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झारखंड सीएम ने 14 अक्टूबर को फिर बुलाई कैबिनेट की बैठक, इसमें में लिए जा सकते लोक लुभावन फैसले, इसके पूर्व 8 अक्टूबर को की गयी थी बैठक


झा. डेस्क 

रांची : झारखंड विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले हेमंत सरकार ने 14 अक्टूबर को कैबिनेट की बैठक बुलायी है. यह बैठक दिन के 12 बजे से शुरू होगी . मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इसकी अध्यक्षता करेंगे. ऐसा माना जा रहा है कि यह मौजूदा सरकार के कार्यकाल का अंतिम बैठक होने वाला है. बैठक में कई अहम प्रस्तावों पर मुहर लग सकती है.

झारखंड विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग जल्द कर सकता है. इसलिए ऐसी संभावना जतायी जा रही है कि सोमवार को हेमंत सोरेन सरकार की इस कैबिनेट में कई लोकलुभावन फैसले लिये जा सकते हैं.

 यह 6 दिनों के अंदर में सरकार की दूसरी कैबिनेट बैठक है. इससे पहले 8 अक्टूबर को भी कैबिनेट की बैठक बुलायी गयी थी. जिसमें 81 प्रस्तावों पर मुहर लगी थी.

इससे पहले 8 अक्टूबर की बैठक में भी कई लोकलुभावन फैसले लिये गये थे. जिसमें मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा पारदेशीय छात्रवृत्ति योजना में संशोधन करने सहमति बनी. इसके तहत अब हर 25 की जगह 50 मेधावी विद्यार्थी उच्च शिक्षा के लिए विदेश जा सकेंगे. इसके लिए कोटिवार विद्यार्थियों की संख्या में भी बढ़ोतरी की गयी है. अब अनुसूचित जनजाति के 20 और अनुसूचित जाति के 10 और पिछड़ा वर्ग के 14 विद्यार्थियों को राज्य सरकार द्वारा छात्रवृत्ति दी जाएगी. इसके अलावा कैबिनेट ने अल्पसंख्यक विद्यार्थियों को प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी के लिए निशुल्क कोचिंग की सुविधा प्रदान करेगी. इसके अलावा आंगनबाड़ी सेविका सहायिका के सेवा नियमावली में सुधार का निर्णय लिया.

गिरीडीह के साढ़े 3 लाख लोगों का बिजली बिल हुआ माफ, आइये जानते हैं किसे मिल रहा योजना का लाभ


झारखंड सरकार की बकाया बिल माफी योजना के तहत गिरिडीह के तीन लाख 53 हजार 293 उपभोक्ताओं का बकाया बिजली बिल माफ हो गया, है । 

मुख्यमंत्री ऊर्जा खुशहाली योजना के तहत इन सभी ग्राहकों का बिजली बिल माफ (शून्य) हुआ है। गुरुवार को टाउन हॉल में सदर विधायक सुदिव्य कुमार सोनू ने उपभोक्ताओं को बिजली बिल माफी प्रमाण-पत्र दिया। इस योजना के तहत कम बिजली इस्तेमाल करने वालों का बिल माफ किया गया है। इस दौरान करीब 3 अरब से ज्यादा का बिजली बिल माफ किया जा चुका है।

बिजली उपभोक्ताओं के बिल माफी को लेकर बात करते हुए जीएम प्रतोष कुमार ने कहा कि पांच अक्तूबर तक शिविर लगाकर उपभोक्ताओं का बकाया बिजली बिल माफ हुआ है, उन्हें प्रमाण-पत्र देने का काम किया जाएगा। कार्यपालक अभियंता मृणाल गौतम ने कहा कि योजना के तहत वैसे घरेलू उपभोक्ताओं जो 200 यूनिट या उससे कम का प्रतिमाह बिजली खपत करते हैं, उनका बिजली बिल माह अगस्त तक माफ किया गया है।

