/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png StreetBuzz कुमारी शैलजा ने ठुकराया मनोहर लाल का ऑफर, बोली- मेरी रगों में कांग्रेस का खून India
कुमारी शैलजा ने ठुकराया मनोहर लाल का ऑफर, बोली- मेरी रगों में कांग्रेस का खून

#congressleaderkumariseiljaonbjpoffer

हरियाणा चुनाव में प्राचार अभियान अपने चरम पर है। हालांकि, कांग्रेस में सिर फुटव्वल जारी है। शीर्ष नेता आपस में तालमेल नहीं बिठा पा रहे हैं। हरियाणा कांग्रेस की पूरी सियासत कुमारी शैलजा के इर्द-गिर्द सिमट गई है। विधानसभा चुनाव प्रचार से उनके दूरी बनाए रखने के चलते राजनीति गरमा गई है। कांग्रेस की ओर से नजरअंदाज किए जाने की खबर के बीच शैलजा को बीजेपी में शामिल होने का ऑफर तक मिला। इस बीच एक निजी चैनल से बात करते हुए कुमारी शैलजा ने इन सभी अकटकलों पर विराम लगा दिया है। उन्होंने कहा कि मेरी रगों में कांग्रेस का खून है। मैं कहीं नहीं जाऊंगी।

सिरसा से सांसद कुमारी शैलजा 12 सितंबर से पूरी तरह साइलेंट मोड में हैं। वो न ही कांग्रेस के चुनाव प्रचार में एक्टिव नजर आ रही हैं और न ही सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं। ऐसे में कांग्रेस की नाराजगी और बीजेपी में शामिल होने सहित के सवाल का जवाब देते हुए कुमारी सैलजा ने एक न्यूज चैनल के कार्यक्रम में कहा, नाराजगी की बात नहीं है, लेकिन कुछ बातें तो हो जाती हैं, ये पार्टी की अंदरुनी बात है, लेकिन मैं मरते दम तक कांग्रेस नहीं छोड़ूंगी।

हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनने का दावा

शैलजा ने आगे कहा कि बीजेपी, हरियाणा और राष्ट्रीय स्तर पर गिरावट की ओर हैं, वहां जाने का सवाल ही नहीं है। कांग्रेस पार्टी आगे बढ़ रही है, कांग्रेस के साथ हरियाणा के लोग आगे बढ़ रहे हैं। लोग हमारी तरफ देख रहे हैं। सारा देश बोल रहा है कि हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनेगी। मैं समझती हूं कि उसमें थोड़ा-बहुत योगदान शैलजा का भी होगा। उससे ज्यादा कांग्रेस वर्कर का योगदान ग्राउंड पर ज्यादा होगा।

वहीं, जब उनसे पूछा गया कि क्या वजह है की आज अभी तक आपने चुनाव प्रचार में हिस्सा नहीं लिया? तो उन्होंने कहा कि टिकट बंटवारे के बाद सभी उम्मीदवार बिजी थे अब प्रोग्राम बन रहे हैं जल्दी ही आपको चुनाव प्रचार में मिलूंगी। हम हरियाणा में बड़े मार्जिन से जीत दर्ज कर रहे हैं और हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बना रहे है।

सीएम बनने की इच्छा जाहिर

हरियाणा में मुख्यमंत्री बनने की रेस में शैलजा खुद को बनाए रखना चाहती है। उन्होंने कहा कि सीएम की दावेदारी तो कोई भी रख सकता है, दावेदारी हर एक की हो सकती हैं। शैलजा कभी न हताश होती है, न निराश होती है। मैंने बहुत से मुकाम और उतार-चढ़ाव देखे हैं। एक राजनेता के तौर पर मेरी भी इच्छा है कि मैं मुख्यमंत्री बनूं। अभी हरियाणा में मुख्यमंत्री बनने का रास्ता खुला हुआ है। कांग्रेस ने किसी भी नेता को सीएम चेहरा घोषित नहीं किया है। कांग्रेस में सीएम का चेहरा चुनाव के बाद पार्टी हाईकमान तय करता है। शैलजा ने कहा कि पहली बात तो यह भी नहीं पता है कि चुनाव के बाद मुख्यमंत्री कौन बनेगा। सीएम का फैसला हमेशा हाईकमान करता है। इसके अलावा सेल्फ प्रोटेक्शन तो सभी लोग करते हैं।

