/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png StreetBuzz तुर्की ने यूएन में नहीं उठाया कश्मीर का मुद्दा, क्यों छोड़ा पाकिस्तान का साथ? India
तुर्की ने यूएन में नहीं उठाया कश्मीर का मुद्दा, क्यों छोड़ा पाकिस्तान का साथ?

#turkey_erdogan_not_raise_kashmir_issue_in_unga_know_why

मोदी सरकार ने पाँच अगस्त 2109 को जब जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी किया था तो अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं भी आई थीं। चीन और तुर्की ने भारत के इस फ़ैसले का खुलकर विरोध किया था। तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन 2019 से हर साल संयुक्त राष्ट्र की वार्षिक आम सभा में कश्मीर का मुद्दा उठाते थे और भारत की आलोचना करते थे। भारत अर्दोआन के बयान पर आपत्ति जताता था और पाकिस्तान स्वागत करता था। लेकिन इस बार अर्दोआन ने संयुक्त राष्ट्र की आम सभा को संबोधित करते हुए कश्मीर का नाम तक नहीं लिया।

आम तौर पर तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने वार्षिक संबोधन में कश्मीर का जिक्र जरूर करते थे। संयुक्त महासभा में पाकिस्तान को उम्मीद थी कि तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन फिर एक बार कश्मीर का मुद्दा उठाएंगे,लेकिन उन्होंने तो इस बार इसका नाम लेना तक जरूरी नहीं समझा। राष्ट्रपति एर्दोगन ने यूएन की महासभा को संबोधित तो किया पर कश्मीर पर एक लफ्ज नहीं बोले। तुर्की के इस रुख ने पाकिस्तान को हैरान कर दिया। तुर्की के इस रुख के बाद लोग कई तरह के कयास लगाने लगे हैं। एर्दोगन की इस चुप्पी को भारत की कूटनीतिक जीत के तौर पर देखा जा रहा है।

कयास लगाया जा रहा है कि तुर्की के कश्मीर पर एक शब्द न बोलने के पीछे ब्रिक्स है। ऐसा कहना है कि तुर्की ब्रिक्स देशों के साथ खुद को खड़ा देखना चाहता है, उसे इसमें शामिल होना है और यही वजह है कि उनके राष्ट्रपति एर्दोगन ने एक बार भी अपनी स्पीच में कश्मीर का मुद्दा नहीं उठाया।

न्यूयॉर्क में 79वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण के दौरान उन्होंने कहा, “हम ब्रिक्स के साथ अपने संबंधों को विकसित करने की अपनी इच्छा को बनाए रखते हैं, जो उभरती अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ लाता है।”

ब्रिक्स गुट में ब्राज़ील, रूस, इंडिया, चीन और दक्षिण अफ़्रीका हैं. भारत इस गुट का संस्थापक सदस्य देश है। इस गुट के विस्तार की बात हो रही है और कई देशों ने इसमें शामिल होने में दिलचस्पी दिखाई है। तुर्की भी इसी लाइन में है। तुर्की का यूएन महासभा में कश्मीर के मुद्दे को न उठाना भारत को खुश करना भी है।

तुर्की के राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन यह भलीभांति जानते हैं कि अगर उन्हें ब्रिक्स का सदस्य बनना है तो भारत को खुश कर के रखना होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि ब्रिक्स में तुर्की को एंट्री भारत की मंजूरी के बाद ही मिल सकती है। तुर्की को यह भी पता है कि अगर भारत ने मना कर दिया तो उसका ब्रिक्स का हिस्सा बनना मुश्किल हो जाएगा। तो इसका लब्बोलुआब यह है कि ब्रिक्स में तुर्की को एंट्री तभी मिलेगी जब वह भारत के करीब आए और उसे खुश करने की कोशिश करे।

तुर्की को पता है कि भारत का कश्मीर को लेकर रुख साफ है। वह किसी भी कीमत पर कश्मीर पर समझौता नहीं करेगा। यही नहीं भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर के बयानों से स्पष्ट है कि पीओके जिसे पाकिस्तान आजाद कश्मीर कहता है, उसे भी लेने की प्लानिंग है।

*हाई ड्रामे के बाद, दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) पैनल के चुनाव आज*

दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने गुरुवार को नगर निगम आयुक्त को एमसीडी स्थायी समिति की अंतिम खाली सीट के लिए शुक्रवार को चुनाव कराने का आदेश दिया। एलजी के अनुसार, चुनाव दोपहर 1 बजे होंगे, साथ ही उन्होंने कहा कि अतिरिक्त आयुक्त जितेन्द्र यादव चुनाव की अध्यक्षता करेंगे। इससे पहले, सक्सेना ने गुरुवार को चुनाव कराने का निर्देश दिया था। हालांकि, पार्षदों की सुरक्षा जांच को लेकर हुए हंगामे के बाद मेयर शैली ओबेरॉय ने चुनाव 5 अक्टूबर तक स्थगित कर दिए। वर्तमान में, स्थायी समिति में भाजपा के नौ सदस्य हैं, जबकि आप के आठ सदस्य हैं। द्वारका-बी से भाजपा पार्षद कमलजीत सहरावत के पश्चिम दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र से पार्टी के सांसद चुने जाने पर इस्तीफा देने से 18वीं सीट खाली हो गई थी। स्थायी समिति चुनाव पर एमसीडी का आदेश दिल्ली के उपराज्यपाल के आदेश के बाद, एमसीडी आयुक्त अश्विनी कुमार ने शुक्रवार को स्थायी समिति सीट के चुनाव के लिए नोटिस जारी किया। आदेश के अनुसार, मेयर शेली ओबेरॉय ने कहा कि 5 अक्टूबर से पहले होने वाला कोई भी चुनाव "अवैध और असंवैधानिक" होगा, जबकि डिप्टी मेयर और एमसीडी के वरिष्ठतम सदस्यों ने इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। मामले को फिर से उपराज्यपाल के समक्ष उनके निर्देशानुसार रखा गया, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ इस तथ्य पर प्रकाश डाला गया कि स्थायी समिति नगरपालिका के कार्यों के निर्वहन के लिए एक प्रमुख निकाय है, और पिछले लगभग 21 महीनों से इसके गैर-संविधान ने नगरपालिका मामलों से संबंधित महत्वपूर्ण मामलों में निर्णय लेने में बाधा उत्पन्न की है," आदेश में कहा गया है। इसमें आगे कहा गया है, "इसलिए, व्यापक जनहित में और नगर निकाय की लोकतांत्रिक भावना को बनाए रखने के लिए, उपराज्यपाल ने निर्देश दिया है कि उपरोक्त चुनाव 27 सितंबर को दोपहर 1:00 बजे आयोजित किए जाएं। इसके अलावा, उपराज्यपाल ने यह भी निर्देश दिया है कि इस उद्देश्य के लिए अतिरिक्त आयुक्त जितेंद्र यादव रिटर्निंग ऑफिसर के रूप में अध्यक्षता करेंगे। पूरी चुनाव प्रक्रिया की विधिवत वीडियोग्राफी की जा सकती है। मतदान की गोपनीयता के लिए मतदान कक्ष में मोबाइल फोन और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की अनुमति नहीं दी जाएगी। एमसीडी में हाई ड्रामा एमसीडी की स्थायी समिति की 18वीं सीट के लिए चुनाव गुरुवार को नगर निगम सचिवालय के एक आदेश पर हाई ड्रामा के बाद स्थगित कर दिया गया, जिसमें मतदान के दौरान कक्ष के अंदर मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति नहीं दी गई थी। दिल्ली पुलिस ने प्रवेश द्वारों पर तलाशी चौकी भी बनाई थी। भाजपा पार्षदों ने जहां नियम का पालन किया, वहीं आप पार्षदों ने इसके खिलाफ आवाज उठाई और लॉबी में धरना दिया। मेयर शैली ओबेरॉय और अन्य पार्षदों ने जोर देकर कहा कि कक्ष के अंदर फोन ले जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती और तलाशी लेना "उनकी गरिमा का उल्लंघन है"। ओबेरॉय ने कहा, "हमें लोगों ने चुना है और इसलिए हम इस सदन के सदस्य हैं। यह सदस्यों की गरिमा और भावनाओं को ठेस पहुंचाने जैसा है। यह लोकतंत्र के खिलाफ है और ऐसा कदम पहले कभी नहीं उठाया गया।" दोपहर करीब 2 बजे शुरू हुआ गतिरोध देर रात करीब 10 बजे तक चलता रहा - जब तक एमसीडी ने चुनाव स्थगित नहीं कर दिया। इसके बाद, भाजपा ने आप और मेयर पर निशाना साधा और नारे लगाए कि “मेयर होश में आओ” और “स्थायी समिति का चुनाव करवाओ”। भाजपा दिल्ली प्रमुख वीरेंद्र सचदेवा ने एमसीडी आयुक्त से कानून और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार चुनाव कराने को कहा। उन्होंने कहा, “अरविंद केजरीवाल के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर अपने चरम पर है और आप चुनाव से भाग रही है क्योंकि उन्हें डर है कि उनके अपने पार्षद उनका साथ छोड़ देंगे , शुक्रवार को अदालत में मेयर के खिलाफ अवमानना याचिका दायर करेंगे।”
*हाई ड्रामे के बाद, दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) पैनल के चुनाव आज*

दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने गुरुवार को नगर निगम आयुक्त को एमसीडी स्थायी समिति की अंतिम खाली सीट के लिए शुक्रवार को चुनाव कराने का आदेश दिया। एलजी के अनुसार, चुनाव दोपहर 1 बजे होंगे, साथ ही उन्होंने कहा कि अतिरिक्त आयुक्त जितेन्द्र यादव चुनाव की अध्यक्षता करेंगे। इससे पहले, सक्सेना ने गुरुवार को चुनाव कराने का निर्देश दिया था। हालांकि, पार्षदों की सुरक्षा जांच को लेकर हुए हंगामे के बाद मेयर शैली ओबेरॉय ने चुनाव 5 अक्टूबर तक स्थगित कर दिए। वर्तमान में, स्थायी समिति में भाजपा के नौ सदस्य हैं, जबकि आप के आठ सदस्य हैं। द्वारका-बी से भाजपा पार्षद कमलजीत सहरावत के पश्चिम दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र से पार्टी के सांसद चुने जाने पर इस्तीफा देने से 18वीं सीट खाली हो गई थी। स्थायी समिति चुनाव पर एमसीडी का आदेश दिल्ली के उपराज्यपाल के आदेश के बाद, एमसीडी आयुक्त अश्विनी कुमार ने शुक्रवार को स्थायी समिति सीट के चुनाव के लिए नोटिस जारी किया। आदेश के अनुसार, मेयर शेली ओबेरॉय ने कहा कि 5 अक्टूबर से पहले होने वाला कोई भी चुनाव "अवैध और असंवैधानिक" होगा, जबकि डिप्टी मेयर और एमसीडी के वरिष्ठतम सदस्यों ने इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। मामले को फिर से उपराज्यपाल के समक्ष उनके निर्देशानुसार रखा गया, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ इस तथ्य पर प्रकाश डाला गया कि स्थायी समिति नगरपालिका के कार्यों के निर्वहन के लिए एक प्रमुख निकाय है, और पिछले लगभग 21 महीनों से इसके गैर-संविधान ने नगरपालिका मामलों से संबंधित महत्वपूर्ण मामलों में निर्णय लेने में बाधा उत्पन्न की है," आदेश में कहा गया है। इसमें आगे कहा गया है, "इसलिए, व्यापक जनहित में और नगर निकाय की लोकतांत्रिक भावना को बनाए रखने के लिए, उपराज्यपाल ने निर्देश दिया है कि उपरोक्त चुनाव 27 सितंबर को दोपहर 1:00 बजे आयोजित किए जाएं। इसके अलावा, उपराज्यपाल ने यह भी निर्देश दिया है कि इस उद्देश्य के लिए अतिरिक्त आयुक्त जितेंद्र यादव रिटर्निंग ऑफिसर के रूप में अध्यक्षता करेंगे। पूरी चुनाव प्रक्रिया की विधिवत वीडियोग्राफी की जा सकती है। मतदान की गोपनीयता के लिए मतदान कक्ष में मोबाइल फोन और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की अनुमति नहीं दी जाएगी। एमसीडी में हाई ड्रामा एमसीडी की स्थायी समिति की 18वीं सीट के लिए चुनाव गुरुवार को नगर निगम सचिवालय के एक आदेश पर हाई ड्रामा के बाद स्थगित कर दिया गया, जिसमें मतदान के दौरान कक्ष के अंदर मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति नहीं दी गई थी। दिल्ली पुलिस ने प्रवेश द्वारों पर तलाशी चौकी भी बनाई थी। भाजपा पार्षदों ने जहां नियम का पालन किया, वहीं आप पार्षदों ने इसके खिलाफ आवाज उठाई और लॉबी में धरना दिया। मेयर शैली ओबेरॉय और अन्य पार्षदों ने जोर देकर कहा कि कक्ष के अंदर फोन ले जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती और तलाशी लेना "उनकी गरिमा का उल्लंघन है"। ओबेरॉय ने कहा, "हमें लोगों ने चुना है और इसलिए हम इस सदन के सदस्य हैं। यह सदस्यों की गरिमा और भावनाओं को ठेस पहुंचाने जैसा है। यह लोकतंत्र के खिलाफ है और ऐसा कदम पहले कभी नहीं उठाया गया।" दोपहर करीब 2 बजे शुरू हुआ गतिरोध देर रात करीब 10 बजे तक चलता रहा - जब तक एमसीडी ने चुनाव स्थगित नहीं कर दिया। इसके बाद, भाजपा ने आप और मेयर पर निशाना साधा और नारे लगाए कि “मेयर होश में आओ” और “स्थायी समिति का चुनाव करवाओ”। भाजपा दिल्ली प्रमुख वीरेंद्र सचदेवा ने एमसीडी आयुक्त से कानून और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार चुनाव कराने को कहा। उन्होंने कहा, “अरविंद केजरीवाल के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर अपने चरम पर है और आप चुनाव से भाग रही है क्योंकि उन्हें डर है कि उनके अपने पार्षद उनका साथ छोड़ देंगे , शुक्रवार को अदालत में मेयर के खिलाफ अवमानना याचिका दायर करेंगे।”
हाई ड्रामे के बाद, दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) पैनल के चुनाव आज

दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने गुरुवार को नगर निगम आयुक्त को एमसीडी स्थायी समिति की अंतिम खाली सीट के लिए शुक्रवार को चुनाव कराने का आदेश दिया। एलजी के अनुसार, चुनाव दोपहर 1 बजे होंगे, साथ ही उन्होंने कहा कि अतिरिक्त आयुक्त जितेन्द्र यादव चुनाव की अध्यक्षता करेंगे। इससे पहले, सक्सेना ने गुरुवार को चुनाव कराने का निर्देश दिया था।

