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ईरान द्वारा इजरायल पर हमला किए जाने के बाद भारत ने अपने नागरिकों के लिए यात्रा परामर्श जारी किया*

केंद्र ने बुधवार को ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते संघर्ष के मद्देनजर सभी भारतीय नागरिकों के लिए एक यात्रा परामर्श जारी किया, जिसमें उनसे ईरान की सभी गैर-जरूरी यात्राओं से बचने का आग्रह किया गया। इसने ईरान में रहने वाले भारतीय नागरिकों को "सतर्क रहने" और तेहरान में भारतीय दूतावास के संपर्क में रहने की भी सलाह दी। विदेश मंत्रालय (MEA) ने एक बयान में कहा, "हम क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति में हाल ही में हुई वृद्धि पर बारीकी से नज़र रख रहे हैं।" यह परामर्श ईरान द्वारा इजरायल में लगभग 200 मिसाइलों को दागे जाने के एक दिन बाद आया है, जिससे मध्य पूर्व में पूर्ण युद्ध की आशंका पैदा हो गई है। इससे पहले मंगलवार को, इजरायल में भारतीय दूतावास ने अपने सभी नागरिकों को एक परामर्श जारी किया, जिसमें उनसे देश के भीतर अनावश्यक यात्रा से बचने का आग्रह किया गया। "क्षेत्र में मौजूदा स्थिति को देखते हुए, सभी भारतीय नागरिकों को सतर्क रहने और स्थानीय अधिकारियों द्वारा जारी किए गए सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करने की सलाह दी जाती है। कृपया सावधानी बरतें, देश के भीतर अनावश्यक यात्रा से बचें और सुरक्षा आश्रयों के पास रहें। दूतावास ने एक बयान में लिखा, "हम स्थिति पर बारीकी से नज़र रख रहे हैं और अपने सभी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इज़रायली अधिकारियों के साथ नियमित संपर्क में हैं।" इसने संघर्ष प्रभावित देश में रह रहे भारतीय नागरिकों के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए हैं। *जयशंकर ने मध्य पूर्व संकट पर प्रतिक्रिया दी* विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को मध्य पूर्व में बढ़ते संकट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि भारत क्षेत्रीय युद्ध की संभावना को लेकर "बहुत चिंतित" है। हम समझते हैं कि इज़रायल को जवाब देने की ज़रूरत थी, लेकिन हम यह भी मानते हैं कि किसी भी देश द्वारा की जाने वाली किसी भी प्रतिक्रिया में अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून को ध्यान में रखना चाहिए, उसे नागरिक आबादी के लिए किसी भी तरह के नुकसान या किसी भी तरह के प्रभाव के बारे में सावधान रहना चाहिए।" उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका में कार्नेगी एंडोमेंट सेंटर फ़ॉर इंटरनेशनल पीस में बोलते हुए कहा। उन्होंने भारत की स्थिति को भी दोहराया, उन्होंने कहा कि वह 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमास के हमले को "आतंकवादी हमला" मानता है, और कहा कि यह मौजूदा तनाव का "मूल कारण" है। *इजराइल ने जवाबी कार्रवाई करने की कसम खाई* ईरान के रात भर के हमले के बाद, इजरायल ने जवाबी कार्रवाई करने की कसम खाई है, और कहा है कि वह "अपने चुने हुए समय और स्थान" पर जवाब देगा। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के अनुसार, मिसाइल हमला विफल रहा और ईरान जल्द ही एक दर्दनाक सबक सीखेगा, जैसा कि गाजा, लेबनान और अन्य स्थानों पर उसके दुश्मनों ने सीखा है। हालांकि, ईरान ने चेतावनी दी है कि अगर इजरायल ने मिसाइल हमले का जवाब दिया तो वह उसके खिलाफ "कुचलने वाले हमले" करेगा।
सीमा का नया प्रहरीः पाकिस्तान पर यूं नजर रखेगी भारतीय सेना, पाकिस्तान बॉर्डर पर बन रहा एक नया एयरबेस*
#india_is_building_deesa_airfield_130_km_away_from_the_border_of_pakistan अपने पड़ोसी देशों की हरकतों को देखते हुए भारत सेना लगातार अपनी ताकत बढ़ाने में जुटा हुआ है। इसी क्रम में भारत पाकिस्तान बॉर्डर पर एक नया एयरबेस बनाने जा रहा है जिसका नाम डीसा एयरफील्ड है। गुजरात के बनासकांठा में बनने वाले ये नया एयरबेस सीमा पर भारत के प्रहरी के तौर पर तैनात रहेगा। पाकिस्तान की सीमा से सिर्फ 130 किमी दूर गुजरात बनासकांठा जिले में स्थित डीसा शहर में बनने वाले भारतीय वायुसेना के नए स्टेशन का भारतीय रक्षा मंत्रालय ने सर्वेक्षण किया, जिसे ओब्सटेकल लिमिटेशन सरफेस सर्वे के रूप में जाना जाता है। भारतीय रक्षा मंत्रालय ने इस सर्वे का काम सिंगापुर की एक निजी कंपनी को सौंपा है। उसी के तहत सिंगापुर से डीए-62 प्रकार का एक छोटा विमान अहमदाबाद हवाई अड्डे पर पहुंचा। *1000 करोड़ का आएगा खर्च* इस एयरबेस के निर्माण कार्य के लिए 4,519 एकड़ जमीन आवंटित की गई है। इसे बनाने में करीब 1000 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। वहीं रनवे 394 करोड़ की लागत से बनाया जाएगा। यहां आगे चलकर वायुसेना पश्चिमी सीमा पर किसी भी तरह के ऑपरेशंस को अंजाम दे सकती है। चाहे वह जमीन पर हो या फिर समुद्र में हो और इस तरह यह पश्चिमी सीमाओं पर किसी भी तरह के जरूरी हवाई सुरक्षा के लिए हमेशा तैयार रहेगा। ताकि अहमदाबाद और वडोदरा जैसे अहम आर्थिक केंद्रों को दुश्मन के हमलों से बचाया जा सके। इसे कांडला पोर्ट और जामनगर रिफायनरी से पूर्व की दिशा में बनाया जा रहा है। *दुश्मन को मिलेगा मुंह तोड़ जवाब* एयरबेस के बनने के बाद वायुसेना की मौजूदगी अंतरराष्ट्रीय सीमा के काफी करीब तक होगी। किसी भी स्थिति में दुश्मन को मुंह तोड़ जवाब दिया जा सकेगा। इस एयरबेस के निर्माण से गुजरात के आसपास के एयरबेस के बीच 355 किलोमीटर की दूर कम होगी। इसके चलते लड़ाकू विमानों की ऑपरेशन में बढ़ोतरी हो सकेगी। *भारतीय एयरफोर्स की क्षमता कई गुना बढ़ेगी* डीसा एयरफोर्स स्टेशन भुज एयरबेस और राजस्थान के उत्तरलाई एयरबेस के बीच की लंबी दूरी को कम कर देगा। डीसा एयरबेस के निर्माण से पाकिस्तान की मीरपुर खास और जैकोबाबाद की क्षमता के मुकाबले भारतीय एयरफोर्स की क्षमता कई गुना बढ़ेगी।
बुरा ना माने अमेरिका, भारत को भी जवाब देने का अधिकार…एस जयशंकर की यूएस को दो टूक