'उनके खड़ाऊ रखकर शासन करूंगी..', आतिशी बनीं दिल्ली की मुख्यमंत्री लेकिन उनके ठीक बगल में दिखी खाली कुर्सी



दिल्ली की नई मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) की वरिष्ठ नेता आतिशी मार्लेना ने आज सोमवार (23 सितंबर) को पदभार संभालते ही स्पष्ट कर दिया कि वह सीएम की कुर्सी पर बैठने के बावजूद अरविंद केजरीवाल को सर्वोच्च स्थान पर बनाए रखेंगी। अपने पहले संबोधन में उन्होंने भरत जी का उदाहरण देते हुए कहा, "जिस तरह भरत जी ने खड़ाऊं रखकर सिंहासन संभाला, उसी तरह मैं भी सीएम की कुर्सी संभालूंगी।" उनके बगल में एक खाली कुर्सी भी थी, जो इस विचार को और भी प्रगाढ़ करती है।

उल्लेखनीय है कि, भगवान श्री राम के वनवास के समय उनके छोटे भाई भारत ने श्री राम की खड़ाऊ को सिंघासन पर रखकर शासन किया था, अब आतिशी ने केजरीवाल के लिए वही बात दोहराई है।  आतिशी ने केजरीवाल की स्थिति को लेकर कहा कि भाजपा ने उन पर कीचड़ उछालने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने उल्लेख किया कि केजरीवाल ने यह कहा था कि जब तक दिल्ली के लोग उनकी ईमानदारी को साबित नहीं करेंगे, तब तक वह कुर्सी पर नहीं बैठेंगे, जिसके बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। आतिशी ने विश्वास जताया कि दिल्ली के लोग एक बार फिर अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री के रूप में देखेंगे।

इस प्रकार, आतिशी का कार्यभार संभालना न केवल एक नई शुरुआत है, बल्कि यह दर्शाता है कि वह अपनी पार्टी के संस्थापक के प्रति अपनी निष्ठा को बनाए रखते हुए आगे बढ़ेंगी। उनके नेतृत्व में दिल्ली की राजनीति में नया मोड़ देखने को मिल सकता है।
केजरीवाल राम, सिसोदिया लक्ष्मण...! जंतर-मंतर पर AAP नेता ने दिया यह बयान तो राजनीतिक हलकों में चर्चा का बाजार गर्म



दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया ने हाल ही में एक सभा में खुद और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तुलना भगवान राम और लक्ष्मण से की है। इस बयान के बाद राजनीतिक और सामाजिक हलकों में चर्चा और विवाद शुरू हो गया है।

सिसोदिया ने यह बयान जंतर-मंतर पर एक जनसभा को संबोधित करते हुए दिया। उन्होंने जेल में अपने अनुभवों का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें CBI अधिकारियों ने यह समझाने का प्रयास किया कि अरविंद केजरीवाल ने उनका नाम लिया है और अगर वह भी केजरीवाल का नाम लेते हैं, तो उन्हें (सिसोदिया को) बचाया जा सकता है। सिसोदिया ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “आप लक्ष्मण को राम से अलग करने की कोशिश कर रहे हो। दुनिया में कोई ताकत नहीं जो लक्ष्मण को राम से अलग कर सके।”

सिसोदिया ने अपनी और केजरीवाल की 26 साल पुरानी दोस्ती को अटूट बताते हुए खुद को लक्ष्मण और केजरीवाल को राम के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने इस रिश्ते को इतना मजबूत बताया कि कोई भी बाहरी या भीतरी ताकत इसे तोड़ नहीं सकती। सिसोदिया ने कहा कि सीबीआई ने उन्हें जेल में बताया कि केजरीवाल ने उनका नाम लिया है, लेकिन वह इसे एक साजिश मानते हैं, जिसका उद्देश्य उनके और केजरीवाल के बीच दरार पैदा करना है।

यह बयान राजनीतिक तौर पर कई सवाल खड़े करता है। राम और लक्ष्मण की तुलना उनके व्यक्तिगत और राजनीतिक रिश्ते को आदर्श बनाने की कोशिश मानी जा रही है। हालांकि, इसका धार्मिक पहलू भी चर्चा का विषय बन गया है, क्योंकि राजनीति में इस तरह की धार्मिक तुलना करना कई लोगों के लिए चर्चा का विषय बन गया है।
इजरायल और फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास के बीच गाजा में युद्ध : बंधकों की रिहाई, संवाद और संघर्षविराम..! पीएम मोदी ने बताया गाजा संकट का निदान


