गया बम बरामद किया है.

स्थानीय लोगों के अनुसार, पूजा पंडाल के बगल की गली से कुछ युवकों ने बोतल फेंकी. जब स्वयंसेवक हमलावरों के पीछे भागे, तो उन पर चाकुओं से हमला कर दिया गया. हमले में कम से कम पांच लोग घायल हुए हैं.

पुलिस ने तीन लोगों को हिरासत में लिया

वहीं, पूजा पंडाल पर हमले के बाद ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस (डीएमपी) की डिटेक्टिव ब्रांच (डीबी) के अतिरिक्त आयुक्त रेजाउल करीम मलिक ने घटनास्थल का दौरा किया. पत्रकारों से बात करते हुए मलिक ने कहा कि हमला लूटपाट की घटना के इर्द-गिर्द हुआ. घटनास्थल से तीन लोगों को हिरासत में लिया गया है. आरोपियों से पूछताछ की जा रही है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और PM मोदी पहुंचे रामलीला मैदान, 7 बजे की गयी रावण दहन,और कई गण मान्य लोग पहुंचे

रिपोर्ट:ममता कुमारी

नई दिल्ली: देश भर में आज दशहरे की धूम है. वहीं राजधानी में रावण दहन भी बड़े धूमधाम से किया गया. रामलीलाओं में रावण दहन की गई. लालकिला मैदान पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंच चुके हैं. शाम करीब सात बजे रावण के पुतले का दहन किया गया.

श्री धार्मिक लीला कमेटी के महासचिव धीरजधर गुप्ता व सचिव प्रदीप शरण ने बताया कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने उनका न्यौता स्वीकार कर लिया था . उन्होंने विजय दशमी के दिन लालकिला मैदान स्थित माधवदास पार्क में आयोजित लीला में पहुंचे है. उनके आगमन को लेकर कमेटी ने कार्यक्रम स्थल पर पूरी तैयारी की थी.उधर कमेटी के प्रवक्ता रवि जैन ने बताया कि विजयदशमी के दिन देश के कई अन्य बड़े नेता भी उनके यहां पर राम-रावण युद्ध देखने के लिए आये . साथ ही कई देशों के राजदूत भी उनके रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतलों के दहन कार्यक्रम में शामिल हुए .

फिल्मी सितारों को भी न्योता: 

ऐतिहासिक लाल किले पर आयोजित होने वाली लव कुश रामलीला में इस बार दशहरा के अवसर पर रावण दहन के लिए फिल्मी हस्तियों को आमंत्रित किया गया था . रामलीला कमेटी के अध्यक्ष अर्जुन कुमार ने बताया कि कार्यक्रम में फिल्मी दुनिया के मशहूर अभिनेता अजय देवगन, जाने माने फिल्म डायरेक्टर रोहित शेट्टी व बॉलीवुड हीरोइन करीना कपूर ने भी आने की सहमति दी.

120 फीट तक के बनाए गए पुतले: 

उन्होंने यह भी बताया कि रामलीला स्थल लाल किला मैदान पर दशहरा पर्व के लिए 120-110-100 फीट हाइट के रावण, कुंभकरण, मेघनाद के पुतले लगाए गए हैं. जब रावण के पुतले पर तीर चलाया गया तो नाभी से अमृत गिरा , आंखे मटकी , आंखो से खून के आंसू टपके,हाथ में तलवारें घुमती नजर आयी , गले की मालाएं रंग- बिरंगी अलग अलग रंगों में नजर आयी और मुंह से हे राम, हे राम का उद्घोष करते हुए पुतले का दहन हुआ .

