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बड़ी खबर : बिहार मे बड़े पैमाने पर डीएसपी का स्थानांतरण, गृह विभाग ने जारी की अधिसूचना*

डेस्क : बिहार में इन दिनों अधिकारियों के स्थानांतरण का सिलसिला जारी है। इसी कड़ी में बीते बुधवार को जहां बड़े पैमाने पर आईएएस अधिकारियों का तबादला किया गया था। उसके अगले ही दिन गुरुवार को राज्य सरकार ने पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) स्तर के 11 पदाधिकारियों का तबादला कर दिया है। गुरुवार को गृह विभाग ने इसकी अधिसूचना जारी की है। गृह विभाग की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार पटना में अमित कुमार एवं नालंदा में खुर्शीद आलम नये यातायात डीएसपी बनाए गए है। वहीं विभाग के अनुसार चार अनुमंडलों में नए डीएसपी की तैनाती की गयी है। इनमें सीआईडी के डीएसपी कृष्ण कुमार सिंह को भोजपुर के पीरो का डीएसपी, बिहार पुलिस अकादमी, राजगीर के डीएसपी अमित कुमार को इमामगंज, नालंदा के यातायात डीएसपी सुनील कुमार सिंह को राजगीर, नालंदा तथा राजगीर के डीएसपी प्रदीप कुमार को मोहनिया का डीएसपी बनाया गया है। पीरो के डीएसपी राहुल सिंह को एसटीएफ में डीएसपी,मुख्यालय में पदस्थापना की प्रतीक्षा में रहे फिरोज आलम को ईआरएसएस का डीएसपी बनाया गया है। वहीं, मोहनिया के डीएसपी दिलीप कुमार को बी-सैप-16 में डीएसपी, सीआईडी के डीएसपी रविप्रकाश सिंह को गया के डीएसपी, विधि-व्यवस्था की जिम्मेदारी दी गयी है। पुलिस उपाधीक्षक पद पर उच्चतर प्रभार प्राप्त वीरेंद्र महतो को विशेष निगरानी ईकाई, पटना में तैनात किया गया है।
सिपाही बहाली पेपर लीक मामले पूर्व डीजीपी एसके सिंघल का हाथ, अहम सवाल ! ऐसे मामलों पर कैसे लगेगी रोक और कैसे सही अभ्यर्थियों को मिल पायेगी नौकरी


डेस्क : केन्द्रीय चयन परिषद (सिपाही भर्ती), बिहार सिपाही बहाली पेपर लीक मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है। अबतक पेपर लीक का मुख्य आरोपी संजीव मुखिया को माना जा रहा था, लेकिन इसमें एक ऐसा नाम सामने आया है जिसके बाद सबसे अहम सवाल यह पैदा हो जाता है कि ऐसी स्थिति में कैसे निष्पक्ष तरीके से सही अभ्यर्थियों को नौकरी मिलेगी। 

दरअसल जिस अधिकारी के जिम्मे इस परीक्षा को निष्पक्ष तरीके से संपन्न कराने की जिम्मेवारी थी वे इस मामले में शामिल थे। इस मामले की जांच कर रही ईओयू की एसआईटी ने इस मामले में केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) के तत्कालीन अध्यक्ष सह पूर्व डीजीपी एसके सिंघल को दोषी पाया है। ईओयू के एडीजी ने राज्य के डीजीपी को तमाम सबूतों के साथ सिंघल के खिलाफ अनुशासनिक कार्यवाही प्रारंभ करने की अनुशंसा की है। एडीजी ने डीजीपी को इस बाबत पत्र भेजा है।

बता दें केन्द्रीय चयन परिषद (सिपाही भर्ती), बिहार, पटना के विज्ञापन संख्या-01/2023 जिसमें 21,391 सिपाही के रिक्त पदों की बहाली होनी थी। इसके लिए एक अक्टूबर 2023 को दो पालियों में परीक्षा आयोजित की गयी थी। इसके अतिरिक्त सात अक्टूबर 2023 एवं 15 अक्टूबर 2023 को भी इस परीक्षा का अयोजन होना था।