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्यूयॉर्क के लोटे न्यूयॉर्क पैलेस होटल में फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास के साथ एक महत्वपूर्ण द्विपक्षीय बैठक की। यह बैठक ऐसे समय में हुई जब इजरायल और फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास के बीच गाजा में लंबे समय से संघर्ष चल रहा है। पीएम मोदी ने गाजा की मानवीय स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए फिलिस्तीनी लोगों के प्रति भारत के निरंतर समर्थन की पुष्टि की।


विदेश मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के इतर अब्बास से मुलाकात की, जिसमें भारत की इज़रायल-फिलिस्तीन विवाद पर स्थायी नीति को दोहराया गया। पीएम मोदी ने संघर्ष विराम, बंधकों की रिहाई और कूटनीतिक संवाद के ज़रिए विवाद के शांतिपूर्ण समाधान की अपील की। उन्होंने दो राष्ट्र समाधान को ही क्षेत्र में स्थायी शांति का रास्ता बताया। साथ ही, पीएम मोदी ने यह भी याद दिलाया कि भारत, फिलिस्तीन को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था और फिलिस्तीन की संयुक्त राष्ट्र (UN) में सदस्यता के लिए भारत का समर्थन लगातार जारी रहेगा। दोनों नेताओं ने शिक्षा, स्वास्थ्य और क्षमता निर्माण में भारत द्वारा दी जा रही सहायता पर चर्चा की और भारत-फिलिस्तीन संबंधों को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई।

इसी दिन प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच भी एक मुलाकात हुई, जिसमें दोनों नेताओं के बीच की गर्मजोशी और आत्मीयता भारत-अमेरिका के संबंधों के साथ-साथ मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपतियों के साथ व्यक्तिगत तालमेल को भी दर्शाती है। आज पीएम मोदी संयुक्त राष्ट्र के फ्यूचर समिट को भी संबोधित करेंगे, जहां भविष्य की चुनौतियों और अवसरों पर बात होगी और भारत के लिए यूएनएससी की स्थायी सदस्यता एक प्रमुख मुद्दा हो सकता है।
देश भर में सोयाबीन के तेल में जबरदस्त उछाल, मध्यप्रदेश में किसानों के प्रदर्शन के बीच इतनी हुई बढ़ोत्तरी




देशभर की तरह मध्यप्रदेश में भी सोयाबीन के तेल में जबर्दस्त उछाल आ गया है। इसके रेट लगातार बढ़ रहे हैं। केंद्र सरकार द्वारा खाद्य तेलों में आयात शुल्क में बढ़ोत्तरी कर दिए जाने की वजह से तेल की कीमत बढ़ रही है। एमपी में जहां सोयाबीन के दामों में वृद्धि को लेकर किसान लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं वहीं सोयाबीन के तेल के दामों में भी तेजी से इजाफा हो रहा है।

हाल ये है कि सोयाबीन तेल के 5 लीटर के पैक के दामों में 125 रुपए तक की बढ़ोत्तरी हो चुकी है। केंद्र सरकार ने 14 सितंबर को खाद्य तेलों में आयात शुल्क में बढ़ोत्तरी की है। इससे किसानों को फायदा होगा पर तेल की कीमत तेजी से बढ़ रहीं हैं। महज 6 दिनों में ही बाजार में सोयाबीन तेल के दामों में प्रति किलो 25 रुपए का इजाफा हो गया है।



500 रुपए में मिलनेवाला 5 लीटर का पैक अब 625 रुपए में मिल रहा है। सोयाबीन तेल के बढ़ते दामों से किचन का बजट भी बिगड़ रहा है। सबसे बुरी बात तो यह है कि फिलहाल सोयाबीन की कीमतों में बढ़ोतरी का यह दौर जारी रह सकता है।

कहा जा रहा है कि सोयाबीन के तेल की कीमत 150 रुपए प्रति लीटर तक पहुंच सकती है। फूड ग्रेड ऑयल पर भारत सरकार ने आयात शुल्क यानि इंपोर्ट ड्यूटी 5.5 प्रतिशत बढ़ाई जोकि 27.5 प्रतिशत हो गई है। आयात शुल्क बढ़ने से सोयाबीन तेल के दाम बढ़ गए।
बदला लेने का समय आ गया, 3 अक्टूबर को देशभर में ‘रेल रोको’ आंदोलन, देश भर के किसान संगठनों ने लिया बड़ा फैसला



