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नसरल्लाह की मौत ने ईरान दे रहा धमकी, क्या इजराइल को अकेले रोक पाएंगे अयातुल्ला खामनेई?

#middle_east_israel_hezbollah_war 

इजराइल के हमले में लेबानानी गुट हिजबुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह की मौत से ईरान को बड़ा झटका लगा है। ईरान अब बदले की आग में धधक रहा है। ईरान के सामने ये सवाल खड़ा हो गया है कि वह अपने महत्वपूर्ण सहयोगी हिजबुल्लाह को हुए नुकसान की भरपाई कैसे करे और अपने क्षेत्रीय प्रभाव को कैसे बरकरार रखे। दरअसल, ईरान ये भली भांति जानता है कि वो चाहकर भी इजरायल का बाल भी बांका नहीं कर पाएगा।

करीब एक साल से इजराइल ने पूरे मिडिल ईस्ट की नाक में दम कर रखा है। दुनिया के बड़े बड़े ताकतवर मुल्क इजराइल से युद्ध रोकने की मांग रहे हैं, बावजूद इसके वो अपने एजेंडे को अंजाम देने में जुटा है और हर गुजरते दिन के साथ अपने दुश्मनों का खात्मा कर रहा है। इजराइल ने लेबनान पर ताबड़तोड़ हवाई हमले कर हाल ही में हिजबुल्ला प्रमुख सयैद हसन नसरल्ला का खात्मा कर दिया।

ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामनेई ने नसरल्लाह की मौत पर आक्रामक रुख दिखाते हुए कहा है कि उनकी मौत व्यर्थ नहीं जाएगी। ईरान के आईआरजीसी कमांडर अब्बास निलफोरोशान की मौत भी नसरल्ला के साथ हुई है। अपने सैन्य अफसर की हत्या ईरान के लिए शर्म की वजह बनी है और इससे उस पर इजरायल के खिलाफ कार्रवाई का दबाव बढ़ा है। हालांकि, ये भी सच है कि नसरल्लाह की हत्या से भी इस तथ्य में कोई बदलाव नहीं आया है कि तेहरान संघर्ष में सीधे शामिल नहीं होना चाहता है। क्योंकि ईरान ये अच्छी तरह से जानता है कि वो चाहकर भी इजरायल का बाल भी बांका नहीं कर पाएगा।

दरअसल, इजरायल के पीछे अमेरिका खड़ा है।अमेरिका हर तरफ फैले अपने सैन्य ठिकानों का इस्तेमाल दुनिया में कहीं भी बैठे दुश्मनों से निपटने और सहयोगियों की मदद करने के लिए करता है। हाल के सालों में अमेरिका ने मिडिल ईस्ट के साथ-साथ साऊथ एशिया में भी अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ाई है। इस समय अमेरिका के 80 देशों में करीब 750 सैन्य अड्डे हैं, इन देशों में सबसे ज्यादा 120 मिलिट्री बेस जपान में हैं।

अमेरिका ने पूरे मिडिल ईस्ट में मिलिट्री बेस का ऐसा जाल बिछा लिया है। मिडिल ईस्ट के लगभग 19 देशों में अमेरिका के मिलिट्री बेस हैं, जिनमें से प्रमुख कतर, बहरीन, जॉर्डन, और सऊदी अरब में हैं। मिडिल ईस्ट में बढ़े तनाव में अमेरिका के ये मिलिट्री बेस अहम भूमिका निभा रहे हैं और इजराइल की सुरक्षा के लिए कवच बने हुए हैं। जिसे चाह कर भी अरब देश इसे नहीं तोड़ पा रहे हैं। 

इसके अलावा अमेरिका के सैन्य अड्डे तुर्की और जिबूती में भी हैं, ये देश पूरी तरह मिडिल ईस्ट में तो नहीं आते पर कई रणनीतिक तौर से इन देशों में सेना रखने से पूरे मिडिल ईस्ट पर नजर रखने में मदद मिलती है।