इस परीक्षा में कुल 18 लाख अभ्यर्थियों ने फार्म भरा था, लेकिन 1 अक्टूबर 2023 को आयोजित परीक्षा की दोनों पालियों में परीक्षा प्रारम्भ होने की निर्धारित अवधि से कई घंटे पूर्व ही, परीक्षा की उत्तर कुजी विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर वायरल हो गई, जिसके परिणामस्वरूप, दो अक्टूबर 2023 को उक्त परीक्षा को रद्द कर दिया गया तथा सात अक्टूबर 2023 एवं 15 अक्टूबर 2023 को आयोजित होने वाली परीक्षाओं को स्थगित कर दिया गया।

बाद में इस मामले जांच का जिम्मा ईओयू को सौंपा गया था। बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (EOU) ने खुलासा किया कि संजीव मुखिया गैंग ने ही सिपाही बहाली का पेपर भी लीक करवाया था। ईओयू की टीम ने इस मामले में ब्लेसिंग सिक्योर प्रिंटिंग से जुड़े लोगों को पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार किया और काण्ड संख्या 16/2023 में 26 जून, 2024 को चार अभियुक्तों को गिरफ्तार कर 27 जून, 2024 को न्यायिक हिरासत में भेज दिया। 

लेकिन अब इस मामले में ईओयू की एसआईटी ने इस मामले में केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) के तत्कालीन अध्यक्ष सह पूर्व डीजीपी एसके सिंघल को दोषी पाया है। ईओयू के एडीजी ने राज्य के डीजीपी को तमाम सबूतों के साथ सिंघल के खिलाफ अनुशासनिक कार्यवाही प्रारंभ करने की अनुशंसा की है। एडीजी ने डीजीपी को इस बाबत पत्र भेजा है।

विशेष जांच दल ने अपनी जांच लगभग पूरी कर ली है। उसने पाया है कि पर्षद अध्यक्ष ने लापरवाही के अलावा नियमों एवं मानकों की अनदेखी की। उन्होंने अपने दायित्वों का सही ढंग से निर्वहन नहीं किया, जिसकी वजह से सुनियोजित तरीके से एक संगठित आपराधिक गिरोह ने पेपर लीक किया। हालांकि, एसआईटी ने जांच में पाया कि तत्कालीन अध्यक्ष के खिलाफ आपराधिक गतिविधि से संबंधित साक्ष्य नहीं मिले हैं।

जांच एजेंसी का मानना है कि सिंघल के दायित्वों के निर्वहन में लापरवाही बरतने के कारण परीक्षा की कड़ी (चेन ऑफ कस्टडी) की गोपनीयता और सत्यनिष्ठा को बनाए रखने के लिए निर्धारित मानकों की अनदेखी की गई है। इस कारण पेपर लीक हुआ। इसलिए इनके खिलाफ उचित कार्रवाई करने की अनुशंसा की गई है। 

 जांच के क्रम में एसके सिंघल से ईओयू की टीम तीन से चार बार पूछताछ कर चुकी है। इस दौरान कई तथ्यों पर उन्हें दोषी पाया गया है। गौरतलब है कि बहाली परीक्षा की गोपनीयता, विश्वसनीयता, अखंडता और सुरक्षा की पूरी जिम्मेवारी अध्यक्ष की थी।

सिपाही बहाली पेपर लीक मामले में ईओयू की एसआईटी की जांच में कई अहम तथ्य हाथ लगे हैं। जांच के दौरान यह पाया गया कि केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) के तत्कालीन अध्यक्ष एसके सिंघल का प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक के सरगना से साठगांठ थी। जिस कौशिक कर से उनकी करीबी है। वह पहले भी यूपीपीएससी की एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा का प्रश्न-पत्र लीक करने का मुख्य अभियुक्त है। इसका आपराधिक इतिहास रहा है। 

जांच में यह भी बात सामने आई है कि कॉलटेक्स मल्टीवेंचर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के कोलकाता गेस्ट हाउस में सिंघल तीन बार रुके थे। ब्लेसिंग सिक्योर प्रेस लिमिटेड के कार्यालय एवं प्रिंटिंग प्रेस के गेस्ट हाउस में रात्रि विश्राम भी किया था। यहां ये वर्क ऑर्डर, प्रश्न पत्रों के मोडरेशन एवं सिलेबस समेत अन्य कार्यों के लिए गए थे। इस संबंध में सवाल पूछने पर पूर्व डीजीपी एस.के सिंघल ने भ्रामक जानकारी दी।