#sjaishankaronamericanpoliticalleadersmakingcommentsin_india

भारत के विदेश मंत्री एस जशंकर ने अमेरिका में बैठकर उसे ही नसीहत दे डाली है। मंगलवार को अमेरिकी के विदेश मंत्री के साथ डॉक्‍टर एस जयशंकर की वाशिंगटन डीसी में मुलाकात हुई तो उन्‍होंने एंटनी ब्लिंकन को पूरी शालीनता के साथ धो डाला। उन्‍होंने एक पत्रकार के सवाल पर ब्लिंकन की मौजूदगी में कहा कि अगर भारत अमेरिका के लोकतंत्र पर कोई टिप्‍पणी करता है तो भी उन्‍हें बुरा नहीं मानना चाहिए। इस दौरान ब्‍लिंकन महज मुस्‍कुराते हुए नजर आए।

जयशंकर ने अमेरिका के शीर्ष थिंक टैंक 'कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस' में एक सवाल के जवाब में कहा कि अगर आप दो देशों, दो सरकारों के स्तर पर देखें तो हमें लगता है कि यह महत्वपूर्ण है कि लोकतंत्र का परस्पर सम्मान होना। ऐसा नहीं हो सकता कि एक लोकतंत्र को दूसरे पर टिप्पणी करने का अधिकार हो और यह वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र को बढ़ावा देने का हिस्सा है, लेकिन जब दूसरे ऐसा करते हैं तो यह विदेशी हस्तक्षेप बन जाता है।

जयशंकर का अमेरिका को सख्त संदेश

उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि विदेशी हस्तक्षेप विदेशी हस्तक्षेप है, चाहे वह कोई भी करे और कहीं भी हो। मेरा व्यक्तिगत विचार है, जिसे मैंने कई लोगों के साथ साझा किया है। आपको टिप्पणी करने का पूरा अधिकार है, लेकिन मुझे आपकी टिप्पणी पर टिप्पणी करने का भी पूरा अधिकार है। इसलिए जब मैं ऐसा करता हूं तो बुरा नहीं मानना चाहिए। दरअसल हुआ कुछ यूं कि एक पत्रकार ने अमेरिका द्वारा भारतीय लोकतंत्र पर टिप्‍पणी के विषय में सवाल पूछा। जिसके जवाब में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका को सख्त संदेश दिया।