अब तक कितना बिल हुआ माफ

जिले में 375 करोड़ 43 लाख 31 हजार 683 रुपए का बकाया बिजली बिल को शून्य किया गया है। जेई अमित कुमार ने कहा कि शहर के 6600 उपभोक्ताओं को इस योजना का लाभ मिला है। इसके अलावा ऐसे लोगों का बिल माफ किया गया है जो इस योजना के तहत लाभार्थी होने की योग्यता रखते हों। सर्टिफिकेट वितरण में मौके पर एसडीओ मधुसूदन मांजी, सुरजीत उपाध्याय, जीतू आदि थे।

दिल्ली सरकार के तर्ज़ पर हेमंतसरकार ने किया काम 

दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार ने भी दिल्लीवासियों को फ्री बिजली की सुविधा दे रखी है। हालांकि, इसके लिए एक शर्त है कि यह फ्री सुविधा ऐसे लोगों को ही मिलती है, जो प्रति महीने सिर्फ 200 यूनिट बिजली का इस्तेमाल करते हैं। इससे ज्यादा बिजली का इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ताओं को पूरा बिजली का बिल देना पड़ता है। इसी तर्ज पर झारखंड सरकार की तरफ से योजना शुरू की गई है।

पति ने दुर्गापूजा में साड़ी नहीं खरीदी तो पत्नी ने कर ली आत्महत्या, घर में छाया मातम


झारखंड डेस्क 

झाऱखंड में एक पत्नी ने इसलिए जहर खाकर जान दे दी, क्योंकि पति ने दुर्गापूजा में उसके लिये साड़ी नहीं खरीदी। मामला चतरा के सदर थाना क्षेत्र के किशुनपुर गांव का है। 

महिला का नाम पूनम देवी है। पति सुनील भारती पूनम के इस कदम से हैरान है, उसका कहना है कि अगर मालूम होता कि सिर्फ साड़ी के लिए उसकी पत्नी जान दे देगी, तो वो कभी ऐसा नहीं करता।

परिजनों के मुताबिक मृतक पूनम अपने पति सुनील भारती से दुर्गा पूजा के अवसर पर साड़ी खरीदने की जिद कर रही थी। पति सुनील इसे लेकर टाल रहा था। जिसके बाद गुस्से में महिला ने जहर पी लिया। गंभीर हालत में उसे सदर अस्पताल में लाया गया जहां इलाज के दौरान चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

 घटना वाले दिन बेटा सुनील अपनी पत्नी और अपने चार अन्य बच्चों को साथ लेकर कपड़े खरीदने के लिए बाजार गया हुआ था जहां से बच्चों के कपड़ों की खरीदारी हो चुकी थी। लेकिन बेटे सुनील के पास नकद पैसे नहीं होने के कारण बहु को अगले दिन साड़ी खरीदने की बात कह कर घर ले आया। 

जिससे वह नाराज थी इसी बीच उसने विषपान कर आत्महत्या किया। घटना के बाद परिवार में मातम का माहौल है,वहीं जानकारी के बाद पुलिस मामले की में जांच जुटी हुई है। वहीं घर में बच्चों को रो रोकर बुरा हाल है।

रांची में विजयादशमी धू-धूकर जला 70 फीट का रावण, सीएम हेमंत सोरेन पहुंचे कार्यक्रम में


रिपोर्टर जयंत कुमार 

रांची : शारदीय नवरात्र की समाप्ति के बाद आज विजयादशमी के मौके पर देशभर में रावण दहन का कार्यक्रम हुआ। वहीं पंजाबी हिंदू बिरादरी द्वारा मोरहाबादी मैदान में रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ का पुतला का कार्यक्रम किया गया। लोग बुराई पर अच्छाई की जीत और असत्य पर सत्य की जीत का पर्व विजयदशमी बना रहे हैं। इसमें झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी सम्मिलित हुए। 

