भ्रष्ट और खराब प्रदर्शन वाले अधिकारी पर चलेगा “चाबूक”, पीएम मोदी ने सचिवों को दिया ये आदेश
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पीएम मोदी ने काम नहीं करने वाले और भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया हुआ है। खराब प्रदर्शन करने वालों और भ्रष्टाचार के दागियों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नकेल कसने के आदेश दिए हैं। पीएम मोदी ने केंद्रीय सचिवों से नियमों के अनुसार कर्मचारियों के प्रदर्शन का कठोर मूल्यांकन करने को कहा है।
सूत्रों ने बताया कि जम्मू-कश्मीर और हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के एक दिन बाद बुधवार को सभी केंद्रीय मंत्रियों और सचिवों के साथ बातचीत की। इस दौरान प्रधानमंत्री ने सीसीएस (पेंशन) नियमों के मूल नियम 56 (जे) का उल्लेख किया। इसमें निर्दिष्ट किया गया है कि 'उपयुक्त प्राधिकारी' किसी भी सरकारी कर्मचारी को यदि उसकी राय में वह सेवा में बने रहने के लिए अयोग्य है तो उसे समय से पहले रिटायर कर सकता है।
अनिवार्य सेवानिवृत्ति के मामले में सरकार को तीन महीने का नोटिस या तीन महीने का वेतन और भत्ते देने की आवश्यकता होती है। 55 वर्ष की आयु पूरी करने वाले सरकारी कर्मचारी इस नियम से प्रभावित हो सकते हैं। इसी तरह, नियम 48 में कहा गया है कि किसी भी समय जब कोई सरकारी कर्मचारी 30 साल की अर्हक सेवा पूरी कर लेता है, तो उसे नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा जनहित में सेवानिवृत्त होने के लिए कहा जा सकता है। ऐसे अधिकारियों को जवाब देने का अवसर मिलता है और वे अदालत में आदेश को चुनौती भी दे सकते हैं।
अब तक 500 से अधिक अधिकारियों पर हो चुकी है कार्रवाई
सरकारी विभागों ने इन नियमों का हवाला देते हुए अब तक 500 से अधिक अधिकारियों को अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, इन नियमों के तहत अब तक 500 से अधिक अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जा चुकी है। आगे भी इस पर काम चल रहा है।बैठक में बताया गया कि पिछले 10 साल में प्रधानमंत्री कार्यालय को लोगों की शिकायतों समेत 4.5 करोड़ पत्र मिले हैं, जबकि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान आखिरी 5 साल में केवल 5 लाख पत्र मिले थे।इनमें 40 प्रतिशत केंद्र और 60 प्रतिशत राज्य से संबंधित थे।
शिकायतों के समाधान के लिए एक दिन निकालने का निर्देश
रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी ने बैठक में कहा कि सरकारी कर्मचारियों को अच्छा प्रदर्शन करके लोगों की समस्याओं का समाधान करना चाहिए और जीवन आसान बनाना चाहिए। उन्होंने मंत्रियों और अधिकारियों से कहा कि जन शिकायतों का व्यापक और त्वरित समाधान किया जाए, न कि उसे एक मेज से दूसरी मेज पर धकेला जाए।उन्होंने सचिवों से शिकायतों के समाधान के लिए हफ्ते में एक दिन निकालने और राज्य मंत्रियों से उनकी निगरानी को कहा है।
Oct 11 2024, 18:08