जरूरी नहीं कि देश की राजनीति सीमाओं के भीतर ही रहे-जयशंकर

एस. जयशंकर ने कहा कि दुनिया बहुत वैश्वीकृत हो गई है और इसके परिणामस्वरूप किसी भी देश की राजनीति जरूरी नहीं कि उस देश की राष्ट्रीय सीमाओं के भीतर ही रहे। उन्होंने कहा, अब अमेरिका निश्चित रूप से यह सुनिश्चित करने का विशेष प्रयास करता है कि ऐसा न हो। यह इस बात का हिस्सा है कि आपने कई वर्षों से अपनी विदेश नीति कैसे संचालित की है। अब एक वैश्वीकृत युग में जहां वैश्विक एजेंडे भी वैश्वीकृत हैं, ऐसे पक्ष हैं जो न केवल अपने देश या अपने क्षेत्र की राजनीति को आकार देना चाहते हैं और सोशल मीडिया, आर्थिक ताकतें, वित्तीय प्रवाह, ये सभी आपको ऐसा करने का अवसर देते हैं। आप विमर्श को कैसे आकार देते हैं? तो आपके पास एक पूरा उद्यम है।

भारत ने कभी डॉलर को सक्रियता से निशाना नहीं बनाया-जयशंकर

जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत ने कभी डॉलर को सक्रियता से निशाना नहीं बनाया। यह उसकी आर्थिक, राजनीति एवं रणनीतिक नीति का हिस्सा नहीं रहा है। उन्होंने इस बात की ओर ध्यान दिलाया कि अमेरिका की कुछ नीतियों के कारण भारत को अपने कुछ व्यापार भागीदारों के साथ डॉलर आधारित व्यापार करने में कठिनाई हो रही है।

बुरा ना माने अमेरिका, भारत को भी जवाब देने का अधिकार…एस जयशंकर की यूएस को दो टूक*
#s_jaishankar_on_american_political_leaders_making_comments_in_india *
भारत के विदेश मंत्री एस जशंकर ने अमेरिका में बैठकर उसे ही नसीहत दे डाली है। मंगलवार को अमेरिकी के विदेश मंत्री के साथ डॉक्‍टर एस जयशंकर की वाशिंगटन डीसी में मुलाकात हुई तो उन्‍होंने एंटनी ब्लिंकन को पूरी शालीनता के साथ धो डाला। उन्‍होंने एक पत्रकार के सवाल पर ब्लिंकन की मौजूदगी में कहा कि अगर भारत अमेरिका के लोकतंत्र पर कोई टिप्‍पणी करता है तो भी उन्‍हें बुरा नहीं मानना चाहिए। इस दौरान ब्‍लिंकन महज मुस्‍कुराते हुए नजर आए। जयशंकर ने अमेरिका के शीर्ष थिंक टैंक 'कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस' में एक सवाल के जवाब में कहा कि अगर आप दो देशों, दो सरकारों के स्तर पर देखें तो हमें लगता है कि यह महत्वपूर्ण है कि लोकतंत्र का परस्पर सम्मान होना। ऐसा नहीं हो सकता कि एक लोकतंत्र को दूसरे पर टिप्पणी करने का अधिकार हो और यह वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र को बढ़ावा देने का हिस्सा है, लेकिन जब दूसरे ऐसा करते हैं तो यह विदेशी हस्तक्षेप बन जाता है। *जयशंकर का अमेरिका को सख्त संदेश* उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि विदेशी हस्तक्षेप विदेशी हस्तक्षेप है, चाहे वह कोई भी करे और कहीं भी हो। मेरा व्यक्तिगत विचार है, जिसे मैंने कई लोगों के साथ साझा किया है। आपको टिप्पणी करने का पूरा अधिकार है, लेकिन मुझे आपकी टिप्पणी पर टिप्पणी करने का भी पूरा अधिकार है। इसलिए जब मैं ऐसा करता हूं तो बुरा नहीं मानना चाहिए। दरअसल हुआ कुछ यूं कि एक पत्रकार ने अमेरिका द्वारा भारतीय लोकतंत्र पर टिप्‍पणी के विषय में सवाल पूछा। जिसके जवाब में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका को सख्त संदेश दिया। *जरूरी नहीं कि देश की राजनीति सीमाओं के भीतर ही रहे-जयशंकर* एस. जयशंकर ने कहा कि दुनिया बहुत वैश्वीकृत हो गई है और इसके परिणामस्वरूप किसी भी देश की राजनीति जरूरी नहीं कि उस देश की राष्ट्रीय सीमाओं के भीतर ही रहे। उन्होंने कहा, अब अमेरिका निश्चित रूप से यह सुनिश्चित करने का विशेष प्रयास करता है कि ऐसा न हो। यह इस बात का हिस्सा है कि आपने कई वर्षों से अपनी विदेश नीति कैसे संचालित की है। अब एक वैश्वीकृत युग में जहां वैश्विक एजेंडे भी वैश्वीकृत हैं, ऐसे पक्ष हैं जो न केवल अपने देश या अपने क्षेत्र की राजनीति को आकार देना चाहते हैं और सोशल मीडिया, आर्थिक ताकतें, वित्तीय प्रवाह, ये सभी आपको ऐसा करने का अवसर देते हैं। आप विमर्श को कैसे आकार देते हैं? तो आपके पास एक पूरा उद्यम है। *भारत ने कभी डॉलर को सक्रियता से निशाना नहीं बनाया-जयशंकर* जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत ने कभी डॉलर को सक्रियता से निशाना नहीं बनाया। यह उसकी आर्थिक, राजनीति एवं रणनीतिक नीति का हिस्सा नहीं रहा है। उन्होंने इस बात की ओर ध्यान दिलाया कि अमेरिका की कुछ नीतियों के कारण भारत को अपने कुछ व्यापार भागीदारों के साथ डॉलर आधारित व्यापार करने में कठिनाई हो रही है।
ईरान में इजरायल मचा सकता है बड़ी तबाही, IDF ने कहा- हम जवाब देंगे*
#israel_threatens_direct_strikes_on_iran