अमेरिकी सेना का मजबूती के साथ मिडिल ईस्ट के देशों में बने रहने का एक बड़ा कारण ईरान और क्षेत्रीय मिलिशिया भी हैं जो कट्टर इस्लामी राज को मिडिल ईस्ट में स्थापित करना चाहती हैं। ईरान की शिया विचारधारा को सुन्नी देश अपने अस्तित्व के लिए खतरा मानते हैं और ईरान से सुरक्षा के लिए अमेरिका से मदद की उम्मीद रखते हैं। ज्यादातर अरब देश अमेरिका की सेना की उपस्थिति को अपने देश की स्थिरता के लिए जरूरी मानते हैं। अमेरिका अपना सैन्य बेस बनाने के बदले उन देशों को बाहरी खतरों से सुरक्षा की गारंटी और अंतरराष्ट्रीय स्थर पर कई राणनीतिक लाभ देता है। साथ ही गरीब देशों को भारी सैन्य और आर्थिक मदद भी दी जाती है।

मिडिल ईस्ट में इजराइल अमेरिका का खास अलाय है और दोनों के मजबूत राजनीतिक और सैन्य संबंध हैं। इजराइल चारों तरफ से मुस्लिम देशों से घिरा एक यहूदी देश है और फिलिस्तीनियों की जमीन पर कब्जे के कारण, ये देश इजराइल से उलझते रहे हैं। इस हालात में मिडिल ईस्ट के चारों तरफ इतनी बड़ी तदाद में अमेरिकी सैन्य अड्डे होने से इजराइल को बड़ा लाभ मिल रहा है।

गाजा लेबनान में अमानवीय कार्रवाई के बावजूद कोई देश भी उसपर सैन्य कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। यहां तक कि ईरान भी अभी तक धमकी ही दे पाया है, लेकिन वे सीधे तौर पर इस जंग में कूदने का साहस नहीं ला पाया है।

यही नहीं हाल के दिनों में इजराइल की ओर से तेज हुए हमलों और हिजबुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह की मौत के बाद पैदा हे जंग के हालात के बीच अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने बड़ा कदम उठाया है। इजरायल का साथ देने के लिए अमेरिका ने समूचे पश्चिम एशिया में लड़ाकू विमानों का दस्ता और विमान वाहक पोत तैनात करने का फैसला किया है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के मुख्यालय पेंटागन ने यह जानकारी दी। पेंटागन ने बताया कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ईरान और उसके सहयोगियों के संभावित हमलों से इजरायल की रक्षा करने और अमेरिकी सैनिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पश्चिम एशिया में सैन्य उपस्थिति बढ़ाने का निर्णय लिया है। इसके तहत अमेरिकी लड़ाकू विमानों और युद्ध पोत के दस्ते ने इजरायल के चारों ओर उसकी रक्षा के लिए घेरा बनाना शुरू कर दिया है।

मारा गया नसरल्ला और आंसू महबूबा के निकल रहे हैं” वीएचपी प्रवक्ता विनोद बंसल ने पीडीपी प्रमुख को घेरा

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हिजबुल्ला चीफ हसन नसरल्ला की मौत के बाद भारत में सियासत तेज हो गई है। एक तरफ पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने इजरायली हमले में मारे गए हिजबुल्ला नेता नसरल्ला को शहीद बताया तो दूसरी तरफ विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने तंज कसा है। उन्होंने कहा, "मारा नसरल्ला गया है और आंसू महबूबा के निकल रहे हैं"

विनोद बंसल ने कहा, "राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने जो बयान दिया है, मैं उनसे यही कहूंगा कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्‍छेद -370 खत्म हो गया है और उनकी मानसिक विदाई का भी समय आ गया है। यह सब तो अब तक खत्म हो जाना चाहिए था।"

विनोद बंसल ने कहा, "महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि अगर अनुच्‍छेद-370 खत्म हो गया, तो कश्मीर घाटी में कोई तिरंगा उठाने वाला नहीं मिलेगा। लेकिन, अब वहां चारों और सिर्फ तिरंगा ही दिखाई देता है। उन्हें अब गाजा के लिए बाजा बजाना और आतंकियों के लिए आंसू बहाना बंद कर देना चाहिए।" उन्होंने कहा, "हिजबुल्ला चीफ हसन नसरल्ला के साथ उनका कोई भला नहीं होने वाला है। अगर भला होगा तो भारत तथा मानवता और यूएन के साथ खड़ा होकर ही हो पाएगा। उन्हें अब आतंकियों की पैरवी बंद कर देनी चाहिए। जम्मू-कश्मीर के लोग भी उनकी मानसिकता को अच्छी तरह से समझ रहे हैं। इसलिए उन्हें मानवता की ‘महबूबा' बनना है। अन्यथा समाज उन्हें छोड़ेगा नहीं।"