संयुक्त किसान मोर्चा और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसानों ने पिपली में किसान महापंचायत की। राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और UP के किसानों ने पिपली में ‘किसान महापंचायत’ में हिस्सा लिया। दोनों किसान संगठनों ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी समेत उनकी मांगों को स्वीकार करने के लिए सरकार पर दबाव बनाने के वास्ते ‘दिल्ली चलो’ मार्च का नेतृत्व किया है।

प्रदर्शनकारी किसान 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा पर डटे हुए हैं, जब सुरक्षा बलों ने उनके मार्च को रोक दिया था। राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, और उत्तर प्रदेश के किसानों ने पिपली में ‘किसान महापंचायत’ में हिस्सा लिया। सभी किसानों ने अपनी मांगों के समर्थन में 3 अक्टूबर को देशभर में ‘रेल रोको’ आंदोलन करने का भी फैसला किया।

किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘हरियाणा में BJP सरकार की ओर से किसानों पर किए गए अत्याचार का बदला लेने का समय आ गया है अब किसान बदला लेंगे’। लोगों से आगामी हरियाणा विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को हराने का आह्वान किया। हरियाणा में बीजेपी की हार शुभकरण सिंह के लिए एक सच्ची श्रद्धांजलि होगी, जो 21 फरवरी को पंजाब-हरियाणा सीमा पर खनौरी सीमा पर झड़प के दौरान मारे गए थे।
बाबा ने आश्रम में शिष्‍या से जबरन बनाया संबंध, रेप मामले में कोर्ट ने तय किए आरोप, 18 अक्टूबर को सबूत पेश करने का दिया आदेश

दिल्ली की एक अदालत ने स्वयंभू बाबा दाती महाराज और उनके दो भाइयों अशोक और अर्जुन के खिलाफ रेप, अननैचुरल सेक्स और आपराधिक तरीके से धमकी देने के आरोप तय कर दिए हैं। यह मामला एक महिला द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों से जुड़ा है, जिसमें उसने आरोप लगाया था कि दाती महाराज और उनके भाइयों ने आश्रम में उसके साथ बलात्कार किया।

अदालत ने जांच के बाद दाती महाराज और उनके भाइयों अशोक व अर्जुन के खिलाफ आरोप तय किए हैं, जबकि उनके एक अन्य भाई अनिल को आरोपों से मुक्त कर दिया गया है। इस फैसले से दाती महाराज और उनके भाइयों की कानूनी समस्याएं बढ़ने की संभावना है, और उन्हें आगे अदालत में मुकदमे का सामना करना होगा।


दिल्ली की एडिशनल सेशन जज (स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट) नेहा की अदालत ने दाती महाराज उर्फ मदन लाल राजस्थानी और उनके भाइयों अशोक और अर्जुन के खिलाफ गंभीर आरोप तय किए हैं। इनमें धारा 376 (बलात्कार), धारा 377 (अननैचुरल सेक्स), और धारा 506 (आपराधिक धमकी) सहित अन्य धाराएं शामिल हैं। आरोपियों ने अदालत में खुद को निर्दोष बताया है। अब अभियोजन पक्ष को अदालत में सबूत पेश करने के लिए 18 अक्टूबर की तारीख दी गई है। पीड़िता के वकील प्रदीप तिवारी ने जानकारी दी है कि अदालत ने इन आरोपों को गंभीर मानते हुए मामला आगे बढ़ाया है, और अभियोजन की ओर से सबूत पेश करने के बाद सुनवाई की जाएगी।


दाती महाराज के खिलाफ यह मामला 7 जून 2018 को तब दर्ज हुआ, जब उनकी एक शिष्या ने दक्षिण दिल्ली के फतेहपुर बेरी पुलिस थाने में उनके और उनके तीन भाइयों (अशोक, अनिल, और अर्जुन) के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। शिष्या ने आरोप लगाया कि दाती महाराज ने दिल्ली और राजस्थान में स्थित अपने आश्रमों में उसके साथ बलात्कार किया था। इस शिकायत के आधार पर 11 जून 2018 को प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इसके बाद, 22 जून को पुलिस ने दाती महाराज से पूछताछ की थी। बाद में यह मामला क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर कर दिया गया था, जिसने 1 अक्टूबर 2018 को मामले की जांच पूरी कर चार्जशीट दाखिल की थी।