इजरायल और ईरान के बीच जंग के पूरे आसार नजर आ रहे हैं। ईरान ने इजरायल पर 200 से अधिक मिसाइलें दागी हैं। ईरान की ओर से की गई इस कार्रवाई के बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि ईरान ने मिसाइल दागकर बहुत बड़ी गलती की है। वहीं, ईरान के इजराइल पर हमले के बाद आईडीएफ एक्टिव हो गया है। आईडीएफ के प्रवक्ता आरएडीएम. डैनियल हगारी ने कहा, ईरान की कई मिसाइलों को रोक लिया गया, लेकिन हम ईरान के इस हमले का जवाब देंगे। ईरान के इस हमले के बाद इजराइल एक्शन मोड में आ चुका है। इजराइल के आईडीएफ प्रवक्ता आरएडीएम डैनियल हगारी ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर एक आधिकारिक बयान शेयर किया। आईडीएफ प्रवक्ता ने कहा, ईरान ने इजराइल पर 180 से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइलों दागी। उन्होंने आगे कहा, ईरान के इस हमले में इजराइल के केंद्र में हमले हुए और दक्षिणी इजराइल में हमले हुए। आईडीएफ प्रवक्ता ने कहा, लेकिन ईरान की ज्यादातर मिसाइलों को रोक दिया गया। मिसाइलों को इजराइल और अमेरिका के रक्षात्मक गठबंधन ने रोक दिया। आईडीएफ प्रवक्ता ने ईरान को चेतावनी देते हुए कहा, इस हमले के चलते ईरान को परिणाम भुगतने पड़ेंगे। हमारी रक्षात्मक और आक्रामक क्षमताएं हाई लेवल पर तैयार है। हमारे ऑपरेशन को अंजाम देने के प्लान तैयार है। हम इजराइल की सरकार के निर्देश के मुताबिक जवाब देंगे। सरकार जहां भी, जब भी और जैसे भी चुनेगी, हम तब ही ईरान को जवाब देंगे। द वॉल स्ट्रीट जर्नल की मंगलवार की रिपोर्ट में अरब अधिकारियों का हवाला देते हुए कहा गया है कि ईरान के मिसाइल हमले के बाद इजरायल ने तेहरान के परमाणु या ऑइल फैसिलिटी को निशाना बनाकर सीधे जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी है। इजरायली अधिकारियों ने कथित तौर पर इस बात पर जोर दिया कि हमले का जवाब देगा, भले ही हमले में ज्यादा नुकसान ना हुआ ओ। इजरायल की प्रतिक्रिया ये संकेत देती है कि ईरान की न्यूक्लियर साइट उसका निशाना हो सकती हैं। ईरान के मिसाइल हमले के बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि तेहरान ने ‘बड़ी गलती’ की है और उसे इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि मंगलवार रात को इजरायल पर किया गया ईरान का मिसाइल हमला ‘नाकाम’ रहा। पीएम नेतन्याहू ने कहा, इजरायल की एयर डिफेंस सिस्टम की बदौलत ईरान के हमले को विफल कर दिया गया, जो दुनिया में सबसे एडवांस है। उन्होंने अमेरिका को भी इसके लिए धन्यवाद दिया। ईरान के इस हमले के बाद इजराइल से लेकर अमेरिका एक्टिव मोड में आ गया है। राष्ट्रपति बाइडेन इजराइल के समर्थन में आ गए हैं। वहीं, राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार कमला हैरिस ने भी ईरान की इस अटैक के लिए निंदा की है। ईरान द्वारा इस्राइल पर लगभग 200 मिसाइलें दागे जाने के कुछ घंटों बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि, अमेरिका इजराइल का पूरी तरह से समर्थन करता है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने हमले को लेकर रहा कि, मेरे निर्देश पर अमेरिका की सेना ने इस्राइल की रक्षा का सक्रिय रूप से समर्थन किया है और हम अभी भी इसके प्रभाव का आकलन कर रहे हैं। लेकिन अब जो हमें पता है कि ईरान का ये हमला पूरी तरह से विफल और अप्रभावी प्रतीत होता है। यह इजराइल की सैन्य क्षमता और अमेरिकी सेना का प्रमाण है।
ईरान ने इजरायल पर किए ताबड़तोड़ मिसाइल हमले, मिनटों में दागे 500 रॉकेट, नेतन्याहू ने कहा-कीमत चुकानी पड़ेगी