मुफ्ती ने नसरुल्ला को बताया शहीद

इससे पहले महबूबा मुफ्ती ने नसरुल्ला को शहीद बताया और कल (रविवार) के अपने सभी चुनावी कार्यक्रम रद कर दिए थे।महबूबा मुफ्ती ने एक्स पर लिखा कि लेबनान और गाजा के शहीदों, खासकर हसन नसरुल्ला के साथ एकजुटता दिखाने के लिए मैं कल (रविवार) अपना अभियान रद्द कर रही हूं। हम इस दुख और अनुकरणीय प्रतिरोध की घड़ी में फिलीस्तीन और लेबनान के लोगों के साथ खड़े हैं।

कौन था नसरुल्ला?

बता दें कि हसन नसरुल्ला सन् 1992 से हिजबुल्लह का चीफ था। वह लेबनान की मजबूत राजनीतिक और सैन्य ताकत के रूप में उभरा था। उसे न सिर्फ लेबनान में बल्कि पश्चिम एशिया के प्रभावशाली लोगों में से एक माना जाता था। नसरुल्ला ने 30 सालों से भी ज्यादा समय तक आतंकवादी ग्रुप हिजबुल्ला की लीडरशिप की।

मिथुन चक्रवर्ती को मिलेगा दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड, केंद्रीय ने किया ऐलान*
#mithun_chakraborty_got_dadasaheb_phalke_award
दिग्गज अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती के नाम एक और उपलब्धि जुड़ गई है। उन्हें दादा साहब फाल्के पुरस्कार दिया जा रहा है।केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार इस साल दिग्गज बॉलीवुड एक्टर मिथुन चक्रवर्ती को दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड से नवाजेगी। इसका ऐलान केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने किया है। अश्विनी वैष्णव ने मिथुन के नाम का ऐलान करते हुए ट्वीट किया, “मिथुन दा के सफर ने पीढ़ियों को प्रेरणा दी है। भारतीय सिनेमा में मिथुन चक्रवर्ती जी के योगदान के लिए दादासाहेब फाल्के सेलेक्शन ज्यूरी ने उन्हें ये अवॉर्ड देने का फैसला किया है। उन्हें सम्मान उन्हें 70वें नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स समारोह के दौरान 8 अक्टूहर 2024 को दिया जाएगा।” पिछले साल वहीदा रहमान को इस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। मिथुन चक्रवर्ती हिंदी सिनेमा के उम्दा कलाकार हैं। कोलकाता की गलियों से आए मिथुन दा ने फिल्मी दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई है। 1976 के बाद से फिल्मों में उनका अभिनय का दम दिख रहा है। मिथुन 80 के दशक के लोकप्रिय अभिनेता रहे हैं। उन्होंने हिंदी फिल्मों में डांस को एक नई पहचान दी थी। एक दौर था जब फिल्म मिथुन के डांस से ही हिट हो जाती थी। अभिनेता मिथुन ने अलग-अलग भाषाओं- बंगाली, हिंदी, ओड़िया, भोजपुरी, तमिल, तेलुगू, कन्नड़ और पंजाबी में कई शानदार फिल्में की हैं। उनकी बॉलीवुड डेब्यू फिल्म दो अंजाने थी। इस फिल्म में उनका बहुत छोटा रोल था। इसके बाद उन्होंने तेरे प्यार में, प्रेम विवाह, हम पांच, डिस्को डांसर, हम से है जमाना, घर एक मंदिर, अग्निपथ, तितली, गोलमाल 3, खिलाड़ी 786 और द ताशकंद फाइल्स में काम किया।
आतंक के आका नसरल्लाह की मौत पर भारत में क्यों मचा है बवाल, जम्मू-कश्मीर से लेकर यूपी तक विरोध प्रदर्शन