चौथा पुतला भी जलाया जाएगा: 

वहीं कार्यक्रम स्थल पर रावण, कुंभकरण, मेघनाद के पुतले के अलावा चौथा पुतला भी लगाया गया है, जो कि महिलाओं पर अत्याचार करने वालों का है. पिछले दिनों कोलकता में डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से हजारों लोगों को इलाज से वंचित होना पड़ा, सरकार से आग्रह है कि कड़े कानून लाए जाएं, जिससे महिलाएं सशक्त बन सकें. वहीं, नव श्री धार्मिक रामलीला कमेटी के प्रचार मंत्री राहुल शर्मा ने बताया कि इस विजयदशमी के अवसर पर रावण दहन करने के लिए कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को आमंत्रित किया गया था.कमिटी के सदस्यों ने 9 अक्टूबर को सोनिया गांधी से मुलाकात कर उन्हें आमंत्रण दिया था.

इस कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण:

 गौरतलब है कि द्वारका सेक्टर-10 स्थित रामलीला ग्राउंड में द्वारका श्री रामलीला सोसायटी द्वारा पिछले कई वर्षों से रामलीला का मंचन और रावण दहन किया जा रहा है, जिसमें भारी संख्या लोग रामलीला और रावण दहन देखने के लिए पहुंचते हैं. इस रामलीला में दो बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी आ चुके हैं. इस बार 211 फीट ऊंचा रावण का पुतला लोगों का ध्यान खींच रहा है.

नवश्री धार्मिक लीला कमेटी के पंडाल पहुंचे सोनिया-राहुल गांधी

लालकिला मैदान में श्री धार्मिक लीला कमेटी के यहां राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और देश के अन्य वरिष्ठ नेता भी शामिल हुए। सभी ने रामलीला का मंचन देखा और रावण दहन समारोह में भाग लिया। वहीं नवश्री धार्मिक लीला कमेटी के पंडाल में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी व राहुल गांधी पहुंचें और समारोह में भाग लिया।

आज का इतिहास:आज ही के दिन अमेरिकी संसद ने पारित किया था ऑनलाइन कॉपीराइट विधेयक


नयी दिल्ली : 12 अक्टूबर का इतिहास महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि 1964 में 12 अक्टूबर के दिन ही विश्व में पहली बार सोवियत संघ ने बिना स्पेस सूट पहनाए अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजा था।

1989 में आज ही के दिन अमेरिकी संसद ने यहां के ध्वज को नष्ट करने पर प्रतिबंध संबंधी विधेयक को मंजूरी दी थी।

2013 में आज ही के दिन फैलिन (चक्रवात) ने ओडिशा तट पर दस्तक दी थी।

2007 में 12 अक्टूबर को ही अमेरिका के पूर्व उपराष्ट्रपति अलगोर व संयुक्त राष्ट्र के अंतर्राष्ट्रीय पैनल (आईपीसीसी) को संयुक्त रूप से नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया था।

2005 में आज ही के दिन चीन ने अपना दूसरा अंतरिक्ष यान शेन्जू-6 2 अंतरिक्षयात्रियों के साथ पृथ्वी की कक्षा में भेजा था।

2004 में 12 अक्टूबर के दिन ही पाकिस्तान ने गौरी-1 मिसाइल का परीक्षण किया था।

2001 में आज ही के दिन संयुक्त राष्ट्र और उसके महासचिव कोफी अन्नान को संयुक्त रूप से नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा की गई थी।

2000 में 12 अक्टूबर के दिन ही अंतरिक्ष यान डिस्कवरी फ्लोरिडा से अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया था।

1998 में आज ही के दिन अमेरिकी संसद ने ऑनलाइन कॉपीराइट विधेयक को पारित किया था।

1992 में 12 अक्टूबर के दिन ही मिस्त्र की राजधानी काहिरा में भूकंप से लगभग 510 लोगों की मौत हो गई थी।

1989 में आज ही के दिन अमेरिकी संसद ने यहां के ध्वज को नष्ट करने पर प्रतिबंध संबंधी विधेयक को मंजूरी दी थी।

1968 में 12 अक्टूबर को ही ईक्वाटोरियल गिनी को स्पेन से स्वतंत्रता मिली थी और इसी दिन को देश का राष्ट्रीय दिवस घोषित किया गया था।