दिल्ली हाईकोर्ट ने 3 अक्टूबर 2018 को दाती महाराज के खिलाफ मामले की जांच को सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया था। अदालत ने यह निर्णय लिया क्योंकि उसे लगा कि जिस तरीके से दिल्ली पुलिस ने मामले की जांच की, उससे जांच की निष्पक्षता प्रभावित हो सकती है। इससे पहले, दिल्ली पुलिस की छानबीन पर सवाल उठाए गए थे, जिसके चलते मामला सीबीआई को सौंपा गया। सीबीआई ने इस मामले में 9 जनवरी 2016 को फतेहपुर बेरी स्थित आश्रम में 25 वर्षीय महिला से बलात्कार और अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के आरोपों के तहत दाती महाराज और उनके तीन भाइयों के खिलाफ 26 अक्टूबर 2018 को प्राथमिकी दर्ज की थी।


दाती महाराज ने दिल्ली हाईकोर्ट के 3 अक्टूबर 2018 के आदेश, जिसमें मामले की जांच को सीबीआई को ट्रांसफर किया गया था, के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अपनी शिकायत के साथ हाईकोर्ट जाने का निर्देश दिया था। इसके बाद, दाती महाराज ने दिल्ली हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की, जिसे हाईकोर्ट ने 14 नवंबर 2018 को खारिज कर दिया। इस मामले की जांच के दौरान, सीबीआई ने 4 सितंबर 2020 को एक सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की, जिसमें नए साक्ष्य और जांच के निष्कर्ष शामिल थे। यह चार्जशीट दाती महाराज और उनके भाइयों के खिलाफ दर्ज किए गए गंभीर आरोपों की जांच को आगे बढ़ाते हुए दाखिल की गई थी।
चाइल्ड पोर्नोग्राफी मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, बच्चों के अश्लील वीडियो रखना अपराध
#supreme_court_verdict_on_watching_child_porn

सुप्रीम कोर्ट ने चाइल्ड पोर्नोग्राफी मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी को डाउनलोड करना या देखना पॉस्को अधिनियम के तहत अपराध है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए मद्रास हाईकोर्ट के ऑडर को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि निजी तौर पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना या उसे डाउनलोड करना पॉक्सो एक्ट के दायरे में नहीं आता है। सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने साफ किया कि फोन में किसी तरह का पोर्नोग्राफ़िक वीडियो रखना पॉक्सो एक्ट के तहत अपराध है।

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने यह फैसला सुनाया। दरअसल, कुछ दिन पहले मद्रास हाईकोर्ट ने एक केस को ये कहते हुए निरस्त कर दिया था कि बच्चों की वल्गर वीडियो देखना पॉस्को और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम के तहत अपराध नहीं है। जिसके बाद मद्रास हाई कोर्टे के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।

*चाइल्ड पोर्नोग्राफी शब्द का इस्तेमाल न करने का निर्देश*
इस पर सुनवाई करते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने मद्रास उच्च न्यायालय के हालिया फैसले के फैसले को रद्द कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने संसद को 'बाल पोर्नोग्राफी' शब्द को 'बाल यौन शोषण और अपमानजनक सामग्री' शब्द के साथ संशोधित करने का भी सुझाव दिया और केंद्र से संशोधन लाने के लिए एक अध्यादेश लाने का अनुरोध किया। कोर्ट ने अदालतों को 'चाइल्ड पोर्नोग्राफी' शब्द का इस्तेमाल न करने का निर्देश दिया है।

*एक्ट में बदलाव की मंजूरी से पहले लाया जाएगा अध्यादेश*
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच के सदस्य जस्टिस जे बी पारडीवाला ने 200 पन्ने का यह फैसला लिखा है। उन्होंने कहा कि जब तक पॉक्सो एक्ट में बदलाव को संसद की मंजूरी नहीं मिलती है, तब तक के लिए एक अध्यादेश लाया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने देश भर की अदालतों को भी सलाह दी है कि वह अपने आदेशों में CSAEM ही लिखें।