हालांकि, पार्षदों की सुरक्षा जांच को लेकर हुए हंगामे के बाद मेयर शैली ओबेरॉय ने चुनाव 5 अक्टूबर तक स्थगित कर दिए। वर्तमान में, स्थायी समिति में भाजपा के नौ सदस्य हैं, जबकि आप के आठ सदस्य हैं। द्वारका-बी से भाजपा पार्षद कमलजीत सहरावत के पश्चिम दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र से पार्टी के सांसद चुने जाने पर इस्तीफा देने से 18वीं सीट खाली हो गई थी। स्थायी समिति चुनाव पर एमसीडी का आदेश दिल्ली के उपराज्यपाल के आदेश के बाद, एमसीडी आयुक्त अश्विनी कुमार ने शुक्रवार को स्थायी समिति सीट के चुनाव के लिए नोटिस जारी किया। आदेश के अनुसार, मेयर शेली ओबेरॉय ने कहा कि 5 अक्टूबर से पहले होने वाला कोई भी चुनाव "अवैध और असंवैधानिक" होगा, जबकि डिप्टी मेयर और एमसीडी के वरिष्ठतम सदस्यों ने इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

मामले को फिर से उपराज्यपाल के समक्ष उनके निर्देशानुसार रखा गया, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ इस तथ्य पर प्रकाश डाला गया कि स्थायी समिति नगरपालिका के कार्यों के निर्वहन के लिए एक प्रमुख निकाय है, और पिछले लगभग 21 महीनों से इसके गैर-संविधान ने नगरपालिका मामलों से संबंधित महत्वपूर्ण मामलों में निर्णय लेने में बाधा उत्पन्न की है," आदेश में कहा गया है।

इसमें आगे कहा गया है,

"इसलिए, व्यापक जनहित में और नगर निकाय की लोकतांत्रिक भावना को बनाए रखने के लिए, उपराज्यपाल ने निर्देश दिया है कि उपरोक्त चुनाव 27 सितंबर को दोपहर 1:00 बजे आयोजित किए जाएं। इसके अलावा, उपराज्यपाल ने यह भी निर्देश दिया है कि इस उद्देश्य के लिए अतिरिक्त आयुक्त जितेंद्र यादव रिटर्निंग ऑफिसर के रूप में अध्यक्षता करेंगे। पूरी चुनाव प्रक्रिया की विधिवत वीडियोग्राफी की जा सकती है। मतदान की गोपनीयता के लिए मतदान कक्ष में मोबाइल फोन और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की अनुमति नहीं दी जाएगी।

एमसीडी में हाई ड्रामा एमसीडी की स्थायी समिति की 18वीं सीट के लिए चुनाव गुरुवार को नगर निगम सचिवालय के एक आदेश पर हाई ड्रामा के बाद स्थगित कर दिया गया, जिसमें मतदान के दौरान कक्ष के अंदर मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति नहीं दी गई थी। दिल्ली पुलिस ने प्रवेश द्वारों पर तलाशी चौकी भी बनाई थी। भाजपा पार्षदों ने जहां नियम का पालन किया, वहीं आप पार्षदों ने इसके खिलाफ आवाज उठाई और लॉबी में धरना दिया। मेयर शैली ओबेरॉय और अन्य पार्षदों ने जोर देकर कहा कि कक्ष के अंदर फोन ले जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती और तलाशी लेना "उनकी गरिमा का उल्लंघन है"। ओबेरॉय ने कहा, "हमें लोगों ने चुना है और इसलिए हम इस सदन के सदस्य हैं। यह सदस्यों की गरिमा और भावनाओं को ठेस पहुंचाने जैसा है। यह लोकतंत्र के खिलाफ है और ऐसा कदम पहले कभी नहीं उठाया गया।" दोपहर करीब 2 बजे शुरू हुआ गतिरोध देर रात करीब 10 बजे तक चलता रहा - जब तक एमसीडी ने चुनाव स्थगित नहीं कर दिया।

इसके बाद, भाजपा ने आप और मेयर पर निशाना साधा और नारे लगाए कि “मेयर होश में आओ” और “स्थायी समिति का चुनाव करवाओ”। भाजपा दिल्ली प्रमुख वीरेंद्र सचदेवा ने एमसीडी आयुक्त से कानून और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार चुनाव कराने को कहा। उन्होंने कहा, “अरविंद केजरीवाल के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर अपने चरम पर है और आप चुनाव से भाग रही है क्योंकि उन्हें डर है कि उनके अपने पार्षद उनका साथ छोड़ देंगे , शुक्रवार को अदालत में मेयर के खिलाफ अवमानना ​​याचिका दायर करेंगे।”

सुनील जाखड़ के पंजाब प्रदेश अध्यक्ष के पद से इस्तीफे की खबर, बीजेपी ने बताया निराधार और झूठ

#sunil_jakhar_resigns_from_the_post_of_punjab_bjp_president

पंजाब में पंचायत चुनाव से पहले बीजेपी को बड़ा झटके की खबर है। सुनील जाखड़ के पंजाब बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के पद से इस्तीफे की खबर है।सुनील जाखड़ के इस्तीफे की खबर को पंजाब बीजेपी ने खारिज कर दिया है। पंजाब बीजेपी के महासचिव अनिल सरीन ने कहा कि जाखड़ पंजाब बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में वह अपने कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं। उनके इस्तीफे की खबर, विपक्षी दलों द्वारा फैलाया जा रहा दुष्प्रचार है।