रांची के मोरहाबादी मैदान में रावण सहित तीन पुत्रों को लगाया गया जिसमें रावण के पुतले की ऊंचाई 70 फीट, कुंभकरण के पुतले की ऊंचाई 65 फीट और मेघनाथ के पुतले की ऊंचाई 60 फीट थी। मोरहाबादी मैदान में शाम 4:00 बजे से ही इस बार उत्तर प्रदेश के कलाकारों की ओर से जीवंत झांकी निकाली गई। इतना ही नहीं, पायरो फायर वर्क्स मुंबई और कोलकाता की टीम की आतिशबाजी आकर्षण का केंद्र रहा। यह मुख्य अतिथि के तौर पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन रहे, साथ में रक्षा राज्यमंत्री संजय सेठ, विधायक सीपी सिंह सहित अन्य गणमान्य लोग भी उपस्थित रहेंगे। इस वर्ष लंका दहन कार्यक्रम के दौरान 30×30 का स्वर्ण नगरी बनाया गया, जिसका दहन रामभक्त हनुमान रूपी कलाकार ने किया।

पंजाबी हिन्दू बिरादरी द्वारा मोरहाबादी में आयोजित दशहरा एवं लंका दहन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रावण के पुतले का दहन किया। वहीं, रक्षा राज्यमंत्री संजय सेठ कुंभकर्ण और पूर्व मंत्री सह स्थानीय विधायक सीपी सिंह मेघनाथ का पुतला दहन किया।

बता दे राजधानी रांची समेत 8 जगहों पर रावण दहन होता है। मोरहाबादी मैदान, अरगोड़ा, हुंडरू मैदान, नामकुम के सिदरौल, टाटीसिल्वे मैदान, शालीमार मैदान एचइसी, झखड़ाटांड़ व महादेव टंगरा में रावण दहन का कार्यक्रम होता है।

बोकारो स्टील प्लांट के एक DGM की कार दुर्घटनाग्रस्त होकर तालाब में गिरी, डूबने के कारण हुई मौत

झा.डेस्क

बोकारो: स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड-सेल के बोकारो स्टील प्लांट से दुखद खबर आ रही है। एक डीजीएम की सड़क हादसे में मौत हो गई है।

 तालाब में कार गिरने की वजह से डीजीएम खुद को बचा नहीं सके, जबकि कार में सवार बेटा किसी तरह गेट खोलकर बाहर निकलने में सफल हो गया।

मौत की खबर लगते ही प्लांट से लेकर घर तक कोहराम मच गया। घटनास्थल पश्चिम बंगाल के चास एरिया के आसपास का है। 

इसलिए पोस्टमार्टम वहीं हो गया है। शव बोकारो लाया जा रहा है। अंतिम संस्कार पटना में किया जाएगा।

अंधविश्वास : सौ साल से पहले से झारखंड के एक मंदिर में लगता है भूतों का मेला, पेड़ में कील ठोक कर किये जाते हैं शैतान को कैद

झारखंड डेस्क 

पलामू :जिला मुख्यालय से करीब 85 किलोमीटर दूर हैदरनगर में भूतों का मेला लगता है. जहां एक ओर झारखंड में अंधविश्वास ओझा गुणी डायन के खिलाफ सख्त कानून है तो वही दूसरी ओर इस अंधविश्वास के मेले में पुलिस प्रशासन ही सुरक्षा मुहैया करती है. 

कभी किसी अधिकारी ने इस मेले में चिकित्सा कैंप लगवाने का प्रयास नहीं किया. अंधविश्वास के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाने वाली किसी संस्था ने यहां जागरूकता अभियान नहीं चलाया. ऐसा भी नहीं है कि हैदरनगर देवी धाम आने वाले सभी अंधविश्वासी हैं. इसमें बड़ी संख्या मां भगवती में आस्था रखने वाले पूजा-पाठ करने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की है.

सौ साल से पहले से ही होता आ रहा मेले का आयोजन

भूतों का मेला साल में दो बार शारदीय नवरात्र व चैत नवरात्र में लगता है. आज साइंस के युग में भूत-प्रेत अंधविश्वास है. लेकिन इस भूत मेले में पहुंचने वाले लोगों की आस्था देखकर कोई भी हैरान हो सकता है. हजारों लोग नवरात्र के दौरान प्रेत बाधा से मुक्ति के लिए हैदरनगर के देवी धाम पहुंचते हैं. 

