फसल अवशेष प्रबंधन विषय पर प्रशिक्षण सम्पन्न
मनकापुर(गोंडा)।बुधवार को आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र मनकापुर में आयोजित फसल अवशेष प्रबंधन विषयक एक दिवसीय प्रशिक्षण सम्पन्न हुआ । प्रशिक्षण समन्वयक डॉ. रामलखन सिंह वरिष्ठ वैज्ञानिक शस्य विज्ञान ने बताया कि किसान भाई जानकारी के अभाव में फसल अवशेष अपने खेत में जला देते हैं ।
इससे खेत में पाए जाने वाले लाभदायक सूक्ष्म जीवाणु मर जाते हैं तथा सल्फर आदि पोषक तत्व जलकर नष्ट हो जाते हैं । इससे मृदा एवं पर्यावरण प्रदूषण होता है । नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल नई दिल्ली द्वारा फसल अवशेष जलाने की निगरानी की जाती है । फसल अवशेष जलाने पर सरकार द्वारा जुर्माना किया गया है । साथ ही सम्बंधित कृषक को सरकारी योजनाओं से वंचित किया जा सकता है । पर्यावरण संरक्षण के लिए फसल अवशेष जलाने के वजाय इसका प्रबंधन किया जाना उपयुक्त होगा । धान फसल कटाई के उपरांत खेत में बचे फसल अवशेष को इकट्ठा कर भूसा बनाया जा सकता है । कम्बाइन हार्वेस्टर के द्वारा फसल कटाई के बाद खेत में खड़े फसल अवशेष को रीपर द्वारा काटकर भूसा बनाया जा सकता है । पैडी स्ट्रा मल्चर का प्रयोग कर धान के अवशेष को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर खेत में मिला दिया जाता है जो कुछ दिन बाद सड़कर खाद में बदल जाता है ।
धान के खड़े ठूॅट में हैप्पी सीडर मशीन के द्वारा रबी फसलों धान, चना मटर, मसूर आदि की बुवाई की जा सकती है, जिससे फसल अवशेष सड़कर खाद में परिवर्तित हो जाता है । खेत में पड़े फसल अवशेष को सड़ाने के लिए वेस्ट डिकम्पोजर का प्रयोग बहुत कारगर है । वेस्ट डिकम्पोजर की 100 मिलीलीटर की एक शीशी द्वारा एक एकड़ खेत की पराली को खाद में बदला जा सकता है । 200 लीटर पानी में एक शीशी वेस्ट डिकम्पोजर तथा एक किलोग्राम गुड़ मिलाकर सुबह शाम डंडे से चलाया जाता है । घोल का रंग क्रीम होने व दुर्गंध आने पर जीवाणु का घोल तैयार हो जाता है । इसका छिड़काव एक एकड़ खेत की पराली सड़ाने में किया जाता है । डॉ. डी के श्रीवास्तव वरिष्ठ वैज्ञानिक पशुपालन ने फसल अवशेष से कंपोस्ट खाद बनाने की विधि, डॉ मनोज सिंह वरिष्ठ उद्यान वैज्ञानिक ने फसल अवशेष का उपयोग मल्चिंग में करने तथा डॉ. ज्ञानदीप गुप्ता ने बताया कि वेस्ट डिकम्पोजर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली के द्वारा विकसित किया गया है ।
इस अवसर पर सुनीता, शोभावती, लक्ष्मी, कान्ति आदि कृषक महिलाओं ने फसल अवशेष प्रबंधन विषयक प्रशिक्षण में प्रतिभाग कर तकनीकी जानकारी प्राप्त की ।
Sep 26 2024, 14:52