बताया जा रहा है कि पिछले कुछ दिनों से सुनील जाखड़ ने प्रदेश कार्यकारिणी की जरूरी बैठकों से दूरी बना रखी थी। बताया जा रहा है कि वे पार्टी से नाराज चल रहे थे। यही कारण है कि वे गुरुवार को पंचायत चुनावों की तैयारियों को लेकर रखी बैठक में भी शामिल नहीं हुए। जब इसे लेकर एक भाजपा नेता ने उन्हें फोन किया तो उन्होंने बैठक में शामिल होने से मना कर दिया। आगे से भी किसी बैठक में शामिल न होने की बात कही।

सूत्रों के मुताबिक, रवनीत सिंह बिट्टू को केंद्र में मंत्री बनाए जाने से भी वे पार्टी से नाखुश थे। उन्हें लग रहा था कि वे काफी सीनियर हैं, इसके बाबजूद उनकी उपेक्षा कर बिट्टू को मंत्री बना दिया गया।बताया जा रहा है कि सुनील जाखड़ की नाराजगी के दो कारण हैं। एक तो पंजाब भाजपा में बाहरी बनाम पुराने का मुद्दा चरम पर है और दूसरा पार्टी ने राज्यसभा में भेजने को लेकर भी उन्हें तवज्जो नहीं दी।

सुनील जाखड़ ने इस्तीफा देने को लेकर चुप्पी साध रखी है। बता दें कि एक साल पहले ही उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद की कमान सौंपी गई थी।जाखड़ को पिछले साल जुलाई में प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। बीजेपी ने 4 जुलाई 2023 को उन्हें पंजाब बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया था। लोकसभा चुनाव 2024 को देखते हुए बीजेपी ने उन्हें यह जिम्मेदारी दी थी।

अतीत का कैदी बना हुआ है संयुक्त राष्ट्र”, एस जयशंकर ने की यूएन में सुधारों की वकालत
#s_jaishankar_again_raised_voice_for_reforms_in_the_unsc
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों की जोरदार वकालत की है। भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि, संयुक्त राष्ट्र अतीत का कैदी बना हुआ है। ग्लोबल दक्षिण के देशों को अब और नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी श्रेणी में इन देशों का उचित प्रतिनिधित्व विशेष रूप से आवश्यक है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने न्यूयॉर्क में जी-20 विदेश मंत्रियों की बैठक में कहा कि सुधारित यूएनएससी की स्थायी और निर्वाचित दोनों श्रेणियों में एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के देशों का उचित प्रतिनिधित्व एक 'विशेष अनिवार्यता' है।विदेश मंत्री ने कहा कि ग्लोबल साउथ के देशों को 'असहयोगी' नहीं बनाया जा सकता। जयशंकर ने कहा कि आज विश्व एक स्मार्ट, परस्पर संबद्ध और बहुध्रुवीय क्षेत्र में विकसित हो गया है। संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के बाद से इसके (संयुक्त राष्ट्र के) सदस्यों की संख्या चार गुना बढ़ गई है। फिर भी संयुक्त राष्ट्र अतीत का बंधक बना हुआ है। उन्होंने कहा कि, इसका परिणाम ये हुआ है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद अंतर्राष्ट्रीय शांति और स्थिरता बनाए रखने में संघर्ष करती दिख रही है। जिससे उसकी प्रभावशीलता और विश्वसनीयता कम होती जा रही है। विदेश मंत्री ने कहा, स्थायी श्रेणी में विस्तार और उचित प्रतिनिधित्व एक अहम जरूरत है। एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका, ग्लोबल दक्षिण को लगातार नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें उनकी वैध आवाज दी जानी चाहिए। जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वास्तविक परिवर्तन होना चाहिए और इस प्रक्रिया में तेजी की जरूरत है।
इजराइल के नेतन्याहू ने युद्ध विराम योजना को खारिज किया, हिजबुल्लाह ड्रोन यूनिट प्रमुख मारा गया

इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने गुरुवार को लेबनान में 21 दिन के युद्ध विराम के लिए अपने प्रमुख समर्थक संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व में किए गए प्रयास को खारिज कर दिया और कसम खाई कि सेना अनिश्चित काल तक हिजबुल्लाह के ठिकानों पर बमबारी जारी रखेगी। वार्षिक संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करने के लिए न्यूयॉर्क पहुंचे बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि जब तक इजराइल के सभी उद्देश्य पूरे नहीं हो जाते, तब तक हवाई हमले जारी रहेंगे।

बेंजामिन नेतन्याहू का यह बयान ऐसे समय में आया है जब बेरूत के दक्षिणी उपनगरों पर इजराइली हमले में हिजबुल्लाह की ड्रोन यूनिट के प्रमुख मोहम्मद हुसैन सरूर की मौत हो गई। ईरान समर्थित हिजबुल्लाह ने एक बयान में पुष्टि की कि हमले में 1973 में जन्मे मोहम्मद हुसैन सरूर की मौत हो गई।