पुजारी ने बताया कि सौ साल से अधिक समय से हैदरनगर देवी धाम मंदिर परिसर में मेले का आयोजन होता आ रहा है. इस मेले में बिहार, यूपी, हरियाणा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, ओडिशा व पश्चिम बंगाल से बड़ी संख्या में लोग पंहुचते हैं. उनकी आस्था हैदरनगर के देवी धाम मंदिर से जुड़ी हुई है.  

पूरे नौ दिनों तक लगता है मेला 

बता दें कि, नवरात्र के दौरान पूरे नौ दिनों तक हैदरनगर देवी धाम मंदिर परिसर में भूत मेला का आयोजन किया जाता है. प्रथम दिन से महानवमी तक लगने वाले इस मेले में श्रद्धालुओं के अलावा कथित भूत-प्रेत बाधा से पीड़ित लोग भी आते हैं. ऐसे में यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी की अधिक संख्या इन्हीं की रहती है. भूत मेले की कुछ ऐसी तस्वीरें निकल कर सामने आती है कि किसी के भी रौंगटे खड़े हो सकते हैं. 

प्राचीन पेड़ में कील ठोक कर किया जाता है भूत-प्रेतों को कैद

हैदरनगर देवी धाम परिसर में एक प्राचीन पेड़ मौजूद है. इस पेड़ में हजारों की संख्या में कील ठोके हुए हैं. मान्यता है कि इन कील में भूत-प्रेतों को कैद किया गया है. पूरे नौ दिनों तक देवी धाम परिसर में हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ जमा रहती है. मध्य प्रदेश के सिंगरौली से झाड़-फूंक कराने हैदरनगर आए व्यक्ति ने दावा किया कि प्रेत बाधा होती है, जिसे यहां दूर किया जाता है. प्रेत बाधा से मुक्ति के लिए अलग-अलग फीस लगती है. 

24 घंटे रहती है महिलाओं की भीड़


हैदरनगर देवी धाम परिसर में हजारों की संख्या में लोग प्रेत बाधा से मुक्ति की कामना को लेकर पहुंचते हैं. मेला परिसर में चारों तरफ टेंट और तंबू नजर आता है. शारदीय नवरात्र बरसात के बाद ही आता है. इस लिए इस मेला में आने वाले लोगों को काफी कठिनाई होती है. नौ दिनों तक देवी मां की आराधना होती है. इस मौके पर ओझा गुणियों द्वारा झाड़-फूंक किया जाता है. मेले में हजारों की संख्या में महिलाओं की भीड़ 24 घंटे जमा रहती है. 

देवी धाम में पूजा करने के बाद मजार पर किया जाता है फातेहा


बिहार के रोहतास निवासी रविंद्र कुमार बताते हैं कि, वह पिछले आठ वर्षों से यहां लगातार आ रहे हैं. प्रेत बाधा से मुक्ति के लिए वह हर वर्ष हैदरनगर आते हैं. देवी मां की आराधना के बाद उनके परिवार में खुशहाली आई है. वहीं, मंदिर के मुख्य पुजारी त्यागी महाराज बताते हैं कि हैदरनगर में देवी मां की आराधना से सारी मनोकामना पूर्ण हो जाती है. हैदरनगर देवी धाम परिसर एकता व आपसी सौहार्द की मिसाल है. जिस वक्त मंदिर की स्थापना हुई थी, उस वक्त से ही मंदिर परिसर में जिन्न बाबा का मजार भी है. जो लोग देवी मां की पूजा करने आते हैं, उसके बाद मजार पर फातेहा भी कराते हैं. यहां वर्षों से मुजाविर का काम करने वाले आशिक अली बताते हैं कि हर दिन सैकड़ों लोग चादरपोशी के लिए यहां पहुंचते हैं. वह कोई मीठी चीज का फातेहा भी कराते हैं.

