हुड्डा के हठ से “हाथ” से गया हरियाणा, अब क्या करेगी कांग्रेस?
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हरियाणा विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को लगातार तीसरी बार करारी हार का सामना करना पड़ा है। हरियाणा में कांग्रेस का चूक जाना किसी बड़े झटके से कम नहीं है। क्योंकि एग्जिट पोले से लेकर शुरूआती रूझान भी कांग्रेस के पक्ष में थे। लेकिन कांग्रेस जीतते-जीतते हार गई।कांग्रेस पार्टी को हरियाणा में बीजेपी से सिर्फ 0.85% वोट ही कम आए। बीजेपी को 39.94 प्रतिशत वोट मिले तो कांग्रेस ने भी 39.09 प्रतिशत वोट हासिल किया। यह इस बात की पुष्टि करता है कि हरियाणा में कांग्रेस के पक्ष में माहौल बना था। फिर भी करारी हार मिली।
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पार्टी के अंदर ही कुछ लोग इस हार के लिए हुड्डा को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। कांग्रेस हाईकमान ने हुड्डा को चुनाव में टिकट बंटवारे में खुली छूट दी थी। दरअसल, 2024 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की जबरदस्त वापसी हुई थी। कांग्रेस हरियाणा की 5 सीटें जीतने में सफल हुई थी। उस समय हुड्डा को कांग्रेस का सबसे बड़ा चेहरा माना जा रहा था।तब हुड्डा के समर्थकों ने दावा किया था कि अगर टिकट बंटवारे की जिम्मेदारी हुड्डा को दी जाती तो कांग्रेस सत्ता में वापस आ जाती। हालांकि, हालिया विधानसभा चुनावों के नतीजों ने कांग्रेस नेतृत्व को अपनी रणनीति पर फिर से विचार करने का मौका दे दिया है।
हुड्डा ने एकतरफा चलते हुए कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला को दरकिनार कर दिया। हुड्डा खेमे ने इन नेताओं को बिना जनाधार वाला बताया और टिकटों से लेकर हर जगह अपनी चलाई। यही नहीं, किरण चौधरी और कुलदीप बिश्नोई जैसे वरिष्ठ नेताओं ने हुड्डा पर पार्टी पर कब्जा करने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस छोड़ दी थी।
गठबंधन दलों से नहीं तालमेल नहीं बिठाया
कांग्रेस के दलित-जाट वोट में सेंधमारी के लिए इनेलो-बीएसपी और जेजेपी-आजाद समाज पार्टी के गठबंधन बने तो राहुल ने वोटों का बिखराव रोकने के लिए गठबंधन की सलाह दी। मगर, भूपिंदर हुड्डा ने आम आदमी पार्टी से तालमेल नहीं किया। इसके बाद दीपेंद्र हुड्डा ने सपा को हरियाणा में खारिज कर दिया। विरोधी खेमे ने आरोप लगाया है कि हुड्डा ने विरोधियों को बैठाने की बजाय उनकी मदद की। ताकि इससे सीटें 40 के करीब आएं और निर्दलीय उम्मीदवारों के सहारे वो सीएम बन सकें। सूत्रों के मुताबिक, एक वक्त बीजेपी में नाराज चल रहे अहीरवाल इलाके के बड़े क्षत्रप राव इंद्रजीत को कांग्रेस में लाने के लिए एक खेमे ने हरी झंडी दे दी थी। तब भी हुड्डा ने उनकी जरूरत को खारिज कर दिया। लिहाजा न सपा साथ थी, न राव साथ आए और पूरी बेल्ट में सूपड़ा साफ हो गया।
सैलजा ने भी इशारों-इशारों में लिया हुड्डा का नाम