कॉलटेक्स मल्टीवेंटर कंपनी एक सेल कंपनी है। इसे छापे से लेकर प्रश्न पत्र ढोने तक का ठेका दे दिया गया था। जबकि इसका कार्यालय, प्रिटिंग प्रेस या लॉजिस्टिक नहीं है। कंपनी के सभी निदेशक भी फर्जी हैं। इसके सत्यापन का दायित्व सिंघल ने नहीं निभाया। कंपनी के निदेशक के बारे में भी कोई जांच नहीं कराई।

वहीं पूछताछ में एसके सिंघल ने बताया कि इन्हें पेपर के छापने समेत अन्य गोपनीय कार्यों के आउटसोर्स करने की कोई जानकारी नहीं थी। जबकि नियमानुसार, एकरारनामा के पहले प्रेस की भौतिक स्थिति, कार्यानुभव, कार्य करने की क्षमता, लॉजिस्टिक, मशीनरी समेत अन्य जांच की पूरी जिम्मेदारी अध्यक्ष की थी।

सीए हेमंत ने बताया कि ब्लेसिंग सिक्योर प्रेस कंपनी के निदेशक कौशिक के लिए वे काफी दिनों से काम करते हैं। उन्होंने ही कॉलटेक्स मल्टीवेंचर प्राइवेट लिमिटेड नामक फर्जी कंपनी खोलने की बात कही थी। इस कंपनी का पता भी कौशिक ने व्हाट्सएप कर भेजा था।

सबसे बड़ी बात यह है कि बिहार पुलिस एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार सिंह ने भी इनपर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा है कि सिंघल पूरी तरह से भ्रष्टचार में लिप्त अधिकारी है। डीजीपी पद पर रहते हुए पुलिसकर्मियों के विभागीय करवाई से विभाग से संबंधित ज़िला / रेंज से अनेकों फ़ाईल अपने पास मंगवाकर से आरोपी से खुद डील करते थे। यह डील कभी पुलिस मुख्यालय में होती थी और कभी डेरा पर या वह नहीं रहे तो उनकी पत्नी भी करती थी। उसके बाद उल्टा-पुल्टा साक्ष्य के आधार का आदेश निर्गत किया जाता था। इनके ऊपर जांच होनी चाहिए और जांच पूरी होने के बाद एक्शन लिया जाना चाहिए। 

इन सब के बीच सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न यह है कि अबतक तो किसी भी परीक्षा के पेपर लीक मामले में माफियाओं के हाथ होने की बात सामने आती थी, लेकिन जब वह अधिकारी जिसपर परीक्षा को निष्पक्ष तरीके से संपन्न कराने की जिम्मेवारी होती है वही भ्रष्टाचार में लिप्त हो तो ऐसे ऐसे मामलों पर कैसे लगेगी रोक और कैसे दिन-रात एक कर नौकरी की सपना संजोए युवाओं को उनके मेहनत का फल अभ्यर्थियों को मिल पायेगा।

बड़ी खबर : बिहार के तेज-तर्रार आईपीएस अधिकारी शिवदीप लांडे ने अपने पद से दिया इस्तीफा, खुद सोशल मीडिया के माध्यम से दी जानकारी

डेस्क : अभी-अभी एक बड़ी खबर सामने आई है। बिहार कैडर के तेज-तर्रात और वर्तमान में पूर्णिया रेंज के आईजी शिदीप लांडे ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इस बात की जानकारी उन्होंने खुद अपने सोशल मीडिया के प्लेटफार्म के माध्यम से दी है। हालांकि उन्होंने इस्तीफे का कारण व्यक्तिगत ही बताया है।