इज़राइल-हिजबुल्लाह संघर्ष पर 10 अपडेट:

1.बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि इज़राइल की "नीति स्पष्ट है।" "हम पूरी ताकत से हिजबुल्लाह पर हमला करना जारी रख रहे हैं। हम तब तक नहीं रुकेंगे जब तक हम अपने सभी लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर लेते, जिनमें से सबसे प्रमुख उत्तर के निवासियों की सुरक्षित रूप से उनके घरों में वापसी है।"

2.उनकी टिप्पणियों से ठीक पहले, इज़राइली सेना ने कहा कि उसने बेरूत के उपनगरीय इलाके में हवाई हमले में हिजबुल्लाह के ड्रोन कमांडर मोहम्मद हुसैन सरूर को मार गिराया।

3.विदेश मंत्री इज़राइल कैट्ज़ ने पहले एक्स पर पोस्ट किया, "कोई संघर्ष विराम नहीं होगा", जबकि रक्षा मंत्री योव गैलेंट ने कहा कि सशस्त्र बलों का उद्देश्य "हिजबुल्लाह को असंतुलित करना और उनके नुकसान को गहरा करना है।"

4.समाचार एजेंसी ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, इजरायल के प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री के बयानों से ऐसा प्रतीत होता है कि वे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन और उनके फ्रांसीसी समकक्ष इमैनुएल मैक्रोन द्वारा तीन सप्ताह के संघर्ष विराम को सुरक्षित करने के प्रयासों को अवरुद्ध करते हैं।

5.लेबनान के विदेश मंत्री अब्दुल्ला बौ हबीब ने दावा किया है कि इजरायल की बमबारी से देश के अंदर पाँच लाख लोग विस्थापित हुए हैं। लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार देर रात कहा कि पिछले 24 घंटों में इजरायली हमलों में देश में 92 लोग मारे गए और 153 घायल हुए हैं।

6.पिछले साल अक्टूबर में इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच शत्रुता शुरू होने के बाद से 1,500 से अधिक लोग मारे गए हैं, गुरुवार की मौतों के साथ ही अकेले सोमवार से लेबनान पर इजरायली हमलों में मारे गए लोगों की संख्या 700 से अधिक हो गई है।

7.अमेरिका, यूरोपीय राज्यों और सऊदी अरब और कतर सहित अरब शक्तियों ने बुधवार देर रात लड़ाई को रोकने का आग्रह किया, जब इजरायल ने संकेत दिया कि वह लेबनान पर संभावित जमीनी आक्रमण की तैयारी कर रहा है। इससे क्षेत्रीय संघर्ष में वृद्धि होने का खतरा होगा जो अमेरिका और ईरान को घसीट सकता है।

8.लंदन में बोलते हुए अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन ने गुरुवार को संवाददाताओं से कहा कि "एक और पूर्ण पैमाने पर युद्ध इजरायल और लेबनान दोनों के लिए विनाशकारी हो सकता है"। उन्होंने कहा कि "सैन्य समाधान नहीं बल्कि एक कूटनीतिक समाधान ही यह सुनिश्चित करने का एकमात्र तरीका है कि सीमा के दोनों ओर विस्थापित नागरिक अंततः घर वापस जा सकें।"

9. मैक्रोन ने नागरिकों के हताहत होने की "बिल्कुल चौंकाने वाली" संख्या का हवाला देते हुए लेबनान को "नया गाजा बनने" के खिलाफ चेतावनी दी।

10. लेबनान के प्रधानमंत्री नजीब मिकाती, जिनकी सरकार में हिजबुल्लाह तत्व शामिल हैं, ने युद्धविराम की उम्मीद जताई थी, जिसके बाद इजरायल के रुख ने एक त्वरित समझौते की उम्मीदों को धराशायी कर दिया।

समंदर का सिकंदर बनना चाहता है चीन, नई नवेली "परमाणु पनडुब्बी" समुद्र में डूबी

#china_newest_nuclear_powered_submarine_sank

चीन समुद्री क्षेत्रों में भी लगातार अपनी ताकत बढ़ा रहा है। हिंद महासागर से लेकर प्रशांत महासागर तक वो अपनी शक्तियां बढ़ाने में जुटा हुआ है। हालांकि, इस बीच चीन को बड़ा झटका लगा है। चीन ने जो नई परमाणु-संचालित हमलावर पनडुब्बी बनाई थी, वह इस साल की शुरुआत में डूब गई। हालांकि, चीनी अधिकारियों ने इस दुर्घटना को छिपाने की भरपूर कोशिश की, लेकिन इसका खुलासा हो ही गया। दो अमेरिकी रक्षा अधिकारियों के अनुसार, चीन की लेटेस्ट परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बी डूब गई और चीनी नौसेना ने नुकसान को छिपाने की कोशिश की, इस कारण दुर्घटना का खुलासा कई महीने बाद हुआ है।

अमेरिकी अधिकारियों ने बताया है कि चीनी परमाणु पनडुब्बी मई के अंत या जून की शुरुआत में वुहान के पास एक शिपयार्ड में डूब गई थी।एक वरिष्ठ अमेरिकी रक्षा अधिकारी ने कहा कि चीन की नवीनतम परमाणु-संचालित हमलावर पनडुब्बी इस साल की शुरुआत में समुद्र में डूब गई थी। अधिकारी ने कहा कि हमलावर पनडुब्बी वुहान शहर के पास एक शिपयार्ड में निर्माणाधीन झोउ-श्रेणी के जहाजों की नई लाइन की पहली पनडुब्बी थी। यह उसके लिए शर्मिंदगी की बात है, क्योंकि वह अपनी सैन्य क्षमताओं का विस्तार करना चाहता है। वह अपनी सेना को सबसे ताकतवर बनाना चाहता है। मगर जो अपनी एक पनडुब्बी नहीं बचा सका, वह क्या खाक किसी से लड़ पाएगा?