12 अक्टूबर को जन्मे प्रसिद्ध व्यक्ति

1980 में आज ही के दिन समाजशास्त्र किरण मिश्रा का जन्म हुआ था।

1938 में 12 अक्टूबर को ही प्रसिद्ध उर्दू शायर और गीतकार निदा फाजली का जन्म हुआ था।

1919 में आज ही के दिन भाजपा की लोकप्रिय नेता और ‘ग्वालियर की राजमाता’ विजियाराज सिंधिया जी का जन्म हुआ था।

1911 में 12 अक्टूबर के दिन ही भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी विजय मर्चेन्ट का जन्म हुआ था।

1908 में आज ही के दिन प्रसिद्ध वैज्ञानिक आत्माराम का जन्म हुआ था।

12 अक्टूबर को हुए निधन

1967 में आज ही के दिन भारतीय स्वतंत्रता सेनानी डा. राममनोहर लोहिया का निधन हुआ था।

बेंगलुरु में अनोखी चोरी कबूतर की मदद से शख्स ने 50 से अधिक फ्लैट में कर डाली चोरी, जानें कैसे दिया अंजाम

बेंगलुरु: मंजूनाथ नाम के इस शख्स को 'परिवाला मांजा' के नाम से भी जाना जाता है। पुलिस ने आखिरकार उसे गिरफ्तार कर लिया है। बेंगलुरु की यह घटना सोशल मीडिया पर काफी ज्यादा वायरल हो रही है। यूजर्स इस खबर को पढ़कर हैरान रह गए हैं।

बेंगलुरु में एक शख्स ने 50 से अधिक घरों में चोरी कर डाली। लेकिन उसका चोरी करने का तरीका इतना अलग है कि पूरी घटना के बारे में जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे। इस तरह का मामला आपने खुद ना पहले देखा होगा ना सुना होगा। 

दरअसल, 38 साल का मंजूनाथ उर्फ परिवाला मांजा चोरी करने के लिए हमेशा बंद घरों को ही निशाना बनाता था। वो कबूतरों की मदद से चोरी के लिए घर की पहचान करता था और घटना को अंजाम देता था।हसौर में रहने वाला मंजूनाथ उर्फ परिवाला मांजा बेंगलुरु के नागरथपेट का है।

अधिकारियों का कहना है कि शहर भर में 50 से अधिक चोरी के पीछे उसी का हाथ है। मंजूनाथ अपने यूनिक टेक्नीक की वजह से वो आज तक पकड़ा नहीं जा सका। मंजूनाथ चोरी के लिए रेकी के दौरान कबूतर को अपने साथ लेकर जाता था। वो मुख्य रूप से बहुमंजिला इमारतों को निशाना बनाता था। उसकी रणनीति बिल्कुल सिंपल थी।

कबूतर की मदद से चोरी

वो एक या दो कबूतर को बिल्डिंग के आसपास छोड़ देता था। कबूतर उड़कर बालकनी में जाकर बैठ जाते थे। मंजूनाथ फिर बिल्डिंग के कैंपस में घुस जाता था। अगर कोई उससे सवाल करने लगता था तो बताता था कि वो बस अपने कबूतर को पकड़ने की कोशिश कर रहा है। एक बार बंद घर का पता चलते ही मंजूनाथ लोहे की रॉड से दरवाजे को तोड़ देता था। इसी टूल की मदद से वो कपबोर्ड को भी तोड़ता था और चोरी करता था।

सोने-कैश पर नजर

वो मुख्य रूप से सोने के जेवर और कैश को चोरी करता था जिसे बाद में होसुर में जाकर बेच देता था। पहले भी मंजूनाथ कई बार गिरफ्तार हो चुका है लेकिन जेल से निकलते ही वो वापस अपराध का ही रास्ता चुन लेता था। अभी गिरफ्तार होने के बाद पुलिस ने सिटी मार्केट में और उल्सूर गेट में हुई चार चोरी की घटनाओं को सुलझाने में मदद मिली है।