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‘हिजबुल्लाह’ को दुनिया एक आतंकी संगठन के रूप में जानती है। यूरोपीय संघ ने 22 जुलाई 2013 को हिजबुल्लाह के सैन्य विंग को एक आतंकवादी संगठन के रूप में नामित किया था। ‘हिजबुल्लाह’ को संयुक्त राज्य अमेरिका और कई अन्य देशों द्वारा एक आतंकवादी संगठन के रूप में चिन्‍हित किया गया है। इसी ‘हिजबुल्लाह’ को इजराइल ने मिटा देने की कसम खाई है और वो लगातार इसपर हमले कर रहा है। इसी क्रम में लेबनान में हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह को भी ढेर कर दिया है।

लेबनान में हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह की हत्या के बाद जम्मू-कश्मीर में भारी विरोध-प्रदर्शन देखा जा रहै है। जम्मू-कश्मीर के लोग सड़कों पर उतर आए हैं। इजरायल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। साथ ही लेबनान को अपना पूरा समर्थन देने की अपील कर रहे हैं।

जम्मू-कश्मीर में प्रदर्शन कर रही एक लड़की ने कहा कि अब हर घर से हिजबुल्लाह निकलेगा। उन्होंने कहा कि आपने एक हिजबुल्लाह चीफ को मारा है, लेकिन अब हर घर से हिजबुल्लाह निकलेगा। मैं हर उस इंसान से बात कर रही हूं, जो फिलिस्तीन के खिलाफ है।

इजराइल को नहीं पता कि उसने किसे मारा है। हम सभी शिया मुसलमान आतंकवादी नसरल्लाह और हिजबुल्लाह के साथ खड़े हैं।लेबनान के लोगों, डरो मत, इज़राइल से लड़ो, हम तुम्हारे साथ हैं।फिलिस्तीन का विरोध करने वाले ध्यान से सुन लें, हम सभी शिया मुसलमान हिजबुल्लाह और हमास के साथ खड़े हैं।

दरअसल हिजबुल्लाह शिया मुस्लिमों वाला संगठन है जिसे शिया देश ईरान का समर्थन है।

क्या इजराइल से नसरल्लाह की मौत का बदला लेंगे ईरान समेत 57 देश, जंग में शामिल होंगे दूसरे इस्लामिक देश?

#irancalledoicmeetingafterdeathofhezbollahchiefhassannasrallah

इजराइल की ओर से लगातार हिजबुल्लाह के ठिकानों को निशाना बनाया जा रहा है। पूरी दुनिया इजराइल और लेबनान के युद्ध से हिल गई है।हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह की मौत के बाद मिडिल ईस्ट में बवाल मचा हुआ है। नसरल्लाह की हत्या के बाद ईरान बौखलाया हुआ है। ईरान में इजराइल से बदले की मांग उठ रही है। ऐसे में ईरान ने इस्लामिक देशों के संगठन OIC की बैठक भी बुलाई। साथ ही इजरायल को बदला लेने की धमकी भी दी है।

ईरान ने लेबनान और फिलिस्तीन में इजरायल के हमलों से निपटने के लिए इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के सदस्य देशों के नेताओं की तत्काल बैठक बुलाने का आह्वान किया। शुक्रवार को OIC के विदेश मंत्रियों की वार्षिक बैठक को संबोधित करते हुए ईरानी उप विदेश मंत्री (कानूनी और अंतर्राष्ट्रीय मामलों) काज़ेम गरीबाबादी ने फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों का समर्थन करने में इस्लामी देशों के बीच एकता और एकजुटता के महत्व पर जोर दिया।उन्होंने कहा कि इस्लामी दुनिया एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है और कई महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना कर रही है, विशेष रूप से फिलिस्तीनी मुद्दा, जो हमारी मुख्य प्राथमिकता बनी हुई है।