यह घटना ऐसे समय में हुई है जब चीन अपनी नौसेना का विस्तार करने पर जोर दे रहा है।हाल ही में चीन ने अपना अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) का प्रशांत महासागर में परीक्षण किया। यह टेस्ट चीन ने 44 साल बाद किया था।

समुद्र में अमेरिका दुनिया में सबसे शक्तिशाली देश है, लेकिन चीन इस अंतर को कम करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है।चीन के पास पहले से ही 370 से अधिक जहाजों के साथ दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना है। इसके साथ ही उसने परमाणु-सशस्त्र पनडुब्बियों की एक नई पीढ़ी का उत्पादन शुरू कर दिया है। चीन परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियों के उत्पादन में विविधता लाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। चीनी परमाणु पनडुब्बियों का निर्माण हुलुदाओ के शिपयार्ड में सबसे अधिक हुआ है, लेकिन अब वुहान के पास वुचांग शिपयार्ड में परमाणु ऊर्जा से चलने वाली हमलावर पनडुब्बियों का निर्माण किया जा रहा है।

चीन की सैन्य शक्ति पर पिछले साल जारी पेंटागन की रिपोर्ट के अनुसार, 2022 के अंत तक बीजिंग के पास 48 डीजल-इलेक्ट्रिक हमलावर पनडुब्बियां और छह परमाणु पनडुब्बियां थीं। उस रिपोर्ट में कहा गया था कि नई हमलावर पनडुब्बियां, सतही युद्धपोत और नौसैनिक विमान विकसित करने का चीन का उद्देश्य संघर्ष के दौरान ताइवान की सहायता के लिए अमेरिका और उसके सहयोगियों द्वारा किए जा रहे प्रयासों का मुकाबला करना और "समुद्री श्रेष्ठता" हासिल करना है।

बांग्लादेश में पूरी प्लानिंग से किया गया तख्तापलट, मोहम्मद यूनुस ने मास्टरमाइंड का नाम बताया

#muhammadyunusrevealsnamebehindsheikhhasinaousterin_bangladesh

5 अगस्त 2024... वो तारीख, जब बांग्लादेश में तख्तापलट हुआ था। हालांकि, शेख हसीना का तख्तापलट अचानक नहीं हुआ, बल्कि इसकरे पीछे पूरी प्लानिंग के तरह काम किया गया। शेख हसीना ने भी देश छोड़ने बाद ये आरोप लगाया था। अब खुद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने ये बात स्वीकार की है। यही नहीं मोहम्मद यूनुस आंदोलन के पीछे के असली मास्टरमाइंड के बारे में बताया। इस शख्स को मोहम्मद यूनुस ने अपना विशेष सहायक बना रखा है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में हिस्सा लेने गए मोहम्मद यूनुस ने न्यूयॉर्क में एक कार्यक्रम में तख्तापलट की साजिश का पर्दाफाश किया। मोहम्मद यूनुस ने 'क्लिंटन ग्लोबल इनिशिएटिव' कार्यक्रम में शिरकत की। यहां उन्होंने कहा कि विरोध प्रदर्शन सावधानीपूर्वक किए गए थे और ये संयोग नहीं था। उन्होंने छात्र नेता महफूज आलम का भी नाम लिया। स मौके पर पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन भी मौजूद थे।

बिल क्लिंटन की मौजूदगी मास्टरमाइंड का खुलासा

बिल क्लिंटन की मौजूदगी में यूनुस ने मंच पर महफूज आलम को बुलाकर कहा, 'पूरी क्रांति के पीछे यही (महफूज) थे।मोहम्मद यूनुस ने महफूज आलम के नेतृत्व की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा, ये इससे इनकार करते हैं, लेकिन क्रांति के पीछे यही थे। ये अचानक हुई चीज नहीं थी। आंदोलन को बहुत अच्छे से डिजाइन किया गया था। लोगों को ये भी नहीं मालूम था कि नेता कौन हैं। ऐसे में आप किसी एक को पकड़कर ये नहीं कह सकते कि आंदोलन खत्म हो गया।'

मोहम्मद यूनुस ने महफूज आलम की जमकर की तारीफ

मोहम्मद यूनुस ने अपने विशेष सहायक महफूज आलम का परिचय कराते हुए कहा, 'वे भी किसी अन्य युवा की तरह ही दिखते हैं, जिन्हें आप पहचान नहीं पाएंगे। लेकिन जब आप उन्हें काम करते हुए देखेंगे, जब आप उन्हें बोलते हुए सुनेंगे, तो आप हिल जाएंगे। उन्होंने अपने भाषणों, अपने समर्पण और अपनी प्रतिबद्धता से पूरे देश को हिला दिया।'