#iran_missile_attacks_on_israel

हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह की मौत के बाद मिडिल ईस्ट में एक बड़ी जंग छिड़ गई है।ईरान ने इजराइल पर कई बैलेस्टिक मिसाइलें दाग दी।ईरान ने मंगलवार रात को इजरायल पर करीब 500 रॉकेट दागे। इससे पूरे इजरायल में रॉकेट सायरन बजने लगे। इजरायली सेना ने तुरंत सभी लोगों को बम शेल्टर में शरण लेने की सलाह दी। इस दौरान आसमान में मिसाइल इंटरसेप्शन से धमाकों की आवाजें लगातार आती रहीं।

ईरानी मीडिया ने ये भी दावा किया है कि इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद के मुख्यालय पर भी हमला किया है। ईरान ने ये भी दावा किया है कि उसने बैलिस्टिक मिसाइलों ने नेटजारिम कॉरिडोर पर इजराइली टैंकों को भी निशाना बनाया गया है। इसमें ईरान ने इजराइल के 20 एफ-35 लड़ाकू विमान को भी मार गिराया है।

जेरूशलम पोस्ट के अनुसार, उत्तरी तेल अवीव में जॉर्ज वीस स्ट्रीट पर एक इमारत पर सीधा हमला हुआ, हालांकि, अभी तक किसी के हताहत होने की सूचना नहीं मिली है। तेल अवीव के साथ-साथ डिमोना, नबातिम, होरा, होद हशरोन, बीर शेवा और रिशोन लेज़ियन में भी कई रॉकेटों के गिरने की खबर है। सोशल मीडिया पर शेयर किए जा रहे एक वीडियो में मृत सागर में मिसाइल और इंटरसेप्टर के टुकड़ों को गिरते हुए देखा गया है।

ईरान के इस हमले से बचने के लिए इजराइल का सबसे मुख्य कवच ऑयरन डोम सिस्टम ने कई मिसाइलों को हवा में ही नष्ट कर दिया है। लेकिन इस कवच को तोड़ने के लिए ईरान ने एक के बाद एक मिसाइलें लॉन्च करके इजराइल के कवच को चकमा देने का काम किया है।

हालांकि इस हमले के लिए इजराइल पहले से ही तैयार था, इसीलिए इजराइल ने पहले ही अपने नागरिकों को शेल्टर हाउस में शिफ्ट करने के लिए आदेश जारी कर दिया था। आईडीएफ ने कहा है कि ईरान की ओर से इजराइल पर रॉकेट दागे जाने के कारण सभी नागरिक बम शेल्टर में शिफ्ट कर दिए है।

वहीं, ईरान के मिसाइल हमले के बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि तेहरान ने ‘बड़ी गलती’ की है और उसे इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि मंगलवार रात को इजरायल पर किया गया ईरान का मिसाइल हमला ‘नाकाम’ रहा। पीएम नेतन्याहू ने कहा, इजरायल की एयर डिफेंस सिस्टम की बदौलत ईरान के हमले को विफल कर दिया गया, जो दुनिया में सबसे एडवांस है। उन्होंने अमेरिका को भी इसके लिए धन्यवाद दिया। नेतन्याहू ने यह भी याद दिलाया कि वह अपने स्थापित नियम – जो कोई हम पर हमला करेगा, हम उस पर हमला करेंगे – पर कायम रहेंगे।