ग़रीबाबादी ने दोहराया कि सभी फ़िलिस्तीनी लोगों, जो अपनी मातृभूमि में रह रहे हैं और जो अपनी मातृभूमि से दूर हैं, उन्हें जनमत संग्रह के माध्यम से अपना भविष्य तय करना चाहिए। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस तंत्र के माध्यम से, एक स्थायी शांति प्राप्त होगी जिसमें मुस्लिम, ईसाई और यहूदी एक साथ अमन और शांति से रहेंगे। उन्होंने कहा कि इज़राइली शासन की आतंकवादी गतिविधियां फिलिस्तीन और लेबनान तक ही सीमित नहीं हैं, उन्होंने हाल ही में ईरान की राजनयिक सुविधाओं पर आतंकवादी हमला किया है और ईरान में हमास के नेता को भी शहीद कर दिया है। इस तथ्य पर जोर देते हुए कि इज़राइली शासन क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा है, उन्होंने इसकी क्रूरता और अपराधों को समाप्त करने का आह्वान किया।

जंग में दूसरे इस्लामिक देश शामिल होंगे?

अब सवाल उठता है कि क्या क्या इस जंग में दूसरे इस्लामिक देश शामिल होंगे? नसरल्लाह के मारे जाने के बाद यह तय है कि इस जंग में और प्लेयर्स इन्वॉल्व होंगे- जैसे ईरान और सीरिया, लेकिन बड़े युद्ध की आशंका नहीं नजर आती है। अगर OIC मिलकर इजरायल के खिलाफ कोई कदम उठाते हैं तो इसका मतलब है कि अमेरिका और यूरोपियन यूनियन इस लड़ाई में शामिल हो जाएंगे। तब समस्या और बड़ी हो जाएगी। 

हिज्बुल्लाह को लेकर इजरायल ने पहले ही और मुल्कों को आगाह किया था और सबको इसकी करतूतों के बारे में पता है। उसके समर्थन का मतलब है किसी इजरायल पर हमले का समर्थन करना, जो सऊदी जैसे देश कतई नहीं करेंगे। सऊदी को भी पता है कि अमेरिका और इजरायल जैसे देश उसके लिए आर्थिक तौर पर कितने जरूरी हैं। हां यह जरूर है कि OIC मानवाधिकारों के उल्लंघन का हवाला देते हुए हमले की आलोचना कर सकता है। वो यह कहेगा कि हमले में आम लोग और बच्चे मारे जा रहे हैं पर मिलिट्री मोबिलाइजेशन की आशंका नहीं है।

क्या है OIC?

OIC का फुल फॉर्म है आर्गेनाइजेशन ऑफ द इस्लामिक कोऑपरेशन। इसे इस्लामिक सहयोग संगठन भी कहते हैं। OIC चार महाद्वीपों में फैले 57 मुस्लिम देशों का एक संगठन है। यूनाइटेड नेशन के बाद यह दुनिया का दूसरे सबसे बड़ा संगठन है। एक तरीके से OIC को मुस्लिम और इस्लामी देशों की आवाज के तौर पर देखा जाता है। इस संगठन की स्थापना का कनेक्शन भी इजरायल से ही जुड़ा हुआ है।

कब और कैसे बना OIC

मक्का और मदीना के बाद इजरायल के यरूशलम में स्थित अल अक्सा मस्जिद मुस्लिमों का तीसरा सबसे पवित्र धार्मिक स्थल है। यह मस्जिद जहां है, उसको लेकर मुस्लिमों, यहूदियों और ईसाईयों में सदियों से लड़ाई चलती आ रही है। 25 सितंबर 1969 को यरूशलम की अल अक्सा मस्जिद में आग लगा दी गई। तब मुफ्ती आमीन अल हुसैनी ने इस आगजनी के लिए यहूदियों को जिम्मेदार ठहराया और दुनिया के सभी मुस्लिम देशों से इसके खिलाफ आवाज उठाने का आह्वान किया और एक सम्मेलन बुलाया।इसमें अल अक्सा मस्जिद पर तो चर्चा हुई ही, साथ ही इस बात पर भी मंथन हुआ कि इस्लामिक देशों के बीच आपसी सहयोग और संबंधों को कैसे और मजबूत किया जाए। इसी सम्मेलन में तय किया गया कि इस्लामिक देश एक संगठन बनाएंगे, ताकि आपसी आर्थिक, सांस्कृतिक सहयोग को और बढ़ावा दे सकें।

फ्रांसीसी अखबार का बड़ा खुलासा, ईरानी जासूस ने IDF को दी थी सटीक लोकेशन, करवा दी नसरल्लाह की हत्या