*मद्रास हाई कोर्ट ने क्या कहा था?*
मद्रास हाई कोर्ट ने इसी साल जनवरी में पॉक्सो एक्ट के एक आरोपी के खिलाफ केस को रद्द कर दिया था। हाई कोर्ट ने कहा था कि अपनी डिवाइस पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना या डाउनलोड करना अपराध के दायरे में नहीं आता है। कोर्ट ने यह टिप्पणी 28 साल के एक शख्स के खिलाफ चल रहे केस पर सुनवाई के दौरान की थी। उसके खिलाफ चाइल्ड पोर्नोग्राफी के आरोप में पॉस्को और आईटी कानून के तहत मामला दर्ज था। कोर्ट ने आरोपी के खिलाफ चल रहे केस को रद्द कर दिया था।
वहीं, 2023 में केरल हाई कोर्ट ने भी इसी तरह का बयान दिया था। कोर्ट ने कहा था कि अगर कोई व्यक्ति अश्लील फोटो या वीडियो देख रहा है तो यह अपराध नहीं है, लेकिन अगर दूसरे को दिखा रहा है तो यह गैरकानूनी होगा।
'अगर हारा तो, 2028 में नहीं लड़ूंगा चुनाव', कमला हैरिस के खिलाफ राष्ट्रपति चुनाव लड़ रहे डोनाल्ड ट्रंप ने क्यो कहा ऐसा?
#donald_trump_says_he_will_not_contest_2028_election_if_beaten_by_kamala

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार को बड़ा ऐलान किया। डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा है कि अगर वे इस बार राष्ट्रपति चुनाव हार गए तो फिर दोबारा चुनाव नहीं लड़ेंगे। ट्रंप वैसे तो चुनाव में अपनी हार की संभावना पर बहुत कम बात करते हैं, लेकिन एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा है कि अगर वो 5 नवंबर को होने वाला चुनाव हार जाते हैं तो फिर दोबारा कभी राष्ट्रपति का चुनाव नहीं लड़ेंगे।

सिन्क्लेयर मीडिया ग्रुप के साथ एक इंटरव्यू में ट्रम्प से पूछा गया था कि अगर वे इस बार कमला हैरिस से हार गए तो क्या 2028 में दोबारा खड़े होंगे?
इस पर जवाब देते हुए ट्रम्प ने कहा, "मुझे नहीं लगता कि ऐसा होगा। मैं दोबारा चुनाव नहीं लड़ूंगा। हालांकि, मुझे उम्मीद है कि हम इस बार जरूरी सफल रहेंगे।" ट्रम्प पिछले 3 चुनावों से रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रहे हैं।

इससे पहले 19 सितंबर को ट्रम्प ने इजराइली-अमेरिकी काउंसिल के एक इवेंट में कहा था कि अगर वे चुनाव हारे तो यह काफी हद तक यहूदियों की वजह से होगा। ट्रम्प के बयानों में हार के जिक्र को कमला की बढ़ती पॉपुलैरिटी से जोड़कर देखा जा रहा है। बीबीसी के मुताबिक, यह पिछले 4 दिनों में दूसरी बार है जब ट्रम्प ने चुनाव हारने की आशंका पर बात की है।

राष्ट्रपति बाइडेन के चुनावी रेस से हटने के बाद से डेमोक्रेटिक पार्टी प्री-पोल सर्वे में बेहतर परफॉर्म कर रही है। अमेरिका के नेशनल पोलिंग सर्वे में कमला ट्रम्प से आगे चल रही हैं। वहीं अमेरिकी मीडिया CBS न्यूज के सर्वे में भी कमला को 52% तो वहीं ट्रम्प को 48% वोट मिलने का अनुमान लगाया गया है। अमेरिका के जिन राज्यों में सबसे कड़ा मुकाबला है, वहां के सर्वे में भी कमला पूर्व राष्ट्रपति से 2% ज्यादा वोट हासिल कर रही हैं। हालांकि, कुछ सर्वों में अब भी ट्रम्प उप-राष्ट्रपति कमला से आगे चल रहे हैं।