मद्रास हाईकोर्ट का सद्गुरु से सवालः आपकी बेटी तो शादीशुदा, दूसरों की बेटियों को संन्यासी बनने के लिए क्यों कह रहे*
#madras_high_court_vs_isha_foundation_sadhguru
मद्रास हाई कोर्ट ने ईशा फाउंडेशन के सद्गुरु जग्गी वासुदेव से कड़े सवाल पूछे हैं। मद्रास हाई कोर्ट के जस्टिस एसएम सुब्रह्मण्यम और जस्टिस वी शिवागणनम ने एक सुनवाई के दौरान उनसे पूछा कि वो युवतियों को संन्यास के तौर-तरीके अपनाने को क्यों कह रहे हैं? कोर्ट ने पूछा कि जब उन्होंने अपनी बेटी की शादी कर दी है, तो दूसरों की बेटियों को सिर मुंडवाने और सांसारिक जीवन त्यागकर संन्यासियों की तरह रहने के लिए क्यों प्रोत्साहित कर रहे हैं? जस्टिस एसएम सुब्रमण्‍यम और जस्टिस वी शिवगनम की बेंच ने जग्गी वासुदेव से यह सवाल एक रिटायर्ड प्रोफेसर की याचिका पर पूछा है। दरअसल, कोयंबटूर में तमिलनाडु एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के रिटायर्ड प्रोफेसर एस कामराज ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ याचिका लगाई है। उनका आरोप है कि उनकी दो बेटियों- गीता कामराज उर्फ मां माथी (42 साल) और लता कामराज उर्फ मां मायू (39 साल) को ईशा योग सेंटर में कैद में रखा गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि ईशा फाउंडेशन ने उनकी बेटियों का ब्रेनवॉश किया, जिसके कारण वे संन्यासी बन गईं। उनकी बेटियों को कुछ खाना और दवा दी जा रही है, जिससे उनकी सोचने-समझने की शक्ति खत्म हो गई है। कोयंबटूर की तमिलनाडु एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले एस कामराज ने हाइ कोर्ट में बेटियों की सशरीर पेशी की गुहार लगाई। दोनों ने अदालत में पेश होकर कहां कि वे अपनी मर्जी से कोयंबटूर स्थित सेंटर में रहती हैं। उन्हें कैद में नहीं रखा गया है। ईशा फाउंडेशन ने भी दावा किया कि महिलाएं स्वेच्छा से उनके साथ रही हैं। फाउंडेशन की दलील थी कि जब दो स्वतंत्र वयस्क जीवन में अपना रास्ता चुनने के लिए स्वतंत्र हैं, तो उसे अदालत की चिंता समझ नहीं आती। हालांकि, जजों ने मामले की आगे जांच करने का फैसला किया और पुलिस को ईशा फाउंडेशन से संबंधित सभी मामलों की सूची तैयार करने का निर्देश दिया। द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार जस्टिस सुब्रमण्यम ने जवाब दिया, आप नहीं समझेंगे क्योंकि आप एक विशेष पक्ष के लिए पेश हो रहे हैं। लेकिन यह अदालत न तो किसी के पक्ष में है और न ही किसी के खिलाफ है। हम केवल वादियों के साथ न्याय करना चाहते हैं।
ब्रिक्स में क्यों शामिल होना चाहता है तुर्की? भारत, चीन और रूस वाले आर्थिक गुट में आने की ये है वजह*
#why_turkey_wants_to_join_brics
तुर्की ब्रिक्स में शामिल होना चाहता है, जानकारी के मुताबिक अंकारा ने ब्रिक्स मे शामिल होने के लिए आवेदन दिया है। हालांकि तुर्की की ओर से आधिकारिक तौर पर इसका ऐलान नहीं किया गया है। तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोयन की पार्टी के प्रवक्ता उमर सेलिक ने भी हाल ही में ये कहा था कि तुर्की के ब्रिक्स में शामिल होने का प्रक्रिया शुरू हो गई है। वहीं, कुछ दिनों पहले रूस के राष्ट्रपति कार्यालय के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने जानकारी दी थी कि तुर्की ने ब्रिक्स में शामिल होने की इच्छा जताई है। ब्लूमबर्ग एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक तुर्की ने कई महीने पहले ही ब्रिक्स में शामिल होने की अर्ज़ी दे दी है। अब सवाल ये कि आखिर तुर्की क्यों संगठन में आना चाहता है? जानकारों की मानें तो तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआन एक ओर मुस्लिम देशों के बीच वर्चस्व स्थापित करना चाहते हैं तो वहीं दूसरी ओर अपना वैश्विक प्रभाव बढ़ाने पर भी उनका ज़ोर है। आने वाले समय में ब्रिक्स को डब्ल्यूटीओ (विश्व व्यापार संगठन), आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक जैसे पश्चिमी देशों के वर्चस्व वाले संगठन के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि तुर्की आर्थिक विकास के लिए अधिक अवसर और वित्तीय सहायता हासिल करने के लिए ब्रिक्स में शामिल होना चाहता है। दरअसल ज्यादातर देश पश्चिमी देशों के कड़े प्रतिबंधों से परेशान हैं और वह ब्रिक्स के न्यू डेवलपमेंट बैंक की मदद चाहते हैं। आर्थिक संकट से निकलने की कोशिश दरअसल, तुर्की को विदेशी निवेश की ज़रूरत है क्योंकि देश एक गंभीर आर्थिक संकट से गुज़र रहा है। अगर तुर्की की अर्थव्यवस्था धराशाई होती है तो ये यूरोपीय बैंकों के लिए भी ख़तरनाक होगा क्योंकि तुर्की की अर्थव्यवस्था उन्हीं पर निर्भर है। तुर्की का आधा कारोबार यूरोपीय संघ के देशों के साथ है।काउंसिल ऑफ़ यूरोपियन यूनियन के मुताबिक तुर्की 31.8% हिस्से के साथ यूरोपीय संघ का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है। साल 2022 में यूरोपीय संघ और तुर्की के बीच कुल 200 बिलियन यूरो का ट्रेड हुआ था। ब्रिक्स के जरिए अपने कई हितों को साधने की तैयारी में तुर्की यूरोप से बाहर नये आर्थिक प्लेटफॉर्म की तलाश में है। उसका अपना कहना है कि ब्रिक्स के साथ जुड़कर,तुर्की का लक्ष्य पूर्व और पश्चिम के बीच एक सेतु के रूप में अपनी भूमिका को मजबूत करना है, जिससे अंतरराष्ट्रीय मामलों में इसका रणनीतिक महत्व बढ़ेगा। तुर्की नाटो देशों का सदस्य है लेकिन रूस का करीबी दोस्त होने की वजह से पश्चिमी देशों के साथ उसके संबंध कुछ खास नहीं रहे हैं। इसके अलावा बताया जाता है कि तुर्की चीन के प्रभाव वाले संगठन एससीओ में भी शामिल होना चाहता है, लिहाज़ा रूस और चीन के प्रभाव वाले ब्रिक्स के जरिए वह अपने कई हितों को साध सकता है। माना जा रहा है कि ब्रिक्स में शामिल होने के बावजूद तुर्की नाटो से अपने संबंध तोड़ने वाला नहीं है, बल्कि वह पश्चिमी देशों से इतर नए गुटों के साथ जुड़कर अपने वैश्विक प्रभाव को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। दरअसल तुर्की अपनी विदेश नीति में बदलाव लाना चाहता है, जिससे उसकी इस इमेज में बदलाव भी आए कि वो मुस्लिम देशों का अगुवा बनना चाहता है। ब्रिक्स क्या है? शुरू में ये समूह ब्रिक कहलाता था। ये विकासशील देशों का एक समूह है जिसका गठन वर्ष 2006 में हुआ था। इसमें ब्राज़ील, रूस, भारत और चीन शामिल थे। साल 2010 में इस समूह में दक्षिण अफ़्रीका भी शामिल हो गया और तब इसका नाम ब्रिक से बदल ब्रिक्स कर दिया गया। ब्रिक्स का गठन उत्तरी अमेरिका और पश्चिमी यूरोप के अमीर देशों की राजनीतिक और आर्थिक शक्ति को चुनौती देने के लिए, दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण विकासशील देशों को एकजुट करने के मकसद से हुआ था। इस आर्थिक अलायंस में हाल के वर्षों में कई विस्तार हुए हैं। अब इसमें ईरान, मिस्र, इथीयोपिया और संयुक्त अरब अमीरात भी शामिल हो चुके हैं। सऊदी अरब ने भी इस समूह में शामिल होने की इच्छा ज़ाहिर की है और अज़रबैजान ने तो सदस्यता के लिए औपचारिक अर्ज़ी भी दे दी है।
पाकिस्तान पहुंचते ही भगोड़े जाकिर नाइक ने उगला जहर, भारत में गोमांस पर प्रतिबंध को लेकर कही ये बीत