दिनदहाड़े चोरी

पुलिस अधिकारी ने ये भी कहा कि मंजूनाथ अकेले इन घटनाओं को अंजाम देता था। दिन में जब काम की वजह से लोग व्यस्त रहते हैं तब वो रेकी कर चोरी करता था। उसकी गिरफ्तारी को पुलिस एक बड़ी सफलता के रूप में देख रही है और साथ ही उम्मीद की जा रही है और अधिक चोरी के सामान को रिकवर किया जा सकेगा।

दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन करने से भगवान शिव का मिलता है आशीर्वाद,धार्मिक और पौराणिक महत्त्व।

नयी दिल्ली : धर्मशास्त्रों के मुताबिक भगवान शंकर ही नीलकंठ हैं. इस पक्षी को पृथ्वी पर भगवान शिव का प्रतिनिधि और स्वरूप दोनों माना गया है. नीलकंठ पक्षी भगवान शिव का ही रुप है. भगवान शिव नीलकंठ पक्षी का रूप धारण कर धरती पर विचरण करते हैं. उड़ते हुए नीलकंठ पक्षी का दर्शन करना सौभाग्य का सूचक माना जाता है।

विजय दशमी के इस मंगल पर्व पर आइए जानते हैं नीलकंठ पक्षी दर्शन का महत्व, कथा और अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां. नीलकंठ दर्शन से बन जाते हैं सारे काम, दशहरे के दिन क्या है इस पक्षी का महत्व? जानिए यहां

नीलकंठ तुम नीले रहियो, दूध-भात का भोजन करियो, हमरी बात राम से कहियो... इन पंक्तियों के अनुसार नीलकंठ पक्षी को भगवान का प्रतिनिधि माना गया है. 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार नीलकंठ को भगवान शिव के प्रतीक के रूप में माना जाता है. ऐसा कहा गया है कि विजयादशमी यानी दशहरा के दिन अगर आपको यह नीलकंठ पक्षी नजर आ जाए तो आपके लिए यह काफी शुभ होता है. दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन से भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। 

नीलकंठ पक्षी को यह नाम उसके गले के नीले रंग की वजह से मिला था. भगवान शिव को भी नीलकंठ कहा जाता है क्योंकि समुद्र मंथन के दौरान जब देवताओं और दानवों ने अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र का मंथन किया था, तब उसमें से निकले विष को पीकर भगवान शिव ने संसार का कल्याण किया था. लेकिन विष भगवान के गले में ही रह गया था, जिससे उनका गला नीला है और नीले गले की वजह से वे नीलकंठ कहलाए. आइए जानते हैं आखिर दशहरा पर्व पर नीलकंठ पक्षी के दर्शन क्यों आपके भाग्य जगा सकते हैं?

क्यों शुभ माना गया है नीलकंठ पक्षी का दर्शन?

दशहरे के दिन नीलकंठ के दर्शन करना भी बहुत शुभ माना गया. क्योंकि मान्यताओं के अनुसार इस पक्षी को माता लक्ष्मी जी का ही एक स्वरूप माना गया है. लेकिन इस पक्षी का दर्शन इतनी आसानी से नहीं होता है, क्योंकि अन्य दिनों की तरह यह दशहरे के दिन भी बड़ी मुश्किल से दिखता है. एक जगह तो ये भी कहा गया है “नीलकंठ के दर्शन पाए, घर बैठे गंगा नहाए.” यदि आपको दशहरा पर नीलकंठ पक्षी के दर्शन हो जाते हैं तो आपका भाग्य चमक जाता है और आपको हर कार्य में सफलता मिलती है.