राष्ट्रपति का यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि ट्रंप चौथी बार राष्ट्रपति चुनाव लड़ने की संभावना को खारिज करते दिखे और क्योंकि वे शायद ही कभी इस बात स्वीकार करते हैं कि वो वैध रूप से चुनाव हार सकते हैं। डोनाल्ड ट्रंप आमतौर पर इस बात पर जोर देते हैं कि ऐसा तभी हो सकता है जब धोखाधड़ी हो। उन्होंने यह आरोप 2020 में भी लगाया था और उनके 2024 के राष्ट्रपति अभियान के दौरान भी लगाया गया है।
कौन हैं श्रीलंका के नए राष्ट्रपति, जानें मजदूर के बेटे चीन समर्थक अनुरा कुमार दिसानायके के बारे में
#anura_kumara_dissanayake_swearing_in_as_president_of_sri_lanka
पड़ोसी देश श्रीलंका को अपना नया राष्ट्रपति मिल गया है। 2022 में इकोनॉमिक क्राइसिस के बाद यह पहला मौका है जब श्रीलंका में चुनाव हुए हैं। इस चुनाव में 55 साल अनुरा कुमार दिसानायके ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी प्रेमदासा को दूसरे दौर की मतगणना के बाद मात देते हुए जीत दर्ज कर ली।जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) पार्टी के नेता दिसानायके इस चुनाव में नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) गठबंधन की ओर से राष्ट्रपति पद के कैंडिडेट बने थे। एक साधारण परिवार से आने वाले अनुरा की इस पद तक पहुंचने की कहानी काफी दिलचस्प है।

दिसानायके का जन्म 24 नवंबर 1968 में श्रीलंका की राजधानी कोलंबो से 100 किलोमीटर दूर थंबुट्टेगामा में एक दिहाड़ी मजदूर के घर हुआ था। दिसानायके अपने परिवार के गांव से विश्वविद्यालय जाने वाले पहले छात्र थे। एक बातचीत में उन्होंने बताया था कि शुरुआत में पेराडेनिया विश्वविद्यालय में दाखिला लिया था लेकिन राजनीतिक विचारधाराओं के कारण धमकियां मिलने लगीं और वह केलानिया यूनिवर्सिटी आ गए। दिसानायके ने 80 के दशक में छात्र राजनीति शुरू की। कॉलेज में रहते हुए 1987 और 1989 के बीच सरकार विरोधी आंदोलन के दौरान वह जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) में शामिल हुए और तेजी से अपनी पहचान बनाई।

80 के दशक में जेवीपी ने सरकार के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह किया और भारी हिंसा हुई। इसे श्रीलंका का खूनी दौर भी कहा जाता है। सरकार ने इस विद्रोह को कुचला और इसमें जेवीपी संस्थापक रोहाना विजेवीरा भी मारे गए। हालांकि बाद में दिसानायके और जेवीपी ने हिंसा के रास्ते से दूरी बनाई और। दिसानायके साल 2000 में सांसद बने और इसके बाद 2004 में श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (एसएलएफपी) के साथ गठबंधन के बाद उन्होंने कृषि और सिंचाई मंत्री बनाया गया। हालांकि गठबंधन में असहमति के बाद दिसानायके ने 2005 में ही मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

दियानायके 2014 में सोमावंसा अमरसिंघे के बाद जेवीपी के अध्यक्ष बने। दिसानायके ने नेतृत्व संभालने के बाद पार्टी की छवि को बदलते हुए 1971 और 1987 के विद्रोह से जुड़े अपने हिंसक अतीत से दूर किया। उन्होंने सार्वजनिक रूप से उस दौरान पार्टी की भूमिका के लिए खेद भी जताया।राष्ट्रपति पद की दौड़ में दिसनायके पहली बार 2019 में आए लेकिन बुरी तरह से हारे और केवल 3 प्रतिशत वोट ही पा सके। 2022 में श्रीलंका में आर्थिक बदहाली के बाद जेवीपी ने जौरदार अभियान चलाया और खुद को भ्रष्टाचार विरोधी नेता के तौर पर पेश करने में कामयाब रहे। दो साल में ही दिसानायके श्रीलंका के सबसे बड़े नेता बन गए।

चीन का बेहद करीबी माना जाता है। उन्होंने हमेशा मार्क्सवादी विचारधारा को आगे रखते हुए देश में बदलाव की बात कही है। राष्ट्रपति चुनाव के कैंपेन में भी दिसानायके ने ज्यादातर छात्रों और मजदूरों के मुद्दे का जिक्र किया। उन्होंने श्रीलंका के लोगों से शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में बदलाव के वादे किए, जिसका नतीजा उन्हें जीत के रूप में मिला।