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भारत का वांटेड जाकिर नाइक पाकिस्तान पहुंचा है।जाकिर नाइक ने पाकिस्तान पहुंचते ही जहर उगलना शुरू कर दिया है। पाकिस्तान में जाकिर नाइक यरुशलम स्थित अल अक्सा को इस्लाम का तीसरा सबसे पवित्र स्थल बताते हुए जिहाद के लिए उकसा रहा है। उसने इजरायल के खिलाफ जिहाद की वकालत करते हुए कहा कि यह तब तक जारी रहना चाहिए, जब तक आखिरी यहूदी को हटा नहीं दिया जाता।

पाकिस्तान पहुंचने के बाद जाकिर नाइक ने अलग-अलग कार्यक्रमों और टीवी चैनलों से इस्लाम से लेकर हमास-इजराइल जंग और भारत न जाने को लेकर बात की है। धार्मिक और अंतरधार्मिक सद्भाव मामले के मंत्रालय के एक कार्यक्रम में पत्रकारों से बातचीत में हमास और इजराइल के बीच जारी जंग पर बोलते हुए ज़ाकिर नाइक ने कहा, “अल्लाह का प्लान बेस्ट ऑफ़ प्लान है, जिसका इंसान को बाद में पता चलता है। मिसाल के तौर पर अल्लाह तआला फ़िलिस्तीन को अगर एक दिन में जिताना चाहता तो जिता सकता था लेकिन नहीं जिताया क्योंकि अल्लाह बेहतर प्लानर है। जाकिर नाइक ने आगे कहा कि अगर अल्लाह एक दिन में फ़िलिस्तीन को जिता देता तो एक साल तक चली जंग में हज़ारों लोग आज फ़िलिस्तीन के पक्ष में नहीं होते। सात अक्तूबर को हुई घटना के बाद 99 फ़ीसदी ग़ैर मुस्लिम इजराइल के पक्ष में थे लेकिन आज 99 फ़ीसदी लोग गाजा को सही कह रहे हैं।