पहले जम्होर में लगता था मेला


शारदीय और चैत नवरात्र में मंदिर प्रबंधन कमेटी को लाखों रुपये की आमदनी होती है. इन पैसों को मंदिर के विकास और भक्तों को सुविधा उपलब्ध करवाने में खर्च किया जाता है. भूत मेला को लेकर मंदिर प्रबंधन समिति एक महीने पहले से तैयारी शुरू कर देती है. हैदरनगर देवी धाम परिसर में मां शीतला देवी मौजूद हैं. एक हलवाई परिवार 1887 के आसपास औरंगाबाद के जम्होर से हैदरनगर पंहुचा था. उन्होंने ही इस मंदिर में मेला शुरू कराया था. 'एक पड़ताल में पता चला कि इस तरह का मेला पहले जम्होर में लगता था. वहां के हलवाई परिवार ही झाड़-फूंक का काम करते थे. यही कारण है कि आज भी उन्हीं हलवाई परिवारों की बनाई गई चीनी की मिठाई यहां प्रसाद के रूप में इस्तेमाल होती है

रांची रिनपास में इलाजरत एक हत्यारोपी कैदी फरार, मचा हड़कंप


रांची.रिनपास में इलाजरत हत्यारोपी बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा का कैदी नीतीश कुमार फरार हो गया,जिसके बाद ह्ड़कंप मच गया.आश्चर्य तो इस बात की है कि उस कैदी को भागने का पता भी नहीं चला।  

उस समय ड्यूटी पर दो आरक्षी थे. इस मामले में कांके थाने में सात अक्टूबर को सिपाही सुरेश मेहता ने प्राथमिकी दर्ज कराई है। लिखा है कि वह और दूसरा आरक्षी सुनील मरांडी ड्यूटी पर थे। 6 अक्टूबर को खाने के लिए नीतीश निचले हिस्से में शाम साढ़े 6 से 9 बजे के बीच गया था। इसके बाद अंधेरे का लाभ उठाकर फरार हो गया। ढूंढने के बाद भी नहीं मिला।

5 अक्टूबर को ही हो गया था फरार

कांके पुलिस के अनुसार, नीतीश पांच अक्टूबर को ही फरार हो गया था। छह अक्टूबर को दोनों सिपाही जब वापस ड्यूटी पर आए, तो उसे फरार देखकर उनके हाथ-पांव फूलने लगे। इसके बाद एक कहानी गढ़ कर प्राथमिकी दर्ज कराई। ताकि वे कार्रवाई से बच सकें।

31 अक्टूबर को हुआ था भर्ती

जानकारी के अनुसार, खूंटी के पिपरा गांव निवासी शिव कुमार प्रसाद का पुत्र नीतीश हत्या के आरोप में जेल में बंद था। उसको 31 अगस्त को होटवार जेल से इलाज के लिए रिनपास में भर्ती कराया गया था।

स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए हेमंत सरकार ने लिया बड़ा निर्णय,झारखंड के सदर अस्पताल में फेको पद्धति से होगा आंखों की सर्जरी

झरखंड डेस्क 

झारखंड में हेमंत सरकार ने हेल्थ सिस्टम को बेहतर करने के लिए बड़ा फैसला लिया है। इसके तहत राज्य के 20 जिलों के सदर अस्पतालों में नई तकनीक से आंखों का ऑपरेशन होगा। अब सदर अस्पतालों में फेको पद्धति से आंखों की सर्जरी की व्यवस्था की जाएगी इसके लिए फेको मशीन खरीदने का आदेश स्वास्थ्य विभाग की ओर से दिया गया है। रांची, दुमका, पलामू तथा हजारीबाग को छोड़कर सभी जिलों में फेको मशीन से सर्जरी की व्यवस्था की जाएगी।

5.19 करोड़ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति

इस काम के लिए स्वास्थ्य विभाग ने 5.19 करोड़ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति देते हुए निर्धारित राशि संबंधित जिलों के लिए जारी कर दी गई है। रांची सिविल सर्जन की रिपोर्ट पर यहां सांसद मद से खरीदी गई मशीन की दर को ही आधार बनाकर यह मंजूरी दी गई है। इसके तहत प्रत्येक मशीन के लिए 25.94 लाख रुपये की स्वीकृति प्रदान की गई है।