हरियाणा में कांग्रेस पार्टी का सबसे बड़ा दलित चेहरा कुमारी सैलजा है। उन्होंने चुनाव परिणाम आने के बाद कहा कि सभी अंडे एक ही टोकरी में रखने की नीति कभी सही नहीं मानी जाती है। उनका इशारा उम्मीदवारों के चयन प्रक्रिया में भूपेंद्र सिंह हुड्डा का पूरा दबदबा होने की तरफ है। कांग्रेस को जाटों पर हद से ज्यादा भरोसा करके बाकी जातियों को नजरअंदाज करने की कीमत चुकानी पड़ी है। अब सैलजा कह रही हैं कि शीर्ष नेतृत्व को इस रणनीति पर पुनर्विचार करते हुए हार के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान करनी चाहिए। शीर्ष नेतृत्व यह सब कर भी ले तो अब क्या? वो कहते हैं ना- अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।
लगातार तीसरी बार सरकार बनने का रिकॉर्ड
बता दें कि हरियाणा में देवी लाल, भजन लाल, बंशी लाल जैसे दिग्गज नेता हुए, लेकिन प्रदेश के लोगों ने कभी किसी का लगातार तीसरी बार साथ नहीं दिया। कांग्रेस के पास हरियाणा के मतदाताओं के इस माइंडसेट को मजबूत बनाए रखने का मौका था, लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाई। उसकी इस नाकामयाबी ने बीजेपी को 54 साल की परंपरा को तोड़कर नया रेकॉर्ड बनाने का अवसर दे दिया। आखिरकार बीजेपी ने हरियाणा में पहली बार लगातार तीसरी बार सत्ता में लौटने का रेकॉर्ड कायम कर लिया।







हरियाणा विधान सभा चुनाव के परिणामों को कांग्रेस पचा नहीं पा रही है। कांग्रेस ने हरियाणा चुनाव परिणाम को अप्रत्याशित परिणाम बताया है। हरियाणा चुनाव परिणाम को कांग्रेस की तरफ से अस्वीकार्य और अप्रत्याशित बताए जाने पर चुनाव आयोग ने अब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का पत्र लिखा है। कांग्रेस के कुछ नेताओं की ओर से हरियाणा चुनाव नतीजों पर सवाल उठाए जाने के बाद चुनाव आयोग ने खरगे को खत लिखा है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को चुनाव आयोग ने हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों पर चर्चा के लिए बुलाया है। चुनाव आयोग ने 9 अक्टूबर यानी आज कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को एक पत्र भेजा। इस पत्र में आयोग ने 8 अक्टूबर को जयराम रमेश और पवन खेड़ा की ओर से दिए गए बयानों पर चिंता जताई है। इन नेताओं ने हरियाणा चुनाव नतीजों को 'अस्वीकार्य' बताया था। चुनाव आयोग ने मल्लिकार्जुन खरगे को भेजे अपने पत्र में कहा है कि ऐसे बयान देश की लोकतांत्रिक परंपरा के खिलाफ हैं। यह जनता की राय को नकारने जैसा है। आयोग ने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर और हरियाणा समेत पूरे देश में चुनाव एक ही नियम-कानून से होते हैं। चुनाव आयोग ने कहा कि उसने मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी के बयानों पर भी गौर किया है, जिसमें हरियाणा के नतीजों को अप्रत्याशित बताया गया है और पार्टी इसका विश्लेषण करने और अपनी शिकायतों के साथ चुनाव आयोग से संपर्क करने का प्रस्ताव रखती है। चुनाव आयोग ने कहा कि उसे कांग्रेस के 12 सदस्यीय आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल के लिए बैठक का समय मांगने का अनुरोध मिला है, जिसमें हरियाणा के चुनावी नतीजे अस्वीकार्य वाला बयान देने वाले लोग भी शामिल हैं। बता दें कि कांग्रेस नेताओं का आरोप था कि कई सीटों पर नतीजे ईवीएम की मदद से बदल दिए गए। कांग्रेस के अनुसार कई सीटों पर जहां ईवीएम 90 फीसदी बैटरी चार्ज था वहां नतीजे भाजपा के पक्ष में आए और जहां ईवीएम की बैटरी 70-80 फीसदी चार्ज थी वहां कांग्रेस पार्टी ने जीत हासिल की है।

Oct 09 2024, 19:59
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