डेस्क : फ्रांसीसी अखबार ली पेरिसिएन ने हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह की हत्या को लेकर एक बड़ा खुलासा किया है। अखबार का दावा है कि नसरल्लाह की हत्या के पीछे ईरानी जासूस का ही हाथ था। उसने ही इजरायली सेना से नसरल्लाह की हत्या कराई है। अखबार में दावा किया गया है कि ईरानी जासूस ने लेबनान के बेरूत में हमले कर रही IDF को नसरल्लाह की सटीक लोकेशन शेयर की थी। इसके बाद आईडीएफ ने नसरल्लाह को निशाना बनाकर हमले का प्लान तैयार किया और ताबड़तोड़ मिसाइल हमले में उसे ढेर कर दिया। अखबार ने लेबनान के एक सुरक्षा अधिकारी के हवाले यह खुलासा किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बेरूत पर हमले से पहले ईरानी जासूस ने इजरायली सेना को नसरल्लाह के उस जगह होने की लोकेशन बता दी थी। इसके बाद आईडीएफ ने नसरल्लाह के उस लोकेशन को टार्गेट करके हमले का प्लान बनाया। इजरायल की आग उगलती मिसाइलों और कहर बरपाते लड़ाकू विमानों ने ताबड़तोड़ हमलों से बेरूत को धुआं-धुआं कर दिया। इजरायल के इस भीषण हवाई हमले में नसरल्लाह मारा गया। इजरायली सेना ने नसरल्लाह को मारे जाने के बाद यह ट्वीट किया था कि उसने एक खुफिया जानकारी के आधार पर नसरल्लाह के ठिकाने पर हमले को बड़ा प्लान तैयार किया था। बाद में इस ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया और नसरल्लाह को ढेर कर दिया गया। हालांकि आईडीएफ ने यह नहीं बताया कि वह जासूस कौन था, जिससे नसरल्लाह की उसे लोकेशन मिली थी। अब फ्रांसीसी अखबार के अनुसार आईडीएफ को नसरल्लाह की खुफिया जानकारी देने वाला जासूस ईरानी था।
फ्रांसीसी अखबार का बड़ा खुलासा, ईरानी जासूस ने IDF को दी थी सटीक लोकेशन, करवा दी नसरल्लाह की हत्या

डेस्क : फ्रांसीसी अखबार ली पेरिसिएन ने हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह की हत्या को लेकर एक बड़ा खुलासा किया है। अखबार का दावा है कि नसरल्लाह की हत्या के पीछे ईरानी जासूस का ही हाथ था। उसने ही इजरायली सेना से नसरल्लाह की हत्या कराई है। अखबार में दावा किया गया है कि ईरानी जासूस ने लेबनान के बेरूत में हमले कर रही IDF को नसरल्लाह की सटीक लोकेशन शेयर की थी। इसके बाद आईडीएफ ने नसरल्लाह को निशाना बनाकर हमले का प्लान तैयार किया और ताबड़तोड़ मिसाइल हमले में उसे ढेर कर दिया। 

अखबार ने लेबनान के एक सुरक्षा अधिकारी के हवाले यह खुलासा किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बेरूत पर हमले से पहले ईरानी जासूस ने इजरायली सेना को नसरल्लाह के उस जगह होने की लोकेशन बता दी थी। इसके बाद आईडीएफ ने नसरल्लाह के उस लोकेशन को टार्गेट करके हमले का प्लान बनाया। इजरायल की आग उगलती मिसाइलों और कहर बरपाते लड़ाकू विमानों ने ताबड़तोड़ हमलों से बेरूत को धुआं-धुआं कर दिया। इजरायल के इस भीषण हवाई हमले में नसरल्लाह मारा गया। 

इजरायली सेना ने नसरल्लाह को मारे जाने के बाद यह ट्वीट किया था कि उसने एक खुफिया जानकारी के आधार पर नसरल्लाह के ठिकाने पर हमले को बड़ा प्लान तैयार किया था। बाद में इस ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया और नसरल्लाह को ढेर कर दिया गया। हालांकि आईडीएफ ने यह नहीं बताया कि वह जासूस कौन था, जिससे नसरल्लाह की उसे लोकेशन मिली थी। अब फ्रांसीसी अखबार के अनुसार आईडीएफ को नसरल्लाह की खुफिया जानकारी देने वाला जासूस ईरानी था।