मरीजों को अब नहीं पड़ेगा भटकना

जिलों के सदर अस्पतालों में इस मशीन के अभाव में उच्च क्वालिटी की आंखों की सर्जरी नहीं हो पाती थी और मरीजों को इधर-उधर भटकना पड़ता था। इस संकट को दूर करने के लिए ही सरकार ने उक्त फैसला किया है। ऑपरेशन के लिए मरीज को रांची या दूसरे शहरों में जाना पड़ता था। आप इस तरह की परेशानी खत्म हो जाएगी। इन जिलों में नेत्र चिकित्सकों की नियुक्ति हुई है। नई मशीन आ जाने के बाद इन अस्पतालों में आसानी से सर्जरी होगी।

आस्था : हजारीबाग का ऐसा मंदिर जहां बिना मूर्ति के ,मिट्टी के पिंड के रूप में बिराजमान है माता, बुढ़िया माता के रूप में आज भी पूजी जाती है


झारखंड डेस्क

हजारीबाग: दुर्गा पूजा के पावन अवसर पर मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूरे देश में पूजा की जाती है. लेकिन झारखंड के हजारीबाग जिले के इचाक प्रखंड में स्थित बनसटांड़ का बुढ़िया माता मंदिर एक अद्वितीय धार्मिक स्थल है, जहां मां की पूजा बिना किसी प्रतिमा के की जाती है. इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां मिट्टी के पिंड के रूप में माता की आराधना की जाती है. भक्तों का मानना है कि माता के दर्शन मात्र से ही उनके कष्ट दूर हो जाते हैं. यही कारण है कि यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आकर माता के पिंड रूप के दर्शन करते हैं.

बुढ़िया माता मंदिर की अद्भुत कहानी

बुढ़िया माता मंदिर का इतिहास बेहद रहस्यमयी और अद्भुत है. मंदिर के पुजारी गौतम कुमार बताते हैं कि साल 1818 में इस क्षेत्र में हैजा महामारी ने कहर बरपाया था. इस महामारी से पंचायत के कई लोगों की मृत्यु हो रही थी और पूरा गांव त्राहिमाम कर रहा था. तभी अचानक जंगल में मिट्टी की एक दिवाल प्रकट हुई, जिसमें कुछ आकृतियाँ उभरी थीं. इस दिवाल को देखने के बाद गांव के कई लोगों ने एक सपना देखा, जिसमें उन्हें पूजा अर्चना करने का संकेत मिला.

उसी दौरान एक वृद्ध महिला, जिसे बाद में बुढ़िया माता कहा गया, ने वहां पूजा शुरू की और धीरे-धीरे पूरे गांव में इस पूजा का प्रसार हुआ. चमत्कारिक रूप से, गांव से महामारी का प्रकोप खत्म हो गया और बुढ़िया माता भी अचानक गायब हो गईं. आज भी उस दिवाल की आकृतियाँ मंदिर में विद्यमान हैं और यह स्थान लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है. मंदिर का पहला भवन वर्ष 1921 में बनाया गया था, जो आज भी सुरक्षित है.

पिंड रूप में होती है माता की पूजा

बुढ़िया माता के मंदिर में माता की पूजा किसी प्रतिमा के बजाय एक पिंड के रूप में की जाती है. यह पिंड मिट्टी का होता है, जिसे भक्तजन पूरी श्रद्धा के साथ पूजते हैं. नवरात्रि के दौरान इस मंदिर की शोभा और बढ़ जाती है, जब झारखंड, बिहार और उड़ीसा के हजारों भक्त यहां माता के दर्शन और पूजा के लिए पहुंचते हैं. नवरात्रि के समय मंदिर को भव्य रूप से सजाया जाता है, और इस अद्भुत स्थल की धार्मिक महत्ता देखते ही बनती है.