2006 बैच के बिहार कैडर के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी शिवदीप वामनराव लांडे ने अपने सोशल मीडिया ने प्लेटफार्म फेसबुक पर लिखा है कि " मेरे प्रिय बिहार, पिछले 18 वर्षो से सरकारी पद पर अपनी सेवा प्रदान करने के बाद आज मैंने इस पद से इस्तीफा दे दिया है। इन सभी वर्षो में मैंने बिहार को ख़ुद से और अपने परिवार से भी ऊपर माना है। अगर मेरे बतौर सरकारी सेवक के कार्यकाल में कोई त्रुटि हुई हो तो मैं उसके लिए क्षमाप्रार्थी हूँ। मैंने आज भारतीय पुलिस सर्विस (IPS) से त्यागपत्र दिया है परन्तु मैं बिहार में ही रहूँगा और आगे भी बिहार मेरी कर्मभूमि रहेगी। जय हिन्द।

बता दें लांडे बिहार कैडर में रहने के दौरान पटना, अररिया, पूर्णिया और मुंगेर जिलों में आरक्षी अधीक्षक के रूप में कार्य किया। पटना (मध्य क्षेत्र) के एसपी के रूप में वे काफी लोकप्रिय थे। उन्होंने अपने कैरियर में कई अपराधियों को गिरफ्तार किया और सख्त कार्रवाई की। हालांकि बीच में वे केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर महाराष्ट्र पुलिस में डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस- एंटी नारकोटिक्स सेल, क्राइम ब्रांच, मुंबई के रूप में सेवारत रहे।

पटना में अपने कार्यकाल के दौरान अपनी अनोखी कार्यशैली के कारण शिवदीप पूरे देश में प्रसिद्ध हो गये। पटना कार्यकाल के दौरान शिवदीप ने मनचलों को खूब सबक सिखाया।

*बड़ी खबर : बिहार में फिर कई IAS अधिकारियों का स्थानांतरण, सामान्य प्रशासन विभाग ने जारी की अधिसूचना

डेस्क : बिहार में एक बार फिर बड़े पैमाने पर आईएएस अधिकारियों का स्थानांतरण किया गया है। राज्य सरकार ने कई आईएएस अधिकारियों का विभाग बदल दिया है और उनकी नए विभागों में पोस्टिंग कर दी है। वहीं कई अधिकारियों को विभागों का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा गया है। सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से इसकी अधिसूचना जारी कर दी है।

सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार भारतीय प्रशासनिक सेवा की 2008 बैच की आईएएस अधिकारी और नगर विभाग एवं आवास विभाग की सचिव डॉ.आशिमा जैन का तबादला कर दिया गया है। उन्हें वित्त विभाग का सचिव बनाया गया है। इसके साथ ही आशिमा जैन को सामान्य प्रशासन विभाग के जांच आयुक्त का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। वहीं 2008 बैच के आईएएस अधिकारी और राज्य परियोजना निदेशक बी. कार्तिकेय धनजी को सामान्य प्रशासन विभाग के जांच आयुक्त के अतिरिक्त प्रभार में रहेंगे।

1993 बैच के आईएएस अधिकारी और पंचायती राज विभाग के अपर मुख्य सचिव मिहिर कुमार सिंह को सामान्य प्रशासन विभाग मुख्य जांच आयुक्त का अतिरिक्त प्रभार सौंपा है। वहीं भारतीय प्रशासनिक सेवा के 2002 बैच के आईएएस अधिकारी और कृषि विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल परिवहन विभाग के सचिव के अतिरिक्त प्रभार में बने रहेंगे। 2007 बैच के आईएएस अधिकारी वित्त विभाग के सचिव दीपक आनंद का ट्रांसफर कर दिया है। दीपक आनंद को श्रम संसाधन विभाग का सचिव बनाया गया है।

इसके अलावा भारतीय प्रशासनिक सेवा के 2008 बैच के आईएएस और गृह विभाग के सचिव प्रणव कुमार को अगले आदेश तक जांच आयुक्त, सामान्य प्रशासन निभाग का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। वहीं 2021 बैच के आईएएस अधिकारी और राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के विशेष कार्य पदाधिकारी लक्ष्मण तिवारी को तबादला कर दिया गया है। उन्हें छपरा सदर को अनुमंडल पदाधिकारी के पद पर पदस्थापित किया गया है। इसके साथ लक्ष्मण तिवारी को कार्यपालक दंडाधिकारी की शक्ति एवं धारा 163 में निहित शक्तियां प्रदान की गई हैं।