साउथ मुंबई में कोचिंग चलाने वाले तीन भाइयों ने दो साल तक किया नाबालिग का यौन शोषण, ऐसे हुआ खुलासा

डेस्क: साउथ मुंबई में कोचिंग इंस्टिट्यूट चलने वाले तीन भाइयों ने दो साल तक नाबालिग लड़की का यौन शोषण किया। आरोपी युवक लड़की को अश्लील तस्वीरें और वीडियो दिखाते थे। उसे हमेशा ही जल्दी कोचिंग आने के लिए कहते थे और देर से कोचिंग से जाने देते थे। इस दौरान उसका यौन शोषण करते थे। इसका असर लड़की की मानसिक हालत पर पड़ा तो मां ने बाल विकास केंद्र में बेटी को भर्ती कराया। इसके बाद लड़की ने काउंसलर से पूरी कहानी बयां की। काउंसलर ने लड़की की मां को सच्चाई बताते हुए पुलिस में मामला दर्ज करवाया तो पूरे घटना का खुलासा हुआ। प्राथमिक रूप से मिली जानकारी के मुताबिक मुंबई में एक 15 वर्षीय लड़की का लगभग दो साल तक बार-बार यौन उत्पीड़न करने के आरोप में मुंबई पुलिस ने कोचिंग सेंटर चलाने वाले तीन भाइयों पर मामला दर्ज किया है। लड़की ने पुलिस को बताया कि भाइयों ने उसे कोचिंग पर जल्दी पहुंचने और देर से निकलने के लिए मजबूर किया, जहां उन्होंने उसका यौन शोषण किया। पुलिस ने शनिवार को पहले दो भाइयों को गिरफ्तार किया रविवार को तीसरे भाई सत्यराज राजपुरोहित को भी गिरफ्तार कर लिया है। मिली जानकारी के मुताबिक सत्यराज अपने माता-पिता के साथ घूमने गया हुआ था। पुलिस के अनुसार आरोपी गौतम, तरुण राजपुरोहित और सत्य राज ने न केवल लड़की का यौन उत्पीड़न किया, बल्कि उसे अश्लील तस्वीरें और वीडियो भी दिखाए। पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक आरोपी 24, 25 और 27 साल की उम्र के हैं और साउथ मुंबई में रहते हैं। ये कक्षा 7 से 12 के बीच के छात्रों के लिए कोचिंग कक्षाएं चलाते थे, जिसमें 35-40 लड़कियां भी पढ़ती थीं। पुलिस के मुताबिक पीड़ित लड़की 2022 में कोचिंग सेंटर में शामिल हुई थी। लड़की की मां ने पहली बार 2022 के अंत में उसके व्यवहार में बदलाव देखा और जनवरी 2023 में उसने बाल विकास केंद्र से बात कर अपनी बेटी को भर्ती कराया। इस पूरे प्रकरण में एक समय के बाद लड़की ने पूरे घटनाक्रम के बारे में अपने काउंसलर को बताया। काउंसलर ने लड़की की मां को इसकी जानकारी दी। इसके बाद उन्होंने पुलिस से बात करते हुए इस मामले में शिकायत दर्ज कराई। पीड़ित लड़की और उसकी मां के बयान के आधार पर पुलिस ने पोक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया और तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है। लड़की ने पुलिस को बताया कि आरोपी लगभग 2022 से उसका लैंगिक शोषण कर रहे थे। फिलहाल पुलिस इस मामले में कोचिंग इंस्टिट्यूट में पढ़ने वाली अन्य लड़कियों से भी बातचीत कर रही है और पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या इन शिक्षकों ने उनके साथ भी ऐसा कुछ करने की कोशिश की है। गिरफ्तार किए गए आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया और उन्हें पुलिस कस्टडी में भेजा गया है।
नसरल्लाह के बाद प्रिवेंटिव सुरक्षा इकाई के कमांडर नबील कौक को भी इजरायल ने किया ढेर