मंदिर की लोकप्रियता

बुढ़िया माता मंदिर को विशेष स्थान दिया जाता है क्योंकि भक्तों का मानना है कि यहां आने मात्र से उनकी बीमारियां और कष्ट दूर हो जाते हैं. मंदिर के पुजारी बताते हैं कि यह मंदिर रोग हरने वाली शक्तियों के लिए प्रसिद्ध है और लोग यहां अपनी आस्था लेकर आते हैं. श्रद्धालुओं का मानना है कि माता उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. मंदिर के लिए एक विशाल भवन का निर्माण करवाया गया है, लेकिन पिंड से किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं की गई है. माता के इस रूप की पूजा में भक्तों की गहरी आस्था जुड़ी हुई है.

नवरात्रि में विशेष आकर्षण

नवरात्रि के अवसर पर इस मंदिर की भव्यता और भी बढ़ जाती है. इस दौरान हजारों श्रद्धालु दूर-दूर से आकर यहां पूजा अर्चना करते हैं. मंदिर के आस-पास का वातावरण भक्तिमय हो जाता है, और माता के भव्य रूप को देखने के लिए लोग लंबी कतारों में खड़े रहते हैं. भक्तों की मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान यहां की गई पूजा विशेष फलदायी होती है और माता का आशीर्वाद प्राप्त करने से जीवन के सारे कष्ट समाप्त हो जाते हैं.

आस्था का केंद्र

बुढ़िया माता का मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था और चमत्कार का प्रतीक है. इस मंदिर से जुड़ी कहानियां और माता के चमत्कारिक प्रभाव ने इसे झारखंड के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक बना दिया है. दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह मंदिर उनके विश्वास और भक्ति का अटूट केंद्र है.

झारखंड विधानसभा चुनाव 2024: लगातार भाजपा का हैट्रिक वाला रांची विधानसभा सीट पर कई दावेदार, ऐसे में किसके झोली में जाएगी यह सीट

झारखंड डेस्क 

झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 की तैयारी जोरों पर है.इस बार जहां झारखंड में सरकार बनाने के लिए भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी है, सरकार पर लगातार हमला कर जनता का दिल जीतने के लिए कई घोषणाएं कर रही है वहीं गठबंधन ने भी अपनी पूरी ताकत सत्ता को बचाये रखने के लिए कर रही है।

 इस हालत में पूरे 81 सीटों में सभी सीट महत्वपूर्ण हो गयी है।इन सीटों को जीतने के लिए सभी पार्टियां तैयारी कर रही हैं. हालांकि अभी यहां कैडिडेट भी फाइनल नहीं हैं.हम आज चर्चा करेंगे रांची विंधानसभा सीट के बारे में जो भाजपा का मज़बूत सीट माना जाता है और यहां लगातार भाजपा जीतती आ रही है।यहां अब तक बीजेपी का कब्जा रहा है। 

रांची विधानसभा सीट बीजेपी के दबदबे वाली सीट मानी जाती है। हालांकि पिछली बार झामुमो ने कड़ी चुनौती दी थी। 2024 विधानसभा चुनाव के लिए भी दोनों पार्टियों ने तैयारी की है।अब सबाल उठता है इस बार भाजपा के कौन उम्मीदवार होगा और झामुमो किसे मौका देगी। एक तरफ जहां चर्चा चल रही है कि झामुमो रांची विधानसभा सीट से अपने राज्यसभा सांसद महुआ माजी को उतार सक, ती है। वहीं भाजपा के भी कई दावेदार इस सीट के लिए जी तोड़ मेहनत बकर रहे हैं,हालांकि इस सीट पर इस बाऱ कांग्रेस भी दावा कर रही है और महागठबंधन में अभी ये भी तय नहीं हुआ है कि रांची सीट झामुमो को मिलेगी या फिर फिर कांग्रेस के खाते में जाएगी।ऐसे हालत में यह सीट किसके खाते में जाएगी यह चर्चा का विषय बना हुआ है।