नवादा में दलितों के घर फूंके जाने पर भड़के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, सीएम नीतीश के साथ-साथ एनडीए के सहयोगी दलों को चेताया

डेस्क : बीते बुधवार की रात बिहार के नवादा जिले से एक बड़ी घटना सामने आई। जहां कृष्णा नगर में करीब दो दर्जन से अधिक घरों को जला दिया गया। ये घर अनुसूचित जाति के लोगों के थे। आरोप है कि इलाके के दबंगों ने इन घरों को जलाया है। पीड़ितों का कहना था कि करीब 50 से 60 घर जलाए गए हैं।

इधर इस मामले को लेकर बिहार विधान सभा मे नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने प्रदेश की नीतीश सरकार पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने इस घटना का उल्लेख करते हुए इसे महा जंगलराज से आगे महा दानवराज और महा राक्षसराज की संज्ञा भी दी है। इसके साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी सरकार में सहयोगी एनडीए को भी चेताया है।

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बुधवार देर रात ही अपने एक्स हैंडल पर एक पोस्ट साझा की। इसमें उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और एनडीए पर जमकर भड़ास निकाली।उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा- महा जंगलराज! महा दानवराज! महा राक्षसराज! नवादा में दलितों के 100 से अधिक घरों में लगाई आग। नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के राज में बिहार में आग ही आग। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बेफिक्र, NDA (एनडीए) के सहयोगी दल बेखबर! गरीब जले, मरे-इन्हें क्या? दलितों पर अत्याचार बर्दाश्त नहीं होगा।

प्रशासन की ओर से कहा गया है कि करीब 2 दर्जन घरों में आग लगी थी। वहीं, तेजस्वी यादव ने दावा किया कि करीब 100 घर जलाए गए हैं। इस घटना के बाद कृष्णा नगर इलाके में माहौल को संभालने के लिए पुलिस बल तैनात कर दिया गया। वहीं, पुलिस ने करीब 10 आरोपियों को गिरफ्तार भी कर लिया है।

बिहार के अब सभी सरकारी स्कूलों की साल में दो बार होगी रैंकिंग, शिक्षा विभाग ने तय किया मानक

डेस्क : बिहार के सभी सरकारी स्कूलों की अब साल में दो बार मार्च और नवंबर महीनें में रैंकिग होगी। विभिन्न मानकों पर खरा उतरने पर स्कूलों को वन स्टार से फाइव स्टार तक की रैंकिंग दी जाएगी। शिक्षा विभाग ने इसके लिए मानक भी तय कर दिए हैं।

विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने बुधवार को सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को इस संबंध में पत्र लिखा है।

अपर मुख्य सचिव की ओर से जारी पत्र में कहा है कि राज्य के सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को सुनिश्चित करने के लिए स्कूल और शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए यह निर्णय लिया है। विभाग के द्वारा आठ अगस्त, 2024 को शिक्षक मार्गदर्शिका जारी की गई है, जिसमें शिक्षा की गुणवत्ता कैसे उत्कृष्ट हो, इसके लिए विस्तृत दिशा-निर्देश है।

इसी क्रम में प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों के लिए अलग-अलग प्रपत्र तैयार किये गये हैं, जिसमें विभिन्न मानकों पर 100 अंक तक दिये जाएंगे। सभी शिक्षकों के वार्षिक मूल्यांकन रिपोर्ट में उक्त रैंकिंग दर्ज की जाएगी।

मुजफ्फरपुर-समस्तीपुर रेलखंड पर मालगाड़ी हुई बेपटरी, करीब सवा पांच घंटे तक ट्रेनों का परिचालन पूरी तरह रहा बाधित*