हसीना ने अमेरिका पर लगाए थे तख्तापलट के आरोप

इससे पहले अगस्त में शेख हसीना ने अमेरिका पर तख्तापलट के आरोप लगाए थे।उन्होंने कहा था, वे छात्रों के शवों पर चढ़कर सत्ता में आना चाहते थे, लेकिन मैंने इसकी अनुमति नहीं दी। मैंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। मैं सत्ता में बनी रह सकती थी अगर मैंने सेंट मार्टिन द्वीप की संप्रभुता अमेरिका के सामने समर्पित कर दी होती और उसे बंगाल की खाड़ी में अपना प्रभुत्व स्थापित करने की अनुमति दे दी होती।

अवामी लीग के कुछ नेताओं ने भी सत्ता परिवर्तन के लिए मई में ढाका का दौरा करने वाले एक वरिष्ठ अमेरिकी राजनयिक को जिम्मेदार ठहराया था।आरोप है कि अमेरिकी राजनयिक चीन के खिलाफ कदम उठाने के लिए हसीना पर दबाव डाल रहे थे।

सिद्धारमैया सरकार का बड़ा फैसला, कर्नाटक में अब सीबीआई जांच के लिए लेनी होगी राज्य सरकार से सहमति

#karnataka_govt_take_back_state_probe_permission_from_cbi_allegedly_biases

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया पर लगे भूमि घोटाले के आरोपों के बीच राज्य मंत्रिमंडल ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से राज्यों के मामलों की जांच की अनुमति वापस ले ली है।मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक के बाद कानून और संसदीय कार्य मंत्री एच के पाटिल ने कहा कि दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 के तहत कर्नाटक राज्य में आपराधिक मामलों की जांच के लिए सीबीआई को सामान्य सहमति देने वाली अधिसूचना वापस ले ली गई है।अब केंद्रीय जांच एजेंसी बिना राज्य सरकार की अनुमति के कर्नाटक में प्रवेश नहीं कर सकेगी।

राज्य के कानून मंत्री एचके पाटिल ने सीबीआई पर पक्षपाती कार्रवाईयों का आरोप लगाते हुए कहा, "हम राज्य में सीबीआई जांच के लिए खुली सहमति वापस ले रहे हैं। हम एजेंसी के दुरुपयोग के बारे में अपनी चिंता व्यक्त करते हैं। वे पक्षपातपूर्ण हैं...इसीलिए यह निर्णय ले रहे हैं।" उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि सीबीआई या केंद्र सरकार अपने साधनों का उपयोग करते समय उनका विवेकपूर्ण उपयोग नहीं कर रही है। इसलिए मामले-दर-मामले हम सत्यापन करेंगे और सीबीआई जांच के लिए सहमति देंगे। सामान्य सहमति वापस ले ली गई है।

सीएम सिद्धारमैया पर आरोपों के कारण फैसला लेने से इंकार

पाटिल ने यह भी स्पष्ट किया कि यह फैसला इसलिए नहीं लिया गया है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर भूमि घोटाले के आरोप लगे हैं। पाटिल ने कहा, "हमने जितने भी मामले सीबीआई को भेजे, उनमें उन्होंने कोई आरोपपत्र दाखिल नहीं किए, जिससे कई मामले लंबित रह गए हैं। उन्होंने हमारे द्वारा भेजे गए मामलों की जांच करने से भी इनकार कर दिया। ऐसे कई उदाहरण हैं।"उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य सीबीआई को गलत रास्ता अपनाने से रोकना है।

बंगाल-पंजाब समेत विपक्ष शासित कई राज्यों में है रोक

राज्य की कांग्रेस सरकार के इस फैसले के बाद कर्नाटक भी अब उन विपक्षी शासित राज्यों की सूची में शामिल हो गया, जिन्होंने अपने-अपने राज्यों में सीबीआई से खुली सहमति वापस ली है। इससे पहले पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस, तमिलनाडु में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम, केरल में कम्युनिस्ट पार्टी और तेलंगाना की कांग्रेस सरकार ने ऐसा किया है। पंजाब में में नवंबर 2020 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने भी ऐसा फैसला लिया था।

विपक्ष लगाता रहा है एजेंसियों के दुरूपयोग का आरोप

बता दें, विपक्षी राज्य और भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र में सीबीआई को लेकर विवाद है। कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दल केंद्रीय जांच एजेंसियों पर गंभीर आरोप लगाते रहे हैं। ईडी, सीबीआई या आयकर विभाग सभी पर विपक्षी दलों ने सवाल खड़े किए हैं। उनका आरोप है कि केंद्र की सत्तारूढ़ भाजपा नीत गठबंधन सरकार केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। उनका दावा है कि इन एजेंसियों का इस्तेमाल विपक्षी दलों और उनके नेताओं को फंसाने या परेशान करने के लिए किया जा रहा है।