अब तक यह बीजेपी की सेफ सीट रही 

रांची विधानसभा सीट बीजेपी के लिए सेफ मानी जाती है। मौजूदा विधायक सीपी सिंह यहां से 1996 के ही लगातार जीतते आ रहे हैं। हालांकि पिछली बार महुआ माजी ने उन्हें अच्छी चुनौती दी थी, फिर भी सीपी सिंह ने पांच हजार से अधिक वोटों से जीत हासिल की थी। यही वजह है कि इस बार बीजेपी इस सीट के लिए काफी सोच विचार कर रही है। सीपी सिंह यहां से 6 बार के विधायक हैं तो उनकी पूरे इलाके में मजबूत पकड़ है, लेकिन दूसरी तरफ ये भी माना जा रहा है कि 2024 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर से बीजेपी को चुनौती का सामना करना पड़ेगा। इसलिए बीजेपी मौजूदा विधायक सीपी सिंह को टिकट नहीं देगी। ऐसा माना जा रहा है। 

2019 में रांची विधानसभा चुनाव परिणाम

प्रत्याशी के नाम पार्टी     प्राप्त मत

सीपी सिंह भाजपा 79,646

महुआ माजी जेएमएम 73,742

पवन कुमार शर्मा निर्दलीय 6,479

2014 में रांची विधानसभा चुनाव परिणाम

प्रत्याशी के नाम पार्टी प्राप्त मत

सीपी सिंह भाजपा 95,760

महुआ माजी जेएमएम 36,897

सुरेंद्र सिंह कांग्रेस 7,635

2009 में रांची विधानसभा चुनाव परिणाम

प्रत्याशी के नाम पार्टी प्राप्त मत

सीपी सिंह भाजपा 66161

प्रदीप तुलस्यान कांग्रेस 39,050

मो. शर्फुद्दीन झामुमो 5,174

2005 में रांची विधानसभा चुनाव परिणाम

सीपी सिंह भाजपा 74239

गोपाल साहू कांग्रेस 48,119

कृष्णा यादव राजद 11,370

महागठबंधन के कांग्रेस ने किया इस सीट पर दावा

झारखंड में फिलहाल महागठबंधन में सीटों को लेकर बात नहीं बनी है। हर पार्टी ज्यादा से ज्यादा सीट पाना चाह रही है। पिछली बार कांग्रेस ने 31 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 16 पर जीत हासिल की थी। मतलब कांग्रेस का स्ट्राइक रेट 50 फीसदी से अधिक था। ऐसे में इस बार कांग्रेस कुछ और सीटों पर दावा कर सकती है।चर्चा है कि इस बार कांग्रेस रांची, खूंटी, सिसई, बिशुनपुर सहित दूसरी सीटों की भी मांग कर सकती है । एक तरफ जहां कांग्रेस खूंटी लोकसभा सीट जीत कर उत्साहित है तो वहीं दूसरी तरफ वे रांची में अपने समीकरण का हवाला देकर टिकट मांग रही है।

 भाजपा कई दावेदार कर हैं इस सीट के लिए लॉबिंग

झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 की गहमागहमी के बीच राजनीतिक गलियारों में ये चर्चा भी है कि इस बार रांची से 6 बार के विधायक सीपी सिंह का पत्ता कट सकता है ऐसे में कई ऐसे नेता हैं तो इस सीट के लिए अपनी दावेदारी कर रहे हैं । इसमें बालमुकुंद सहाय, आशा लकड़ा, पूर्व डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय, कृपा शंकर, राकेश भास्कर शामिल हैं।हालांकि शीर्ष नेतृत्व की तरफ से कुछ फाइनल नहीं किया गया है।

रांची विधानसभा सीट पर 1985 के बाद भाजपा कभी नहीं हारी

रांची विधानसभा सीट को इसलिए बीजेपी की दबदबे वाली सीट कहा जाता है क्योंकि यहां से पार्टी 1985 के बाद कभी भी नहीं हारी।1985 में आखिरी बार कांग्रेस के प्रत्याशी डॉ जय प्रकाश ने यहां से जीत हासिल की थी।इसके बाद से बीजेपी यहां लगातार जीतती आ रही है। पिछले 6 बार से यहां से लगातार सीपी सिंह जीतते आ रहे हैं।