जाकिर नाइक ने कहा कि 'आज जो मुसलमान गाजा में कर रहे हैं, मेरे हिसाब से वह फर्ज के साथ हैं। वे दुनिया में इस्लाम के तीसरे सबसे पवित्र स्थल अल अक्सा की रक्षा कर रहे हैं। अगर वे नहीं करेंगे तो यह हम पर फर्ज होगा।' उसने गाजा के मुसलमानों के लिए जिहाद में शामिल होना अनिवार्य बताया। जाकिर नाइक ने पाकिस्तानी देवबंदी विद्वान तकी उस्मानी के फतवे का समर्थन किया, जिसमें इजरायली बमबारी बंद करने का आह्वान तो किया गया, लेकिन इजरायल के खिलाफ लड़ाई जारी रखने को कहा गया था। नाइक ने कहा कि जिहाद तब तक जारी रहना चाहिए, जब तक आखिरी यहूदी को (इजरायल से) हटा नहीं दिया जाता।

पाकिस्तान के मशहूर न्यूज चैनल जियो न्यूज़ ने भी जाकिर नाइक से बात की है। जियो न्यूज के रिपोर्टर इरफान सिद्दीकी ने जाकिर नाइक से बातटीत का वीडियो एक्स पर पोस्ट किया है।

रिपोर्टर ने पूछा कि क्या भारत के मुसलमानों को गोमांस पर प्रतिबंध का पालन करना चाहिए? इस सवाल पर नाइक ने कहा, एक निजी राय और एक इस्लामी राय होती है। इस्लामी शरीयत ये कहता है कि जिस भी मुल्क में आप रह रहे हैं, उस मुल्क के कानून का आप पालन करें जब तक कि वो मुल्क अल्लाह और रसूल के कानून के खिलाफ न जाए। 

नाइक ने आगे कहा कि गोमांस खाना इस्लाम में फर्ज नहीं है। अगर कोई पाबंदी लगाता है तो हमें इसका पालन करना चाहिए। निजी राय मुझसे पूछेंगे तो बीफ़ बैन एक राजनीतिक मुद्दा है क्योंकि करोड़ों की तादाद में हिंदू भी गोमांस खाते हैं। नई सरकार के आने के बाद कई राज्यों में गोमांस पर पाबंदी लगाई गई है। अगर आप लड़की का उत्पीड़न करते हैं तो तीन साल की सजा है और गोमांस खाने पर पांच साल की सजा है, ये कौन सा तर्क हुआ।

मानहानि केस में राहुल गांधी को समन भेजा, सावरकर के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी का मामला

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महाराष्ट्र के नासिक जिले की एक अदालत ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को तलब किया है। नासिक की अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, नासिक, दीपाली परिमल कडुस्कर ने 27 सितंबर को राहुल गांधी को एक समन जारी किया। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, नासिक, दीपाली परिमल कडुस्कर ने 27 सितंबर को पेश होने के लिए राहुल गांधी को नोटिस जारी किया है। राहुल को हिंदुत्व विचारक विनायक दामोदर सावरकर के खिलाफ कथित आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए उनके खिलाफ दायर मानहानि के मामले में तलब किया गया है।

नोटिस में कहा गया कि एक देशभक्त व्यक्ति के खिलाफ दिया गया बयान प्रथम दृष्टया मानहानिकारक लगता है। मामले की अगली तारीख पर राहुल गांधी को व्यक्तिगत रूप से या अपने कानूनी प्रतिनिधि के माध्यम से पेश होना होगा। इस पर अभी फैसला होना बाकी है।

मामले में शिकायतकर्ता एक एनजीओ के निदेशक हैं। उनका दावा है कि उन्होंने हिंगोली में राहुल की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस और नवंबर 2022 में कांग्रेस नेता का भाषण भी देखा। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल ने दोनों मौकों पर वीर सावरकर की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया और समाज में उनकी छवि को बदनाम करने की भी कोशिश की। उन्होंने कहा कि आरोपी के भाषण और प्रेस बयानों से शिकायतकर्ता के आदर्श स्वातंत्र्यवीर सावरकर की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई है। इतना ही नहीं आजादी से पहले के समय में सावरकर द्वारा किए गए नेक कामों के साथ-साथ समाज के प्रति उनके योगदान को भी बदनाम किया गया है।

कोर्ट ने सभी दलीलों पर विचार करने के बाद कहा कि रिकॉर्ड को देखते हुए ऐसा लगता है कि अभियुक्त के एक देशभक्त व्यक्ति के खिलाफ दिए गए बयान प्रथम दृष्टया अपमानजनक लगते हैं। मजिस्ट्रेट ने कहा कि मामले में आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त आधार हैं। इसके बाद अदालत ने राहुल के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 499 (मानहानि) और 504 (जानबूझकर अपमान) के तहत अपराधों के लिए मामला शुरू करने का फैसला किया।