डेस्क: हिजबुल्लाह के टॉप कमांडर हसन नसरल्लाह की हत्या करने के बाद भी इजरायल रुकने के नाम नहीं ले रहा है। इजरायली सेना हिजबुल्लाह के पीछे ही पड़ गई है। आईडीएफ ने अभी-अभी लेबनान पर किए गए एक ताजा हमले में हिज़्बुल्लाह की निवारक सुरक्षा इकाई के कमांडर और उसके कार्यकारी परिषद के सदस्य नबील क़ौक को एक सटीक आईडीएफ हमले में मार गिराया गया।

क़ौक हिज़्बुल्लाह के वरिष्ठ कमांडरों का करीबी था और सीधे तौर पर इज़राइल राज्य और उसके नागरिकों के खिलाफ आतंकवादी हमलों में शामिल था। वह 1980 के दशक में हिजबुल्लाह में शामिल हुआ था और उसे अपने क्षेत्र में विशेषज्ञता का महत्वपूर्ण स्रोत माना जाता था। उसने ऑपरेशनल काउंसिल में दक्षिणी क्षेत्र के कमांडर, डिप्टी कमांडर और ऑपरेशनल काउंसिल के डिप्टी कमांडर के रूप में कार्य किया था।

आईडीएफ का कहना है कि वह हिजबुल्लाह आतंकवादी संगठन और उसके कमांडरों पर हमला करना और उन्हें खत्म करना जारी रखेगा। इजरायल राज्य के नागरिकों को धमकी देने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करता रहेगा। कौक 1980 के दशक से ही हिजबुल्ला का वरिष्ठ सदस्य था और इससे पहले दक्षिणी लेबनान में हिजबुल्ला के सैन्य कमांडर के रूप में काम कर चुका था। अमेरिका ने 2020 में उसके खिलाफ प्रतिबंधों की घोषणा की थी।

अंतरिक्ष में आठ जून से फंसी सुनीता विलियम्स को लाने के लिए धरती से उड़ा स्पेसक्राफ्ट, 5 महीने बाद इसी में वापसी

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में आठ जून से फंसे अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुल विल्मोर को वापस लाने के लिए बचाव अभियान शुरू हो गया। नासा और अरबपति कारोबारी एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने मिलकर एक स्पेसक्राफ्ट को अंतरिक्ष में भेजा है। दोनों को धरती पर वापस लाने के लिए दो यात्रियों का छोटा सा दल भेजा गया है, लेकिन यह अभियान अगले साल फरवरी तक ही पूरा हो सकेगा। इस मिशन को NASA SpaceX Crew 9 नाम दिया गया है।

सुनीता विलियम्स और बुल विल्मोर आठ दिन के लिए धरती से अंतरिक्ष यान में सवार होकर उड़े थे, लेकिन उनकी वापसी अभी तक नहीं हो पाई है। नासा के तमाम प्रयासों के बावजूद अभी उनकी वापसी मुमकिन नहीं है। दोनों यात्री स्पेसएक्स के जिस यान पर बैठकर उड़े थे, उसमें तकनीकी खामी के कारण उनकी वापसी अभी सुरक्षित नहीं है। ऐसे में नासा ने इसके लिए बीते शनिवार को बचाव अभियान की शुरुआत कर दी। स्पेसक्रॉफ्ट 28 सितंबर को लॉन्च किया गया। इस विमान में नासा के अंतरिक्ष यात्री निक हेग और रूसी अंतरिक्ष यात्री अलेक्जेंडर गोरबुनोव सवार हैं।

चूंकि नासा अंतरिक्ष स्टेशन के कर्मचारियों को लगभग हर छह महीने में बदलता है, इस नई उड़ान में विलमोर और विलियम्स के लिए दो खाली सीटें हैं और यह फरवरी के अंत में वापस आएगी। नासा प्रमुख बिल नेल्सन ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "सफल प्रक्षेपण के लिए NASA और SpaceX को बधाई।"

जब निक हेग और गोरबुनोव फरवरी में अंतरिक्ष स्टेशन से लौटेंगे, तो वे बुच विल्मोर और सुनीता विलियम्स को साथ लेकर आएंगे। सुनीता विलियम्स और विल्मोर का आईएसएस पर प्रवास स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान में आई समस्याओं के कारण महीनों तक लंबा खिंच गया है।