नीलकंठ को सुख समृद्धि, शांति, सौम्यता और सद्भाव का प्रतीक माना जाता है. दशहरे के दिन नीलकंठ के दर्शन होने से घर के धन-धान्य में वृद्धि होती है और फलदायी एवं शुभ कार्य घर में अनवरत् होते रहते हैं. सुबह से लेकर शाम तक किसी वक्त नीलकंठ दिख जाए तो वह देखने वाले के लिए शुभ होता है

नीलकंठ पक्षी के दर्शन पर इस मंत्र का जाप किया जाता है: कृत्वा नीराजनं राजा बालवृद्धयं यता बलम्, शोभनम खंजनं पश्येज्जलगोगोष्ठसंनिघौ। नीलग्रीव शुभग्रीव सर्वकामफलप्रद, पृथ्वियामवतीर्णोसि खञ्जरीट नमोस्तुते

नीलकंठ दर्शन का महत्व

खगोपनिषद् के ग्यारहवें अध्याय के अनुसार नीलकंठ साक्षात् शिव का स्वरूप है तथा वह शुभ-अशुभ का प्रतीक भी है. नीलकंठ महादेव का मंगलकारी एवं शांत मूर्त के अंतर्गत एक सौम्य स्वरूप माना जाता है, इस सौम्य स्वरूप के विषय में श्रीमद्भागवत के आठवें अध्याय में एक कथा आई है, जिसके अनुसार समुद्र मंथन के समय समुद्र से हलाहल नामक विष निकला, उस समय सभी देवों की प्रार्थना तथा पार्वती जी के अनुमोदन से शिवजी ने हलाहल का पान कर लिया और हलाहल को उन्होंने कंठ में ही रोक लिया, जिससे उनका कंठ नीला पड़ गया और उन्हें नीलकंठ कहा जाने लगा. नीलकंठ का जूठा फल खाने से मनवांछित लाभ, सौभाग्य वृद्धि एवं सुखमय वैवाहिक जीवन का योग बनता है.

क्या है कथा?

विजयादशमी के दिन ही भगवान राम ने रावण का संहार कर असत्य पर सत्य की विजय पताका लहरायी थी. अधर्म का नाश करने के बाद प्रभु श्री राम ने माता सीता को रावण की कैद से छुड़ाया था. ऐसी मान्यता है कि अहंकारी रावण के साथ अंतिम युद्ध से पहले भगवान श्री राम ने नीलकंठ पक्षी के दर्शन किए थे. तभी से ये माना जाने लगा कि दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन करके अगर किसी काम के लिए निकला जाए तो निश्चित ही सिद्ध और सफल होता है.

वहीं एक अन्य कथा के अनुसार रावण वध के बाद भगवान राम ने ब्रह्म हत्या के पाप से बचने के लिए लक्ष्मण के साथ महादेव भोलेनाथ की पूजा की थी तब शिव जी ने राम भगवान को नीलकंठ रूप में ही दर्शन दिए थे।

तुलसीदास जी ने रामचरित मानस में लिखा है कि भगवान राम की बारात निकलते समय काफी सुंदर माहौल था, चारो तरफ शकुन होने लगे, जिसमें नीलकंठ पक्षी बायीं ओर दाना चुग रहा है. शकुन का अर्थ है अच्छा समय जो शुभ कार्य के लिए उपयुक्त माना जाता है. इसलिए नीलकंठ पक्षी का दिखना हमारे कार्यों के पूर्ण होने का संकेत है।

कब है दशहरा?

आश्विन मास की दशमी तिथि को दशहरा मनाया जाता है. दशहरे का शुभ मुहूर्त दशमी तिथि यानी 12 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 58 मिनट से शुरू होगा और 13 अक्टूबर 2024, सुबह 09 बजकर 08 मिनट तक रहेगा. दशहरा पर्व शनिवार 12 अक्टूबर को मनाया जाएगा. इसके बाद प्रदोष काल में रावण दहन किया जाएगा. रावण दहन का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 54 मिनट से शाम 07 बजकर 26 मिनट तक है. जबकि पूजा के लिए सबसे शुभ मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 02 मिनट से दोपहर 2 बजकर 48 मिनट तक होगा।