डेस्क : बीते कुछ दिनों से रेल हादसे में काफी बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है। देश के अलग-अलग हिस्सों मे कई ट्रेन दुर्घटनाएं हो चुकी है। जिसमें जान-माल का भारी नुकसान हुआ है। वहीं बीते बुधवार को मुजफ्फरपुर के नारायणपुर अनंत में एक मालगाड़ी के बेपटरी हो गई। जिसकी वजह से मुजफ्फरपुर-समस्तीपुर रेलखंड पर करीब सवा पांच घंटे तक ट्रेनों का परिचालन पूरी तरह बाधित रहा। घटना के बाद जंक्शन से लेकर विभिन्न स्टेशनों पर लंबी दूरी से लेकर पैसेंजर ट्रेनें फंसी रही। इससे जंक्शन पर ट्रेन के इंतजार में बैठे यात्री परेशान रहे तो कई ट्रेनों के शॉर्ट टर्मिनेशन से कई लोगों को अपनी यात्रा रद्द करनी पड़ी। रात 10.45 बजे ट्रैक फिट घोषित होने के बाद अप लाइन पर परिचालन शुरू हुआ, हालांकि देर रात तक डाउन लाइन पर परिचालन बंद रहा। अप लाइन दुरुस्त होने पर सबसे पहले पवन एक्सप्रेस (नंबर 11062) को निकाला गया। सिलौत स्टेशन से 11.10 बजे खुलकर यह ट्रेन 11.24 बजे मुजफ्फरपुर जंक्शन पर पहुंची। इसके अलावा बरौनी ग्वालियर मेल (नंबर 11123) बरौनी से अपने निर्धारित समय से 3.40 घंटे की देरी से रात 10.30 बजे खुली। बरौनी-लखनउ एक्सप्रेस (नंबर 15203) 2.14 घंटे की देरी से रात 10.39 बजे बरौनी से खुली। बरौनी-अहमदाबाद एक्सप्रेस भी करीब पौने तीन घंटे विलंब से रात सवा 10 बजे खुली। बरौनी-अहमदाबाद को ट्रैक फिट होने के बाद नियमित रूट से निकाला गया। इधर, डीआरएम में मामले की जांच के लिए देर रात इंजीनियरों की एक टीम का गठन किया है। टीम मामले की जांच कर डीआरएम को आगे की कार्रवाई के लिए रिपोर्ट सौंपेगी। घटना के दौरान भी जांच टीम के सदस्य मौके पर मौजूद थे, जिन्होंने दुर्घटना का आकलन भी शुरू कर दिया है।
*एमआईटी और आईआईटी पटना के बीच हुआ शैक्षणिक करार, एमआईटी के छात्रों को अब मिलेगी यह सुविधा*

डेस्क : एमआईटी के विद्यार्थियों के लिए एक बड़ी खबर है। अब वे आईआईटी पटना की लाइब्रेरी में जाकर पढ़ाई कर सकेंगे। इसके लिए एमआईटी और आईआईटी पटना के बीच शैक्षणिक करार हुआ है। एमआईटी के प्राचार्य प्रो. एमके झा और आईआईटी पटना के निदेशक प्रो. टीएन सिंह ने पटना में दोनों संस्थानों के बीच इस संबंधी एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं। इस करार के तहत दोनों संस्थान शोध और अकादमिक गतिविधियों में एक-दूसरे को सहयोग करेंगे। एमआईटी ने पहली बार आईआईटी के साथ एमओयू किया है। एमआईटी के पीआरओ प्रो. इरशाद ने बताया कि इस एमओयू से दोनों संस्थानों के शिक्षक और छात्रों के बीच सहयोग बढ़ेगा। इसके अतिरिक्त, दोनों संस्थान विद्यार्थियों के इंटर्नशिप, परियोजना प्रशिक्षण में भी एक-दूसरे का सहयोग करेंगे। एमओयू पर हस्ताक्षर किए जाने के मौके पर एमआईटी की डॉ. लिली झा, डॉ. अमित कुमार वर्मा एवं आईआईटी पटना के प्रो. एके ठाकुर, डॉ. सुब्रता हैत , डॉ. अमित कुमार वर्मा आदि मौजूद थे।
IAS अधिकारी संजीव हंस की बढ़ी परेशानी, आय से अधिक संपत्ति मामले में उनकी पत्नी समेत 14 पर एफआईआर*

डेस्क : बिहार कैडर के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी और ऊर्जा विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव संजीव हंस की परेशानी बढ़ गई है। विशेष निगरानी इकाई (एसवीयू) ने पद का दुरुपयोग कर अवैध कमाई करने के आरोप में संजीव हंस समेत अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है। इसमें 13 को नामजद अभियुक्त समेत एक अन्य व्यक्ति एवं कंपनी को अभियुक्त बनाया गया है। नामजद अभियुक्तों की सूची में 1997 बैच के आईएएस संजीव हंस की पत्नी हरलोविलीन कौर उर्फ मोना हंस, उनके पिता लक्ष्मण दास एवं साला गुरु बालतेज के अलावा झंझारपुर (मधुबनी) के पूर्व विधायक गुलाब यादव, उनकी पत्नी सह मधुबनी की एमएलसी अंबिका यादव, एक्स आर्मी मेंस प्रोटेक्शन सर्विस के मालिक सुनील कुमार सिन्हा, एक महिला वकील, मधुबनी के प्रवीण चौधरी, गुरुग्राम निवासी तरुण राघव, आनंद ट्रेडिंग कॉरपोरेशन के देविन्द्र सिंह, कमलकांत गुप्ता (सुरेश सिंघला के समधि) और सुरेश सिंघला (मेसर्स एसपी सिंघला कंस्ट्रक्शन कंपनी के मालिकों में एक) शामिल हैं। यह प्राथमिकी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता की सुसंगत धाराओं के अंतर्गत दर्ज की गई है। प्राथमिकी संख्या 5/24 है। ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने 20 अगस्त को आईएएस अधिकारी, पूर्व विधायक समेत अन्य सभी के नाम पर करोड़ों की अवैध संपत्ति होने से संबंधित साक्ष्य राज्य सरकार और एसवीयू के एडीजी को भेजे थे। इन साक्ष्यों को प्राथमिकी का मुख्य आधार बनाया गया है।
हैवानियत की सारी हदों को किया पार : दो वहसी दरिंदों ने 80 साल की वृद्धा को बनाया हवश का शिकार

डेस्क : बिहार के बेगूसराय जिले से एक ऐसी घटना सामने आई है जिसे जानकर आप दंग रह जाएंगे। आप यह सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि आखिर इंसान की सोच हैवानियत की किस हद तक जा रहा है।

जिले में 80 वर्षीय एक वृद्ध महिला के साथ गैंगरेप करने का मामला सामने आया है। घटना की सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस ने घायल पीड़िता को इलाज के लिए बेगूसराय सदर अस्पताल में भर्ती कराया जहां 80 साल की बुजुर्ग महिला का इलाज चल रहा है। इस दौरान पीड़िता का मेडिकल भी कराया गया। इस घटना से इलाके में हड़कंप मचा हुआ है। परिजन आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं।

मिली जानकारी के अनुसार दो बहसी दरिंदों ने अपनी दादी की उम्र की बुजुर्ग महिला के साथ मारपीट की और गंदा काम किया। ऐसा करने से पहले दोनों ने एक बार भी नहीं सोचा कि वो क्या कर रहे है? घटना को अंजाम देने के बाद दोनों आरोपी फरार है। दोनों आरोपियों को गिरफ्तार करने में पुलिस को अभी तक कोई सफलता हाथ नहीं लगी है। इस घटना से इलाके में हड़कंप मचा हुआ है। इस घटना से इलाके के लोग भी हैरान हैं। लोग आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं।

वहीं घटना के संबंध में बेगूसराय एसपी कार्यालय से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर यह बताया गया कि 18 सितंबर की सुबह में पुलिस को जानकारी मिली कि एक 80 साल की बुजुर्ग महिला के साथ अज्ञात बदमाशों ने मारपीट किया और दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया। मामले की गंभीरता को देखते हुए घटना की जांच के लिए एफएसएल टीम को मौके पर बुलाया गया। पीड़िता के परिजन ने बताया कि 80 साल की बुजुर्ग महिला झोपड़ी में अकेले रहती थी। मामले की जांच और आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है।